Monday 31 August 2015

तो खादिम समुदाय नहीं लेगा दरगाह कमेटी से लाइसेंस

अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिमों ने स्पष्ट कह दिया कि वे केन्द्र सरकार द्वारा संचालित दरगाह कमेटी से लाइसेंस नहीं लेंगे। विरोध के सिलसिले में 31 अगस्त को दरगाह के अंदर अनेक खादिम एकत्र हुए और कहा कि लाइसेंस प्रणाली हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। खादिम समुदाय पिछले 900 वर्षों से दरगाह के अंदर धार्मिक रीति रिवाज सम्पन्न  करवाता आ रहा है। ऐसे में लाइसेंस लेकर हम दरगाह कमेटी के अधीन नहीं आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी में जो सदस्य है, उन्हें न तो दरगाह की धार्मिक परंपराओं का ज्ञान है और न ही खादिमों के इतिहास के बारे में जानते है। ऐसे लोगों को दरगाह कमेटी का सदस्य बनाया जाता है, जिनका दरगाह से कोई सरोकार नहीं होता है, यहीं वजह रही कि गत 28 अगस्त को दिल्ली में केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला की उपस्थिति में हुई दरगाह कमेटी की बैठक में खादिमों को लाइसेंस देने का निर्णय ले लिया गया। खादिमों से कहा कि होना तो यह चाहिए था कि कमेटी के सदस्य ही लाइसेंस प्रणाली का विरोध करते, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि दरगाह कमेटी खादिम समुदाय को अपमानित करने के लिए लाइसेंस प्रणाली लागू करना चाहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या परिवार का कोई सदस्य अपने घर में लाइसेंस दिखाकर  प्रवेश करेगा? खादिमों ने कहा कि दरगाह से उनका जीवन मरण का सवाल है, ऐसे में कोई खादिम दरगाह कमेटी से लाइसेंस नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला को भी दरगाह की धार्मिक परंपरा को समझना चाहिए। लाइसेंस देने का निर्णय लेने से पहले खादिम समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया। सोमवार को दरगाह के अंदर मुबिन चिश्ती, अमीन चिश्ती, शरीफ चिश्ती, आबिद चिश्ती, अजीमुद्दीन चिश्ती आदि खादिम बड़ी संख्या में एकत्र हुए और चेतावनी दी कि यदि दरगाह कमेटी अपनी जिद पर अड़ी रही तो हालात बिगड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदारी दरगाह कमेटी की होगी।
लाइसेंस की जरुरत नहीं-अंजुमन
खादिमों की प्रमुख संस्था अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया सैय्यद जादगान के अध्यक्ष वाहिद हुसैन अंगारा ने कहा कि खादिमों को दरगाह कमेटी से लाइसेंस लेने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि खादिम परिवार में जन्म लेने वाला अपने आप खादिम बन जाता है। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी की व्यवस्था तो वेतन भोगी नौकर की है, जबकि खादिम समुदाय धार्मिक पंरपराओं का निर्वहन करता है। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी में नासमझ लोग बैठे हुए है। इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला से मिलकर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
लाइसेंस लेना ही होगा-नाजिम
वहीं दूसरी ओर दरगाह कमेटी के नाजिम अशफाक हुसैन ने कहा है कि खादिमों को लाइसेंस देने का निर्णय उच्च स्तर पर हुआ है। इसके पीछे दरगाह की सुरक्षा व्यवस्था भी है। सरकार चाहती है कि दरगाह में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान हो ताकि दरगाह के अंदर कोई अप्रिय घटना नहीं घटे। चूंकि खादिमों की संख्या हजारों में है,इसलिए सिर्फ पहचान के लिए परिचय पत्र दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दरगाह की सुरक्षा को ध्यान में खते हुए खादिम समुदाय को सहयोग करना चाहिए।
