Wednesday, 3 December 2025

3 लाख रूपये से ज्यादा का दान कर अजमेर के समाजसेवी कालीचरण खण्डेलवाल अपना 85 वां जन्मदिन मनायेगें।

अजमेर के प्रमुख समाजसेवी और शिवचरण दास खंडेलवाल 4 दिसम्बर को सेवाभाव से अपना 85 वां जन्मदिन मनायेंगे। खंडेलवाल मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल का जन्मदिन मनाने के लिए खंडेलवाल के प्रशंसकों ने कोटड़ा के दाहर सेन स्मारक के निकट जय अम्बे सेवा समिति द्वारा संचालित वृद्धाश्रम और नागफणी स्थित आनन्द गोपाल गौशाला में विशेष प्रबन्ध किए है। अपनी सेवा भाव की भावना के अनुरूप खंडेलवाल ने जन्मदिन पर 2 लाख 11 हजार रुपये वृद्ध आश्रम और एक लाख रुपए गोशाला को दान देने की घोषणा की है। खंडलेवाल का कहना रहा कि उनका पूरा जीवन सेवा को समर्पित है। इसलिए वह अपना जन्मदिन वृद्धाश्रम में बेसहारा लोगों के बीच मना रहे है। 4 दिसम्बर को सुबह साढ़े दस बजे कोटडा के वृद्धाश्रम में सादगी पूर्ण तरीके से जन्मदिन मनाया जाएगा। इस अवसर पर भजन गायक अशोक तोषनीवाल राधा-कृष्ण के भजनों की प्रस्तुति भी देगें। खंडेलवाल का कहना रहा कि आश्रम में रह रहे 89 बेसहारा लोगों के चेहरे पर जो खुशी देखने को मिलेगी वही उनके जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार होगा। इसी प्रकार गौशाला में गायों को जब वे हरा चारा और गुड़ खिलायेगें तो उन्हें जीवन का परम सुख प्राप्त होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि गौशालाओं के प्रति खंडेलवाल शुरू से ही संवेदनशील रहे है। मकर संक्राति के दिन गांधी भवन चौराहे पर बैठकर गौ माता के लिए धन संग्रह करते है हालांकि खंडेलवाल का दवाओं का बड़ा कारोबार है लेकिन गौ माता के संरक्षण के लिए वे चौराहे पर बैठने को भी तत्पर रहते है। वृद्धाश्रम और गौशालाओं का सहयोग करने में खंडेलवाल, पीछे नहीं रहते । यही वजह है कि कोटडा के वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गो के लिए लिफ्ट तक की सुविधा है। यहां एक सामान्य घर से भी ज्यादा सुविधाएं बुजुर्गो को उपलब्ध करवायी जा रही है। खंडेलवाल के सहयोगी उमेश गर्ग ने बताया कि खंडेलवाल दो बार अखिल भारतीय खंडेलवाल वैश्य महासभा के अध्यक्ष रह चुके है। महासभा का अध्यक्ष रहते हुए उन्होनें देश भर में खंडेलवाल परिवारों को एकजुट करने को काम किया। महासभा के कामकाज को न केवल पारदर्शी बनवाया बल्कि जरूरतमंद परिवारों की मदद भी की। आज भी अजमेर में अनेक जरूरतमंद परिवारों को प्रतिमाह खाद्य साम्रगी का पैकेट उपलब्ध करवा रहे है। मोबाइल नम्बर 9414003357 पर कालीचरण खंडेलवाल को जन्मदिन की बधाई दी जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जगदीप धनखड़ और सी.पी. राधाकृष्णन के राज्यसभा का सभापति होने में बहुत अन्तर है। चेहरा भावशून्य लेकिन असरदार । काशी में पूजा-अर्चना के बाद मासांहार छोड़ा। यह पीएम मोदी के लिए बड़ी बात है।

