Thursday 31 March 2022

अति पिछड़ा वर्ग को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण दिलवाने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला 81 वर्ष की उम्र में निधन।एक अप्रैल को करौली के मुंडिया गांव में होगा अंतिम संस्कार। पुत्र विजय बैंसला होंगे उत्तराधिकारी।

31 मार्च को सुबह जयपुर के मणिपाल अस्पताल में कर्नल किराड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया। 81 वर्षीय बैंसला ने राजस्थान में गुर्जर सहित पांच अति पिछड़ा वर्ग की जातियों को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुर्जर समुदाय को ओबीसी वर्ग के बजाए अति पिछड़ा मानकर अलग से आरक्षण देने की मांग के लिए कर्नल बैंसला ने सबसे पहले राजस्थान में गुर्जर आंदोलन की शुरुआत की। इसे कर्नल बैंसला का करिश्मा ही कहा जाएगा कि राजस्थान भर के गुर्जर एकजुट हुए और सवाई माधोपुर की रेल पटरियों पर बैठ कर लंबा संघर्ष किया। भाजपा के शासन में कई गुर्जरों की मौत हो जाने के बाद भी कर्नल बैंसला ने अपने आंदोलन को जारी रखा। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा दोनों ही सरकारों में बैंसला ने अपने आंदोलन को जारी रखा। इसी का परिणाम रहा कि गुर्जर सहित पांच पिछड़ी जातियों को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण मिल गया। आज इस आरक्षण का लाभ हजारों गरीब युवा उठा रहे हैं। गुर्जर आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए और सरकार ने गुर्जरों के विकास के लिए जो घोषणाएं की उनको लेकर भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जीवन के अंतिम दिनों तक संघर्ष करते रहे। हालांकि पिछले कुछ वर्षो से कर्नल बैंसला ने अपने पुत्र विजय बैंसला को उत्तराधिकारी घोषित कर आंदोलन का नेतृत्व सौंप दिया था, लेकिन हर संघर्ष में बैंसला ने अपनी उपस्थिति बनाए रखी। गुर्जर समुदाय को एकजुट करने में विजय बैंसला ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आज कई मौकों पर कर्नल बैंसला की गैर मौजूदगी में आंदोलन का नेतृत्व विजय बैंसला ने ही किया। अपने पिता के निधन के बाद विजय बैंसला ने कहा कि समाज के विकास के लिए मेरे पिता ने जो अभियान चलाया उसे मैं आगे भी जारी रखूंगा। कर्नल बैंसला का अंतिम संस्कार एक अप्रैल को करौली स्थित उनके पैतृक गांव मुंडिया में किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं ने कर्नल बैंसला के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीएम गहलोत ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिलाने की श्रेय अकेले कर्नल बैंसला को जाता है। उल्लेखनीय है कि आरक्षण का लाभ मिलने के बाद कर्नल बैंसला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से कर्नल बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला ने भाजपा से दूरी बना ली थी। अलबत्ता विजय बैंसला गुर्जर बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में लगातार सक्रिय रहे। 

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आरसीडीएफ पहुंचा रहा है अजमेर डेयरी को नुकसान।डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने सरस घी बल्क दूध के दाम बढ़ाने की मांग की।एक अप्रैल से देशभर में अजमेर जिले के दुग्ध उत्पादकों को सबसे ज्यादा दूध का दाम मिलेगा।

अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) की दोषपूर्ण नीतियों की वजह से अजमेर डेयरी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। चौधरी ने फेडरेशन के पदाधिकारियों से आग्रह किया कि सरस घी और बल्क दूध के मूल्य बढ़ाने की छूट दी जाए। चौधरी ने बताया कि मौजूदा समय में सरस घी 410 रुपए प्रति लीटर के भाव से बेचा जा रहा है। जबकि खुले बाजार में कृष्णा, पारस, अमूल आदि निजी डेयरियों के घी का मूल्य 430 रुपए से लेकर 450 रुपए प्रति लीटर तक है। चौधरी ने सवाल उठाया कि जब निजी डेयरियों का घी महंगा है, तब सरस घी को सस्ता क्यों बेचा जा रहा है? चौधरी ने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा थोक विक्रेताओं को हो रहा है। थोक विक्रेता बड़ी मात्रा में इन दिनों सरस घी खरीद रहे हैं। चौधरी ने कहा कि आरसीडीएफ के पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सरस घी में 20 से लेकर 30 रुपए तक की वृद्धि करनी चाहिए। चौधरी ने बताया कि आरसीडीएफ ने राजस्थान से बाहर भेजे जाने वाले बल्क दूध का मूल्य 51 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर निर्धारित कर रखा है। मौजूदा समय में अजमेर डेयरी से प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध टैंकरों के जरिए बाहर भेजा जाता है। चौधरी ने बताया कि एक अप्रैल से अजमेर डेयरी को एक लीटर दूध के संकलन और संरक्षण पर 52 रुपए 50 पैसे खर्च करने होंगे। ऐसे में यदि अजमेर डेयरी 51 रुपए 50 पैसे मूल्य पर बल्क दूध की बिक्री करेगी तो उसे प्रतिदिन एक लाख रुपए का नुकसान होगा। चौधरी ने बताया कि एक अप्रैल से जिले के दुग्ध उत्पादकों को औसतन 49.50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से भुगतान करना पड़ेगा। इसके बाद सहकारी समिति का कमीशन समिति से डेयरी प्लांट तक परिवहन प्रोसेसिंग आदि कार्यों पर 3 रुपए 10 पैसे प्रति लीटर खर्च होंगे। यानी डेयरी को एक लीटर दूध पर 52 रुपए 50 पैसे खर्च करने होंगे। चौधरी ने कहा कि आरसीडीएफ के पदाधिकारियों को बल्क दूध के मूल्यों में दो रुपए तक की वृद्धि करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अजमेर डेयरी बल्क दूध की बिक्री बंद कर देगी।

सबसे ज्यादा मूल्य:
चौधरी ने बताया कि एक अप्रैल से देशभर में अजमेर जिले के दुग्ध उत्पादकों को दूध का भाव सबसे ज्यादा मिलेगा। सरकार ने पांच रुपए प्रति लीटर अनुदान की जो घोषणा की है उसके बाद जिले के दुग्ध उत्पादकों को औसतन 49 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर का मूल्य मिलेगा। यह देश में सर्वाधिक होगा। चौधरी ने कहा कि मौजूदा समय में अजमेर डेयरी प्रतिदिन चार लाख लीटर दूध का संकलन कर रही है। लेकिन एक अप्रैल के बाद पांच लाख लीटर दूध का संकलन प्रतिदिन हो जाएगा। चौधरी ने जिले भर के दुग्ध उत्पादकों से आग्रह किया कि वे अपने पशुओं का दूध अजमेर डेयरी से जुड़े संकलन केंद्रों पर ही जमा करवाए। उन्होंने कहा कि डेयरी के सभी संकलन केंद्र कम्प्यूटराइज्ड हैं और कोल्ड चैन स्टोरेज से जुड़े हुए हैं। दूध में फैट की मात्रा भी कम्प्यूटर तकनीक से मापी जाती है। कोई भी पशु पालक इस प्रक्रिया को अपनी आंखों से देख सकता है। यहां तक कि दूध में फैट की स्थिति और दूध की मात्रा की पर्ची पर कम्प्यूटर से निकलती है। यानी दूध संकलन का पूरा सिस्टम पारदर्शी है, जबकि निजी डेयरियों के पास ऐसे पारदर्शी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि अजमेर डेयरी सहकारिता क्षेत्र की संस्था है। यदि डेयरी में मुनाफा होता है तो बोनस के तौर पर दुग्ध उत्पादकों को ही भुगतान किया जाता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतिलीटर पांच रुपए के अनुदान की जो घोषणा की है, उसका लाभ सभी दुग्ध उत्पादकों को उठाना चाहिए। जो पशुपालक दूध डेयरी के माध्यम से जमा करवाते हैं उन्हें सरकार की अनेक कल्याणकारी योजना का लाभ मिलता है। चौधरी ने कहा कि एक ओर जहां दुग्ध उत्पादकों को 7 रुपए 50 पैसे प्रति फैट के हिसाब से भुगतान किया जाएगा, वहीं उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए दूध का बिक्री मूल्य नहीं बढ़ाया जा रहा है। आरसीडीएफ से जुड़े अन्य मामलों की जानकारी मोबाइल नंबर 9414004111 पर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी से ली जा सकती है। 

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पुलिस विभाग में फैले जबरदस्त भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ करनी चाहिए।रेंज आईजी और जिला पुलिस अधीक्षकों से भरी बैठक में कहा कि इससे ज्यादा शर्म की बात नहीं हो सकती।कानून व्यवस्था के मुद्दों पर विधायक अनिता भदेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

राजस्थान में गृह विभाग की कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। इस नाते 30 मार्च को सीएम गहलोत ने प्रदेश भर के रेंज आईजी और जिला पुलिस अधीक्षकों की एक बैठक वर्चुअल तकनीक से ली। इस बैठक में सीएम ने उन सभी बातों को कहा जो पुलिस विभाग के बारे में आम आदमी के विचार है। विभाग में फैले जबरदस्त भ्रष्टाचार को सीएम ने स्वीकार किया। गहलोत ने कहा कि बजरी को लेकर पुलिस की इतनी बदनामी हो रही है कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। इससे ज्यादा शर्म की बात और कुछ नहीं हो सकती। डीजीपी कह रहे हैं कि पुलिस के नाके लगे हुए हैं, एसपी, एडिशनल एसपी, सीओ और एसएचओ की जानकारी के बिना यह संभव नहीं है। गहलोत ने इस बात पर अफसोस जताया कि सरकार की रॉयल्टी प्राइवेट लोग वसूल रहे हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक पहुंचता है, तभी यह संभव हो सकता है। इससे ज्यादा शर्म की बात तो मैंने सुनी नहीं। भगवान ने आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है और उसमें हम क्या कर रहे हैं। जनता घरों में बैठी क्या सोच रही होगी? गांव के अंदर हमारे बारे में क्या बातें करते होंगे? बैठक में डीजीपी एमएल लाठर ने भी माना कि पुलिस की मिली भगत के बिना संगठित अपराध हो ही नहीं सकता। खनन वाले क्षेत्रों में प्राइवेट नाके लगाकर वसूली चल रही है।

यूपी की तरह एनकाउंटर की जरूरत नहीं:
रेंज आईजी और पुलिस अधीक्षकों से सीएम गहलोत ने कहा कि हमें यूपी की तरह लोगों का एनकाउंटर नहीं करना है। यदि आप सक्षम होंगे तो पुलिस का इकबाल कायम रहेगा। एसपी ने आदेश निकाले और चौकी वाला या थानेदार आदेश की परवाह नहीं करे तो फिर आम काहे के एसपी हैं। आपके मतहत तभी सम्मान करेंगे जब आपका नैतिक बल बड़ा होगा। वरना थाने में बैठकर थानेदार आपकी बुराई करते रहेंगे। सीएम ने आईपीएस अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि राजनेता हो या अफसर। जिस घर में दो नंबर का पैसा आता है, वहां बच्चों को मैंने बिगड़ते हुए देखा है। उनके बच्चे शराबखोरी या फिर गलत कामों में लग जाते हैं। माता पिता को तो माथा पकड़ कर बैठना पड़ता है।

कई आईपीएस निशाने पर:
बैठक में कई आईपीएस अधिकारी मुख्यमंत्री के निशाने पर रहे। कोटा रेंज के आईजी रविदत्त गौड़ जब अपराध नियंत्रण पर प्रेजेंटेशन दे रहे थे, तब सीएम ने टोकते हुए कहा कि आप तो रेंज आईजी हो, सब कुछ टिप्पस पर होना चाहिए। लेकिन आप तो पूरी रामायण पढ़कर बता रहे हो। सीएम ने भरतपुर रेंज के आईजी प्रसन्न कुमार खेमसरा से पूछा की धौलपुर के बिजली इंजीनियर की पिटाई के मामले में अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? सीएम ने कहा कि हमें किसी से डरने की जरुरत नहीं है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पीड़ित इंजीनियर ने कांग्रेस के विधायक गिर्राज मलिंगा पर पिटाई करने का आरोप लगाया है।

घुमरिया ने मनमर्जी के आरोप लगाए:
बैठक में राज्य के कानून व्यवस्था के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हवा घुमरिया ने मातहतों की मनमर्जी का मुद्दा उठाया। बोले यहां पर कोई सिस्टम ही नहीं है। पुलिस का इकबाल खत्म हो रहा है। कोई किसी से भी ऑर्डर ले लेता है। जिसको जो लेकर आता है वह उसी को खुश करने में जुटा रहता है। उसी की सुनता है। क्राइम कंट्रोल पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

राजनीतिक हस्ताक्षेप बंद हो:
इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम गहलोत ने पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार कर आम व्यक्ति के मन की बात उजागर की है। लेकिन सब जानते हैं कि पुलिस विभाग में राजनीतिक दखल जबरदस्त है। विधायकों और मंत्रियों की सिफारिशों पर थाना अधिकारी से लेकर पुलिस अधीक्षकों तक की नियुक्ति होती है। इस दखल की ओर कानून व्यवस्था के एडीजी घुमरिया ने भी ध्यान आकर्षित किया है। घुमरिया ने माना है कि जो अधिकारी जिसकी सिफारिश से नियुक्त होता है, वह जनता के बजाए संबंधित नेता अथवा अधिकारी को ही खुश करने में लगा रहता है। सीएम गहलोत भी इस सच्चाई को जानते हैं कि विधायकों की सिफारिश से क्षेत्र के डीएसपी और थाना अधिकारियों की नियुक्ति होती है। कई मौकों पर तो देखा गया है कि थानाधिकारी और डीएसपी राजनीतिक दल के एजेंट के तौर पर काम करते हैं। पुलिस में जब तक राजनीतिक दखल होगा, तब तक भ्रष्टाचार बना रहेगा।

