Tuesday 31 August 2021

30 करोड़ रूपये वाली भूमि 80 लाख रूपये में देने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि भी खराब होगी- किशनगढ कि निर्दलीय विधायक सुरेश टांकचारागाह भूमि के आवंटन की प्रक्रिया के विरोध में ग्रामीणों का अजमेर कलेक्टर पर प्रदर्शनमार्बल का मलबा डाल कर पहले भूमि का स्वरूप बदला गया। कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथू राम के परिवार से जुडा है आवंटनडीडवाना के ग्रीन हुड बीएड कालेज का संचालन सर्वर खान गिरफ्तार

31 अगस्त को अजमेर कलक्टेªट पर किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टांक कि नेतृत्व में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया टांक और ग्रामीण किशनगढ़ उपखंड की खातोली ग्राम पंचायत के ग्राम काली डूंगरी में कांग्रेस पूर्व विधायक लादूराम सिनोदिया के पुत्र रवि सिनोदिया को चारागाह की 16 बीघा भूमि औद्योगिक प्रयोजनार्थ डी.एल.सी. की दर पर देने का विरोध कर रहे है, ग्रामीणों को जहां चारागाह भूमि के खुर्दबुर्द होने की चिन्ता है तो वही निर्दलीय विधायक सुरेश टांक को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ईमानदार छवि की टांक ने एक शिष्टमंडल के साथ 31 अगस्त को जिला कलेक्टर प्रकाश पुरोहित से भी मुलाकात की इस अवसर पर कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया इस ज्ञापन में बताया गया कि रवि सिनोदिया को 16 बीघा भूमि डी.एल.सी. की दर पर आवंटित करने की प्रक्रिया में खातेली ग्राम पंचायत की एन.ओ.सी भी नहीं ली गई है अब चूंकि यह भूमि अजमेर विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दी गई है इसलिए डी.एल.सी. की दर पर भूमि का आवंटन किया जा रहा है ज्ञापन में बताया गया की डी.एल.सी. की दर के हिसाब से यह भूमि मात्र 80 लाख रुपये में दी जा रही है, जबकि इस भूमि को नीलाम किया जाता है तो 30 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी विधायक टाक ने कलेक्टर से कहा की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि साफ सुथरी और ईमानदारी वाली है ऐसे में यदी प्राधिकरण 30 करोड़ रूपये वाली जमीन मात्र 80 लाख रूपये में देगा तो मुख्यमंत्री की छवि भी खराब होगी क्यांेकि किशनगढ़ का निर्वाचन क्षेत्र है इसलिए उनकी छवि पर भी प्रतिकूल असर पडेगाा टांक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुऐ कलेक्टर को बताया की औद्योगिक प्रयोजनार्थ भूमि का आवंटन नहीं किया जा सकता हैं जिस 16 बीघा भूमि को डी.एल.सी. दर पर दिया जा रहा है उसके आस पास मार्बल और ग्रेनाइट पत्थर काटने की बडी बडी मशीने लगी हुई है। यही वजह है की भूमि बाजार दर बहुत ज्यादा है शिष्टमंडल में शामिल ग्रामीणों का कहना रहा की कुछ प्रभावशाली लोगो ने पहले सम्बन्धित भूमि पर मार्बल का मलबा डाल कर भूमि का स्वरूप बदला जो भूमि राजस्व रिकार्ड में चारागाह दर्ज है उस पर जबरन मलबा डाला गया। मलबा को रोकने के लिए किशनगढ़ के एसडीएम ने भी निर्देश दिये लेकिन प्रभावशाली लोगो ने किसी की भी नही सुनी अब इसी भूमी को डी.एल.सी. की दर पर हासिल करने की कार्यवाही करवाई जा रही है विधायक टांक ने समर्थकों से कहा की भूमि के आवंटन की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोका जाये टाक ने कहा कि यदी ग्रामीणों की आवाज को नही सुना गया तो वे इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे ग्रामीणों ने भी कलेक्टर से आग्रह किया की सम्बनिधत भूमि से मार्बल का मलबा हटवाया जाये और भूमि को जानवरों के चरने के लिए आरक्षित किया जाये। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा की किसी भी कीमत पर चारागाह भूमि का उद्योग के लिए उययोग नही होने दिया जयोगा कलेक्टर ने विधायक टाक और ग्रामीणों को उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया है। 

 सर्वर खान गिरफ्तार - 31 अगस्त को अजमेर स्थित एसीबी की टीम ने नागौर जिले के डीडवाना उपखंड में संचालित एस.के ग्रीन हुड शिक्षण संस्थान ंएंव बीएड कॉलेज के संचालक सर्वर खान उर्फ सुल्तान को 10,000 रूपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। एसीबी के एएसपी सतनाम सिंह और डीएसपी अनूप सिंह ने बताया की डीडवाना तहसील के भयवादीया ग्राम निवासी सही राव ने शिकायत दर्ज करवाई थी की बीएड कॉलेज के प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष में उपस्थिति पूरी दिखाने के लिए कॉलेज का संचालक सर्वर खान 30,000 की रिश्वत मांग रहा है इस शिकायत का सत्यापन किये जाने के बाद 31 अगस्त को प्रार्थी को 10,000 रुपये की राशि लेकर सर्वर खान के पास भेजा गया खान ने जैसे ही यह राशि प्राप्त की वैसे ही एसीबी की टीम ने दबोच लिया। 
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अफगानिस्तान से अमरीका तो चला गया, लेकिन भारत के लिए जिस बात का डर था, वही हुआ।पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसूफ ने भारत पर 9/11 जैसे हमले की धमकी दी तो कश्मीर को लेकर आतंकी संगठन एकजुट हुए।


तय तारीख से एक दिन पहले ही अमेरिका के सभी सैनिक अफगानिस्तान छोड कर चले गए है। 30 अगस्त की आधी रात को काबुल एयरपोर्ट से अमेरीका के मालवाहक विमान ने डेल्टा सैनिकों के साथ आखरी उडान भरी। 20 वर्ष पहले अमेरिका के डेल्टा सैनिक ही सबसे पहले अफगानिस्तान पहुंचे थे। अमेरिका के लिए यह दुखद भरा रहा कि आखरी उडान से पहले 13 मरीन अमेरिकी सैनिको के शव भी पहुॅच गये। इससे पूरे अमेरिका में शोक का माहौल है। अमरीकी सनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान का क्या होगा, वह उपर वाला ही जानता है लेकिन भारत के लिए जिस बात का डर था वही हुआ है। अब जब अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरी तरह कब्जा हो गया, तब पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एन.एस.ए.) मोईद यूसूफ ने कहा है कि भारत ने यदि तालिबान सरकार को मान्यता नही दी तो भारत पर 9/11 जैसे हमले हो सकते है। इधर एन.एस.ए. का धमकी भरा बयान आया है तो उधर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान में आंतकी संगठन रणनीति बनाने में जुट गए है। जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख हाफिज सयैद अब तालिबान के लड़ाकों से मिलकर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देगा। कश्मीर के मुद्दे पर आतंकी संगठनों केा एकजुट करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी सक्रिय है। हालांकि तालिबान की ओर से कहा गया है कि वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन मौजूदा समय में तालिबान काफी हद तक पाकिस्तान पर निर्भर है। अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में जो हेलीकॉप्टर, टैंक, और सैन्य सामग्री छोड गए है, उन्हे पाकिस्तानी सेना के अधिकारी ही चला रहे हैं। तालिबान को अमेरिकी सैन्य सामग्री के उपयोग के बारे में भी पाक सेना के अधिकारी ही जानकारी दे रहे है। अफगानिस्तान से अमेरिका को भगाने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐसे में तालिबान के न चाहते हुए भी पाकिस्तान हमारे कश्मीर में आंतकी गतिविधियां करता करायेगा। तालिबान अफगानिस्तान में किस प्रकार से शासन करता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन पाकिस्तान की बदमान खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर के हालात बिगाड़ने में कोई कसर नही छोडेगी। यदि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को नही हटाया जाता, तो तालिबान के अफगानिस्तान में घुसने के साथ कश्मीर में भी आतंकी घटनाएं हो जाती। अनुच्छेद 370 के हटने से कश्मीर में सुरक्षाबलों को स्थिति मजबूत हुई है तथा कश्मीर के लोगों को भी अब सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने लगा है। हालात सामान्य होने के कारण ही कश्मीर में पर्यटन को बढावा मिला है। इससे आम कश्मीरियों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है।
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#8228 मंत्री धारीवाल के ब्राह्मण विरोधी बयान पर मुख्य संचेतक महेश जोशी की प्रतिक्रिया स्वागत योग्य।वाकई विरोध करने के बजाय ब्राह्मण समाज के संगठन अपने युवाओं को आईएएस, आईपीएस, डाक्टर, इंजीनियर आदि बनवाने की तरकीब लगाएं।धारीवाल ने माफी भी मांगी।

ब्राह्मणों की बुद्धिमता को लेकर राजस्थान के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने जो बयान दिया, उस पर सरकार के मुख्य सचेतक महेेश जोशी ने स्वागत योग्य प्रतिक्रिया दी है। मालूम हो कि धारीवाल ने ब्राह्मण समाज के एक शिष्टमंडल से कहा था कि ब्राह्मणों ने बुद्धि का ठेका नहीं ले रखा है। कोटा के कोचिंग इंस्टीट्यूट ये पढकर वैश्य समाज के युवा आईएएस, इंजीनियर जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होते है। धारीवाल के इस कथन को ब्राह्मण समाज के संगठनों ने ब्राह्मण विरोधी मान कर आंदोलन की धमकी दी। इसी दौरान 30 अगस्त को सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि ब्राह्मणों को विरोध करने के बजाए धारीवाल के कथन को चुनौती के तौर पर स्वीकार करना चाहिए। जब राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षा में वैश्य समाज के युवा ज्यादा सफल हो सकते है तो ब्राह्मण समाज के क्यों नहीं? जोशी जी ने कहा की ब्राह्मण समाज के विभिन्न संगठन ऐसे प्रयास करें, ताकि धारीवाल के कोटा के कोचिंग इंस्टीट्यटों से पढकर ब्राह्मण समाज के युवा ज्यादा सफल हो। प्रत्येक संगठन को 10-10 प्रतियोगियों को सफल करवानें की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। महेश जोशी की यह प्रतिक्रिया वाकई स्वागत योग्य है धारीवाल के खिलाफ आंदोलन से कुछ भी हासिल नहीं होगा। लेकिन ब्राह्मण संगठनों ने चुनौती स्वीकार की तो ब्राह्मण समाज के अनेक युवा आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, डाक्टर आदि बन जाऐगें। सब जानते है कि सामान्य वर्गों के युवाओं को आरक्षण की वजह से वैसे ही कडी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पडता है। यह माना जाता है कि वैश्य ब्राह्मण, राजपूत आदि सामान्य वर्गाे के युवा तो पैदायशी ही समर्थ होते है, लेकिन हकीकत यह कि सामान्य वर्ग के इन सामाजो के अनेक परिवार आर्थिक दृष्टि से समर्थ नही होते। इसीलिए शांति धारीवाल के गृह जिले कोटा के महंगे कोचिंग इंस्टीट्यूटों में पढाई नही कर सकते है। यदि ब्राह्मण संगठन 10-10 युवाओं को कोटा के इंस्टीट्यूटों में पढानें की जिम्मेदारी ले तो धारीवाल को भी सटीक जवाब दिया जा सकता है। वैसे भी इस मामले में अब धारीवाल ने माफी मांग ली है यह मामले के तूल पकडनें और ब्राह्मणों के जबरदस्त विरोध के बाद धारीवाल का कहना है कि वे ब्राह्मणों का अपमान नहीें कर सकते है। ब्राह्मण तो अनके मार्ग दर्शक है फिर भी यदि उनके कथन से किसी की भावनाए आहत हुई है तो वे माफी मांगते है। असल में कई बार शांति धारीवाल अति उत्साह में बे धडक बोल देते है। धारीवाल को अनेक बार अपने कथन से पीछे हटना पडा है। कांग्रेस सरकार में धारीवाल की हैसीयत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद दूसरे नम्बर की है। धारीवाल सीएम गहलोत के भरोसेमन्द मंत्री है।
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Monday 30 August 2021

प्रधानमंत्री इमरान खान बताएं कि क्या पाकिस्तान में रेडियो और टीवी चैनलों पर महिलाओं की आवाज पर पाबंदी लगाई जा सकती है?31 अगस्त को जब अमरीकी सैनिक चले जाएंगे, तब अफगानिस्तान का क्या होगा?

