Saturday 26 September 2015

आर.एन. अरविन्द के सफलता के 100 सूत्र

जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी
मैंने बहुत से आईएएस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को देखा है जो रिटायरमेन्ट के बाद या तो सुस्त हो जाते हैं या किसी कम्पनी में छोटी-मोटी नौकरी कर लेते हैं। ऐसे बहुत कम अधिकारी होते हैं जो रिटायरमेन्ट के बाद बिना स्वार्थ समाज की सेवा करे। ऐसे ही एक अधिकारी हैं आर.एन. अरविन्द। पांच जिलों के कलेक्टर और आखिर में राजस्थान राजस्व मंडल के सदस्य के पद से सेवानिवृत हुए अरविन्द ने रिटायरमेन्ट के बाद पांच पुस्तकें लिख दी हैं। उनकी ताजा पुस्तक सुख और सफलता के 100 सूत्र है। किताब का उद्देश्य उत्तर जीवन और सफलता की कला है। इस पुस्तक में अरविन्द ने देश-दुनिया के अनुभवी विद्वानों का जिक्र करते हुए बताया है कि जीवन में किस प्रकार सफलता हासिल की जा सकती है। सफलता ऐसी हो जो आपके मरने के बाद दूसरों के लिए प्रेरणा बने। यह पुस्तक गुरु गोविन्द सिंह जी के बलिदान को समर्पित करते हुए लिखी गई है। पुस्तक में सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद, उद्यम सिंह, अश्फाक उल्लाह खान के नाम का उल्लेख कर अरविन्द ने दर्शा दिया है कि यह पुस्तक देशभक्ति से ओत-प्रोत है। पुस्तक में अरविन्द ने खुद की सफलता का भी उल्लेख किया है। किस प्रकार झुंझुनूं जिले के गांव की सरकारी स्कूल में पढ़कर जयपुर तक आए और फिर आईएएस की परीक्षा में टॉप किया। प्रशासनिक कुशलता की वजह से ही अरविन्द का आईएएस में चयन हुआ। इसलिए इस पुस्तक में अरविन्द ने उन शिक्षकों के नाम का उल्लेख किया है जिन्होंने स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक अरविन्द की योग्यता निखारी।
वर्तमान सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में यह पुस्तक उन युवाओं के लिए खास महत्व रखती है जिन्हें बार-बार प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिलती। माना कि आरक्षण और सामाजिक व आर्थिक हालातों की वजह से स्वयं को स्थापित करने में अनेक कठिनाईयां हैं। लेकिन यदि लक्ष्य सामने रखकर निरन्तर प्रयास किए जाएं तो सफलता मिल ही जाती है। इस पुस्तक का प्रकाशन बीकानेर के सूर्य प्रकाशन मंदिर की ओर से किया गया है। अरविन्द इन दिनों जयपुर में सक्रिय हैं और उनके निवास का फोन नंबर 0141-2810071 व मोबाईल नंबर 9829361171 है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

कृषि मंत्री को नहीं खेतों की जानकारी

पुष्कर में करवाया वर्षा यज्ञ
राजस्थान और देश का किसान सरकार की नीतियों से पहले ही दुखी और बेहाल है, उस पर राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने जले पर नमक छिड़कने वाला कृत्य किया है। खेतों में जब मक्का, बाजरा, ग्वार, मूंग आदि की फसल पक कर तैयार है तब हमारे अज्ञानी कृषि मंत्री सैनी इंद्र देवता से बरसात की प्रार्थना कर रहे है। सैनी ने 25 सितम्बर को पुष्कर सरोवर के घाट पर वर्षा यज्ञ कराया। इस यज्ञ में सैनी और उनकी पत्नी साथ-साथ बैठे और आहुतियां देकर प्रार्थना की कि वर्षा हो जाए। वैसे तो इन्द्र देवता को भी पता है कि राजनेता अपने स्वार्थो की वजह से ही यज्ञ आदि कराते है इसलिए सैनी के यज्ञ के बाद भी वर्षा की कोई संभावना नहीं है लेकिन सैनी के कृषि के ज्ञान पर तरस आता है। सैनी भले ही कृषि मंत्री हो लेकिन उन्हें खेती के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। यदि खेती का ज्ञान होता तो सैनी पकी हुई फसल पर कभी बरसात नहीं करवाते। अफसोसजनक बात तो यह है कि सैनी कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच जाकर खेती के बारे में उपदेश देते है। जिस कृषि मंत्री को यहीं नही पता कि किसान को बरसात की कब आवश्यकता होती है, वह कृषि मंत्री किसानों का क्या भला करेगा? किसान ही नहीं एक सामान्य व्यक्ति भी अब ज्ञान रखता है कि मानसून से पहले वर्षा यज्ञ कराया जाता है ताकि अच्छी बरसात हो। प्रदेश के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मानसून के पहले प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों पर वर्षा यज्ञ करवाए थे। सावन माह के चारों सोमवारों को मुख्यमंत्री की ओर से हवन यज्ञ करवाए गए। सैनी को कम से कम मुख्यमंत्री के वर्षा यज्ञ की तो जानकारी होनी ही चाहिए थी।
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कृषि मंत्री को नहीं खेतों की जानकारी

