Saturday 28 November 2020

कोरोना संक्रमित चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के सरकारी अस्पताल के निरीक्षण को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जायज ठहराया। यदि चिकित्सा मंत्री अस्पताल का निरीक्षण नहीं करेगा तो कौन करेगा? बेवजह की हुई अखबार बाजी। गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली से ज्यादा सुविधाएं हैं राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में। 35 हजार टेस्टिंग प्रतिदिन हो रही हैं, इसलिए प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या ज्यादा। निजी अस्पतालों में कोरोना टेस्ट की दर भी 12 सौ के बजाए 800 रुपए ही की जाएगी।

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा 23 नवम्बर से ही कोरोना संक्रमित हैं। संक्रमण के दौरान ही शर्मा ने 24 नवम्बर को जयपुर स्थित आरयूएचएस सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया था। तब न्यूज चैनलों और अखबारों में रघु शर्मा के निरीक्षण की जमकर आलोचना हुई। तब रघु को मीडिया में सुपर स्प्रेडर चिकित्सा मंत्री बताया। लेकिन अब प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने चिकित्सा मंत्री का बचाव किया है। 28 नवम्बर को जयपुर और जोधपुर के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार तथा कुछ जिलों में आरटीपीसीआर लैब के लोकार्पण पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समारोह को संबोधित करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि रघु शर्मा खुद आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती थे और उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण कर कोई गलत काम नहीं किया। गहलोत ने कहा कि यदि चिकित्सा मंत्री अस्पताल का निरीक्षण नहीं करेगा तो कौन करेगा? चिकित्सा मंत्री के द्वारा कोरोना फैलाने की बात कहां से आ गई? हर चीज में राजनीति नहीं करनी चाहिए। गहलोत ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि इस मुद्दे पर बेवजह की अखबार बाजी हुई है। हालांकि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा कोरोना संक्रमित होने के बाद घर पर ही क्वारंटीन हैं। लेकिन 28 नवम्बर को सीएम की वीसी ने रघु शर्मा भी शामिल हुए। अपने संबोधन में रघु शर्मा ने सीएम गहलोत के प्रयासों की प्रशंसा की। रघु ने कहा कि मुख्यमंत्री की प्रेरणा से ही हम कोरोना काल में लोगों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवा सके हैं। राजस्थान में ज्यादा सुविधा: समारोह हमें गहलोत ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली के सरकारी अस्पतालों से भी ज्यादा चिकित्सा सुविधाएं राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मिल रही हैं। कोरोना जांच से लेकर सिटी स्कैन, वेंटीलेटर ऑक्सीजन आदि की सभी सुविधाएं सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क उपलब्ध हैं। मरीज अब अपने घर जाता है तब उसे नि:शुल्क दवाएं भी दी जाती है। गहलोत ने कहा कि प्रदेश में सौ प्रतिशत आरटीपीसीआर तकनीक से कोरोना टेस्ट हो रहे हैं। प्रतिदिन 35 हजार टेस्टिंग रोज हो रही है, इसलिए प्रदेश में संक्रमितों की संख्या ज्यादा सामने आ रही है। इससे घबराने की जरुरत नहीं है। सरकार का उद्देश्य संक्रमित व्यक्ति की पहचान कर उसे क्वारंटीन करना है। यदि संक्रमित व्यक्ति संक्रमण फैलाता रहा तो हालात और खराब होंगे। हमारे लिए यह अच्छी बात है कि रिकवरी दर बहुत ज्यादा है। आज टोंक, जैसलमेर, बूंदी, नाथद्वारा, हनुमानगढ़, प्रतापगढ़, आदि जिलों में आरटीपीसीआर लैब का लोकार्पण भी हुआ है। अब इन जिलों में टेस्टिंग का काम और तेजी से हो सकेगा। मौजूदा समय में सरकार के पास रोजाना 60 हजार टेस्टिंग की क्षमता हो गई है। 800 रुपए में टेस्टिंग: सीएम गहलोत ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना की जांच नि:शुल्क हो रही है लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में अभी जांच के 12 सौ रुपए लिए जा रहे हैं। सरकार अब इस दर को 800 रुपए करने जा रही है। गहलोत ने कहा कि कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों का भी सहयोग लिया जा रहा है। अस्पतालों पर आरएएस स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। प्राइवेट अस्पतालों में वेंटीलेटर बैड भी आरक्षित किए गए हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (28-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक हैं, तो फिर बीटीपी विधायकों पर दस-दस करोड़ रुपए लेने का आरोप क्यों लगाया? सीएम गहलोत मालवीय के आरोपों को भी भाजपा की साजिश बता रहे हैं। क्या मालवीय के भी पाला बदलने का डर है? राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर तूफान। सचिन पायलट तो कोरोना संक्रमित होकर दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं।

जुलाई-अगस्त से राजस्थान के जो 18 कांग्रेसी विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए थे, उनमें बांसवाड़ा के बागीदौरा के विधायक महेन्द्र जीत सिंह मालवीय नहीं थे। मालवीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ जयपुर और जैसलमेर की होटलों में रहे। मालवीय पूरी ईमानदारी और वफादारी के साथ सीएम खेमे में रहे। लेकिन अब मालवीय ने सीएम गहलोत को परेशानी में डालने वाला बयान दिया है। पंचायतीराज के चुनाव में बांसवाड़ा स्थित आनंदपुरी की मुंदरी में एक सभा को संबोधित करते हुए मालवीय ने भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के विधायक रामप्रसाद डिंडोर (सागवाड़ा) तथा राजकुमार रीत (चौरासी) पर गंभीर आरोप लगाए। 25 नवम्बर को चुनावी सभा में मालवीय ने कहा कि बीटीपी के इन दोनों विधायकों ने पहले राज्यसभा चुनाव और फिर जुलाई-अगस्त के सियासी संकट के समय 5-5 करोड़ रुपए लिए। यानि एक विधायक ने दस-दस करोड़ रुपए। सब जानते हैं कि राज्यसभा चुनाव में बीटीपी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया तथा सियासी संकट के समय भी दोनों विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ होटलों में रहे। यानि बीटीपी के विधायक किन कारणों से सीएम के साथ रहे, इसकी जानकारी महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को रही। मालवीय के बयान से प्रतीत होता है कि राज्यसभा चुनाव और सियासी संकट के समय अशोक गहलोत ने किस तरह समर्थन जुटाया। मालवीय अब इस बात से नाराज हैं कि पंचायत राज चुनाव में बीटीपी के दोनों विधायक कांग्रेस की खिलाफत कर रहे हैं। मालूम हो कि आदिवासी बहुल्य बांसवाड़ा की जिला परिषद और पंचायत समितियों के वार्डों के चुनाव में बीटीपी ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। बीटीपी के उम्मीदवार कांग्रेस और भाजपा पर भारी पड़ रहे हैं। इससे कांग्रेस को ज्यादा नुकसान है। बीटीपी के उम्मीदवारों को जीताने में पार्टी के दोनों विधायकों ने पूरी ताकत लगा रखी है। महेन्द्रजीत सिंह मालवीय की पत्नी श्रीमती रेशम मालवीय बांसवाड़ा की तीन बार जिला प्रमुख रही है तथा अभी पंचायतीराज चुानव में श्रीमती मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका है। कांग्रेस के अधिकांश उम्मीदवार श्रीमती मालवीय ने ही तय किए हैं। पति-पत्नी दोनों को लगता है कि जिन लोगों ने दस-दस करोड़ रुपए ले लिए वो ही अब विरोध कर रहे हैं। सीएम का भाजपा पर आरोप: बीटीपी के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने की कीमत वसूली है इसका खुलासा सीएम गहलोत के समर्थक विधायक मालवीय ने ही किया है,लेकिन इसमें भी सीएम गहलोत को भाजपा की साजिश नजर आ रही है। सीएम अने अपने समर्थक विधायक मालवीय के बयान पर तो कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि यह सब भाजपा के नेता करवा रहे हैं। भाजपा के नेताओं का ही कहना है कि कांग्रेस के विधायक पैसे के खातिर सरकार छोड़कर जा सकते हैं। सीएम गहलोत के बयान के साथ ही सवाल उठता है कि क्या महेन्द्रजीत सिंह मालवीय भी सरकार के खिलाफ हो रहे हैं? असल में सवाल तो गहलोत और मलावीय से किया जाना चाहिए। मालवीय को ही यह बताना चाहिए कि बीटीपी के विधायकों को दस-दस करोड़ रुपए किस तरह से दिए गए। यहां यह उल्लेखनीय है कि जुलाई-अगस्त में जब 18 कांग्रेसी विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए थे, तब भी सीएम गहलोत ने दावा किया था कि 35-35 करोड़ रुपए में कांग्रेस के विधायकों को खरीदा जा रहा है। तब गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों की तुलना घोड़ों से की थी। हालांकि कांग्रेस के विधायकों को घोड़ा कहा गया, अब उन्हीं के समर्थन से प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार चल रही है। यह सही है कि जुलाई-अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली गए थे, लेकिन अब तो सचिन पायलट भी कोरोना संक्रमित होकर दिल्ली के एम्स अस्तपाल में भर्ती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के विधायक किस नेता के माध्यम से भाजपा के सम्पर्क में हैं? S.P.MITTAL BLOGGER (28-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

Friday 27 November 2020

अर्नब गोस्वामी के बाद अदालत ने अभिनेत्री कंगना रनौत को भी राहत दी। घर में की गई तोडफ़ोड़ की कार्यवाही अवैध बताया। कांग्रेस और शरद पवार की शह पर उद्धव ठाकरे अपने विरोधियों को कुचलना बंद करें। मुख्यमंत्री पद का सुख भोग रहे हो तो आलोचना भी सहनी पड़ेगी।

27 नवम्बर को बाम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि मुम्बई महानगर पालिका ने अभिनेत्री कंगना रनौत के मुम्बई स्थित दफ्तर में जो तोडफ़ोड़ की वह पूरी तरह अवैध है। बीएमसी को अब तोडफ़ेड़ का मुआवजा देना चाहिए। कोर्ट ने उसके साथ ही बीएमसी का नोटिस भी रद्द कर दिया। अब कंगना रनौत फिर से अपना दफ्तर-घर बनाने को स्वतंत्र हैं। यह दूसरा अवसर है कि अदालत ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार को फटकार लगाई है। इससे पहले रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को भी सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया। अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को भी सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया। अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत दोनों ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बोलते रहे। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला हो या फिर अभिनेत्री दिशा सानियाल। अर्नब और कंगना ने सीएम ठाकरे को कटघरे में खड़ा किया। इसीसे खफा होकर महाराष्ट्र सरकार ने पहले कंगना का दफ्तर तोड़ डाला और अर्नब को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। ठाकरे ने यह दिखाने की कोशिश की कि जो उनके खिलाफ बोलेगा, उसे परिणाम भुगतने होंगे। सब जानते हैं कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के सहयोग से गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। सरकार गठन से पहले शिवसेना और उद्धव ठाकरे भी अर्नब गोस्वामी और कंगना के समर्थक थे। तब कांग्रेस और एनसीपी चाहते हुए भी अर्नब और कंगना जैसों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस और शरद पवार को कार्यवाही करने का मौका मिल गया है। अब उद्धव ठाकरे को आगे कर विरोधियों को एक एक कुचला जा रहा है। कांग्रेस और शरद पवार को तो मजा आ गया है,क्योंकि विरोधियों को कुचलने में शिवसेना ही आगे है। सारी बदनामी शिवसेना और सीएम ठाकरे की हो रही है। अब कोर्ट की फटकार भी मुख्यमंत्री को ही लग रही है। बीएमसी पर भी शिवसेना का ही कब्जा है। असल में अब शिव सेना को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। उद्धव ठाकरे भले ही मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से शिवसेना को ही सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत के प्रकरणो में अदालतों ने जो फैसले आए है उससे उद्धव ठाकरे को सबक लेना चाहिए। जब मुख्यमंत्री के पद पर रह कर सत्ता का सुख भोग रहे हैं तब आलोचना सहने की शक्ति भी होनी चाहिए। यदि आलोचना करने वालों को जेल में डालने दफ्तर तोडऩे जैसी कार्यवाही होगी तो फिर कोर्ट की फटकार भी खानी पड़ेगी। S.P.MITTAL BLOGGER (27-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

