Thursday, 29 May 2025
आखिर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने किशनगढ़ में ही राजस्थान की भाजपा सरकार के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मिलावटी खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों पर ही छापा क्यों मारा? विधानसभा में किशनगढ़ का प्रतिनिधित्व डॉक्टर विकास चौधरी करते है। किशनगढ़ में बनी नकली खाद को राजस्थान सहित हरियाणा, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान खरीद रहे हैं।
राजस्थान के अजमेर संसदीय क्षेत्र के किशनगढ़ में मिलावटी खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों पर प्रदेश के कृषि मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने 29 मई को दिन में जो छापामार कार्यवाही की वह रात को भी जारी रही। मंत्री मीणा ने दिन में उदयपुर कला, टिकवाड़ा और किशनगढ़ के शहरी क्षेत्रों में फैक्ट्रियों में छापेमारी तो रात को पाटन में अजीत जैन की फैक्ट्री पर छापामार कार्यवाही की। मंत्री मीणा ने खुद अपनी आंखों से देखा कि डीएपी यूरिया आदि खाद में मार्बल पत्थर का पाउडर और मिट्टी मिलाई जा रही है। फैक्ट्रियों में काम करने वालों ने माना कि बड़ी मात्रा में मिलावटी खाद को राजस्थान सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश बिहार के किसानों को बेचा जा रहा है। राकेश जैन नाम के फैक्ट्री मालिक ने मंत्री किरोड़ी मीणा के पैर छूते हुए माफी मांगी और वादा किया कि भविष्य में मिलावट का काम नहीं करुंगा। मंत्री मीणा की इस छापामार कार्यवाही से खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों में हड़कंप मच गया है। छापामार कार्यवाही के दौरान मीणा ने मीडिया को बताया कि फैक्ट्रियों में मिलावटी खाद बनने की शिकायत मिली थी। मैंने संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही करने के निर्देश दिए, लेकिन मेरे निर्देशों की पालना नहीं हुई। इसलिए स्वयं मैंने ही आकस्मिक जांच की कार्यवाही की। मिलावट खाद से जाहिर है कि कुछ प्रभावशाली लोग हमारे अन्नदाता के साथ धोखा कर रहे हैं। एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए हेल्थ कार्ड बनवा रहे है तो वहीं कुछ लोग अन्नदाता की भूमि की हत्या कर रहे हैं। मेरे कृषि मंत्री रहते किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. मीणा की यह कार्यवाही वाकई सराहनीय है। लेकिन सवाल उठता है कि इस छापेमारी कार्यवाही की शुरुआत केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी के संसदीय क्षेत्र अजमेर के किशनगढ़ से ही क्यों की गई? भागीरथ चौधरी का मूल निवास किशनगढ़ में ही है और वे आए दिन किशनगढ़ के आवास पर ही जनसुनवाई करते है। भागीरथ चौधरी सांसद बनने से पहले दो बार किशनगढ़ के विधायक रह चुके हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री के किशनगढ़ में संचालित फैक्ट्रियों में यदि मिलावटी खाद तैयार हो रहा है तो देश की सबसे बड़ी खबर है। सब जानते हैं कि डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा कैबिनेट मंत्री होने के बाद भी सरकार में अपनी भूमिका से संतुष्ट नहीं है। मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे रखा है7 यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मीणा का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। डॉक्टर मीणा इससे पहले अवैध खनन और अवैध बजरी खनन के मामले को भी पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। बहुचर्चित एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग मंत्री मीणा की ओर से लगातार की जा रही है। डॉक्टर मीणा की ताजा छापामार कार्यवाही को भाजपा में चल रही आंतरिक खींचतान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यहां खासतौर से उल्लेखनीय है कि विधानसभा में किशनगढ़ का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के विधायक डॉ. विकास चौधरी कर रहे है। गत विधानसभा चुनाव से पहले तक विकास चौधरी भाजपा में थे, लेकिन जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो चौधरी ने कांग्रेस से टिकट हासिल कर चुनाव जीत लिया।
इन फैक्ट्रियों में हुई कार्यवाही:
अतिशय बायोटेक इंडस्ट्रीज लि, किशनगढ़ कमला बायो ऑर्गेनिक्स, इंडस्ट्रीज लि, किशनगढ़ सिस्टम इंडिया प्राइवेट लि, किशनगढ़ राघव एग्रो इंडस्ट्रीज, किशनगढ़ ट्रॉपिकल एग्रो श्री गोवर्धन एग्रो किशनगढ़, दिव्या एग्रो फर्टिलाइजर इंडस्ट्रीज नालू, किशनगढ़ भूमि एग्रो इंडस्ट्रीज, किशनगढ़ श्रीनाथ एग्रो इंडस्ट्रीज, किशनगढ़ एशिया डोन बायोकेयर, जयपुर वृद्धि जलएग्री टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, अजमेर की दो अन्य कंपनियां पर कार्यवाही की गई।
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राजस्थान के राज्यपाल बागड़े ने कांग्रेसियों, वामपंथियों और हनुमान बेनीवाल को एक साथ जवाब दिया। आमेर की राजकुमारी जोधा का विवाह अकबर के साथ नहीं हुआ।
29 मई को राजस्ािान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने उदयपुर में महाराणा प्रताप की जयंती के समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए राज्यपाल बागड़े ने कहा कि यह धारणा गलत है कि राजस्थान के आमेर की राजकुमारी जोधा का विवाह मुगल शासक जलालुद्दीन अकबर के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि अकबर ने अपनी जीवनी लिखवाई जिसे अकबरनामा कहा जाता है। लेकिन इस अकबनामे में भी राजकुमारी जोधा के साथ विवाह का कोई उल्लेख नहीं है। कुछ लोगों ने इतिहास को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया है, लेकिन अब धीरे धीरे पुरानी गलतियों को सुधारा जा रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि अकबर ने अपने दरबारी अबुल फजल से जो जीवनी लिखवाई उसमें 116 लघु चित्र भी रहे। भारत में 1556 से लेकर 1605 तक अकबर का शासन रहा, लेकिन संपूर्ण जीवनी में कहीं भी जोधा के साथ विवाह की बात नहीं लिखी गई। लेकिन आजादी के बाद और उससे पहले कांग्रेसी और वामपंथी विचारधारा के लेखकों ने अकबर का विवाह आमेर की राजकुमारी जोधा के साथ होना लिखा। बाद में इस झूठे कथन को सही मान लिया गया। यही वजह रही कि राज्यपाल बागड़े ने कहा कि यदि अकबर का विवाह जोधा के साथ होता तो अकबरनामा में उल्लेख किया जाता। जानकारों के अनुसार राजा भारमल ने एक दासी की बेटी के साथ अकबर का विवाह कराया था। इस विवाह को ही राजकुमारी जोधा के साथ जोड़ दिया गया। वामपंथी और कांग्रेसियों के लिखे को सही मानते हुए ही पिछले दिनों नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी कहा कि राजस्थान की अधिकांश रियासतों ने मुगलों से कोई लड़ाई नहीं लड़ी। लड़ाई लड़ने के बजाए बेटियों की शादी करवा रिश्तेदारी कर ली। लेकिन 29 मई को राज्यपाल बागड़े ने कांग्रेसियों, वामपंथियों और हनुमान बेनीवाल को एक साथ जवाब दे दिया।
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सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के जगतगुरु रामभद्राचार्य से गुरु दीक्षा लेने के बहुत मायने हैं। गुरु दक्षिणा में पीओके मांगा। क्या राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत जैसलमेर के जासूस शकूर खान की गिरफ्तारी पर कोई ट्वीट करेंगे।
29 मई को उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जगतगुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात की। इस मुलाकात में जनरल द्विवेदी ने रामभद्राचार्य को अपना गुरु स्वीकार किया और गुरु दीक्षा देने का आग्रह किया। इस पर रामभद्राचार्य ने सेनाध्यक्ष को गुरु मंत्र दिया। गुरु मंत्र देने के बाद जगतगुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि मैंने उपेंद्र द्विवेदी को वो ही मंत्र दिया जो माता सीता ने हनुमान जी को दिया था। इस मंत्र के बाद ही हनुमानजी ने लंका दहन किया। मैं चाहता हूं कि अब यदि पाकिस्तान कोई आतंकी वारदात करवाए तो हमारी सेना पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा दे। रामभद्राचार्य ने कहा कि मैंने गुरु दक्षिणा में सेना अध्यक्ष से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को मांगा है। मुझे उम्मीद है कि सही समय पर मुझे गुरु दक्षिणा मिल जाएगी। जनरल द्विवेदी ने जिस तरह जगतगुरु रामभद्राचार्य से गुरु दीक्षा ली है, उसके बहुत मायने हैं। भारतीय सेना ने पहले ही कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को समाप्त नहीं किया गया है। जब ऑपरेशन सिंदूर जारी है, तब सेना अध्यक्ष का गुरु दीक्षा लेना मायने रखता है। सेना अध्यक्ष ने गुरु दीक्षा तब ली है, जब पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष आसिफ मुनीर लगातार इस्लाम की आड़ लेकर जवानों को संबोधित कर रहे हैं। इतना ही नहीं आसिफ मुनीर का मानना है कि भारत के हिंदुओं से मुसलमानों का कोई मेल नहीं हो सकता, क्योंकि दोनों की संस्कृति अलग है, इसलिए धर्म के आधार पर 1947 में मुसलमानों के लिए पाकिस्तान का जन्म हुआ।
शकूर की गिरफ्तार पर ट्वीट:
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब ट्रैफिक जाम पर भी ट्वीट कर रहे हैं, तब सवाल उठता है कि क्या जैसलमेर में गिरफ्तार शकूर खान पर भी कोई ट्वीट करेंगे। सुरक्षा एजेंसियों ने शकूर खान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। शकूर खान जैसलमेर के रोजगार कार्यालय में सहायक प्रशासनिक के पद पर कार्यरत है। अशोक गहलोत से ट्वीट की उम्मीद इसलिए की जा रही है कि शकूर खान कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। साले मोहम्मद का निजी सहायक भी रहा है। साले मोहम्मद को अशोक गहलोत ने ही अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि शकूर खान कई बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है। शकूर खान के संबंध आईएसआई से भी बताए जा रहे है7 यहां यह उल्लेखनीय है कि साले मोहम्मद के पिता मरहू गाजी फकीर का संबंध भी पाकिस्तान से रहा है। गाजी फकीर पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज है। लेकिन मुस्लिम वोटों पर खास प्रभाव होने के कारण गाजी फकीर और उनके बेटे साले मोहम्मद हमेशा कांग्रेस के चहेते बने रहे।
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Wednesday, 28 May 2025
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के बाद शिक्षा बोर्ड के प्रशासक का पद भी रिक्त हुआ। आखिर भाजपा सरकार युवाओं की कब सुनेगी।
अजमेर स्थित राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रशासक का पद भी रिक्त हो गया है। सरकार ने अजमेर के संभागीय आयुक्त को ही बोर्ड का प्रशासक नियुक्त कर रखा है। संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा 28 मई को आईएएस की सेवा से निवृत्त हो गए। चूंकि संभागीय आयुक्त का पद भी रिक्त हो गया है, इसलिए बोर्ड प्रशासक का पद भी स्वत: ही रिक्त हो गया। बोर्ड के प्रशासक का पद ऐसे समय में रिक्त हुआ है, जब दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं के परिणाम जारी हो रहे हैं। परिणाम जारी होने के बाद बोर्ड का कामकाज और बढ़ जाता है, क्योंकि बड़ी संख्या में परीक्षार्थी अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करवाते हैं। इसके अलावा भी मार्कशीट व अन्य प्रमाण पत्रों को जारी करने का काम बढ़ता है। ऐसे में बोर्ड में प्रशासक न केवल होने से कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ता है। यूं तो बोर्ड में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन अध्यक्ष नियुक्त नहीं करने के मामले में मौजूदा भाजपा सरकार भी पिछली कांग्रेस सरकार के पदचिन्हों पर चल रही है। कांग्रेस शासन में रीट परीक्षा में हुए घोटाले के बाद तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली को बर्खास्त कर दिया गया था। जारौली की बर्खास्तगी के बाद दो वर्ष तक कांग्रेस सरकार ने भी बोर्ड में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की और अब भाजपा सरकार ने भी अपने डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में बोर्ड में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की हे। राजस्थान लोक सेवा आयोग में भी अध्यक्ष और एक सदस्य का पद छह माह से रिक्त पड़ा है। अध्यक्ष के नहीं होने से आयोग के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। प्रदेश के युवाओं से जुड़े इन दोनों महत्वपूर्ण संस्थानों में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से युवाओं में रोष है। सवाल उठता है कि आखिर भाजपा सरकार में युवाओं की आवाज को कब सुना जाएगा? आयोग में स्थायी अध्यक्ष नहीं होने से आरएएस परीक्षा के इंटरव्यू एक चयन बोर्ड द्वारा ही लिए जा रहे हैं। जिसमें काफी समय लग रहा है।