पिछले दिनों जब मुस्लिम चरमपंथी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान अब गुलाम से आजाद हो गया है। यानी इमरान ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को जायज ठहराया। अब जब तालिबान ने अफगानिस्तान के टीवी चैनलों और रेडियो पर महिलाओं की आवाज पर रोक लगा दी है, तब इमरान खान को बताना चाहिए कि क्या ऐसी रोक पाकिस्तान में भी लगाई जा सकती है। अभी तो पाक चैनलों पर महिलाएं एंकर का काम कर रही है तथा मनोरंजन चैनलों और फिल्मों में महिलाओं की खासी भूमिका है। तालिबान ने तो अफगानिस्तान में संगीत का प्रसारण भी बंद कर दिया है। सब जानते हैं कि अफगानिस्तान से अमरीका को हटाने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका है। पाकिस्तान में ही तालिबान लड़ाके शरण लेते रहे। जब तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान में घुसे तो पाकिस्तान भी जश्न मनाया गया। कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में तालिबान की सोच वाले मुसलमानों का दबदबा है। ऐसे में अफगानिस्तान में रेडियो और टीवी पर जो हाल महिलाओं का हुआ है, वही हाल पाकिस्तान में भी हो सकता है। क्या ऐसे हालातों को इमरान खान स्वीकार करेंगे? जबकि इमरान खान तो महिलाओं को लेकर स्वतंत्र विचारों के रहे हैं। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के सदस्य और फिर कप्तान बनने पर इमरान खान ने इंगलैंड की कई महिलाओं के साथ प्रेमालाप किया है। एक-दो अंग्रेज लड़कियों के साथ निकाह भी किया है। इमरान खान की रंगीन मिजाजी के बारे में पूरा पाकिस्तान जानता है। इमरान खान जिस तरह तालिबान के साथ खड़े हैं, उससे पाकिस्तानी महिलाओं में भी डर हो रहा है। जहां तक भारत का सवाल है तो महिलाओं के बगैर रेडियो और टीवी चैनलों को चलाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मनोरंजन चैनलों को तो छोड़िए न्यूज चैनलों पर भी महिलाएं घूटने से ऊपर की ड्रेस पहन कर एंकरिंग करती है। जब कैमरा सामने होता है तो ऐसी एंकर बड़ी मुश्किल से कुर्सी पर बैठ पाती है। ऐसा नहीं कि अफगानिस्तान की घटनाओं का भारत पर असर नहीं पड़ेगा। भारत में भी बड़ी संख्या में तालिबान के समर्थक मौजूद है। अफगानिस्तान के हालात भारत के लिए भी चुनौती हैं।
क्या होगा, अफगानिस्तान का:
29 अगस्त को ब्रिटिश सेना के जवानों ने भी अंतिम तौर पर अफगानिस्तान को छोड़ दिया। तय समझौते के मुताबिक 31 अगस्त को अमरीकी सैनिक भी काबुल एयरपोर्ट से विदाई ले लेंगे। अमरीकी और ब्रिटिश सैनिकों के रहते ही तालिबान ने अफगानिस्तान में अनेक पाबंदियां लगा दी है तथा अफगानिस्तान में मुस्लिम चरमपंथी संगठन आमने सामने हो गए हैं। अब इन संगठनों में आपस में ही जंग हो रही है। काबुल एयरपोर्ट पर प्रतिदिन विस्फोट हो रहे है। सवाल उठता है कि अमरीकी सैनिकों की पूर्ण वापसी के बाद अफगानिस्तान का क्या होगा? क्या तालिबान, आईएसआईएस-के जैसे चरमपंथी संगठन शांति से रह सकेंगे? सब जानते हैं कि अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान की जबरदस्त दखलंदाजी है। अमरीका के जाने के बाद अफगानिस्तान में चीन जैसे शक्तिशाली देश को घुसने का अवसर मिलेगा। मुस्लिम आबादी के लिए यातना शिविर बना रखें हैं। देखना होगा की ऐसी प्रवृत्ति वाले चीन को तालिबान और आईएसआईएस जैसे चरमपंथी संगठन कितना महत्व देते हैं। 
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चारागाह भूमि को औद्योगिक कार्य के लिए आवंटित करने के विरोध में 31 अगस्त को विधायक सुरेश टाक के नेतृत्व में अजमेर कलेक्ट्रेट पर ग्रामीणों का प्रदर्शन। किशनगढ़ के पूर्व कांग्रेसी विधायक नाथूराम सिनोदिया के परिवार से जुड़ा है आवंटन।

अजमेर के किशनगढ़ उपखंड की खातोली ग्राम पंचायत के काली डूंगरी गांव की 13 बीघा चरागाह भूमि औद्योगिक इकाई लगाने के लिए आवंटित करने के विरोध में 31 अगस्त को दोपहर को जिला कलेक्ट्रेट पर सैकड़ों ग्रामीण प्रदर्शन करेंगे। यह प्रदर्शन किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक के नेतृत्व में किया जाएगा। टाक ने कहा कि यदि इस प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन ने आवंटन को रद्द नहीं किया तो इस मामले को विधानसभा के मानसून सत्र में उठाएंगे। प्रशासन ने 16 बीघा चरागाह भूमि का आवंटन ग्रामीणों की भावनाओं के विरुद्ध किया है। इतनी बड़ी भूमि कम होने से पशुपालकों को काली डूंगरी क्षेत्र में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। टाक ने कहा कि एक और राज्य सरकार ग्रामीण विकास के लिए अनेक योजनाएं चला रही है तो दूसरी तरफ चारागाह भूमि को खुर्दबुर्द किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह ग्रामीणों के साथ है और किसी भी कीमत पर चारागाह भूमि का आवंटन दूसरे कार्य के लिए नहीं होने दिया जाएगा। आवंटन को रद्द करवाने के संबंध में ही 31 अगस्त को जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को ज्ञापन भी दिया जाएगा। वहीं खातोली ग्राम पंचायत के वार्ड पंच बजरंग लाल चौधरी ने बताया कि कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के पौत्र रवि सिनोदिया को काली डूंगरी में 16 बीघा भूमि औद्योगिक इकाई लगाने के लिए दिए जाने का आदेश जिला प्रशासन को प्राप्त हुआ है। अभी यह मामला ग्राम पंचायत के समक्ष विचाराधीन है, लेकिन यदि 16 बीघा भूमि आवंटित की जाती है तो ग्रामीणों को भारी परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का राज है इसलिए प्रशासन का दुरुपयोग किया जा रहा है। लेकिन इस कार्यवाही से ग्रामीणों में जबरदस्त रोष है। ग्रामीण किसी भी कीमत पर जमीन का आवंटन नहीं होने देंगे।
50 करोड़ की भूमि:
चूंकि खातोली ग्राम पंचायत किशनगढ़ क्षेत्र से जुड़ी हुई है इसलिए इस ग्राम पंचायत में भी ग्रेनाइट और मार्बल पत्थर काटने की बड़ी बड़ी मशीनें लगाई हुई है। यही वजह है कि यहां भूमि बहुत महंगी है, जो 16 बीघा भूमि कांग्रेस के पूर्व विधायक सिनोदिया के पौत्र को आवंटित की गई है उसकी कीमत 50 करोड़ रुपए बताई जा रही है। ग्रामीणों ने इस संबंध में अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को भी एक ज्ञापन दिया है। सांसद चौधरी से भी सहयोग की अपेक्षा जताई गई है। हालांकि इस मामले में सांसद चौधरी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं सिनोदिया परिवार का कहना है कि भूमि का आवंटन नियमानुसार हुआ है। 
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Sunday 29 August 2021

अजमेर के मित्तल अस्पताल में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में हृदय, किडनी, पथरी आदि रोगियों का नि:शुल्क इलाज।अजमेर के दौराई गांव में कोरोना की वैक्सीन के लिए मस्जिदों से ऐलान। पूर्व सरपंच चंद्रभान गुर्जर और शिया समुदाय के प्रमुख अली हैदर की सकारात्मक भूमिका।

अजमेर के पुष्कर रोड स्थित निजी क्षेत्र के मित्तल अस्पताल और रिसर्च सेंटर पर मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में हृदय, किडनी, पथरी जैसे रोग से ग्रसित मरीजों का नि:शुल्क इलाज हो रहा है। हृदय रोग से संबंधित मरीजों की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर, वाल्व आदि लगाने की चिकित्सा नि:शुल्क की जा रही है। कोई भी मरीज सरकार की इस योजना का कार्ड दिखाकर अपना इलाज निशुल्क करवा सकता है। अस्पताल के निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में गत 1 मई से अब तक 200 से भी ज्यादा मरीजों को सुपर स्पेशलिटी की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। हालांकि सरकार ने सुपरस्पेशलिटी चिकित्सा के लिए न्यूनतम राशि निर्धारित कर रखी है, लेकिन जनहित और सेवा की भावना को देखते हुए पात्र मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। पूर्व में भी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में चार हजार से भी ज्यादा मरीजों का नि:शुल्क इलाज करवाया गया है। निदेशक मित्तल ने बताया कि पाली के विधायक ज्ञान सुराणा अपने क्षेत्र के लोगों के प्रति जागरूक रहते हैं। पाली के मरीजों का इलाज भी उनके अस्पताल में करवाया जाता है। अस्पताल में अनुभवी चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की पूरी टीम है। अस्पताल में आधुनिक मशीनों से सुसज्जित लेबोरेट्री है, जिसमें सभी प्रकार की जांचें रियायती दरों पर की जाती है। आउटडोर तथा आपातकालीन सुविधा भी उपलब्ध है। अस्पताल के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9116049809 पर जनसंपर्क अधिकारी संतोष गुप्ता से ली जा सकती है।
वैक्सीन के लिए मस्जिद से ऐलान:
इसे एक सकारात्मक पहल ही कहा जाएगा कि अजमेर के निकटवर्ती दौराई गांव में कोरोना की वैक्सीन लगवाने के लिए मस्जिदों से ऐलान किया जाता है। चिकित्सा विभाग जब गांव में कैम्प लगाता है तब दो दिन पहले से ही मस्जिदों से नमाज के वक्त ऐलान होता है। ऐसा ही एक कैम्प 29 अगस्त को दौराई की बड़ी मस्जिद में लगाया गया। कोई 300 से भी ज्यादा महिला-पुरुषों ने वैक्सीन लगवाई। इनमें मुस्लिम महिलाएं भी शामिल थी। वैक्सीन कैम्प लगवाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पूर्व सरपंच चंद्रभान गुर्जर ने बताया कि दौराई में वैक्सीन लगाने को लेकर कोई हिचक नहीं है। बड़ी मस्जिद के मौलाना जीशान हैदर स्वयं लाउडस्पीकर से ऐलान करते हैं। गांव में तीन मस्जिदें है और इन तीनों से ही ऐलान होता है। गांव के शिया समुदाय के प्रमुख अली हैदर, सैय्यद अली शामीन जैसे जागरूक लोग भी ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करते हैं। बड़ी मस्जिद में ही मदरसा भी संचालित होता है। इस मदरसे के माध्यम से ही वैक्सीन कैम्प के लिए टेबल कुर्सी आदि की सुविधाएं जुटाई जाती है। 
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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अस्पताल से घर पहुंचे।चिकित्सा वैज्ञानिकों की स्टडी के लिए गहलोत का केस परफेक्ट है।वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद भी हार्ट अटैक होना गंभीर बात है। खुद सीएम ने माना कि कोविड से पहले कार्डियक संबंधी कोई समस्या नहीं थी।