भौड़की विवाहिता आत्महत्या प्रकरण में पुलिस को विलम्ब से सूचना मिलने की भी जांच होगी। जलने के बाद विवाहिता को झुंझुनूं से सीकर के अस्पताल ले जाया गया। सीकर की कोतवाली पुलिस को सबसे पहले सूचना मिली थी। झुंझुनूं के पुलिस अधीक्षक जेसी शर्मा का सख्त रुख। अब तक तीन आरोपी गिरफ्तार। एसपी के वाट्सएप नम्बर 9414007742 पर महिला उत्पीडऩ की सूचना दी जा सकती है।

राजस्थान के झुुंझुनूं जिले के भौडकी में हुई विवाहिता के आत्मदाह प्रकरण में अब पुलिस को विलम्ब से सूचना मिलने की जांच होगी। यदि इस मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी। मालूम हो कि गत 20 नवम्बर से भौढकी में रहने वाली विवाहिता मनीषा ने स्वयं पर केरोसिन डालकर आग लगा ली थी। 22 नवम्बर को मनीषा की मौत जयुपर के एसएमएस अस्पताल में हो गई। मौत से पहले मनीषा के बयान नहीं लिए जा सके। झुंझुनूं के पुलिस अधीक्षक जेसी शर्मा ने माना कि यह मामला बहुत गंभीर है, क्योंकि इसमें मनीषा के पति अनिल कुमार ने ही वीडियो बनाया। 24 नवम्बर को जब मनीषा के भाई पवन टेलर ने रिपोर्ट दर्ज करवाई तभी पुलिस को मनीषा के आत्मदाह की जानकारी हुई। 20 नवम्बर को घटना के तुरंत बाद मनीषा को सीकर के एसके अस्पताल में भर्ती करवाया गया। मनीषा की गंभीर स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने मनीषा को जयपुर के एसएमएस अस्पताल के लिए रैफर कर दिया और मामले की जानकारी सीकर के कोतवाली पुलिस स्टेशन पर दे दी। पुलिस अधीक्षक शर्मा ने कहा कि मनीषा के बयान एसएमएस अस्पताल में क्यों नहीं लिए जा सके, इसकी जांच होगी। यह भी पता लगाया जाएगा कि एसएमएस अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को कब सूचना दी। हालांकि अब इस मामले में मनीषा के पति अनिल, ससुर रामचन्द्र तथा देवर अमित को गिरफ्तार कर लिया है। अनिल ने मनीषा का वीडियो बनाने की बात भी कबूल की है। आग की घटना के बाद अनिल ने अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश की, जिसमें वह स्वयं भी झुलस गया। इस बेहद संवेदनशील मामले में कोई कौताही नहीं बरती जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी। एसपी शर्मा ने मनीषा प्रकरण पर दु:ख जताते हुए कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए झुंझुनूं पुलिस पिछले कई माह से ऑपरेशन आवाज चला रही है। इसके अंतर्गत लड़कियों के स्कूल कॉलेज से लेकर पिछड़ी बस्तियों तक में कैम्प लगाया जा रहे हैं। इन कैम्पों में वे स्वयं मौजूद रहते हैं। झुंझुनूं के लोगों के लिए उनके वाट्सएस नम्बर 9414007742 को सार्वजनिक कर रखा है। कोई भी व्यक्ति महिला उत्पीडऩ की सूचना वाट्सएप पर दे सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक रहने की जरुरत है। पुलिस हमेशा सहयोग के लिए तैयार है। S.P.MITTAL BLOGGER (27-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

नवम्बर में रोजाना एक लाख लोगों के संक्रमित होने की उम्मीद थी, लेकिन 50 हजार ही संक्रमित हो रहे हैं। भारत में लोगों को 300 रुपए तक में मिल जाएगी कोरोना की वैक्सीन। पर अभी सुरक्षा के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चार माह बाद वैक्सीन उपलब्ध होने की बात कही।

दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि बदलते मौसम को देखते हुए नवम्बर माह में प्रतिदिन एक लाख लोगों के कोरोना संक्रमित होने की उम्मीद लगाई गई थी, लेकिन सरकार ने सुरक्षा के जो उपाय किए उसकी वजह से प्रतिदिन 50 हजार लोग ही भारत में संक्रमित हो रहे हैं। इसका यह मतलब नहीं कि लोग सावधानी बरतना छोड़ दे। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि सर्दी के मौसम में कोरोना वायरस का प्रकोप ज्यादा होता है। इसलिए लोगों को पूर्ण सतर्कता बरतने की जरुरत है। उन्होंने माना कि कोरोना की वैक्सीन के लिए विभिन्न कंपनियां दावे कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि अभी वैक्सीन के बारे में कोई ठोस और प्रभावी जानकारी दुनिया भर में उपलब्ध नहीं है। अभी यह भी नहीं पता कि वैक्सीन लेने के बाद संबंधित व्यक्ति कितने दिन सुरक्षित रह पाएगा। क्या वैक्सीन लेने के बाद कोई व्यक्ति बगैर मास्क लगाए भीड़ में रह सकता है के सवाल के जवाब में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि इन सब सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे। क्योंकि अभी वैक्सीन के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। भारत सहित कई देश वैक्सीन बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि भारत में सीरम इंडिया और भारत बायोटेक जो परीक्षण कर रहा है, उसकी वैक्सीन आम व्यक्ति को 300 रुपए तक में उपलब्ध हो जाएगी। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि केन्द्र सरकार कोरोना वैक्सीन को देशभर में उपलब्ध करवाने के लिए एक विस्तृत योजना बना रही है। इस योजना में ज़रूरतमंद लोगों को नि:शुल्क वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाएगी। सरकार के सामने वैक्सीन को विभिन्न राज्यों तक वितरित करने की बड़ी चुनौती है। सरकार की योजना के मुताबिक सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर को वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद वरिष्ठ नागरिको को वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि देश के हर नागरिक को वैक्सीन उपलब्ध हो। उम्मीद है कि अगले चार माह में भारत में लोगों को वैक्सीन मिलना शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में बच्चों के लिए पोलियो की दवाई का अभियान चल चुका है। यह अभियान प्रभावी तरीके से चला है, लेकिन इसकी तुलना कोरोना वैक्सीन के अभियान से नहीं की जा सकती है। क्योंकि कोरोना वैक्सीन देश के प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति भारत में तैयार हो रही है, वह भारत के वातावरण के अनुरूप है। S.P.MITTAL BLOGGER (27-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

Thursday 26 November 2020

विवाहिता मनीषा ने 20 नवम्बर को केरोसिन छिड़क कर आग लगाई और 22 नवम्बर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दम तोड़ दिया। राजस्थान में अशोक गहलोत की पुलिस 6 दिनों तक सोती रही। यदि आत्महत्या का वीडियो नहीं होता तो पुलिस चुप ही रहती। महिला उत्पीडऩ की इससे बड़ी घटना नहीं हो सकती। आखिर कौन शर्म करेगा?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन झुंझुनूं के गुढ़ागौडज़ी में मनीषा नाम की एक विवाहिता ने जिस तरह स्वयं को आग लगाकर जीवन समाप्त कर लिया, वह बहुत ही दु:खद है। शर्मनाक बात तो यह है कि गहलोत के अधीन काम करने वाली पुलिस 6 दिनों तक सोती रही। क्या ऐसे संवेदनहीन और लापरवाह पुलिस अफसरों पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? मनीषा के भाई पवन पटेल ने बताया कि 20 नवम्बर को उसकी बहन ने केरोसिन डाल कर स्वयं को आग लगा ली। यह कदम पति अनिल कुमार और ससुराल के अन्य सदस्यों से प्रताडि़त होकर उठाया। पहले एसके अस्पताल में इलाज हुआ और फिर मनीषा को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस बीच पुलिस ने मनीषा के कोई बयान दर्ज नहीं किए और 22 नवम्बर को मनीषा की मौत हो गई। 24 नवम्बर को पवन पटेल ने थाने में लिखित शिकायत दी, लेकिन फिर भी आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई। 25 नवम्बर को सोशल मीडिया पर मनीषा का जलता हुआ वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो भी मनीषा के पति अनिल कुमार ने दिया, ताकि यह दिखाया जा सके कि आग खुद मनीषा ने ही लगाई है। गंभीर बात तो यह है कि वीडियो को खुद मनीषा के प्रति अनिल ने अपने मोबाइल से बनाया। इससे अनिल की आवाज भी है जो मनीषा से कह रहा है तेल महंगा है, क्यों खराब कर रही है। यानि जिस पति की जिम्मेदारी पत्नी को बचाने की थी, वह खुद वीडियो बनाता रहा। सवाल उठता है कि जब 20 नवम्बर को मनीषा के जलने की घटना हो गई, तब पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? क्या झुंझुनूं की पुलिस की नजर में एक विवाहिता के जलने की घटना कोई मायने नहीं रखती है? यदि मनीषा का जलते हुए वीडियो देखा जाए तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। सीएम गहलोत के पास ही गृहविभाग भी हैं। क्या एक विवाहिता के सरेआम जलने की घटना पर सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है? यदि किसी महिला को केरोसिन छिड़क कर स्वयं को आग लगानी पड़े तो महिला उत्पीडऩ की इससे बड़ी घटना नहीं हो सकती है। सीएम गहलोत को अब अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए जो 20 नवम्बर से सोते रहे। राजस्थान पुलिस में ऐसे कैसे निर्दयी पुलिस वाले हैं जो एक महिला के जलने की घटना पर भी चुप रहते हैं। शर्मनाक बात यह है कि 26 नवम्बर को मीडिया में खबरें आने के बाद पुलिस ने आरोपियों काके पूछताछ के लिए बुलाया। पुलिस ने इस मामले में जिस तरह लापरवाही बरती है उसके जिए कमसे कम पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। 20 नवम्बर की घटना की जानकारी यदि 25 नवम्बर तक भी पुलिस अधीक्षक को नहीं हो तो ऐसे अधिकारी के दायित्व पर प्रश्न चिन्ह लगता है। उम्मीद है कि महिला उत्पीडऩ की इस दर्दनाक घटना को सीएम अशोक गहलोत गंभीरता से लेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (26-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वीसी में भी शामिल हुए कोरोना संक्रमित चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा। स्वयं को स्वस्थ दिखाने की कोशिश। 24 नवम्बर को सरकारी अस्पताल का निरीक्षण कर चर्चा में आए थे रघु शर्मा। अजमेर के जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन भी संक्रमित हुए। अब तक 116 चिकित्सा कर्मी संक्रमित।