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विद्या भारती के नागौर स्थित शारदा बालिका निकेतन की छात्रा पूजा चौधरी ने दसवीं बोर्ड में 99.50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफा पहनाकर आशीर्वाद दिया। राजस्थान में 939 विद्यालयों में तीन लाख विद्यार्थी अध्यनरत।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े विद्या भारती शिक्षण संस्थान द्वारा राजस्थान के नागौर में संचालित शारदा बालिका निकेतन की छात्रा पूजा चौधरी ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में 99.50 प्रतिशत अंक प्राप्त कर रिकॉर्ड बनाया है। यह संयोग ही रहा कि शिक्षा बोर्ड ने 28 मई को जब दसवीं का परिणाम घोषित किया, जब संघ प्रमुख मोहन भागवत नागौर के इसी शारदा बालिका निकेतन में तीन दिवसीय प्रवास पर थे। इस विद्यालय परिसर में ही संघ के कार्यकर्ताओं का 20 दिवसीय विकास वर्ग (प्रथम शिविर) चल रहा है। जब भागवत को छात्रा पूजा चौधरी की उपलब्धि की जानकारी हुई तो उन्होंने पूजा को बुलाया और राजस्थानी परंपरा के अनुरूप साफा बांध। साथ ही उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया। भागवत ने कहा कि यह अच्छी बात है कि विद्या भारती से जुड़े विद्यालयों के विद्यार्थी भी 99 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक प्राप्त कर रहे हैं। इस अवसर पर भागवत ने पूजा चौधरी से उनके परिवार के बारे में भी जानकारी ली। पूजा ने बताया कि किस प्रकार कड़ी मेहनत कर बोर्ड परीक्षा में 99.50 प्रतिशत अंक हासिल की है। इस उपलब्धि में विद्यालय के शिक्षकों का भी विशेष योगदान रहा है। विद्यालय में अनुशासन का जो पाठ पढ़ाया जाता है, उसकी वजह से भी सभी विद्यार्थी पूरी लगनता के साथ पढ़ाई करते हैं। विद्या भारती के राजस्थान केंद्र के संगठन मंत्री गोविंद कुमार ने बताया कि राजस्थान भर में इस समय विद्या भारती की 393 विद्यालय संचालित है। जिनमें करीब तीन लाख छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। सभी विद्यालयों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाता है। विद्यालय के कार्यव्यनिष्ठ और सेवा भावी शिक्षकों की वजह से सभी विद्यार्थी पूरी तरल लग्न के साथ अध्ययन करते हैं। समाज के मध्यम वर्ग के परिवार के बच्चों को पढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जरूरतमंद विद्यार्थियों की फीस भी जनसहयोग से भी ली जाती है। विद्यालयों में पढ़ाई के साथ साथ परंपरागत खेलों का अभ्यास भी कराया जाता है।
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आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही कांग्रेस को 80 आतंकियों की मौत के सबूत दे दिए हैं। उम्मीद है कि अब राहुल गांधी सेना और मोदी सरकार से सवाल नहीं करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सेना और केंद्र की मोदी सरकार से पाकिस्तान पर हुई कार्यवाही को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। कांग्रेस और राहुल गांधी जानना चाहते हैं कि 6 से 10 मई के बीच जो सैन्य कार्यवाही हुई इसमें भारत की सेना के कितने विमान नष्ट हुए तथा पाकिस्तान में कितने आतंकी मारे गए। हालांकि सैन्य अधिकारियों ने वीडियो के साथ सभी सबूत दे दिए हैं, लेकिन फिर भी राहुल गांधी संतुष्ट नहीं है। अब पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही ऑपरेशन सिंदूर में 80 आतंकियों (उनकी नजर में कार्यकर्ता) के मरने की बात स्वीकार कर ली है। संगठन के प्रमुख मसूद अजहर की ओर से मृतक आतंकियों के पोस्टर जारी किए गए हैं। ऐसे पोस्टर पाकिस्तान के लोगों की सहानुभूति बटोरी जा सके। यह संगठन पाकिस्तान भर में सुभान अल्लाह कॉन्फ्रेंस भी कर रहा है। इन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जैश ए मोहम्मद के लिए 30 हजार करोड़ रुपए एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि भारत के खिलाफ फिर से आतंकी मुहिम चलाई जा सके। सुभान अल्लाह कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यह भी बताया जा रहा है कि भारत की सेना ने बहावलपुर स्थित संगठन के मुख्यालय को मिट्टी के ढेर में तब्दील कर दिया है। यानी भारत में जिस तरह के सबूत कांग्रेस मांग रही है, वैसे सबूत जैश-ए-मोहम्मद की ओर से पाकिस्तान के नागरिकों को दिखाए जा रहे हैं। मसूद अजहर यह बताना चाहते हैं कि भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के तहत जो सैन्य कार्यवाही हुई उस में सबसे ज्यादा नुकसान उनके संगठन जैश ए मोहम्मद को हुआ है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मसूद अजहर द्वारा दिए जा रहे सबूतों के बाद राहुल गांधी अब भारत में सेना और मोदी सरकार से कोई सवाल नहीं करेंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के अधिकारियों की ओर से कहा गया था कि हमने पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया जिसमें करीब सौ आतंकी मारे गए।
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650 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हुआ तो राजस्थान भर के दूधिए 2 जून से मुख्यमंत्री के आवास पर धरना देंगे। राजस्थान की भाजपा सरकार पर निजी डेयरियों से मिलीभगत का आरोप।
27 मई को जयपुर में अजमेर दुग्ध डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी के नेतृत्व में प्रदेश की प्रमुख डेयरियों के अध्यक्षों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पशुपालन और डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत से मुलाकात की। मंत्री को बताया गया कि सरकार पर पशुपालकों का 650 करोड़ रुपए बकाया है। 300 करोड़ की राशि मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना तथा 350 करोड़ रुपए की राशि पन्नाधाय बाल गोपाल तथा अमृत आहार योजना की है। दुग्ध संबल योजना में प्रति लीटर पांच रुपए का अनुदान नहीं मिलने से दुग्ध उत्पादकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चौधरी ने कहा कि इस वर्ष जनवरी माह में ही सरकार ने अनुदान राशि का भुगतान डेयरी संघों को नहीं किया है, इससे सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली डेयरियों के संग्रहण केंद्रों पर दूध की आवक कम हो गई है। इसका फायदा अमूल, लोटस, पायस जैसी निजी डेयरियों को हो रहा है। चौधरी ने सरकार पर निजी डेयरियों से मिलीभगत का आरोप लगाया। चौधरी ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पशुपालकों के लिए काम करने का दावा करते हैं तो दूसरी ओर राजस्थान की भाजपा सरकार पशुपालकों को देय अनुदान राशि का भुगतान भी नहीं कर रही है। प्रतिनिधि मंडल में जोधपुर, बीकानेर, नागौर, रानीवाड़ा, बाड़मेर, चूरू, श्रीगंगानगर, जैसलमेर, चित्तौड़ आदि के डेयरी संघों के अध्यक्ष शामिल रहे। सभी अध्यक्षों ने एक स्वर से कहा कि 31 मई तक बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ तो 2 जून से प्रदेश भर के दुग्ध उत्पादक और पशु पालक जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर धरना देंगे। पशु पालक मंत्री कुमावत ने भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री से संवाद कर बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान करवाया जाएगा। प्रतिनिधि मंडल ने मंत्री को यह भी बताया कि आरसीडीएफ तथा जिला संघों में कर्मचारियों व अधिकारियों के 25 सौ पद रिक्त है। इन पदों पर भी शीघ्र भर्ती की जाए। डेयरी संघों और मंत्री के बीच हुए संवाद की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414004111 पर अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी से ली जा सकती है।
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कांग्रेस छोड़ने के बाद देशभक्त बने गुलाम नबी आजाद। तबीयत खराब थी फिर भी ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए मुस्लिम देशों की यात्रा पर गए।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद उस प्रतिनिधि मंडल में शामिल है जो ऑपरेशन सिंदूर में भारत का पक्ष रखने के लिए इन दिनों तीन मुस्लिम देश कुवैत, कतर और बहरीन की यात्रा पर है। कुवैत पहुंचने पर 27 मई को आजाद की तबीयत अचानक खराब हो गई। उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। प्राथमिक इलाज के बाद आजाद की तबीयत ठीक है। स्वस्थ होने पर आजाद ने ईश्वर का आभार जताया है। प्रतिनिधि मंडल में शामिल भाजपा सांसद बैदीयंत जय पांडा और निखिल कांत दुबे ने बताया कि दिल्ली से रवाना होते वक्त ही गुलाम नबी की तबीयत खराब थी। तब उन्हें दिल्ली में ही आराम करने की सलाह दी गई, उन्हें यह भी बताया गया कि कुवैत, कतर बहरीन में मई जून के माह में भारत से भी ज्यादा गर्मी पड़ती है। लेकिन देशभक्ति के जज्बे के कारण गर्मी की परवाह किए बगैर आजाद मुस्लिम देशों की यात्रा पर रवाना हो गए। आजाद का कहना रहा पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए मुस्लिम देशों में उनका जाना जरूरी है। जब देश को उनकी जरूरत है, तब वे पीछे नहीं रह सकते। आजाद ने चिकित्सकों की सलाह से ज्यादा देशभक्ति को तवज्जो दी। भाजपा सांसदों ने माना कि आजाद की उपस्थिति से सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे आजाद प्रभावी तरीके से भारत का पक्ष रख रहे हैं। मुस्लिम देशों के नेता भी आजाद की बातों को गंभीरता से सुन रहे हैं। इसी प्रतिनिधि मंडल में एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं। ओवैसी ने भी आजाद की देश भक्ति की प्रशंसा की है। मालूम हो कि गुलाम नबी आजाद लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं। लेकिन तब उनमें देशभक्ति का ऐसा जज्बा देखने को नहीं मिला। कांग्रेस छोड़ने के बाद से आजाद की देशभक्ति देखने को मिल रही है।
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40-50 बेईमानों का दंड 800 योग्य अभ्यर्थियों को क्यों दिया जाए? एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करवाने के पीछे पेपर माफिया और स्वार्थी नेताओं का दबाव। अधिकांश चयनित अभ्यर्थी हर कसौटी पर खरे है। हाईकोर्ट और सरकार सोच विचार कर फैसला लें-जय राजपूताना संघ।
जय राजपूताना संघ के संस्थापक भंवर सिंह रेटा ने कहा कि एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करवाने के पीछे पेपर माफिया और स्वार्थी राजनेताओं का दबाव है, इसलिए हाईकोर्ट व राजय सरकार को सोच विचार कर फैसला लेना चाहिए। जो लोग इस परीक्षा को रद्द करवाने के लिए जयपुर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, उनका अब राजनीति में कोई अस्तित्व नहीं है। राजनीति में अपने वजूद को बनाए रखने के लिए धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। हकीकत तो यह है कि ऐसे ही नेताओं का संरक्षण प्रदेश के पेपर माफिया को हो। एसआई भर्ती परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने के आरोप में भी कुछ अभ्यर्थी पकड़े गए हैं, उनके मददगार भी ऐसे ही नेता रहे हैं। ऐसे नेता पहले पेपर माफिया को संरक्षण देते हैं और पकड़े जाने पर परीक्षा को रद्द करवाने का दबाव डलवाते हैं। रेटा ने कहा कि जांच एजेंसियों ने 17 अन्य परीक्षाओं में भी अनियमितताएं पाई है, लेकिन सिर्फ एसआई भर्ती को रद्द करने का ह दबाव बनाया जा रहा है। भाजपा सरकार में 18 गिरफ्तारियां के बाद जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। अब तक की जांच में यह पता चला है कि 40-50 अभ्यर्थियों ने ही अनुचित साधनों का उपयोग किया। सरकार ने हाईकोर्ट में भी पचास अभ्यर्थियों की जानकारी दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि 40-50 अभ्यर्थियों का दंड 800 चयनित अभ्यर्थियों को क्यों दिया जाए? राजस्थान लोक सेवा आयोग ने 843 चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की है। रेटा ने बताया कि सभी चयनित अभ्यर्थियों को बेईमान ठहराया जा रहा है, जबकि हकीकत इसके उलट है। आयोग की सूची के बाद सरप्राइज टेस्ट हुआ, इसमें अधिकांश अभ्यर्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। यदि इन अभ्यर्थियों ने नकल कर परीक्षा दी होती तो सरप्राइज टेस्ट में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त नहीं होते। जिन आठ सौ अभ्यर्थियों के दामन पर कोई दाग नहीं है, उनमें से 175 अभ्यर्थियों ने आरएएस प्री, पटवारी, रीट जैसी परीक्षा में सफलता हासिल की है। 