29 अगस्त को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जयपुर के एसएमएस अस्पताल से डिस्चार्ज होकर सिविल लाइन स्थित अपने सरकारी आवास पर पहुंच गए हैं। सीने में दर्द होने के कारण गहलोत को 27 अगस्त को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अस्पताल में एंजियोप्लास्टी के बाद अब गहलोत पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। 29 अगस्त को सीएम गहलोत आईसीयू के कक्ष से व्हील चेयर पर कार तक आए। अस्पताल से रवाना होने से पहले गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत ने दुपट्टा ओढाया और पौत्री काश्विनी ने अपने दादा की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। गहलोत जब सरकारी आवास पर पहुंचे तो पुत्री सोनिया गौतम ने सनातन संस्कृति के अनुरूप आरती उतारी और स्वास्थ्य की मंगल कामना की। इस मौके पर पत्नी सुनीता गहलोत भी मौजूद रही। अस्पताल से बाहर निकलते समय गहलोत ने उपस्थित चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। गहलोत के चेहरे पर मुस्कान थी।
स्टडी के लिए गहलोत का केस परफेक्ट:
देश विदेश में जो वैज्ञानिक चिकित्सा के क्षेत्र में खास कर कोविड-19 के दौर में मरीजों पर अध्ययन कर रहे हैं उनके लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का केस परफेक्ट है। यदि गहलोत को लेकर अध्ययन किया जाए तो कोविड के करोड़ों मरीजों को राहत मिल सकती है। गहलोत के प्रकरण में यह महत्वपूर्ण और गंभीर बात है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद भी हार्ट अटैक हुआ। सब जानते हैं कि तीन माह पहले जब गहलोत कोरोना वायरस से संक्रमित हुए तो उन्होंने चिकित्सकों के हर निर्देश का पालन किया। यहां तक इस अवधि में सरकारी बंगले से बाहर भी नहीं निकले। सीएमआर से ही वीडियो कॉन्फ्रेंस कर सरकार के कामकाज किए। कोविड के बाद सीएम ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा कि वे पूरी तरह स्वस्थ नहीं है। संक्रमित हुए और सामान्य व्यक्तियों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने के लिए सीएम ने कहा कि वैक्सीन लगवाने की वजह से मैं काम कर पा रहा हंू। वैज्ञानिकों की ओर से भी बार बार कहा गया कि संक्रमित व्यक्ति वैक्सीन लगवाएं ताकि कोविड के बाद अन्य बीमारियों नहीं हो। लेकिन सीएम गहलोत का केस बताता है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने और तीन माह तक  घर में ही रहने के बाद भी हार्ट अटैक हो गया। जयपुर में एसएमएस अस्पताल में एंजियोप्लास्टी के बाद खुद सीएम ने कहा कि कोविड से पहले उन्हें कार्डियक संबंधी कोई समस्या नहीं थी, हार्ट अटैक होना पोस्ट कोविड को ठीक हुए तीन माह हो गए हैं। वैज्ञानिकों को अपनी स्टडी में मुख्यमंत्री गहलोत का यह कथन भी शामिल करना चाहिए कि कोविड अलग अलग व्यक्ति के हार्ट, दिगाम किडनी, लीवर आदि अंगों पर असर डाल रहा है। कोविड से रिकवर होने के बाद भी सिर दर्द, थकावट, सांस फूलना जैसी परेशानी हो रही है। कोविड के मरीज लम्बे अर्से से यह सब बातें और परेशानियां चिकित्सकों को बता रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री ने आप बीती परेशानियां सार्वजनिक की है तो वैज्ञानिकों को गंभीरता से लेना चाहिए। अशोक गहलोत तो मुख्यमंत्री हैं, इसलिए हार्ट अटैक होने के पांच छह घंटे में सभी जांच के साथ एंजियोग्राफी और फिर हाथों हाथ एंजियोप्लास्टी (स्टेंट लगाना) हो गई। आम मरीज को इतनी जल्दी राहत मिलना संभव नहीं है, इसलिए वैज्ञानिकों को पोस्ट कोविड के हालातों का ज्यादा गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। गहलोत के केस का अध्ययन इसलिए भी जरूरी है कि वे शाकाहारी है तथा अपना जीवन सादगी से व्यतीत करते हैं। शराब पीने की बात तो दूर की है, गहलोत सिगरेट, तंबाकू का भी सेवन नहीं करते हैं। प्रतिदिन व्यायाम भी करते हैं। ऐसे में यदि कोविड की वजह से हार्ट अटैक होता है तो यह गंभीर बात है।
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जयपुर में आईएएस समित शर्मा के घर आएं और मुफ्त में पौधे ले जाएं।सरकारी आवास पर स्वयं तैयार की है नर्सरी। घरों में पौधे लगाने की प्रवृत्ति को बढ़ाने का उद्देश्य।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और मौजूदा समय में सामाजिक अधिकारिता विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने जयपुर स्थित गांधी नगर के सरकारी आवास पर अपने परिश्रम से पौधों की नर्सरी तैयार की है। डॉ. शर्मा ने आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत भी चरितार्थ की हे। गर्मी के दिनों में आने वाले आम, जामुन जैसे फलों की गुठलियों को भी डॉ. शर्मा ने घर से बाहर कचरे में नहीं फेंका। एक गुठली को संभाल कर रखा और जमीन में बोया। बाद में ऐसे पौधों को प्लास्टिक की थैली में प्लांट किया ताकि आगुंतकों को देने में सुविधा हो। प्रकृति से प्रेम होने की वजह से ही डॉ. शर्मा अपने सरकारी आवास में खाली और बेकार पड़ी जमीन पर शानदार और उपयोगी नर्सरी डेवलप कर ली है। डॉ. शर्मा को इस बात की खुशी है कि वे अब घर पर आए आगुंतकों को मुफ्त में पौधे दे सकेंगे। डॉ. शर्मा चाहते हैं कि लोग बर्थ डे, शादी की सालगिरह आदि के मौकों पर महंगे गुलदस्ते देने के बजाए पौधे दें। गुलदस्ते देने से फूलों की भावनाएं भी आहत होती है। पेड़ पर लगा फूल ज्यादा सुंदर लगता है। पौधे देने से घरों में पेड़ लगाने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी। डॉ. शर्मा ने अपनी नर्सरी में ऐसे पौधे पौध तैयार की हे, जो छोटे घरों में भी आसानी से लग सकते हैं। इनमें पानी प्लांट, स्नेक प्लांट, स्पाइकन प्लांट, जेड प्लांट शामिल हैं। इसी प्रकार गुड़हल, मोगरा, बोगनवेलिया, चांदनी, चंपा, रतनजोत और विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे भी है। आम, जामुन, मीठा नीम बिल्व आदि फलों के पौधे भी नर्सरी में शामिल किए गए हैं। डॉ. समित शर्मा अब स्वयं भी किसी के घर जाने पर भेंट स्वरूप पौधे ही देते हैं और जो लोग उनके घर आते हैं उन्हें भी पौधे ही दिए जाते हैं। डॉ. शर्मा जब नागौर व चित्तौड़ के जिला कलेक्टर तथा जोधपुर के संभागीय आयुक्त रहे, तब भी सरकारी आवास में पौधों की नर्सरी तैयार करवाई थी। डॉ. शर्मा का मानना है कि जीवन को खुशनुमा बनाने में पेड़ पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब गमले में लगाए पौधे में फूल आते हें जो व्यक्ति को बहुत सुकून मिलता है। अपने द्वारा लगाए गए पौधे में फूल फल आने पर बहुत खुशी होती है। जिन लोगों ने अपने घरों पर थोड़े बहुत गमले रख रखें हैं, उन्हें अपना घर भी अच्छा लगता है। व्यक्ति चाहे कितना भी व्यस्त हो, लेकिन जब वह अपने घर के पौधों को देखता है तो उसे विशेष अनुभूति होती है। कई बार यही पेड़ पौधे तनाव घटाने में भी सहायक होते है। डॉ. शर्मा के सरकारी निवास पर जो भी व्यक्ति आता है, उसे भेंट स्वरूप पसंदीदा पौधा दिया जाता है। डॉ. शर्मा का मानना है कि पेड़ पौधे भले ही न बोलते हों, लेकिन वे संजीव होते हैं। दुलार और देखभाल करने से पेड़ पौधे भी खुश होते हैं। फूल वाले पेड़ को जितना दुलार किया जाएगा, वह उतने ही ज्यादा फूल देगा। इस बात का अनुभव कोई भी व्यक्ति कर सकता है। पेड़ पौधों की वजह से घर में सुख शांति भी होती है। 
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Saturday 28 August 2021

अजमेर के राजगढ़ में मसाणिया भैरव धाम 5 सितम्बर से खुलेगा। आध्यात्मिक चौकी नहीं लगेगी, लेकिन उपासक चंपालाल महाराज के दर्शन हो सकेंगे। मनोकामना पूर्ण स्तंभ की परिक्रमा भी हो सकेगी।मास्क लगाने और वैक्सीन लगवाने का सर्टिफिकेट दिखाने पर ही मंदिर परिसर में प्रवेश श्रद्धालुओं का प्रवेश हो सकेगा।

राजस्थान के अजमेर जिले के राजगढ़ गांव स्थित सुप्रसिद्ध मसाणिया भैरव धाम आगामी 5 सितम्बर से श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। कोरोना संक्रमण के कारण इस धार्मिक स्थल को 20 मार्च 2020 को बंद कर दिया गया था। लेकिन तभी से देशभर के श्रद्धालु भैरव धाम को खोलने की मांग कर रहे थे। श्रद्धालुओं के दबाव को देखते हुए ही 27 अगस्त को धाम के उपासक चंपालाल महाराज के सानिध्य में एक बैठक हुई। इस बैठक में क्षेत्र के एसडीएम राकेश गुप्ता, डीएसपी सुनील सिहाग, थाना प्रभारी राजेश मीणा, कांग्रेस के नेता महेंद्र सिंह रलावता, नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, प्रकाश राका, ओम प्रकाश सेन, बीएल गोदारा, राहुल सेन आदि उपस्थित रहे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा निर्धारित कोविड गाइडलाइन के नियमों के अंतर्गत भैरव धाम को खोला जाए। बैठक में निर्णय लिया गया कि मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को मास्क लगाना होगा तथा वैक्सीन लगने का सर्टीफिकेट पर भी प्रवेश द्वार पर दिखाना होगा। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की उपस्थिति भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के अनुरूप होगी। मसाणिया भैरव धाम में उपासक चंपालाल महाराज की आध्यात्मिक चौकी का खास महत्व है। प्रत्येक रविवार को यह चौकी मंदिर परिसर में लगाई जाती है। इस अवसर पर देशभर से हजारों श्रद्धालु अपनी परेशानियों का निवारण करने के लिए भैरव धाम आते हैं। 5 सितम्बर रविवार को आध्यात्मिक चौकी नहीं लगेगी, लेकिन श्रद्धालु उपासक चंपालाल महाराज के साथ साथ मां काली मंदिर के दर्शन कर सकेंगे, इसी प्रकार मनोकामना पूर्ण स्तंभ की परिक्रमा भी की जा सकेगी। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर में सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं। धाम के प्रवक्ता अविनाश सेन ने बताया कि संपूर्ण मंदिर परिसर को सैनिटाइज किया गया है तथा सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले बनाए गए हैं। भैरव धाम के खुलने से संबंधित और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9057407002 पर अविनाश सेन से ली जा सकती है। 
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एंजियोप्लास्टी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सीटी स्कैन रिपोर्ट भी परफेक्ट।हमारी तरफ से मुख्यमंत्री जब चाहे तब घर जा सकते हैं-डॉ. सुधीर भंडारी।मैं जनता की सेवा करता रहूंगा-सीएम गहलोत।