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वकीलों ने दी डीजे उमेशचंद शर्मा को शानदार विदाई।



अजमेर के डीजे उमेशचंद शर्मा की सेवानिवृत्ति पर 31 अगस्त को  वकीलों ने शानदार विदाई दी। वकीलों ने डीजे शर्मा के कामकाज की सराहना भी की। वकीलों ने कहा कि शर्मा ने अपने कार्यकाल में न्यायालय परिसर के हालत बेहतर किए हैं। पहले वकील समुदाय को थोड़ी परेशानी हुई हो, लेकिन न्यायालय परिसर साफ सुथरा और सुगम बना गया है। वकीलों के शानदार स्वागत के जवाब में शर्मा ने कहा कि यह सब वकीलों के सहयोग से ही हुआ है। अपने स्वागत से भावविभोर होते हुए शर्मा ने कहा कि अजमेर में रहते हुए उनका उद्देश्य किसी भी वकील की भावनाओं को ठेस पहुंचाना कभी नहीं रहा। उन्होंने न्यायालय और वकीलों के हित में ही कार्य किए हैं। शर्मा के शानदार स्वागत में वरिष्ठ वकील देवकी नंदन शर्मा, रविदत्त शर्मा,  राजेन्द्र हाड़ा, उमरदान लखावत, अजय वर्मा, विवेक पाराशर आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।
नहीं जा सके हाईकोर्ट
वरिष्ठता के आधार पर उमेशचंद शर्मा को राजस्थान हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनना था, इसके लिए सभी विधिक कार्यवाही पूरी भी हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार के बीच हाईकोर्ट के जजो की नियुक्ति का विवाद हो जाने की वजह से शर्मा की नियुक्ति नहीं हो सकी।
मूलचंदानी होंगे नए डीजे
शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद अब जी.आर.मूलचंदानी अजमेर के नए डीजे होंगे। मूलचंदानी टोंक से सेवानिवृत्त होकर अजमेर आ रहे हैं। मूलचंदानी अजमेर में पहले भी एडीजे के पद पर कार्य कर चुके हैं।
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संथारा पर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक।

अजमेर के वकील माणक चंद जैन ने किया स्वागत।
जैन समाज की संथारा प्रथा पर रोक लगाने का जो आदेश राजस्थान होईकोर्ट ने दिया था उस पर 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का अजमेर के वरिष्ठ वकील मणकचंद जैन ने स्वागत किया है। जैन ने बताया कि 31 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश एच.एल.दत्तु की खंडपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्तु ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें संथारा प्रथा को आत्महत्या करार देते हुए रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका लगाने वाले निखिल सोनी, राजस्थान सरकार और केन्द्र सरकार को भी नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। जैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने गत 10 अगस्त को रोक का जो आदेश दिया उसे उचित नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि संथारा न तो आत्महत्या है और न ही इच्छामृत्यु। असल में इस प्रथा में मृत्यु को स्वीकारा जाता है। आचार्य अमृतचंद के अनुसार संथारा के माध्यम से ही साधक आत्म को साथ ले जाने में समर्थ होता है।
संथारा कोई धार्मिक प्रथा नहीं, बल्कि जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में है। जैन धर्म का उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है। एक ही कार्य के संयुक्त रूप से एक से अधिक कारण होते हैं। संथारा में अनशन के अलावा किसी भी अन्य पहलू पर विचार नहीं किया गया है। इस कारण अनशन के पहलू पर ही मुख्य रूप से स्पष्ट किया जाता है। जैन धर्म आत्मवादी धर्म है। चेतना तत्व जीव या आत्मा का अचेतन देह या शरीर से संबंध कर्म बंधन के कारण होता है। कर्म बंधन या बुरे