Sunday 31 October 2021

तो क्या अशोक गहलोत की सरकार के बचे रहने पर ओएसडी देवाराम सैनी ने खोले के हनुमानजी के मंदिर में प्रसादी का आयोजन किया?इस प्रसादी के आयोजन में खुद सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस के निर्दलीय विधायक, आईएएस, आईपीएस आदि बड़ी संख्या में शामिल हुए। सात घंटे तक अफसरों और विधायकों का मेला।सरकार गिराने के प्रयासों के आरोपी भाजपाइयों को नहीं बुलाया।

30 अक्टूबर को जयपुर में खोले के हनुमान जी के मंदिर में एक भव्य प्रसादी का आयोजन हुआ। इस प्रसादी प्रोग्राम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी पत्नी श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ उपस्थित हुए। मुख्यमंत्री की उपस्थिति की वजह से ही अनेक मंत्री भी शामिल हुए। हालांकि यह धार्मिक आयोजन बताया गया, लेकिन इसमें सत्तारूढ़ कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया। जयपुर में जो भी आईएएस और आईपीएस तैनात है वे भी सभी इस प्रसादी में शामिल हुए। आईएएस और आईपीएस इस प्रसादी में शामिल होकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। दोपहर एक बजे से शुरू होकर शाम सात बजे तक चले इस प्रोग्राम में दिन भी राजनीति और प्रशासनिक तंत्र का मेलजोल चलता रहा। सवाल उठता है कि आखिर इतना बड़ा आयोजन किसने किया? और ऐसा कौन सा ताकतवर व्यक्ति है जिसके निमंत्रण पर खुद सीएम और मंत्री तथा आईएएस, आईपीएस लाइन   बनाकर खड़े रहे? दमदार बात तो यह है कि इस प्रसादी की सूचना वाट्सएप पर मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी देवाराम सैनी ने दी। सैनी ने अपने नाम के नीचे सीएम का ओएसडी भी नहीं लिखा, क्योंकि जिन मंत्रियों,विधायकों और बड़े अधिकारियों के मोबाइल पर सूचना दी गई, उन सबके फोनों में देवाराम सैनी का नंबर दर्ज है। सबको पता है कि सीएमआर में देवाराम के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है। सीएम गहलोत वो ही देखते और सुनते हैं जो देवाराम सैनी चाहते हैं। हालांकि देवाराम आरएएस स्तर के अधिकारी है, लेकिन सरकार में उनकी मुख्य सचिव निरंजन आर्य से भी ज्यादा चलती है। देवाराम सैनी ने वाट्सएप पर जो सूचना भिजवाई उसमें यह नहीं बताया कि किस वजह से हनुमानजी के मंदिर में प्रसादी रखी गई है। पारिवारिक कारणों से प्रसादी होती तो कांग्रेस और सभी निर्दलीय विधायकों को क्यों बुलाया जाता? पारिवारिक प्रसादी में आईएएस और आईपीएस भी इतनी संख्या में भाग नहीं लेते। जहां तक सीएम गहलोत के शामिल होने का सवाल है तो सैनी के पारिवारिक कार्यक्रम में वे शामिल हो सकते थे, क्योंकि दोनों एक ही जाति के हैं। हर बड़ा आदमी अपनी जाति के लोगों का ख्याल तो रखना ही है। चूंकि निमंत्रण में प्रसादी का कारण नहीं लिखा, इसलिए यही माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के बचे रहने पर यह भव्य आयोजन किया गया।  सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायकों के दिल्ली चले जाने के कारण गहलोत सरकार के गिरने की नौबत आ आई थी। तब गहलोत सरकार के बचे रहने के लिए मुख्यमंत्री के ओएसडी देवाराम सैनी ने भी हनुमान जी से मन्नत मांगी थी। न केवल सरकार बची, बल्कि एंजियोप्लास्टी के बाद अशोक गहलोत के अगले 20 वर्ष तक जिंदा रहने की गारंटी भी हो गई। इतना ही नहीं 2023 में भी गहलोत ही मुख्यमंत्री बनेंगे, इसकी घोषणा भी हो गई। जब हनुमान जी कृपा से इतनी सारी खुशियां एक साथ मिल गई तो, तब भव्य प्रसादी का आयोजन तो बनता ही है। सीएम गहलोत आज तक कह रहे हैं कि भाजपा के नेताओं के इशारे पर उनकी सरकार गिराने के प्रयास हुए। यही वजह रही कि 30 अक्टूबर की प्रसादी में किसी भी भाजपा विधायक को नहीं बुलाया गया। जहां तक देवाराम सैनी के रुतबे का सवाल है तो इस प्रसादी के बाद रुतबे में और वृद्धि होगी। यह सही है कि गत वर्ष जुलाई अगस्त में राजनीतिक घमासान में देवाराम सैनी की मुख्यमंत्री के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका थी। विधायकों को एकजुट करने में सैनी ने पूरी रणनीति बनाई। यही वजह है कि कांग्रेस और निर्दलीय विधायक तो सीएमआर में सैनी से मिलकर ही स्वयं को धन्य समझ लेते हैं। यदि किसी कार्य के लिए सैनी ने स्वीकृति दे दी है तो काम होने की सौ प्रतिशत गारंटी है। मंत्रियों को भी अपनी बात सीएम तक पहुंचाने के लिए देवाराम  की मदद लेनी पड़ती है। देवाराम की बदौलत ही अनेक आईएएस आईपीएस, आरएएस, आरपीएस महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

तो अपनी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी की नीतियों पर अमल क्यों नहीं कर रहे राहुल गांधी।इंदिरा जी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए बांग्लादेश बनवाया तो खालिस्तान की मांग को सख्ती के साथ दबाया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी भारत की दमदार प्रधानमंत्री रही श्रीमती इंदिरा गांधी के पोते हैं। इसलिए 31 अक्टूबर को पुण्य तिथि पर राहुल गांधी ने ट्वीट किया-मेरी दादी अंतिम घड़ी तक निडरता से देश सेवा में लगी रहीं, उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत है। नारी शक्ति की बेहतरीन उदाहरण श्रीमती इंदिरा गांधी जी के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि। राहुल  गांधी ने अपनी दादी के बारे में लिखा उस पर किसी को भी एतराज नहीं है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी स्वयं अपनी दादी जी की नीतियों पर अमल कर रहे हैं? सब जानते हैं कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए इंदिरा गांधी  बांग्लादेश  को अलग  करवाया। युद्ध में पाकिस्तान की सेना को उसकी औकात बता दी। यह भारतीय फौज का पराक्रम ही था कि पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों को बंदी बना लिया गया। इसी प्रकार पंजाब में खालिस्तान की मांग करने वालों को भी इंदिरा जी ने सख्ती से दबाया। तब उन्होंने अपनी जान की परवाह भी नहीं की। चाहे पाकिस्तान के दो टुकड़े करना हो या फिर खालिस्तान की आवाज को कुचलना हो, सभी में इंदिरा जी ने देश की एकता और अखंडता को सर्वोपरि माना। इसलिए देशवासियों ने इंदिरा जी को आयरन लेडी की संज्ञा दी। इंदिरा गांधी की निडरता पर राहुल गांधी गर्व कर सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी कौन सी नीति पर अमल कर रहे हैं? जिस खालिस्तान की आवाज को दबाने के लिए इंदिरा गांधी को बलिदान देना पड़ा, उसकी खालिस्तान की आवाज एक बार फिर पंजाब में उठने लगी है। किसान आंदोलन की आड़ में भी खालिस्तान के समर्थक सक्रिय हैं। खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत भी हैं। लेकिन राहुल गांधी ने खालिस्तान के समर्थकों की कभी भी निंदा नहीं की। उल्टे किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। विपक्ष का नेता होने के कारण राहुल गांधी को सरकार की आलोचना करने का अधिकार हैं, लेकिन इंदिरा जी के पोते को यह भी देखना चाहिए कि आंदोलन में कौन से तत्व सक्रिय हैं। किसी आंदोलन की आड़ में खालिस्तान की आवाज मजबूत होती हैं तो इंदिरा जी की आत्मा क्या कहेगी इसका जवाब राहुल गांधी को ही देना चाहिए। गत वर्ष नागरिकता कानून में संशोधन किया गया तो ऐसे तत्व सक्रिय हुए जो पाकिस्तान के समर्थक माने गए। राहुल गांधी ने ऐसे तत्वों की भी हौसला अफजाई की। सवाल उठता है कि यदि धर्म के आधार पर पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आ रहे हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जा रही है तो फिर एतराज क्यों किया जा रहा है। श्रीमती इंदिरा गांधी होती तो संशोधित कानून का पूरा समर्थन करतीं। इंदिरा जी कभी भी ऐसा काम नहीं करती जिसकी वजह से पाकिस्तान के समर्थकों को मजबूत मिलती हो। जहां तक देश में हिन्दू मुस्लिम एकता का सवाल है तो इस पर भी दो राय नहीं हो सकती है। भारत की तरक्की हिन्दू मुस्लिम एकता में ही निहित है।  भारत उन देशों में से हैं जहां सूफीवाद का अपना महत्व है। कोई कितनी भी कट्टरता फैला ले, लेकिन देश की प्रमुख दरगाहों पर बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग जाते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। यहां के खादिम समुदाय के लोग भी मानते हैं कि सामान्य दिनों में 60 प्रतिशत जियारत हिन्दू समुदाय के होते हैं। ख्वाजा साहब की दरगाह को देशभर में हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में रह रहे है। भारत के मुसलमान न केवल समृद्ध हुए हैं बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी बिना भेदभाव के ले रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी को भी चाहिए कि वे अपनी दादी की नीतियों का अनुसरण करें। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के गृह जिले अजमेर में ही एसडीपी किट नहीं मिल रहा तो राजस्थान भर की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।डेंगू के मरीजों को हो रही है भारी परेशानी। सवाल आखिर कहां है चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा?