पुष्कर में करवाया वर्षा यज्ञ
राजस्थान और देश का किसान सरकार की नीतियों से पहले ही दुखी और बेहाल है, उस पर राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने जले पर नमक छिड़कने वाला कृत्य किया है। खेतों में जब मक्का, बाजरा, ग्वार, मूंग आदि की फसल पक कर तैयार है तब हमारे अज्ञानी कृषि मंत्री सैनी इंद्र देवता से बरसात की प्रार्थना कर रहे है। सैनी ने 25 सितम्बर को पुष्कर सरोवर के घाट पर वर्षा यज्ञ कराया। इस यज्ञ में सैनी और उनकी पत्नी साथ-साथ बैठे और आहुतियां देकर प्रार्थना की कि वर्षा हो जाए। वैसे तो इन्द्र देवता को भी पता है कि राजनेता अपने स्वार्थो की वजह से ही यज्ञ आदि कराते है इसलिए सैनी के यज्ञ के बाद भी वर्षा की कोई संभावना नहीं है लेकिन सैनी के कृषि के ज्ञान पर तरस आता है। सैनी भले ही कृषि मंत्री हो लेकिन उन्हें खेती के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। यदि खेती का ज्ञान होता तो सैनी पकी हुई फसल पर कभी बरसात नहीं करवाते। अफसोसजनक बात तो यह है कि सैनी कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच जाकर खेती के बारे में उपदेश देते है। जिस कृषि मंत्री को यहीं नही पता कि किसान को बरसात की कब आवश्यकता होती है, वह कृषि मंत्री किसानों का क्या भला करेगा? किसान ही नहीं एक सामान्य व्यक्ति भी अब ज्ञान रखता है कि मानसून से पहले वर्षा यज्ञ कराया जाता है ताकि अच्छी बरसात हो। प्रदेश के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मानसून के पहले प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों पर वर्षा यज्ञ करवाए थे। सावन माह के चारों सोमवारों को मुख्यमंत्री की ओर से हवन यज्ञ करवाए गए। सैनी को कम से कम मुख्यमंत्री के वर्षा यज्ञ की तो जानकारी होनी ही चाहिए थी।
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आर.के. मार्बल की सामने आई 200 करोड़ की अघोषित आय

40 करोड़ के जेवरात व नकदी मिली
आर.के. मार्बल पर आयकर विभाग की छापामार कार्यवाही 26 सितम्बर को लगातार चौथे दिन भी जारी रही। हालांकि विभाग की ओर से अभी कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार 200 करोड़ की अघोषित आय। इसी प्रकार 20 करोड़ रुपए नकद व 20 करोड़ के जेवरात मिले हैं। यह पहली जानकारी है अघोषित आय और बढ़ सकती है। आयकर विभाग को हाई सिक्योरिटी वाले लॉकर्स मिले हैं। ऐसे लॉकर आर.के. मार्बल के मालिकों की उपस्थिति में ही खोले जाएंगे। आयकर विभाग ने छापामार कार्यवाही को जिस तरह गोपनीय बना रखा है उससे पता चलता है कि बड़ी मात्रा में अघोषित आय उजागर होगी। छापे से पहले ही विभाग ने आर.के. मार्बल की देश-विदेश की सम्पत्तियों की जानकारी एकत्रित कर ली थी। विभाग को पता चला कि आर.के. मार्बल के पास ऐसी सम्पत्तियां भी हैं जिसका विवरण आयकर विभाग को नहीं दिया गया है। पुख्ता जानकारी के बाद ही आयकर विभाग ने आर.के. मार्बल के दफ्तरों को छापामार कार्यवाही की।
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Friday 25 September 2015

