Wednesday, 20 November 2024

आईटी कंपनियों का स्वागत तो है, लेकिन पहले अजमेर में दो दिन में एक बार पानी की सप्लाई तो हो।एलिवेटेड रोड के नीचे की सड़क आज भी टूटी पड़ी है। जयपुर रोड पर प्रवेश द्वार में भी तकनीकी सुधार हो।

इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी अजमेर के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि देवनानी के विदेश यात्रा से लौटने पर अनेक सामाजिक, धार्मिक राजनीतिक संगठन के प्रतिनिधि स्वागत करने के लिए उतावले हैं। देवनानी 21 नवंबर को जयपुर पहुंचने के बाद 23 नवंबर को अजमेर आएंगे। देवनानी का कहना है कि विदेश यात्रा में उनकी मुलाकात विप्रो, टीसीएस, अडाणी जैसे आईटी कंपनियों के प्रतिनिधियों से हुई है। इन कंपनियों के प्रतिनिधि अजमेर में अपना आउटलेट खोलने में रुचि रखते हैं। मालूम हो कि देवनानी की पहल पर ही अजमेर में आईटी पार्क विकसित किया जा रहा है। स्वाभाविक है कि जब इतनी नामी कंपनियों के आउटलेट खुलेंगे तो अजमेर के युवाओं को बेंगलुरु, मुंबई, पूणे, नोएडा, दिल्ली आदि महानगरों में नौकरी के लिए नहीं जाना होगा। उल्टे जो युवा अभी इन शहरों में काम कर रहे हैं वे वापस अपने अजमेर में आ सकेंगे। बड़ी आईटी कंपनियों का अजमेर में स्वागत तो हैं, लेकिन इससे पहले अजमेर वासियों को काम से कम दो दिन में एक बार पेयजल तो उपलब्ध कराया जाए। मौजूदा समय में चार पांच दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई होती है। गंभीर बात तो यह है कि सर्दी शुरू होने के बाद भी पेयजल व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया है। जिस बीसलपुर बांध से पानी लेकर जयपुर जिले में प्रतिदिन पेयजल की सप्लाई हो ती है, उसी बांध से अजमेर के लिए भी पानी लिया जाता है। जयपुर और अजमेर के लोगों के बीच भेदभाव क्यों हो रहा है, इसका जवाब भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को देना चाहिए, क्योंकि इन दोनों दलों का ही पिछले 25 वर्षों से बारी बारी शासन रहा है। मौजूदा समय में अजमेर के लोगों की आस विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पर टिकी हुई है। देवनानी का भी प्रयास है कि 135 किलोमीटर दूर बने बांध से अजमेर शहर तक नई और मोटी पाइप लाइन बिछाई जाए, ताकि लोगों को प्रतिदिन पानी मिल सके। लेकिन यह देखना होगा कि देवनानी को अपने इन प्रयासों में सफलता कब मिलती है। विधानसभा अध्यक्ष के पद का प्रभाव काम में लेते हुए देवनानी अजमेर की सड़कों की स्थिति सुधारने का भी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि शहर में बने एलिवेटेड रोड के नीचे की सड़क ही टूटी पड़ी है। सोनी जी की ऐतिहासिक नसियां के निकट से गुजर रही सड़क तो गड्ढों में तब्दील हो गई है। नसियां के निकट बोटल नेक की स्थिति है इसलिए दिन में कई बार जाम लग जाता है। देवनानी ने अपने विदेश दौरे में ऑस्ट्रेलिया और जापान की चमचमाती सड़कें भी देखी हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि अजमेर सड़कें कम से कम जयपुर की तरह तो हो ही जाए। देवनानी को विदेश यात्रा से आने के बाद अजमेर के एलिवेटेड रोड के नीचे वाली सड़क से भी गुजरना चाहिए। अजमेर का प्रतिनिधित्व जब वासुदेव देवनानी जैसे सशक्त और विकास पुरुष व्यक्ति कर रहे हैं, तब जयपुर रोड वाला प्रवेश द्वार भी सुगम और आकर्षक होना चाहिए। मौजूदा समय में नेशनल हाईवे के नीचे पुलिस बनाकर अजमेर में प्रवेश करने की व्यवस्था है। लोगो ंको पुलिया के नीचे से ही मुख्य सड़क पर चलना होता है। इसकी वजह से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। अजमेर के विकास में रुचि रखने वालों का सुझाव है कि जयपुर रोड स्थित अशोक उद्यान की कुछ भूमि को लेकर प्रवेश द्वार को तकनीकी दृष्टि से सुगम बनाया जाए। 

