Saturday, 5 July 2025

ऑपरेशन सिंदूर में चीन हमारी सैन्य तैयारियों की लाइव जानकारी पाकिस्तान को दे रहा था। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह की इस बात को भारत के कारोबारी समझे। सामान का बहिष्कार कर चीन को जवाब दिया जा सकता है।

4 जुलाई को दिल्ली में देश के उद्योगपतियों के संगठन फिक्की का एक बड़ा सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में उपसेना प्रमुख राहुल सिंह ने चौंकाने वाली जानकारी उद्योगपतियों को दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की तैयारियों की लाइव जानकारी चीन, पाकिस्तान को दे रहा था। एक तरह से भारतीय सेना ने यह युद्ध चीन के साथ लड़ा। सब जानते हैं कि अंतरिक्ष में चीन का अपना स्पेस सेंटर है और चीन के उपग्रह भारत सहित दुनिया भर पर नजर रखते हैं। यही वजह रही कि चीन ने अपने उपग्रहों से भारतीय सेना की तैयारियां एकत्रित की और फिर तुरंत पाकिस्तान को दी। चीन द्वारा उपलब्ध करवाई जानकारियां पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण थी। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह की इस बात को भारत के उद्योगपतियों और कारोबारियों को समझना चाहिए। भारत में ऐसे अनेक उद्योगपति और कारोबारी है जो चीन के उत्पादक मंगाकर भारत में बेच रहे हैं। ऐसे उद्योगपतियों और कारोबारियों को चाहिए कि वे चीन के साथ व्यापार बंद कर दे। इसके साथ ही उपभोक्ता का भी यह कर्तव्य है कि चीन के सामान का बहिष्कार करें। सवाल पूछा जा सकता है कि सरकार अपने स्तर पर चीन के साथ कारोबार बंद क्यों नहीं करती? असल में यदि मौजूदा समय में सरकारी स्तर पर कारोबार बंद किया जाता है तो इसका असर दूसरे देशों के कारोबार पर भी पड़ेगा। अभी जितनी बड़ी मात्रा में चीन से ामल आ रहा है, उसकी आपूर्ति करना भारत के उद्योगपतियों के लिए संभव नहीं है। चीन के उत्पादों का भारत में जबरदस्त दखल है। चीन के साथ कारोबारी रिश्ते धीरे धीरे ही समाप्त किए जा सकते है। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह ने देश के उद्योगपतियों के सामने चीन की वास्तविक स्थिति रख दी है। अब उद्योगपतियों और देशवासियों की जिम्मेदारी है कि चीन को सबक सिखाया जाए। S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत के दामाद गौतम अश्विन बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बने। क्या अशोक गहलोत ब भी न्यायपालिका को मोदी सरकार के दबाव में बताएंगे?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की उस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है, जिसमें मुंबई के युवा वकील गौतम अश्विन अनखड को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने यह सिफारिश 24 सितंबर 2024 को की थी, लेकिन विस्तृत छानबीन के बाद केंद्र सरकार ने अब वकील कोटे से गौतम अश्विन को जज बनाने की स्वीकृति दी है। मोदी सरकार की यह स्वीकृति इसलिए मायने रखती है कि गौतम अश्विन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दामाद हैं। गहलोत की पुत्री सोनिया का विवाह गौतम अश्विन के साथ हुआ है। गहलोत जब भी मुंबई जाते हैं तो अपनी बेटी के आवास पर ही रुकते हैं। गहलोत कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल हैं जो अकसर आरोप लगाते हैं कि देश की न्यायपालिका भी मोदी सरकार के दबाव में काम कर रही है। श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी के विरुद्ध नेशनल हेराल्ड प्रकरण में प्रसंज्ञान लेने के मामले भी गहलोत ने न्यायपालिका की निष्पक्षता से सवाल उठाए हैं। गहलोत जब राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, तब कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की उपस्थिति में भी गहलोत ने न्यायपालिका के दबाव की बात कह। देखना होगा कि अब जब दामाद गौतम अश्विन बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बन गए हैं, तब न्यायपालिका के बारे में अशोक गहलोत की क्या राय सामने आती है। गहलोत जिस मोदी सरकार पर दबाव डालने का आरोप लगाते रहे, उसी मोदी सरकार ने गहलोत के दामाद को हाईकोर्ट का जज बनाने की स्वीकृति दी है। S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

डूंगरपुर में डोटासरा और रंधावा जब कांग्रेस नेताओं में बिखराव की बात कह रहे थे, तब हिंडौन में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगा रहे थे। मुख्यमंत्री कैसा हो अशोक गहलोत जैसा हो नारे वाला वीडियो खुद गहलोत ने पोस्ट किया। डूंगरपुर के सम्मेलन में सचिन पायलट भी नदारद।

राजस्थान देश के उन कुछ प्रदेशों में से एक हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत मानी जा सकती है। मौजूदा समय में भी 200 में से 66 विधायक और 24 में से 9 सांसद कांग्रेस के हैं। श्रीमती सोनिया गांधी भी राजस्थान से ही राज्यसभा की सांसद है। चूंकि पिछले 25 वर्षों से राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार की परंपरा रही है, इसलिए राजस्थान में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ज्यादा ही उत्साहित है। क्षेत्रवार कार्यकर्ता सम्मेलन भी किए जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत चार जुलाई को आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नेताओं में बिखराव के कारण कांग्रेस कमजोर हो जाती है। इन दोनों नेताओं ने किसी बड़े नेता का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की आपसी गुटबाजी की ओर ही था। डोटासरा ने तो यहां तक कह दिया कि अब राजस्थान कांग्रेस में एक ही जूली फैक्टर रह गया है। डोटासरा ने कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली की जमकर प्रशंसा की। रंधावा और डोटासरा जब बड़े नेताओं में बिखराव की बात कह रहे थे, तब करौली के हिंडौन में कांग्रेस के कार्यकर्ता हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो, अशोक गहलोत जैसा हो के नारे लगा रहे थे। 4 जुलाई को एक सार्वजनिक समारोह में भाग लेने के लिए गहलोत हिंडौन में थे। स्वयं को मुख्यमंत्री बनाने के नारा वाला वीडियो खुद गहलोत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। समारोह में गहलोत को लेकर आकर्षण भी देखा गया। इस वीडियो को पोस्ट करने से राजस्थान में अशोक गहलोत की रणनीति को समझा जा सकता है। मौजूदा समय में गहलोत कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे हैं। गहलोत के चालीस वर्ष के राजनीतिक सफर में संभवत: यह पहला अवसर है, जब कांग्रेस संगठन में उनके पास कोई पद नहीं है। पायलट भी नदारद: 4 जुलाई को डूंगरपुर में कार्यकर्ताओं का जो बड़ा सम्मेलन हुआ उस में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी नदारद थे। राजस्थान में अब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट ही कांग्रेस के चेहरे रहे, लेकिन डूंगरपुर में हुए सम्मेलन में ये दोनों नेता मौजूद नहीं थे। गहलोत तो राजस्थान में ही सक्रिय थे। गहलोत और पायलट की गैर मौजूदगी में हुए सम्मेलन को लेकर भी कांग्रेस में कई चर्चाएं हो रही है। क्या अब राजस्थान में गहलोत और पायलट के बगैर कांग्रेस को मजबूत किए जाने की रणनीति बन रही है? S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Friday, 4 July 2025

हाथ वाले पंखे का फोटो पोस्ट कर भाजपा नेत्री ज्योति मिर्धा ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पर कटाक्ष किया। इसे कहते हैं .... और सीना जोरी।

राजस्थान के नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई के घर के मकान की बिजली का कनेक्शन काट दिए जाने के बाद भाजपा की नेत्री और गत लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल से पराजित होने वाली ज्योति मिर्धा ने सोशल मीडिया पर हाथ वाले पंखे का फोटो पोस्ट किया है। हनुमान बेनीवाल या अन्य किसी का नाम लिए बगैर ज्योति ने कहा कि अब इस पंखे की जरूरत हो सकती हे। मालूम हो कि 10 लाख रुपए से भी ज्यादा का बिल बकाया होने के कारण बेनीवाल के भाई के घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया था। इसके बाद से ही बेनीवाल राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ आग बबूला है। बेनीवाल का आरोप है कि राजनीतिक कारणों की वजह से बिजली का कनेक्शन काटा गया है। इस बीच ज्योति मिर्धा ने हाथ में पंखे वाला फोटो पोस्ट कर जले पर नमक छिड़कने वाला काम किया हे। हालांकि बेनीवाल और ज्योति मिर्धा एक ही समुदाय के है, लेकिन राजनीति के कारण दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है। बिजली का कनेक्शन कटने के बाद विरोधी भी बेनीवाल पर हमलावर है। बेनीवाल ने अपने राजनीतिक प्रभाव से जिन लोगों को नुकसान पहुंचाया वे अब एकजुट हो कर बेनीवाल को घेर रहे हैं। इस बीच जयपुर में विधायकों के आवास पर नियमों के विरुद्ध कब्जा बनाए रखने को लेकर हनुमान बेनीवाल उनके भाई नारायण बेनीवाल और उनकी पार्टी के विधायक रहे पुखराज गर्ग पर भी कार्यवाही शुरू हो गई है। नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग वर्ष 2018 से 2023 के बीच विधायक थे, लेकिन इन दोनों ने अभी तक भी जयपुर में विधायकों वाला सरकारी आवास खाली नहीं किया है। इसी प्रकार हनुमान बेनीवाल दिसंबर 2023 में नागौर के खींवसर से विधायक बने तो उन्हें जयपुर में विधानसभा के सामने चार कमरों वाला आलीशान फ्लैट आवंटित हुआ। इस फ्लैट पर बेनीवाल अभी तक काबिज है, जबकि मई 2024 में ही बेनीवाल नागौर से सांसद बन गए थे। सांसद बनने पर बेनीवाल ने दिल्ली में भी सरकारी आवास प्राप्त कर लिया। यानी मौजूदा समय में हनुमान बेनीवाल के पास विधायक और सांसद वाले सरकारी आवास हैं। जबकि उनके भाई और पार्टी के नेता के पास जयपुर में नियम विरुद्ध विधायकों वाले आवास हैं। बेनीवाल से इन आवासों को खाली कराने के लिए नोटिस दे दिए गए हैं। बेनीवाल का कहना है कि हम नियमानुसार किराया जमा कराने को तैयार है। नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग की तो विधायकों वाली पेंशन भी रोकी जा चुकी है। S.P.MITTAL BLOGGER (04-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

सिर्फ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पसंद है राजस्थान के नए डीजीपी राजीव शर्मा। विरोधियों को करारा जवाब।

राजस्थान में कांग्रेस के नेता खासकर प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अक्सर आरोप लगाते हैं कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा नाम मात्र के मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली से जो आदेश मिलते हैं, उसकी पालना भजनलाल शर्मा करते हैं। कांग्रेस के ऐसे नेताओं को प्रदेश के नए डीजीपी की नियुक्ति के मामले में सीएम शर्मा ने करारा जवाब दिया है। नए डीजीपी राजीव शर्मा ने 3 जुलाई को पदभार संभालते ही सबसे पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से शिष्टाचार मुलाकात की। भले ही यह परंपरा हो, लेकिन इन दोनों की मुलाकात बहुत मायने रखती है। कांग्रेस के नेता कुछ भी कहे, लेकिन राजीव शर्मा के मामले में सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की चली है। यू आर साहू को डीजीपी के पद से हटाकर राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के साथ्ज्ञ ही सीएम शर्मा ने यह तय कर लिया था कि अब डीजीपी के पद पर राजीव शर्मा ही नियुक्त होंगे। सीएम शर्मा ने अपनी पसंद पहले ही केंद्र सरकार को बात दी थी। परंपरा के अनुरूप डीजीपी के लिए तीन नामों का सलेक्शन हुआ। राजेश निर्वाण का नाम तो सिर्फ औचारिकता पूरी करने के लिए था। दूसरे आईपीएस संजय अग्रवाल की पत्नी श्रीमती मालिनी अग्रवाल को डीजी के पद पर पदोन्नत कर कह दिया कि आपको राजीव शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी बनाया जाएगा। चूंकि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, इसलिए राजीव शर्मा को केंद्र में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) के डीजी के पद से भी आसानी के साथ रिलीव कर दिया। राजीव शर्मा राजस्थान कैडर के आईपीएस है और प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में सेवाएं दे रहे थे। राजीव शर्मा जब जुलाई 2027 में सेवानिवृत्त होंगे तब संजय अग्रवाल को डीजीपी बनने का अवसर मिल सकता है। अग्रवाल की सेवानिवृत्ति दिसंबर 2028 में होनी है। चूंकि राजीव शर्मा मुख्यमंत्री शर्मा की पसंद रहे, इसलिए उन्हें आईपीएस की एक वर्ष और अधिक नौकरी करने का अवसर भी मिल गया है। राजीव शर्मा के 60 वर्ष मार्च 2026 में पूरे हो रहे हैं यदि राजीव शर्मा डीजीपी नहीं बनते तो आईपीएस के तौर पर मार्च 2026 में सेवानिवृत्ति हो जाती, लेकिन डीजी बनने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप सेवाकाल में एक वर्ष की वृद्धि स्वत: ही हो गई हे। यानी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कारण राजीव शर्मा को डबल फायदा हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गृह विभाग भी सीएम शर्मा के पास ही है। ऐसे में सीएम शर्मा को डीजीपी के पद पर अपने भरोसे का आईपीएस चाहिए था। कहा जा सकता है कि राजस्थान के पुलिस बेड़े में आईपीएस राजीव शर्मा मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद हैं। जब किसी मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग होने के सााि साथ भरोसे का डीजीपी होता है तो ऐसा मुख्यमंत्री बेहद ताकतवर होता है। उम्मीद है कि भजनलाल शर्मा ने जो भरोसा जताया है उस पर राजीव शर्मा खरे उतरेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (04-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Thursday, 3 July 2025

बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.25 मीटर के पार। गत वर्ष 17 अगस्त को हुआ था। एक ही दिन में पौन मीटर से ज्यादा पानी आया। अजमेर, जयपुर व टोंक के लिए राहत भरी खबर।

3 जुलाई को बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.25 मीटर के पार हो गया है। गत वर्ष 17 अगस्त को बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.15 मीटर मापा गया था। अजमेर, जयपुर और टोंक जिले की लाइफ लाइन माने जाने वाले बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक लगातार जारी है। 2 जुलाई को बांध का जलस्तर 312.67 मापा गया, जो 3 जुलाई को प्रात: 10 बजे 313.17 मीटर हो गया। बांध में प्रति दो घंटे में 10 सेंटीमीटर पानी की आवक हो रही है। बांध के जल स्तर पर निगरानी रखने वालों का मानना है कि अब जब बांध का जल स्तर 313.25 मीटर पार हो रहा है तो एक दिन में पौन मीटर से ज्यादा पानी आ गया है। बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। इंजीनियरों का मानना है कि इस बार बांध गत वर्ष के मुकाबले पहले ही ओवर फ्लो हो जाएगा। गत वर्ष 6 सितंबर को बांध ओवरफ्लो हुआ था। अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के करीब एक करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध का ओवरफ्लो पानी इस बार ईसरदा बांध में एकत्रित होगा। राम सेतु परियोजना (ईआरसीपी) के अंतर्गत ईसरदा बांध का निर्माण करवाया गया है। बांध में इस मौसम में गत 17 जून से बरसात के पानी की आवक शुरू हुई थी। तब बांध का जल स्तर 312.45 मीटर रहा। इस बार बांध के भराव क्षेत्र में लगातार अच्छा बरसात हो रही है, यही वजह है कि तीन नदियों के संगम पर इस समय साढ़े चार मीटर ऊंची पानी की चादर चल रही है। इसी त्रिवेणी संगम से पानी बांध में जाता है। यह त्रिवेणी संगम बनास, मेनाली और कोठारी नदी के मिलन पर बना हुआ है। इस त्रिवेणी संगम की चादर से ही बांध में पानी की आवक का अनुमान लगाया जाता है। यह उल्लेखनीय है कि बांध से प्रतिदिन एक हजार एमएलडी पानी जयपुर, अजमेर और टोंक के लिए लिया जाता हे। S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह भी तालाब बनी। दरगाह का ऐतिहासिक सलीबी गेट क्षतिग्रस्त। स्मार्ट सिटी की फिर पोल खुली।