कांग्रेस और पायलट ने आरके, श्री सीमेन्ट, लफार्ज और ईमामी कम्पनियों का नाम क्यों नहीं लिया

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिव पायलट ने 25 सितम्बर को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की। इस कांफ्रेंस में पायलट ने राजस्थान की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर जोरदार हमला बोला। पायलट ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की मनाही के बाद भी वसंधरा सरकार ने 600 से भी ज्यादा खानों का आवंटन कर दिया। यदि इन खानों की नीलामी होती तो राज्य सरकार को 45 हजार करोड़ रुपए की आय होती। पायलट ने कहा कि 1 लाख वर्ग भूमि खदान के लिए कोडिय़ों के भाव दे दी। पायलट और कांग्रेस ऐसे आरोप पहले भी लगा चुके हैं लेकिन हाल ही में खानों के आवंटन में जो भ्रष्टाचार हुआ तथा देश के मार्बल किंग आर.के. मार्बल पर आयकार विभाग की छापामार कार्यवाही हुई, उस परिपक्ष में पायलट ने एक बार फिर आरोपों को दोहराया है। पायलट का यह आरोप सही हो सकता है कि केन्द्र की मनाही के बाद भी वसुंधरा सरकार ने खानों का आवंटन कर दिया, लेकिन सवाल उठता है कि पायलट ने उन बड़ी सीमेन्ट कम्पनियों का नाम क्यों नहीं लिया, जिनसे मोटी रिश्वत लेने का संदेह है। सब जानते हैं कि गत जनवरी माह में आर.के. मार्बल की सहयोगी वंडर सीमेन्ट, ईमामी इंडिया लिमिटेड श्री सीमेन्ट और लर्फाज सीमेन्ट को कई सौ बीघा भूमि खनन के लिए आवंटित की गई। यदि पायलट में राजनैतिक ईमानदारी होती तो इन बड़ी सीमेन्ट कम्पनियों का नाम लेते। पूरा प्रदेश जानता है कि पायलट जब अजमेर के सांसद और केन्द्र में मंत्री थे तब आर.के. मार्बल और वंडर सीमेन्ट के मालिकों का कितना दोहन किया। पायलट जब कभी अजमेर आते तो आर.के. मार्बल की ओर से ही अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन दिए जाते थे। किशनगढ़ में भी इसलिए समारोह होते थे ताकि आर.के. मार्बल की दोस्ती पायलट के साथ दिखाई जाए। कौन नहीं जानता गत लोकसभा के चुनाव में अजमेर से सचिन पायलट को जिताने के लिए आर.के. मार्बल ने क्या नहीं किया? यह बात अजमेर के वर्तमान भाजपा सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट को भी पता है। यही वजह है कि मंत्री बनने के बाद जाट ने अभी तक भी आर.के. मार्बल की मेहमान नवाजी स्वीकार नहीं की है।
पायलट राजस्थान की भाजपा सरकार को तो भ्रष्टाचारी बता रहे हैं लेकिन उन कम्पनियों के नाम नहीं ले रहे, जिनको फायदा हुआ है। क्या पायलट वंडर सीमेन्ट और अन्य सीमेन्ट कम्पनियों से पुरानी दोस्ती निभा रहे हैं?
यदि सचिन पायलट स्वयं को ईमानदार साबित करना चाहते हैं तो उन्हें उन चारों सीमेन्ट कम्पनियों को कटघरे में खड़ा करना चाहिए, जिनको वसुंधरा सरकार ने लाभ पहुंचाया है।
पी.एम. मोदी पर हमला:
राजस्थान के खान घोटाले की आड़ में पायलट ने पी.एम. नरेन्द्र मोदी पर भी हमला बोला। पायलट ने कहा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मोदी ने कहा था कि न खाएंगे और न खाने देंगे। कोई भी प्राकृतिक संसाधन आवंटित नहीं होंगे, लेकिन मोदी की नाक के नीचे बैठकर वसुंधरा राजे ने 600 खानों का आवंटन कर दिया। यानि मोदी ने खाने की पूरी छूट दी और अब पी.एम. मोदी वसुंधरा राजे को संरक्षण दे रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजे के शासन में खानों की जो लूटखसोट हुई, उस पर केन्द्र सरकार को जवाब देना ही चाहिए। यह जवाब इसलिए भी जरूरी है कि केन्द्र की रोक के बाद राज्य सरकार ने खानों का आवंटन किया। क्या राजे सरकार इतनी ताकतवर हो गई है कि वह मोदी सरकार की नीतियों की अवहेलना कर खुला भ्रष्टाचार करें। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व माने या नहीं लेकिन राजस्थान के खान घोटाले से मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है। अभी भी समय है जब खानों के आवंटन को रद्द किया जाए और इस आवंटन में वसुंधरा राजे की भूमिका की जांच करवाई जाए। यदि यह मामला अदालत में जाता है तो मोदी सरकार की ज्यादा बदनामी होगी।
भाजपा ने दिया जवाब:
25 सितम्बर को ही भाजपा ने जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस की। प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि कांग्रेस शासन में भी वर्ष 2012 में खानों का आवंटन किया गया था। तब यह पता चला कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिश्तेदारों को खाने आवंटित की गई है। बाद में भाजपा के दबाव से 37 खानों का आवंटन रद्द किया गया। परनामी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने 12 जनवरी 2015 को खानों के आवंटन पर रोक लगाई थी। इस रोक के बाद राजस्थान में एक भी खान का आवंटन नहीं किया। आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। परनामी ने कहा कि हाल ही में उजागर खान घोटाले में केन्द्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। इस घोटाले में जिन भी अधिकारियों के फोन एसीबी ने टेप किए, उन सबकी जानकारी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को थी।
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आर.के. मार्बल के दस्तावेजों की जांच का काम जारी

