Tuesday 28 February 2023

आक्रांताओं ने देश को नुकसान पहुंचाया। हिन्दू धर्म की महानता ही इसे उदार बनाती है-सुप्रीम कोर्ट।राहुल, अखिलेश, ममता, नीतीश आदि नेताओं को सुप्रीम कोर्ट का यह विचार समझना चाहिए।

आक्रांताओं ने देश को नुकसान पहुंचाया है। इस सच को इतिहास से कैसे हटा सकते हैं? अतीत मं जो हो चुका , उसे चाह कर भी नहीं बदला जा सकता। हिन्दू धर्म सबसे बड़ा धर्म है। उपनिषदों वेदों और श्रीमद्भागवत गीता ने इसे जो ऊंचाई दी है, वह युगों युगों फैली है। वह किसी अन्य धर्म परंपरा में संभव नहीं है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए। हिन्दू धर्म की महानता ही इसे उदार बनाती है। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और हिन्दू धर्म जीवन जीने का तरीका है। इसमें कट्टरता नहीं है। हिन्दू धर्म को लेकर यह सब बातें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नाग रत्ना ने कही। दोनों न्यायाधीश उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें स्थानों और शहरों के नाम बदलने के लिए आयोग बनाने की मांग गई थी। दोनों न्यायाधीशों ने याचिका को खारिज करते हुए हिन्दू धर्म पर अपने विचार रखे। जस्टिस जोसेफ ने तो यहां तक कहा कि मैं ईसाई धर्म का हूं, पर हिन्दू धर्म का उतना ही प्रशंसक हंू। मैं इन दिनों हिन्दू धर्म का अध्ययन कर रहा हंू। हिन्दू धर्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो विचार व्यक्त किए हैं, उन्हें पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, बिहार में नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी, तेलंगाना में केसीआर, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, केरल में वामपंथियों के साथ साथ कांग्रेस के राहुल गांधी को समझना चाहिए। हिन्दू धर्म दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें सभी धर्मों का सम्मान है। सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा है कि हिन्दू धर्म में कट्टरता नहीं है। अन्य धर्म मं कैसी कट्टरता है, इसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, इराक आदि देशों में देखा जा सकता है। कट्टरता भी ऐसी की अपने ही धर्म के लोगों को धार्मिक स्थलों में मारा जा रहा है। जब कट्टरपंथियों को अपने धर्म के लोगों को मारने पर कोई एतराज नहीं है, तब अन्य धर्म के लोगों का क्या हश्र होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत में हिन्दुओं का विरोध कर कुछ राजनीतिक दलों ने प्रांतों की सत्ता हथिया ली है। इससे वो विचारधारा मजबूत हो रही है, जिसमें अन्य धर्म के सम्मान की गुंजाइश नहीं है। राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी तक को उन हालातों के बारे में सोचना चाहिए, जिसमें अन्य धर्म का सम्मान नहीं होगा। 26 फरवरी को रायपुर के अधिवेशन में राहुल गांधी ने कहा कि गत माह जब मैं श्रीनगर में तिरंगा फहराने गया तो चालीस हजार कश्मीरी युवक मेरे समर्थन में आ गए। ऐसा इसलिए हुआ कि कश्मीरी युवकों को मुझ पर भरोसा था। लेकिन 27 फरवरी को कश्मीर में दो हिन्दुओं की मौत के घाट उतार दिया गया। सवाल उठता है कि जब कश्मीरी युवकों का राहुल पर भरोसा है तो राहुल गांधी समझाइश कर हिन्दुओं की हत्या क्यों नहीं रुकवाते। कश्मीर में हिन्दुओं की संख्या कम है, इसलिए कट्टरपंथी विचारधारा के लोग आए दिन हिन्दुओं को मार रहे हैं। ममता बनर्जी हो या अखिलेश यादव, इन्हें कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग से भी सबक लेना चाहिए। हिन्दू धर्म बचेगा तो भारत भी बचा रहेगा। 

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में सचिन पायलट की चलेगी।रघु के रंग बदलने से तो ऐसा ही लगता है। लेकिन क्या केकड़ी का गुर्जर समुदाय पायलट को दिए जख्मों को भूल पाएगा?

राजस्थान में 8 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की चलेगी। यानी पायलट चाहेंगे, उसे ही कांग्रेस का टिकट मिलेगा। इस बात की पुष्टि अजमेर के केकड़ी से कांग्रेस के विधायक रघु शर्मा के राजनीतिक रंग बदलने से भी हो रही है। जानकारों के अनुसार रघु अब सीएम अशोक गहलोत का गुट छोड़ कर पायलट गुट में आ गए हैं। रघु जब चिकित्सा मंत्री थे, तब पायलट समर्थक मसूदा विधायक राकेश पारीक का सम्मान नहीं करते थे, लेकिन अब उन्हीं राकेश पारीक को अपनी कार में घुमा रहे हैं। रघु शर्मा मौजूदा समय में गुजरात कांग्रेस के प्रभारी भी हैं। ऐसे में केकड़ी से टिकट तो मिल जाएगा, लेकिन केकड़ी से जीत पायलट के सहयोग के बगैर नहीं होगी, क्योंकि केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाता काफी है। हालांकि रघु ने लोक सभा का उपचुनाव और केकड़ी के विधानसभा का चुनाव पायलट के दम पर ही जीता, लेकिन गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद रघु ने सबसे पहले सचिन पायलट पर ही हमला किया। कोटा अस्पताल में शिशुओं की मौत पर हुए हंगामे में तब रघु ने पीडब्ल्यूडी मंत्री के नाते पायलट को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। गहलोत के इशारे पर रघु ने तब पायलट को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रघु उन राजनेताओं  के उस्ताद है जो मौका परस्त होते हैं। रघु कभी गहलोत तो कभी पायलट के साथ चलते हैं। उनके चिकित्सा विभाग में फैले भ्रष्टाचार की ओर मुख्यमंत्री गहलोत कोई ध्यान नहीं दे, इसलिए रघु लगातार पायलट की आलोचना करते रहे। अब जब रघु के पास मंत्री पद भी नहीं है और पायलट की चलने के संकेत मिल गए हैं,तब एक बार फिर से रघु शर्मा पायलट से मित्रता कर रहे हैं। रघु को भी पता है कि अगले चुनाव में केकड़ी से दोबारा जीतना बहुत मुश्किल है। पायलट की वजह से गुर्जर समुदाय ही नहीं बल्कि आम मतदाता भी खफा है। स्वास्थ्य मंत्री रहते रघु ने प्रतिशोध और घमंड दिखाया, उससे केकड़ी के अधिकांश लोग नाराज हैे। रही सही कसर उनके पुत्र सागर शर्मा ने कर दी। पिता के रुतबे का पुत्र ने जिस तरह दुरुपयोग किया, उसका जवाब देने के लिए केकड़ी के मतदाता तैयार बैठे हैं। अपनी स्थिति को भांपते हुए ही रघु इन दिनों केकड़ी के ही चक्कर लगा रहे हैं। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि रघु के प्रभारी रहते ही गुजरात में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। 182 में से कांग्रेस को सिर्फ 18 सीटें मिली, जबकि पूर्व में कांग्रेस की 37 सीटें थी। गुजरात में भी कांग्रेसियों को रघु के घमंड पूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा। कई नेता पार्टी छोड़ कर चले गए। कांग्रेस के साथ साथ रघु खुद भी निपट गए। 

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Monday 27 February 2023

अजमेर के श्रीनगर गांव के युवा चार्टेट अकाउंटेंट अर्पित काबरा ने डब्ल्यूआईआरसी के चेयरमैन पद की शपथ ली। समारोह में देश के प्रमुख कारोबारी भी उपस्थित रहे।

25 फरवरी को मुंबई के बांद्रा में आयोजित एक भव्य समारोह में चार्टेट अकाउंटेंट की प्रतिष्ठित संस्थान डब्ल्यूआईआरसी (महाराष्ट्र, गुजरात व गोवा) के चेयरमैन पद की शपथ युवा चार्टेट अकाउंटेंट अर्पित काबरा ने ली। काबरा अजमेर के श्रीनगर गांव के निवासी हैं। अपने पिता जगदीश चंद काबरा के साथ मुंबई चले जाने के कारण वर्षों से मुंबई में ही रह रहे हैं। डब्ल्यूआईआरसी चार्टेट अकाउंटेंटों की एक प्रभाव और प्रतिष्ठित संस्था है। हाल ही में हुए चुनावों में अर्पित काबरा ने भारी मतों से चेयरमैन का चुनाव जीता। अर्पित काबरा के चाचा समाजसेवी सुभाष काबरा ने बताया कि भव्य समारोह में आनंद राठी, आरएल काबरा, पीसी गोधा जैसे बड़े कारोबारी उपस्थित रहे। समारोह में आनंद राठी ने कहा कि अर्पित काबरा में कम उम्र में ही डब्ल्यूआईआरसी के अध्यक्ष पद को हासिल किया है जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने ने उम्मीद जताई कि देश भर के खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के चार्टेट अकाउंटेंट की समस्याओं के समाधान में अर्पित काबरा प्रभावी भूमिका निभाएंगे। समारोह में अर्पित काबरा ने चेयरमैन के लिए सभी का आभार जताया और भरोसा दिलाया कि चार्टेट अकाउंटेंटों की समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। अर्पित काबरा के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829071696 पर सुभाष काबरा से ली जा सकती है।

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न्यू इंडिया का आइडिया देने के बजाए अरविंद केजरीवाल पंजाब को संभाले।खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने अपने साथी लवप्रीत तूफान को छुड़ाया वह खतरनाक हालातों की ओर इशारा है।

23 और 24 फरवरी को पंजाब के अमृतसर के अज नाला पुलिस स्टेशन पर खालिस्तान समर्थकों ने जो हंगामा किया वह खतरनाक हालातों की ओर इशारा करता है। वारिस दे पंजाब 
नामक खालिस्तान समर्थक संस्था के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपने साथी लवप्रीत तूफानी को छुड़वाने के लिए अजनाला थाने पर कब्जा कर लिया। पुलिस ने जब तक रिहाई की घोषणा नहीं की तब तक थाने को अपने ही कब्जे में रखा। अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में जिस तरह हजारों खालिस्तान समर्थक एकत्रित हुए वह पंजाब के लिए बहुत ही खतरनाक स्थिति है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। ऐसे में 23 व 24 फरवरी के हालातों के लिए इस पार्टी की भी जिम्मेदारी है। पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पंजाब के हालातों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी, लेकिन वे 25 फरवरी को न्यूज़ चैनलों पर बैठ कर न्यू इंडिया का आइडिया दे रहे हैं। सवाल उठता है कि 23 व 24 फरवरी को खालिस्तान समर्थकों ने जो हंगामा किया क्या वह न्यू इंडिया का आइडिया है? सब जानते हैं कि पंजाब पहले भी आतंकवाद के दौर से गुजर चुका है। पंजाब में आतंकवाद की त्रासदी को झेला है। पंजाब एक प्रगतिशील राज्य है और यदि पंजाब फिर से आतंकवाद की चपेट में आता है तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा। गत वर्ष किन हालातों में पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की सरकार बनी इसके बारे में सभी जानते हैं। केजरीवाल की यह जिम्मेदारी है कि पंजाब को आतंकवाद की जकड़ से बचाए। दिल्ली में तो मुख्यमंत्री के पास सीमित अधिकार है, लेकिन पंजाब मुख्यमंत्री के पास असीमित अधिकार है। पंजाब में मुख्यमंत्री के अधीन ही पुलिस आती है। लेकिन 23 व 24 फरवरी को सब ने देखा कि पंजाब पुलिस अमृतसर में बेबस थी। जिन पुलिस वालों ने थोड़ा विरोध किया उन पर तलवारों से हमले किए गए। एक तरह से पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अरविंद केजरीवाल चाहते है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के अधीन पुलिस भी हो। यदि केजरीवाल के अधीन दिल्ली पुलिस होगी तो अमृतसर के हालातों के मद्देनजर अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली के हालात कैसे होंगे? जानकारों की मानें तो पंजाब में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तब से खालिस्तान समर्थक कुछ ज्यादा ही सक्रिय हुए हैं। खालिस्तान समर्थकों को पुलिस का कोई डर नहीं है। वारिस-द पंजाब के प्रमुख अमृत पाल सिंह जो धमकियां दे रहे हैं वे पंजाब की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है। जहां तक पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की भूमिका का सवाल है तो अभी तक उनकी प्रभावी भूमिका सामने नहीं आई है। ऐसा प्रतीत होता है कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चल रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (25-02-2023)
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Sunday 19 February 2023

भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने वसुंधरा राजे ने फिर ठोकी ताल।अजमेर दौरे में संगठन ने दूरी बनाई।कांग्रेस की नहीं, यह गुट विशेष की सरकार है। मलाई के पद छीन लिए जाएं तो सत्ता के लालची कांग्रेस छोड़कर भाग जाएंगे-कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा।

राजस्थान में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की सुरक्षा बढ़ाने, विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाने, एक माह में दो बार पीएम मोदी की सभाएं होने जैसे अनेक निर्णयों के बाद एक बार फिर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने ताल ठोक दी है। राजे ने 17 फरवरी को अजमेर जिले का दौरा किया। दौरे का उद्देश्य तो ब्यावर के भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की माताजी के निधन पर संवेदना प्रकट करना था। लेकिन जिले के किशनगढ़ टोल प्लाजा से लेकर ब्यावर के किशनपुरा गांव (विधायक रावत का पैतृक घर) तक जिस हंगामे के साथ वसुंधरा राजे का स्वागत हुआ उससे जाहिर था कि यह राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन है। मसूदा विधानसभा क्षेत्र में आने वाले खरवा चौराहे पर तो राजे के आने से पहले ही समर्थकों ने हर्ष फायरिंग कर दी। इससे राजे के समर्थकों के उत्साह और दबंगता का अंदाजा लगाया जा सकता है। रास्ते भर जो लोग स्वागत के लिए आए उनके साथ राजे ने आत्मीयता दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जगह जगह अपने संबोधनों में राजे ने कहा कि राजनीति तो आती जाती रहती है और राजनीति तस्वीर लगाने और हटाने का भी कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रदेश की जनता से मेरा जुड़ाव तो दिल से है। मैंने भाजपा में युवा मोर्चे से शुरुआत की और आज आम लोगों के प्यार और आशीर्वाद से यहां तक पहुंची हंू। 36  कौमों को साथ लेकर अभी प्रदेश का और विकास करना है। राजे के इस दौरे के राजनीतिक मायने इसी से निकाले जा सकते हैं जिस किशनपुरा गांव में दिंवगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी, उसी किशनपुरा गांव में एक सार्वजनिक सभा को भी संबोधित किया। इस सभा में भीड़ जुटाने के लिए राजे के भरोसेमंद पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी और पूर्व मंत्री यूनुस खान पिछले तीन दिन से ब्यावर में डेरा डाले रहे हैं। यूनुस खान राजे के मुख्यमंत्री रहते परिवहन मंत्री रहे, इसलिए उन्हें पता है कि राजनीतिक सभाओं में भीड़ के लिए बसों और अन्य वाहनों का इंतजाम कैसे होता है। यह बात अलग है कि विधायक रावत की माताजी का निधन हुए दो माह गुजर गए। शुरू के 12 दिनों में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, गुलाबचंद कटारिया आदि नेताओं ने गांव आकर अपनी संवेदनाएं प्रकट कर दी थीं। शेखावत और कटारिया जब ब्यावर आए, तब देहात भाजपा के जिलाध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा भी साथ थे, लेकिन वसुंधरा राजे के साथ भूतड़ा नजर नहीं आए। ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के छह मंडल है, लेकिन राजे के साथ्ज्ञ एक भी मंडल अध्यक्ष उपस्थित नहीं था। असल में पूरे दौरे में संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों ने राजे से दूरी बनाए रखी। अलबत्ता देहात भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत ने राजे के प्रति वफादारी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सारस्वत पूरे दौरे में राजे के साथ रहे तथा जगह जगह स्वागत करवाने में भी सारस्वत की मेहनत रही। राजे के अजमेर दौरे से एक बार भाजपा का माहौल गर्म हो गया है। देखना होगा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व राजे के अजमेर दौरे को किस नजरिए से देखता है। वैसे राजे ने राष्ट्रीय नेतृत्व को दर्शा दिया है कि विधानसभा चुनाव में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। राजे के समर्थक पहले ही मांग कर चुके हैं कि चुनाव में राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए।
 
विधायक मीणा की खरी-खरी:
17 फरवरी को न्यूज 18 नेटवर्क के राजस्थान चैनल पर कांग्रेस की आंतरिक स्थिति को लेकर लाइव डिबेट हुई। इस डिबेट में मैं एक पत्रकार के तौर पर उपस्थित रहा, जबकि कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर पांच बार के विधायक रामनारायण मीणा ने भाग लिया। सीएम अशोक गहलोत बार बार दावा करते हैं कि इस बार कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी। रामनारायण मीणा उन विधायकों में शामिल हैं जो जुलाई-अगस्त 2020 में राजनीतिक संकट के समय मुख्यमंत्री गहलोत के साथ होटलों में बंद रहे, लेकिन अब मीणा का मानना है कि गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार कांग्रेस की नहीं बल्कि एक गुट विशेष की है। 17 फरवरी को लाइव डिबेट में एंकर हेमंत के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को गुटबाजी जल्द से जल्द खत्म करना चाएिह। जो निर्णय लेना है वह जल्द लिया जाए। यदि अब भी अनिर्णय की स्थिति रही तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा। मीणा ने स्पष्ट कहा कि करेप्ट लोगों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया है। यदि ऐसे सत्ता के लालची लोगों से पद छीन लिया तो कांग्रेस छोड़ कर भाग जाएंगे। ऐसे लोगों ने पद हथिया लिए हैं, जिनका कांग्रेस की विचारधारा से कोई सरोकार नहीं है। मैं हमेशा फील्ड में रहता हंू। अपने खेत पर ही चौपाल लगा कर लोगों की समस्याओं का समाधान करता हूं, लेकिन मंत्री के पद ऐसे लोगों ने हथिया लिए है जो करेप्ट हैं। ऐसे करेप्ट लोगों को भी हटाया जाना चाहिए। जो मंत्री, सरपंच बनने के लायक नहीं है, वह मंत्री बन घूम रहे हैं, इससे भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव है। 

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बांद्रा हरिद्वार मेल के यात्री पानी और चाय के लिए तरसे।अजमेर रेलवे स्टेशन की पार्किंग पर अवैध वसूली। 25 के बजाए 50 रुपए वसूला जा रहा है शुल्क।

17 फरवरी की पूरी रात और 18 फरवरी को सुबह 11 बजे तक बांद्रा हरिद्वार मेल (ट्रेन संख्या 19031) के यात्रियों को पानी और चाय के लिए भी तरसना पड़ा। पानी नहीं मिलने से छोटे बच्चे ज्यादा परेशान हुए। आमतौर पर एक्सप्रेस ट्रेनों में आईआरसीटीसी द्वारा कैटरिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, लेकिन 17 फरवरी की रात और 18 फरवरी की सुबह 11 बजे तक बांद्रा हरिद्वार मेल में आईआरसीटीसी की ओर से कैटरिंग की कोई सुविधा नहीं दी गई। हरिद्वार तीर्थ स्थल होने के कारण अजमेर रेलवे स्टेशन से भी बड़ी संख्या में यात्री हरिद्वार जाते हैं। 17 फरवरी को जो यात्री अजमेर से रवाना हुए, उन्होंने बताया कि 15 घंटे के सफर में आईआरसीटीसी का एक भी कर्मचारी चाय, पानी, नाश्ता, डिनर आदि का ऑर्डर लेने नहीं आया। इस ट्रेन में अन्य वेंडर भी चाय पानी सप्लाई करने के लिए नहीं आए, जिसकी वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। क्योंकि रेलवे स्टेशनों पर ठहराव कम है, इसलिए यात्रियों ने संबंधित स्टेशन पर उतरने की जोखिम भी नहीं ली। वैसे भी वरिष्ठ नागरिक तो स्टेशन पर उतर ही नहीं सकते। कई बार यात्रियों ने टीटीई से शिकायत भी की, लेकिन टीटीई ने कोई सहयोग नहीं किया। यात्रियों की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब लगातार 15 घंटे आईआरसीटीसी की कैटरिंग की सुविधा एक्सप्रेस ट्रेन में नहीं मिले, तब रेलवे के हालातों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल उठता है कि जब यात्रियों ने टीटीई से शिकायत की तो फिर समस्या का समाधान क्यों नहीं हुआ? सवाल यह भी है कि आईआरसीटीसी की इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है। एक ओर यात्री ट्रेनों में आईआरसीटीसी मोबाइल एप जारी कर सुविधाओं को बढ़ाने का दावा कर रहा है, वहीं बांद्रा हरिद्वार जैसे लंबी दूरी की ट्रेन में कैटरिंग सुविधा नहीं है।
 
अवैध वसूली:
अजमेर रेलवे स्टेशन के गांधी भवन चौराहे के सामने स्थित रेलवे की पार्किंग में वाहन चालकों से निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली की जा रही है। रेलवे ने प्रति दो घंटे के 25 रुपए निर्धारित कर रखे हैं, लेकिन जब कोई कार मालिक अपनी गाड़ी इस पार्किंग में खड़ा करता है तो उसे पचास रुपए की रसीद दे दी जाती है। वाहन चालक को पचास रुपए देने के लिए ही बाध्य किया जाता है। जब कोई जागरुक वाहन चालक बोर्ड पर लिखे 25 रुपए का हवाला देता है, तो उसके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। ठेकेदार के कार्मिक मारपीट पर उतर आते हैं। इन कार्मिकों का खुलेआम कहना है कि यहां रेलवे के आदेश नहीं बल्कि ठेकेदार की दादागिरी चलती है। 25 रुपए की बजाए पचास रुपए वसूलने की शिकायत कई बार जीआरपी और रेलवे के अधिकारियों को की गई है,लेकिन आज तक भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। इससे प्रतीत होता है कि जीआरपी और रेल प्रशासन का संरक्षण भी ठेकेदार को प्राप्त है। जानकार सूत्रों के अनुसार टेंडर की शर्तों के मुताबिक ठेकेदार को पार्किंग शुल्क की पर्ची मशीन के द्वारा दी जानी चाहिए जिस पर समय भी अंकित हो, लेकिन इस पार्किंग में छपी हुई पर्ची दी जाती है, जिस पर समय हाथ से अंकित किया जाता है। यदि मशीन द्वारा पर्ची दी जाए तो फिर बेईमानी नहीं हो सकती है। चूंकि रेल अधिकारियों की मिली भगत है, इसलिए ठेकेदार को मशीन वाली पर्ची देने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है। 