205 अभ्यर्थियों तो 2016 की एसआई भर्ती की मेरिट सूची में भी थे। 360 चयनित अभ्यर्थियों ने आरएएस की मुख्य परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। इतना ही नहीं 836 चयनित अभ्यर्थी पहले से ही किसी न किसी सरकारी सेवामें है। रेटा ने कहा कि मीडिया ट्रायल, राजनीतिक दबाव पेपर माफिया का षडय़ंत्र आदि ने अभी तक 800 चयनित अभ्यर्थियों ने धैर्य और अनुशासन की मिसाल दी है, लेकिन इन 800 चयनित अभ्यर्थियों का भविष्य खराब किया गया तो फिर सड़कों पर संघर्ष किया जाएगा। चयनित अभ्यर्थियों की आंखों में आंसू है। जय राजपूताना संघ इन आंसुओं के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। रेटा ने एसआई भर्ती परीक्षा 2021 के मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के अब तक के रुख की प्रशंसा की है। रेटा ने उम्मीद जताई है कि सीएम शर्मा आठ सौ योग्य चयनित अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल रखेंगे। उन्होंने कहा कि एसओजी ने परीक्षा के सभी पहलुओं पर जांच कर ली है। अभी तक सिर्फ पचास अभ्यर्थियों पर ही आरोप लगे है। सरकार चाहे तो और बारीकी से जांच करवा ले। शेष बचे आठ सौ अभ्यर्थियों में से भी यदि कुछ पर संदेह हो तो उन पर कार्यवाही की जा सकती है, लेकिन पूरी परीक्षा को रद्द किया जाना न्याय विरुद्ध होगा। हाईकोर्ट भी एसओजी की जांच का विस्तृत अध्ययन करना चाहिए। रेटा ने बताया कि जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील, श्री राजपूत सभा जयपुर के अध्यक्ष रामसिंह चंद्र लाडू, भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने भी एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द नहीं करने का आग्रह किया है। रेटा ने बताया कि वे इस मुद्दे पर जन आंदोलन के लिए सक्रिय है। जन आंदोलन से जुड़े के लिए मोबाइल नंबर 9413933337 पर भंवर सिंह रेटा से संपर्क किया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (28-05-2025)
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Tuesday, 27 May 2025
शशि थरूर, मनीष तिवाड़ी, आनंद शर्मा जैसे कांग्रेसी विदेशों में जाकर भारत और सेना का गुणगान कर रहे हैं, वहीं राजस्थान के कांग्रेसी सीमा पर जाकर सेना पर सवाल उठा रहे हैं। सचिन पायलट आगे न निकल जाए इसलिए 75 वर्ष की उम्र में भी अशोक गहलोत 45 डिग्री के तापमान में बाड़मेर पहुंचे।
26 मई को राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने पाकिस्तान की सीमा से सटे बाड़मेर में जय हिंदू सभा की। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली, पूर्व मंत्री हरीश चौधरी आदि ने हाल ही में हुए भारत पाकिस्तान के युद्ध को लेकर केंद्र सरकार और सेना की कार्यवाही पर सवाल उठाए नेताओं ने सरकार से यह जानना चाहा कि युद्ध में भारत को कितना नुकसान हुआ तथा अमेरिका के दबाव में सीजफायर क्यों किया गया। राजस्थान के कांग्रेस नेताओं के भाषण पूरी तरह पाकिस्तान को मदद करने वाले थे। राजस्थान के कांग्रेसियों ने ऐसा तब किया, जब कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता शशि थरूर, मनीष तिवारी और आनंद शर्मा विदेशों में जाकर भारत और सेना का गुणगान कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर की यह कांग्रेसी विदेशों में बात रहे है कि पाकिस्तान एक आतंकी देश है और भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ही सैन्य कार्यवाही की है। शशि थरूर तो केंद्र की मोदी सरकार के नेतृत्व की भी प्रशंसा कर रहे हैं। भारतीय प्रतिनिधि मंडल में विदेश जाने वाले कांग्रेस नेताओं और राजस्थान की सीमा पर बयान देने वाले कांग्रेसी नेताओं के व्यवहार से प्रतीत होता है कि कांग्रेस में अंतर्विरोध चरम पर है। कांग्रेस में अभी भी कुछ नेता है जो देशहित में सोचते हैं, जबकि कुछ नेता अभी भी गांधी परिवार के साथ खड़े हैं। विदेश जाने वाले प्रतिनिधि मंडलों में कांग्रेस के नेता ही नहीं बल्कि विपक्ष के इंडिया गठबंधन में शामिल डीएमके टीएमसी, एनसीपी आदि दलों के नेता भी शामिल है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी देश भक्ति दिखाते हुए विदेशों में पाकिस्तान को आतंकी देश बता रहे हैं।
गहलोत भी बाड़मेर पहुंचे:
राजस्थान में अशोक गहलोत एक मात्र कांग्रेस के नेता हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा सत्ता का सुख भोगा है। गहलोत तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और तीन बार केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। लेकिन अब 75 वर्ष की उम्र में भी गहलोत का राजनीति से मोह कम नहीं हो रहा। 26 मई को जब बाड़मेर में 45 डिग्री तापमान रहा, तब भी गहलोत कांग्रेस की जयहिंद सभा में पहुंच गए। जानकारों की मानें तो अशोक गहलोत बाड़मेर की सभा में इसलिए पहुंचे ताकि कांग्रेस की राजनीति में सचिन पायलट आगे न निकल जाए। इस सभा में पायलट भी उपस्थित रहे। पायलट की बराबरी करने के लिए ही गहलोत ने अपनी उम्र और तापमान की परवाह किए बगैर बाड़मेर में उपस्थिति दर्ज कराई। गहलोत ने इतनी हिम्मत तब दिखा रहे है, जब उनके हार्ट की एंजियोप्लास्टी हो चुकी है। गहलोत कम से कम चार बार कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन राजनीति का चस्का अभी भी गहलोत से नहीं छूट रहा। गहलोत किसी भी स्थिति में राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट को आगे नहीं बढ़ता देखना चाहते हैं।
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अजमेर के दो विधानसभा क्षेत्र में एक दिन में चार नाबालिग लड़कियां मोबाइल के कारण बलात्कार की शिकार हुई। मोबाइल के कारण ही पुष्कर की आफरीन को आत्महत्या करनी पड़ी। आखिर नाबालिगों को मोबाइल क्यों दिया जाता है?
राजस्थान में 200 और देश में हजारों विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन मैं अजमेर के सिर्फ दो विधानसभा क्षेत्रों में एक दिन में चार नाबालिग लड़कियों के साथ हुए बलात्कार की घटनाओं का उल्लेख कर रहा हंू। यह चारों घटनाएं 27 मई 2025 के अखबारों में प्रकाशित हुई है। गंभीर और चिंताजनक बात यह है कि चारों नाबालिग लड़कियां अपने मोबाइल के कारण बलात्कार की शिकार हुई। चारों के अभिभावकों ने पुलिस में जो रिपोर्ट लिखाई उसके अनुसार साथी युवक ने मोबाइल से अश्लील फोटो और वीडियो बनाए और फिर बलात्कार करता रहा। अजमेर के गेगल थाना क्षेत्र की 17 वर्षीय छात्रा का आरोप रहा कि स्कूल में पढ़ने वाले जूनियर छात्र ने गांव के बाड़े में ही एक बार बलात्कार किया और फिर अश्लील वीडियो के माध्यम से तीन माह तक दुष्कर्म करता रहा। नाबालिग लड़की को मोबाइल भी आरोपी युवक ने ही दिया। पुलिस के अनुसार लड़का लड़की दोनों नाबालिग है। पुष्कर थाने पर दर्ज कराई रिपोर्ट के अनुसार हनुमान सिंह रावत ने एक नाबालिग छात्र का स्नान करते हुए अश्लील वीडियो बनाया और फिर एक साल तक ब्लैकमेल किया। नसीराबाद पुलिस स्टेशन पर दर्ज रिपोर्ट के अनुसार जयपुर के युवक योगेश पथरिया ने पहले नाबालिग छात्रा से दोस्ती की और फिर अश्लील वीडियो बनाकर बलात्कार किया। पुष्कर के निकट लीला सेवड़ी की रहने वाली 17 वर्षीय नाबालिग ने 26 मई को पुष्कर घाटी स्थित सांझी छत पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में आफरीन ने अपने मंगेतर साहिब को लिखा है कि उसने अपने मोबाइल पर किसी अन्य युवक से चैट नहीं की। पुलिस का मानना है कि साहिल को शक था कि नाबालिग का सगाई के बाद भी किसी अन्य युवक के साथ बात करती है। यानी नाबालिग की मौत का कारण भी मोबाइल ही रहा। जब एक दिन में मात्र दो विधानसभा क्षेत्रों में मोबाइल के कारण चार चार नाबालिग लड़कियां दुष्कर्म की शिकार हो रही है तो फिर राजस्थान और देश की भयावह स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। चारों मामले में मोबाइल की बुराइयां ही सामने आई है। सवाल उठता है कि नाबालिग लड़के लड़की को आखिर मोबाइल क्यों दिया जाता है? कुछ लोग कह सकते हैं कि नई शिक्षा के कारण मोबाइल देना जरूरी है। सवाल उठता है कि जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है, क्या वे पढ़ाई नहीं कर रहे। असल में अब स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के पास मोबाइल होना एक फैशन हो गया है। गंभीर बात तो यह है कि यह बीमारी ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गई है गांव की स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा को भी मोबाइल चाहिए। जो माता पिता स्वयं को प्रगतिशील मानते हैं वे माने या नहीं, लेकिन नाबालिग छात्र-छात्राओं के पास मोबाइल होने का मतलब है हाथ में जिंदा बम होना। कई घरों में तो देखा गया है कि माता पिता खुद भी मोबाइल का जरूरत से ज्यादा उपयोग करते हैं। अब समय आ गया है, जो बच्चों को खासकर लड़कियों को मोबाइल से दूर करने की जरूरत है। अजमेर के दो विधानसभा क्षेत्र में एक दिन के बलात्कार के आंकड़े बताते हैं कि यदि मोबाइल से सावधानी नहीं बरती गई तो हालात बहुत गंभीर होंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2025)
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859 में से 55 अभ्यर्थी ही फर्जीवाड़ा कर थानेदार बने इसलिए सरकार एसआई परीक्षा रद्द नहीं करेगी। जैसा कांग्रेस के शासन में चला वैसा ही भाजपा के शासन में चल रहा है-हाईकोर्ट
एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करने के मामले में राजस्थान की भाजपा सरकार हाईकोर्ट में तारीख पर तारीख ले रही है। 26 मई के लगातार तीसरा अवसर रहा, जब सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। हाईकोर्ट की जयपुर स्थित पीठ के न्यायाधीश समीर जैन ने तीन माह पहले कहा था कि यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेगी तो अदालत अपना वैसा फैसला सुना दगी। जस्टिस जैन के सख्त रवैये के बाद भी सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा रहा। पहले भारत पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य कार्यवाही को लेकर दो बार तारीख ली गई तो 26 मई को सरकार की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के दिल्ली चले गए। इसलिए एसआई भर्ती परीक्षा पर निर्णय नहीं लिया जा सका। चूंकि एक जून से 30 जून तक हाईकोर्ट में गर्मी की छुट्टियां होंगी, इसलिए अब एसआई भर्ती के मामले में एक जुलाई को सुनवाई होगी। 26 मई को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस समीर जैन ने जानना चाहा कि जब पुलिस मुख्यालय, जांच एजेंसी, मंत्रिमंडलीय उप समिति आदि सभी ने एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की है तो फिर सरकार इस परीक्षा को रद्द क्यों नहीं कर रही? इसके जवाब में महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद का कहना रहा कि पहले ऐसा अनुमान था कि 859 अभ्यर्थियों में से आधे से ज्यादा ने अनुचित साधनों का उपयोग कर परीक्षा उत्तीर्ण की है, लेकिन अब पता चला है कि मात्र 55 अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़ा किया है। सरकार ने इन सभी 55 अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग के दौरान ही बर्खास्त कर दिया है। ऐसे में सरकार यह विचार कर रही है कि पूरी परीक्षा को रद्द क्यों किया जाए। महाधिवक्ता के इस कथन से प्रतीत होता है कि राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द नहीं करेगी। 26 मई को हुई सुनवाई के दौरान परीक्षा रद्द करने की याचिका दायर करने वालों के वकील आरपी सिंह ने जानना चाहा कि आखिर भाजपा सरकार में यह क्या चल रहा है? सरकार आखिर निर्णय क्यों नहीं ले रही। इस पर जस्टिस समीर जैन ने एडवोकेट आरपी सिंह से पूछा कि आपकी सरकार में क्या चल रहा था? मालूम हो कि कांग्रेस की सरकार में आरपी सिंह अतिरिक्त महाअधिवक्ताथे। अशोक हलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए भी कांग्रेस के शासन में एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने के निर्णय नहीं लिया जा सका। जबकि अभ्यर्थियों को फर्जीवाड़ा कांग्रेस के शासन में ही उजागर हो गया था। यानी इस परीक्षा को लेकर जैसा कांग्रेस के शासन में चल रहा था, वैसा ही भाजपा के शासन में चल रहा है। कांग्रेस के शासन में भाजपा के नेता और भाजपा के शासन में कांग्रेस के नेता इस परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
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Monday, 26 May 2025
बेनीवाल समर्थकों को सरकार की ओर से अफसरों ने भरोसा दिलाया। आखिर आरपीएससी का पुनर्गठन कैसे होगा?
एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने, राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) का पुनर्गठन करने, भ्रष्टाचार मिटाने जैसी मांगों को लेकर 25 मई को जयपुर के मानसरोवर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने युवाओं की एक बड़ी सभा की। इस युवा आक्रोश सभा में प्रदेश भर के युवा एकत्रित हुए। भीड़ को देखते हुए बेनीवाल ने कहा कि अब मैं किसी से डरने वाला नहीं। मैंने जो मांगे रखी है उसे राज्य की भाजपा सरकार को पूरा करना ही पड़ेगा। बेनीवाल चाहते थे कि सरकार का कोई मंत्री आकर मांगें पूरी करने का आश्वासन दे, लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि कोई मंत्री बेनीवाल से मिलने नहीं जाएगा। हालांकि बाद में बीच का रास्ता निकालते हुए जयपुर के पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज और संभागीय आयुक्त पूनम, बेनीवाल की सभा में पहुंची। इन दोनों अधिकारियों ने कहा कि जो मांगे रखी गई हैं उन्हें सरकार तक पहुंचा दिया जाएगा। दोनों अधिकारियों के आने को ही बेनीवाल ने अपनी बड़ी उपलब्धि माना। उन्होंने कहा कि मंत्रियों की बात का तो कोई भरोसा नहीं होता, लेकिन अफसरों की बात पर भरोसा किया जा सकता है। हालांकि सभा में मौजूद अनेक युवा अधिकारियों के कथन से संतुष्ट नहीं थे। कुछ युवाओं ने जब नारेबाजी की तो बेनीवाल ने डांटते हुए कहा कि तुम्हारे माता पिता ने हनुमान बेनीवाल के भरोसे पर जयपुर की सभा में भेजा है। मैं चाहता हंू कि सभी युवा सुरक्षित तौर पर अपने अपने घरों पर पहुंच जाए। बेनीवाल ने कहा कि अब सरकार को एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करनी ही पड़ेगी। बेनीवाल ने आरपीएससी के पुनर्गठन की जो बात कही उसको लेकर सवाल उठ रहा है कि आखिर पुनर्गठन कैसे होगा? संविधान के मुताबिक आयोग के किसी भी सदस्य को हटाया नहीं जा सकता है। पूर्व में जिन बाबूलाल कटारा को पेपर लीक के मामले में राज्यपाल ने निलंबित किया उन्हें भी अभी तक राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त नहीं किया गया है। जब पेपर लीक के आरोपी कटारा ही नहीं हट सके हैं, तब मौजूदा किसी सदस्य को कैसे हटाया जा सकता है। सरकार सिर्फ आयोग के सदस्यों के रिक्त पदों पर ही नियुक्ति कर सकती है, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि भाजपा के शासन में पिछले छह माह से आयोग के अध्यक्ष और एक सदस्य का पद रिक्त पड़ा है। जो सरकार रिक्त पदों पर भी अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्त नहीं कर रही, वह आयोग का पुनर्गठन कैसे करेगी? आयोग में सदस्यों की कमी को चलते कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आरएएस जैसी प्रतिष्ठित भर्ती परीक्षा के इंटरव्यू भी मात्र एक चयन बोर्ड द्वारा लिए जा रहे हैं। इससे प्रदेश भर के अभ्यर्थी परेशान है। ऐसी ही स्थिति अन्य परीक्षाओं को लेकर भी है।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-05-2025)
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पाकिस्तान अब हमारी महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने की हिमाकत नहीं कर सकता। महिलाओं के जोश के कारण अजमेर दक्षिण क्षेत्र सिंदूर मय हुआ। विधायक भदेल के नेतृत्व में विशाल सिंदूर यात्रा निकली।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और भारतीय सेना के समर्थन से 25 मई को अजमेर के दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में विधायक अनिता भदेल के नेतृत्व में विशाल सिंदूर यात्रा निकली। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय से शुरू होकर जब महिलाओं की यह यात्रा मार्टिंडल ब्रिज पर पहुंची तो महिलाओं का जोश आसमान पर था। 25 मई को भले ही अजमेर का तापमान 40 डिग्री से ऊपर हो, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाने में महिलाओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लाल रंग की साड़ी पहने और हाथ में तिरंगा लेकर महिलाओं ने जो जोश दिखाया। उससे अजमेर का दक्षिण क्षेत्र सिंदूर मय हो गया। यात्रा का समापन राजा साइकिल चौराहे पर हुआ। यात्रा में शामिल हजारों महिलाएं अपने घरों से सिंदूर लेकर आई थी। सभी ने सिंदूर के माध्यम से सेना के शौर्य को सलाम किया। इस अवसर पर क्षेत्र की भाजपा विधायक अनिता भदेल ने कहा कि अजमेर जैसा जज्बा देश भर की महिलाओं में है। गत 22 अप्रैल को पहलगाम की आतंकी घटना का उल्लेख करते हुए भदेल ने कहा कि अब पाकिस्तान हमारी महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने की हिमाकत नहीं कर सकता है। भदेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो रणनीति बनाई उसी का परिणाम रहा कि हमारी सेना ने पाकिस्तान में घुस कर सौ आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। सेना ने जो काम किया उसकी वजह से पाकिस्तान परस्त आतंकवादी डर गए है। सेना के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी बंद नहीं किया गया है। जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के खिलाफ फिर से सैन्य कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। सेना की हौसला अफजाई के लिए ही अजमेर में भी महिलाओं ने सिंदूर यात्रा निकाली है। सभा के अंत में भदेल ने यात्रा को सफल बनाने के लिए महिलाओं के विभिन्न संगठनों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि अजमेर की महिलाओं ने भी यह जता दिया है कि वह देश की अन्य महिलाओं से पीछे नहीं है। सिंदूर यात्रा की सफलता के लिए मोबाइल नंबर 9829270288 पर विधायक भदेल को बधाई दी जा सकती है।
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अजमेर के ट्रैफिक प्लान से पहले चौराहों को मूल मास्टर प्लान के अनुरूप बनाया जाए। जब इसी वर्ष जनगणना होनी है तो फिर 2011 को आधार मानकर प्लान क्यों बनाया जा रहा है? आर्किटेक्ट धर्मेन्द्र जैन ने एडीए पर उठाए गंभीर सवाल।
अजमेर विकास प्राधिकरण ने अजमेर का ट्रैफिक प्लान बनाने के लिए दिल्ली की एक एजेंसी को 1 करोड़ 15 लाख रुपए में ठेका दिया है। यह कंपनी 2011 की अजमेर की जनसंख्या के आधार पर ट्रैफिक प्लान बनाएगी। प्राधिकरण के इस फैसले पर अजमेर के आर्किटेक्ट धर्मेन्द्र जैन ने कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि 2011 की जनसंख्या के आधार पर 2025 में ट्रैफिक प्लान बनाना बेवकूफी भरा निर्णय है। जब इसी वर्ष जनगणना होनी है तो फिर 15 वर्ष पूर्व की जनसंख्या के आधार पर ट्रैफिक प्लान क्यों बनाया जा रहा है? जैन ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भी अधिकारियों ने बेवकूफी वाले फैसले किए जिसका परिणाम आज अजमेर शहर भुगत रहा है। खुद अफसरों को सुप्रीम कोर्ट से लताड़ पड़ रही है। 12 करोड़ की लागत से सेवन वंडर और फूड प्लाजा की इमारत टूटने से जाहिर है कि अधिकारियों ने कितने बेवकूफी वाले निर्णय लिए। आर्किटेक्ट जैन ने कहा कि ट्रैफिक प्लान बनाने से पहले अजमेर शहर के चौराहों को मूल मास्टर प्लान के तहत बनाया जाए। मौजूदा समय में अधिकांश चौराहों के आसपास अतिक्रमण हो गए हैं। जिसकी वजह से चौराहों का स्वरूप ही समाप्त हो गया है। जब तक चौराहे शहरी मास्टर प्लान के अनुरूप नहीं बनेंगे, तब तक ट्रेफिक प्लान बनाने का कोई फायदा नहीं है। जैन ने अजमेर शहर के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से आग्रह किया कि वह ट्रेफिक प्लान वाले मामले में दखल दे। उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा चौराहों और 2011 की जनसंख्या के आधार पर ट्रैफिक प्लान बनाया जाता है तो अजमेर की जनता के एक करोड़ 15 लाख रुपए पानी में डूब जाएंगे। मालूम हो कि 2011 में अजमेर शहर की जनसंख्या 5 लाख 50 हजार आंकी गई थी। अजमेर के ट्रेफिक चौराहों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829070743 पर धर्मेन्द्र जैन से ली जा सकती है।
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आखिर ब्यावर के हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह के घर पर चल ही गया बुलडोजर। जेसीबी पर याकूब काठात को उल्टा लटका कर पीटने का मामला।
आखिर कर अजमेर संभाग के ब्यावर जिले के हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह के रायपुर स्थित आवास पर बुलडोजर चल ही गया। प्रशासन ने हिस्ट्रीशीटर के गुडिय़ा गांव के मकान पर बने अवैध निर्माण को जेसीबी धराशायी कर दिया। यह कार्यवाही 26 मई को सुबह सुबह की गई। तेजपाल सिंह पर युवक याकूब काठात को जेसीबी पर उल्टा लटका कर बुरी तरह पीटने का आरोप है। हिस्ट्रीशीटर के मकान पर बुलडोजर चलाने का मुद्दा 25 मई को लिखे ब्लॉग में उठाया गया था। आमतौर पर ऐसे मामलों में पुलिस आरोपी के मकान पर बुलडोजर चलाती है। युवक याकूब काठात की पिटाई के मामले को भी प्रशासन और पुलिस ने गंभीरता से लिया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए तेजपाल सिंह के मकान के पर भी बुलडोजर चलाया। इससे पहले 25 मई को तेजपाल सिंह को गिरफ्तार किया और बाजार में जुलूस निकाला गया। ब्यावर के लोगों ने देखा कि जो तेजपाल याकूब काठात को बेरहमी से पीट रहा था, उसी तेजपाल सिंह को सड़क पर चलने में कठिनाई हो रही थी। कहा जा सकता है कि पुलिस ने तेजपाल सिंह की गुंडाई की हवा निकाल दी। प्रशासन और पुलिस ने यह संदेश दिया है कि यदि कोई दबंग व्यक्ति कानून को अपने हाथ में लेगा तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। मालूम हो कि डीजल चोरी के शक में तेजपाल सिंह ने युवक याकूब की बेरहमी से पिटाई की थी। 7 अप्रैल की इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर 24 मई को वायरल हुआ। वीडियो के वायरल होने के बाद ही घटना की जानकारी का पता चला। जिस अमानवीयता के साथ याकूब को पीटा गया उसका वीडियो राष्ट्रीय न्यूज चैनलों पर प्रसारित हुआ। सरकार पर जो दबाव बना उसी का नतीजा रहा कि ब्यावर प्रशासन को हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह का जुलूस निकालना पड़ा और अगले दिन मकान पर बुलडोजर भी चलाया गया।
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Sunday, 25 May 2025
सीपी जोशी जैसी अध्यक्षी कर रहे है वासुदेव देवनानी इसलिए कहा-आरोप लगाने से पहले कांग्रेस अपने गिरेबान में झांके। भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द करने का मामला।
23 मई को सुबह 8 बजे राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की और आरोप लगाया कि भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को अदालत द्वारा तीन वर्ष की सजा दे दिए जाने के बाद भी मीणा की विधानसभा की सदस्यता समाप्त नहीं की जा रही है। हाईकोर्ट ने जूली की इस याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया। जुलाई माह में सुनवाई होती इससे पहले ही 23 मई को 10:30 बजे विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कंवरलाल मीणा की विधायकी को समाप्त कर दिया। अब कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने हाईकोर्ट में दायर याचिका को देखते हुए मीणा की विधायकी समाप्त की है। मीणा की विधायकी समाप्त होने का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष देवनानी का कहना है कि कांग्रेस आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांक ले। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मैं किसी दबाव में काम नहीं करता। देवनानी ने कहा कि मैं नहीं चाहता था कि कंवरलाल मीणा के मामले का हश्र राहुल गांधी के मामले जैसा हो। इसलिए मैंने नियमों के दायरे में रहते हुए राज्य के महाधिवक्ता से राय ली और फिर सजा पाने वाले विधायक की सदस्यता समाप्त कर दी। यहां यह उल्लेखनीय है कि मानहानि के एक मामले में जब सूरत की जिला अदालत ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को तीन वर्ष की सजा सुनाई तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अगले दिन ही राहुल गांधी की सदस्यता को समाप्त कर दिया। यहां तक कि उनसे सांसद वाला बंगला भी खाली करवा दिया। यह बात अलग है कि कुछ दिनों बाद हाईकोर्ट ने सूरत की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। बाद में लोकसभा अध्यक्ष को राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करनी पड़ी। भाजपा विधायक मीणा ने जब हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की तो गत 1 मई को सुप्रीम कोर्ट से स्टे ऑर्डर नहीं मिला। सर्वोच्च अदालत से भी राहत नहीं मिलने के बाद ही देवनानी ने महाधिवक्ता से राय ली और फिर मीणा की सदस्यता समाप्त कर दी। अब मीणा के पास सदस्यता बहाली का कोई रास्ता नहीं रहा। सवाल उठता है कि देवनानी ने कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकने की बात क्यों कही? जानकारों के अनुसार 25 सितंबर, 2022 को कांग्रेस के शासन में जब कांग्रेस के 90 विधायकों ने विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष सीपी जोशी को सामूहिक इस्तीफा सौंपा तो लंबे समय तक जोशी ने इस्तीफों पर कोई निर्णय नहीं लिया। तब भाजपा के नेताओं ने भी सीपी जोशी को ज्ञापन दिए थे। तब यह तर्क दिया गया कि किस मुद्दे पर अध्यक्ष कब निर्णय लेते हैं यह अध्यक्ष का विशेषाधिकार है। कई महीनों तक जब सीपी जोशी ने विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय नहीं लिया, तब भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद भी इस्तीफों पर निर्णय नहीं लिया जा सका, लेकिन जब हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाने की बात कही तो विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने सभी 90 विधायकों के इस्तीफे अस्वीकार कर दिए। यानी इस्तीफों को अस्वीकार करने में छह माह से भी ज्यादा का समय लग गया। कहा जा सकता है कि जिस तरह सीपी जोशी ने अध्यक्षी की उसी तरह वासुदेव देवनानी भी कर रहे हैं, इसलिए देवनानी पर कोई आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपनी सरकार के समय के विधानसभा अध्यक्ष के कामकाज को देख लेना चाहिए।
