Tuesday 28 June 2016

एक हजार 500वां ब्लॉग और एक हजार व्हाट्स-एप ग्रुप। बना रहे पाठकों का स्नेह।

#1500
एक हजार 500वां ब्लॉग और एक हजार व्हाट्स-एप ग्रुप।
बना रहे पाठकों का स्नेह।
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28 जून को पाठकों के सामने मेरा एक हजार 500वां यह ब्लॉग प्रस्तुत है। मैंने कोई डेढ़ वर्ष पहले सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखना शुरू किया था। तब मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी पाठकों का प्यार और स्नेह इतनी बड़ी मात्रा में मिलेगा। मैं पाठकों के साथ-साथ ईश्वर का धन्यवाद करना चाहता हंू कि आज मेरे लिखे ब्लॉग को लाखों लोग अजमेर राजस्थान और देशभर में पढ़ रहे हैं। ब्लॉग की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुझे एक हजार व्हाट्स एप ग्रुप ने जोड़ रखा है। मेरे लिए इससे ज्यादा और कोईसम्मान की बात नहीं हो सकती। मैं तीन चार मोबाइल फोनों के माध्यम से एक हजार व्हाट्स एप ग्रुप में रोजना अपने ब्लॉग पोस्ट करता हंू। ब्लॉग पोस्ट करने की अपनी एक क्षमता है, जिसे अब और आगे बढ़ाना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। ऐसे में मैं अपने पाठकों से यह आग्रह करना चाहंूगा कि अब व्हाट्स-एप के बजाए मेरे ब्लॉगों को वेबसाइट और फेसबुक पेज पर पढ़े। वेबसाइट और फेसबुक पेज मेरे ही नाम से हैं। पाठकों को वेबसाइट और फेसबुक पेज पर फोटो भी देखने को मिलेंगी।
जिस तेजी के साथ मेरे ब्लॉगों का विस्तार हुआ है, उसी तेजी के साथ अब दूर दराज से बड़ी संख्या में मेरे पास खबरें आने लगी है। मैं ऐसी सभी खबरों को ब्लॉग में स्थान नहीं दे पा रहा हंू। असल में मेरा ब्लॉग आज अजमेर के साथ-साथ राजस्थान और देश के प्रमुख शहरों में पढ़ा जाता है। ऐसी स्थिति में मुझे हर स्तर के पाठक को ध्यान में रखते हुए लिखना पड़ता है जो लोग राजस्थान से बाहर रहते हैं। उनकी रुचि अजमेर की खबरों में कम होती है। मैं इसे पाठकों का दबाव ही मानता हंू कि हर ब्लॉग में लिखी बातों का शासन व प्रशासन पर असर होता है। अनेक पाठकों की मुझसे यह शिकायत है कि उनके संदेशों का मैं जवाब नहीं देता। आप कल्पना कीजिए कि जब एक हजार व्हाट्स-एप ग्रुप के दो लाख से भी जयादा लोग पढ़कर संदेश भेजेंगे तो मैं कितनों का जवाब दे पाऊंगा। लेकिन में इस बात का पूरा प्रयास करता हंू कि हर संदेश को पढूृं। मुझे जो भी सुझाव अथवा आलोचनाएं प्राप्त होती हैं, उन सबका ब्लॉग लिखने के समय असर होता है। चूंकि फेसबुक पर पांच हजार दोस्त बन चुके हैं, इसलिए अब किसी भी पाठक को मुझे दोस्ती का प्रस्ताव करने की जरुरत नहीं है। नए पाठक सीधे मेरे फेसबुक पेज को लाइक कर मुझसे जुड़ सकते हैं। देशभर के पाठकों का स्नेह मुझ पर बना रहे, ऐसी मेरी ईश्वर से प्रार्थना है। 
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(एस.पी. मित्तल)  (28-06-2016)
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मुकेश जोशी हत्याकांड में प्रभावशाली गुनाहगारों को बचा रही है पुलिस। कॉलेज लेक्चरार पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप।

#1501
मुकेश जोशी हत्याकांड में प्रभावशाली गुनाहगारों को बचा रही है पुलिस। 
कॉलेज लेक्चरार पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप।
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28 जून को अजमेर के गवर्मेंट गल्र्स कॉलेज की लेक्चरार और स्वर्गीय मुकेश जोशी की पत्नी डॉ. नीलम जोशी ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इसमें डॉ. जोशी ने आरोप लगाया कि उसके पति की हत्या में शामिल प्रभावशाली गुनाहगारों को अजमेर की सिविल लाइन थाना पुलिस बचा रही है। हत्यारों ने उसके पति मुकेश जोशी की 21 जून की शाम को जयपुर रोड स्थित पेराडिजो समारोह स्थल के पास गलाकाट कर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में 17 वर्षीय नाबालिग हेमराज को मुख्य अभियुक्त बनाया है। जबकि इस हत्या के पीछे जमीनों का कारोबार करने वाले प्रभावशाली लोग हैं। नामजद रिपोर्ट होने के बाद भी पुलिस उन गुनाहगारों को गिरफ्तार नहीं कर रही है। दिखाने के लिए पुलिस ने हेमराज के बड़े भाई गोपीकिशन और पिता भागचंद गुर्जर को भी आरोपी बनाया है। लेकिन पुलिस की कार्यवाही से यह जाहिर होता है कि भागचंद और गोपीकिशन बड़े आराम से बच जाएंगे। इसी प्रकार हेमराज को नाबालिग होने का लाभ मिलेगा। पुलिस कहती है कि 17 वर्षीय हेमराज ने मेरे पति का गला चाकू से काट डाला। लेकिन में दावे के साथ कह सकती हंू कि अकेला नाबालिग मेरे पति की हत्या नहीं कर सकता। मेरे पति साढ़े छह फिट लम्बे और तंदरुस्त व्यक्ति थे। ऐसे में कोई अकेला बच्चा कैसे गर्दन काट सकता है? श्रीमती जोशी ने आरोप लगाया कि पुलिस अपने निहित स्वार्थी की खातिर असली गुनाहगारों को बचा रही है। लेकिन अब उसने भी अपने सर पर कफन बांध लिया है। गुनाहगार चाहे कितना भी बड़ा हो, उसे वह सजा दिलवाकर रहेगी। श्रीमती जोशी ने आरोप लगाया कि भागचंद गुर्जर ने पेराडिजो समारोह स्थल के पास जो जमीन उसके पति को बेची थी उसके  लिए रास्ता नहीं दे रहा था। इस विवाद को सुलझाने के लिए ही भागचंद ने 21 जून की शाम को उसके पति को बुलवाया और फिर हत्याकर दी। पुलिस को चाहिए कि भागचंद ने जिन प्रभावशाली लोगों के इशारे पर हत्या की है, उन्हें भी षडय़ंत्र के आरोप में मुल्जिम बनाए। उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार सिविल लाइन थाने की जांच पड़ताल से सहमत नहीं है। जब तक असली गुनाहगारों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक वह चेन से नहीं बैठेगी। संवाददाता सम्मेलन में पारीक महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन पारीक ने कहा कि यदि नामजद आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी नहीं हुई तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा। 
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200 पेड़ एक साथ लगाए। पार्षद ज्ञान सारस्वत की सकरात्मक पहल।

#1502
200 पेड़ एक साथ लगाए। पार्षद ज्ञान सारस्वत की सकरात्मक पहल।
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यूं तो बरसात के मौसम में अनेक संस्थाएं वृक्षारोपण का अभियान चलाती हंै, लेकिन इनमें से अधिकांश का मकसद अखबारों में फोटो छपवाना और वाह-वाही लूटना होता है। इसमें सरकार के अधिकारी भी पीछे नहीं रहते। यदि राजनेताओं और अधिकारियों के अब तक लगाए गए पौधे-पेड़ बन जाते तो अजमेर में अब एक भी पौधा लगाने की जगह नहीं बचती। इसके विपरित 28 जून को अजमेर नगर निगम के वार्ड संख्या 3 के भाजपा पार्षद ज्ञान सारस्वत ने पेड़ लगाने का एक ठोस कार्यक्रम किया। सारस्वत ने बरसात के मौसम में पौधे लगाने के बजाए दस से लेकर पन्द्रह फीट ऊंचे पेड़ लगाए। अपने वार्ड की कृष्ण विहार कॉलोनी में बांडी नदी के किनारे एक साथ 200 पेड़ लगाए गए। इस कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महानगर संघ चालक सुनील दत्त जैन, विश्व हिन्दू परिषद के जिला अध्यक्ष आनंद अरोड़ा और मैंने एक साथ किया। इस मौके पर जैन का कहना रहा कि आज पर्यावरण को बचाने के लिए वृक्षा रोपण बेहद जरूरी हो गया है। पार्षद ज्ञान सारस्वत ने छोटे पौधे लगाने के बजाए जो बड़े पेड़ लगाए हैं, वह एक सकारात्मक पहल है। ज्ञान सारस्वत का कहना रहा कि उनके वार्ड में 2100 पेड़ इस वर्षा के मौसम में लगाए जाएंगे और प्रत्येक पेड़ का कम्प्यूटर पर रिकॉर्ड दर्ज होगा। प्रत्येक पेड़ के रख रखाव के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदारी दी गई है। कुछ पेड़ों का धार्मिक महत्त्व भी है। प्रत्येक पेड़ के सुरक्षा कवच के बाहर एक लोहे की प्लेट लगाई जा रही है। जिसमें  पेड़ों का नाम, गुण और पालनकर्ता का नाम लिखा गया है। उन्होंने बताया कि उनके वार्ड में अपना संस्थान से जुड़े कार्यकर्ता पेड़ों की सार संभाल का काम करेंगे। इन पेड़ों को लगवाने में स्वयं सेवी संगठन ग्रीन आर्मी के सिद्ध भटनागर का भी सहयोग रहा। भटनागर ने पेड़ लगाने से पहले कीटनाशक दवा का छिड़काव किया ताकि पेड़ को कोई बीमारी न लगे। सारस्वत के इस अनोखे अभियान में बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक उपस्थित थे। 28 जून की सुबह जब पेड़ लगाने का काम शुरू हुआ तो रिमझिम वर्षा भी हो रही थी। सारस्वत ने बताया कि बांडी नदी के किनारे पेड़ लगाने के साथ ही पाथ-वे का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है। क्षेत्रीय नागरिक खासकर वरिष्ठजन इस पाथ-वे पर टहल सकेंगे।
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पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करे हमारी सेना। ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान जेनुल आबेदीन ने सरकार से कहा।

#1503
पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करे हमारी सेना।
ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान जेनुल आबेदीन ने सरकार से कहा।
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अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान सज्जादानशीन सैयद जेनुल आबेदीन अली खान ने कहा है कि जिस प्रकार गत वर्ष हमारी सेना ने बर्मा में घुसकर आतंकियों को ढेर किया था उसी प्रकार पाकिस्तान में भी घुसकर आतंकियों को मार गिराया जाए। 28 जून को दीवान आबेदीन ने ए बयान जारी कर कहा कि हाल ही में कश्मीर के पंपोर में जो आतंकी हमला हुआ उसके पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ सामने आया है। ऐसे में सरकार को हमारी सेना को खुली छूट देनी चाहिए ताकि पाकिस्तान को उसी की जमीन पर सबक सिखाया जाए।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की यह कायराना कार्यवाही है भारतीय सैनिकों की मौत की खबर दुखद है जो पाक के खिलाफ छद्म युद्ध लड़ रहे हैं। उन्होंने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे गैर इस्लामी करार दिया। उन्होंने कहा कि कथित जिहाद के नाम पर रमजान के मुकद्दस एवं मुबारक महीने में बेगुनाहों को कायरतापूर्ण तरीके से हमला करके जान माल को नुकसान पहुचाना इस्लाम के मौलिक सिद्धांतों का उलंघन है इसलिए वैश्विक स्तर पर इस्लामिक धर्मगुरूओं को ऐसे संगठनों को इस्लाम से खारिज किये जाने की कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकी हमला किसी भी देश में हो और कोई संगठन उसके लिए जिम्मेदार हो हर घटना दुखद है और मानवता के प्रति कर अपराध है जिसकी भत्र्सना सबको करना चाहिए।  
दरगाह दीवान ने कहा कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा भारतीय सैनिकों की हत्या पर पाक हाई कमीशन अब्दुल बासित द्वारा दिये असंवेदनशील बयान को हम सहन नहीं करेंगे। जब सीमा पर हमारे जवान मारे जा रहे हों तो हम उन्हें इफ्तार पार्टी नहीं दे सकते राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का पाक उच्चायुक्त का निमंत्रण रद्द करना सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कभी भी वार्ता सफल नहीं हो सकती, क्योंकि वहां पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का राज है पाक सरकार की कुछ नहीं चलती। पाकिस्तान की शह पर आतंकी हमला होता है। इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ सरकार निंदा प्रस्ताव लाये। साथ ही वायुसेना को अधिकार दिया जाए कि वह पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी और पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को तबाह करे।
दरगाह दीवान ने आतंकवादियों के हमले को हताशा भरा प्रयास बताते हुए राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को नमन किया। उन्होंने कहा कि आतंकियों को अच्छे और बुरे के रूप में परिभाषित करना ही आतंकवाद को परोक्ष प्रोत्साहन देने जैसा ही है। हर आतंकवादी केवल आतंकवादी होता है वह अच्छा या बुरा नहीं हो सकता। उसका कोई धर्म नहीं होता। जब तक पाकिस्तान इस हकीकत से आंख मूंदे रहेगा तब तक उसके अपने देश को भी आतंकवाद से मुक्ति नहीं मिल सकती। अब वह समय आ चुका है जब पाकिस्तान की आंखें खुल जानी चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भले ही दावा करे कि उनकी सरकार आतंकवादी ताकतों के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है परन्तु यह काम तो वहां सेना को करना है जो खुद भी आईएसआई को संरक्षण प्रदान करती रही है और इसी आईएसआई से आतंकी संगठनों को शह दी जाती है। जब तक आईएसआई से आतंकी संगठनों को संरक्षण मिलना बंद नहीं होगा तब तक पाकिस्तान सरकार बेबस बने रहने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती।
(एस.पी. मित्तल)  (27-06-2016)
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राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने दिया पाक राजदूत बासित को करारा जवाब। इफ्तार का दावतनामा वापस लिया।

#1499
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने दिया पाक राजदूत बासित को करारा जवाब। 
इफ्तार का दावतनामा वापस लिया। 
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से दो जुलाई को दिल्ली में संसद भवन परिसर में रोजा इफ्तार का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के साथ-साथ मुस्लिम राष्ट्रों के राजदूतों को भी आमंत्रित किया गया है। लेकिन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पाक राजदूत अब्दुल बासित को दिया गया दावतनामा वापस ले लिया है। 28 जून को मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल ने कहा कि बासित ने हमारे 8 जवानों की शहादत का मजाक उड़ाया है। मालूम हो कि 25 जून को पाक दूतावास के परिसर में आयोजित इफ्तार पार्टी मं जब पत्रकारों ने कश्मीर के पंपोर में आतंकवादियों द्वारा सीआरपीएफ के आठ जवानों की हत्या किए जाने पर सवाल किया था, तो बासित ने बड़े ही गैर जिम्मेदाराना तरीके से कहा कि अभी तो आप इफ्तार पार्टी का आनंद उठाएं। मंच के संयोजक मोहम्मद अफजल ने कहा कि जो पाक राजदूत हमारे जवानों की शहादत का सम्मान नहीं करता ऐसे देश के राजदूत को इफ्तार पार्टी में बुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सद्भावना के माहौल को और मजबूत करने के लिए इफ्तार पार्टी आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस रमजान माह में सच्चे मुसलमान इबादत और जकात देने का काम करते हैं। उस पवित्र माह में पाकिस्तान से आए आतंकी कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुस्लिम मंच ने पाक राजदूत को करारा जवाब दिया है। वैसे तो भारत सरकार को भी पाक राजदूत की शिकायत करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार की अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं, ऐसे में मुस्लिम मंच ने पाक राजदूत को सबक सिखाने का काम किया है। 
(एस.पी. मित्तल)  (27-06-2016)
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Monday 27 June 2016

नागौर पुलिस की करतूत पर गृहमंत्री कटारिया को वाकई शर्मिंदा होना चाहिए दैनिक नवज्योति के संवाददाता के खिलाफ झूठा मुकदमा। ------------------------------------------

