Sunday 31 March 2019

मोदी सरकार की उपलब्धियों पर जीतेंगे लोकसभा का चुनाव।



मोदी सरकार की उपलब्धियों पर जीतेंगे लोकसभा का चुनाव।
अजमेर के भाजपा उम्मीदवार भागीरथ च ौधरी 6 अप्रैल को नामांकन भरेंगे।
विधायक रहते किशनगढ़ में रोजाना करवाए एक करोड़ रुपए के विकास कार्य।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र से घोषित भाजपा उम्मीदवार भागीरथ च ौधरी 6 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे। च ौधरी ने एक खास मुलाकात में दावा किया कि उम्मीदवारी की घोषणा के बाद उन्होंने संसदीय क्षेत्र में प्रचार प्रसार का पहला चरण पूरा कर लिया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में जीत को लेकर जबर्दस्त उत्साह है। कांगे्रस अपना उम्मीदवार कब घोषित करती है यह कांग्रेस का आतंरिक मामला है, लेकिन चुनाव जीतने की रणनीति तैयार कर ली है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने जो उपलब्धियां हांसिल की, उन्हें ही आधार बना कर चुनाव में जीत हासिल की जाएगी। कांग्रेस के 55 वर्ष में जो विकास नहीं हुआ, वह पांच वर्ष में मोदी सरकार ने किया है। विकास योजनाओं का लाभ गरीब तक पहुंचा है। आयुष्मान स्वास्थ्य योजना में करोड़ों गरीब परिवारों को महंगे अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है। जिन गरीबों को लाभ पहुंचा हैं वे ही बता सकते हैं कि मोदी सरकार कितनी अच्छी है। कांग्रेस की 12 हजार रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा पूरी तरह फर्जी है। यदि कांग्रेस को गरीबों से हमदर्दी होती तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना में राजस्थान की कांग्रेस सरकार पात्र किसानों की सूची केन्द्र सरकार को उपलब्ध करवाती है। जो कांग्रेस सरकार पात्र किसानों की सूची उपलब्ध नहीं करवा रही है वह गरीबों को 12 हजार रुपए क्या देगी? सूची उपलब्ध नहीं करवाने से प्रदेश के पचास लाख किसान 6 हजार रुपए की राशि से वंचित हो रहे हैं। वर्षों से लम्बित आयकर की सीमा बढ़ाने की मांग भी मोदी सरकार पूरी की है। जीएसटी से ईमानदार कारोबारी बेहद खुश है। उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए नरेन्द्र मोदी का दोबारा से प्रधानमंत्री बनना जरूरी है। मोदी ही वो ताकतवर इंसान है जो आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब दे सकते हैं। 
रोजाना एक करोड़ रुपए के विकास कार्यः
च ौधरी ने कहा कि मेरे विकास कार्य किशनगढ़ विधासभा क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। मैं दूसरी बार 2013 से 2018 के बीच किशनगढ़ का विधायक रहा। पांच वर्षों में हुए विकास कार्यों की लागत निकाली जाए तो रोजाना एक करोड़ रुपए का गणित सामने आएगा। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के हर गांव और वार्ड में विकास कार्य हुए हैं। पिछली बार मुझे पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया, लेकिन फिर भी मैंने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पार्टी का कार्य किया, इसलिए मुझे अब लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। मैं पार्टी के भरोसे पर खरा उतरुंगा। 
जब खदान में उतरना पड़ाः
किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सांदोलिया गांव में भूस्खलन होने की वजह से दो श्रमिक दब गए, जब दो दिन तक श्रमिकों को बाहर नहीं निकाला जा सका तो विधायक च ौधरी स्वयं रस्सा पकड़ कर खदान में उतरे। च ौधरी हमेशा धोती और कुर्ता पहनते हैं। इसी वेशभूषा में अपने जनप्रतिनिधि का दायित्व निभाया। ग्रामीणों ने च ौधरी के इस व्यवहार की प्रशंसा की। 
एस.पी.मित्तल) (31-03-19)
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तो यह राहुल गांधी का राजनीति स्तर प्रधानमंत्री पद के बराबर करना है।

तो यह राहुल गांधी का राजनीति स्तर प्रधानमंत्री पद के बराबर करना है।
अमेठी के साथ केरल के वायनाड़ से भी चुनाव लड़ेंगे।
सीपीआई-एम का खुला विरोध।
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कांगे्रस के  राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं यह तो राजनीति के गर्भ में हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के राजनीतिक कद प्रधानमंत्री पद के बराबर करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत 31 मार्च को कांग्रेस ने घोषणा की कि राहुल गांधी यूपी के अमेठी के साथ-साथ केरल के वायनाड़ संसदीय क्षेत्र से भी चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस का तर्क है कि उत्तर और दक्षिण की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने के लिए राहुल गांधी को एक साथ दो क्षेत्रों से चुनाव लड़वाया जा रहा है। वायनाड़ संसदीय क्षेत्र दक्षिण भारत के तीन प्रदेश तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक से जुड़ा हुआ है। ऐसे में राहुल की उम्मीदवारी खास मायने रखती है। दो संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर राहुल का राजनीतिक स्तर प्रधानमंत्री पद के बराबर होता है या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने में राहुल के सामने अनेक बाधाएं हैं। एनडीए में तो नरेन्द्र मोदी के नाम पर चुनाव पूर्व सर्वसम्मति है, लेकिन यूपीए तथा सहयोगी दलों में राहुल गांधी के नाम पर सहमति नहीं है। यूपी में सपा और बसपा सहमत नहीं है तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने राहुल को बच्चा करार दे दिया है। उड़ीसा में नवीन पटनायक सरकार भी पक्ष में नहीं है। देश विरोधी बयान देने वाली नेशनल कांग्रेस, वामदल आदि जरूर राहुल को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में हैं। अभी यह भी देखना होगा कि चुनाव के बाद कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती है। तीन राज्यों में सरकार बनने से कांग्रेस और राहुल गांधी कुछ ज्यादा ही उत्साहित हैं। देखना होगा कि चुनाव परिणाम के बाद राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने के मुद्दे पर मायावती, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल आदि की क्या प्रतिक्रिया होती है। कांग्रेस चहाती है कि एनडीए को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में राहुल गांधी को ही प्रधानमंत्री बनाया जाए। राहुल गांधी जिस तरह से 72 हजार रुपए प्रतिवर्ष देने जैसी घोषणाएं कर रहे हैं उससे राहुल स्वयं को अभी से ही प्रधानमंत्री मान कर चल रहे हैं। हालांकि अब भाजपा का कहना है कि अमेठी में हार के डर से राहुल गांधी केरल से भी चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि नरेन्द्र मोदी दो स्थानों से चुनाव लड़ सकते हैं तो राहुल गांधी क्यों नहीं।
सीपीआई-एम का खुला विरोधः
राहुल गांधी की वायनाड़ से उम्मीदवारी का केरल के सीएम पी विजयन और सीपीआई-एम के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात ने खुला विरोध किया है। दोनों ने कहा कि हम राहुल को वायनाड़ में हराने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की बात करते है और दूसरी ओर हमारे ही गढ़ में आ चुनाव लड़ रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (31-03-19)
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सचिन पायलट के बयान से अजमेर के कांग्रेसियों के चेहरे खिल उठे।