भदेल की शाह से मुलाकात:
30 मार्च को दिल्ली में अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में भदेल ने राजस्थान की बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में शाह को बताया। भदेल ने कहा कि प्रदेश में आए दिन नाबालिग बच्चियों के साथ रेप हो रहे हैं। रोजाना किसी न किसी स्थान पर हत्याएं हो रही है। कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने में राज्य सरकार पूरी तरह विफल है। भदेल ने आग्रह किया कि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था के बारे में एक रिपोर्ट राज्यपाल से तुरंत मंगाई जाए। भदेल ने दिल्ली प्रवास में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव से भी मुलाकात की। 

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Wednesday 30 March 2022

देश के 25 राज्यों के 300 जिलों में रमजान माह में रोजा इफ्तार के प्रोग्राम होंगे।इंद्रेश कुमार के नेतृत्व वाले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की सकारात्मक पहल। मुल्क की हिफाजत के लिए दुआ भी होगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार की उपस्थिति में हाल ही में मंच की एक वर्चुअल मीटिंग हुई। मंच के राष्ट्रीय संयोजक अबू बकर नकवी ने बताया कि मीटिंग में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि 3 अप्रैल से शुरू होने वाले रमजान माह में देशभर में मंच की ओर से रोजा इफ्तार के कार्यक्रम आयोजित किए जाए। मीटिंग में लिए गए निर्णय के अनुसार रमजान माह में देश के 25 से भी अधिक राज्यों के 300 से भी ज्यादा जिलों में रोजा इफ्तार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में एक छोटी या बड़ी हदीस सुनाकर मुस्लिम समाज में रोजा इफ्तार के अवसर पर अच्छी नसीहत की जानकारी भी दी जाएगी। इस अवसर पर मुल्क में अमन और शांति के लिए दुआ भी की जाएगी। नकवी ने बताया कि इन कार्यक्रमों का मकसद हिन्दू और मुस्लिम भाईयों के बीच मेल जोल को और बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों का मकसद राजनीति करना नहीं है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से देशभर में सद्भाव का संदेश भी दिया जाएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच देश में एक ऐसा संगठन है जो भाईचारे और मोहब्बत को बढ़ावा देने के लिए हमेशा सक्रिय रहता है। नकवी ने कहा कि मंच के 10 लाख से भी ज्यादा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को समय समय पर इंद्रेश कुमार का मार्ग दर्शन प्राप्त होता रहता है। रमजान माह में रोजा इफ्तार के कार्यक्रम करने की पहल भी इंद्रेश कुमार ने ही की है। नकवी ने कहा कि अब मुस्लिम समुदाय की सोच में भी लगातार बदलाव हो रहा है। आम मुसलमान भी देश की मुख्य धारा से जुड़कर विकास करना चाहता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं घोषित कर रखी है। मंच के कार्यकर्ता इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंद मुसलमानों को दिलवाने में भी सक्रिय रहते हैं। रोजा इफ्तार के इन कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9950242786 पर मंच के राष्ट्रीय संयोजक अबू बकर नकवी से ली जा सकती है। 

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गहलोत साहब! कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा का यह आरोप गंभीर है कि विद्युत विभाग में लूट मची हुई है।विधानसभा में भी कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा, दिव्या मदेरणा के साथ साथ सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा भी सरकार के कामकाज को लेकर नाराजगी जता चुके हैं।

राजस्थान के धौलपुर में विद्युत निगम के सहायक अभियंता हर्षाधिपति वाल्मीकि के पिटाई के प्रकरण में में कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा की कितनी भूमिका है, इसकी जांच तो पुलिस करेगी, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक होने के नाते गिर्राज मलिंगा ने जो आरोप लगाए हैं, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गंभीरता से लेना चाहिए। सीएम गहलोत कहते हैं कि उनकी सरकार जो सुशासन दे रही है इसी वजह से 2023 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी, जबकि कांग्रेस के विधायक गिर्राज मलिंगा का कहना है कि विद्युत निगम में लूट मची हुई है। ट्रांसफार्मर बदलने, बिजली कनेक्शन देने के मामलों में लोगों से पांच हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और इसलिए विद्युत निगम के कार्मिक पीट रहे हैं। मलिंगा विपक्षी दल के विधायक नहीं है। मलिंगा न केवल कांग्रेस के विधायक है, बल्कि सीएम गहलोत के कट्टर समर्थक है। यदि ऐसे विधायक खुली लूट का आरोप लगा रहे हैं तो प्रदेश के हालातों का अंदाजा लगाया जेना चाहिए। गत वर्ष शिक्षकों के सम्मान समारोह में जब मुख्यमंत्री ने तबादलों में रिश्वत लेने का सवाल किया तो सभी शिक्षकों ने हाथ खड़े कर कहा कि तबादलों में शिक्षकों से रिश्वत ली जाती है। इस समारोह में तत्काली स्कूल शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा भी उपस्थित थे। विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनारायण मीणा, युवा विधायक कुमारी दिव्या मदेरणा के साथ साथ सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा (निर्दलीय विधायक) ने गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई है। कांग्रेस के विधायकों का कहना रहा कि सरकारी तंत्र में जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं हो रही है। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के विधायक ही अपनी सरकार से संतुष्ट नहीं है, तब सीएम गहलोत सरकार के रिपीट होने का दावा कैसे कर रहे हैं? सीकर में गुरुकुल यूनिवर्सिटी के प्रकरण में तो सरकार के सुशासन की पोल जिस तरह खुली उसमें सरकार को अपना ही विधेयक वापस लेना पड़ा। अच्छा हो कि सीएम गहलोत जमीनी हकीकत का पता लगाएं। 
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राजस्थान की महिला चिकित्सक अर्चना शर्मा की आत्महत्या के बाद देशभर में चिकित्सकों का बचाव हो पाएगा?राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने माना कि महिला चिकित्सक के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने नासमझी की।अजमेर सहित राजस्थान भर के प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम बंद रहे। उकसाने वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो बेमियादी बंद।

मरीज खासकर डिलीवरी के समय प्रसूता की मौत होने पर परिजन द्वारा हंगामा करने की आम बात है। ऐसे मामलों को लेकर आए दिन देशभर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में हंगामा होता है। मृतक के परिजन अक्सर चिकित्सक पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हैं। लेकिन संभवत: देश में यह पहला मौका होगा, जब पुलिस कार्यवाही से परेशान होकर राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट के एक निजी अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना शर्मा ने स्वयं ही आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में डॉ. शर्मा ने लिखा कि मैंने किसी मरीज को नहीं मारा। मेरे मरने के बाद ही मेरी बेगुनाही साबित होगी। डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या ने देशभर में चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या डॉ. शर्मा की मौत से डॉक्टरों का बचाव हो पाएगा? असल में 28 मार्च को जब अर्चना शर्मा अपने अस्पताल में 22 वर्षीय आशा बैरवा की डिलीवरी करवा रही थी, तब मरीज को ब्लीडिंग हो गई इससे आशा बैरवा की मौत हो गई। परिजन ने इस मौत का जिम्मेदार डॉ. अर्चना शर्मा को माना। शव को लेकर परिजन अस्पताल के बाहर ही धरने पर बैठ गए। दौसा पुलिस ने आनन-फानन में डॉ. अर्चना शर्मा के विरुद्ध धारा 302 (हत्या) का मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस हत्या के आरोप में डॉ. शर्मा को गिरफ्तार करती इससे पहले ही 29 मार्च को डॉ. शर्मा ने फांसी लगा कर अपनी जान दे दी। क्योंकि मरने से पहले डॉ. शर्मा सुसाइट नोट लिख गई, इसलिए अब राजस्थान भर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक सड़कों पर है, 30 मार्च को प्रदेशभर के प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम पूरी तरह बंद रहे। सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी दो-तीन घंटे कार्य बहिष्कार कर प्राइवेट चिकित्सकों के विरोध का समर्थन किया। चिकित्सकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में गाइड जारी कर रखी है, लेकिन दौसा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अवहेलना कर डॉ. अर्चना शर्मा के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस किस तरह परेशान करती है,इस से घबराकर कर ही डॉ. अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली। प्राइवेट चिकित्सकों का कहना है कि अब इस मामले में उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का दर्ज किया जाए, जिन्होंने डॉ. अर्चना शर्मा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया। इसमें लालसोट के प्रभावशाली व्यक्तियों और दौसा पुलिस के अधिकारियों को भी आरोपी बनाया जाए। चिकित्सकों ने कहा कि यदि उकसाने वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होता है तो राजस्थान भर में प्राइवेट अस्पताल अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। 30 मार्च को भीषण गर्मी में प्रदेश भर में बड़े बड़े अस्पतालों के चिकित्सकों ने सड़कों पर जुलूस निकाले कई शहरों में डॉक्टरों ने रास्ता भी जाम किया। प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों से जाहिर है कि डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या को लेकर डॉक्टरों में भारी गुस्सा है। असल में अधिकांश डॉक्टरों को ऐसे दौर से गुजरना पड़ता है। डॉक्टर चाहते हैं कि अब जब एक चिकित्सक ने आत्महत्या कर ही ली है तो भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो, इसे सुनिश्चित किया जाए। डॉक्टरों का कहना है कि कोई भी चिकित्सक अपने मरीज को अस्वस्थ्य नहीं रखना चाहता है। हर डॉक्टर चाहता है कि उसका मरीज जल्द से जल्द ठीक हो, लेकिन कई अवसरों पर चिकित्सा के दौरान ऐसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं, जिनकी वजह से मरीज की मृत्यु हो जाती है। मरीज की मृत्यु का सबसे ज्यादा दुख डॉक्टर को ही होता है। प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि कोई अस्पताल मालिक नहीं चाहता कि उसके अस्पताल की छवि खराब हो। प्राइवेट अस्पतालों में अच्छा इलाज होता है, इसलिए मरीज सरकारी अस्पताल के बजाए प्राइवेट अस्पतालों को प्राथमिकता देते हैं। सरकारें भी अपनी कल्याणकारी योजनाओं में मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में भी करवाती है।
 
मंत्री ने भी स्वीकारा:
राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने भी स्वीकार किया है कि दौसा पुलिस ने डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर न समझी प्रदर्शित की है। उन्होंने माना कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से पहले सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का अध्ययन नहीं किया। उन्होंने कहा कि मरीज की मृत्यु होने पर परिजन का नाराज होना स्वाभाविक है, लेकिन पुलिस को संवेदनशीलता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। मीणा ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार गंभीरता के साथ काम करेगी।
 
अजमेर में भी विरोध:
डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या के विरोध में 30 मार्च को अजमेर में भी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ. विनय गगड़ और प्रतिनिधि डॉ. रजनीश सक्सेना ने बताया कि अजमेर जिले में करीब 100 प्राइवेट अस्पताल हैं। इन सभी में 30 मार्च को पूरी तरह काम बंद रहा। प्राइवेट डॉक्टरों ने रीजनल कॉलेज चौराहे से कलेक्ट्रेट तक एक जुलूस भी निकाला। कलेक्ट्रेट पर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया। इस ज्ञापन में कहा गया कि डॉक्टरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाए। इसके साथ ही डॉ. अर्चना शर्मा के प्रकरण में दोषी व्यक्तियों और पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए। 

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केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं ले पा रहे हैं।कोयले के अभाव में राजस्थान में भीषण गर्मी में बिजली संकट की आशंका।यदि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार होती तो गहलोत तूफान खड़ा कर देते।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अक्सर आरोप लगाते हैं कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। गहलोत का कहना होता है कि राजस्थान पांच-पांच सांसद केंद्र में मंत्री है, लेकिन फिर भी ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल रही है, जबकि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। यदि इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल जाए तो जयपुर और उसके आसपास के 11 जिलों की पेयजल समस्या का समाधान हो सकता है। गहलोत ने हाल ही में कहा है कि वे स्वयं भाजपा के मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने के लिए दिल्ली चल सकता हंू। यह अच्छी बात है कि सीएम गहलोत ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट के लिए इतनी जागरूकता दिखा रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में जो कोल ब्लॉक आवंटन की मंजूरी दे दी है, उसमें अशोक गहलोत की जागरूकता काम नहीं आ रही है। जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ही है। राज्य सरकार के प्रस्ताव के अनुरूप केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गत 2 फरवरी को छत्तीसगढ़ में कोयला खनन के लिए खान आवंटित कर दी। ताकि राजस्थान के थर्मल प्लांट में बिजली का उत्पादन होता रहे। लेकिन दो माह पूरे होने पर भी भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राजस्थान को कोयला खनन की मंजूरी नहीं दी है। जबकि सीएम अशोक गहलोत गत 25 मार्च को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी पहुंच गए। कोयला खनन के लिए गहलोत ने भूपेश बघेल की मिजाजपुर्सी भी की। बघेल ने भरोसा भी दिलाया, लेकिन अभी तक लिखित मंजूरी नहीं मिली है। यदि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार होती तो अशोक गहलोत तूफान खड़ा कर देते। अशोक गहलोत बताएं कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद भी राजस्थान सरकार छत्तीसगढ़ से कोयले का खनन क्यों नहीं कर पा रही है? सब जानते हैं कि यदि राजस्थान को जल्द कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो प्रदेशभर में बिजली का संकट हो जाएगा। हमारे थर्मल प्लांट बंद हो जाएंगे। भीषण गर्मी में बिजली नहीं मिलने से त्राहि त्राहि मच जाएगी। छत्तीसगढ़ से कोयला खनन के लिए गहलोत ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी पत्र लिखा है, लेकिन इस पत्र का भी छत्तीसगढ़ सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है। ऐसा नहीं कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में कोयला खत्म हो गया है। छत्तीसगढ़ की जमीन में कोयला तो बहुत है, लेकिन कोयला खनन का छत्तीसगढ़ के आदिवासी विरोध कर रहे हैं। आदिवासियों के विरोध के मद्देनजर ही छत्तीसगढ़ की सरकार कोयला खनन की मंजूरी नहीं दे पा रही है। यही वजह है कि अशोक गहलोत के अब तक के सभी प्रयास विफल हो गए हैं। अब गहलोत के लिए भी बचाव करना मुश्किल हो रहा है। 