#1497
नागौर पुलिस की करतूत पर गृहमंत्री कटारिया को वाकई शर्मिंदा होना चाहिए
दैनिक नवज्योति के संवाददाता के खिलाफ झूठा मुकदमा। 
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कुख्यात अपराधी आनंदपाल को फरार करवाकर जो नागौर पुलिस राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार की देशभर में बदनामी करवा रही है, वहीं नागौर पुलिस अब पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करने से बाज नहीं आ रही। नागौर के मेड़ता रोड में पिछले 17 सालों से ईमानदारी के साथ पत्रकारिता करने वाले दैनिक नवज्योति के संवाददाता कंवलजीत सिंह के खिलाफ पुलिस ने एक झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया है। 16 जून को पत्रकार सिंह ने रामनिवास सोनी, राजेन्द्र सोनी, गणेश सोनी आदि के खिलाफ मारपीट करने का मुकदमा दर्ज करवाया था। पिटाई में कंवलजीत सिंह का सिर भी फट गया। पुलिस हमलावरों के खिलाफ कोई कार्यवाही करती इसके बजाए अपनी प्रवृत्ति के अनुरूप हमलावरों से ही कंवल जीत सिंह के खिलाफ एक शिकायत ले ली। इस शिकायत में पुलिस ने लिखवा लिया कि कंवलजीत अवैध शराब का कारोबार करता है। यानि जो कंवलजीत पिछले 17 सालों से कलम घिस रहा हे, उसे अब मेड़ता रोड की पुलिस शराब का अवैध कारोबारी मानती है। ऐसी नागौर पुलिस पर वाकई प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को शर्म आनी चाहिए। विगत दिनों ही गृहमंत्री कटारिया ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि हमारी पुलिस ऐसे-ऐसे कृत्य करती है, जिसकी वजह से मुझे (गृहमंत्री) शर्मिंदा होना पड़ता है। 
मेड़ता सिटी के कंवल जीत का मामला भी ऐसा ही है, जिसमें गृहमंत्री को वाकई शर्मिंदा होना चाहिए। पुलिस को भी यह पता है कि कंवलजीत सिंह जिस परिसर में अपना फैंसी स्टोर चलाता है, उसके परिसर में कौन व्यक्ति शराब का अवैध कारोबार करता है, मेड़ता रोड पुलिस की इस कार्यवाही की शिकायत जब पत्रकारों ने नागौर के पुलिस अधीक्षक गौरव श्रीवास्तव से की तो श्रीवास्तव ने जांच थाने के एएसआई सुरेन्द्र मीणा से लेकर एसएचओ राजेश गजराज को सौंप दी। पत्रकारों के अब यह समझ में नहीं आ रहा कि जिस थाने की पुलिस के खिलाफ शिकायत थी, उसी थाने का एसएचओ निष्पक्ष जांच कैसे करेगा? शायद इसलिए गृहमंत्री कटारिया को यह कहना पड़ा कि पुलिस की वजह से में शर्मिंदा हंू। सिपाही से लकर एसपी तक के व्यवहार से पता चलता है कि नागौर पुलिस अपराधियों के साथ और पत्रकारों के खिलाफ है। यही वजह है कि 27 जून को मेड़ता रोड क्षेत्र के पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल रेंज की आइजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल से मिलने के लिए अजमेर आया। इस प्रतिनिधि मंडल में वरिष्ठ पत्रकार पुखराज टांक, तेजराम, सुशील दिवाकर, पुरण उपाध्याय आदि शामिल थे। चूंकि श्रीमती अग्रवाल भीलवाड़ा गई हुई हैं, इसलिए मुलाकात नहीं हो सकी। पत्रकारों को उम्मीद है कि रेंज की आईजी न्याय करेंगी। साथ ही नागौर पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करेंगी जो गृहमंत्री कटारिया को शर्मसार कर रहे हैं। 
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तो क्या उमर अब्दुल्ला आठ जवानों की मौत पर खुश हैं? महबूबा के बयान को मजबूती मिलनी चाहिए।

#1498
तो क्या उमर अब्दुल्ला आठ जवानों की मौत पर खुश हैं?
महबूबा के बयान को मजबूती मिलनी चाहिए। 
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27 जून को जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने वर्तमान सीएम महबूबा मुफ्ती के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें महबूबा ने सीआरपीएफ के आठ जवानों की मौत पर स्वयं को शर्मिंदा होने की बात कही थी। तो क्या उमर अब्दुल्ला आठ जवानों की मौत से खुश हैंं? माना कि विपक्ष में रहते हुए महबूबा कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थन में बयान देतीं रहीं थीं, लेकिन जब 25 जून को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने सीआरपीएफ की बस पर हमला कर आठ जवानों को शहीद कर दिया तो महबूबा मुफ्ती ने एक सच्चे मुसलमान का धर्म निभाते हुए कहा कि उन्हें मुस्लिम होने पर शर्मिंदगी है। महबूबा का कहना था कि जवानों को मारकर आतंकियों को कुछ भी हासिल नहीं होगा। महबूबा का यह भी कहना रहा कि आतंकियों की इस हरकत से कश्मीर और इस्लाम धर्म दोनों बदनाम हो रहे हैं। उमर अब्दुल्ला जब खुद सीएम थे, तो आतंकी वारदातों पर इसी तरह के बयान देते थे। सीएम रहते हुए उमर ने कभी भी हमारे जवानों की शहादत पर जश्न नहीं मनाया। सवाल उठता है कि अब जब महबूबा मुफ्ती आतंकवाद का खुलकर विरोध कर रही हैं तो उमर अब्दुल्ला आतंकवाद के समर्थन में क्यों खड़े हैं? क्या जिस दृढ़ता के साथ महबूबा ने आतंकियों की आलोचना की है, उसी प्रकार उमर अब्दुल्ला नहीं कर सकते? उमर अब्दुल्ला को यह समझना चाहिए कि आज कश्मीर के जो हालात हैं, उसमें उनके खानदान की भी नीतियां और भूमिका रही है। उमर के दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारुख अब्दुल्ला भी कश्मीर के लम्बे समय तक सीएम रह चुके हैं। खुद उमर भी दो बार कश्मीर के सीएम रहे हैं। यदि उमर अब्दुल्ला वाकई कश्मीर और भारत से प्रेम करते हैं तो उन्हें वर्तमान हालातों में महबूबा मुफ्ती के बयान का समर्थन करना चाहिए। यह तो सकारात्मक संकेत हैं कि महबूबा अब अलगाववादियों के बजाए कश्मीर और अपने देश भारत के साथ खड़ी नजर आरही है। उमर अब्दुल्ला को ही नहीं बल्कि तमाम कश्मीरियों को एकजुट होकर महबूबा मुफ्ती का साथ देना चाहिए। कश्मीर दोबारा से तभी स्वर्ग बन सकता है, जब आतंकवाद समाप्त होगा और आतंकवाद महबूबा मुफ्ती की वर्तमान सोच से ही समाप्त हो सकता है। अच्छा हो कि महबूबा उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं की आलोचनाओं की परवाह किए बगैर दृढ़ता के साथ आतंकियों को कुचलने का काम करें। यदि महबूबा ऐसा करती हैं तो उन्हें पूरे देश का समर्थन मिलेगा। 
आतंकियों को समर्थन:
25 जून को आतंकी हमले के मद्देनजर अब एक वीडियो उजागर हुआ है, इस वीडियो में पाकिस्तान से आए आतंकियों को गोला-बारुद और एके-47 के साथ कश्मीर के जंगलों में घूमता हुआ दिखाया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि इन आतंकियों को कश्मीर के ही कुछ लोगों का समर्थन हासिल हैं। इस समर्थन की वजह से ही आतंकी हमारे जवानों पर घात लगाकर हमला करते हैं।
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भाजपा के कंधे पर सवार होकर पासवान ने किया अपनी पार्टी का प्रचार। मोदी के बजाए खुद के लगवाए जयकारे के नारे। तीन दिन का दौरा एक दिन में खत्म।

#1496
भाजपा के कंधे पर सवार होकर पासवान ने किया अपनी पार्टी का प्रचार।
मोदी के बजाए खुद के लगवाए जयकारे के नारे।
तीन दिन का दौरा एक दिन में खत्म। 
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27 जून को अजमेर में नरेन्द्र मोदी की सरकार का तीन दिवसीय विकास पर्व का उत्सव समाप्त हो गया है। इस उत्सव को मनाने के लिए केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान, गिरीराज  सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव खासतौर से अजमेर आए। पीएम मोदी की योजना के मुताबिक सत्ता और संगठन के समूह को केन्द्र सरकार की दो वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी देनी थी, लेकिन अजमेर में केन्द्रीय मंत्री पासवान भाजपा के कंधे पर सवार होकर अपनी लोकजन शक्ति पार्टी का प्रचार कर गए। 26 जून को वैशाली नगर स्थित होटल गुलमर्ग में जो संवाददाता सम्मेलन आयोजित हुआ उसमें बड़ी संख्या में पासवान की पार्टी  के कार्यकर्ता घुस आए। हालांकि पासवान की पार्टी का अजमेर में कोई खास वजूद नहीं है, लेकिन प्रदेश के दूसरे शहरों से आकर कार्यकर्ताओं ने पासवान के सम्मुख अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। संवाददाता सम्मेलन में ही समर्थकों ने पासवान जिन्दाबाद के नारे लगाए। जब समर्थक नारे लगा रहे थे, तब भाजपा के नेताओं का आश्चर्य हो रहा था, क्योंकि नारे तो नरेन्द्र मोदी के लिए लगने चाहिए थे। इतना ही नहीं पत्रकारों के लिए जो लंच का इंतजाम किया गया, उसमें भी पासवान के समर्थक घुस आए। हालात इतने बिगड़े की होटल के रसोई घर तक में पहुंच कर दाल, चावल, रोटी, सब्जी की छीना-झपटी हो गई। पासवान के समर्थकों की इस हरकत को देखते हुए भाजपा के नेता पत्रकारों को छोड़कर मौके से भाग गए। जो शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, खादी बोर्ड के अध्यक्ष शम्भु दयाल बडग़ुर्जर भाजपा के देहात अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, विधायक सुरेश सिंह रावत आदि संवाददाता सम्मेलन में पासवान के साथ फोटो खींचवाने के लिए मंच पर चिपके हुए थे वे पासवान के समर्थकों की छिना-झपटी कहीं भी नजर नहीं आए। सवाल पत्रकारों के मान और अपमान का नहीं है बल्कि भाजपा की व्यवस्था का है। क्या भाजपा नेताओं की यह जिम्मेदारी नहीं थी कि वे संवाददाता सम्मेलन के सारे इंतजामों को सही प्रकार से सम्पन्न करवाते। जहां तक पासवान और उनके समर्थकों का सवाल है तो उनका तो कोईदोष नहीं है, क्योंकि जब पासवान केन्द्र की भाजपा सरकार में मजे कर रहे हैं तो फिर उसके समर्थक भाजपा के जश्न में मजे क्यों न करें?
पार्टी के लगे झंडे बैनर:
विकास पर्व में माना तो यही जा रहा था कि शहर में नरेन्द्र मोदी के बैनर और भाजपा के झंडे लगेंगे, लेकिन इसके उलट पासवान की पार्टी के बैनर और झंडे शहर भर में लगाए गए। यह झंडे बैनर किसने लगाए इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन कहा जा रहा है कि पासवान के पास जो विभाग हैं, उनके अधिकारियों ने ही प्रचार-प्रसार किया। यानि विकास पर्व पर भाजपा का नहीं लोकजन शक्ति पार्टी का प्रचार हुआ। 
तीन दिन का दौरा एक दिन में पूरा:
पीएम मोदी की योजना के मुताबिक सत्ता और संगठन के समूह को तीन दिन लगातार अजमेर में रहना था, लेकिन अब नरेन्द्र मोदी को भी यह जानकार आश्चर्य होगा कि पासवान एक दिन में ही अजमेर से रवाना हो गए। पासवान को 25, 26 और 27 जून तक अजमेर में ही रहना था, लेकिन पासवान 25 जून की रात को 10 बजे अजमेर जिले के किशनगढ़ में आए और 26 जून शाम को 6 बजे अजमेर से रवाना हो गए। किशनगढ़ में पासवान की मार्बल और पावरलूम व्यापारियों, श्रमिकों से रात 8 बजे मुलाकात करनी थी, लेकिन पासवान रात 10 बजे किशनगढ़ पहुंचे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पासवान ने नरेन्द्र मोदी की सरकार के विकास पर्व पर कितनी गंभीरता दिखाई है। तीन दिन का दौरा मात्र एक दिन में पूरा करने से भी प्रतीत होता है कि पासवान की अपनी ही सरकार की उपलब्धियां बताने में कोई रुचि नहीं है। 
(एस.पी. मित्तल)  (27-06-2016)
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Sunday 26 June 2016

मैं छठी बार केन्द्रीय मंत्री बना हंू, लेकिन नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री नहीं देखा। पासवान ने कहा दलितों के मसीहा है मोदी।

#1495
मैं छठी बार केन्द्रीय मंत्री बना हंू, लेकिन नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री नहीं देखा। पासवान ने कहा दलितों के मसीहा है मोदी।
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केन्द्र की एनडीए सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर अजमेर में भी तीन दिवसीय विकास पर्व बनाया जा रहा है। इस पर्व के दूसरे दिन 26 जून को केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान, गिरीराज सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। इस कॉन्फ्रेंस में मैंने पासवान से सीधा और सपाट सवाल पूछा कि आखिर आपके पास कौन से राजनीतिक कौशल और जादू है जिसकी वजह से आप भाजपा, कांग्रेस आदि की सरकारों में मंत्री बनाए जा रहे हैं। मेरे इस सवाल का पासवान ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि मैं छठी बार केन्द्रीय मंत्री बना हंू और यह बात दावे के साथ कह सकता है कि सभी प्रधानमंत्रियों में नरेन्द्र मोदी सबसे बेस्ट हैं। मोदी की कार्यशैली का किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री से कोई मुकाबला नहीं हो सकता। 23 और 25 जून को विदेश में थे तो 27 जून को पूणे में स्मार्ट सिटी के कार्यक्रम में उपस्थित रहे। मोदी की वजह से ही आज पूरे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा है। पासवान ने कहा कि मोदी दलितों के मसीहा है। दलितों के उत्थान की बात ही नहंी करते बल्कि जमीन पर काम भी करते हैं। भीम राव अम्बेडकर की जन्म भूमि पर जहां स्मारक बनाया जा रहा हैं, तो इंग्लैंड में जिस स्थान पर वकालात की पढ़ाई की उस स्थान को भी भारत सरकार ने खरीदा है। जनधन योजना हो या फिर रसोई गैस का मुददा सभी में दलितों और गरीब लोगों का ध्यान रखा गया है।
मोदी का लाड़ला है चिराग:
पासवान ने कहा कि बेटा चिराग पीएम नरेन्द्र मोदी का लाड़ला है। हर पिता यह चाहता है कि उसका बेटा कामयाब हो। मैं भी चाहता हंू कि चिराग पीएम मोदी का लाड़ला बना रहे। अगले वर्ष यूपी में होने वाले चुनाव में भी चिराग पासवान ही लोकजन शक्ति पार्टी की रणनीति तैयार करेगा। 
जैसे को तैसा:
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ जैसे को तैसा व्यवहार किया जा रहा है। देश के हितों का ध्यान रखते हुए मैं यह नहीं बताना चाहता कि आतंकी हमलों का पाकिस्तान को किस तरह जवाब दिया जा रहा है। इस संबंध में रक्षा मंत्री ने 26 जून को ही दो टूक शब्दों में कहा है। 
यादव की भूमिका:
दो केन्द्रीय मंत्री के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव भी अजमेर में हैं। यादव अजमेर के ही निवासी हैं। तीन दिवसीय विकास पर्व की रूपरेखा यादव ने ही तैयार की है। यादव ने बताया कि दो वर्ष की उपलब्धियों को बताने के लिए सत्ता और संगठन के समूह बनाए गए हैं। ऐसे समूह संभाग स्तर पर जाकर सरकार की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले यादव ने रामविलास पासवान को स्वर्गीय जय प्रकाश नारायण के स्तर का नेता बताया।  
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(एस.पी. मित्तल)  (26-06-2016)
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पाक राजदूत अब्दुल बासित का बयान शर्मनाक। सीएम महबूबा ने दी 8 शहीद जवानों को श्रद्धांजलि। पवित्र रमजान माह में आतंकी हमले।

#1494
पाक राजदूत अब्दुल बासित का बयान शर्मनाक। सीएम महबूबा ने दी 8 शहीद जवानों को श्रद्धांजलि। पवित्र रमजान माह में आतंकी हमले। 
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26 जून को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में सीएम महबूबा मुफ्ती और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने सीआरपीएफ के उन आठ जवानों को श्रद्धांजलि दी जो 25 जून को पंपोर के आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। महबूबा ने जवानों के शवों पर पुष्पचक्र चढ़ाए और इस बात पर अफसोस जताया कि रमजान के पवित्र माह में आतंकवादी लगातार हमले कर रहे हैं। एक ओर सीएम महबूबा शहीदों के शवों पर चक्र चढ़ा रही हैं तो दूसरी ओर दिल्ली में बैठे पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल बासित हमारे जवानों की शहादत का मजाक उड़ा रहे हैं। बासित ने 25 जून को दिल्ली स्थित पाक दूतावास परिसर में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया।  इस पार्टी में जब पत्रकारों ने आठ जवानों की मौत पर सवाल पूछा तो बासित का कहना था कि अभी तो आप इफ्तार पार्टी का आनंद लें। सवाल उठता है कि क्या पाक दूतावास में हो रही इफ्तार पार्टी में सीआरपीएफ के आठ जवानों की मौत पर कोई जश्न मनाया जा रहा था? पाक राजदूत चाहते तो पत्रकारों  के सवाल को टाल भी सकते थे, लेकिन बासित ने जले पर मिर्च छिड़कने वाली कहावत को चरितार्थ किया। सब जानते हैं कि कश्मीर में पाकिस्तान से आए आतंकी ही हमारी सेना पर हमले करते हैं। शायद इसलिए बासित ने हमारे जवानों की शहादत का मजाब उड़ाया है। जो जवान शहीद हुए हैं, उनके परिजन की हालत क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पाक राजदूत ने तो हंसते हुए कह दिया कि इफ्तार पार्टी का आनंद लें। लेकिन बासित उस महिला की हालत जाने जो विधवा हो गई है, जो अब अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध सकेगी। मां अपने बेटों को नहीं देख पाएगी और बच्चे अब किसे पिता कहेंगे?
यह कैसा रमजान माह
दुनिया भर के सच्चे मुसलमान रमजान माह में इबादत कर रहे हैं। इस माह में मुसलमान अपनी आय का ढाई प्रतिशत जरुरत मंदों में वितरित करते हैं, इसे जकात कहा जाता है। रमजान माह में दिन भर भूखे और प्यासे रह कर जाने-अनजाने में हुए गुनाहों का प्रयाश्चित किया जाता है। शायद ही कोई मुसलमान होगा जो इस पवित्र माह में किसी व्यक्ति की हत्या कर दे। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि कश्मीर में रमजान माह में हर दिन आतंकी हमले हो रहे हैं। समझ में नहीं आता कि यह आतंकी कौन से मुसलमान हैं। जिस मुस्लिम धर्म में रमजान माह में स्वयं भूखे प्यासे रह कर जरुतरमंदों की मदद करने की शिक्षा दी गई है, उसी धर्म के कुछ लोग निर्र्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं। 
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(एस.पी. मित्तल)  (26-06-2016)
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Saturday 25 June 2016

