Tuesday 31 July 2018

अजमेर के डिप्टी मेयर संपत सांखला के इस्तीफे को लेकर हंगामा।

अजमेर के डिप्टी मेयर संपत सांखला के इस्तीफे को लेकर हंगामा। साधारण सभा में करोड़ों के विकास कार्यों पर मुहर लगी।
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31 जुलाई को अजमेर नगर निगम की साधारण सभा में डिप्टी मेयर सम्पत सांखला के इस्तीफे की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया। पार्षद सुनील केन, द्रोपदी देवी, चन्द्रप्रकाश बालोटिया, गणेश च ौहान आदि का कहना रहा कि सम्पत सांखला ने पुलिस में शपथ पत्र पेश कर स्वीकार किया है कि वर्ष 2010 के पार्षद के चुनाव में शैक्षिक योग्यता को लेकर झूठा शपथ पत्र दिया है। 10वीं पास नहीं होते हुए भी सांखला ने स्वयं को 10वीं उत्तीर्ण बता दिया, अब इस मामले में अदालत ने सांखला के विरुद्ध आपराधिक मामला चलाने का आदेश दे दिया है। ऐसे में सांखला को डिप्टी मेयर के सम्मानित पद पर नहीं रह सकते है। पार्षदों ने सांखला के इस्तीफे की मांग को लेकर साधारण सभा में कोई एक घंटे तक धरना और नारेबाजी की, लेकिन मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने दो टूक शब्दों में कहा कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए वे कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं।
संगठन स्तर पर हो रही है जांचः
डिप्टी मेयर सम्पत सांखला के मामले में संगठन स्तर पर भी जांच हो रही है। सांखला ने पुलिस जांच में यह लिख कर दिया है कि वर्ष 2010 में भाजपा उम्मीदवारों के नामांकन भरने के लिए एक टीम बनाई थी इस टीम ने ही उनके 10वीं पास होने का शपथ पत्र तैयार करवाया था। उन्होंने जल्दबाजी में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। सूत्रों के अनुसार प्रदेश नेतृत्व में सांखला के इस कथन पर ऐतराज है। सांखला को अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल का समर्थक माना जाता है।
करोड़ों के कार्यों पर मोहरः
साधारण सभा में करोड़ों के विकास कार्यों और ठेके के प्रस्तावों पर भी मोहर लगा दी गई। अजमेर के सुभाष बाग में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जो कार्य हो रहे हैं उन सभी को स्वीकृत कर दिया गया। इसी प्रकार गांधी भवन गार्डन के कार्यों को भी अनुमोदित किया गया। नया बाजार स्थित राजकीय संग्रहालय से देहली गेट और सोनी जी की नसियां तक के मार्ग पर सौंदर्यकरण के लिए जो कार्य करवाए उन्हें भी मंजूरी दी गई। शहर में उत्सवों और प्रशासनिक कार्यों के लिए टेंट व्यवस्था हेतु करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया। इसके साथ ही निगम के कर्मचारियों की पदोन्नति के प्रस्तावों की अनुमति दी गई।  
एस.पी.मित्तल) (31-07-18)
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रीट लेबल दो का परिणाम अब कभी भी।

रीट लेबल दो का परिणाम अब कभी भी। 28 हजार शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ। हाईकोर्ट में भी खरी उतरी शिक्षा बोर्ड की परीक्षा।
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31 जुलाई को जयपुर स्थित हाईकोर्ट के जस्टिस वीएस सिराधना ने राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) लेवल दो के परीक्षा परिणाम पर लगी रोक को हटाते हुए कमलेश मीणा और अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिकाओं में परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट होने का आरोप लगाया गया था। लेकिन परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों खास कर बोर्ड की सचिव मेघना च ौधरी ने वकील के जरिए परीक्षा की गोपनीयता के बारे में कोर्ट को विस्तार से जानकारी दी। बोर्ड का कहना कि परीक्षा के दिन 11 फरवरी 2018 को किसी भी केन्द्र से प्रश्न पत्र आउट होने की कोई शिकायत नहीं मिली। याचिकाकर्ताओं के पास भी ऐसे कोई सबूत नहीं है, जिनसे प्रश्न पत्र आउट होने की जानकारी होती हो।
परीक्षा कब कभी भीः
रीट परीक्षा में 7 लाख 50 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। शिक्षा बोर्ड और राज्य सरकार के लिए यह परीक्षा प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी। शिक्षा बोर्ड प्रति वर्ष 10वीं और 12वीं कक्षा के 22 लाख विद्यार्थियों की परीक्षा भी आयोजित करता है। बोर्ड की कार्यकुशलता को देखते हुए सरकार ने रीट परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब बोर्ड सरकार और हाईकोर्ट दोनों की कसौटी पर खरा उतरा है। इसमें बोर्ड की सचिव मेघना च ौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मेघना च ौधरी स्वयं उपस्थित रहीं। अब शिक्षा बोर्ड किसी भी समय रीट का परिणाम जारी कर सकता है। असल में बोर्ड को अप्रैल के प्रथम सप्ताह में ही परिणाम की घोषणा करनी थी, इसके लिए बोर्ड तैयार भी था। लेकिन हाईकोर्ट से परिणाम पर रोक लग जाने की वजह से घोषणा नहीं हो सकी। बोर्ड के पास कम्प्यूटर पर परिणाम तैयार है। असल में परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट भी सुपर कम्प्यूटर में जांची हैं। हो सकता है कि 31 जुलाई की रात को ही परिणाम की घोषणा कर दी जाए। अभ्यर्थी रीट की वेबसाइट पर परिणाम देख सकते हैं।
28 हजार शिक्षकों की भर्ती होगीः
रीट का परिणाम घोषित होते ही राजस्थान में 28 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। राज्य सरकार भी परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रही है। सरकार भी विधानसभा चुनाव के मौके पर युवाओं को तोहफा देना चाहती है। हाईकोर्ट की रोक की वजह से 28 हजार शिक्षकों की भर्ती भी अटकी पड़ी थी, क्योंकि शिक्षक बनने के लिए रीट की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। कक्षा 6 से 8 तक को पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती रीट और बीएड के परिणाम के आधार पर ही होगी। शिक्षक भर्ती जिला वार होगी।
एस.पी.मित्तल) (31-07-18)
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चार माह से अजमेर में स्मार्ट सिटी के कार्यों की निगरानी और डिजाइन के लिए सलाहकार ही नहीं है।

चार माह से अजमेर में स्मार्ट सिटी के कार्यों की निगरानी और डिजाइन के लिए सलाहकार ही नहीं है। अब कोर्ट में फंस गया मामला।
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कहने को तो अजमेर से लेकर दिल्ली तक सत्ता की कड़ी से कड़ी जुड़ी हुई है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के जो करोड़ों रुपए के कार्य चल रहे हैं, उनकी निगरानी और डिजाइन आदि के लिए कोई सलाहकार फर्म ही नहीं है। प्रोजेक्ट कार्य सही समय और गुणवत्ता की दृष्टि से खरे उतरे इसलिए पूर्व में एप्टीसा फर्म को नियुक्त किया था, लेकिन गत अप्रैल माह में इस फर्म को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही नई फर्म के लिए आवेदन मांगे गए, लेकिन प्राप्त आवेदनों पर कोई निर्णय होता, इससे पहले ही एप्टीसा हाईकोर्ट चली गई और नई फर्म की नियुक्ति पर स्टे ले लिया। यानि अप्रैल माह से ही अजमेर में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के कार्यों के लिए डिजाइन और निगरानी वाली कोई फर्म नहीं है। ऐसे में करोड़ों रुपए के कार्य कैसे हो रहे होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि प्रोजेक्ट में लगे इंजीनियरों का कहना है कि फिलहाल डिजाइन और निगरानी का कार्य वे स्वयं ही कर रहे हैं। सवाल उठता है कि यदि सरकारी इंजीनियर ही काम कर लेते तो निजी फर्म के प्रावधान की आवश्यकता क्यों पड़ी? सूत्रों के अनुसार एप्टीसा फर्म स्पेन की है और इस समय उदयपुर और जयपुर के स्मार्ट सिटी के कार्यों के लिए अपनी सेवाएं दे रही है। यह भी जांच का विषय है कि अजमेर में एप्टीसा का वर्क आॅडर निरस्त क्यों किया गया? अजमेर में स्मार्ट सिटी के कार्यों का पहले ही बुरा हाल है और अब महत्वपूर्ण फर्म के नहीं होने से कार्यों की प्रगति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। असल में स्मार्ट सिटी के सारे कार्य अफसरों के भरोसे छोड़ दिए गए हैं। भाजपा से जुड़े जन प्रतिनिधियों की कोई भूमिका ही नजर नहीं आती है। जबकि सभी जगह भाजपा के नेता बैठे हैं। ऐसे विवादों को निपटाने में अजमेर के मंत्री और भाजपा के नेता भूमिका क्यों नहीं निभाते।
एस.पी.मित्तल) (31-07-18)
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पुष्कर सरोवर की दुर्दशा और अजमेर स्मार्ट सिटी के कार्यो का मामला लोकसभा में गूंजा।