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देश के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब विधानसभा के अध्यक्ष ने मुफ्त में माल लेने के लिए विधायकों को आदेश दिया है।वाकई राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में विपक्ष के विधायकों को भी पटाने की क्षमता है।पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा में बजट सत्र में सभी 200 विधायकों को आईफोन मुफ्त में दिया गया। लेकिन बाद में भाजपा विधायकों ने अपने आईफोन वापस लौटा दिए। फोन लौटाने का निर्णय पार्टी स्तर पर लिया गया। लेकिन बजट सत्र के अंतिम दिन 28 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि मैं आदेश देता हंू कि जिन विधायकों ने फोन लौटाए हैं, वे वापस ले लें। संभवत: लोकतंत्र के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब मुफ्त का माल लेने के लिए विधायकों को आदेश दिए गए हैं। हालांकि आदेश के बाद भी भाजपा के अधिकांश विधायकों ने आईफोन वापस नहीं लिए है। राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 72 हैं। सवाल उठता है कि क्या मुफ्त का माल लेने के लिए विधायकों को आदेश दिया जा सकता है?

पटाने की क्षमता:
सीएम अशोक गहलोत में अपनी पार्टी के विधायकों को पाटए रखने की क्षमता तो है ही, लेकिन गहलोत भाजपा के विधायकों को भी पटाने की पूरी कोशिश करते हैं। 60 लाख की कीमत वाला तीन बीएचके का फ्लैट सभी विधायकों को मात्र 30 लाख रुपए में दिया गया है। इतना ही नहीं जिन विधायकों से सरकारी मकान खाली करवाए गए उन्हें प्रतिमाह 45 हजार रुपए का मकान किराया भत्ता भी दिया जा रहा है। विधानसभा भले ही 20 दिन चले, लेकिन 40 दिन का दैनिक भत्ता भी दिया जा रहा है। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि विधायक विधानसभा में तीखे सवाल नहीं पूछे इसलिए हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट से लेकर आईफोन तक दिए जा रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि पक्ष विपक्ष के विधायकों को खुश रखने में मुख्यमंत्री की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
 
राजे की जेपी नड्डा से मुलाकात:
29 मार्च को राजस्थान की पूर्व सीएम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे ने दिल्ली में संसद भवन परिसर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। भाजपा के राजनीतिक क्षेत्रों में इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुलाकात में प्रदेश की राजनीति के बारे में चर्चा हुई है। वसुंधरा राजे का लगातार प्रयास है कि उन्हें राजस्थान भाजपा की कमान फिर से सौंपी जाए। हालांकि अभी तक राजे की भूमिका को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में राजे ने जिस प्रकार राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात की है, उसको लेकर प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। इससे पहले राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मुलाकात की। राजे ने भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों के साथ उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में भी भाग लिया। 

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तलाक के 16 माह बाद फिर से विवाह करेंगी आईएएस टीना डाबी।पहले आईएएस अतहर आमिर से निकाह किया था, लेकिन इस बार आईएएस प्रदीप गवाड़े को प्रेमी माना है।

राजस्थान सरकार में वित्त विभाग की संयुक्त सचिव टीना डाबी ने एक बार फिर अपने प्रेम का इजहार किया है। डाबी ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर किया है, जिसमें वे राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय के निदेशक प्रदीप गवाड़े के साथ हाथ पर हाथ रखकर बैठी है। फोटो का कैप्शन भी लिखा है, वो मुस्कान पहन रही हंू जो तुम दे रहे हैं। राजस्थान के चूरू के कलेक्टर रहे प्रदीप गवाड़े टीना डाबी से उम्र में 13 साल बड़े हैं, लेकिन दोनों इस रिश्ते से खुश है। यूं तो गवाड़े महाराष्ट्र के रहने वाले हैं, लेकिन आईएएस में राजस्थान कैडर मिलने के कारण यहां नौकरी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों अप्रैल माह में विवाह करेंगे। टीना डाबी द्वारा अपने प्रेम का इजहार करने पर राजस्थान के प्रशासनिक क्षेत्र में जबरदस्त चर्चा है। टीना के इस फैसले को बहुत बोल्ड माना जा रहा है। मालूम हो कि टीना ने 2018 में अपने ही बैच के आईएएस अतहर आमिर के साथ निकाह किया था। लेकिन यह निकाह ज्यादा नहीं चल सका। दोनों के बीच मतभेद होने के बाद नवंबर 2020 में आपसी सहमति से दोनों ने अदालत से तलाक ले लिया। पहले आमिर से निकाह और फिर तलाक लेने के समय भी टीना को सोशल मीडिया पर आलोचना का शिकार होना पड़ा था। निकाह के समय आलोचनाओं के बीच टीना डाबी पूरी तरह आमिर के साथ खड़ी रही। जानकारों की मानें तो टीना नहीं चाहती थी कि निकाह टूटे, लेकिन अतहर आमिर ने टीना के साथ रहने से इंकार कर दिया । आखिर में टीना को भी तलाक पर सहमति देनी पड़ी। लेकिन अब तलाक के 16 माह बाद ही टीना डाबी ने प्रदीप गवाड़े को अपना प्रेमी माना है।  

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Monday 28 March 2022

द कश्मीर फाइल्स से भी ज्यादा सच्चाई दिखा रहे अब न्‍यूज चैनल।कश्मीर घाटी में अभी भी हजारों मंदिर खंडहर बने हुए हैं।

द कश्मीर फाइल्स फिल्म के बारे में कुछ बुद्धिजीवियों और धर्म निरपेक्षता के झंडाबरदारों का कहना है कि यह फिल्म हिन्दू और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने वाली है। फिल्म में ऐसे दृश्य नहीं दिखाए जाने चाहिए थे जो हिन्दुओं पर अत्याचार के हैं। हालांकि ऐसे लोग तब चुप रहे, जब 90 के दशक में जिहादी मानसिकता के मुसलमानों ने 4 लाख हिन्दुओं पर अत्याचार किए। कश्मीर फाइल्स फिल्म के बाद जिहादियों और उनके समर्थक नेताओं के चेहरे से नकाब उतर गई है। इस फिल्म के माध्यम से कश्मीर के आतंक की जो सच्चाई दिखाई गई उस से पूरा देश वाकिफ हो गया है। लेकिन इस सच्चाई को राष्ट्रीय न्यूज चैनलों ने आगे बढ़ाया है। चैनल वाले कश्मीर घाटी के उन प्वाइंटों को दिखा रहे हैं, जहां कई हिन्दुओं को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी गई। कश्मीर में ऐसे एक नहीं बल्कि कई पॉइंट है। जिहादियों के आतंक के आगे कश्मीर के आम मुसलमान भी खामोश रहे। 24-24 हिन्दुओं को एक साथ खड़ा कर गोली से भून दिया गया। मरे हुए व्यक्तियों को भी गोली मारी गई ताकि जिंदा रहने की कोई गुंजाइश नहीं रहे। न्यूज चैनल वाले ऐसे पॉइंट चश्मदीदों के बयानों के साथ दिखा रहे हैं। ऐसे हजारों मंदिर दिखाए जा रहे हैं जो अभी भी खंडहर बने हुए हैं। संभवत: यह पहला अवसर है, जब न्यूज चैनलों के कैमरे ऐसे पॉइंटों पर पहुंचे हैं। 90 के दशक में मंदिरों में जो ताले लगे वो आज तक नहीं खुले है। हालांकि अब आतंकवादियों का पहले जैसा भय नहीं है, लेकिन अभी भी कश्मीर के आम मुसलमान चुप हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जिहादियों को अब घाटी में पहले जैसा संरक्षण नहीं मिल रहा है, लेकिन फिर भी जिहादी तत्व आए दिन कोई न कोई वारदात कर ही देते हैं। उन कश्मीरी मुसलमानों को भी मारा जा रहा है जो सरकार के मुलाजिम हैं। न्यूज चैनलों ने कश्मीर फाइल्स से आगे की जो सच्चाई दिखाना शुरू किया है, उससे देशवासियों को और अधिक सच जानने का अवसर मिलेगा। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे अत्याचार आजाद भारत में हुए है। 90 के दशक में कश्मीर में जो कुछ भी घटित हुआ उससे 1947 के विभाजन के समय हुए हादसों की याद ताजा करा दी। धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदार कश्मीर फाइल्स फिल्म की तो आलोचना करते हैं, लेकिन चार लाख हिन्दुओं पर हुए अत्याचार पर चुप रहते हैं। 

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मंडावर गैंगरेप प्रकरण में कांग्रेस सरकार को पीड़िता के बयान पलटने का इंतजार।कांग्रेस के विधायक जौहरी लाल मीणा का पुत्र दीपक मीणा भी आरोपी है। पुलिस ने पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया है।प्रियंका गांधी को अब हवाई जहाज के टिकट का प्रस्ताव।

राजस्थान के दौसा जिले के मंडावर पुलिस स्टेशन पर गत 25 मार्च को दसवीं में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा ने गैंगरेप का एक प्रकरण दर्ज करवाया। पांच नामजद आरोपियों में अलवर जिले के राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक जौहरी लाल मीणा के पुत्र दीपक मीणा भी शामिल है। दीपक मीणा का नाम आते ही राजस्थान की राजनीति में उबाल आ गया। लेकिन पांच दिन गुजर जाने के बाद भी अभी तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। चूंकि मामला कांग्रेस विधायक के पुत्र से जुड़ा है, इसलिए मंडावर पुलिस ऊपरी निर्देशों के अनुरूप ही काम कर रही है। लेकिन यह सही है कि यह मामला सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक से जुड़ा नहीं होता तो अब तक आरोपी गिरफ्त में होते। आरोपियों की क्या दशा होती, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन गैंगरेप के इस मामले में कांग्रेस सरकार को पीड़िता के बयान से पलटने का इंतजार है। विधायक जौहरी लाल मीणा का भी कहना है कि राजनीतिक कारणों से उसके बेटे को फंसाया गया है। उनका बेटा निर्दोष है। आमतौर पर गैंगरेप के प्रकरण में पीड़िता के बयान तत्काल ही मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाए जाते हैं, लेकिन इस मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष कब बयान दर्ज होंगे, यह शायद मंडावर पुलिस को भी पता नहीं है। गत अलवर में एक मूक बधिर बालिका भी ज्यादती का शिकार हुई थी। पुलिस ने खुद मांग कि पीडि़ता के प्राइवेट पार्ट में जख्म है, लेकिन बाद में कहा गया कि पीड़िता के साथ कोई ज्यादती नहीं हुई है। ऐसे प्रकरणों में राजस्थान पुलिस की जांच का नजरिया बदलता रहता है। पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद से ही दसवीं की छात्रा पुलिस की निगरानी में है। मंडावर थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पीड़िता के परिजन भी सामने नहीं आ रहे है। इस मामले में गंभीर बात तो यह है कि गैंगरेप की घटना 24 फरवरी 2021 को दर्ज थी, तब आरोपियों ने छात्रा का वीडियो बना लिया और वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर लगातार बलात्कार करते रहे। बार बार की ज्यादतियों से दुखी होकर ही पीड़िता ने परिजन को बताया और फिर 25 मार्च को मंडावर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया। यहां यह उल्लेखनीय है कि गृह विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है।
 