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एक मुद्दे पर चार नेता और चार बयान। यह है अशोक गहलोत की जादूगरी।महेश जोशी का मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा क्या मायने रखता है? कैबिनेट मंत्री का पद तो बरकरार है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत असली जादूगर हैं या नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन राजनीति में गहलोत जो कलाबाजियां दिखाते हैं वह जादूगरी ही है। ऐसी जादूगरी को विदेशों के असली जादूगर भी नहीं दिखा सकते हैं। जलदाय महकमे के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने 17 फरवरी को मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा दिया तो जोशी सहित चार बड़े नेताओं के बयान सामने आ गए। जोशी का इस्तीफा खुद सीएम गहलोत ने स्वीकार किया, लेकिन स्वयं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन गहलोत के इशारे पर चारों नेताओं ने अलग अलग तरीके से प्रतिक्रिया दी। महेश जोशी कांग्रेस के उन तीन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता का नोटिस दिया था। जोशी ने जब मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा दिया तो प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कह दिया कि यह अनुशासनहीनता के प्रकरण वाली कार्यवाही है। यानी जोशी को मुख्य सचेतक के पद से इसलिए हटाया गया है कि 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक नहीं होने दी। रंधावा का बयान जारी होते ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि महेश जोशी का इस्तीफा एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के चलते हुआ है। यानी डोटासरा ने रंधावा के बयान को झुठला दिया। कांग्रेस की अनुशासन समिति के सचिव तारिक अनवर ने भी कहा कि 25 सितंबर के प्रकरण में अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वहीं महेश जोशी ने कहा कि यदि इस्तीफे को मेरे खिलाफ कार्यवाही माना जाता है तो उन नेताओं के विरुद्ध भी कार्यवाही होनी चाहिए, जिन्होंने 2020 में अनुशासनहीनता की थी। एक मुद्दे पर चार नेताओं के चार बयानों से असल मुद्दा गुम हो गया। सवाल यह है कि आखिर मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा क्या मायने रखता है? जोशी तो पहले ही जलदाय महकमे के कैबिनेट मंत्री हैं। मुख्य सचेतक के मुकाबले में कैबिनेट मंत्री का पद ज्यादा प्रभावी होता है। डेढ़ वर्ष पूर्व जब महेश जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, तभी उन्होंने मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा दे दिया था। यह अशोक गहलोत की जादूगरी है कि डेढ़ वर्ष पूर्व दिए इस्तीफे को स्वीकार करने की घोषणा अब की गई है। राजनीति की जंग में कौन सा हथियार कब इस्तेमाल करना है, यह गहलोत अच्छी तरह जानते हैँ। 25 सितंबर को 81 विधायकों की बगावत के लिए अशोक गहलोत खुद जिम्मेदार हैं, लेकिन अनुशासनहीनता के नोटिस तीन मंत्रियों को दिलवाए गए। तीनों का मंत्री पद अभी तक कायम है। अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल मीणा भले ही दावा करें कि 26 फरवरी को हुए अधिवेशन के बाद अशोक गहलोत मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, लेकिन मौजूदा समय में गहलोत की जादूगरी के आगे कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व भी फेल हैं। चाहे राहुल गांधी हों या राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े। किसी में इतनी हिम्मत नहीं की गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटा सके। यदि गहलोत को हटाने का प्रयास किया गया तो राजस्थान से कांग्रेस की सरकार ही चली जाएगी। अब जब विधानसभा चुनाव में आठ माह रह गए हैं, तब कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं चाहेगा कि सरकार ही चली जाए। अशोक गहलोत भी अपना राजनीतिक भविष्य नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव तक ही मानते हैं। वैसे भी टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में घमासान होना शेष है। लेकिन यह सही है कि अशोक गहलोत अब गांधी परिवार के भरोसे के नेता नहीं रहे हैं। 

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अजमेर के किशनगढ़ निवासी अशोक पाटनी की वंडर सीमेंट अब सुपर स्टार अमिताभ बच्चन बेचेंगे। एक विज्ञापन के दस करोड़ रुपए तक शुल्क लेते हैं बच्चन साहब।ब्रह्म आरती में शिवलिंग और शिव भक्त पाठक जी महाराज के दिव्य दर्शन हुए।जोगणिया धाम पर शिवरात्रि पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान।भारत विकास परिषद अरावली ने करवाया पांच जोड़ों का विवाह।

अजमेर के यह गर्व की बात है कि किशनगढ़ उपखंड के निवासी और आरके मार्बल के मालिक अशोक पाटनी की वंडर सीमेंट अब सुपरस्टार अमिताभ बच्चन बेचेंगे। वंडर सीमेंट की मजबूती को लेकर एक विज्ञापन तैयार किया गया है, जिसमें अमिताभ बच्चन अभिनय कर रहे हैं। बाजार जगत में माना जाता है कि जिस उत्पाद का विज्ञापन बच्चन साहब करते हैं उसकी बिक्री बढ़ जाती है। यही वजह है कि उत्पाद मालिक अपने उत्पाद का विज्ञापन बच्चन साहब से ही कराने को उत्सुक रहते हैं। स्वयं की मांग को देखते हुए बच्चन साहब ने अपना मेहनताना भी काफी बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमिताभ बच्चन एक विज्ञापन के दस करोड़ रुपए तक मेहनताना लेते हैं। यह बात अलग है कि जनहित से जुड़े सरकारी विज्ञापनों का मेहनताना बच्चन साहब नहीं लेते हैं। मौजूदा समय में टीवी चैनलों पर सबसे ज्यादा विज्ञापन बच्चन साहब के ही प्रसारित हो रहे हैं। विज्ञापनों में बच्चन साहब की 80 वर्ष की उम्र भी बाधा नहीं है। अशोक पाटनी ने भी वंडर सीमेंट के विज्ञापन के लिए बच्चन साहब को मुंह मांगी कीमत दी है। अजमेर के लिए यह गर्व की बात है कि वंडर सीमेंट का विज्ञापन अमिताभ बच्चन कर रहे हैं। विज्ञापन की शूटिंग करने से पहले अशोक पाटनी की अमिताभ बच्चन से मुलाकात भी हुई। इस मुलाकात में बच्चन साहब को अशोक पाटनी की धर्मपरायणता के बारे में भी बताया गया।
 
चित्रकूट धाम में दिव्य दर्शन:
महाशिवरात्रि पर 18 फरवरी को पुष्कर के चित्रकूट धाम में शिवलिंग और धाम के उपासक पाठक जी महाराज के दिव्य दर्शन हुए। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शिवरात्रि पर शाम छह बजे भस्म आरती का आयोजन हुआ। 51 किलो ऑर्गेनिक राख से जब पाठक जी महाराज ने शिवलिंग पर आरती की तो धाम का पूरा माहौल अध्यात्म से भर गया। 11 फीट ऊंचे इस शिवलिंग के बीच में हनुमान जी विराजे हुए हैं इसलिए एक साथ तीन तीन दिव्य दर्शन श्रद्धालुओं को हुए। भस्म आरती में अजमेर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। इससे पहले प्रात: सात बजे से सायं चार बजे तक शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक किया गया। धाम की प्रबंध समिति की ओर से ही श्रद्धालुओं को दूध और पूजा की सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध करवाई गई। 11 फीट ऊंचे शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक करने के लिए अजमेर और पुष्कर के श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा। यूको बैंक की ओर से सभी श्रद्धालुओं को फलाहार वितरित की गई। इसी प्रकार अन्य लोगों की ओर से फल, मिश्री, मावा आदि प्रसाद के तौर पर दिया गया। चित्रकूट धाम की धार्मिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9772255376 पर पाठक जी महाराज से ली जा सकती है।
 
जोगणिया धाम में अनुष्ठान:
शिवरात्रि पर्व पर पुष्कर के जोगणिया धाम में भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान हुआ। धाम के उपासक भंवरलाल जी ने बताया कि सुबह 51 महिलाओं के द्वारा कलश यात्रा निकाली गई। धाम परिसर में दिनभर शिवलिंग पर जलाभिषेक हुआ। इसी प्रकार विभिन्न मंडलियों ने धार्मिक भजन प्रस्तुत किए। धाम में स्थापित शिवलिंग को ओंकारेश्वर में बहने वाली नर्मदा नदी  से लगाया गया है। शिवलिंग को मूल स्वरूप में ही स्थापित किया गया है। जोगणिया धाम के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री कपड़े और आर्थिक सहायता भी दी जाती है। सामाजिक क्षेत्र में भी यह धाम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जोगणिया धाम के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल 9462429553 पर उपासक भंवरलाल जी से ली जा सकती है।
 
पांच जोड़ों का विवाह:
भारत विकास परिषद अरावली अजमेर की ओर से 19 फरवरी को फॉयसागर रोड स्थित हनी गार्डन में पांच जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न कराया गया। संस्था के संरक्षक संदीप गोयल, अध्यक्ष रौनक सोगानी, सचिव रितेश गर्ग, कोषाध्यक्ष मोहित बंसल ने बताया कि प्रत्येक जोड़े को करीब एक लाख रुपए मूल्य का सामान दिया गया है। वर वधू के परिजन और मित्रों को भी भोजन सुविधा उपलब्ध करवाई गई। सामूहिक विवाह में सभी रस्मों को निभाया गया। पाणिग्रहण संस्कार से पहले पद्मावती माता मंदिर से पांचों दूल्हों की बारात निकाली गई। समारोह में शहरवासियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। संरक्षक संदीप गोयल ने बताया कि भारत विकास परिषद के मध्य प्रांत में 38 शाखाएं काम कर रही हैं। इन सभी शाखाओं में प्रतिवर्ष पांच जोड़ों का विवाह करवाया जाता है। परिषद की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9352004484 पर संदीप गोयल से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-02-2023)
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भारत में पाकिस्तान के समर्थक नेता सुन लें। पाकिस्तान दिवालिया हो गया है।पीएम शाहबाज शरीफ का साथ भतीजी मरियम नवाज ने भी छोड़ा।सीरिया पर आईएसआईएस और इजरायल का हमला।

फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक समय समय पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। ऐसे नेता जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के पक्ष में नहीं है। कश्मीर मुद्दे पर इन नेताओं की भाषा वही है जो पाकिस्तान की है। अब ऐसे नेता सुन लें कि पाकिस्तान दिवालिया हो गया है। यह बात भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नहीं बल्कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कही है। आसिफ ने साफ कहा है कि अब कर्ज का भुगतान और ब्याज चुकाने की स्थिति में नहीं है। आसिफ ने यह बात तब कही जब पाकिस्तान भुखमरी के दौर से गुजर रहा है। लोग दो वक्त की रोटी तक की जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं। हमदर्द दोस्त चीन ने भी पाकिस्तान को मदद देने से इंकार कर दिया है। पाकिस्तान में इस समय अराजकता का माहौल हे। पाकिस्तान के जो हालात है, उस पर भारत में बैठे पाक समर्थक नेताओं को प्रतिक्रिया देनी चाहिए। क्या ऐसे नेताओं को अब भी पाकिस्तान अच्छा लगता है? ऐसे नेता पाकिस्तान की दुहाई देकर भारत में अपने राजनीतिक मकसद पूरे कर रहे थे। पाकिस्तान परमाणु संपन्न राष्ट्र है। महबूबा मुफ्ती ने तो पाकिस्तान के परमाणु बमों से अपने ही देश को डराने का काम किया। इसके विपरीत भारत है, जहां 25 करोड़ मुसलमान पूरे अधिकार और सम्मान के साथ रह रहे हैं। भारत के जिस नागरिक के पास खाने को रोटी नहीं है, उन्हें सरकार की ओर से मुफ्त में अनाज उपलब्ध करवाया जाता है। मनरेगा में रोजगार, रहने के लिए मकान, पढ़ाई के लिए सरकारी स्कूल आदि सभी सुविधाएं दी जाती है। पाकिस्तान के हिमायती नेता भारत के नागरिकों की तुलना पाकिस्तान के नागरिकों से कर सकते हैं। फारुख अब्दुल्ला से लेकर ओवैसी तक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसते हैं, लेकिन पिछले नौ वर्ष से मोदी ही देश चला रहे हैं और उन्हीं की नीतियों की वजह से भारत आज इतनी मजबूत स्थिति में खड़ा है। ऐसा इसलिए भी है कि मोदी के शासन में कोई भेदभाव नहीं होता। पाकिस्तान में तो धर्म के आधार पर हिन्दुओं को प्रताडि़त किया जाता है, जबकि भारत में प्रधानमंत्री की ओर से मुस्लिम सूफी संतों की मजारों पर चादर पेश की जाती है।
 
मरियम ने भी साथ छोड़ा:
पाकिस्तान के मौजूदा पीएम शाहबाज शरीफ पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई है। शरीफ बंधुओं की पार्टी का नाम पीएमएलएन है। इस पार्टी की उपाध्यक्ष नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज हैं। लेकिन अब मरियम नवाज भी अपने चाचा शहबाज शरीफ की हुकुमत से खुश नहीं है। मरियम ने कहा है कि मैं इस हुकूमत का हिस्सा नहीं हंू। सरकार के गलत निर्णय के लिए पार्टी जिम्मेदार नहीं है। यानी जिस पार्टी के कारण शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री हैं, उसी पार्टी ने उनका साथ छोड़ दिया है। इससे पाकिस्तान के राजनीतिक हालातों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
सीरिया पर चौतरफा हमला:
मुस्लिम देश सीरिया पर इन दिनों चौतरफा हमला हो रहा है। सीरिया पहले ही भूकंप की त्रासदी से गुजर रहा है, लेकिन 18 फरवरी को सीरिया में आईएसआईएस की ओर से जो विस्फोट किया उस में अब तक 75 से ज्यादा आम नागरिक मारे गए हैं। पिछले कई वर्षों से सीरिया भी गृहयुद्ध के दौर से गुजर रहा है। जिस प्रकार पाकिस्तान में कट्टरपंथियों का दबदबा है उसी प्रकार सीरिया में भी आईएसआईएस, अलकायदा जैसे आतंकी संगठन सक्रिय है। आतंकी संगठन ही सीरिया पर कब्जा करना चाहते हैं। आतंकी संगठनों की आपसी जंग के बीच ही 19 फरवरी को इजरायल ने दो राकेट सीरिया पर दागे हैं। इजरायल का भी मानना है कि सीरिया में आतंकी संगठनों की वजह से ही कई बार उनके देश पर हमले होते हैं। इजरायल ने अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीरिया पर रॉकेट दागे।

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Friday 17 February 2023

भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी को राज्यपाल बनाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं।लगातार पांचवीं बार अजमेर उत्तर क्षेत्र से ही चुनाव लड़ने की तैयारी।पुष्कर के चित्रकूट धाम में शिवरात्रि पर आध्यात्मिक भस्म आरती।

राजस्थान में भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया को गत 12 फरवरी को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया तो मीडिया में चर्चा हुई कि भाजपा के चार बार के विधायक वासुदेव देवनानी को भी राज्यपाल बनाया जा सकता है। लेकिन अब भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि देवनानी को राज्यपाल बनाए जाने का कोई प्रस्ताव किसी भी स्तर पर विचाराधीन नहीं है। 79 वर्षीय कटारिया को राज्यपाल बनाने के पीदे कई कारण हैं। कटारिया वाले कारण देवनानी के साथ नहीं है, वैसे देवनानी से पहले राजस्थान में कई भाजपा नेता हैं जो न केवल वरिष्ठ है, बल्कि उनका राजनीतिक अनुभव बहुत ज्यादा है। देवनानी तो 2003 में सक्रिय राजनीति में आए हैं। राजनीति में आते ही देवनानी ने सिंधी बाहुल्य माने जाने वाले अजमेर उत्तर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2018 तक देवनानी इसी क्षेत्र से चुनाव जीतते आ रहे हैं। 2013 और 2018 में भी देवनानी का टिकट कटवाने के लिए अजमेर के कई नेता सक्रिय हुए, लेकिन देवनानी को न केवल टिकट मिला, बल्कि उन्होंने जीत भी हासिल की। 2003 और 2013 में जब वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो देवनानी मंत्री भी बने। देवनानी चार बार विधायक और दो बार मंत्री पद का स्वाद चख चुके हैं। इसलिए देवनानी पांचवीं बार भी अजमेर उत्तर से ही विधायक बनने के इच्छुक हैं। यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो देवनानी की मंत्री पद पर भी मजबूत दावेदारी होगी। हालांकि 75 वर्ष की उम्र की दुहाई देकर अनेक भाजपा नेता देवनानी का टिकट कटवाना चाहते हैं, लेकिन ऐसे नेताओं को भी पता है कि देवनानी का टिकट कटाना आसान नहीं है। भाजपा में चर्चा है कि इस बार 75 वर्ष वाले नेताओं को उम्मीदवार न बनाए जाने का नीतिगत निर्णय होगा। अजमेर उत्तर सामान्य वर्ग की सीट है, लेकिन सिंधी बाहुल्य माने जाने के कारण देवनानी को टिकट मिलने में आसानी होती है, क्योंकि अब प्रदेश स्तर पर जातिगत समीकरण बैठाए जाते हैं, तब सिंधी जाति के नाम देवनानी को प्राथमिकता मिलती है। अजमेर शहर की दूसरी सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। ऐसे में भाजपा के सामान्य वर्ग के नेताओं का सवाल है कि आखिर वे कब तक दरिया बिछाने और नारे लगाने का ही काम करते रहेंगे। जबकि चुनाव में सामान्य वर्ग की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अजमेर शहर की दोनों सीटों पर गत चार बार से भाजपा की जीत हो रही है, इसलिए सामान्य वर्ग के सभी नेताओं की नजर उत्तर क्षेत्र पर ही लगी हुई है। ऐसे में भाजपा नेता देवनानी का टिकट कटवाने के लिए उतावले हैं। लेकिन देवनानी के लिए यह प्लस पॉइंट है कि उत्तर क्षेत्र से सामान्य वर्ग का कांग्रेस का उम्मीदवार भी चुनाव नहीं जीत पाता है। 2008 और 2013 में कांग्रेस ने डॉ. श्रीगोपाल बाहेती तथा 2018 में राजपूत समाज के प्रभावशाली नेता महेंद्र सिंह रलावता को उम्मीदवार बनाया, लेकिन जीत भाजपा उम्मीदवार के तौर पर देवनानी की ही हुई। देवनानी की उम्मीदवारी से सिंधी समुदाय के वोट एकजुट हो जाते हैं। यह बात अलग है कि उत्तर क्षेत्र के अधिकांश मतदाताओं की मानसिकता भाजपा विचारधारा की है। इस विचारधारा के चलते ही देवनानी की जीत और आसान हो जाती है। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी खास प्रभाव है। इस बार संघ से जुड़े रहे प्रभावशाली स्वयंसेवक भी देवनानी के सामने दावेदारी जता रहे हैं। हालांकि देवनानी स्वयं भी संघ की पृष्ठभूमि के हैं। टिकट कटवाने वाले भाजपाई चाहे जो तर्क दें, लेकिन देवनानी ने अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखा है। अपने निर्वाचन क्षेत्र में आसानी से सुलभ भी हैं। यदि उम्र आड़े नहीं आई तो देवनानी पांचवीं बार भी भाजपा के उम्मीदवार होंगे। अभी टिकट की दावेदारी की मार्केटिंग में देवनानी सबसे आगे हैं।
 
आध्यात्मिक भस्म आरती:
शिवरात्रि पर्व पर 18 फरवरी को पुष्कर के देव नगर रोड स्थित चित्रकूट धाम पर सायं छह बजे आध्यात्मिक भस्म आरती होगी। धाम के मुख्य उपासक पाठक जी महाराज ने बताया कि शिवरात्रि पर प्रात: 7 बजे से सायं चार बजे तक 11 फीट ऊंचे शिवलिंग पर जलाभिषेक भी किया जाएगा। इस जलाभिषेक में कोई भी श्रद्धालु भगा ले सकता है। पूजा सामग्री चित्रकूट धाम प्रबंध समिति की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। उज्जैन महाकाल के बाद पुष्कर का चित्रकूट धाम ऐसा धार्मिक स्थल है जहां इतने बड़े पैमाने पर भस्म आरती की जाती है। कोई 51 किलो ऑर्गेनिक राख से भस्म आरती की जाएगी। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग और पाठक जी महाराज के दिव्य दर्शन होते हैं। चित्रकूट धाम के शिवरात्रि पर्व के आयोजनों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9772255376 पर पाठक जी महाराज से ली जा सकती है। 

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राजस्थान में सरकार के इशारे पर काम नहीं करने वाले निजी अस्पतालों पर बुलडोजर चलेगा।तो फिर मुख्यमंत्री गहलोत इनकम टैक्स और ईडी की कार्यवाही पर एतराज क्यों करते हैं?सरकार के बुलडोजर से नहीं डरेंगे-डॉक्टर विनय कपूर।

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजस्थान के निजी अस्पतालों ने विरोध का जो रुख अपनाया है, उससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खासे नाराज हैं। सीएम गहलोत को ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर है कि निजी अस्पतालों ने उनकी महत्वाकांक्षी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और आरजीएचएस का भी बहिष्कार कर दिया है। यानी 12 फरवरी से प्रदेश के निजी अस्पतालों ने इन दोनों योजनाओं में मरीजों का इलाज फ्री नहीं हो रहा है। निजी अस्पतालों के मालिकों को लाइन पर लाने के लिए सीएम गहलोत ने बिल्डिंग बॉयलॉज का सहारा लिया है। अब राजधानी जयपुर सहित प्रदेश भर के निजी अस्पतालों के भवनों की जांच हो रही है। सब जानते हैं कि निर्मित भवन में बिल्डिंग बॉयलॉज का थोड़ा बहुत उल्लंघन तो होता ही है। जो अस्पताल भवन स्वीकृत मानचित्र के विपरीत बने हैं, उन पर बुलडोजर भी चलेगा। सीएम गहलोत की इस कार्यवाही से निजी अस्पतालों के संचालकों में हड़कंप मच गया है। निजी अस्पतालों के जो चिकित्सक कल तक हाथों में तख्तियां लेकर सरकार का विरोध कर रहे थे वे अब अपने अस्पताल भवन को अशोक गहलोत के बुलडोजर से बचाने में लग गए हैं। सीएम का इशारा मिलते ही जयपुर के 175 निजी अस्पताल के भवनों की जांच पड़ताल का काम 71 फरवरी से शुरू हो गया है। इससे अस्पताल मालिकों में डर और भय पैदा हो गया है। हो सकता है कि अगले एक दो दिन में निजी अस्पताल फिर से सरकारी योजनाओं का लाभ देने लग जाएं। सीएम गहलोत के बुलडोजर का निजी अस्पताल कैसे मुकाबला करते हैं यत तो दो तीन दिन में पता चलेगा, लेकिन सवाल उठता है कि अशोक गहलोत इनकम टैक्स और ईडी की जांच पड़ताल पर एतराज क्यों करते हैं? आखिर ये दोनों एजेंसियां भी तो बेईमानों को ही पकड़ती है। जब बिल्डिंग बॉयलॉज से निजी अस्पतालों को डराया जा सकता है तो फिर बेईमानों को पकडऩे पर गहलोत को एतराज क्यों होता है? यदि गहलोत का बिल्डिंग बॉयलॉज जनहित से जुड़ा है तो इनकम टैक्स और ईडी की कार्यवाही देश हित से जुड़ी है। यदि इनकम टैक्स और ईडी की कार्यवाही राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए है तो फिर निजी अस्पतालों पर की जा रही कार्यवाही को क्या कहा जाएगा? निजी अस्पतालों को डराने के बजाए समझाइश से काम लिया जाना चाहिए, ताकि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में गरीब और आम व्यक्ति का इलाज हो सके। गरीबों के इलाज के मुद्दे पर निजी अस्पतालों को भी सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए।
 