सचिन पायलट के बयान से अजमेर के कांग्रेसियों के चेहरे खिल उठे।
स्थानीय को उम्मीदवार बनाने की उम्मीद बढ़ी।
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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि राज्य के किसी भी मंत्री को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं  बनाया जाएगा। कांग्रेस ने प्रदेश की 25 में से 19 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। शेष 6 सीटों में अजमेर की सीट भी शामिल हैं। पायलट की इस घोषणा से अब अजमेर से स्वयं पायलट और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की दावेदारी भी समाप्त हो गई है। यही वजह है कि स्थानीय दावेदार डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती, रामचन्द्र च ौधरी, विजय जैन, राजेन्द्र गुप्ता, धर्मेन्द्र च ौधरी, नरेश च ौधरी, ललित भाटी आदि के चेहरे खिल उठे हैं। असल में पायलट और रघु की दावेदारी के चलते स्थानीय नेता चुप बैठे हुए थे। इन्हें पता था कि पायलट और रघु के सामने उनकी दावेदारी कोई मायने नहीं रखती है। लेकिन अब जब इन मंत्रियों की दावेदारी खत्म हो गई है, तब स्थानीय नेताओं को टिकिट मिलने की उम्मीद जागी। राजनीति में कुछ भी संभव है, इसलिए कुछ स्थानीय नेताओं को अभी तीन हजार करोड़ के कारोबारी रिजु झुनझुनवाला का डर सता रहा है। पायलट और रघु ने चुनाव लड़ने से अपना पीछा तो छुड़ा लिया, लेकिन सब जानते हैं कि पायलट और रघु ही रिजु के सबसे बड़े पैरोकार हैं। जानकारों की माने तो रिजु की दावेदारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के स्तर पर खारिज हो चुकी है, लेकिन पायलट और रघु ने अभी हार नहीं मानी है। इन नेताओं का तर्क है कि स्थानीय कांगे्रसियों की आपसी खींचतान से बचने के लिए रिजु जैसे उद्योगपति को उम्मीदवार बना दिया जावे। पायलट और रघु के सहयोग के चलते ही रिजु ने अजमेर में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है, लेकिन वहीं स्थानीय कांग्रेसी रिजु की उम्मीदवारी का विरोध भी कर रहे हैं। ऐसे नेताओं का कहना है कि सभी जाति वर्ग में स्थानीय दावेदार उपलब्ध हैं तो फिर बाहरी व्यक्ति को अजमेर में क्यों थोपा जा रहा है? यह माना कि रिजु तीन हजार करोड़ रुपए के कारोबारी हैं, लेकिन पैसे के दम पर चुनाव जीतना मुश्किल होता है। सूत्रो के अनुसार कांगे्रस हाईकमान के पास पायलट और रघु के नाम के साथ-साथ डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी का नाम भी हैं। अजमेर संसदीय क्षेत्र में जाट समुदाय के मतों के विभाजन के लिए च ौधरी को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है। भाजपा ने पूर्व विधायक भागीरथ च ौधरी को उम्मीदवार बनाया है। डेयरी अध्यक्ष च ौधरी ने रिजु झुनझुनवाला की उम्मीवारी का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि  यदि वैश्य को उम्मीदवार बनाना है तो पूर्व विधायक डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती तथा राजपूत वर्ग में प्रदेश सचिव महेन्द्र सिंह रलावता को उम्मीदवार बनाया जावे। हालांकि जाट समुदाय में भी कई दावेदार हैं, लेकिन डेयरी के नेटवर्क की वजह से च ौधरी का पलड़ा भारी है। च ौधरी गत 25 वर्षों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष हैं। अजमेर संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को मतदान होना है और 2 अप्रैल से नामांकन शुरू हो जाएंगे। नामांकन शुरू होने के बाद ही कांगे्रस के उम्मीदवार की घोषणा होंगी। 
एस.पी.मित्तल) (31-03-19)
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अजमेर में जनाजे के लिए अब मुसलमानों को भी निःशुल्क वाहन उपलब्ध होगा।

अजमेर में जनाजे के लिए अब मुसलमानों को भी निःशुल्क वाहन उपलब्ध होगा। 
ऐसा पहली मर्तबा।
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अजमेर शहर में यह पहला अवसर होगा जब जनाजे के लिए मुस्लिम परिवारों को भी निःशुल्क वाहन सुविधा मिल सकेगी। 31 मार्च को मय्यत मोटर गाड़ी की शुरुआत गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी की ओर से की गई। सोसायटी के अध्यक्ष शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती ने बताया कि मुस्लिम समाज में लम्बे अर्से से मय्यत मोटर गाड़ी की मांग हो रही थी, चूंकि शवों को दूर दराज से कब्रिस्तान तक लाना होता है। इसलिए मोटर गाड़ी की आवश्यकता महसूस हुई। मोटर गाड़ी के अभाव में शव के डोले को कंधे पर लेकर चलना पड़ता है। लेकिन अब मुस्लिम परिवार इस मय्यत गाड़ी का निःशुल्क उपयोग कर सकेंगे। हालांकि अजमेर में अनेक मुस्लिम संगठन बने हुए हैं। लेकिन मय्यत मोटर गाड़ी की पहल सोसायटी की ओर से की गई है। इसके लिए सोसायटी के पदाधिकारियों का ही सहयोग लिया गया है। यह मोटर गाड़ी ऋषि घाटी बाइपास स्थित मस्जिद कुतुब साहब पर खड़ी रहेगी। सूचना मिलने पर मोटर गाड़ी को संबंधित मुस्लिम परिवार के निवास पर भेजा जाएगा। इसके लिए 31 मार्च को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बाहर मोटर गाड़ी सोसायटी के पदाधिकारियों ने समाज के लिए सुपुर्द की। इस अवसर पर अंजुमन मोइनिया फखरिया के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह, अंजुमन यादगार के अध्यक्ष अब्दुल जर्रार चिश्ती, डाॅ. अब्दुल माजिद चिश्ती, मौलाना अय्यूब कासमी, पीर नफीस मिया चिश्ती, सरवर सिद्दीकी, हाजी इफ्तेखार चिश्ती, काजी मुनव्वर अली, दरगाह थान ाप्रीाारी हेमराज, अजयमेरु प्रेस क्लब के महासचिव नवाब हिदायतउल्ला, वरिष्ठ पत्रकार आरिफ कुरैशी, मोहम्मद अली आदि मौजूद थे। मोबाइल नम्बर 9829072865 शेखजाद जुल्फिकार, 9214003786 नवाब हिदायतउल्ला तथा 9829179858 पीर नफीस मियां, 9251073888 काजी मुनव्वर अली व 9141007234 पर नासिर घोसी से मोटर गाड़ी मंगाने के लिए सम्पर्क किया जा सकता है। 
एस.पी.मित्तल) (31-03-19)
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अनुच्छेद 370 की वजह से ही भारत से कटा पड़ा है कश्मीर।

अनुच्छेद 370 की वजह से ही भारत से कटा पड़ा है कश्मीर।
महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला इस सच्चाई को समझे।
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जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया तो कश्मीर भारत से कट जाएगा। इस अनुच्छेद की वजह से ही कश्मीर फिलहाल भारत से जुड़ा हुआ है। इसी तरह की बात फारुख अब्दुल्ला भी कहते रहे हैं। पूर्व में इन्हीं महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ की गई तो कश्मीर से तिरंगे को कंधा देने वाला नहीं मिलेगा। चूंकि इन दिनों लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। इसलिए कश्मीर के मुसलमानों के वोट लेने के लिए महबूबा ऐसे बयान दे रही हैं। लेकिन महबूबा को इस सच्चाई को समझना चाहिए कि 370 की वजह से ही आज कश्मीर भारत से कटा हुआ है। इस अनुच्छेद के विभिन्न प्रावधानों की वजह से कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई है। अब्दुल्ला परिवार और महबूबा मुफ्ती के पिता मरहूम मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकारों में चार लाख से भी ज्यादा हिन्दुओं को घाटी से पीट पीट कर भगा दिया। यदि अनुच्छेद 370 की इतनी ही चिंता थी तो फिर हिन्दुओं को भगाए जाने पर महबूबा क्यों चुप रही। अनुच्छेद 370 के अंतर्गत तो हिन्दू परिवारों को भी कश्मीर में रहने का अधिकार है, लेकिन महबूबा अच्छी तरह जानती हैं कि भय और डर के माहौल से हिन्दू परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा। जब अनुच्छेद के अंतर्गत कश्मीरियों को विशेष अधिकार प्राप्त हैं तो फिर हिन्दू परिवारों के संरक्षण के लिए महबूबा और फारुख अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं की? एक सुनियोजित तरीके से हिन्दू परिवारों को भगाया गया और अब अनुच्छेद 370 को बनाए रखने की बात कही जा रही है। अनुच्छेद 370 का महत्व तभी है, जब चार लाख हिन्दू दोबारा से कश्मीर में अपने घरों में बसें। यदि घाटी को हिन्दू विहीन बनाए रखना है तो फिर अनुच्छेद  370 को कश्मीर में लागू रहना जरूरी नहीं है। जब देश को धर्मनिरपेक्ष माना जाता है, तब कश्मीर में हिन्दुओं के रहने पर ऐतराज क्यों होता है। यदि महबूबा और फारुख अब्दुल्ला जैसे नेतोओं को कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बनाए रखना है तो फिर हिन्दुओं की भी घर वापसी होनी चाहिए। आज हम देख रहे हैं कि कश्मीर घाटी में एक तरफा माहौल है। पाकिस्तान की शह पर घाटी में आए दिन आतंकी वारदातें हो रही है। हमारे सुरक्षा बलों के जवानों को आए दिन शहीद किया जा रहा है। महबूबा और फारुख उन तत्वों की पैरवी कर रहे है, जो हमारे जवानों को मार रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (31-03-19)
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Tuesday 26 March 2019