प्रियंका को हवाई टिकट का प्रस्ताव:
मंडावर गैंगरेप प्रकरण में पीड़िता से मुलाकात करने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को आमंत्रित किया गया है। क्षेत्र के भाजपा नेता जितेंद्र गोठवाल ने दो दिन पहले प्रियंका गांधी को दिल्ली से जयपुर आने वाले शताब्दी एक्सप्रेस का कन्फर्म टिकट भेजा था। 28 मार्च को गोठवाल ने बताया कि टिकट के अनुरूप प्रियंका गांधी शताब्दी एक्सप्रेस से जयपुर नहीं आई है, इसलिए अब उनके समक्ष हवाई जहाज के टिकट का प्रस्ताव किया गया है। गोठवाल ने कहा कि हो सकता है कि व्यस्तता की वजह से प्रियंका गांधी ट्रेन में सफर करना पसंद नहीं करती है। इसलिए अब हवाई टिकट का प्रस्ताव किया जा रहा है। गोठवाल ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में बलात्कार की घटना होती है तो प्रियंका गांधी पीड़िता से मिलने के लिए पहुंच जाती है। प्रियंका ने यूपी के चुनाव में लड़की हंू लड़ सकती हंू का नारा भी दिया, लेकिन जब कांग्रेस शासित राजस्थान में दसवीं की छात्रा के साथ गैंगरेप होता है तो प्रियंका गांधी चुप्पी साध लेती हैं। प्रियंका ने इस मामले में अभी तक ट्वीट भी नहीं किया है। जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि प्रियंका गांधी को दौसा आकर पीड़िता से मुलाकात करनी चाहिए ताकि आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी हो सके। कांग्रेस सरकार अब इस गंभीर मामले में लीपापोती करने में लगी हुई है। 

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इस बार अजमेर में चेटीचंड और महावीर जयंती के जुलूस को लेकर दोनों समुदायों में उत्साह।कोरोना की वजह से गत दो वर्षों से नहीं निकले जुलूस। चेटीचंड के जुलूस में झांकियों को लेकर होड़, तो महावीर जयंती पर 8 हजार लोगों का सामूहिक भोज।

कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले दो वर्षों से अजमेर में सिंधी समुदाय के आराध्य देव भगवान झूलेलाल की जयंती पर चेटीचंड और महावीर जयंती पर जैन समुदाय के जुलूस नहीं निकल सके। लेकिन इस बार दो अप्रैल को चेटीचंड और 14 अप्रैल को महावीर जयंती का जुलूस निकालने के लिए दोनों ही समुदाय के लोगों में भारी उत्साह है। दोनों ही समुदाय के प्रतिनिधि पिछले दो वर्ष की कसर निकाल लेना चाहते हैं। इन समुदायों के युवाओं में भी भारी उत्साह दिख रहा है। दोनों ही समुदायों की अजमेर में खासी आबादी है। पहले बात सिंधी समुदाय के चेटीचंड जुलूस की। अजमेर में झूलेलाल महाराज की जयंती पर दो बड़े कार्यक्रम होते हैं। एक सिंधी संस्कृति के अनुरूप पखवाड़ा मनाया जाता है। इस पखवाड़े में 15 दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस पखवाड़े का उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से अवगत कराना होता है। सिंधी समुदाय के प्रतिनिधि मानते हैं कि आजकल परिवारों में सिंधी भाषा नहीं बोली जाती है। जो बच्चे कॉन्वेंट और पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं उन्हें तो सिंधी भाषा बिल्कुल भी नहीं आती है। जबकि सिंधी भाषा एक समृद्ध भाषा है। पखवाड़े के माध्यम से युवा पीढ़ी को सिंधी संस्कृति से अवगत करवाना होता है। यह पखवाड़ा पूज्य चेटीचंड पखवाड़ा उत्सव समिति के तत्वावधान में मनाया जाता है। समिति के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी और विभिन्न कार्यक्रमों से जुड़े हरि चंदनानी ने बताया कि अजमेर शहर में करीब डेढ़ लाख की आबादी सिंधी समुदाय की है। इसलिए पखवाड़े के विभिन्न कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय के लोग भाग ले रहे हैं। चंदनानी ने बताया कि दूसरा बड़ा कार्यक्रम चेटीचंड का जुलूस निकालना होता है। इस जुलूस में भी सिंधी संस्कृति से जुड़ी झांकियां प्रदर्शित की जाती है। सब जानते हैं कि देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से बड़ी संख्या में सिंधी समुदाय के लोग शरणार्थी बनकर अजमेर आए थे। लेकिन पिछले 75 सालों में अपने पुरुषार्थ के बल पर सिंधी समुदाय ने अजमेर में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। यही वजह है कि जुलूस में झांकियों के प्रदर्शन को लेकर होड़ लगी रहती है। समुदाय के विभिन्न संगठन चाहते हैं कि उनकी झांकियों का जुलूस में प्रदर्शन हो। यह जुलूस देहली गेट स्थित पूज्य झूलेलाल सेवा ट्रस्ट की ओर से निकाला जाता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रभु लौंगानी ने बताया कि जुलूस में इस बार पचास से भी अधिक झांकियां प्रदर्शित होंगी। जुलूस 2 अप्रैल को दोपहर डेढ़ बजे देहली गेट स्थित झूलेलाल मंदिर से शुरू होगा और देर रात को इसी मंदिर पर समाप्त होगा। जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरेगा। जुलूस का सौ से भी ज्यादा स्थानों पर स्वागत किया जाएगा। झूलेलाल जयंती के कार्यक्रमों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9649750811 पर हरि चंदनानी से ली जा सकती है।
 
महावीर जयंती का जुलूस:
14 अप्रैल को अजमेर में महावीर जयंती का जुलूस भी धूमधाम से निकाला जाएगा। जुलूस समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार ढिलवारी और प्रतिनिधि प्रवीण जैन ने बताया कि इस बार जैन समुदाय में भी जुलूस को लेकर भारी उत्साह है। जुलूस 14 अप्रैल को केसरगंज स्थित जैन मंदिर से शुरू होगा और इसी मंदिर पर समाप्त होगा। जुलूस में सुप्रसिद्ध सोनी जी की नसिया से रथ और अन्य उपकरण प्रदर्शन होंगे। इनमें हाथी, घोड़े, बैंड, नगाड़े आदि भी शामिल हैं। जैन समुदाय के सभी परिवारों के सदस्य जुलूस में भाग लेंगे। शाम को 4 बजे मेरवाड़ा एस्टेट होटल के परिसर में जैन समाज का सामूहिक भोज रखा गया है। इस भोजन में करीब 8 हजार लोग भाग लेंगे। महावीर जयंती के जुलूस के बाद सामूहिक भोज की परंपरा बरसों से चली जा रही है। महावीर जयंती के आयोजनों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003431 पर प्रवीण जैन से ली जा सकती है। 

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देश में बेरोजगारी की दर में लगातार कमी हो रही है।केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों से ई-श्रमिक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की।रजिस्ट्रेशन करवाने पर दो लाख का जीवन बीमा भी मिलेगा।

28 मार्च को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कई सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दी। यादव ने एक सदस्य के सवाल के जवाब में कहा कि लेबर ब्यूरो ने हाल ही में जो सर्वे किया है उसमें कृषि, आईटी, हॉस्पिलिटी, निर्माण आदि के क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि हुई है। कोरोना काल में जो कम आई थी वह अब घट रही है और रोजगार की दर में लगातार वृद्धि हो रही है। यादव ने बताया कि स्कूल डवलपमेंट सामाजिक सुरक्षा और अन्य उद्देश्यों के लिए असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन ईश्रमिक पोर्टल पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी मिले। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन बहुत आसानी से हो रहा है, अब तक कई करोड़ श्रमिकों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। यादव ने सभी सांसदों से भी आग्रह किया कि वे अपने अपने संसदीय क्षेत्र के असंगठित श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन करवाए। भूपेंद्र यादव के जवाब के दौरान ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कहा कि ईश्रमिक पोर्टल वाकई महत्वपूर्ण है। सदस्यों को इस मामले में भागीदारी निभानी चाहिए। यादव ने बताया कि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही श्रमिक का दो लाख रुपए का जीवन बीमा भी स्वत: ही हो जाता है। आने वाले दिनों में केंद्र सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ रजिस्ट्रेशन करवाने वाले श्रमिकों मिलेगा। इसके माध्यम से श्रमिकों को कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी। उन्होंने माना कि संगठित क्षेत्र के श्रमिक तो अपना अधिकार प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन असंगठित क्षेत्र के श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं से वंचित हो जाते हैं। 

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Sunday 27 March 2022

तो क्या 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त अनाज की कीमत पर बढ़ाए जा रहे हैं पेट्रोल डीजल के दाम।अजमेर के मृतक हॉकर के परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से एक लाख रुपए की मदद।

पिछले छह दिनों में देश में पेट्रोल डीजल के दामों में चार रुपए प्रति लीटर तक की वृद्धि हुई है। माना जा रहा है कि यह वृद्धि 15 रुपए तक होगी। तेल की कीमतों में जब वृद्धि होती है तो केंद्र और राज्य दोनों को ही फायदा होता है। दोनों ने अपने अपने टैक्स लगा रखे है। कीमत बढ़ने से टैक्स की राशि भी अपने आप बढ़ जाती है। एक और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का तर्क देकर भारत में तेल के दाम लगातार बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें वोट की खातिर मुफ्त सामग्री देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। केंद्र सरकार ने 26 मार्च को ही घोषणा की है कि पांच किलो प्रति व्यक्ति अनाज देने की योजना को आगामी छह माह के लिए बढ़ाया जाता है। यानी देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को अब सितंबर माह तक पांच किलो अनाज मुफ्त में मिलेगा। स्वाभाविक है कि जब 20-25 रुपए किलो वाला अनाज 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में दिया जाएगा तो सरकार पर आर्थिक भार तो पड़ेगा ही। केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी मुफ्त की ऐसी घोषणाएं करती हैं। पंजाब में 18 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपए का भत्ता देने और 300 यूनिट तक बिजली फ्री देने की योजना लागू की गई है। इसी प्रकार राजस्थान में 50 यूनिट तक बिजली फ्री दी जाएगी। एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें वोट की खातिर मुफ्त योजनाओं को लागू कर रही हैं, तो दूसरी ओर तेल की कीमतों में वृद्धि कर देश में महंगाई को बढ़ाया जा रहा है। देश में तेल कीमतों में ही वृद्धि नहीं हो रही बल्कि एक अप्रैल से जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। इसी प्रकार टोल टैक्स भी 10 प्रतिशत बढ़ जाएगा। ऐसा लगता है कि सरकार एक ओर मुफ्त में सामग्री दे रही है तो दूसरी ओर टैक्स के जरिए वसूली हो रही है। देश के 80 करोड़ लोगों को प्रतिशत पांच किलो अनाज पिछले दो वर्ष से मुफ्त में दिया जा रहा है। सरकार एक ओर मुफ्त में अनाज दे रही है तो दूसरी ओर रसोई गैस का सिलेंडर एक हजार रुपए तक का हो गया है। अच्छा हो कि सरकार मध्यम वर्ग के लोगों के हितों का भी ख्याल करे, देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो धनाढ्य नहीं है और न ही उन्हें सरकार की किसी मुफ्त योजना का लाभ मिलता है। ऐसे लोग तब बहुत परेशान होते हैं, जब महंगाई बढ़ती है।
 
एक लाख की सहायता:
अजमेर के मृतक समाचार पत्र विक्रेता प्रेमप्रकाश के परिजन को मुख्यमंत्री सहायता कोष से एक लाख रुपए की मदद मिली है। इस मदद को दिलवाने में शहर कांग्रेस कमेटी के महासचिव शिव बंसल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बंसल ने ही विशेष प्रयास कर कांग्रेस के बड़े नेताओं के माध्यम से मुख्यमंत्री के समक्ष मृतक हॉकर के परिजन को आर्थिक मदद का प्रस्ताव भिजवाया। इस प्रस्ताव पर ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक लाख रुपए की सहायता स्वीकृत की। यह राशि अब तहसीलदार के माध्यम से मृतक हॉकर के परिजन को प्राप्त हो गई है। स्वर्गीय प्रेस प्रकाश के पुत्र हर्षवर्धन ने कांग्रेस के नेता शिव बंसल और सहयोग करने वाले सभी का आभार जताया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मृतक हॉकर के परिजन को सहायता राशि मिलने का सिलसिला जारी है। कुछ दिनों पहले ही शहीद भगत सिंह नौजवान सभा की ओर से 51 हजार रुपए का बैंक ड्राफ्ट दिया गया था। इस समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष काबरा ने भी 51 सौ रुपए की नगद राशि परिजन को दी। कांग्रेस नेता शिव बंसल ने कहा है कि उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला से भी परिजन को मदद दिलाई जाएगी। इस संबंध में और अधिक जानकारी लेने के लिए मोबाइल नंबर 9414002523 पर शिव बंसल से संपर्क किया जा सकता है। 

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अभिनेता अक्षय कुमार को अपनी फिल्म बच्चन पांडे के मिटने का गम नहीं, लेकिन फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर गर्व है।कश्मीर में मुसलमानों को हिन्दुओं ने नहीं, आतंकियों ने मारा-अनुपम खेर।

फिल्म बनाने और फिल्मों में अभिनय करने का नजरिया फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार जैसा होना चाहिए। जो फिल्म कार अपने नजरिए से फिल्में बनाते हैं, उन्हें अक्षय कुमार की देशभक्ति से सबक लेना चाहिए। अक्षय कुमार आज देश के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार हैं। फिल्म द कश्मीर फाइल्स रिलीज हुई, तब अक्षय कुमार की बच्चन पांडे फिल्म भी प्रदर्शित हुई। लेकिन कश्मीर फाइल्स के चलते बच्चन पांडे फिल्म मिट गई। यदि और कोई अभिनेता होता अपनी फिल्म के पिटने पर द कश्मीर फाइल्स को कोसता, लेकिन अक्षय ने एक सार्वजनिक समारोह में द कश्मीर फाइल्स की जमकर प्रशंसा की। अक्षय ने कहा कि जिस सच्चाई को वर्षों तक छिपा कर खा गया, उसे इस फिल्म ने उजागर किया है। अक्षय ने कहा कि उनकी बच्चन पांडे फिल्म के मिट जाने का उन्हें अफसोस नहीं है। उन्हें इस बात का संतोष है कि एक फिल्म के जरिए देशवासियों ने सच को जाना है। अक्षय कुमार के कथन से उन अभिनेताओं को सबक लेना चाहिए जो उल्टी कहानियों पर फिल्में बनाकर देशवासियों को गुमराह करते रहे।
 