आर.के. मार्बल के विभिन्न कार्यालयों पर 25 सितम्बर को लगातार तीसरे दिन भी दस्तावेज जांचने का काम जारी रहा। आयकर विभाग ने 23 सितम्बर को एक साथ कोई 30 स्थानों पर छापामार कार्यवाही की थी। आयकर विभाग को आर.के. मार्बल के विरुद्ध शिकायतें मिली थी। विभाग के अधिकारियों ने संस्थान के मालिक अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी और विमल पाटनी से सम्पर्क साधा है। अधिकारियों ने आर.के. मार्बल और वंडर सीमेन्ट की आय को लेकर जो दस्तावेज जुटाए हैं उन पर अब मालिकों से पूछताछ करनी है। हालांकि अधिकारियों ने संस्थान के किशनगढ़ स्थित मुख्यालय पर चार्टेड अकाउंटेन्ट सुभाष अग्रवाल और सी.एम. अग्रवाल से पूछताछ की है। विभाग ने जांच का मुख्य केन्द्र किशनगढ़ के आर.के. हाऊस को ही बना रखा है। जानकार सूत्रों के अनुसार चित्तौड़, उदयपुर, बांसवाड़ा, राजसमंद आदि दफ्तरों से भी कागजात किशनगढ़ मंगवाए गए हैं। लगातार तीसरे दिन भी आयकर विभाग के अधिकारियों ने अघोषित आय के बारे में मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी है। माना जा रहा है कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के निर्देशन के बाद ही जांच अधिकारी कोई जानकारी देंगे।
किशनगढ़ में सन्नाटा:
आर.के. मार्बल समूह पर जब से छापामार कार्यवाही शुरू हुई है, तब से किशनगढ़ के मार्बल क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ है। अधिकांश फैक्ट्रियों में मार्बल कटिंग का काम बंद पड़ा है। छापामार कार्यवाही से सम्पूर्ण मार्बल जगत में हड़कम्प है।
खान घोटाले से जुड़ा है मामला:
आयकर विभाग की छापामार कार्यवाही को राजस्थान में हाल ही में उजागर खान घोटाले में जोड़कर देखा जा रहा है। घोटाले के मुख्य अभियुक्त खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी और आर.के. मार्बल के मालिक अशोक पाटनी के बीच गहरी मित्रता उजागर हुई है। सिंघवी निलम्बन के बाद उदयपुर की सेन्ट्रल जेल में बंद है। इस मामले में 7 अन्य अधिकारियों और खान कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया है।
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क्या आनंदपाल के मामले में अजमेर पुलिस के एक अफसर ने डीजी को गोपनीय पत्र लिखा है। कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह की फरारी के बाद अभी तक भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, लेकिन फरारी को लेकर अजमेर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीजी मनोज भट्ट को जो गोपनीय पत्र लिखा है उसकी चर्चा पुलिस के उच्च स्तर पर खूब हो रही है। जानकारों की मानें तो इस पत्र में आनंदपाल की फरारी के बाद हुए घटनाक्रम के बारे में डीजी को अवगत करवाया गया है। अधिकारी ने यह पत्र बेहद ही दु:खी मन से लिखा है इसलिए पत्र के अंत में हाथ जोड़कर निवेदन किया गया है कि उसका स्थानान्तरण अजमेर से अन्यंत्र कर दिया जाए। बताया जाता है कि इस पत्र के मिलने के बाद डीजी भट्ट ने टेलीफोन पर पीडि़त अधिकारी से बात की है। भट्ट ने हिम्मत बंधाते हुए अधिकारी ने कहा है कि पुलिस अफसर को कई बार विपरीत परिस्थितियों में ड्यूटी देनी होती है। इस अधिकारी ने मौखिक तौर पर अजमेर पुलिस से जुड़े बड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी प्रकट की है। डीजी को पत्र लिखने के बाद संबंधित अधिकारी बहुत कम दफ्तर आ रहे हैं। जनप्रतिनिधि भी नाराज: अजमेर पुलिस के कामकाज से जिले के जन प्रतिनिधि भी नाराज हैं। जिले के मंत्रियों और भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पुलिस की गतिविधियों से अवगत कराया है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि पुलिस के आला अधिकारी, मंत्रियों व विधायकों का भी सम्मान नहीं करते हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता की समस्याओं के निदान के लिए फोन किया जाता है तो सीधे मुंह बात नहीं की जाती। इससे विधायकों की छवि अपने निर्वाचन क्षेत्र में खराब हो रही है। मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि जिलेभर में अपराध की कोई रोकथाम नहीं हुई है। बात सिर्फ आनंदपाल की फरारी की नहीं है बल्कि रोजाना हो रही चोरी, चैन स्नेचिंग, ठगी और अन्य अपराधों की भी है। (एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511


