Tuesday 31 October 2023

राजस्थान में चुनावी धरपकड़ से बाजार में कारोबार ठप।व्यापारियों से सोना चांदी और नकदी पकड़ने का क्या तुक है?चुनाव आयोग तुरंत ध्यान दें।

निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने जो मापदंड निर्धारित किए हैं उनमें राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों और नेताओं को प्रलोभन देने पर रोक लगाई है। इस रोक की मंशा यह है कि उम्मीदवार और उसके समर्थक मतदाताओं को नकद राशि न दे सके। इसके लिए पुलिस को यह अधिकार दिया गया है कि वह राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के वाहनों की जांच पड़ताल करे और बड़ी मात्रा में नकदी हो उसे आयकर विभाग में जमा करवाएं। चुनाव आयोग की मंशा यह नहीं है कि धरपकड़ के नाम पर व्यापारियों को परेशान किया जाए। राजस्थान में पुलिस ने व्यापारियों पर जो धरपकड़ की है उससे बाजार में कारोबार ठप हो गया है। जो सर्राफा व्यापारी रोजाना अपने घर से दुकान तक सोना चांदी और जेवरात ले जाते हैं उन्हें भी चुनाव आयोग के निर्देशें का हवाल देकर पुलिस पकड़ रही है। प्रदेश में अब तक करोड़ों रुपए का सोना चांदी जब्त किया जा चुका है। बाजार में लाखों रुपए की नगदी इधर उधर होती है। पुलिस अब दो लाख रुपए तक की नगदी भी जब्त कर रही है। इन दिनों त्योहारी सीजन के साथ साथ शादी ब्याह भी है। ऐसे में एक परिवार द्वारा पांच दस लाख रुपए की खरीद करना सामान्य बात है, लेकिन पुलिस के डर की वजह से लोग नगदी लेकर अपने घरों से नहीं निकल रहे। इसका परिणाम यह हुआ है कि बाजार में कारोबार ठप हो गया है। पुलिस किस तरह से धरपकड़ करती है यह जगजाहिर है। व्यापारियों के लिए दीपावली काली हो रही है तो पुलिस के लिए दिवाली रंगीन हो गई है। व्यापार जगत में भय और दहशत का माहौल सिर्फ अजमेर में नहीं बल्कि पूरे राजस्थान भर में है। हाल ही में अजमेर के पीसांगन में जिस सर्राफा कारोबारी को पकड़ा गया उसने अपने तमाम दस्तावेज बताए, लेकिन फिर भी पुलिस ने रातभर थाने में बैठाए रखा। सुबह पुलिस के चंगुल से व्यापारी कैसे निकला यह पीसांगन पुलिस स्टेशन के अधिकारी ही बता सकते हैं। ऐसी घटनाएं आम है। सभी जिलों के व्यापारी अपने अपने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सवाल  सोना चांदी और जेवरात की जब्ती का भी है। क्या कोई उम्मीदवार मतदाताओं से सोने चांदी के जेवरात देगा? चुनाव आयोग में बैठे अधिकारी माने या नहीं, लेकिन राजस्थान में अभी तो दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारी भी घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में मतदाताओं को प्रलोभन देने का सवाल ही नहीं उठता। बेवजह की धरपकड़ से व्यापारी वर्ग और आम लोगों को परेशानी हो रही है। अभी जो लोग पकड़े जा रहे हैं, उनका चुनाव से कोई सरोकार नहीं है। बाजार में यह सामान्य प्रक्रिया है। चुनाव आयोग को यह भी समझना चाहिए कि जीएसटी लागू होने के बाद कारोबार में बहुत पारदर्शिता आई है। वैसे भी कर चोरी पकड़ना चुनाव आयोग का काम नहीं है। चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष चुनाव करवाना है। अच्छा हो कि केंद्रीय चुनाव आयोग राजस्थान में पुलिस की धरपकड़ को तत्काल प्रभाव से बंद करवाए। पुलिस को जो अधिकार दिए गए हैं उसका दुरुपयोग हो रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (31-10-2023)

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कांग्रेस के डिजाइन बॉक्स वाले दोनों चेहरों पर ईडी का हमला।रीट पेपर लीक कांड में प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और फेमा उल्लंघन में मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत पर गंभीर आरोप।तो अब अशोक गहलोत के दबाव में नहीं है कांग्रेस हाईकमान।

विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए राजस्थान ने डिजाइन बॉक्स कंपनी को ठेका दिया है। कंपनी ने प्रचार के लिए जो पोस्टर तैयार किया है, उसमें दो चेहरों को प्रमुखता दी गई है। एक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा। पोस्टर में इन दोनों के फोटो बड़े लगाए गए हैं, जबकि सोनिया गांधी से लेकर सचिन पायलट तक के फोटो ऊपर पासपोर्ट साइज में दर्शाए गए हैं। इस पोस्टर से जाहिर है कि विधानसभा का यह चुनाव गहलोत और डोटासरा के चेहरे पर लड़ा जा रहा है। इधर कंपनी ने यह पोस्टर जारी किया तो उधर ईडी ने इन दोनों चेहरों को दबोच लिया। 27 और 28 अक्टूबर को डोटासरा के जयपुर और सीकर आवासो पर ईडी ने गहन जांच पड़ताल की। यह जांच पड़ताल राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के प्रश्न पत्र आउट होने से संबंधित थी। 26 सितंबर 2021 को जब रीट का पेपर आउट हुआ तब डोटासरा ही स्कूली शिक्षा मंत्री थे। भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने आरोप लगाया था कि पेपर लीक में डोटासरा की भी भूमिका है। राज्य सरकार की जांच एजेंस ीएसओजी ने भी माना कि रीट के पेपर लाखों रुपए में बेचे गए। एसओजी ने जिस स्थान पर जांच को छोड़ उससे आगे ईडी अब जांच पड़ताल कर रही है। आरोप है कि सीकर के कलाम कोचिंग सेंटर में डोटासरा के परिवार के सदस्यों की भागीदारी है। इसी प्रकार 30 अक्टूबर को ईडी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत से दिल्ली दफ्तर में 6 घंटे तक पूछताछ की। वैभव पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम फेमा के उल्लंघन का आरोप है। ईडी के अधिकारियों ने जानना चाहा कि वैभव गहलोत से जुड़ी कंपनियों ने सौ करोड़ रुपए की राशि मॉरीशस क्यों भेजी और फिर मॉरीशस से यह राशि वापस क्यों लाई गई? पूछताछ के बाद वैभव ने कहा कि जो जानकारी मांगी गई वह दे दी गई है। आगे की पूछताछ के लिए 16 नवंबर को फिर बुलाया गया है। वैभव ने कहा कि राजस्थान में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए उन्होंने ईडी के अधिकारियों से आग्रह किया था कि चुनाव के बाद दिसंबर में बुलाया जाए, लेकिन अधिकारियों ने मेरे इस आग्रह को मानने से इंकार कर दिया। वैभव का कहना रहा कि वे प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री हैं, इसलिए चुनाव में व्यस्त है। मालूम हो कि राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। डोटासरा के आवासों पर छापामार कार्यवाही और सीएम गहलोत के पुत्र से चुनाव के दौरान पूछताछ से ईडी की मंशा को समझा जा सकता है। हो सकता है कि वैभव गहलोत की तरह चुनाव के दौरान डोटासरा को भी दिल्ली के ईडी दफ्तर में बुलाया जाए। कांग्रेस ईडी के इस कदम को भले ही बदनाम करने वाला बताए, लेकिन आग तभी निकली है, जब धुंआ होता है। ईडी की कार्यवाही को आगे रखकर ही भाजपा यह बताएगी कि कांग्रेस किन दागी चेहरों पर चुनाव लड़ रही है।
 
गहलोत का दबाव नहीं:
कांग्रेस ने राजस्थान में अब तक 95 उम्मीदवार घोषित किए हैं, शेष 105 उम्मीदवारों के लिए दिल्ली में मंथन चल रहा है। अब जब प्रदेश में 30 अक्टूबर से नामांकन शुरू हो गए, तब सीएम गहलोत चाहते हैं कि उम्मीदवारों की घोषणा हो जाए। 30 अक्टूबर को दिल्ली में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (सीईसी) की बैठक हुई। इस बैठक में अनिर्णय की स्थिति को देखते हुए गहलोत ने कहा कि जब सरकार गिराने वाले विधायकों को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, तब सरकार बचाने वाले विधायकों के नामों की घोषणा में देरी क्यों हो रही है। गहलोत ने यह बात पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के संदर्भ में कही। गहलोत के इस कथन से जाहिर होता है कि इस बार कांग्रेस हाईकमान गहलोत के दबाव में नहीं है। संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब हाईकमान गहलोत की अनदेखी कर रहा है। मालूम हो कि अगस्त 2020 में कांग्रेस के जो 18 विधायक पायलट के साथ दिल्ली गए उनमें से अधिकांश विधायकों को फिर से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। जबकि सरकार  बचाने के लिए जो विधायक गहलोत के साथ होटलों में बंद रहे उनमें से अधिकांश को अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है। इनमें मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ शामिल हैं।
 
राठौड़ की फिर चर्चा:
अजमेर क्षेत्र के पुष्कर से नसीम अख्तर और मसूदा से राकेश पारीक को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यह माना जा रहा था कि अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से सचिन पायलट समर्थक विजय जैन और महेंद्र सिंह रलावता में से किसी एक को उम्मीदवार बनाया जाएगा।  लेकिन 30 अक्टूबर को दिल्ली में कांग्रेस की सीईसी की जो बैठक हुई जिसमें सीएम अशोक गहलोत ने अजमेर उत्तर से आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की जमकर पैरवी की। प्राप्त जानकारी के अनुसार गहलोत ने स्पष्ट कहा कि राठौड़ सहित धारीवाल और महेश जोशी ने कोई अनुशासनहीनता नहीं की बल्कि इन्होंने सरकार को गिरने से बचाया। जिन लोगों ने कांग्रेस सरकार को बचाया उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए। गहलोत ने जिस तरीके से तीनों नेताओं की पैरवी की उस से प्रतीत होता है कि अजमेर उत्तर से धर्मेन्द्र राठौड़ कांग्रेस के उम्मीदवार बन सकते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (31-10-2023)

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Friday 27 October 2023

कांग्रेस में नेता के प्रति वफादारी दिखाने वालों को ही टिकट मिलता है।भाजपा ने ऐसे फार्मूले को नकारा तो जगह-जगह विरोध हो रहा है।