बुलडोजर से नहीं डरेंगे:
राजस्थान प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. विनय कपूर ने कहा है कि सरकार के बुलडोजर से निजी अस्पताल नहीं डरेंगे। सरकार की यह कार्यवाही द्वेषतापूर्ण है। उन्होंने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनकी वजह से चिकित्सकों को अपना अस्पताल चलाना मुश्किल होगा। हमने सैद्धांतिक विरोध जताते हुए सरकार की योजनाओं का बहिष्कार किया। लेकिन सरकार निजी अस्पतालों को डराने और धमकाने का काम कर रही है। हम भविष्य में भी सरकार के रवैये का विरोध जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसा उग्र आंदोलन होगा जिसकी सरकार ने कल्पना भी नहीं की होगी। जो अस्पताल वर्षों से चल रहे हैं उन पर भी तोडफ़ोड़ की तलवार लटका दी गई है। डॉक्टर कपूर ने कहा कि सरकार में ऐसे अधिकारी बैठे हैं जो प्राइवेट अस्पतालों के प्रति द्वेषता रखते हैं। 

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Thursday 16 February 2023

शराब पीकर उद्दंडता करने वाले युवा जैसलमेर एसपी के पुत्र की गिरफ्तारी से सबक लें।एक पिता के रूप में एसपी नाथावत की पीड़ा इससे ज्यादा क्या हो सकती है, जब पुलिस ने पुत्र प्रवीण की मीडिया के समक्ष परेड करवाई।गहलोत सरकार को टिकाए रखने का घमंड करने वाले आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की भी नहीं चली।शाबाशी तो पिटने वाले सीआई करण सिंह खंगारोत को भी मिलनी चाहिए।

राजस्थान और देश में ऐसे कई युवा है जो शराब पीकर अपने पिता के पद या पैसे के घमंड में सरेआम  उद्दंडता  करते हैं। जब पिता का पद या पैसा शराब में मिल जाता है, तब नशा सातवें आसमान पर होता है। ऐसे युवाओं को लगता है कि पिता के रुतबे से उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ऐसे युवाओं को राजस्थान के जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक भंवर सिंह नाथावत के पुत्र प्रवीण सिंह नाथावत की गिरफ्तारी से सबक लेना चाहिए। अजमेर पुलिस के डीएसपी भंवर रणवीर सिंह ने क्रिश्चियनगंज थाने के सीआई करण सिंह खंगारोत के साथ मारपीट करने के आरोप में प्रवीण को गिरफ्तार कर लिया है। यदि 26 जनवरी को प्रवीण ने शराब न पी होती तो प्रवीण सीआई के साथ उद्दंडता भी नहीं करता। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद अब भले ही शराब के सेवन से इंकार किया जाए, लेकिन प्रत्यदर्शियों के अनुसार शराब की वजह से प्रवीण ने  उद्दंडता  की। शराब कितनी बुरी है, इसका अंदाजा प्रवीण की गिरफ्तारी से लगाया जा सकता है। पिता जिस महकमे के आईपीएस हो, उसी महकमे ने पुत्र की गिरफ्तारी की। एक पिता के रूप में एसपी नाथा की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है, जब 15 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद मीडिया के समक्ष प्रवीण की परेड करवाई गई। भंवर सिंह नाथावत ने पुलिस सेवा में रहते हुए न जाने कितने गुंडे बदमाशों की परेड मीडिया के सामने करवाई, लेकिन शराब की वजह से उन्हीं के पुत्र की परेड मीडिया के सामने हुई। इस परेड का प्रवीण पर कितना असर होगा, यह भविष्य ही बताएगा, लेकिन पिता नाथावत की पीड़ा को वो ही समझ सकते हैं। प्रवीण को अब कुछ दिनों के लिए जेल भी जाना होगा। जेल के हालातों से पिता को निपटना चुनौतीपूर्ण होगा। यह सब तब हो रहा है, जब 26 जनवरी की घटना के बाद 30 जनवरी को पुत्र प्रवीण का विवाह भी किया। विवाह के 15 दिन बाद एसपी के पुत्र की गिरफ्तारी हो जाए तो पीड़ा असहनीय होगी। शराब पीने वाले युवा प्रवीण की गिरफ्तारी का केस स्टडी के तौर पर अध्ययन करें तो उन्हें जीवन का सबक सीखने का अवसर मिलेगा।
 
राठौड़ का घमंड भी चूर:
राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को घमंड है कि उनकी वजह से राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। इस घमंड के चलते ही 26 जनवरी की घटना के बाद राठौड़ ने आरोपी पुत्र को खुला संरक्षण दिया। यह दिखाने का प्रयास किया कि मेरे रहते कुछ नहीं बिगाड़ सकता। लेकिन प्रवीण की गिरफ्तारी और फिर मीडिया के समक्ष परेड से जाहिर है कि धर्मेन्द्र राठौड़ की एप्रोच भी काम नहीं आई है। धर्मेंद्र राठौड़ को भी अब सरकार टिकाए रखने का घमंड दूर हो जाना चाहिए। खुद राठौड़ पर कांग्रेस में अनुशासनहीनता  करने की तलवार लटकी हुई है।
 
सीआई भी शाबाशी के पात्र:
पीड़ित सीआई करण सिंह खंगारोत ने जब प्रवीण के विरुद्ध आपराधिक रिपोर्ट लिखाई,तब उन्हें पता था कि प्रवीण जैसलमेर के एसपी नाथावत का पुत्र है। स्वाभाविक है कि रिपोर्ट नहीं लिखवाने का खंगारोत पर दबाव रहा होगा, लेकिन खंगारोत ने पुलिस की इज्जत का ख्याल रखते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर भी ऐसी जिसमें प्रवीण की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो। खंगारोत ने जो बहादुरी दिखाई है, उस पर उन्हें शाबाशी मिलनी ही चाहिए। यदि न्यायालय में खंगारोत अपनी एफआईआर पर कायम रहते हैं तो प्रवीण को सजा भी मिलेगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष भंवर सिंह नाथावत पुलिस सेवा से रिटायर हो रहे हैं। 

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500 करोड़ रुपए खर्च करने से पहले पुष्कर तीर्थ के सरोवर के घोषित नो कंस्ट्रक्शन जोन में निर्माण कार्यों को रोका जाए। 2009 के बाद हुए निर्माणों को भी हटाया जाए।तभी उज्जैन और बनारस की तर्ज पर पुष्कर तीर्थ का विकास हो सकता है।

पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ का दावा है कि 15 फरवरी को जयपुर में एक उच्चस्तरीय प्रशासनिक बैठक हुई। इस बैठक में अजमेर के पुष्कर तीर्थ के विकास पर पांच सौ करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया गया। यह अच्छी बात है कि कांग्रेस के शासन में किसी हिंदू धर्म स्थल के विकास पर इतनी बड़ी राशि खर्च की जा रही है। पांच सौ करोड़ रुपए में तो पूरे पुष्कर की कायपट हो सकती है। लेकिन विकास के कार्य शुरू करने से पहले पवित्र सरोवर के घोषित नौ कंस्ट्रक्शन जोन में हो रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगानी होगी तथा 20 फरवरी 2009 के बाद हुए निर्माणों को भी हटाना होगा। यदि सरोवर के भराव क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त नहीं करवाया जाता है तो पुष्कर के विकास कार्यों का भी वो ही हश्र होगा जो अजमेर के आनासागर का हुआ है। अजमेर में भी भूमाफिया और अतिक्रमण कारियों को लाभ पहुंचाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आनासागर के चारों तरफ पाथवे का निर्माण तथा भराव क्षेत्र में सात अजूबों की इमारतें खड़ी कर दी गई। अब भूमाफिया और अतिक्रमणकारी खुश है कि पाथ वे के कारण उनके निर्माण टूटने से बच गए हैं। सवाल उठता है कि कहीं अजमेर की तरह पुष्कर में भी भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए पांच सौ करोड़ रुपए खर्च तो नहीं किए जा रहे? अजमेर में आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए स्मार्ट सिटी के कार्यों की जब कभी ईमानदारी के साथ जांच होगी तो संबंधित विभागों के अधिकारी और इंजीनियर जेल जाएंगे। सब जानते हैं कि पुष्कर का धार्मिक महत्व सरोवर से ही है। सरोवर में स्नान कर श्रद्धालु पुण्य कमाते हैं तो वहीं पापी अपने पाप धोते हैं। सरोवर के धार्मिक महत्व को देखते हुए ही हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सरोवर के भराव क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई। हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप ही 20 फरवरी 2009 को अजमेर के तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेश यादव ने एक आदेश निकाल कर पुष्कर सरोवर सहित जिले की दस झीलों के डूब क्षेत्र और केचमेंट (भराव) क्षेत्र में सभी प्रकार के अवैध निर्माणों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। पुष्कर सरोवर का डूब क्षेत्र 72 बीघा और भराव क्षेत्र 600 बीघा निर्धारित है। यानी 672 बीघा भूमि पर कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि संबंधित विभागों ने 2009 के बाद भी स्वीकृति जारी कर सरोवर के भराव क्षेत्र में निर्माण करवा दिए। अब ऐसे अवैध निर्माण नहीं टूटे उनके लिए ही पांच सौ करोड़ रुपए के विकास की योजना बनाई जा रही है। चुनावी राजनीति के कारण जो लोग पांच सौ करोड़ रुपए का विकास दिखा रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि बरसात के समय सीवरेज का पानी सरोवर में समा जाता है। सरोवर के आसपास तंग गलियों से निकलना भी मुश्किल होता है। अवैध निर्माणों की वजह से पवित्र सरोवर सिकुड़ता जा रहा है। हालात इतने खराब है कि गर्मी के दिनों में तो सरोवर पूरी तरह सूख जाता है और श्रद्धालुओं को कुंडों पर बैठकर स्नान करना पड़ता है। सरोवर में जल के अभाव की समस्या को पुष्कर के पुरोहित भी पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। जब भी कोई विशिष्ट व्यक्ति पूजा अर्चना के लिए जाता है तो सरोवर में जल की समस्या को उठाया जाता है। अब पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों का भी यह दायित्व है कि वे सरोवर के भराव क्षेत्र की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाएं। सरोवर जब अपने मूल स्वरूप में लौटेगा तभी वर्ष भर सरोवर में जल भरा रहेगा। उज्जैन और बनारस की तर्ज पर पुष्कर का तभी विकास हो सकता है, जब पवित्र सरोवर को सुरक्षित रखा जाए।   