यूं तो सीपी राधाकृष्णन ने 12 सितम्बर 2025 को देश के , उपराष्ट्रपति का पद संभाल लिया था, लेकिन 1 दिसम्बर को यह पहला अवसर रहा, जब राज्यसभा के सभापति के तौर पर राधाकृष्णन को अपनी भूमिका प्रकट करनी पड़ी। राधाकृष्णन से पहले जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति के नाते राज्यसभा के सभापति थे। धनखड ने कोई तीन वर्ष तक सभापति की कुर्सी पर बैठकर राज्यसभा का संचालन किया। अब जगदीप धनखड़ और राधाकृष्णन की भूमिका की तुलना की जा सकती है। भले ही विपक्ष संसद के शीत कालीन सत्र में हंगामा कर रहा हो, लेकिन राधाकृष्णन अपनी प्रभावी भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड रहे है। धनखड़ को जहां पक्ष-विपक्ष के मुद्दे पर हर बार टिप्पणी करते देखा गया वही राधाकृष्णन किसी भी मुद्दे पर अपनी ओर से कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। एक दिसम्बर को संसद के पहले दिन ही विपक्ष के सांसदों ने जब राधाकृष्णन पर सीधे तौर से टिप्पणी की, तब भी उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा से राधाकृष्ण न तो गदगद हुए और न ही विपक्ष की आलोचना पर कोई नाराजगी दिखायी। पहले दिन राधाकृष्ण ने सभी राजनैतिक दलों के नेताओं की बात को ध्यान से सुना। शून्यहीन चेहरा बता रहा था कि राधाकृष्णन की राज्यसभा में उपस्थिति बहुत असरदार है। हालांकि राधाकृष्णन पूर्व में दो बार तमिलनाडू के कोयंबबर से सांसद रह चुके है और उन्हें लोकसभा में बैठने का अनुभव है। लेकिन यह पहला मौका है जब वे सीधे संसद में राज्यसभा के सभापति की कुर्सी पर आसीन हुए है। पिछले दो दिनों की राज्य सभा की कार्यवाही में राधाकृष्णन ने हंगामे पर सांसदों को कोई उपदेश भी नहीं दिया। यदि सांसद खासकर विपक्ष के सांसद सदन नहीं चलाना चाहते है, तो राधाकृष्णन को सद‌न चलाने में कोई रुचि नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि सांसद चाहेगें तो ही संसद चलेगी। बिना कोई टिप्पणी किये बिना राज्य सभा को स्थगित करने से जाहिर है कि राधाकृष्णन कम बोलकर भी अपनी प्रभावी भूमिका प्रकट कर रहे है। जिन पाठकों को जगदीप धनखड़ की राज्यसभा में भूमिका याद है, उन्हें साफ लगेगा कि धनखड और राधाकृष्णन में बहुत अंतर है। राधाकृष्णन को यह पता है कि राज्यसभा में हर सदस्य का एजेंडा उसके राजनैतिक दल के अनुरूप है इसलिए यदि वे सांसदों को शांत रहने की सलाह भी देगें तो उसका असर नहीं होगा। मासांहार छोड़ा - 1 दिसम्बर को प्रथम दिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यसभा में में राधाकृष्णन के राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक और धार्मिक, पृष्ठभूमि की जानकारी दे रहे थे तभी पीएम मोदी ने बताया कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद राधाकृष्णन ने मेरे संसदीय क्षेत्र वाराणासी में काशी विश्वनाथ के मंदिर में पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना के साथ ही राधाकृष्णन ने मासांहार छोड़ने का संकल्प लिया। मेरे लिए बड़ी बात है कि राधाकृष्णन जी ने मेरे संसदीय क्षेत्र में मासांहार छोड़ने का संकल्प किया है। पीएम ने कहा कि मैं मासांहार वालों का आलोचक नहीं हूं, लेकिन जीवन में सात्विकता का बहुत असर होता है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

इस्लाम के जिहाद को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाए -महमूद मदनी जिहाद यदि इतनी ही अच्छी शिक्षा देता है तो फिर इस्लाम के नाम पर हिन्दुओं की हत्याएं क्यों की जाती है?