दिल्ली के नेताओं को प्रभावित करने के लिए अजमेर के नेता सक्रिय। दिग्गज कूदे मैदान में।

#1493
दिल्ली के नेताओं को प्रभावित करने के लिए अजमेर के नेता सक्रिय। दिग्गज कूदे मैदान में।
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नरेन्द्र मोदी की सरकार के दो वर्ष की उपलब्धियों को बताने के लिए 25 जून को केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान, गिरिराज सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव अजमेर पहुंच गए हैं। ये तीनों नेता 27 जून तक अजमेर में ही रहेंगे। दिल्ली से आए इन नेताओं को प्रभावित करने के लिए अजमेर के भाजपा नेता भी सक्रिय हो गए। 25 जून को ही नगर निगम के मेयर धमेन्द्र गहलोत ने एक प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की अमृत योजना के बारे में जानकारी दी गई। गहलोत ने बताया कि इस योजना में केन्द्र से कितनी धनराशि प्राप्त हुई और निगम ने कितनी राशि को खर्च किया। हालांकि यह योजना पुरानी है लेकिन दिल्ली से आए नेताओं को प्रभावित करने के लिए 25 जून को जानकारी दी गई। गहलोत ने यह बताने की कोशिश की कि केन्द्र सरकार की योजनाओं के प्रति निगम कितना गंभीर है। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष और एमडीएस यूनिवर्सिटी में वाणिज्य संकाय के हेड प्रो. बी.पी. सारस्वत तो केन्द्रीय मंत्री को अपनी यूनिवर्सिटी में ही ले गए। यूनिवर्सिटी में सारस्वत के नेतृत्व में ही प्रबंधन और स्वरोजगार की स्कीमें चल रही हैं। सारस्वत ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि नरेन्द्र मोदी की सरकार जो राशि भेजती है उससे युवाओं को रोजगार के क्षेत्र में किस प्रकार से आत्मर्निभर बनाया जाता है। सारस्वत ने सिंह को अपनी राजनीतिक क्षमताओं के बारे में भी बताया। इसी प्रकार किशनगढ़ में भाजपा के विधायक भागीरथ चौधरी भी रात्रि को एक समारोह कर रहे हैं। जिसमें मार्बल और पावरलूम व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों और श्रमिकों ने भाग लिया। कहा तो यह गया कि इसका आयोजन भाजपा और विधायक चौधरी ने किया है लेकिन जिस तरह से आरके कम्युनिटी हाल में यह समारोह हुआ उससे प्रतीत होता है कि समारोह के पीछे आरके मार्बल संस्थान की ताकत लगी हुई है। 26 जून को अजमेर शहर में होने वाले कार्यक्रमों में राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल अपनी ताकत का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। भाजपा का कोई भी पदाधिकारी अपनी काबिलियत दिखाने में पीछे नहीं है।
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(एस.पी. मित्तल)  (25-06-2016)
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केकड़ी के चारों तरफ रिंग रोड बनेगा। एक लाख से भी ज्यादा मतदाताओं का बॉयोडाटा तैयार। विधायक शत्रुघ्न गौतम 2018 के चुनाव के लिए तैयार।

#1492
केकड़ी के चारों तरफ रिंग रोड बनेगा। एक लाख से भी ज्यादा मतदाताओं का बॉयोडाटा तैयार। विधायक शत्रुघ्न गौतम 2018 के चुनाव के लिए तैयार। 
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राजस्थान में नवम्बर 2018 में विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन अजमेर जिले के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम ने अभी से ही चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। गौतम को पता है कि वर्ष 2018 में भी उनका मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार रघु शर्मा से ही होगा। गत चुनावों में शर्मा को ही हराकर गौतम विधायक बने थे। भाजपा नेतृत्व ने बूथ ईकाई बनाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन गौतम ने सम्पूर्ण विधानसभा क्षेत्र के एक लाख से भी ज्यादा मतदाताओं का बायोडाटा तैयार कर लिया है। गौतम को विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के बारे में पता है कि कितने सदस्य केकड़ी में रह रहे हैं और कितने मतदाता पढ़ाई तथा रोजगार के लिए बाहर गए हुए हैं। प्रत्येक मतदाता का मोबाइल नम्बर भी विधायक गौतम के कम्प्यूटर में दर्ज हैं। गौतम ने मतदाताओं का जो बायोडाटा एकत्रित किया है, उसके सॉफ्टवेयर की मांग अब अन्य क्षेत्र में होने लगी है। गौतम का कहना है कि मंत्री और विधायक उनके सॉफ्टवेयर को 50-50 लाख रुपए में खरीद रहे हैं। इसका फायदा कम्प्यूटर के उन इंजीनियरों को हो रहा है, जिन्होंने केकड़ी का बायोडाटा तैयार किया है। गौतम का कहना है कि ऐसा कोई कारण नहीं है, जिसकी वजह से 18 में भाजपा का टिकिट न मिले। शायद ही ऐसा कोई गांव होगा, जहां विकास के कार्य नहीं कराए। केकड़ी शहर के चारों तरफ रिंग रोड बनाने पर काम शुरू हो गया है। इससे नगर पालिका को भी करोड़ों रुपए की आय होगी। केकड़ी शहर के चारों तरफ से अजमेर, टोंक, जयपुर, भीलवाड़ा के मार्ग जुड़े हुए हैं। जब रिंग रोड बन जाएगा तो शहर की यातायात व्यवस्था भी अपने आप सुधर जाएगी। अगले वर्ष तक केकड़ी शहर के नागरिकों को इंटरनेट की वाई-फाई सुविधा नि:शुल्क मिलने लगेगी। यह सुविधा नगर पालिका के माध्यम से उपलब्ध होगी। शहरी क्षेत्र से अतिक्रमण हटा कर केकड़ी को स्मार्ट सिटी बना दिया जाएगा। नगर पालिका की आय का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो-दो करोड़ की लगत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पिछले शासन में बेढंगे तरीके से कार्य हुए। जिसे आज तक केकड़ीके नागरिक भुगत रहे हैं। जिस तरह से राजकीय अस्पताल को शहर से बाहर ले गए, उससे से भी केकड़ी के लोग परेशान हैं। कांग्रेस के शासन में केकड़ी के जो हालात बिगड़े उन्हें भी सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। गत ढाई वर्ष में योजनाबद्ध तरीके से जो काम किए गए उसी का परिणाम है कि नगर पालिका आर्थिक दृष्टि से हर कार्य करवाने के लिए सक्षम है। पालिका की ओर से ही प्रमुख बाजारों से कचरा उठाने के लिए छोटे वाहन तैयार किए गए हैं। चलती फिरती प्याऊ भी दुकान दारों और आम लोगों की प्यास बुझा रही है। गौतम ने कहा कि वे जो भी वायदा करते हैं, उसे हकीकत में पूरा कर रहे हैं। उनके विरोधी बताएं कि ऐसा कौन सा वायदा है जो पूरा नहीं हुआ है। विधानसभा चुनाव के दौरान जितने भी वायदे किए गए, उनमें से अधिकांश को पूरा कर दिया गया है और शेष वायदे आगामी ढाई वर्ष में पूरे हो जाएंगे। आज प्रत्येक मतदाता से उनका सीधा संबंध है। 
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(एस.पी. मित्तल)  (25-06-2016)
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Friday 24 June 2016

अजमेर में पेंशनर्स को मिलती रहेंगी उपभोक्ता भण्डार से दवाएं। कोषाधिकारी ने पूर्व का आदेश रद्द किया।

#1491
अजमेर में पेंशनर्स को मिलती रहेंगी उपभोक्ता भण्डार से दवाएं। कोषाधिकारी ने पूर्व का आदेश रद्द किया।
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अजमेर की कार्यवाहक कोषाधिकारी शिवानी कुमावत ने 24 जून को एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि पेंशनर्स को पहले की तरह चिकित्सक की पर्ची पर उपभोक्ता भण्डारों से दवाएं मिलती रहेंगी। पूर्व में 8 जून को जो आदेश निकाला गया था, उसे रद्द कर दिया गया है। मालूम हो कि आठ जून के आदेश में पेंशनर्स को सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा काउंटर से ही दवा लेने के आदेश दिए गए थे। 24 जून को जारी आदेशों के लिए पेंशनर्स समाज के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल का आभार जताया।
(एस.पी. मित्तल)  (24-06-2016)
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सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से करवाया फोन, तब माने गुरुदास कामत। महाराष्ट्र नहीं राजस्थान है वजह।

#1487
सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से करवाया फोन, तब माने गुरुदास कामत। महाराष्ट्र नहीं राजस्थान है वजह।
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24 जून को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में बैठक कर गुरुदास कामत ने फिर से राष्ट्रीय महासचिव का पद संभाल लिया है। पद संभालते ही कामत ने कहा कि इस्तीफा वापस लेने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने भी आग्रह किया था। इसीलिए मैं फिर से कांग्रेस में आ गया हंू। कामत महाराष्ट्र में राजनीति करते हंै, लेकिन लगातार हो रही उपेक्षा के चलते पिछले दिनों कामत ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। जानकारों की माने तो कामत के इस्तीफे से महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ा, इसलिए महाराष्ट्र के किसी भी बड़े नेता ने कामत की वापसी के प्रयास नहीं किए। लेकिन कामत के इस्तीफे का असर राजस्थान की कांग्रेस की राजनीति पर जरूर पड़ा। कामत राजस्थान के प्रभारी महासचिव हैं और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का संरक्षक माना जाता है। कामत वो ही करते हैं जो पायलट कहते हैं। दिग्गज कांग्रेसियों के सामने युवा पायलट को राजस्थान में स्थापित करवाने में कामत की सक्रिय भूमिका रही है। पायलट के कहने पर ही कामत ने जिला स्तरीय समारोह तक में भाग लिया। पायलट को पता था कि जितना सहयोग कामत ने किया है, उतना दूसरा प्रभारी महासचिव नहीं करेगा। यही वजह रही कि कामत की शर्त के मुताबिक पायलट ने सोनिया गांधी से फोन करवा दिया। कामत भी मानते हैं कि सचिन पायलट, राहुल गांधी वाले चैनल से सोनिया गांधी से फोन करवा सकते हैं। सोनिया गांधी के फोन के बाद तो कामत इंकार नहीं कर सकते थे। इसलिए अपनी वापसी का श्रेय कामत ने सोनिया गांधी के साथ-साथ पायलट को भी दिया। 24 जून को कामत की वापसी के समय दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर में महाराष्ट्र के बजाए राजस्थान के कांग्रेसी ही थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कामत की वापसी में पायलट की कितनी भूमिका है। हो सकता है कि अगले दो चार दिनों में कामत का राजस्थान में शानदार स्वागत हो, क्योंकि महाराष्ट्र में तो स्वागत का कोई प्रोग्राम नजर नहीं आ रहा।
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(एस.पी. मित्तल)  (24-06-2016)
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जब शराब की ब्राडिंग हो सकती है तो दूध की क्यों नहीं? देशी गाय का दूध है पौष्टिक।

#1488
जब शराब की ब्राडिंग हो सकती है तो दूध की क्यों नहीं?
देशी गाय का दूध है पौष्टिक।
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भारत में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार भी यह मानती है कि देश में 68 प्रतिशत दूध दूषित है। दूषित दूध पीने से ढेर सारी बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही लाइलाज कैंसर जैसा रोग भी हो जाता है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ही कहा जाएगा कि जो शराब शरीर के लिए हानिकारक है। उसकी तो ब्राडिंग है, लेकिन जो दूध स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, उसकी कोई ब्राडिंग नहीं है। हर सफेद रंग के तरल पदार्थ को दूध माना जा रहा है। देशभर की प्रसिद्ध डेयरियों का दूध भी डेनमार्क, कनाडा जैसे देशों से प्राप्त पाउडर से बनाया जा रहा है। 
जो डेयरी रोजना एक लाख लीटर दूध खरीदकर बाजार में दो लाख लीटर बेचती है, उससे यह कोई पूछने वाला नहीं है कि आखिर यह अतिरिक्त एक लाख लीटर दूध आया कहां से? डेयरी को चलाने वाले जानते हैं कि एक लाख लीटर दूध हानिकारक विदेशी पाउडर से बनाया जाता है। भले ही यह पाउडर गाय के दूध से बनता हो, लेकिन सवाल यह है कि जिस गाय के दूध से पाउडर बनाया गया है क्या वह दूध पौष्टिक है? डेनमार्क, कनाडा जैसे देश भारत से ही उत्तर किस्म की नस्ल की गायों को ले गए और फिर सुअर की प्रजाति वाले पशु से क्रॉस करवाकर गाय के दूध की क्षमता को बढ़ा दिया। आज जो जर्सी गाय ज्यादा दूध देती है, उसका कारण सुअर की प्रजाति वाले पशु से गर्भवती होना है। यही वजह है कि भारत में 68 प्रतिशत दूध जहरीला है। 
इसलिए जरूरी है दूध की ब्राडिंग:
असल में गीर नस्ल की देशी गाय का दूध शुद्ध है, लेकिन इस गाय का दूध महंगा होता है। असल में देशी गाय की उम्र औसतन 20 वर्ष मानी गई है और उसकी गर्भवती होने और दूध देने की प्रक्रिया कोई 16 महीने की है। देशी गाय गर्भधारण के 9 माह बाद बच्चे को जन्म देती है और बच्चे के जन्म के बाद मुश्किल से 6 माह ही दूध दे पाती है। दोबारा गर्भवती होने के बीच के समय में गाय पालकों को बिना दूध के चारा खिलाना होता है। लेकिन बाजार में देशी गाय और जर्सी गाय के दूध में कोई फक्र नहीं होता, इसलिए व्यवसाय की दृष्टि से पशुपालक भी देशी के बजाए जर्सी गाय पालता है। इसलिए यह बात अब जोर पकड़ रही है कि दूध की ब्राडिंग होनी चाहिए। जो जर्सी गाय का दूध जहरीला है और देशी गाय का जो दूध अमृत है उसमें फर्क होना ही चाहिए। शराबी जब दुकान पर जाकर बोतल खरीदता है तो बड़े शान से ब्रांड बताता है, लेकिन जब डेयरी या दुकान पर जाकर दूध खरीदता है तो कोई ब्रांड नहीं बताता। सवाल उठता है कि शराब खरीदते वक्त तो दो हजार रुपए के ब्रांड वाली बोतल चुपचाप खरीद ली जाती है और दूध खरीदते वक्त यह ध्यान नहीं रखा जाता कि दूध पौष्टिक है या जहरीला। यदि देशी गाय के दूध को ब्रांड मानकर खरीदा जाए तो फिर पौष्टिक और जहरीले दूध में फर्क हो सकता है। जो लोग गौ माता के संरक्षण की बात करते हैं उनका भी यह दायित्व है कि देशी गाय के दूध की ब्राडिंग की हो। यदि देशी गाय का दूध 100 रुपए लीटर भी मिले तो उसे खरीदना चाहिए। उपभोक्ता के लिए 100 रुपए लीटर दूध खरीदना कोईघाटे का सौदा नहीं होगा। यह बात दावे के साथ लिखी जा रही है कि देशी गाय के दूध का उपयोग करने के बाद परिवार के किसी भी सदस्य को बीमारी पर एक रुपया भी खर्च नहीं होगा। दूध से जो मलाई प्राप्त होगी उससे देशी घी भी बनाया जा सकता है। यानि देशी घी बाजार से नहीं खरीदना पड़ेगा। 
अजमेर में देखा जा सकता है देशी गाय का पालन:
देशी गाय के पालन और संरक्षण के लिए समाजसेवी रामनारायण सिंह महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे है। सिंह ने निकटवर्ती छोटी होकरा गांव में सुरभि ऑरर्गेनिक फार्म बना रखा है। इस फार्म में गाय के चारे से लेकर अन्य कार्य तक ऑरर्गेनिक पद्धति से तैयार होते हैं। इच्छुक व्यक्ति सिंह के मोबाइल नम्बर 9414004319 और 9414644320 पर सम्पर्क कर सकते हैं। 
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(एस.पी. मित्तल)  (24-06-2016)
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मेरी बला से शिक्षा बोर्ड को आग लगा दो। अध्यक्ष चौधरी की इस टिप्पणी से भड़के कर्मचारी।