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मतदान से एक दिन पहले हर दल का उम्मीदवार बूथवार पैसा बांटता है।

महाराष्ट्र में 288 सीटों पर 20 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए 19 नवंबर को सभी राजनीतिक दलों ने अंतिम तैयारी की। इसी तैयारी के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और मुंबई स्थित नालासोपारा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार की गतिविधियों को प्रतिद्वंद्वी दलों के कार्यकर्ताओं ने कैमरे में कैद कर लिया। अब आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा की ओर से वोट के लिए नोट बांटे जा रहे थे। नोट बांटने के आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन सब जानते हैं कि मतदान से एक दिन पहले ही हर दल का उम्मीदवार बूथ वार पैसा बांटता है। यदि यह पैसा न बांटा जाए तो अगले दिन मतदान केंद्र पर संबंधित उम्मीदवार का एजेंट नहीं बैठ पाएगा। सवाल अकेल भाजपा का नहीं है बल्कि कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों का है जो लोग चुनाव लड़ते हैं उन्हें पता है कि मतदान के दिन सुचारू व्यवस्था के लिए बूथ वार भुगतान किया जाता है। यह राशि प्रचार के अतिरिक्त होती है। कांग्रेस में ब्लॉक और वार्ड स्तर के नेता बूथ के हिसाब से राशि प्राप्त करते हैं। यही स्थिति भाजपा में मंडल स्तर पर है। चूंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस और भाजपा के अलावा शिवसेना और एनसीपी के दो-दो गुट के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए पैसा बांटने की चर्चा ज्यादा हो रही है। कार्यकर्ता किसी भी दल का हो उसे पता है कि परिणाम के बाद कोई नेता नजर नहीं आएगा। जो उम्मीदवार चुनाव जीत जाएगा, वह भी काम नहीं आएगा। इसलिए कार्यकर्ता भी अपनी मेहनत का पूरा भुगतान मतदान वाले दिन तक वसूल लेता है। कांग्रेस और अन्य किसी दल भले ही अब विनोद तावड़े वाले मामले को भाजपा की तिजोरी से जोड़ दे, लेकिन ऐसी तिजोरी हर दल के उम्मीदवार के पास होती है। जो लोग राजनीति में शुद्धता का दावा करते हैं उन्हें सबसे पहले ऐसे कार्यकर्ता तैयार करने चाहिए जो पैसा लिए बगैर मतदान केंद्र पर एजेंट के तौर पर बैठ सके। यह राजनीति की सच्चाई है कि किसी भी दल के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता नहीं है जो कार्यकर्ता के बगैर मतदान केंद्र पर बैठ सके। मतदान से एक दिन पहले बूथ वार पैसा बांटना हर दल के उम्मीदवार की मजबूरी है। 

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होटल खादिम का नाम बदलने पर ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों ने एतराज जताया।