पुष्कर सरोवर की दुर्दशा और अजमेर स्मार्ट सिटी के कार्यो का मामला लोकसभा में गूंजा। सांसद रघु शर्मा ने लगाए गंभीर आरोप।
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31 जुलाई को अजमेर से कांग्रेस के सांसद रघु शर्मा ने लोकसभा में हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थल पुष्कर सरोवर की दुर्दशा और अजमेर में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के मामलों को जोरदार तरीके से लोकसभा में रखा। सांसद शर्मा ने कहा कि राजस्थान और केन्द्र में भाजपा की सरकार है, लेकिन फिर भी पुष्कर के पवित्र सरोवर में सीवरेज का गंदा पानी जा रहा है। इन दिनों सावन माह में हजारों कावड़िए रोजाना सरोवर का पवित्र जल लेने आते हैं। लेकिन उन्हें भी दूषित और गंदा पानी लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। केन्द्र सरकार की प्रसाद योजना के अंतर्गत पुष्कर में जो विकास कार्य हो रहे हैं। उसमें भ्रष्टाचार व्याप्त है। सांसद शर्मा ने अजमेर में चल रहे स्मार्ट सिटी के कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार का मामला भी लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के माध्यम से सरकार के समक्ष रखा। सांसद ने कहा केन्द्र सरकार ने 1947 करोड़ रुपए की स्मार्ट सिटी की योजना बनाई है। लेकिन इन कार्यों का भी बुरा हाल है। शर्मा ने पुष्कर सरोवर के घाटों पर बिकने वाली खाद्य सामग्री पर भी रोक लगाने की मांग की है। शर्मा का कहना रहा कि सरोवर में खाद्य सामग्री डालने पर रोक लगी हुई है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की मिली भगत से घाटों पर दुकाने लग गई है। वहीं बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री सरोवर में डाली जा रही है।
एस.पी.मित्तल) (31-07-18)
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कांग्रेस में सीएम के मुद्दे को लेकर भ्रम तो खुद अशोक गहलोत फैला रहे हैं?

कांग्रेस में सीएम के मुद्दे को लेकर भ्रम तो खुद अशोक गहलोत फैला रहे हैं? अब कटारिया के बयान को अतिउत्साह वाला बताया।
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31 जुलाई को राजस्थान के पूर्व सीएम स्वर्गीय मोहनलाल सुखाड़िया की जयंती के मौके पर जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोति समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत भी उपस्थित रहे। तीन दिन पहले गहलोत ने उदयपुर में कहा था कि राजस्थान की जनता ने 10 वर्षों तक मेरा चेहरा देखा है, अब किस चेहरे की तलाश है? गहलोत ने यह प्रतिक्रिया राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद को लेकर दी। लेकिन 31 जुलाई को गहलोत ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने उनके उदयपुर वाले बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। गहलोत ने कहा कि कौन क्या कर रहा है, जिसकी उन्हें सब जानकारी है। कांग्रेस में सीएम पद को लेकर कोई विवाद नहीं है। यह माना कि गहलोत दस वर्ष तक प्रदेश के सीएम रहे हैं और उनकी लोकप्रियता आज भी है। यही वजह है कि कांग्रेस हाईकमान भी गहलोत के महत्व को समझता है। हाईकमान को भी लगता है कि गहलोत के बिना राजस्थान में कांग्रेस की वापसी संभव नहीं है। इसलिए गहलोत को राजस्थान में लगातार सक्रिय कर रखा है। लेकिन जहां तक सीएम पद को लेकर विवाद का सवाल है तो गहलोत के बयान ही भ्रम की स्थिति उत्पन्न करते हैं। 31 जुलाई को ही गहलोत ने फिर दोहराया कि प्रदेश की जनता ने 10 वर्षों तक एक चेहरा देखा है। इतना ही नहीं गहलोत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालचंद कटारिया के बयान को अतिउत्साह वाला बता कर मामले को खत्म करने की बात कही। जबकि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कटारिया के बयान को संगठन के साथ गद्दारी करना कहा था। कटारिया ने कहा था कि यह अशोक गहलोत को विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया तो राजस्थान में कांग्रेस की जीत नहीं होगी। कटारिया का यह बयान पांडे को गद्दारी वाला और गहलोत को अतिउत्साह वाला नजर आता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के आंतरिक हालात कैसे हैं। इस समय प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर सचिन पायलट हैं और पायलट के राजनीतिक रुतबे के बारे में सब जानते हैं। पिछले चार वर्षों से पायलट के नेतृत्व में ही प्रदेश भर के कार्यकर्ता आंदोलन आदि कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी कांग्रेस नेता की हिम्मत नहीं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई टिप्पणी करे। लेकिन गहलोत अकेले एक मात्र नेता है जो लगातार टिप्पणियां कर रहे हैं। पायलट जब कहते हैं कि चार वर्ष पहले उन्होंने तब अध्यक्ष का पद संभाला, जब प्रदेश में कांगे्रस के मात्र 21 विधायक थे और अब अधिकांश उपचुनावों में कांग्रेस की जीत हुई है तो गहलोत का कहना रहता है कि कोई एक व्यक्ति संगठन को नहीं चला सकता। गहलोत माने या नहीं लेकिन हर बार उन्हीं के बयानों से विवाद उत्पन्न होता है। कांग्रेस में यह विवाद तब हो रहे है, जब हाल के उपचुनाव में सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांगे्रस की जीत हुई है।
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Monday 30 July 2018

अजमेर के डिप्टी मेयर सम्पत सांखला के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलेगा।

अजमेर के डिप्टी मेयर सम्पत सांखला के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलेगा। पार्षद के चुनाव में दसवीं पास का झूठा शपथ पत्र देने का मामला। अनेक भाजपा पार्षदों की लार टपकी।
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अजमेर के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश मीणा ने अजमेर के डिप्टी मेयर सम्पत सांखला ने विरोध आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया है। वर्ष 2010 में पार्षद के चुनाव में 10वीं पास होने का झूठा शपथ पत्र देने के मामले में मजिस्ट्रेट मीणा ने सांखला के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420, 200 तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125-क में आरोपी माना है। अब इस मामले में आगामी 27 अगस्त को सुनवाई होगी। आरटीआई कार्यकर्ता सत्यनारायण गर्ग ने वकील विवेक पाराशर के जरिए अदालत में वाद दायर किया था। इसमें कहा गया कि सांखला ने वर्ष 2010 में पार्षद के नामांकन के समय स्वयं को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होना बताया, लेकिन वहीं 2015 के चुनाव में सांखला ने स्वयं को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना बताया। इस संबंध में सांखला ने स्वीकार किया कि वर्ष 2010 में अज्ञानतावश 10वीं पास होने का शपथ पत्र  दिया था। पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई कि सांखला दो बार 9वीं कक्षा में फेल हो गए।
तलवार लटकीः
आपराधिक मुकदमा चलने के आदेश के बाद सम्पत सांखला के डिप्टी मेयर के पद पर तलवार लटक गई है। हालांकि डिप्टी मेयर के पद से इस्तीफा देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। लेकिन अब सांखला पर इस्तीफे का नैतिक दबाव तो रहेगा ही। सांखल को अजमेर दक्षिण क्षेत्र की विधायक और मंत्री श्रीमती अनिता भदेल का समर्थक माना जाता है। श्रीमती भदेल भी नहीं चाहेंगी कि विधानसभा के पांच माह पहले उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो। वहीं भाजपा के अनेक पार्षदों में डिप्टी मेयर बनने की होड़ मच गई है। पार्षद नीरज जैन, जेके शर्मा, भागीरथ जोशी, रमेश सोनी, ज्ञान सारस्वत, चन्द्रेश सांखला आदि भी डिप्टी मेयर के पद पर ललचाई नजर से देख रहे हैं। सामान्य वर्ग के पार्षदों का कहना है कि नगर निगम में पहले ही सामान्य पद के मेयर के पद पर ओबीसी के धर्मेन्द्र गहलोत बैठे हैं। सम्पत सांखला भी ओबीसी वर्ग के हैं। यदि सांखला के हटने की नौबत आती है तो अब डिप्टी मेयर के पद पर सामान्य वर्ग के पार्षद को बैठाया जाए।
 