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हार्ट की सीटी स्कैन 28 अगस्त को करवाई गई। सीटी स्कैन की रिपोर्ट परफेक्ट आई है। यानी हार्ट में ब्लड का सर्कुलेशन एक दम सही है। सीएम गहलोत की एंजियोप्लास्टी 27 अगस्त को हुई थी। एंजियोप्लास्टी के बाद सीटी स्कैन की जांच में यह देखा जाता है कि ब्लड का सर्कुलेशन कैसा है। एसएमएस अस्पताल के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि एंजियोप्लास्टी के बाद सभी जांचे नॉर्मल हैं। सीएम गहलोत इस समय शारीरिक दृष्टि से एक दम फिट है। क्योंकि सभी जांच नॉर्मल है, इसलिए अस्पताल प्रशासन की ओर से वे कभी भी अपने घर जा सकते हैं। डॉक्टर भंडारी ने इस बात पर संतोष जताया कि सीएम गहलोत चिकित्सकों के सभी दिशा निर्देशों का एक सामान्य मरीज की पालन कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के लिए भी यह गर्व की बात है कि मुख्यमंत्री ने एंजियोप्लास्टी सरकारी अस्पताल में करवाई है। मालूम हो कि सीने में दर्द के बाद 27 अगस्त को गहलोत को एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया था, तभी उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। सीएम के शीघ्र स्वास्थ्य के लिए प्रदेशभर में धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। एसएमएस अस्पताल में भी शुभकामनाएं देने वालों का तांता लगा हुआ है। लेकिन फिलहाल किसी भी आगुंतक को गहलोत से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। अस्पताल परिसर में ही मुख्य सचेतक महेश जोशी बैठे हैं। लोग जोशी से मिलकर ही हालचाल पूछ रहे हैं। महेश जोशी ने भी उम्मीद जताई है कि गहलोत जल्द ही अपने घर लौट कर जनता की सेवा करने लगेंगे।
सेवा करता रहूंगा-गहलोत:
अस्पताल में भर्ती सीएम गहलोत ने 28 अगस्त को सोशल मीडिया पर प्रदेश की जनता के नाम एक पत्र जारी किया है। इस पत्र में गहलोत ने शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करने वाले प्रदेशवासियों का आभार प्रकट किया है। गहलोत ने कहा कि मैं लगातार प्रदेश की जनता की सेवा करता रहूंगा। मैं चाहता हूं कि कोरोना काल में सेवा के क्षेत्र में देश भर में राजस्थान एक मॉडल प्रदेश बने। उन्होंने कहा कि पोस्ट कोविड में संबंधित लोगों को बेहद सतर्कता बरतने की जरूरत है। अभी भी यदि किसी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण महसूस होते हैं, तो उन्हें तत्काल जांच करवानी चाहिए। सीएम गहलोत ने कहा कि हम कोरोना की तीसरी लहर से भी निपटने को तैयार हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत स्वयं भी संक्रमित हुए थे। लेकिन कोविड के बाद से ही गहलोत को शारीरिक दृष्टि से अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। गहलोत ने ऐसी परेशानियों की ओर कई बार प्रदेश की जनता को जागरूक भी किया। 28 अगस्त को भी अपने पत्र में गहलोत ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करें। यहां यह भी खासतौर से उल्लेखनीय है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद भी सीएम गहलोत को हार्ट की एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी है। इससे कोरोना की भयानकता को समझा जा सकता है। सीएम को पोस्ट कोविड में सीने में दर्द तब हुआ जब वे नियमित रूप से व्यायाम करते हैं और भोजन भी सात्विक ग्रहण करते हैं। 
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अमरीका का ड्रोन हमला अफगानिस्तान के हालात और बिगाड़ेगा।अब तालिबान की मदद कर रहा है अमरीका। भारत को सतर्क रहने की जरूरत क्योंकि अफगानिस्तान के हालातों का सीधा असर।

तालिबान के प्रतिद्वंदी आतंकी संगठन आईएसआईएस-के को नुकसान पहुंचाने के लिए अब अमरीका ने अफगानिस्तान में ड्रोन हमले शुरू कर दिए हैं। अमरीका का दावा है कि 25 अगस्त को जिन आतंकियों ने काबुल एयरपोर्ट पर सीरियल धमाके कर 100 अफगानी और 10 अमरीकी सैनिकों को मारा, उन्हें 27 अगस्त के ड्रोन हमले में मौत के घाट उतार दिया है। ऐसे आतंकियों को तब निशाना बनाया गया,जब वे अफगानिस्तान के नांगरहार शहर में एक ऑटो में सफर कर रहे थे। अमरीका ने हमले में क्षतिग्रस्त ऑटो का फोटो भी जारी किया है। अमरीका ने यह ड्रोन हमला तब किया,जब अमरीका के सैनिक अभी भी काबुल एयरपोर्ट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। बदली हुई परिस्थितियों में तालिबान लड़ाके अमरीका के साथ हैं। असल में अफगानिस्तान में अमरीका और तालिबान में जो गठजोड़ हुआ है, उस आईएसआईएस-के जैसे आतंकी संगठन नाराज है। यही वजह है कि अमरीकी सैनिकों को निशाना बना कर सीरियल ब्लास्ट किए जा रहे हैं। यह गंभीर बात है कि आतंकियों की ओर से ऐसे ब्लास्ट तब किए जा रहे हैं, जब अमरीकी सैनिक अफगानिस्तान में मौजूद हैं। सवाल उठता है कि जब अमरीकी सैनिक पूरी तरह चले जाएंगे, तब अफगानिस्तान का क्या होगा? मुस्लिम आतंकी संगठनों ने आपस में ही युद्ध होने की आशंका है। ऐसे में आम अफगानी नागरिकों का बुरा हाल होगा और इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा। मीडिया खबरों में कहा जा रहा है कि हमारे कश्मीर के कट्टरपंथियों के तार अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं। अब जब अफगानिस्तान में ही खून खराब हो रहा है तो कश्मीर में भी हालात बिगड़ सकते हैं। पाकिस्तान तो हमारे कश्मीर के हालात बिगाड़ने के लिए तैयार बैठा है। हमारे कश्मीर के जो जिले पाकिस्तान के कब्जे में हैं उनकी सीमा अफगानिस्तान से लगी हुई है। यानी अफगानिस्तान के आतंकी पाक अधिकृत कश्मीर में तो आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में हमारे कश्मीर में घुसपैठ आसान होगी। हालांकि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में सुरक्षाबलों की स्थिति मजबूत हुई है। यही वजह है कि अब कश्मीर में शांति कायम हो रही है। अफगानिस्तान के बिगड़ते हालातों का भारत पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। सबने देखा कि जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, तब न्यूज चैनलों पर तालिबान के समर्थन में अनेक प्रतिनिधि बयानबाजी कर रहे थे। हो सकता है कि आईएसआईएस-के जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के समर्थन में भी सामने आ जाएं। अभी तक भारत सरकार ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर बेहद सतर्कता और गंभीरता से कार्य किया है। फंसे हुए भारतीयों को सुरक्षित लाया गया है।
बाइडेन की धमकी:
अफगानिस्तान में ड्रोन हमले के बाद अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमरीका के दुश्मनों को छोड़ा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि तालिबान ने आतंकियों को खुला छोड़ दिया इसलिए काबुल एयरपोर्ट पर सीरियल ब्लास्ट हुए। हम हमारे शहीद हुए 13 सैनिकों का बदला लेकर रहेंगे। बाइडेन ने कहा कि अमरीका अपने नागरिकों के साथ साथ सहयोगियों को भी अफगानिस्तान से निकालेगा। इस बीच अमरीका के सैन्य अधिकारियों ने अमरीकी नागरिकों से कहा है कि काबुल एयरपोर्ट के आसपास नहीं रहा जाए। सभी अमरीकी और उनके सहयोगी अपने सुरक्षित स्थानों पर ही रहे। सैन्य अधिकारियों के इस बयान से प्रतीत होता है कि आईएसआईएस-के आतंकी अभी एयरपोर्ट पर और हमला करेंगे। 
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पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में ईंट से ईंट बजाने को तैयार।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दिल्ली में कांग्रेसी विधायकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा।राजस्थान में राजनीतिक तनाव के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हार्ट की एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी।

सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने दम पर सरकार चला रही है, लेकिन अब इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक खींचतान हो रही है। खींचतान भी ऐसी है जो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को लाचार साबित कर रही है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि यदि उन्हें निर्णय लेने की छूट नहीं दी गई तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे। अमृतसर के एक समारोह में सिद्धू ने कहा कि वे सिर्फ दर्शनीय अध्यक्ष नहीं बनेंगे। अपनी इन भावनाओं से सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान यानी श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अवगत करवा दिया है। स्वाभाविक है कि सिद्धू कांग्रेस पार्टी की ही ईंट से ईंट बजाएंगे। सब जानते हैं कि कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की मर्जी के खिलाफ गांधी परिवार ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है, इसलिए सिद्धू की सरकार में चल नहीं रही है। यही वजह है कि सिद्धू अब अपनी ही पार्टी की ईंट से ईंट बजाने को तैयार हैं। असल में गांधी परिवार ने सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर एक म्यान में दो तलवार घुसेड़ दी, लेकिन अब एक म्यान में दो तलवार (अमरेंद्र सिंह और सिद्धू) का एडजस्टमेंट नहीं हो रहा है। सिद्धू का बड़बोलापन सबको पता है। सिद्धू की जुबान तलवार की धार से भी तेज हैं। जबकि कैपटन अमरेंद्र सिंह कम बोल कर हमले करते हैं। कैप्टन और सिद्धू तब आमने सामने है, जब पंजाब में विधानसभा के चुनाव मात्र 6 माह बाद अगले वर्ष मार्च में होने वाले हैं। यह सही है कि कांग्रेस विधायकों के बीच कैप्टन का बहुमत है। इस खींचतान का खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ेगा।
भूपेश बघेल का शक्ति प्रदर्शन:
26 अगस्त को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद बघेल ने मीडिया से कहा कि गांधी परिवार से छत्तीसगढ़ के विकास पर चर्चा हुई है,लेकिन अगले ही दिन 27 अगस्त को बघेल समर्थक विधायक छत्तीसगढ़ छोड़ कर दिल्ली आ गए। जब राहुल गांधी ने इन विधायकों से मिलने से इंकार कर दिया तो सभी विधायक छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव बीलए पूनिया के निवास पर पहुंच गए। पूनिया को बघेल ने बता दिया कि कांग्रेस विधायकों का समर्थन उनके साथ है, ऐसे में यदि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को मुख्यमंत्री बना कर ढाई ढाई वर्ष वाला फार्मूला लागू किया गया तो परिणाम बुरे होंगे। असल में 2018 में जब भूपेश बघेल को सीएम बनाया गया था, तब ढाई ढाई वर्ष की बात हुई थी, लेकिन अब ढाई वर्ष पूरे होने पर भूपेश बघेल इस फार्मूले से इंकार कर रहे हैं। बघेल ने दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन तब किया है,जब उनकी मुलाकात राहुल और प्रियंका गांधी से हो रही है। यदि इस मुलाकात का कोई प्रभाव होता तो बघेल कांग्रेस विधायकों को दिल्ली नहीं लाते। बघेल के प्रतिद्वंदी नेता स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे अब पीछे हटने वाले नहीं है। माना जा रहा है कि देव के पीछे राहुल गांधी खड़े हैं। राहुल गांधी चाहते हैं कि 2018 में तय हुए फार्मूले के अनुरूप सिंह देव को अगले ढाई वर्ष के लिए छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया जाए। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि यदि भूपेश बघेल को हटाया जाता है तो कांग्रेस में बगावत हो सकती है।
राजस्थान में गहलोत अस्पताल में भर्ती:
कांग्रेस शासित तीसरे प्रदेश राजस्थान में भी सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खींचतान जगजाहिर है। 28 अगस्त को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर के अनुसार मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा के लिए गहलोत को 27 अगस्त को दिल्ली जाना था। इसके लिए चार्टर प्लेन भी बुक कर लिया गया था, लेकिन अचानक सीने में दर्द होने की वजह से गहलोत को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अस्पताल में मुख्यमंत्री के हार्ट की एंजियोप्लास्टी भी हुई। विशेषज्ञों के अनुसार सीने में दर्द का सबसे बड़ा कारण तनाव होता है। क्या सीएम गहलोत को दिल्ली जाने का तनाव था? असल में गहलोत अब कांग्रेस से ज्यादा स्वयं के बूते पर सरकार चला रहे हैं। अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए गहलोत ने पहले बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाया और अब प्रदेशभर के सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर रखा है। यही वजह है कि गहलोत अपने प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के समर्थक 18 विधायकों की बगावत की परवाह नहीं करते हैं। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में गांधी परिवार चाहता है कि सरकार और संगठन में सचिन पायलट की भागीदारी हो। जानकारों की माने तो मौजूदा राजनीतिक हालातों की वजह से सीएम गहलोत तनाव में थे। हालांकि गहलोत का 50 वर्ष का राजनीतिक अनुभव है और उनके जीवन में कई बार उतार चढ़ाव आए। गहलोत की वफादारी हमेशा गांधी परिवार के साथ रही है। गहलोत की एंजियोप्लास्टी होने के बाद माना जा रहा है कि चिकित्सक एक दो माह विश्राम की सलाह देंगे। 
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Friday 27 August 2021

राधा विहार के निवासियों ने अजमेर के जिला कलेक्टर प्रकाश पुरोहित और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का आभार जताया।क्षेत्रीय पार्षद प्रतिभा पाराशर की मांग पर संपूर्ण रिवर फ्रंट पर सौंदर्यीकरण के काम की स्वीकृति।रिवर फ्रंट पर पौधारोपण के समय पार्षद ज्ञान सारस्वत के कार्यों की भी सराहना की गई।

27 अगस्त को अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और अजमेर विकास प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आनासागर झील से जुड़ी बांडी नदी के किनारे पौधारोपण का कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बांडी नदी पर रिवर फ्रंट के तहत सौंदर्यीकरण का काम किया गया है। 27 अगस्त को पौधारोपण का कार्यक्रम पुष्कर रोड स्थित हरिभाऊ उपाध्याय नगर मुख्य बी ब्लॉक की आवासीय (राधा विहार) कॉलोनी में रखा गया। संभागीय आयुक्त वीणा प्रधान, जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित, एडीए के आयुक्त  अक्षय गोदारा, जिला परिषद के सीईओ गौरव सैनी, संपादक ब्लॉगर एसपी मित्तल, क्षेत्रीय पार्षद प्रतिभा पाराशर, कॉलोनी की विकास समिति के अध्यक्ष संजय लढ्ढा, सचिव संपत सिंह जैन, संतोष कंसवा, पार्षद बनवारी लाल शर्मा आदि ने रिवर फ्रंट पर पौधारोपण किया। इस अवसर पर कॉलोनी के निवासियों ने जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का आभार जताया। बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं ने कलेक्टर से कहा कि रिवर फ्रंट के बनने से पहले इस स्थान पर गंदगी रहती थी, लेकिन अब सुंदर पाथवे बन गया है, जिस पर कॉलोनीवासी सुबह शाम वॉक करते हैं। इससे कॉलोनी का सौंदर्यीकरण भी हुआ है। इसी मौके पर क्षेत्रीय पार्षद प्रतिभा पाराशर ने कहा कि बांडी नदी का कुछ किनारा सौंदर्यीकरण से छुट गया है, इस पर कलेक्टर राजपुरोहित ने अधिकारियों को  निर्देश दिए कि बांडी नदी का जो क्षेत्र छुट गया है, उस पर भी सौंदर्यीकरण किया जाए। विकास समिति के पदाधिकारियों ने कलेक्टर को बताया कि एडीए की इस आवासीय कॉलोनी में बाबा रामदेव मंदिर के नाम पर जगह छोड़ी गई है, लेकिन कुछ लोगों ने मंदिर की जमीन पर अवैध तौर पर निर्माण कर लिया है। कलेक्टर ने एडीए के आयुक्त अक्षय गोदारा को ऐसे अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। कॉलोनी के वरिष्ठ सदस्य अरविंद गर्ग ने कलेक्टर से आग्रह किया कि इस आवासीय कॉलोनी में जो भूखंड स्कूल के लिए आरक्षित किया है,उस भूखंड पर सामुदायिक भवन बनाने की मंजूर दी जाए। कॉलोनी के आसपास पहले से ही सरकारी स्कूल चल रहे हैं। पौधारोपण के अवसर पर पार्षद ज्ञान सारस्वत के कार्यो की भी सराहना की गई। पार्षद सारस्वत ने ही दो वर्ष पहले इसी बांडी नदी के किनारे पौधे लगवाए थे। अब वो पौधे पेड़ बनकर शोभा बढ़ा रहे हैं। पौधों की रक्षा के लिए सारस्वत ने तारबंदी भी करवाई थी, जिस पर लाखों रुपया खर्च हुआ था। कलेक्टर राजपुरोहित ने भी माना कि पहले से ही पेड़ लगे होने की वजह से रिवर फ्रंट का सौंदर्य और बढ़ गया है। कॉलोनी वासियों ने भरोसा दिलाया कि इस रिवर फ्रंट के सौंदर्य को बरकरार रखा जाएगा। समारोह में स्मार्ट सिटी के एडिशनल चीफ इंजीनियर अविनाश शर्मा, अरविंद अजमेरा, एडीए के एक्ससीएन राजेंद्र कुड़ी, स्मार्ट सिटी के प्रचार प्रभारी योगेश सारस्वत आदि उपस्थित रहे। समारोह का संचालन रतिका शर्मा ने किया।  
S.P.MITTAL BLOGGER (27-08-2021)
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवा कर राजनेताओं और अधिकारियों के समक्ष मिसाल कायम की।कोरोना के संक्रमण के बाद सीएम गहलोत अनेक परेशानियों से गुजर रहे थे। 27 अगस्त की तड़के सांस लेने में तकलीफ हुई तो अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।कोविड के बाद ऐसी बीमारियां हो रही है-हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. राजेन्द्र गोखरू।

27 अगस्त को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हार्ट की एंजियोप्लास्टी जयपुर के सरकारी एसएमएस अस्पताल में हुई। चिकित्सकों के अनुसार सीएम गहलोत की आर्टरी 90 प्रतिशत तक ब्लॉक थी, इसलिए हाथों हाथ एक स्टेंट लगाना पड़ा। फिलहाल गहलोत को अस्पताल से स्पेशल आईसीयू कक्ष में रखा गया है। गहलोत को तड़के सांस लेने में तकलीफ हुई तो हाथों हाथ एक निजी अस्पताल में एमआरआई आदि करवाई गई। चिकित्सकों की सलाह पर ही एंजियोग्राफी कराने का निर्णय लिया गया। आमतौर पर राजनेता और बड़े अधिकारी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराते हैं। लेकिन गहलोत ने प्राइवेट अस्पतालों को दरकिनार कर राज्य सरकार के एसएमएस अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवाने का निर्णय लिया। सीएम गहलोत की यह पहल उन राजनेताओं और अधिकारियों के लिए मिसाल है जो छोटी छोटी बीमारी के लिए भी प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं। मुख्यमंत्री के सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवाने से सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी उत्साहित हैं। सब जानते हैं कि किसी प्राइवेट अस्पताल से ज्यादा महंगी मशीन और अन्य उपकरण सरकारी अस्पतालों में होते हैं। सीएम गहलोत ने स्वयं के हार्ट का इलाज सरकारी अस्पताल में करवाकर आम लोगों को भी सरकारी अस्पतालों के प्रति प्रेरित किया है। सीएम ने अपनी सरकार के अस्पतालों की कार्यकुशलता पर भी मुहर लगाई है।
पोस्ट कोविड में परेशानी:
सीएम गहलोत भी कोरोना से संक्रमित हुए थे। ठीक होने के बाद सीएम गहलोत ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा, वे भी पोस्ट कोविड के बाद अनेक परेशानियों से गुजर रहे हैं। उन्होंने माना कि संक्रमित हुए व्यक्ति को ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट, श्वास आदि की बीमारियां हो रही है। सीएम गहलोत बार बार कहते रहे कि संक्रमित व्यक्तियों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। सतर्कता के मद्देनजर ही गहलोत ने अप्रैल माह में एक बार फिर स्वयं को दो माह के लिए सीएमआर में ही क्वारंटाइन करने की घोषणा की थी। सीएम के क्वारंटाइन की अवधि जब 15 अगस्त को समाप्त हुई तो सीएम ने सीएमआर से बाहर निकल कर कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया। मीडिया खबरों में कहा जा रहा था कि सीएम गहलोत अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर कांग्रेस हाईकमान से विचार विमर्श करने के लिए दिल्ली जाने वाले हैं। सीएम दिल्ली जाते इससे पहले ही उन्हें जयपुर में एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी है। स्वाभाविक है कि अब चिकित्सकों की सलाह पर सीएम गहलोत सीएमआर में विश्राम करेंगे। जहां तक अस्पताल से छुट्टी मिलने का सवाल है तो अगले दो तीन दिन में गहलोत को छुट्टी मिल जाएगी। 27 अगस्त को जब गहलोत की एंजियोप्लास्टी हुई तब उनके साथ उनकी पत्नी सुनीता गहलोत, पुत्र वैभव गहलोत और पुत्र वधु भी उपस्थित रहीं। प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी गहलोत के साथ रहे। 27 अगस्त को जब सीएम गहलोत के अस्पताल में भर्ती होने की सूचना आई तो अस्पताल पहुंचाने वाले नेताओं का तांता लग गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि गहलोत जल्द स्वस्थ हो जाएंगे, क्योंकि प्रदेश के करोड़ों लोगों की दुआएं उनके साथ है।
कोविड के बाद हो रही है बीमारियां:
अजमेर के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और जेएलएन अस्पताल के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेन्द्र गोखरू का कहना है कि संक्रमण के बाद ऐसी बीमारियां आमतौर पर हो रही है। सीएम गहलोत तो स्वयं पहले कई बार अपनी चिंता सार्वजनिक तौर पर जता चुके हैं। ऐसा तब हो रहा है, जब संक्रमित होने वाले व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। सीएम गहलोत ने स्वयं ने भी वैक्सीन की दोनों डोज लगवा रखी है। डॉ. गोखरू ने कहा कि जो व्यक्ति संक्रमित हुए हैं, उन्हें ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। हालांकि एक आर्टरी ब्लॉक होने के बाद स्टेंट लगना सामान्य बात है। एंजियोग्राफी के बाद एंजियोप्लास्टी चिकित्सा विज्ञान की बहुत सरल प्रक्रिया हो गई है। सीएम गहलोत इस बात के लिए साधुवाद के पात्र है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवाई है। इससे माध्यम वर्ग के परिवारों का सरकारी अस्पतालों पर और भरोसा कायम होगा। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-08-2021)
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जिन अभिनेताओं और तिकड़ लगाकर अवार्ड प्राप्त करने वालों को भारत में डर लगता है उन्हें 26 अगस्त को काबुल में हुए आत्मघाती धमाकों से सबक लेना चाहिए।आतंकवाद के पाइप में भी आतंकवाद घुसा है। भारत के लिए इन हालातों को समझना जरूरी है।

