Saturday 21 October 2017

#3173
दीपावली पर मुस्लिम महिलाओं की आरती पर दारुल उलूम देवबंद को ऐतराज। सोशल मीडिया पर फोटो और महिलाओं के बाल कटवाने को भी इस्लाम विरोध बताया।
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दीपावली पर यूपी के बनारस में कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा उर्दू में रचित श्रीराम की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ करने को देवबंद स्थित दरुल उलूम ने गैर इस्लामिक करार दिया है। दरअसल मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं के लिए संघर्ष करने वाली नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में कुछ मुस्लिम महिलाओं ने दीपावली पर श्रीराम की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ किया था। इस पर दरुल उलूम ने फतवा जारी कर कहा है कि अल्लाह को छोड़ कर किसी अन्य ईश्वर की पूजा करने वाला मुस्लिम नहीं रह सकता। मालूम हो कि नाजनीन अंसारी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 501 रुपए का चंदा भी दिया है तथा अपने संगठन मुस्लिम महिला फाउंडेशन की ओर से सबसे पहले तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार के रुख का समर्थन भी किया था। 
फोटो और बल कटवाने पर भी ऐतराजः
दारुल उलूम ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम पुरुष और महिलाओं की फोटो बेवजह अपलोड करने को भी नजायज बताया है। अपने फतवे में दारुल उलूम ने कहा मुस्लिम महिलाओं एवं पुरुषों को अपनी या अपने परिवार के फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं करने चाहिए, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। इससे पहले भी दारुल उलूम ने मुस्लिम महिलाओं की हेयर कटिंग और आइब्रो बनवाने को भी नजायज करार दिया था। दरअसल सहारनपुर के एक शख्स ने जानना चाहा था कि क्या वह अपनी पत्नी को बाल कटवाने और आइब्रो बनवाने की इजाजत दे सकता है? इस पर दारुल उलूम की ओर से कहा गया कि इस्माल में आइब्रो बनवाना और बाल कटवाना धर्म के खिलाफ है। कोई महिला ऐसा करती है तो वह इस्माल के नियमों का उल्लंघन कर रही है। इस फतवे को जारी करने के पीछे तर्क दिया गया कि इस्लाम में महिलाओं पर दस पाबंदिया लगाई गई है उन्हीं में से बाल काटना और आइब्रो बनवाना भी शामिल है। इस्लाम मजबूरी में बाल काटने की इजाजत देता है बिना किसी मजबूरी के बाल कटवाना नाजायज है। 
एस.पी.मित्तल) (21-10-17)
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#3172
सरवाड़ दरगाह के निलंबित मुतवल्ली के मामले में जांच शुरू। बेटा जमानत पर छूटा।
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सूफी संत ख्वाजा साहब के पुत्र ख्वाजा फखरुद्दीन की सरवाड़ (अजमेर) स्थित दरगाह के निलंबित मुतवल्ली मोहम्मद यूसुफ खान के मामले में राजस्थान वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमान उल्ला खान ने जांच शुरू कर दी है। 21 अक्टूबर को खान ने सरवाड़ पहुंचकर दरगाह से जुड़े लोगों के बयान दर्ज किए। यहां यह उल्लेखनीय है कि मुतवल्ली खान पर वित्तीय अनियमित्ताओं का आरोप लगाते हुए विगत दिनों मुसलमानों के प्रतिनिधि मंडलों ने सीएम वसुंधरा राजे को ज्ञापन दिए थे। सीएम के दिशा निर्देश पर ही 18 अक्टूबर को वक्फ बोर्ड की आपात बैठक कर खान को मुतवल्ली के पद से निलंबित किया गया तथा जांच के लिए अमान उल्ला खान को सरवाड़ भेजा गया। हालांकि बोर्ड की इस जांच में निलंबित मुतवल्ली के पुत्र रेहान खान ने बाधा डालने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने सख्त कार्यवाही करते हुए रेहान को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। बाद में एसडीएम की अदालत से रेहान की जमानत हुई।
नहीं दिया चार्जः
यूसुफ खान ने दरगाह के मुतवल्ली पद का चार्ज अभी तक नहीं दिया है। इसके साथ ही खान जांच को भी प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे लोगों के बयान दर्ज करवाए गए हैं जो मुतवल्ली के समर्थक हैं। दरगाह परिसर में दुकान चलाने वाले अनेक दुकानदार अब यूसुफ खान को ईमानदार बता रहे हैं। सीएम को ज्ञापन देने वालों का कहना है कि यूसुफ खान अभी भी अपने पद के प्रभाव को काम में ले रहे हैं।