आईएएस निर्मला मीणा के दो करोड़ के घोटाले की आंच राजस्थान राजस्व मंडल तक आएगी।

आईएएस निर्मला मीणा के दो करोड़ के घोटाले की आंच राजस्थान राजस्व मंडल तक आएगी। पटवारी भर्ती परीक्षा के समय उमराव सलोदिया और चन्द्रमोहन मीणा थे मंडल के अध्यक्ष।
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8 करोड़ रुपए के गेहंू घोटाले में जमानत पर जेल से बाहर आते ही आईएएस निर्मला मीणा को एक बार फिर जोधपुर स्थित एसीबी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी अब राजस्थान में पटवारी भर्ती परीक्षा 2013 में हुए दो करोड़ रुपए के घोटाले में निर्मला से पूछताछ कर रही है। इस घोटाले की जांच अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल के मुख्यालय तक आ सकती है। मंडल ने तीन हजार पटवारी पद के लिए वर्ष 2013 में परीक्षा आयोजित की थी। तब कोई दस लाख अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में भाग लिया। इतने अधिक परीक्षार्थियों को देखते हुए मंडल ने परीक्षा की जिम्मेदारी जोधपुर स्थित सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी को दी। उस समय राजस्व मंडल के अध्यक्ष के पद पर मुख्य सचिव स्तर के आईएएस उमराव सालोदिया विराजमान थे, जबकि पुलिस यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के पद पर निर्मला मीणा बैठी थी। सलोदिया के दिशा-निर्देश पर ही मंडल के डिप्टी हेमंत कुमार माथुर ने यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू साइन किया। इस एमओयू में परीक्षा के सम्पूर्ण कार्य और भुगतान के बारे में उल्लेख था। चूंकि मामला परीक्षा से जुड़ा था, इसलिए एमओयू को  गुप्त रखा गया। लेकिन अब एसीबी के अधिकारियों को इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि राजस्व मंडल से परीक्षा के लिए जो 10 करोड़ 69 लाख रुपए की राशि यूनिवर्सिटी को मिली, उसमें से दो करोड़ रुपए की राशि जोधपुर स्थित संगीत नाटक अकादमी के खाते में जमा हो गई। असल में परीक्षा के अंतिम दिनों में निर्मला मीणा का तबादला पुलिस यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार के पद से अकादमी के सचिव के पद पर हो गया। जांच में पता चला कि निर्माला मीणा ने जोधपुर की एसबीआई शाखा में अकादमी का खाता खुलवा कर दो करोड़ रुपए की राशि जमा करवा दी और फिर धीरे धीरे इस राशि को निकलवा लिया। जांच का महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि जब राजस्व मंडल से प्राप्त होने वाला ड्राफ्ट यूनिवर्सिटी के नाम पर था तो फिर राजस्व मंडल की राशि संगीत नाटक अकादमी के खाते में कैसे आ गई? यह माना कि किसी भी परीक्षा का कार्य गोपनीय होता है। यहां तक कि प्रिंटिंग प्रेस के नाम का भी पता नहीं चलता है। पूछताछ के दौरान यह बात भी सामने आई है कि कई बार ड्राफ्ट लेने के लिए निर्मला मीणा स्वयं ही राजस्व मंडल में आ गईं। यानि करोड़ों की राशि वाला ड्राफ्ट मीणा ने स्वयं ही ग्रहण किया। यह भी एक संयोग रहा कि पटवारी परीक्षा की शुरुआत उपराव सालोदिया ने की और समापन चन्द्र मोहन मीणा ने। परीक्षा के दौरान ये दोनों आईएएस ही राजस्व मंडल के अध्यक्ष थे। जानकारों की माने एसीबी की एक टीम शीघ्र अजमेर आकर राजस्व मंडल के तबके अधिकारियों एवं कर्मचारियों से पूछताछ करेगी। अभी यह पता नहीं कि सेवानिवृत्त हो चुके सालोदिया और मीणा से पूछताछ होगी या नहीं यह उल्लेखनीय है कि उमराव सालोदिया सचिव नहीं बनाए जाने पर मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया था। सालोदिया पर जमीन घोटाले का कथित आरोप भी है।
परीक्षा कार्य के भुगतान में भी गड़बड़ीः
सूत्रों के अनुसार एसीबी निर्मला मीणा के दो करोड़ के घोटाले की ही जांच नहीं कर रही बल्कि पटवार परीक्षा के कार्य के भुगतान की भी जांच कर रही है। आरोप है कि संबंधित फर्मों को निर्धारित राशि से ज्यादा का भुगतान किया गया। इस मामले में भी निर्मला मीणा की खास भूमिका बताई जा रही है।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के धैर्य और शालीनता की भी प्रशंसा होनी चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के धैर्य और शालीनता की भी प्रशंसा होनी चाहिए। विधानसभा के अध्यक्ष सीख ले सकते है।
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केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ रखे गए अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई को लोकसभा में लगातार 12 घंटे बहस हुई। कांग्रेस के लोग राहुल गांधी के भाषण पर इतरा रहे हैं तो भाजपा के कार्यकर्ता नरेन्द्र मोदी के जवाब से गर्व महसूस कर सकते हैं, लेकिन 12 घंटे तक बिना लंच एवं डिनर ब्रेक के लोकसभा का संचालन कराने के लिए अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। जिन लोगों ने टीवी पर बहस का लाइव प्रसारण देखा, उन्होंने देखा कि किन मुसीबतों के साथ महाजन ने सदन का संचालन किया। राहुल गांधी के भाषण के दौरान जब हंगामा हुआ तो सदन को कुछ देर के लिए स्थगित करना पड़ा। अविश्वास प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बोलने का अवसर दिया। शायद ही कोई प्रतिनिधि होगा, जिसने निर्धारित समय में अपनी बात कही। दो तीन बार घंटी बजाने के बाद भी जब सांसद चुप नहीं हुए तो महाजन को माइक तक बंद करना पड़ा। इतनी सख्ती दिखाने के बाद भी कोई सांसद नाराज नहीं हुआ। नेशनल काॅन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने तो बोलते वक्त अध्यक्ष की परवाह ही नहीं की। लेकिन फिर भी सुमित्रा महाजन ने धैर्य बनाए रखा। जब राहुल गांधी ने राफेल एयर क्राफ्ट की खरीद में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन का नाम लिया तो सुमित्रा महाजन ने राहुल को टोकते हुए कहा कि मैं आपके बाद रक्षा मंत्री को जवाब देने का अवसर दूंगी। असल में महाजन जानती थीं कि रक्षा मंत्री के बोलने पर कांग्रेस और विपक्षी दलों के सांसद हंगामा करेंगे, इसलिए अध्यक्ष ने बड़ी समझदारी से राहुल गांधी से सहमति करवा ली। इससे भाजपा के सांसद भी खुश हो गए। क्योंकि राहुल के आरोपों का जवाब हाथों हाथ मिल गया।
भाजपा सांसदों को भी डांटाः
20 जुलाई को भाजपा सांसदों को भी डांटने में महाजन ने कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे कई मौके आए जब विपक्ष के सांसदों के आरोपों पर भाजपा के सांसदों ने एतराज जताया। इस पर महाजन ने साफ कहा कि आप लोगों को तो हंगामा करने की कोई जरुरत ही नहीं है। बहस शुरू होने से पहले कांग्रेस संसदीय दल के नेता खड़गे ने समय सीमा बढ़ाने की बात कही तो संसदीय मंत्री अनंत कुमार ने मजाकिया लहजे में कहा कि अब जमाना वनडे और 20-20 मैच का है और कांग्रेस अभी पांच दिन का टैस्ट मैच खेलना चाहती है। मंत्री के इस कथन पर अध्यक्ष ने नाराजगी जताई और कहा कि यह क्रिकेट का मैदान नहीं है। साफ कहा कि वे मंत्री की इस टिप्पणी से सहमत नहीं है।
राहुल को भी दो टूकः
भाषण के बाद जब राहुल गांधी नरेन्द्र मोदी से गले मिलने गए तो सुमित्रा महाजन ने साफ कहा कि यह तरीका उचित नहीं है। नरेन्द्र मोदी सदन में देश के प्रधानमंत्री की हैसियत से बैठे हैं। आपको (राहुल) अच्छा लगा हो, लेकिन मुझे नहीं।
विधानसभा अध्यक्ष सीख लेंः
सब जानते हैं कि सुमित्रा महाजन भाजपा की सांसद हैं, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के बाद वे सभी सांसदों का ख्याल रखती हैं। 20 जुलाई को विपरित हालातों में भी लोकसभा का सफल संचालन कर सुमित्रा महाजन ने अपनी निष्पक्षता को बनाए रखा। हम देखते हैं कि राज्यों की विधानसभाओं में संबंधित मुख्यमंत्री और सरकार को खुश करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष एक तरफा निर्णय लेते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि वे अध्यक्ष की नहीं राज्य सरकार के एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (21-07-18)
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रिटायरमेंट से तीन महीने पहले आईएस दीपक उप्रेती को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया। आरएएस प्री की परीक्षा सबसे बड़ी चुनौती।