S.P.MITTAL BLOGGER (16-02-2023)
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राजस्थान में कांग्रेस के तीन विधायकों सरकार विरोधी रुख।सचिन पायलट ने फिर उठाया अनुशासनहीनता का मुद्दा।

राजस्थान में पिछले तीन दिनों में सत्तारूढ़ कांग्रेस के तीन विधायकों का सरकार विरोधी रुख सामने आया है। 13 फरवरी को  पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की। मौजूदा समय में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 21 प्रतिशत का आरक्षण मिल रहा है। हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री को बताया कि केंद्र सरकार में ओबीसी को 27 प्रतिशत का प्रावधान है। इसी प्रकार कांग्रेस के ही विधायक इंद्रराज गुर्जर ने 14 फरवरी को विधानसभा में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार  लंबे समय से कह रही है कि इस प्रोजेक्ट के तहत 13 जिलों के लोगों को पानी पहुंचाया जाएगा। लेकिन अब जब चुनाव में मात्र 9 माह रह गए है, तब प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा है। इंद्र राज ने ईआरसीपी के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी की। गुर्जर ने स्पष्ट कहा कि यदि इस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति नहीं हुई तो हमारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इंद्रराज का यह रुख भी सरकार विरोधी ही प्रतीत हुआ, क्योंकि विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर विपक्ष ने हाथों हाथ सहमति जता दी। यदि विशेष सत्र में चर्चा होती है तो फिर मौजूदा सरकार को तीखे सवालों का जवाब देना होगा। लगातार तीसरे दिन 15 फरवरी को कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक रामनारायण मीणा ने सरकार में भ्रष्टाचार होने की बात स्वीकार की। विधानसभा में मीणा ने कहा कि स्वायत्त शासन विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है, इसलिए आम लोगों के काम नहीं हो रहे हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम होना चाहिए। कांग्रेस के तीनों विधायकों के ऐसे बयान तब सामने आए हैं, जब सीएम अशोक गहलोत सरकार रिपीट होने का दावा कर रहे हैं।
 
पायलट ने फिर उठाया मामला:
गत वर्ष 25 सितंबर को कांग्रेस विधायकों की बगावत में अनुशासनहीनता से जुड़े मामले को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर उठाया है। दिल्ली में एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए पायलट ने कहा कि विधायकों की समानांतर बैठक बुलाने को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को अनुशासनहीनता के नोटिस दिए। इन तीनों ने अपना जवाब भी दे दिया है। लेकिन इसके बाद भी इन तीनों पर कार्यवाही का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इन तीनों नेताओं के मामले में जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए। पायलट ने कहा कि कार्यवाही में विलंब क्यों हो रहा है? इस बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और अनुशासन समिति के अध्यक्ष एके एंथोनी ही बता सकते हैं। 

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Wednesday 15 February 2023

अजमेर के क्रिश्चयनगंज थाने के सी.आई. करण सिंह खंगारोत को पीटने वाले जैसलमेर के एस.पी. भंवर सिंह नाथावत का पुत्र प्रवीण सिंह पुलिस की गिरफ्त में

14 फरवरी को भारत के आयकर विभाग ने विदेशी मीडिया संस्था ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के भारत स्थित दिल्ली, मुंबई सहित 20 ठिकानों पर जांच पड़ताल का काम किया। विभाग की जांच अभी भी जारी है। आयकर विभाग को शिकायत मिली थी कि बीबीसी में करोड़ों रुपए का जो लेन देन हुआ है, उसमें वित्तीय अनियमितताएं हुई है। शिकायतों के आधार पर जांच का काम हो रहा है। लेकिन कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक बीबीसी पर हुई कार्यवाही को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, ऐसे लोगों का कहना है कि बीबीसी ने हाल ही में 2002 के गुजरात दंगों पर जो डॉक्यूमेंट्री बनाई, उससे नाराज होकर ही केंद्र सरकार के इशारे पर आयकर विभाग ने कार्यवाही की है। कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दलों के आरोप अपनी जगह हैं, लेकिन बीबीसी का रवैया हमेशा से ही भारत विरोधी रहा है। श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में भी बीबीसी के खिलाफ कार्यवाही हुई थी। हमारे कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उकसाने और आतंकियों के गुणगान करने में भी बीबीसी की भूमिका देखी गई है। बीबीसी के अधिकांश पत्रकार भारत विरोधी नजरिया रखते हैं। एक ओर बीबीसी भारत को नीचा दिखाने का कार्य करता है तो दूसरी ओर भारत में बैठक कर वित्तीय अनियमितता करता है। अब ऐसा नहीं चलेगा। वो जमाना गुजर गया, जब लंदन से भारत का शासन चलता था। अब भारत में जनता का राज है और जनता जिसे चुनौती है वहीं दिल्ली में बैठ कर शासन करता है। देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बना रखा है। ऐसे में देश हित सर्वोपरि है। यदि किसी ने बेईमानी की है तो जनता उसे सजा भी देगी और पत्रकारिता के नाम पर दूसरों को सीख देने वाला विदेशी संस्थान बीबीसी भारत में वित्तीय गड़बड़ी क्यों कर रहा है? हो सकता है कि पहले की कमजोर सरकारें बीबीसी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से डरती हों, लेकिन मौजूदा समय में नरेंद्र मोदी ही भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। 545 संसदीय सीटों में से भाजपा की स्वयं 303 सीटें हैं तथा 50 अन्य सांसद भी समर्थन दे रहे हैं। यानी 545 में 350 सांसदों का समर्थन मोदी को है। मौजूदा समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की जो छवि है उसे बीबीसी जैसा मीडिया घरना खराब नहीं कर सकता है। अब समय आ गया है जब बीबीसी को अपने भारत विरोधी रवैये में बदलाव करना होगा। 

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बीबीसी पर आयकर विभाग की जांच प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला नहीं है।यदि करोड़ों के लेन देन में बेईमानी की है तो फिर पत्रकारिता की आड़ क्यों?

14 फरवरी को भारत के आयकर विभाग ने विदेशी मीडिया संस्था ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के भारत स्थित दिल्ली, मुंबई सहित 20 ठिकानों पर जांच पड़ताल का काम किया। विभाग की जांच अभी भी जारी है। आयकर विभाग को शिकायत मिली थी कि बीबीसी में करोड़ों रुपए का जो लेन देन हुआ है, उसमें वित्तीय अनियमितताएं हुई है। शिकायतों के आधार पर जांच का काम हो रहा है। लेकिन कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक बीबीसी पर हुई कार्यवाही को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, ऐसे लोगों का कहना है कि बीबीसी ने हाल ही में 2002 के गुजरात दंगों पर जो डॉक्यूमेंट्री बनाई, उससे नाराज होकर ही केंद्र सरकार के इशारे पर आयकर विभाग ने कार्यवाही की है। कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दलों के आरोप अपनी जगह हैं, लेकिन बीबीसी का रवैया हमेशा से ही भारत विरोधी रहा है। श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में भी बीबीसी के खिलाफ कार्यवाही हुई थी। हमारे कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उकसाने और आतंकियों के गुणगान करने में भी बीबीसी की भूमिका देखी गई है। बीबीसी के अधिकांश पत्रकार भारत विरोधी नजरिया रखते हैं। एक ओर बीबीसी भारत को नीचा दिखाने का कार्य करता है तो दूसरी ओर भारत में बैठक कर वित्तीय अनियमितता करता है। अब ऐसा नहीं चलेगा। वो जमाना गुजर गया, जब लंदन से भारत का शासन चलता था। अब भारत में जनता का राज है और जनता जिसे चुनौती है वहीं दिल्ली में बैठ कर शासन करता है। देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बना रखा है। ऐसे में देश हित सर्वोपरि है। यदि किसी ने बेईमानी की है तो जनता उसे सजा भी देगी और पत्रकारिता के नाम पर दूसरों को सीख देने वाला विदेशी संस्थान बीबीसी भारत में वित्तीय गड़बड़ी क्यों कर रहा है? हो सकता है कि पहले की कमजोर सरकारें बीबीसी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से डरती हों, लेकिन मौजूदा समय में नरेंद्र मोदी ही भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। 545 संसदीय सीटों में से भाजपा की स्वयं 303 सीटें हैं तथा 50 अन्य सांसद भी समर्थन दे रहे हैं। यानी 545 में 350 सांसदों का समर्थन मोदी को है। मौजूदा समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की जो छवि है उसे बीबीसी जैसा मीडिया घरना खराब नहीं कर सकता है। अब समय आ गया है जब बीबीसी को अपने भारत विरोधी रवैये में बदलाव करना होगा। 

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भाजपा पार्षद वीरेंद्र वालिया की रिश्वतखोरी के मामले में नगर निगम और एडीए के बेईमान चेहरों के नाम उजागर होने चाहिए।

14 फरवरी को अजमेर नगर निगम में भाजपा के पार्षद वीरेंद्र वालिया और उसके दलाल रोशन चीता को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया। वालिया पर आरोप है कि उनके वार्ड 79 में ईदगाह कच्ची बस्ती में मकान बनाने वाले से 50 हजार रुपए तक की अवैध वसूली की जा रही थी। जो निर्माणकर्ता वालिया और उसके दलाल को राशि नहीं देते थे उनके मकान पर नगर निगम की जेसीबी आकर खड़ी हो जाती थी। वालिया पर इस तरह की वसूली के अनेक आरोप है। एसीबी ने एक मामला चिह्नित कर वालिया और उसके दलाल को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पार्षदों के कामकाज का तरीका राजस्थान ही नहीं देशभर में एक जैसा है। लेकिन यह हकीकत है कि पार्षद नगर निगम और क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिली भगत के बगैर अवैध वसूली नहीं कर सकते है। वीरेंद्र वालिया के मामले में भी यह सवाल उठता है कि आखिर उसी निर्माणाधीन मकान पर जेसीबी क्यों पहुंचती थी, जिसके बारे में वालिया शिकायत करता था? यदि ईदगाह कच्ची बस्ती में अवैध निर्माण हो रहे थे तो नगर निगम को समान रूप में कार्यवाही करनी चाहिए थी। नगर निगम का प्रशासन अब चाहे तो सफाई दे, लेकिन यह सही है कि निगम के अधिकारियों की मिली भगत के बगैर कोई पार्षद अवैध वसूली नहीं कर सकता है। वीरेंद्र वालिया जो 50-50 हजार रुपए की वसूली कर रहा था उसका कुछ हिस्सा निगम के अधिकारियों और कार्मिकों तक पहुंचता है। यदि हिस्सा न पहुंचे तो निगम द्वारा नोटिस देने और जेसीबी भेजने की कार्यवाही नहीं होती। वीरेंद्र वालिया के वार्ड का कुछ हिस्सा अजमेर विकास प्राधिकरण के अधीन भी आता है। जो हाल नगर निगम का है वही हाल एडीए का भी है। एडीए में फाइल अटकी पड़ी रहती है, लेकिन जब पार्षद नुमा दलाल से संपर्क किया जाता है, तब फाइल क्लीयर हो जाती है। स्थानीय निकाय से जुड़े इन दोनों विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है। सबसे गंभीर बात यह है कि इन दोनों ही विभागों में ऊपर तक कोई सुनने वाला नहीं है। पीड़ित व्यक्ति अपने छोटे छोटे कार्य के लिए धक्के खाता रहता हैे। जबकि बड़े के कार्य रिश्वत के बल पर तत्काल हो जाते हैं। यूं तो इन दोनों ही विभागों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के ऊर्जावान अधिकारी आयुक्त के पद पर नियुक्त है। लेकिन  इसके बाद भी विभागों की हर टेबल पर भ्रष्टाचार नजर आता है। जाहिर है कि आयुक्त के स्तर पर भी सुनवाई नहीं हो रही है। चूंकि लोगों के जायज कार्य ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हो जाए तो पार्षदों के द्वारा भी रिश्वतखोरी नहीं हो सकती है। वीरेंद्र वालिया के सामने नगर निगम और एडीए के उन बेईमान चेहरों का नाम उजागर होना चाहिए जो दलालों के माध्यम से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। वीरेंद्र वालिया के खिलाफ तो भाजपा के पूर्व पार्षद चंद्रशे सांखला सक्रिय थे, इसलिए वालिया गिरफ्तार हो गए। यदि विस्तृत जांच पड़ताल की जाए तो दोनों महकमों में वालिया जैसे कई लोग पकड़े जा सकते हैं। कहने को तो वालिया एक पार्षद है, लेकिन उनकी संपत्ति करोड़ों में है। यह भाजपा के लिए भी बदनामी का सबब है। वालिया जैसे व्यक्तियों को एक नहीं दो दो बार पार्षद का उम्मीदवार बना दिया जाता है। 