26 नवम्बर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण की समीक्षा की। एक दिन पहले केन्द्र सरकार ने कोरोना को लेकर जो गाइड लाइन जारी की उस पर भी सीएम ने बड़े अधिकारियों से संवाद किया। इस समीक्षा बैठक में सीएमआर में सीएम के साथ मुख्य सचिव निरंजन आर्य, चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा डॉ. सुधीर भंडारी, चिकित्सा यूनिवर्सिटी के राजाबाबू आदि भी जुड़े। राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में रघु शर्मा के वीसी के जरिए जुडऩे को लेकर एक बार फिर चर्चा हो रही है। रघु शर्मा 22 नवम्बर की रात से ही कोरोना संक्रमित घोषित हो चुके हैं। आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति अस्पताल या घर पर अपना इलाज करवाता है। रघु शर्मा को भी 23 नवम्बर को जयुपर के आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। लेकिन रघु शर्मा मीडिया की सुर्खिया तब बने जब उन्होंने 24 नवम्बर को इसी अस्पताल के विभिन्न वार्डो में जाकर निरीक्षण किया। इस अवसर पर अस्पताल से जुड़े बड़े चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन किसी भी चिकित्सक ने कोरोना संक्रमित मंत्री के निरीक्षण पर ऐतराज नहीं किया। अब राष्ट्रीय न्यूज चैनलों पर रघु शर्मा को लेकर लगातार खबरें प्रसारित हो रही हैं। इसी प्रकार प्रादेशिक अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे जा रहे हैं। सवाल उठाया जा रहा है कि जब रघु शर्मा कोरोना संक्रमित हैं, तो वे चिकित्सा मंत्री की हैसियत से सरकारी अस्पताल का निरीक्षण कैसे कर रहे हैं? रघु शर्मा के सरकारी अस्पताल के निरीक्षण का मामला अभी सुर्खियों में ही है, लेकिन इन सब की परवाह न करते हुए रघु शर्मा 26 नवम्बर को सीएम की वीसी से भी जुड़ गए। रघु शर्मा इन दिनों घर पर ही क्वारंटीन हैं, लेकिन वीडियो कॉन्फं्रेस के जरिए मुख्यमंत्री से संवाद किया। असल में चिकित्सा मंत्री अब स्वयं को स्वस्थ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वे ये बताना चाहते हैं कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद भी स्वस्थ है और उन्हें मरीजों की चिंता है। चुनाव प्रचार में हुए संक्रमित: पंचायतीराज चुनाव के मद्देनजर चिकित्सा मंत्री शर्मा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी (अजमेर) में 18 से 22 नवम्बर तक चुनाव प्रचार किया। इस दौरान कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन भी हुआ। चुनावी सभाओं के संबोधन के दौरान शर्मा ने मास्क भी नहीं लगाया और मंच पर दो गज की दूरी का भी ख्याल नहीं रखा। कार्यकर्ताओं से मालाएं भी पहनी। खुद रघु शर्मा ने माना की चुनाव प्रचार के दौरान हुई है। चुनावी सभाओं में भीड़ थी, इसलिए संक्रमण बढ़ा। शर्मा के संक्रमित हो जाने के बाद केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में खलबली मच हुई है। क्योंकि चार-पांच दिनों में हजारों ग्रामीण रघु शर्मा के सम्पर्क में आए। अस्पताल अधीक्षक भी संक्रमित: अजमेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन की रिपोर्ट पर भी पॉजिटिव आ गई है। लक्षण दिखने के बाद पिछले तीन दिनों से डॉक्टर जैन घर पर ही क्वारंटीन हो गए थे। 25 नवम्बर की रात को डॉक्टर जैन की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। प्राप्त जानकारी के अनुसार जेएलएन अस्पताल और इससे जुड़े जनाना तथा सैटेलाइट अस्पताल में कोरोना काल में अब तक 116 चिकित्सा कर्मी संक्रमित हो चुके हैं। इनमें डॉक्टर नर्सिंग कर्मी, तकनीकी कर्मचारी, वार्ड ब्यॉय आदि शामिल हैं। हालांकि चिकित्सा कर्मियों को अस्पताल में सुरक्षा की सभी सुविधाएं उपलब्ध है,लेकिन इसके बाद भी अस्पताल अधीक्षक सहित 116 चिकित्सा कर्मियों के संक्रमित होने से संक्रमण की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है, अजमेर में रोजाना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसमें कोई दो राय नहीं की डॉक्टर अनिल जैन अस्पताल की व्यवस्थाओं को बनाए रखने में रात और दिन मेहनत कर रहे थे। डॉक्टर जैन का प्रयास रहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में पर्याप्त सुविधा मिलती रहे। S.P.MITTAL BLOGGER (26-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

क्या पंजाब के किसान मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह के राजनीतिक हथियार बन रहे हैं? कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तसीगढ़ के किसान क्यों नहीं कर रहे विरोध? पंजाब में अगले वर्ष चुनाव। जब केन्द्र के कृषि कानून को विधानसभा में पलट दिया है तो फिर पंजाब के किसान दिल्ली में क्यों हंगामा करना चाहते हैं?

26 नवम्बर को पंजाब-दिल्ली को जोडऩे वाली हरियाणा सीमा पर दिन भर पंजाब के किसानों का हंगामा होता रहा। पंजाब के किसान दिल्ली में आकर केन्द्र सरकार के खिलाफ नए कृषि कानून का विरोध करना चाहते हैं। 26 नवम्बर को पंजाब के किसानों ने पुलिस की पानी की बौछार और आसंू गैस के गोले की परवाह किए बगैर बेरिकेटस को नदी में फेंक दिया। किसानों ने हरियाणा सीमा पर जिस तरह हिंसक ताकत दिखाई उससे सवाल उठता है कि आखिर पूरे देश में पंजाब के किसान ही क्यों विरोध कर रहे हैं? सब जानते हैं कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में पंजाब में कांग्रेस की सरकार चल रही है। कांग्रेस की सरकार राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में भी है, लेकिन इन दोनों ही राज्यों में केन्द्र के नए कृषि कानूनों को लेकर कोई आंदोलन नहीं हो रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी देश के किसान आंदोलन चलाने का आव्हान नहीं किया है। यानि केन्द्र के कानून का विरोध पंजाब के सीएम अमरेन्द्रि सिंह ही करवा रहे हैं। पंजाब में अगले वर्ष ही विधानसभा के चुनाव होने हैं ओर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह अपने नजरिए से राजनीति कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार गत विधानसभा चुनाव में अमरेन्द्र सिंह ने पंजाब के किसानों से जो वायदे किए है, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया है। चुनाव में साफ कहा था कि केन्द्र सरकार मदद नहीं करेगी, तब भी किसानों के कर्जें माफ किए जाएंगे। अब जब कैप्टन की सरकार अंतिम दौर में है तब भी पंजाब के किसानों पर 90 हजार करोड़ रुपए बकाया है। अपनी सरकार की नाराजगी को केन्द्र सरकार पर थोपने के लिए ही पंजाब में किसानों को उकसाया जा रहा है। जबकि पंजाब का किसान मेहनती और ईमानदार है। ऐसा नहीं कि पंजाब के सारे किसान केन्द्र के नए कानून के खिलाफ है। हजारों किसानों ने नए कानून को किसानों के हित में ही बताया है। सब जानते हैं कि दिल्ली में पिछले दिनों जब संसद मार्ग पर एक ट्रेक्टर को जलाया गया था, तब कांग्रेस के पदाधिकारी ही सामने आए थे। सवाल यह भी है कि जब पंजाब विधानसभा में केन्द्र के कृषि कानून को पलट दिया है तो फिर आंदोलन क्यों करवाया जा रहा है? जाहिर है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पंजाब के किसानों को राजनीतिक हथियारों के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। पंजाब के किसान आंदोलन से पंजाब के लोग तो परेशान है ही साथ ही हरियाणा और दिल्ली के आम नागरिक भी सड़क जाम से परेशान हैं। दिल्ली की मेट्रो ट्रेने भी प्रभावित हुई है। पंजाब का आंदोलन तब तो रहा है, जब कोरोना का संक्रमण देशभर में बढ़ रहा है। मौजूदा समय में कोरोना से लडऩे की जरुरत है। S.P.MITTAL BLOGGER (26-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

Wednesday 25 November 2020

कोरोना को रोकने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा पानी फेर रहे हैं। संक्रमित होने के बाद भी सरकारी अस्पताल में जबरन निरीक्षण पर हाईकोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। केकड़ी में मंत्री की करतूत का ख़ामियाज़ा भुगतेगा चिकित्सा विभाग। कोरोना जांच के लिए स्पेशल कैम्प की तैयारियां।

24 नवम्बर को जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोरोना संक्रमण पर प्रदेश की तैयारियां बता रहे थे, तब कोरोना संक्रमित चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा जयपुर स्थित आरयूएचएस अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे। हालांकि अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों ने निरीक्षण नहीं करने की सलाह दी थी, लेकिन मंत्री रघु शर्मा ने चिकित्सकों की सलाह को दरकिनार कर अस्पताल का जबरन निरीक्षण किया। रघु शर्मा को 23 नवम्बर की सुबह इस अस्पताल में कोरोना इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। रघु शर्मा कोरोना संक्रमण का इलाज करवाते इसके बजाए उन्होंने अस्पताल के निरीक्षण की जिद की। निरीक्षण के बाद रघु शर्मा अपने घर चले गए और कहा कि अब वे घर पर ही क्वारंटीन रहेंगे। सीएम अशोक गहलोत बताएं कि क्या एक संक्रमित व्यक्ति सरकारी अस्पताल का निरीक्षण कर सकता है? एक ओर प्रधानमंत्री के समक्ष बताया जा रहा है कि राजस्थान में कोरोना से मुकाबला करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और दूसरी ओर संक्रमित मंत्री ही सरकारी अस्पताल का जबरन निरीक्षण कर रहे हैं। क्या यह कोविड-19 के कानून का उल्लंघन नहीं है? सीएम गहलोत राजनीतिक मजबूरी के चलते इस मुद्दे पर चुप रहेंगे। चिकित्सा विभाग के किसी भी अधिकारी में हिम्मत नहीं कि वह मंत्री के खिलाफ कार्यवाही की मांग करे। ऐसे प्रदेश वासियों निगाह हाईकोर्ट पर ही लगी हुई है। इस मामले में हाईकोर्ट को स्वप्रेरणा से संज्ञान लेना चाहिए। यदि चिकित्सा मंत्री ही कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करेंगे तो फिर आम लोगों से कैसे पालना की उम्मीद की जा सकती है? केकड़ी में स्पेशल कैंपों की तैयारियां: अजमेर का केकड़ी उपखंड चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का निर्वाचन क्षेत्र हैं। पंचायतीराज के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में रघु 18 से 21 नवम्बर तक पूरे विधानसभा क्षेत्र में करीब 75 जनसभाएं की। अधिकांश जनसभाओं में संबोधन के दौरान मंत्री ने मास्क नहीं लगाया। मास्क लगाए बगैर ही सैकड़ों लोगों से रघु ने मालाएं पहनी और फिर अपने गले से उतारी मालाओं को सरपंचों एवं प्रमुख कार्यकर्ताओं को पहना दी। चूंकि 22 नवम्बर की रात को रघु शर्मा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, इसलिए केकड़ी की चुनावी सभाओं में सम्पर्क में आने वाले हजारों ग्रामीणों के संक्रमित होने का खतरा हो गया है। यही वजह है कि अब चिकित्सा विभाग केकड़ी में स्पेशल कैम्प लगाने की तैयारियां कर रहा है। लोगों से अपील की जा रही है कि जो लेाग रघु शर्मा के सम्पर्क में आए उन्हें कोरोना जांच करवानी चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (25-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

अहमद पटेल के निधन का असर राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति पर पड़ेगा। राजस्थान में विवादों के निपटारे के लिए बनी तीन सदस्यीय समन्वय समिति के अध्यक्ष थे अहमद पटेल। सीएम अशोक गहलोत के लिए यह व्यक्तिगत क्षति होगी।

कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का 25 नवम्बर की तड़के निधन हो गया। 71 वर्षीय पटेल कोरोना संक्रमित होने के बाद दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे थे, लेकिन कोरोना ने आखिर पटेल की जान ले ही ली। पटेल गांधी परिवार के सबसे वफादार नेता रहे। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जब केन्द्र में 10 वर्षों तक यूपीए की सरकार रही, तब अहमद पटेल श्रीमती सोनिया गांधी को राजनीतिक सलाह देते थे। इससे पटेल की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। अहमद पटेल का निधन ऐसे समय में हुआ है, जब कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। एक ओर गुलामनबी आजाद, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम जैसे नेता बागी हो रहे हैं, तब अहमद पटेल जैसे वफादार नेता का निधन हो गया। यह गांधी परिवार के लिए भारी राजनीतिक क्षति हैं। अहमद पटेल गांधी परिवार के लिए हमेशा संकट मोचक रहे हैं। पटेल का निधन राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति पर भी असर डलेगा। गत जुलाई-अगस्त में जब सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट का विवाद बढ़ा तब विवादों को निपटाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने तीन सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया। इस समिति का अध्यक्ष पटेल को ही बनाया गया। पटेल ने दिल्ली में समिति के सदस्य केसी वेणुगोपाल और अजय माकन के साथ दो तीन बार बैठकें भी की। कांग्रेस की राजनीति में पटेल का कद इतना बड़ा रहा कि सचिन पायलट जैसे युवा नेता पटेल के सामने सवाल जवाब करने की स्थिति में नहीं थे। यही वजह रही कि समन्वय समिति के परिणाम की जानकारी आज तक किसी को भी नहीं है। कांग्रेस की राजनीति में अहमद पटेल को सीएम अशोक गहलोत का मददगार माना जाता है। जानकारों के अनुसार दिसम्बर 2018 में गहलोत को सीएम बनवाने में पटेल की भी सक्रिय भूमिका रही। पटेल के निधन का असर राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति पर भी पड़ेगा। हालांकि मौजूदा समय में सीएम गहलोत की स्थिति बहुत मजबूत है और उनके नेतृत्व को चुनौती देने वाला फिलहाल कोई नहीं है। लेकिन गांधी परिवार में गहलोत की पैरवी करने में पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी। गहलोत पूर्व में पटेल के गृह प्रदेश गुजरात के प्रभारी भी रहे है, इसलिए दोनों में बेहतर तालमेल रहा। पटेल के निधन से गहलोत को भारी आघात लगा है। यही वजह रही कि गहलोत ने 25 नवम्बर के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए। गहलोत पटेल के परिवार के सदस्यों से लगातार सम्पर्क में हैं। अब राजस्थान कांग्रेस का एक ओर सदस्य कम हो गया है। S.P.MITTAL BLOGGER (25-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

आखिर कोरोना ने खेल अधिकारी प्रमोद जादम की भी जान ले ली। शादी ब्याह का जश्न मनाने वाले लोग कोरोना से थोड़ा तो डरें। कोरोना के सामने सरकार के इंतजाम नाकाफी।

अजमेर निवासी और भारतीय एथलेटिक महासंघ के उपाध्यक्ष प्रमोद जादम का निधन 24 नवम्बर की रात को अजमेर के कोटड़ा स्थित आरएस अस्पताल में हो गया। इसी अस्पताल में 22 नवम्बर को मशहूर वकील अशोक तेजवानी का निधन भी हो गया था। अस्पताल प्रबंधन ने जादम और तेजवानी को बचाने के भरसक प्रयास किए, लेकिन आखिर में कोरोना वायरस ने दोनों की जान ले ली। तेजवानी और जादम दोनो ही अपने अपने क्षेत्र में लोकप्रिय थे। प्रमोद आदम को खेल और राजनीति विरासत में मिली थी। पिता एमएल जादम का अंतर्राष्ट्रीय खेल मंच पर नाम था। प्रमोद ने अपने पिता की विरासत को ही आगे बढ़ाया। स्वर्गीय एमएल जादम से मेरे पारिवारिक संबंध रहे और मुझे उनका स्नेह हमेशा मिलता रहा। एक बार जब अजमेर के मेयो कॉलेज के मैदान पर राज्य स्तरीय एथलीट प्रतियोगिता आयोजित करवाई तो जादम साहब ने मुझे प्रतियोगिता की आयोजन समिति का सचिव बनाया। यह उनका मेरे प्रति स्नेह था। बाद में इस स्नेह को उनके पुत्र प्रमोद जादम ने भी बनाए रखा, हालांकि मैं और प्रमोद जादम हम उम्र के हैं, लेकिन मेरे प्रति सम्मान करने में प्रमोद ने कभी भी कोई कसर नहीं रखी। अपने पिता द्वारा शुरू की गई डिनर की परंपरा को भी जारी रखा। कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती दैनिक नवज्योति समाचार के सम्पादक ओम माथुर और मुझे डिनर की जो परंपरा जादम साहब ने शुरू की थी उसे प्रमोद ने हमेशा निभाया। प्रमोद गत वर्ष ही रेलवे की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए थे, तब भी पार्टी का आयोजन किया। खेल जगत में प्रमोद जादम का उल्लेखनीय योगदान है। टीटी के अंतर्राष्ट्रीय खेल अधिकारी धनराज चौधरी का कहना है कि प्रमोद जादम के निधन से खेल के क्षेत्र में अजमेर का बहुत नुकसान हुआ है। प्रमोद राजस्थान ओलंपिक संघ से भी जुड़े रहे और उन्होंने अनेक खेल प्रतिभाओं को प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर शोहरत दिलवाई। कोरोना से डरने की जरुरत: प्रमोद जादम और अशोक तेजवानी जैसे अनेक समृद्ध व्यक्ति हैं जिनकी जान कोरोना ने ले ली है। लाख कोशिश के बाद संक्रमित व्यक्ति को बचाया नहीं जा रहा है। इन दिनों शादी-ब्याह का सीजन चल रहा है और लोक जश्न मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे लोगों को अब कोरोना से डरने की जरुरत है। हालांकि सरकार की ओर से अनेक पाबंदियां लगाई गई है, लेकिन लोगों को इन पाबंदियों के बजाए कोरोना से डरना चाहिए। अच्छा हो कि लोग अपने परिवार के सदस्यों के बीच ही विवाह की रस्में कर लें। यदि किसी परिवार से बाहर से रिश्तेदार आते हैं तो यह भी खतरनाक है। विवाह में बाहर से आने वाले रिश्तेदारों को भी टाला जा सकता है। देश के अन्य शहरों में कोरोना का प्रकोप है। बाजारों में जिस तरह भीड़ है उससे प्रतीत होता है कि लोग अभी भी कोरोना से डर नहीं रहे हैं। शायद ही कोई परिवार होगा जिसे कोरोना की मार नहीं झेलनी पड़ी हो। सरकार के इंतजाम भी नाकाफी है, इसलिए लोगों को ही सतर्कता बरतने की जरुरत है। S.P.MITTAL BLOGGER (25-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511 Attachments area

Tuesday 24 November 2020

गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष हार्दिक पटेल की जियारत के बाद अजमेर दरगाह में घमासान। पटेल को जियारत करवाने वाले खादिम फैजल नियाजी के विरुद्ध महामारी कानून में मुकदमा दर्ज। हार्दिक पटेल के लिए मैंने जियारत की सामग्री उपलब्ध नहीं करवाई-आरोपी खादिम। राजस्थान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष खानूखान बुधवाली भी जियारत के समय उपस्थित रहे।

गुजरात कांग्रेस के प्रदेशध्यक्ष हार्दिक पटेल ने 22 नवम्बर को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में धूप धड़ाके के साथ जियारत की। पटेल ने सूफी परंपरा के अनुरूप अपने सिर पर मखमली और फूलों की चादर रखी और मजार शरीफ पर पेश की। जियारत तो सुकून के साथ हो गई, लेकिन अब पटेल की जियारत को लेकर दरगाह में घमसान मचा हुआ है। पुलिस ने हार्दिक पटेल को जियारत करवाने वाले खादिम फैजल नियाजी के विरुद्ध राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस का आरोप है कि कोरोना काल में दरगाह में चादर फूल प्रसाद आदि चढ़ाने पर रोक लगी हुई है, लेकिन इसके बाद भी हार्दिक पटेल की जियारत के सामय ऐसी प्रतिबंधति सामग्री का उपयोग हुआ। चूंकि पटेल को खादिम फैजल ने ही जियारत करवाई है, इसलिए मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस के पास तो सब सबूत हैं, जिससे पता चलता है कि जियारत के समय कानून का उल्लंघन हुआ। मुकदमा दर्ज होने पर दरगाह के कई खादिमों ने नाराजगी जताई है, वहीं पटेल के खादिम फैजल का कहना है कि जियारत की सामग्री उसने उपलब्ध नहीं करवाई। पटेल के साथ राजस्थान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष खानूखान बुधवाली और उनके समर्थक भी मौजूद थे। हो सकता है कि ऐसे ही किसी समर्थक ने चादर, फूल आदि सामग्री उपलब्ध करवाई और फिर सूफी परंपरा के अनुरूप हार्दिक पटेल के सिर पर रख दी हो। लेकिन ऐसी सामग्री उन्होंने उपलब्ध नहीं करवाई। फैजल ने कहा कि हार्दिक पटेल की सुरक्षा में पुलिस वाले भी लगे हुए थे, यदि कानून का उल्लंघन हो रहा था तो उसी समय रोकना चाहिए था। फैजल ने इस बात पर अफसोस जताया कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी हार्दिक पटेल की जियारत को लेकर मुकदमा दर्ज हो रहा है। फैजल ने कहा कि इस मामले में हार्दिक पटेल का तो कोई सरोकार ही नहीं है। पुलिस का बोल्ड कदम: अजमेर में जब लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है तब पुलिस ने बोल्ड कदम उठाया है। इन दिनों बड़ी संख्या में लोग बाहर से जियारत के लिए आ रहे हैं। यही वजह है कि दरगाह परिसर खचाखच भरा रहता है। हालांकि 22 नवम्बर से अजमेर में भी रात्रिकालीन कर्फ्यू लग गया है। लेकिन दिन में जियारत के लिए भीड़ लगी रहती है। ऐसे में यदि चादर फूल आदि चढ़ाने को बढ़ावा मिलेगा तो संक्रमण के हालात और बिगड़ेंगे। जियारत के लिए प्रभावशाली लोग आते ही रहते हैं। ऐसे में हार्दिक पटेल की जियारत के समय चादर फूल आदि चढ़ाने की अनदेखी नहीं की जा सकतीं है। यदि एक व्यक्ति को छूट दी जाएगी तो फिर अन्य भी ऐसी ही छूट मांगेंगे। राज्य भर में धार्मिक स्थलों पर पूजा सामग्री पर रोक लगी हुई है। S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

राजस्थान में कोरोना काल में चार हजार चिकित्सक सरकार के नियुक्ति आदेश के इंतजार में है। राजस्थान लोक सेवा आयोग में भी अटकी पड़ी है 269 डॉक्टरों की भर्ती परीक्षा। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं सरकारी अस्पताल।

24 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के कोरोना प्रभावित 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना संक्रमण से निपटने की तैयारियों को लेकर वीडियो कॉन्फ़्रेंस के जरिए संवाद किया। ये ऐसे राज्य रहे जहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा है। इस कॉन्फ़्रेंस में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी प्रदेश की स्थिति से प्रधानमंत्री को अवगत कराया और केन्द्र से मदद की गुहार की। इसमें कोई दो राय नहीं जिस तरह संक्रमण बढ़ रहा है, उसमें राजस्थान को भी मदद की जरुरत है। लेकिन इसके साथ ही राजस्थान सरकार को भी अपने जिम्मेदारी निभानी चाहिए। राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को चार हजार चिकित्सकों की भर्ती करनी है। इस भर्ती के लिए लिखित परीक्षा भी हो चुकी है। यहां तक कि पात्र चिकित्सकों के दस्तावेजों की जांच भी हो गई है। अब सिर्फ चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र देना है। लेकिन ऐसे नियुक्ति पत्र लाल फीताशाही के जाल में उलझे हुए हैं। इधर कोरोना काल में सरकारी अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं तो वहीं चार हजार चिकित्सक नियुक्ति पत्र के इंतजार में बैठे हैं। कई स्वास्थ्य केन्द्रों पर तो डॉक्टर ही नहीं है। ऐसे में कपाउंडर और वार्ड ब्यॉय ही चिकित्सक बने हुए हैं। ज्ञायनिक रोग की महिला चिकित्सकों की तो बेहद कमी है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों पर महिला मरीज़ो की संख्या ज्यादा है। यदि चार हजार चिकित्सकों को आदेश मिल जाए तो चिकित्सकों की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। पूर्व में परीक्षाएं दो बार निरस्त हो चुकी हैं, ऐसे में जब तक नियुक्ति आदेश न मिल जाए तब तक चिकित्सकों में बेचेनी है। सवाल उठता है कि जब सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई है तो फिर सरकार नियुक्ति आदेश क्यों नहीं दे रही? चार हजार चिकित्सकों के साथ साथ राजस्थान लोक सेवा आयोग में भी 269 पदों पर असिसटेंट प्रोफेसर की नियुक्ति भर्ती प्रक्रिया भी अटकी पड़ी है। आयोग ने अगस्त माह में परीक्षा ली थी, लेकिन परीक्षा का परिणाम अभी तक भी जारी नहीं हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में भी चिकित्सकों की नियुक्ति के मामले में कितनी सुस्ती बरती जा रही है। क्या चिकित्सा विभाग और आयोग में काम को गति देकर चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती? एक ओर जब सरकार कोरोना को लेकर गंभीर होने का दावा करती है, तब राजस्थान में चिकित्सकों की नियुक्ति का मामला लटका हुआ है। S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