रिटायरमेंट से तीन महीने पहले आईएस दीपक उप्रेती को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया। आरएएस प्री की परीक्षा सबसे बड़ी चुनौती।
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21 जुलाई को राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आईएएस दीपक उप्रेती को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। उप्रेती वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) के पद पर कार्यरत हैं। उप्रेती इसी वर्ष अक्टूबर माह में आईएएस के पद से रिटायर हो रहे हैं। यानि सरकार ने रिटायरमेंट के तीन माह पहले उप्रेती को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया, अब उप्रेती आयोग के अध्यक्ष के पद पर दो वर्ष तीन माह तक कार्य करेंगे। आयोग में अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष है। आयोग का अध्यक्ष वरिष्ठता के अनुरूप उप्रेती का मुख्य सचिव के पद पर दाव था। ऐसा प्रतीत होता है कि उप्रेती को आयोग का अध्यक्ष बना कर सरकार ने उपकृत किया है। हालांकि प्रशासनिक सेवा में उप्रेती की छवि साफ सुथरी मानी जाती है। उप्रेती पूर्व में अजमेर के संभागीय आयुक्त के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की उप्रेती हर सरकार में फिट बैठते हैं। अध्यक्ष घोषित होने के बाद उप्रेती का कहना रहा कि आयोग के काम काम को गति देने के साथ-साथ निष्पक्षता और पारदर्शिता भी रखी जाएगी। 
आरएएस प्री की परीक्षा की चुनौतीः
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले ढाई माह से रिक्त पड़ा है। राधेश्याम गर्ग के एक मई को सेवानिवृत्त होने के बाद से ही अध्यक्ष का पद खाली है। नवनियुक्त अध्यक्ष उप्रेती के सामने सबसे बड़ी व पहली चुनौती आरएएस प्री 2018 को करवाने की होगी। 5 अगस्त को होने वाली इस परीक्षा में 5 लाख से भी ज्यादा अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। परीक्षा में मात्र 15 दिन शेष है। लेकिन कहा जा रहा है कि अभी प्रश्न पत्र की प्रिंटिंग का भी निर्णय नहीं लिया गया है। असल में गर्ग के रिटायरमेंट के बाद किसी सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष भी नहीं बनाया गया। ऐसे में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय अटके हुए पड़े हैं। इसी प्रकार स्कूली व्याख्याता के पांच हजार के पदों पर भर्ती के मामला भी अधर में है। कोर्ट से स्टे होने के कारण 7 हजार सैकंड ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। कुल मिमलाकर आयोग का ढर्रा पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। देखना होगा कि उप्रेती आयोग को कितने दिनों में ठीक कर पाते हैं। नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अनेक पदों के लिए भर्तियां करनी है।
एस.पी.मित्तल) (21-07-18)
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तो क्या हड़बड़ाहट में हो रही है आरएएस प्री की तैयारियां?

तो क्या हड़बड़ाहट में हो रही है आरएएस प्री की तैयारियां?
प्रेसनोट में तारीख तक गलत।
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5 अगस्त को होने वाली आरएएस-प्री की परीक्षा को लेकर राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव पीसी बेरवाल ने 29 जुलाई को एक प्रेस नोट जारी किया, इस प्रेस नोट में जुलाई की जगह 29 अगस्त 2018 की तारीख अंकित की गई है। हालांकि तारीख की गलती टाइपिंग की हो सकती है, लेकिन आयोग का प्रेस नोट जारी होने से पहले कई स्तरों पर पढ़ा जाता है। प्रेसनोट कई बार अध्यक्ष को पढ़ाने के बाद जारी होता है। वैसे भी आयोग का सचिव आईएएस स्तर का होता है। अब जब आयोग के अध्यक्ष दीपक उप्रेती ने आरएएस-प्री की परीक्षा को चुनौती के तौर पर स्वीकार किया है, तब आयोग की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। 29 जुलाई को ही अभ्यर्थियों ने आयोग की वेबसाइट से प्रवेश पत्र भी डाउनलोड किए। टीएसपी क्षेत्र के अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्रों में परीक्षा की दिनांक 10 अगस्त अंकित है। आयोग कह सकता है कि यह गलती कम्प्यूटर फर्म की है, लेकिन परीक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी आयोग की है। ऐसा प्रतीत होता है कि आयोग में परीक्षा की तैयारियां हड़बड़ाहट में हो रही है। अध्यक्ष उपे्रती ने 23 जुलाई को ही अध्यक्ष का पद संभाला है। यह माना कि उन्होंने 5 अगस्त को निर्धारित तिथि पर ही परीक्षा करवाने की घोषणा प्रदेश के 5 लाख परीक्षार्थियों के हित में की है, लेकिन उप्रेती को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इस घबराहट में परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हो। परीक्षा 5 अगस्त को कराने से ज्यादा परीक्षा की गोपनीयता और पारदर्शिता होनी चाहिए। गलत तारीख वाला प्रेस नोट मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है।

स्मार्ट सिटी के कार्यों को करवाने में अजमेर शहर के दोनों मंत्रियों की रुचि नहीं।

स्मार्ट सिटी के कार्यों को करवाने में अजमेर शहर के दोनों मंत्रियों की रुचि नहीं। धरा रह गया 250 करोड़ रुपए का प्लान
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नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही देश के जिन तीन शहरों को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया गया, उसमें अजमेर भी है। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की संसार प्रसिद्ध दरगाह और जगतपिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक महत्व को देखते हुए मोदी सरकार ने 1947 करोड़ रुपए की स्मार्ट सिटी की योजना स्वीकृत की। इसमें से 991 करोड़ रुपए की राशि भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं में स्वीकृत की गई। इसी 991 करोड़ की राशि में से 250 करोड़ रुपए एरिया बेस डवलपमेंट और मैन सिटी के कार्यों पर खर्च होने थे। एरिया बेस डवलपमेंट के अंतर्गत आनासागर के किनारे और आसपास के 13 वार्डों में आधारभूत कार्य होने थे। इसी प्रकार मैन सिटी में आनासागर स्केप चैनल का आधुनिकीकरण तथा नालों को कवर करने आदि का कार्य था। स्मार्ट सिटी योजना के जानकारों के अनुसार आनासागर के किनारे वाले सभी वार्ड स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के उत्तर विधानसभा क्षेत्र में तथा आनासागर स्केप चैनल से जुड़े सभी कार्य महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल के दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में होने थे। योजना से जुड़े इंजीनियरों एवं अधिकारियों ने दोनों ही मंत्रियों को 250 करोड़ रुपए के कार्यों से अवगत करवा दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी इन कार्यों पर अमल नहीं हुआ। 250 करोड़ रुपए में से एक रुपया भी काम में नहीं आया। आमतौर पर विकास कार्यों में पैसे की कमी होती है, लेकिन अजमेर में उल्टा हो रहा है। यहां पैसा स्वीकृत है, लेकिन काम नहीं हो रहा है। जानकारों की माने तो 250 करोड़ रुपए के कार्य होते हैं तो पूरे शहर की काया पलट जाती। नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में शहर के दोनों मंत्रियों को यह बताना चाहिए कि स्वीकृत राशि का उपयोग क्यों नहीं हुआ। अजमेर की जनता देवनानी और भदेल को गत 15 वर्षों से लगातार विधायक चुन रही है। वर्ष 2008 से 2013 के समय देवनानी और भदेल को यही शिकायत रहती थी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन अब तो पांच वर्षों से प्रदेश में भाजपा की सरकार है और देवनानी व भदेल स्वतंत्र प्रभार के मंत्री भी हैं, फिर स्वीकृत राशि का उपयोग नहीं करवा सके। गंभीर बात तो यह है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों को करवाने की जिम्मेदारी भाजपा शासित अजमेर नगर निगम की है। निगम के साथ अजमेर विकास प्राधिकरण पर भी भाजपा के वरिष्ठ नेता शिव शंकर हेड़ा अध्यक्ष के पद पर हैं। यानि नीचे से लेकर ऊपर तक भाजपा का शासन है, तब भी विकास कार्य नहीं हो रहे है।
क्या होगा पीएम के सपनों काः
नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने पर अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का जो सपना देखा था, उसका क्या होगा? सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा का समापन अजमेर में होना है। समापन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी का आना प्रस्तावित है। सवाल उठता है कि अजमेर के भाजपा नेता स्मार्ट सिटी के कार्यों की क्या जानकारी देंगे। पिछले दो वर्ष से कार्यों में प्रगति नहीं के बराबर हुई है। सवाल यह भी है कि जब स्वीकृत राशि का ही उपयोग नहीं हो रहा है तो फिर गौरव यात्रा में भी कौन सी उपलब्धियां गिनवाई जा रही हैं।
एस.पी.मित्तल) (30-07-18)
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असम में नागरिकता के मुद्दे पर जांच पर ऐतराज क्यों।