#1489
मेरी बला से शिक्षा बोर्ड को आग लगा दो। अध्यक्ष चौधरी की इस टिप्पणी से भड़के कर्मचारी।
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24 जून को अजमेर स्थित राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मुख्यालय पर बोर्ड अध्यक्ष प्रो. बी.एल.चौधरी और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के बीच जोरदार हंगामा हुआ। कर्मचारियों के प्रतिनिधि पदोन्नति के मद्दे को लेकर मिलने गए थे। वाद-विवाद के बीच प्रतिनिधियों ने चौधरी से कहा कि सभी कर्मचारी आपका सम्मान करते हैं, इसलिए आपको भी कर्मचारियों के हित में निर्णय लेने चाहिए। कर्मचारियों के व्यवहार से पहले से ही गुस्साए बोर्ड अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि मेरा सम्मान करने की कोई जरुरत नहीं। मेरी बला से शिक्षा बोर्ड को आग लगा दो। चौधरी ने कहा कि कर्मचारियों को काम तो करना ही होगा। बोर्ड अध्यक्ष की इस टिप्पणी से कर्मचारियों के प्रतिनिधि भड़क उठे। उन्होंने कहा कि चौधरी तो मात्र तीन साल के लिए बोर्ड में अस्थाई तौर पर आते हैं, जबकि कर्मचारी तो स्थायी है और उनका परिवार बोर्ड की वजह से ही पल रहा है। नेताओं ने चौधरी की टिप्पणी को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि चौधरी का यह व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि बाद में चौधररी ने अपनी इस टिप्पणी पर खेद जता दिया। लेकिन इससे जो माहौल बिगड़ा उसकी वजह से बोर्ड परिसर में भारी पुलिस बल को बुलाना पड़ा। बोर्ड अध्यक्ष से वार्ता करने वालों में अध्यक्ष परमेश्वर माहेश्वरी, महामंत्री अनिल कुमार, उपाध्यक्ष भाग सिंह राठौड़, करण सिंह यादव, विजय कुमार शामिल थे। 
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(एस.पी. मित्तल)  (24-06-2016)
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यूपी-पंजाब और राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा तैयार। राष्ट्रीय महासचिव ने जीत की उम्मीद जताई।

#1490
यूपी-पंजाब और राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा तैयार। 
राष्ट्रीय महासचिव ने जीत की उम्मीद जताई।
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अजमेर से राज्यसभा के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने कहा कि अगला वर्ष भाजपा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। अगले वर्ष उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा के चुनाव के साथ-साथ देश के राष्ट्रपति के चुनाव भी होंगे। 24 जून को यहां मीडिया से संवाद करते हुए यादव ने कहा कि भाजपा की इन सभी चुनावों में जीत होगी। भाजपा ने इन चुनावों की तैयारियां कर ली है। यूपी में जिस प्रकार लोक सभा चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा को अपार सफलता दिलवाई, उसी प्रकार विधान सभा में भी भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा। यादव ने अजमेर कोटा रेल मार्ग को शीघ्र ही प्रारंभ करवाने की बात कही। उन्होंने अजमेर-पुष्कर रेल लाइन को मेड़ता सिटी तक बढ़ाने के लिए भी कहा। उन्होंने अजमेर के दोनों विश्वविद्यालयों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ाने के लिए भाजपा द्वारा किए जा रहे प्रयास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अजमेर कोटा मार्ग के लिए वे जल्द ही रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र भी लिखेंगें। 

(एस.पी. मित्तल)  (24-06-2016)
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Wednesday 22 June 2016

क्या स्वामी प्रसाद मौर्या बेचते रहे बसपा के टिकिट? अब इस्तीफे के क्या मायने।

#1482
क्या स्वामी प्रसाद मौर्या बेचते रहे बसपा के टिकिट?
अब इस्तीफे के क्या मायने।
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22 जून को बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से स्वामी प्रसाद मौर्या ने इस्तीफा दे दिया। मौर्या के इस्तीफे से मायावती को आगामी विधानसभा चुनाव में कितना झटका लगेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या पिछले 20 वर्षों से मौर्या भी बसपा के टिकिट बेच रहे थे? 22 जून को लखनऊ में अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए मौर्या ने कहा कि हर चुनाव में मायावती बसपा के टिकिट बेचती हैं, इसलिए अब वे दलित की बेटी नहीं बल्कि दौलत की बेटी हंै। मौर्या पहले ऐसे बसपा नेता नहीं है, जिन्होंने मायावती पर टिकिट बेचने के आरोप लगाए हैं। बसपा से जितने नेता बाहर आए, उन सभी ने ऐसे ही आरोप लगाएं। लेकिन मौर्या के आरोप इसलिए मायने रखते हैं कि बसपा में मौर्या ही मायावती के खासम खास थे। मायावती की मेहरबानी से ही मौर्या को यूपी में केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ साथ मौर्या विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। ऐसे में मौर्या को केबिनेट मंत्री की सुविधाएं मिली हुई हैं। जब मौर्या मायावती के इतने खास हैं, तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि मायावती अकेले-अकेले ही चुनाव में बसपा के टिकिट बेच दें। टिकिट बेचने की जमीन तो मौर्या जैसे विश्वासपात्र ही तैयार करते होंगे। मौर्या का का यह भी आरोप है कि वर्ष 2012 में विधानसभा और 14 में लोकसभा के टिकटों के बिकने की वजह से ही इन दोनों चुनावों में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया।  अब मौर्या को ही यह बताना है कि जब 12 और 14 में उनकी आंखों के सामने टिकिट बिके तो चुप क्यों रहे? क्या 2017 के विधानसभा चुनाव में मौर्या ने अपने रिश्तेदारों और समर्थकों के लिए मुफ्त में टिकिट मांगे? और मायावती ने मौर्या को मुफ्त में टिकिट नहीं दिए। इसलिए मौर्या ने बगावत कर दी। मौर्या ने 1996 में बसपा ज्वाइन की थी और तब से आज तक मौर्या बसपा में सत्ता की मलाईखाते रहे। यह माना कि यूपी में मौर्या दलित चेहरा हैं, इसलिए इस्तीफे की घोषणा के बाद मौर्या ने यूपी के मंत्र ीऔर सपा के दिग्गज नेता शिवपाल सिंह यादव और अजाम खान से मुलाकात की है, लेकिन माना जा रहा है कि मौर्या सपा की साइकिल पर बैठने के बजाए भाजपा के कमल को अपने माथे पर लगाएंगे। जानकारों की माने तो मौर्या की बगावत के पीछे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी के प्रभारी ओम माथुर की रणनीति रही है। आने वाले दिनों में बसपा ही नहीं सपा के दिग्गज नेता भी कमल का फूल अपने माथे पर लगाएंगे। 
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(एस.पी. मित्तल)  (22-06-2016)
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आसमान में भी बढ़ा भारत का रुतबा। एक साथ बीस उपग्रहों को किया स्थापित। नरेन्द्र मोदी को भी जाता है श्रेय।

#1483
आसमान में भी बढ़ा भारत का रुतबा।
एक साथ बीस उपग्रहों को किया स्थापित। नरेन्द्र मोदी को भी जाता है श्रेय।
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22 जून को दुनिया के आसमान में भी भारत का रुतबा बढ़ गया है। अंतरिक्ष के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब भारत ने एक साथ बीस उपग्रहों को आसमान में स्थापित किया। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन बीस उपग्रहों में चार अन्य देशों के उपग्रह भी शामिल हैं। यानि अब भारत की धरती से विदेशी उपग्रह भी आसमान में स्थापित किए जा सकते हैं। एक साथ छोड़े गए बीस उपग्रह आसमान में आपस में न टकराएं, इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की। 22 जून को सुबह 9:30 जब उपग्रह का लाइव प्रसारण हो रहा था, तब हम सब ने देखा कि कम्प्यूटर कक्ष में सिर्फ भारतीय  वैज्ञानिक मौजूद थे। अमरीका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के उपग्रह भले ही श्री हरिकोटा से छोड़े गए लेकिन इन देशों के वैज्ञानिक बाहर के कक्ष में बैठे थे। यानी एक साथ बीस उपग्रह छोडऩे की प्रक्रिया में विदेशी वैज्ञानिकों का कोईसहयोग नहीं था। सब जानते हैं कि इन नए उपग्रहों से समुद्र में होने वाली उथल-पुथल की सटीक जानकारी मिलेगी। इतना ही नहीं अब हमारे उपग्रह एशिया महाद्वीप की जमीन पर भी गहरी नजर रखेंगे। जिन देशों में भारत के खिलाफ आंतकी प्रशिक्षण दिए जाते हैं, उन पर भी निगरानी होगी। चूंकि एक साथ बीस उपग्रह नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में स्थापित किए गए हैं, इसलिए श्रेय तो मोदी सरकार को भी जाएगा ही। आलोचक माने या नहीं लेकिन अमरीका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के उपग्रह भी इसलिए शामिल हो सके है कि नरेन्द्र मोदी विदेशी दौरे करते हैं। मोदी ने ही अपने दौरों के दौरान इन देशों को यह भरोसा दिलाया कि भारत बीस उपग्रह स्थापित करने में समक्ष हैं। जो लोग नरेन्द्र मोदी के बार-बार विदेशी दौरों का हिसाब मानते हैं उन्हें अब समझ लेना चाहिए कि आखिर मोदी विदेशी दौरों पर क्यों जाते हैं। 

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भाजपा-कांग्रेस के पार्षदों ने अजमेर के स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

#1484
भाजपा-कांग्रेस के पार्षदों ने अजमेर के स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
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22 जून को निकटवर्ती सेंदरिया स्थित अग्निशमन के परिसर में अजमेर नगर निगम की साधारण सभा हुई। इस सभा में भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। कांग्रेस के पार्षद समीर शर्मा और श्रवण टोनी ने कहा कि स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर उनका कोईविरोध नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि विकास के कार्य सम्पूर्ण शहर में कराए जाएं। इस पर मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि स्मार्ट सिटी के लिए पार्षदों और जागरुक नागरिकों से सुझाव मांगे गए थे। ऐसे सुझाव तब दिए जाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से जो प्रस्ताव आया है, उसका सिर्फ अनुमोदन इस साधारण सभा में करना है। गहलोत ने कहा कि जब शहर स्मार्ट बनेगा तो सभी शहरवासियों को लाभ होगा। मालूम हो कि केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी के लिए जो दूसरे चरण की प्रतियोगिता आयोजित की है, उसमें अजमेर की मजबूत दावेदारी है। राज्य सरकार ने इकरा नामक कंपनी को प्रतियोगिता में सफल करवाने की जिम्मेदारी दी है। इसकी एवज में इस कंपनी को कोई सवा करोड़ रुपए का मेहनताना दिया जाना है।
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(एस.पी. मित्तल)  (22-06-2016)
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अजमेर में पेंशनर्स को नहीं होगी कोई परेशानी। कलेक्टर ने कहा कोषाधिकारी का आदश्ेा गलत। पर बेईमानों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही।

#1481
अजमेर में पेंशनर्स को नहीं होगी कोई परेशानी।
कलेक्टर ने कहा कोषाधिकारी का आदश्ेा गलत। 
पर बेईमानों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही।
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अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा है कि अजमेर में किसी भी पेंशनर्स को दवा लेने में कोई परेशानी नहीं होगी। पेंशनर्स सिर्फ मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के काउंटर से ही दवा ले सकते हैं, इस आशय का जो आदेश जिला कोषाधिकारी ने जारी किया है, वह आदेश गलत है? पेंशनर्स की पीड़ा को लेकर 21 जून को मैंने एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग के बाद ही कलेक्टर गोयल को यह पता चला कि उनके हवाले से जिला कोषाधिकारी ने पेंशनर्स की दवाओं को लेकर कोई आदेश जारी किया है। ब्लॉग के मद्देनजर कलेक्टर का कहना रहा कि गत 6 जून को एक उच्च स्तरीय बैठक में पेंशनर्स की दवाओं को लेकर विचार विमर्श हुआ था, प्रशासन की मंशा है कि सहकारिता क्षेत्र से जुड़े भंडारों में जो गड़बड़ी होती है उसे रोका जाए। इसके पीछे किसी भी पेंशनर्स को परेशान करने की कोई मंशा नहीं है। कलेक्टर ने कहा कि कोषाधिकारी के दोषपूर्ण आदेश से जो भ्रम की स्थिति हुई है, उसे तत्काल दूर किया जा रहा है। पेंशनर्स को जिस प्रकार पूर्व में दवाएं मिलती थी, उसी प्रकार से मिलती रहेंगी। उन्होंने कहा कि उनका बुजुर्ग नागरिकों के प्रति बेहद संवेदनशील रुख है। वे नहीं चाहते है कि प्रशासन के किसी भी निर्णय से बुजुर्ग नागरिकों को कोई परेशानी हो। इस संबंध में पेंशनर्स समाज के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया जा रहा है, लेकिन उन तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी जो सरकारी धन का दुरुपयोग करते हैं। कलेक्टर गोयल की संवेदनशीलता का पेंशनर्स समाज के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ने स्वागत किया है। 22 जून को कलेक्टर के निर्देश पर ही समाज के प्रतिनिधियों की मुलाकात अतिरिक्त कलेक्टर किशोर कुमार से हुई। प्रतिनिधियों ने आग्रह किया कि कोषाधिकारी के लिखित आदेश के बाद से ही उपभोक्ता भंडार के काउंटरों से पेंशनर्स को दवा मिलना बंद हो गई है। जब तक जिला प्रशासन दोबारा से आदेश जारी नहीं करेगा, तब तक पेंशनर्स को कोई राहत नहीं मिल पाएगी। प्रतिनिधियों ने आग्रह किया कि जल्द से जल्द पूर्व आदेश को वापस लिया जाए। पेंशनर्स को सरकार के नियमों के मुताबिक उपभोक्ता भंडार से दवाएं लेने की छूट होनी चाहिए। कोषाधिकारी के आदेश के बाद पेंशनर्स को सिर्फ मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के काउंटर से ही दवा मिल  रही है, जिसकी वजह से पेंशनर्स को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
बेईमानों के खिलाफ हो सख्त कार्यवाही:
21 जून को मैंने जो ब्लॉग लिखा उसके पीछे मेरा मकसद बुजुर्ग सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पीड़ा को उजागर करना था। इस पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने जो संवेदनशीलता दिखाई, उसका स्वागत सम्पूर्ण पेंशनर्स समाज को करना चाहिए। मैं कलेक्टर गोयल के इस रुख से पूर्ण सहमत हंू कि जो लोग मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही हो। ऐसी शिकायतें आम है कि पेंशनर्स को मिलने वाली दवाओं की आड़ में सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। जो लोग सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ कलेक्टर को वाकई सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। यदि पेंशनर्स को भी जेएलएन अस्पताल के नि:शुल्क दवा काउंटर से दवाएं देने की योजना बनाई जाती है तो इस बात का भी ख्याल खा जाए कि बीमार और बुजुर्ग पेंशनर्स को असुविधा न हो। 
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Tuesday 21 June 2016