2 जुलाई को अजमेर में जो मूसलाधार वर्षा हुई उससे सुप्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह भी तालाब बन गई। 2 जुलाई को मोहर्रम माह की छठी का दिन होने के कारण जायरीन की संख्या भी बहुत ज्यादा थी। दरगाह का परिसर जब तालाब बना तो जायरीन को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह के सेन चिराग के अंदर तक पानी का प्रवेश हो गया। इसी पानी में बच्चों को तैरते हुए भी देखा गया। चूंकि दरगाह परिसर में पानी के निकास की समुचित व्यवस्था नहीं है, इसलिए अभी तक भी परिसर में पानी भरा हुआ है। तेज बरसात के कारण दरगाह का ऐतिहासिक सलीबी गेट भी क्षतिग्रस्त हो गया है। सलीबी गेट के पास बने हुजरे (खादिमों के बैठने का स्थान) को भी नुकसान हुआ है। दरगाह परिसर के अंदर इंतजाम और रखरखाव करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन संचालित दरगाह कमेटी की है। खादिमों का आरोप है कि दरगाह कमेटी दरगाह परिसर का रख रखाव करने में असमर्थ है। दो जुलाई की तेज बारिश के कारण दरगाह के अंदर तो जायरीन को परेशानी हुई ही, साथ ही दरगाह के बाहर अंदर कोट, नला बाजार क्षेत्र में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह के बाहर चार फीट ऊंचाई पर पानी बह रहा था। जब बरसात होती है तो सीवरेज का गंदा पानी नालियों से उफन कर सड़कों पर आ जाता है। प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी सीवरेज सिस्टम को ठीक नहीं किया जा रहा है। दरगाह के निकट ही नला बाजार है, जो अपने नाम के अनुरूप नाले में तब्दील हो गया। नला बाजार ही नहीं अजमेर के मदार गेट कचहरी रोड स्टेशन रोड, कैसरगंज आदि बाजारों में भी चार चार फीट पानी भर गया। एक अनुमान के अनुसार इन बाजारों में खड़े एक हजार से भी ज्यादा दुपहिया वाहन खराब हो गए। मोटर साइकिल और स्कूलों को पानी में बहते हुए देखा गया। तेज बरसात की वजह से अजमेर के प्रमुख समारोह स्थल मेरवाड़ा एस्टेट की दीवार भी ढह गई। इससे मुख्य समाोह स्थल पर जाने में लोगों को परेशानी हो रही है। दीवार ढहने से चढ़ाई वाली रास्ता खतरनाक स्थिति में आ गया है। बरसात से पहले आनासागर का जल स्तर तीन फीट घटाया गया था, लेकिन एक ही बरसात में आनासागर फिर से भर गया है। तेज बारिश की वजह से स्मार्ट सिटी की एक बार फिर पोल खुल गई है। हालांकि सड़कों पर पानी जमा होने से होने वाली परेशानी होना शहरवासियों के लिए आम बात है, लेकिन सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी परियोजना पर जो दो हजार करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई इसका लाभ देखने को नहीं क्यों नहीं मिलता। हर बार बरसात में जल जमाव हो जाता है। सबसे बड़ी समस्या तो सीवरेज सिस्टम की है। बेवकूफ इंजीनियरों ने सड़क के बीच में सीवरेज के पाइप डाले हैं। जब भी बरसात होती है तो सीवरेज का पानी उफन कर सड़कों पर आ जाता है। सीवरेज के पानी को शुद्ध करने के लिए आनासागर में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था, लेकिन यह प्लांट भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, इसलिए आनासागर में भी मलमूत्र वाला पानी समा रहा है। बरसात की वजह से आनासागर गंदे कुंड में तब्दील हो गया है। आनासागर से लगातार दुर्गंध आ रही है। सीवरेज के लिए खोदा गड्ढा: अजमेर के वार्ड संख्या 36 की पंचवटी कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर सीवरेज लाइन के लिए बीस फीट गहरा गड्ढा खोदा गया है। यह गड्ढा भी बरसात के पानी से भर गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस मार्ग पर दो स्कूल संचालित है और बच्चों को भी इसी मार्ग से होकर स्कूल आना जाना पड़ता है। गड्ढे की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसी स्थिति शहरभर में है। S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अब जब 16 नए आईएएस मिल गए है तो राजस्थान राजस्व मंडल में सदस्यों की नियुक्ति होनी चाहिए। नए सदस्यों की नियुक्ति पर ही अध्यक्ष हेमंत गेरा के प्रयास सफल होंगे। आखिर राजस्व मंडल का सदस्य क्यों नहीं बनना चाहते आईएएस?

अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल में मौजूदा समय में 70 हजार मुकदमें लंबित हैं। मुकदमों की इतनी संख्या को देखते हुए अध्यक्ष हेमंत गेरा ने विशेष प्रयास किए हैं। इसके अंतर्गत अब मंडल के सदस्य लंच बाद भी मुकदमों की सुनवाई करने लगे हैं। पूर्व में लंच से पहले तक ही मुकदमों की सुनवाई होती थी। लंच बाद भी मुकदमों की सुनवाई होने से काम को गति तो मिली है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या सदस्यों के पद रिक्त होना है। मंडल में 20 में से 10 पद रिक्त पड़े हैं। मंडल में अध्यक्ष सहित आईएएस कोटे के सात पद है, लेकिन इनमें से अध्यक्ष गेरा और एक सदस्य आरडी मीणा ही कार्यरत हैं। शेष पांच पद रिक्त होने से मुकदमों की सुनवाई होने असर पड़ रहा है। अब जब हाल ही में आरएएस से 16 अधिकारी आईएएस बने हैं तब उम्मीद की जानी चाहिए कि राजस्व मंडल में भी आईएएस के रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति होगी। आमतौर पर देखा गया है कि आईएएस बनने के बाद अधिकांश अधिकारी राजस्व मंडल का सदस्य बनने से परहेज करते हैं। इसलिए मौजूदा समय में भी आईएएस कोटे के पांच पद रिक्त है। यदि इन पदों पर नियुक्ति हो जाए तो मुकदमों का निस्तारण भी जल्द हो सकता है। चूंकि जयपुर में राजस्व मंडल की स्थाई बैंच लगती है, इसलिए कई सदस्य तो जयपुर में ही डेरा जमाए रहते हैं, 20 में 10 पद रिक्त होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व मंडल का कामकाज कितना प्रभावित हो रहा होगा। मंडल में आरएएस कोटे के 11 पद हैं, इनमें से चार रिक्त हैं। जबकि वकील कोटे के दोनों पद रिक्त हैं। वकील कोटे से राजनीतिक नजरिए से ही नियुक्ति होती हैं। लेकिन राजस्थान में भाजपा की सरकार बने डेढ़ वर्ष हो गया है, लेकिन अभी तक भी वकील कोटा नहीं भरा गया है। S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अब यदि हाईकोर्ट एसआई भर्ती की परीक्षा रद्द करता है तो चयनित ईमानदार थानेदारों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का बहुत आधार है। सबसे बड़ी गवाही तो भजन सरकार की ही होगी।

1 जुलाई को हाईकोर्ट में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कांग्रेस के शासन में हुई सब इंस्पेक्टर पुलिस भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द नहीं किया जाएगा। सरकार के इस शपथ पत्र के बाद जस्टिस समीर जैन ने मामले की सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तारीख निर्धारित की है। माना जा रहा है कि जस्टिस जैन 7 जुलाई को परीक्षा को रद्द करने अथवा नहीं करने के बारे में फैसला सुनाएंगे। परीक्षा के अनेक अभ्यर्थियों ने परीक्षा को रद्द करने की याचिका प्रस्तुत कर रखी है। यह वही बहुचर्चित एसआई भर्ती परीक्षा है, जिसको लेकर कांग्रेस शासन में भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार का कहना है कि परीक्षा में जिन अभ्यर्थियों ने बेईमानी की उन्हें परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। ऐसे बेईमान अभ्यर्थी मात्र 6 प्रतिशत ही है। इसलिए पूरी परीक्षा को रद्द कर 94 प्रतिशत चयनित ईमानदार थानेदारों को सजा नहीं दी जा सकती। सरकार की ओर से कहा गया है कि चयनित थानेदारों में से 312 पहली बार किसी नौकरी में आए हैं, जबकि 550 ऐसे चयनित थानेदार है जो पूर्व में किसी न किसी पद पर कार्यरत थे। थानेदार के पद पर चयन होने के बाद ऐसे 550 अभ्यर्थियों ने पूर्व की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अब यदि यह परीक्षा रद्द की जाती है तो ऐसे अभ्यर्थियों के साथ कुठाराघात होगा। सरकार ने शपथ पत्र देकर कहा के एसआईटी की जांच में जिन अभ्यर्थियों को निर्दोष माना गया है उन्हें ही थानेदार के पद पर नियुक्ति दी जा रही है। जिन अभ्यर्थियों ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से प्रश्न पत्र हासिल कर परीक्षा दी, या डमी परीक्षार्थी के माध्यम से परीक्षा पास की उन सभी की पहचान कर ली गई है। ऐसे 55 चयनित अभ्यर्थियों से थानेदार बनने का सर्टिफिकेट छीन लिया गया है। सरकार ने हाईकोर्ट में परीक्षा रद्द न करने को लेकर जो तर्क दिए है उससे साफ जाहिर है कि अब यदि हाईकोर्ट परीक्षा को रद्द करता है तो चयनित थानेदारों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का बड़ा आधार होगा। सबसे बड़ी गवाही तो खुद राज्य की भजन सरकार की होगी। यह बात अलग है कि पूर्व में जांच एजेंसी एसओजी पुलिस मुख्यालय और कैबिनेट सब कमेटी ने परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की थी, लेकिन रद्द करने वाली सभी सिफारिशों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री कार्यालय ने परीक्षा को रद्द करने से इंकार कर दिया। सरकार का अब कहना है कि कांग्रेस के शासन में इन परीक्षा में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

पर्यटन को घरेलू उद्योग के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं। इसमें महिलाओं की भागीदारी भी महत्वपूर्ण। ललित के पंवार ने रखे नीति आयोग में सुझाव।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता वाले नीति आयोग की पर्यटन क्षेत्र की समिति की एक बैठक एक जुलाई को दिल्ली में आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में आयोग के नवनियुक्त पर्यटन क्षेत्र के सलाहकार पूर्व आईएएस ललित के पंवार ने सुझाव रखे। पंवार ने कहा कि पर्यटन को घरेलू उद्योग के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। अनेक धार्मिक स्थलों के आसपास के मकान आज होम स्टे जी भूमिका निभा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तराखंड के आदि कैलाश तीर्थ यात्रा का है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र से आदि कैलाश पर्वत के बीच जो गांव बसे हैं, उनके अधिकांश मकान होम स्टे बन गए हैं। तीर्थ यात्री इन्हीं घरेलू होमस्टे में ठहरते हैं। घर की महिलाएं ही भोजन आदि का प्रबंध करती है। यानी पर्यटन के घरेलू उद्योग में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती जा रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि भारत में पर्यटन विकास हो और उसे घरेलू उद्योग के रूप में विकसित किया जाए। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने पर्यटन नीति में बड़ा बदलाव किया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ललित के पंवार राजस्थान में पर्यटन सचिव और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पंवार ने ही पधारो म्हारे देश का स्लोगन देकर पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। एक जुलाई की बैठक में आयोग के संयुक्त सचिव राजीव ठाकुर भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि पंवार की पर्यटन क्षेत्र में भूमिका को देखते हुए नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सलाहकार सदस्य के रूप में नियुक्ति हुई है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Tuesday, 1 July 2025

अजमेर के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरके गोखरू ने 69 साल की उम्र में एलएलबी की। वकालत करने के लिए राष्ट्रपति से गुहार लगाएंगे।

अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के प्राचार्य रहे मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरके गोखरू ने 69 वर्ष की उम्र में एलएलबी की डिग्री ली है। वह डिग्री एमडीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध भगवंत यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। 28 जून को ही एलएलबी अंतिम वर्ष का परिणाम आया। डॉ. गोखरू ने 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। डॉ. गोखरू सरकारी सेवा में रहते हुए प्रतिदिन दो तीन घंटे मेडिकल कॉलेज के छात्रों को पढ़ाने का काम करते थे। लेकिन अब जब 2021 में 65 वर्ष की उम्र होने पर सेवानिवृत्त हुए तो कॉलेज में पढ़ाने का काम भी बंद हो गया। तब डॉ. गोखरू ने स्वयं पढ़ने का निर्णय लिया और एलएलबी की पढ़ाई शुरू कर दी। यानी जो डॉ. गोखरू बरसों तक कॉलेज में पढ़ाते रहे, उन्होंने 66 वर्ष की उम्र में छात्र बनने में कोई हिचक नहीं दिखाई। भगवंत यूनिवर्सिटी के अध्यापक बताते हैं कि डॉ. गोखरू नियमित छात्र की तरह उपस्थित रहे। 70 प्रतिशत अंक बताते हैं कि डॉ. गोखरू ने एलएलबी की पढ़ाई पर उम्र को हावी नहीं होने दिया। यही वजह है कि 69 वर्ष की उम्र में भी डॉ. गोखरू युवा नजर आते हैं। डॉ. गोखरू आज भी अजमेर के जवाहर रंगमंच के निकट इंदिरा कॉम्प्लेक्स स्थित अपने हार्ट सेंटर में मरीजों को देखने का काम करते हैं। डॉ. गोखरू जब जेएलएन अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख रहे, तब उन्हें पूरे अजमेर संभाग में गरीबों का डॉक्टर कहा जाता था। सरकारी अस्पतालों में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और हार्अ सर्जरी के लाखों रुपए लगते हैं, तब डॉ. गोखरू सरकारी अस्पताल में गरीबों का नि:शुल्क इलाज करते रहे। अजमेर संभाग में हजारों लोग मिल जाएंगे जो डॉक्टर गोखरू की वजह से ही आज सांस ले पा रहे हैं। राष्ट्रपति से गुहार: एलएलबी की डिग्री लेने के बाद भी डॉ. गोखरू अदालतों में पैरवी नहीं कर सकेंगे। डॉ. गोखरू ने बताया कि देश में मौजूदा व्यवस्ािा के अनुसार एक व्यक्ति एक प्रोफेशनल काम ही कर सकता है। चूंकि वे चिकित्सा का कार्य कर रहे हैं, इसलिए वकालत नहीं कर सकते। वकालत करने के लिए उन्हें डॉक्टरी का काम बंद करना होगा। यानी मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के रजिस्ट्रेशन को रद्द करवाना होगा। डॉ. गोखरू का कहना है कि जब व्यक्ति बहुआयामी हो रहा है, तब इस तरह के प्रतिबंध हटाए जाने चाहिए। यदि कोई डॉ. वकील के तौर पर अदालत में पैरवी करेगा तो पैरवी ज्यादा प्रभावी होगी। अभी चिकित्सा से जुड़े मुकदमों में भी एलएलबी डिग्री वाले वकील पैरवी करते हैं। जबकि ऐसे वकीलों की चिकित्सा क्षेत्र की तकनीकी बातों की जानकारी नहीं होती है। डॉ. गोखरू ने कहा कि मोदी सरकार ने देश के बहुत से कानूनों को हटा दिया है। ऐसे में एक व्यक्ति एक प्रोफेशनल के नियम को भी हटाना चाहिए। इसके लिए वह राष्ट्रपति को पत्र लिख रहे है। एलएलबी की डिग्री हासिल करने के लिए मोबाइल नंबर 9414002135 पर डॉ. आरके गोखरू को बधाई दी जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

यह माना कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं, लेकिन कश्मीर, बंगाल आदि राज्यों में हिंदुओं का रहना मुश्किल। बिहार में चुनाव के मद्देनजर नए वक्फ कानून की आड़ में पांच लाख मुसलमानों का जलसा।

बिहार में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव के मद्देनजर ही 30 जून को राजधानी पटना में मुस्लिम संगठनों ने एक बड़ा जलसा किया। दावा किया जा रहा है कि इस जलसे में पांच लाख मुसलमान एकत्रित हुए। यह जलसा नए वक्फ कानून के विरोध में किया गया। जलसे का राजनीतिक मकसद इसी से समझा जा सकता है कि भाषण देने वालों में आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी आदि दलों के नेता शामिल रहे। जलसे को संबोधित करते हुए आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है। देश की आजादी में मुसलमानों का भी योगदान रहा है। इसलिए वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। आज केंद्र की मोदी सरकार को मुसलमानों की ताकत को देख लेना चाहिए। यह सही है कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है, लेकिन यह भी हकीकत है कि इसी हिंदुस्तान के कश्मीर, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में हिंदुओं का रहना मुश्किल है। कश्मीर से तो चार लाख हिंदुओं को प्रताड़ित कर भगा दिया गया। आज जब अमरनाथ यात्रा हो रही है तो श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पचास हजार सुरक्षा बल तैनात किए गए है। सवाल उठता है कि जब हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है तो फिर हिंदुओं का रहना मुश्किल क्यों हो रहा है? क्या कांग्रेस, आरजेडी जैसे दलों के नेताओं को हिंदुओं की सुरक्षा की चिंता नहीं करनी चाहिए। जब मंदिर जाने और भगवान के दर्शन करने वाले हिंदुओं की रक्षा करनी पड़ रही हो, तब हिंदुस्तान के हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। अच्छा हो कि कांग्रेस और आरजेडी जैसे दलों के नेता हिंदुओं के प्रति भी वैसा ही प्रेमभाव दिखाए, जैसा मुसलमानों के प्रति दिखाते हैं। जब कोई मुसलमान धार्मिक यात्रा पर जाता है तो उसे देश के किसी भी कोने में सुरक्षा की जरुरत नहीं होती। क्योंकि पूरी दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा हिंदुस्तान में सुरक्षित है। लेकिन इसी हिंदुस्तान में हिंदू श्रद्धालुओं को सुरक्षा की जरुरत होती है। जहां तक नए वक्फ कानून का सवाल है तो केंद्र सरकार की ओर से पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा। नए कानून से वक्फ संपत्तियों को इनकम में वृद्धि होगी और इस इनकम को मुसलमानों पर ही खर्च किया जाएगा। बिहार में 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, इस में से अधिकांश पसमांदा (पिछड़े और गरीब) गरीब मुसलमान है। यदि पिछड़े और गरीब मुसलमानों को वक्फ संपत्तियों का लाभ मिलता है तो फिर आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं को कोई एतराज नहीं होना चाहिए। बिहार के पसमांदा मुसलमानों को भी अपने समाज के नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है। इन्हीं नेताओं के कारण मुसलमानों का विकास नहीं हो पाया है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का पलड़ा भारी। शिवराज सिंह, मनोहर लाल खट्टर, वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा।