राहुल गांधी के राजस्थान दौरे पर केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह ने पूछे सवाल।



राहुल गांधी के राजस्थान दौरे पर केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह ने पूछे सवाल।
राहुल ने कहा 72 हजार रुपए की घोषणा, मोदी जैसा जुमला नहीं।
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26 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान के सूरतगढ़ और बूंदी में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। राहुल ने राफेल को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी पर हमला किया और वहीं 72 हजार रुपए प्रतिवर्ष पांच करोड़ गरीब परिवारों को देने की घोषणा के संबंध में कहा कि मेरी यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जुमला नहीं है। मोदी ने तो वायदे के मुताबिक देशवासियों के खाते में 15 लाख रुपए नहीं डलवाए, लेकिन मैं 72 हजार रुपए प्रतिवर्ष गरीबों को दिलवाउंगा। राहुल ने विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा में भी कांग्रेस को वोट देने की अपील की। राहुल के साथ सीएम गहलोत डिप्टी सीएम सचिन पायलट प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे आदि उपस्थित रहे।
राठौड़ ने पूछे सवालः
राहुल गांधी के दौरे के मद्देनजर केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और जयपुर ग्रामीण के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सवाल पूछे। राठौड़ ने कहा कि राहुल गांधी को राजस्थान की जनता को यह बताना चाहिए कि विधानसभा चुनाव में शिक्षित बेरोजगारों को साढ़े तीन हजार रुपए भत्ता देने का जो वायदा किया था, उसका क्या हुआ। प्रधानमंत्री की किसान सम्मान योजना का लाभ भी राजस्थान के किसानों को नहीं मिला है। आयुषमान भारत योजना को भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अभी तक शुरू नहीं किया है, जिसकी वजह से लाखों गरीब परिवारों को मुफ्त में इलाज नहीं मिल रहा है। पिछले दो दिन में दस बालात्कार की घटनाएं राजस्थान में हुई है। देश के अधिकांश राज्यों में सवर्ण गरीब परिवारों को दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो गया है, लेकिन राजस्थान में कांगे्रस की सरकार ने अभी तक भी अमल नहीं किया है। राहुल गांधी को इन सभी सवालों का जवाब देना चाहिए ताकि राजस्थान की जनता को पता चल सके कि कांगे्रस सरकार किस तरह से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सिर्फ बयानबाजी करते हैं। पिछले ढाई महीने में प्रदेश की जनता कांग्रेस सरकार की हकीकत को समझ चुकी है। अब लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान की जनता सबक सिखाएगी। 
एस.पी.मित्तल) (26-03-19)
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13 निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन मिलना सीएम अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक।

13 निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन मिलना सीएम अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक।
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राहुल गांधी ने हवाई जहाज में राजस्थान के कांगे्रस उम्मीदवारों के नामों को हरी झंडी दी।
26 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के राजस्थान दौरे के मौके पर प्रदेश के एक दर्जन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है। इसे लोकसभा चुनाव के मौके पर सीएम अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। अभी 200 में से कांगे्रस के 100 विधायक हैं लेकिन 12 विधायकों का समर्थन और मिल जाने से गहलोत सरकार की स्थिति और मजबूत हो जाएगी; निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेने में अकेले गहलोत के प्रयास रहे हैं। असल में सीएम का पद संभालतेहुए ही गहलोत ने निर्दलीय विधायकों से सम्पर्क कर लिया था। इन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में इन्हीं की सिफारिशों से अफसरों की तैनात की गई है। विधायकों की सिफारिश से ही विकास कार्य स्वीकृत हो रहे हैं। निर्दलीय विधायकों के समर्थन देने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भी फायदा होगा। समर्थन की घोषणा करने से पहले गहलोत ने विधायकों को पूरा सम्मान देने का भरोसा दिया है। कुछ विधायकों को मंत्री तथा कुछ को संसदीय सचिव बना कर मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। विधायक भी गहलोत पर पूरा भरोसा कर रहे हैं। कांगे्रस को समर्थन देने वाले विधायकों में सुरेश टांक, संयम लोढ़ा, सुखवीर सिंह, राजकुमार गौड, बलजीत यादव, रामकेश मीणा, महादेव सिंह खंडेला, आलोक बेनीवाल, लक्ष्मण सिंह, बाबूलाल नागर आदि शामिल हैं। 
कांगे्रस उम्मीदवारों के नामों को हरी झंडीः
राहुल गांधी राजस्थान के 26 मार्च के दौरे के लिए सुबह दिल्ली से रवाना हुए। राहुल ने एयरपोर्ट पर सीएम गहलोत डिप्टी सीएम सचिन पायलट और चुनाव कैम्पेन कमेटी के अध्यक्ष रघु शर्मा, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को पहले ही हवाई अड्डे पर बुला लिया। राहुल के साथ प्रदेश के चारों नेताओं ने सूरतगढ़ तक हवाई जहाज में यात्रा की। सूत्रों की माने तो कोई डेढ़ घंटे के हवाई सफर में राजस्थान की 25 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर विचार हुआ। हालांकि नामों पर कई दौर का मंथन हो चुका है। चूंकि अंतिम निर्णय राहुल गांधी को ही करना है, इसलिए हवाई जहाज में राहुल ने कांग्रेस उम्मीदवारों के नामों को हरी झंडी दे दी। राहुल ने गहलोत और पायलट को दो टूक शब्दों में कहा कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। सूत्रों के अनुसार गहलोत की राय को प्राथमिकता दी गई है। अब किसी भी समय उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो सकती है। हवाई यात्रा में लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर भी विचार विमर्श हुआ।
एस.पी.मित्तल) (26-03-19)
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किशनगढ़ के विधायक सुरेश टांक बन सकते हैं कांगे्रस सरकार में मंत्री।