तो कांग्रेस ने नहीं किया योग।

#1479
तो कांग्रेस ने नहीं किया योग।
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21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर देशभर में योग के कार्यक्रम हुए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में और पीएम नरेन्द्र मोदी ने चंडीगढ़ में योग किया। देशभर में जिला स्तर पर योग के बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए, लेकिन किसी भी कार्यक्रम में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता नजर नहीं आए। यूं तो योग कर काया को निरोगी बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस अपनी काया को निरोगी बनाए रखने में रुचि नहीं रखती है। इसके विपरीत कांग्रेस के कुछ समर्थकों ने योग दिवस के आयोजन की आलोचना की है। जबकि सब जानते हैं कि योग न तो किसी धार्मिक क्रिया से जुड़ा है और न ही इसका राजनीतिक मकसद है। अब तो दुनियाभर के लोग यह मानते हैं कि भारतीय संस्कृति में योग के माध्यम से सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाया जा सकता है। 21 जून  को जिस तरह देशभर में योग के आयोजन हुए उससे प्रतीत होता है कि आने वाले वर्षों में योग दिवस को भी स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस की तरह मनाया जाएगा। 
अजमेर में भी सफल आयोजन:
21 जून को अजमेर के पटेल मैदान पर भी योग का सफल आयोजन किया गया। केन्द्रीय मंत्री निहाल चंद मेघवाल की उपस्थिति में हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में शहर वासियों ने भाग लिया। समारोह में जिले के जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। अजमेर के सांसद और केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट ने जोधपुर में जिला स्तरीय समारोह में भाग लेकर योग किया। आमतौर पर कुर्ता और धोती पहनने वाले ग्रामीण परिवेश के जाट ने जोधपुर में टे्रक शूट पहना।
हेड़ा स्कूटी पर बैठे:
अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा को पटेल मैदान तक आने के लिए जब चौपहिया वाहन उपलब्ध नहीं हुआ तो वे अपने एक समर्थक की स्कूटी पर ही बैठकर कर योग करने के लिए पटेल मैदान पहुंचे। असल में भाजपा से जुड़े सभी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को प्रात: 6:30 बजे पटेल मैदान के समारोह में पहुंचने के निर्देश दिए गए थे। इसलिए जिलेभर के भाजपा नेता समारोह में उपस्थित रहे। 
स्वस्थय शरीर होना जरूरी-शेखावत:
अजमेर के कुंदन नगर स्थित अंकुर पब्लिक स्कूल में केन्द्रीय आयुष मंत्रालय और जयपुर स्थित योग साधना आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में एक माह का योग शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर का समापन भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि सीआरपीएफ ग्रुप-2 के डीआईजी एम.एस.शेखावत थे। अपने संबोधन में शेखावत ने कहा कि वर्तमान दौर में शरीर का स्वस्थ्य रहना बेहद जरूरी है। बिना किसी खर्च के योग के माध्यम से शरीर को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। समारोह में क्षेत्रीय पार्षद जे.के.शर्मा ने कहा कि इस एक माह के शिविर में जिन लोगों ने योग सीखा है, उन्हें अब नियमित योग करते रहना चाहिए। क्षेत्रीय विकास समिति के अध्यक्ष बसंत विजयवर्गीय का कहना रहा कि योग तो भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। हमें अपनी संस्कृति को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। रामबाबू शर्मा का कहना रहा कि योग के माध्यम से ही हमारे ऋषि-मुनि वर्षों तक जीवित रहे। योग के माध्यम से शरीर को तो स्वस्थ्य रखा ही जाता है, साथ ही सकारात्मक सोच का विकास भी होता है। एक माह के नि:शुल्क शिविर को सफल बनाने में योग विशेषज्ञ श्रीमती संगीता शर्मा और विनीत लोहिया की सक्रिय भूमिका रही। 
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(एस.पी. मित्तल)  (21-06-2016)
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कलेक्टर के आदेश से अजमेर के 50 हजार पेंशनर परेशान। बुजुर्गो की नहीं हो रही सुनवाई।

#1480
कलेक्टर के आदेश से अजमेर के 50 हजार पेंशनर परेशान। बुजुर्गो की नहीं हो रही सुनवाई।
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अजमेर के युवा कलेक्टर गौरव गोयल के एक आदेश से जिले के करीब 50 हजार पेंशनरों को इन दिनों भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस परेशानी को लेकर बुजुर्ग नागरिक कलेक्टर के सामने गिड़गिड़ा चुके है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कलेक्टर गोयल ने हाल ही में एक आदेश निकालकर सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों के उपभोक्ता भंडार से दवाईयां लेने पर रोक लगा दी है। कलेक्टर ने पेंशनरों की दवाईयों के लिए जो नई व्यवस्था लागू की है उससे पेंशनरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले से ही बीमार पेंशनरों को भीषण गर्मी में दवाईयां हासिल करने के लिए 4-5 घंटे का समय लग रहा है और फिर भी इस बात की गारंटी नहीं है कि दवा मिल ही जाएगी। पूरे राजस्थान में अजमेर ऐसा जिला है जहां पेंशनरों के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। प्रदेशभर में यह व्यवस्था है कि अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने के बाद उपभोक्ता भंडार से पेंशनर दवाईयां ले सकता है। जो दवाई भंडार में नहीं है उसे एनएसी के बाद बाजार से खरीदी जा सकती है, लेकिन कलेक्टर के आदेश की वजह से पेंशनरों को अब मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा काउंटर पर जाना होता है। इन काउंटरों पर पहले से ही लम्बी कतार लगी रहती है। संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में पेंशनरों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पेंशनरों को तब और परेशानी होती है, जब नि:शुल्क दवा काउंटर में 5 में से 3 दवा नहीं मिलती है। बेचारा पेंशनर पहले नि:शुल्क दवा काउंटर में एनएसी लेता है और फिर उपभोक्ता भंडार में जाता है जो दवा उपभोक्ता भंडार में नहीं मिलती उसके लिए दोबारा से एनएसी लेनी पड़ती है। अजमेर पेंशन समाज के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ने बताया कि कलेक्टर ने जो नई व्यवस्था लागू की है उसमें बीमार पेंशनरों को भारी परेशानी हो रही है। पेंशनरों के एक प्रतिनिधि मंडल ने हाल ही में कलेक्टर से मिलकर अपनी परेशानी से अवगत कराया है। लेकिन अभी तक भी कोई राहत नहीं मिल पाई है। कश्मीर सिंह ने कहा कि अगस्त में जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस के समारोह में भाग लेने के लिए अजमेर आएंगी, तब उनके सामने बुजुर्गों की पीड़ा को रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जब सम्पूर्ण प्रदेश में चिकित्सक की पर्ची के आधार पर उपभोक्ता भंडार से दवाएं मिलती हैं तो फिर अजमेर में क्यों नहीं मिल रही? उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि सत्तारुढ़ भाजपा के जनप्रतिनिधि भी बुजुर्गों की इस पीड़ा पर खामोश हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बार-बार बुजुर्गों को सम्मान देने का दावा करती हैं। लेकिन अजमेर में इसका उल्टा हो रहा है। पहले से ही बीमार पेंशनर जब भीषण गर्मी में दवा लेने के लिए संघर्ष करता है, तो उसकी पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। कश्मीर सिंह ने बताया कि पेंशनरों को दवा देकर सरकार कोई एहसान नहीं करती। जब कर्मचारी सेवा में होता है तो उसके वेतन में से दवाओं की राशि की कटौती भी की जाती है। एक जनवरी 2004 के बाद सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के वेतन में से तो प्रतिमाह 600 रुपए तक की कटौती हो रही है।
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Monday 20 June 2016

देवनानी के प्रभारी मंत्री वाले चूरू जिले में भदेल का दखल।

#1477
देवनानी के प्रभारी मंत्री वाले चूरू जिले में भदेल का दखल।
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राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल अजमेर शहर से भाजपा की विधायक हैं। अजमेर के भाजपा के कार्यकर्ता अच्छी तरह जानते हैं कि देवनानी और भदेल में कितने मधुर संबंध हैं। यानि दोनों के राजनीतिक मतभेद सबको पता है। पिछले दिनों ही देवनानी को अजमेर के बजाए चूरू का प्रभारी मंत्री बनाया गया था। देवनानी के प्रभारी मंत्री के पद से हटने पर सबसे ज्यादा राहत भदेल के समर्थकों ने महसूस की। लेकिन अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भदेल को देवनानी के प्रभारी मंत्री वाले चूरू जिले में दखल के लिए भेज दिया है। 19 जून को भदेल ने गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया, स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ आदि के साथ बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से संवाद किया। सरकार और संगठन ने जो जिलेवार मंत्री समूह का गठन किया गया है। उसमें चूरू जिले के लिए अनिता भदेल को भी शामिल किया गया है। अजमेर के भाजपा कार्यकर्ताओं के यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर अनिता भदेल को चूरू ही क्यों भेजा गया? शायद प्रदेश नेतृत्व को भी इन दिनों को आपस में उलझाए रखने में मजा आता है। जो देवनानी अपने निर्वाचन क्षेत्र अजमेर उत्तर से भदेल को हमेशा दूर रखते हैं, अब उन्हीं भदेल को देवनानी के प्रभारी मंत्री वाले जिले में राजनीतिक दखल करने का अवसर मिल गया है। भदेल के इस दखल को देवनानी किस प्रकार पचा पाएंगे यह आने वाला समय ही बताएगा। 
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(एस.पी. मित्तल)  (20-06-2016)
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Sunday 19 June 2016

ब्लॉग के पाठकों को समर्पित है अजमेर गौरव अवार्ड। सभी के सहयोग से हुआ विस्तार।

#1474
ब्लॉग के पाठकों को समर्पित है अजमेर गौरव अवार्ड। 
सभी के सहयोग से हुआ विस्तार। 
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18 जून की शाम को अजमेर की प्रमुख संस्था पहल की ओर से यहां के जवाहर रंगमंच पर म्हारो अजमेर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को अजमेर गौरव अवार्ड से सम्मानित किया गया। मीडिया के लिए यह अवार्ड मुझे दिया गया। वैसे तो मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड पाठकों की प्रतिक्रिया है। मैं रोजाना जो ब्लॉग लिखता हंू  इस पर मेरे पोर्टल, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर जो प्रतिकियाएं प्राप्त होती हैं वे ही मेरे लिए सम्मान और अवार्ड की बात है। 
लेेकिन जब इस अवार्ड के लिए प्रथम संस्था के संरक्षक सोमरत्न आर्य और सचिव चन्द्रभान प्रजापति ने मुझसे कहा तो मैं असमंजस में रहा। लेकिन आर्य के अंतिम फैसले को देखते हुए मैंने इस अवार्ड को स्वीकार तो किया, लेकिन अब इसे मेरे ब्लॉग के पाठकों को समर्पित कर रहा हंू। मेरा ऐसा मानना है कि मीडिया की इस गलाकाट प्रतिस्पद्र्धा और ईष्र्या के दौर में पाठकों ने मुझे जो स्नेह दिया, उसी का परिणाम है कि अजमेर गौरव अवार्ड मिला। मैं रोजना करीब एक हजार व्हाट्सएप ग्रुप में अपने ब्लॉग पोस्ट करने के साथ-साथ पोर्टल, ट्यूटर,फेसबुक और ब्रॉडकास्ट पर भी ब्लॉग प्रदर्शित करता हंू। ऐसे में कोई दो लाख से भी ज्यादा पाठक सीधे मुझसे जुड़े हुए हैं। इन पाठकों की वजह से ही ब्लॉग की जो चर्चा होती है, उसी का नतीजा है कि में रोजाना ब्लॉग लिखने और फिर उन्हें पोस्ट करने के लिए मजबूर हूूं। 
इसमें कोई दो राय नहीं कि जब कोई सम्मान मिलता है तो उससे प्रोत्साहन तो मिलता ही है। अवार्ड के लिए में संस्था प्रथम के प्रति भी आभार प्रकट करता हंू। 18 जून को मेरे साथ-साथ राजनीति के क्षेत्र में पांच बार लोकसभा में सांसद रहे रासासिंह रावत, डिजिटल एक्सरे के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले डॉ. मनीष शारदा, राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजी गई माहेश्वरी पब्लिक स्कूल की उपप्रधानाचार्य सविता शर्मा, खेल क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने वाले जोरावर सिंह,समाज सेवा के लिए अपना घर संस्थान के अध्यक्ष विष्णु गर्ग, कत्थक के क्षेत्र में हिन्दुस्तान का नाम रोशन करने वाले माणकचंद जोधपुरी, अद्भुद प्रतिभा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले राजीव शर्मा, सिविल सेवा के क्षेत्र में अमर सिंह राठौड़ को भी अजमेर गौरव अवार्ड से नवाजा गया है। सभी लोगों को अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने स्मृति चिह्न भेंट किए। इस मौके पर संस्था के पदाधिकारी ने श्रीफल,साफे और तिलक भी लगाए। 
युवाओं को मंच:
संस्था के अध्यक्ष ज्ञान सारस्वत ने बताया कि संस्था प्रथम गत 12 वर्षों से अजमेर शहर में प्रतिभाशाली युवाओं को मंच उपलब्ध करवा रही है। इस वर्ष टेलेंट हंट सीरिज के अंतर्गत ही म्हारो अजमेर का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित कर प्रतिभाशाली युवाओं का चयन किया गया। इन सब की प्रस्तुति 18 जून को जवाहर रंगमंच पर की गई। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध उद्योगपति शिव शंकर फतेहपुरिया रहे ने की। कार्यक्रम का संचालन ओम टाडा, हिमांशु और गौरव ने किया। 
समारोह को सफल बनाने में भारती मंघनानी, प्रदीप केसवानी, मोनू सर, सुमित खोईया, पूजा शर्मा, विक्की बंजारा, संजीव चतुर्वेदी, कविता केसवानी, गायत्री नोगिया,ओमेन्द्र सिंह राठौड़, विक्की, त्रिलोक, किशन, अमन, रोहिन, रिषभ, निशा सिंह राठौड़, जूही माथुर, कुसुम सिंह राठौड़, मोहित माथुर आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। इससे पहले कार्यक्रम के ऑडिशन्स वैशाली नगर स्थित राइजिंग स्टार एकेडमी तथा जेएलएन अस्पताल के सामने स्थित रेडक्रॉस परिसर में लिए गए थे जिनमें प्रतिभागियों ने भारी संख्या में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
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(एस.पी. मित्तल)  (19-06-2016)
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गाय का दूध और मूत्र तो अमृत है ही। गोबर से मिलता हैऑक्सीजन। गाय मनुष्य का जीवन है।

#1475
गाय का दूध और मूत्र तो अमृत है ही। गोबर से मिलता हैऑक्सीजन। गाय मनुष्य का जीवन है।
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19 जून को अजमेर में पंचशील स्थित झलकारी बाई स्मारक पर आयोजित योग शिविर में पंचगव्य की विशेषज्ञ डॉ अनिता शर्मा ने कहा कि गाय का दूध और मूत्र तो अमृत है ही साथ ही गाय का गोबर शरीर की मांग से भी ज्यादा ऑक्सीजन देता है। आज जिस तरह से बीमारियों ने हर व्यक्ति को जकड़ लिया है, उसमें एक मात्र उपाय गाय हैं। गाय एक मात्र पशु है जिसके शरीर से निकलने वाली हर वस्तु उपयोगी है। डॉ शर्मा ने वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर बताया कि गाय के गोबर में 23 प्रतिशत ऑक्सीजन होता है और जब इसके कण्डे बन जाते है तो आक्सीजन की मात्रा 27 प्रतिशत हो जाती है। वैज्ञानिकों को आश्चर्य तो तब हुआ जब कंडे की राख की जांच की गई तो 47 प्रतिशत ऑक्सीजन नापा गया। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहती कि आप गोबर खाए, लेकिन जिस प्रकार हम दूध और मूत्र का उपयोग कर रहे है तो उसी प्रकार गोबर का भी उपयोग करें। गोबर की राख के दो चम्मच पानी के मटके में घोल दें और फिर उस पानी को पिएं। राख के पानी को पीने से शरीर में कोई रोग नहीं होगा। डॉ शर्मा ने कहा कि हमारी देशी नस्ल की गाय के महत्व को देखते हुए ही एक षडय़ंत्र के तहत भारत में वर्णशंकर अथवा जर्सी गाय का चलन बढ़ा दिया गया। जर्सी गाय का दूध पीने का मतलब है कि सूअर का दूध पीना। देशी गाय के दूध में जो ताकत होती है, वैसी जर्सी गाय के दूध में नहीं होती। 1935  में अंग्रेजों ने एक फरमान जारी कर हमारे नंदी का वध करने का आदेश दे दिए थे। उन्होंने कहा कि गाय एक मात्र पशु है जो श्वास में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। आज जो कैंसर जैसे रोग हो रहे हैं उसका कारण है कि हमारे शरीर में कार्बन की मात्रा बढऩा है, लेकिन जो लोग गायों के बीच रहते हैं उन्हें कभी भी रोग नहीं होता। डॉ. शर्मा ने कहाकि देशवासी भगवान कृष्ण को तो मानते हैं, लेकिन जिस कृष्ण ने गाय को माता मानकर जंगलों में चराया, उस गाय से प्रेम नहीं करते हैं। भगवान कृष्ण गाय का मक्खन चुराकर नहीं खाते थे, बल्कि इसके पीछे उन्होंने यह संदेश दिया कि गाय के दूध से बनने वाले उत्पाद को खाना कितना जरूरी है। जो लोग वास्तुशास्त्र जानते हैं, उनका भी कहना है कि जिस स्थान पर गाय रहती है और जहां गोबर और उसका मूत्र गिरता है, उस स्थान पर वास्तु दोष हो ही नहीं सकता। गाय के एक किलो दूध में 60प्रतिशत तो सोना होता है, इसलिए गाय के दूध में पीपालन होता है। इस दूध का घी भी पीला ही नजर आता है। उन्होंने कहा कि हमारी देशी गाय पर एक थुम्बी होती है, जिसे सूर्य केतु नाड़ी कहा जाता है। यानि इस थुम्बी का सूर्य से सीधा लिंक होता है। यही वजह है कि तपती धूप में भी गाय और बेल के काम करने पर वे थकते नहीं हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि देशी गाय के दूध में सभी प्रकार के विटामिन होते हैं। उन्हांने कहा कि थैली और डिब्बा पैक दूध तो जहर के बराबर हैं, लेकिन आज नवजात बच्चों को भी पाउडर वाला दूध पिलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत है उसी प्रकार देशी गाय का दूध भी मां के दूध से कम नहीं है। गाय का दूध पीने वाला व्यक्ति कभी भी बीमार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमें गाय को माता मानकर ही नहीं बल्कि जीवन दायिनी मानकर सेवा करनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार में एक देशी गाय पालनी ही चाहिए। 
जीवन मित्र संस्था की ओर से आयोजित योग एवं प्राणायाम शिविर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह मोहन खंडेलवाल ने छत्रपति शिवाजी की जयंती के उपलक्ष में कहा कि जिस प्रकार शिवाजी ने अपने जीवन काल में देशभक्ति का परिचय दिया, उसी प्रकार आज प्रत्येक नागरिक को देशभक्ति दिखानी चाहिए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिवाजी ने मुगल आक्रमण कारियों से लोहा लिया। आज भी देश के सामने विदेशी ताकतों से खतरा है। शिविर में अनिल पारीक ने बताया कि आनासागर लिंक रोड स्थित वेदांत न्यूरो थैरेपी सेंटर पर सम्पर्क कर विभिन्न रोगों के निदान की जानकारी ली जा सकती है। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति मोबाइल नम्बर 8432480007 और 8104009444 पर सम्पर्क कर सकते हैं। 
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(एस.पी. मित्तल)  (19-06-2016)
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11 सौ किलो फूलों की माला पहनाकर मनाया मसाणिया भैरवधाम के उपासक चम्पालाल महाराज का जन्मदिन।