कार्य, विचार के अनुसार होता है और कर्मानुसार मरण के बाद नए देह यानी पशु देह, पक्षी देह, कीड़े-मकौड़े की देह, देव देह, मनुष्य देह मिलती है। मोक्ष में आत्मा देह रहित हो जाता है। नवीन कर्म का रुकना संवर और पूर्वोपार्जित कर्मों की समप्ति निर्जरा कहलाती है। कर्मों के निर्जरा होने पर मोक्ष होता है। संथारा में जो अनशन रूपी तप है, वह स्वयं धर्म संज्ञा को प्राप्त है और मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक साधना है। स्वयं तीर्थंकरों को भी मोक्ष प्राप्ति के लिए यही साधना अपनानी पड़ती है। जैन धर्म में खाते-पीते, भोग भोगते कोई मोक्ष नहीं जाता। तीर्थंकर भी क्षुधा तृषा (यानि भूख प्यास) 22 परीषह सहन कर स्थित प्रज्ञ यानि आत्मलीन होकर मोक्ष जाते हैं।  उन्होंने उम्मीद जताई कि अब जैन समाज के प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट में जैन धर्म के अनुरूप संथारा प्रथा की जानकारी देंगे।
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Sunday 30 August 2015

अजमेर के भाजपाई अब कौन सा प्रशिक्षण ले रहे हैं।

भाजपा की रीति नीति से अवगत कराने के लिए जयपुर में 31 अगस्त और 1 सितम्बर को दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लग रहा है। प्रदेश स्तरीय इस शिविर में अजमेर शहर के भाजपा नेता वासुदेव देवनानी, श्रीमती अनिता भदेल, धर्मेन्द्र गहलोत, शिवशंकर हेड़ा, अरविंद यादव, श्रीकिशन सोनगरा, रासासिंह रावत आदि भी शामिल हैं। शहर के इन नेताओं के जिम्मे ही नगर निगम के चुनाव की कमान थी। 60 में से 31 वार्डो में ही भाजपा उम्मीदवार जीत पाए। परिणाम के बाद नवनिर्वाचित पार्षदों को भाजपा की रीति नीति सीखाने के लिए ही पांच दिनों तक पुष्कर के निकट एक रिसोर्ट में बंद रखा गया। इस शिविर में जो सीखा उसी की बदौलत शहर भाजपा के महामंत्री और नवनिर्वाचित पार्षद सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने बगावत कर अधिकृत उम्मीदवार धर्मेन्द्र गहलोत के सामने ही मेयर का चुनाव लड़ा। रिसोर्ट में बंद रह कर जो सीखा उसी के बाद भाजपा के कम से कम 6 पार्षदों ने अधिकृत उम्मीदवार के बजाय बगावत करने वाले को वोट दिया। इसलिए गहलोत और शेखावत के 30-30 मत प्राप्त हुए। यह तो तकदीर की पर्ची गहलोत की निकल आई, नहीं तो आज कांग्रेस का समर्थन लेने वाले भाजपा के बागी शेखावत ही मेयर होते। निगम चुनाव के बाद प्रशिक्षण शिविर को मुश्किल से 7 दिन ही हुए है कि अजमेर शहर के भाजपा नेता एक बार फिर भाजपा की रीति नीति समझने के लिए जयपुर के शिविर में पहुंच गए हैं। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के बाद भाजपा के नेता अजमेर आकर क्या गुल खिलाएंगे यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। मजे की बात तो यह है कि अजमेर के इन्हीं नेताओं पर अब मंडल स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी होगी। यानि जिन नेताओं की वजह से भाजपा में बगावत हुई, वहीं नेता मंडल स्तर पर कार्यकर्ता को अनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे। जानकारों की माने तो प्रशिक्षण शिविर में भी भाजपा के नेता देवनानी और भदेल गुट में बंटे हुए हैं। प्रशिक्षण देने के लिए जो राष्ट्रीय नेता शिविर में उपस्थित हैं, उन्हें अजमेर की गुटबाजी के बारे में अपनी-अपनी ओर से सफाई दी जा रही है। देवनानी और भदेल पहले ही एक-दूसरे पर आरोप लगा चुके है। ये दोनों ही अजमेर शहर से विधायक होने के साथ-साथ मंत्री भी हैं।
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इन्द्राणी की सेक्स कहानी को क्यों परोस रहा है मीडिया