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विशेष बच्चों से पूजा करवाते समय माता पिता की आंखों में आंसू आए।शुभदा संस्था में हुआ मार्मिक कार्यक्रम। राजस्थान पत्रिका की भी अनुकरणीय पहल रही।

14 फरवरी को राजस्थान पत्रिका अखबार और शुभदा स्पेशल वर्ल्ड के तत्वावधान में वैलेंटाइन डे पर हिंदू संस्कृति के अनुरूप माता पिता पूजन दिवस मनाया गया। इसमें विशेष (विमंदित) बच्चों ने अपने माता पिता को तिलक लगाया, माला पहनाई और फिर हाथ में थाली लेकर पूजा की। जब विमंदित बच्चा यह सब कर रहा था, तब माता पिता की आंखों में आंसू थे। सामान्य बच्चे को पालना कितना कठिन होता है यह सब माता पिता जानते हैं, लेकिन जो माता पिता विमंदित बच्चे को पाल रहे हैं उन्हें अनेक कठिनाई के दौर से गुजरना पड़ता है। और जब विमंदित के रूप में बच्ची हो तो उसकी पीड़ा और बढ़ जाती है। हालांकि लाखों बच्चों में दो तीन ही विमंदित होते हैं, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ने लगी है। यही वजह है कि शहरी क्षेत्रों में शुभदा स्पेशल वल्र्ड जैसे संस्थान खुल गए हैं। जो इन स्पेशल बच्चों का ख्याल रखते हैं। 14 फरवरी को हुए समारोह में अभिभावकों ने बताया कि हमारे विमंदित बच्चे का ख्याल तो हम घर पर भी कर सकते हैं, लेकिन शुभदा में हमारे बच्चों को नई तकनीक से जो सिखाया जाता है, उससे उसका दिमाग सामान्य कामकाज करने के लिए अग्रसर होता है। शुभदा के संचालक अपूर्व सेन ने बताया कि उनके संस्थान में करीब 100 विमंदित बच्चे प्रतिदिन आते हैं। एक साथ इतने बच्चों को संभालना बहुत मुश्किल कार्य होता है, लेकिन प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से इन सभी बच्चों का ख्याल रखा जाता है। चूंकि संस्था के पास अजमेर में कोटडा स्थित फ्लोरेंस अपार्टमेंट के पीछे एक बड़ा परिसर है जिसमें बने अलग अलग कक्षों में उन उपकरणों का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें बच्चों के दिमाग की स्फूर्ति को बढ़ाया जा सके। हमारे संस्थान में आने के बाद विमंदित बच्चे दैनिक जीवन का काम आसानी से कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे प्रताडऩा के नहीं बल्कि स्नेह के पात्र होते हैं। कई बार घरों में स्नेह का माहौल नहीं होता है। ऐसे में बच्चों को प्रशिक्षित अभिभावकों की जरुरत होती है। हम सभी बच्चों को अपना समझ कर काम करते हैं। 14 फरवरी को माता पिता पूजन दिवस इसलिए मनाया गया ताकि बच्चों और माता पिता के बीच और अच्छे संबंध हो। विमंदित बच्चों की हौसला अफजाई के लिए अजमेर के सुप्रसिद्ध मयूर स्कूल के बच्चे भी मौजूद रहे। इन स्वस्थ बच्चों ने भी विमंदित बच्चों की पीड़ा को समझा। मयूर स्कूल की ओर से शुभदा संस्था को दो कंप्यूटर सैट और सीलिंग फैन भेंट किए गए। इस मार्मिक समारोह में समाजसेवी सुनील दत्त जैन, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष संजय शर्मा, सोमरत्न आर्य, आनंद अरोड़ा, डॉ. राजेंद्र गोखरू, डॉ. कमला गोखरू, प्रभु  थदानी, कुलवंत सिंह, महेंद्र जैन मित्तल आदि ने अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर संस्था की सह संस्थापिका साधना सेन ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। शुभदा संस्था की गतिविधियों की ओर अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460789744 पर अपूर्व सैन से ली जा सकती है। राजस्थान पत्रिका ने इस कार्यक्रम को सहयोग देकर अनुकरणीय कार्य किया है।

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Tuesday 14 February 2023

अशोक गहलोत को अपनी सरकार रिपीट करवानी है और प्राइवेट अस्पतालों को पैसा कमाना है।इस जिद के चलते राजस्थान में मरीज परेशान हो रहे हैं। सवाल-आखिर सरकारी अस्पतालों की दशा क्यों नहीं सुधारी जाती?हेल्थ की परिभाषा भी नहीं बता सकते हैं राजस्थान के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. कुलदीप शर्मा।

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब में किसी भी प्राइवेट अस्पताल पर कोई अंकुश नहीं लगाया और न ही किसी सरकारी स्कीम में मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में जबरन करवाया। केजरीवाल ने सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारी और मोहल्ला क्लीनिक खोल कर दिल्ली और पंजाब के गरीब मरीजों का इलाज करवाया। असल में केजरीवाल को भी पता था कि प्राइवेट अस्पताल कभी भी डंडे के जोर पर गरीबों का इलाज नहीं करेंगे। यह सही भी है कि जिन लोगों ने करोड़ों रुपया खर्च कर अस्पताल बनाया वो किसी मरीज का रियायती दर या फिर फ्री इलाज क्यों करें? यही वजह है कि आज दिल्ली में निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में मेडिकल सुविधाओं का विस्तार हुआ है। लेकिन इसके विपरीत राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि प्राइवेट अस्पतालों में गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) और चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत रियायती दरों पर इलाज हो। चिरंजीवी योजना में भर्ती मरीज का सरकार की ओर से मात्र 1700 रुपए एक दिन के दिए जाते हैं। इस राशि में प्राइवेट अस्पताल को मरीज के इलाज के साथ साथ भोजन भी करवाना होता है। जो अस्पताल एक दिन के 10 हजार रुपए तक लेते हैं, वे मात्र 17 सौ रुपए में इलाज कैसे करेंगे। सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार की योजना को भी शामिल कर चिरंजीवी योजना बनाई है। यानी इस योजना पर खर्च होने वाली राशि में केंद्र सरकार का भी सहयोग है। अब सरकारी अस्पतालों में भी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में इलाज होता है। यानी राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज केंद्र सरकार के खर्चे पर हो रहा है। एक और अशोक गहलोत सरकारी अस्पतालों में इलाज कर केंद्र सरकार से पैसा प्राप्त कर रहे हैं तो दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों में जबरन रियायती दरों पर इलाज करवाना चाहते हैं। असल में अशोक गहलोत को अपनी सरकार रिपीट करवानी है, इसलिए गरीबों के इलाज के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों पर कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है, वहीं प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों का तर्क है कि उन्होंने समाज सेवा के लिए अस्पताल नहीं खोला है। यदि सरकार की मंशा के अनुरूप मरीजों का इलाज फ्री या रियायती दरों पर किया जाएगा तो अस्पतालों का संचालन मुश्किल होगा। प्रदेश में यदि राइट टू हेल्थ बिल कानून बना तो प्राइवेट अस्पतालों  पर ताले लग जाएंगे। इस बिल में निशुल्क इलाज का प्रावधान है ही, साथ ही क्षेत्रीय वार्ड वार्ड को भी संतुष्ट रखना अनिवार्य होगा। पार्षद, विधायक और सांसद की सिफारिश पर प्राइवेट अस्पतालों को सीज भी किया जा सकता है। राइट टू हेल्थ बिल का सरकारी चिकित्सकों ने भी विरोध किया है।
 
हेल्थ की परिभाषा नहीं बता सकते:
राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ प्रदेश भर में बनी ज्वाइंट एक्शन कमेटी के प्रतिनिधि डॉ. कुलदीप शर्मा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ और सुप्रीम कोर्ट की दुहाई देकर राजस्थान में इस बिल को लाया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा हेल्थ की परिभाषा नहीं बता सकते हैं। मीणा का यह बयान पूरी तरह गलत है कि डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुरूप राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल लाया गया है। डॉ. शर्मा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ का तर्क है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार को मरीजों के इलाज की सुविधा उपलब्ध करवानी चाहिए। डब्ल्यूएचओ की अनिवार्यता सरकारी सिस्टम पर है। इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना के मामलों में पीड़ित व्यक्ति के इलाज को प्राथमिकता दी है। लेकिन राजस्थान में सरकार अपनी जिम्मेदारी को प्राइवेट अस्पतालों पर थोप रही है। डॉ. शर्मा ने कहा कि यदि किसी नर्सिंग होम में सिर्फ डिलीवरी की चिकित्सा होती है उस नर्सिंग होम में दुर्घटना ग्रस्त मरीज का कैसे होगा। इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं में मरीज का इलाज हर संभव किया जा रहा है। लेकिन यदि सिर्फ सरकारी योजनाओं में ही इलाज होता रहा तो फिर प्राइवेट अस्पताल कैसे चलेंगे। वैसे भी प्राइवेट अस्पतालों पर सरकार ने अनेक अंकुश लगा रखे हैं। जिनकी वजह से अस्पताल का संचालन मुश्किल हो रहा है। सीएम अशोक गहलोत को राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधानों पर पुनर्विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि गत 12 फरवरी से प्रदेश भर के प्राइवेट अस्पतालों ने आरजीएचएस और चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में मरीजों का इलाज करना बंद कर रखा है। 

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जन्मदिन पर शुभकामनाएं देने वालों का आभार।महाशिवरात्रि पर पुष्कर के चित्रकूट धाम के 11 फीट ऊंचे शिवलिंग पर आध्यात्मिक भस्म आरती।11 बेटियों का सामूहिक विवाह संपन्न।