#1476
11 सौ किलो फूलों की माला पहनाकर मनाया मसाणिया भैरवधाम के उपासक चम्पालाल महाराज का जन्मदिन।
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19 जून को अजमेर के निकटवर्ती राजगढ़ गांव स्थित मसाणिया भैरवधाम के उपासक चम्पालाल महाराज का जन्मदिन उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। महाराज के भक्तों ने जन्मदिन मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आम व्यक्ति से लेकर बड़े-बड़े राजनेता भी महाराज का जन्मदिन मनाने के लिए उपस्थित थे। पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया डॉ किरोड़ीलाल मीणा की पत्नी श्रीमती गोलमा देवी भी भीषण गर्मी में जयपुर से राजगढ़ तक आई। गोलमा देवी ने भी महाराज को जन्मदिन की बधाई दी। इसके साथ ही अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, एडीए अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष विनोद माहेश्वरी, स्वामी समूह के चेयरमेन कंवल प्रकाश किशनानी, गिरधर तेजवानी आदि ने माला पहनाकर जन्मदिन की बधाई दी। विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के प्रबंधन से जुड़े नितीन शर्मा और उनके साथियों ने 1100 किलो फूलों की विशाल माला पहनाकर महाराज के जन्मदिन के आयोजन में चार चांद लगा दिए। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से आए भक्तों ने भी महाराज का जन्मदिन मनाया। पुष्कर की पूर्व विधायक और शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती नसीम अख्तर तो महाराज को अपना भाई मानती हैं इसलिए उनके पति इंसाफ अली ने पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते हुए महाराज को माला के साथ-साथ शगुन का लिफाफा भी दिया। इस अवसर पर चम्पालाल महाराज ने एक विशाल केक भी काटा। महाराज का कहना रहा कि यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि उस शक्ति का है जिसके माध्यम से लोगों की समस्याओं का निदान होता है। मसाणिया भैरवधाम पर किसी भी प्रकार का चन्दा अथवा चढ़ावा नहीं दिया जाता है। यहां जो भी पीडि़त व्यक्ति आता है उसे राहत मिलती ही है। पिछले एक वर्ष से मसाणिया भैरवधाम पर नशीले पदार्थो का सेवन नहीं करने का संकल्प करवाया जा रहा है। इसके साथ ही कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ भी अभियान चलाया जा रहा है। 19 जून को मसाणिया भैरवधाम पर दिनभर महाराज को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। प्रत्येक रविवार को लगने वाली चौकी तो मध्यरात्रि में ही बाबा के रूप में विराजमान हो गई थी।
(एस.पी. मित्तल)  (19-06-2016)
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Saturday 18 June 2016

दो केन्द्रीय मंत्रियों के इंतजार में हैं अजमेर के भाजपाई। मोदी सरकार की उपलब्धियां बताने आएंगे। ---------------------------------------

#1472
दो केन्द्रीय मंत्रियों के इंतजार में हैं अजमेर के भाजपाई। मोदी सरकार की उपलब्धियां बताने आएंगे। 
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केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर केन्द्रीय मंत्री देश भर में घूम-घूमकर सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्रियों का जो प्रोग्राम निर्धारित किया है उसमें केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान और गिरिराज सिंह को अजमेर आना है। पूर्व में सभी केन्द्रीय मंत्रियों को 16 जून तक अपने-अपने जिलों में जाकर मोदी सरकार की उपलब्धियां बतानी थी, लेकिन कई मंत्री प्रोग्राम के मुताबिक जा नहीं सके। ऐसे में 16 जून से बढ़ाकर 26 जून तक मंत्रियों  को आवंटित जिलों में जानेके निर्देश दिए गए, लेकिन 18 जून तक भी पासवान और गिरिराज सिंह का अजमेर आने का कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है। ऐसे में इन दोनों मंत्रियों का अजमेर के भाजपाई इंतजार ही कर रहे हंै। राजस्थान के अधिकांश जिलों में केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे हो चुके है। जो दो-चार जिले बचे हैं, उनमें अजमेर भी शामिल है। जानकार सूत्रो के अनुसार केन्द्रीय मंत्री पासवान की व्यस्तता की वजह से ही अजमेर के दौरे को अंतिम रूप नहीं दिया जा रहा है। पासवान का ज्यादातर समय अपने गृह राज्य बिहार में ही व्यतीत हो रहा है। सूत्रों की माने तो दूसरे मंत्री गिरिराज सिंह तो अजमेर आने के लिए तैयार हंै, लेकिन पासवान की वजह से गिरिराज सिंह भी अजमेर नहीं आ पा रहे है। गिरिराज सिंह भाजपा के सांसद है जबकि पासवान का क्षेत्रीय दल लोकजन शक्ति पार्टी केन्द्र में भाजपा को समर्थन कर रहा है। ऐसे में हो सकता है कि मोदी सरकार की उपलब्धियों को बताने में पासवान की रूचि कम हो। जानकारों की माने तो पासवान ने पिछले 15 दिनों में चार बार संभावित तिथियां भेजी थी, लेकिन चारों बार पासवान का दौरा टल गया। अब कहा जा रहा है कि पासवान 26 जून को अजमेर आ सकते हंै। पीएम मोदी के निर्देश है कि केन्द्रीय मंत्रियों को संबंधित जिलों में लगातार दो दिन रहकर केन्द्र सरकार की योजनाओं का जायजा भी लेना है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पासवान एक दिन में ही खानापूर्ति कर अजमेर  से चले जाएंगे। चूंकि पूर्व में चार बार पासवान का दौरा टल चुका है, इसलिए 26 जून के संभावित दौरे के लिए स्थानीय पदाधिकारियों ने अभी तक भी समारोह के लिए स्थान बुक नहीं कराया है। मालूम हो कि दोनों केन्द्रीय मंत्रियों के साथ राज्यसभा में सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव को भी अजमेर आना है।
(एस.पी. मित्तल)  (18-06-2016)
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महंगाई पर डीडी और सुदर्शन न्यूज के अलग-अलग सुर।

#1473
महंगाई पर डीडी और सुदर्शन न्यूज के अलग-अलग सुर।
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डीडी न्यूज तो केन्द्र सरकार का चैनल है ही लेकिन सुदर्शन न्यूज चैनल को भी सरकार का समर्थक माना जाता है। 18 जून को सुदर्शन चैनल पर बढ़ती महंगाई पर एक रिपोर्ट दिखाई गई। इस रिपोर्ट में बताया गया कि सब्जी, दाल, तेल आदि महंगे हो गए हैं इससे आम जनता परेशान है। लेकिन वहीं डीडी न्यूज के दोपहर 3 बजे वाले बुलेटिन में ऐसी महिलाओं के इन्टरव्यू दिखाए गए जिन्होंने माना कि महंगाई नहीं बढ़ी है। डीडी न्यूज पर महिलाओं ने कहा कि महंगाई तो सामान्य है, जहां तक टमाटर जैसी सब्जी का सवाल है तो अभी टमाटर का सीजन नहीं है। ऐसे में टमाटर के दाम 60 रुपए किलो तक पहुंच गए है, लेकिन प्याज तो मात्र 8-10 रुपए किलों में ही मिल रहा है। जबकि पूर्व में तो प्याज 100 रुपए किलो तक बिका है। डीडी न्यूज पर कोई 6 गृहणियों के इंटरन्यू दिखाए गए इनमें से एक ने भी महंगाई की बात को स्वीकार नहीं किया।
डीडी न्यूज केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों पर संचालित होता है। इसलिए इस चैनल के रिपोर्टर को देश में ऐसी गृहणी मिलेगी ही नहीं जो महंगाई बढऩे की बात कहेगी। जब हम निजी चैनलों पर खबरों को लेकर भेदभाव के आरोप लगाते है तब सरकार के डीडी न्यूज चैनल से भी यह उम्मीद की जाती है कि वह सत्य के आसपास खबरों का प्रसारण करे। सरकार माने या नहीं लेकिन बाजार में महंगाई तेजी से बढ़ी है। हो सकता है कि वर्षा नहीं होने की वजह से सब्जियों की पैदावर पर फर्क हो इसलिए मंडियों में सब्जियां महंगी है, लेकिन जिस तरह दालों के भाव बढ़ रहे हैं, उससे सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती है। मुझे ध्यान है कि जब नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव में प्रचार कर रहे थे तब दालों के भाव बढऩे के संबंध में बार-बार कहा कि सरकार को एडवांस में विदेशों से दालें आयात कर लेनी चाहिए थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने ऐसा नहीं किया। अब यही सवाल मोदी के सामने है कि सरकार ने समय रहते दालों का आयात क्यों नहीं किया? सरकार माने या नहीं लेकिन बाजार में दाले 125 रुपए से लेकर 150 रुपए किलो तक के भाव से बिक रही हैं। जो चने की दाल 60 रुपए किलो थी वह अब 80 रुपए किलो तक पहुंच गई है। बेसन तो 100 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है। 15 किलो वजन का तेल का पीपा 1300 रुपए से बढ़कर 1800 रुपए तक पहुंच गया है। बाजार में महंगाई बढऩे से सरकारी कर्मचारियों को तो कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि समय-समय पर उनका वेतन बढ़ जाता है। लेकिन जो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार हैं उन्हें महंगाई के बढऩे से भारी परेशानी होती है। जिस तरह से डीजल और पेट्रोल के मूल्य रोजाना बढ़ रहे है उससे भी महंगाई में इजाफा हो रहा है। सरकार को महंगाई को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)  (18-06-2016)
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Friday 17 June 2016

जूते पहनकर पुलिस ने किया भूमि पूजन। पुलिस बड़ी या देवता।

#1471
जूते पहनकर पुलिस ने किया भूमि पूजन। पुलिस बड़ी या देवता।
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16 जून को अजमेर में नारेली बाईपास स्थित जीआरपी लाईन में अन्वेषण भवन के शिलान्यास में राजस्थान के डीजीपी मनोज भट्ट, रेंज की आईजी मालिनी अग्रवाल, जीआरपी के एसपी ओमप्रकाश आदि पुलिस अधिकारियों ने जूते पहनकर ही भूमि पूजन किया। भूमि पूजन के समय पुरोहित देवताओं का आव्हान कर रहे थे तब पुलिस के अधिकारी जूते पहनकर ही धार्मिक रस्में निभा रहे थे। भारतीय संस्कृति में जब धार्मिक आयोजन होते हैं तो संबंधित व्यक्ति नंगे पैर ही उपस्थित होकर धार्मिक कार्य सम्पन्न करते हैं, लेकिन राजस्थान के पुलिस अधिकारी स्वयं को देवताओं से भी बड़ा समझते हैं, इसीलिए धार्मिक आयोजनों में पहने रहते हैं। ऐसे में पुलिस का अन्वेषण भवन किस तरह बनेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
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(एस.पी. मित्तल)  (17-06-2016)
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रद्दी में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा। शिक्षा बोर्ड की सचिव मेघना चौधरी ने दिखाई हिम्मत।

#1470
रद्दी में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा। 
शिक्षा बोर्ड की सचिव मेघना चौधरी ने दिखाई हिम्मत।
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राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए 17 जून को बोर्ड की सचिव मेघना चौधरी ने हिम्मत दिखाते हुए पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया है। चौधरी की इस कार्यवाही से बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। बोर्ड इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है, जब इतनी बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया गया है। बोर्ड सचिव द्वारा पुलिस को लिखे पत्र में बताया गया कि वर्ष 2015 की उत्तर पुस्तिकाओं को रद्दी के रूप में बेचने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निविदा आमंत्रित की गई थी। तब यह माना गया कि उत्तर पुस्तिकाओं का वजन 590 टन होगा और बोर्ड को इससे एक करोड़ 19 लाख रुपए की आय होगी। इस अनुमान के आधार पर ही उत्तर प्रदेश के मुराबाद की फर्म मल्टीवाल पल्पस बोर्ड प्रा. लिमिटेड को बोर्ड परिसर से रद्दी उठाने के आदेश दिए गए थे। शर्तों के मुताबिक रद्दी का विक्रय करने के लिए बोर्ड अधिकारियों की एक टीम सदस्य कमेटी भी बनाई गई, लेकिन बाद में जांच के दौरान यह पता चला कि बोर्ड के खजाने में मात्र 225 टन रद्दी के 49 लाख 57 हजार रुपए ही जमा हुए है। इस जांच रिपोर्ट में ही संबंधित फर्म और बोर्ड अधिकारियों की कथित मिली भगत की बात सामने आई। हालांकि बोर्ड अधिकारियों ने अपने नजरिए से इस पूरे मामले में सफाई देने की कोशिश की, लेकिन सचिव मेघना चौधरी ने सभी दलीलों को नकारते हुए माना कि रद्दी बेचान में भ्रष्टाचार हुआ है। शुक्रवार को बोर्ड सचिव मेघना चौधरी ने कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानान्तरण आदेश जारी किए और कुछ अधिकारियों और कार्मिकों को उनके मूल विभाग के कार्यों के अतिरिक्त दायित्व सौंपे गए हैं। सम्पदा शाखा में आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। सम्पदा विभाग के सहायक निदेशक गोविन्द प्रसाद कोली को लेखा विभाग में, सम्पदा शाखा के अनुभाग अधिकारी प्यारे लाल तंवर और सहायक प्रथम गोवर्धन लाल पांड्या को शैक्षिक विभाग में स्थानान्तरित किया गया है। इसी प्रकार शिवशंकर अग्रवाल (उपनिदेशक, परीक्षा प्रथम) को उपसचिव सम्पदा का अतिरिक्त कार्यभार, विजेन्द्र चतुर्वेदी, (सहायक निदेशक परीक्षा-प्रथम) को सहायक निदेशक सम्पदा का अतिरिक्त कार्यभार और रामदेव जाट, अनुभाग अधिकारी परीक्षा द्वितीय को अनुभाग अधिकारी सम्पदा का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। उपनिदेशक गोपनीय कमल गर्ग से उपसचिव सम्पदा का अतिरिक्त कार्यभार वापस ले लिया गया है। 
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(एस.पी. मित्तल)  (17-06-2016)
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वंदना नोगिया को जिला प्रमुख नहीं मानते अजमेर के विधायक?