टीवी चेनल हो या अखबार, दोनों में ही इन्द्राणी मुखर्जी उर्फ परी की सेक्स कहानी को ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे इन्द्राणी ने देश के लिए कोई बढ़ा काम किया है। पिछले तीन-चार दिनों में जब भी कोई न्यूज चैनल देखा जाए तो इन्द्राणी की सेक्स कहानी ही सुनने और देखने को मिलती है। इसी प्रकार अखबारों में भी प्रथम पृष्ठ से लेकर अंदर तक के पृष्ठों पर इन्द्राणी और उसके चार-पांच पतियों के बारे में पढऩे को मिलता है। मीडिया यह भी नहीं देख रहा कि सेक्स कहानी में आम लोगों की रूचि है कि नहीं। इन्द्राणी ने चार-पांच विवाह किए और किस पति से बच्चे पैदा किए इससे देश के आम व्यक्ति का क्या लेना-देना है, लेकिन मीडिया ऐसे खोजबीन कर रहा है जैसे इन्द्राणी नहीं पाकिस्तान का कोई एटम बम हो। मीडिया इसे हाई प्रोफाइल मामला बता रहा है जबकि इन्द्राणी जैसे मामले एक नहीं सैकड़ों है। अखबारों के लिए प्रेस परिषद और न्यूज चैनलों के लिए ब्राडकास्ट एसोसिएशन बनी हुई है। लेकिन यह दोनों संस्थाएं अंधी और बहरी बनी हुई है। माना कि सरकार मीडिया से डरती है, लेकिन यह दोनों संस्थाएं कम से कम अपनी जिम्मेदारी निभाएं। यह कहना बकवास है कि इन संस्थाओं के पास कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत आएगी तभी यह संस्थाएं कार्यवाही करेगी? आज इन संस्थाओं के पदाधिकारियों को यह नहीं दिख रहा कि चैनल व अखबारों में क्या परोसा जा रहा है। जिस प्रकार इन्द्राणी की सेक्स कहानी चैनलों पर प्रसारित हो रही है उसे परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर नहीं देख सकते। इसी प्रकार अखबारों में जब एक औरत के पांच-पांच पतियों के किस्से लिखे जाते है तो अखबार को पढऩा मुश्किल होता है। अखबारों में परिवार के सिजरे के रूप में इन्द्राणी के पतियों का चार्ट प्रकाशित हो रहा है। ऐसा लगता है कि प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में मीडिया अपना महत्व खुद कम कर रहा है।
पीटर मुखर्जी के साथ तो होना ही था :
स्टार चैनल के हैड रहे पीटर मुखर्जी को इन्द्राणी का पांचवा पति बताया जा रहा है। यह पीटर मुखर्जी वहीं व्यक्ति है जिसने एकता कपूर के साथ मिलकर स्टार चैनल पर भारतीय परिवारों को तोडऩे वाले सीरियल बनाए। देश के मनोरंजन चैनलों पर गंदे, अश्लील और बेहुदे सीरियलों की शुरूआत इसी पीटर मुखर्जी ने शुरू की थी। अब समझ में आया कि पीटर मुखर्जी ने ऐसे सीरियल क्यों बनाए। इन्द्राणी की सेक्स कहानी से यह तो पता चला कि मुखर्जी पांचवे पति हंै, लेकिन अभी यह नहीं पता चला है कि पीटर मुखर्जी की इन्द्राणी कौन से नम्बर की पत्नी है। हो सकता है कि मीडिया एक-दो दिन मेें पीटर मुखर्जी की दो-चार पत्नियां भी खोज लाए। अच्छा हो कि इस सेक्स कहानियों में पीटर मुखर्जी भी जेल चले जाए। जहां तक एकता कपूर का सवाल है उस पर भी भगवान की नजर लगी हुई है। एकता कपूर के द्वारा विधिवत विवाह नहीं किए जाने का दर्द पिता जीतेन्द्र ही बता सकते है। भारतीय संस्कृति को दूषित करने में एकता कपूर की भी खासी भूमिका है। भले ही गन्दे और अश्लील सीरियल बनाकर एकता कपूर ने शोहरत और पैसा कमा लिया हो लेकिन समाज में एकता कपूर को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता। अब समय आ गया है कि देश दर्शकों को उन सीरियलों का बहिष्कार करना चाहिए जो हमारी संस्कृति और परम्पराओं के खिलाफ है।
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क्या राजस्थान लोकसेवा आयोग का विखंडन रुक पाएगा।

राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ललित के.पंवार ने 19 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि अब आयोग का कैम्प ऑफिस जयपुर स्थित शिक्षा संकुल में लगेगा। इसके लिए स्थान भी निर्धारित हो गया है। मैंने 19 अगस्त को ही अपने ब्लॉग में विखंडन की बात पुरजोर तरीके से लिखी थी। मेरी यह पोस्ट आज भी मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in पर प्रदर्शित है। इसके बाद राजस्थान के सबसे बड़े अखबार राजस्थान पत्रिका ने आयोग के विखंडन के मामले को ओर प्रभावी तरीके से उठाया। इसमें कोई दो राय नहीं कि पत्रिका में जब इस मामले को उठाया तो भाजपा नेताओं पर दबाव पड़ा और यही वजह रही कि अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि फिलहाल आयोग का कैम्प ऑफिस जयपुर में नहीं लगेगा। देवनानी ने दबी जुबान से यह भी संकेत दिए कि प्रदेश का शिक्षामंत्री होने के नाते जयुपर स्थित शिक्षा संकुल पर उन्हीं का अधिकार है। उनकी लिखित अनुमति के बिना आयोग का कैम्प ऑफिस शिक्षा संकुल में नहीं लग सकता। देवनानी का कथन अपनी जगह हो सकता है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या कैम्प ऑफिस का निर्णय आयोग के अध्यक्ष पंवार ने अपने स्तर पर ले लिया? सब जानते हैं कि पंवार 31 जुलाई को आईएएस की सेवा से रिटायर हुए और पांच अगस्त को पंवार को आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। अध्यक्ष बनने के एक सप्ताह के अंदर -अंदर पंवार ने दो बार राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे से मुलाकात की। मैं अपने अनुभव के साथ कह सकता हंू कि पंवार ने आयोग के कैम्प ऑफिस पर सीएम राजे की सहमति करवाई। जिस कैम्प ऑफिस पर सीएम राजे ने सहमति दे दी हो, क्या उस कैम्प ऑफिस को देवनानी रुकवा सकते हैं?
राजस्थान पत्रिका में जिले के भाजपा विधायकों, मंत्रियों और नेताओं ने कुछ भी बयान दे दिए हो, लेकिन अजमेर जिले के किसी भी नेता में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सीएम राजे के सामने जाकर आयोग के कैम्प ऑफिस का विरोध कर दे। जब विकास के मुद्दे पर ही इन नेताओं की जुबान नहीं खुलती है, तब राजे के निर्णय का विरोध करने की हिम्मत है ही नहीं। राजे के सामने बोलना तो दूर ये भाजपा नेता एक झूठी सच्ची चि_ी भी सीएम राजे को नहीं लिख सकते। राजस्थान पत्रिका को देवनानी के बयान पर पूरा भरोसा नहीं करना चाहिए। अजमेर का जनप्रतिनिधि होने के नाते देवनानी कैम्प ऑफिस के पक्ष में नहीं हो, लेकिन सीएम राजे के निर्णय को तो देवनानी को मनना ही पड़ेगा। इसलिए पत्रिका को अपना अभियान लगातार जारी रखना चाहिए। पत्रिका ने अजमेर के हितों को ध्यान में रखते हुए सराहनीय कार्य किया है। जहां तक आयोग अध्यक्ष पंवार का सवाल है तो उनकी रुचि अजमेर से ज्यादा जयपुर में टिके रहने में है। पंवार तो यही चाहते हैं कि आयोग का कैम्प ऑफिस जयपुर में लगे और वह शान से जयपुर में रह सके। अजमेर स्थित आयोग मुख्यालय का काम तो जयपुर में बैठकर भी संभाला जा सकता है।
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Saturday 29 August 2015

बधाई और स्वागत के बैनर हटाएं - गहलोत

मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने उनके स्वागत और बधाई में लगे बैनरों को 30 अगस्त तक हटाने के निर्देश दिए। गहलोत ने एक बयान जारी कर कहा कि जिन भाजपा कार्यकर्ताओं और प्रमुख लोगों ने जो बैनर और होर्डिंग्स लगाए हैं उन्हें यदि 30 अगस्त तक नहीं हटाया तो 31 अगस्त को निगम के कर्मचारी हटाएंगे। बैनर, होर्डिंग्स लगाने वालों का आभार जताते हुए गहलोत ने कहा कि शहर को अब साफ और स्वच्छ बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी शुरूआत में अपने बैनर और पोस्टर हटाकर कर रहा हूं। गहलोत ने नागरिकों से अपील की कि वे नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही बैनर लगाए। इधर-उधर होर्डिंग्स लगने से निगम को राजस्व की हानि के साथ-साथ शहर का सौन्दर्य भी खराब होता है।