इन दिनों देश भर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए कम से कम पचास प्रतिशत राज्य इकाइयों में अध्यक्ष का होना जरूरी है। देश भर में भाजपा की 37 इकाइयां हैं और भाजपा संगठन का प्रयास है कि सभी इकाइयों पर अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसका फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के स्तर पर होगा। भाजपा के किसी भी नेता को यह नहीं पता कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, जिस नेता को अध्यक्ष बनना है उसे भी पता नहीं है। अब मीडिया भी भाजपा के पदाधिकारियों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों के नाम चलाने में संकोच करता है, क्योंकि हर बार मीडिया के कयास गलत साबित होता है। लेकिन अब जब प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो रहा है, तब राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर तथा मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम राष्ट्रीय मीडिया में चल रहे है। इनमें से कोई भी नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए दौड़ नहीं लगा रहा। चर्चा में आने वाले नेताओं को भी पता है कि ज्यादा चर्चा होने पर नुकसान भी हो सकता है। कई मौकों पर खुद पीएम मोदी ने कहा कि मीडिया में जिन नामों की चर्चा होती है, उन पर संबंधित नेताओं को विश्वास नहीं करना चाहिए। भाजपा में काम और निष्ठा को देखकर ही चयन होता है। मीडिया में इन दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जिन नेताओं के नाम चल रहे हैं, उनमें राजस्थान से अलवर के सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का पलड़ा सबसे भारी है। यादव पर पीएम मोदी और अमित शाह का भी भरोसा है। भाजपा की रणनीति बनाने में यादव की हमेशा सक्रिय भूमिका रहती है। अमित शाह के बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भूपेंद्र यादव का नाम चला था, लेकिन ऐन मौके पर जेपी नड्डा को बनाया गया। अब जब नड्डा के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही है तो एक बार फिर भूपेंद्र यादव का नाम सुर्खियों में है। यादव भले ही भाजपा के रणनीतिकार हो, लेकिन वे हमेशा लो प्रोफाइल में रहते हैं। यादव की उन नेताओं में पहचान है, जिन्हें कभी भी असंतुष्ट नहीं देखा गया। संगठन में जो जिम्मेदारी मिली, उसे सहर्ष स्वीकार किया। सब जानते हैं कि वर्ष 2023 में जब मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, तब शिवराज सिंह चौहान की क्या प्रतिक्रिया थी। चौहान को लगता था कि उनके मुख्यमंत्री रहते ही मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें ही बनाया जाएगा। हालांकि बाद में चौहान ने केंद्र में कृषि मंत्री का पद भी स्वीकार कर लिया। मनोहर लाल खट्टर को भी हरियाणा से चुनाव से पहले रातों रात हटाया गया, लेकिन भूपेंद्र यादव को संगठन और सरकार में जिन हालातों में रखा गया, उन सभी में संतोष जाहिर किया । भूपेंद्र यादव में संगठनात्मक क्षमता भी जबरदस्त है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Monday, 30 June 2025

आखिर इंदौर की तरह अजमेर क्यों नहीं बन सकता स्मार्ट। 550 टन कचरे से रोजाना 19 टन सीएनजी, जिससे चार सौ बसे चलती है। 2015 में सफाई के क्षेत्र में 149वें नंबर, आज पहला स्थान। आरएएस हेमंत स्वरूप माथुर ने शेयर किया इंदौर का वीडियो।

देश में सफाई के क्षेत्र में अजमेर कौन से नंबर पर है, यह तो नगर निगम की मेयर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा और मौजूदा आयुक्त देशल दान ही बता सकते हैं। लेकिन अजमेर निवासी राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हेमंत स्वरूप माथुर ने इंदौर शहर का एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो को मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है। अजमेर में भाजपा का बोर्ड है, यानी अजमेर के विकास के लिए ट्रिपल इंजन वाली सरकार काम कर रही है, लेकिन थोड़ी सी ही बरसात में जब सड़कों पर मलमूत्र वाला पानी बहने लगता है तब अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर की कितनी दुर्गति हुई है। ऐसे में इंदौर वाले वीडियो को देखना चाहिए। वर्ष 2015 में स्वच्छता के क्षेत्र में देश में इंदौर 149वें नंबर पर था, लेकिन वहीं इंदौर पिछले सात वर्षों से स्वच्छता के क्षेत्र में पहले नंबर पर बना हुआ है। असल में इंदौर का देवगढिय़ा क्षेत्र कचरे का भंडार था, शहर में भी जगह जगह कचरे के ढेर नजर आते थे। लेकिन इंदौर के राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा शक्ति की वजह से देवगढिय़ा को सीएनजी प्लांट में बदल दिया गया। आज देवगढिय़ा में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सीएनजी गैस प्लांट है। यहां 15 एकड़ भूमि पर प्रतिदिन 550 टन कचरे से 19 टन सीएनजी का उत्पादन होता है। इसी सीएनजी से इंदौर में 400 बसें चलाई जाती है। सफाई कार्यपर जीपीएस और स्मार्ट वॉच से नजर रखी जाती है। जितने सफाई कर्मियों की नियुक्ति है, उतने ही सफाई कर्मी इंदौर में सफाई का कार्य करते हैं। चूंकि घर घर कचरा संग्रहण प्रभावी तरीके से होता है,इसलिए इंदौर की सड़कों पर प्लास्टिक की थैलियां व अन्य प्रकार का कचरा नजर नहीं आता। यहां तक कि डिवाइडर के पास से भी तिनका तिनका उठाया जाता है। सीवरेज सिस्टम इतना मजबूत है की बरसात के दिनों में गंदा पानी सड़कों पर नहीं आ पाता। वीडियो को देखने से साफ जाहिर है कि स्वच्छता के क्षेत्र में पहले स्थान पर आने के लिए इंदौर के लोगों ने भी जागरुकता दिखाई है। असल में जब किसी शहर के लोग जागरुक होते हैं तो फिर राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को भी ईमानदारी के साथ काम करना होता है। यदि अजमेर के लोगों को अपना शहर स्मार्ट बनाना है तो इंदौर की तरह जागरुक होना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपए दिए। लेकिन राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की वजह से दो हजार करोड़ रुपए की राशि पानी में चली गई। आज हालात इतने खराब है कि शहर की सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल है। इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी में हुए कार्यों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तुड़वाया जा रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

चारणों और राजपूत राजाओं के बीच कारोबारी रिश्ते रहे। गुजरात के चारण व्यापारी ने महाराणा प्रताप को एक नहीं तीन घोड़े दिए। 500 घोड़े उदयपुर महाराणा को भी। पाबू जी महाराज का घोड़ा भी चारण माता देवल का। राजपूत ठिकानों की वंशावली लिखने का काम चारणों ने कभी नहीं किया-मदनदान, रिटायर आरपीएस।

22 जून को अजमेर के निकट नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूतों का एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को लेकर मैंने गत 23 जून को 11 हजार 695 वां ब्लॉग लिखा। सम्मेलन में वक्ताओं के हवाले से ब्लॉग में लिखा गया कि राजपूत ठिकानों के इतिहास और वंशावली लिखने का काम अब राजपूत समाज के युवाओं को करना चाहिए। पूर्व में यह काम चारण विद्वानों द्वारा किया गया। मेरे इस ब्लॉग पर सेवा निवृत्त आरपीएस ओर चारण विद्वान मदन दान सिंह सहित कई चारणों ने ऐतराज जताया। ऐतराज में कहा गया कि चारणों ने कभी भी राजपूत ठिकानों की वंशावली का लेखन नहीं किया। वंशावली लिखने का काम राव, भाट आदि समुदाय के विद्वानों ने किया। आजकल धार्मिक स्थलों पर भी परिवारों की वंशावली लिखी जाती है। चारण विद्वानों ने इतिहास, समालोचना, साहित्य सर्जन, भक्ति रस, शृंगार रस, वीर रस पर तब की परिस्थितियों के अनुरूप लिखा। चारणों और राजपूत राजाओं के बीच आमतौर पर कारोबारी संबंध रहे। चूंकि चारण पशु पालन के कार्य से जुड़े रहे, इसलिए राजपूत राजाओं को युद्ध के लिए घोड़े उपलब्ध करवाने का काम भी चारणों ने किया। गुजरात के एक चारण व्यापारी ने महाराणा प्रताप को तीन घोड़े उपलब्ध करवाए। आमतौर पर इतिहास में महाराणा प्रताप के चेतक घोड़े का ही उल्लेख होता है, लेकिन गुजरात के कारोबारी ने चेतक के साथ साथ त्राटक और अटक नाम के घोड़े भी महाराणा प्रताप को उपलब्ध करवाए। इनमें से त्राटक नाम का घोड़ा प्रताप ने अपने छोटे भाई शक्ति सिंह को दे दिया और चेतक का उपयोग स्वयं ने किया। इसके बदल में महाराणा ने गढ़वाड़ा और भामोल नाम के दो गांव भेंट किए। नरूजी सौदा बारहठ ने महाराणा उदयपुर को पांच सौ घोड़े उपलब्ध करवाए। इतना ही नहीं पाबूजी महाराज का घोड़ा भी चारण माता देवल द्वारा उपलबध् करवाया गया। मदनदान ने बताया कि चारण विद्वान अनेक उच्च पदों पर कार्यरत रहे और उन्हें जांगीरे भी मिली। शांतिकाल में राज्यों के प्रबंधन और युद्ध के समय सैनिक सामंत के तौर पर काम किया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोग चारण समुदाय की बुद्धिमता और वीरता को कम आंक कर प्रस्तुत करते हैं। जबकि चारणों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। चारण समुदाय के लोग मौजूदा दौर में अपनी बुद्धिमता और मेहनत से उच्च प्रशासनिक पदों पर भी नियुक्त है। चारणों के इतिहास के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829072294 पर खानदान से ली जा सकती है। इसी प्रकार ब्रजराज सिंह लखावत ने भी स्पष्ट किया है कि चारण विद्वानों ने किसी भी राजपूत ठिकाने की वंशावली लिखने का काम नहीं किया। नांद गांव में राजपूतों का सम्मेलन करवाने वाले आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने भी कहा है कि वंशावली लिखने का काम चारणों द्वारा नहीं किया गया। चारण विद्वानों ने राजपूत राजाओं के संघर्ष का इतिहास लिखा है। S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की कहावत को चरितार्थ कर रहे है राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। अपनी कांग्रेस के बजाए भाजपा की पंचायती कर रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि भजनलाल शर्मा राजस्थान में भाजपा सरकार के पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन गहलोत के पास ऐसी सूचनाएं है कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए भाजपा में बड़ा षडय़ंत्र हो रहा है। भाजपा में हो रहे षडय़ंत्र को लेकर अशोक गहलोत चिंतित हैं। उनका कहना है कि वे भजनलाल शर्मा को आगाह कर रहे है कि षडय़ंत्रकारियों से सावचेत रहे। सवाल उठता है कि गहलोत तो कांग्रेस के नेतो है तो फिर भाजपा की पंचायत क्यों कर रहे हैं? भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री रहे या नहीं इसको लेकर गहलोत क्यों चिंतित हो रहे हैं। शर्मा को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की जानकारी गहलोत को कहां से मिली, यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन भाजपा में शर्मा को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता। क्योंकि शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का खुला संरक्षण है। गहलोत कुछ भी कहे, लेकिन डेढ़ वर्ष पहले वसुंधरा राजे जैसे नेताओं की दावेदारी को खारिज करते हुए पहली बा रके विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने ऐसा ही प्रयोग गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीासा तक में किया। अशोक गहलोत को शायद मोदी और शाह की कार्यशैली की समझ नहीं है, इसलिए वे भजनलाल शर्मा के खिलाफ षडय़ंत्र की बातें कर रहे हैं। जबकि जगजाहिर है कि भजनलाल शर्मा बिना किसी डर और दबाव के मुख्यमंत्री का काम कर रहे है। राजस्थान में भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल जैसे सांसद केंद्र में मंत्री हैं, लेकिन इन दबंग मंत्रियों का भी भजनलाल शर्मा के कामकाज पर कोई दखल नहीं है। भाजपा के सभी दबंग नेताओं को अच्छी तरह पता है कि भजनलाल शर्मा पीएम मोदी और अमित शाह की पसंद है, इसलिए किसी प्रकार का षडय़ंत्र नहीं हो सकता। भाजपा की राजनीति में शर्मा की इतनी मजबूत पकड़ होने के बाद भी अशोक गहलोत को षडय़ंत्र की खबरें मिल रही है। गहलोत को अपनी कांग्रेस पार्टी की चिंता करनी चाहिए, लेकिन उनकी चिंता भाजपा के मुख्यमंत्री को लेकर है। यही वजह है कि अशोक गहलोत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Sunday, 29 June 2025

अशोक गहलोत के बयानों को कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व ही गंभीरता से नहीं लेता। संघ का स्वयंसेवक होने पर गर्व है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का पूर्व सीएम गहलोत को करारा जवाब।