क्या चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में स्पेशल कैम्प लगाकर ग्रामीणों का कोरोना टेस्ट करवाएंगे? कोविड-19 के नियमों की धज्जियाँ उड़ा कर मंत्री ने तीन पंचायत समितियों के 75 गांवों में चुनावी सभाएं की। कोरोना संक्रमित होने के बाद रघु शर्मा ने कहा कि सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं जांचने के लिए भर्ती हुआ हंू। अस्पताल में भी नहीं लगाया मास्क।

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा कोरोना संक्रमित होने के बाद जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। 23 नवम्बर को अस्पताल के कमरा नम्बर 1017 में भर्ती होने के बाद रघु ने कहा कि सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं जांचने के लिए वे भर्ती हुए हैं। शरीर में संक्रमण का असर बहुत कम है। वे चाहते तो घर पर भी क्वारंटीन हो सकते थे, लेकिन उन्होंने सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवाना उचित समझा। मालूम हो कि रघु शर्मा 18 से 22 नवम्बर तक अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी के दौरे पर रहे। पंचायतीराज के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में करीब 75 सभाओं को संबोधित किया। इन सभाओं में कोविड-19 के नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई गई। खुद चिकित्सा मंत्री ने मास्क नहीं लगाया। चुनावी सभाओं के मंच पर भी दो गज की दूरी का ख्याल नहीं रखा। केकड़ी के हजारों ग्रामीण रघु शर्मा के सीधे सम्पर्क में आए। कई सरपंच तो रघु के साथ लगातार रहे। रघु ने अपने गले की मालाएं सैकड़ों ग्रामीणों को सम्मान पूर्वक पहनाई। चुनावी सभाओं में जो ग्रामीण रघु के सम्पर्क में आए, उनमें अब खलबली मची हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्पेशल कैम्प लगाकार उन ग्रामीणों का कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा, जो रघु के सम्पर्क में आए हैं? इस मामले में खुद रघु को पहल करनी चाहिए, क्योंकि चुनावी सभाओं में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले ग्रामीण भी बड़ी संख्या में रघु के सम्पर्क में आए हैं। कम से कम ऐसे बुजुर्ग ग्रामीण की तो जांच होनी ही चाहिए। कोरोना संक्रमण के जानकारों के अनुसार संक्रमण का असर तीन-चार दिन में महसूस होता है। ऐसे में रघु के सम्पर्क में आए ग्रामीणों की पहचान होना भी जरूरी है। यदि इस मामले में लापरवाही बरती गई तो केकड़ी में हालात बिगड़ सकते हैं। रघु शर्मा तो चिकित्सा मंत्री है, इसलिए उनका इलाज तो सरकारी खर्चें पर हो जाएगा, लेकिन सरकार को केकड़ी के ग्रामीणों की चिंता करनी चाहिए। यह माना कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की इम्युनिटी मजबूत होती है, लेकिन मामला सीधे चिकित्सा मंत्री से जुड़ा हुआ है, इसलिए सरकार को स्पेशल कैम्प लगवाने में गंभीरता दिखानी चाहिए। सवाल यह भी है कि आखर चुनावी सभाओं में चिकित्सा मंत्री ने मास्क क्यों नहीं लगाया? यदि रघु शर्मा मास्क लगा लेते तो आज हालात नहीं बिगड़ते। गंभीर बात तो यह है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी रघु शर्मा मास्क से परहेज कर रहे हैं। जबकि चिकित्सा विभाग पर ही मास्क के प्रति लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी है। जब मास्क न लगाकर चिकित्सा मंत्री खुद ही संक्रमित हो गए हैं कि चिकित्सा विभाग की अपील का कितना असर होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

अजमेर में प्रशासन भी करवाएगा शादी समारोह की वीडियोग्राफी। कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन होने पर जुर्माना वसूला जाएगा। शादी समारोह की सिर्फ सूचना देनी है। पुलिस का भी नहीं है दखल-कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित। चिकित्सा मंत्री के सम्पर्क में आए केकड़ी के ग्रामीण उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोरोना टेस्ट करवा सकते हैं।

शादी समारोहों में 100 से अधिक लोगों के शामिल होने पर अजमेर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। ऐसे समारोह में कोविड-19 के नियमों का पालन भी सख्ती से करवाया जाएगा। अजमेर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने माना कि इन दिनों कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है और ऐसे माहौल में भी शादी समारोह हो रहे हैं। प्रशासन नहीं चाहता कि किसी की लापरवाही से संक्रमण को बढ़ावा मिले। आमतौर पर शादी के हर समारोह में वीडियोग्राफी होती ही है, लेकिन 100 से अधिक लोगों की मौजूदगी वाले समारोह की वीडियोग्राफी प्रशासन भी अपने स्तर पर करा सकता है ताकि कोविड-19 के नियमों के उल्लंघन का पता लगाया जा सके। यदि किसी समारोह में 100 से अधिक लोग मिले तो शादी के आयोजकों से 25 हजार रु पए का जुर्माना वसूला जाएगा। लोगों को समारोह में दो गज की दूरी के नियमों का भी पालन करना होगा। कलेक्टर ने कहा कि शादी समारोह की सूचना देने में किसी भी परिवार को परेशान होने की जरुरत नहीं है। प्रशासन की ओर से कोई अनुमति भी नहीं दी जा रही है। परिवार के किसी भी सदस्य को समारोह स्थल के बारे में विस्तृत सूचना देनी है। यह सूचना शहर में अतिरिक्त कलेक्टर को तथा ग्रामीण क्षेत्र में उपखंड कार्यालय में देनी है। सूचना के साथ आधार कार्ड जैसा कोई दस्तावेज देने की जरुरत नहीं है। ऐसी सूचना सादे कागज पर लिख दी जा सकती है। कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि सूचना देने के मामले में पुलिस का कोई दखल नहीं है। यदि किसी संबंधित थाने से शादी वाले परिवार को बुलाया जा रहा है तो इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से बात करेंगे। राज्य सरकार ने जो दिशा निर्देश दिए है, उसमें शादी वाले परिवार के सदस्यों को पुलिस थाने पर बुलाने का प्रावधान नहीं है। हो सकता है कि किसी थाने की पुलिस समझाइश कर रही हो। सम्पर्क में आए ग्रामीण टेस्ट करवा सकते हैं: अजमेर जिले के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के जो ग्रामीण 18 से 21 नवम्बर के बीच चुनावी सभाओं में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के सम्पर्क में आए हैं वे अपना कोरोना टेस्ट निकटवर्ती उप स्वास्थ्य केन्द्र पर करवा सकते हैं। कलेक्टर ने कहा कि इस संबंध में केकड़ी के चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में चिकित्सा मंत्री ने केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में चार दिनों में करीब 75 चुनावी सभाएं की थी। 22 नवम्बर को चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा खुद पॉजिटिव हो गए। शर्मा अब जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती हैं। रघु शर्मा के कोरोना पॉजिटिव होने से पूरे केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में खलबली मची हुई है। 75 चुनावी सभाओं के माध्यम से हजारों लोग मंत्री के संपर्क में आए। मंत्री ने सैकड़ों लोगों को अपने गले से उतारी मालाएं भी पहनाई। S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

Monday 23 November 2020

कोरोना संक्रमित होने के लिए राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा खुद जिम्मेदार। अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में लगातार चार दिनों तक बगैर मास्क लगाए चुनावी सभाएं की। अब सम्पर्क में आए केकड़ी के हजारों लोगों का क्या होगा?

कोरोना संक्रमित होने के लिए राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा खुद जिम्मेदार। अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में लगातार चार दिनों तक बगैर मास्क लगाए चुनावी सभाएं की। अब सम्पर्क में आए केकड़ी के हजारों लोगों का क्या होगा? ============== 23 नवम्बर को राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को जयपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। रघु की कोरोना रिपोर्ट 22 नवम्बर की रात को ही पॉजिटिव आई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फोन पर रघु शर्मा के स्वास्थ्य की जानकारी ली है। शर्मा गत 18 नवम्बर से ही अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी (अजमेर) में रह रहे थे। शर्मा केकड़ी में होने वाले पंचायतीराज चुनाव में व्यस्त थे। 23 नवम्बर को सुबह ही शर्मा केकड़ी से जयपुर के लिए रवाना हुए। चिकित्सा मंत्री के कोरोना संक्रमित हो जाने से चिकित्सा महकमे में खलबली मच गई है। असल में कोरोना संक्रमित होने के लिए रघु शर्मा खुद जिम्मेदार हैं। 18 से 21 नवम्बर के बीच रघु शर्मा ने केकड़ी, सरवाड़ और सावर पंचायत समिति के 75 गांवों में चुनावी सभा को संबोधित किया। इन सभाओं में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। इन सभाओं में कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं किया गया। दो गज की दूरी का भी ख्याल नहीं रखा गया। चुनावी सभाओं में संबोधन के दौरान रघु शर्मा ने मास्क भी नहीं लगाया। लोग बड़ी संख्या में रघु को माला और साफे पहनाते रहे। खुद रघु शर्मा ने अपने गले से उतरी मालाएं सरपंचों और प्रमुख नेताओं को पहनाई। बड़ी बड़ी मालाओं के साथ गोले में फोटो भी खिंचवाए गए। 18 से लेकर 21 नवम्बर तक सभाओं की वीडियो ग्राफी देखी जाए तो साफ पता चलता है कि रघु शर्मा ने चिकित्सा मंत्री होने के बाद भी कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं किया। जयपुर में सरकारी दफ्तर में रघु ने अपनी टेबल पर बडे बड़े कांच लगा रखे हैं। कांच के घेरे में ही रघु शर्मा अधिकारियों से मिलते हैं, लेकिन अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में रघु ने जयपुर जैसी सतर्कता नहीं बरती। यदि रघु शर्मा मास्क लगा लेते तो शायद कोरोना संक्रमित नहीं होते। चुनावी सभाओं में रघु शर्मा मास्क नहीं लगा रहे हैं, इसको लेकर मैंने 20 नवम्बर को ब्लॉग भी लिखा था। ब्लॉग के साथ रघु का बगैर मास्क वाला फोटो भी लगाया था, लेकिन रघु शर्मा मास्क नहीं लगाने की अपनी जिद पर कामय रहे। गंभीर बात तो यह है कि रघु को चुनावी सभाओं में मास्क लगाने की हिदायत अजमेर और केकड़ी के प्रशासन ने भी नहीं दी। जबकि हर सभा में मंत्री की सुरक्षा के लिए संबंधित थाने की पुलिस भी उपस्थित रही। पुलिस कर्मी मास्क नीं लगाने पर आम लोगों से जुर्माना वसूलते हैं, लेकिन किसी भी सरकारी कर्मचारी ने रघु शर्मा को मास्क लगाने की सलाह नहीं दी। रघु शर्मा तो चिकित्सा मंत्री है, इसलिए जयपुर में सरकारी खर्च पर बढिय़ा इलाज हो जाएगा, लेकिन सवाल उठता है कि केकड़ी के जो हजारों लोग रघु के सम्पर्क में आए उनका क्या होगा? अभी तक प्रशासन ने ऐसे लोगों की कोई चिंता नहीं की है। हालांकि रघु के साथ उनके पुत्र सागर शर्मा भी सभी चुनावी सभाओं में उपस्थित रहे थे। अब मंत्री पुत्र की जांच करवाई जा रही है। असल में रघु शर्मा ने अपने क्षेत्र में पंचायतीराज के चुनावों को बहुत गंभीरता से लिया। राजस्थान 19 नवम्बर से कोरोना संक्रमण का रिकॉर्ड टूट रहा है। प्रदेश के आठ जिलों में रात्रिकालीन कफ्र्यू भी लगाया गया है। लेकिन इस अवधि में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा जयपुर रहने के बजाए अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में रहे। केकड़ी में 23 नवम्बर को तीन पंचायत समितियों के वार्ड सदस्य के लिए मतदान हुआ। तय कार्यक्रम के अनुसार रघु को 23 नवम्बर को भी केकड़ी में ही रुकना था, लेकिन 22 नवम्बर को देर रात कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव हो जाने के कारण 23 नवम्बर को सुबह मजबूरी में केकड़ी छोडऩा पड़ा। अब केकड़ी लोगों ने रघु शर्मा के शीघ्र स्वास्थ्य होने की कामना की है। मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर रघु शर्मा की चुनावी सभाओं के फोटो देखे जा सकते हैं। रघु ने किसी भी सभा में मास्क नहीं लगा रखा है। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