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क्या ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को भारत से अलग समझती है? नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लिया।
24 मई को दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इस बैठक का महत्व इसलिए भी रहा कि इसमें विकसित भारत का रोड मैप बनाने तथा केंद्र व राज्यों के संबंधों को और बेहतर बनाने पर विमर्श हुआ। बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों को आमंत्रित किया गया, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग नहीं लिया। बैठक का बहिष्कार कर ममता बनर्जी ने एक बार फिर प्रदर्शित किया है कि उनका पश्चिम बंगाल भारत से अलग है। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी हर मौके पर केंद्र सरकार के साथ टकराव करती है। ममता ने राज्यपाल के अधिकारों को भी चुनौती दे रखी है। यहां तक कि वे राज्यपाल के पद को ही स्वीकार नहीं कर रही। जो निर्णय राज्यपाल की सहमति से होने चाहिए, उन पर ममता बनर्जी खुद निर्णय ले रही है। सीबीआई और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियां की एंट्री पर भी रोक लगाई गई है। पश्चिम बंगाल पर हिंदुओं पर अत्याचार होना आम बात है, लेकिन ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार हमलावरों पर ठोस कार्यवाही नहीं कर रही। ऐसे कई मौके आए हैं, जब ममता सरकार का हिन्दू विरोधी चेहरा उजागर हुआ हे। पश्चिम बंगाल में ऐसे अनेक जिले हैं जो मुस्लिम बहुसंख्यक है। आरोप है कि इन जिलों में बांग्लादेशियों को शरण दी गई और अब उनके पास सरकार के वैध दस्तावेज भी है। लाखों बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल में मतदाता भी बन गए है। समय रहते फिर भारत को पश्चिम बंगाल में विपरीत हालातों का सामना करना पडेगा।
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आरजीएचएस का मतलब अस्पताल, चिकित्सक, कार्मिक, मेडिकल स्टोर और सरकार का हैरेसमेंट । 250 करोड़ वाला बजट 350 करोड़ तक पहुंच रहा है। यानी प्रतिमाह 100 करोड़ ज्यादा। निजी अस्पतालों और ब्यूरोक्रेसी के बीच समझ का अभाव। मेडिकल वाले आईएएस डॉक्टर समित शर्मा पशुपालन विभाग का काम देख रहे हैं।
राजस्थान में सरकारी कर्मियों के लिए आरजीएचएस (राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) चल रही है। इसके अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों का निजी अस्पतालों में फ्री इलाज की सुविधा है। लेकिन अब यह स्कीम अस्पतालों, चिकित्सकों, कार्मिकों, मेडिकल स्टोर और खुद सरकार के लिए हैरेसमेंट स्कीम बन गई है। सरकार ने मोटे तौर पर इस स्कीम में 250 करोड़ रुपए प्रतिमाह का प्रावधान कर रखा है, लेकिन सरकार के पास निजी अस्पतालों से 350 करोड़ रुपए से भी ज्यादा बिल पहुंच रहे हैं। सरकार को लगता है कि निजी अस्पताल फर्जीवाड़ा कर रहे हैं और निजी अस्पतालों के मालिकों को लगता है कि सरकार बेवजह परेशान कर रही है। फर्जीवाड़े की आशंका के मद्देनजर सरकार ने निजी अस्पतालों को 100 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया है। इतना ही नहीं फर्जीवाड़े की आशंका को देखते हुए प्रदेश के कई प्रतिष्ठित अस्पतालों पर जुर्माना लगाया गया है, तो कई अस्पतालों को इस स्कीम से पृथक (ब्लैकलिस्ट) कर दिया है। ब्यूरोक्रेसी ने लिखित में तो कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन इशारा किया है कि आरजीएचएस में मरीजों की संख्या घटा दी जाए। यही वजह है कि निजी अस्पतालों आरजीएचएस काउंटरों पर लंबी लाइन लगने लगी है और आए दिन अस्पताल प्रबंधन तथा सरकारी कार्मिकों के साथ विवाद हो रहा है। कार्मिकों को लगता है कि निजी अस्पताल इलाज नहीं करना चाहते और निजी अस्पतालों के ऊपर ब्यूरोक्रेसी का डंडा है। ब्यूरोक्रेसी ने निजी अस्पतालों से कहा दिया है कि यदि मरीजों की संख्या नहीं घटाई तो किसी भी बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा। ब्यूरोक्रेसी के डंडे से बचने के लिए अब प्रदेश भर के निजी अस्पतालों ने निर्णय किया है कि सरकार की इस स्कीम में किसी भी मरीज का इलाज नहीं किया जाएगा। राजधानी जयपुर और जोधपुर, उदयपुर शहरों के बड़े अस्पतालों ने तो सरकारी कर्मचारियों का इलाज करना भी बंद कर दिया है। अस्पतालों का कहना है कि जब मरीज की फोटो और अंगूठा अस्पताल के कम्प्यूटर (सरकारी पोर्टल) पर लगवाया जा रहा है, तब फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं है। हो सकता है कि गली मोहल्लों में चलने वाले कुछ निजी अस्पताल गड़बडिय़ां कर रहे हो,ं लेकिन जिन निजी अस्पतालों में सौ से अधिक कर्मचारी कार्यरत हो वहां ऐसा फर्जीवाड़ा संभव नहीं है। लेकिन ब्यूरोक्रेसी सभी अस्पतालों को एक डंडे से हांक रही है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है कि ब्यूरोक्रेसी और अस्पतालों के बीच समझ का अभाव है। मौजूदा समय में प्रदेश के वित्त विभाग में व्यय सचिव का जिम्मा नवीन जैन के पास है। चूंकि नवीन जैन को चिकित्सकीय शिक्षा का ज्ञान नहीं है, इसलिए वे ऐसे निर्देश दे रहे हैं। जो अस्पतालों के डॉक्टरों के समझ से परे है। वहीं चिकित्सा शिक्षा के डॉ. समिति शर्मा के पास पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने आईएएस अफसरों के बीच कार्य का विभाजन किस प्रकार से हो रखा है। सरकार को यदि आरजीएचएस को सफल बनाना है तो ऐसे आईएएस की नियुक्ति करनी होगी जो चिकित्सा शिक्षा को भी समझता हो। निजी अस्पताल पहले से ही मांग कर रहे है कि आरजीएचएस में इलाज की दरों को बढ़ाया जाए। सरकार दरों को बढ़ाने के बजाए अस्पतालों पर जुर्माना लगा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को चाहिए कि वह सीधे तौर पर निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों से संवाद करें और समस्या का समाधान निकाले। यदि तत्काल कोई समाधान नहीं निकाला तो इलाज के अभाव में मरीजों की मौतों की खबर आने लगेगी। ब्यूरोक्रेसी ने डंडे का जो डर दिखा रखा है उसकी वजह से अस्पतालों में गंभीर मरीजों का इलाज भी नहीं हो रहा। इस मामले में राज्य कर्मचारियों के जो संगठन बने हुए हैं, उन्हें भी दखल देना चाहिए। सबसे ज्यादा परेशानी अधिक उम्र के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हो रही है। सरकारी अस्पतालों का हाल तो नरक जैसा है, इसलिए कोई भी कर्मचारी अपना इलाज सरकार के अस्पताल में नहीं करवाना चाहता।
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युवक को जेसीबी पर लटका कर बुरी तरह पीटा। घटना की जानकारी डेढ़ माह तब ब्यावर पुलिस को न होना, सरकार के दामन पर दाग है। क्या हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह के घर पर बुलडोजर चलेगा।
राजस्थान के अजमेर रेंज के अधीन आने वाले ब्यावर जिले के रायपुर थाना क्षेत्र के गुडिया गांव में हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह उदावत ने युवक याकूब काठात को जेसीबी पर लटकाया और फिर बैल्ट व डंडे से बुरी तरह पिटाई की। हिस्ट्रीशीटर ने युवक याकूब के दोनों पैर रस्सी से बांध और फिर जेसीबी के हुक को ऊंचा कर उल्टा लटका दिया। हिस्ट्री शीटर तेजपाल कई जेसीबी और डंपरों का मालिक है। युवक काठात इन्हीं डंपरों और जेसीबी को चलाने का काम करता है। तेजपाल सिंह को शक रहा कि याकूब जेसीबी और डंपरों से डीजल चोरी कर रहा है। कायदे से तेजपाल सिंह को डीजल चोरी की रिपोर्ट रायपुर पुलिस थाने पर करनी चाहिए थी, लेकिन उसे पता था कि पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करेगी, इसलिए उसने अपने गांव के घर में याकूब काठात को दंड दिया। अमानवीय कृत्य वाली यह घटना 7 अप्रैल की है। लेकिन 23 मई तक पुलिस को इस घटना की जानकारी नहीं हुई। 24 मई को जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी हुआ तो पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह को गिरफ्तार किया। इतनी बड़ी और अमानवीय घटना की जानकारी डेढ़ माह तक पुलिस को न लगना राजस्थान की भाजपा सरकार के दामन पर दाग है। यह सही है कि याकूब काठात ने भी पुलिस को कोई रिपोर्ट नहीं लिखवाई, लेकिन मौखिक तौर पर याकूब ने अनेक लोगों को घटना की जानकारी दी। यदि अजमेर रेंज की ब्यावर पुलिस गंभीर होती तो घटना की जानकारी हो जाती। 24 मई को टीवी चैनलों पर वीडियो के प्रसारण और 25 मई को अखबारों में खबरें छपने के बाद राज्य सरकार को भी इस घटना के लिए शर्मसार होना पड़ रहा है। जाहिर है कि ब्यावर पुलिस अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रही है। यह वही ब्यावर पुलिस है, जिसके अधीन आने वाले विजयनगर में अनेक स्कूली छात्राओं का यौन शोषण हुआ। सरकार ने तब भी संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की। अब सरकार को शर्मसार करने वाला एक और मामला उजागर हुआ हो गया है। राजस्थान में यह पहली घटना है, जिसमें युवक को जेसीबी पर उल्टा लटकाकर बेरहमी से पीटा गया है। सवाल उठता है कि क्या हिस्ट्रीशीटर तेजपाल सिंह के घर पर अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए बुलडोजर चलाया जाएगा? सरकार ऐसे मामलों में बुलडोजर की कार्यवाही करती रही है। जांच का विषय यह भी है कि आखिर तेजपाल सिंह जैसे हिस्ट्रीशीटर को पुलिस के किन अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। बिना संरक्षण के तेजपाल सिंह ऐसी गुंडाई नहीं कर सकता। हो सकता है कि तेजपाल सिंह को कुछ राजनेताओं का भी संरक्षण हो। आने वाले दिनों में सोशल मीडिया पर संरक्षण देने वालों के साथ फोटो और वीडियो भी वायरल हो सकते हैं।
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भारतीय महिलाएं भी सीमा पर जाकर पाकिस्तान को धूल चटा सकती हैं। अजमेर के विजय स्मारक पर सिंदूर शौर्य मातृ शक्ति श्रृंखला ।
24 मई की शाम को अजमेर के बजरंगगढ़ स्थित विजय स्मारक पर सिंदूर शौर्य मातृ शक्ति श्रृंखला बनाई गई। इसमें बड़ी संख्या में सर्व समाज की महिलाओं ने भाग लिया। सिंदूरी रंग की साड़ी पहनी महिलाएं जब हाथ में तिरंगा लेकर पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगा रही थी, तब विजय स्मारक का माहौल देशभक्ति पूर्ण हो गया। जोश से भरी महिलाओं ने भारतीय सेना के समर्थन में भी जमकर नारे लगाए। महिलाओं की प्रतिनिधि श्वेता फौजदार और मनिषी इंदौरिया ने कहा कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने हमारी महिलाओं का जो सिंदूर उजाड़ने का काम किया उसका जवाब भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर दिया। पाकिस्तान में चल रहे 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की कार्यवाही से पता चलता है कि हमारी सेना में कितना दम है। जब हमारी सेना ने पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन को हवा में ही उड़ा दिया तब पूरी दुनिया ने भारतीय सेना के शौर्य को देखा। उन्होंने कहा कि भारत की प्रत्येक महिला भी सीमा पर जाकर पाकिस्तान को धूल चटाने की क्षमता रखती है। सेना के सम्मान के लिए ही अजमेर में सिंदूर शौर्य मातृ शक्ति शृंखला बनाई गई है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत में रह कर ही गद्दारी का काम कर रहे हैं। उन्हें अब मातृ शक्ति को समझ लेना चाहिए। जब हम जैसी महिलाएं सीमा पर जाने को तैयार है तो गद्दारों को भी सबक सिखा सकती है। देश ने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर वोमिका सिंह के माध्यम से भारतीय महिलाओं की शक्ति देख ली है। इन दोनों सैन्य महिला अधिकारियों ने जिस बुद्धिमता के साथ ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी उसकी प्रशंसा दुनिया भर में हो रही है। इस अवसर पर कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर वोमिका सिंह के समर्थन में भी नारे लगाए गए। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर मातृ शक्ति के ऐसे प्रदर्शन होते रहेंगे।
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Thursday, 22 May 2025
हनुमान बेनीवाल की टिप्पणी का चारण विद्वान गिरधर दान रत्नू ने सटीक जवाब दिया है।
राजस्थान के नागौर से आरएलपी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान की रियासतों को लेकर जो गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की उस पर मैंने 20 मई को ब्लॉक संख्या ।। हजार 607 लिखा था। मेरे इस ब्लॉग पर प्रदेश भर से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई। कुछ साहित्यकारों ने राजपूतों के इतिहास के बारे में जानकारी दी। कुछ ने राजस्थान के संघर्ष में राजपूत. रियासतों के योगदान के बारे में लिखा मुझे बीकानेर के चारण विद्वान गिरधर दान रत्नू द्वारा लिखा गया एक लेख भी प्राप्त हुआ। मुझे लगता है कि चारण विद्वान रत्नू ने हनुमान बेनीवाल की टिप्पणी का सटीक जवाब दिया है। मैं यहां गिरधर दान रत्नू के लिखे को ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर रहा है। मैं यहां यह भी बताना चाहता हूं कि साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए रत्न को आगामी 8 जून को अजमेर स्थित चारण शोध संस्थान में सम्मानित किया जाएगा रत्नू को डॉ. शक्तिदान कविया पुरस्कार दिया जा रहा है। इस बारे में और अधिक जानकारी मोबाईल नम्बर 9982032642 पर विद्वान गिरधर दान रत्नू से ली जा सकती है।
मित्रों !