अफगानिस्तान में कट्टरपंथी समर्थक तालिबान के कब्जे के बाद जो हालात उत्पन्न हो रहे हैं उनका सीधा असर भविष्य में भारत पर पड़ेगा। सब जानते हैं कि पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए कश्मीर की सीमा से अफगानिस्तान की सीमा लगी हुई है। तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर में तालिबानी झंडे लहरा दिए हैं। अब तक जिस तालिबान को ही खूंखार माना जा रहा था उससे आगे अब इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवैंट खुरासान प्रांत (आईसिल केपी) जैसा आतंकी संगठन निकल आया है। तालिबान को सबक सिखाने के लिए ही आईसिलकेपी ने 26 अगस्त को काबुल में दो आत्मघाती धमाके करवाए। इसमें अमरीकी सेना के 10 कमांडो सहित 60 से भी ज्यादा अफगानी नागरिक मारे गए। सवाल उठता है कि जब अफगानिस्तान पर मुस्लिम संगठन तालिबान का कब्जा हो गया है तो फिर आईसिल-केपी जैसा संगठन बम धमाके क्यों कर रहा है? जानकारों की मानें तो आईसिल-केपी, तालिबान से भी ज्यादा कट्टरपंथी संगठन है। आईसिल-केपी के समर्थकों की संख्या बहुत अधिक है। अफगानिस्तान पर जब तालिबान का कब्जा हुआ तो भारत में भी कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने तालिबान का खुलकर समर्थन किया। हो सकता है कि आने वाले दिनों में आईसिल-केपी जैसे आतंकी संगठन के समर्थन में भी सामने आ जाए। अफगानिस्तान में अब आतंकी संगठनों में ही कब्जे की होड़ मच गई है। इन हालातों में अफगानिस्तान के आम नागरिक का क्या हाल होगा यह ऊपर वाला ही जानता है। लेकिन काबुल और अफगानिस्तान के ताजा हालातों से भारत में उन लोगों को सबक लेना चाहिए, जिन्हें यहां रहने में डर लगता है। ऐसे डरने वालों में फिल्म अभिनेता और अवार्ड प्राप्त करने वाले बुद्धिजीवी शामिल हैं। ऐसे लोग सामान्य आपराधिक घटनाओं को आगे रखकर भारत का माहौल खराब करते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं। यहाँ सभी धर्मों के लोगों को अपने अपने धर्म के अनुरूप रहने की स्वतंत्रता हे। यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसे सजा देने के लिए कानून बना हुआ है। जो लोग छोटी छोटी घटनाओं को लेकर भारत में डर के माहौल को अनुभव करते हैं। उन्हें अफगानिस्तान के ताजा हालात देखने चाहिए। अफगानिस्तान तो मुस्लिम राष्ट्र है। सवाल उठता है कि आखिर अफगानिस्तान में कौन किसको मार रहा है। आज पाकिस्तान भले ही खुश हो ले, लेकिन जो हाल अभी अफगानिस्तान का है, वही हाल पाकिस्तान का भी होगा। पाकिस्तान में भी तालिबान, अलकायदा, आईसिल-केपी जैसे संगठनों के समर्थकों की भरमार है। लेकिन पाकिस्तान के हालात बिगड़ते हैं तो इसका असर भी भारत पर पड़ेगा। मौजूदा समय में भारत के हालात बहुत अच्छे हैं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का दबदबा है। भारत के नागरिकों को जो स्वतंत्रता मिली है उसका ख्याल सबको रखना चाहिए। यदि आईसिल-केपी और तालिबान जैसे कट्टरपंथी संगठन भारत में सक्रिय होते हैं तो इसका खामियाजा सभी धर्मों के लोगों को उठाना पड़ेगा। 26 अगस्त को काबुल में जो बम धमाका हुआ उसमें मुस्लिम नागरिकों की संख्या ज्यादा है। भारत में सूफीवाद का भी महत्व है और इस सूफीवाद में हिन्दू समुदाय भी शामिल है। सूफीवाद की परंपरा के अंतर्गत ही दरगाहों में हिन्दू समुदाय के लोग भी जियारत के लिए जाते हैं। कट्टरपंथी सोच में दूसरे धर्मों का कितना सम्मान होता है, इसके बारे में आईसिल केपी और तालिबान जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों से ली जा सकती है। 
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Thursday 26 August 2021

एमडीएस यूनिवर्सिटी में काम नहीं करने वाले कार्मिकों को रगड़ कर रख दूंगा-टैम्परेरी वीसी प्रो.पीसी त्रिवेदी।एक शिक्षाविद को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता।प्रो. त्रिवेदी बताए कि जोधपुर यूनिवर्सिटी में कितने कामचोर कार्मिकों के लिए यह तकनीक काम में लाई गई।

प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने 25 अगस्त को अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी में टैम्परेरी तौर पर वाइस चांसलर का पद संभाल लिया है। पद संभालते ही प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि यदि उन्हें अवसर मिला तो काम नहीं करने वाले कार्मिकों को रगड़ कर रख दूंगा। प्रो. त्रिवेदी का रगड़ने वाला बयान 26 अगस्त को दैनिक समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा है। सवाल उठता है कि क्या एक शिक्षाविद को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए? यदि कोई अनपढ़-गंवार व्यक्ति यदि सार्वजनिक तौर पर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करें तो महत्व की कोई बात नहीं है, क्योंकि गंवार व्यक्ति को शिक्षा का ज्ञान नहीं होता है। लेकिन प्रोफेसर स्तर का कोई शिक्षाविद ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेगा तो सवाल उठेंगे ही। सरकार ने काम नहीं करने वाले कार्मिकों को दंड देने के लिए नियम कायदे बना रखे हैं। ऐसे नियम कायदे एमडीएस यूनिवर्सिटी के लिए भी हैं। प्रो.त्रिवेदी किसी प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर नहीं बने हैं। वे साढ़े तीन लाख विद्यार्थियों वाली एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बनाए गए हैं। भले ही उनकी नियुक्ति टैम्परेरी तौर पर हुई हो, लेकिन उन्हें वाइस चांसलर का काम स्थाई वीसी की तरह ही करना है। प्रोफेसर त्रिवेदी की नियुक्ति का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि उनकी नियुक्ति राज्यपाल ने की है। जिस शिक्षाविद की नियुक्ति संवैधानिक हों यदि वह स्तरहीन शब्दों का करेगा तो कार्यशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो यह है कि प्रोफेसर त्रिवेदी मौजूदा समय में जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के स्थाई वीसी हैं। प्रोफेसर त्रिवेदी बताएं कि जोधपुर यूनिवर्सिटी में काम चोर कार्मिकों पर इस रगड़ाई तकनीक का इस्तेमाल किस प्रकार किया गया। सब जानते हैं कि यूनिवर्सिटी के वीसी के पद पर राज्य सरकार की सिफारिश से नियुक्ति होती है। चूंकि जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है, इसलिए प्रोफेसर त्रिवेदी मुख्यमंत्री गहलोत की पसंद भी रहे हैं। प्रोफेसर त्रिवेदी को कम से कम मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा का तो ख्याल रखना ही चाहिए। जहां तक एमडीएस यूनिवर्सिटी में कामचोर कार्मिकों का सवाल है तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि पिछले एक वर्ष से कुलपति के पद पर स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है। इससे कई महत्वपूर्ण काम लटके पड़े हैं। खुद प्रोफेसर त्रिवेदी ने माना है कि जोधपुर यूनिवर्सिटी में आधी से ज्यादा  वार्षिक परीक्षाएं हो चुकी है, जबकि अजमेर में अभी परीक्षाएं शुरू भी नहीं हुई है। प्रो.त्रिवेदी को शब्दों का इस्तेमाल करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में छात्राएं अध्ययन करती हैं। व्यक्ति का आचरण पद की मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए। 
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आखिर लोक देवता बाबा रामदेव महाराज के श्रद्धालुओं की भीड़ कैसे रुकेगी? पुष्कर से लेकर रामदेवरा तक श्रद्धालुओं का रैला।जबकि 7 से 17 सितंबर तक रामदेवरा में बाबा की समाधि कक्ष के दरवाजे बंद रहेंगे और मेले का आयोजन भी नहीं होगा।पुष्कर में जोगणिया धाम की ओर से भी नहीं लगेगा भंडारा।