किशनगढ़ के विधायक सुरेश टांक बन सकते हैं कांगे्रस सरकार में मंत्री।
किशनगढ़ के विकास को पहली प्राथमिकता।
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अजमेर के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक सुरेश टांक ने 26 मार्च को प्रदेश की कांगे्रस सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। अन्य निर्दलीय विधायकों के साथ टांक भी जयपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर रहे हैं। असल में निर्दलीय विधायकों का समूह बनाने में टांक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालांकि टांक भाजपा पृष्ठ भूमि के राजनेता है, लेकिन विधायक बनते ही टांक ने अशोक गहलोत से सम्पर्क साध लिया। निर्दलीय विधायकों का जो समूह बना उसके समर्थन देने की घोषणा से पहले ही कुछ मांगों पर सहमति करवाई है। इसमें निर्दलीय विधायकों को मंत्री और संसदीय सचिव बनाने की मांग की है। भले ही ऐसे विधायक फिलहाल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण न करें, लेकिन वह चाहते हैं कि उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक ही माना जाए, निर्दलीय विधायकों के समूह में टांक की स्थिति मजबूत है। टांक ने दिल्ली से कांगे्रस के बड़े नेताओं से भी मुलाकात की है। टांक किशनगढ़ मार्बल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसलिए उनके सम्पर्क कांगे्रस के बड़े नेताओं से भी है। निर्दलीय विधायकों के समूह में जिन तीन चार विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। उसमें सुरेश टांक का नाम भी शामिल है। हालांकि दूदू के निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर का मंत्री पद पर दावा भी मजबूत है, लेकिन नागर पर अभी भी एक आपराधिक मुकदमे की तलवार लटक रही है। इस मुकदमे की वजह से ही कांग्रेस ने नागर को विधानसभा चुनाव में टिकिट नहीं दिया था। नागर कांग्रेस पृष्ठ भूमि के ही है। इसलिए कांग्रेस में उनका दावा सुरेश टांक के मुकाबले कमजोर माना जा रहा है। अजमेर संसदीय क्षेत्र में दूदू भी शामिल है। यदि कांग्रेस उम्मीदवार को भाजपा पृष्ठ भूमि वाले विधायक का समर्थन मिलता है तो लोकसभा चुनाव में कांगे्रस की स्थिति मजबूत होगी। 
विकास को प्राथमिकता:
कांगे्रस को समर्थन देने के अवसर पर टांक ने कहा कि वह किशनगढ़ के विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। चूंकि किशनगढ़ के मतदाताओं ने उन्हें विकास के खातिर ही वोट दिया है। इसलिए यह चाहते हैं कि सरकार से अधिक से अधिक कार्य करवाए जाएं। वह किशनगढ़ में विकास कार्यों की मिसाल कायम करना चाहते हैं। निर्दलीय विधायक होने के नाते उनका किसी भी राजनीतिक दल से कोई सरोकार नहीं है। उनका एक मात्र उद्देश्य किशनगढ़ का विकास करवाना है। कांगे्रस को समर्थन भी इसी बात पर दिया है। जहां तक मंत्री बनाए जाने का सवाल है यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। किशनगढ़ राजस्थान ही नहीं देश की प्रमुख मार्बल मंडी है। किशनगढ़ से करोड़ों रुपए का टैक्स सरकार को मिलता है। यदि इतने बड़े ओद्योगिक क्षेत्र का विधायक होने के नाते उन्हें मंत्री पद मिलता है। तो यह मेरा सौभाग्य होगा। मंत्री बनने के बाद मैं और अधिक जवाबदेही के साथ काम करुंगा।
एस.पी.मित्तल) (26-03-19)
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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की ढिलाई की वजह से निर्दलीय विधायकों ने दिया कांगे्रस को समर्थन।



पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की ढिलाई की वजह से निर्दलीय विधायकों ने दिया कांगे्रस को समर्थन।
राजे का यह रुख लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी पड़ेगा। घनश्याम तिवाड़ी भी कांगे्रस में गए।
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राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाजपा की उन नेताओं में से हैं जो अपनी शर्तों पर राजनीति करती हैं। सीएम बनेंगी तो अपनी मर्जी का प्रदेशाध्यक्ष भी चाहिए। यदि अशोक परनामी जैसे को अध्यक्ष पद से हटा दिया तो फिर विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार भी होगी। हार के बाद भी वसुंधरा राजे चाहती हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्हीं के मर्जीदानों को उम्मीदवार बनाया जाए। लेकिन इतनी दादागिरी के लिए स्वयं कोई योगदान नहीं करना चाहतीं। विधानसभा चुनाव में 13 उम्मीदवार निर्दलीय तौर पर जीते हैं। 26 मार्च को ये सभी 13 निर्दलीय विधायक कांगे्रस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर रहे हैं। निर्दलीय विधायकों की घोषणा से अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार को तो मजबूती मिलेगी ही, साथ ही लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को फायदा होगा। सवाल उठता है कि जिस राज्य में वसुंधरा राजे जैसी दमखम वाली भाजपा नेता हों, उस राज्य में एक भी निर्दलीय भाजपा के साथ न आए, ऐसा कैसे हो सकता है? जाहिर है कि जिस पार्टी में वसुंधरा राजे ने केन्द्रीय मंत्री और दस वर्षों तक मुख्यमंत्री का सुख भोगा, उन्होंने इस मुद्दे पर कोई प्रयास नहीं किया। क्या किसी निर्दलीय विधायक से वसुंधरा राजे ने पार्टी हित में संवाद किया? जो लोग वसुंधरा राजे की राजनीति को जानते हैं उनका दावा है कि वसुंधरा चाहतीं तो इतने निर्दलीय विधायक कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा नहीं करते। वसुंधरा राजे जब सीएम थीं, तब राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय विधायकों के वोट भाजपा उम्मीदवार को दिलवाए; 2013 के चुनाव में भाजपा के 162 विधायक चुने गए। पांच वर्ष तक वसुंधरा राजे ने अपनी मनमर्जी से राज किया; 2018 के चुनाव में भी सभी 200 उम्मीदवार स्वयं ने तय किए, लेकिन राजे सिर्फ 73 विधायक ही चुनवा पाईं। यानि 2013 के मुकाबले भाजपा के आधे विधायक रह गए। वसुंधरा राजे को अपनी इस स्थिति को भी ध्यान रखना चाहिए। सत्ता का सुख भोगते हुए ही वफादारी दिखाई जाए, ऐसा नहीं होना चाहिए। असली कार्यकर्ता तो वो ही होतो है जो सत्ता से बाहर रह कर पार्टी के लिए समर्पण भाव से कार्य करें। सभी निर्दलीय विधायकों का समर्थन कांगे्रस को  चले जाने की जवाबदेही भी अकेले वसुंधरा राजे की है। भाजपा आलाकमान को राजे के बारे में ठोस निर्णय लेना चाहिए। यदि ऐसा ही ढुलमुल रवैया चलता रहा तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में नुकसान होगा। अभी राजस्थान में भाजपा की कमान किसी एक नेता के पास नहीं है। चुनाव के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर कोई प्रभावी भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं। जावड़ेकर वसुंधरा राजे को भी नाराज नहीं करना चाहते। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह चाहते हैं कि प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया को ताकत में लाया जााए। लेकिन निर्दलीय विधायकों जैसी घटनाएं करवा कर वसुंधरा राजे कटारिया को भी मजबूत होने से रोक रही हैं। मौजूदा समय में कटारिया ही भाजपा विधायक दल के नेता हैं, ऐसे एक भी निर्दलीय विधायक का समर्थन भाजपा को नहीं मिलना, कटारिया के नेतृत्व पर भी सवाल खड़ा करता है। 
तिवाड़ी भी कांगे्रस में:
26 मार्च को राहुल गांधी के जयपुर आगमन पर भारत वाहिनी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी भी कांग्रेस में शामिल हो गए। तिवाड़ी भाजपा में थे, लेकिन राजे के व्यवहार से क्षुब्ध होकर अपनी नई पार्टी  बनाई; हालांकि विधानसभा चुनाव में तिवाड़ी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए, लेकिन प्रदेश भाजपा में राजे का दखल बना रहने की वजह से तिवाड़ी को कांगे्रस में शामिल होना पड़ा। यानि राजे की वजह से भाजपा को लगातार नुकसान हो रहा है। 
एस.पी.मित्तल) (26-03-19)
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Saturday 23 March 2019

तो क्या धर्मेन्द्र गहलोत अजमेर के मेयर पद से सस्पेंड हो सकते हैं? सरकार के नोटिस से तो ऐसा ही लगता है।