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना मेहमुद् मदनी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि इस्लाम के जिहाद को भारत में स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होनें कहा में जिहाद एक धार्मिक और पवित्र शब्द है जो परस्पर सद्‌भाव की शिक्षा देता है। जिहाद की आलोचना करने वाले इस्लाम के दुश्मन ही नहीं गद्दार है। उन्होंने कहा कि जिहाद की सही तरीके से व्याख्या नहीं हो रही ही। महमूद मदनी का यह बयान कितना सही है यह तो पडोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रही अंतकवादी घटनाओं से समझा जा सकता है। ये दोनों देश इस्लामिक है, लेकिन यहां मुसलमान, मुसलमान को ही मार रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी धर्म मे यदि कोई अच्छी बात है तो, उसे हर धर्म के अनुयायी ग्रहण करते है। अब यदि महमूद मदनी की नजर में इस्लाम का जिहाद सद्‌भावना वाला है तो सवाल उठता है कि भारत में कट्टरपंथी सोच के मुसलमान निर्दोष हिन्दुओं की हत्याएं क्यों कर रहे है? विगत दिनों कश्मीर के पहलगाम में आंतकवादियों ने धर्म पूछकर 26 हिन्दुओं पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना में इस्लाम को मानने वाले आंतकियों ने स्पष्ट कहा कि हम सिर्फ हिन्दुओं को ही मारने आए है। ऐसे आंतकियों ने इस्लामिक जिहाद की भी दुहाई दी। इन दिनों पूरे देश में हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी की चर्चा हो रही है। इस यूनिवर्सिटी से जुड़े ऐसे डाक्टरों का भंडा फोड हुआ है जो जिहाद के नाम पर देश भर में आतंकी वारदातों की योजना बने रहे थे। गिरफ्तार हुए सभी आरोपी इस्लाम धर्म को मानने वाले है और वे भी इस्लाम के खातिर जिहाद कर रहे थे। जिहाद की दुहाई देकर ही कश्मीर घाटी से 4 लाख हिन्दुओं को प्रताडित कर भगा दिया। आज ऐसे कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बन‌कर रह रहे है। जिस जिहाद के नाम पर हिन्दुओं को कश्मीर से भगाया गया अब मदनी को चाहिए कि उनके जिहाद से हिन्दुओं को वापस कश्मीर घाटी में बसाया जाए । महमूद मदनी यह मानते है कि जिहाद परस्पर सद‌भाव की शिक्षा देता है तो फिर कश्मीरी हिदुओं को वापस बसाया जाना चाहिए। महमूद मदनी की जिहाद की अपनी व्याख्या अपनी जगह है लेकिन दुनिया में एक मात्र सनातन धर्म है जिसमें सभी धर्म के सम्मान की शिक्षा दी जाती है। देश-दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब किसी हिन्दू शासक हिंदू धर्म नहीं अपनाने पर हत्या की हो । जबकि मदनी को भारत में मुगलों के 600 वर्षों के शासन के इतिहास को देख लेना चाहिए। हाल ही में दुनिया भर में गुरु तेग बहादुर जी महाराज की 350 वीं जयन्ती मनायी गई। इतिहास गवाह है कि क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने 24 नवम्बर 1665 को दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेग बहादर जी की गर्दन इसलिए कटवा दी कि उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया था। महमूद मदनी को चाहिए कि वह अपने जेहाद के माध्यम से देश में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने का काम करे। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Tuesday, 2 December 2025

सिद्धारमैया ने अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है, इसलिए डीके शिवकुमार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। राजस्थान में भी सचिन पायलट नहीं बन सके मुख्यमंत्री। गांधी परिवार ने दबाव डाला तो अशोक गहलोत की तरह बगावत करेंगे सिद्धारमैया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी के निर्देशों के बाद 29 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नाश्ते पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को आमंत्रित कर लिया। इस नाश्ता बैठक में दोनों के बीच क्या बातें हुई यह तो वह ही जाने, लेकिन हकीकत यह है कि डीके चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन सिद्धारमैया के रहते हुए वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत का जूठा पानी पी रखा है। कर्नाटक में भी राजस्थान जैसे हालात है। राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थे और तब हर कांग्रेसी मानता था कि बहुमत मिलने पर पायलट की मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए। सरकार बनने पर पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। यानी उस समय डीके शिवकुमार की तरह सचिन पायलट भी प्रदेशाध्यक्ष होने के साथ साथ डिप्टी सीएम बने थे, लेकिन अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट को न तो प्रदेश अध्यक्ष और न डिप्टी सीएम का काम करने दिया। करीब दो साल बाद ही पायलट ने 18 विधायकों को साथ लेकर दिल्ली में विस्फोट कर दिया। चूंकि डीके शिव कुमार के सामने सचिन पायलट का हश्र है, इसलिए वे दिल्ली में अपने समर्थक विधायकों का कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं करवा रहे। लेकिन वे चाहते हैं कि ढाई ढाई वर्ष के फार्मूले के आधार पर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री का पद उन्हें सौंप दें। अशोक गहलोत की तरह सिद्धारमैया पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें वे तौर तरीके आते हैं, जिनसे सत्ता पर काबिज रहा जाता है। राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं जो ढाई वर्ष बाद चुपचाप सीएम का पद छोड़ दे और फिर सिद्धारमैया ने तो अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है। ऐसे में वे कभी भी मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ेंगे। यदि गांधी परिवार ने ज्यादा दबाव डाला तो सिद्धारमैया भी गहलोत की तरह खुली बगावत करेंगे। सब जानते हैं कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत के स्थान पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियागांधी ने 25 सितंबर 2022 को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बेठक बुलाई थी। इस बेठक के लिए तब मल्लिकार्जुन खडग़े और अजय माकन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। तब ये दोनों पर्यवेक्षक जयपुर में सीएम हाऊस पर विधायकों का इंतजार करते रहे और अधिकांश विधायक गहलोत के समर्थन में मंत्री शांति धारीवाल के घर पर एकत्रित हो गए। इतना ही नहीं कोई 70 विधायकों ने गहलोत के समर्थन में अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। राजस्थान में गहलोत की बगावत को देखते हुए गांधी परिवार कर्नाटक में ऐसा कोई जोखिम लेना नहीं चाहता। गांधी परिवार सिद्धारमैया की ताकत को जानता है। इसलिए राहुल गांधी का प्रयास है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार का मामला बेंगलुरु में ही निपट जाए। जानकारों की मानें तो 29 नवंबर को नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार को उन कांग्रेसी विधायकों के नाम बताएं जो सरकार के साथ खड़े हैं। सिद्धारमैया ने बता दिया कि अधिकांश विधायक उनके साथ हैं। ऐसे में यदि विधायक दल की बैठक होती है तो डीके शिवकुमार को मतदान में हार का सामना करना पड़ेगा। नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने जो जमीनी हकीकत दिखाई उसी का परिणाम रहा कि डीके शिव कुमार ने मीडिया से कहा कि हम दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है और कांग्रेस हाईकमान जो फैसला करेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। यानी सिद्धारमैया ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (30-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