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वुडिज काबिला ने जीती कबड्डी प्रतियोगिता

जैन प्रो कबड्डी प्रतियोगिता का खिताब वुडिज काबिला टीम ने जीता है। शनिवार को यहां केसरगंज  स्थित बाना वाली गली चौक में हुई प्रतियोगिता को खिताब विजेता टीम को मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने दिया। इस अवसर पर पार्षद नीरज जैन, पत्रकार विनीत जैन आदि उपस्थित थे। गहलोत ने कहा कि कबड्डी से जहां शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है, वहीं हमें एकजुट होने की प्रेरणा मिलती है।
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परनामी जी देवनानी और भदेल में कम से कम संवाद तो कराओ

नगर निगम अजमेर के चुनाव में भाजपा की बगावत हुई उसको लेकर 28 अगस्त को जयपुर में स्कूली शिक्षा मंत्री देवनानी और नव निर्वाचित महापौर धर्मेन्द्र गहलोत से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी व संगठन मंत्री वी. सतीश से मुलाकात की। इससे दो दिन पहले महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने भी परनामी से मुलाकात कर बताया कि किन परिस्थितियों में बगावत हुई। स्वाभाविक है कि देवनानी और भदेल ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। राजनीति में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप होना आम बात है। लेकिन अजमेर में हालात कुछ ज्यादा ही खराब हैं। देवनानी और भदेल के बीच की खाई को अशोक परनामी क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी कम नहीं कर सकते हैं। लेकिन परनामी इतना तो कर ही सकते हैं दोनों मंत्रियों में सार्वजनिक तौर पर संवाद हो जाए। देवनानी और भदेल अजमेर शहर में भाजपा के विधायक चुने गए हैं। संभवतया अजमेर की राजनीति में पहला अवसर है कि जब शहर के दोनों विधायक मंत्री हैं। उम्मीद तो यह थी कि दोनों के मंत्री बनने के बाद विकास की गंगा बहेगी लेकिन इसका उल्टा हुआ। देवनानी, भदेल के और भदेल देवनानी के निर्वाचन क्षेत्र में कोई समारोह नहीं कर सकते हैं। यदि विभाग इन दोनों मंत्रियों को एक साथ बुलाना चाहता है तो कोई ना कोई बहाना कर एक मंत्री इंकार कर देता है। जब कभी मजबूरी में मंच पर बैठाना होता है तो दोनों में शिष्टाचार वाला संवाद भी नहीं हो पाता है और अब तो दोनों के बीच मेयर धर्मेन्द्र गहलोत भी फंस गए हैं। यानि जो थोड़ी बहुत गुंजाइश थी वह खत्म हो गई है। गहलोत जिस प्रकार भदेल के समर्थक सुरेन्द्र सिंह शेखावत को पीछे धकेलकर मेयर बने हैं उससे भी तीनों के बीच संवाद होना बेहद मुश्किल है। इस खबर के साथ देवनानी, भदेल और गहलोत का फोटो अपेक्षित है। यह फोटो 28 अगस्त पटेल मैदान पर आयोजित साइकिल रैली के अवसर का है। यह फोटो न केवल तीनों के संबंधों को उजागर कर रहा है बल्कि आने वाले दिनों की राजनीति के संकेत दे रहा है। गहलोत के बीच में आने के बाद दोनों मंत्री एक दूसरे की शक्ल तक देखना पसन्द नहीं करते हैं। अजमेर की जनता यह सवाल पूछ रही है जब अजमेर राजनीतिक दृष्टि से कितना मजबूत है तो फिर समस्या का समाधान क्यों नहीं हो रहा है? पीएम नरेन्द्र मोदी अमेरिका के सहयोग से अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना चाहते हैं। परनामी यह बतायें जब दोनों मंत्रियों में सामान्य संवाद भी नहीं है तब अजमेर स्मार्ट कैसे बनेगा?