26 अक्टूबर को राजस्थान में कांग्रेस की 19 उम्मीदवारों की तीसरी सूची भी आ गई। कांग्रेस ने अब तक 200 में से 95 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं । इन 95 उम्मीदवारों का अध्ययन किया जाए तो अधिकांश उम्मीदवार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक हैं। पिछले पांच वर्षों में जिन कार्यकर्ताओं और विधायकों ने अपने-अपने नेता के प्रति वफादारी दिखाई उन्हें उम्मीदवार बना दिया गया है। जो कार्यकर्ता संगठन के प्रति वफादार रहा उस की टिकट बंटवारे में कोई महत्व नहीं मिला है। पिछले 5 वर्षों में राजस्थान में कांग्रेस गहलोत और पायलट के गुटों में बटी रही। सरकार बचाने में जिन विधायकों ने वफादारी दिखाई उन सभी को गहलोत अब उम्मीदवार बनवा रहे हैं। इनमें बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ-साथ वह निर्दलीय विधायक भी हैं जिन्होंने गहलोत सरकार को समर्थन दिया। हालांकि ऐसे विधायकों ने समर्थन देने की कीमत पहले ही वसूली थी, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनवाकर अशोक गहलोत ने ब्याज सहित भुगतान कर दिया है। सचिन पायलट के साथ-साथ विधायकों के दिल्ली जाने के समय जो विधायक गहलोत के साथ होटल में बंद रहे उन्हें भी टिकट मिल रहे हैं। गहलोत ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि जिन विधायकों ने उनके प्रति वफादारी दिखाई है, उन सभी को टिकट दिलवा रहे हैं। इसी प्रकार जिन विधायकों ने पायलट के प्रति वफादारी दिखाई उन्हें भी कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया है। सीएम गहलोत भले ही पायलट और उनके समर्थक विधायकों पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाए, लेकिन पायलट ने ऐसे सभी विधायकों को फिर से उम्मीदवार बनाया है। अगस्त 2020 में पायलट के साथ जो विधायक दिल्ली गए थे उनमें से अधिकांश को उम्मीदवार घोषित किया जा चुका है। शेष विधायकों के नामों की जल्द घोषणा होगी। कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन का मापदंड नेता के प्रति वफादारी ही है। यदि किसी कार्यकर्ता ने सिर्फ संगठन के प्रति वफादारी दिखाई है उसे उम्मीदवार नहीं बनाया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी माने या नहीं राजस्थान में कांग्रेस के नाम पर गहलोत सरकार और पायलट की ही पहचान है। उम्मीदवारों के चयन के लिए संसद गौरव गोगोई की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई थी। वह भी धरी रह गई। उम्मीदवारों की घोषणा में इस कमेटी की अब कोई भूमिका नहीं है जिन तीन मंत्रियों को अनुशासनहीनता का नोटिस दिया गया, उन्हें भी सीएम गहलोत टिकट दिलवाएंगे। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का कोटा से और जलदाय मंत्री महेश जोशी का जयपुर से टिकट तय है, जहां तक राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर का सवाल है तो यदि उन्हें अजमेर उत्तर से उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो भी कांग्रेस में उनका रुतबा बना रहेगा। धर्मेंद्र राठौड़ विधानसभा चुनाव में गहलोत की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, क्योंकि राठौड़ जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर है। इसलिए गहलोत के रहते उनका महत्व कभी काम नहीं होगा गहलोत का पूरा प्रयास रहेगा कि राठौर को अजमेर उत्तर से ही कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जाए

भाजपा में विरोध:
नेता के प्रति वफादारी के फार्मूले को दरकिनार कर 43 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, इनमें लोकसभा के 6 सांसद भी शामिल थे। इन सांसदों को उन विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार बनाया गया, जहां भाजपा की हार होती रही या फिर अभी कमजोर स्थिति है। राष्ट्रीय नेतृत्व का मानना रहा कि संगठन के प्रति वफादारी कार्यकर्ताओं को आगे लाया जाए। संगठन को प्राथमिकता देने के लिए ही इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित नहीं किया गया, लेकिन पहली सूची के अधिकांश उम्मीदवारों का विरोध नजर आ रहा है। असल में भाजपा के कई नेताओं का यह नागौर लगा कि उन्हें तवज्जो नहीं मिली। विरोध को देखते हुए दूसरी सूची में नेताओं का ख्याल रखते हुए उम्मीदवार घोषित किए गए। हालांकि अभी भी घोषित उम्मीदवारों का भाजपा में लगातार विरोध हो रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2023)
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वैभव गहलोत जब कंपनियों के माध्यम से करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं, तब उनके पिता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फकीरी से कैसे की जा सकती है।वैभव गहलोत अब 30 अक्टूबर को दिल्ली में ईडी के समक्ष उपस्थित होंगे।

राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने  हाल ही में कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमीन जायदाद के मामले में स्वयं को फकीर मानते हैं तो मैं उससे बड़ा फकीर हंू। मेरे पास एक इंच जमीन भी नहीं है। न सोना है और न कार। मैंने अपने जीवन में कभी भी संपत्तियां एकत्र नहीं की। मैं तो महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाला इंसान हंू। गहलोत ने अपनी फकीरी की तुलना पीएम मोदी की फकीरी से तब की जब उनका पुत्र वैभव गहलोत कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहा है। वैभव गहलोत ने खुद स्वीकार किया है कि उनकी कंपनियां हैं जो कारोबार के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनकी कंपनियों का जुड़ाव ऐसी कंपनियों से हैं, जिन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं, लेकिन दूसरी कंपनियों की बेईमानी के लिए वे जिम्मेदार नहीं है। वैभव गहलोत ने बताया कि ईडी ने फेमा के उल्लंघन के मामले में समन जारी किया है। इस समन के आधार पर अब वे 30 अक्टूबर को ईडी के दिल्ली दफ्तर में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे। भारत की सनातन संस्कृति में पिता की सबसे बड़ी जायदाद पुत्र को ही माना गया है। जो संपत्ति पुत्र के पास है उस पर पहला अधिकार माता पिता का होता है। सीएम गहलोत बताएं कि क्या उनका अपने पुत्र से संबंध नहीं है? क्या वे वैभव गहलोत को अपने परिवार से अलग मानते हैं? सब जानते हैं कि वैभव गहलोत ही अशोक गहलोत के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। वैभव मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हैं और अपने पिता के मुख्यमंत्री पद के दम पर ही राजस्थान में क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। इतना ही नहीं वैभव गहलोत ने गत बार लोकसभा का कचुनाव अपने पिता के गृह जिले जोधपुर से लड़ा था। 26 अक्टूबर को जब ईडी से समन की खबर आई तो गहलोत ने ही अपने पुत्र वैभव गहलोत का बचाव किया। अशोक गहलोत जब अपने पुत्र को लेकर इतना मोह दिखा रहे हैं, तब अपनी फकीरी की तुलना पीएम मोदी की फकीरी से कैसे कर सकते हैं? सब जानते हैं कि पीएम मोदी के परिवार का कोई भी सदस्य कंपनियों में लिप्त नहीं है। पहली बात तो मोदी का कोई पुत्र ही नहीं है। जो भाई है वे आज भी गुजरात में साधारण जीवन व्यतीत करते हैं। मोदी अपने सनातन धर्म के प्रति जो श्रद्धा और आस्था रखते हैं, वैसी आस्था भी अशोक गहलोत में देखने को नहीं मिलती। सही मायने में ऐसे में सीएम गहलोत को अपनी फकीरी की तुलना मोदी की फकीरी से नहीं करनी चाहिए। 

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आखिर राकेश पारीक मसूदा से कांग्रेस के उम्मीदवार हो ही गए।डॉ. बाहेती की पुष्कर से उम्मीदवारी तय।

26 अक्टूबर को कांग्रेस ने अपनी तीसरी लिस्ट में अजमेर के मसूदा विधानसभा क्षेत्र से राकेश पारीक को उम्मीदवार घोषित किया है। पारीक मौजूदा समय में इसी क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं। पारीक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के कट्टर समर्थक हैं। पारीक को पायलट की वजह से ही दोबारा से उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस के सियासी संकट के समय पारीक ने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी कि यदि जरूरत होगी तो वे सचिन पायलट को अपनी चमड़ी के जूते भी पहनाएंगे। पारीक का कहना रहा कि वे गत चालीस वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय रहे, लेकिन चुनाव लड़ने का अवसर पायलट ने ही दिया। आज वे जो कुछ भी हैं, वह पायलट की वजह से है। पारीक ने पायलट के प्रति जो वफादारी दिखाई उसी का परिणाम हैं कि उन्हें फिर से मसूदा से उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस ने अजमेर क्षेत्र की आठ सीटों में से अब तक तीन पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। केकड़ी और मसूदा से ब्राह्मण समुदाय को तथा पुष्कर से मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया गया है। हालांकि पारीक की उम्मीदवारी का मसूदा में विरोध हो रहा था। लेकिन ऐसे सभी विरोध को दरकिनार कर पारीक को भी उम्मीदवार घोषित किया गया है। उम्मीदवारी के बाद पारीक ने सचिन पायलट का आभार जताते हुए कहा कि वे दोबारा से चुनाव जीतेंगे। उन्होंने पिछले पांच वर्ष में मसूदा के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वहीं मसूदा के पूर्व विधायक ब्रह्मदेव कुमावत और कांग्रेस के नेता वाजीद चीता ने भी बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसी प्रकार पडांगा के सरपंच सुनील कावड़िया ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है ।  कावड़िया  पिछले कई माह से क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने स्वयं की राशि से ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक विकास कार्य करवाए हैं।  कावड़िया  ने कहा कि मसूदा की जनता उन्हें अब विधायक के तौर पर देखना चाहती है। मोबाइल नंबर 9829718795 पर  कावड़िया   से संवाद किया जा सकता है।
 
उम्मीदवारी तय:
पिछले पचास वर्षों से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने अब पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। डॉ. बाहेती ने कहा कि पुष्कर का आम कार्यकर्ता और मतदाता चाहते थे कि उन्हें कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जाए। लेकिन पार्टी ने उनके समर्पण भाव और लोकप्रियता की अनदेखी की। अब पुष्कर की जनता की मांग पर वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। डॉ. बाहेती ने कहा कि मेरे बारे में पुष्कर की जनता अच्छी तरह जानती है। मैंने वर्ष 2003 से 2008 तक विधायक के तौर पर पुष्कर की सेवा की है। उन्होंने कहा कि पुष्कर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है, लेकिन पुष्कर के महत्व के अनुरूप विकास नहीं हुआ है। सरकार की अनेक योजनाएं की क्रियान्विति जमीन पर नहीं हुई।  डॉ. बाहेती ने इस बात पर अफसोस जताया कि आज भी पवित्र सरोवर में सीवरेज का पानी गिर रहा है। मेरी पहली प्राथमिकता सरोवर की पवित्रता बनाए रखने की होगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र का विकास भी योजनाबद्ध तरीके से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका किसी से भी विरोध नहीं है। लेकिन पुष्कर की जनता की भावनाओं के अनुरूप चुनाव लड़ने का फैसला किया है। मोबाइल नंबर 9829070186 पर डॉ. बाहेती से संवाद किया जा सकता है। 

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Thursday 26 October 2023

तो फिर केंद्र की मोदी सरकार ने राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा का एक्सटेंशन क्यों किया?क्या नैतिकता के आधार पर उषा शर्मा सीएस का पद छोड़ेंगी? निकट रिश्तेदार सीपी जोशी नाथद्वारा से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।