अजमेर राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का गृह जिला है। लेकिन प्रदेशभर की तरह अजमेर में भी डेंगू मरीजों का इलाज के लिए एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) किट नहीं मिल रहा है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती डेंगू के मरीजों की सांसों को बनाए रखने के लिए एसडीपी ब्लड की जरूरत है, लेकिन इस ब्लड के लिए जरूरी है, लेकिन इस ब्लड के लिए जरूरी किट नहीं मिल रहा है। जब चिकित्सा मंत्री के गृह जिले में ऐसी स्थिति है तो फिर प्रदेशभर की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मीडिया में प्रतिदिन कोरोना काल के मैनेजमेंट को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन मौजूदा समय में प्रदेशवासियों को एसडीपी किट तक नहीं मिल रहा है। असल में एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर के रक्त में न्यूनतम डेढ़ लाख प्लेटलेट्स होनी चाहिए, लेकिन डेंगू रोग के कारण मनुष्य के शरीर में प्लेटलेट्स घटने लगती हैं। यह स्थिति मरीज के लिए जानलेवा होती है। प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए ही संबंधित ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति के शरीर के रक्त में से प्लेटलेट्स निकाल कर मरीज के शरीर में चढ़ाए जाते है। ब्लड में से प्लेटलेट्स निकालने वाली मशीन अजमेर जिले में सिर्फ एक प्राइवेट विद्यापति ब्लड बैंक में ही है। अब इस एकमात्र ब्लड बैंक के पास भी प्लेटलेट्स निकालने वाले किट नहीं है। इस ब्लड बैंक के मालिक मोहित का कहना है कि जयपुर की जो फार्म किट सप्लाई करती थ, वह फर्म यह किट नहीं दे रही है। ऐसे में संस्थान पर लगी मशीन भी बेकार पड़ी है। गंभीर बात तो यह है कि प्लेटलेट्स वाले किट पर चिकित्सा विभाग की कोई निगरानी नहीं है, इसलिए लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है। किट की किल्लत के चलते पीडि़त परिवार मुंह मांगी कीमत भी देने को तैयार है। ब्लड से निकले प्लेटलेट्स को बाहर से भी नहीं मंगवाया जा सकता है, क्योंकि प्लेटलेट्स को हाथों हाथ डेंगू के मरीज को चढ़ाया जाता है। अजमेर के सरकारी जेएलएन अस्पताल में ब्लड से प्लेटलेट्स निकालने वाली मशीन है, लेकिन यह मशीन अब हाफने लगी हे। टेक्नीशियन के अभाव में सरकारी मशीन रात के समय बंद रहती है, जबकि दिन भर में अधिकतम 15 मरीजों के लिए ही प्लेटलेट्स निकालने जाते हैं। जब सैकड़ों मरीजों को प्रतिदिन प्लेटलेट्स चाहिए, तब 15 प्लेटलेट्स की उपलब्धता कितनी मददगार होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, सरकारी अस्पताल में सुबह नंबर लगाया जाता है तो रात तक प्लेटलेट्स मिल पाते हैं। यानी ब्लड देने वाले व्यक्ति को भी दिनभर अस्पताल में बैठे रहना पड़ता है। कई बार सरकारी अस्पताल में भी किट का अभाव हो जाता है। एक व्यक्ति के ब्लड में से प्लेटलेट्स निकालने में करीब डेढ़ घंटा लगता है। हालांकि प्लेटलेट्स निकालने के बाद ब्लड को पुन: रक्तदाता के शरीर में डाल दिया जाता है, लेकिन मरीज के परिजनों के लिए रक्तदाता का इंतजाम करना भी मुश्किल होता है। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जब प्लेटलेट्स गिरने लगता है तो डॉक्टर तत्काल प्लेटलेट्स की मांग करते हैं। अफसोस तो तब होता है जब कई निर्दयी डॉक्टर परिजन को दो टूक कह देते हैं कि प्लेटलेट्स नहीं लाए तो मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है। कोई भी डॉक्टर अपने मरीज के लिए प्लेटलेट्स का इंतजाम करवाने में मदद नहीं करता है। इधर डॉक्टर निर्दयी है तो उधर प्लेटलेट्स का इंतजाम नहीं हो रहा, ऐसी स्थिति में मरीज और परिजन की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो यह है कि सरकारी अस्पताल में भी एक यूनिट प्लेटलेट्स के 10 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। हालांकि अजमेर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का गृह जिला है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अजमेर का चिकित्सा विभाग अब रघु शर्मा को चिकित्सा मंत्री नहीं मानता है। असल में कांग्रेस हाईकमान ने रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बना दिया है। इसलिए पिछले 15 दिनों से रघु शर्मा दिल्ली और गुजरात के दौरे पर हैं। चिकित्सा अधिकारियों को भी पता है कि दीपावली बाद होने वाले मंत्रिमंडल फेरबदल से रघु शर्मा की मंत्री पद से छुट्टी हो जाएगी। इसलिए चिकित्सा विभाग ने भी डेंगू मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया है। एक ओर डेंगू मरीज और परिजन परेशान हो रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार में बैठे जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को शर्म नहीं आ रही है। परेशान लोगों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

अजमेर के पेट्रोल पंप पर फायरिंग करने वाले मोनू और पप्पू को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी फरीदकोट की जेल में बंद कुख्यात अपराधी भूपेंद्र सिंह खरवा की पहचान वाले हैं।फरीदकोट की जेल से 30 अक्टूबर तक पंप मालिक नवीन गर्ग और उनके बेटे को धमकियां देता रहा भूपेंद्र सिंह।

गत 20 अक्टूबर को अजमेर के कचहरी रोड स्थित अजमेर ऑटोमोबाइल पेट्रोल पंप पर फायरिंग करने वाले दोनों आरोपियों मोनू और पप्पू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जिला पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने बताया कि 20 अक्टूबर को जिस मोटर साइकिल पर मोनू आया उसे पप्पू चला रहा था। रात 9 बजे मोटरसाइकिल से उतर कर मोनू ने पेट्रोल पंप परिसर में गोली चलाई। मोनू ने ही पंप के मालिक नवीन गर्ग के बेटे नमन गर्ग की केबिन के कांच पर भी गोली चलाई। फायरिंग के बाद दोनों आरोपी मौके से फरार हो गए। लेकिन पुलिस ने अलग अलग टीमें गठित कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। मोनू ने स्वीकार किया है कि उसने पेट्रोल पंप पर गोलियां चलाई थी। मोनू का कहना रहा कि पेट्रोल भरवाने को लेकर पूर्व में विवाद हुआ था। इसके अलावा इन दोनों आरोपियों की मंशा दहशत फैलाने की थी और पंप मालिक से वसूली का भी इरादा भी था। एसपी शर्मा ने बताया कि आरोपियों को पकडऩे के लिए अनेक मार्गों के सीसीटीवी फुटेज की भी गहनता के साथ जांच की गई। दोनों आरोपी अजमेर के ही रहने वाले हैं और उनकी पहचान पंजाब के फरीदकोट में जेल में बंद कुख्यात बदमाश भूपेंद्र सिंह खरवा से भी है। एसपी ने कहा कि दोनों बदमाशों को पकडऩे में अनेक पुलिस अधिकारियों और जवानों ने रात-दिन मेहनत की है। उन्होंने कहा कि अपराधियों के विरुद्ध पुलिस का सख्त रवैया है। हालांकि बीस अक्टूबर को दोनों आरोपी चेहरे पर नकाब लगाकर आए थे, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस ने 9 दिनों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
30 अक्टूबर तक मिली धमकियां:
पुलिस ने भले ही फायरिंग करने वाले दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन 30 अक्टूबर तक पेट्रोल पंप मालिक नवीन गर्ग और उनके बेटे नमन गर्ग को धमकियां मिलती रहीं। पहले मोबाइल फोन पर वाट्सएप पर धमकियां दी गई और 30 अक्टूबर को लिखित में धमकी दी गई। पिता-पुत्र को भेजी गई धमकी में कहा गया कि हमने तेरे को प्यार से समझाया पर तेरे कुछ समझ में नहीं आया, अब इस केस की जिम्मेदारी हम ले रहे हैं। आपको को पता चल ही जाएगा कि हम कौन हैं? अब यह प्रोटेक्शन मनी नहीं चाहिए। वक्त के साथ मुलाकात करेंगे, जय बलकारी। 20 अक्टूबर को फायरिंग के बाद पंप मालिक ने नवीन गर्ग ने भ पुलिस को बताया था कि धमकियां देने वाले पांच करोड़ रुपए की राशि की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने इसी आधार पर अपनी जांच की शुरुआत की थी। जिन दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है वे पिछले दो तीन दिन से पुलिस की गिरफ्त में ही थे। यानी जब पुलिस मोने और पप्पू से पूछताछ कर रही थी, तब पंप मालिक को धमकियां मिल रही थी। माना जा रहा है कि इन धमकियों को भिजवाने में पंजाब की फरीदकोट जेल में बंद कुख्यात बदमाश भूपेंद्र सिंह खरवा की भूमिका है। खरवा ने ही अपनी फेसबुक पर फायरिंग को लेकर पोस्ट भी डाली थी। जानकार सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार पप्पू और मोनू भूपेंद्र सिंह के पहचान वाले हैं। भूपेंद्र सिंह यह नहीं चाहता कि मोनू और पप्पू किसी आरोप में फंसे, इसलिए अब वह फायरिंग की जिम्मेदारी स्वयं पर ले रहा है, लेकिन पुलिस दोनों आरोपियों को  गिरफ्तार कर भूपेंद्र सिंह खरवा को भी यह संदेश दे दिया है कि अपराधियों को बक्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने अपनी जांच को पप्पू और मोनू तक ही सीमित रखा है। दोनों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी सफलता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Thursday 28 October 2021

प्रशासन गांव के शिविरों में अजमेर डिस्कॉम के एमडी वीएस भाटी सहित बड़े अधिकारी मौजूद रहे।शिविरों में ही विद्युत समस्याओं का निराकरण किया।

अजमेर विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) के अधीन आने वाले 13 जिलों में आयोजित प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविरों में 28 अक्टूबर को डिस्कॉम के एमडी वीएस भाटी और बड़े अधिकारी स्वयं उपस्थित रहे। भाटी नागौर जिले के परबतसर क्षेत्र के कई शिविरों में उपस्थित रहे और मौके पर ही विद्युत समस्याओं का समाधान किया। भाटी ने बताया कि प्रशासन गांव के संग शिविरों में क्षेत्र के जेईएन, एक्सईएन आदि इंजीनियर उपस्थित रहते हैं। लेकिन 28 अक्टूबर को सभी 11 जिलों में डिस्कॉम के बड़े अधिकारी उपस्थित हुए। इनमें चीफ इंजीनियर और डिस्कॉम के निदेशक तक शामिल हैं। भाटी ने कहा कि प्रशासन गांवों के संग के शिविर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का महत्वाकांक्षी अभियान है। सीएम गहलोत चाहते हैं कि इन शिविरों के माध्यम से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान मौके पर ही किया जाए। सीएम गहलोत की मंशा को देखते हुए शिविरों में डिस्कॉम के इंजीनियर मौके पर ही समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। लंबित कनेक्शनों को भी जारी किए जा रहे हैं। अजमेर डिस्कॉम के अधीन आने वाले 13 जिलों में लगने वाले शिविरों की प्रतिदिन निगरानी की जा रही है। 28 अक्टूबर को जिस तरह एमडी सहित बड़े अधिकारी शिविरों में उपस्थित रहे, उससे निगम में और तत्परता देखी गई। भाटी ने बताया कि शिविरों में जो भी समस्या प्राप्त हो रही है, उसका समाधान तत्काल किया जा रहा है। भाटी ने कहा कि यदि किसी ग्रामीण की समस्या का समाधान नहीं होता है तो वो सीधे उनसे भी संपर्क कर सकता है। इस संबंध में जेईएन, एईएन,एक्ससीएन, एसई आदि को विशेष निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की विद्युत समस्याओं के समाधान में किसी भी कर्मचारी की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

कांग्रेस कार्यकर्ता मोहब्बत सिंह के निधन पर पाली के निंबोल गांव में पहुंचकर सीएम अशोक गहलोत ने संवेदना प्रकट की।महिपाल मदेरणा के 12वें की रस्म में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी के नेतृत्व में अजमेर जिले के किसान नेता भी शामिल हुए।