सी.एम. की भूमिका
जब जानते हैं कि राजस्थान भाजपा में वही होता है जो सी.एम. वसुन्धरा राजे चाहती हैं। मेयर चुनाव की बगावत के बाद राजे ने देवनानी और भदेल को मिलने के लिए नहीं बुलाया है। हालांकि इन दोनों मंत्रियों ने सी.एम. सचिवालय के जरिए मिलने का प्रस्ताव किया है। दोनों मंत्री सी.एम. से मिलने के लिए उतावले हैं। दोनों का मकसद सी.एम. के समक्ष सफाई देना है लेकिन राजे सफाई का अवसर भी नहीं दे रही है। हाल ही में सम्पन्न 129 निकायों के चुनाव में अजमेर में ही नगर निगम चुनाव हुआ, मेयर भी भाजपा का बना लेकिन एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी राजे ने मेयर धर्मेन्द्र गहलोत से भी मुलाकात नहीं की। अजमेर राजनीति के बारे में राजे क्या चाहती है इसका अंदाजा अभी नहीं लग पा रहा है।
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रक्षाबंधन पर लें देश की रक्षा करने का संकल्प

रक्षाबंधन के पर्व पर 29 अगस्त को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से अजमेर स्थित पंचशील क्षेत्र के सामुदायिक भवन में एक समारोह आयोजित किया गया। संघ की निर्धारित और अनुशासित परम्परा के अनुरुप हुए इस समारोह के अध्यक्ष पद से बोलते हुए मैंने कहा कि भारतीय संस्कृति के हर भाई अपनी बहन की रक्षा करता ही है। आज जरूरत देश की रक्षा करने की है। जिस तरह से आतंकवाद और अलगाववाद पनप रहा है उससे देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ गई है। देश में ऐसे लोग मौजूद है जो खुले आम भारत की आलोचना करते हैं। सवाल किसी एक सत्ता का नहीं सवाल उन नीतियों का है जिनकी वजह से आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा है। दावा  तो यह किया जाता है कि देश में सभी धर्मो के लोग अमन और भाईचारे के साथ रहें लेकिन हकीकत यह है छोटी-छोटी बात पर साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा हो जाती है। जिस तरह से पड़ौसी देश पाकिस्तान में हालात बिगड़ रहे है जिसकी वजह से भारत में लगातार आतंकवादी घटनाएं हो रही है। मैंने कहा रक्षा बंधन का पर्व उपयुक्त अवसर है जब हम देश की रक्षा करने का संकल्प ले। अब किसी व्यक्ति को सीमा पर जाकर दुश्मन देश से युद्ध नहीं करना पड़ेेगा। अब तो मिसाइल और राकेट लॉचर का जमाना है। जिसके अन्तर्गत दुश्मन देश अपनी ही धरती से ही हमला कर देता। इन परिस्थितियों में यह जरूरी है कि हमारे देश में एकता एवं देशभक्ति की भावना मजबूत हो। यदि भारत में रहने वाला हर नागरिक देशभक्ति की भावना से जीवन यापन करेगा तो हम पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन और अमेरिका की मिसाइलों का भी मुकाबला कर सकते है, लेकिन यदि हमारे देश में अलगाववाद पनपेगा तो फिर हमारे जवान का सीना दुश्मन देश की बंदूक से ही छलनी हो जाएगा।
संस्कृति के अनुरुप हो जीवन
मैंने कहा कि हर भारतीय का जीवन हमारी संस्कृति के अनुरुप होना चाहिए। असल में अपनी सस्कृति को भूल कर पश्चिम की संस्कृति को अपना रहे है। पश्चिम की संस्कृति भोग और विलास की संस्कृति है जिसमें तप और त्याग नहीं होता। हमको जीने की कला नहीं बल्कि छोडऩे की कला सीखनी चाहिए। जब-जब व्यक्ति छोडऩे के लिए तत्पर रहाता है तब-तब उसका जीवन सरल होता जाता है। पश्चिम की भोगवादी और विलासिता से भरी जिंदगी से ही टीवी सीरियल बन रहे है। ऐसे सीरियल ने हमारने सामाजिक ताने-बाने को खंडित कर दिया है। अखंडित संस्कृति से युवा पीढ़ी भटकाव में है।