इसे लोक देवता बाबा रामदेव की लोगों श्रद्धा ही कहा जाएगा कि कोरोना की तीसरी लहर और सरकारी पाबंदियों की परवाह किए बिना लाखों लोग राजस्थान के पोकरण स्थित रामदेवरा की ओर बढ़ रहे हैं। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भादवा माह के शुरू होने के साथ ही बाबा के मुरीद समाधि स्थल पर पहुंच रहे हैं। भादवा पर में बाबा की समाधि के दर्शन करने के साथ ही पुष्कर तीर्थ के सरोवर में स्नान करने की परंपरा है, इसीलिए अजमेर के पुष्कर से लेकर जोधपुर संभाग के पोकरण तक श्रद्धालुओं का रेला है। यह रेला तब हैं जब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए पोकरण के एसडीएम ने रामदेवरा मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है तथा समाधि स्थल के गादीपति राव भोम सिंह तंवर ने 7 से 17 सितम्बर तक समाधि कक्ष के दरवाजे बंद रखने की घोषणा की है। यानी इस अवधि में जो श्रद्धालु रामदेवरा पहुंचेंगे उन्हें बाबा की समाधि के दर्शन नहीं हो सकेंगे। मान्यता है कि रामदेव जी का जन्म भादवा माह की दूसरी तारीख को हुआ और उन्हें इसी माह की एकादशी को समाधि ली। इसलिए इस अवधि में 50 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस बार यह अवधि अंग्रेजी तारीख 7 से 18 सितम्बर के बीच है। भीड़ की आशंका को देखते हुए समाधि कक्ष को बंद रखने और मेले का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन इस फैसलों का श्रद्धालुओं पर कोई असर नहीं है, क्योंकि लाखों श्रद्धालु मोटर साइकिलों और अन्य जुगाड़ वाहनों में यात्रा कर रहे हैं। हजारों श्रद्धालु बाबा के सफेद रंग का झंडा हाथ में लिए पैदल ही चल रहे हैं। आस्था की ऐसी जिद है कि हजारों श्रद्धालु नंगे पैर ही सफर कर रहे हैं। सरकार चाहे कितनी भी पाबंदियां लगाएं, लेकिन भामाशाहों ने बाबा के श्रद्धालुओं के लिए पुष्कर से लेकर रामदेवरा तक के मार्ग में जगह जगह भंडारे लगा दिए हैं। ऐसे भंडारों में सभी यात्रियों को नि:शुल्क भोजन मिल रहा है। कहा जा सकता है कि ऐसी श्रद्धा के सामने सरकार की पाबंदियां भी धरी रह गई हे। प्रशासन ने 7 से 17 सितंबर तक समाधि स्थल के दरवाजे बंद रखने की घोषणा तो करवा दी है, लेकिन रद्धालुओं को रोकना मुश्किल होगा। प्रशासन को अभी से ही वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए। श्रद्धालुओं के पक्षधरों का कहना है कि जब कोरोना काल में 6 जिलों में पंचायती राज के चुनाव करवाए जा रहे हैं, तब धार्मिक आयोजनों पर रोक क्यों लगाई जा रही है। जब लाखों मतदाता वोट डालने आ सकते हैं, तब श्रद्धालु बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन क्यों नहीं कर सकते हैं? क्या कोरोना की तीसरी लहर चुनाव वाले 6 जिलों को प्रभावित नहीं करेगी? इस बीच पुष्कर स्थित जोगणिया धाम के उपासक भंवरलाल जी ने भी घोषणा की है कि भादवा माह में रामदेव के श्रद्धालुओं के लिए इस बार भंडारे का आयोजन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल सरकार के दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए रामदेवरा की यात्रा से बचा जाए।
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सचिन पायलट दिल्ली पहुंचे, राजस्थान को लेकर भी गांधी परिवार गंभीर।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गांधी परिवार के बीच लम्बे अरसे से प्रत्यक्ष संवाद नहीं हुआ है।पायलट के 7 सितंबर के जन्मदिन पर 10 लाख पौधे लगेंगे।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट 25 अगस्त की रात को दिल्ली पहुंच गए हैं। पायलट का प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात करने का कार्यक्रम हैं। राजस्थान में भी सीएम गहलोत और पायलट के बीच सुलह होने का इंतजार है। गांधी परिवार के भरोसे पर पायलट पिछले 15 दिनों से खामोश हैं, इसलिए गांधी परिवार राजस्थान में जल्द सुलह चाहता है। इधर पायलट ने प्रदेश में अपनी राजनीतिक सक्रियता जारी रखी हुई है। पिछले तीन दिनों से पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर और भरतपुर संभाग के अलवर का दौरा किया। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पायलट का जबरदस्त स्वागत किया। भले ही स्वागत के लिए गहलोत समर्थक विधायक और पदाधिकारी नहीं आए, लेकिन कार्यकर्ताओं की भीड़ हर जगह देखी गई। पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटे एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच पायलट की लोकप्रियता अभी भी बनी हुई है। इस लोकप्रियता का गांधी परिवार को भी अहसास हैं, इसलिए गांधी परिवार चाहता है कि पायलट और अशोक गहलोत में जल्द सुलह हो जाए। हालांकि अभी गहलोत की गांधी परिवार से नाराजगी की कोई बात सामने नहीं आई है, लेकिन यह सही है कि पिछले चार पांच माह से गांधी परिवार और गहलोत के बीच प्रत्यक्ष संवाद नहीं हुआ है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, कर्नाटक और हरियाणा के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी गांधी परिवार के दूत बनकर जयपुर आए और गहलोत से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार पायलट का गांधी परिवार से लगातार संपर्क बना हुआ है। गांधी परिवार के भरोसे की वजह से ही पायलट किसी भी प्रतिकूल टिप्पणी से बच रहे हैं। जोधपुर और भरतपुर संभाग के दौरे में जब पत्रकारों ने मंत्रिमंडल में फेरबदल और सवाल किए तो पायलट ने कहा कि हमने अपनी बात कांग्रेस हाईकमान के समक्ष रख दी है। हाईकमान संज्ञान ले रहा है। इस बयान से लगता है कि पायलट को कांग्रेस हाईकमान पर भरोसा है। कांग्रेस हाईकमान के सामने पंजाब और छत्तीसगढ़ का विवाद बना हुआ है। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू आमने सामने हैं तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को दिल्ली बुलाकर राहुल गांधी को समझाइश करनी पड़ती है। राजस्थान भी कांग्रेस शासित प्रदेश है और सोनिया गांधी राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि पंजाब और छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी विवाद की खबरें आएं। इस बार गांधी परिवार की सहानुभूति सचिन पायलट के साथ है।
जन्मदिन की तैयारियां:
7 सितम्बर को सचिन पायलट के जन्मदिन को प्रभावी तरीके से मनाने के लिए प्रदेश भर में तैयारियां शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पायलट समर्थक विधायक राकेश पारीक ने बताया कि 7 सितम्बर को एक ही दिन में प्रदेशभर में 10 लाख पौधे लगाए जाएंगे। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच हजार पौधे पहुंचने की तैयारी की जा रही है। पारीक ने कहा कि पूर्व में पायलट के जन्मदिन पर रक्तदान जैसे कार्यक्रम हो चुके हैं, इसलिए इस बार बड़े पैमाने पर पौधारोपण का कार्यक्रम किया जा रहा है। इतने प्रदेशभर के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका रहेगी। सचिन पायलट स्वयं भी अपने जन्मदिन पर पौधारोपण करेंगे।  
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Wednesday 25 August 2021

एमडीएस यूनिवर्सिटी के 80 हजार विद्यार्थियों की समस्या का समाधान करना अब सबसे बड़ी चुनौती।क्या नए कार्यवाहक कुलपति पीसी त्रिवेदी पुराने ओम थानवी के फैसले को पलट पाएंगे?

25 अगस्त को प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति पद का अतिरिक्त प्रभार संभाल लिया। प्रो. त्रिवेदी मौजूदा समय में जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने त्रिवेदी को अजमेर का कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया है। त्रिवेदी के सामने एमडीएस की परीक्षा जल्द और सुचारू करवाने की चुनौती तो है ही साथ ही प्राइवेट कॉलेजों के 80 हजार विद्यार्थियों की समस्या के समाधान की भी चुनौती है। यदि इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो प्राइवेट कॉलेजों में नियमित पढ़ाई करने वाले 80 हजार विद्यार्थी स्वयंपाठी हो जाएंगे। यानी ऐसे विद्यार्थियों को डिग्री और मार्कशीट प्राइवेट (स्वयंपाठी) विद्यार्थी की ही मिलेगी। असल में ओम थानवी ने एमडीएस यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति रहते हुए यह निर्णय लिया था कि जिन प्राइवेट कॉलेजों में यूनिवर्सिटी की स्वीकृति के बगैर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया है, उन कॉलेजों के संचालकों को प्रति विद्यार्थी 15 हजार रुपए का जुर्माना यूनिवर्सिटी में जमा करवाना होगा। यदि कोई संचालक यह जुर्माना जमा नहीं करवाया है तो ऐसे कॉलेज के विद्यार्थियों को स्वयंपाठी विद्यार्थी माना जाएगा। थानवी के इस निर्णय का प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों ने भरपूर विरोध किया, लेकिन थानवी अपने निर्णय पर कायम रहे। यहां तक कि थानवी के विरोध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को ज्ञापन दिए गए। थानवी का यह निर्णय अभी भी लागू है। किसी भी कॉलेज के संचालक ने जुर्माना राशि जमा नहीं करवाई है। ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 80 हजार से ज्यादा है। अब यदि कॉलेज संचालक 15 हजार रुपए की जुर्माना राशि जमा करवाते हैं तो यूनिवर्सिटी को 120 करोड़ रुपए की आय होगी। किसी भी कुलपति के लिए जुर्माने का निर्णय बदलना मुश्किल है। थानवी के कार्यकाल में यह निर्णय यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल से सर्वसम्मति से स्वीकृत करवाया गया था। आमतौर पर प्राइवेट कॉलेज के संचालक प्रति वर्ष अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश देते हैं। हालांकि यूनिवर्सिटी ने 10 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान पहले से ही है, लेकिन कॉलेज संचालक किसी न किसी तरह प्रति वर्ष अतिरिक्त विद्यार्थियों को भी नियमित मानकर वार्षिक परीक्षा दिलवा देते हैं। कॉलेज संचालकों का कहना है कि विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी ने आवेदन किया जाता है लेकिन यूनिवर्सिटी समय पर निर्णय नहीं लेती है। सरकार की मंशा के अनुरूप उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश दे दिया जाता है। जानकारों की मानें तो ओम थानवी को एमडीएस यूनिवर्सिटी से हटाने का एक कारण प्राइवेट कॉलेजों पर जुर्माना लगाना भी है। अब प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी जिस जोधपुर स्थित यूनिवर्सिटी से आए हैं, उस यूनिवर्सिटी में भी अतिरिक्त विद्यार्थियों को लेकर प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया है। देखना होगा कि प्रोफेसर त्रिवेदी इस मुद्दों पर अब क्या निर्णय लेते हैं। इस संबंध में संबंधित विद्यार्थियों का तर्क है कि जब उन्होंने कॉलेज में नियमित पढ़ाई कर फीस जमा करवाई है, तब उन्हें स्वयंपाठी विद्यार्थी क्यों माना जा रहा है? विद्यार्थियों का कहना है कि इस मामले में उनकी कोई गलत नहीं है। कॉलेज संचालकों को उम्मीद है कि प्रो. त्रिवेदी ने जो नीति जोधपुर यूनिवर्सिटी में अपनाई है वहीं अब एमडीएस यूनिवर्सिटी में भी अपनाई जाएगी। जब जोधपुर में अतिरिक्त विद्यार्थियों की परीक्षा को लेकर कोई समस्या नहीं है तो फिर एमडीएस में भी नहीं होनी चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-08-2021)
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अजमेर और इंदौर की घटनाओं के बहाने वामपंथी लेखकों का तालिबानी सोच को समर्थन।यह तो अच्छा हुआ कि अजमेर के राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। अन्यथा इंदौर की घटना के लिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता।