क्या आनंदपाल के मामले में अजमेर पुलिस के एक अफसर ने डीजी को गोपनीय पत्र लिखा है।
कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह की फरारी के बाद अभी तक भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, लेकिन फरारी को लेकर अजमेर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीजी मनोज भट्ट को जो गोपनीय पत्र लिखा है उसकी चर्चा पुलिस के उच्च स्तर पर खूब हो रही है। जानकारों की मानें तो इस पत्र में आनंदपाल की फरारी के बाद हुए घटनाक्रम के बारे में डीजी को अवगत करवाया गया है। अधिकारी ने यह पत्र बेहद ही दु:खी मन से लिखा है इसलिए पत्र के अंत में हाथ जोड़कर निवेदन किया गया है कि उसका स्थानान्तरण अजमेर से अन्यंत्र कर दिया जाए। बताया जाता है कि इस पत्र के मिलने के बाद डीजी भट्ट ने टेलीफोन पर पीडि़त अधिकारी से बात की है। भट्ट ने हिम्मत बंधाते हुए अधिकारी ने कहा है कि पुलिस अफसर को कई बार विपरीत परिस्थितियों में ड्यूटी देनी होती है। इस अधिकारी ने मौखिक तौर पर अजमेर पुलिस से जुड़े बड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी प्रकट की है। डीजी को पत्र लिखने के बाद संबंधित अधिकारी बहुत कम दफ्तर आ रहे हैं।
जनप्रतिनिधि भी नाराज:
अजमेर पुलिस के कामकाज से जिले के जन प्रतिनिधि भी नाराज हैं। जिले के मंत्रियों और भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पुलिस की गतिविधियों से अवगत कराया है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि पुलिस के आला अधिकारी, मंत्रियों व विधायकों का भी सम्मान नहीं करते हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता की समस्याओं के निदान के लिए फोन किया जाता है तो सीधे मुंह बात नहीं की जाती। इससे विधायकों की छवि अपने निर्वाचन क्षेत्र में खराब हो रही है। मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि जिलेभर में अपराध की कोई रोकथाम नहीं हुई है। बात सिर्फ आनंदपाल की फरारी की नहीं है बल्कि रोजाना हो रही चोरी, चैन स्नेचिंग, ठगी और अन्य अपराधों की भी है।
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#676 क्या आनंदपाल के मामले में अजमेर पुलिस के एक अफसर ने डीजी को गोपनीय पत्र लिखा है। कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह की फरारी के बाद अभी तक भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, लेकिन फरारी को लेकर अजमेर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीजी मनोज भट्ट को जो गोपनीय पत्र लिखा है उसकी चर्चा पुलिस के उच्च स्तर पर खूब हो रही है। जानकारों की मानें तो इस पत्र में आनंदपाल की फरारी के बाद हुए घटनाक्रम के बारे में डीजी को अवगत करवाया गया है। अधिकारी ने यह पत्र बेहद ही दु:खी मन से लिखा है इसलिए पत्र के अंत में हाथ जोड़कर निवेदन किया गया है कि उसका स्थानान्तरण अजमेर से अन्यंत्र कर दिया जाए। बताया जाता है कि इस पत्र के मिलने के बाद डीजी भट्ट ने टेलीफोन पर पीडि़त अधिकारी से बात की है। भट्ट ने हिम्मत बंधाते हुए अधिकारी ने कहा है कि पुलिस अफसर को कई बार विपरीत परिस्थितियों में ड्यूटी देनी होती है। इस अधिकारी ने मौखिक तौर पर अजमेर पुलिस से जुड़े बड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी प्रकट की है। डीजी को पत्र लिखने के बाद संबंधित अधिकारी बहुत कम दफ्तर आ रहे हैं। जनप्रतिनिधि भी नाराज: अजमेर पुलिस के कामकाज से जिले के जन प्रतिनिधि भी नाराज हैं। जिले के मंत्रियों और भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पुलिस की गतिविधियों से अवगत कराया है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि पुलिस के आला अधिकारी, मंत्रियों व विधायकों का भी सम्मान नहीं करते हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता की समस्याओं के निदान के लिए फोन किया जाता है तो सीधे मुंह बात नहीं की जाती। इससे विधायकों की छवि अपने निर्वाचन क्षेत्र में खराब हो रही है। मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि जिलेभर में अपराध की कोई रोकथाम नहीं हुई है। बात सिर्फ आनंदपाल की फरारी की नहीं है बल्कि रोजाना हो रही चोरी, चैन स्नेचिंग, ठगी और अन्य अपराधों की भी है। (एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511