62 वर्ष की उम्र पूरी होने पर 13 फरवरी को जिन प्रशंसकों ने मुझे जन्मदिन की बधाई, शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया उन सभी का मैं हृदय से आभारी हंू। जब प्रशंसकों की दाद मिलती है तो निःसंदेह हौसला अफजाई होती है। मेरे जैसे श्रमजीवी पत्रकार को मिलने वाली शुभकामनाएं कुछ ज्यादा ही मायने रखती हैं। मैं उन सभी का भी आभारी हूं जिन्होंने मुझे फोन पर जन्मदिन की बधाई दी। उनके प्रशंसकों ने अपने फेसबुक पेज पर मेरा फोटो लगाकर अपनी भावनाएं व्यक्त की। अनेक वाट्सएप ग्रुप में भी शुभकामनाओं का दौर चला। एडवोकेट मनोज आहूजा, महेंद्र भाटी, सतीश शर्मा, अविनाश विल्सन, हरीश गिदवानी आदि ने सोशल मीडिया पर मेरे बारे में जो उद्गार व्यक्त किए उसके लिए भी सभी का आभार। इस प्रकार पुष्कर जोगणिया धाम के उपासक और ज्योतिषाचार्य भंवरलाल जी, इवेंट क्षेत्र की लोकप्रिय संस्था राशि एंटरटेनमेंट के कोसिनोक जैन, ब्यूटी कॉर्नर के मोहम्मद भाई, पत्रकार मनवीर सिंह चुंडावत, नवाब हिदायतुल्ला, आनंद शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा, सारथी न्यूज के मनीष गोयल, अजयमेरु प्रेस क्लब के सदस्य मोहम्मद सलीम, समाजसेवी राजेश मालवीय आदि ने मेरे ऑफिस में आकर मालाएं पहनाई तथा केक कटवाए। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि प्रशंसकों का ऐसा स्नेह बना रहे।
 
आध्यात्मिक भस्म आरती:
पुष्कर तीर्थ के बांसेली रोड स्थित चित्रकूट धाम के परिसर में स्थापित 11 फिट ऊंचे शिवलिंग पर प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी आगामी 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन धार्मिक अनुष्ठान होंगे। धाम के उपासक पाठक जी महाराज ने बताया कि प्रात: सात बजे से लेकर सायं चार बजे तक शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक होगा। धाम में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को पूजा की सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। ऊंचे शिवलिंग पर दूध अर्पित करने के लिए विशेष प्रकार की सीढिय़ों का निर्माण किया गया है। इसी प्रकार सायं छह बजे शिवलिंग पर आध्यात्मिक भस्म आरती होगी। इस शिवलिंग की खासियत यह है कि बीच में हनुमान जी विराजमान है। इस प्रतिमा को मंगलमूर्ति कहा जाता है। संभवत: उज्जैन के बाद राजस्थान के पुष्कर का चित्रकूट धाम एक मात्र धार्मिक स्थल है जहां शिवलिंग पर आध्यात्मिक आरती होती है। यह परंपरा पिछले पांच वर्षों से निभाई जा रही है। आध्यात्मिक भस्म आरती के समय उपासक पाठक जी महाराज के दिव्य दर्शन भी होते हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9772255376 पर पाठक जी महाराज से ली जा सकती है।
 
11 बेटियों का सामूहिक विवाह:
सामाजिक संस्था बेटियां पक्षी एक डाल की ओर से पुष्कर रोड स्थित नंदिनी पैलेस पर 14 फरवरी को 11 बेटियों का सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। संस्था की मुख्य संरक्षक मंजू नवाल और अध्यक्ष रानू माहेश्वरी ने बताया कि प्रत्येक जोड़े को एक लाख रुपए की कीमत का घरेलू सामान भी दिया गया है। इस सामूहिक विवाह में सभी परंपराओं का निर्वाह किया गया। 13 फरवरी को बारात निकाली गई तो 14 फरवरी को पाणिग्रहण संस्कार हुआ। परंपरा के अनुसार बारातियों की विदाई भी की गई। संस्था की गतिविधियों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829570471 पर अध्यक्ष रानू माहेश्वरी और नवीन माहेश्वरी से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-02-2023)
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राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 21 के बजाए 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र


राजस्थान में जब विधानसभा चुनाव के नौ माह शेष हैं, तब कांग्रेस के नेताओं में खींचतान खुलकर सामने आ रही है। एक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की उपलब्धियों को गिना कर कांग्रेस सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं, वहीं पूर्व मंत्री और पंजाब में प्रभारी हरीश चौधरी जैसे नेता अभी भी मांगों को सामने रख रहे हैं। अब विधायक हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखकर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग की है। अपने पत्र में चौधरी ने लिखा है कि राज्य में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है, जबकि राज्य सरकार की नौकरियों में ओबीसी वर्ग का आरक्षण केवल 21 प्रतिशत ही है। विभिन्न विसंगतियों को कारण भी 21 प्रतिशत का लाभ भी ओबीसी वर्ग को नहीं मिल पाता है। मंडल कमीशन की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा 1992 में ओबीसी वर्ग को सरकारी सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। आज भी केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इसके अनुरूप ही राज्य में भी ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए था। हरीश चौधरी ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री को बताया है कि 2019 में संविधान में संशोधन के बाद आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इससे पचास प्रतिशत आरक्षण की बाध्यता समाप्त हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी आर्थिक पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को वैध ठहराया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय के बाद ही छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश आदि राज्यों ने भी जनसंख्या के आधार पर ओबीसी वर्ग के आरक्षण के कोटे को बढ़ा दिया। चौधरी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि केंद्रीय सेवाओं की तर्ज पर ही राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए ताकि इस वर्ग के साथ न्याय हो सके। हरीश चौधरी के इस पत्र पर अब राजनीति भी हो रही है। चौधरी इस से पहले भी सीएम गहलोत का सार्वजनिक तौर पर विरोध कर चुके हैं। इस पत्र को भी विरोध स्वरूप ही देखा जा रहा है। चौधरी ने इस पत्र के माध्यम से सीएम गहलोत के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है, लेकिन इस बार चौधरी ने तीर निशाने पर लगाया है, क्योंकि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध विपक्ष दल भी नहीं कर सकते हैं। 

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Monday 13 February 2023

गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाने के साथ ही भाजपा में ऑपरेशन राजस्थान शुरू।यही फर्क है भाजपा और संघ के कार्यकर्ता में।तो क्या वासुदेव देवनानी भी बनेंगे राज्यपाल?

कई बार यह सवाल उठता है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता में क्या फर्क है? इस सवाल का जवाब राजस्थान में भाजपा के कद्दावर नेता और 78 वर्ष की उम्र में भी विधानसभा में भाजपा संसदीय दल के नेता गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाने से समझा जा सकता है। राजस्थान में नौ माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और गत 25 वर्षों की परंपरा के अनुसार इस बार भाजपा की सरकार बनने की बारी है। भाजपा की ोर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार कटारिया भी थे, लेकिन ऐन मौके पर कटारिया को सक्रिय राजनीति से दूर कर असम का राज्यपाल नियुक्त कर दिया। कटारिया ने भी बिना किसी एतराज के राज्यपाल पद स्वीकार कर लिया। स्वाभाविक है कि राज्यपाल नियुक्त करने से कटारिया की सहमति ली गई होगी। सहमति के दौरान कटारिया ने यह भी नहीं कहा होगा कि मेरे बगैर राजस्थान में भाजपा की सरकार नहीं बन सकती है। यह भी नहीं कहा होगा कि मुझे सक्रिय राजनीति से अलग करने पर मेरे समर्थक नाराज हो जाएंगे। यह भी नहीं कहा होगा कि मेरे दम पर ही राजस्थान में भाजपा मजबूत स्थिति में है। कटारिया ने यही कहा होगा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता हूं और मेरे बारे में बड़े नेता जो फैसला लेंगे, वह स्वीकार है। आठ बार विधायक, एक बार सांसद और दो बार मंत्री, तीन बार भाजपा संसदीय दल का नेता बनने के लिए कटारिया ने भाजपा और संघ का आभार भी जताया होगा। असल में भाजपा में दो प्रकार के नेता होते हैं। एक संघ के स्वयंसेवक रहने के बाद संघ के निर्देश पर भी भाजपा का कार्यकर्ता बनना और दूसरे गैर संघी। इसमें दूसरे दलों से आए नेता और स्काईलैब की तरह टपके नेता भी शामिल होते हैं। स्काईलैब और दूसरे दलों से आए नेताओं को यह भ्रम हो जाता है कि उन्हीं की वजह से भाजपा चल रही है। ऐसे नेता भाजपा की मजबूत की दुहाई देकर सक्रिय राजनीति से अलग नहीं होते और न ही संगठन में दूसरी भूमिका स्वीकार करते हैं। ऐसे नेताओं की जिद से भी कई बार पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन वहीं संघ की पृष्ठ भूमि वाले भाजपा कार्यकर्ता पार्टी के नेताओं के निर्देशों को मानने के लिए तत्पर रहते हैं। चूंकि राजस्थान में नौ माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने ऑपरेशन राजस्थान शुरू कर दिया है। फिलहाल राज्यपाल बना कर रोग की जांच पड़ताल की है। यदि जरूरत पड़ी तो रोग निदान के लिए सर्जरी भी की जाएगी। भाजपा में जो नेता यह समझते हैं कि उन्हीं की वजह से पार्टी है तो उन्हें अब सर्जरी के लिए तैयार रहना चाहिए। कई बार सर्जरी के डर भी रोग का निदान हो जाता है। यह माना कि विधानसभा चुनाव जातिगत समीकरण और किसी नेता की लोकप्रियता मायने रखती है, लेकिन राजस्थान में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे और देशहित भी मायने रखता है।
 
देवनानी भी बनेंगे राज्यपाल:
हालांकि कोई नियम नहीं है, लेकिन फिर भी भाजपा में 75 वर्ष की उम्र वालों को राज्यपाल या मार्गदर्शक मंडल में रख दिया जाता है। लेकिन राजस्थान में जब कभी 75 वर्ष की उम्र का मुद्दा उठा था तो सबसे पहले 78 वर्षीय गुलाबचंद कटारिया का नाम ही आगे रखा जाता था। तब कटारिया की कद्दावर स्थिति को देखते हुए विधायक का टिकट कटना असंभव माना जाता था। भाजपा में 75 वर्ष की उम्र वाले जो नेता अब तक कटारिया की उम्र को आगे रखकर अपना बचाव करते थे, उन्हें अब संगठन का इशारा समझ लेना चाहिए। ऑपरेशन राजस्थान में भी अब कहा जा रहा है कि चार बार के विधायक और दो बार मंत्री रह चुके वासुदेव देवनानी को भी किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाया जा सकता है। देवनानी भी संघ की पृष्ठभूमि वाले भाजपा नेता हैं। यदि देवनानी को सक्रिय राजनीति से हटाया जाता है तो उनके निर्वाचन क्षेत्र अजमेर उत्तर में टिकट मांगने वालों की लंबी कतार होगी। देवनानी ने उदयपुर से आकर लगातार चार बार चुनाव जीता और अपनी राजनीति क्षमता का प्रदर्शन किया। देवनानी अजमेर उत्तर से हर परिस्थितियों में चुनाव जीते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (13-02-2023)
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