तो क्या धर्मेन्द्र गहलोत अजमेर के मेयर पद से सस्पेंड हो सकते हैं?
सरकार के नोटिस से तो ऐसा ही लगता है।
उपायुक्त रलावता के खिलाफ भी कार्यवाही।
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13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों को गैर कानूनी तरीकों से स्वीकृत करने के मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को जो नोटिस दिया है, उससे प्रतीत होता है कि राज्य की कांग्रेस सरकार गहलोत को मेयर के पद से सस्पेंड करने मूड में हैं। यदि ऐसा होता है तो यह लोकसभा चुनाव के मौके पर भाजपा को बड़ा झटका होगा। अजमेर नगर निगम पर भाजपा का ही कब्जा है। सरकार ने नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 में गहलोत को नोटिस दिया है। इस अधिनियम में नोटिस देने के बाद पार्षद को जांच होने तक सस्पेंड किया जा सकता है। निष्पक्ष जांच के लिए गहलोत को मेयर के पद से सस्पेंड किया जा सकता है, हालांकि अभी सरकार के नोटिस का जवाब गहलोत को देना है। 13 व्यावसायिक नक्शों के मामले में सरकार द्वारा गठित कमेटी ने मेयर गहलोत को भी दोषी माना है। सरकार की जांच रिपोर्ट में माना गया है कि मेयर ने नियमों के विरुद्ध जाकर कार्यवाहक उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता ने दोषपूर्ण नक्शों को स्वीकृत करवा दिए। सरकार ने जब नक्शों की जांच करवाने के निर्देश दिए थे, मेयर ने साधारण सभा में नक्शों पर स्वीकृति की मुहर लगवा दी। यानि इन नक्शों को लेकर मेयर की भूमिका नियम विरोधी रही। हालांकि पूर्व में भी गहलोत के कार्यकाल में इस तरह से काम हुए हैं, लेकिन भाजपा के शासन में गहलोत पर कार्यवाही नहीं, लेकिन अब कांग्रेस के शासन में गहलोत के खिलाफ सीधी कार्यवाही हो रही है। असल में इस मामले में आईएएस अफसरों की नाराजगी भी गहलोत को महंगी पड़ रही है। निगम के पूर्व आयुक्त हिमांशु गुप्ता और मौजूदा आयुक्त सुश्री चिन्मय गोपाल भी गहलोत के तौर तारीकों से परेशान रहे। मेयर ने जिस अंदाज में अजमेर के कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा को नोटिस दिया, उससे भी प्रशासनिक क्षेत्रों में नाराजगी बढ़ी। डीएलबी के निदेशक पवन अरोड़ा से भी गहलोत कई बार उलझ चुके हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही गहलोत के खिलाफ चैतरफा माहौल बन गया। हालांकि गहलोत स्वयं एडवोकेट हैं और मुसीबतों से पार पाना जानते हंै, लेकिन इस बार माहौल कुछ ज्यादा ही खराब नजर आ रहा है। गहलोत के समर्थकों को उम्मीद थी कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव महेन्द्र सिंह रलावता के भाई गजेन्द्र सिंह रलावता के उपायुक्त पद पर आ जाने से बचाव हो जाएगा। लेकिन अब रलावता स्वयं संदेह के घेरे में आ गए हैं। रलावता को तो विभागीय आरोप पत्र तक दिया जा रहा है। गत विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर के भाजपा प्रत्याशी वासुदेव देवनानी ने गजेन्द्र सिंह रलावता की शिकायत की थी। तब यह आरोप लगा कि रलावता केकडी में ड्यूटी देने के बजाए अजमेर उत्तर से कांग्रेस प्रत्यशाी और अपने भाई महेन्द्र सिंह रलावता का प्रचार कर रहे हैं। हालांकि भाजपा के शासन में रलावता का अजेमर से तबादला कर दिया गया था, लेकिन कांग्रेस का राज आते ही रलावता फिर से अजमेर नगर निगम के उपायुक्त के पद पर तैनात हो गए। यह बात अलग है कि मेयर की राजनीतिक लड़ाई में इस बार रलावता भी चपेट में आ गए हैं। कांग्रेस के शासन में रलावता पर कार्यवाही होना मायने रखता है।
फिलहाल खामोशीः
आमतौर पर हमलावर रहने वाले मेयर गहलोत इस बार खामोश हैं। सरकार द्वारा नोटिस दिए जाने पर गहलोत कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। लेकिन निगम में गहलोत के समर्थक पार्षद मानते हैं कि यह राजनीतिक द्वेषता है। 13 व्यावसायिक नक्शों का मामला जनहित का है। अधिकारियों ने स्वीकृति में जो लापरवाही बरती उसका दंड भवन मालिकों को क्यों दिया जा रहा है? साधारण सभा में कांग्रेस के पार्षद भी मौजूद थे। यदि कोई कार्य नियम विरुद्ध हो रहा था, तो कांग्रेस के पार्षदों को एतराज करना चाहिए था। कांग्रेस के पार्षद तो आज भी भवन मालिकों के पक्षधर हैं। कांग्रेस की सरकार भले ही मेयर गहलोत और उपायुक्त रलावता को दोषी माने, लेकिन निगम के कांग्रेसी पार्षद साथ खड़े हैं।
एस.पी.मित्तल) (23-03-19)
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26 मार्च को राहुल गांधी के सामने राजस्थान के सभी 13 निर्दलीय विधायक कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

26 मार्च को राहुल गांधी के सामने राजस्थान के सभी 13 निर्दलीय विधायक कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। यह सीएम अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक होगा। पर डिप्टी सीएम सचिन पायलट नाखशु।
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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 26 मार्च को एक दिवसीय दौरे पर राजस्थान आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार राहुल गांधी गंगानगर और बूंदी में चुनावी सभाओं को सम्बोधित करेंगे, जबकि जयपुर में रामलीला मैदान पर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे। 23 मार्च को सीएम अशोक गहलोत ने जयपुर में राहुल के दौरे की तैयारियां देखी। जानकारों की माने तो गहलोत ने प्रदेश के सभी 13 निर्दलीय विधायकों से भी सम्पर्क साधा। माना जा रहा है कि 26 मार्च को जयपुर के रामलीला मैदान पर इन सभी 13 निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करवा दी जाएगी। ये सभी विधायक जीतने के बाद से ही सीएम गहलोत के सम्पर्क में हैं। निर्दलीय विधायकों की सिफारिश से ही उनके निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकारियों की नियुक्ति हुई है। 13 विधायकों के शामिल हो जाने से गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार मजबूत हो जाएगी। अभी सरकार को सिर्फ बहुमत हासिल हैं। 200 में से 100 विधायक कांग्रेस के हैं। निर्दलीय विधायकों के आ जाने से सरकार के पास 113 का बहुमत हो जाएगा। असल में गहलोत को अल्पमत की सरकार को बहुमत में बदलने की हैडमास्टरी है। गतबार गहलोत जब सीएम बने थे, तब कांग्रेस के पास 95 विधायक ही थे, लेकिन गहलोत बड़ी चतुराई से बसपा के सभी 5 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवा लिया। गोलमा देवी जैसी निर्दलीय विधायक को मंत्री बना कर पांच वर्ष तक बड़े आराम से सरकार चलाई। इस बार भी गहलोत सभी 13 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाकर लोकसभा चुनाव के मौके पर बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेलने जा रहे हैं। असल में अभी तक कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हुई है। कांग्रेस की सूची में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा (अजमेर) जैसे के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं। मंत्रियों के सांसद बने जाने के बाद भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं होगा, इस बात के लिए गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को आश्वस्त करना चाहते हैं। इसलिए राहुल के सामने 13 निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाया जा रहा है। यदि किन्हीं कारणों से 26 मार्च को ऐसा संभव नहीं हुआ तो भी राहुल से 13 विधायकों की मुलाकात करवाई जा सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए गंभीर बात यह है कि भाजपा पृष्ठ भूमि वाले निर्दलीय विधायक सुरेश टांक, ओम प्रकाश हुंडला, कांतिलाल मीणा आदि भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। जबकि निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, सुखबीर सिंह, राजकुमार गौड, बलजीत यादव, रामकेश मीणा, महादेव सिंह खंडेला, अलोक बेनीवाल, लक्ष्मण सिंह, बाबूलाल नागर तथा श्रीमती रमीला खाड़िया विधायकों से प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने भी मुलाकात कर ली है।
पायलट नाखुशः
कांग्रेस के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार 13 निर्दलीय विधायकों को एक मुश्त कांग्रेस में शामिल करने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट नाखुश बताए जाते हैं। सूत्रों की माने तो सीएम गहलोत एक माह पहले ही निर्दलीय विधायकों को कांगे्रस में शामिल करवाना चाहते थे, लेकिन पायलट की नाराजगी के चलते ऐसा संभव नहीं हुआ। असल में कांग्रेस का एक धड़ा नहीं चाहता कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार मजबूत हो। 13 निर्दलीय विधायकों के शामिल होने का श्रेय भी गहलोत को ही जा रहा है। इस धड़े को लगता है कि विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर पहले ही अन्याय हुआ है। यदि 13 निर्दलीय विधायक कांगे्रस में शामिल होते हैं तो इस धड़े की राजनीतिक स्थिति और कमजोर होगी।
एस.पी.मित्तल) (23-03-19)
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Tuesday 19 March 2019