राजस्थान पर्यटन विकास निगम की अजमेर स्थित होटल खादिम का नाम होटल अजयमेरु करने पर ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों ने ऐतराज जताया है। खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि नाम बदलना हमारी विरासत के साथ छेड़छाड़ करना है। उन्होंने कहा कि पूर्व में होटल का नाम खादिम इसलिए रखा गया कि अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह है और दरगाह के खादिम आने वाले जायरीन की खिदमत सेवा करते हैं। भले ही खादिम शब्द उर्दू का हो, लेकिन इस उद्देश्य सेवा की भावना से जड़ा हुआ है, लेकिन सरकार ने द्वेषतापूर्ण रवैया दिखाते हुए होटल खादिम का नाम परिवर्तित किया है। आज ख्वाजा साहब की दरगाह और खादिमों की वजह से अजमेर का नाम देश दुनिया में है। दुनिया में ताजमहल, लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतें प्रसिद्ध है। इन इमारतों को देखने के लिए दुनिया भर से लोग भारत आते हैं। क्या ताजमहल और लाल किले का नाम भी बदला जा सकता है? सरवर चिश्ती ने कहा कि सरकार के अधीन आने वाली होटल खादिम का नाम परिवर्तित न किया जाए। मालूम हो कि अजमेर के भाजपा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के निर्देश पर ही होटल खादिम का नाम अजयमेरु होटल किया गया है। देवनानी का कहना है कि नया नाम अजमेर के इतिहास को उजागर करता है। पूर्व में अजमेर का नाम अजयमेरु ही था। अजयमेरु की स्थापना राजा अजय पाल ने ही की थी। 

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Tuesday, 19 November 2024

मेकअप के बिना हर अभिनेत्री बुझी हुई ही लगती है। तो फिर स्वरा भास्कर की सूरत को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है?

मेरे इस ब्लॉग को समझने के लिए पहले मेरे फेसबुक पेज पर पोस्ट अभिनेत्री स्वरा भास्कर के दो फोटो देखने चाहिए। एक फोटो अभिनेत्री स्वरा भास्कर का है तो दूसरा फोटो स्वरा भास्कर के निकाह के बाद का है। स्वरा ने मुस्लिम युवक फहद खान से निकाह किया है। निकाह के बाद वाला फोटो नवीनतम बताया जा रहा है । सोशल मीडिया पर स्वरा भास्कर के दोनों फोटो बहस का मुद्दा बने हुए हैं। हिंदूवादी लोगों का कहना है कि निकाह से पहले स्वरा भास्कर को जो स्वतंत्रता थी वह अब नहीं है। वही निकाह का समर्थन करने वाले मुस्लिम संगठनों के लोगों का कहना है कि यह अच्छी बात है कि स्वरा भास्कर अब पूरे लिबास में रहने लगी है। स्वाभाविक है कि सलवार कुर्ता और उस पर चुन्नी के बाद स्वरा भास्कर का लुक साधारण नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर इस नए लुक को भले ही मुद्दा बनाया जा रहा हो, लेकिन हर अभिनेत्री मेकअप के बिना बुझी हुई ही नजर आ रही है। चूंकि हम स्क्रीन पर अभिनेत्रियों को मेकअप में देखते हैं। इसलिए असली चेहरे का पता नहीं चलता। स्वरा भास्कर भी जब फिल्मों में काम करती थी, तब हमेशा मेकअप में नजर आती थी। कपड़े भी ऐसे जो हर किसी का ध्यान आकर्षित करते थे। जो लोग स्वरा भास्कर को अभिनेत्री वाले अंदाज में देखना चाहते हैं उन्हें निकाह के बाद वाले लुक से निराशा हो सकती है, लेकिन तेज तर्रार स्वरा भास्कर अपना जीवन कैसे व्यतीत करे यह उनका व्यक्तिगत फैसला है। यह सही है कि जब वे अभिनेत्री थी तो उनके शब्द भी बोल्ड थे, लेकिन निकाह के बाद उनके बोल कैसे है, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। सोशल मीडिया पर लोगों को किसी महिला के व्यक्तिगत जीवन पर टीका टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। निकाह के बाद यदि कोई परेशानी होगी तो स्वरा भास्कर स्वत: ही बता देंगी। कुछ लोगों को बेवजह स्वरा भास्कर की चिंता नहीं करनी चााहिए। 


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आखिर राहुल गांधी को माल से भरी तिजोरी ही क्यों नजर आती है?मुम्बई एयरपोर्ट पर राहुल ने अशोक गहलोत से हाथ से माला नहीं पहनी।