क्या आनंदपाल के मामले में अजमेर पुलिस के एक अफसर ने डीजी को गोपनीय पत्र लिखा है।
कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह की फरारी के बाद अभी तक भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, लेकिन फरारी को लेकर अजमेर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीजी मनोज भट्ट को जो गोपनीय पत्र लिखा है उसकी चर्चा पुलिस के उच्च स्तर पर खूब हो रही है। जानकारों की मानें तो इस पत्र में आनंदपाल की फरारी के बाद हुए घटनाक्रम के बारे में डीजी को अवगत करवाया गया है। अधिकारी ने यह पत्र बेहद ही दु:खी मन से लिखा है इसलिए पत्र के अंत में हाथ जोड़कर निवेदन किया गया है कि उसका स्थानान्तरण अजमेर से अन्यंत्र कर दिया जाए। बताया जाता है कि इस पत्र के मिलने के बाद डीजी भट्ट ने टेलीफोन पर पीडि़त अधिकारी से बात की है। भट्ट ने हिम्मत बंधाते हुए अधिकारी ने कहा है कि पुलिस अफसर को कई बार विपरीत परिस्थितियों में ड्यूटी देनी होती है। इस अधिकारी ने मौखिक तौर पर अजमेर पुलिस से जुड़े बड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी प्रकट की है। डीजी को पत्र लिखने के बाद संबंधित अधिकारी बहुत कम दफ्तर आ रहे हैं।
जनप्रतिनिधि भी नाराज:
अजमेर पुलिस के कामकाज से जिले के जन प्रतिनिधि भी नाराज हैं। जिले के मंत्रियों और भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पुलिस की गतिविधियों से अवगत कराया है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि पुलिस के आला अधिकारी, मंत्रियों व विधायकों का भी सम्मान नहीं करते हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता की समस्याओं के निदान के लिए फोन किया जाता है तो सीधे मुंह बात नहीं की जाती। इससे विधायकों की छवि अपने निर्वाचन क्षेत्र में खराब हो रही है। मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि जिलेभर में अपराध की कोई रोकथाम नहीं हुई है। बात सिर्फ आनंदपाल की फरारी की नहीं है बल्कि रोजाना हो रही चोरी, चैन स्नेचिंग, ठगी और अन्य अपराधों की भी है।
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यूपी के सीएम अखिलेश ने कहा कि चैनल वाले पैकेज मांगते हैं।

यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने 25 सितम्बर को जयपुर में अखिल भारतीय युवा यादव महासभा के एक समारोह में भाग लिया। इस समारोह में यादव ने कहा कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार आदि राज्यों में जब कोई घटना होती है, तो सिर्फ घटना को प्रसारित किया जाता है, लेकिन जब यूपी में कोई घटना होती है तो टीवी चैनल वाले मुख्यमंत्री का फोटो लगाकर घटना को प्रसारित करते हैं। जबकि घटना से सीधे सीएम का कोई सरोकार नहीं होता है। अखिलेश ने कहा कि चैनल वाले मुफ्त में विज्ञापन करते हैं, नहीं तो चैनल वाले पैकेज मांगते हैं। सरकार पैकेज रोज-रोज कहां से लाए।
आरक्षण पर चुप्पी:
अखिलेश ने कहा कि जयपुर आने पर एक पत्रकार ने उनसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया चाही। अखिलेश ने कहा मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा, क्योंकि मेरी बात किस तरह से रखी जाए, यह पता नहीं होता है। उन्होंने कहा कि मीडिया अपने नजरिए से शब्दों का अर्थ निकालता है।
राजस्थान की धूम में तपा हंू:
अखिलेश ने कहा कि उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई राजस्थान स्थित धौलपुर के स्कूल में की है। राजस्थान की धूम में तपने की वजह से ही आज मैं यूपी जैसे बड़े प्रदेश में सीएम की कुर्सी पर बैठकर साइकिल चला रहा हंू। राजस्थान की पथरीली जमीन और धूप में तपने के कारण ही मैं यूपी में सफलता के साथ सरकार चला रहा हंू।
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सीएम राजे ने की लखावत की प्रशंसा

25 सितम्बर को जयपुर के निकट धानक्या गांव में जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्मारक का शिलान्यास सीएम वसुंधरा राजे ने किया। स्मारक का निर्माण राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के द्वारा करवाया जा रहा है। राजे ने शिलान्यास समारोह में कहा कि प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने सरकार के पीछे पड़कर आखिर शिलान्यास करवा ही लिया। उन्होंने कहा कि मैं लखावत साहब की कार्यशैली से परिचित हंू। मुझे उम्मीद है कि अगले दो-तीन वर्षों में स्मारक बनकर तैयार हो जाएगा। राजे ने कहा कि सरकार ने लखावत साहब को बहुत बड़ी जिम्मेदारी दे रखी  है। प्राधिकरण को प्रदेश के सभी महापुरुषों के स्मारक बनाने हैं। मालूम हो कि धानक्या पंडित उपाध्याय की जन्म स्थली है।
अजमेर के नेता भी पहुंचे:
प्राधिकरण द्वारा आयोजित शिलान्यास समारोह में अजेमर के भाजपा नेता कंवल प्रकाश किशनानी, धर्मेश जैन, हरीश झामनानी, उपमहापौर संपत सांखला, भैरो गुर्जर, अमित जैन व भोलाराम गुर्जर आदि नेता भी शामिल है।
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Thursday 24 September 2015