25 अक्टूबर को जयपुर में भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता से मिला। राठौड़ ने राजस्थान की मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की। राठौड़ का तर्क रहा कि  उषा  शर्मा का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो चुका है और अब वे अवधि विस्तार के तहत काम कर रही हैं। अवधि विस्तार वाला अधिकारी चुनाव कार्य से जड़ा नहीं रह सकता। जबकि मुख्य सचिव की हैसियत से उषा  शर्मा को ही विधानसभा चुनाव के महत्वपूर्ण निर्णय लेने हैं। गुप्ता ने भाजपा के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि उनकी भावनाओं से केंद्रीय चुनाव आयोग को अवगत करा दिया जाएगा। सवाल उठता है कि भाजपा अब इस मुद्दे को क्यों उठा रही है? यह सही है कि उषा शर्मा का कार्यकाल छह माह बढ़ाने के लिए अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने प्रस्ताव केंद्र की मोदी सरकार को भेजा था। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मोदी सरकार ने मंजूर कर लिया। यही वजह है कि उषा शर्मा अब 31 दिसंबर तक मुख्य सचिव के पद पर रहेंगी। सवाल उठता है कि जब मोदी सरकार ने छह माह के एक्सटेंशन को मंजूरी दी, तब यह ख्याल क्यों नहीं आया कि राजस्थान में नवंबर और दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जिन भाजपा नेताओं की सिफारिश से उषा शर्मा को एक्सटेंशन मिला उनका यह दायित्व था कि वे विधानसभा चुनाव का ख्याल रखते। यदि एक्सटेंशन के समय चुनाव का ध्यान रखा जाता तो आज भाजपा को मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन नहीं देना पड़ता। भाजपा के नेता माने या नहीं, लेकिन उषा शर्मा के प्रकरण में भाजपा ही जिम्मेदार है। जहां तक सीएम अशोक गहलोत का सवाल है तो उन्हें अच्छी तरह पता था कि नवंबर दिसंबर में चुनाव होने हैं। गहलोत ने बड़ी चतुराई से अवधि विस्तार का प्रस्ताव भेजा और मोदी सरकार ने स्वीकृति दे दी। कहां जा सकता है कि गहलोत ने भाजपा नेताओं को राजनीतिक मात दी है। जब मोदी सरकार उषा शर्मा का कार्यकाल 6 माह बढ़ा रही थी, तब भाजपा के किसी भी नेता ने विरोध नहीं किया।
 
नैतिकता का तकाजा:
मोदी सरकार की स्वीकृति और भाजपा नेताओं की मांग अपनी जगह है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या उषा शर्मा नैतिकता के आधार पर मुख्य सचिव का पद छोड़ेंगी? वर्ष 2009 में हरीश मीणा राज्य के पुलिस महानिदेशक थे, तब उनके बड़े भाई नमोनारायण मीणा लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। तब चुनाव की निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए हरीश मीणा दो माह की छुट्टी पर चले गए। हरीश मीणा उस समय स्थायी डीजीपी थे। जो नियम हरीश मीणा पर लागू होता है, वही नियम उषा शर्मा पर भी लागू होता है। उषा शर्मा के निकट रिश्तेदार डॉ. सीपी जोशी नाथद्वारा से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उषा शर्मा पर नैतिकता इसलिए भी लागू होती है कि वे मुख्य सचिव के पद पर भी सेवा विस्तार पर हैं। सवाल उठता है कि यदि उषा शर्मा पद छोड़ती हैं तो फिर अगला मुख्य सचिव कौन होगा? वरिष्ठता के आधार पर श्रीमती वीनू गुप्ता का नाम है, लेकिन वीनू गुप्ता पर भी अंगुली उठ सकती है, क्योंकि गहलोत सरकार ने वीनू गुप्ता को हाल ही में रियल स्टेट नियामक प्राधिकरण रेरा का चेयरमैन नियुक्ति किया है। यह बात अलग है कि वीनू गुप्ता ने अभी तक भी इस पद को स्वीकार नहीं किया है। वीनू गुप्ता और उषा शर्मा की सेवानिवृत्ति 31 दिसंबर को ही है। चूंकि सीएम गहलोत ने बड़ी चतुराई से उषा शर्मा का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ा दिया, इसलिए वीनू गुप्ता मुख्य सचिव नहीं बन सकी। मुख्य सचिव की भरपाई के लिए ही वीनू गुप्ता को रेरा का चेयरमैन बनाया गया। वीनू गुप्ता नए पद पर पांच वर्ष तक रहेंगी। गहलोत सरकार वीनू गुप्ता के पति डीबी गुप्ता पर भी मेहरबान रही है। डीबी गुप्ता को मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्ति के बाद राज्य का मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्ति किया है। इस पद पर डीबी गुप्ता आज भी कार्य कर रहे हैं। 


S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2023)

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आखिर प्रियंका गांधी ने गारंटी देने वाली घोषणाएं क्यों नहीं की?गहलोत की गलती का दंड धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को क्यों दिया जा रहा है।तो क्या पुष्कर से कांग्रेस उम्मीदवार में बदलाव हो जाएगा?विकास चौधरी को कांग्रेस में शामिल करने पर गहलोत और पायलट की सहमति भी।

25 अक्टूबर को झुंझुनूं में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक करोड़ पांच लाख परिवारों को सालाना दस हजार रुपए नकद और इतने ही परिवारों को पांच सौ रुपए में रसोई गैस का सिलेंडर देने की गारंटी दी। गहलोत ने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस की जीत होने पर इन सुविधाओं को दिया जाएगा।  इन घोषणाओं के साथ ही गहलोत ने बताया कि उन्होंने प्रियंका गांधी से आग्रह किया था कि इन दोनों सुविधाओं की घोषणा करें, लेकिन प्रियंका गांधी ने स्वयं घोषणा करने के बजाए मुझे ही अधिकार दिया। सवाल उठता है कि आखिर प्रियंका ने इन महत्वपूर्ण घोषणाओं को क्यों नहीं किया? क्या प्रियंका का इन घोषणाओं की क्रियान्विति पर संशय है? वर्ष 2018 के चुनाव में राहुल गांधी ने किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की थी। चूंकि पांच वर्ष के कांग्रेस के शासन में किसानों की संपूर्ण माफी नहीं हो सकी, इसलिए आज भाजपा के नेता चुनाव में राहुल गांधी के कथन को झूठा बताते हैं। जानकारों की मानें तो विवाद से बचने के लिए ही प्रियंका गांधी ने घोषणाएं नहीं की।
 
गहलोत की गलती का दंड:
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में अब तक कांग्रेस के 74 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की उम्मीदवारी को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान इन तीनों नेताओं को गत वर्ष 25 सितंबर को हुई कांग्रेस विधायकों की बगावत का दोषी मानता है। हाईकमान सिर्फ इन तीनों नेताओं को ही दोषी क्यों मानता है। यह तो हाईकमान में बैठे नेता ही बता सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि विधायकों की बगावत सीएम अशोक गहलोत के इशारे पर ही हुई थी। यदि गहलोत की सहमति न होती तो धारीवाल के घर पर 80 विधायक एकत्रित नहीं होते और न ही मुख्य सचेतक की हैसियत से महेश जोशी विधायकों को बुलाते। धर्मेन्द्र राठौड़ में विधायकों को सुविधाजनक तरीके से लाने के इंतजाम करवाए। चूंकि इन तीनों नेताओं के पीछे अशोक गहलोत खड़े थे, इसलिए तीनों ने अपना अपना टास्क पूरा किया। यदि गहलोत का इशारा नहीं होता तो धारीवाल के सरकारी बंगले पर चार विधायक भी एकत्रित नहीं होते। भले ही महेश जोशी दस जोन कर देते। कांग्रेस विधायकों की बगावत पर कार्यवाही करनी है तो सबसे पहले गहलोत पर की जानी चाहिए। चूंकि गहलोत पर कार्यवाही करने की हिम्मत हाईकमान में नहीं है, इसलिए धारीवाल, ोशी और राठौड़ के टिकट काटे जाने की चर्चा है। यानी गहलोत की गलती का दंड इन तीनों नेताओं को भुगतना पड़ेगा। वही इन तीनों नेताओं का अभी भी भरोसा है कि गहलोत की वजह से उन्हें कोई नुकसान नहीं हागा। गहलोत अपनी जिद के पक्के नेता है। इन तीनों नेताओं को टिकट दिलवाने में गहलोत पूरी ताकत लगा देंगे।
 
पुष्कर में बदलाव:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाने वाले पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने अब बगावत को झंडा उठा लिया है। कांग्रेस ने पुष्कर से श्रीमती नसीम अख्तर को लगातार चौथी बार उम्मीदवार घोषित किया। चूंकि नसीम अख्तर गत दो चुनावों में हार चुकी हैं, इसलिए डॉ. बाहेती बदलाव की मांग कर रहे है। डॉ. बाहेती का कहना है कि यदि बदलाव नहीं होता है तो वे पुष्कर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। सवाल उठता है कि क्या डॉ. बाहेती की बगावत के बाद पुष्कर से कांग्रेस का उम्मीदवार बदल जाएगा? जानकारों के अनुसार कांग्रेस के विरोध के चलते मध्यप्रदेश में चार स्थानों पर उम्मीदवारों में बदलाव किया है। ऐसे में पुष्कर में बदलाव संभव है। यदि पुष्कर से नसीम को हटाया जाता है तो फिर नसीम अख्तर मसूदा से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं। मौजूदा समय में मसूदा से राकेश पारीक ही कांग्रेस के विधायक हैं। नसीम अख्तर और राकेश पारीक दोनों ही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक हैं। यदि नसीम अख्तर को मसूदा शिफ्ट किया जाता तो राकेश पारीक को चुप रहना पड़ेगा। मसूदा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है। यहां पहले भी कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं। यह बात अलग है कि नसीम अख्तर मसूदा में रुचि न दिखाए। नसीम का फोकस पुष्कर पर ही है। नसीम भले ही दो बार पुष्कर से चुनाव हार गई हो, लेकिन एक बार जीती भी हैं। कांग्रेस को अजमेर क्षेत्र में एक टिकट मुस्लिम उम्मीदवार को देना है, इसलिए पुष्कर में बदलाव से भी इंकार किया जा रहा है7 नसीम अख्तर मुस्लिम होने के साथ साथ महिला कोटे को भी पूरा करती हैं।
 
गहलोत और पायलट की सहमति:
किशनगढ़ में भाजपा नेता विकास चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट  की सहमति रही है। चौधरी को कांग्रेस में शामिल करवाने में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की सक्रियता रही है। डोटासरा ने इस मामले में गहलोत और पायलट की सहमति भी ली ताकि बाद में कोई विवाद न हो। 25 अक्टूबर को झुंझुनूं में प्रियंका गांधी के मंच पर विकास चौधरी को शामिल किया गया तब गहलोत और पायलट भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि अब विकास चौधरी विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2023)
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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को 27 अक्टूबर को दिल्ली में ईडी दफ्तर बुलाया।रीट पेपर लीक प्रकरण में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डोटासरा के आवासों पर ईडी की छापेमारी कार्यवाही। विधायक हुड़ला भी चपेट में।डोटासरा जब स्कूली शिक्षा मंत्री थे, तब आठवीं बोर्ड की परीक्षा प्रश्न के पत्रों का काम शिक्षा बोर्ड से छीना गया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत को 27 अक्टूबर को दिल्ली स्थित ईडी के दफ्तर में बुलाया है। इसके लिए वैभव गहलोत को समन जारी किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह समन सेवा नियमों के उल्लंघन के तहत जारी किया गया है। वैभव गहलोत को ईडी दफ्तर बुलाए जाने पर प्रदेश की राजनीति में अचानक उबाल आ गया है। सीएम गहलोत पहले ही आरोप लगाते रहे हैं कि चुनाव के दौरान जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि वैभव गहलोत ने 2019 में जोधपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और तब वे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से हार गए थे। तभी से शेखावत और गहलोत में अदावत चली जा रही है। संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के प्रकरण में शेखावत ने सीएम गहलोत पर मानहानि का मुकदमा भी दायर कर रखा है। गहलोत इस प्रकरण में वीसी के जरिए अदालत में उपस्थित हो रहे हैं।
 