#1469
वंदना नोगिया को जिला प्रमुख नहीं मानते अजमेर के विधायक?
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17 जून को अजमेर जिला परिषद की साधारण सभा हुई। साधारण सभा से पूर्व जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने अजमेर के सभी विधायकों को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि 17 जून की बैठक में जिले के विधायक और सांसद ने भाग नहीं लिया। गंभीर बात यह है कि नोगिया जिस भाजपा की हैं उसी भाजपा के जिले में आठ में से सात विधायक हैं। लेकिन 17 जून को सिर्फ ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत ने कुछ देर के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। भाजपा के विधायकों के नहीं आने से ऐसा प्रतीत होता है कि वंदना नोगिया को ये विधायक जिला प्रमुख नहीं मानते हैं। जबकि ग्रामीण विकास में जिला परिषद की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अलबत्ता जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने साधारण सभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर यह जाहिर किया कि वे ग्रामीण विकास के प्रति गंभीर हैं। 
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(एस.पी. मित्तल)  (17-06-2016)
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जब सीएम दैनिक नवज्योति के सम्पादक चौधरी के घर आने की बात कर रही थीं, तब सीआई खिलैरी पत्रकार के साथ बदतमीजी कर रहा था। अब आईजी से शिकायत।

#1468
जब सीएम दैनिक नवज्योति के सम्पादक चौधरी के घर आने की बात कर रही थीं, तब सीआई खिलैरी पत्रकार के साथ बदतमीजी कर रहा था। अब आईजी से शिकायत।
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17 जून को अजमेर के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकारों ने रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल से मुलाकात की। इस मुलाकात में पत्रकारों ने आईजी को बताया कि 16 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जब राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक दीनबंधु चौधरी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके घर आने की बात कर रही थीं, तभी अजमेर के अलवर गेट पुलिस स्टेशन के सीआई भूराराम खिलैरी वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र चौहान के साथ बदतमीजी कर रहा था।  चौहान ने खिलैरी से विनम्रता के साथ कहा भी कि मैं दैनिक नवज्योति में समाचार सम्पादक के पद पर बरसों तक कार्यरत रहा हंू। मैं अजयमेरु प्रेस क्लब का अध्यक्ष भी रहा। चौहान चाहते थे कि उनके पाल बीसला स्थित भूखंड पर जो लोग कब्जा करना चाहते हैं उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए, लेकिन इसे सीआई खिलैरी की दिलेरी ही कहा जाएगा कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ चौहान रिपोर्ट लिखाने आए थे, उन्हीं व्यक्तियों से खिलैरी गले में हाथ डालकर संवाद कर रहे थे। इसके विपरीत वरिष्ठ पत्रकार चौहान को उस बैंच पर बैठा दिया गया, जिस पर अपराधियों को बैठाया जाता है। इतना ही नहीं जब चौहान ने अपने पत्रकार साथियों से फोन पर संवाद करने की कोशिश की तो सीआई खिलैरी ने बदतमीजी से कहा कि इस थाने में वो ही होगा जो मैं चाहंूगा। कोईपत्रकार या मंत्री तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। चौहान के यह समझ में नहीं आ रहा था कि सीआई खिलैरी उन्हें ही क्यों अपराधी मान रहे हैं, जबकि वे तो पीडि़त हैं। पत्रकारों ने आईजी अग्रवाल को बताया कि सीआई खिलैरी ने आरोपी सुमित पवार और बिजली निगम जेईएन अमित पवार को तो अपने कक्ष में कुर्सियों पर बैठाया और दैनिक नवज्योति के समाचार सम्पादक रहे चौहान को अपराधियों की तरह बैंच पर तीन घंटे तक बैठाए रखा। बाद में बड़ी मुश्किल से चौहान की रिपोर्ट दर्ज की गई। इस रिपोर्ट के साथ ही सीआई खिलैरी ने आरोपियों की ओर से भी चौहान के विरुद्ध एक रिपोर्ट दर्ज कर ली। चौहान का कहना है कि 16 जून की सुबह जब वे अपने भूखंड की चार दीवारी करने पहुंचे तो सुमित पंवार, अमित पंवार ने उनके साथ मारपीट की तथा श्रमिक छोटेलाल को लहूलुहान कर दिया। 
पत्रकारों के शिष्टमंडल ने दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक और जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष तथा अजयमेरु प्रेस क्लब की ओर से आईजी को पत्र देते हुए आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की। आईजी अग्रवाल ने भरोसा दिलाया कि इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाने के साथ-साथ सीआई खिलैरी के व्यवहार की भी जांच की जाएगी। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि वरिष्ठ पत्रकार चौहान के साथ पुलिस स्टेशन पर सम्मान पूर्वक व्यवहार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हर प्रशिक्षण में पुलिस के अधिकारियों को आमजन के साथ सद्व्यवहार करने की सीख दी जाती है।
एएसआई कुछ नहीं समझता मंत्री को:
जब सीआई खिलैरी ने पत्रकार चौहान के साथ बदतमीजी की तो एएसआई बुद्धाराम भी पीछे नहीं रहा। बुद्धाराम ने चौहान को धमकाते हुए कहा कि इस क्षेत्र की भाजपा विधायक और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल रोजाना टेलीफोन कर पुलिस के कामकाज में दखल देती हैं। हम तो मंत्री की भी परवाह नहीं करते। अलवर गेट थाने पर सरकार के मंत्री की नहीं, हमारे सीआई खिलैरी की चलती है। मंत्री तो रोज ऐसे ही फोन करते रहते हैं। एएसआई बुद्धाराम की बात सुनकर आईजी को भी आश्चर्य हुआ। आईजी का कहना रहा कि एएसआई बुद्धाराम को खुलेआम मंत्री के बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिए था। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपराध की बीट कबर करने वाले पत्रकारों ने आईजी को बताया कि अलवर गेट पुलिस स्टेशन में क्या क्या कारनामे हो रहे हैं। किस तरह भूमाफिया, अपराधियों और असामाजिक तत्वों का पुलिस के साथ गठजोड़ है। 
प्रतिनिधि मंडल में शामिल पत्रकार:
आईजी से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण के सम्पादक डॉ. रमेश अग्रवाल, राजेन्द्र गुंजल, राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ संवाददाता सचिन मुद्गल, दैनिक नवज्योति के विक्रम चौधरी, रजनीश शर्मा, पंजाब केसरी के नवाब हिदायतउल्ला, जी मरुधरा चैनल के संभाग प्रभारी मनवीर सिंह, अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष एस.पी.मित्तल, महासचिव प्रताप सनकत, सत्यनारायण झाला, आनंद शर्मा, फरहाद सागर, मनीष सिंह, अमरकांत मिश्रा, अतुल सिंह, धर्मेन्द्र प्रजापति, जी.एस.बिर्दी, अनिल गुप्ता, राजकुमार पारीक, राजेन्द्र गांधी आदि शामिल थे। 
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(एस.पी. मित्तल)  (17-06-2016)
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आखिर कैराना में क्यों नहीं निकल सकती निर्भय और सद्भावना यात्रा? रमजान माह में भी दहशत का माहौल।

#1467
आखिर कैराना में क्यों नहीं निकल सकती निर्भय और सद्भावना यात्रा?
रमजान माह में भी दहशत का माहौल।
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इन दिनों रमजान माह चल रहा है, इस पवित्र माह के दिनों में इबादत का खास महत्त्व होता है। अधिकांश मुस्लिम भाई रोजा रखते हैं। देशभर में हिन्दू भाईयों द्वारा इफ्तार पार्टी आयोजित की जा रही है। मुस्लिम भाइयों को पिंड खजूर और दूसरे फल खिलाकर रोजा तुड़वाने में हिन्दू भाई कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रमजान माह के ऐसे माहौल में 17 जून को यूपी के शामली जिले के कैराना शहर में न तो निर्भय यात्रा और न सद्भावना यात्रा निकल सकी। निर्भय यात्रा भाजपा के विधायक संगीत सोम तथा सद्भावना यात्रा सपा के अतुल प्रधान के नेतृत्व में निकली थी।लेकिन शामली के डीएम ने सम्पूर्ण क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी और दोनों ही यात्राओं को रोक दिया। सवाल यात्राओं के रुकने का नहीं है। अहम सवाल यह है कि आखिर कैराना का माहौल क्या वाकई दहशतपूर्ण हो गया है। हो सकता है कि दोनों ही यात्राओं का मकसद राजनीति से जुड़ा हो, लेकिन क्या इन यात्राओं को निकालने के बाद कैराना का माहौल खराब हो सकता था? इतना तो तय है कि यदि कैराना का माहौल शांतिपूर्ण होता तो दोनों यात्रा को निकलने दिया जाता। यूपी की अखिलेश सरकार बार-बार यह दावा कर रही है कि कैराना में साम्प्रदायिकता के आधार पर पलायन नहीं हुआ है। यानि जिन हिन्दुओं ने कैराना छोड़ा है वे अपनी मर्जी से गए हैं। चूंकि यूपी में सपा का शासन है, इसलिए कैराना में माहौल को शांत बताया ही जाएगा। लेकिन 17 जून को सरकार के इस दावे की पोल तब खुल गई, जब निर्भय और सद्भावना यात्रा को रोका गया। यदि कैराना के हालात सामान्य होते तो इन दोनों यात्राओं को कैराना पहुंचने दिया जाता। 
कश्मीर जैसे हालात न बने:
यूपी की अखिलेश सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि कैराना और यूपी के अन्य शहरों के हालात कश्मीर जैसे नहीं बनने चाहिए। यदि हिन्दू समुदाय ने भय और आतंक की वजह से पलायन किया है तो सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। 25 वर्ष पहले जब कश्मीर घाटी में भी हिन्दुओं ने भय और आतंक की वजह से पलायन शुरू किया था, तब भी सरकारों ने कहा था कि पलायन साम्प्रदायिकता के आधार पर नहीं है। यही वजह रही कि धीरे-धीरे सम्पूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई। यदि 25 वर्ष पहले घाटी में हिन्दुओं को संरक्षण दिया जाता तो आज कश्मीर के हालात इतने बदत्तर नहीं होते। अखिलेश सरकार को कश्मीर के हालातों से सबक लेना चाहिए। यूपी में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। कैराना के मुद्दे पर भाजपा और सपा की झोलियां वोटों से भर सकती हंै। लेकिन यूपी में सरकार बना लेना ही सब कुछ नहीं है। हमें देश की एकता और अखंडता को ध्यान में रखते हुए राजनीति करनी चाहिए। 
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(एस.पी. मित्तल)  (17-06-2016)
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Thursday 16 June 2016

रोग निदान के लिए अभी मोदी सरकार आयुर्वेदिक दवा दे रही है। कांग्रेस शायद एलोपैथिक चाहती है। देश के वर्तमान हालात पर जैन आचार्य वसुनंदी महाराज की दो टूक।

#1465
रोग निदान के लिए अभी मोदी सरकार आयुर्वेदिक दवा दे रही है। कांग्रेस शायद एलोपैथिक चाहती है। देश के वर्तमान हालात पर जैन आचार्य वसुनंदी महाराज की दो टूक। 
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अजमेर में जैन धर्म के क्रांतिकारी और ऐतिहासिक काम करने के बाद आचार्य वसुनंदी महाराज 16 जून को इस धार्मिक नगरी से विहार कर गए। नाका मदार स्थित श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र से रवाना होने से पूर्व आचार्य वसुनंदी से मैंने देश के वर्तमान हालातों पर विस्तृत चर्चा की। आमतौर पर साधु, संत अपने विचारों को मीडिया के सामने अपने नजरिए से रखते हैं, लेकिन मैंने यह महसूस किया कि आचार्य वसुनंदी ने अपने विचार देश के वर्तमान हालातों को देखते हुए रखे। आचार्य ने इस बात को स्वीकार किया कि वर्तमान समय में व्यापारी वर्ग आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। इसलिए कांग्रेस भाजपा की सरकार पर विफलता के आरोप लगा रही है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भाजपा ऐसे आरोप लगाती थी। लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि समस्याओं के निदान में नरेन्द्र मोदी की सरकार आयुर्वेदिक पद्धति का इस्तेमाल कर रही है। जबकि कांग्रेस एलोपैथिक पद्धति का इलाज चाहती है। आयुर्वेद की दवाओं का असर धीरे, लेकिन स्थाई होता है। जबकि एलोपैथी दवा का असर तत्काल होता है, लेकिन रोग के दोबारा उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। 
राजनीति में धर्म का होना जरूरी है:
आचार्य वसुनंदी ने कहा कि वो ही देश तरक्की कर सकता है, जहां की राजनीति में धर्म होता है। उन्होंने कहा कि धर्म में कभी भी राजनीति नहीं आनी चाहिए। हमारी संस्कृति में धर्म के अनुरूप ही शासन होता आया है। धर्म न केवल राजनीति को शुद्ध रखता है, बल्कि आत्म अनुशासन को भी बल देता है। देश में इन दिनों हिन्दू और मुसलमानों को लेकर राजनीति हो रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। दोनों ही समुदायों में धर्म में राजनीति को जबरन घुसेड़ा जा रहा है। जिसके लगातार सामने आ रहे हैं। कोई यह कहे कि भारत को मुसलमान मुक्त बनाया जाएगा और कहीं मुसलमानों के डर से हिन्दुओं का पलायन हो रहा है तो यह दोनों ही हालात देश के हित में नहीं। जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबका साथ सबका विकास का नारा देते हैं तो फिर हिन्दू और मुसलमान का विवाद होना ही नहीं चाहिए। जो लोग मुस्लिम समुदाय में कमियां देखते हैं,उन्हें चाहिए कि वे मुस्लिम समुदाय में आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करें। शिक्षित होने पर कोई भी व्यक्ति आत्मघाती काम नहीं करता।
शब्द की ताकत:
आचार्य वसुनंदी ने माना कि आज शब्द की ताकत बहुत बड़ी है। शब्द से जहां रस की अनुभूति होती है, तो वहीं विष का एहसास ही कराया जा सकता है। शब्द मित्र को भी दुश्मन और दुश्मन को मित्र बना सकता है। समझदार लोग सोच समझकर शब्दों का उपयोग करते हैं। नासमझ लोग शब्द का उपयोग इस तरह करते हैं, जिससे उनका विरोध बढ़ता चला जाता है, शब्द हमें डूबो सकता है और शब्द ही हमें तैरा सकता है। इसलिए शब्द के महत्त्व को हर इंसान को समझना चाहिए। 
धर्म के अनुरूप हो आचरण:
आचार्य वसुनंदी ने कहा कि हर व्यक्ति का आचरण धर्म के अनुरूप होना चाहिए। जो लोग धर्म के अनुरूप जीवन यापन करते हैं, उनके जीवन में कभी भी कष्ट नहीं होता। वहीं धर्म के विपरीत आचरण करने वाले जीवन भर कष्ट पाते हैं। भगवान धन तो सबको देता है, लेकिन धनवान वो ही है, जो धार्मिक कार्यों पर भी खर्च करें। इस मामले में अजमेर का जैन समुदाय भाग्यशाली है। यहां के लोग धर्म की पताका फहराने के लिए करोड़ों रुपया खर्च कर सकते हैं। आज अजमेर में भगवान शांतिनाथ महाराज की जो 54 फीट ऊंची विश्वविख्यात प्रतिमा लगने जा रही है, वह भी अजमेर के लोगों का धार्मिक आचरण है। आने वाले समय में अजमेर का नाका मदार क्षेत्र विश्व विख्यात होगा। यह पहला स्थान होगा, जहां एक पाषाण की 54 फीट ऊंची प्रतिमा के साथ साथ सभी 24तीर्थंकरों की प्रतिमा लग रही है। अजमेर के जैन समाज के लोगों की भावनाओं के अनुरूप ही मेरे सान्निध्य में जिन शासन क्षेत्र में न केवल मंदिर स्थापित हुआ, बल्कि धार्मिक गतिविधियां भी बढ़ी। इस क्षेत्र में 12 टन वजन और 11 फुट ऊंची तीर्थंकरों की प्रतिमाएं एक साथ लगाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन अजमेर के जैन समाज में यह काम कर दिखाया है। 
पैदल विहार:
16 जून को आचार्य वसुनंदी ने अपने शिष्यों के साथ जयपुर के लिए विहार कर दिया। जैन समाज के लागों ने आंखों में आसंू लाते हुए आचार्य वसुनंदी को भावभीनी विदाई दी। आचार्य अब किशनगढ़, नरेना, फुलेरा होते हुए जयपुर पहुंचेंगे। इस भीषण गर्मी में नंगे पैर चलना मुश्किल होता है, तब आचार्य आग उगलती सड़क और उबड़ खाबड़ मार्ग पर चलते हुए 24 जून तक जयपुर पहुंचेंगे। जयपुर में 26 जून को होने वाले धार्मिक समारोह में आचार्य वसुनंदी इस बात का संकेत देंगे कि इस बार चार्तुमास किस स्थान पर किया जाए। 
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(एस.पी. मित्तल)  (16-06-2016)
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गंदे अजमेर को स्वच्छ करो। वीडियो कॉन्फ्रेंस में सीएम राजे ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कहा। कलेक्टर गौरव गोयल की पीठ थपथपाई।