आतंकियों ने मारा:
द कश्मीर फाइल्स फिल्म में अभिनय करने वाले सुप्रसिद्ध कलाकार अनुपम खेर ने अपने एक ताजा इंटरव्यू में कहा कि 90 के दशक में कश्मीर में मुसलमान भी मारे गए। लेकिन इन मुसलमानों को किसी हिन्दू ने नहीं मारा। मुस्लिम आतंकियों ने ही मुसलमानों को मारा। उन्होंने माना कि आतंकियों ने मुस्लिम परिवारों की लड़कियों के साथ जबरन निकाह किया। आतंकियों ने उन मुसलमानों को मारा जो सरकारी कार्मिक थे या फिर चोरी छीपे हिन्दुओं की मदद कर रहे थे। द कश्मीर फाइल्स फिल्म में आतंकियों की करतूतों को ही बताया गया है। आतंकियों के मन में हिन्दुओं के प्रति जो नफरत थी, उसे फिल्म में सबूतों के साथ बताया गया है। खेर ने कहा कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता है, इसे कश्मीरियों को भी समझना चाहिए। 

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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से मिलने में व्यस्त, इधर राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू की।6 अप्रैल तक 52 हजार बूथों पर 11 लाख पन्ना प्रमुख नियुक्त हो जाएंगे।

राजस्थान में भाजपा की कमान फिर से संभालने के लिए पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जहां राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात करने में व्यस्त है, वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। प्रदेश भर में 52 हजार मतदान केंद्र (बूथ) हैं। पूनिया की रणनीति है कि मतदान केंद्र वाली मतदाता सूची के एक पृष्ठ (पन्ना) पर एक कार्यकर्ता की नियुक्ति हो। एक पृष्ठ पर करीब 60 मतदाताओं के नाम होते हैं। पूनिया चाहते हैं कि भाजपा का एक पन्ना प्रमुख सिर्फ आठ मतदाताओं का ही ध्यान रखे। प्रदेशभर की मतदाता सूची के 11 लाख पृष्ठ माने जा रहे हैं, इसलिए 11 लाख भाजपा कार्यकर्ताओं को पन्ना प्रमुख नियुक्त किया जाएगा। पन्ना प्रमुख बनाने का अभियान 26 मार्च को सतीश पूनिया ने खुद श्रीगंगानगर से शुरू किया। जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने जिला कमेटियों पर पहुंच कर अभियान की शुरुआत की। पूनिया का प्रयास है कि 6 अप्रैल तक 11 लाख पन्ना प्रमुख बन जाएं। श्रीगंगानगर में पूनिया ने कहा कि भाजपा के यही 11 लाख कार्यकर्ता कांग्रेस की सरकार को हटाने का काम करेंगे। पूनिया ने कहा कि भाजपा संगठन और कार्यकर्ता आधारित पार्टी है।
 
वसुंधरा मुलाकातों में व्यस्त:
प्रदेश में जहां विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो गई है, वहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे गत 23 मार्च से ही भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात करने में व्यस्त है। वसुंधरा राजे चाहती हैं कि उन्हें फिर से भाजपा की कमान सौंपी जाए। 26 मार्च को राजे ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात में राजे ने राजस्थान में अपनी भूमिका के बारे में बताया। इससे पहले 24 अप्रैल को राजे ने संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आदि से मुलाकात की। राजे ने 23 और 25 मार्च को उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोहों में भी भाग लिया। इन दोनों शपथ ग्रहण समारोहों में भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ साथ वसुंधरा राजे को भी खासतौर से आमंत्रित किया गया था। राजे मौजूदा समय में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी है, लेकिन लंबे अर्से बाद राजे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय नजर आई है। प्रदेश में फिर से भाजपा की कमान संभालने के पीछे राजे का सबसे बड़ा तर्क यही है कि 2018 के चुनाव में प्रदेशभर में भाजपा को कांग्रेस से मात्र डेढ़ लाख वोट ही कम मिले थे। मालूम हो कि 2018 में वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं और राजे के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ा गया था। 

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अजमेर में इस बार नव संवत्सर पर अनेक कार्यक्रम होंगे। शहरवासियों की भागीदारी भी।50 से भी ज्यादा चौराहों को सजाया जाएगा। एक अप्रैल को रीजनल कॉलेज वाली चौपाटी पर भव्य विक्रम मेला भी लगेगा।

नव संवत्सर के अवसर पर इस बार अजमेर में 1 व 2 अप्रैल को भारतीय संस्कृति के अनुरूप अनेक कार्यक्रम होंगे। इन कार्यक्रमों में शहरवासी भी भूमिका निभाएंगे। सभी कार्यक्रम नव संवत्सर समारोह समिति और नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में होंगे। समिति के संरक्षण सुनील दत्त जैन और अध्यक्ष निरंजन शर्मा ने बताया कि कार्यक्रमों को सफल बनाने में 30 से भी ज्यादा धार्मिक सामाजिक, राजनीतिक सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका होगी। भारत की सनातन संस्कृति के अनुरूप 2 अप्रैल को नव वर्ष का पहला दिन है। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर रीजनल कॉलेज स्थित चौपाटी पर भव्य विक्रम मेले का आयोजन किया गया है। यह मेला सायं 6 बजे से शुरू होगा। उन्होंने बताया कि शहर के प्रमुख बैंड कंपनियों के बीच धुनों की प्रतियोगिता होगी। इस प्रतियोगिता में बैंड वादन से जुड़ी सात संस्थाएं भाग लेंगी। चौपाटी पर रंगोली, मांडना आदि की प्रतियोगिताएं भी रखी गई है। इसमें महिलाएं भी भाग ले सकेंगी। मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। सुप्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट अजय रावत द्वारा पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा भी बनाई जाएगी। स्मार्ट सिटी के इंजीनियर विभिन्न कार्यों के मॉडल प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने बताया कि नव संवत्सर के मौके पर भारत की सनातन संस्कृति की जानकारी देने के लिए इन दिनों विभिन्न स्तरों पर संगोष्ठियां भी आयोजित की जा रही है। ऐसी संगोष्ठियां चार अप्रैल तक चलेंगी। विक्रम मेले में बच्चों के लिए आकर्षक झूले लगाए जाएंगे और बच्चों को मिठाई भी वितरित की जाएगी। 2 अप्रैल को वर्ष के पहले दिन शहर के 50 से भी ज्यादा चौराहों को सजाया जाएगा। इन चौराहों से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति का तिलक लगाकर सम्मान किया जाएगा। इसके साथ ही सम्मानित व्यक्ति का मुंह मीठा भी करवाया जाएगा। 2 अप्रैल को ही संस्कार भारती संस्था के कार्यकर्ता पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के सामने बर्ड पार्क में सूर्य की पहली किरण का संगीत के साथ स्वागत करेंगे। जैन और शर्मा ने सभी शहरवासियों से नववर्ष के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने की अपील की है। नववर्ष के कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828171560 पर समिति के अध्यक्ष निरंजन शर्मा और 9511594284 पर सह मंत्री भूपेंद्र उबाना से ली जा सकती है। 

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पूर्व विधायकों को एक बार की ही पेंशन का निर्णय जनहित में, लेकिन पंजाब में चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की मदद क्यों?

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह निर्णय सही है कि पूर्व विधायकों को सिर्फ एक बार की ही पेंशन मिलेगी। पंजाब में पूर्व विधायक को प्रतिमाह 75 हजार रुपए पेंशन मिलती है। यदि कोई विधायक तीन बार जीता है तो उसे 2 लाख 25 हजार रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं, लेकिन सीएम मान का आदेश है कि यदि कोई चार बार का भी विधायक है तो एक बार की जीत के अनुरूप ही 75 हजार रुपए की ही पेंशन मिलेगी। मान का यह निर्णय वाकई जनहित में है। मान का यह तर्क भी सही है कि जब राजनीति में सेवा के लिए आते हैं तो फिर सरकारी कर्मचारी की तरह पेंशन क्यों लेते हैं। हो सकता है कि आगे चल कर एक बार की पेंशन को भी बंद कर दिया जाए। राजस्थान सहित देश के अधिकांश प्रदेश में जीत की संख्या के अनुरूप ही विधायकों को पेंशन मिल रही है। भगवंत मान ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले ही राजनेताओं की सुरक्षा भी समाप्त कर दी थी। इस निर्णय को भी जनहित में माना गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि भगवंत मान अपनी सरकार को आम आदमी की सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आप ने विधानसभा चुनाव में जो वादे किए उन्हें भी पूरा किया जाना चाहिए। 18 वर्ष से अधिक उम्र वाली हर महिला को एक हजार रुपए प्रतिमाह की आर्थिक मदद तथा 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की घोषणा करते वक्त आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने यह नहीं कहा था कि केंद्र सरकार से मदद मिलने पर इन घोषणाओं को पूरा किया जाएगा। चुनाव के दौरान केजरीवाल के ऐसे अनेक बयान है, जिनमें उनका कहना रहा कि आपने (पंजाब की जनता) अकाली दल और कांग्रेस को कई मौके दिए हैं। इन दोनों ही दलों की सरकारों ने पंजाब को लूटा है। इसलिए एक बार हमें वोट देकर पंजाब में आम की सरकार बनाएं। पंजाब की जनता ने केजरीवाल के कथनों पर विश्वास कर 117 में से 92 विधायक आप के बनवा दिए। यानी पंजाब की जनता ने अपना काम पूरा कर दिया। 24 मार्च को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात में मान ने पंजाब को एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की मांग की। मान ने पंजाब की आर्थिक स्थिति को बेहद खराब बताया। सवाल उठता है कि क्या केंद्र की एक लाख करोड़ रुपए मदद मिलने के बाद पंजाब की महिलाओं को एक हजार रुपए की सहायता मिलेगी? क्या 300 यूनिट तक फ्री बिजली भी केंद्रीय सहायता के बाद मिलेगी? यह माना कि हर प्रदेश को केंद्र की सहायता की जरूरत होगी है, लेकिन चुनावी घोषणाएं तो राजनीतिक दल को अपने दम पर ही पूरी करनी चाहिए। जब घोषणाएं की गई थी, तब भी पंजाब की आर्थिक स्थिति खराब थी। लेकिन फिर भी मुफ्त बिजली और महिलाओं को एक हजार रुपए प्रतिमाह देने जैसी बोझकारी घोषणाएं की गई। ऐसी घोषणाएं के कारण ही पंजाब की जनता ने केजरीवाल की सरकार बनवाई। अब बिना किसी बहानेबाजी के घोषणाओं को पूरा किया जाना चाहिए। चुनावी घोषणाओं को पूरा करने में खर्च की भरपाई केंद्र सरकार नहीं कर सकती है। 

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Friday 25 March 2022

राजस्थान के भाजपा सांसदों से मिलने से पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मिले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।राजे 23 मार्च को पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रही और अब 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में भी भाग लेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजस्थान के भाजपा सांसदों से 25 मार्च को सुबह मिलना निर्धारित है। हालांकि राज्यों के सांसदों के साथ प्रधानमंत्री अक्सर मुलाकात करते रहते हैं। लेकिन राजस्थान के सांसदों से मुलाकात करने से पहले 24 मार्च को प्रधानमंत्री ने संसद भवन परिसर में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे से मुलाकात की। राजनीतिक क्षेत्रों में इस मुलाकात को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। असल में पिछले तीन वर्षों से राजे प्रदेश के भाजपा नेतृत्व से खुश नहीं है, इसलिए वे समय समय पर अपना राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन करती रहती है। गत 8 मार्च को ही अपने जन्मदिन पर बूंदी में राजे ने केशोराय पाटन मंदिर में अपना जन्मदिन धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रदेश के कई सांसद और करीब चालीस विधायक उपस्थित रहे। राजे के शक्ति प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री से मुलाकात होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि मोदी और राजे के बीच प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा हुई है। पिछले दो तीन दिनों से राष्ट्रीय राजनीति में राजे की सक्रियता अचानक बढ़ गई है। 23 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में राजे भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों के साथ शामिल हुई। 25 मार्च को लखनऊ में होने वाले योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में भी राजे को आमंत्रित किया है। योगी के समारोह में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। जानकार सूत्रों के अनुसार 24 मार्च की मुलाकात का निर्णय 23 मार्च को उत्तराखंड में ही हुआ। मालूम हो कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बाद भी राजे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय नहीं देखी गई। राजे ने राष्ट्रीय नेतृत्व को पहले ही सूचित कर दिया कि उनकी रुचि राजस्थान में ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे की राजनीतिक सक्रियता राजस्थान में ही देखने को मिलेगी। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व चाहता है कि भाजपा के सभी नेता एकजुट होकर काम करे। भाजपा के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने प्रदेशभर में मंडल स्तर पर भाजपा को मजबूत करने का काम पूरी मेहनत के साथ किया है। कई मौकों पर राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन भी किए हैं। लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की वजह से संगठन में खींचतान की खबरें आती रही। हालांकि की दोनों ही पक्षों में खींचतान होने से इंकार किया। डॉ. पूनिया ने हर बार यही कहा कि वसुंधरा राजे पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-03-2022)
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ममता बनर्जी के लिए आठ लोगों की हत्या का मामला एक छींक के समान है।राज्यपाल की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति क्यों नहीं लगाती?बीर भूमि की हिंसा में सोना शेख के परिवार के आठ सदस्यों को जिंदा जलाया गया।