डोटासरा पर छापामार कार्यवाही:
राजस्थान में जब 30 अक्टूबर से विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होनी है, तब 26 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के जयपुर और सीकर के आवासों पर ईडी ने छापामार कार्यवाही की है। यह कार्यवाही निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला के आवास पर भी की गई है। माना जा रहा है कि यह कार्यवाही सितंबर 2021 में राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के पेपर लीक होने के प्रकरण में की गई है। इस परीक्षा के समय डोटासरा स्कूली शिक्षा मंत्री थे। चूंकि परीक्षा का आयोजन अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के द्वारा किया गया, इसलिए परीक्षा की तैयारियों में डोटासरा का सीधा दखल रहा। इस परीक्षा में प्रदेश के 25 लाख से भी ज्यादा अभ्यर्थियों ने भाग लिया। लेकिन परीक्षा के दिन ही प्रश्न पत्र आउट होने की खबरें आ गई। सरकार को परीक्षा निरस्त करनी पड़ी जिसकी वजह से 25 लाख अभ्यर्थियों और उनकी अभिभावकों को भारी परेशानी हुई। जांच में यह तथ्य उजागर हुआ कि रीट का पेपर जयपुर स्थित स्ट्रांग रूम से आउट हुआ। इस प्रश्न पत्र को लाखों रुपए में बेचा गया। एसओजी की जांच के दौरान ही ईडी ने भी रीट पेपर लीक के प्रकरण में जांच शुरू की और इसी के अंतर्गत 26 अक्टूबर को तत्कालीन शिक्षा मंत्री डोटासरा के आवासों पर छापामार कार्यवाही की गई है। पेपर लीक के समय राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद पर डीपी जारोली कार्यरत थे। सरकार ने तत्काल प्रभाव से जारोली को बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त होने के बाद जारोली ने कहा कि प्रकरण में राजनीतिक संरक्षण हैं। हालांकि एसओजी ने अपनी जांच में राजनीतिक संरक्षण पर कोई कार्यवाही नहीं की। लेकिन अब राजनीतिक संरक्षण के मद्देनजर ही डोटासरा पर कार्यवाही की गई है। हालांकि अभी ईडी का कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। लेकिन माना जा रहा है कि ईडी ने अब तक जो जांच पड़ताल की उस में डोटासरा की भूमिका भी सामने आई है। विगत दिनों ईडी ने सीकर स्थित कलाम कोचिंग सेंटर पर भी कार्यवाही की थी। आरोप है कि इस कोचिंग सेंटर से डोटासरा के परिवार से संबंध रहे हैं। सितंबर 2021 में जब रीट की परीक्षा हुई तब सबसे ज्यादा परीक्षार्थी इसी कोचिंग सेंटर में पढ़ाई कर रहे थे। आरोप है कि टेस्ट पेपर के माध्यम से इस सेंटर में रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र उपलब्ध करवाए गए। हालांकि इस मामले में एसओजी और ईडी ने कई लोगों को गिरफ्तार कर विस्तृत जांच पड़ताल की है, लेकिन यह पहला अवसर रहा है जब पूर्व शिक्षा मंत्री से भी पूछताछ हो रही है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि डोटासरा जब शिक्षा मंत्री थे, तब आठवीं बोर्ड की परीक्षा के प्रश्न पत्रों को लेकर भी विवाद हुआ। पिछले कई वर्षों से शिक्षा बोर्ड ही प्रश्न पत्र छपवाकर स्कूलों को भेजता था, लेकिन डोटासरा ने प्रश्न पत्रों की छपाई का काम शिक्षा बोर्ड से छीनकर शिक्षा निदेशालय को दे दिया। तब शिक्षा निदेशक सौरभ थे। लेकिन इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह रही कि शिक्षा निदेशालय में प्रश्न पत्रों की छपाई का काम चार गुना अधिक राशि में करवाया। चूंकि राशि का भुगतान शिक्षा बोर्ड को करना था, इसलिए बोर्ड ने अपनी आपत्ति भी दर्ज करवाई, लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं कांग्रेस ने इस छापामार कार्यवाही को राजनीतिक द्वेषतापूर्ण बताया है। कांग्रेस का कहना है कि जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वहीं कांग्रेस को बदनाम करने के लिए ईडी से कार्यवाही करवाई जा रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2023)

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Thursday 19 October 2023

अब देखना है कि समलैंगिकता को भारत का कौन सा राजनीतिक दल वैध मानता है।इस घिनौने कृत्य से सुप्रीम कोर्ट तो दूर हो गया।

दुनिया के किसी भी धर्म अथवा संस्कृति में दो महिलाओं या दो पुरुषों की शादी को मान्यता नहीं दी गई है। लेकिन सनातन संस्कृति वाले भारत में कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने समलैंगिक होने का दावा कर शादी को संवैधानिक मान्यता देने की मांग की है। 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि दो लड़कियों और दो लड़कों के संबंध बनाने और साथ रहने की परंपरा को शादी की मान्यता नहीं दी जा सकती है। देश में अभी जो कानून है उसके मुताबिक शादी लड़के और लड़की के बीच ही हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब यदि समलैंगिक कृत्य के लोग दो लड़कों और दो लड़कियों के बीच के संबंधों को शादी की मान्यता दिलाना चाहते हैं तो संसद व विधानसभा में कानून बनाना चाहिए। चूंकि संसद से अभी तक इस मुद्दे पर कोई कानून नहीं बना है तो राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर कानून बना सकती है। यानी सुप्रीम कोर्ट ने भारत की सनातन संस्कृति के विपरीत इस घिनौने कृत्य से दूर रहने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से समलैंगिक विचारों वाले लोग उत्साहित हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी मांग पर एक दिशा दिखा दी है। अब यह राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे संसद और विधानसभा में हमारे लिए कानून बनवाए। पहले इस मुद्दे पर लोग बात करने से झिझकते थे, लेकिन अब समलैंगिक कृत्य वाले युवा टीवी चैनलों पर आकर अपनी बात रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देखना होगा कि भारत का कौन सा राजनीतिक दल दो लड़कियां और दो लड़कों की शादी को वैध मानता है। देश में ऐसे कई राजनीतिक दल हैं जो भारत की सनातन संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं। ऐसे दलों का मानना है कि सनातन संस्कृति रूढ़िवादी है जो राजनीतिक दल सनातन संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं वे क्या समलैंगिक विवाह को मान्यता देंगे? जहां तक भाजपा का सवाल है तो भाजपा से जुड़े विश्व हिन्दू परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। परिषद ने स्पष्ट कहा है कि समलैंगिक विवाह सनातन संस्कृति के विरुद्ध है। लेकिन अभी कांग्रेस, समाजवादी, कम्युनिस्ट पार्टी, ममता बनर्जी की टीएमसी, तमिलनाडु की डीएमके, आम आदमी पार्टी आदि की प्रतिक्रियाएं सामने नहीं आई हैं। स्वाभाविक है कि समलैंगिक समुदाय अब राजनीतिक दलों पर दबाव डालकर संसद और विधानसभाओं में कानून पास करवाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल समलैंगिक जोड़े को बच्चा गोद लेने का अधिकार भी नहीं दिया है। यह सही है कि जब समलैंगिक जोड़ा स्वयं बच्चे पैदा नहीं कर सकता तो फिर दूसरे के बच्चों को गोद लेने का क्या अधिकार है। कुछ लोग समाज में बेवजह की विकृति फैला रहे हैं। यदि दो लड़कियां पति-पत्नी के तौर पर रहने से खुश है तो इस खुशी का सार्वजनिक तौर पर इजार करने की कोई जरूरत नहीं है। भारत तो सनातन संस्कृति को मानता है, जिसमें परिवार एक पेड़ के समान है। परिवार में हर मौसम का आनंद लिया जाता है। हमारे यहां बच्चे के जन्म से लेकर बुजुर्ग की मृत्यु तक के उत्सव होते हैं। एक समलैंगिक जोड़ा जब बच्चे पैदा नहीं कर सकता है तो उस परिवार में खुशी कहां से आएंगी। कल्पना कीजिए की एक समलैंगिक जोड़ा किसी लड़की को गोद लेता है और आगे चलकर उस लड़की के लिए भी पति के तौर पर एक लड़की ही लाता है तो फिर इस समाज का क्या होगा? बच्चे तो पैदा होना ही बंद हो जाएंगे। 


S.P.MITTAL BLOGGER (18-10-2023)

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हमास और इजरायल युद्ध में तालिबान की चुप्पी पर मुस्लिम जगत में आश्चर्य।तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम बड़े आराम से वर्ल्ड कप में खेल रही है।

मध्य पूर्व में कट्टरपंथी संगठन हमास और इजरायल के बीच 19 अक्टूबर को युद्ध का 13वां दिन रहा। 18 अक्टूबर को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तेल अबीब पहुंच कर इजरायल की हौसला अफजाई की तो 19 अक्टूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इजरायल दौरे पर रहे। दुनिया की इन दोनों महाशक्तियों ने यह दिखाने का प्रयास किया कि हम इस युद्ध में इजरायल के साथ खड़े हैं। हमास को मुस्लिम जगत से जिस समर्थ की उम्मीद थी वैसा प्रभावी समर्थन अभी तक नहीं मिला है। मुस्लिम जगत में कट्टरपंथी संगठन तालिबान की चुप्पी पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। सब जानते हैं कि डेढ़ वर्ष पहले अमेरिका जैसी महाशक्ति को खदेड़ कर तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था। तालिबान का अफगानिस्तान पर आज भी मजबूती के साथ कब्जा है। उम्मीद थी कि इजरायल के साथ युद्ध में तालिबान हमास के साथ खड़ा होगा। लेकिन इस मुद्दे पर अभी तक तालिबान के किसी भी प्रतिनिधि का बयान सामने नहीं आया है। इतना ही नहीं अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम बड़े आराम से भारत में वर्ल्ड कप के मैच खेल रही है। इंग्लैंड टीम के साथ भी अफगानिस्तान की टीम के मैच हो रहे हैं, जबकि इंग्लैंड के पीएम इजरायल का दौरा कर रहे हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि हमास और तालिबान के बीच वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन इन दोनों ही कट्टरपंथी संगठनों का उद्देश्य एक है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद संतुष्ट हो गया है? इसमें कोई दो राय नहीं कि कब्जे के शुरुआती दिनों में तो अफगानिस्तान में हिंसक घटनाओं की खबरें आई थी, लेकिन अब ऐसी खबरें नहीं आ रही है, इससे प्रतीत होता है कि अफगानिस्तान पूरी तरह तालिबान के नियंत्रण में है। इसे तालिबान के नेताओं की कूटनीति ही कहा जाएगा कि मानवीय आधार पर भारत से हजारों टन गेहूं प्राप्त कर लिया। अफगानिस्तान और भारत के बीच अच्छे संबंध है, इसीलिए अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम को भारत आने वाला वीजा भी दिया गया। इतना ही नहीं आईपीएल के मैच खेलकर अफगानिस्तान के खिलाड़ी मालामाल हो रहे हैं। एक ओर जब गाजा पट्टी में लाखों मुस्लिमों को मुसीबत के दौर से गुजरना पड़ रहा है, तब तालिबान की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। तालिबान के लड़ाकों के पास तो वह ताकत है जिससे अमेरिका जैसी महाशक्ति को अफगानिस्तान से भगाया गया। मुस्लिम जगत में भी अभी सिर्फ ईरान ने हमास का खुलासा समर्थन किया है। अलबत्ता अमेरिका का यह प्रयास है कि गाजा पट्टी पर जरूरी राहत सामग्री पहुंचाई जाए ताकि कोई नागरिक भूख व प्यास से न मरे। 18 अक्टूबर को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बात के प्रयास किए कि गाजा पट्टी पर मानवीय मूल्यों की रक्षा हो, लेकिन इसके साथ ही हमास के कट्टरपंथियों पर कार्यवाही करने की इजराय को पूरी छूट दी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-10-2023)