जय माताजी री।
देवकरण जी इंदोकली लिखते हैं कि राजपूत हमेशा से भारत के रक्षक रहें हैं, क्योंकि यह रणबांकुरे हैं।समरांगण में कभी शंकित नहीं हुए।एकाध युद्ध नहीं अपितु हजारों वार शत्रुओं से लड़ें हैं।सिर पड़ने पर भी लड़ते रहें हैं।यही कारण है इन वीर क्षत्रियों से भारत की जनता उपकृत हुई है।ऐसे में अगर कोई क्षत्रियों की निंदा करता है तो उसे धिक्कारना चाहिए।धिक्कारने से नहीं मानता है तो ऐसे लोगों के मुख पर तमाचा मारना चाहिए--
राजपूत रखवाऴ ,वीर भारत रा बंका।
भड़ पड़िया रणभोम,समर नह लाया संका।
सिर पड़ियां समसेर,वजाई कई वारां।
वीरां रा कई बार,हुवा उपकार हजारां।
क्षत्रियां तणी निंदा करै (ज्यांनै)धिक धिक कह धिक्कारणो।
देखजो फरज सब देश रो,(ज्यांरै)मुख पर रेपट मारणो।।
मित्रों!कविवर का आशय तो तमाचा मारने से ही है लेकिन मैं आपसे ऐसा घिनौना आव्हान नहीं कर सकता।मेरा तमाचा मारना का मतलब सोट से नहीं वोट से हैं।वोट देते समय आप ऐसे लोगों की हरकतों, धूर्तताओं व घृणा को भूल जाते हैं।
लेकिन क्षमा करना मैं आपकी टिप्पणियों से भी विनम्रता के साथ असहमत हूं। क्योंकि
राजस्थानी का एक दोहा है । जिसमें कवि लिखता है कि विद्वान ,मूर्ख के पास धन देखकर अपनी विद्वत्ता त्यागकर मूर्ख सा आचरण नहीं कर सकता।उसी प्रकार वेश्या के पास आभूषण देखकर शीलवान स्त्री आभूषण प्राप्ति के लिए अपने चरित्र के चिथड़े नहीं उड़ा सकती--
पंडित विद्या न परहरै,मूरख धन अवरेख।
सुलटा तजै न शीलता,कुलटा भूषण देख।।
अतः मित्रों अभी सोशल मीडिया पर हमारे राजस्थान के माननीय एक सांसद की ओछी व विकृत मानसिकता का प्रत्युत्तर कुछ मित्र उसी प्रकार दे रहें हैं।
वे अपनी कुल परंपरा, संस्कार व संस्कृति कैसे भूल रहें हैं?यह मेरी समझ से बाहर है।भाषायी दरिद्रता पर अगर क्षत्रिय उतर आएंगे तो पीछे कुछ बचेगा ही नहीं।
एक व्यक्ति की मानसिकता के लिए पूरा समाज उत्तरदायी नहीं हो सकता ।समाज को इंगित कर लिखने का मतलब है आप इन महाशय के खोदे गए खंडे में विवेकशून्य होकर गिर रहें हैं।आपके पूर्वजों ने एक व्यक्ति की ग़लती शायद ही किसी पूरी जाति पर थोपी हो!अगर वे ऐसा करते तो सभी जातियां सदियों तक समर्पित भाव से उनके साथ नहीं रहती ।
अतः अभिव्यक्ति की शक्ति का ऐसा रूप न दिखाएं कि उनमें और आपमें भेद की रेखा ही समाप्त हो जाए।
वैसे आप लिखने के लिए स्वतंत्र हैं,मेरा तो केवल आत्मिक लगाव के कारण मीठा उलाहना है।शायद अब आपमें उसे झेलने की शक्ति ईश्वर ने शेष रखी है अथवा नहीं। संकोचवश कुछ कह नहीं सकता।
परंतु आपने कभी सोचा है कि किसी कुपात्र के सीता को सत्यहीन कहने से,लक्ष्मण को जती न मानने से,भीम को महाभारत का भगौड़ा कहने से व हनुमान के लिए यह कह देना कि उन्होंने लंका का विध्वंस नहीं किया।तो क्या यह एक कुपात्र के कहने मात्र से जनमानस मान लेगा-
कहियो किणी कुपात सीता कूं सील असती।
कहियो किणी कुपात,जती लिछमण नह जती।
कहियो किणी कुपात,भीम भारथ में भग्गो।
कहियो किणी कुपात,लंक गढ़ हणूं न लग्गो।
उसी प्रकार मेरा भी निवेदन है कि एक बोल बिगाड़े के कहने से क्षत्रिय कातर कहलाने लग जाएंगे?आपका आत्मविश्वास एक आदमी के गरल उगलने से डगमगाने लग गया।आप सदियों से धारित संस्कारों को त्यागकर व्यक्ति की जगह जाति को इंगित करने लग गए।ऐसे वाचाल लोग तो यही चाहते हैं । क्योंकि यह गांव बिरादरी में आपकी सर्वस्वीकार्यता से कुंठित है।यह भाषायी मलीनता उसी की सूचक है।
मैं इतिहास का विद्यार्थी नहीं रहा ,लेकिन इतिहास में मेरी गहरी रुचि रही है।यहां के राजा-महाराजाओं से लेकर गांव धणियों तक की गौरव गाथाएं भी सुनी है तो कुछ उनकी कमियों को भी सुना है।वे कमियां भी व्यक्तिगत ही थी,न कि जातिगत।अगर ऐसा होता वीरवर चंद्रसेन,कल्ला रायमलोत ,भीम हरराजोत,दलपतसिंह रायसिंहोत आदि महापराक्रमी विद्रोही नहीं होते। लेकिन कुछ लोगों के निर्णय इन महावीरों के जमीर व खमीर को खटकते रहे।
लेकिन मैंने ऐसे एक भी राजा की कहानी नहीं सुनी है,जिसने केवल एक जाति के प्रतिनिधि के बतौर काम किया हो।ऐसे एक भी राजा का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जिसने किसी जाति विशेष की खामियों को निंदा का विषय बनाकर अपनी कुंठाओं का प्रकटीकरण किया हो। हम निंदा करते समय यह भूल जाते हैं कि कमोबेश हम सभी के पूर्वज उनकी रैयत रह चुकी हैं। उन्होंने भले ही परिस्थितियां वश अपने स्वाभिमान से समझौता कर लिया हो लेकिन अपनी रैयत के स्वाभिमान पर आंच नहीं आने दी।
एक उदाहरण दे रहा है।भटनेर में बादशाह अकबर के श्वसुर नसीरुखां ने गरीब रैयत की एक स्त्री को विकृत बोल कह दिए। महाराजा रायसिंहजी ने अपने सेवक तेजा बाघोड़ को कहकर भरे बाजार में जूतों से पिटवाया। क्यों? इसलिए कि वे जनता को अपनी संतति सदृश मानते थे।जनता के स्वाभिमान को आंच नहीं आने दी।
जाट और क्षत्रियों के क्या संबंध रहें हैं? इतिहास पढ़ेंगे ।तब पता चलेगा।एक उदाहरण दे रहा हूं।
बीकानेर के महाराज पदमसिंह जी मराठों के साथ युद्ध करते हुए पहले दिन बहुत घायल हो गए।दूसरे दिन उन्होंने अपने प्रिय व विश्वस्त जाट गोविंदजी मूलाणी से कहा कि -
'गोविन्द !आजके युद्ध में तूं मेरे प्रहार गिनेगा कि मैंने कैसा युद्ध किया है? ताकि तूं प्रत्यक्षदर्शी होकर बाद मेरी वीरता लोगों को बता सके।'
यह सुनकर गोविंद ने जो जवाब दिया ।वो इतिहास के पन्नों पर अमिट है। उन्होंने कहा कि -महाराज!मुझे ईश्वर वो दिन नहीं बताए कि आप लड़े और मैं प्रहार गिनूं!मैं आपका ही सेवक हूं।मैं तो आपके आगे लड़कर वीरगति पाऊं ,मेरी यह अभिलाषा है।और गोविंदजी ने अपनी अभिलाषा पूरी की।
एक व्यक्तिगत कुंठा के प्रकटीकरण के लिए समग्र जाति को इंगित करना ,हल्की शब्दावली लिखना,मेरी दृष्टि में क्षत्रिय के लिए शोभित नहीं है।मैणियां(ताने) देना क्षत्रयों का काम नहीं है,यह स्त्री गत स्वभाव का प्रतीक है।
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि अगर क्षत्रिय लड़ते नहीं,मरते नहीं तो आज जो गंगाजी जा रहें वे मक्का की यात्रा करते ।जो गुरु धर्म के उपदेश दे रहें वे काजी के रूप में दिखाई देते।हमारी आस्था के प्रतीक जो मंदिर दिखाई देते हैं , वहां मस्जिदें दिखाई देती।हम जो हमारे गौरवशाली इतिहास के संदर्भ के गीत कविता पढ़ते हैं , स्मृति,वेद आदि पढ़ते हैं।उनकी जगह कुरान पढ़ रहें होते।
अतः हमने कभी इस बात पर विचार किया कि हमारी शान के क्षत्रियों के बिना रक्षक कौन था?देवकरणजी ईंदोकली के शब्दों में--
जावै गंगा जिकै,जिकै मक्काजी जाता।
गुरु जिकै दे ग्यान,जिकै काजी कहलाता।
मंदिर बणिया मन्य,जठै बणती मसजीतां।
हिंद पढो इतिहास,ग्यान व्है कविता गीतां।
पुराण वेद स्मृति पढौ,जठै पढता पाठ कुरान रा।
विचारौ कवण क्षत्रियां विनां,सांचा रक्षक शान रा।।
क्षत्रिय केवल अपनी जाति के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं जाना है।अगर जाना जाता है तो उसके चरित्र को लेकर जनमानस में शंका उत्पन्न होती है। क्षत्रिय आमजन के विश्वास का,धणियाप का, आत्मिक लगाव का,व सर्वस्वीकार्यता का प्रतीक है।
ऐसे कुंठित व दमित भावनाओं वाले लोग अपनी जाति के प्रतिनिधि के तौर पर व्यवहार करते हैं।यही कारण है कि एक सीधी सादी कर्मठ जाति से लोग दूरी बनाकर चलते हैं।जिसके लिए उत्तरदायी इस जाति के तमाम संवेदनशील लोग हैं जो मन ही मन में तो ऐसे लोग से पूर्णतया असहमत हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से डरते विरोध अंकित नहीं कराते। लेकिन क्षत्रिय भी कीचड़ में पत्थर फेंकने लग गए तो फिर बचेगा क्या-
जग में नर हऴकै जिकै,बोलै हऴका बोल।
वक्फ इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर महमूदाबाद की टिप्पणी को नफरती तो माना, लेकिन अंतरिम जमानत भी दे दी। दिल्ली और हरियाणा पुलिस की जांच पर रोक लगायी। कॉलेज के शिक्षक राज्य की नहीं केन्द्र सरकार की आलोचना कर सकते हैं केरल सरकार का बिल। भारत के खिलाफ हो रही साजिश को समझने की जरूरत है।
वक्फ के नए कानून की वैधता की सुनवाई के दौरान 1 मई को सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार की और से यह स्पष्ट किया गया कि वक्फ इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं है ब्लकि एक अवधारणा और दान का तरीका है। कुछ लोग झूठ बोलकर वक्फ को धर्म से जोड़ रहे है। केन्द्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वो सब तथ्य प्रस्तुत किए जो नए कानून को वैध ठहराते है।. मालूम हो कि व वक्फ का नया कानून संसद से मंजूर होने के बाद राष्ट्रपति से स्वीकृत हो गया है, लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट नए कानून पर सुनवाई कर रहा है। इतना ही नहीं कानून के कुछ प्रावधानों की क्रियान्विति पर रोक भी लगा दी है।
- नफरती को अंतरिम जमानत :-
21 मई को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद द्वारा ऑपरेशन सिन्दूर पर की गई नफरती टिप्पणी के मामले में भी सुनवाई हुई। इस नफरती प्रोफेसर को हरियाणा पुलिस ने गत 18 मई को गिरफ्तार किया था। सरकार की और से जो दस्तावेज पेश किए गए उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने माना कि प्रोफेसर महमूदाबाद की टिप्पणी डांग व्हिसलिंग जैसी है। जो कानून में सांकेतिक रूप से नफरत फैलाने के लिए प्रयुक्त होती है। अपनी इस टिपणी के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर महमूदाबाद को अंतरिम जमानत पर छोड़ने के आदेश दिए तया आदेशित किया कि प्रोफेसर महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिन्दूर को लेकर सोशल मीडिया पर जो पोस्ट लिखी उसकी जांच तीन आईपीएस अधिकारियों से करवायी जाए, लेकिन इन तीन आईपीएस में दिल्ली और हरियाणा पुलिस का अधिकारी नहीं होना चाहिए। अब सुप्रीम कोर्ट ही समझा सकता है, कि आखिर दिल्ली और हरियाणा पुलिस जांच क्यों न करे? क्या सुप्रीम कोर्ट को इन दोनों राज्यों की पुलिस की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं है। जबकि प्रो. महमूदाबाद ने जो गैर जिम्मेदाराना लिखा उसे हरियाणा पुलिस ने देश की एकता और संप्रभुता पर खतरा मानने के साथ-साथ धार्मिक वैमन्यस्ता फैलाने वाला बताया। इतना ही नहीं प्रोफेसर की टिप्पणी महिला की गरिमा का अपमान भी है।
- राज्य की नहीं, केंद्र की आलोचना हो :-
कम्युनिस्ट पार्टी शासित केरल की सरकार ने यूनिवर्सिटी लॉ में संशोधन का जो प्रस्ताव तैयार किया है उसमें कॉलेज शिक्षकों को राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करने से रोका गया है, लेकिन कॉलेज शिक्षक केन्द्र सरकार की आलोचना कर सकेंगें। सब जानते है कि केरल के राजनैतिक हालात कैसे है। हिन्दू आबादी अल्प संख्यक है। अनेक संसदीय क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है, इसीलिए राहुल गांधी दो बार केरल की वायनाड़ सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके है और मौजूदा समय में उनकी बहन प्रियंका गांधी वायनाड की सांसद है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी का गठबंधन भी है।
-देश के हालात समझें :-