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों को कांग्रेस का प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व ही गंभीरता से नहीं लेता है। ऐसे में गहलोत के बयानों के कोई मायने नहीं है। मालम हो कि 28 जून को जोधपुर में गहलोत ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी भी भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल है। इससे पहले गहलोत ने कहा था कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री के पद से हटाने का षडय़ंत्र हो रहा है। गहलोत के ऐसे बयानों पर 29 जून को देवनानी ने कहा कि गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और तीन बार केंद्र में मंत्री रहे है। लेकिन उनके ताजा बयानों से लगता है कि इन दिनों उनका मानसिक संतुलन सही नहीं है। चूंकि मैं संवैधानिक पद पर बैठा हूं, इसलिए राजनीतिक बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन इतना कह सकता हूं कि गहलोत के ऐसे बयानों से भाजपा में कोई मतभेद नहीं होंगे। गहलोत चाहते हैं कि भाजपा के नेताओं में आपसी दूरियाँ हो, लेकिन गहलोत अपने मंसूबों में सफल नहीं होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में मुझे विधानसभा अध्यक्ष के रूप में जो जिम्मेदारी दी है, उसे मैं पूरी संतुष्टि के साथ निभा रहा हूं । मैं अपनी मौजूदा भूमिका से संतुष्ट हूं । जहां तक मेरे संघ का स्वयंसेवक होने का सवाल है तो मुझे इस बात गर्व है कि मैं राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हंू। आरएसएस का कट्टर स्वयंसेवक बता कर अशोक गहलोत मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते। गहलोत को यह पता ही नहीं है कि सर्वसमाज में संघ का कितना महत्व और सम्मान है। गहलोत आए दिन संघ पर गैर जिम्मेदाराना बयान देते है। असल में गहलोत को संघ के बारे में समझ ही नहीं है। गहलोत ने पूर्व में बताया था दावेदार: अशोक गहलोत कांग्रेस शासन में जब मुख्यमंत्री थे, तब गहलोत भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में जिन भाजपा नेताओं का नाम गिनाते। उनमें वासुदेव देवनानी का नाम भी लेते थे। तब देवनानी भाजपा के विधायक थे। गहलोत का कहना था कि भाजपा में एक नहीं अनेक नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। अब जब देवनानी विधानसभा के अध्यक्ष बन गए है, तो गहलोत उन्हें मुख्यमंत्री की रेस में बता रहे है। गहलोत का प्रयास है कि देवनानी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बीच मतभेद हो। लेकिन देवनानी ने स्पष्ट कर दिया है कि गहलोत मतभेद करवाने में सफल नहीं होंगे। देवनानी के नवाचारों की देश भर में चर्चा: यहां यह उल्लेखनीय है कि देवनानी ने विधानसभा में जो नवाचार किए हैं उसकी चर्चा देशभर में हो रही है। देवनानी के प्रयासों से ही विधानसभा पेपर लैस हुई है, सभी विधायकों को आईपैड दिए गए हैं। अधिकांश विधायक सदन में इन आईपैड का उपयोग भी कर रहे हैं। विधायक सदन में जो भाषण देते हैं उसका वीडियो भी तत्काल ही विधायक को उपलब्ध करवाया जाता है। ताकि वह सोशल मीडिया पर अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को बता सके। सदन में अधिकारियों की उपस्थिति भी अनिवार्य की गई है। विधायकों के सवालों के जवाब जल्द से जल्द आए इसके लिए रिकॉर्ड काम किया गया है। यहां तक कि गत कांग्रेस सरकार के शेष रहे सवालों के जवाब भी देवनानी ने अपने कार्यकाल में सरकार से मंगवाए हैं। इतना ही नहीं विधानसभा की वार्षिक डायरी भी सनातन कैलेंडर के अनुरूप जारी करवाई जा रही है। देवनानी 27 जून को ही फ्रांस और जर्मनी की यात्रा से लौटे हैं। देवनानी विधायी कार्यों का अध्ययन करने के लिए एक सप्ताह की विदेश यात्रा पर रहे। विदेश यात्रा से लौटने पर उनके निर्वाचन क्षेत्र अजमेर उत्तर में भव्य स्वागत समारोह हो रहे हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जब नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है तो फिर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को संविधान से हटाने पर सुनवाई क्यों नहीं? कांग्रेस तो अब सीजेआई बीआर गवई के खिलाफ भी हो जाएगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने जब से संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को हटाने का विचार रखा है, तब से देश में राजनीति का माहौल गर्म है। अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इन दोनों शब्दों की तुलना नासूर जैसे रोग से कर दी है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस विचार को संविधान को कुचलने की भावना से कर रहे हैं। लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। लोकतंत्र में जनता जो चाहती है, वह होता है। सब जानते हैं कि कांग्रेस ने 1975 में जब आपातकाल लगाया तब धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जोड़े गए। ऐसा नहीं कि संविधान में जोड़े गए शब्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। कांग्रेस ने तो आपातकाल लगाकर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द जबरन शामिल किए, जबकि मौजूदा मोदी सरकार ने तो संसदीय परंपराओं का पालन करते हुए संसद में नया वक्फ कानून बनाया। फिर भी सुप्रीम कोर्ट में इस नए कानून पर सुनवाई हो रही है। जब नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है, तो फिर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की प्रस्तावना से हटाने पर भी सुनवाई की जानी चाहिए। अच्छा हो कि इस नासूर को जल्द से जल्द जड़ से समाप्त किया जाए। कांग्रेस अब सीजेआई के खिलाफ भी: भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने 28 जून को महाराष्ट्र के नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन समारोह में कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लगाना संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की भावनाओं के खिलाफ था। अंबेडकर ने तो एक संविधान और अखंड भारत की कल्पना कर संविधान तैयार किया। सीजेआई गवाई का यह कथन इसलिए महत्वपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जो याचिकाएं दायर की गई, उनकी सुनवाई के लिए बनी पांच सदस्यीय संविधान पीठ में एक सदस्य गवाई भी थे। गवई ने भी तब माना कि अनुच्छेद 370 को हटाकर केंद्र सरकार ने सही फैसला किया है। अब जब सीजेआई बनने के बाद भी गवई ने अपने विचारों को सार्वजनिक किया है तो कांग्रेस के नेताओं को अच्छा नहीं लगेगा। कांग्रेस तो अनुच्छेद 370 की समर्थक रही है। लेकिन चीफ जस्टिस ने बता दिया है कि 370 संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की भावनाओं के खिलाफ थी। देखना होगा कि गवई के ताजा विचारों पर कांग्रेस के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया आती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीआर गवई दलित वर्ग से आते हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

पीएम मोदी को जैन आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से नवाजा, लेकिन साथ ही देश के सभी धार्मिक स्थलों को नशा मुक्त क्षेत्र और इंडिया गेट का नाम भारत द्वार घोषित करने की मांग की। ऑपरेशन सिंदूर कर बता दिया कि छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं।

28 जून को दिल्ली के विज्ञान भवन में जैन आचार्य विद्यानंद महाराज की 100वीं जयंती का ऐतिहासिक समारोह हुआ। इस समारोह में देश भर की जैन संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने तो भाग लिया ही, लेकिन साथ ही समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जैन आचार्य प्रज्ञासागर महाराज भी उपस्थित रहे। समारोह में बताया गया कि सुरेंद्र उपाध्याय से आचार्य विद्यानंद तक के सफर में आचार्य विद्यानंद ने जैन धर्म का व्यापक प्रचार प्रसार किया। उनकी विद्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें 18 भाषाओं का ज्ञान था। धर्म की बातों को सामान्य शब्दों में समझाने के लिए उन्होंने 150 ग्रंथ लिखे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे आचार्य विद्यानंद जी का मार्गदर्शन मिला। आज मैं जिस मुकाम पर खड़ा हूं उसमें आचार्य श्री का आशीर्वाद भी है। आचार्य श्री ने सेवा करने का जो ज्ञान दिया उसी के कारण आज देश में मेरी सरकार गरीबों को मुफ्त में राशन, मकान आदि सुविधाओं के साथ साथ अस्पतालों में इलाज भी करवा रही है। जरूरतमंद लोगों को पेंशन तक दी जा रही है। समारोह में जैन आचार्य प्रताप सागर ने पीएम मोदी को धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से नवाजा तो मोदी ने कहा कि मैं स्वयं को इस उपाधि के योग्य नहीं समझता, लेकिन आचार्य श्री का प्रसाद समझ कर स्वीकार कर रहा हूं और इस उपाधि को मां भारती के चरणों में समर्पित करता हंू। आचार्य प्रज्ञा सागर ने कहा कि नरेंद्र मोदी को धर्म चक्रवर्ती इस लिए कहा जा रहा है कि उन्होंने जो काम किए हैं, वो आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं किए। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर मोदी ने जो काम किया उसे कोई नहीं कर सकता। मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर कर यह बताया दिया कि हमें कोई छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं। इसके साथ ही आचार्य श्री ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि देश भर के धार्मिक स्थलों को नशामुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए। आचार्य श्री ने कहा कि दिल्ली के इंडिया गेट का नाम भारत द्वार किया जाए। इंडिया गेट अंग्रेजों के जमाने का नाम है। अब जब अंग्रेजों का शासन खत्म हुए 75 वर्ष हो गए है, तब गुलामी के ऐसे प्रतीकों को नाम भी बदला जाना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Saturday, 28 June 2025

आपातकाल में यदि संविधान में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं जोड़े जाते तो आज देश के हालात इतने खराब नहीं होते। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वालों के कारण ही कश्मीर में चार लाख हिंदुओं को घर छोड़ना पड़ा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने ही नहीं बल्कि संघ के साप्ताहिक अखबार आर्गनाइजर ने भी भारतीय संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की वकालत की हे। संघ के इस विचार के बाद कांग्रेस और मुस्लिम वोटों पर राज्यों में सत्ता हासिल करने वाली पार्टियों ने कड़ा विरोध किया है। संघ के इस विचार के बाद विपक्षी पार्टियां केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की मोदी सरकार पर भी हमलावर है। राहुल गांधी सहित अनेक नेताओं का कहना है कि यह विचार दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारियों के खिलाफ है। विपक्षी दलों के नेताओं का कुछ भी कहना हो, लेकिन यदि 1976 में आपातकाल के दौरान गैर संवैधानिक तरीके से संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं जोड़े जाते तो आज देश के हालात इतने खराब नहीं होते। इतिहास गवाह है कि 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपना प्रधानमंत्री का पद बचाने के लिए देश में आपातकाल लागू किया। इंदिरा गांधी का विचार रहा कि भारत पर राज करने का अधिकार सिर्फ उनके परिवार का ही है। सत्ता न छीने इसके लिए पहले आपातकाल लगाया और फिर संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ दिए गए। आज कांग्रेस के नेता कह रहे है कि संघ और भाजपा मिलकर संविधान को बदलना चाहते हैं, लेकिन राहुल गांध बताए कि उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द किस आधार पर शामिल किए? जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान बनाया उसमें यह दोनों शब्द शामिल नहीं है। क्या इन दोनों शब्दों को शामिल कर कांग्रेस ने संविधान बदलने का काम नहीं किया। आपातकाल में कांग्रेस ने संविधान ही नहीं बदला बल्कि लोकतंत्र की हत्या की। 1976 में संविधान में धर्मनिरपेक्षता का शब्द जोड़ने के बाद ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा मिला। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वालों के कारण ही कश्मीर घाटी से चार लाख हिंदुओं को प्रताड़ित कर भगा दिया गया। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वालों को बताना चाहिए कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या किस सोच के चलते की गई? क्या धर्मनिरपेक्षता का मतलब सिर्फ हिंदुओं पर अत्याचार करना है? आज ममता बनर्जी के शासन में पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर कितने अत्याचार हो रहे हैं, इसे पूरा देश देख रहा है। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और पाकिस्तानियों को बसा दिया गया है। अब समय आ गया है, जब देश के संविधान से उन दो शब्दों को हटाया जाना चाहिए, जिसे कांग्रेस ने आपातकाल में जबरन शामिल किया था। जहां तक भारत में मुसलमानों की सुरक्षा का सवाल है तो दुनिया भर में मुसलमान भारत में ही सुरक्षित है। इसका मुख्य कारण ह यह है कि 25 करोड़ मुसलमान उन लोगों के साथ रह रहे हैं जो सनातन संस्कृति में भरोसा रखते है। दुनिया में एक मात्र सनातन धर्म है जिसमें सभी धर्मों का सम्मान होता है। जब तक मुसलमान भारत में सनातनियों के साथ रह रहे है, तब तक उन्हें कोई खतरा नहीं है। मुसलमानों के हालात बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में देखे जा सकते हैं। अच्छा हो कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मुसलमानों को उकसाने के बजाए सनातनियों के सम्मान की बात कहे। S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

यह तो अशोक गहलोत का केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने आत्मसमर्पण है। संजीवनी घोटाले में नाम घसीटे जाने का मामला। गहलोत को जेल जाने का डर।

राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत ने 27 जून को जोधपुर प्रवास के दौरान कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के मामले में केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत के उन पर मानहानि का जो मुकदमा कर रखा है, उसे शेखावत वापस ले लें। गहलोत चाहते हैं कि संजीवनी मामले को आपसी बातचीत के जरिए हल किया जाए। गहलोत का यह बयान केंद्रीय मंत्री शेखावत के सामने आत्मसमर्पण करना है। यह वे ही अशोक गहलोत है, जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए शेखावत को गिरफ्तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। खुद गहलोत ने आरोप लगाया कि संजीवनी घोटाले में शेखावत के साथ साथ उनकी पत्नी, माताजी और पिताजी तक शामिल हैं। यहां तक कहा गया कि घोटाले की राशि से दक्षिण अफ्रीका में करोड़ों रुपए का निवेश शेखावत ने किया है। तब शेखावत ने बार बार कहा कि निवेशकों ने पुलिस में जो रिपोर्ट लिखवाई है उसमें उनका व उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं है। लेकिन गहलोत अपने आरोपों पर टिक रहे। गहलोत के आरोपों के मद्देनजर ही तब शेखावत ने दिल्ली में गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला अदालत में दायर किया। अदालत में यह साबित हो गया कि संजीवनी घोटाले की प्राथमिकी में शेखावत और उनके परिवार के सदस्यों का नाम नहीं है। मानहानि के मुकदमे में गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कई बार उपस्थिति भी दर्ज करवा चुके हैं। हो सकता है कि इस मामले में गहलोत की गिरफ्तारी भी हो। जेल जाने के डर की वजह से ही गहलोत चाहते हैं कि शेखावत दिल्ली वाले मुकदमे को विड्रो (वापस) कर ले। सवाल उठता है कि जब गहलोत के पास सबूत नहीं थे, तो फिर संजीवनी घोटाले में शेखावत के नाम को क्यों घसीटा? और अब जेल जाने से क्यों डर रहे हैं। अशोक गहलोत का तो खुद मानना है कि हर गलती कीमत मांगती है। गहलोत ने यदि गलती की है तो उन्हें सजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। गहलोत को शेखावत के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाए अदालत में मुकदमे का सामना करना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जिसे मौका नहीं मिला, क्या अब वही ईमानदार रह गया है? पुलिस की 500 करोड़ रुपए की वसूली और एसीबी के अफसरों के पकड़े जाने के मामला।

27 जून को राजस्थान में एसीबी ने अपने ही एडिशनल एसपी जगराम मीणा की कार से 10 लाख रुपए और जयपुर स्थित घर से चालीस लाख रुपए नगद बरामद किए। इसके साथ ही करोड़ों रुपयों की संपत्तियों के कागजात भी उजागर हुए। मीणा झालावाड़ में एसीबी की चौकी के प्रभारी है। एसीबी के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा को शिकायत मिली थी कि मीणा झालावाड़ में परिवहन, खनन, आबकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों से प्रतिमाह मोटी रिश्वत लेते हैं ताकि इन विभागों के अधिकारियों खुले आम भ्रष्टाचार कर सके। इन विभागों से वसूली गई राशि को 27 जून को जगराम मीणा झालावाड़ से जयपुर ला रहे थे, तभी शिवदासपुरा टोल नाके पर एसीबी ने पकड़ लिया। इससे पहले एसीबी ने अपने ही एएसपी सुरेंद्र कुमार शर्मा को भी ऐसे ही आरोपों में गिरफ्तार किया था। यानी एसीबी के जिन अधिकारियों के पास भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की जिम्मेदारी है, वो ही भ्रष्टाचारियों से रिश्वत ले रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार कितना फैला हुआ है। चूंकि सिस्टम में कोई सुनने वाला नहीं है, इसलिए भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है। यह भी पता चला है कि राजस्थान के बहुचर्चित नेक्सा एवरग्रीन चिटफंड घोटाले में 500 करोड़ रुपए की रिश्वत तो घोटाले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों ने ही ले ली। यह घोटाला 2 हजार 700 करोड़ रुपए का है। यानी नेक्सा के जिन पदाधिकारियों ने निवेशकों के साथ धोखा किया उन्होंने बचने के लिए पुलिस को 500 करोड़ रुपए की रिश्वत दे दी। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जिस व्यक्ति को मौका मिलता है, वह भ्रष्टाचारी हो जाता है। आज यदि कोई व्यक्ति कहे कि वह ईमानदार है, तो ऐसा लगता है कि उसे बेईमानी करने का अभी तक अवसर नहीं मिला है। हो सकता है कि कुछ लोग अवसर मिलने पर भी ईमानदार रहे हों, लेकिन मौजूदा हालातों में तो शायद किसी न किसी तरह अपने स्वार्थ की पूर्ति न की हो। राज चाहे किसी भी पार्टी का हो, लेकिन सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार चरम पर रहता है। S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Thursday, 26 June 2025