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टिकट नहीं मिलने वाले ही विरोध करते हैं, आम मतदाता तो मोदी को चाहता है।अजमेर के किशनगढ़ में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सरल भाषा में कार्यकर्ताओं को समझाया।अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए अब विदेशों से भी आर्थिक सहयोग लिया जा सकेगा।21 सौ कन्याओं का स्कंद माता के स्वरूप में पूजन।

18 अक्टूबर की रात को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अजमेर और नागौर के प्रमुख पदाधिकारियों से सीधा संवाद किया। किशनगढ़ के एक समारोह स्थल पर आयोजित संवाद में नड्डा ने कहा कि चुनाव में जिन नेताओं को पार्टी का टिकट नहीं मिलता है, वे ही थोड़ी नाराजगी दिखाते हैं। लेकिन ऐसे नेताओं की संख्या ज्यादा नहीं होती। आमत मतदाता तो पीएम मोदी को चाहता है। ऐसे में हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि मोदी जी का चेहरा आगे रखकर मतदाता से संवाद करे। नड्डा ने कहा कि हम सब जब आम व्यक्ति से संवाद करते हैं, तब मोदी को लेकर कोई नाराजगी नहीं होती, लेकिन कई बार हमारे व्यवहार से लोग नाराज होते हैं। इसमें हमारे पार्षद, सरपंच, विधायक, प्रधान, सांसद आदि शामिल हैं। मतदाता की किसी भाजपा नेता से नाराजगी हो सकती है, लेकिन पीएम मोदी से नहीं। इसकी यही वजह है कि मोदी जी ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए जो कार्य किए उनका लाभ देश के आम मतदाता को मिल रहा है। नड्डा ने कहा कि किसी एक भाजपा नेता के प्रति नाराजगी का खामियाजा पूरी पार्टी क्यों उठाए? नड्डा ने कहा कि हमें नाराज मतदाताओं के बीच जाकर संवाद करना चाहिए। यदि नाराज व्यक्ति से जाकर मिलेंगे तो उसकी नाराजगी दूर हो जाएगी। हम सब अब अपना नेता मोदी जी को मानते हैं, तब हमें मोदी के आचरण और व्यवहार को भी आत्मसात करना चाहिए। आम मोदी ने पूरी दुनिया में भारत की जो पहचान बनाई है,उसी का नतीजा है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां भी भारत का सम्मान करती है। आम मतदाता इस बात को समझता है कि मोदी के पीएम रहते देश सुरक्षित है। मतदाता की यह भावना ही चुनाव में हमें जीत दिलवाएगी। नड्डा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हमने थोड़ी सी भी मेहनत की तो परिणाम हमारे पक्ष में होंगे। आज भारत में किसी भी राजनीतिक दल के पास मोदी जैसा नेतृत्व नहीं है।
 
विदेशों से भी सहयोग:
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंदगिरि महाराज ने बताया कि अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर के लिए अब विदेश व्यक्ति और संस्थाएं भी आर्थिक सहयोग दे सकते हैं। इसके लिए भारत सरकार ने अनुमति प्रदान कर दी है। विदेशी स्रोतों से प्राप्त होने वाली आय को भारतीय स्टेट बैंक की नई दिल्ली स्थित संसद मार्ग वाली शाखा के खाते में ही जमा कराया जा सकता है। राशि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के खाता संख्या 42162875158 में जमा कराई जा सकती है।
 
21 सौ कन्याओं का पूजन:
मां भारती परिवार की ओर से नवरात्रि में 19 अक्टूबर को 21 सौ कन्याओं का स्कंद माता स्वरूप में पूजन किया गया। परिवार के प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार ढिल्लीवाल ने बताया कि अजमेर के फॉयसागर रोड स्थित अभिनंदन गार्डन में आयोजित इस समारोह में सभी 21 सौ कन्याओं के पूजन के बाद उन्हें भोजन कराकर उपहार एवं फल प्रदान किए गए। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मोहित सारस्वती, शशांक शेखर, लाल सिंह रावत, अमित शर्मा, राजेंद्र सारस्वत, अशोक मेघवाल, अनिल सोनी, मनोज सोनी, हर्ष टांक, महेश वर्मा, दीपक चौहान, नरेश सोलीवाल, संदीप चौरसिया, मीना शर्मा, उषा चौरसिया, सरिता सोनी, ललित दत्ता, अनिता दुबे, ममता सोनी, सपना चोपड़ा, पूजा चौधरी, अनु शुक्ला, अलका पाराशर, नीलम पाराशर, सीमा शेखावत, खुशबू राजपूत, विजय कंवर, प्रिया चौरसिया, पूजा शर्मा, मीना वर्मा, पूनम दत्ता, दीपिका ईनाणी आदि का सक्रिय योगदान रहा। नवरात्र में प्रति वर्ष कन्याओं का इस तरह पूजन कार्यक्रम आयोजित होता है। इस धार्मिक आयोजन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829544844 पर पवन ढिल्लीवाल से ली जा सकती है। 


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Monday 9 October 2023

तो क्या राजस्थान के हालात पश्चिम बंगाल जैसे हो गए हैं?स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा का बयान।

राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान के कितने भी दौरे कर ले, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा का पश्चिम बंगाल जैसा होगा। मंत्री मीणा के इस बयान के बाद सवाल उठता है कि क्या राजस्थान के हालात पश्चिम बंगाल जैसे हो गए हैं? सब जानते हैं कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की सरकार में तुष्टीकरण के हालात कैसे हैं? जिस पश्चिम बंगाल की पहचान नवरात्र महोत्सव की वजह से है उस राज्य में अब ऐसे धार्मिक आयोजनों के लिए भी कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है। बंगाल में बनाने बम बनाने की फैक्ट्रियां खुलेआम चल रही हैं। बंगाल के हालात किसी से छुपे नहीं है। विधानसभा चुनाव में भाजपा का क्या होगा यह तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यदि मंत्री मीणा पश्चिम बंगाल की राजनीति के जानकार होते तो ऐसा बयान कभी नहीं देते। यदि भाजपा का हश्र खराब होगा तो फिर कांग्रेस का क्या होगा? मीणा को यह पता होना चाहिए कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। भाजपा के 70 से ज्यादा विधायक और 18 सांसद हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है। यह सही है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी तुष्टीकरण में ममता बनर्जी का अनुसरण कर रही है। लेकिन अभी राजस्थान के हालात पश्चिम बंगाल जैसे नहीं हुए हैं। लेकिन यदि मंत्री मीणा को यह एहसास है कि राजस्थान, पश्चिम बंगाल बन रहा है तो फिर राजस्थान के मतदाताओं की भी गंभीरता के साथ विचार करने की जरूरत हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-10-2023)

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ब्यावर विधानसभा क्षेत्र के सभी छह मंडल अध्यक्षों ने देवी शंकर भूतड़ा को भाजपा का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा।मसूदा के शिवपुरा घटा के चमत्कारी शिव मंदिर से रामसुख गुर्जर को आशीर्वाद मिला। भाजपा से है दावेदारी।

अजमेर देहात भाजपा के जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा ने किसी भी विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी नहीं जताई है, लेकिन ब्यावर विधानसभा क्षेत्र के सभी छह मंडलों के अध्यक्षों ने भूतड़ा को ब्यावर से उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव  भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन महासचिव चंद्रशेखर के समक्ष रखा है। जानकारी के मुताबिक मंडल अध्यक्ष डूंगर सिंह रावत, देवेंद्र रावत, संतोष रावत, कानाराम गुर्जर, नरेश मित्तल, जितेंद्र कांवडिया, देहात के जिला महामंत्री पवन जैन, मंत्री करण सिंह रावत, एससी मोर्चे के जिला अध्यक्ष चेतन गोयल, महामंत्री रवि चौहान आदि भाजपा पदाधिकारियों ने जयपुर में प्रदेश नेताओं से मुलाकात की। सभी नेताओं को एक पत्र भी दिया गया, जिसमें भूतड़ा को ब्यावर से उम्मीदवार बनाने की मांग की। पदाधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ब्यावर से रावत समुदाय के व्यक्ति को ही उम्मीदवार बनाना है तो भाजपा संगठन से जुड़े रावत नेता को उम्मीदवार बनाया जाए। सूत्रों के अनुसार पदाधिकारियों ने प्रदेश नेताओं से कहा कि ब्यावर के मौजूदा भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत समांतर भाजपा चलाते हैं। हाल ही में ब्यावर में संगठन के जो बड़े कार्यक्रम हुए, उसमें विधायक रावत ने भाग नहीं लिया। कई अवसरों पर तो विधायक के समर्थक पार्टी विरोधी काम करते हैं। पदाधिकारियों ने प्रदेश नेतृत्व को भरोसा दिलाया कि ब्यावर में भाजपा मजबूत स्थिति हैं। भाजपा की लगातार चौथी बार जीत सुनिश्चित हैं। लेकिन उम्मीदवार के चयन में कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल रखा जाना जरूरी है। इस मामले में देहात जिला अध्यक्ष भूतड़ा का कहना है कि उन्होंने जिले के किसी भी विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग नहीं की है। मैंने पूरे समर्पण भाव से जिला अध्यक्ष के पद का निर्वहन किया है। आज भाजपा देहात क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जीत रही है। ब्यावर के मंडल अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों की भावनाओं का सम्मान करता हंू। मैं पहले भी ब्यावर से भाजपा विधायक रह चुका हंू। चूंकि मेरा निवास ब्यावर में ही है, इसलिए मैंने राजनीति में ब्यावर को प्राथमिकता दी है। यदि मुझे ब्यावर से उम्मीदवार बनाया जाता है तो भाजपा के कार्यकर्ताओं का जोश चार गुणा बढ़ जाएगा।
 
शिवजी का आशीर्वाद मिला:
अजमेर जिले के मसूदा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व आरएएस रामसुख गुर्जर ने भी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत की है। गुर्जर पहले सेना में कार्यरत थे और फिर सेना के कोटे से ही तहसीलदार और अतिरिक्त जिला कलेक्टर तक बने। चूंकि गुर्जर का जन्म स्थल मसूदा ही है। इसलिए वे इस क्षेत्र से भाजपा में अपनी दावेदारी जता रहे हैं। गुर्जर की दावेदारी को लेकर यूं तो सभी समाजों में उत्साह है, लेकिन चीता मेहरात, गुर्जर और पूर्व सैनिकों में कुछ ज्यादा ही उत्साह है। हिन्दू और मुस्लिम परंपराओं  को मानने वाले चीता मेहरात समुदाय के लोगों ने विगत दिनों शिवपुरा घाटा स्थित शिवजी के मंदिर (धूणी) पर गुर्जर का अभिनंदन किया। मंदिर की परंपरा के अनुसार धूणी के प्रज्ज्वलन के समय चमत्कार देखने को मिला। मंदिर से जुड़े धर्म प्रेमियों का कहना रहा कि ऐसा बहुत कम होता है, जब धूणी पर चमत्कार देखने को मिलता है। गुर्जर के समर्थकों का कहना है कि यदि रामसुख गुर्जर को मसूदा से उम्मीदवार बनाया जाता है तो नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा को फायदा होगा। नसीराबाद और मसूदा आपस में मिले हुए हैं। नसीराबाद में भी गुर्जर मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। राजकीय सेवा में रहते हुए भी गुर्जर ने जनहित के कार्य किए। गरीबों को पेंशन दिलाने हो या फिर सड़क, नाली आदि के काम हो। गुर्जर ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुर्जर जिन क्षेत्रों में तहसीलदार, एसडीएम और एडीएम रहे, उन क्षेत्रों के लोग आज भी गुर्जर को याद करते हैं। गुर्जर सालासर बालाजी के परम भक्त हैं। गुर्जर ने हनुमान जी से जुड़ी आरतियों  पर एक पुस्तक भी लिखी है। गुर्जर का कहना है कि प्रशासनिक क्षेत्र में सेवा करने के बाद अब वे अपनी मातृभूमि का कर्ज उतारना चाहते हैं। यदि उन्हें विधायक बनने का अवसर मिलेगा तो वे सही मायने में एक जान सेवक की भूमिका निभाएंगे। मोबाइल नंबर 9414354751 पर गुर्जर की राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी ली जा सकती है। 