स्कूल भवन के शिलान्यास समारोह में विधायक देवनानी को न बुलाने पर विशेषाधिकार हनन का नोटिस। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रलावता थे मुख्य अतिथि।
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सरकारी स्कूल के भवन के शिलान्यास समारोह में आमंत्रित नहीं किए जाने पर अजमेर उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को पत्र लिखा है। इस पत्र में देवनानी ने अपना विशेषाधिकार हनन बताया है। पत्र में लिखा गया कि 8 मार्च को उनके निर्वाचन क्षेत्र माकड़वाली स्थित स्वामी विवेकानंद राजकीय माॅडल स्कूल के प्राथमिक विद्यालय के भवन निर्माण का शिलान्यास हुआ। इस समारोह के मुख्य अतिथि विधानसभा चुनाव में कांगे्रस के प्रत्याशी रहे महेन्द्र सिंह रलावता को बनाया गया। इसी प्रकार अजमेर दक्षिण क्षेत्र के पराजित कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी कांग्रेस के पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर कांग्रेस नेता अब्दुल शरीद, नारायण गुर्जर आदि अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। इस समारोह में कोई जनप्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्रीय विधायक की हैसियत से मुझे नहीं बुलाकर मेरे विशेषाधिकार का हनन किया है। देवनानी ने मांग की कि शिक्षा विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए जिन्होंने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं किया। देवनानी ने पत्र के बारे में राज्यपाल कल्याण सिंह को भी जानकारी दी है। देवनानी ने आरोप लगाया कि सरकारी समारोह का राजनीतिकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव प्रत्याशी का कोई पद नहीं होता। चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद प्रत्याशी शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। देवनानी कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में हुए समारोह की जानकारी तक नहीं दी गई। इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस की सरकार में जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं हो रहा है। गंभीर बात तो ये है कि स्कूल परिसर में जो शिलापट्ट अंकित किया गया उस पर भी कांग्रेस प्रत्याशी जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। देवनानी ने कहा कि माकड़वाली के स्कूल में 75 लाख रुपए की लागत से जो भवन बन रहा है उसकी राशि केन्द्र सरकार ने दी है। 
एस.पी.मित्तल) (19-03-19)
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अजमेर के मेयर गहलोत द्वारा कलेक्टर को नोटिस देना महंगा पड़ा।



अजमेर के मेयर गहलोत द्वारा कलेक्टर को नोटिस देना महंगा पड़ा।
13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों का मामला अब एसीबी में जाएगा। 
मेयर, उपायुक्त, इंजीनियरों को दोषी माना है। 
कांग्रेस के पार्षद अब भी चुप।
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भाजपा के कब्जे वाले अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत द्वारा जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा को नोटिस दिया जाना अब मेयर के लिए महंगा साबित हो रहा है। निगम द्वारा स्वीकृत 13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों को दोषपूर्ण माना गया है। इसके लिए मेयर गहलोत, उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता तथा संबंधित इंजीनियरों को जिम्ममेदार माना गया है। मानचित्रों की जांच स्वायत्त शासन विभाग द्वारा गठित कमेटी ने की है असल में निगम की आयुक्त चिन्मय गोपाल की रिपोर्ट पर जिला कलेक्टर ने जांच बैठाई थी, तब मेयर गहलोत ने कलेक्टर को नोटिस देकर पूछा कि आपने किस अधिकारों से जांच कमेटी गठित की है, जबकि 13 मानचित्रों पर निगम की साधारण सभा में मुहर गई है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार मेयर द्वारा कलेक्टर को नोटिस दिए जाने को राज्य की कांग्रेस सरकार ने बेहद गंभीर माना। यही वजह रही कि स्वायत्त शासन विभाग ने अजमेर के सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी। अब इसी जांच कमेटी ने सभी 13 व्यावसायिक माचित्रों को दोषपूर्ण माना है। एक एक मानचित्र के बारे में बताया है कि खामियां होने के बाद भी स्वीकृत किया गया। इतना ही नहीं ये मानचित्र तत्कालीन आयुक्त हिमांशु गुप्ता के अवकाश पर होने पर उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता से स्वीकृत करवाए गए। पहले गुप्ता ने भी ऐसी स्वीकृति पर आपत्ति जताई और मौजूदा आयुक्त चिन्मय गोपाल ने एतराज जताया है। लेकिन फिर भी मेयर के स्तर पर मानचित्रों को सही माना जा रहा है। अब चूंकि उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने सभी 13 व्यावसायिक मानचित्रों को दोषपूर्ण मान लिया है, इसलिए अब यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को दिए जाने पर विचार हो रहा है। सूत्रों की माने तो निगम की आयुक्त गोपाल ही सभी फाइलों को एसीबी में भेज सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह अपने तरीके का खास मामला होगा। हालांकि फिलहाल मेयर गहलोत इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से बच रहे हैं, लेकिन मेयर पहले कह चुके हैं कि मानचित्र नियमानुसार स्वीकृत हुए हैं। डीएलबी के निर्देशों पर निगम की साधारण सभा में मानचित्रों को स्वीकृत करवाया। मानचित्रों पर सभी पार्षदों की सहमति रही है।
कांग्रेस पार्षद चुप:
13 व्यावसायिक मानचित्रों को लेकर जहां प्रशासन में हलचल है, वहीं निगम में कांगे्रस पार्षद चुप हैं। हालांकि अब सारी कार्यवाही राजनीतिक नजरिए से हो रही है, लेकिन कांग्रेस के पार्षद भवन मालिकों के साथ ही खड़े हैं। निगम में कांग्रेस के 22 पार्षद हैं। शहर कांग्रेस  कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने  तो एक बयान जारी कर विवादित मानचित्रों की जांच करवाने की मांग की थी। जैन कांग्रेस पार्षदों की बैठक बुलाने की बात भी कही थी, लेकिन जैन अभी तक पार्षदों की बैठक करने में सफल नहीं हुए हैं।
ये हैं भवन मालिकः
13 व्यावसायिक भवन मालिकों में डिग्गी चैक स्थित आशादेवी, लोहागल निवासी नारायण विशनदास, गोपालदास हीरानंद, आगरा गेट स्थित उमराव कंवर, पुरानी मंडी स्थित अनूप कुवेरा, नीलत कुवेरा, रामगंज नई बस्ती में ललित गुप्ता, अनसुईया गुप्ता, योगेश गुप्ता, माया गुप्ता, तरुण गुप्ता, रेखा गुप्ता, मनीष गुप्ता, आशा गुप्ता, पड़ाव ब्यूकेसल रमेश हेमवानी, मयंक खंडेलवाल, चारू खंडेलवाल, केसरगंज में ईश्वरी देवी, पूनम मीना ईश्वरी, नीता, नीलम, पुलिस लाइन में भगवान सिंह चैहान, रामगंज में ओम प्रकाश माहेश्वरी, दरगाह बाजार में नंदलाल रुकमणि, कमल, डाॅ. सुंदर बालचंदानी तथा महावीर सर्किल पर सुनील सेठी के व्यावसायिक निर्माण शामिल हैं। 
एस.पी.मित्तल) (19-03-19)
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पुष्कर के अनंता रिसोर्ट में समारोह स्थल की अनुमति निरस्त।