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर फिर लगाया आरोप। गहलोत के रहते राजस्थान कांग्रेस में एकता नहीं हो सकती।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 26 जून को अपने गृह जिले जोधपुर में एक बार फिर आरोप लगाया कि जुलाई 2020 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत ने मेरी सरकार को गिराने का प्रयास किया था। गहलोत ने दावे के साथ कहा कि उनके पास इस बात के सबूत है कि सरकार गिराने के लिए पैसे बांटे गए। गहलोत ने भले ही सरकार गिराने का आरोप भाजपा नेताओं पर लगाया हो, लेकिन सीधे तौर पर यह आरोप कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट पर है। जुलाई 2020 में जब पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों को लेकर दिल्ली गए थे, तब जयपुर में अशोक गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि दिल्ली जाने वाले विधायकों ने 35-35 करोड़ रुपए भाजपा से लिए है। तभी गहलोत ने पायलट को नकारा, निकम्मा, धोखेबाज और गद्दार तक कहा। यह बात अलग है कि तब कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने गहलोत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस हाईकमान से मिलने दिल्ली आए है। खुद पायलट ने भी गहलोत के आरोपों का खंडन किया। विगत दिनों सचिन पायलट जब जयपुर में गहलोत से मिलने के लिए उनके घर गए तो यह माना गया कि गहलोत और पायलट में मित्रता हो रही है। 11 जून को पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि के समारोह में गहलोत ने कहा भी कि मेरे और सचिन पायलट के बीच कभी विवाद नहीं रहा। मीडिया वाले ही हम दोनों के बीच विवाद की खबरें चलाते हैं, लेकिन 26 जून को गहलोत ने एक बार फिर दर्शाया है कि सचिन पायलट के साथ उनकी कभी भी मित्रता नहीं हो सकती। गहलोत जब जब अपनी सरकार के गिराने का मुद्दा उठाते रहेंगे, तब तब सचिन पायलट पर आरोप लगते रहेंगे। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने ही गहलोत के आरोपों को खारिज कर दिया है तब गहलोत सचिन पायलट पर आरोप क्यों लगाते हैं? जानकारों की मानें तो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर ही पायलट जयपुर में गहलोत के घर गए थे। राष्ट्रीय नेतृत्व भी चाहता है कि राजस्थान में कांग्रेस मजबूत हो, लेकिन अशोक गहलोत के रहते राजस्थान में कांग्रेस मजबूत नहीं हो सकती। गहलोत माने या नहीं, राष्ट्रीय नेतृत्व का समर्थन इन दिनों पायलट के साथ है। यही वजह है कि पायलट को राष्ट्रीय महासचिव का पद भी दिया गया है, जबकि तीन बार के मुख्यमंत्री और तीन बार के केंद्रीय मंत्री गहलोत के पास संगठन की कोई जिम्मेदारी नहीं है। गहलोत भी अपनी उपेक्षा को समझ रहे है, इसलिए इन दिनों प्रदेश भर के दौरे कर रहे हैं। गहलोत सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से सक्रिय हैं। गहलोत यदि रात के समय भी ट्रेन से सफर करते हैं तो ट्रेन के ठहराव वाले हर स्टेशन पर समर्थकों को एकत्रित कर अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे लगवाए जाते हैं। ऐसे वीडियो को खुद गहलोत सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। देखना होगा कि 26 जून को गहलोत ने पायलट पर जो हमला किया है, उसका जबवा पायलट किस प्रकार देते हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

पधारों म्हारे देस का स्लोगन देने वाले पूर्व आईएएस ललित के पंवार अब नीति आयोग में सलाहकार बने। पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर ही कांग्रेस सरकार में बने तीन संभाग और 9 जिलों को समाप्त किया गया। मौजूदा समय में भी राजस्थान के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव और सुधार पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

पधारो म्हारे देस का स्लोगन देकर पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में राजस्थान की पहचान बनाने वाले पूर्व आईएएस डॉॅ. ललित के पंवार को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले नीति आयोग में डॉ. पंवार को विशेष आमंत्रित सलाहकार नियुक्त किया गया है। डॉ. पंवार देश में पर्यटन और अतिथि सत्कार के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुझाव देंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए डॉ. पंवार केंद्रीय पर्यटन सचिव भी रह चुके हैं। तब भी पंवार ने देश में पर्यटन खासकर विदेशी पर्यटन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वसुंधरा राजे जब राजस्थान की मुख्यमंत्री थी, तब वर्ष 2015 में पंवार को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। आयोग के कामकाज में पारदर्शिता लाने में भी पंवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भले ही आयोग के अध्यक्ष सात पहरे में रहते हो, लेकिन डॉ. पंवार जब अध्यक्ष थे, तब कोई भी अभ्यर्थी उनसे बहुत आसानी से मिल सकता था। यही वजह रही कि पंवार के अध्यक्ष रहते आयोग मुख्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन नहीं हुए। पंवार का मानना रहा कि हर अभ्यर्थी की समस्या का समाधान करना जरूरी है। उनका प्रयास रहा कि भर्ती विज्ञप्ति में ही पारदर्शिता रखी जाए ताकि अभ्यर्थियों के सामने कोई समस्या न हो। राजस्थान में 2023 में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद डॉ. पंवार की अध्यक्षता में नवगठित जिलों की समीक्षा के लिए एक प्रशासनिक कमेटी का गठन किया गया। पंवार कमेटी की सिफारिश पर ही सरकार ने कांग्रेस शासन में बनाए गए तीन संभाग और 9 जिलों को समाप्त करने की सिफारिश की। इस सिफारिश पर सरकार ने अमल भी किया। मौजूदा समय में भी डॉ. पंवार उस कमेटी के अध्यक्ष है जो प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव और सुधार पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की सीमाओं में बदलाव होने के कारण तहसील, उपखंड और जिला स्तर के प्रशासनिक ढांचे में भी बदलाव हुआ है। कहा जा सकता है कि डॉ. पंवार को प्रशासनिक सिस्टम का व्यापक अनुभव है। S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अजमेर के प्रतीक जैन रुद्रप्रयाग के डीएम बन कर केदारनाथ धाम के यात्रियों की सेवा कर रहे हैं। पहाड़ पर 18 किलोमीटर पैदल चल कर यात्री सुविधाओं का जायजा लिया। पिता राजेंद्र जैन अजमेर के शिक्षा बोर्ड में अधिकारी है।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के जिला कलेक्टर प्रतीक जैन का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में प्रतीक जैन रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम तक की यात्रा करते दिखाए गए हैं। 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान प्रतीक जैन यात्री सुविधाओं का जायजा भी ले रहे हैं। जैन यह सुनिश्चित कर रहे है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए जो व्यवस्था की गई है, उनका कितना लाभ मिल रहा है। यहां तक कि आपातकालीन टेलीफोन बूथ पर जाकर फोन को भी चेक कर रहे है। भले ही उनके साथ चलने वाले अधिकारी पहाड़ पर हाफ रहे हो, लेकिन डीएम प्रतीक जैन फुर्ती के साथ चढ़ाई कर रहे हैं। जैन ने गत 20 जून को ही रुद्रप्रयाग के जिला कलेक्टर का पद संभाला और अगले ही दिन 21 जून को रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा की। 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर प्रतीक जैन ने यह दर्शा दिया है कि वे पहाड़ों के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने नहीं आए हैं बल्कि रुद्रप्रयाग आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करने के लिए आए है। चूंकि रुद्रप्रयाग जिले में बाबा केदारनाथ धाम के साथ अनेक धार्मिक स्थल है, इसलिए प्रतीक जैन पर्यटन विकास की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। उत्तराखंड में राजस्व का मुख्य स्रोत धार्मिक पर्यटन ही है। अजमेर निवासी: प्रतीक जैन के कार्यों की गूंज भले ही उत्तराखंड के पहाड़ी में गूंज रही हो, लेकिन उनका बचपन अजमेर में बीता है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अजमेर स्थित मुख्यालय में अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत प्रतीक के पिता राजेंद्र जैन ने बताया कि अजमेर के सेंट स्टीफन स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रतीक ने आईआईटी की परीक्षा भी पास की, लेकिन इंजीनियरिंग की वांछित यूनिट नहीं मिलने के कारण प्रतीक ने बिरसा पिलानी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और वर्ष 2016 में आईएएस की परीक्षा दी, लेकिन इंटरव्यू में प्रतीक का चयन नहीं हुआ। 2017 में प्रतीक को भारतीय वन सेवा में काम करने का मौका मिला, लेकिन इसे भी प्रतीक ने स्वीकार नहीं किया। प्रतीक ने लगातार तीसरे वर्ष आईएएस की परीक्षा दी और मेरिट में स्थान हासिल किया। तब प्रतीक को यूपी कैडर मिला और वे उत्तराखंड के कई जिलों में तैना रहे। इस बार 20 जून को प्रतीक ने देवभूमि रुद्रप्रयाग के जिला कलेक्टर का पद संभाला। चुनौती पूर्ण काम करने की प्रवृत्ति प्रतीक की शुरू से ही रही है। प्रतीक की माताजी श्रीमती नीलू जैन अजमेर स्थित कारखाना एवं बायलर विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है। प्रतीक जैन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460178816 पर राजेंद्र जैन से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Wednesday, 25 June 2025

पिता कृष्ण गोपाल जी गुप्ता ने भी आपातकाल के जख्म सहे थे। भभक देश के उन चुनिंदा अखबारों में शामिल है जिसका आपातकाल में ही प्रकाशन शुरू हुआ। संसद तक में गूंजा मामला। एक करोड़ की नसबंदी कर सवा लाख लोगों को जेल में डाला गया।

देश में आपातकाल लागू होने के पचास वर्ष पूरे होने के अवसर पर 24 जून को न्यूज 18 (राजस्थान) चैनल पर रात 8 बजे लाइव प्रोग्राम प्रसारित हुआ। इस प्रोग्राम में पत्रकार के नाते मैंने भी भाग लिया। न्यूज 18 के इस प्रोग्राम की खास बात यह रही कि कांग्रेस और भाजपा के प्रवक्ताओं के साथ साथ करीब 100 वर्ष की उम्र वाले पूर्व सांसद पंडित रामकिशन जी ने भी भाग लिया। चैनल के एंकर हेमंत कुमार के सवाल पर पंडित रामकिशन ने बताया कि 25 जून 1975 को जब आपातकाल लागू हुआ तो अगले ही दिन उन्हें जेल में डाल दिया गया। आरोप लगाया कि मैं सरकार के खिलाफ साजिश कर रहा हंू। जेल में हमें परिजन से भी नहीं मिलने दिया गया। पंडित रामकिशन ने आपातकाल का आंखों देखा हाल सुनाया। कोई 21 माह के आपातकाल में देश में एक करोड़ लोगों की नसबंदी की गई और सवा लाख लोगों को जेल में डाला गया। अखबारों पर सेंसरशिप लागू की कगइ्र। इस सेंसरशिप का जख्म मेरे पिता कृष्ण गोपाल जी गुप्ता ने भी झेला। तब एक ही आदेश में देश के अनेक अखबारों का प्रकाशन बंद करवा दिया गया। इसमें अजमेर से प्रकाशित भभक पाकिक्षक समाचार पत्र भी रहा। सरकार के इस आदेश को मेरे पिता और भभक के संपादक कृष्ण गोपाल जी गुप्ता ने प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया में चुनौती दी। कौंसिल ने यह माना कि भभक का प्रकाश नियमित होते हुए भी सरकार ने गलत तरीके से रोक लगाई हे। सरकार के आदेश को निरस्त कर कौंसिल ने आपातकाल में ही भभक का प्रकाशन शुरू करवाया। आपातकाल में सरकार के सिकी आदेश को चुनौती देना कठिन काम था, लेकिन मेरे पिता ने इस कठिन काम को करने की हिम्मत दिखाई। एक पैर खराब होने के बाद भी पिता ने कौंसिल के समक्ष भभक की नियमितता के जो सबूत दिखाए उसकी प्रशंसा काउंसिल के सदस्यों ने भी की। 1977 में सत्ता परिवर्तन के बाद जब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में संयुक्त सरकार बनी तब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में आपातकाल की ज्यादतियों के संबंध में भभक अखबार का भी उल्लेख किया। यहां यह उल्लेखनीय है कि आपातकाल में जिन अखबारों को बंद किया गया, उन्हें सत्ता परिवर्तन के बाद एक ही आदेश में पुन: शुरू किया गया। लेकिन भभक देश के उन चुनिंदा अखबारों में शामिल हैं, जिसका प्रकाशन आपातकाल में ही शुरू हुआ। इसमें कोई दो राय नहीं कि आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या की गई। लोगों से अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई। तमिलनाडु सहित कई राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया। यहां तक कि संविधान में कई बदलाव किए गए। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने फैसले को न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर करवा दिया। चार चार जजों की वरिष्ठता को लांघकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए। यह सब इसलिए किया गया ताकि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी रहे। यह बात अलग है कि आपातकाल के हटने और चुनाव होने पर खुद इंदिरा गांधी लोकसभा का चुनाव हार गई। आज कांग्रेस मौजूदा मोदी सरकार पर संविधान की हत्या करने का आरोप लगाती है। लेकिन आपातकाल बताता है कि लोकतंत्र की हत्या किस दल ने की है। आज भले ही समाजवादी पार्टी, राजद, डीएमके जैसे दल अपने राजनीतिक स्वार्थों की खातिर कांग्रेस का समर्थन कर रहे हो, लेकिन आपातकाल में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, करुणानिधि जैसे नेताओं को भी जेल में डाला गया। S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

ईरान अब परमाणु विहीन हो गया है-इजरायल। हमारा परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा-ईरान। युद्ध विराम का श्रेय लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप बताएं कि कौन झूठ बोल रहा है।

24 जून को युद्ध विराम के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमने जिस उद्देश्य से ईरान पर हमला किया वह पूरा हो गया। ईरान अब परमाणु विहीन हो गया है। हमने ईरान के सभी परमाणु सेंटर ध्वस्त कर दिए हैं। वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने कहा कि हमारा परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा। इजरायल के हमले में हमारे किसी भी परमाणु सेंटर का नुकसान नहीं हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इजरायल ने परमाणु सेंअर नष्ट करने के लिए ही ईरान पर हमला किया था। युद्ध विराम कर श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ले रहे हैं। ट्रंप ने दावा किया है कि युद्ध विराम के लिए दोनों देशों के नेता उनके पास आए थे। चूंकि ट्रंप खुद श्रेय ले रहे हैं इसलिए ट्रंप को कौन झूठ बोल रहा है। जहां तक ईरान में परमाणु ऊर्जा बनाने का काम है तो उसमें रूस के वैज्ञानिक और इंजीनियर कार्यरत है। रूस ने अभी तक यह नहीं कहा कि इजरायल के हमले से ईरान में कोई परमाणु सेंटर नष्ट हुआ है। ईरान में रूस के 200 परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर काम कर रहे हैं। वहीं ईरान में परमाणु सेंटारों को ध्वस्त करने के लिए खुद अमेरिका ने बम किराए। ईरान और इजरायल में कौन झूठ बोल रहा है इसकी हकीकत तो आने वाले दिनों में पता चलेगी। लेकिन ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम होने से दुनिया ने राहत की महसूस की है। यदि दोनों देशों के बीच युद्ध और चलता तो दुनिया में भयावह स्थिति हो सकती थी। यदि डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध विराम में कोई भूमिका निभाई है तो ट्रंप की सराहना भी की जानी चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

राजस्थान लोक सेवा आयोग का भी अपराध कम नहीं। सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी। अध्यक्ष यूआर साहू को आयोग के चंगुल से बाहर निकलना होगा। नहीं तो बेवजह जुबान खराब होती रहेगी।

24 जून को कुछ अभ्यर्थियों की जमानत याचिका और अध्यापक व कोच भर्ती परीक्षा को स्थगित करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के वी विश्वनाथन और एन कोटीश्वर ने राजस्थान लोक सेवा आयोग पर तल्ख टिप्पणी की है। दोनों ने कहा कि आयोग का भी अपराध कम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बताती है कि आयोग में किस तरह काम चल रहा है। सब जानते हैं कि आयोग के सदस्यों को ही परीक्षा के प्रश्न पत्र बेचने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। आज पूरे देश में आयोग बदनामी के दौर से गुजर रहा है। राज्य सरकार ने हाल ही में यू.आर. साहू के रूप में अध्यक्ष की नियुक्ति की है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पुलिस में सेवा में रहते हुए साहू ने उल्लेखनीय कार्य किया है। सरकार ने जो एसआईटी बनाई थी, उसके माध्यम से भी साहू ने आयोग की कार्य प्रणाली को बारीकी से समझा है। तब साहू राज्य के डीजीपी के पद पर कार्यरत थे। लेकिन आयोग में नियुक्त होने के बाद साहू को आयोग के कुछ लोगों के चंगुल से बचना होगा। यदि साहू कुछ लोगों के चंगुल से नहीं बचे तो उनकी जुबान बेवजह खराब होती रहेगी। अध्यक्ष का पद संभालने के बाद 19 जून को साहू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अब आयोग के कैलेंडर के अनुसार ही निर्धारित तिथियों पर परीक्षाएं होंगी। लेकिन चार दिन बाद ही साहू को अपनी जुबान से पलटना पड़ा। अध्यापक और कोच भर्ती परीक्षा तिथियों के बीच का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो आयोग को इन परीक्षाओं की तिथियों में बदलाव करना पड़ा। असल में यूजीसी की नीट परीक्षा की तिथियां और आयोग की अध्यापक व कोच भर्ती परीक्षा समान तिथियों पर हो रही थी, तब यूआर साहू से कहलवाया गया कि 10 प्रतिशत परीक्षार्थियों के खातिर नब्बे प्रतिशत परीक्षार्थियों को सजा नहीं दी जा सकती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के डर की वजह से आयोग ने अध्यापक व कोच भर्ती परीक्षा की तिथियां बदल दी। साहू को यह देखना होगा कि आयोग में जो लोग वर्षों से जमे हैं वे गुमराह तो नहीं कर रहे। साहू को यह भी पता लगाना होगा कि ऐसे कौन से प्रशासनिक अधिकारी है जो चार चार वर्षों से आयोग में जमे हुए है। प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति के बाद भी ऐसे अधिकारी आयोग का मोह नहीं छोड़ रहे हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Tuesday, 24 June 2025