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मिजोरम में 7, मध्य प्रदेश में 17, राजस्थान में 23, तेलंगाना में 30 और छत्तीसगढ़ में 7 व 17 नवंबर को मतदान होगा। परिणाम 3 दिसंबर को।आचार संहिता लगते-लगते ही गहलोत सरकार के दो मंत्रियों ने जयपुर में गैस आधारित शवदाह गृह का लोकार्पण किया। लेकिन अब सरकारी खर्चे पर प्रचार बंद।होर्डिंग और पोस्टर भी हटेंगे। निगमों और बोर्डों के अध्यक्षों के वाहन व अन्य सुविधाएं भी छीनेंगी।आखिर आरपीएससी ने तीन सदस्यों की नियुक्ति हुई।

9 अक्टूबर को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित कर दी है। चालीस सदस्य वाले मिजोरम में 7 नवंबर को, 230 सीट  वाले मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को, 200 सीट वाले राजस्थान में 23 नवंबर को, 119 सीट वाले तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होगा। जबकि नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ राज्य में 7 व 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। आयोग के अनुसार इन पांच राज्यों में 679 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें मतदाताओं की संख्या 16 करोड़ 14 लाख आंकी गई है, इनमें से सात लाख नौ मतदाता हैं। कोई भी व्यक्ति 17 से 23 अक्टूबर तक संशोधन करवा सकता है। उन्होंने बताया कि आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार को तीन बार अखबारों में अपने मुकदमों की जानकारी प्रकाशित करवानी होगी। इसी प्रकार राजनीतिक दल को भी यह बताना होगा कि अन्य कोई उम्मीदवार नहीं मिला इसलिए आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया गया है। आयोग ने बताया कि इस बार पोस्टल बैलेट में भी बदलाव किया गया है।
 
शवदाह गृह का लोकार्पण:
दिल्ली में 9 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे जब चुनाव आयोग ने राजस्थान सहित पांच राज्यों में मतदान की तारीखे घोषित कर रहा था तभी जयपुर में गहलोत सरकार के मंत्री शांति धारीवाल और प्रताप सिंह खाचरियावास लाल कोठी स्थित मोक्षधाम में गैस आधारित शवदाह गृह का लोकार्पण कर रहे थे। इन दोनों मंत्रियों ने कहा कि नए शवदाह गृह के बनने से अब मृतकों को का अंतिम संस्कार सरलता और शीघ्र के साथ हो सकेगा। धारीवाल ने इससे पहले राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के 1760 फ़्लैटों और 1584 परिसंपत्तियों का लोकार्पण भी वर्चुअल तकनीक से किया। सरकार के मंत्रियों को पता हो गया था कि दोपहर 12 बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हैं, जिसमें मतदान की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लगा दी जाएगी। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए जलदाय विभाग में भी 29 इंजीनियरों के तबादले कर दिए गए। जानकार सूत्रों के  अनुसार मंत्रियों के निर्देश पर संबंधित अधिकारी सचिवालय में सुबह ही पहुंच गए और उन्होंने सभी लंबित फाइलों का निपटारा कर दिया। कुछ अधिकारियों ने इस बात की गुंजाइश रखी हैं कि बैक डेट में आदेश निकाले जा सके। सरकार पिछले कई दिनों से हड़बड़ी में है। इसलिए एक दिन पहले भी कई निगम बोर्डों का गठन किया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से 9 अक्टूबर को अखबारों में प्रचार का अंतिम विज्ञापन भी प्रकाशित हो गया है। आचार संहिता लगने के बाद अब टीवी और अखबारों में किसी भी प्रकार का विज्ञापन सरकारी खर्चें पर नहीं दिया जा सकेगा। इस संबंध में चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों को पाबंद कर दिया है। बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर मुख्यमंत्री, मंत्रियों के जो विज्ञापन लगे हुए हैं उन्हें भी हटाने की कार्यवाही शुरू हो रही है। इस संबंध में चुनाव आयोग ने स्थानीय निकाय संस्थाओं को पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं। इसी प्रकार बोर्ड और निगमों के अध्यक्षों के सरकारी वाहन और अन्य सुविधाओं पर भी प्रतिबंध लग गया है। अब ऐसे अध्यक्ष सरकारी वाहनों का उपयोग नहीं कर सकेंगे। पुलिस भी किसी मंत्री या अध्यक्ष को एस्कॉर्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाएगी।'

तीन सदस्यों की नियुक्ति:
चुनाव आचार संहिता लगने से एक रात पहले गहलोत सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग में रिक्त पड़े तीन सदस्यों के पद पर नियुक्ति कर दी है। सूत्रों के अनुसार केसर सिंह, कैलाश चंद मीणा और मोहम्मद अयूब को नियुक्त किया गया है। आयोग में पिछले कई माह से यह तीनों पद रिक्त पड़े थे, जिसकी वजह से आयोग का कामकाज प्रभावित हो रहा था। लेकिन  आचार संहिता लगते लगते सरकार ने रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी है। 

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Sunday 8 October 2023

अजमेर उत्तर से भाजपा को हराया नहीं जा सकता, इसी भ्रम को तोड़ना मेरा उद्देश्य है।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भरोसा जीतना ही राजनीति में मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।अजमेर उत्तर में कांग्रेस का संगठन मजबूत है-धर्मेन्द्र राठौड़।सनातन धर्म की रक्षा जरूरी-स्वामी अनादि सरस्वती।अजमेर में अग्रसेन जयंती पर अनेक कार्यक्रम।

आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी जता रहे राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का कहना है कि इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने का उद्देश्य, यह भ्रम तोड़ना है कि भाजपा को हराया नहीं जा सकता।  राठौड़ ने यह माना कि गत चार बार से इस क्षेत्र से कांग्रेस की हार हो रही है। राठौड़ ने कांग्रेस के पिछले उम्मीदवारों की चुनाव रणनीति पर कोई टिप्पणी किए बगैर बताया कि वर्ष 2003 में नरेन शाहनी मात्र दो हजार मतों से पराजित हुए। इसके बाद डॉ. श्रीगोपाल बाहेती सिर्फ 600 मतों से पराजित हुए। 2013 में जब देशभर में मोदी लहर चल रही थी, तब भी डॉ. बाहेती ने भाजपा से कड़ा संघर्ष किया, लेकिन फिर भी 20 हजार मतों से कांग्रेस की हार हुई। 2018 में कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र सिंह रलावता ने पूरी मेहनत कर चुनाव लड़ा और हार का अंतर 8 हजार मतों का रहा। 2013 को छोड़ दें तो कांग्रेस की हार के मतों का अंतर ऐसा नहीं है, जिससे खत्म  न किया जा सके। भाजपा ने यह भ्रम फैला रखा है कि इस क्षेत्र से कांग्रेस जीत नहीं सकती। भाजपा के इस भ्रम को तोड़ने के लिए ही मैंने सबसे पहले इस क्षेत्र में कांग्रेस को संगठन की दृष्टि से मजबूत किया है। क्षेत्र के सभी 194 मतदान केंद्रों पर अध्यक्ष के साथ 13 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की गई है। यानी कांग्रेस के पास इस क्षेत्र के 11 मंडलों पर अध्यक्ष सहित 11 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार है। दो ब्लॉक अध्यक्ष भी पूरी मेहनत के साथ संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। मैंने लगातार इस क्षेत्र के लोगों से संपर्क किया है। लोगों की राय कांग्रेस के पक्ष में है। राठौड़ ने कहा कि इस बार अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी नहीं है। इसकी वजह यही है कि सरकार की योजनाओं का लाभ हार परिवार को मिल रहा है। अजमरे उत्तर क्षेत्र में शायद ही कोई परिवार होगा, जिसे लाभ न मिला हो। उन्होंने स्वयं भी इस बात का ध्यान रखा है कि योजनाओं का लाभ प्रत्येक व्यक्ति को मिले। सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थाओं को भूमि आवंटन से लेकर योजनाओं का लाभ दिलाने तक का कार्य किए गए हैं। राठौड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि वर्ष 2014 से 2018 तक अजमेर नगर निगम से लेकर दिल्ली तक भाजपा का शासन था, लेकिन इसके बावजूद भी पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ। जो विधायक पिछले 20 वर्ष से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि आज इस विधानसभा क्षेत्र में चार-पांच में दिन में एक बार पानी की सप्लाई क्यों हो रही है? राठौड़ ने कहा कि सीएम गहलोत ने बजट में विकास कार्यों की जो घोषणाएं की उनका श्रेय भी भाजपा के विधायक ले रहे हैं। राठौड़ ने कहा कि उन्होंने इस क्षेत्र से कांग्रेस की जीत का आधार तैयार कर दियाहै। उन्होंने अपनी दावेदारी जताई है, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो जीत का यह आधार कांग्रेस के उम्मीदवार के काम आएगा। मैं यह बात दावे से कहा सकता हूं कि इस बार कांग्रेस की जीत होगी। मेरा बचपन अजमेर और पुष्कर में ही बीता है। मैं जब राज्य कर्मचारियों के संघ का प्रदेश अध्यक्ष था, तब अजमेर से विशेष लगाव रहा। आरटीडीसी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भी मैंने अजमेर की समस्याओं का समाधान किया है। राठौड़ ने कहा कि इस क्षेत्र में किसी विशेष जाति का कोई मुद्दा नहीं है। सभी जातियां समान रूप से है। सभी का अपना अपना महत्व है। भाजपा एक जाति को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ती है। जबकि इस क्षेत्र में अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। चुनाव हमेशा दो राजनीतिक भाजपा और कांग्रेस के बीच है। भाजपा में तो अब मौजूदा विधायक का विरोध भाजपा के नेता और कार्यकर्ता ही कर रहे हैं। भाजपा की इस फूट का फायदा भी उठाया जाएगा।
 
