Sunday, 25 May 2025

सीपी जोशी जैसी अध्यक्षी कर रहे है वासुदेव देवनानी इसलिए कहा-आरोप लगाने से पहले कांग्रेस अपने गिरेबान में झांके। भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द करने का मामला।

23 मई को सुबह 8 बजे राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की और आरोप लगाया कि भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को अदालत द्वारा तीन वर्ष की सजा दे दिए जाने के बाद भी मीणा की विधानसभा की सदस्यता समाप्त नहीं की जा रही है। हाईकोर्ट ने जूली की इस याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया। जुलाई माह में सुनवाई होती इससे पहले ही 23 मई को 10:30 बजे विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कंवरलाल मीणा की विधायकी को समाप्त कर दिया। अब कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने हाईकोर्ट में दायर याचिका को देखते हुए मीणा की विधायकी समाप्त की है। मीणा की विधायकी समाप्त होने का श्रेय भले ही कांग्रेस ले, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष देवनानी का कहना है कि कांग्रेस आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांक ले। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मैं किसी दबाव में काम नहीं करता। देवनानी ने कहा कि मैं नहीं चाहता था कि कंवरलाल मीणा के मामले का हश्र राहुल गांधी के मामले जैसा हो। इसलिए मैंने नियमों के दायरे में रहते हुए राज्य के महाधिवक्ता से राय ली और फिर सजा पाने वाले विधायक की सदस्यता समाप्त कर दी। यहां यह उल्लेखनीय है कि मानहानि के एक मामले में जब सूरत की जिला अदालत ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को तीन वर्ष की सजा सुनाई तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अगले दिन ही राहुल गांधी की सदस्यता को समाप्त कर दिया। यहां तक कि उनसे सांसद वाला बंगला भी खाली करवा दिया। यह बात अलग है कि कुछ दिनों बाद हाईकोर्ट ने सूरत की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। बाद में लोकसभा अध्यक्ष को राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करनी पड़ी। भाजपा विधायक मीणा ने जब हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की तो गत 1 मई को सुप्रीम कोर्ट से स्टे ऑर्डर नहीं मिला। सर्वोच्च अदालत से भी राहत नहीं मिलने के बाद ही देवनानी ने महाधिवक्ता से राय ली और फिर मीणा की सदस्यता समाप्त कर दी। अब मीणा के पास सदस्यता बहाली का कोई रास्ता नहीं रहा। सवाल उठता है कि देवनानी ने कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकने की बात क्यों कही? जानकारों के अनुसार 25 सितंबर, 2022 को कांग्रेस के शासन में जब कांग्रेस के 90 विधायकों ने विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष सीपी जोशी को सामूहिक इस्तीफा सौंपा तो लंबे समय तक जोशी ने इस्तीफों पर कोई निर्णय नहीं लिया। तब भाजपा के नेताओं ने भी सीपी जोशी को ज्ञापन दिए थे। तब यह तर्क दिया गया कि किस मुद्दे पर अध्यक्ष कब निर्णय लेते हैं यह अध्यक्ष का विशेषाधिकार है। कई महीनों तक जब सीपी जोशी ने विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय नहीं लिया, तब भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद भी इस्तीफों पर निर्णय नहीं लिया जा सका, लेकिन जब हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाने की बात कही तो विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने सभी 90 विधायकों के इस्तीफे अस्वीकार कर दिए। यानी इस्तीफों को अस्वीकार करने में छह माह से भी ज्यादा का समय लग गया। कहा जा सकता है कि जिस तरह सीपी जोशी ने अध्यक्षी की उसी तरह वासुदेव देवनानी भी कर रहे हैं, इसलिए देवनानी पर कोई आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपनी सरकार के समय के विधानसभा अध्यक्ष के कामकाज को देख लेना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (24-05-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

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