अमेरिका ने तीन परमाणु ठिकानों को नष्ट किया, लेकिन रेडिएशन नहीं हुआ। ईरान ने कतर के अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें गिराई, लेकिन एक प्लेन को भी खरोंच नहीं आई। आखिर यह कैसा युद्ध है। कौन किसे बेवकूफ बना रहा है? डोनाल्ड ट्रंप की सीजफायर की घोषणा क्या मायने रखती है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय समय के अनुसार 24 जून को तड़के चार बजे घोषणा कर दी की ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम हो गया है। अगले चौबीस घंटे में युद्ध विराम की क्रियान्विति हो जाएगी। इसके बाद कोई भी देश एक दूसरे पर हमला नहीं करेगा। ट्रंप की इस घोषणा के क्या मायने हैं, यह अगले एक दो दिन में पता चलेगा, लेकिन इस घोषणा के बाद इजरायल का कहना है कि ईरान की मिसाइलें लगातार गिर रही है। डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा तब की जब ईरान ने मुस्लिम देश कतर के अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर दिया। खाड़ी के देशों में कतर के साथ साथ कुवैत, बहरीन और इराक में भी अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं। अमेरिका की पहली प्राथमिकता अपने सैन्य अड्डों को सुरक्षित रखना है। ईरान ने कतर के जिस अल मदद एयरबेस पर मिसाइलें गिराई, उस पर अमेरिका के 10 हजार सैनिक सौ से ज्यादा लड़ाकू विमान, टैंक आदि तैनात है। लेकिन ईरानी मिसाइलों के गिरने के बाद भी अमेरिका के एक भी विमान और टैंक को खरोंच तक नहीं आई है। सवाल उठता है कि आखिर ईरान की मिसाइलें कतर में कहा गिरी? ईरान का कहना है कि अमेरिका के उन पर जो बम गिराए उसका बदला कतर से ले लिया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान का अमेरिकी एयरबेस पर हमला वैसा ही है जैसा अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर किया। अमेरिका ने भी दावा किया कि 21 जून की रात को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। अमेरिका ने जो बम गिराए वे चट्टान वाली जमीन के अंदर 200 फीट गहराई तक जाने के बाद फटते हैं। एक बम में 13 हजार 500 किलो विस्फोटक पदार्थ होता है। दावा है कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर एक करोड़ 90 लाख किलो के वजन वाले बम गिराए गए, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि एक भी परमाणु केंद्र से रेडिएशन नहीं हुआ। जब कोई बम जमीन के नीचे 200 फीट गहराई में फटा है, तो थोड़ा बहुत तो रेडिएशन होना ही चाहिए। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका का हमला भी वैसा ही है जैसा ईरान ने कतर पर किया है। सवाल उठता है कि इस युद्ध में कौन किसे बेवकूफ बना रहा है? ऐसा नहीं कि इस युद्ध में नुकसान न हुआ हो। ज्यादा नुकसान तो इजराइल का हुआ है। अब तक यह माना जाता था कि कोई देश इजरायल पर हमला नहीं कर सकता, लेकिन ईरानी मिसाइलों ने इजरायल में काफी नुकसान पहुंचाया है। इजरायल का नुकसान इसलिए भी मायने रखता है कि इजरायल की कुल आबादी मात्र 90 लाख की है। यह भी सही है कि इजरायल की मिसाइलों से ईरान को भी काफी नुकसान हुआ है। सूत्रों की मानें तो ईरान में 700 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है। अब यदि ईरान इजरायल के बीच युद्ध विराम होता है तो यह दुनिया के लिए सुकून की बात होगी। S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

कांग्रेस के ट्वीट जाल में फंस गए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा। राजनीतिक बहस का स्थान कोई चौराहा नहीं बल्कि विधानसभा है। डोटासरा ने तो विधानसभा का बहिष्कार कर रखा है। अजमेर के अरुण गर्ग झुंझुनूं के कलेक्टर बने।

राजस्थान के राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कांग्रेस के ट्वीट जाल में फंस गए हैं। 23 जून को एक समारोह में सीएम शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता सिर्फ सोशल मीडिया पर मेरी सरकार के कामकाज पर ट्वीट करते हैं जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के पिछले पांच वर्ष के कार्यों की तुलना की जाए तो उनके डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में हुए काम भारी पड़ेंगे। जितना काम कांग्रेस के पांच वर्ष में नहीं हुआ उससे ज्यादा भाजपा के डेढ़ वर्ष के शासन में हुआ है। सीएम शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर वह कांग्रेस के साथ किसी सार्वजनिक स्थल पर बहस करने को तैयार है। सीएम शर्मा ने सार्वजनिक स्थल पर जो बहस करने की चुनौती दी, उसे 23 जून को ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने स्वीकार कर लिया। बारां में आयोजित पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के समारोह में डोटासरा और जूली ने कहा कि हम जयपुर के अल्बर्ट हॉल के बाहर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बहस करने को तैयार है। मुख्यमंत्री बताएं कि डेढ़ वर्ष में कितना काम किया है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री शर्मा किस तरह से कांग्रेस के नेताओं के साथ बहस करते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री विपक्षी के नेताओं के साथ सार्वजनिक स्थल पर बहस करेगा? आज तक तो ऐसा कोई मुख्यमंत्री देखने को नहीं मिला है, जिसने किसी चौराहे पर खड़ा हो कर विपक्षी नेताओं के साथ बहस की हो। लोकतंत्र में बहस का सबसे उपयुक्त स्थान विधानसभा है। विधानसभा में ही सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाती है और विपक्ष सरकार की विफलताओं को बताता है। अच्छा होता कि मुख्यमंत्री विपक्ष को विधानसभा में बहस करने की चुनौती देते। जो गोविंद सिंह डोटासरा आज मुख्यमंत्री को जयपुर के अल्बर्ट हॉल के बाहर बहस के लिए बुला रहे हैं, वो डोटासरा तो विधानसभा जाते ही नहीं है। पिछले सत्र में जब प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने डोटासरा की ओर से विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से माफी मांगी तो डोटासरा नाराज हो गए। जूली के माफीनामे के बाद से ही डोटासरा विधानसभा नहीं गए। जूली को माफी इसलिए मांगनी पड़ी क्योंकि डोटासरा ने अध्यक्ष देवनानी के विरुद्ध अमर्यादित टिप्पणियां की थी। गर्ग झुंझुनूं के कलेक्टर: भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारी अरुण गर्ग ने झुंझुनूं के जिला कलेक्टर का पद संभाल लिया है। गर्ग अजमेर के निवासी है और उनकी स्कूली शिक्षा भी अजमेर में ही हुई है। उनके पिता स्वर्गीय अनिल गर्ग अजमेर के मदार गेट पर जनरल स्टोर का संचालन करते रहे। गर्ग के चाचा डॉ. जीके अग्रवाल मदार गेट पर ही डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन करते हैं। गर्ग के पिता समाज सेवा के क्षेत्र से भी जुड़े रहे। 24 जून को पद ग्रहण के अवसर पर अजमेर के सामाजिक कार्यकर्ता और परम मित्र दिनेश गर्ग (जीडी सर्राफ) भी मौजूद रहे। पद ग्रहण के अवसर पर झुंझुनूं के श्री श्याम आशीर्वाद सेवा संस्थान के प्रमुख डीएन तुल्सीयानी ने भी कलेक्टर अरुण गर्ग का स्वागत किया। मालूम हो कि अरुण गर्ग आरएएस से पदोन्नत होकर आईएएस बने। यह पहला अवसर है जब कलेक्टर के तौर पर गर्ग की नियुक्ति हुई है। अरुण गर्ग अजमेर में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर भी काम कर चुके हैं। प्रशासनिक सेवा में गर्ग को एक योग्य और ईमानदार अधिकारी माना जाता है। अरुण गर्ग के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414004630 पर दिनेश गर्ग से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

राहुल गांधी ने कहा था मोदी और भाजपा को गुजरात में ही हराएंगे, लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। केजरीवाल का अब राज्यसभा में जाने का रास्ता साफ।

23 जून को घोषित उपचुनावों के परिणाम में गुजरात के विसावदर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने जीत हासिल की है। इटालिया ने भाजपा के प्रत्याशी को 17 हजार 581 मतों से हराया। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि लोकसभा के गत सत्र में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि गुजरात में आपको और भाजपा को हम हराएंगे। गुजरात पीएम मोदी का गृहप्रदेश है और मोदी 12 वर्ष तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन 23 जून को उपचुनाव का परिणाम बताता है कि गुजरात में कांग्रेस की स्थिति कैसी है। केजरीवाल का रास्ता साफ: 23 जून को घोषित विधानसभा उपचुनाव के परिणाम में पंजाब के लुधियाना पश्चिम की सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने जीत दर्ज की है। अरोड़ा मौजूदा समय में राज्यसभा के सांसद हैं। विधायक बनने के बाद अरोड़ा अब राज्यसभा से इस्तीफा देंगेे। माना जा रहा है कि राज्यसभा की रिक्त हुई सीट पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ेंगे। चूंकि पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की ही सरकार है, इसलिए राज्यसभा का चुनाव जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी। उम्मीद है कि संजीव अरोड़ा को भगवंत मान मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। उपचुनावों में दो स्थानों पर जीत दर्ज कर केजरीवाल ने एक बार फिर अपनी पार्टी के राजनीतिक महत्व को दर्शाया है। पिछले दिनों दिल्ली के चुनावों में हार के बाद केजरीवाल को विपरीत हालातों का सामना करना पड़ रहा था। दिल्ली चुनाव में हार के बाद केजरीवाल ने मीडिया से भी दूरी बना ली थी। केजरीवाल का अब ज्यादातर समय पंजाब में गुजर रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Monday, 23 June 2025

वंशावली और इतिहास देखकर ही राजपूत समाज में विवाह आदि होने चाहिए। समाज के युवा अब स्वयं वंशावली और इतिहास लिखें। अजमेर के निकट नांद गांव में हुआ गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूतों का सम्मेलन। आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की पूर्व पहल।

22 जून को अजमेर के निकट ऐतिहासिक नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूत समाज का सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में निकटवर्ती गोविंदगढ़ के ठिकानेदार गोविंद दास जी से जुड़े 24 गांवों की वंशावली और इतिहास पर विमर्श हुआ। वंशावली और इतिहास लिखने का काम नंदलाल सिंह मोर और महेंद्र सिंह तंवर की ओर से किया गया। सम्मेलन में दोनों ने गोयंद दासोत जोधा राठौड़ की वंशावली और इतिहास को गौरवपूर्ण बताया। इनका कहना रहा कि राजपूत समाज में अपनी वंशावली को देखकर विवाह आदि करने चाहिए। आजकल देखा गया है कि राजपूत समाज में अपनी वंशावली और इतिहास को देखे बगैर ही संबंध हो जाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि समाज के लोगों को अपनी वंशावली की जानकारी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि राजपूतों की वंशावली और इतिहास लिखने का काम चारण विद्वानों द्वारा किया गया है। लेकिन अब समय आ गया है कि जब राजपूत समाज के युवाओं को अपनी वंशावली और इतिहास का लेखन करना चाहिए। हम यदि अपनी वंशावली और इतिहास को लिखेंगे तो पूरा समाज गौरवान्वित होगा। उन्होंने कहा कि चार सौ वर्ष पहले गोविंद दास जी ने गोविंदगढ़ की स्थापना की थी, तब 25 गांव शामिल किए गए। आज जब गोविंद दास जी की वंशावली लिखी गई है, तब गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूत समाज के लोग गौरवान्वित हैं। धर्मेन्द्र राठौड़ की पहल: नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूत समाज का सम्मेलन करवाने में आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र राठौड़ की पहल रही। राठौड़ ने कहा कि नांद उनका पैतृक गांव है और उन्हें आज इस बात की खुशी है कि समाज के प्रमुख लोग नांद गांव में आए हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसा सम्मेलन करवाने का अवसर मिला है। जल्द ही हमारे पूर्वज गोविंद दास जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि वंशावली और इतिहास का लेखन का कार्य गोयंद दासोत जोधा राठौड़ शोध संस्था के माध्यम से किया गया है। नांद गांव में सम्मेलन करवाने में सरपंच विष्णु सिंह का भी सक्रिय योगदान मिला है। मुझे इस बात का भी संतोष है कि सम्मेलन को सफल बनाने में समाज के युवाओं में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनका अनुभव रहा कि जब किसी समाज का युवा जागरूक हो जाता है तो वह समाज तेजी से आगे बढ़ता है। धर्मेन्द्र राठौड़ ने जोधपुर राजघराने के प्रमुख गज सिंह जी का विशेष आभार प्रकट किया। इस सम्मेलन की सफलता के लिए गज सिंह ने अपना वीडियो संदेश भेजा और सम्मेलन में न आने के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में जब कभी ऐसा सम्मेलन होगा, तब वे जरूर आएंगे। उन्होंने मौजूदा समय में ऐसे सम्मेलनों की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश करणी सिंह राठौड़, कर्नल मोहन सिंह राठौड़, महेंद्र सिंह मझेवला, विक्रम सिंह टापरवाड़ा, डॉ. सुमन राठौड़, कृतिका जोधा, वंशावली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामसिंह राव, भाजपा के प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी, जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा, समाजसेवी भंवर सिंह पलाड़ा, नौरत सिंह राव, जयमल सिंह, भवानी सिंह राठौड़, नाहर सिंह पाटवी, मेजर आरती सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे। इस सम्मेलन के बारे में मोबाइल नंबर 9571684444 पर धर्मेन्द्र राठौड़ से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (23-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

नए वक्फ कानून का विरोध करने वाले समझे की दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित भारत में है। इजरायल ईरान युद्ध में अमेरिका के कूदने से भयावह स्थिति। पहलगाम हमले के आतंकियों को शरण देने के मामले में दो कश्मीरियों का पकड़ा जाना अफसोसनाक

इजरायल ईरान के युद्ध में अमेरिका के शामिल हो जाने के बाद दुनिया में भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है। पूरी दुनिया में भय का माहौल है। मुस्लिम देश ईरान में पिछले दस दिनों से एक हजार से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। वहीं इजरायल में भी मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ईरान की आबादी 11 करोड़ है, जबकि इजरायल की आबादी मात्र 90 लाख है। अमेरिका के हमले के बाद भी ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें गिराना जारी रखा है, इससे जाहिर है कि ईरान को अमेरिका का डर नहीं है। दुनिया में मुस्लिम देशों की संख्या 57 है, लेकिन मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित भारत में है। जबकि मुसलमानों की सबसे ज्यादा संख्या 25 करोड़ भारत में ही है। जब कभी किसी मुस्लिम देश में संकट होता है तो मोदी सरकार ही भारतीय मुसलमानों को सुरक्षित तरीके से निकालती है। ईरान में भी 10 हजार भारतीय है, इनमें से अधिकांश मुस्लिम है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की धाक होने के कारण हर बार संकट के समय भारतीयों को सुरक्षित निकाला जाता है। असल में भारत में मुसलमानों के कल्याण और विकास के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। आम मुसलमान को और फायदा हो, इसलिए नया वक्फ कानून बनाया गया है, लेकिन कुछ लोग बेजवह नए कानून का विरोध कर रहे हैं। वक्फ कानून का विरोध करने वालों को एक बार मुस्लिम देशों के नागरिकों के हालात देखने चाहिए। यदि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे देशों के नागरिकों के हालात देखे जाए तो भारत में रहने वाले मुसलमानों में अंतर साफ नजर आएगा। आज दुनिया में जो तनावपूर्ण हालात है, उसमें भारत में हिंदू और मुसलमान के बीच एकता जरूरी है। मौजूदा संकट के समय भारत दुनिया के सामने एक मिसाल बन सकता है। नए वक्फ कानून से भारत के गरीब और पिछड़े मुसलमान की मजबूती मिलेगी। जब 25 करोड़ मुसलमान भी मजबूत होंगे तो भारत भी मजबूत होगा। पिछले 11 वर्षों में भारत को जो मजबूती मिली है, उसी का परिणाम है कि संकट के समय में भी ईरान के विदेश मंत्री भारत के नेताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास है कि किसी भी तरह इजरायल ईरान के युद्ध को समाप्त करवाया जाए। यदि यह युद्ध लंबा चलता है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। सबसे ज्यादा परेशानी ईंधन के क्षेत्र में आएगी। अफसोसनाक: पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर से परवेज अहमद जोठार और वसीर अहमद जोठार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि जो तीन आतंकी पाकिस्तान से आए उन्हें शरण देने का काम इन दोनों कश्मीरियों ने किया। मालूम हो कि तीनों आतंकियों ने 22 अप्रैल को धर्म पूछकर 26 हिंदुओं की हत्या की थी। जिन आतंकियों ने हिंदुओं की हत्या की उन्हें दो कश्मीरी शरण देते हैं तो यह बेहद अफसोसनाक है। एक और अनुच्छेद 370 को हटाकर आम कश्मीरियों को जीवन खुशहाल बनाया जा रहा है तो दूसरी और कश्मीरी ही आतंकियों को शरण देेंगे तो यह माहौल बिगाड़ने वाली कार्यवाही होगी। S.P.MITTAL BLOGGER (23-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Sunday, 22 June 2025