इस बार पश्चिम बंगाल की हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अथवा भाजपा के किसी कार्यकर्ता की हत्या नहीं हुई है, बल्कि सोना शेख के मुस्लिम परिवार के आठ सदस्यों की हत्या की गई। जानकारों की मानें सत्तारूढ़ टीएमसी नेता भादू शेख के समर्थकों ने इस जघन्य कांड को अंजाम दिया। भादू शेख के समर्थकों ने पहले घरों पर बम फेंके और फिर घरों को आग लगा दी। इसमें आठ व्यक्ति जिंदा जल गए। गंभीर बात यह है कि सोना शेख परिवार के आठ सदस्यों की हत्या की तुलना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक छींक से की है। असल में बीर भूमि जिले के रामपुर हाट में हुई इस हिंसा की जांच की मांग सीबीआई से कराने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका पर कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि यदि छींक भी आती है तो लोग कोर्ट पहुंच जाते हैं। यानी 8 लोगों की हत्या की तुलना एक छींक से की जा रही है। ममता बनर्जी के पहले के कार्यकाल में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या लगातार होती रही। लेकिन इन हत्याओं को ममता ने गंभीरता के साथ नहीं लिया। यदि संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या के समय गुंडा तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होती तो आज सोना शेख के परिवार के आठ सदस्यों की हत्या नहीं होती। ममता बनर्जी को यह समझना चाहिए कि गुंंडा तत्वों की कोई जात और पार्टी नहीं होती है। यदि राजनीति में अपराधी तत्वों का समावेश किया गया तो फिर एक दिन वे अपने संरक्षकों पर ही हमला करते हैं। ममता बनर्जी को अपराधी तत्वों के खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। आज पश्चिम बंगाल का माहौल डरा हुआ है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने में झिझक रहे हैं। अपराधी तत्वों के हौसले बुलंद हैं।
 
राज्यपाल की रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं?:
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ प्रदेश के हालातों से लगातार केंद्र सरकार को अवगत करा रहे हैं। बीर भूमि की हिंसा के मामले में भी राज्यपाल का कहना है कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पूरी तरह विफल है। बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि जंगल राज है। मैं मूक दर्शक नहीं रह सकता। मैं अपनी भावनाओं से केंद्र सरकार को लगातार अवगत करा रहा हंू। कई मौकों पर राज्यपाल ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह भी मानते हैं कि पश्चिम बंगाल के हालात खराब है, लेकिन केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के अनुरूप पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं कर रही है। अब समय आ गया है कि जब ममता सरकार को बर्खास्त कर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। 

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आजादी के बाद स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास यदि इतिहासकार आरसी मजूमदार की पहल वाला लिख दिया जाता तो आज देश की सूरत अलग होती।लेखक और इतिहासकार हनुमान सिंह राठौड़ ने अजमेर के प्रबुद्ध नागरिकों को इतिहास के तथ्यों से अवगत कराया।उत्साह से याद किया भगत सिंह को।

23 मार्च को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर नगर निगम और विद्धत परिषद विद्या भारती संस्थान की ओर से प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता महापौर श्रीमती ब्रज लता हाड़ा ने की। जबकि लेखक, विचारक और इतिहासकार हनुमान सिंह राठौड़ ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपना संबोधन दिया। राठौड़ ने बताया कि 1947 में आजादी के बाद जयपुर में इंडियन हिस्टोरिकल कौंसिल की एक बैठक हुई। इस बैठक में स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को लिखने का निर्णय लिया गया। इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री .... आजाद को पत्र लिखे गए। पहले तो इतिहासकारों की इस पहल पर शिक्षा मंत्री आजाद ने कोई रुचि नहीं दिखाई, लेकिन जब राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का दबाव हुआ तो इतिहासकारों से कहा गया कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े सभी दस्तावेज एकत्रित किए जाए। इन दस्तावेजों को एकत्रित करने में उस समय इतिहासकार आरसी मजूमदार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मजूमदार ने जो आधारभूत सामग्री एकत्रित की वह हकीकत में आंदोलन की सही भूमिका को चरितार्थ कर रही थी। इस आधारभूत सामग्री में सरदार भगत सिंह से लेकर सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों की भूमिका प्रभावी तरीके से सामने आई। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि इतिहासकार आरसी मजूमदार की आधारभूत सामग्री के बजाए डॉ. ताराचंद द्वारा जुटाई गई सामग्री पर उन लेखकों से इतिहास लिखवाया गया जो वामपंथी और कांग्रेस विचारधारा के थे। आज भी एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में देश के युवाओं को वो ही इतिहास पढ़ाया जाता है। यही वजह है कि देश के सामने स्वतंत्रता आंदोलन का सही स्वरूप नहीं आ सका। यदि आरसी मजूमदार द्वारा जुटाई गई आधारभूत सामग्री पर स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लिखा जाता तो देश के युवाओं में एक नई ऊर्जा का संचार होता। उन्होंने माना कि देश के युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन की सच्चाई को समझना चाहिए। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद जैसे युवाओं के किस प्रकार अपना बलिदान देकर देश को आजादी दिलवाई है। राठौड़ ने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए इंग्लैंड की यात्रा की और तब उन्होंने कहा कि भारत को प्रशासन करना अंग्रेजों ने ही सिखाया, जबकि हमारे यहां वो अंग्रेजों से पहले कौटिल्य, चंद्रगुप्त के शानदार शासन रहे हैं। अंग्रेजों ने तो अपने साम्राज्य को बनाने के लिए अपने नजरिए से दुनिया पर राज किया। जागीरदारी परंपरा भी अंग्रेजों की है। अंग्रेजों के शासन से पहले दुनिया में भारत का राजस्व 23 प्रतिशत था। जबकि अंग्रेजों ने हमारे राजस्व को तीन प्रतिशत कर दिया। भारत को कृषि प्रधान देश कह कर पीछे धकेला गया। अंग्रेजों के आने से पहले भारत उद्योग प्रधान देश था। भारत में बने कपड़े और अन्य वस्तुएं विदेशों में भेजी जाती थी, लेकिन अंग्रेजों ने उद्योग प्रधान देश को कृषि प्रधान देना बना दिया। अंग्रेजों ने अपने शासन में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी नुकसान किया। फूट डालो और राज करो की नीति पर चलकर अंग्रेजों ने भारत पर 200 वर्षों तक राज कर लिया। देश के नागरिकों को अंग्रेजों की शासन व्यवस्था की हकीकत को भी जानना चाहिए। आज हमारे देश में अंग्रेजी प्रमुख भाषा हो गई है। अंग्रेजी के जानकार को ही समझदार और पढ़ा लिखा समझा जाता है। राठौड़ ने सवाल उठाया कि क्या राजस्थानी भाषा बोलने वाला अक्लमंद नहीं होता? राजस्थान के दूरदराज के गांवों में पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए एक ग्रामीण भी बरसात का पानी वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करता है। यह बात अलग है कि अब उन परंपराओं को कमजोर किया जा रहा है। सम्मेलन में कृषि विश्वविद्यालय के बीकानेर के पूर्व कुलपति बीएल छीपा, पूर्व एडिशनल चीफ इंजीनियर बीके शर्मा भी उपस्थित रहे। सम्मेलन में जवाहर रंगमंच खचाखच भरा हुआ था। कार्यक्रम का संचालन भूपेंद्र उबाना ने किया।
 
उत्साह से याद किया भगत सिंह को:
23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस पर अजमेर की भगत सिंह नौजवान सभा की ओर से कोटड़ा स्थित बीके कौल नगर के शहीद भगत सिंह पार्क में एक समारोह हुआ। इस समारोह में शहीदों को उत्साह के साथ याद किया गया। कलाकारों ने देशभक्ति के गीत सुनाए समारोह में लोगों ने उत्साह के साथ तिरंगे झंडे भी लहराए। समारोह में शहीद भगत सिंह नौजवान सभा की ओर से समाचार पत्र विक्रेता स्वर्गीय प्रेम प्रकाश की पत्नी को 51 हजार रुपए का बैंक ड्राफ्ट भी दिया गया। समारोह में उपस्थित आईपीएस विकास सांगवान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी, डीएसपी प्रियंका रघुवंशी और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुभाष काबरा ने नौजवान सभा की इस पहल का स्वागत किया। इस अवसर पर काबरा ने भी अपनी ओर से 51 सौ की नकद राशि देकर स्वर्गीय प्रेम प्रकाश के परिवार की सहायता की। इस अवसर पर समाचार पत्र विक्रेताओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। नौजवान सभा के प्रतिनिधि विजय तत्ववेदी ने बताया कि उनकी संस्था समय समय पर सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्य कर करती है। 

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Wednesday 23 March 2022

किशनगढ़ रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को एस्केलेटर की सुविधा मिलेगी, लोकसभा में मंत्री का वायदा।नागौर के निजी वाहन मालिकों का बकाया भुगतान के लिए सांसद भागीरथ चौधरी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा।

अजमेर जिले के किशनगढ़ रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए एस्केलेटर मशीन नहीं होने का मामला सांसद भागीरथ चौधरी ने 23 मार्च को लोकसभा में उठाया। चौधरी का कहना रहा कि किशनगढ़ देश की प्रमुख मार्बल मंडी है। ऐसे में देशभर से लोग किशनगढ़ आते हैं। एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए एस्केलेटर नहीं होने की वजह से यात्रियों को परेशानी होती है। इस पर रेल राज्यमंत्री ने कहा कि नियमों के मुताबिक जिन रेलवे स्टेशनों पर प्रतिदिन 25 हजार यात्रियों का आवागमन होता है, वहीं पर एस्केलेटर मशीन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। लेकिन सांसद भागीरथ चौधरी के विशेष आग्रह पर किशनगढ़ के रेलवे स्टेशन पर एस्केलेटर की सुविधा जल्द ही उपलब्ध करवा दी जाएगी। चौधरी ने इसके लिए सदन में खड़े होकर रेल मंत्री का आभार प्रकट किया।

बकाया भुगतान के लिए पत्र:
अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने राज्य के मुख्य सचिव उषा शर्मा को एक पत्र लिखकर नागौर के निजी वाहन मालिकों का बकाया 40 लाख रुपए का भुगतान जल्द करवाने का आग्रह किया है। पत्र में बताया गया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान नागौर प्रशासन ने निजी वाहनों का अधिग्रहण किया था। ताकि संक्रमित व्यक्तियों को जल्द से जल्द अस्पताल लाया जा सके और इन्हीं निजी वाहनों में प्रशासन के अन्य कार्य भी संपन्न करवाए गए। लेकिन ऐसे वाहन मालिकों को अभी तक भी 40 लाख रुपए का बकाया भुगतान नहीं किया गया है। सांसद चौधरी ने वाहन मालिको की परेशानियों को देखते हुए जल्द से जल्द भुगतान करने का आग्रह किया है। 

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अजमेर शहर में प्रतिमाह 50 यूनिट बिजली खर्च करने वाले 35 हजार उपभोक्ता हैं।बिजली का बिल माफ करने के लिए टाटा पावर ने सरकार को व्यवहारिक कठिनाइयों से अवगत करवाया।प्रदेश में अजमेर के साथ साथ बीकानेर, कोटा और भरतपुर में बिजली वितरण का काम निजी कंपनियों के पास हैं।

अजमेर शहर में ऐसे 35 हजार परिवार हैं जिनका प्रतिमाह विद्युत खर्च 50 यूनिट तक है। अब ऐसे 35 हजार परिवारों का संपूर्ण बिजली का बिल माफ हो जाएगा। अजमेर विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक एनएस निर्वाण ने बताया कि सरकार ने जो घोषणा की है, उसका लाभ अजमेर शहर के उपभोक्ताओं को भी मिलेगा। अजमेर में विद्युत वितरण का कार्य निजी क्षेत्र की टाटा पावर कंपनी कर रही है। अजमेर के साथ साथ भरतपुर, बीकानेर और कोटा में भी बिजली वितरण का काम निजी कंपनियों के हाथों में है। वहीं अजमेर स्थित टाटा पावर के सीईओ शिवप्रसाद जोशी ने माना कि कंपनी को भी 50 यूनिट तक के उपभोक्ताओं को बिजली का बिल माफ करना पड़ेगा। लेकिन इसमें जो व्यावहारिक कठिनाइयां आ रही है, उसके संबंध में सरकार को अवगत कराया गया है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगामी एक अप्रैल से 50 यूनिट वाले उपभोक्ताओं का संपूर्ण बिल माफ करने और अन्य उपभोक्ताओं के बिल पर सब्सिडी देने की घोषणा की है। सरकार ने 50 यूनिट वाले उपभोक्ताओं से फिक्स चार्ज इलेक्ट्रिकसिटी ड्यूटी अरबन सेस नहीं लेने का भी निर्णय लिया है। ऐसे में टाटा पावर जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी 50 यूनिट वाले उपभोक्ताओं से कोई राशि नहीं लेनी होगी। निजी कंपनियां चाहती है कि बिजली खर्च के साथ साथ बिजली वितरण में होने वाले खर्च का वहन भी राज्य सरकार करे। सरकार को सामाजिक सरोकारों से जुड़ी होती है, जबकि निजी क्षेत्र की कंपनियां ऐसी समाजसेवा नहीं कर सकती है। देखना होगा कि सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए जो घोषणाएं की है इनकी क्रियान्विति अजमेर, बीकानेर, कोटा और भरतपुर में निजी क्षेत्र की कंपनियां किस प्रकार से करती है। 