असम में नागरिकता  के मुद्दे पर जांच पर ऐतराज क्यों। हिन्दुस्तानियों ने तो बंगलादेशी शरणार्थियों के लिए डाक शुल्क तक दिया है।
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बंगलादेश की सीमा से सटे असम राज्य में नागरिकता की जो सूची जारी की गई उस पर 30 जुलाई को संसद से लेकर पश्चिम बंगाल और असम में हंगामा हुआ। विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप रहा कि मुस्लिम विरोधी नीति के चलते भाजपा ने 40 लाख मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर दिया है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने तो जारी सूची को देश को तोड़ने वाला बता दिया। जबकि लोकसभा में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साफ साफ कहा कि दो करोड़ 89 लाख लोगों की जो सूची जारी की गई है, वह अस्थाई है। जो 40 लाख लोग नागरिकता की सूची में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें अपना दावा प्रस्तुत करने का पूरा अवसर दिया जाएगा। नागरिकता के लिए जिन दस्तावेजों का होना जरूरी है, उन्हें प्रस्तुत कर सूची में नाम शामिल करवाया जा सकता है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल का भी कहना रहा कि हमारी किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। हमने पहले ही कहा है कि सूची अस्थाई है। विपक्षी दलों के नेता कुछ भी आरोप लगाए, लेकिन सब जानते हैं कि बंगलादेश से बड़े पैमाने पर घुसपैठ हुई है। मिली भगत की वजह से बंगलादेश के नागरिकों ने पश्चिम बंगाल, असम आदि राज्यों में ही राशन कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि नहीं बनवाए बल्कि राजस्थान जैसे राज्यों में भी ऐसे दस्तावेज हासिल कर लिए। आज ऐसे घुसपैठिएं धड़ल्ले से भारत का नागरिक बन कर रह रहे हैं। सब जानते है कि जब पूर्वी पाकिस्तान के बतौर बंगलादेश पाकिस्तान का हिस्सा था, तब पाकिस्तान की फौज ने बंगलादेशियों का कत्लेआम किया, तब बड़ी संख्या में बंगलादेशी भारत आ गए। कई राज्यों में बंगलादेशियों के लिए शरणार्थी शिविर खोले गए, तभी ऐसे शरणार्थियों की मदद के लिए भारत सरकार ने डाक शुल्क में 5 पैसे की वृद्धि कर दी। देश की जनता ने इस शुल्क के माध्यम से सरकार को सहयोग दिया ताकि बंगलादेशियों के लिए खाने पीने का इंतजाम हो सके। तभी 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने बंगलादेश में भारतीय सेना को भेज कर बंगलादेशियों को जुल्मों से मुक्ति दिलाई। हमारी सेना की वजह से ही बंगलादेश का जन्म हुआ। इंदिरा गांधी की इस दिलेरी को आज भी पूरा देश स्वीकारता है। पाकिस्तान के विभाजन के बाद यह माना गया कि शरणार्थी शिविरों में रह रहे बंगलादेशी वापस अपने देश लौट जाएंगे। लेकिन भारत में वोट की राजनीति के चलते लाखों शरणार्थी भारत में ही रह गए। यह सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। गंभीर बात तो यह है कि आज भी सीमा में घुसपैठ जारी है। ऐसे में यदि असम में नागरिकता की जांच हो रही है तो  उस पर ऐतराज क्यों हो रहा है।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन तक पहुंचा ब्लाॅग।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन तक पहुंचा ब्लाॅग। पढ़ने के बाद शुभकामनाएं भिजवाई।
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गत 20 जुलाई को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही का जिस धैर्य और शालीनता के साथ लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने संचालन किया, उसे लेकर मैंने 21 जुलाई को एक ब्लाॅग लिखा था। 30 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष के ओएसडी (मीडिया) पंकज वी क्षीरसागर का (दिल्ली से लैंड लाइन नम्बर 011-23013211) से फोन आया और और मुझे यह सूचित किया गया कि लोकसभा अध्यक्ष ने मेरा ब्लाॅग पढ़ लिया है। अध्यक्ष ने मेरे और मेरे परिवार के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए शुभकामनाएं प्रेषित की है। मुझे यह भी बताया गया कि अध्यक्ष महोदया ने मेरा ब्लाॅग विस्तार के साथ पढ़ा है। अध्यक्ष के निर्देश पर ही मुझे शुभकामनाएं दी जा रही है। पाठकगण 21 जुलाई वाले मेरे ब्लाॅग को फेसबुक पेज, वेबसाइट और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर पढ़ सकते हैं। मेरे लिए यह अच्छा संदेश है कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा भी ब्लाॅग पढ़ा जा रहा है। जब कभी मुझे ऐसी शुभकामनाएं मिलती हैं तो मुझे जिम्मेदारी का अहसास होता है।
एस.पी.मित्तल) (30-07-18)
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आखिर वसुंधरा सरकार बेजुबान पुलिस कर्मियों की कब सुनेगी?

आखिर वसुंधरा  सरकार बेजुबान पुलिस कर्मियों की कब सुनेगी?
पटवारी से भी कम वेतन मिलता है और वर्दी धुलाई के आज भी 113 रुपए प्रतिमाह।
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रोडवेज कर्मी हो या पटवारी, विद्युतकर्मी हो अथवा सचिवालय का स्टाफ जब कभी मांग मनवानी होती है तो हड़ताल पर चले जाते हैं। सरकार को भी हड़ताल के आगे झुकना पड़ता है। ताजा उदाहरण रोडवेज कर्मियों की हाल ही की तीन दिन की चक्का जाम हड़ताल है। लेकिन राजस्थान के पुलिस कर्मी तो अपनी मांगों के लिए जुबान भी नहीं खोल सकते हैं। पिछले दिनों मैस का बहिष्कार कर सरकार का ध्यान आकर्षित किया तो बड़े अधिकारियों ने इस कदम को भी कुचल कर रख दिया। आरपीएस और आईपीएस अफसर तो अपने वेतन और सुविधा बढ़ावा लेते हैं, लेकिन 24 घंटे ड्यूटी के लिए पाबंद पुलिस कर्मी की सुनने वाला कोई नहीं है। पुलिस के सिपाही पर कितने भी लाछंन लगे, लेकिन चोर को पकड़ने से लेकर भीड़ को नियंत्रित करने में सिपाही ही अपनी जान जोखिम में डालता है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि राजस्थान पुलिस के सिपाहियों को पटवारी से भी कम वेतन मिलता है। पटवारी के वेतन को बढ़ाने के लिए सरकार ने शैेक्षणिक योग्यता 12वीं से बढ़ाकर ग्रेज्युएशन कर दी, लेकिन सिपाही की शैक्षणिक योग्यता आज भी 10वीं पास ही है। आरएसी में तो 8वीं पास को ही सिपाही बना दिया जाता है। जब कभी वेतन बढ़ाने की मांग होती है तो दसवीं पास की योग्यता बताकर पुलिस कर्मियों को दरकिनार कर दिया जाता है। शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही है। लेकिन वसुंधरा सरकार में सुनने वाला कोई नहीं है। इसी का नतीजा है कि मंहगाई के इस दौर में वर्दी धुलाई के प्रतिमाह मात्र 113 रुपए तथा फील्ड ट्रेवल अलाउंस के मात्र 500 रुपए ही दिए जाते हैं। मैस अलाउंस भी दो हजार रुपए ही है। एक सिपाही की पे-ग्रेड 2400 रुपए निर्धारित है जो पटवारी से भी कम है। पूर्ववती कांग्रेस सरकार ने पुलिस कर्मियों के वेतनमानों में वृद्धि की थी, लेकिन वर्ष 2013 में भाजपा की सरकार आने के बाद वेतन में 5 हजार रुपए तक की कटौती कर दी गई। इतना ही नहीं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें भी अक्टूबर 2017 से लागू की गई है, जबकि केन्द्र सरकार ने जनवरी 2016 से ही सातवां वेतन आयोग लागू कर दिया था। इसके अलावा भी पुलिस कर्मियांे की अनेक मांगे हैं लेकिन इन छोटी-छोटी मांगों का भी समाधान नहीं हो रहा है। पुलिस कर्मियों को इस बात का मलाल है कि राज्य सरकार के अन्य विभागों के कर्मचारी तो आंदोलन और हड़ताल कर अपनी मांगों को मनवा लेते हैं, लेकिन पुलिस कर्मी तो अपनी मांगों के लिए जुबान भी नहीं खोल सकता। पुलिस को एक अनुशासित फोर्स माना जाता है, इसलिए उन्हें आंदोलन करने का अधिकार नहीं है। इसीलिए यह सवाल उठता है कि वसुंधरा सरकार बेजुबान पुलिस कर्मियों की कब सुनेगी। सरकार माने या नहीं लेकिन सरकार के इस रवैये से प्रदेश भर के पुलिस कर्मी खफा हैं। जब कभी पुलिस कर्मी सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री की सुरक्षा में ड्यूटी देता है तो उसके मन में गुस्सा भरा होता है।
एस.पी.मित्तल) (30-07-18)
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Sunday 29 July 2018