गत 26 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब विधानसभा के उपचुनाव में प्रचार करने के लिए उदयपुर के धरियावद गांव में गए थे, तब कांग्रेस के कार्यकर्ता मोहब्बत सिंह को हार्ट आने से निधन हो गया। मोहब्बत सिंह के निधन पर परिजन को ढांढस बंधाने और अपनी संवेदनाएं प्रकट करने के लिए सीएम गहलोत 28 अक्टूबर को उनके पाली जिले निंबोल गांव में पहुंचे। गहलोत के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी अजय माकन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा आदि नेता भी थे।  स्वर्गीय  मोहब्बत सिंह के निवास पर पहुंच कर गहलोत ने यह प्रदर्शित किया कि वे कांग्रेस के छोटे से छोटे कार्यकर्ता का भी सम्मान करते है। कांग्रेस कार्यकर्ता के घर पर जाने के लिए अजय माकन को खासतौर से दिल्ली से बुलाया गया। गहलोत ने परिजन को भरोसा दिलाया कि सरकार और संगठन उनके साथ खड़ी है।
चौधरी पहुंचे मदेरणा के घर:
अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने 28 अक्टूबर को जोधपुर के ओसियां स्थित चांडी गांव में आयोजित स्वर्गीय महिपाल मदेरणा की 12वें की रस्म में भाग लिया। इस मौके पर जोधपुर क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित स्वर्गीय मदेरणा की पत्नी श्रीमती लीला मदेरणा जोधपुर की जिला प्रमुख है और उनकी पुत्री दिव्या मदेरणा ओसियां से कांग्रेस की विधायक हैं। डेयरी अध्यक्ष चौधरी के मदेरणा परिवार से पारिवारिक संबंध रहे हैं। स्वर्गीय महिपाल मदेरणा के पिता स्वर्गीय परसराम मदेरणा को चौधरी अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। चौधरी के साथ बड़ी संख्या में अजमेर के किसान नेता भी चांदी गांव पहुंचे। इनमें हरिराम घायल, रूपनुवाद, चैनाराम फतेहपुरा, नाथूराम दीया, ईश्वर खाखल, विमलेश चौधरी, हरिराम चौधरी, गोवर्धन चौधरी, देवकरण गुर्जर, चंद्रपाल सिंह, शिवराज चौधरी, सत्यनारायण चौधरी, जयराम चौधरी, रामेश्वर मेवाड़ा, उदाराम चौधरी, कानाराम चौधरी, लालाराम वैष्णव, भागचंद चौधरी, राजेंद्र जेवलिया, भंवर भामोलाव, हरिराम जाटली, रेखराज चौधरी, रामस्वरूप पड़ौदा, उदाराम आदि शामिल थे। चौधरी ने कहा कि महिपाल मदेरणा के निधन से उन्हें व्यक्तिगत क्षति हुई है। स्वर्गीय मदेरणा चार बार जोधपुर के जिला प्रमुख रहे जबकि दो बार ओसिया से विधायक चुने गए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

राठौड़ दम्पत्ति ने पुष्कर के निकट बनाया अपना माया घर। इसमें बुजुर्ग भी कुछ दिन गुजार सकेंगे।33 बीघा भूमि पर बने फार्म स्टे में सीमेंट कंक्रीट का उपयोग नहीं हुआ है। भारत की परंपरागत निर्माण शैली से बने हैं 9 आलीशान विला।

श्रीमती सुमन राठौड़ और उनके पति राजेंद्र सिंह राठौड़ ने अजमेर के पुष्कर में पुष्कर फोर्ट का संचालन करते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राठौड़ दम्पत्ति के मन में कुछ अलग और नया करने की तमन्ना थी। इसके लिए पुष्कर के निकट ही भगवान गांव में 33 बीघा भूमि खरीदी गई। इस भूमि के चारों ओर प्राकृतिक वातावरण है, इसलिए यहां 9 आलीशान विला बनाए गए। एक विला दो हजार स्क्वायर फिट का है। सबसे खास बात यह है कि इन विला के निर्माण में सीमेंट कंक्रीट और लोहे का उपयोग नहीं हुआ है। इनके स्थान पर चूने, ईंट, मूंज आदि से तैयार निर्माण सामग्री का उपयोग किया है। 33 बीघा भूमि पर बरसात के दिनों में एक बूंद पानी भी व्यर्थ नहीं जाएगा। जल संरक्षण के तहत हर बूंद का संरक्षण होगा। फार्म स्टे के उद्देश्य से बनाए गए इन विलाओं में बुजुर्ग व्यक्ति कुछ दिन आराम से गुजार सकते हैं। यहां रहने वाले व्यक्तियों को खाने पीने की सभी वस्तुएं ऑर्गेनिक मिलेंगी। यहां तक ऑर्गेनिक खेती से तैयार सब्जी भी उपलब्ध कराई जाएगी। फार्म पर पलने वाली गायों का दूध, घी, मक्खन आदि भी उपलब्ध करवाया जाएगा। यह फार्म स्टे सामाजिक सरोकार भी रखता है। श्रीमती राठौड़ स्पर्श संस्थान का संचालन भी करती हैं। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को पढ़ाया जाता है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र की विधवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ-साथ आर्थिक सहयोग भी किया जाता है। फार्म स्टे में खेती डेयरी आदि के कार्यों में विधवा महिलाओं की ही भागीदारी है। राठौड़ दम्पत्ति ने बताया कि फार्म स्टे के विलाओं में प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ भी करवाया जाता है। माया घर किसी रिसोर्ट या होटल से हट कर ग्रामीण और प्राकृतिक शैली पर आधारित है। यहां आने पर पुष्कर की संस्कृति को भी समझने का अवसर मिलेगा। राठौड़ दम्पत्ति के माया घर का आकर्षक वीडियो यूट्यूब पर https://youtu.be/bpa4t1lRnB8 लिंक करने पर देखा जा सकता है। इस फार्म स्टे के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829071817 पर राजेंद्र सिंह राठौड़ से ली जा सकती है। यह फार्म स्टे संपूर्ण पुष्कर क्षेत्र में अपने तरीके का पहला फार्म स्टे है 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की जीत पर भारत में जश्न क्यों? इससे देश के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

यूं तो पहले भी दिल्ली में जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लग चुके हैं, लेकिन देशभक्ति से विपरीत भावनाओं के तहत 24 अक्टूबर के बाद अनेक लोक क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की जीत पर भारत में जश्न मना रहे हैं। यह जश्न ऐसे मौके पर मनाया जा रहा है, जब पाकिस्तान हमारे कश्मीर में आतंकियों से हिन्दुओं की हत्या करवा रहा है। ऐसे आतंकियों के पास से पाकिस्तान के हथियार मिल रहे हैं। सब जानते हैँ कि कश्मीर में जो आतंकवादी सक्रिय हैं, उनके आका पाकिस्तान में रहते हैं। सलवा उठता है कि क्या कुछ लोग कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या का जश्न मना रहे हैं? यदि क्रिकेट मैच में भारतीय टीम हारी है तो देशभक्ति की भावना के तहत हर भारतीय को अफसोस होना चाहिए। अपने देश की टीम की हार पर जश्न मनाने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि 24 अक्टूबर को जब टी-20 वर्ल्ड कप के क्रिकेट मैच में भारतीय टीम की हार हुई तो हमारे देश के कई हिस्सों में पटाखे फोड़े गए। कुछ देशद्रोहियों ने तो सोशल मीडिया पर अपने जश्न का इजहार किया। हालांकि अब ऐसे पाकिस्तान परस्त लोगों पर कानूनी कार्यवाही हो रही है, लेकिन अब ऐसे लोगों को भी प्रतिक्रिया देनी चाहिए जो संविधान की दुहाई देकर भारत पर अपना हक जमाते हैं। पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने से जाहिर है कि भारत में किस मानसिकता के लोग रह रहे हैं। अफसोस तब होता है जब ऐसी मानसिकता के लोग ही धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हैं। जो लोग अपने देश की टीम की हार पर जश्न मनाते हैं, उनके लिए धर्मनिरपेक्षता सिर्फ अपना मतलब पूरा करने के लिए हैं। सवाल यह भी है कि जब पाकिस्तान की टीम की जीत पर खुशी होती है तो फिर ऐसे लोग पाकिस्तान क्यों नहीं जाते? भारत में रह कर पाकिस्तान के लिए जश्न मनाने वाले लोग यदि पाकिस्तान चले जाएंगे तो उन्हें पाकिस्तान की हकीकत का अहसास हो जाएगा। भारत आज एक समृद्धशाली देश है। अमरीका, ब्रिटेन, जापान जैसे विकसित और धनी देश भारत में लगातार निवेश कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान दिवालियापन के कगार पर खड़ा है। वाकई यह अफसोसनाक बात है कि समृद्धशाली भारत में रहते हुए  दिवालिया  पाकिस्तान के लिए जश्न मनाया जा रहा है। देश के लोगों को इन हालातों को समझना चाहिए। गंभीर बात तो यह है कि जो लोग भारतीय टीम की हार पर जश्न मनाते हैं उन्हें भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में वोट देने और सरकार चुनने का अधिकार है। ऐसे लोग किस मानसिकता से अपने मताधिकार का उपयोग करते होंगे, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या देश में राष्ट्रवाद की भावना रखने वालों की सरकार नहीं होनी चाहिए? क्या हम ऐसे लोगों की सरकार चाहते हैं तो अपने ही देश की टीम की हार पर जश्न मनाए?
S.P.MITTAL BLOGGER (28-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

आरएएस प्री की परीक्षा के कारण राजस्थान में 27 अक्टूबर को भी बंद रहा इंटरनेट। यह तो राज्य सरकार की दादागिरी है।फ्री होल्ड पट्टे के लिए अखबार में सूचना प्रकाशन से छूट मिल सकती है।

राज्य प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के कारण 27 अक्टूबर को भी राजस्थान भर में आधे दिन के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा गया, इसमें आम लोगों का जनजीवन प्रभावित रहा। इससे पहले भी शिक्षक पात्रता परीक्षा, सब इंस्पेक्टर, पटवारी आदि पद की परीक्षा वाले दिन भी नेटबंदी की गई। सरकार का तर्क है कि परीक्षा में नकल को रोकने और कथित तौर पर प्रश्न पत्र के वायरल होने को रोकने के लिए नेटबंदी की जाती है। कोई भी परीक्षा निष्पक्ष करवाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। सरकार यदि आम लोगों को परेशान कर परीक्षा करवाती है तो यह सरकार की विफलता है। परीक्षाएं तो आए दिन होती हैं, तो क्या सरकार रोजाना ही इंटरनेट बंद करेगी? जब इंटरनेट सेवाओं को बहुउद्देशीय बना दिया गया है, तो बार बार नेटबंदी क्यों की जाती है? नेटबंदी से समाज का हर वर्ग प्रभावित होता है। खुद सरकार का कामकाज भी प्रभावित होता है। सबसे ज्यादा परेशानी बैंकिंग कारोबार से जुड़े लोगों को होती है। ऐसा नहीं कि सरकार लोगों की परेशानी से वाकिफ नहीं है, लेकिन सरकार में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए परीक्षा वाले दिन नेटबंदी कर देते हैं। 27 अक्टूबर को भी राजस्थान के उन छात्रों को भारी परेशानी हुई जिन्हें इंजीनियरिंग की ऑनलाइन परीक्षा देनी थी। जो युवा अपनी कंपनियों का काम वर्क टू होम पद्धति से कर रहे हैं, उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ा। गंभीर बात तो यह है कि नेटबंदी के बाद भी परीक्षा में नकल नहीं रुक पा रही है। पिछले दिनों जितनी भी परीक्षा हुई, उन सब में गड़बड़ी सामने आई है। रीट का प्रश्न पत्र तो परीक्षा से एक दिन पहले ही परीक्षार्थियों के पास पहुंच गया। सरकार माने या नहीं लेकिन रीट परीक्षा में ही सफल होगा, जिसे प्रश्न पत्र पहले मिल गया था। रीट का प्रश्न पत्र लाखों रुपए में बिका है। परीक्षा से पहले रीट का प्रश्न पत्र आउट हो गया, इसकी पुष्टि एसओजी ने भी कीहै। लेकिन फिर भी सरकार परीक्षा परिणाम निकालने पर तुली है। सरकार को परीक्षा में नकल रोकने के दूसरे उपाय करने चाहिए। नेटबंदी से आम लोगों को भारी परेशानी होती है। बार बार नेटबंदी करने से सरकार की छवि भी खराब हो रही है।
मिल सकती है छूट:
इन दिनों प्रशासन शहरों और गांवों के संग चल रहे अभियान में फ्री होल्ड पट्टे भी जारी किए जा रहे हैं। लेकिन इसके लिए संबंधित भूखंडधारी को अखबार में आम सूचना प्रकाशित करवानी होती है। छोटी सी आम सूचना के अखबार वाले 10 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। यह आम सूचना उन भूखंडधारियों से भी प्रकाशित करवाई जा रही है, जिनके भूखंड का नामांतरण संबंधित निकायों में हो चुका है। सरकार के इस नियम से फ्री होल्ड पट्टों को लेकर लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 26 अक्टूबर को नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा जब अजमेर में हरिभाऊ उपाध्याय नगर के सामुदायिक भवन में आयोजित शिविर का जायजा लेने आए तो कांग्रेस के पार्षद बनवारी लाल शर्मा ने लोगों की इस समस्या को मीणा के समक्ष रखा। पार्षद शर्मा ने बताया कि कोटड़ा क्षेत्र में अधिकांश भूखंड अजमेर विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजना के हैं। भूखंडधारी अब चाहते हैं कि 99 साल की लीज के बजाए भूखंड को फ्री होल्ड कर दिया जाए। इसके लिए सरकार ने भी प्रशासन शहरों के संग अभियान में फ्री होल्ड पट्टे जारी करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन भूखंड के लिए अखबार में आम सूचना के प्रकाशन की बाध्यता की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। इस पर मीणा ने कहा कि अगले दो-तीन दिन में ही इस बाध्यता को हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही जिन भूखंडधारियों ने स्थानीय निकायों में भूखंड का नामांतरण करवा लिया है, वे शिविरों में आकर फ्री होल्ड पट्टा प्राप्त कर सकते हैं। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829219577 पर पार्षद बनवारी लाल शर्मा से ली जा सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