हिन्दुत्व तो जीवनशैली है
समारोह में राजकीय महाविद्यालय के प्रवक्ता नारायणलाल गुप्ता ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि हिन्दुत्व तो व्यक्ति की जीवन पद्धति है। हिन्दुत्व संबंध किसी धर्म से नहीं बल्कि व्यक्ति को एक सदाचारी बनाना है। आज दुनिया ने भी हिन्दुत्व पद्धति को माना है। संघ देश भर में इस बात का प्रचार कर रहा है कि आम व्यक्ति को देशभक्त जवान बनाया जाए। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन के दौरान 1940 के आसपास किसी ने भी नहीं सोचा था कि हिन्दुस्तान विभाजित हो जाएगा, लेकिन 1947 के आते-आते ऐसे हालात बन गए कि हिन्दुस्तान से एक टुकड़ा अलग हो गया। आजादी के आंदोलन की लड़ाई जब सब लोग मिलकर लड़ रहे थे फिर देश विभाजित क्यों हुआ? उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में हर पर्व आस्था और उमंग का होता है। आज हम रक्षाबंधन का पर्व इसी भावना के साथ मना रहे है, लेकिन हमें देश की हालत पर भी चिंतन करना चाहिए। आज देश की एकता और अखंडता को खतरा है। विदेशी ताकत हमारी कमजोरी का फायदा उठाकर देश को तोडऩा चाहती है। रक्षा बंधन पर्व पर हमें देश की रक्षा करने का भी संकल्प लेना चाहिए। इस भावना के साथ संघ के कार्यकर्ता देश भर में पिछड़ी और कच्ची बस्तियों में जाकर रक्षा सूत का धागा बांधते है। यह धागा हमारी एकता का प्रतीक है। हम एक-दूसरे की रक्षा का भरोसा दिलाते है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में देश के हर नागरिक को एकजुट रहने की जरूरत है। संघ का उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाने का है जिसमें देशभक्ति को सर्वधर्म मानते हुए सुयोग्य नागरिक बने इसलिए समाज के विभिन्न क्षेत्र में सक्रिय है।
अनुशासित और गरिमापूर्ण रहा समारोह
सामुदायिक भवन में आयोजित संघ का रक्षाबंधन का पर्व का समारोह अनुशासित और गरिमापूर्ण रहा। संघ की परंपरा के अनुरुप ध्वजारोहण हुआ। ध्वज वंदना की। रक्षाबंधन के अवसर पर ध्वज पर रक्षासूत्र बांधा गया। आमतौर पर समारोह चमक-दमक वाले होते है लेकिन संघ  का यह समारोह अनुशासित और गरिमापूर्ण था। सबसे पहले मुख्य वक्ता ने विचार रखे तो उसके बाद समारोह के अध्यक्ष को अपनी बात कहने का अवसर दिया गया। दो वक्ता के साथ ही समारोह समाप्त कर दिया गया। मैं चाहता था कि समारोह की एक फोटो लिया जाए लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई। संघ का यह निर्णय सही है क्योंकि खबर और फोटो से जरूरी है काम होना। समारोह की समाप्ति पर संघ सेवकों ने एक-दूसरे के रक्षासूत्र बांधा। आमतौर पर समारोह की समाप्ति पर जलपान एवं भोजन की व्यवस्था होती है। इस पर आयोजकों का काफी पैसा खर्च होता है, लेकिन संघ में ऐसी कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली। समारोह स्थल के निकट ही निवास करने वाले एक स्वयं सेवक के घर पर ही जलपान की व्यवस्था की जाती है। इसमें दो या तीन वरिष्ठ स्वयं सेवक और एक अतिथि को शामिल किया जाता है। स्वयं सेवक अपने घर पर अपने सामथ्र्य के अनुसार सत्कार करता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511