क्या गुलामनबी आजाद की भी आलोचना करेंगे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत? बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। कांग्रेस का नेतृत्व अब गांधी वाड्रा परिवार तक सिमटा।

क्या गुलामनबी आजाद की भी आलोचना करेंगे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत? बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। कांग्रेस का नेतृत्व अब गांधी वाड्रा परिवार तक सिमटा। ============== बिहार चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी पार्टी नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए हैं। आजाद ने पार्टी में बढ़ते फाइव स्टार कल्चर की आलोचना की है। आजाद ने माना कि 72 वर्ष में सबसे बुरी दशा मौजूदा समय में हुई है। आजाद के बयान से कांग्रेस में खलबली मची हुई है, इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या अब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की भी आलोचना करेंगे? आजाद से पहले जब कपिल सिब्बल ने बिहार चुनाव की हार पर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, तब सबसे पहले अशोक गहलोत ने सिब्बल के बयान की आलोचना की थी। गहलोत का कहना रहा कि सिब्बल को अपनी बात पार्टी फोरम पर कहनी चाहिए। ऐसे बयानो से उन ताकतों को बल मिलता है जो कांग्रेस को कमजोर करना चाहते हैं। गहलोत के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी आलोचना की और स्वयं को पार्टी नेतृत्व के साथ बताया। कांग्रेस की राजनीति में गुलाम नबी आजाद का बहुत बड़ा कद रहा है। आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। यदि आजाद जैसा कांग्रेसी भी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बोल रहा है तो यह कांग्रेस के लिए गंभीर बात है। सीएम गहलोत हमेशा से ही गांधी परिवार के प्रति वफादार रहा है, इसलिए उनकी प्रतिक्रिया भी मायने रखती है। अब देखना होगा कि आजाद के बयान पर गहलोत क्या प्रतिक्रिया देते हैं। अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, अधीर रंजन चौधरी जैसे कांग्रेसी माने या नहीं, लेकिन अब कांग्रेस का नेतृत्व गांधी वाड्रा परिवार तक सिमट गया है। अब यदि सोनिया गांधी भी पद छोड़ेंगी तो राहुल गांधी की बहन श्रीमती प्रियंका वाड्रा को नया अध्यक्ष बना दिया जाएगा। कांग्रेस में जब तक अशोक गहलोत जैसे नेता सक्रिय रहेंगे, तब तक कांग्रेस का नेतृत्व गांधी वाड्रा परिवार के पास ही रहेगा। असल में गहलोत सरीखे नेताओं को पता है कि गांधी-वाड्रा परिवार के बगैर कांग्रेस बिखर जाएगी। भले ही गांधी-वाड्रा परिवार की नीतियों की वजह से वरिष्ठ नेता नाराज हो, लेकिन कांग्रेस का वजूद इसी परिवार से जुड़ा हुआ है। चूंकि अब राज्यों में भी कांग्रेस कमजोर हो रही है, इसलिए बड़े नेता भी सत्ताविहीन हो रहे हैं। गुलाम नबी आजाद को भी राज्य सभा का सांसद फिर से नहीं बनाया है, इसलिए राज्यसभा का प्रति पक्ष का नेता का पद भी छीन रहा है। आने वाले दिनों में आजाद के पास दिल्ली में मुफ्त का सरकारी बंगाल भी नहीं रहेगा। आजाद पिछले चालीस वर्षों से कांग्रेस में रह कर सत्ता की मलाई खा रहे हैं। गांधी परिवार को भी अब अपनी गलती का अहसास होगा। असल में आजाद जैसे कांग्रेसी एक दिन भी सत्ता के बगैर नहीं रह सकते हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

क्या मंदिर परिसर में एक हिन्दू लड़की से प्रेमालाप करने से ही हो सकता है सूटेबल ब्वॉय? ऐसी वेब सीरिज़ का बहिष्कार होना चाहिए। क्या ऐसे अश्लील दृश्य हिन्दू के अलावा किसी अन्य धार्मिक स्थल पर फ़िल्माए जा सकते हैं?

क्या मंदिर परिसर में एक हिन्दू लड़की से प्रेमालाप करने से ही हो सकता है सूटेबल ब्वॉय? ऐसी वेब सीरिज़ का बहिष्कार होना चाहिए। क्या ऐसे अश्लील दृश्य हिन्दू के अलावा किसी अन्य धार्मिक स्थल पर फ़िल्माए जा सकते हैं? ============== समाज में सदभावना बनी रहे यह जरूरी है। लेकिन ऐसी सदभावना सभी वर्गों में दिखनी चाहिए। आधुनिकता और प्रगतिशील विचारों की आड़ में यदि सिर्फ एक समुदाय को ही निशाना बनाया जाएगा तो इससे सदभावना नहीं बनेगी। टीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर अ सूटेबल ब्वॉय वेब सीरिज़ जारी हो रही है। यह वेब सीरिज़ हिन्दू समुदाय को चिढ़ाने वाली है। वेबसीरीज के दृश्यों में हिन्दू धार्मिक स्थलों का मज़ाक उड़ाया गया है। सीरिज़ के एक दृश्य में एक मुस्लिम लड़के को हिन्दू लड़की के साथ प्रेमालाप दिखाया गया है। यह प्रेमालाप मंदिर परिसर में राम धुन की आवाज़ के बीच फिल्माया गया है। सवाल उठता है कि एक मंदिर परिसर में हिन्दू लड़की के साथ प्रेमालाप करने से ही कोई सूटेबल ब्वॉय बन जाएगा? सवाल यह भी है क्या ऐसे अश्लील दृश्य किसी अन्य धर्म के धार्मिक स्थल पर फ़िल्माए जा सकते हैं? चूंकि यह सीरिज़ हिन्दू समुदाय की भावना को आहत करने वाली है, इसलिए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने जांच के निर्देश दिए हैं। असल में लम्बे अर्से से भारत की सनातन संस्कृति पर ऐसे सांस्कृतिक हमले होते रहे हैं। विकृत मानसिकता के लोग ऐसी फिल्मे और सीरिज़ बनाते रहे हैं। जबकि इतिहास गवाह है कि सनातन संस्कृति को मानने वाले लोगों ने लम्बे समय तक अत्याचार सहे हैं। भारत में मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाएँ इसकी गवाह है। सब जानते हैं कि किन आक्रमणकारियों ने हमारी मंदिर तोड़े हैं। लेकिन अब फिल्मों और वेबसीरीज में उदार चेहरा प्रस्तुत किया जा रहा है। क्या हिन्दू लड़की से प्रेमालाप करने से ही कोई सूटेबल ब्वॉय हो जाएगा। अब समय आ गया है जब जैसी सीरीजों का बहिष्कार होना चाहिए। ऐसा सिर्फ फिल्मों और सीरिज़ में ही हो सकता है। हकीक़त में क्या हो रहा है, सब जानते है। प्रेम जाल में फंसाने के बाद कितनी दुर्गति की जाती है यह आज पूरा देश देख रहा है। इसलिए तो धर्म छिपाकर विवाह करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की मांग हो रही है। एक तरफ सख्त कानून की मांग हो रही है तो दूसरी तरफ सूटेबल ब्वॉय जैसी सीरिज़ जारी हो रही है। इससे भारत पर सांस्कृतिक हमले का अंदाजा लगाया जा सकता है। अफ़सोसनाक बात तो यह है कि हिन्दू समुदाय के कुछ लोग ही ऐसी सीरिज़ बनाने वालों के पक्ष में आकर खड़े हो जाते हैं। जहां तक सांप्रदायिक सदभावना का सवाल है तो हिन्दू समुदाय कभी भी पीछे नहीं रहा है। इसकी सबसे बड़ी मिसाल अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह है। दरगाह में आज भी बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग जियारत करने आते हैं। सूफी परंपरा के अनुरूप ही सिर पर मखमली और फूलों की चादर रखकर जियारत की रस्म अदा की जाती है। यानि हिन्दू समुदाय के लोग दूसरे धर्म का पूरा सम्मान करते हैं। लेकिन जब सूटेबल ब्वॉय जैसी सीरिज़ सामने आती हैं तो भावनाएं आहत होती हैं। ऐसा नहीं की दूसरे समुदाय में सदभावना की कमी है। दोनों समुदाय के अधिकांश लोग सदभावना दिखाते हैं। कई स्थानों पर तो पारिवारिक संबंध भी देखने को मिलते हैं। लेकिन कुछ ऐसे तत्व हैं जो बेवजह माहौल बिगाड़ते हैं। ऐसी तत्वों पर ही अब अंकुश लगाने की जरूरत है। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

Sunday 22 November 2020

अशोक चांदना जी जब आप सचिन पायलट को राजनीतिक चुनौती दे सकते हो तो पंचायत समिति के वार्ड सदस्य का चुनाव लडऩे वाला राजू गुर्जर आपको चुनौती क्यों नहीं दे सकता? पायलट के प्रभाव को मिटाना या कम करना आसान नहीं है अशोक गहलोत के समर्थकों के लिए। पंचायतीराज के चुनाव में लग सकता है कांग्रेस को झटका।

अशोक चांदना जी जब आप सचिन पायलट को राजनीतिक चुनौती दे सकते हो तो पंचायत समिति के वार्ड सदस्य का चुनाव लडऩे वाला राजू गुर्जर आपको चुनौती क्यों नहीं दे सकता? पायलट के प्रभाव को मिटाना या कम करना आसान नहीं है अशोक गहलोत के समर्थकों के लिए। पंचायतीराज के चुनाव में लग सकता है कांग्रेस को झटका। =========== राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना को इस बात पर गुस्सा है कि नैनवा पंचायत समिति के वार्ड सदस्य का चुनाव लडऩे वाला कांग्रेस का अदना सा कार्यकर्ता राजू गुर्जर उन्हें चुनौती दे रहा है। चांदना का तर्क है कि राजनीति में मैंने ही राजू को आगे बढ़ाया, उसे सरकारी ठेके दिलवाए ओर आज राजू उन्हीं का कहना नहीं मान रहा है। चांदना इतने गुस्से में है कि राजू को बर्बाद करने की धमकी दे रहे हैं। लेकिन राजू ने भी साफ कह दिया कि मंत्री जी की सरकारी ताकत के बाद भी वह वार्ड सदस्य का चुनाव जीतेगा। हो सकता है कि राजू को सरकारी ठेके दिलवाने में चांदना ने मदद की हो, ऐसा तो हर नेता करता है। यदि कोई नेता अपने समर्थकों को लूट मार करने का अवसर नहीं देगा तो फिर समर्थक कहां से आएंगे? लूट मार करने वाले ही तो समर्थक होते हैं। चांदना का गुस्सा वाजिब हो सकता है, लेकिन सवाल उठता है कि जब अशोक चांदना मंत्री बनने के बाद सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेता को राजनीतिक चुनौती दे सकते हैं तो फिर राजू गुर्जर उन्हें चुनौती क्यों नहीं दे सकता है। सब जानते हैं कि पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस की राजनीति में अशोक चांदना को गुर्जर नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। इसमें सीएम अशोक गहलोत की महत्वपूर्ण भूमिका है। हाल में जब कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में गुर्जरों का आंदोलन हुआ तो सरकार की ओर से चांदना को ही वार्ता के लिए भेजा गया। चूंकि सचिन पायलट भी गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए सीएम चाहते हैं कि अशोक चांदना कांग्रेस की राजनीति पायलट की भूमिका निभाएं। सीएम का संरक्षण होने की वजह से चांदना भी सीधे पायलट को चुनौती देने में कोईकसर नहीं छोड़ रहे हैं। कई मौके पर चांदना ने पायलट पर हमला भी किया है। जुलाई में जब पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों को लेकर दिल्ली चले गए थे। तब अशोक चांदना मजबूती के साथ गहलोत के साथ खड़े रहे। चांदना कांग्रेस के गुर्जर विधायकों के सम्पर्क में भी रहे। हो सकता है तब पायलट को भी चांदना की भूमिका पर वैसे ही गुस्सा आया हो जैसे आज राजू गुर्जर की भूमिका पर चांदना को आ रहा है। चांदना यह समझना चाहिए कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। आज जब आप पायलट का स्थान लेना चाहते हैं तो राजू गुर्जर बूंदी की राजनीति में चांदना का स्थान लेना चाहिए है। चांदना ने मोबाइल पर जो गुस्सा दिखाया उसे राजू गुर्जर ने वायरल कर दिया। इससे चांदना को राजू गुर्जर की हिम्मत और समझ का अंदाजा लगा लेना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