आखिर किसके निर्देश पर हुआ आर.के.मार्बल के खिलाफ ऑपरेशन 'रामदेवरा

सवाल यह नहीं है कि देश के मार्बल किंग आर.के.मार्बल के खिलाफ आयकर विभाग ने बड़ी छापामार कार्यवाही की है। अहम सवाल यह है कि आखिर किसके निर्देश पर कार्यवाही हुई है। 24 सितम्बर को भी लगातार दूसरे दिन आर.के.मार्बल के देशभर के दफ्तरों पर छापे की कार्यवाही जारी रही। आर.के.मार्बल का मुख्यालय अजमेर जिले के किशनगढ़ में है। आज किशनगढ़ की पहचान आर.के.मार्बल के नाम से ही होती है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, समारोह स्थल आदि सब कुछ आर.के.मार्बल के नाम पर हंै। किशनगढ़ के लोग यही जानना चाहते हैं कि आखिर आर.के.मार्बल के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश किसने दिए हैं। जहां तक छापे के दौरान मिलने वाली करोड़ों रुपए की काली कमाई का सवाल है, तो किशनगढ़ वासियों का मानना है कि हजार दो हजार करोड़ डूब भी जाएंगे तो आर.के.मार्बल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आर.के.मार्बल का साम्राज्य किशनगढ़ से लेकर अफ्रीका के जंगलों तक फैला हुआ है। आर.के.मार्बल की खाने पत्थर नहीं सोना उगलती हैं। सब जानते हैं कि आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी का राजस्थान की सरकार में कितना दबदबा है। आयकर विभाग के अधिकारी भी हमेशा आर.के.मार्बल से उपकृत रहते हैं। ऐसी स्थिति में राजस्थान के आयकर विभाग के अधिकारियो ंमें इतनी हिम्मत नहीं की वे आर.के.मार्बल पर छापामार कार्यवाही करते। जानकारों की माने तो हाल ही में राजस्थान में खान आवंटन का जो महा घोटाला उजागर हुआ, उसकी जांच में ही आर.के.मार्बल की भूमिका का भी पता चला। राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एसीबी) के दमदार आईजी दिनेश एन.एम. ने महत्त्वपूर्ण जानकारी सीधे केन्द्र सरकार के ईमानदार स्तर पर भिजवाई। इसके बाद ही केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने गोपनीय तरीके से कार्यवाही को अंजाम दिया। इस कार्यवाही की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आयकर विभाग की विभिन्न टीमों के साथ सीआरपीएफ के सशस्त्र जवानों को रखा गया है। यानि केन्द्र सरकार ने राजस्थान की पुलिस पर भी भरोसा नहीं किया। चूंकि 23 सितम्बर को लोक देवता बाबा रामदेव के मेले का अंतिम दिन था, इसलिए आयकर विभाग ने अपने सभी वाहनों पर रामदेवरा यात्रा के स्टीकर लगाए। इससे यह लगे कि वाहन रामदेवरा जा रहे हैं। आयकर विभाग ने छापा मार कार्यवाही का नाम भी ऑपरेशन रामदेवरा रखा।
चार्टेड अकाउंटेंटों की भूमिका:
आयकर विभाग को आर.के.मार्बल के चार्टेड अकाउंटेंट सुभाष अग्रवाल, सी.एम.अग्रवाल आदि की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। प्राथमिक जांच में अकाउंटेंटों को भी शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार आर.के.मार्बल के सीए संतोष जनक जवाब नहीं दे रहे हैं। कई प्रश्नों के मामले में अनभिज्ञता प्रकट की है।
जयपुर भेजे दस्तावेज
जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग को किशनगढ़ स्थित मुख्यालय पर जो आवश्यक दस्तावेज मिले हैं, उन्हें आयकर विभाग के जयपुर मुख्यालय में भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन दस्तावेजों की गहन जांच पड़ताल करेंगे। बताया जा रहा है कि आर.के.मार्बल की ओर से सालाना 75 करोड़ रुपए का टैक्स जमा करवाया जाता है। लेकिन विभाग को आय के जो दस्तावेज मिले हैं, उनके अनुसार करीब दो सौ करोड़ रुपए का सालाना टैक्स बनता है। सूत्रों की माने तो जो अघोषित आय है, उसे हवाला के जरिए विदेशों में भेजा जा रहा था। हालांकि इस बात की पुष्टि अभी आयकर विभाग ने नहीं की है।
कोई गलत काम नहीं किया:
आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी और विमल पाटनी इन दिनों मध्य प्रदेश के सागर जिले के छोटे से गांव बीना बारहा में धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। यहां जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज भी विराजमान हैं। मौके से आई खबरों के अनुसार अशोक पाटनी ने कहा  है कि उन्होंने कोई गलत कार्य नहीं किया है। आयकर विभाग चाहे जितनी जांच पड़ताल कर ले, लेकिन संस्थान में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिलेगा, जो गैर कानूनी हो। पाटनी ने कहा कि उन्होंने सरकारी नियमों के अंतर्गत खानों का आवंटन करवाया है और इसके लिए किसी भी अधिकारी को रिश्वत नहीं दी है। मैं आयकर विभाग में हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हंू। जहां तक राजनेताओं से मित्रता का सवाल है, तो इतने बड़े करोबार में मित्रता तो होती है। सामाजिक सरोकारों से जुड़े समारोहों में राजनेताओं को ही बुलाया जाता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511