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6 करोड़ 80 लाख रुपए की धोखाधड़ी की एफआईआर में वैभव गहलोत का नाम गलती से लिखवाया।नाम डिलीट करने के लिए शिकायतकर्ता का नासिक पुलिस से आग्रह।शिकायतकर्ता पर दबाव-कटारिया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के परिवार को बड़ी राहत मिली है। विगत दिनों महाराष्ट्र नासिक के कारोबारी सुशील पाटिल ने गंगापुर थाने में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस एफआईआर में आरोप लगाया कि गुजरात कांग्रेस के सचिव सचिन बालेरा ने धोखा देकर 6 करोड़ 80 लाख रुपए की राशि ले ली। बालेरा ने यह राशि विभिन्न बैंक खातों से ली। पाटिल ने बालेरा के साथ 14 अन्य व्यक्तियों के नाम भी एफआईआर में लिखे। इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत का नाम भी शामिल था। हालांकि एफआईआर में वैभव गहलोत को पैसे देने के कोई सबूत नहीं बताए गए, लेकिन शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि आरोपी सचिन बालेरा के गहलोत परिवार से पारिवारिक संबंध है। ऐसे संबंधों को देखते हुए उन्होंने बालेरा को 6 करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान समय समय पर किया। लेकिन अब शिकायतकर्ता पाटिल ने पुलिस से आग्रह किया है कि वैभव गहलोत का नाम एफआईआर में से डिलीट कर दिया जाए। उन्होंने गलतफहमी की वजह से वैभव गहलोत का नाम लिखवा दिया था। उल्लेखनीय है कि एफआईआर के बाद विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। भाजपा के नेताओं ने इस मामले में मुख्यमंत्री गहलोत से स्पष्टीकरण देने की मांग की थी। लेकिन गहलोत ने इस पूरे प्रकरण पर कोई टिप्पणी नहीं की। अलबत्ता वैभव गहलोत का कहना रहा कि यह सब राजनीतिक कारणों से हो रहा है। चूंकि चुनाव आने वाले है इसलिए ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। अब जब शिकायतकर्ता ने वैभव गहलोत का नाम हटाने के लिए पुलिस से आग्रह किया है, तब गहलोत परिवार को बड़ी राहत मिली है। इस बीच सोशल मीडिया पर ऐसे फोटो वायरल हो रहे हैं, जिनमें मुख्य आरोपी सचिन बालेरा सीएम अशोक गहलोत के परिवार के साथ खड़े हैं। वायरल होने वाले फोटो से प्रतीत होता है कि गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सचिन बालेरा के साथ गहलोत परिवार से अच्छे संबंध रहे हैं। यहां यह भी उल्लेख है कि महाराष्ट्र के पर्यटन विकास निगम में ई-टॉयलेट बनाने के नाम पर बालेरा ने सुशील पाटिल से राशि प्राप्त की थी।
 
शिकायतकर्ता पर दबाव :
राजस्थान में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता सुशील पाटिल पर दबाव है। इसलिए पाटिल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का नाम हटाने के लिए पुलिस से आग्रह किया है। कटारिया ने कहा कि सुशील पाटिल अब कह रहे हैं कि गलती से नाम लिखा गया। जबकि सच्चाई यह है कि पाटिल ने अदालत में जो इस्तगासा प्रस्तुत किया उसमें वैभव गहलोत का नाम भी लिखा है। कटारिया ने कहा कि निसंदेह सुशील पाटिल पर राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकार का दबाव है। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार कांग्रेस के समर्थन से ही चल रही है। 

गहलोत साहब! गुरुकुल यूनिवर्सिटी की तरह ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार का हाल है।यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े की पोल खोलने के मामले में विपक्ष से ज्यादा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की भूमिका।यूनिवर्सिटी का मालिक रिटायर्ड आरएएस नारयणलाल का पुत्र रणजीत चौधरी है।तो क्या फर्जीवाड़ा डोटासरा के संज्ञान में नहीं था?


22 मार्च को राजस्थान विधानसभा में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चारों खाने चित मिली। ऐसा लगा कि सरकार सिर्फ हवा में चल रही है। सरकार ने जिन परिस्थितियों में अपना ही विधेयक वापस लिया ऐसा कभी नहीं हुआ। राजस्थान में सीकर में गुरुकुल यूनिवर्सिटी के लिए विधेयक लाया गया, लेकिन मंजूरी मिलती, इससे पहले ही प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने गुरुकुल यूनिवर्सिटी की पोल खोल दी। राठौड़ ने कहा कि जिस 25 हजार वर्ग गज भूमि पर 67 कमरे, खेल मैदान पुस्तकालय सहित अन्य सुविधाएं बताई गई हैं, वहां एक ईंट भी नहीं लगी है। जमीन भी उबड़ खाबड़ है। जब यूनिवर्सिटी का कोई वजूद ही नहीं है तो सरकार मान्यता कैसे दे सकती है। उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव कोई सफाई देते, इससे पहले ही विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधेयक को वापस लेने का सुझाव सरकार को दे दिया। असल में सदन में मामले को उठाने से पहले प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने सीपी जोशी से उनके कक्ष में मुलाकात की और गुरुकुल यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े से अवगत कराया। जोशी ने राठौड़ के दस्तावेजों की पुष्टि के लिए सीकर के कलेक्टर को तत्काल मौके पर भेजा। कलेक्टर की रिपोर्ट में भी राठौड़ के दस्तावेज सही पाए गए। यानी मौके पर यूनिवर्सिटी की एक ईंट भी नहीं मिली। सब जानते हैं कि सीपी जोशी सख्त मिजाज वाले विधानसभा अध्यक्ष है। भले ही वे कांग्रेस की विचारधारा के हों, लेकिन सरकार के गलत कार्यों की हमेशा निंदा करते हैं। गुरुकुल यूनिवर्सिटी के मामले में भी जोशी का ऐसा ही रुख रहा। जोशी के रुख की प्रशंसा राजेंद्र राठौड़ ने भी की है। सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस सरकार में यह क्या हो रहा है? यदि भौतिक रिपोर्ट भी फर्जी तैयार हो रही है तो सरकार की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। जिस तरह गुरुकुल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट हवा हवाई निकली, उसी प्रकार अशोक गहलोत की सरकार की स्थिति भी हवा हवाई ही है। जो लोग प्रतिदिन मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर पहुंच कर जय कारे कर रहे हैं, वे सिर्फ अपना मकसद पूरा कर रहे हैं। गहलोत को चाहिए कि सीएमआर से चाटुकारों को हटाकर जमीनी हकीकत का पता करें। यदि विधानसभा में इस तरह फर्जीवाड़ा होगा तो फिर सरकारी दफ्तरों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
अमरीका सिंह की भूमिका पर सवाल:
गुरुकुल यूनिवर्सिटी की भौतिक रिपोर्ट उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी के कुलपति अमरीका सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने तैयार की। इस कमेटी का गठन मौजूदा ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने उच्च शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए गत वर्ष की थी। सवाल उठता है कि राजस्थान की भौगोलिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्र की जानकारी रखने वाले किसी कुलपति की अध्यक्षता में कमेटी क्यों नहीं बनाई? क्यों यूपी से आए अमरीका सिंह को अध्यक्ष बनाया गया? मुख्यमंत्री गहलोत कमेटी गठन की भी जांच करवाएंगे तो बड़ा भ्रष्टाचार सामने आएगा। वैसे तो रिपोर्ट के फर्जी निकलने के बाद कमेटी के अध्यक्ष और सभी सदस्यों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। कम से कम अमरीका सिंह को कुलपति के पद से तो हटा ही देना चाहिए। जानकारों की माने तो राज्यपाल कलराज मिश्र को खुश रखने के लिए सीएम गहलोत ने उत्तर प्रदेश के शिक्षाविद् अमरीका सिंह को सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया है। जबकि अमरीका सिंह कुलपति बनने की पात्रता भी नहीं रखते हैं। जानकारों की मानें तो प्रदेश के 27 विधायकों ने अमरीका सिंह को हटाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं।
 
रिटायर आरएएस का पुत्र:
प्राप्त जानकारी के अनुसार शेखावाटी शिक्षण संस्थान के माध्यम से रिटायर आरएएस अधिकारी नारायण लाल चौधरी का परिवार सीकर में सक्रिय हैं। इस सोसायटी के अंतर्गत ही गुरुकुल शिक्षण संस्थान ट्रस्ट के जरिए सीकर में गुरुकुल यूनिवर्सिटी खोला जाना प्रस्तावित है। सभी शिक्षण संस्थाओं की मुखिया चौधरी के पुत्र रणजीत चौधरी है। चौधरी परिवार का सभी राजनीतिक दलों के संबंध है। जब भाजपा का शासन होता है तो इनके संस्थानों में भाजपा के नेताओं को आमंत्रित किया जाता है और जब कांग्रेस का शासन होता है तो कांग्रेस के नेता आमंत्रित होते हैं। मौजूदा समय में भी एक इंजीनियर कॉलेज सहित कई शिक्षण संस्थान संचालित हैं।
 
डोटासरा अज्ञान?:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सीकर के हैं। सीकर के एक एक शिक्षण संस्थान के बारे में डोटासरा को अच्छी तरह पता है। सवाल उठता है कि क्या गुरुकुल शिक्षण संस्थान की फर्जी रिपोर्ट के बारे में डोटासरा को जानकारी नहीं थी? इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी खुलने जा रही हो और डोटासरा को पता न हो ऐसा हो नहीं सकता। 

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Monday 21 March 2022

22 मार्च को राजस्थान भर के सरपंच जयपुर में विधानसभा का घेराव करेंगे।पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के घर के बाहर धरने पर बैठे बेरोजगार युवाओं को पुलिस ने खदेड़ा।

22 मार्च को राजस्थान भर के सरपंच जयपुर में विधानसभा का घेराव करेंगे। इसके लिए जिला सरपंच संघों के माध्यम से जिला स्तर पर बैठक हो चुकी हैं। राजस्थान सरपंच संघ के संरक्षक महेंद्र सिंह मझेवला ने बताया कि सरपंचों की समस्याओं की ओर कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान आकर्षित किया गया, लेकिन आज तक भी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि में लगातार कटौती की जा रही है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। मनरेगा में पिछले डेढ़ वर्ष से सामग्री के पेटे मिलने वाली राज्य सरकार की राशि नहीं मिली है। इससे भी ग्रामीण क्षेत्रों के कामकाज प्रभावित होते हैं। मझेवला ने बताया कि मनरेगा में लेबर का भुगतान पूरी तरह केंद्र सरकार करती है। लेकिन सामग्री में 60 और 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। राज्य सरकार अपने हिस्से की चालीस प्रतिशत की हिस्से की राशि का भुगतान नहीं कर रही है। गांव ढाणी में रहने वाले किसान के लिए बिजली कनेक्शन, पक्की सड़क जैसी सुविधाएं भी नहीं है। मजबूरन फ्लोराइड वाला पानी पीना पड़ रहा है। विधानसभा में विधायकों के वेतन और भत्ते तो बढ़ा लिए जाते हैं, लेकिन सरपंच को आज भी चार हजार रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जाता है। 13 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर ही 22 मार्च को प्रदेशभर के सरपंच विधानसभा का घेराव करेंगे। मझेवला ने बताया कि प्रदेश में 13 हजार सरपंच हैं, इनमें से 10 हजार से भी ज्यादा सरपंच जयपुर पहुंच रहे हैं। मझेवला ने कहा कि यदि सरकार ने सुनवाई नहीं की तो सरपंचों का धरना प्रदर्शन बेमियादी भी हो सकता है। सरपंचों के प्रदर्शन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829736235 पर महेंद्र सिंह मझेवला से ली जा सकती है।
 
बेरोजगार युवाओं को खदेड़ा:
21 मार्च को जयपुर में राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के घर के बाहर धरने पर बैठे बेरोजगार युवाओं को पुलिस ने खदेड़ दिया। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव सहित कई धरनार्थियों को हिरासत में ले लिया गया। यादव ने पुलिस के इस कृत्य की निंदा करते हुए बताया कि 4 दिसंबर 2021 को लखनऊ में धर्मेन्द्र राठौड़ की मध्यस्थता में ही बेरोजगारों के साथ समझौता हुआ था। बाद में इस समझौते पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी सहमति प्रकट की, लेकिन साढ़े तीन माह गुजर जाने के बाद भी समझौते की क्रियान्विति नहीं हुई इसलिए 21 मार्च को धर्मेन्द्र राठौड़ के घर के बाहर धरना दिया गया। लेकिन पुलिस ने सरकार के इशारे पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। बेरोजगारों की मांग को लेकर लगातार प्रदेश में आंदोलन चल रहा है, लेकिन सरकार कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रही है, जिसकी वजह से हजारों बेरोजगार सरकारी नौकरियां पाने से वंचित हैं। सरकार के अनिर्णय की वजह से ही अनेक भर्तियां रुकी हुई है। 