कॉमेडियन भारती और उसके पति की गिरफ्तारी पर क्या कहेंगी सपा की सांसद जया बच्चन? वाकई मुम्बई का फिल्म उद्योग ड्रग्स के नशे में डूबा हुआ है। फिल्मी कलाकारों को ड्रग्स सप्लाई करने वाले अभी भी बचे हुए हैं। फिल्म उद्योग को नशा मुक्त करने के लिए क्या सीएम उद्धव ठाकरे कोई अभियान चलाएंगे?

कॉमेडियन भारती और उसके पति की गिरफ्तारी पर क्या कहेंगी सपा की सांसद जया बच्चन? वाकई मुम्बई का फिल्म उद्योग ड्रग्स के नशे में डूबा हुआ है। फिल्मी कलाकारों को ड्रग्स सप्लाई करने वाले अभी भी बचे हुए हैं। फिल्म उद्योग को नशा मुक्त करने के लिए क्या सीएम उद्धव ठाकरे कोई अभियान चलाएंगे? =========== सलमान खान के बिग बॉस से लेकर कपिल शर्मा के टीवी सीरियलों में लोगों को हंसाने वाली मोटी काया की भारती सिंह और उसके पति हर्ष लिबाचिया को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने मुम्बई में गिरफ्तार कर लिया है। ब्यूरो के अधिकारियों को भारती के घर से 86 ग्राम ड्रग्स (गंजा) मिला। दोनों ने कबूल किया है कि वे ड्रग्स का सेवन करते हैं। भारती और उसके पति की गिरफ्तारी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुम्बई के फिल्म उद्योग में किस तरह ड्रग्स का कारोबार और सेवन होता है। अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद जब अभिनेत्री कंगना रनौत ने फिल्म उद्योग में नशे के कारोबार की बात उठाई थी तो समाजवादी पार्टी की सांसद और पूर्व अभिनेत्री जया बच्चन ने कंगना की ओर से इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते है। जया का कहना रहा कि मुम्बई आकर फिल्मों में पैसा कमाते हैं और मुंबई को ही बदनाम करते हैं। उस समय जया के बयान का उन लोगों ने समर्थन किया जो फिल्म उद्योग को अपनी बपौती समझते हैं। सबको पता है कि ड्रग्स का सेवन बहुत बुरा है, लेकिन फिर भी कई लोग इस बुराई के साथ खड़े हो जाते हैं। जिस तरह भारती के घर से 86 ग्राम गंजा बरामद हुआ, उससे प्रतीत होता है कि फिल्मी कलाकार ड्रग्स के कितने आदि हो चुके हैं। पूर्व फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादूकोण से भी एनसीबी ने पूछताछ की। वाट्सएप पर ड्रग्स मांगने के मामले में तो कई कलाकार उलझे हुए हैं। दावा किया जाता है कि फिल्म और टीवी सीरियलों के माध्यम से कलाकार लोगों का मनोरंजन करते हैं, लेकिन पता चल रहा है कि मनोरंजन करने वाले कलाकार खुद नशे में डूबे हुए है। जाहिर है कि फिल्म उद्योग में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की सप्लाई हो रही है। इस कारोबार के पीछे बड़ी हस्तियां खड़ी हैं। एनसीबी को अब ड्रग्स सप्लायरों को पकडऩा चाहिए। हालांकि इस काले कारोबार को खत्म करने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ठाकरे एनसीबी की जांच पड़ताल से ही खुश नहीं है। मौजूदा समय में तो महाराष्ट्र सरकार एनसीबी को कोई सहयोग नहीं कर रही है, उल्टे एनसीबी की जांच पर अंगुली उठाई जा रही है। यदि मुम्बई फिल्म उद्योग को बचाना है तो नशे से मुक्त करना होगा। मुम्बई में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो उभरते हुए कलाकारों खास लड़कियों को पहले तो नशे की लत लगाते हैं और फिर उन्हें अपने इशारें पर नचाते हैं। अभिनेत्री कंगना ने ऐसे गिराहों की ओर ही इशारा किया था तो महाराष्ट्र सरकार के इशारे पर कंगना का मुम्बई का दफ्तर ही तोड़ दिया। अब महाराष्ट्र की पुलिस आए दिन कंगना को समन जारी कर रही है। नशे के कारोबार को समाप्त करने की ज्यादा जिम्मेदारी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की है। S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

अजमेर के दरगाह क्षेत्र और पुष्कर में रात्रि कालीन कर्फ्यू का सख्ती से पालन होगा-एसपी कुंवर राष्ट्रदीप। रात आठ से सुबह छह बजे तक जायरीन बाहर नहीं निकलें- नाजिम अशफाक हुसैन। दरगाह-पुष्कर आने वाले जायरीन-श्रद्धालु पहले विचार करें। अजमेर में तेजी से बढ़ रहा है कोरोाना का संक्रमण। शाम सात बजे बाद बाजार भी सूने।

अजमेर के दरगाह क्षेत्र और पुष्कर में रात्रि कालीन कर्फ्यू का सख्ती से पालन होगा-एसपी कुंवर राष्ट्रदीप। रात आठ से सुबह छह बजे तक जायरीन बाहर नहीं निकलें- नाजिम अशफाक हुसैन। दरगाह-पुष्कर आने वाले जायरीन-श्रद्धालु पहले विचार करें। अजमेर में तेजी से बढ़ रहा है कोरोाना का संक्रमण। शाम सात बजे बाद बाजार भी सूने। =========== अजमेर जिले में भी 22 नवम्बर से रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक कफ्र्यू रहेगा। यानि इस अवधि में किसी भी व्यक्ति को बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा। अजमेर के पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप ने स्पष्ट कहा है कि दरगाह क्षेत्र और पुष्कर तीर्थ में भी कर्फ्यू का सख्ती से पालन होगा। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर किसी को भी कोई राहत नहीं दी जाएगी। जिलेभर के व्यापारियों को भी अपनी दुकानें रात आठ बजे से पहले बंद करनी होगी। सुबह छह बजे से पहले कोई भी संस्थान नहीं खुल सकेगा। कर्फ्यू को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए तैयारी पूरी कर ली है। वहीं सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की प्रबंध कमेटी के नाजिम अशफाक हुसैन ने दरगाह में जियारत के लिए आने वाले जायरीन से आग्रह किया है कि रात 8 बजे बाद बाहर नहीं निकलें। सरकार के दिशा निर्देशों का सभी को पालन करना जरूरी है। राज्य सरकार ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राजस्थान के अजमेर, जयपुर, उदयपुर, कोटा, अलवर, बीकानेर, जोधपुर व भीलवाड़ा में रात्रि कालीन कर्फ्यू लागू कर दिया है। कफ्र्यू का लगना अजमेर में खास मायने रखता है, क्योंकि दीपावली के बादसे ही अजमेर में बाहर से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई थी। ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए जहां देशभर से जायरीन आ रहे हैं, वहीं पुष्कर तीर्थ में पवित्र सरोवर में स्नान करने और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु भी आ रहे है। दोनों धार्मिक स्थलों पर जबर्दस्त भीड़ देखी जा रही है। दरगाह के आसपास तो रात भर मेले जैसे माहौल देखने को मिलता है। लेकिन अब दोनों ही धार्मिक स्थलों पर रात 8 बजे बाद कर्फ्यू प्रभावी हो जाएगा। पुलिस कर्मी किसी भी व्यक्ति को बाहर घूमने नहीं देंगे। देश के अन्य क्षेत्रों से जो लोग जियारत और दर्शन के लिए अजमेर आना चाहते हैं उन्हें पहले अजमेर की स्थिति पर विचार करना चाहिए। बात सिर्फ कर्फ्यू की सख्ती की ही नहीं है, बल्कि अजमेर में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की भी है। बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। प्रशासन को निजी अस्पतालों तक में वेंटीलेटर पलंग आरक्षित करने पड़ रहे हैं। चूंकि कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है, इसलिए फिलहाल रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाया गया है। जागरुक लोग पहले की तरह लॉकडाउन करने की मांग कर रहे हैं। यहां पर उल्लेखनीय है कि पूर्व में जब मार्च में लॉकडाउन किया गया तब कोई पांच हजार जायरीन दरगाह क्षेत्र में फंस गए थे। ऐसे जायरीन को दो माह तक अजमेरकी होटलों में ही रहना पड़ा। रात्रि कालीन कर्फ्यू लगने से व्यापारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। अब दुकानें भी शाम सात बजे तक बंद करनी पड़ेगी। व्यापारियों और कर्मचारियों को रात 8 बजे से पहले अपने घरों पर पहुंचना होगा। इन दिनों विवाह की वजह से बाजार में खरीददारी भी जमकर हो रही है। S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511 Attachments area

Saturday 21 November 2020

तो क्या गिरीश जोशी जैसे इंजीनियरों की वजह से विद्युत निगमों को करोड़ों का घाटा हो रहा है? एसीबी की जांच में 25 करोड़ रुपए की सम्पत्तियों के मालिक हैं गिरीश जोशी। ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला बताएं कि गिरीश जोशी की सिफारिश कांग्रेस के किस प्रभावशाली नेता ने की।