पुष्कर के अनंता रिसोर्ट में समारोह स्थल की अनुमति निरस्त।
कोर्ट में दी जाएगी चुनौती। विवाद और गहराया।
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पुष्कर स्थित अनंता रिसोर्ट के समारोह स्थल का विवाद और गहरा गया है। पुष्कर नगर पालिका ने पूर्व में समारोह स्थल के लिए जो अस्थायी अनुमति दी थी, उसे अब निरस्त कर दिया गया है। यानि अब अनंता रिसोर्ट में शादी ब्याह आदि के समारोह नहीं हो सकेंगे। यह महत्वपवूर्ण तथ्य 18 मार्च को स्वायत्त शासन विभाग की जांच टीम के सामने आया है। पांच सितारा सुविधायुक्त अनंता रिसोर्ट के मालिक संजय गोयल की पहल पर 18 मार्च को विभाग की जांच टीम रिसोर्ट के समारोह स्थल को देखने आई थी। इस टीम में पुष्कर के एसडीएम, तहसीलदार और पालिका के अधिकारी शामिल थे। असल में पिछले दिनों पालिका की ईओ और तहसीलदार ने रिसोर्ट पहुंच कर समारोह स्थल का निर्माण कार्य रुकवा दिया था। इससे खफा होकर रिसोर्ट प्रबंधन ने राज्य सरकार की जांच टीम बुलवाई। प्रबंधन का कहना रहा कि पालिका की अनुमति मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवाया था। जांच टीम का झुकाव रिसोर्ट प्रबंधन के साथ था। प्रबंधन को भी उम्मीद थी कि जांच टीम में शामिल बड़े अधिकारी पालिका की रोक को हटवा देंगे, लेकिन बड़े अधिकारी भी पालिका की रिपोर्ट देखकर चकित हो गए। असल में पालिका ने पूर्व की अनुमति को ही निरस्त कर दिया। जो आदेश जारी किया है, उसमें माना है कि अस्थायी अनुमति की आड़ में अनंता रिसोर्ट में पक्का निर्माण किया जा रहा है जो पूरी तरह गैर कानूनी है। रिसोर्ट में कोई भी निर्माण पालिका की स्वीकृति के बिना नहीं हो सकता। अनंता रिसोर्ट में शादी-ब्याह के समारोह भी नियम विरुद्ध हो रहे हैं। राज्य सरकार ने शादी समारोह के लिए वर्ष 2010 में नियम बनाए है, जिनकी पालना रिसोर्ट में नहीं हो रही है। शादी समारोह के लिए पार्किंग आदि की भी सुविधा नहीं है। रिसोर्ट में समारोह स्थल संचालित करने के लिए नियमों के अनुरूप व्यवस्थाएं होनी चाहिए। पालिका की इस रिपोर्ट को देखने के बाद स्वायत्त शासन विभाग की जांच टीम बैरंग लौट गई। अब सरकार के लिए भी रिसोर्ट में समारोह स्थल का फिर से शुरू करवाना मुश्किल होगा।
कोर्ट जाएंगेः
अनंता रिसोर्ट के महाप्रबंधक विवेक चुग का कहना है कि इस मुद्दे पर अब कोर्ट जाएंगे। पालिका से अनुमति मिलने पर ही हमने समारोह स्थल का निर्माण कार्य शुरू किया था। पालिका की ताजा कार्यवाही द्वेषतापूर्ण है। हमने रिसोर्ट का पक्ष जांच टीम के सामने रख अवगत दिया है। विभाग के उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाया जाएगा। 
लीज की जमीन पर थी अनुमतिः
असल में अनंता रिसोर्ट के लिए जिस तीन बीघा जमीन पर समारोह स्थल बनवाया जा रहा है उसे दस वर्ष की लीज पर अजमेर के डबल ए श्रेणी के ठेकेदार एचएस मेहता से लीज पर लिया गया है। मेहता का भी कहना है कि एक बार अनुमति देने के बाद पालिका को निरस्त करने का वैधानिक अधिकार नहीं है। पालिका ने यह कार्यवाही राजनीतिक कारणों से की है। अनंता रिसोर्ट की ख्याति की वजह से बाहर के परिवार भी रिसोर्ट में शादी समारोह करने के लिए आने लगे हैं। ऐसे में पुष्कर और अजमेर में प्रयर्टन के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हो रहा है। लेकिन कुछ लोग सकारात्मक कार्यों के विरोधी होते हैं।
एस.पी.मित्तल) (19-03-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
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M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
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पुष्कर के अनंता रिसोर्ट में समारोह स्थल की अनुमति निरस्त।

पुष्कर के अनंता रिसोर्ट में समारोह स्थल की अनुमति निरस्त।
कोर्ट में दी जाएगी चुनौती। विवाद और गहराया।
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पुष्कर स्थित अनंता रिसोर्ट के समारोह स्थल का विवाद और गहरा गया है। पुष्कर नगर पालिका ने पूर्व में समारोह स्थल के लिए जो अस्थायी अनुमति दी थी, उसे अब निरस्त कर दिया गया है। यानि अब अनंता रिसोर्ट में शादी ब्याह आदि के समारोह नहीं हो सकेंगे। यह महत्वपवूर्ण तथ्य 18 मार्च को स्वायत्त शासन विभाग की जांच टीम के सामने आया है। पांच सितारा सुविधायुक्त अनंता रिसोर्ट के मालिक संजय गोयल की पहल पर 18 मार्च को विभाग की जांच टीम रिसोर्ट के समारोह स्थल को देखने आई थी। इस टीम में पुष्कर के एसडीएम, तहसीलदार और पालिका के अधिकारी शामिल थे। असल में पिछले दिनों पालिका की ईओ और तहसीलदार ने रिसोर्ट पहुंच कर समारोह स्थल का निर्माण कार्य रुकवा दिया था। इससे खफा होकर रिसोर्ट प्रबंधन ने राज्य सरकार की जांच टीम बुलवाई। प्रबंधन का कहना रहा कि पालिका की अनुमति मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवाया था। जांच टीम का झुकाव रिसोर्ट प्रबंधन के साथ था। प्रबंधन को भी उम्मीद थी कि जांच टीम में शामिल बड़े अधिकारी पालिका की रोक को हटवा देंगे, लेकिन बड़े अधिकारी भी पालिका की रिपोर्ट देखकर चकित हो गए। असल में पालिका ने पूर्व की अनुमति को ही निरस्त कर दिया। जो आदेश जारी किया है, उसमें माना है कि अस्थायी अनुमति की आड़ में अनंता रिसोर्ट में पक्का निर्माण किया जा रहा है जो पूरी तरह गैर कानूनी है। रिसोर्ट में कोई भी निर्माण पालिका की स्वीकृति के बिना नहीं हो सकता। अनंता रिसोर्ट में शादी-ब्याह के समारोह भी नियम विरुद्ध हो रहे हैं। राज्य सरकार ने शादी समारोह के लिए वर्ष 2010 में नियम बनाए है, जिनकी पालना रिसोर्ट में नहीं हो रही है। शादी समारोह के लिए पार्किंग आदि की भी सुविधा नहीं है। रिसोर्ट में समारोह स्थल संचालित करने के लिए नियमों के अनुरूप व्यवस्थाएं होनी चाहिए। पालिका की इस रिपोर्ट को देखने के बाद स्वायत्त शासन विभाग की जांच टीम बैरंग लौट गई। अब सरकार के लिए भी रिसोर्ट में समारोह स्थल का फिर से शुरू करवाना मुश्किल होगा।
कोर्ट जाएंगेः
अनंता रिसोर्ट के महाप्रबंधक विवेक चुग का कहना है कि इस मुद्दे पर अब कोर्ट जाएंगे। पालिका से अनुमति मिलने पर ही हमने समारोह स्थल का निर्माण कार्य शुरू किया था। पालिका की ताजा कार्यवाही द्वेषतापूर्ण है। हमने रिसोर्ट का पक्ष जांच टीम के सामने रख अवगत दिया है। विभाग के उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवाया जाएगा। 
लीज की जमीन पर थी अनुमतिः
असल में अनंता रिसोर्ट के लिए जिस तीन बीघा जमीन पर समारोह स्थल बनवाया जा रहा है उसे दस वर्ष की लीज पर अजमेर के डबल ए श्रेणी के ठेकेदार एचएस मेहता से लीज पर लिया गया है। मेहता का भी कहना है कि एक बार अनुमति देने के बाद पालिका को निरस्त करने का वैधानिक अधिकार नहीं है। पालिका ने यह कार्यवाही राजनीतिक कारणों से की है। अनंता रिसोर्ट की ख्याति की वजह से बाहर के परिवार भी रिसोर्ट में शादी समारोह करने के लिए आने लगे हैं। ऐसे में पुष्कर और अजमेर में प्रयर्टन के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हो रहा है। लेकिन कुछ लोग सकारात्मक कार्यों के विरोधी होते हैं।
एस.पी.मित्तल) (19-03-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
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Saturday 16 March 2019