पाकिस्तान की सहमति के बाद ही अमेरिका ने मुस्लिम देश ईरान पर बस्टर बम गिराए। पाकिस्तान के इस दोगलेपन को भारत के 25 करोड़ मुसलमानों को समझना चाहिए। युद्ध में यदि चीन और रूस कूदते हैं तो वर्ल्ड वार तय।

भारतीय समय के अनुसार 21 जून की रात को अमेरिका ने मुस्लिम देश ईरान पर बस्टर बम गिरा दिए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को बताया कि उनके बी-2 स्टील्थ बॉम्बर प्लेन ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम गिरा कर सफलतापूर्वक अमेरिका लौट आए हैं। ईरान पर अमेरिका की बमबारी से दुनियाभर में खलबली मच गई है, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मुस्लिम देश ईरान पर बम गिराने की ताकत अमेरिका के पास कहां से आई है, सब जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप ने 18 जून को पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिफ मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किया और ईरान पर हमले पर सहमति हासिल की। आसिफ मुनीर की सहमति के बाद ही 21 जून की रात को अमेरिका ने ईरान पर भीषण बमबारी कर दी। प्राथमिक सूचनाओं में बताया जा रहा है कि ईरान पर बमबारी के लिए अमेरिका के विमानों ने पाकिस्तान का एयरस्पेस काम में लिया। यदि यह सूचना सही है तो जाहिर है कि अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद से ईरान पर हमला किया है। भारत के 25 करोड़ मुसलमानों को पाकिस्तान के इस दोगलेपन को समझने की जरूरत है। भारत में ऐसे अनेक मुस्लिम नेता है जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। ऐसे नेताओं को यह देखना चाहिए कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ मुनीर ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की खातिर अमेरिका को मुस्लिम देश ईरान पर हमला करने में मदद की है। इसके विपरीत ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने में भारत की मोदी सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। इन छात्रों में अधिकांश मुस्लिम छात्र-छात्राएं हैं। यानी मोदी सरकार अपने छात्रों को ईरान से सुरक्षित निकाल रही है। तो पाकिस्तान की सेना ईरान पर हमले में अमेरिका की मदद कर रही है। मालूम हो कि 57 मुस्लिम देशों में अकेला पाकिस्तान है, जिसके पास परमाणु हथियार है। मुस्लिम देशों को उम्मीद थी कि इजरायल के साथ युद्ध में पाकिस्तान ईरान की मदद करेगा। लेकिन इसके उलट पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद की है। वर्ल्ड वार की आशंका: 21 जून की रात को अमेरिका ने ईरान पर जो हमला किया है उसके बाद वर्ल्ड वार की आशंका हो गई है। चीन और रूस ने पहले ही चेताया था कि यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो चीन और रूस ईरान की मदद करेंगे। अब यदि अपनी चेतावनी के अनुरूप इजरायल ईरान के युद्ध में चीन और रूस कूदते हैं तो वर्ल्ड वार तय है। इस बीच अनेक मुस्लिम देशों ने घोषणा की है कि अब समुद्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के जहाजों पर हमले किए जाएंगे। यानी जो युद्ध अभी तक जमीन और हवा में हो रहा था, वह अब पानी में भी होने जा रहा है। यदि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के जहाजों पर समुद्र में हमले होते हैं तो पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी। S.P.MITTAL BLOGGER (22-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

झारखंड की तरह यदि राजस्थान का मेवाड़-बांगड़ क्षेत्र बांग्लादेश बन रहा है तो इसे रोकने की जिम्मेदारी भाजपा की ही है। तो क्या सांसद राजकुमार रौत के नेतृत्व में भारत आदिवासी पार्टी लुटेरी गैंग बन गई है?

राजस्थान और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने कहा है कि राजस्थान का आदिवासी क्षेत्र मेवाड़ और बांगड़ अब बांग्लादेश बनता जा रहा है। भाजपा ने ऐसा ही आरोप पूर्व में झारखंड को लेकर लगाया था। माना कि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सरकार के कारण नियंत्रण नहीं हो पा रहा, लेकिन राजस्थान में तो भाजपा की सरकार है। यदि भाजपा की सरकार में भी मेवाड़ और बांगड़ क्षेत्र बांग्लादेश बन रहा है तो इसे रोकने की जिम्मेदारी भी भाजपा की ही है। डॉ. मन्नालाल रावत खुद आदिवासी बाहुल्य उदयपुर से सांसद हैँ। ऐसे में आदिवासियों को धर्म परिवर्तन से रोकने की जिम्मेदार भी डॉ. रावत की ही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मेवाड़-बांगड़ के आदिवासी क्षेत्रों में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) का प्रभावी तेजी से बढ़ रहा है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से बीएपी के राजकुमार रौत सांसद हैं तथा इसी आदिवासी क्षेत्र से बीएपी के चार विधायक हैं। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बाद सबसे ज्यादा चार विधायक और एक सांसद बीएपी के ही है। कांग्रेस और भाजपा की लाख कोशिश के बाद भी आदिवासी क्षेत्र में बीएपी के प्रभाव को कम नहीं किया जा रहा। कांग्रेस ने तो कई मौकों पर बीएपी के साथ राजनीतिक गठबंधन भी किया है। पिछली कांग्रेस सरकार में पूरे पांच वर्ष बीएपी के विधायकों ने अशोक गहलोत को समर्थन दिया। यह बात अलग है कि विधायकों ने समर्थन की पूरी कीमत वसूली। हाल ही में बीएपी के एक विधायक जय कृष्णा पटेल को रिश्वत लेते एसीबी ने पकड़ा है। विधायक पटेल अब जेल में है। भाजपा के सांसद डॉ. रावत ने बीएपी की तुलना लुटेरी गैंग से की है और इस गैंग का सरगना बीएपी के सांसद राजकुमार रौत को बताया है। एक राजनीतिक पार्टी पर ऐसा आरोप लगाना बहुत मायने रखता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि विधायक पटेल की गिरफ्तारी पर सांसद रौत ने अपनी पार्टी के विधायक का पक्ष लिया था। झारखंड में बांग्लादेश से आए पुरुषों ने आदिवासी महिलाओं के साथ निकाह कर अपना परिवार बसा लिया है। ऐसे मुस्लिम परिवार अब जेएमएम के वोट बैंक बन गए है। यदि ऐसे हालात बांगड़ और मेवाड़ क्षेत्र में हो रहे हैं तो यह पूरे राजस्थान के लिए खतरनाक स्थिति होगी। चूंकि प्रदेश में इस समय भाजपा की सरकार है, इसलिए मेवाड़ और बांगड़ को झारखंड बनने से रोकने की जिम्मेदारी भी भाजपा की ही है। S.P.MITTAL BLOGGER (22-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Saturday, 21 June 2025

ईरान- इजरायल युद्ध भडक़ने से हमास हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों का मकसद पूरा हुआ। तो क्या अमेरिका ने इजरायल को अधर में छोड़ दिया है? रूस और चीन की मदद के चलते ईरान को अब नियंत्रण में करना आसान नहीं।

11 जून से शुरू हुआ इजरायल और ईरान के बीच का युद्ध अब और भडक़ गया है। ईरान और इजरायल में जमीनी दूरी 2500 और हवाई दूरी एक हजार किलोमीटर है, लेकिन फिर भी एक दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिस इजरायल को अब तक सुरक्षित माना जाता था उसे काफी नुकसना हो गया है। इस युद्ध के भडक़ने से हमास हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों का मकसद पूरा हो गया है। मध्य पूर्व में ऐसे चरमपंथी संगठन लाख कोशिश के बाद भी इजरायल को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे थे। गत वर्ष हमास ने इजरायल पर जो हमला किया उसके बाद में इजरायल ने गाजा पटटी को अपने नियंत्रण में ले लिया है, लेकिन ईरान के हमले से इजरायल को काफी नुकसान हो रहा है। इजरायल जितना कमजोर होगा, उतने ही हमास और हिजबुल्ला जैसे संगठन मजबूत होंगे। कहा जा सकता है कि ईरान, हमास और हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों को ही लड़ाई लड़ रहा है। सब जानते हैं कि इजरायल की आबादी मात्र 90 लाख लोगों की है, लेकिन इजरायल इजरायल ने चरमपंथी संगठनों के साथ साथ आसपास के मुस्लिम देशों को भी नियंत्रित कर रखा था। लेकिन अब जब ईरान ने इजरायल पर हमला किया है तो मौजूदा समय में इजरायल को काफी नुकसान हो रहा है। भले ही इस युद्ध में ईरान को भी काफी नुकसान हुआ हो, लेकिन मध्य पूर्व में इजरायल का नुकसान अमेरिका के लिए बहुत मायने रखता है। सवाल यह भी है कि क्या अमेरिका ने इजरायल को अधर में छोड़ दिया है? एक और ईरान की मिसाइलें इजरायल को नुकसान पहुंचा रही है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि इस युद्ध में अमेरिका की भूमिका जुलाई के प्रथम सप्ताह में तय की जाएगी। यानी अभी अकेले इजरायल ही ईरान से मुकाबला करेगा। जबकि इजरायल, अमेरिका की मदद के बगैर ईरान जैसे ताकतवर देश से मुकाबला नहीं कर सकता है। इजरायल ने परमाणु हथियार नष्ट करने की आड़ लेकर ईरान पर जो हमला किया उसके पीछे भी अमेरिका को ही सुरक्षित करना था। अमेरिका नहीं चाहता है कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने। इसलिए इजरायल से हमला करवाया गया। माना जा रहा है कि चीन और रूस की ईरान को सीधी मदद के कारण ही अमेरिका पीछे हट रहा है। अमेरिका को लगता है कि यदि इस युद्ध में उसने इजरायल की मदद की उस का मुकाबला ईरान से नहीं बल्कि रूस और चीन से होगा। ईरान में परमाणु रिएक्टर केंद्रों पर रूस के 200 नागरिक काम कर रहे हैं। इसी प्रकार युद्ध शुरू होने के साथ ही चीन ने बड़ी मात्रा में हथियार ईरान पहुंचा दिए है। रूस और चीन की मदद से ही ईरान एक हजार किलोमीटर की हवाई दूरी के बाद भी इजरायल पर हमले कर रहा है। मौजूदा समय में देखा जाए तो ईरान को नियंत्रण में करना अब आसान नहीं है। S.P.MITTAL BLOGGER (21-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अजमेर में राम सेतु पुल (एलिवेटेड रोड) रोड के नीचे अवैध पार्किंग से पीआर मार्ग, स्टेशन रोड, कचहरी रोड की यातायात व्यवस्था बिगड़ी। लाल फाटक बंद करने के बाद रेलवे को पुल की चौड़ाई बढ़ानी चाहिए। डबल इंजन की सरकार का दावा करने वाले नेता ध्यान दें। अजमेर स्मार्ट सिटी के हालात पर दारा का कार्टून।

स्मार्ट सिटी योजना के तहत जब अजमेर शहर में एलिवेटेड रोड (रामसेतु पुल) बनाया गया, तब यह उम्मीद जताई गई थी कि इस पुल के नीचे वाले पीआर मार्ग, कचहरी रोड और स्टेशन रोड पर यातायात का दबाव कम होगा। इन मार्गों से गुजरने वाला ट्रैफिक व्यवस्था सुधर जाएगी, लेकिन एलिवेटेड रोड के नीचे अवैध पार्किंग की वजह से यातायात सुधरने की उम्मीद पर पानी फिर गया है। 20 जून को अजमेर फोरम के संस्थापक सदस्य और दैनिक भास्कर के पूर्व संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल के नेतृत्व में फोरम के सदस्यों ने एलिवेटेड रोड के नीचे के मार्गों का जायजा लिया। पीआर मार्ग, कचहरी रोड और संपूर्ण स्टेशन रोड के बीच में कार जीप और दुपहिया वाहन खड़े हुए थे। बेतरतीब तरीके से खड़े वाहनों की वजह से यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। इन मार्ग के दोनों ओर दुकानदारों ने अपने दुपहिया वाहन सडक पर खड़े कर रखे थे, तो लोगों ने अपने वाहन एलिवेटेड रोड के नीचे खड़े किए। यानी एलिवेटेड रोड के नीचे के मार्ग अवैध पार्किंग से भरे थे। ऐसे में इन मार्गों पर ट्रैफिक का चलना मुश्किल हो रहा था। कोढ़ में खाज वाली कहावत तो तब चरितार्थ हुई, जब रेलवे स्टेशन के बाहर सिटी बस और टैम् पों वालों ने कब्जा कर लिया। इस मार्ग पर यातायात को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था। ऐसा प्रतीत हुआ कि बेरिकेड्स लगाकर ट्रैफिक पुलिस अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गई। जब सामान्य दिनों में यह स्थिति है, तब अजमेर में किसी बड़ी परीक्षा होने पर यातायात की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। स्मार्ट सिटी योजना में तय हुआ था कि एलिवेटेड रोड के नीचे सिविल पार्किंग को ठेके पर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम यातायात व्यवस्था को सुधारने में कुछ भी नहीं करना चाहता। दो चार दुकानदारों के विरोध के कारण सिविल पार्किंग को ठेके पर नहीं दिया जा सका। यदि एलिवेटेड रोड के नीचे नियमों के अनुरूप पार्किंग हो तो इस पूरे मार्ग की यातायात व्यवस्था सुधर सकती है। लाल फाटक बंद: रेलवे ने अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए लाल फाटक को बंद कर दिया। यह फाटक अलवर गेट वाले मार्ग और ब्यावर रोड को जोड़ता था। इस फाटक के ऊपर रेलवे पुलिया है, लेकिन फाटक बंद हो जाने के बाद अब सारा ट्रैफिक इस पुलिया से होकर गुजरता है। अच्छा हो कि रेलवे इस पुलिया की चौड़ाई को बढ़ाए ताकि यातायात सुगम हो सके। इस फाटक के बंद हो जाने से जीसीए चौराहे से श्रीनगर रोड अथवा अलवर गेट जाने के लिए लोगों को संत फ्रांसिस अस्पताल से होते हुए मार्टिंडल ब्रिज तक जाना होता है। जबकि मार्टिंडल ब्रिज की पहले ही दुर्दशा है। ब्रिज के ऊपर जो ट्रैफिक गुमटी बनी हुई थी, उसे हटाकर बेरिकेड्स लगा दिए गए है। इसका परिणाम यह हुआ कि श्रीनगर रोड और अलवर गेट की ओर से आने वाले लोगों को रेलवे स्टेशन, केसर गंज आने के लिए पहले जीसीए चौराहे तक जाना होता है। इस वजह से जीसीए चौराहे पर भी यातायात का दबाव बढ़ गया है। संत फ्रांसिस अस्पताल के बाहर सकड़े स्थान पर भी अस्पताल के वाहन खड़े होते हैं। ट्रेफिक पुलिस अस्पताल के बाहर खड़े वाहनों को हटाने तक की जहमत नहीं करती। जबकि इस निजी अस्पताल को स्वयं अपने स्तर पर पार्किंग की व्यवस्था करनी चाहिए। अजमेर की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की और उन नेताओं को ध्यान देने की जरूरत है जो प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने का दावा करते हैं। दारा का कार्टून: 21 जून को योग दिवस के अवसर पर अजमेर स्मार्ट सिटी के हालात को लेकर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने एक सटीक कार्टून बनाया है। दारा के इस कार्टून से स्मार्ट सिटी के लोगों के हालात को समझा जा सकता है। कार्टून को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। S.P.MITTAL BLOGGER (21-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Friday, 20 June 2025

प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित किए जाने की मांग पर सरकार के मंत्रियों को जब सहमति नहीं देनी चाहिए। अभ्यर्थी भी हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं के दम पर धरना प्रदर्शन न करे। राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं अब यूपीएससी की तर्ज पर वार्षिक कलेंडर के अनुरूप ही होगी।

राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष यूआर साहू, सचिव रामनिवास मेहता और परीक्षा नियंत्रक आशुतोष गुप्ता ने स्पष्ट कर दिया है कि आयोग की सभी परीक्षाएं यूपीएससी की तर्ज पर घोषित वार्षिक कलेंडर के अनुरूप ही होगी। आयोग ने जनवरी 2025 से फरवरी 26 तक होने वाली परीक्षाओं का कैलेंडर जारी कर दिया है, इसलिए सभी अभ्यर्थियों को घोषित कैलेंडर के अनुरूप ही निर्धारित तिथियों पर परीक्षा देनी होगी। 19 जून की रात को अचानक बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि स्कूल लेक्चरार व खेल कोच प्रतियोगिता परीक्षा 2024 निर्धारित तिथि 23 जून से ही होगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि परीक्षा का वार्षिक कैलेंडर सोच विचार कर बनाया गया है और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तिथियों का भी ख्याल रखा गया है। जब कोई परीक्षा स्थगित होती है तो ज्यादातर अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आयोग के अध्यक्ष साहू ने कहा कि जब वे डीजीपी के पद पर कार्यरत थे, तब यह मांग की जाती थी कि राजस्थान में भी प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी की तर्ज पर ही घोषित तिथियों पर ही होनी चाहिए। अब जब राजस्थान में भी आयोग वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप परीक्षा आयोजित कर रहा है, तब आए दिन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग होती है। इस प्रवृत्ति से उन अभ्यर्थियों को नुकसान होता है जो पूरी मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं। कॉन्फ्रेंस में परीक्षा नियंत्रक आशुतोष गुप्ता ने बताया कि दिसंबर 2023 से अब तक 250 परीक्षाएं हुई है, लेकिन एक भी परीक्षा में पेपर लीक जैसी कोई घटना नहीं हुई। यानी राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद आयोग की सभी परीक्षाएं पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ हो रही है। बहकावे में न आए: आयोग के अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक की प्रेस कॉन्फ्रेंस से जाहिर है कि अब नेताओं को धरना प्रदर्शन और सरकार के मंत्रियों की सहमति के बाद भी कोई परीक्षा स्थगित नहीं होगी। मालूम हो कि आरएएस 2024 की मुख्य परीक्षा को स्थगित करने पर उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, डॉ. प्रेमचंद बैरवा, कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ सहित चालीस विधायकों ने लिखित में सहमति दी थी, लेकिन आयोग ने मंत्रियों, विधायकों आदि सभी की सहमतियों को दरकिनार कर 17 व 18 जून को ही परीक्षा करवाई। नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल भी आयोग की परीक्षाओं स्थगित कराने को लेकर अभ्यर्थियों के साथ धरना प्रदर्शन करने में आगे रहते हैं। मौजूदा समय में भी स्कूल लेक्चरर और खेल कोच परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहा है। जो अभ्यर्थी हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं के झांसे में आकर परीक्षा स्थगन को लेकर धरना प्रदर्शन करते हैं, उन्हें यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि अब राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं घोषित कैलेंडर के अनुरूप ही होगी। साथ ही सरकार के मंत्रियों को भी किसी परीक्षा को स्थगित करने के लिए सहमति वाला पत्र नहीं लिखना चाहिए। आयोग का यह प्रयास सराहनीय है कि परीक्षा एवं वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप हो। S.P.MITTAL BLOGGER (20-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जब हजारों शिक्षकों ने तबादले के आवेदन क्षेत्रीय विधायकों और भाजपा नेताओं के पास जमा करवा दिए तब राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा, यह सब फर्जीवाड़ा है। अभी कोई तबादले नहीं हो रहे हैँ।

राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 19 जून को जयपुर में स्पष्ट किया कि अभी स्कूली शिक्षा में किसी भी स्तर के शिक्षक का तबादला नहीं हो रहा और न ही क्षेत्रीय विधायकों तथा भाजपा नेताओं के पास किसी शिक्षक को अपना तबादला आवेदन जमा करने की जरूरत है। यदि किसी स्थान पर आवेदन लिए जा रहे है ते इसे फर्जीवाड़ा माना जाएगा। सरकार के स्तर पर अभी तक तबादले के कोई आवेदन नहीं लिए जा रहे। तबादले कब होंगे, इस बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। दिलावर के इस बयान से तबादले के इच्छुक लाखों शिक्षकों में एक बार फिर निराशा छा गई है। असल में पिछले कई दिनों से हजारों शिक्षक क्षेत्रीय भाजपा विधायक तथा गति विधानसभा में पराजित भाजपा प्रत्याशी के पास तबादले के आवेदन जमा करवा रहे थे। विधायकगण और भाजपा नेता भी शिक्षकों से आवेदन ले रहे थे। अधिकांश विधायकों ने आवेदन लेने पर कोई ऐतराज नहीं किया। विधायक आवेदन ले रहे है, इसकी खबरें अखबारें में प्रमुखता से प्रकाशित हुई, लेकिन फिर भी सरकारी स्तर पर इसका कोई खंडन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शमा्र चाहे तो जांच करवा ले, लेकिन किन किन विधायकों ने शिक्षकों से तबादला आवेदन लिए, लेकिन अब 9 जून को भी मदन दिलावर ने कह दिया कि शिक्षकों के तबादले हो ही नहीं रहे। यहां तक कि विधायकों वाली प्रक्रिया को भी फर्जी बता दिया गया। यदि विधायकों वाली प्रक्रिया फर्जी थी तो फिर सरकार को पहले ही खंडन करना चाहिए था। सवाल उठता है कि इससे शिक्षकों को जो परेशानी हुई, उस का जिम्मेदार कौन होगा? यह हकीकत है कि प्रदेश के 18 हजार स्कूलों में 44 हजार व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं। और तृतीय श्रेणी के लाखों शिक्षक पिछले 8 वर्षों से तबादले का इंतजार कर रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार ने भी पांच वर्ष तक तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं किए और अब डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी भाजपा सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं कर रही। सीएम शर्मा और मंत्री दिलावर माने या नहीं लेकिन सरकार की नीति से शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है। गत कांग्रेस के शासन में जिन शिक्षकों के तबादले राजनीतिक कारणों से हुए उन्हें भी मौजूदा भाजपा सरकार में राहत नहीं मिली है। कहा जा सकता है कि भाजपा की विचारधारा वाले शिक्षक भी मौजूदा सरकार से दुखी और परेशान है। S.P.MITTAL BLOGGER (20-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जयपुर, अजमेर और टोंक के एक करोड़ लोगों के लिए राहत भरी खबर। बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक शुरू। एक हजार एमएलडी पानी रोजाना लेने के बाद भी पांच दिनों से जल्द स्तर यथावत। योग दिवस पर 101 योगी करेंगे सूर्य नमस्तार।

अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के एक करोड़ लोगों की प्रतिदिन प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक शुरू हो गई है। बांध के नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 जून को बांध का जलस्तर 312.45 मीटर मापा गया था। यह जलस्तर 20 जून को भी यथावत है। यानी पिछले पांच दिनों में जल स्तर में कोई कमी नहीं हुई है। जबकि बांध से प्रतिदिन जयपुर में लिए 650 एमएलडी, अजमेर के लिए 350 एमएलडी और टोंक के लिए 50 एमएलडी पानी लिया जा रहा है। यानी प्रतिदिन एक हजार एमएलडी पानी लेने के बाद भी बांध के जलस्तर में कोई कमी नहीं हुई है। 16 जून को बरसात से पूर्व बांध में प्रतिदिन दो सेंटीमीटर पानी की कमी हो रही थी, बांध से पानी लेने और वाष्पीकरण की वजह से जलस्तर लगातार घट रहा था, लेकिन मानसून की बरसात में पानी की आवक हो जाने से पिछले पांच दिनों से बांध के जलस्तर में कोई कमी नहीं आई है। हालांकि अभी तेज रफ्तार से पानी की आवक शुरू नहीं हुई है, लेकिन बांध के भराव क्षेत्र में वर्षा होने के कारण जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। बीसलपुर बांध में बरसात का पानी आना अजमेर, जयपुर और टोंक के लोगां के लिए राहत भरी खबर है। मालूम हो कि बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। गत वर्ष बांध ओवरफ्लो हो गया था। सूर्य नमस्कार: 21 जून को योग दिवस पर अजमेर के आनासागर सर्कुलर रोड स्थित शिवाजी पार्क में 101 योगी सूर्य नमस्कार करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के सहयोग से शिवाजी पार्क में गत 13 जून से योग शिविर आयोजित किया गया। शिविर में प्रमुख रूप से सूर्य नमस्कार का प्रशिक्षण दिया गया। महासम्मेलन के जिला अध्यक्ष रमेश तापडिय़ा और महामंत्री उमेश गर्ग ने बताया कि इस योग शिविर के प्रति महिलाओं ने भी रुचि दिखाई। यही वजह रही कि 21 जून को 101 योगी सफलतापूर्वक सूर्य नमस्कार करेंगे। उन्होंने बताया कि सूर्य नमस्कार भी योग की एक प्रक्रिया है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर स्वस्थ रहता है, जो व्यक्ति सूर्य नमस्कार का योग कर सकता है उसकी काया हमेशा निरोगी रहेगी। सूर्य नमस्कार के महत्व को देखते हुए ही योग शिविर में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देने का काम प्रमुख योगाचार्य स्वतंत्र शर्मा के द्वारा संपन्न हुआ। इस योग शिविर के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9214349812 पर रमेश तापडिय़ा तथा 9829793705 पर उमेश गर्ग से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (20-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Thursday, 19 June 2025

देश में राष्ट्रीय पद यात्री सुरक्षा आयोग बनाया जाए ताकि जैन साधू-संत व साध्वियां सुरक्षित विहार कर सके। अजमेर में सकल जैन समाज ने कलेक्टर को दिया प्रधान‌मंत्री के नाम ज्ञापन।

17 जून को अजमेर में सकल जैन समाज के आव्हान पर बड़ी संख्या में जैन समाज के स्त्री-पुरुष कलेक्ट्रेट पर एकत्रित हुए। जैन समाज के लोगों ने धार्मिक परम्परा के अनुरूप नमोकार मंत्र पढ़ा और सडक दुर्घटनाओं में मारे जा रहे साधु-संतो एवं साध्वियां के प्रति अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम जिला कलेक्टर लोक बंधु को एक ज्ञापन दिया गया। इस ज्ञापन में पीएम मोदी से आग्रह किया गया कि देश में 4 राष्ट्रीय पद‌यात्री सुरक्षा आयोग बनाया जाए ताकि जैन साधु संत और साध्वियां सुरक्षित तरीके से विहार कर सके । चूंकि अभी पद यात्रियों के लिए कोई सख्त कानून और प्रशासनिक व्यवस्था नहीं है इसलिए विहार के समय जैन साधु संत सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे है। देश के कई स्थानों पर तो साधु संतों के साथ मारपीट और लुटपाट तक की जाती है। ज्ञापन में कहा गया कि धार्मिक परम्परा के अनुसार जैन साधु और साध्वियां पैदल ही देश में भ्रमण करते है । साधु संतो और साध्वियां की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है इसलिए आयोग बनाकर ऐसी व्यवस्था की जाए जिसमें जैन साधु साधवियो को पद यात्रा के समय पुलिस सुरक्षा मिले । ज्ञापन में यह भी कहा गया कि मौजूदा कानून में जैन साधु साध्वियो पर वाहन चढ़ाने वाले ड्राइवरों पर कार्यवाही नहीं होती इसके लिए धारा 106 बीएनएस में मुकदमा दर्ज करवाया जाए। राजमार्गो पर तीन-चार फीट चौड़ा फुटपाथ बनाया जाए ताकि जैन साधु, साध्वियां सुरक्षित तरीके से पद‌‌यात्रा कर सके। ज्ञापन मे बताया गया कि इन दिनों देश भर में साधु-संत सडक दुघर्टना के शिकार हो रहे है। इससे जैन समाज में भारी आक्रोश है। जैन समाज में साधु संतो को भगवान के रूप में माना जाता है। ऐसे में सड़क दुघर्टना में मारे जाने वाले साधु संतों के साथ जैन समुदाय की, धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। सकल जैन समाज के प्रतिनिधि बंसत सेठी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जैन साधु संतों के प्रति गहरी आस्था है। पीएम मोदी समय-समय पर जैन संतों से आशीर्वाद लेते रहे है। देश के सम्पूर्ण जैन समाज को उम्मीद है कि पीएम मोदी राष्ट्रीय पद यात्री सुरक्षा आयोग, बनाने के प्रयास कर रहे है। देशभर में जैन समुदाय की और से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों की जानकारी मो. नं. 9414154825 से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (18-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

ट्रंप की मोदी से फोन पर बात और फिर पाकिस्तान के आर्मी चीफ को भोज देने का मामला इजरायल-ईरान युद्ध से जुड़ा है। अब युद्ध में पाकिस्तान, ईरान की मदद नहीं करेगा। नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने पुराना राग अलापा।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर 35 मिनट बात और फिर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिफ मुनीर को भोज देने का मामला मीडिया में छाया हुआ है। मीडिया पंडित अपने-अपने नजरिए से भारत और पाकिस्तान के साथ अमेरिका की मित्रता का आकलन कर रहे है। जबकि हकीकत यह है कि मोदी से फोन पर बात और मुनीर को भोज देने का मामला इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार ईरान को न दे, इसके लिए ट्रंप ने आसिफ मुनीर को भोज दिया, लेकिन इस भोज से भारत नाराज न हो, इसके लिए पहले नरेंद्र मोदी से 35 मिनट तक फोन पर बात की। आसिफ मुनीर को भोज देने पर भारत ने अभी तक भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है। कुछ लोग डोनाल्ड ट्रंप के बारे में कुछ भी कहे, लेकिन ट्रंप वाकई ही दुनिया के सबसे बडे सौदे बाज है। यूं तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ है, लेकिन ट्रंप ने सारे प्रोटोकॉल दरकिनार करते हुए आर्मी चीफ मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किया। ट्रंप ने मुनीर को यूं ही भोज नहीं दिया। इस भोजन के बाद यह तय हो गया है कि अब इजरायल के साथ युद्ध में पाकिस्तान ईरान की कोई मदद नहीं करेगा। किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के बजाए आर्मी चीफ को भोज देने की हिम्मत डोनाल्ड ट्रंप जैसा राष्ट्रपति ही दिखा सकता है। अब ईरान चाले कितना भी दावा कर ले उसे पाकिस्तान से परमाणु हथियार मिल जाएंगे, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप का स्वादिष्ट भोजन खाने के बाद अब आसिफ मुनीर की इतनी हिम्मत नहीं कि वह ईरना को कोई मदद करे। अब आसिफ मुनीर और पाकिस्तान वो ही करेगा जो डोनाल्ड ट्रंप चाहेंगे। ट्रंप ने शहबाज शरीफ को भी बता दिया है कि प्रधानमंत्री होने के बावजूद भी पाकिस्तान में उनकी कोई हैसियत नहीं है। पाकिस्तान में आसिफ मुनीर ही सबसे ताकतवर है। मुनीर का पाकिस्तान की सेना पर ही नहीं, बल्कि सरकार पर भी पूरा नियंत्रण है। जानकारों की मानें तो आसिफ मुनीर को अपनी मुट्ठी में लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अब ईरान पर बड़ा हमला कर सकते हैं। दुनिया में पचास मुस्लिम देश है। इनमें से अकेले पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार है। परमाणु हथियार की ताकत के कारण ही डोनाल्ड ट्रंप के आसिफ मुनीर को अमेरिका आमंत्रित कर भोज देना पड़ा है। असल में अब तक मुस्लिम देशों में पाकिस्तान की स्थिति भिखारी देश की थी, लेकिन आसिफ मुनीर ने जब पाकिस्तान को अच्छी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। यानी आसिफ मुनीर ने आपदा में भी फायदा उठा लिया। मुस्लिम देशों में पाकिस्तान की इमेज कैसी बनेगी, इससे डोनाल्ड ट्रंप को कोई मतलब नहीं है। ट्रंप का उद्देश्य तो युद्ध में मुस्लिम देश ईरान को हराना है। यदि डोनाल्ड ट्रंप को कोई मतलब नहीं हैं। ट्रंप का उद्देश्य तो युद्ध में मुस्लिम देश ईरान को हराना है। यदि डोनाल्ड ट्रंप सौदेबाज नहीं होते तो पाकिस्तान कभी भी नियंत्रण में नहीं आता जहां तक भारत का सवाल है तो भारत अपनी रक्षा करने में समर्थ है। उसे अमेरिका की मदद की जरूरत नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सेना ने पाकिस्तान को उसके घर में मारा है और आगे भी हमारी सेना पाकिस्तान को मारने में सक्षम है। भले ही पाकिस्तान को अमेरिका की मदद मिले। पुराना राग: 18 जून को ट्रंप से हुई बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत किसी की भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष भी किसी भी देश के दबाव में नहीं रोका गया। यह निर्णय दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच का मामला है। मोदी ने ट्रंप को यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है और पाकिस्तान ने यदि कोई आतंकी वारदात करवाई तो भारतीय सेना घर में घुसकर पाकिस्तान को फिर से मारेगी। मोदी के इस कथन के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ है। ट्रंप ने कहा कि मैं दोनों देशों के साथ व्यापार की डील कर रहा हंू। यानी मोदी और ट्रंप पुराना राग ही अलापा रहे हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (19-06-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511