भले ही भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार रही हो, लेकिन देशवासियों भारत के आंतरिक हालातों को समझने की भी जरूरत है। भारत के अन्दर ऐसे तत्व सक्रिय है जो अपने ही देश को कमजोर कर रहे है। ऐसे लोग चाहते है कि धार्मिक आधार पर भारत में वैमन्यस्ता हो। यही वजह है कि धर्म की आड़ में देश को लगातार कमजोर किया जा रहा है। गंभीर बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्थाएं भी ऐसे तत्वों के दबाव में नजर आती है।
Wednesday, 7 May 2025
पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर सैकड़ों आतंकी ढेर। धरा रह गया चीन का एयर डिफेंस सिस्टम। दुनिया भर में भारतीय सेना के शौर्य की प्रशंसा। पाकिस्तान ने भी अब तक 8 लोगों के मरने और 35 के घायल होने की बात स्वीकारी। पहलगाम की विधवाओं ने पीएम मोदी के ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व जताया। पाकिस्तान पर हमले से चीन मायूस। दारा का सटीक कार्टून।
पूरे देश में जब 7 मई को युद्ध पूर्व मॉक ड्रिल का इंतजार किया जा रहा था, तब 6 मई की रात को ही भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के अन्य स्थानों पर चल रहे आतंकी कैंपों पर हमला कर दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लड़ाकू विमानों से बम गिराए तो वहीं पाकिस्तान के अन्य स्थानों पर मिसाइल से हमला कर आतंकी कैंपों को ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तान की सेना ने स्वीकार कर लिया है कि भारतीय हमले में 8 पाकिस्तानी मारे गए हैं, जबकि 35 घायल हुए हैं, लेकिन वहीं भारत के न्यूज चैनलों पर बताया जा रहा है कि 9 ठिकानों पर हुए हमलों में सैकड़ों पाकिस्तानी आतंकी मारे गए हैं। पाकिस्तान के न्यूज चैनलों पर आतंकियों के शव ताबूत में रखकर ले जाने वाले वीडियो भी प्रसारित हो रहे है। 22 अप्रैल पहलगाम की आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान को भी उम्मीद थी कि भारत बदला लेगा। इसलिए पाकिस्तान ने चीन से एयर डिफेंस सिस्टम मंगवाए ताकि भारतीय विमानों के आने की जानकारी के साथ साथ मिसाइलों को आसमान में ही नष्ट किया जा सके, लेकिन 6 मई की रात डेढ़ बजे जब भारतीय सेना के राफेल जैसे लड़ाकू विमानों ने पीओके में बम गिरए और मिसाइलें दागी तो पाकिस्तान की सेना को भनक तक नहीं लगी। मिसाइल सटीक निशाने पर गिरी और बमों ने आतंकियों के ठिकाने ध्वस्त कर दिए। जिन आतंकी संगठनों के ठिकाने ध्वस्त किए गए उनमें लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन आदि शामिल है। इन आतंकी संगठनों के लोग ही हमारे कश्मीर में आतंकी वारदात कर रहे थे। 22 अप्रैल की पहलगाम की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आतंकियों को ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की है। 6 मई की रात को हुई सैन्य कार्यवाही ने बता दिया कि भारत ने पाकिस्तानियों के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही की है। भारतीय सेना ने जो शौर्य दिखाया, उसकी प्रशंसा दुनिया भर में हो रही है। इस हमले में भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ यह दिखाता है कि सेना ने पूरी तैयारी के साथ हमला किया। भारतीय सेना को यह भी पता है कि पाकिस्तानी अब जवाबी कार्यवाही करेगा, इसलिए पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब में शिक्षण संस्थान बंद कर दी है तथा अमृतसर हवाई अड्डे पर आगामी आदेशें तक फ्लाइटों पर रोक लगा दी है। पाकिस्तान यदि जवाबी कार्यवाही करता है तो भारतीय सेना मुकाबला करने के लिए तैयार है। हमले के बाद पाकिस्तान के प्रति कोई सहानुभूति न हो, इसके लिए भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले से ही तैयारी कर ली है। अमेरिका जैसे ताकतवर देश को विदेश मंत्रालय की ओर से जानकारी भी दी गई।
विधवाओं ने गर्व जताया:
मालूम हो कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने हिंदू पुरुषों को चुन चुनकर मारा था। मृतकों की पत्नियों ने प्रधानमंत्री मोदी से आतंकियों को सबक सिखाने की मांग की थी। हमले के बाद विधवाओं ने भी भारतीय सेना और प्रधानमंत्री के रुख पर गर्व जताया है। 6 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जो सैन्य कार्यवाही की उसका नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया। ऑपरेशन सिंदूर के नाम का सुझाव पीएम मोदी की ओर से ही दिया गया था। पहलगाम के हमले में अनेक भारतीय महिलाओं का सिंदूर उजड़ गया था।
चीन मायूस:
भारतीय सेना ने 6 मई की रात को पाकिस्तान पर जो हमला किया उस से चीन मायूस है। हमले के बाद चीन ने भारत की इस कार्यवाही पर अफसोस जताया है। जानकार सूत्रों के अनुसार चीन को इस बात का भी अफसोस है कि हमले के वक्त पाकिस्तान की सेना सोती रह गई। चीन के हथियार होने के बाद भी पाकिस्तान सेना ने तत्काल कोई जवाबी कार्यवाही नहीं की।
दारा का कार्टून:
भारत द्वारा पाकिस्तान पर किए गए हमले को लेकर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने सटीक कार्टून बनाया है। इस कार्टून को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है।
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वसुंधरा राजे मंच पर तो अनिता भदेल पहली पंक्ति में बैठी। केवडिय़ा में राजस्थान भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने डबल इंजन की सरकार के फायदे बताए।
गुजरात के पर्यटन स्थल केवडिय़ा में 5 मई से शुरू हुए राजस्थान भाजपा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्उा के साथ मंच पर बैठाया गया है, वहीं पांचा रबार की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल को पहली पंक्ति में बैठने का अवसर मिला है। पहली पंक्ति में राजस्थान से बने केंद्रीय मंत्री और राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक भदेल को भले ही इस बार मंत्री बनने का अवसर न मिला हो, लेकिन भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में उन्हें महत्व दिया गया है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को मंच पर बैठाकर यह प्रदर्शित किया गया है कि संगठन में राजे का महत्व बना हुआ है। मंच पर बैठाए जाने के फोटो खुद वसुंधरा राजे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। इससे जाहिर है कि वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है। प्रशिक्षण शिविर में जहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों ने विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को अनुशासन, ईमानदारी और सेवा का पाठ पढ़ाया वहीं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राजस्थान में चल रही केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सांसदों और विधायकों को बताया गया कि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से राजस्थान में विकास की कितनी योजनाएं चल रही है। विधायकों और सांसदों से कहा गया कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में आम लोगों को बताए।
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Monday, 5 May 2025
अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशोक गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने के लिए बीएपी के दो विधायक राजकुमार रौत और रामप्रसाद को कितना ब्याज चुकाया होगा। कांग्रेस शासन में भ्रष्ट मगरमच्छों को पकडऩे की इजाजत नहीं थी, तब के एसीबी डीजी सोनी। खनन की लूट करने वाले राम निवास मीणा और रविंद्र मीणा पर भी कार्यवाही अब भी होनी चाहिए। विधायक जयकृष्ण पटेल का 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार होना राजस्थान के आदिवासी के साथ विश्वासघात है।
राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा की बागीदौरा विधानसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक जयकृष्ण पटेल को 4 मई को जयपुर में विधायक आवास के निकट 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी के डीजी महरेड़ा ने बताया कि यह रिश्वत विधानसभा में सवाल वापस लेने की एवज में ली जा रही थ। यानी विधायक पटेल रिश्वतखोरी के लिए विधानसभा का इस्तेमाल कर रहे थे। बीएपी के विधायक के इस तरह गिरफ्तार होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गत कांग्रेस के शासन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने के लिए तब के बीएपी विधायक राजकुमार रौत और रामप्रसाद को कितना ब्याज चुकाया होगा। मालूम हो कि कांग्रेस में राजनीतिक अस्थिरता के समय गहलोत सरकार को जिन विधायकों ने समर्थन दिया उनमें बीएपी के रौत और रामप्रसाद भी शामिल थे। ये विधायक जब जयपुर और जैसलमेर की होटलों में बंधक थे, तब गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि इस समय जो विधायक मेरे साथ हैं, उन्हें ब्याज सहित भुगतान करुंगा। राजकुमार रौत और रामप्रसाद पूरे पांच वर्ष गहलोत सरकार से राज्यसभा का चुनाव लड़ा तब भी बीएपी के इन दोनों विधायकों ने गहलोत के कहने पर कांग्रेस को वोट दिया। पांच वर्ष में तीन बार गहलोत ने राज्यसभा के चुनाव में इन दोनों विधायकों के वोट का इस्तेमाल किया। जब गहलोत ने स्वयं ब्याज सहित भुगतान की बात कही तो फिर ब्याज वसूली का अंदाजा लगाया जा सकता है। वसूली की रकम का आकलन बीएपी के मौजूदा विधायक जयकृष्ण पटेल की ताजा सौदेबाजी से किया जा सकता है। खनन से जुड़ा सवाल वापस लेने के लिए पटेल ने खान मालिक से 10 करोड़ रुपए की मांग की थी। बाद में यह सौदा ढाई करोड़ में तय हुआ। एक लाख रुपए की पहली किश्त लेने के बाद चार मई को 20 लाख रुपए की दूसरी किश्त ली जा रही थी। यानी विधानसभा से सवाल वापसी के ढाई करोड़ रुपए तो गहलोत सरकार को बचाने की एवज में कितना ब्याज लिया गया होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
भ्रष्ट मगरमच्छों को पकडऩे की इजाजत नहीं थी:
अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए करीब दो वर्ष तक बीएल सोनी एसीबी के डीजी थे। सेवानिवृत्ति के बाद सोनी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में बड़े और प्रभावशाली भ्रष्टाचारियों को पकडऩे की इजाजत नहीं थी। यह सही है कि जब सरकार का मुखिया ही ब्याज सहित भुगतान की बात कह रहा हो तो फिर बड़े और प्रभावशाली भ्रष्टों को कैसे पकड़ा जा सकता है? यहां उल्लेखनीय है कि गहलोत ने पूरे पांच वर्ष गृह विभाग अपने पास रखा।किसी भी बड़े भ्रष्टाचारी को पकड़ने से पहले गृहमंत्री मुख्यमंत्री से अनुमति लेनी होती है। पूर्व डीजी सोनी का बयान बताता है कि जब बड़े भ्रष्टों को पकडऩे के लिए अनुमति मांगी गई तो गृह विभाग की ओर से ऐसी जरूरी अनुमति नहीं मिली। मौजूदा समय में गृह विभाग मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पास ही है, लेकिन बीएपी के विधायक पटेल को पकड़ने की इजाजत एसीबी को तुरंत मिल गई। मगरमच्छ के तोर पर हाल ही में पूर्व मंत्री महेश जोशी गिरफ्तार हो चुके हैं। जांच एजेंसियों की नजर अब पूर्व मंत्री प्रमोद जोशी पर भी लगी हुई है। कांग्रेस के शासन में महेश जोशी जलदाय मंत्री और प्रमोद जैन खान मंत्री रहे। इन दोनों पर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है। प्रमोद जैन पर तो करीब 10 एफआईआर दर्ज हुई है। हाईकोर्ट ने भी इन सभी एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है।