तो फिर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की माताजी के निधन पर संवेदना प्रकट करने क्यों नहीं गए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत?चुनावी सभा से पहले भाजपा के दिवंगत विधायक गौतम मीणा के निवास पर जाने से राजनीति गर्मायी।

26 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धरियावद के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नगराज मीणा के समर्थन में लसाडिया गांव में एक सभा को संबोधित किया। चुनावी सभा को संबोधित करने से पहले सीएम गहलोत भाजपा के दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा के निवास पर भी संवेदना प्रकट करने गए। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के दिवंगत विधायक के निवास पर जाने पर भाजपा के नेताओं ने इसे सीएम गहलोत की राजनीति बताया। इस पर गहलोत ने कहा कि वे कोई राजनीति नहीं कर रहे हैं। शिष्टाचार के नाते वे दिवंगत विधायक के निवास पर गए थे। ऐसा उनका स्वभाव है और वे संवेदना मामलों में कभी भी राजनीति नहीं करते हैं। हो सकता है कि महात्मा गांधी के अनुयायी अशोक गहलोत सही बोल रहे हों, लेकिन सवाल उठता है कि सीएम गहलोत केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की माताजी के निधन पर उनके जोधपुर स्थित निवास पर संवेदना प्रकट करने क्यों नहीं गए? यदि गहलोत वाकई में संवेदनशील मामलों में राजनीति नहीं करते हैं तो उन्हें शेखावत के निवास पर भी जाना चाहिए था। शेखावत न केवल केंद्रीय मंत्री है, बल्कि सीएम गहलोत के गृह जिले जोधपुर के निवासी और सांसद भी हैं। ऐसा नहीं कि शेखावत की माताजी के निधन के बाद गहलोत का जोधपुर जाना नहीं हुआ। गहलोत 23 अक्टूबर को दिनभर जोधुपर में ही थे। गहलोत ने 23 अक्टूबर को ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे महिपाल मदेरणा के निधन पर भी संवेदना प्रकट की। इसके लिए गहलोत जोधपुर के ओसियां गांव भी गए। यहां पर उन्होंने दिवंगत मदेरणा की पत्नी जोधपुर की जिला प्रमुख लीला मदेरणा और उनकी विधायक बेटी दिव्या मदेरणा को सांत्वना दी। 23 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी जोधपुर में ही थे। इसी दिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी शेखावत के निवास पर जाकर संवेदना प्रकट की थी। भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा का निधन तो 19 मई 2021 को हुआ था। यानी सीएम गहलोत साढ़े पांच माह बाद संवेदना प्रकट करने गए, जबकि शेखावत की माताजी के निधन के अभी 12 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं। माताजी के निधन पर शोक जताने के लिए शेखावत के जोधपुर स्थित आवास पर नेताओं के आने का सिलसिला जारी है। गहलोत के मंत्रिमंडल के सदस्य भी शेखावत के निवास पर गए हैं। इनमें परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास प्रमुख हैं। अपने गृह जिले के सांसद की माताजी के निधन पर भी संवेदना प्रकट करने नहीं जाने से सीएम गहलोत के राजनीतिक नजरिए का अंदाजा लगाया जा सकता है। जोधपुर जिले में गजेंद्र सिंह शेखावत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गत लोकसभा चुनाव में शेखावत ने ही गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चार लाख मतों से हराया था। ऐस हार तब मिली जब गहलोत मुख्यमंत्री के पद पर ही थे।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

खालिस्तानियों को पाकिस्तान और चीन का समर्थन। किसान आंदोलन के मद्देनजर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का यह बयान बहुत मायने रखता है।

पंजाब में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी कब बनाएंगे यह बात कोई मायने नहीं रखती। लेकिन 27 अक्टूबर को अमरिंदर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा वो बहुत मायने रखता है। कांग्रेस में आंतरिक खींचतान के चलते कैप्टन ने हाल ही में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। अब कैप्टन का कहना रहा कि पंजाब को अशांत बनाने के लिए पाकिस्तान और चीन खालिस्तानियों को मदद कर रहे हैं। पाकिस्तान जहां अपनी बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई के माध्यम से खालिस्तानियों के बीच सक्रिय हैं, वहीं तीन ड्रोन भेज कर दहशत का माहौल बना रहा है। हाल ही में ड्रोन के माध्यम से पंजाब में नशीले पदार्थ तक पहुंचाए। चीन निर्मित ये ड्रोन ज्यादा वजन उठा सकते हैं और लंबी दूरी तरह कर सकते हैं, पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है। पंजाब में यदि अशांति होती है तो इसका असर देश की सुरक्षा पर पड़ेगा। पंजाब पहले ही आतंकवाद के दौर से गुजर चुका है, अब यदि पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियां बढ़ रही हैं तो यह बेहद चिंताजनक है। राज्य सरकार को अब केंद्र के साथ मिलकर काम करना होगा। बीएसएफ के अधिकार बढ़ाने पर कैप्टन ने कहा कि बीएसएफ तो राज्य पुलिस की मदद ही करती है। चूंकि सीमावर्ती राज्य नाजुक दौर से गुजर रहे हैं, इसलिए बीएसएफ के अधिकार बढ़ाकर केंद्र सरकार ने अच्छा काम किया है। इससे देश विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह का ताजा बयान पंजाब और हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर बहुत मायने रखता है। आंदोलन के दौरान यह बात बार बार सामने आई है कि इस आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी सक्रिय हैं। पिछले दिनों सिंधु बार्डर पर किसानों के धरना स्थल पर जब एक सिक्ख युवक को यातनाएं देकर मार दिया गया, तब किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि इस घटना से किसानों का कोई सरोकार नहीं है। पुलिस अपने स्तर पर जांच कर सकती है। लखीमपुर खीरी की हिंसा हो या दिल्ली के लालकिले पर उपद्रव, इन स्थानों पर खालिस्तान के समर्थकों की आवाज भी सुनाई दी। हालांकि कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह ने किसान आंदोलन को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने पंजाब की बिगड़ती स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। यह जानकारी पंजाब की सुरक्षा को देखते हुए महत्वपूर्ण हैं। कोई नहीं चाहता कि पंजाब एक बार फिर आतंक के दौर से गुजरे। पंजाब के पहले आतंक का सबसे ज्यादा खामियाजा कांग्रेस पार्टी ने ही उठाया है। चूंकि पंजाब में मौजूदा समय में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कांग्रेस को अपने पूर्व मुख्यमंत्री की जानकारियों को गंभीरता से लेना चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीएसएफ के अधिकार को बढ़ाने पर पंजाब के मौजूदा सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने एतराज जताया है। चन्नी ने इसे राज्यों के अधिकारों में दखल बताया है। जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह का मानना है कि बीएसएफ से राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

रेप और मर्डर के आरोपी को चार माह में फांसी की सजा दिलवाने के प्रयासों का श्रेय अजमेर के पूर्व पुलिस अधीक्षक जगदीश शर्मा को भी मिलना चाहिए।

26 अक्टूबर को अजमेर की पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश रतनलाल मूड ने 11 वर्षीय बालिका के साथ रेप और फिर पत्थर मार कर निर्मम हत्या करने के आरोपी सत्तू उर्फ सुरेंद्र को फांसी की सजा सुनाई है। पुलिस ने सुरेंद्र के विरोध 22 जून को हत्या और रेप का मुकदमा दर्ज किया था। यानी चार माह की अवधि में कोर्ट में चालान पेश करने से लेकर आरोपों के निर्धारण, गवाहों के बयान आदि सभी वैधानिक कार्य पूरे हो गए। कोर्ट में आरोपी को सजा दिलवाने में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आईपीएस जगदीश शर्मा 13 अक्टूबर तक अजमेर के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहे। यानी आरोपी सुरेंद्र को फांसी की सजा दिलाने की अधिकांश वैधानिक कार्यवाही जगदीश शर्मा के कार्यकाल में हुई। अजमेर के लोगों को पता है कि 22 जून को जब पुष्कर के निकट होकर की पहाड़ी पर 11 वर्षीय बालिका का कुचला हुआ शव मिला था, तब माहौल तनावपूर्ण था। उस समय राजेश मीणा पुष्कर के थाना अधिकारी थे। एसपी शर्मा के निर्देश पर टीम गठित कर आरोपी को दूसरे दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। मात्र तीन दिन की अवधि में 25 जून को आरोपी के विरुद्ध अदालत में चालान भी पेश कर दिया। पुलिस की तत्परता से ही न्यायाधीश रतनलाल मूड को कोर्ट की कार्यवाही जल्द पूर्ण करने में मदद मिली। आमतौर पर पुलिस पर अदालतों में ढिलाई बरतने का आरोप लगता रहा है। लेकिन इस मामले में एसपी शर्मा ने संवेदनशीलता दिखाते हुए अदालत को भी पूरा सहयोग करवाया। इसलिए अब जब हत्यारे को फांसी की सजा मिली है, तब एसपी शर्मा के प्रयासों की सराहना भी की जानी चाहिए। यदि पुलिस अधीक्षक के स्तर पर गंभीरता और तत्परता नहीं दिखाई जाती तो चार माह में हत्यारे को फांसी की सजा नहीं मिल पाती। जहां तक न्यायाधीश मूड का सवाल है तो उन्होंने समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे सख्त फैसलों से अपराधों पर अंकुश लगेगा। हत्यारे सुरेंद्र ने वाकई घिनौना काम किया था। 11 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार करने और फिर हत्या करने का अपराध वाकई बहुत गंभीर है। समाज में ऐसी प्रवृत्तियों पर रोक लगनी चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511


राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने स्वयं को दूध देने वाली गाय बताया।एक सप्ताह में दूसरी बार आए अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में। तो क्या अब रघु शर्मा मंत्री पद से मुक्त होने वाले हैं। आलाकमान ने गुजरात का प्रभारी बनाया है।

मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का एक वीडियो देखा जा सकता है। यह वीडियो 25 अक्टूबर के उस भाषण का है जो रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में दिया है। पिछले एक सप्ताह में 25 अक्टूबर को यह दूसरा अवसर रहा, जब रघु शर्मा ने यह दिखाने की कोशिश की कि केकड़ी के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। रघु शर्मा लगातार अपने विकास कार्य गिना रहे हैं। रघु की तत्परता से प्रतीत हो रहा है कि वे जल्द ही चिकित्सा मंत्री के पद से मुक्त होने वाले हैं। असल में कांग्रेस हाईकमान ने रघु को गुजरात का प्रभारी बनाया है और गुजरात में अगले वर्ष दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में रघु शर्मा गुजरात में ही व्यस्त रहेंगे। राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को भी पंजाब का प्रभारी बनाया गया है। चौधरी पहले ही कह चुके है कि वे एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर अमल करेंगे। रघु शर्मा को मंत्री पद से मुक्त होने का अहसास हैं, इसलिए वे अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में लाड़ प्यार, इकरार की भावनाओं वाले भाषण दे रहे हैं। 25 अक्टूबर को केकड़ी में सैकड़ों करोड़ों रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम में रघु ने कहा कि जब मैं 2008 से 2013 के कार्यकाल में विधायक था तब मुख्य सचेतक के पद पर रहते हुए केकड़ी में अनेक विकास कार्य करवाए। बिना मांगे काम करवाएं, लेकिन केकड़ी के लोगों ने 2013 के चुनाव में मुझे हरवा दिया। रघु ने इस हार पर अफसोस जताते हुए सवाल किया कि क्या कोई पशु पालक दूध देती गाय को भगाता (हरवाता) है? मैं तो आप के लिए दूध देने वाली गाय रहा हंू। कोई मूर्ख ही होगा जो दूध देने वाली गाय को भगाएगा। लेकिन हारने के बाद भी मैं पांच वर्ष केकड़ी में ही रहा। अब मुझे फिर अवसर मिला है तो जनता की सेवा कर रहा हंू। रघु शर्मा के 25 अक्टूबर के भाषण के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस की राजनीति में रघु शर्मा का कद काफी बढ़ा है। भले ही वे मंत्री पद से मुक्त हो जाएं, लेकिन उनकी छवि प्रदेश स्तर के नेता से बाहर निकल कर राष्ट्रीय स्तर के नेता की बन रही है। 26 अक्टूबर को ही रघु ने दिल्ली में कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया। इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी उपस्थित रहीं। दो दिन पहले ही रघु और राहुल गांधी ने दिल्ली में गुजरात कांग्रेस के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की। रघु को राहुल गांधी के बराबर वाली कुर्सी पर बैठने का मौका मिला। दिल्ली के राजस्ािान हाउस में गुजरात के कांग्रेसियों को दिए गए डिनर में राहुल गांधी भी शामिल हुए। कहा जा सकता है कि अब रघु का गांधी परिवार से सीधा तालमेल हो गया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

अमित शाह का तीन दिवसीय कश्मीर दौरा आतंकियों की चुनौती के सामने कश्मीरियों की हौसला अफजाई है।पाकिस्तान के मुद्दे पर अब्दुल्ला और मुफ्ती के खानदानों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया।1947 के अक्टूबर के इन्हीं दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी कबाइलियों को कश्मीर से खदेड़ा था।

26 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर का तीन दिवसीय दौरा कर दिल्ली लौट आए हैं। शाह ने 23 अक्टूबर को दौरा तब शुरू किया था, जब हमारे सुरक्षा बल कश्मीर घाटी के जंगलों में उन आतंकियों से मुकाबला कर रहे थे, जिन्होंने निर्दोष कश्मीरियों और प्रवासी हिंदुओं को मारा था। इन्हीं दिनों प्रवासी हिन्दुओं के कश्मीर से पलायन के फोटो भी अखबारों में छपे और कोई नेता होता तो ऐसे तनावपूर्ण माहौल में कश्मीर का दौरा स्थगित कर देता। हो सकता है कि तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए खुफिया एजेंसियों ने भी शाह का दौरा रद्द करने की सलाह दी हो। लेकिन इसे अमित शाह की दिलेरी ही कहा जाएगा कि विपरीत परिस्थितियों में भी दौरा किया। तय कार्य्रकम के मुताबिक श्रीनगर से लेकर जम्मू तक में सभाएं की और जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से विकास कार्यों का जायजा लिया। अमित शाह का यह दौरा कश्मीरियों और प्रवासी हिंदुओं की हौसला अफजाई बढ़ाने वाला रहा। यदि इस मौके पर अमित शाह अपना दौरा रद्द कर देते तो आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं को जश्न मनाने का अवसर मिल जाता। जिस श्रीनगर में आतंकियों ने पानी पूडी बेचने वाले बिहार के एक हिन्दू को मौत के घाट उतारा, उसी श्रीनगर के शेरे-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित सभा में पोडियम से बुलेटप्रूफ शीशे भी अमित शाह ने हटा दिया। शाह ने कहा कि अब किसी को किसी से डरने की जरुरत नहीं है। ऐसे सुरक्षा कवच आम लोगों से संवाद में बाधा डालते हैं, इसलिए हटाए जाने चाहिए। सब जानते हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खानदानों के लोग पाकिस्तान से बातचीत करने का दबाव भारत सरकार पर डालते रहे हैं, लेकिन ऐसे खानदानों को भी अमित शाह ने अपने कश्मीर दौरे में मुंह तोड़ जवाब दिया। शाह ने कहा कि हम पाकिस्तान से नहीं बल्कि कश्मीर के युवाओं से सीधी बात करेंगे। जाहिर है कि शाह ने खानदानों की मांगों को खारिज कर दिया है। सही भी है कि जब हम कश्मीरियों से संवाद कर रहे हैं तो पाकिस्तान से क्यों करें। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद खुद कश्मीरियों ने महसूस किया है कि विकास के क्या मायने होते हैं। हजारों कश्मीरी युवाओं को जहां सरकारी नौकरियां मिली, वहीं पर्यटन के बढऩे से हजारों परिवारों को रोजगार मिला है। कश्मीरियों की आय का मुख्य स्त्रोत पर्यटन उद्योग ही है और यह उद्योग तभी चलेगा, जब कश्मीर में शांति होगी। कश्मीरी नागरिक खास कर मुसलमान भी अब समझ गए हैं कि देश की मुख्यधारा से जुड़े रहने में भी फायदा है। कश्मीरियों के सामने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद के हालात सामने हैं। यहां भुखमरी जैसे हालात है, जबकि हमारे कश्मीर में लोगों को अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अमित शाह के दौरे की एक खास बात यह भी है कि यह दौरा 1947 के अक्टूबर की याद दिलाता है। सब जानते हैं कि 14 और 15 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजों ने पाकिस्तान और भारत को अलग अलग राष्ट्र घोषित किया, तब कश्मीर के राजा हरिसिंह ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान से अलग रखा। तब अक्टूबर में पाकिस्तानी सेना की मदद से  कबाइलियों   ने कश्मीर में मार काट शुरू कर दी। हालात बिगड़ते देख राजा हरिसिंह ने स्वयं को भारत में शामिल होने की घोषणा की। उस समय सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के गृहमंत्री थे। पटेल ने ही हरिसिंह से संवाद किया और तब अक्टूबर के इन्हीं दिनों में पाकिस्तानी कबाइलियों को कश्मीर से खदेड़ा। तब यदि यूएनओ और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का दखल नहीं होता तो सरदार पटेल और भारतीय सेना मुजफ्फराबाद से भी कबाइलियों को भगा देते। लेकिन तब यथास्थिति को स्वीकार किया गया और इसलिए हमारे कश्मीर के दो जिले पाकिस्तान के कब्जे में रह गए। अब कबाइलियों के भेष में पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में आ रहे हैं। अमित शाह ने गृहमंत्री बनने के बाद कश्मीर से अनुच्छेद 370 को तो हटा दिया। अब पाकिस्तानी आतंकियों को भी सबक सिखाया जा रहा है। कोई माने या नहीं, लेकिन अमित शाह अब सरकार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका में है। जिस अनुच्छेद 370 पर चर्चा करने से भी डर लगता था, उसे अमित शाह ने ही हटाया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

अशोक गहलोत ने राजस्थान में और सचिन पायलट ने मध्यप्रदेश में उपचुनाव की सभाओं को संबोधित किया।दिवंगत भाजपा विधायक गौतम मीणा के निवास पर जाकर मैंने कोई राजनीति नहीं की-सीएम गहलोत।

26 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धरियावद और वल्लभ नगर के उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीताने के लिए अनेक चुनावी सभाओं को संबोधित किया। वहीं सात वर्षों तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और मौजूदा समय में राजस्थान में अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले सचिन पायलट ने 26 अक्टूबर को ही मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव की सभाओं को संबोधित किया। राजस्थान और मध्यप्रदेश विधानसभा के उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को मतदान होगा। हालांकि प्रत्याशियों के नामांकन के समय गत 8 अक्टूबर को सीएम गहलोत और सचिन पायलट एक साथ मौजूद थे, लेकिन इसके बाद उपचुनाव के प्रचार में राजस्थान में पायलट की कोई भूमिका नजर नहीं आई है। सीएम गहलोत ने उदयपुर के धरियावद के लसाडिय़ा गांव में चुनावी सभा को संबोधित किया। संबोधन से पहले गहलोत लसाडिय़ा में भाजपा के दिवंगत विधायक गौतमलाल मीणा के निवास पर भी गए। गहलोत ने गौतम के परिजन के समक्ष अपनी संवेदनाएं प्रकट की। गहलोत लसाडिय़ा में जब चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी एक पर्ची के माध्यम से उन्हें सूचित किया गया कि भाजपा विधायक के निवास स्थान पर जाने को लेकर अब भाजपा के नेता गहलोत पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। इस पर्ची को देखने के बाद गहलोत ने कहा कि मैंने दिवंगत विधायक के निवास पर जाकर कोई राजनीति नहीं की है। भाजपा विधायक गौतम जब कोरोना संक्रमित थे, तब भी मैंने उनसे बात की थी। गौतम के डॉक्टर पुत्र से भी संवाद किया था। मैं जब लसाडिय़ा में आया हंू तो मेरा फर्ज बनता है कि मैं दिवंगत विधायक के निवास स्थान पर भी जाऊ। गहलोत ने कहा कि भाजपा के नेता बेवजह के बयान देते रहते हैं। गहलोत ने कहा कि यदि भाजपा वाले दिवंगत विधायक के पुत्र को उम्मीदवार बनाते तब भी मैं शिष्टाचार के नाते उनके निवास स्थान पर जाता। गहलोत ने कहा कि राजनीति अपनी जगह है शिष्टाचार अपनी जगह। लेकिन वहीं भाजपा नेताओं ने कहा कि यदि गहलोत के मन में दिवंगत विधायक गौतम के प्रति इतनी ही संवेदना थी, तो उन्हें चुनाव की घोषणा होने से पहले उनके निवास स्थान पर आना चाहिए था। गहलोत चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा विधायक के निवास स्थान पर जाकर राजनीति कर रहे हैं लेकिन इसका असर चुनाव परिणाम पर नहीं पड़ेगा।
वोट दो, बाकी मुझ पर छोड़ दो-गहलोत:
धरियावद और वल्लभनगर की चुनावी सभाओं में गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को वोट दो और बाकी मुझ पर छोड़ दो। मैंने पहले भी विकास के कामों में कोई कमी नहीं रखी और आगे भी नहीं रखूंगा, गहलोत ने कहा कि प्रदेशभर में प्रशासन शहरों और गांवों के संग चल रहा है। चूंकि धरियावद और वल्लभनगर में चुनाव है, इसलिए इन दिनों यह अभियान यहां नहीं चल रहा। लेकिन परिणाम के बाद जब शिविर लगेंगे तो लोगों को कब्जाशुदा भूमि पर पट्टे जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब एक स्थान पर 22 विभागों के अधिकारी उपस्थित रहेंगे तब समस्याओं के समाधान होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। गहलोत ने कहा कि मैं जनता के आशीर्वाद से तीसरी बार मुख्यमंत्री बना हंू। हालांकि भाजपा के लोगों ने मेरी सरकार गिराने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। गहलोत ने कहा कि मेरी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में से डेढ़ वर्ष तो कोरोना में ही चला गया। शेष डेढ़ वर्ष में हमने एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी है। जबकि 30-40 हजार नौकरी आने वाले दिनों में दी जाएगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Monday 25 October 2021