#1466
गंदे अजमेर को स्वच्छ करो। वीडियो कॉन्फ्रेंस में सीएम राजे ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से कहा। कलेक्टर गौरव गोयल की पीठ थपथपाई। 
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मानती है कि अजमेर शहर गंदा है। स्वच्छता अभियान के अंतर्गत अजमेर में बड़े पैमाने पर सफाई का काम होना चाहिए। सीएम राजे ने अपनी यह भावनाएं 16 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए व्यक्त की। अजमेर में प्रदेश के पहले टॉय बैंक की स्थापना के अवसर पर 16 जून को अजमेर में जो कार्यक्रम हुआ, उसी उपलक्ष में सीएम राजे ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अजमेर के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ सीधा संवाद किया। वीसी में अजमेर के आईटी केन्द्र पर दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक दीनबंधु चौधरी भी उपस्थित थे। सीएम राजे ने चौधरी से कहा कि ऐतिहासिक आनासागर झील के किनारे पाथ-वे का निर्माण करवाया जावे, ताकि वे पाथ वे पर चलकर चौधरी के घर पर आ सकें। इस पर चौधरी ने कहा कि मैडम पाथ-वे का निर्माण तो सरकार को ही करवाना है। चौधरी का जवाब सुनने के बाद सीएम ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल को निर्देश दिए कि झील के चारों तरफ पाथ-वे के निर्माण की योजना बनाई जाए। सीएम ने कहा कि प्राकृतिक दृष्टि से अजमेर एक खूबसूरत शहर है, लेकिन अजमेर  गंदा रहता है। 
वीसी में सीएम राजे ने कलेक्टर गोयल की जमकर प्रशंसा की। सीएम ने कहा कि कलेक्टर गोयल ने महिलाओं खासकर बालिकाओं के लिए सैनेट्री नेपकीन और गरीब बच्चों के लिए टॉय बैंक की जो शुरुआत की है उसे प्रदेश भर में लागू किया जाएगा। उन्होंने कलेक्टर को सुझाव दिया कि वे जरुरतमंद लोगों के लिए कपड़ा बैंक की भी शुरुआत करें। साथ ही मोबाइल लाइब्रेरी भी शुरू की जाए। कलेक्टर गोयल ने सीएम को भरोसा दिलाया कि 15 अगस्त से पहले पहले इन दोनों कार्यों की शुरुआत कर दी जाएगी। 
लखावत को जयपुर बुलाया:
वीसी में अजमेर केन्द्र पर राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकर सिंह लखावत भी उपस्थित थे। लखावत को देखते ही सीएम राजे ने कहा कि आपके पास तो भगवान को खुश करने का काम है तो फिर आप अजमेर में क्या कर रहे हैं? इस  पर लखावत ने कहा कि मैडम में तो स्वयं आपसे मिलने के इंतजार में बैठा हंू। इस पर सीएम ने अपने पास खड़े ओएसडी गजानंद शर्मा को निर्देश दिए कि लखावत से मुलाकात का समय निर्धारित किया जाए। लखावत ने अपनी ओर से कहा कि वे 17 जून को ही मिलने आ जाएंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण की ओर से लखावत प्रदेशभर के धार्मिक स्थलों का पुर्नद्धार करवा रहे हैं। वीसी में अजमेर केन्द्र पर राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, एडीए अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, देहात भाजपा अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव के साथ-साथ डीसी हनुमान सहाय मीणा, आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल आदि भी उपस्थित रहे। 
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भिजवाएं खिलौने:
सीएम की वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद सूचना केन्द्र के सभागार में एक समारोह आयोजित हुआ। इस समारोह में जिलेभर से आई आंगनबाड़ी केन्द्रों की संचालिकाओं को नए और पुराने खिलौने दिए गए। कलेक्टर ने उन सभी सामाजिक संस्थाओं का आभार प्रकट किया, जिन्होंने बड़ी मात्रा में अपने घरों के खिलौने जमा करवाए हैं। कलेक्टर ने कहा कि सम्पन्न परिवारों मे ंऐसे अनेक खिलौने होते हैं जो अब उनके बच्चों के काम नहीं आ रहे है। ऐसे लोग टॉय बैंक में खिलौने जमा करवा सकते हैं। 
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(एस.पी. मित्तल)  (16-06-2016)
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Wednesday 15 June 2016

दो हजार 27 अभ्यर्थी देंगे आरएएस 13 का इंटरव्यू। आखिर आयोग अध्यक्ष पंवार ने अपना वायदा पूरा किया।

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दो हजार 27 अभ्यर्थी देंगे आरएएस 13 का इंटरव्यू। आखिर आयोग अध्यक्ष पंवार ने अपना वायदा पूरा किया। 
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राजस्थान लोक सेवा आयोग ने 15 जून की शाम को राजस्थान प्रशासनिक एवं अधिनस्थ सेवा परीक्षा 2013 का परिणाम घोषित कर दिया। आयोग को 990 पदों पर आरएएस की भर्ती करनी है। इसके लिए मुख्य परीक्षा में 2 हजार 27 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए पात्र घोषित किया है। यानी अब दो हजार 27 अभ्यर्थियों में से 990 अभ्यर्थियों का चयन होना है। 
परिणाम की घोषणा के साथ ही आयोग के अध्यक्ष ललित के.पंवार ने अपना वायदा पूरा कर दिया है। आयोग ने मुख्य परीक्षा गत 9 से 12 अप्रैल के बीच आयोजित की थी। इस परीक्षा में 24 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया। तब अध्यक्ष पंवार ने कहा था कि आगामी दो माह में परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। 15 जून को परिणाम घोषित कर पंवार ने अपना वायदा पूरा किया है। संभवत: आयोग के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब आरएएस जैसी महत्त्वपूर्ण परीक्षा का परिणाम मात्र दो माह में घोषित कर दिया। जानकारों के अनुसार ऐसी परीक्षाओं का परिणाम निकालने में छह माह लग ही जाते हैं। वैसे भी आरएएस 2013 की परीक्षा को शुरू से ही विवादों में रही है। पहले इस परीक्षा को नकल होने की वजह से रद्द किया गया तो फिर विभिन्न कारणों से यह परीक्षा टलती रही। इस परीक्षा को लेकर आयोग अध्यक्ष पंवार शुरू से ही इस परीक्षा को लेकर चिंतित रहे। यही वजह रही कि मुख्य परीक्षा के परिणाम में विभिन्न न्यायालयों के आदेशों, सरकार के आरक्षण के प्रावधानों आदि का ध्यान रखते हुए परिणाम की घोषणा की गई है। पंवार यह नहीं चाहते हैँ कि इंटरव्यू से पहले परीक्षा परिणाम को अदालत में चुनौती दी जाए। आयेाग अध्यक्ष पंवार ने मुख्य परीक्षा के परिणाम के साथ ही अगस्त में इंटरव्यू करवाने की भी घोषणा कर दी है। आयोग के अधिकारी और सदस्य भी मानते हैं कि अध्यक्ष पंवार की वजह से मुख्य परीक्षा का परिणाम इतनी जल्दी घोषित हुआ है। 
(एस.पी. मित्तल)  (15-06-2016)
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राजस्थान में भ्रष्ट अफसर रोज हो रहे हैं ट्रेप। फिर भी नहीं हो रहा डर। कुछ तो शर्म महसूस करें रिश्वत खोर।

#1463
राजस्थान में भ्रष्ट अफसर रोज हो रहे हैं ट्रेप। फिर भी नहीं हो रहा डर। कुछ तो शर्म महसूस करें रिश्वत खोर। 
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15 जून को भी एसीबी ने जयपुर विकास प्राधिकरण के एक राजस्व निरीक्षक सुरेश परेवा को एक लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह रिश्वत एक प्लाट पर कब्जा दिखाने की एवज में ली जा रही थी। 14 जून को एसीबी ने कोटा टोंक, देवली तथा जमारामगढ़ में कार्यवाही करते हुए 6 रिश्वतखोरों को रंगे हाथों पकड़ा। रिश्वतखोरों के पकड़े जाने का सिलसिला अब राजस्थान में रोजाना हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों में कोई डर नहीं है। जिस तरह से एसीबी रोजाना छापामार कार्यवाही कर भ्रष्टाचारियों को पकड़ रही है, उससे जाहिर हो रहा है कि भ्रष्टाचारियों को डर नहीं है। इससे इस बात का अंदाजा भी लगा लेना चाहिए कि राजस्थान के प्रशासनिक तंत्र में कोई काम बिना रिश्वत के नहीं होता। हर सरकारी कर्मचारी और अधिकारी को सामान्य काम में भी रिश्वत नहीं देते हैं, उनकी फाइलों में विपरीत टिप्पणियां लिख दी जाती है। सरकार अब रिश्वत देने वाले को भी अपराधी बनाने का कानून ला रही है। लेकिन भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र में यदि रिश्वत न दी जाए तो संबंधित व्यक्ति का काम भी नहीं होता है। शर्मनाक बात तो यह है कि जब राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार के सारे मंत्री और विधायक यह दावा करते हैं कि वे ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं तो फिर अफसरशाही पर अंकुश क्यों नहीं लग रहा? कोई माने या नहीं, लेकिन यह सही है कि लोकतंत्र में यदि सांसद, विधायक और मंत्री ईमानदारी से काम कर लें तो अफसरशाही रिश्वत खाने की हिम्मत नहीं कर सकती है। आम लोगों के जो काम सरकार के नियमों के अंतर्गत होने चाहिए, उन कामों को सांसद और विधायक क्यों नहीं करवाते? असल में विधायकों और मंत्रियों में इतनी नैतिक हिम्मत नहीं है कि वे अफसरों को नियमों के अनुरूप काम करने के लिए मजबूर करें। कई विधायक और मंत्री तो अफसरशाही के आगे गिड़गिड़ाते नजर आते हैं। यदि सांसद, विधायक और मंत्री ईमानदार होकर किसी काम के लिए कहे तो अफसर की इतनी हिम्मत नहीं कि वह रिश्वत मांग ले। दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि मंत्रियों के कहने के बाद भी प्रशासनिक तंत्र में रिश्वत वसूली जाती है। यह माना कि अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एसीबी को भ्रष्टाचारियों को पकडऩे की स्वतंत्रता दे दी है, लेकिन सरकार को इस बात पर भी गहनता के साथ विचार करना चाहिए कि आखिर प्रशासनिक तंत्र में इतना भ्रष्टाचार क्यों है?
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(एस.पी. मित्तल)  (15-06-2016)
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आखिर अजमेर के भिनाय में ही बनेगा राजकीय मॉडल स्कूल।

#1461
आखिर अजमेर के भिनाय में ही बनेगा राजकीय मॉडल स्कूल।
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अफसरशाही की लाख अड़ंगेबाजी के बावजूद केन्द्र सरकार की योजना के अंतर्गत अजमेर जिले के भिनाय ब्लॉक में ही राजकीय मॉडल स्कूल बनेगा। इसे भिनाय की ग्राम विकास मंच समिति की जीत माना जा रहा है। समिति के अध्यक्ष डी.एल.त्रिपाठी ने बताया कि केन्द्र सरकार की योजना के अंतर्गत शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े और एससी, एसटी की आबादी के मद्देनजर राजकीय मॉडल स्कूल भिनाय ब्लॉक में खोलने का निर्णय लिया गया था। लेकिन क्षेत्र के राजस्व अधिकारी ने लिख दिया कि इस ब्लॉक में चार एकड़ भूमि उपलब्ध नहीं है। ऐसे में स्कूल को भिनाय के बजाए बांदनवाड़ा में स्थानांतरित कर दिया जाए। अफसरशाही के इस निर्णय का ग्राम विकास मंच ने विरोध किया और लम्बी लड़ाई लड़ जिला कलेक्टर से पशुपालन विभाग को आवंटित 17 एकड़ भूमि में से 4 एकड़ भूमि आवंटित करवा ली। लेकिन इसके लिए पशुपालन विभाग से अनुमति की शर्त लगा दी गई। एक बार फिर पशुपालन विभाग के अफसरशाही से जद्दोजहद की गई। जब पशुपालन विभाग से भी अनुमति मिल गई तो राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भिनाय में मॉडल स्कूल खोलने के प्रस्ताव को ही निरस्त कर दिया। इसमें एक बार फिर ग्राम वासी निराश हो गए। लेकिन एक बार फिर शिक्षा परिषद में भी जद्दोजहद की गई और अब शिक्षा परिषद ने भी भिनाय में ही मॉडल स्कूल खोलने का निर्णय ले लिया है। त्रिपाठी ने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था के कारण ग्रामीणों को अपने अधिकार मिलना भी मुश्किल हो रहा है। इस पूरे संघर्ष में विकास मंच से जुड़े प्रकाश आचार्य, एस.एन.कछोट, मिश्रीलाल, सुरेश कुमार जोशी आदि की सक्रिय भूमिका रही है। इस पूरे घटना क्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि यदि ग्रामीण एकजुट होकर संघर्ष करें तो अफसरशाही पर भी जीत हासिल की जा सकती है। त्रिपाठी ने उम्मीद जताई है कि अब कोई अड़ंगेबाजी नहीं होगी और शीघ्र ही अजमेर जिले के भिनाय ब्लॉक में राजकीय मॉडल स्कूल का निर्माण शुरू हो जाएगा। 
(एस.पी. मित्तल)  (15-06-2016)
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धरना प्रदर्शन का सरकार पर कोई फर्क नहीं। राज्यमंत्री देवनानी ने शिक्षकों से दो टूक कहा।

#1462
धरना प्रदर्शन का सरकार पर कोई फर्क नहीं। राज्यमंत्री देवनानी ने शिक्षकों से दो टूक कहा।
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पातेय वेतन शिक्षकों की समस्याओं को लेकर 15 जून को शिक्षकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी से मुलाकात की। इस मुलाकात में देवनानी ने शिक्षक प्रतिनिधियों से दो टूक शब्दों में कहा कि धरना-प्रदर्शन का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ता है। राजस्थान के पातेय वेतन शिक्षकों को पदोन्नति की प्रक्रिया में शामिल नहीं करने के विरोध में शिक्षक संभाग मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हंै। आंदोलन के दौरान ही 15 जून को शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने देवनानी से उनके अजमेर स्थित निवास पर मुलाकात की। देवनानी ने दो टूक शब्दों में कहा कि शिक्षा विभाग में पातेय वेतन शिक्षक हैं ही नहीं। प्रदेश में सरकार के मापदंडों के अनुरूप शिक्षक हैं और उसी के अनुरूप पदोन्नति हो रही है। पिछली कांग्रेस सरकार ने दोष पूर्ण तरीके से कुछ शिक्षकों को व्याख्याता और प्रधानाध्यापक के पद पर अस्थाई तौर पर लगा दिया, इसका यह मतलब नहीं कि ऐसे तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति हो गई। उन्होंने कहा कि पदोन्नति की एक प्रक्रिया है और उसी के अनुरूप सरकार काम करेगी। बैठक में शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने देवनानी से कहा कि यदि पिछली सरकार ने कोई गलती की है तो उसका दंड अब हमें क्यों दिया जा रहा है। जो शिक्षक पिछले सात साल से प्रधानाध्यापक और व्याख्याता के पद पर काम कर रहा है, उसे यदि वापस तृतीय श्रेणी का शिक्षक बना दिया जाएगा तो फिर उसे अपने ही स्कूल में अपमानित होना पड़ेगा। सरकार को पदोन्नति की प्रक्रिया ऐसी बनानी चाहिए, जिसमें सभी प्रकार के शिक्षकों को शामिल किया जाए। इस वार्ता में दिनेश शर्मा, विजय सिंह गौड, सूरजमल वर्मा, अशोक कुमार जयसवाल, रूपचन्द्र पांड्या, श्रीमती नीलम मीणा, श्रीमती अनिता सिंह, कैलाश वैष्णव, गुरु प्रसाद, हीरालाल गुर्जर, राजेन्द्र सिंह टेलर आदि शिक्षक प्रतिनिधि उपस्थित थे। वार्ता के बाद शिक्षकों ने शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी के रुख पर अफसोस जाहिर किया है। प्रतिनिधियों ने कहा कि अब संभाग मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। 
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Tuesday 14 June 2016

सत्तर हजार बेरोजगारों की भी नहीं सुन रही वसुंधरा सरकार। 17 जुलाई से ही स्कूली व्याख्याता की परीक्षा कराने पर आमादा।

#1460
सत्तर हजार बेरोजगारों की भी नहीं सुन रही वसुंधरा सरकार। 17 जुलाई से ही स्कूली व्याख्याता की परीक्षा कराने पर आमादा। 
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उम्मीद तो यही थी कि राजस्थान में वसुंधरा राजे और केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने पर बेरोजगार युवाओं को राहत मिलेगी। लेकिन इस अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि मोदी और वसुंधरा के नेतृत्व में सरकार होने के बाद भी राजस्थान के 70 हजार बेरोजगारों की सुनने वाला कोई नहीं है। 70 हजार बेरोजगारों को राहत मिले इसके लिए भाजपा के सांसद और विधायक चिल्ला रहे हैं। झुंझुनू से लोकसभा की भाजपा सांसद संतोष अहलावत ने सरकार और राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ललित के.पंवार को पत्र लिखकर आग्रह किया कि स्कूली व्याख्याता की परीक्षा आगामी 17 जुलाई से शुरू नहीं की जाए। 
इस पत्र में कहा गया कि राजस्थान में विभिन्न विश्वविद्यालय ने एमए अंतिम वर्ष की परीक्षा का परिणाम अभी तक नहीं निकाला तथा 25 जुलाई से पहले परिणाम आने की उम्मीद भी नहीं है, जब कि नियमों के मुताबिक अभ्यर्थी जिस दिन परीक्षा देगा उस दिन एमए उत्तीर्ण होना जरूरी है। ऐसे में यदि 17 जुलाई से ही स्कूली व्याख्याता की परीक्षा शुरू की गई तो करीब 70 हजार अभ्यर्थी परीक्षा से वंचित हो जाएंगे। भाजपा की सांसद ने यह पत्र 28 मई को ही लिख दिया था। लेकिन न तो वसुंधरा राजे सरकार और न राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ललित के पंवार पर कोई असर हुआ है। 
उल्टे आयोग ने स्कूली व्याख्याता की परीक्षा की तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी है। शायद आयोग के अध्यक्ष पंवार को भी यह पता है कि वसुंधरा राजे के शासन में 70 हजार बेरोजगारों की कोई सुनवाई नहीं होगी। पंवार को भी बेरोजगारों के हितों के बजाए सरकार के रुख के अनुरूप ही काम करना है। नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे की मेहरबानी से ही आईएएस से सेवानिवृत्ति के बाद पंवार को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। इसलिए पंवार को बेरोजगारों के हितों के बजाए सरकार के रुख पर चलना है। 
13 हजार पदों के लिए 6 लाख आवेदन:
आयोग को स्कूली व्याख्याता के 13 हजार पदों पर भर्ती करनी है। इसके लिए आयोग के पास करीब 6 लाख आवदेन आए हैं। इसमें से करीब 70 हजार ऐसे आवेदक हैं, जिनका एमए अंतिम वर्ष की परीक्षा का परिणाम आना है। 
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(एस.पी. मित्तल)  (14-06-2016)
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