कांग्रेस को अब राधे राधे बोलने से भी चिढ़। हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बच्चों के राधे राधे बोलने पर सवाल उठाया।

कांग्रेस और उसके नेताओं को अब सनातन धर्म से जुड़े राधे राधे बोलने पर भी चिढ़ हो गई है। यह बात 28 नवंबर को हिमाचल प्रदेश की अस्थायी राजधानी धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मॉर्निंग वॉक के समय प्रदर्शित हुई। चूंकि शीतकाल में हिमाचल की राजधानी शिमला से धर्मशाला हो जाती है, इसलिए कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुक्खू धर्मशाला में ही निवास कर रहे है। 28 नवंबर को मॉर्निंग वॉक के समय सीएम सुक्खू जब एक मंदिर के सामने से गुजरे तो मंदिर के बाहर खड़े बच्चों ने सुक्खू से राधे राधे किया। बच्चों के राधे राधे बोलने पर सीएम ने पूछा कि तुम राधे राधे क्यों बोलते हों? सुक्खू ने जिस अंदाज में राधे राधे बोलने पर सवाल उठाया उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि मुख्यमंत्री को अपने प्रदेश के बच्चों को राधे राधे बोलने पर आपत्ति है। सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस और उसके नेताओं से सनातन धर्म से जुड़े राधे राधे बोलने से इतनी चिढ़ क्यों हैं? जबकि हिमाचल प्रदेश को तो देवभूमि माना जाता है। सनातन धर्म के पौराणिक स्थल हिमाचल में ही है। भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत का बड़ा हिस्सा हिमाचल में ही है। जानकारों की माने तो गत चुनावों में कांग्रेस की जीत पर सुक्खू ने कहा था कि हिमाचल में सनातन के अनुयायियों को हराकर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। तब भी सुक्खू की सनातन विरोधी मानसिकता सामने आई थी। यह सही है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन सनातन विरोधी विचारों के चलते कांग्रेस को देश भर में हार का सामना करना पड़ रहा है। जिस कांग्रेस पार्टी ने देश पर पचास वर्षों से भी ज्यादा समय तक राज किया, वह गत तीन लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हो रही है। देश में हिमाचल सहित सिर्फ तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह गई है। इतनी बुदी दशा के बाद भी कांग्रेस के नेता सनातन धर्म से चिढऩे वाली बातें प्रदर्शित करते हैं। मीडिया में अब सीएम सुक्खू के इस व्यवहार की आलोचना हो रही है, लेकिन सुक्खू ने अभी तक भी अपने कृत्य के लिए खेद प्रकट नहीं किया है। https://youtube.com/shorts/QSPv1ys7TuE?si=lMAGE8V53QNX-i6v S.P.MITTAL BLOGGER (01-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511