राजस्थान के अजमेर और मध्यप्रदेश के इंदौर में मुस्लिम युवकों के साथ मारपीट की घटनाओं को वामपंथी लेखकों और पत्रकारों ने तालिबान की सोच के साथ जोड़ दिया है। ऐसे लेखकों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि हम तालिबान की ज्यादतियों पर तो चिंता जताते हैं, लेकिन हमारे यहां अजमेर और इंदौर की घटनाओं पर ध्यान नहीं देते। ऐसे वामपंथियों ने अजमेर और इंदौर की घटनाओं को भी नफरत की सोच बताया। समझ में नहीं आता कि वामपंथी सोच वाले लेखक और पत्रकार अपनी हरकतों से बाज क्यों नहीं आते हैं। पूरी दुनिया देख रही है कि हमारी वायुसेना अफगानिस्तान से सिर्फ भारतीयों को ही नहीं निकाल रही बल्कि अफगानी मुसलमानों खासकर महिलाओं को भी लाया जा रहा है। जो अफगानी हमारे विमानों से दिल्ली एयरपोर्ट पर आ गए वो स्वयं को सुरक्षित समझ रहे हैं। वामपंथी लेखकों और उन्हीं की सोच वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को समझना चाहिए कि यदि नफरत वाली बात होती तो अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह पर हजारों हिन्दू रोजाना जियारत के लिए नहीं जाते। दरगाह के खादिम भी मानते हैं कि सामान्य दिनों में मुसलमान से ज्यादा हिन्दू जायरीन जियारत के लिए आते हैं। यदि नफरत वाली बात होती तो ख्वाजा साहब की दरगाह के आसपास हिन्दू दुकानदार दुकान खोलने से पहले चाबियां दरगाह की सीढिय़ों पर नहीं रखते। जो वामपंथी सोच वाले मानते हैं कि हिन्दुओं के मन में मुसलमानों के प्रति नफरत है, इसलिए अजमेर और इंदौर की घटनाएं हुई हैं, उन्हें अफगानिस्तान से आ रहे मुसलमानों से मिलना चाहिए। यदि फिर भी समझ में नहीं आए तो अजमेर आकर दरगाह में हिन्दुओं की हकीकत देखनी चाहिए। कोई मुसलमान बांधे या नहीं लेकिन ख्वाजा साहब की मजार पर रखे हुए लच्छे को हिन्दू जायरीन पूरी श्रद्धा के साथ गले में पहनता है। वामपंथी सोच के लोग शुरू से ही देश में षडय़ंत्र करते आए हैं। अजमेर और इंदौर की घटनाएं नफरत की नहीं बल्कि सामान्य आपराधिक घटनाएं हैं। वामपंथी सोच वाले यह समझ लें कि अजमेर में किसी भी मुसलमान को भीख मांगने की जरुरत नहीं है। जो लोग दरगाह जियारत के अजमेर आए हैं, उन्हें पता है कि दरगाह के बाहर हो होटल, रेस्टोरेंट हैं, उन पर भोजन के कूपन मिलते हैं। जियारत के लिए आया व्यक्ति गरीबों को नि:शुल्क भोजन करवाता है। कूपन प्राप्त करने वाले गरीब मुसलमान ही नहीं बल्कि हिन्दू भी होते हैं। चूंकि ऐसे कूपन दिन भर बंटते हैं, इसलिए एक व्यक्ति कई कूपन एकत्रित कर लेता है। यदि कोई मुसलमान गरीब है तो उसे दरगाह से 6 किलोमीटर दूर सुभाष नगर की किसी कॉलोनी में भीख मांगने की जरुरत नहीं है। बाहर से आकर यदि कोई मुसलमान अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह को छोड़कर किसी कॉलोनी में भीख मांगता है तो यह जांच का विषय है। इसी प्रकार इंदौर में किसी मुसमान के चूड़ी बेचने पर एतराज नहीं है। मिनी मुंबई माने माने वाले इंदौर में बड़ी संख्या में मुसलमान बिना भय के अपना कारोबार कर रहे हैं, जो घटना हुई, उसमें पाया गया कि मुस्लिम युवक हिन्दू नाम रखकर चूडिय़ां बेच रहे थे। इसी पर कुछ लोगों ने मारपीट की। यह सही है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। लेकिन ऐसी सामान्य आपराधिक घटनाओं को नफरत से जोड़ना गलत है। नफरत की सोचे से देश का माहौल खराब होता है। यह तो अच्छा हुआ कि अजमेर राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार चल रही है, नहीं तो शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के इंदौर वाली घटना के लिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता। आमतौर पर भारत में हिन्दू और मुसलमान सद्भावना के साथ रह रहे हैं, लेकिन यह सद्भावना वामपंथी सोच वालों को सुहाती नहीं है, इसलिए षडय़ंत्र के तहत अजमेर और इंदौर की घटनाओं को नफरत से जोड़ देते हैं। देश को ऐसी सोच से सावधान रहना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-08-2021)
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Tuesday 24 August 2021

मुस्लिम युवक को पीटने के मामले में शिकायत के बगैर ही पुलिस ने पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।वीडियो के आधार पर अजमेर पुलिस ने तत्परता से कार्यवाही की-एसपी जगदीश चंद्र शर्मा।पीड़ित मुस्लिम युवक की अभी भी तलाश।इंदौर और अजमेर की घटना में असदुद्दीन ओवैसी भी कूदे।

अजमेर में एक मुस्लिम युवक को पीटने और दरगाह क्षेत्र में जाकर भीख मांगने की सीख देने के मामले में पांच व्यक्तियों को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह पांचों व्यक्ति फिलहाल अदालत से जमानत पर हैं। जिला पुलिस अधीक्षक जगदीश चंद्र शर्मा ने बताया कि गत 24 अगस्त को रामगंज पुलिस थाना को सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखने को मिला। इस वीडियो में कुछ युवक एक मुस्लिम युवक के साथ मारपीट कर रहे थे। वीडियो के आधार पर तत्काल मुकदमा दर्ज किया गया और सबसे पहले मारपीट करने वाले युवकों की तलाश की गई। जांच में यह पता चला कि यह वीडियो रामगंज थाना क्षेत्र के सुभाष नगर की अशोक विहार कॉलोनी में जय गोपाल गौड़ के मकान के बाहर का है। लेकिन जय गोपाल ने घटना की जानकारी होने से इनकार किया। तब जय गोपाल के सामने रहने वाले विष्णु रावत को वीडियो दिखाया और रावत ने माना कि यह वीडियो उनके घर के सामने का है। पुलिस ने जांच में चन्दबरदाई नगर निवासी ललित शर्मा को मुख्य आरोपी माना। ललित शर्मा के साथ सुरेन्द्र उर्फ सोनू, तेजपाल, रोहित शर्मा व शैलेंद्र टांक के नामों की भी पुष्टि हुई। लेकिन इधर उधर पता लगाने के बाद भी पीड़ित युवक की कोई जानकारी नहीं हो सकी। युवक को दरगाह क्षेत्र में भी तलाश करवाया गया। चूंकि आरोपी ललित शर्मा वीडियो में मुस्लिम युवक को थप्पड़ मारते और दरगाह क्षेत्र में जाकर भीख मांगने की सीख देते देखा गया इसलिए ललित शर्मा और उसके चारों साथियों को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इस मामले में पूरी तत्परता के साथ कार्यवाही की है। एसपी शर्मा ने कहा कि लोगों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को कोई शिकायत अथवा परेशानी है तो तत्काल संबंधित पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराए। यदि पुलिस स्टेशन पर सुनवाई नहीं होती है तो सीधे उनसे आकर मिल सकता है। उनके कार्यालय में आने वाले हर व्यक्ति से वे स्वयं मुलाकात करते हैं। प्राप्त शिकायत पर तत्काल और प्रभावी कार्यवाही भी की जाती है। एसपी ने कहा कि अजमेर में सभी धर्मों के लोग सद्भावना के साथ रहते हैं। वहीं क्षेत्र के डीएसपी मुकेश सोनी ने बताया कि अभी भी मुस्लिम युवक की तलाश की जा रही है। वीडियो में मुस्लिम युवक के साथ एक व्यक्ति और एक महिला भी नजर आ रहे हैं। पीड़ित युवक यदि अपना बयान दर्ज करवाता है तो पुलिस आगे भी सख्त कार्यवाही करेगी। इस मामले में क्षेत्रवासियों का कहना है कि कुछ लोग क्षेत्र में घरों पर जाकर भीख मांगते हैं, जिससे परेशानी होती है। आए दिन ऐसे व्यक्तियों को समझाने की कार्यवाही की जाती है।
इंदौर और अजमेर की घटना में ओबैसी कूदे:
न्यूज चैनलों पर अजमेर और इंदौर की घटनाओं को एक साथ दिखाया जा रहा है। इंदौर में कुछ युवक दो मुस्लिम युवकों को पीट रहे हैं, आरोप है कि दोनों मुस्लिम युवक हिन्दू नाम रखकर चूडिय़ां बेच रहे थे। पीटने वालों का कहना रहा कि मुस्लिम युवकों को अपने असली नाम से ही चूडिय़ां बेचनी चाहिए। चूंकि न्यूज चैनलों पर दोनों वीडियो प्रसारित हो रहे हैं, इसलिए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओबैसी भी सक्रिय हो गए हैं। ओबैसी ने दोनों घटनाओं की निंदा करते हुए राज्य सरकारों से आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-08-2021)
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तीसरी लहर की आशंका नहीं के बराबर-दैनिक भास्कर।अक्टूबर में तीसरी लहर पीक पर, बच्चों को खतरा-राजस्थान पत्रिका।इसीलिए देशभर में असमंजस की स्थिति।

24 अगस्त को भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में अपने अपने नजरिए से खबरें प्रकाशित हुई है। इन दोनों खबरों को एक साथ मेरे फेसबुक पेज .... पर पढ़ जा सकता है। भास्कर की खबर का हेडिंग है, तीसरी लहर की आशंका नहीं के बराबर, जबकि पत्रिका का हेडिंग है, अक्टूबर में तीसरी लहर पीक पर, बच्चों को खतरा। पत्रिका की खबर केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के आधार पर है, जबकि भास्कर की खबर कानपुर स्थित आईआईटी के शोध पर आधारित है। पत्रिका की खबर में कहा गया है कि  तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों और युवाओं पर पडेगा। उनके लिए मेडिकल सुविधाएं, वेंटिलेटर, मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस, ऑक्सीजन आदि जयश्री है। इसके लिए अभी से तैयारी की जरूरत है। जबकि भास्कर की खबर में कहा गया है कि तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की संभावना कम है। स्कूल शुरू होने में भी दिक्कत नहीं है। बच्चों में संक्रमण से निपटने की क्षमता वयस्कों में ज्यादा होती है। भास्कर और पत्रिका के अपने अपने स्रोत हैं। दोनों ही अखबारों की खबरें विश्वसनीय होती हैं। दोनो ंही अखबारों ने दूसरी लहर में मुसीबत के समय सेवा भाव से पत्रकारिता की, जिसका फायदा संक्रमित व्यक्तियों को भी मिला, लेकिन अब जब कोरोना की तीसरी लहर को लेकर देशभर के लोग आशंकित हैं, तब मीडिया का बहुत महत्व है। अखबारों में छपी और न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित खबरों का खास असर होता है। कारोबारी भी मीडिया के आधार पर ही अपने व्यवसाय की दिशा तय करते हैं। चूंकि दूसरी लहर के लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान व्यापार जगत को हुआ, इसलिए तीसरी लहर को लेकर व्यापारी जगत में ही सबसे ज्यादा चिंता है। अभिभावक भी अपने बच्चों को लेकर चिंतित हैं। कई राज्यों में स्कूलें शुरू नहीं हो पा रही है। राजस्थान में भी एक सितम्बर से 9 से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू करने का निर्णय लिया गया है। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुलने का इंतजार है। असल में तीसरी लहर के आंकलन को लेकर वैज्ञानिक और चिकित्सक भी एकमत नहीं है, इसलिए देश में असमंजस की स्थिति हो रही है। अच्छा हो कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सटीक जानकारी देशवासियों को उपलब्ध करवाई जाए। पूरे देश ने देखा कि प्रथम लहर और लॉकडाउन के बाद भी दूसरी लहर में सरकार के सारे इंतजाम धरे रह गए। अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया तो ऑक्सीजन के अभाव में सैकड़ों लोगों ने दम तोड़ दिया। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को भी चाहिए कि वे एकमत होकर लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाएं। हर वैज्ञानिक अपने नजरिए से राय प्रकट करेगा तो असमंजस की स्थिति बनी रहेगी। तीसरी लहर के बारे में वैज्ञानिकों को सटीक जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए। तीसरी लहर आए या नहीं, लेकिन देशवासियों को सतर्कता बरतते रहना चाहिए, क्योंकि अभी संक्रमण का खतरा टला नहीं है। 
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