तो क्या गिरीश जोशी जैसे इंजीनियरों की वजह से विद्युत निगमों को करोड़ों का घाटा हो रहा है? एसीबी की जांच में 25 करोड़ रुपए की सम्पत्तियों के मालिक हैं गिरीश जोशी। ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला बताएं कि गिरीश जोशी की सिफारिश कांग्रेस के किस प्रभावशाली नेता ने की। =========== राजस्थान के तीनों विद्युत निगम करोड़ों रुपए के घाटे में चल रहे हैं। लाख कोशिश के बाद भी विद्युत चोरी पर रोक नहीं लग पा रही है। वहीं निगम के इंजीनियर मालामाल हो रहे हैं। 20 नवम्बर को ही एसीबी ने अजमेर विद्युत वितरण निगम के अधीन आने वाले उदयपुर सर्किल के अधीक्षण अभियंता गिरीश जोशी के पांच ठिकानों पर एक साथ आकस्मिक जांच की तो 25 करोड़ रुपए की सम्पत्ति का पता चला। राजसमंद और उदयपुर के पोश इलाकों में तो बंगले मिले ही साथ ही करोड़ों रुपए की जमीनों का भी पता चला। एसीबी को 23 बैंक खातों की जानकारी भी मिली। 4 लाख 13 हजार रुपए तो घर में यूं ही पड़े मिले। बेनामी सम्पत्तियों की जांच पड़ताल भी हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 माह पहले जोशी राजसमंद में नियुक्त थे, लेकिन कांग्रेस के प्रभावशाली नेता रहे और मौजूदा समय में संवैधानिक पद पर बैठे नेता की सिफारिश पर जोशी को उदयपुर सर्किल का अधीक्षण अभियंता बनाया गया। इससे पहले भी बांसवाड़ा से राजसमंद में नियुक्ति करवाने में इसी प्रभावशाली नेता की सिफारिश रही। सब जानते हैं कि गिरीश जोशी भी जेईएन से अधीक्षण अभियंता बने हैं। हो सकता है कि कुछ दिनों में मुख्य अभियंता भी बन जाए। लेकिन सवाल उठता है कि इंजीनियर की नौकरी में इतनी सम्पत्ति कहां से अर्जित कर ली? सिर्फ सरकारी वेतन से तो इतनी सम्पत्ति एकत्रित नहीं की जा सकती है। और जब नेताओं का संरक्षण मिल जाए, तब ऐसे इंजीनियरों की जायजाद और तेजी से बढ़ती है। प्रभावशाली नेताओं की वजह से जोशी जैसे इंजीनियर अपने उच्च अधिकारियों की परवाह भी नहीं करते हैं। अब ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला को यह बताना चाहिए कि गिरीश जोशी किन कारणों से उदयपुर में ही तैनात होते रहे हैं। अजमेर विद्युत वितरण निगम में 13 जिले आते हैं, लेकिन जोशी कभी भी उदयपुर सर्किल से बाहर नहीं गए। विद्युत निगम के इंजीनियरों की पोस्टिंग में राजनेताओं का दखल होता है। जोशी की सिफारिश उदयपुर की राजनीति से जुड़े एक कांग्रेसी नेता करते रहे हैं। कल्ला को अब ऐसे सिफारिश नेता का नाम उजागर करना चाहिए ताकि ऐसे नेता को भी इंजीनियरों के कारनामों की जानकारी हो सके। कोई माने या नहीं लेकिन राजनीतिक संरक्षण की वजह से इंजीनियरों का भ्रष्टाचार बढ़ता है। एसीबी को गिरीश जोशी जैसे अन्य इंजीनियरों की सम्पत्तियों का पता लगाना चाहिए। अजमेर विद्युत निगम में ही ऐसे इंजीनियर भरे पड़े हैं। (एस.पी.मित्तल) (21-11-2020) नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal www.facebook.com/SPMittalblog Blog:- spmittal.blogspot.in वाट्सएप ग्रुप से जोडऩे के लिए-95097 07595 M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)

आखिर दो साल में ही आईएएस अतहर आमिर और टीना डाबी का विवाह क्यों खत्म हो गया? अपने धर्म की सीमा लांघ कर विवाह या निकाह करने वाले युवा सबक लें। लव जिहाद पर कानून बनाने के शोर के बीच दोनों आईएएस ने लगाई है विवाह विच्छेद की अर्जी।

 


आखिर दो साल में ही आईएएस अतहर आमिर और टीना डाबी का विवाह क्यों खत्म हो गया?


अपने धर्म की सीमा लांघ कर विवाह या निकाह करने वाले युवा सबक लें।

लव जिहाद पर कानून बनाने के शोर के बीच दोनों आईएएस ने लगाई है विवाह विच्छेद की अर्जी।
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राजस्थान कैडर के आईएएस अतहर आमिर और टीना डाबी ने अपने विवाह को समाप्त करने के लिए जयपुर के पारिवारिक न्यायालय में संयुक्त तौर पर प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। इस समय अतहर जयपुर जिला परिषद के सीईओ और टीना डाबी जयपुर में ही वित्त विभाग के संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। दोनों ने वर्ष 2018 में विवाह किया था। सवाल उठता है कि सिर्फ दो वर्ष में ऐसा क्या हुआ कि विवाह को तोडऩा पड़ रहा है। अतहर और टीना कोई साधारण लड़के लड़की नहीं हैं। दोनो ने संघ लोक सेवा आयोग की वर्ष 2015 की परीक्षा में टॉप किया था। टीना प्रथम तथा अतहर द्वितीय स्थान पर रहे थे। 2016 बैच के आईएएस बनने के बाद दोनों ने एक साथ ट्रेनिंग ली। अलग अलग धर्म के होने के बाद भी दोनों में प्यार हो गया और दोनों ने 2018 में विवाह कर लिया। तब यह तर्क दिया गया कि प्यार कोई धर्म नहीं देखता। प्यार का कोई धर्म नहीं होता। प्रगतिशील विचार वालों ने तो इस विवाह को हिन्दू-मुस्लिम एकता से भी जोड़ दिया। विवाह के बाद जब कुछ लोगों ने टीना डाबी के इस कृत्य को उचित नहीं माना तो डाबी अपने पति परमेश्वर अतहर आमिर के बचाव में खड़ी हो गई। टीना ने कहा कि उन्होंने अतहर के साथ विवाह कर कोई गलत कृत्य नहीं किया है और जब हम एक दूसरे को पसंद करते हैं तो फिर किसी को एतराज क्यों? लेकिन अब जब इसी विवाह को तोडऩे के लिए न्यायालय में अर्जी लगाई गई है तो कहा गया कि हमारे विचार एक दूसरे से नहीं मिलते हैं। इसलिए अब पति-पत्नी के तौर पर एक साथ रहना संभव नहीं है। विवाह विच्छेद को लेकर दायर प्रार्थना पत्र से प्रतीत होता है। अपने धर्म की सीमा को लांघ कर दोनों ने जो गलती की, उसका अहमसास अब हो रहा है। असल में हिन्दू और मुस्लिम धर्म की अपनी अपनी परंपराएं और रिवाज हैं। भाई चारे के लिए हम कुछ भी कह लें, लेकिन विवाह के तौर पर संबंध निभाना बहुत मुश्किल होता है। सवाल यह नहीं है कि हिन्दू लड़की टीना ने मुस्लिम लड़के अतहर से विवाह कर लिया? सवाल यह भी है कि क्या कोई मुस्लिम लड़की किसी हिन्दू लड़के से विवाह कर जिदंगी गुजर सकती है? क्या उसके परिजन इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे? कुछ मामलों को छोड़कर अधिकांश मामलों में विवाह विच्छेद की स्थिति ही उत्पन्न होती है। प्रगतिशील विचारों वाले बुद्धिजीवी कुछ भी तर्क दें, लेकिन विवाह जैसे संस्कारको अपने ही धर्म में निभते हैं। जब दो आईएएस ऐसे संस्कारों को नहीं निभा सके, तब साधारण जोड़ों का निभना संभव नहीं है। अतहर आमिर और टीना डाबी के विवाह विच्छेद का प्रार्थना पत्र तब दायर हुआ है, जब राजस्थान सहित पूरे देश में लव जिहाद का शोर है। कहा जा रहा है कि जो युवक अपना धर्म छिपाकर विवाह करता है उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए अलग से कानून बनाया जाए। हालांकि अतहर और टीना का विवाह विच्छेद मौजूदा शोर से अलग हैं, क्योंकि टीना डाबी को अतहर के मुस्लिम होने का पता था और अतहर ने भी विवाह से पहले धर्म बदलने के लिए कोई दबाव नहीं डाला। लेकिन मात्र दो साल में ही दोनों के बीच नफरत हो गई। सोशल मीडिया के प्लेट फार्म पर दोनों ने एक दूसरे को नापसंद घोषित कर दिया। विवाह के बाद टीना से अपना नाम टीना खान रख लिया था, लेकिन अतहर को नापसंद घोषित करने के बाद टीना ने फिर से अपने नाम के साथ डाबी लिख लिया है। यानि टीना वर्ष 2015 से जहां से शुरू हुई थी। वहीं पहुंच गई है। जो लोग धर्म लांघ कर विवाह या निकाह के हिमायती है उन्हें एक बार अतहर आमिर और टीना डाबी के प्रकरण का अध्ययन कर लेना चाहिए। अतहर और टीना ने अभी उन कारणों का खुलासा नहीं किया है, जिनकी वह से विवाह खत्म करना पड़ रहा है। हो सकता है कि भविष्य में दोनों ही अपने अपने विचार सार्वजनिक करें। 
(एस.पी.मित्तल) (21-11-2020)
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कोरोना काल में लगातार चार दिन से केकड़ी में डेरा जमाए बैठे हैं राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा। हर कीमत पर अपने विधानसभा क्षेत्र की पंचायत समितियों के चुनाव जीतना चाहते हैं। इतनी चिंता प्रदेश का और कोई मंत्री नहीं दिखा रहा।

 


कोरोना काल में लगातार चार दिन से केकड़ी में डेरा जमाए बैठे हैं राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा।


हर कीमत पर अपने विधानसभा क्षेत्र की पंचायत समितियों के चुनाव जीतना चाहते हैं।

इतनी चिंता प्रदेश का और कोई मंत्री नहीं दिखा रहा।
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राजस्थान में कोरोना संक्रमण लगातार रिकॉर्ड टूट रहा है। 20 नवम्बर को दो हजार 762 लोग पॉजिटिव पाए गए। 19 नवम्बर को दो हजार 549 पॉजिटिव दर्ज किए गए। यह संख्या अब तक की सर्वाधिक है। 20 नवम्बरको ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशभर के अधिकारियों और प्राइवेट अस्पतालों के प्रबंधकों के साथ कोरोना पर विचार विमर्श किया, लेकिन ऐसे मौके प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा राजधानी जयपुर में नहीं है। बढ़ते संक्रमण में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी चिकित्सा मंत्री की ही है, लेकिन 21 नवम्बर को लगातार चौथे दिन रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में डेरा जमाए लगातार चौथे दिन रघु शर्मा में आने वाली तीन पंचायत समितियों के वार्ड सदस्यों के चुनाव 23 नवम्बर को होने हैं। इन तीनों समितियों के चुनाव रघु शर्मा हर कीमत पर जितना चाहते हैं। रघु ने 18 नवम्बर को केकड़ी पंचायत समिति के गांवों का दौरा किया, जबकि 19 व 20 नवम्बर को सरवाड़ और सावर पंचायत समिति में रहे। 21 नवम्बर को भी तीनों पंचायत समितियों के सरपंचों और प्रभावशाली लोगों से सम्पर्क करते रहे। लगातार चार दिन की मौजूदगी बताती है कि चिकित्सा मंत्री इन चुनावों को लेकर कितने चिंतित हैं। असल में मंत्री बनने के बाद रघु ने अपने क्षेत्र का दायित्व बेटे सागर शर्मा को सौंप दिया था। बेटे ने पिता के दम पर जो रणनीति अपनाई उससे केकड़ी क्षेत्र में रघु के प्रति नाराजगी बढ़ी। अब उस नाराजगी को देर करने के लिए रघु शर्मा चार दिनो तक केकड़ी में ही डेरा जमाए हुए हैं। पंचायतीराज के चुनाव तो प्रदेश के 21 जिलों में हो रहे हैं। अनेक जिलों में मंत्री भी हैँ, लेकिन इन चुनावों को लेकर जितनी चिंता रघु को है, उनकी और किसी मंत्री को नहीं। रघु का सारा ध्यान सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र पर ही लगा हुआ है। केकड़ी से सटे मसूदा  विधानसभा क्षेत्र की भिनाय पंचायत समिति के चुनाव भी 23 नवम्बर को ही होने हैं, लेकिन रघु शर्मा भिनाय कांग्रेस का प्रचार करने नहीं गए हैं। भिनाय में कांग्रेस के उम्मीदवार रघु शर्मा का इंतजार ही करते रह गए। चूंकि 23 नवम्बर को मतदान होना है, इसलिए 21 नवम्बर को सायं पांच बजे चुनाव प्रचार बंद हो गया है। मालूम हो कि मसूदा से कांग्रेस के विधायक राकेश पारीक है। पारीक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थक हैं, जबकि रघु शर्मा और सचिन पायलट के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्यों के चुनाव में रघु को सचिन पायलट के समर्थकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। रघु ने पायलट को लेकर जो बातें कहीं है, उससे पायलट समर्थकों में खासी नाराजगी है। 
(एस.पी.मित्तल) (21-11-2020)
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