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राजस्थान में इस बार राज्यसभा का चुनाव रोचक होगा। चार में दो पर कांग्रेस और एक पर भाजपा की जीत तय, लेकिन चौथी सीट के लिए 13 निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों की बल्ले बल्ले।ओम प्रकाश माथुर, जेके अल्फोंस, राजकुमार वर्मा तथा हर्षवर्धन डूंगरपुर सभी भाजपा का कार्यकाल जुलाई में समाप्त।भाजपा क्या ओंकार सिंह लखावत को उम्मीदवार बनाएगी?वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल की भी नजर। पूर्व सांसद बद्री जाखड़ के लिए खून से लिखा पत्र।

राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए जुलाई में चुनाव होने हैं। 6 साल पहले 200 में से भाजपा के 162 विधायक थे, इसलिए भाजपा उम्मीदवार ओम प्रकाश माथुर, जेके अल्फोंस, राजकुमार वर्मा तथा हर्षवर्धन डूंगरपुर का निर्विरोध चुनाव हो गया। भाजपा के पास मात्र 21 विधायक थे, इसलिए कांग्रेस ने उम्मीदवार खड़ा करने की हिम्मत ही नहीं दिखाई, लेकिन इस बार कांग्रेस के 108 विधायक अपने हैं, इसलिए कांग्रेस के दो उम्मीदवारों की जीत तय है। एक उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 42 वोट चाहिए। भाजपा के 70 विधायक हैं, इसलिए एक उम्मीदवार आसानी से भाजपा का भी जीत जाएगा। चौथी सीट के लिए राजनीतिक घमासान तय है। हालांकि 13 निर्दलीय,दो बीटीपी, एक कम्युनिस्ट, एक आरएलडी विधायक अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन ऐसे विधायकों की ख्वाहिश है कि चौथे उम्मीदवार के तौर पर कोई बड़ा उद्योगपति आ जाए। निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों के वोट कैसे प्राप्त किए जाते हैं। यह उद्योगपति को पता होता है। हालांकि चौथे उम्मीदवार की जीत में भाजपा के शेष 20-30 विधायकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जानकारों की मानें तो चौथे उम्मीदवार की जीत के लिए सीएम गहलोत सक्रिय नहीं होंगे। उन्होंने निर्दलीय विधायकों का मूड भांप लिया है। एक भी निर्दलीय विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। हालांकि निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को सलाहकार बनाया गया है, लेकिन संयम लोढ़ा विधानसभा में ही गहलोत सरकार की आलोचना करते हैं। निर्दलीय विधायक भी नहीं चाहते हैं कि चौथे उम्मीदवार में सीएम गहलोत की कोई भूमिका हो। वैसे भी जुलाई 20 में सरकार बचाने वाले विधायकों को मुख्यमंत्री गहलोत ब्याज सहित भरपाई कर रहे हैं। चौथे उम्मीदवार पर रोचक स्थिति को देखते हुए कई उद्योगपतियों ने राजस्थान पर नजर लगा रखी है। इनमें वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल प्रमुख है। अग्रवाल ऐसे उद्योगपति हैं जिनके संबंध भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेताओं के साथ हैं। सीएम गहलोत के पास तो अग्रवाल की सीध एप्रोच है। अग्रवाल समय पर गहलोत से मिलते भी रहते हैं। चूंकि वेदांता समूह की खाने राजस्थान में सबसे ज्यादा है, इसलिए अनिल अग्रवाल की ओर से प्रदेश के अनेक विधायकों को होली, दीपावली के महंगे गिफ्ट भी भेजे जाते हैं। कई निर्दलीय विधायक भी सीधे अनिल अग्रवाल के संपर्क में है। अनिल अग्रवाल जैसे उद्योगपति के लिए चौथी सीट जीतना आसान होगा।
 
क्या लखावत को उम्मीदवार बनाया जाएगा?:
ओंकार सिंह लखावत राजस्थान में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। लखावत पूर्व में तीन वर्ष के लिए राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। गत वर्ष हुए तीन सीटों के चुनाव में भाजपा की ओर से चौथे उम्मीदवार के तौर पर लखावत को मैदान में उतारा गया था, हालांकि उम्मीदवारी के समय ही पता था कि लखावत चुनाव नहीं जीत पाएंगे। लेकिन लखावत ने पार्टी का आदेश मानते हुए नामांकन दाखिल किया। भाजपा के राजनीतिक गलियारों में अब यह सवाल है कि क्या लखावत को जीतने वाली एक सीट के लिए उम्मीदवार बनाया जाएगा? राजनीति में लखावत की छवि साफ सुथरी रही है। भाजपा के दो बार के कार्यकाल में राजस्थान धरोहर एवं संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए लखावत ने प्रदेश भर के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार किया। जिन ऐतिहासिक स्थलों की वर्षों से अनदेखी हो रही थी, उन्हें लखावत ने जीर्णोद्धार कर मुख्यधारा में लाए। धार्मिक स्थल के परिसरों में संग्रहालय भी बनाए गए ताकि संबंधित धार्मिक स्थल के इतिहास को हमेशा याद रखा जाए।
 
खून से पत्र लिखा:
पाली के पूर्व सांसद डॉ. बद्री जाखड़ को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने के लिए उनके समर्थक डॉ. यशपाल सिंह कुमावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खून से पत्र लिखा है। कुमावत का कहना है कि मौजूदा समय में कांग्रेस में बद्री जाखड़ ही राज्यसभा के लिए सबसे उपयुक्त नेता है। 

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यह सही है कि कश्मीर में मुसलमान भी मारे गए। लेकिन क्या मुसलमानों को हिन्दुओं ने मारा?हिन्दू तो अजमेर में ख्वाजा साहब की मजार पर सजदा करता है।

द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर इन दिनों टीवी चैनलों और मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर जबरदस्त बहस हो रही है। चैनलों के स्टूडियो में जब पीड़ित हिन्दू रोते हैं तो धर्मनिरपेक्षता और संविधान की दुहाई देने वालों का तर्क होता है कि कश्मीर में बड़ी संख्या में मुसलमान भी मारे गए हैं। इसलिए मुसलमानों के दर्द को भी बताया जाना चाहिए, लेकिन द कश्मीर फाइल्स फिल्में सिर्फ हिन्दुओं के दर्द को ही दिखाया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि कश्मीर की हिंसा में बड़ी संख्या में मुसलमान भी मारे गए हैं लेकिन सवाल उठता है कि क्या किसी हिन्दू या फिर हिन्दुओं के समूह ने किसी मुसलमान को मारा? क्या किसी मंदिर के माइक से मुसलमानों को कश्मीर छोड़ने की चेतावनी दी गई? क्या किसी मुसलमान परिवार के घर के बाहर कोई आदेश मौत का फरमान चस्पा किया गया? क्या किसी मुस्लिम महिला के साथ उसके परिवार के पुरुष सदस्यों के सामने कोई ज्यादती हुई? इन सब सवालों का जवाब न में ही मिलेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कश्मीर में मुसलमानों को किसने मारा? इसका जवाब धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ने वालों को पता है, लेकिन वो सच्चाई नहीं बोलते असल में कश्मीर से चार लाख हिन्दुओं को भगाने में पाकिस्तान से आए जिहादियों की भूमिका रही। जब जेहादी हिन्दुओं पर अत्याचार कर रहे थे, तब कश्मीर के मुसलमान चुपचाप तमाशा देखते रहे। किसी ने भी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं किया। जब जेहादियों ने कश्मीर से सभी हिन्दुओं को भगा दिया, तब जेहादियों ने कश्मीरी मुसलमानों को भी मारा। कश्मीर की आजादी का ख्वाब लेकर पाकिस्तान से जिहादियों ने अपने मकसद में कामयाबी के लिए कश्मीरी मुसलमानों को भी नहीं बख्शा। यदि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को नहीं हटाया जाता तो कश्मीर को जिहादियों के चंगुल से निकालना मुश्किल था। अब जब धीरे धीरे हिन्दुओं की वापसी हो रही है तो कश्मीर में मुसलमान भी सुकून के साथ रहने लगा है। कश्मीर के विकास में हिन्दुओं की हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज भी यदि कश्मीरी मुसलमान अपने हिंदू भाइयों का समर्थन करें तो कोई जेहादी जम्मू कश्मीर का अमन चैन नहीं छीन सकता है। द कश्मीर फाइल्स फिल्म को देखने के बाद धर्मनिरपेक्षता के चेहरे वाले लेखकों, बुद्धिजीवियों आदि को हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों का विरोध करना ही चाहिए। मौत किसी की ाी हो परिवार के लिए दुखदायी होती है। यदि 90 के दशक में हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों का विरोध किया जाता तो जिहादियों के हाथों कश्मीरी मुसलमान भी नहीं मारे जाते।
 
हिन्दू तो सजदा करता है:
जो लोग कश्मीर में हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों पर पर्दा डालना चाहते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि हिन्दू समुदाय तो अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में सूफी परंपरा के अनुरूप सजदा भी करता है। यह सजदा तब भी जारी था, जब 90 के दशक में कश्मीर में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे थे। धर्म निरपेक्षता के झंडाबरदारों को एक दिन अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर आकर बैठना चाहिए और जियारत करने वाले हिन्दू की संख्या का पता लगाना चाहिए। जो हिन्दू ख्वाजा साहब की मजार पर सजदा करता है वह किसी मुसलमान को कैसे मार सकता है? फिल्म में जो सच्चाई दिखाई गई है उसे धर्म निरपेक्षता का चोला ओढ़ने वालों को स्वीकार करना चाहिए। यदि हिन्दू और मुसलमान मिल कर रहेंगे, तभी यह देश बच सकता है। जिहाद के नाम पर हिंसा करने वाले लोग मुसलमानों को भी नहीं बख्शेंगे। देश के आम मुसलमान को कश्मीर की घटना से सबक लेना चाहिए। 

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Sunday 20 March 2022

यूक्रेन पॉप सिंगर नतालिया लॉरीन्स को सुनने के लिए पुष्कर में एक लाख युवा आए।इस बार कपड़ा फाड़ होली में नहीं फटे कपड़े। अजमेर पुलिस का माकूल बंदोबस्त।

रूस के हमलों से भले ही यूक्रेन तबाह हो रहा हो, लेकिन यूक्रेनी पॉप सिंगर नतालिया लॉरीन्स उर्फ उमा देवी ने 17 मार्च को होली के अवसर पर इंटरनेशनल टूरिस्ट प्लेस पुष्कर तीर्थ में अपनी आवाज और म्यूजिक का जादू बिखेरा। एक अनुमान के अनुसार यूक्रेनी कलाकार के लिए पुष्कर तीर्थ में कोई एक लाख युवा एकत्रित हुए। राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर से युवक युवतियां पुष्कर आए। उमा देवी की आवाज और म्यूजिक पर युवक युवतियां जमकर थिरके। यूक्रेन की पॉप सिंगर पर अपने देश की तबाही का कोई भाव नहीं था। भगवान शिव को आगे रख उमादेवी ने हिन्दी और अंग्रेजी का कॉकटेल परोसा। अगले दिन 18 मार्च को भी पुष्कर के वराह चौक में कपड़ा फाड़ होली का जश्न मनाया दो वर्ष पहले तक वराह चौक पर होली के हूड़दंग में अनेक युवक युवतियां के कुछ कपड़े उतार कर ऊपर बिजली के तारों पर फेंक दिए जाते थे। कई मौकों पर देशी विदेशी युवतियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं भी होती थी, लेकिन 18 मार्च को इस कपड़ा फाड़ होली में किसी के कपड़े नहीं फाड़े गए। अलबत्ता इस कार्यक्रम में भी भाग लेने के लिए एक लाख लोग पुष्कर में एकत्रित हुए। कोरोना के कारण गत दो वर्षों से पुष्कर में होली का जश्न नहीं मना। लेकिन इस बार युवाओं ने पिछले दो वर्षों की कसर निकाल ली। होली के आयोजनों से जुड़े रविकांत शर्मा का मानना है कि लोगों की भीड़ ने पुष्कर मेले की भीड़ को भी पीछे छोड़ दिया है। सेवन स्टार की सुविधा वाले रिसोर्ट से लेकर पुष्कर के गली मोहल्लों तक में चलने वाले गेस्ट हाउस 16 मार्च से ही फुल हो गए थे। तीन दिनों में चाट पकौड़ी के ठेले वालों ने भी 25 हजार रुपए तक की कमाई की है।
 
पुलिस का माकूल बंदोबस्त:
चूंकि पुष्कर में होली का उत्सव दो वर्ष बाद मनाया जा रहा था, इसलिए युवाओं में जबरदस्त उत्साह था। इस उत्साह को देखते हुए ही पुलिस ने भी माकूल इंतजाम किए। जिला पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने सभी इंतजामों की स्वयं निगरानी की। उन्होंने भीड़ की संख्या को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने के निर्देश भी दिए। पुलिस के थाना प्रभारी महावीर शर्मा ने बताया कि होली के विभिन्न कार्यक्रमों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। हालांकि सभी कार्यक्रमों में उत्साही युवाओं की जबरदस्त भीड़ थी। पुलिस का प्रयास रहा कि लोगों को सुगमता के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने दिया जाए। होली के जश्न में भी कोई अभद्रता न हो इसका भी विशेष ध्यान रखा गया।

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