कार्यवाही तो अब भी होनी चाहिए:
टोडाभीम क्षेत्र में खनन का काम करने वाले रामनिवास मीणा और उनके पुत्र रविंद्र मीणा की शिकायत पर एसीबी ने बीएपी विधायक पटेल को गिरफ्तार तो कर लिया हे, लेकिन मीणा पिता पुत्र के खिलाफ अब भी अवैध खनन के मामले में कार्यवाही होनी चाहिए। एसीबी ने विधायक पटेल और रविंद्र मीणा के बीच हुई जो बातचीत टैप की है, उसके अनुसार अवैध खनन करने के लिए रविंद्र मीणा को कम से कम 10 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा कराना था। रामनिवासी मीणा और रविंद्र मीणा निर्धारित मात्रा से ज्यादा खनन कर रहे थे। टोडा भीम की पहाडिय़ों से मीणा पिता-पुत्र अवैधखनन कर रहे थे, इसलिए तो विधानसभा में सवाल वापस लेने के लिए ढाई करोड़ में सौदा किया गया। एसीबी के पास इस बात के सबूत हैं कि मीणा भी अवैध खनन कर रहे थे। ऐसे में सरकार को अवैध खनन के मामले में सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। इसके साथ ही उन लोगों का भी पता लगाना चाहिए जो जयकृष्ण पटेल के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे थे। आरोप है कि पटेल के पीछे टोडा भीम के कांग्रेसी विधायक घनश्याम महर खड़े हैं। महर के इशारे पर ही जयकृष्ण पटेल ने विधानसभा में अवैध खनन का सवाल लगाया था। सवाल यह भी है कि क्या अकेले पटेल की क्षमता ढाई करोड़ हजम करने की है? गिरफ्तारी के बाद सबसे पहले बीएपी के सांसद राजकुमार रौत ने प्रतिक्रिया दी कि राजनीतिक कारणों से हमारे पार्टी के विधायक को फंसाया गया है। सवाल उठता है कि पटेल की गिरफ्तारी पर रौत को इतनी घबराहट क्यों हो रही है?
आदिवासियों के साथ विश्वासघात:
विधायक पटेल का 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार होना राजस्थान के आदिवासियों के साथ विश्वासघात है। राजस्थान में मौजूदा समय में बीएपी के तीन विधायक और एक सांसद हैं। इस पार्टी का जन्म आदिवासियों के हितों और आदिवासी क्षेत्र की वन संपदा को सुरक्षित रखने के लिए ही हुआ। आरोप लगाता है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियां आदिवासियों और क्षेत्र की वन संपदा ओं का शोषण दोहन करती है। राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर आदि क्षेत्रों के आदिवासियों ने भाजपा और कांग्रेस को दरकिनार कर भारत आदिवासी पार्टी पर भरोसा जताया, लेकिन अब आदिवासियों के वोट से सांसद और विधायक बने लोग ही विश्वासघात कर रहे हैं।
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कथित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान झूठा साबित हुआ। मोदी सरकार ने पाकिस्तान जाने वाला चिनाब नदी का पानी रोका। सियालकोट में पानी की किल्लत।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने घोषणा की कि सिंधु नदी से निकलने वाले पानी को पाकिस्तान जाने से रोका जाएगा। मोदी सरकार के इस फैसले का बद्रिकापीठ के कथित शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानदं ने मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि सिंधु और उससे जुड़ी नदियों के पानी को भारत में ही रोकने के लिए मोदी सरकार को कम से कम 20 वर्ष लगेंगे, क्योंकि नदी के पानी को रोकने के लिए भारत में अभी कोई व्यवस्था नहीं है। कथित शंकराचार्य ने यह भी कहा कि मोदी सरकार देश की जनता को बेवकूफ बना रही है, लेकिन मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के बगलियार बांध पर चिनाब नदी का पानी रोककर कथित शंकराचार्य का बयान झूठा साबित कर दिया है। बांध में पानी रोकने से पाकिस्तान के सियालकोट में चिनाब नदी का जलस्तर छह फीट कम हो गया है। पाकिस्तानियों का मानना है कि नदी में पानी की आवक कम होने से सिंचाई पर असर पड़ेगा। भारत में अब किशन गंगा बांध पर झेलम नदी के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने की योजना बना ली है। जाहिर है कि अविमुक्तेश्वरानंद जैसे लोगों को तथ्यों की जानकारी नहीं होती और बेवजह देश विरोधी बयान देते हैं। पहलगाम में 26 हिंदुओं की हत्या के बाद जब एकजुटता दिखाने की जरूरत है, तब कथित शंकराचार्य गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। अविमुक्तेश्वरानंद के बयान से यह भी जाहिर होता है कि उन्हें हिंदुओं की हत्या का कोई दर्द नहीं है। मालूम हो कि अभिमुक्तेश्वानंद ने फर्जी तरीके से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का स्थान लिया है। स्वामी स्वरूपानंद के अंतिम संस्कार से पहले ही अविमुक्तेश्वरानंद ने स्वयं को बद्रिकापीठ का शंकराचार्य घोषित कर दिया। अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य बनने का मामला अदालत में विचाराधीन है। अदालत को बताया गया है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने अपने जीवन काल में किसी भी शिष्य को उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस फर्जीवाड़े से अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य के पद पर बैठ गए, उसी मानसिकता से हिंदुओं के विरोध में बयान जारी कर रहे हैं।
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Thursday, 1 May 2025
जातिगत जनगणना की घोषणा के साथ ही आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को बढ़ाने का रास्ता भी खुला। एससी एसटी और ओबीसी वर्ग की कमजोर व पिछड़ी जातियां आगे आएंगी। दबंग जातियों को लगेगा धक्का। मुसलमानों की पिछड़ी जातियां भी सामने आएगी।
30 अप्रैल को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने घोषणा की कि आगामी जनगणना जाति आधारित होगी। यानी अब जनगणना में व्यक्ति की जाति भी लिखी जाएगी। जाति आधारित जनगणना की मांग कांग्रेस सहित विपक्षी दल कर रहे थे। विपक्ष के खासकर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का कहना था कि मौजूदा समय में सरकारी नौकरियों में पचास प्रतिशत की सीमा निर्धारित कर रखी है, उससे पिछड़ी जातियों को नुकसान हो रहा है। देश में ओबीसी और अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है। लेकिन उन्हें मात्र पचास प्रतिशत ही आरक्षण मिल रहा है। जिन जातियों की संख्या कम है, उन्हें भी पचास प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। राहुल गांधी का तर्क है कि जब जाति आधारित जनगणना होगी तो फिर आरक्षण की पचास प्रतिशत की सीमा भी समाप्त हो जाएगी। आबादी के हिसाब से सरकार को आरक्षण देना ही पड़ेगा। अब जब सरकार ने जाति आधारित जनगणना की घोषणा कर दी है, तब आरक्षण की पचास प्रतिशत की सीमा बढ़ाने का रास्ता भी साफ हो गया है। देश में ऐसे कई राज्य है, जिन्होंने अति पिछड़ी जातियों को ओबीसी वर्ग में शामिल कर आरक्षण को 65 प्रतिशत तक कर दियाहै। स्वाभाविक है कि जब देशभर में जातिगत जनगणना होगी तो पिछड़ी जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। जानकारों की मानें तो जातिगत जनगणना का फायदा उन पिछड़ी जातियों के लोगों को भी मिलेगा जो अभी तक आरक्षण से वंचित है। एससी एसटी और ओबीसी वर्ग में कुछ दबंग जातियां ही आरक्षण का लाभ ले रही है। अब जब इन वर्गों की सभी जातियों के आंकड़े सामने आएंगे तो फिर उन जातियों के लोगों को पहले नौकरी मिलेगी जो अभी तक वंचित है। कोटे में कोटा देने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सहमति जताई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार ने पिछड़ी जातियों के लोगों को मुख्ध्याारा में लाने के लिए बड़ा फैसला किया है।
मुसलमानों की स्थिति भी सामने आएगी:
जातिगत जनगणना से मुसलमानों की जातियां भी सामने आएगी। मुसलमानों में भी बड़ी संख्या में लोग पिछड़ी जाति के है। जिन्हें पसमांदा कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार पसमांदा मुसलमानों की वकालत कर चुके हैं। वक्फ के नए कानून में पिछड़ी जाति के मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया गया है। अब जब मुसलमानों की भी जातिगत जनगणना होगी तो पिछड़ी जाति के मुसलमानों के आंकड़े भी सामने आएंगे। इससे उन उच्च जाति के मुसलमानों को धक्का लगेगा जो अभी तक मुसलमानों के ठेकेदार बने हुए हैं।
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भारत अब भी पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। मोदी के एक्शन के बारे में पता लगाना आसान नहीं।
30 अप्रैल को जब पूरा देश केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर किसी निर्णय का इंतजार कर रहा था, तब केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया की सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है। इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने तत्काल टिप्पणी की कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया। अल्वी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद उम्मीद की जा रही थी कि मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा एक्शन लेगी, लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री ने जातिगत जनगणना का निर्णय लिया। अच्छा होता कि सरकार पहले पाकिस्तान को सबक सिखाने का काम करती। कुछ लोग मान रहे है कि 22 अप्रैल की आतंकी घटना से ध्यान हटाने के लिए पीएम मोदी ने जातिगत जनगणना का फैसला किया है। 30 अप्रैल की शाम तक जो न्यूज चैनल वाले पाकिस्तान के साथ युद्ध की घोषणा पर चर्चा कर रहे थे, वे अब देश की पिछड़ी जातियों की चर्चा कर रहे हैं। न्यूज चैनलों के जो रिपोर्टर सीमा पर जाकर ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग कर रहे थे, वे अब पिछड़ी जातियों के बारे में बता रहे हैं। यह सही है कि देश के मीडिया का ध्यान अब पूरी तरह जातियों की ओर हो गया है, लेकिन जो लोग नरेंद्र मोदी के स्वभाव को जानते हैं उनका मानना है कि मोदी के एक्शन के बारे में पता लगाना आसान नहीं है। 30 अप्रैल को भले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जातिगत जनगणना का फैसला लिया गया हो, लेकिन इससे पहले मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) तथा कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर (सीसीपीए) की बैठक भी की। इन दोनों कमेटियों की बैठक आपात परिस्थितियों में होती है। जानकारों की मानें तो इन दोनों कमेटियों की बैठक में पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति पर चर्चा हुई। पाकिस्तान के अधिकांश मंत्री बार बार कह रहे है कि भारत हमला करेगा। पाकिस्तान में भारत के हमले को लेकर चिंता जताई जा रही है। भारत के राजनीतिक दल जब जातिगत जनगणना में उलझ गए है, तब मोदी सरकार पाकिस्तान पर कब हमला कर दे कुछ नहीं कहा जा सकता। जातिगत जनगणना के फैसले से एक दिन पहले मीडिया में प्रसारित हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर सैन्य कार्यवाही करने के लिए सेना को पूरी छूट दे दी है। यानी 29 अप्रैल को पाकिस्तान पर हमला करने की जिम्मेदारी सेना को दी तो 30 अप्रैल को मोदी सरकार ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर जातिगत जनगणना का बम फोड़ दिया।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-05-2025)
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