तो देश में एक और पाकिस्तान बन जाएगा।

तो देश में एक और पाकिस्तान बन जाएगा। बहुत खतरनाक है महबूबा मुफ्ती का बयान।
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भाजपा के सहयोग से जम्मू कश्मीर में तीन वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने वाली महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि देश में एक और पाकिस्तान बन जाएगा। माॅब लिचिंग की घटनाओं का उल्लेख करते हुए महबूबा ने कहा कि देश के हालात बेहद खराब हैं। महबूबा कुछ दिनों पहले तक जम्मू कश्मीर की सीएम थी, तब देश के हालात अच्छे थे, लेकिन सीएम के पद से हटते ही हालात खराब हो गए। पूरा देश जनता है कि सीएम के पद पर रहते हुए भी महबूबा ने कश्मीर में उन्हीें तत्वों की मदद की जो कश्मीर की आजादी चाहते हैं। सीएम की कुर्सी छोड़ते वक्त महबूबा ने कहा था कि उनकी पार्टी का एजेंडा पूरा हो गया। भाजपा ने महबूबा को सीएम इसलिए बनवाया, ताकि अलगाववादी ताकतों को कमजोर किया जा सके, लेकिन भाजपा को चकमा देकर महबूबा ने देश विरोधी ताकतों को ही मजबूत किया, इसलिए महबूबा कह रही है ंकि देश में एक और पाकिस्तान बन जाएगा। इसे देश की राजनीतिक का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश का विभाजन करने वाले नेताओं को अनेक सुविधा और सुरक्षा मिली हुई है। सवाल उठता है कि जो नेता देश के विभाजन की बात कर रहा है उसे सरकारी खर्चे पर सुरक्षा क्यों मिली हुई है? क्या महबूबा मुफ्ती की सुरक्षा वापस नहीं ली जानी चाहिए? हमारे देश में महबूबा जैसे अनेक राजनेता हैं जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। ऐसे नेता विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री बने बैठे हैं। दुनियाभर में भारत ही एक मात्र देश होगा, जहां राष्ट्रविरोधी नेता सत्ता का सुख भोग रहे हैं। महबूबा ने जिस अंदाज से देश के विभाजन की बात कही, उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। भले ही ऐसा बयान माॅब लिचिंग के संदर्भ में दिया हो। माॅब लिचिंग में तो बाड़मेर के खेताराम की हत्या भी हुई थी, इसलिए इसे किसी धर्म या सम्प्रदाय से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। महबूबा को यह भी समझना चाहिए कि उन जैसे नेताओं की वजह से ही कश्मीर घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया गया। महबूबा माने या नहीं लेकिन आज मुसलमान जितना पाकिस्तान में सुरक्षित है, उससे कहीं ज्यादा भारत में। आज आवश्यकता देश को तोड़ने की नहीं, बल्कि एकजुट करने की। अन्यथा भारत के हालात भी पाकिस्तान जैसे हो जाएंगे। पाकिस्तान में आतंकी वारदातों की वह से आम आदमी सुरक्षित नहीं है। यदि महबूबा को मुसलमानों की स्थिति देखनी ही है तो वे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में देख लें। अच्छा हो कि महबूबा देश में सकारात्म माहौल बनाने में भूमिका निभाएं।

चर्चों में कन्फेशन (जुर्म स्वीकारना और प्रायश्चित करना) रोक को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की सिफारिश खारिज।

चर्चों में कन्फेशन (जुर्म स्वीकारना और प्रायश्चित करना) रोक को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की सिफारिश खारिज।
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भारत के चर्चों में कन्फेशन (जुर्म स्वीकारना और प्रायश्चित करना) की जो परंपरा है वह जारी रहेगी। कन्फेशन की परंपरा को रोकने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने अल्पसंख्यक आयोग से सिफारिश की थी। लेकिन अब राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने ऐसी सिफारिश को खारिज करते हुए कहा है कि हम किसी एक घटना की वजह से कन्फेशन की परंपरा पर रोक नहीं लगा सकते। आयोग ने इसे ईसाई समुदाय की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा भी माना है। महिला आयोग की सिफारिश के मद्देनजर पिछले दिनों केरल के चर्चों के पादरियों ने संयुक्त रूप से एक पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि कन्फेशन परंपरा पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। केन्द्रीय मंत्री के.जे. अल्फोज ने भी रोक का विरोध किया था। उल्लेखनीय है कि एक महिला ने केरल के एक चर्च के पादरी पर बलात्कार का आरोप लगाया था। इस महिला का कहना था कि जब चर्च में उसने कन्फेशन किया, तो पादरी ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाया था। बाद में पीड़ित महिला ने राष्ट्रीय महिला आयोग से शिकायत की। इस शिकायत को आधार बनाते हुए ही महिला आयोग ने कन्फेशन परंपरा पर रोक लगाने की मांग की थी। 

31 वर्ष की सेवा के बाद अनूप माथुर अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल से रिटायर होंगे। 

31 वर्ष की सेवा के बाद अनूप माथुर अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल से रिटायर होंगे। 

आमतौर पर निजी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक अपने मेहनताने को लेकर इधर उधर चले जाते हैं। लेकिन अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल के शिक्षक अनूप माथुर ने 31 वर्षों तक लगातार एक ही स्कूल में अध्यापक का कार्य किया। अब अनूप माथुर 31 जुलाई को स्कूल के सबसे वरिष्ठ अध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पिछले 31 वर्षों में एंसलम स्कूल में जितने भी विद्यार्थी पढ़े वे सब माथुर को सम्मान की निगाह से   देखते हैं,क्योंकि माथुर ने हर विद्यार्थी का उत्सावर्धन किया। हालांकि माथुर जियोग्राफी के शिक्षक रहे। पढ़ाई के अलावा भी माथुर ने विद्यार्थियों को मार्ग दर्शन किया। पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल की सभी गतिविधियों में माथुर की भूमिका रही। विद्यार्थियों को जब भी पढ़ाई को लेकर कोई समस्या आई तो माथुर ने समाधान किया। माथुर का भी मानना है कि सेंट एंसलम स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी न केवल होशियार होते हैं, बल्कि अनुशासित भी। उनके द्वारा पढ़ाए गए अनेक बच्चे आज आईएएस, आईपीएस जैसे पदों पर कार्य कर रहे हैं। उनके लिए लगातार एक ही स्कूल में अध्यापन का कार्य महत्वपूर्ण रहा है। उन्हें विद्यार्थियों से भी सिखने का अवसर मिला है। माथुर का कहना है कि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी अध्यापन के कार्य से जुड़े रहेंगे। स्कूल प्रबंधन की ओर से माथुर को 31 जुलाई को शानदार विदाई भी दी जाएगी। माथुर को मोबाइल नम्बर 9314147979 पर बधाई दी जा सकती है।