सीएम गहलोत का भरोसा:
राठौड़ ने कहा कि राजनीति में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भरोसा जीतना है। सीएम गहलोत अपनी छवि का हमेशा ख्याल रखते हैं। किसी भी दाग दार व्यक्ति को अपने निकट नहीं आने देते। मेरा यह सौभाग्य रहा कि गहलोत ने मुझ पर भरोसा किया है। राजनीति की कई मौकों पर मैं सीएम गहलोत के भरोसे पर खरा उतरा हंू। राठौड़ ने माना कि अगस्त 2020 में कांग्रेस सरकार पर संकट था। लेकिन गहलोत की रणनीति की वजह से संकट टल गया। सरकार बचाने के लिए हमने जो कार्यवाही की उसी का परिणाम रहा कि मेरे घर पर इनकम टैक्स की रेड हुई। यदि मैं दोषी होता तो अब तक केंद्र सरकार मुझे जेल में डाल देती। मेरा कोई कारोबार नहीं है।   मेरी राय के बारे में प्रतिवर्ष इनकम टैक्स विभाग को जानकारी दी जाती है। मेरे घर से जो डायरियां जब्त की गई उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि इस मुद्दे पर सीएम गहलोत ने अपनी प्रतिक्रिया कई बार दे दी है। राठौड़ ने कहा कि मेरा प्रयास है कि अजमेर का विकास कोटा की तर्ज पर करवाया जाए। यदि मुझे विधायक बनने का अवसर मिलता है तो मैं अजमेर के विकास में कोई कसर नहीं छोडूंगा। धर्मेन्द्र राठौड़ की ताजा राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9413341304 पर ली जा सकती है।
 
धर्म की रक्षा जरूरी:
अजमेर उत्तर से भाजपा उम्मीदवार के लिए दावेदारी जता रही स्वामी अनादि सरस्वती ने कहा है कि आज देश में सनातन धर्म की रक्षा जरूरी है। कांग्रेस ने जो इंडिया गठबंधन बनाया है उसमें ऐसे कई दल हैं जो सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं। यदि कांग्रेस चुनाव जीतती है तो उन ताकतों को बल मिलेगा, जो सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा एक मात्र ऐसा राजनीतिक दल है जो हमेशा सनातन धर्म के साथ खड़ा रहता है। अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर भी इसी भावना के साथ बन रहा है। उन्होंने कहा कि मैं स्वतंत्रता सेनानी शहीद हेमू कालाणी परिवार से जुड़ी हुई हंू। हालांकि शहीद हेमू कालानी का जीवन मात्र 20 वर्ष का रहा, लेकिन उन्होंने जिस अवधि में देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसलिए अंग्रेजों ने उन्हें बीस वर्ष की उम्र में ही फांसी दे दी। स्वामी अनादि ने बताया कि उनके दादा पोखरण दास कालाणी और हेमू कालाणी रिश्ते में भाई थे। मेरे पास दोनों परिवारों की वंशावली है। जो लोग शहीद हेमू कालाणी के साथ मेरे परिवार की रिश्तेदारी को नकार रहे हैं उन्हें हमारे परिवारों की वंशावली देखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने अजमेर उत्तर से भाजपा में दावेदारी जताई इसलिए जताई है ताकि देश में राष्ट्र भक्ति का माहौल और मजबूत किया जा सके। हमारी सनातन संस्कृति ही ऐसी संस्कृति है जिसमें दूसरे धर्मों के विचारों का भी सम्मान किया जाता है। स्वामी अनादि सरस्वती की धार्मिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9829071877 पर ली जा सकती है।
 
अग्रसेन जयंती:
अग्रवाल समाज के आराध्य देव महाराजा श्री अग्रसेन की 5147वीं जयंती इस बार अजमेर में भी धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। जयंती के मुख्य संयोजक अशोक पंसारी एवं डॉ. विष्णु चौधरी ने बताया कि जयंती के  8 दिवसीय कार्यक्रम 10 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे, जयंती कार्यक्रम के मुख्य संयोजक सुनील गोयल ने बताया  10 अक्टूबर को प्रात: 7 बजे से सीताराम बाजार कैसरगंज से अग्र वाहन रैली निकाली जाएगी जो शहर के मुख्य बाजारों से होती हुई महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल में समाप्त होगी। रैली को मुख्य अतिथि गणेशी लाल एडवोकेट हरी झंडी दिखाएंगे स्कूल प्रांगण में  ध्वजारोहण के साथ 8 दिवसीय जयंती समारोह का आगाज होगा। समारोह के मुख्य अतिथि दिनेश गुप्ता एवं रजत गुप्ता होंगे। शाम 6 बजे स्कूल प्रांगण में ही श्री अग्रसेन मेले का आयोजन होगा। संयोजक विष्णु मंगल ने बताया  समाज के अग्र बंधुओं के लिए विभिन्न तरह के व्यंजन गेम्स  आदि की स्टॉल होगी  तथा लाओ पाओ गेम एक मिनट गेम फिल्मी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी मेले का उद्घाटन समाज सेवी राजू सिंघल करेंगे, कार्यक्रमों में 11 अक्टूबर को महिला खेलकूद प्रतियोगिताएं अलका गर्ग के मुख्य आतिथ्य में दोपहर ढाई बजे से होगी    11 अक्टूबर को अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन भी होगा। स्कूल प्रांगण में रात 8:30 बजे से प्रारंभ होने वाले इस कवि सम्मेलन में देश के ख्याति प्राप्त कवि भाग लेंगे, जिसमें अलवर से ओज के कवि विनीत चौहान हास्य रस के कवि मुंबई के दिनेश बावरा जबलपुर की कवयित्री मोनिका दुबे लाफ्टर चैंपियन सुनील व्यास दिल्ली से हास्य कवि चिराग जैन और गीतकार डॉक्टर कमलेश शर्मा अपनी प्रस्तुति देंगे कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि लोकेश अग्रवाल व संजीव अग्रवाल होंगे। 12 अक्टूबर महिला सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं व 13 अक्टूबर को म्यूजिकल हाऊजी  का आयोजन होगा। 14 अक्टूबर को रक्तदान शिविर चिकित्सा शिविर मस्ती की पाठशाला कैरम व शतरंज प्रतियोगिता व शाम को डांडिया का एक आकर्षक कार्यक्रम रखा गया है जिसमे मुंबई के सारेगामापा फेम विश्वास रॉय दिल्ली की डांडिया गायिका आरती सरगम प्रस्तुति देगी। 15 अक्टूबर को महाराजा अग्रसेन की शोभा यात्रा निकली जाएगी, पूर्व प्रात: प्रभात फेरी। 16 अक्टूबर को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा व समाज के प्रतिभाशाली युवाओं व युवतियों का सम्मान किया जाएगा। 17 अक्टूबर को भोजन प्रसादी के साथ कार्यक्रम के साथ समापन होगा। कार्यक्रम में सीताराम गोयल शाला अध्यक्ष शंकर लाल बंसल शाला कोषाध्यक्ष गोपाल गोयल कांच वाले  मुख्य संयोजक अशोक पंसारी विष्णु चौधरी शैलेंद्र अग्रवाल दिनेश परनामी लोकेश अग्रवाल सुनील गोयल राकेश हटुका ने सभी अग्र बंधुओं को ज्यादा से ज्यादा। संख्या में भाग लेने की अपील की हैं इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003159 पर अशोक पंसारी से ली जा सकती है। 

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पीएम मोदी की बोटी बोटी करने का बयान देने वाला इमरान मसूद कांग्रेस में शामिल।लेकिन फिर भी राहुल गांधी नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करते हैं।

गत वर्ष जिन मुस्लिम नेता इमरान मसूद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शरीर की बोटी बोटी करने वाला बयान दिया था, वो इमरान मसूद 7 अक्टूबर को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मसूद को सदस्यता दिलवाई। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार मसूद को पार्टी में शामिल करने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से सहमति ली गई। इमरान मसूद राजनीति में तभी चर्चित हुए जब उन्होंने बोटी बोटी वाला बयान दिया था। मसूद पहले कांग्रेस में ही थे, लेकिन अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर उन्होंने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की यात्रा भी की। हाल ही में मसूद को बसपा से बर्खास्त कर दिया गया। यह सही है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बेहद कमजोर है। सपा ने कांग्रेस को हशिए पर ला दिया है। कांग्रेस यूपी में अपनी जमीन तलाश रही है। कांग्रेस की नजर मुस्लिम मतदाता पर है। इमरान मसूद को भी कांग्रेस में इसलिए शामिल किया गया है ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कुछ उम्मीदवार मिल सके। यहां यह उल्लेखनीय है कि लोकसभा में हुए विवाद के बाद राहुल गांधी बसपा के सांसद दानिश अली के घर भी गए थे। कांग्रेस की नजर बसपा के एक मात्र लोकसभा सांसद पर भी लगी हुई है। कांग्रेस यूपी में अपना जनाधार कैसे बनाती है यह पार्टी का आंतरिक मामला है, लेकिन जब इमरान मसूद जैसे नेताओं का शामिल किया जाता है तो फिर राहुल गांधी के नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान वाले कथन पर सवाल उठते हैं। राहुल गांधी बताएं कि मसूद को शामिल करने पर वे कौनसी मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं? यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि मसूद को बोटी बोटी वाले बयान पर जेल भी जाना पड़ा था। लेकिन जेल से बाहर आने पर मसूद ने अपने बयान पर खेद प्रकट नहीं किया। कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी मसूद ने अपने बयान पर खेद प्रकट नहीं किया है। इस से प्रतीत होता है कि मसूद को अपने बयान पर कोई अफसोस नहीं है। यह कहा जा सकता है  कि मसूद ने पीएम की बोटी बोटी वाला जो बयान दिया उसी की वजह से मसूद को कांग्रेस में शामिल किया गया है। जो भी व्यक्ति पीएम मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत हमले करता है उसे कांग्रेस पसंद करती है। 


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बदसलूकी से तंग आकर दो बहनों ने जान दी। शिकायत के बाद भी पुलिस से नहीं मिली मदद।इकबाल और बाबूलाल गुर्जर की मौत में फर्क क्यों कर रही है गहलोत सरकार?कांग्रेस विधायक राम निवास गवाडिय़ा का विरोध करने वाले दलितों पर लाठियां।सरकार ने मृतक व्यक्ति को सिंधी अकादमी का अध्यक्ष बनाया।आखिर राजस्थान में यह क्या हो रहा है?

राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार की ओर से इन दिनों अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापन छप रहे हैं। इन विज्ञापनों का शीर्षक है, तथ्य बताते समय। विज्ञापनों के माध्यम से विभागवार बताया है कि 2013 से 2018 के बीच भाजपा सरकार और गत 2018 से 2023 तक की कांग्रेस सरकार के विकास में कितना फर्क है। कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां कई गुना ज्यादा है। लेकिन गहलोत सरकार ने यह नहीं बताया कि राजस्थान में महिला खासकर नाबालिग बच्चियों पर अत्याचारों की क्या स्थिति हैं। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र प्रतापगढ़ जिले के घंटाली गांव में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली दो ममेरी बहनों को इसलिए जान देनी पड़ी। समय रहते पुलिस ने मदद नहीं की। दोनों नाबालिग छात्राओं के परिजन ने उन लड़कों के नाम भी पुलिस को बताए जो तंग कर रहे थे। पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं करने का नतीजा यह रहा कि 5 अक्टूबर को दोनों बहनों का स्कूल जाते समय अपहरण कर लिया। बाद में रात 8 बजे दोनों को सड़क किनारे पटक दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उस समय दोनों बदहवास हालात में थी। परिजन अपने घर ले गए, लेकिन 6 अक्टूबर की सुबह दोनों बेसुध हालत में मिली। सवाल उठता है कि जब परिजन ने बदमाश लड़कों के नाम बता दिए थे, तब पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की। जिस तरह दो आदिवासी छात्राओं की मौत हुई है, यह अपने आप में बहुत गंभीर घटना है। शर्मनाक बात तो यह है कि ऐसी घटनाएं राजस्थान में रोजाना हो रही है।
 
मौत में फर्क:
सवाई माधोपुर के खवा गांव में ग्रामीण मृतक बाबूलाल गुर्जर के शव को लेकर 7 अक्टूबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। बाबूलाल की मौत टाइगर अटेक में हो गई। परिजन की मांग है कि जिस प्रकार जयपुर के मृतक इकबाल के परिजन को पचास लाख रुपए का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और डेयरी का बूथ दिया गया है, उसी प्रकार का मुआवजा बाबूलाल को भी दिया जाए। इकबाल की मृत्यु भी एक सड़क दुर्घटना के बाद उत्पन्न हुए हालातों में हुई। इसी प्रकार बाबूलाल की मौत भी टाइगर के हमले में हुई है। बाबूलाल का परिवार गरीब है। बाबूलाल के परिजन के पास एक इंच जमीन भी नहीं है तथा चार बच्चों की जिम्मेदारी विधवा पत्नी पर है। जब इकबाल को पचास लाख रुपए दिए जा सकते हैं तो तब बाबूलाल को क्यों नहीं।
 
विधायक गवाडिय़ा का विरोध:
सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों का अपने क्षेत्रों में कितना विरोध है, इसका अंदाजा परबतसर (नागौर) के विधायक रामनिवास गवाडिय़ा के विरोध से लगाया जा सकता है। 7 अक्टूबर को बिदियाद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लोकार्पण के समय राणासर हत्याकांड के पीडि़तों ने अपना विरोध प्रकट किया। पीडि़तों का कहना रहा कि अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर हम एक सप्ताह से धरना दे रहे हैं,लेकिन विधायक गवाडिय़ा दलित वर्ग के लोगों से मिलने तक नहीं आए। ग्रामीण जब विरोध कर रहे थे, तब उनके विरोध को शांत करने के लिए पुलिस ने लाठियां बरसा कर खदेड़ दिया। यानी जो ग्रामीण अपने विधायक से मदद की मांग कर रहे हैं उन पर पुलिस लाठियां बरसा रही हैं।
 
मृतक को बनाया सदस्य:
6 अक्टूबर को राजस्थान सरकार के कला साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के उप शासन सचिव नवीन यादव की ओर से सिंधी अकादमी का जो गठन किया गया उसमें बीकानेर के राधाकिशन चांदवानी का नाम भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है । जबकि चांदवानी का निधन वर्ष 2019 में ही हो चुका है। मृतक व्यक्ति को अकादमी का सदस्य बनाए जाने से प्रतीत होता है कि गहलोत सरकार बहुत हड़बड़ी में है। असल में सिंधी अकादमी के गठन का मामला सरकार के पास 2019 से ही विचाराधीन था। लेकिन पांच वर्ष गुजर जाने के बाद भी सरकार ने अकादमी का गठन नहीं किया। अब जब विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने वाली है, तब सरकार आधी रात को निर्णय ले रही है। यह भी वजह रही कि 2019 में जिन लोगों के नाम मांगे गए उन्हें बिना जांच पड़ताल किए 2023 में सदस्य मनोनीत कर दिया। सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति बिगड़ती कानून व्यवस्था हड़बड़ाहट को देखते हुए यह सवाल उठा रहा है कि आखिर राजस्थान में यह या हो रहा है? 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-10-2023)
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Saturday 7 October 2023

तो सब्जी विक्रेता की तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए जिले बांट रहे हैं।राजस्थान सिंधी अकादमी में अजमेर के नरेश राघानी और दीपा थदानी भी शामिल।

6 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुचामन सिटी, मालपुरा और सुजानगढ़ को नए जिले बनाने की घोषणा की। इससे पहले 19 नए जिलों की घोषणा विधानसभा में की जा चुकी है। अब राजस्थान में सबको मिलाकर 53 जिले और 10 संभाग हो गए हैं। सीएम गहलोत ने जिस तरह नए जिले बनाए हैं, उसके मद्देनजर राजस्थान पत्रिका में अभिषेक का एक कार्टून प्रकाशित हुआ है। इस कार्टून में सीएम गहलोत को सब्जी का ठेला चलाते हुए दिखाया गया है और ठेले में नए जिले के प्रतीक रखे गए हैं। सब्जी विक्रेता की ओर से कहा जा रहा है कि यहां हर साइज का जिला मिलता है। सीएम गहलोत ने जिस तरह छोटे छोटे उपखंडों को जिला बनाया है, उसमें अभिषेक का यह कार्टून सही प्रतीक होता है। इसमें कोई दो राय नहीं की राजनीतिक नजरिए से बनाए गए जिलों में आने वाले दिनों में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि प्रशासनिक तंत्र को जनता के निकट पहुंचने के लिए नए जिले बनाए गए हैं। अब प्रदेश के किसी भी नागरिक को जिला मुख्यालय आने के लिए 20 किलोमीटर या इससे भी ज्यादा का सफर तय नहीं करना पड़ेगा। हालांकि प्रशासनिक तंत्र में उपखंड अधिकारी और कार्यपालक मजिस्ट्रेट के तौर पर काम करने वाले तहसीलदार के पद भी होते हैं। लेकिन अब उपखंड अधिकारी के स्तर पर कलेक्टर को बैठा दिया गया है। इससे आम जनता को कितनी राहत मिलेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन उपखंड स्तर पर जिला मुख्यालय की सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर करोड़ों रुपया खर्च होगा। 22 नए जिले बनाने पर कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह तो विधानसभा चुनाव के परिणाम पर ही पता चलेगा, लेकिन अशोक गहलोत राजस्थान के ऐतिहासिक मुख्यमंत्री जरूर बन गए हैं।
 
अजमेर के दो सदस्य:
7 अक्टूबर को नवगठित राजस्थान सिंधी अकादमी के अध्यक्ष और 11 सदस्यों ने जयपुर में शपथ ग्रहण कर ली है। चुनाव आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए यह शपथ ग्रहण समारोह कितनी जल्द रखा गया। राज्य सरकार के कला साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के उप शासन सचिव नवीन यादव ने 6 अक्टूबर को ही एक आदेश निकाल कर जयपुर के सुनील पारवानी को अकादमी का अध्यक्ष नियुक्ति किया गया था। सुनील पारवानी प्रदेश के जाने माने कारोबारी झागीराम के पुत्र हैं। सरकार ने जोधपुर के राम देवनानी, श्रीमती वृषा, अजमेर के नरेश राघानी (पत्रकार), डॉ. दीपा थदानी, बीकानेर के राधा किशन चांदवानी, विजय एलानी,  पाली के देवदास चंदनानी, कोटा के किशोर मदनानी, जयपुर के मनोज डाकवानी, बलदेव जीवनानी, नारायण केवलानी तथा सीकर के नरेश सिंधी को सदस्य मनोनीत किया है। उल्लेखनीय है कि अजमेर के नरेश राघानी जाने माने पत्रकार, शायर और ब्लॉगर हैं। इसी प्रकार दीपा थदानी अजमेर के मेडिकल कॉलेज में शिक्षक हैं। श्रीमती थदानी के पति डॉ. लाल थदानी पूर्व में इस अकादमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। नवनियुक्ति सदस्य नरेश राघानी का कहना है कि उन्हें अकादमी में काम के लिए जितना भी समय मिलेगा, उतने में प्रदेश में सिंधी साहित्य के लिए महत्वपूर्ण काम किए जाएंगे। राघानी ने उनकी नियुक्ति के लिए आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का आभार जताया है। राघानी ने कहा कि धर्मेन्द्र राठौड़ इन दिनों अजमेर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मोबाइल नंबर 9829070307 पर राघानी को बधाई दी जा सकती है ।


S.P.MITTAL BLOGGER (07-10-2023)

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एशियन गेम्स में 2014 में 57 पदक मिले, लेकिन इस बार पदकों की संख्या 100 के पार हुई। फर्क साफ दिखता है।मोदी राज में जो खेल नीतियां बनी, यह उसी का परिणाम है। अब खेल अधिकारियों की नहीं, खिलाडिय़ों की इज्जत होती है।

7 अक्टूबर को एशियन गेम्स में भारत के पदकों की संख्या 100 के पार हो गई है। देश के खेल इतिहास में यह पहला अवसर है, जब एशियन गेम्स में हमारे खिलाडिय़ों ने 100 से ज्यादा पदक जीते हैं। 2014 में हुए एशियन गेम्स में भारत को 57 पदक मिले। इसी प्रकार 2018 में पदकों की संख्या 71 हो गई। इन दिनों 2022 के एशियन गेम्स चीन के झांग झाऊ प्रांत में हो रहे हैं। गेम्स शुरू होने से पहले यह उम्मीद जताई गई थी कि इस बार पदको का आंकड़ा सौ के पार होगा, लेकिन तब इस उम्मीद पर किसी को भरोसा नहीं था, लेकिन मोदी सरकार ने 2014 के बाद देश में जो खेल नीतियों में बदलाव किया, उसी का परिणाम रहा कि आज एशियन गेम्स में हमारे पदकों की संख्या सौ के पार हो गई है, जब उम्मीद के मुताबिक परिणाम मिलते हैं तो खुशी का अहसास चार गुना बढ़ जाता है। यही वजह रही कि 7 अक्टूबर को सुबह सुबह पदकों की संख्या सौ हो गई तो पीएम मोदी ने देशवासियों और खिलाडिय़ों की बधाई दी। मोदी ने कहा कि यह भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण हैं। 2014 से पहले तक देश में खिलाडिय़ों के बजाए खेल पदाधिकारियों का दखल होता था, लेकिन 2014 के बाद जो नीतियां बनी उनमें खिलाडिय़ों को महत्व दिया गया। जब सरकारी सुविधाएं सीधे तौर पर खिलाडिय़ों के पास पहुंचने लगी तो खिलाडिय़ों ने भी अपनी योग्यता दिखाकर देश का नाम रोशन किया। सब जानते हैं कि पीएम मोदी ने समय समय पर खिलाडिय़ों की हौंसला अफजाई की है। जब कोई टीम या खिलाड़ी उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है तो पीएम मोदी अपने सरकारी आवास पर बुलाकर खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करते रहते हैं। जब देश का प्रधानमंत्री खिलाडिय़ों से सीधा संवाद करेगा तो खिलाड़ी की एनर्जी का अंदाजा लगाया जा सकता है। नई नीतियों की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाडिय़ों को भी अपनी योग्यता दिखाने का अवसर मिला। एशियन गेम्स में ऐसे कई खिलाडिय़ों ने पदक जीते हैं, जिनके पास रहने का मकान भी नहीं है। चूंकि चयन प्रक्रिया पारदर्शी रही, इसलिए योग्य खिलाडिय़ों को आगे आने का अवसर मिला। यही वजह है कि आज एशियन गेम्स में भारत के पास सौ से भी ज्यादा पदक हैं। भारत को खेल की दुनिया में यह उपलिब्ध तब मिली है, जब जी-20 के सम्मेलन में भारत की सफलता की गूंज पूरी दुनिया में हो रही है। जी-20 के सफल सम्मेलन और भारत की धाक के बाद एशियन गेम्स में सौ पदक जीतना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। अब जब हम दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं, तब उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले वर्ष होने वाले ओलंपिक खेलों में भी भारत के खिलाडिय़ों को ऐतिहासिक सफलता हासिल हो। 


S.P.MITTAL BLOGGER (07-10-2023)

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