18 नवंबर को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों के समक्ष एक तिजोरी का प्रदर्शन किया। राहुल ने इस तिजोरी को अपने हाथ से खोला और तिजोरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के साथ साथ मुंबई की झुग्गी झोपड़ी वाला धारावी का पोस्टर निकाला। राहुल ने कहा कि पीएम मोदी ने एक है तो सेफ है कि जो बात कही है उसका मतलब गौतम अडानी से है। मोदी के सेफ का मतलब भले ही सुरक्षा से हो, लेकिन राहुल गांधी सेफ की तुलना तिजोरी से कर रहे है। यह सही है कि गत लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को 100 सीटें मिलने और फिर लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी कुछ ज्याा ही उत्साहित हैं। लेकिन सवाल उठता है कि राहुल गांधी को माल से भरी तिजोरी ही क्यों नजर आती है? राहुल गांधी भले ही मोदी अडाणी की तुलना तिजोरी से करें, लेकिन सब जानते हैं कि नेशनल हेराल्ड की दो हजार करोड़ रुपए की संपत्ति को राहुल गांधी और उनके परिवार के सदस्यों ने धोखाधड़ी कर हड़प लिया। इस धोखाधड़ी में राहुल गांधी और उनकी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी आज भी अदालत से जमानत पर है। श्रीमती इंदिरा गांधी के जमाने में राजस्थान की छोटी सादड़ी से भी जो तिजोरियां भरी गई उन्हें कांग्रेस के लोग अच्छी तरह जानते हैं। इतना ही नहीं राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा ने हरियाणा और राजस्थान में जमीनों का जो कारोबार किया उसे भी राहुल गांधी के परिवार के लोगों की ही तिजोरियां भरी गई। इसके विपरीत देश की जनता के सामने नरेंद्र मोदी की छवि है। मोदी के परिवार के सदस्य आज भी छोटा मोटा काम कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जहां तक उद्योगपति गौतम अडानी का सवाल है तो अडाणी के अनेक प्रोजेक्टों को कांग्रेस शासित कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में मंजूरी दी गई है। पूर्व में जब राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी तो अनेक प्रोजेक्ट लगाने के लिए अडाणी समूह को रियायती दरों पर भूमि आवंटित की गई। आज भले ही राहुल गांधी तिजोरी से मोदी अडाणी वाला पोस्टर निकाले, लेकिन सवाल उठता है कि अडाणी समूह के प्रोजेक्ट मंजूर कर कांग्रेस के नेता भी तिजोरियां भर रहे हैं? मोदी अडाणी पर आरोप लगाने से पहले राहुल गांधी को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। महाराष्ट्र के चुनाव में राहुल गांधी जिस धारावी क्षेत्र को मुद्दा बना रहे हैं, उसी क्षेत्र में झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले 2 लाख गरीबों को पक्का मकान मिलेगा। यह काम अडाणी समूह में सार्वजनिक टेंडर प्रणाली से प्राप्त किया है। महाराष्ट्र में जब कांग्रेस के गठबंधन की सरकार थी, तब राहुल गांधी भी धारावी क्षेत्र के काया पलट के समर्थक थे।

माला नहीं पहनी:
18 नवंबर को मुंबई एयरपोर्ट पर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने राहुल गांधी का स्वागत किया। इस स्वागत के तीन फोटो गहलोत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए हैं। इन तीनों फोटो में गहलोत के हाथ में सूत की माला है। हलोत यह माला राहुल को पहनाने के लिए लाए थे, लेकिन राहुल ने गहलोत के हाथों से माला नहीं पहनी, इसलिए माला गहलोत के हाथ में ही धरी रह गई। गहलोत के हाथों माला नहीं पहनने को लेकर अब राजनीति में चर्चाएं हो रही है। जानकारों की मानें तो अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री रहते हुए 25 सितंबर 2022 को बगावत के जो जख्म दिए थे, वे अभी तक भी भरे नहीं है। अशोक गहलोत के राजनीतिक जीवन में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब वे मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद अभी तक भी कांग्रेस संगठन में कोई पद हासिल नहीं कर सकें। आमतौर पर सीएम के पद से हटने के बाद गहलोत राष्ट्रीय मंत्री बन जाते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-11-2024)
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