समाज में ताकतवर बनने के लिए शिक्षित होना जरूरी।

समाज में ताकतवर बनने के लिए शिक्षित होना जरूरी।
एससी और मुस्लिम वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों का संयुक्त सम्मेलन। 9 अगस्त के भारत बंद का मुद्दा भी उठा।
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29 जुुलाई को जयुपर के दुर्गापुरा स्थित राज्य सरकार के कृषि प्रबंधन संस्थान के वातानुकुलित सभागार में राजस्थान भर के अनुसूचित जाति और मुस्लिम वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का एक संयुक्त सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में बड़े प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे। हालांकि इस सम्मेलन को संगोष्ठी का रूप दिया गया। संगोष्ठी का विषय था हाशिये पर रहे समाज के सामाजिक आर्थिक उत्थान में शिक्षा की भूमिका। इस सम्मेलन का आयोजन डाॅ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन एवं अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के बैनर तले किया गया। सम्मेलन के मुख्य वक्ता रहे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डाॅ. एसडी थोराट, हैदराबाद स्थित विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. गोपाल गुरु थे। इसके अतिरिक्त आईपीएस सतवीर सिंह, मुस्तफा अली, हेदरअली, आईएएस विकास भाले, रवि प्रकाश मेहरडा, निरंजन आर्य, एडीशनल चीफ इंजीनियर सलामत अली, रिटायर डीजी जसवंत सम्पत राम, आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष हनुमान प्रसाद, अरिफ हुसैन, धौलपुर के कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया, बीएल आर्य, मौलाना अयूब कासमी, नवाब हिदायतउल्ला आदि ने भी विचार प्रकट किए। दोनों वर्गों के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों का मानना था कि शिक्षा के अभाव की वजह से अधिकारों का उपयोग नहीं हो रहा है। हमारे वर्ग के बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं। समाज में जो जागरुकता होनी चाहिए वह भी नहीं है। जिसकी वजह से राजनीतिक पिछड़ापन भी है। रिटायर अधिकारियों का कहना रहा कि राजनीतिक दलों को हमारे वर्ग के प्रतिनिधियों को उचित प्रतिनिधित्व देना चाहिए। सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि एससी और मुस्लिम वर्ग आपस में मिलकर कार्य करे, ताकि बच्चों को शिक्षित किया जा सके। सम्मेलन में 9 अगस्त के भारत बंद को लेकर भी चर्चा हुई। कुछ अधिकारियों ने गत दो अप्रैल के भारत बंद के अनुभवों को भी सांझा किया। सम्मेलन में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि दो अप्रैल को जो अधिकारी और कर्मचारी अनुपस्थित रहे उनके विरुद्ध कार्यवाही की है। सम्मेलन में आम राय थी कि एससी एसटी के कानून में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे तत्काल प्रभाव से खारिज किया जाए। इसके लिए संसद के मौजूद सत्र में ही विधेयक लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एससी एसटी वर्ग के अधिकारों का अनन हो रहा है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर निर्णय दिया था कि एससी एसटी एक्ट में दर्ज होने वाली एफआईआर पर गिरफ्तारी से पहले उच्च स्तरीय जांच करवाई जावे। हालांकि एक्ट में संशोधन की कोई बात नहीं कही। इसी को लेकर एससी एसटी वर्ग ने गत दो अप्रैल को भारत बंद किया था और अब 9 अगस्त को एक बार फिर से भारत बंद का आह्वान किया है। इसको लेकर देश का राजनीतिक माहौल भी गर्म है। 29 जुलाई को हुए संयुक्त सम्मेलन को लेकर भी राजस्थान के राजनीतिक माहौल में गर्मी आई है।
मंच पर नहीं लगी कुर्सीः
दुर्गापुरा स्थित कृषि प्रबंधन संस्थान के सभागार में मंच पहले से ही बना है, लेकिन मंच पर किसी भी अतिथि के लिए कुर्सी नहीं लगाई गई। सभी अतिथियों वक्ताओं और सम्मेलन में भाग लेने वाले लोगों को मंच के सामने ही बैठाया गया। जिस वक्ता को बोलना था, वही मंच पर उपस्थित रहा। ऐसा इसलिए किया गया कि ताकि सबको समान रूप से देखा जावे।

9 माह बाद भी सीएम राजे की पुष्कर विकास की योजना पर अमल नहीं।

9 माह बाद भी सीएम राजे की पुष्कर विकास की योजना पर अमल नहीं। 4 करोड़ रुपए का इंतजाम तक नहीं हो सका। पीएम की उपस्थिति में पुष्कर में ही होना है गौरव यात्रा का समापन।
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अब तक तय कार्यक्रम के मुताबिक राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा का समापन तीर्थ नगरी पुष्कर में होगा। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे। सीएम राजे अपनी दो माह की गौरव यात्रा में सरकार की उपलब्धियों का गुणगान करेंगी ताकि नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीता जा सके। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि 9 माह पहले सीएम राजे ने पुष्कर विकास के लिए 4 करोड़ 10 लाख रुपए की जिस योजना की घोषणा की थी, उस पर अभी तक अमल शुरू नहीं हुआ है, यही वजह है कि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र पवित्र सरोवर में बरसात के पानी के साथ गंदा पानी जा रहा है। सीएम की घोषणा का इतना बुरा हाल है कि चार करोड़ रुपए का इंतजाम तक नहीं हुआ है। इससे प्रतीत होता है कि राजस्थान की अफसरशाही मुख्यमंत्री तक को बेवकूफ बनाने में उस्ताद है। गत वर्ष अक्टूबर में सीएम ने पुष्कर में चार करोड़ दस लाख रुपए वाली योजना की घोषणा जोर शोर से की थी। अब नौ माह बाद योजना में एक रुपए का कार्य भी नहीं होने पर अफसरों के पास सौ बहाने हैं। तब सीएम को बताया गया कि अमृत योजना के पैकेज में पुष्कर के सीवरेज सिस्टम को बनाने का कार्य किया जाएगा। इसके अंतर्गत अजमेर विकास प्राधिकरण चार करोड़ दस लाख रुपए का भुगतान करेगा, लेकिन बाद में यह राशि पुष्कर नगर पालिका चुकाएगी। यह कार्य अजमेर नगर निगम को करवाना था। अब निगम के आयुक्त और स्मार्ट सिटी येाजना के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमांशु गुप्ता ने स्वीकार किया है कि प्राधिकरण ने योजना की क्रियान्विति के लिए एक रुपया भी नहीं दिया है। गुप्ता ने बताया कि इस योजना में पुष्कर में सीवरेज लाइन भी डालनी है। एक स्थान पर कुछ हिस्सा नेशनल हाइवे का आ रहा है, इसलिए पहले हाइवे आॅथोरिटी से अनुमति ली जाएगी। तकनीकी अड़चनों की वजह से योजना का काम शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन पवित्र सरोवर में पुरानी सीवरेज के पानी को जाने से रोक दिया गया है। गुप्ता ने दावा किया कि अब सीवरेज का पानी सरोवर में नहीं जाता है। वहीं पुष्कर के सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने कहा कि हिमांशु गुप्ता का दावा सही नहीं है। बरसात होने पर सीवरेज का पानी भी सरोवर में गिरता है। बरसात होने पर गुप्ता को बुलाकर हकीकत दिखा दी जाएगी। उल्टे पुष्कर के पूरणखंड में जो 20 फिट का खड्डा खोदा गया है उससे आसपास के क्षेत्र के मकानों को खतरा हो गया है। ऐसा ही एक खड्डा नृसिंह घाट के बाहर खोदा गया है। अधिकारियों को लगता है कि खड्डे खोदने से समस्या का समाधान हो जाएगा।
टेंडर तक नहीं कियाः
इसे सरकारी तंत्र का करिश्मा ही कहा जाएगा कि जिस योजना की घोषणा सीएम ने की उसका टेंडर तक नहीं किया गया। अजमेर शहर में अहमदाबाद की जो फर्म सीवरेज का कार्य कर रही है उसे ही पुष्कर का कार्य करने के आदेश दे दिए। अजमेर शहर में पहले ही सीवरेज के हालात बिगड़े हुए हैं। पुष्कर में सावित्री मंदिर के नीचे एक कुए नुमा खड्डा खोद कर एसटीपी बनाने की बात कही जा रही है। जब सीएम की घोषणा का इतना बुरा हाल है तो अन्य योजनाओं की क्रियान्विति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आखिर कहां हैं सत्ता का सुख भोगने वाले नेताः
यह माना कि सीएम एक-एक योजना का ध्यान नहीं रख सकतीं। ऐसे में संबंधित क्षेत्र के नेता ही जिम्ममेदार होते हैं। इस समय पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत जो संसदीय सचिव भी हैं। पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष भी भाजपा के कमल पाठक हैं। अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा को भी सीएम ने राज्यमंत्री का दर्जा दिलवा रखा है। इतना ही नहीं अजमेर नगर निगम के मेयर के पद पर भाजपा के धर्मेन्द्र गहलोत विराजमान हैं। यानि सब जगह भाजपा का कब्जा है फिर भी सीएम की घोषणा पर अमल नहीं हो रहा है। इसलिए यह सवाल उठता है कि सत्ता का सुख भोगने वाले भाजपाई क्या कर रहे हैं? क्या किसी भी नेता को अपनी सीएम की प्रतिष्ठा की चिंता नहीं है?
एस.पी.मित्तल) (29-07-18)
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Saturday 28 July 2018