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलें तेज।

25 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। वन टू वन हुई इस मुलाकात में कई मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ। हालांकि सीएम गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि जब तक मंत्रिमंडल का फेरबदल नहीं होता तब तक मीडिया में फर्जी खबरें चलती रहेंगी। लेकिन 25 अक्टूबर को तो राज्यपाल से मुलाकात कर गहलोत ने स्वयं ही अटकलों को बढ़ावा दिया है। यह सही है कि गहलोत चाहेंगे, तभी मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां जैसे कार्य होंगे। गहलोत पर ऐसा कोई दबाव नहीं है जिसके अंतर्गत मंत्रिमंडल में बदलाव करना पड़े, लेकिन फिर भी राज्यपाल से मुलाकात के राजनीतिक मायने तो हैं ही। सीएम गहलोत कृषि कानूनों को राजभवन में लटकाए रखने को लेकर भले ही कलराज मिश्र की सार्वजनिक आलोचना करें, लेकिन गहलोत ने मिश्र से व्यक्तिगत संबंध अच्छे बनाए रखे हुए हैं। गत 26 अगस्त को सीएम गहलोत ने जब एंजियोप्लास्टी करवाई तो उनके निवास स्थान पर सबसे पहले मिलने वालों में कलराज मिश्र ही थे। सीएम गहलोत कई बार यह भी कह चुके हैं कि मिश्र आगे होकर स्वयं फोन करते हैं। शिष्टाचार के नाते मुख्यमंत्री को फोन करना चाहिए, लेकिन कलराज मिश्र स्वयं ही आगे बढ़कर फोन कर लेते हैं। राज्यपाल के साथ ऐसी मित्रता के बीच में ही गहलोत ने 25 अक्टूबर को मिश्र से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल को रोकने को लेकर सरकार ने जो निर्णय लिया है, उसको लेकर राज्यपाल से अध्यादेश जारी करवाया जाएगा। सरकार ने परीक्षा में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए आरोपी को सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया है। चूंकि अभी विधानसभा नहीं चल रही है, इसलिए अध्यादेश के जरिए कानून लागू किया जाएगा। जहां तक मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों का सवाल है तो दीपावली बाद ही संभावना है। प्रदेश में दो विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव 30 अक्टूबर को होने हैं। चुनाव परिणाम के बाद दीपावली का पर्व है। ऐसे में माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल दीपावली के बाद ही हो सकता है। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को पंजाब और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाए जाने के बाद मंत्रिमंडल फेरबदल की संभावना और बढ़ गई है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

25 लाख रुपए की लागत वाले लघु उद्योग पर मिलने वाली 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी पर 26 अक्टूबर को होगी लाइव वेबीनार।अजमेर के चोयल स्कूल ऑफ मिलिंग एंड टेक्नोलॉजी की सहयोगी और सकारात्मक पहल।अजमेर के पीसांगन में 31 अक्टूबर को रक्तदान शिविर।

क्या आप आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 50 हजार से लेकर 25 लाख रुपए तक का उद्योग लगाकर 35 प्रतिशत तक या फिर 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी प्राप्त कर लघु उद्यमी बनने चाहते हैं तो आपको 26 अक्टूबर को दोपहर तीन बजे से शुरू होने वाली लाइव वेबीनार से जुड़ना चाहिए। इस वेबीनार में देश के प्रमुख सफल उद्योगपति और अजमेर स्थित चोयल स्कूल ऑफ मिलिंग एंड टेक्नोलॉजी के सीईओ राधे चोयल आपके हर सवाल का जवाब देंगे। चोयल ने बताया कि इन वेबीनार से https://m.facebook.com/ChoyalWorldClassGrindingSolutions/ व https://www.facebook.com/radhey.choyal तथा https://www.youtube.com/channel/UCr7wDX9PF-YYb6efaS2HXDQ/featured आदि के माध्यम से जुड़ा जा सकता है। वेबीनार के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 8003198247 पर अनिरुद्ध शर्मा से ली जा सकती है। चोयल ने बताया कि यह वेबीनार राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड के सहयोग से हो रही है। इस वेबीनार में बोर्ड के चेयरमैन पवनलाल शर्मा (आईएएस) भी उपस्थित रहेेंगे। इस वेबीनार में कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है। चोयल ने बताया कि लघुउद्यमी आवश्यक जानकारी होने के अभाव में सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाता है। लघुउद्यमी की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए वेबीनार आयोजित की गई है। इस वेबीनार में यह भी बताया जाएगा कि उद्योग के लिए कहां आवेदन करना है तथा किस प्रकार से फाइनेंस प्राप्त होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि राधे चोयल सफल उद्यमी के साथ साथ इनोवेटर, मोटीवेटर और लेखक भी हैं। इस वेबीनार में गेंहू क्लीनिंग और सोर टैक्स प्लांट, आटा प्लांट, मसाला प्लांट, बेसन प्लांट, दलिया प्लांट, मोबाइल क्लीनिंग आदि के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
रक्तदान शिविर:
डेंगू के बढ़ते मरीजों की संख्या और ब्लड की आवश्यकता को देखते हुए आगामी 31 अक्टूबर को अजमेर के पीसांगन कस्बे में प्रात: 9 बजे से एक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया है। शिविर के प्रमुख कुलदीप कुमावत ने बताया कि यह शिविर मां भारती ग्रुप की ओर से आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में रक्तदान करने के इच्छु युवा अपना नाम मोबाइल नम्बर 9309361050 व 9782640674 पर दर्ज करवा सकते हैं। कुमावत ने कहा कि शिविर में एकत्रित ब्लड को जरुरतमंद लोगों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर रक्तदान करें ताकि डेंगू के मरीजों को बचाया जा सके। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

वसुंधरा राजे और डोटासरा की तर्ज पर सतीश पूनिया ने भी मनाया जन्मदिन। राजनीति में ऐसा करना अब जरूरी हो गया।राजस्थान में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए विपक्ष की भूमिका निभाना आसान नहीं।

राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने 24 अक्टूबर को जयपुर में अपने रानी सती नगर के आवास पर अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया। उत्साही समर्थकों ने घर के बाहर अबकी बार सतीश सरकार के बैनर लगा दिए। राजस्थान में पिछले 25 वर्षों से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बन रही है, क्योंकि अभी अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। इसलिए नवंबर 2023 में भाजपा की सरकार बनने का नंबर है। इस परंपरा को देखते हुए ही 24 अक्टूबर को सतीश पूनिया के जन्मदिन पर खासा उत्साह रहा। असल में अब जन्मदिन के मौके पर शक्ति प्रदर्शन का रिवाज हो गया है। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने जन्मदिन पर जबरदस्त भीड़ जुटाई तो इससे पहले भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने धार्मिक स्थल गिर्राज जी में प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के बीच जन्मदिन मनाया। वसुंधरा की तरह ही सतीश पूनिया ने 24 अक्टूबर को बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था भी की। हजारों लोगों ने भोजन किया, लेकिन व्यवस्था फेल नहीं हुई। माला पहनाने और बधाई देने का जो सिलसिला सुबह 10 बजे से शुरू हुआ वह सायं 5:30 बजे तक लगातार चलता रहा। प्रदेश भर से आए कार्यकर्ताओं ने पूनिया के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। पूनिया ने इतना बड़ा शक्ति प्रदर्शन तब किया है, जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को दूसरे दर्जे का बताते हैं। गहलोत ने कभी भी भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को महत्व नहीं दिया कई मौकों पर तो गहलोत ने विपक्ष के तौर पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के चेहरे को आगे रखा। हाईकोर्ट की मनाही के बाद भी गहलोत ने वसुंधरा राजे को जयपुर में कैबिनेट मंत्री वाला आलीशान बंगला आवंटित किया। गहलोत ने लगातार यह प्रदर्शित किया कि वसुंधरा राजे ही विपक्ष की नेता हैं। भाजपा में मुख्यमंत्री पद के 5-6 दावेदार हैं, यह बात कहकर गहलोत ने सतीश पूनिया का मजाक भी उड़ाया, लेकिन पूनिया ने अपनी ओर से ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जो अमर्यादित हो, लेकिन 24 अक्टूबर को पूनिया ने जन्मदिन के मौके पर राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन कर सभी को जवाब दे दिया है। यह सही है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए विपक्ष की भूमिका निभाना आसान नहीं है। गहलोत अपने प्रतिद्वंदी को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। प्रतिद्वंदी भले ही उनकी पार्टी का ही क्यों न हो। विधायकों तक की जासूसी करवाने के आरोप खुद कांग्रेस के विधायकों ने लगाए हैं। हर वक्त आक्रमण करने वाले गहलोत के सामने सतीश पूनिया के नेतृत्व में भी भाजपा ने कांग्रेस को चुनौती दी है। पूनिया को कई बार अपनी ही पार्टी में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन पूनिया ने धैर्य नहीं खोया। पूनिया की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह भाजपा के साधारण कार्यकर्ता से भी सरलता के साथ मिलते हैं, पिछले दिनों ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के निवास पर जाकर पूनिया ने अपने सरल स्वभाव का परिचय दिया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

तो शाहरुख खान के नशेड़ी बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार करने के कारण एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे को जेल जाना पड़ेगा?उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने ऐसी ही धमकी दी थी।ठाकरे सरकार में गृहमंत्री रहे अनिल देशमुख ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को होटल वालों से 100 करोड़ रुपए प्रतिमा वसूलने के आदेश दिए थे।


फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को नशीले पदार्थ के प्रकरण में गिरफ्तार करने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के मुंबई स्थित जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को अब जेल जाना पड़ सकता है? आर्यन की गिरफ्तारी के मौके पर एनसीबी ने जिस प्रभाकर सेल को गवाह बनाया था, उसी ने अब आरोप लगाया कि एनसीबी के अधिकारियों ने खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए और इस मामले में शाहरुख से 25 करोड़ रुपए की मांग की। प्रभाकर सेल के इस हलफनामे से 2 दिन पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने कहा था कि आर्यन खान का ड्रग्स केस फर्जी है और एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे को जेल जाना पड़ेगा, क्योंकि यह बात नवाब मलिक जैसे प्रभावशाली मंत्री ने कही है, इसलिए स्वाभाविक है कि प्रभाकर सेल के हलफनामे के आधार पर मुंबई पुलिस अब समीर वानखेडे के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज करेगी। मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस वानखेड़े को गिरफ्तार भी करेगी। यदि ऐसा होता है तो यह सेंट्रल जांच एजेंसी और राज्य पुलिस में सीधा टकराव होगा। सवाल उठता है कि प्रभाकर सेल गत एक माह से क्यों चुप रहा? आर्यन के प्रकरण में यदि लेन-देन की बात और खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए थे तो पहले क्यों नहीं बताया? स्वाभाविक है कि अब प्रभाकर पर दबाव है, यह दबाव महाराष्ट्र सरकार का बताया जा रहा है। मंत्री नवाब मलिक का एक रिश्तेदार भी नशीले पदार्थ के पहले के किसी मामले में आरोपी रहा है, तभी से मलिक एनसीबी के जोनल का डायरेक्टर समीर वानखेडे से बेहद नाराज हैं, क्योंकि अब वानखेड़े ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन को भी जेल भिजवा दिया है, इसलिए नवाब मलिक अपनी मुंबई पुलिस से समीर वानखेड़े को ही गिरफ्तार करवाना चाहते हैं। सब जानते हैं कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की सरकार चल रही है। मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे के पास है तो गृहमंत्री का पद राष्ट्रवादी कांग्रेस को मिला हुआ है। नवाब मलिक भी राष्ट्रवादी कांग्रेस के कोटे से ही मंत्री हैं। नवाब मलिक अब भले ही एनसीबी पर लेनदेन का आरोप लगा रहे हो, लेकिन मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह ने तो गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए वसूलने के आदेश देने का आरोप लगाया था। देशमुख भी राष्ट्रवादी कांग्रेस के ही थे। परमबीर सिंह पर कैसे-कैसे आरोप लगे यह सब जानते हैं। असल में मुंबई और महाराष्ट्र में वही हो रहा है जो गठबंधन सरकार में शामिल लोग चाहते हैं। यदि कोई व्यक्ति आदेशों को नहीं मानता है तो उसका हाल परमबीर सिंह जैसा या फिर अब समीर वानखेड़े जैसा होगा। नवाब मलिक जैसे मंत्रियों के रहते समीर वानखेडे अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं? हालांकि यह मामला अभी कोर्ट में है और नवाब मलिक ने आरोपों का जवाब एनसीबी कोर्ट में ही देंगे।  समीर वानखेडे ने सभी आरोपों को झूठा बताया है जानकार सूत्रों के अनुसार नवाब मलिक के आरोपों के बाद आर्यन खान और चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे की मुसीबतें और बढ़ेंगी। एनसीबी अब पूरी ताकत के साथ कोर्ट में सबूत रखेगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Sunday 24 October 2021

आखिर परीक्षा के दिन इंटरनेट क्यों बंद करती है सरकार? नकल और पेपर लीक को रोकना सरकार की जिम्मेदारी। नेटबंदी से आम नागरिक परेशान।

राजस्थान में 23 अक्टूबर को पटवारी पद की परीक्षा हुई, इसलिए प्रदेशभर में सुबह 9 बजे से सायं 6 बजे तक इंटरनेट बंद रहा। यह परीक्षा 24 अक्टूबर को भी होनी है, इसलिए लगातार दूसरे दिन भी राजस्थान में नेटबंदी रहेगी। पटवारी परीक्षा में 15 लाख 62 हजार 995 अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। परीक्षा में नकल और पेपर लीक की घटनाओं को रोकने की जिम्मेदार सरकार की है। सरकार के पास खुफिया एजेंसियों से लेकर सुरक्षा बलों तक का बड़ा जाल है। लेकिन फिर भी परीक्षा वाले दिन प्रदेशभर में इंटरनेट बंद करवा दिया जाता है। सवाल उठता है कि क्या सरकार की एजेंसियां नकारा हैं जो इंटरनेट बंद किया जाता है? साम्प्रदायिक तनाव और दंगा फसाद होने के समय झूठी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए नेटबंदी समझ में आती है, लेकिन परीक्षा के दिन नेटबंदी होती है तो यह सरकार की विफलता है। सरकार अपने ऐसे इंतजाम करे जिसमें नकल और पेपर लीक को रोका जा सके। अब जब इंटरनेट आम व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गया है, तब नेटबंदी होने से लोगों को भारी परेशानी होती है। छोटी दुकान से लेकर बड़े शोरूम तक का काम नेट पर ही होता है। इंटरनेट तकनीक कितनी उपयोगी है इसका अंदाजा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी है। पिछले एक वर्ष से सीएम गहलोत अपने सरकारी आवास से ही इसी इंटरनेट तकनीक से सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आम जनता से भी संवाद कर रहे हैं। जब सीएम गहलोत के लिए इंटरनेट तकनीक इतनी उपयोगी है तो फिर परीक्षा की आड़ लेकर बार बार प्रदेश में नेटबंदी क्यों की जाती है? आने वाले दिनों में और भी प्रतियोगी परीक्षा होनी है, मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे परीक्षा के इंतजाम फुलप्रूफ करें ताकि नेटबंदी नहीं हो। सरकार स्वयं अधिकांश काम ऑनलाइन तकनीक से कर रही है। अब यदि सरकार नेटबंदी करती है तो सरकार के कामकाज पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। राजस्थान में दो दिन की नेटबंदी से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

तालिबान का फरमान। अफगानिस्तान में रह रहे सिक्ख और हिन्दू अब सुन्नी मुसलमान बने या फिर भाग जाए।सीएए का विरोध करने वाले बताएं कि हिन्दू और सिक्ख अफगानिस्तान से कहां जाएं?

23 अक्टूबर को मुस्लिम चरमपंथी संगठन तालिबान का नया फरमान सामने आया है। यह फरमान अफगानिस्तान में रह रहे हिन्दू, सिक्ख और गैर मुसलमानों के लिए है। इस फरमान में कहा गया है कि इन समुदायों के लोग या तो सुन्नी मुसलमान बन जाए या फिर अफगानिस्तान छोड़ दें। तालिबान के इस फरमान से हिन्दू और सिक्ख समुदाय के लोग डरे हुए हैं कि क्योंकि यदि वे सुन्नी मुसलमान नहीं बनेंगे तो तालिबान लड़ाके उनकी हत्या भी कर सकते हैं। अफगानिस्तान में गैर मुस्लिम में सबसे ज्यादा आबादी सिक्ख और हिंदुओं की है। जाहिर है कि अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताडऩा हो रही है, तालिबान अब अफगानिस्तान में गैर मुसलमानों को नहीं रहने देगा। भारत में जो लोग संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं वे बताएं कि अफगानिस्तान के सिक्ख और हिन्दू कहां जाएं। मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आने वाले हिन्दू सिक्ख, जैन, ईसाई और पारसी समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए ही नागरिकता कानून में संशोधन किया गया था, लेकिन दिल्ली के शाहीन बाग में बैठ कर कुछ लोगों ने विरोध किया। महीनों तक जाम रखा गया है, अनेक राजनीतिक दलों ने भी शाहीन बाग के आंदोलन का समर्थन किया। दिल्ली के कुछ गुरुद्वारों से शाहीन बाग में लंगर सेवा भी शुरू की गई। आंदोलनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह को भी नहीं माना। सवाल उठता है कि क्या अफगानिस्तान के हिन्दुओं और सिक्खों को भारत की नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए? अफगानिस्तान से भगाए जाने पर क्या पाकिस्तान जैसा मुस्लिम राष्ट्र सिक्खों और हिंदुओं को नागरिकता प्रदान कर देगा? पड़ोसी देशों में जिस तरह कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है, उसे देखते हुए ही भारत में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया था, लेकिन अफसोस वोटों की राजनीति के चलते ऐसे कानून का विरोध किया गया। तब यह कहा गया कि नए कानून में मुसलमानों को भी शामिल किया जाए। सवाल उठता है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में क्या किसी मुसलमान को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जा सकता है? तालिबान के कब्जे के बाद भी अफगानिस्तान से किसी भी मुसलमानों को नहीं भगाया जा रहा है। यदि नए नागरिकता कानून में मुसलमानों को शामिल किया जाता है तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुसलमान किस नीयत से भारत आएंगे, यह सब को पता है। इस हकीकत को भारत में रहने वाले मुसलमान भी जानते हैं। भारत के मुसलमान भी देख रहे है कि अफगानिस्तान में किस तरह शिया समुदाय की मस्जिदों में नमाज के वक्त बम विस्फोट हो रहे हैं। आतंक की विचारधारा मस्जिद में नमाज पढ़ते लोगों पर भी रहम नहीं कर रही है। आखिर कुछ लोग भारत को अफगानिस्तान क्यों बनाना चाहते हैं? तालिबान के ताजा फरमान से भारत में सीएए कानून का विरोध करने वालों को सबक लेना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Thursday 21 October 2021

राजस्थान में एक भी दलित मंत्री नहीं, यह बात कह कर सचिन पायलट ने दर्शा दिया है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने दब कर राजनीति नहीं करेंगे।सीएम गहलोत और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बताएं कि अंबेडकर की प्रतिमा के लोकार्पण समारोह में क्यों नहीं गए?

20 अक्टूबर को जयपुर के निकट चाकसू में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का लोकार्पण हुआ। इस समारोह में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने इस बात पर अफसोस जताया कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार में दलित वर्ग का एक भी मंत्री नहीं है। पायलट ने उम्मीद जताई कि मंत्रिमंडल में जल्द ही दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलेगा। पायलट का यह कोई राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह दर्शाने का प्रयास है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने दब कर राजनीति नहीं करेंगे। असल में पिछले दिनों गहलोत ने कहा था कि अपने हार्ट की रिपेयर करवाने के बाद अब अगले 20 वर्षों तक कुछ नहीं होगा और 2023 के चुनाव के बाद वे ही चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। इसी प्रकार हाल ही में जब गहलोत के सबसे पसंदीदा चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को जब कांग्रेस हाईकमान ने गुजरात का प्रभारी बनाया तो माना गया कि अब प्रदेश की राजनीति में अशोक गहलोत की चलेगी। गहलोत के नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है, लेकिन 20 अक्टूबर को गहलोत के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी दर्शा दिया है कि वे प्रदेश में दब कर राजनीति नहीं करेंगे। सब जानते हैं कि गत पिछले दिनों जब कैप्टर अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब अशोक गहलोत ने भी कहा था कि एक दलित को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस पार्टी ने दलितों का सम्मान किया है। पायलट के बयान के बाद गहलोत को यह बताना चाहिए कि वे राजस्थान में दलितों का कब तक अपमान करेंगे? गहलोत मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री दलित वर्ग का नहीं होना यह दलितों का अपमान ही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान में मंत्रिमंडल का फेरबदल और विस्तार किसी न किसी बाने से टाला जा रहा है। अब जब गहलोत सरकार के दो वर्ष ही रह गए है, तब भी मंत्रिमंडल के विस्तार के बारे में मुख्यमंत्री की ओर से कोई स्पष्ट बात नहीं कही जा रही है, लेकिन अब देखना है कि दलित वर्ग को मंत्री पद से कब तक वंचित रखा जाता है। पायलट ने राजनीतिक नियुक्तियों में भी दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की बात कही है।
क्यों नहीं गए गहलोत और डोटासरा?:
चाकसू में अंबेडकर की प्रतिमा के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी आमंत्रित किया गया था। समारोह के मुख्य आयोजक और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने बताया कि गहलोत और डोटासरा को विधिवत तौर पर बुलाया गया था, लेकिन ये दोनों ही नेता नहीं आए हैं। यदि मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष आते तो दलितों का और सम्मान बढ़ता। समारोह में कांग्रेस के आधा दर्जन विधायक मौजूद थे। इनमें गहलोत खेमे के प्रशांत बैरवा और श्रीमती इंदिरा गुर्जर भी मौजूद थीं। पायलट के ताजा बयान से राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। देखना है कि पायलट के इस हमले का अशोक गहलोत किस प्रकार जवाब देते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (21-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

अजमेर में पेट्रोल पंप पर फायरिंग के मामले में पुलिस को कई सूत्र मिले।पंप मालिक से उधार मांगने वालों की गतिविधियों पर भी नजर। मोटर बाइक की भी तलाश।फायरिंग को चुनौती के तौर पर ले रही है पुलिस।