गधे के तिलक लगा देने से वह ज्योतिषी नहीं हो जाता।

गधे के तिलक लगा देने से वह ज्योतिषी नहीं हो जाता।
सम्मेलन में ज्योतिष विधा पर खरी खरी।
बाबा रामदेव पर भी हमला।
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16 मार्च को अजमेर के वैशाली नगर स्थित प्रेम प्रकाश आश्रम के सभागार में राजस्थान और देशभर के ज्योतिषियों का दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ। ज्योतिषियों के इस महाकुंभ के शुभारंभ सत्र में मुझे भी अतिथि के तौर पर भाग लेने का अवसर मिला। ज्योतिष और ज्योतिषियों को लेकर मेरे मन में जो शंकाएं थी, उन्हें खुद ज्योतिषियों के प्रतिनिधियों ने उजागर किया। इस सत्र में मेरा यह कहना रहा कि जब ज्योतिष शास्त्र एक है तो फिर ज्योतिषियों की राय अलग अलग क्यों होती है? जन्म पर जो जन्मपत्री बनाई जाती है वह कोरी होती है। व्यक्ति जैसे जैसे बड़ा होता है वैसे वैसे उसके कर्म जन्मपत्री में अपने आप लिख जाते हैं। लेकिन परेशान होने पर वही व्यक्ति कोरी जन्मपत्री  ज्योतिषाचार्य को दिखा कर अपने भूत और भविष्य के बारे में जानना चाहता है। क्या ऐसे में ज्योतिषशास्त्र कोई मदद कर सकता है ऐसे सभी सवालों के जवाब हिमाचल प्रदेश के शारदा ज्योतिष निकेतन के प्रमुख पंडित लेखराज शर्मा, अखिल भारतीय सर्वब्राह्ममण महासभा के महासचिव शुभेश शर्मन, उदयपुर के मशहूर ज्योतिषाचार्य निरंजन भट्ट, अजमेर स्थित एस्ट्रालाॅजी हाउस के प्रमुख केके शर्मा, प्रेम प्रकाश आश्रम के महंत स्वामी सर्वानंद महाराज आदि ने दिए। ज्योतिषाचार्य लेखराज शर्मा ने कहा कि गधे के सर पर तिलक लगा   देने से वह ज्योतिषाचार्य अथवा विद्वान नहीं हो जाता। ज्योतिषाचार्य बनने के लिए विस्तृत अध्ययन करना पड़ता है। आयुर्वेद और ज्योतिष आपस में पर्यायवाची है, लेकिन बाबा रामदेव जैसे कारोबारियों ने आयुर्वेद को बदनाम कर रखा है। ज्योतिष विद्वान की ताकत को सतयुग से माना गया है। तीन बार घर पहुंचने पर भी जब भृगू ऋषि की मुलाकात भगवान विष्णु से नहीं हुई तो उन्होंने सोते हुए विष्णु के सीने पर पैर रख दिया। इससे नाराज लक्ष्मी ने श्राप दिया कि मैं हमेशा आपसे दूर रहूंगी। इस श्राप के जवाब में भृगू ऋषि ने भृगूसंहिता शास्त्र लिखा जिसकी वजह से आज ज्योतिषाचार्यों के पास लक्ष्मी स्वयं चलकर आती है। ज्योतिषशास्त्र में वो ताकत है जो भूत और भविष्य दोनों बता सकता है। लेकिन हमारे की कुछ लोगों ने इसे बदनाम कर रखा है। ज्योतिष कोई पाखंड नहीं बल्कि एक मार्ग दर्शक है। सरकार को चाहिए कि स्कूल काॅलेज और विश्वविद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र के कोर्स शुरू किए जाए और विशेष मंत्रालय बनाकर ज्योतिष विधा को अगे बढ़ाया जावे। व्यक्ति का भविष्य हाथ की रेखाओं के साथ-साथ पैर की रेखाओं से भी जाना जा सकता है। 
सर्वब्राह्मण महासभा के महासचिव और ज्योतिष शुभेश सर्मन ने कहा कि ज्योतिष ऐसा विज्ञान है जिसके माध्यम से संसार में समरसता दी जा सकती है। ज्योतिष शास्त्र में सभी समस्याओं का समाधान निहित है। पर्यावरण से लेकर समाज सुधार तक का काम ज्योतिषशास्त्र से किया जा सकता है। ज्योतिष के जरिए ही प्रकृति का संरक्षण भी होता है। हमारे यहां गाय से लेकर कुत्ते, कोवा तक के लिए रोटी निकाली जाती है। यह बात अलग है कि अब जर्सी गाय और शेफर्ड कुत्ते के जमाना आ गया है। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि पिछले दिनों जब पुलवामा हमला हुआ तो अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह से सबसे पहले आतंकवाद की निंदा की गई। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए जो ज्योतिष शास्त्र को बदनाम कर रहे हैं। उदयपुर के मशहूर ज्योतिषाचार्य निरंजन भट्ट ने कहा कि ज्योतिष में 14 तिथि और पूर्णिमा व अमावस को मिला कर 16 तिथियां निर्धारित की गई है। हथेली के माध्य में राहू और पास वाली रेखा केतू की मानी जाती है। ज्योतिषशास्त्र ऐसी विधा है जो अंधकार को नष्ट कर सकती है। अब तो विज्ञान भी ज्योतिषशास्त्र को महत्व देने लगा है।  
एस्ट्रोलाॅजी हाउस के प्रमुख और देश के विख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित केके शर्मा ने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति में अब वो घटनाएं हो रही है जिनकी कल्पना ज्योतिष शास्त्र में कभी नहीं की गई। टीवी सीरियल बनाने वाली मशहूर निर्देश एकता कपूर ने भी एक बच्चे को जन्म दिया है। लेकिन इस बच्चे के पिता का नाम किसी को नहीं पता, जबकि ज्योतिष शास्त्र में भविष्य को जानने के लिए पिता का नाम बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब  ज्योतिषशास्त्र के सामने अनेक चुनौतियां है, लेकिन हमें उन कृत्यों को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए जो सनातन और वैदिक संस्कृति के खिलाफ हैं। सम्मेलन में स्वामी ब्राह्मानंद ने कहा कि ग्रहों का डर दिखाया जाता है जबकि उनका मानना है कि कोई भी ग्रह खराब नहीं होता। कुछ लोग कालसर्प के नाम पर लोगों को डराते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए। सम्मेलन में पुष्कर के ज्योतिषाचार्य पंडित कैलाश नाथ दाधीच, नरेश भाटिया, मकराना के विमल पारीक, आदि ने भी विचार रखे। सम्मेलन में ज्योतिष के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए सर्व श्री राकेश सोनी, लेखराज शर्मा, डाॅ. पूजा शर्मा, पर्वती कुमारी, डाॅ सुधांशु खींची, पंडित कैलाशनाथ दाधीच, महंत जोगेन्द्र नाथ, स्वेता गुलाटी, पीके गुप्ता, जीडी दयाल आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन खींवराज शर्मा ने किया। 
विधायक रावत की बनाई लाइव जन्मपत्रीः
सम्मेलन में ज्योतिषाचार्य लेखराज शर्मा ने पुष्कर के विधायक सुरेश रावत की लाइव जन्मपत्री बनाई। रावत जब मंच से भाषण दे रहे थे, बिना हस्तरेखा देखे शर्मा ने जन्मपत्री तैयार कर दी। शर्मा ने रावत के जन्म की जो तारीख बताई वह सही निकली। इसी प्रकार उनकी पत्नी और माता नाम का पहला अक्षर भी सही बताया। शर्मा ने सम्मेलन में मौजूद देश प्रदेश से आए ज्योतिषियों से जन्मपत्री की पड़ताल करने का कहा तो सभी ने जन्मपत्री को सही माना। विधायक रावत ने भी इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि बिना जन्म तिथि और बिना हस्तरेखा देखे उनके बारे में सही सही जानकारी दी गई है। इस अवसर पर रावत ने कहा कि राजस्थान में ज्योतिष शास्त्र को संरक्षण देने के लिए वे विधानसभा में इस मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने सम्मेलन के आयोजकों से कहा कि वे जो प्रस्ताव पास करें उसकी प्रति उन्हें उपलब्ध करवाई जाए, ताकि वे विधानसभा में ज्योतिषाचार्यो की समस्याओं को प्रभावी ढंग से रख सके। 
एस.पी.मित्तल) (16-03-19)
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