अन्ना हजारे के सपने के अनुरूप बना राजस्थान का टापरवाड़ा गांव।

अन्ना हजारे के सपने के अनुरूप बना राजस्थान का टापरवाड़ा गांव। पहली ही बरसात में बांध में तीन वर्ष का पीने का पानी आया। सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह की खास भूमिका।
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राजस्थान के नागौर जिले की परबतसर पंचायत समिति का गांव टापरवाड़ा अब पूरी तरह सुविख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के सपने के अनुरूप तैयार हो गया है। अन्ना हजारे इस गांव में 23 दिसम्बर 2017 को आए थे। तब ग्राम सभा में अन्ना हजारे ने कहा कि आज देश दुनिया के लोग उनके महाराष्ट्र के राणेगन सिद्धि गांव के विकास को देखने आते हैं। लेकिन मैं चाहता हंू कि आने वाले दिनों में नागौर के टापरवाड़ा गांव को देखने के लिए देश विदेश के लोग आए। अन्ना हजारे के जनआंदोलन से जुड़े टापरवाड़ा गांव के सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह टापरवाड़ा ने कहा कि अब हमारा गांव अन्ना हजारे के सपने के अनुरूप तैयार हो गया है। पिछले छह सात माह में वीर तेजा मंडल के युवाओं और जागरुक ग्रामीणों ने गांव के छतरी वाला बांध में बरसात के पानी की आवक को रोकने वाले सभी अतिक्रमण हटवा दिए। इसी का नतीजा रहा कि पहली ही बरसात में बांध में तीन वर्ष तक का पेयजल जमा हो गया। चार हजार की आबादी वाले टापरवाड़ा गांव में इसी बांध से पेयजल की सप्लाई होती है। विशेषज्ञों के अनुसार टापरवाड़ा गांव के भूमिगत जलस्तर में भी वृद्धि हो गई है। ग्रामीणों का सामूहिक प्रयास है कि अभी बांध में और पानी एकत्रित किया जाए ताकि सिंचाई भी हो सके। अब गांव में ही ऐसी योजना बनाई जा रही है जिसके अंतर्गत कृषि उत्पादों को बढ़ावा मिले। बांध में पर्याप्त बरसात का पानी आ जाने से अधिकांश समस्याओं का समाधान हो गया है। अब पशुओं के लिए चारे की भी कोई कमी नहीं रहेगी, क्योंकि चार हजार हेक्टयर भूमि रीचार्ज हो गई है।
शराब की दुकान नहींः
सामूहिक प्रयासों का ही नतीजा है कि टापरवाड़ा गांव में शराब की दुकान नहीं है। ग्रामीणों ने शराब नहीं पीने का पहले ही संकल्प ले रखा है। इसी प्रकार गांव में शादी ब्याह आदि के अवसरों पर डीजे का भी उपयोग नहीं होता। गांवों में बच्चों को संस्कारवान बनाने के भी कई कार्य हो रहे हैं। विक्रम सिंह टापरवाड़ा का कहना है कि आज पूरा गांव आत्म निर्भर है। हमने सरकार की योजनाओं का पर्याप्त लाभ उठाया है। गांव के विकास में सरकार का भी पूर्ण सहयोग है। यदि ग्रामीण जागरुक होकर सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करें तो हर समस्या का समाधान हो सकता है। गांव के विकास के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460752009 पर विक्रम सिंह टापरवाड़ा से ली जा सकती है।

जूनियर को सचिव बनाने से एडीए का कार्य प्रभावित होगा।

जूनियर को सचिव बनाने से एडीए का कार्य प्रभावित होगा। 
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अजमेर विकास प्राधिकरण का कामकाज पहले से ही ढीला और सुस्त चल रहा है। वहीं अब प्राधिकरण में जूनियर आरएएस नाथुलाल राठी को सचिव बना देने से और कामकाज प्रभावित होने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने हाल ही में जो तबादला सूची जारी की है उसमें राठी को प्राधिकरण का सचिव नियुक्त किया गया है। जबकि प्राधिकरण में पहले से ही राठी से सीनियर हेमंत माथुर उपायुक्त के पद पर कार्यरत हैं। माथुर 2006 और राठी 2009 बैच के आरएएस हैं। प्राधिकरण में एसीआर भरने का जो चैनल निर्धारित है उसमें उपायुक्त की एसीआर सचिव द्वारा भरी जाती है। यानि राठी सचिव का पद संभालते हंै तो अपने सीनियर अधिकारी की एसीआर भरेंगे। ऐसी स्थिति में हेमंत माथुर के लिए प्राधिकरण में कामकाज करना बेहद मुश्किल होगा। इस संबंध में माथुर ने कार्मिक विभाग का भी ध्यान आकर्षित किया है। आमतौर पर सीनियर अधिकारी पर जूनियर को नहीं बैठाया जाता है। जहां तक माथुर के कामकाज का सवाल है तो पिछले आठ माह से प्राधिकरण में माथुर ही सचिव का काम संभाल रहे थे। इस अवधि में माथुर ने विजय राजे सिंधिया नगर की लाॅचिंग करवाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। इन दिनों मास्टर प्लान के संशोधन का कार्य भी प्राधिकरण में युद्ध स्तर पर चल रहा है। प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण भी सचिव के स्तर पर हो रहा है। प्राधिकरण में पहले ही अधिकारियों की कमी है। सचिव का पद पिछले आठ माह से रिक्त है तो तहसीलदार का पद लम्बे समय से खाली पड़ा है। प्राधिकरण के यह हालात तब है, जब सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेता शिव शंकर हेड़ा अध्यक्ष हैं। सरकार ने हेड़ा को राज्यमंत्री की सुविधा भी दे रखी है। 

मां और पत्नी की देह दान करने के बाद 79 वर्षीय रिटायर आईएएस पुखराज सालेचा ने स्वयं का भी देहदान करवाया।

मां और पत्नी की देह दान करने के बाद 79 वर्षीय रिटायर आईएएस पुखराज सालेचा ने स्वयं का भी देहदान करवाया। इसे कहते हैं कथनी और करनी एक समान।
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अपने जीवन काल में अनेक लोग देहदान का संकल्प लेते हैं, लेकिन मृत्यु के बाद परिवार वाले नेत्र दान तक नहीं करते। जो लोग नेत्रदान का संकल्प लेते हैं उनके परिवार वाले तो मृत्यु की जानकारी तक नहीं देते। यदि देहदान का संकल्प लेने वाले सभी लोग ऐसा करें तो किसी भी अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई और शोध के लिए पार्थिव शरीर की कमी नहीं रहे। इसी प्रकार संकल्प के मुताबिक आंखें मिल जाएं तो कोई भी जरुरतमंद व्यक्ति नेत्रहीन नहीं रहे। लेकिन राजस्थान के पुखराज सालेचा ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होंने अपनी कथनी के अनुरूप कार्य किया। सालेचा की प्रेरणा से ही मां श्रीमती प्यारी देवी और पत्नी श्रीमती रामेश्वरी देवी सालेचा ने मृत्युपरांत देहदान का संकल्प लिया। मां और पत्नी के संकल्प के अनुरूप पुखराज सालेचा ने दोनों के पार्थिव शरीर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल को सौंपा। राजस्थान के मेडिकल साइंस के इतिहास में पहला अवसर रहा, जब पुखराज सालेचा की पत्नी के तौर पर किसी महिला की पार्थिव देह मिली। सालेचा ने स्वयं भी देहदान का संकल्प लिया और अपने पुत्र नरेश सालेचा को प्रेरित किया कि मृत्यु के बाद उनकी देह का दान अवश्य किया जाए। यही वजह रही कि 27 जुलाई को जब 79 पुखराज सालेचा ने अंतिम सांस ली तो नरेश सालेचा ने वायदे के अनुसार अपने पिता का पार्थिव शरीर जयपुर स्थित जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी मेडिकल काॅलेज को सौंप दिया। काॅलेज के चिकित्सकों ने भरोसा दिलाया कि शरीर का उपयोग मेडिकल की पढ़ाई और शोध में ही होगा।
पिता को सच्ची श्रद्धांजलिः
दिल्ली स्थित रेल मंत्रालय में वित्त विभाग के निदेशक नरेश सालेचा का कहना रहा कि हमने अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उनके पिता भी आईएएस के पद से सेवानिवृत्त हुए और राजस्थान में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने जो कहा वो किया। ऐसे में हम उनके संकल्प की अनदेखी नहीं कर सकते थे। स्व. सालेचा जीवन भर कार्यशील रहे। 76 वर्ष की उम्र में उन्होंने जैन चिंतन पर पीएचडी की। वे सामाजिक कार्यों में भी आगे रहते थे। हमारे परिवार के लिए पिता हमेशा प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगे। आत्मा की शांति के लिए 28 जुलाई को सायं 5ः30 से 6ः30 बजे तक जयपुर के मालवीय नगर स्थित अभिनव केन्द्र पर एक श्रद्धांजलि सभा रखी गई है। स्व. पुखराज सालेचा के जीवन के बारे में और अधिकार जानकारी मोबाइल नम्बर 9910487360 पर उनके पुत्र नरेश सालेचा से ली जा सकती है।