किसी शहर में दोपहर को तीन बजे मोबाइल पर धमकी दी जाए और रात को 9 बजे दो बदमाश फायरिंग कर अपने मंसूबे उजाकर कर दें तो उस शहर की कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही वजह है कि 20 अक्टूबर की रात को 9 बजे अजमेर के कचहरी रोड स्थित अजमेर ऑटो सेंटर के पेट्रोल पंप पर हुई फायरिंग को पुलिस चुनौती के तौर पर स्वीकार कर रही है। आईपीएस विकास शर्मा ने तीन दिन पहले ही अजमेर के पुलिस अधीक्षक का पद संभाला है। शर्मा अभी अजमेर का मिजाज समझ ही रहे थे कि बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पुलिस को चुनौती दे दी है। पेट्रोल पंप परिसर में घुसकर चार पांच राउंड गोली चलाने के बाद भी कोई जनहानि नहीं होने से जाहिर है कि बदमाश सिर्फ दहशत करने की दृष्टि से आए थे। लेकिन सरेआम फायरिंग करके मौके से फरार हो जाना पुलिस के लिए चुनौती तो है ही। यही वजह है कि पुलिस जांच पेट्रोल पंप के आसपास ही घूम रही है। इस पेट्रोल पंप के दो पार्टनर है एक अरुण गर्ग और दूसरे नवीन गर्ग। नीवन गर्ग के पुत्र नमन गर्ग को पिछले तीन चार दिनों से वाट्सएप काल आ रहे थे, इसमें पांच करोड़ रुपए के बकाया होने की बात कही जा रही थी। लेकिन इन कॉलों की कोई शिकायत नवीन और नमन गर्ग की ओर से नहीं की गई। 20 अक्टूबर को दूसरे पार्टनर अरुण गर्ग को भी बकाया राशि के बारे में बताया गया, लेकिन अरुण गर्ग ने भी पुलिस को जानकारी नहीं दी। पुलिस अब उन लोगों का पता लगा रही है जो नवीन गर्ग से पैसा मांगते हैं। इसमें एक ठेकेदार का विवाद भी सामने आ रहा है। इस ठेकेदार और नवीन गर्ग के बीच नोटिसों का आदान प्रदान भी हुआ। पुलिस अब सभी पुराने विवादों को खंगाल रही है। हालांकि नवीन गर्ग ने पांच करोड़ रुपए की उधारी से साफ इनकार किया है। नवीन का कहना है कि 20 अक्टूबर की रात मेरा बेटा नमन यदि सतर्कता नहीं बरता तो गोली लग सकती थी। फायरिंग के बाद उनका पूरा परिवार दहशत में है। पुलिस को हमलावरों को जल्द से जल्द पकड़ना चाहिए। हमने पुलिस को सभी जानकारियां दे दी है। चूंकि फायरिंग की घटना सीसीटीवी कैमरे में दर्ज है, इसलिए पुलिस फायरिंग करने वाले युवक की पहचान करने में लगी हुई है। पुलिस के अनुसार दो युवक मोटर बाइक पर आए थे। दोनों ने मुंह को कपड़े से ढक रखा था। एक युवक बाइक लेकर सड़क पर ही खड़ा रहा, जबकि दूसरे युवक ने बड़े आराम से पेट्रोल पंप परिवार में गोलिया चलाई। पुलिस मोटर बाइक के माध्यम से भी युवकों को तलाशने का काम कर रही है। कुछ युवकों को हिरासत में लेकर भी पूछताछ की जा रही है। पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा जांच की निगरानी स्वयं कर रहे हैं। रात 9 बजे की घटना के बाद सुबह चार बजे पुलिस अधिकारी जांच करते रहे। जांच में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि फायरिंग करने वाले युवक को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। 
S.P.MITTAL BLOGGER (21-10-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

रईस परिवारों के बिगड़ैल लड़के अभिनेता शाहरुख खान के आंसुओं से सबक लें।शाहरुख ने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में अपने बेटे आर्यन से मुलाकात की। इस मुलाकात के लिए उद्धव ठाकरे सरकार ने मुलाकात पर लगी रोक हटाई।

21 अक्टूबर को फिल्म अभिनेता शाहरुख खान ने अपने बेटे आर्यन खान से मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में मुलाकात की। कोई 20 मिनट की इस मुलाकात में शाहरुख खान की आंखों से लगातार आंसू बहते रहे। पिता की स्थिति को देखते हुए आर्यन भी रोने लगा और उसने भरोसा दिलाया कि अब वह ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिसकी वजह से परिवार की इमेज खराब हो। मालूम हो कि क्रूज ड्रग्स केस में आर्यन खान गत 3 अक्टूबर से जेल में बंद हैं। सेशन कोर्ट से आर्यन की जमानत 20 अक्टूबर को ही खारिज हुई है। शाहरुख अपने बेटे से मिल सके, इसके लिए महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने 21 अक्टूबर को ही आदेश निकाल कर जेल में बंद कैदियों से परिजनों को मुलाकात की छूट दी है। कोरोना को देखते हुए सरकार ने जेलों में मुलाकात को बंद कर दिया था। चूंकि सरकार ने सभी कैदियों के लिए आदेश निकाला, इसलिए शाहरुख खान भी अपने बेटे आर्यन से मिलने के लिए आर्थर रोड जेल पहुंच गए। यूं तो शाहरुख खान करोड़ों रुपए की कीमत वाली कारों में घूमते हैं, लेकिन 21 अक्टूबर को एक साधारण सी कार में अपने पुत्र से मिलने आए। नशीले पदार्थ के सेवन और खरीदने के आरोपों के संबंध में शाहरुख खान ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 21 अक्टूबर को भी शाहरुख चुपचाप आए और चले गए। शाहरुख के चेहरे से साफ लग रहा था कि वे बहुत परेशान और निराश हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार 20 अक्टूबर को सेशन कोर्ट से जमानत प्रार्थना पत्र खारिज होने के बाद आर्यन खान जेल में बेहद मायूस थे। इसकी जानकारी जब शाहरुख को लगी तो उन्होंने बेटे से मिलने के लिए ठाकरे सरकार से गुहार लगाई। इसके बाद ही सरकार ने कोरोना काल में मुलाकात पर लगी रोक को हटा लिया। अब जेलों में बंद अन्य कैदियों के परिजन भी मुलाकात कर सकते हैं। आर्यन खान की जमानत तो हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट से हो ही जाएगी, लेकिन शाहरुख के आंसुओं से रईस परिवारों के बिगड़ैल लड़कों को सबक लेना चाहिए। जब ऐसे लड़के कानून के शिकंजे में फंसते हैं तो कोई प्रभाव काम में नहीं आता है। शाहरुख की एप्रोच महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में ही नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में भी हैं, लेकिन शाहरुख की एप्रोच और सारी धनशक्ति धरी रह गई। 21 अक्टूबर को जब ऑर्थर रोड जेल में आर्यन से मुलाकात की तो शाहरुख की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बेटे आर्यन के शौक और मौजमस्ती की वजह से शाहरुख खान जैसे मशहूर कलाकार को भी अपमानित होना पड़ रहा है। बिगड़ैल लड़के अपने परिवार की छवि तो खराब करते ही हैं साथ ही नशीले पदार्थों के सेवन से अपना शरीर भी बिगाड़ते हैं। जो लड़के नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं उन्हें शाहरुख के परिवार की ताजा स्थिति से सबक लेना चाहिए। इस मामले में अभिभावकों को भी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को संभाल कर रखें। आर्यन भी पूरी पूरी रात घर से गायब रहता था, लेकिन तब शाहरुख खान कोई सुध नहीं ली। यदि आर्यन के ऊपर पहले ही निगरानी की जाती तो आज शाहरुख को जेल जाकर आंसू नहीं बहाने पड़ते।
S.P.MITTAL BLOGGER (21-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने के प्रियंका गांधी के फैसले का राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वागत किया।क्या यही फार्मूला कांग्रेस शासित राज्यों में लागू होगा?राहुल गांधी पर इरफान का सटीक कार्टून।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव पांच माह बाद होने हैं। यहां कांग्रेस की कमान गांधी परिवार की सदस्य श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा के पास है। 19 अक्टूबर को प्रियंका गांधी ने घोषणा की कि आगामी विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे। यूपी में 403 विधानसभा क्षेत्र हैं। यानी कांग्रेस 160 क्षेत्रों में महिला उम्मीदवार बनाएगी। कांग्रेस भले ही 160 महिला उम्मीदवार बनाए, लेकिन मौजूदा समय में कांग्रेस के मात्र सात विधायक हैं, इनमें से महिला विधायकों की संख्या मात्र दो है। प्रियंका गांधी के 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने के फैसले का स्वागत राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी किया है। सब जानते हैं कि गहलोत को गांधी परिवार का सलाहकार माना जाता है। 16 अक्टूबर को ही दिल्ली में अशोक गहलोत और प्रियंका गांधी की मुलाकात हुई थी, हो सकता है कि तब इस मुद्दे पर भी विचार विमर्श हुआ हो। सवाल उठता है कि प्रियंका गांधी का यह फार्मूला क्या कांग्रेस शासित राज्यों पर भी लागू होगा? पंजाब में यूपी के साथ ही विधानसभा के चुनाव होने हैं, जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दो वर्ष बाद चुनाव होंगे। प्रियंका गांधी ने तर्क दिया है कि उत्तर प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं है, इसलिए कांग्रेस ने यह बड़ा निर्णय लिया है। प्रियंका गांधी ने महिला उत्पीड़न के कुछ मामलों का उल्लेख करते हुए अपने फार्मूले को पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया। महिलाओं से जुड़े ऐसे अपराध तो राजस्थान में भी होते हैं। छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं आए दिन होती है। आंकड़े बताते हंै कि बलात्कार और महिला ज्यादती के प्रकरण में देश में राजस्थान पहले स्थान पर है। यदि महिला ज्यादती का तर्क है तो फिर यूपी के साथ साथ राजस्थान में भी कांग्रेस को 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने चाहिए। सब जानते हैं कि 2017 से पहले सपा और बसपा के शासन में यूपी में महिलाओं खास कर स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं का अकले घर से बाहर निकलना मुश्किल था। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने पर सबसे पहले उन बदमाश लड़कों पर कार्यवाही की गई जो राह चलती लड़कियों को परेशान करते थे। अब महिला ज्यादतियों पर काफी अंकुश लगा है। प्रियंका गांधी भी जानती है कि यूपी में जो जातीय दबाव है उसे आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता। फिर भी प्रियंका गांधी के 40 प्रतिशत वाले फार्मूले का स्वागत किया जाना चाहिए। जब हम महिलाओं को आधी आबादी मानते हैं तो महिलाओं का 40 प्रतिशत टिकटों पर दावा तो बनती ही है। निसंदेह इससे महिलाओं की स्थिति मजबूत होगी।
राहुल पर कार्टून:
यूपी विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने एक स्लोगन भी दिया है। इस स्लोगन में कहा गया है कि लड़की   हूं,   लड़ सकती  हूं । इस स्लोगन पर ही एबीपी न्यूज के कार्टूनिस्ट इरफान ने 20 अक्टूबर को एक कार्टून बनाया। इस कार्टून में प्रियंका की इमेज पर लिखा लड़की हूं, लड़ सकती हूं । जबकि राहुल गांधी की इमेज पर लिखा लड़का हूं, ट्वीट कर सकता हूं। इस कार्टून पर जब न्‍यूज चैनल की एंकर ने प्रतिक्रिया चाही तो इरफान ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि प्रियंका गांधी आंदोलनरत रहती है, जबकि राहुल गांधी हर घटना पर सिर्फ ट्वीट करते हैं। इरफान का यह कार्टून मेरे फेसबुक पेज  www.facebook.com/SPMittalblog  पर देखा जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (20-10-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511