एस.पी.मित्तल) (21-10-17)
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#3171
तो वसुंधरा राजे के राज में भ्रष्टाचारियों की हो जाएगी मौज। कोर्ट के आदेश से भी अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज नहीं हो सकेगा मुकदमा। विधानसभा के इसी सत्र में रखा जाएगा विधेयक।
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23 अक्टूबर से शुरू होने वाले विधानसभा के सत्र में राजस्थान की भाजपा सरकार एक ऐसा विधेयक प्रस्तुत करने जा रही है जिसके पास होने पर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी और कर्मचारी और निर्भय हो जाएंगे। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सीएम वसुंधरा राजे ने इस विधेयक को प्रस्तुत करने की स्वीकृति दे दी है। असल में यह विधेयक सीएम की पहल पर ही लाया जा रहा है। सरकार ने भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के लिए एसीबी का गठन कर रखा है, लेकिन यह जांच एजेंसी भी सरकार की स्वीकृति के बिना किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती है। इसलिए भ्रष्टाचारियों से परेशान पीड़ित लोग कई अफसरों के खिलाफ सीधे कोर्ट में इस्तेगासा दायर कर मुकदमे के आदेश करवा रहे हैं। सरकार में बैठे लोगोें का यह मानना है कि इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। अदालत के आदेश होते ही अफसरों के नाम अखबारों के प्रथम पृष्ठ पर छप रहे हैं। सरकार अब जो विधेयक ला रही है उसमें ऐसा प्रावधान है कि अदालत के आदेश के बाद भी पुलिस सरकारी कर्मिकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती है। भले ही कोर्ट ऐसे आदेश कर दें यानि कोर्ट के आदेश के बाद भी संबंधित पुलिस को पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। जब तक सरकार की अनुमति नहीं मिलेगी तब तक मुकदमा भी दर्ज नहीं हो सकेगा। इतना ही नहीं मात्र आरोप के आधार पर खबर प्रकाशित करने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकेगी। सरकार में बैठे लोग माने या नहीं, लेकिन यदि यह विधेयक पास होता है तो भ्रष्ट अधिकारी और निर्भय हो जाएंगे। अभी जिन लोगों का सरकारी दफ्तरों में काम पड़ता है उन्हें पता है कि भ्रष्टाचार किस तरह फैला हुआ है। जायज काम भी रिश्वत दिए बिना नहीं होता। अच्छा होता कि सरकार ऐसा कोई कानून लाती, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता। सब जानते है कि सरकार का यह विधेयक आसानी से विधानसभा में पास हो जाएगा, क्योंकि 200 में से 162 विधायक भाजपा के हैं।
एस.पी.मित्तल) (21-10-17)
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#3170
अब 23 अक्टूबर को होगा अजमेर के पटेल मैदान में दुधियों का सम्मेलन। सीएम राजे के सामने डेयरी अध्यक्ष चैधरी करेंगे शक्ति प्रदर्शन।
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की उपस्थिति में 22 अक्टूबर को होने वाला अजमेर जिले के दुधियों का सम्मेलन अब 23 अक्टूबर को पटेल मैदान पर होगा। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चैधरी ने बताया कि सीएम राजे के 22 अक्टूबर को अयंत्र व्यस्त होने के कारण अब यह सम्मेलन 23 अक्टूबर को रखा गया है। इस सम्मेलन में सीएम राजे डेयरी के नए प्लांट का शिलान्यास भी करेंगी। यह सम्मेलन प्रातः 11 बजे शुरू होग जाएगा। केन्द्र सरकार ने नए प्लांट के लिए 250 करोड़ रुपए का लोन स्वीकृत किया है। इसमें 50 करोड़ रुपए की राशि अनुदान के तौर पर मिलेगी। नया प्लांट अत्याधुनिक तकनीक पर बनेगा। जिससे डेयरी के उत्पादों की गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी। दूध उत्पादक और डेयरी के कारोबार से जुड़े सभी ग्रामीणों को दोपहर का भोजन डेयरी प्रबंधन की ओर से कराया जाएगा। वाहनों के लिए पटेल मैदान के आसपास ही इंतजाम किए गए हैं।
चैधरी का शक्ति प्रदर्शनी भीः
जिलेभर के दुधियों का सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं। इस चुनावों के मद्देनजर ही सीएम राजे जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में जनसंवाद का कार्य कर चुकी हैं। इन सभी जन संवादों में क्षेत्रीय भाजपा विधायक और नेताओं ने शक्ति प्रदर्शन भी किया। ऐसे में डेयरी के सम्मेलन और प्लांट के शिलान्यास को भी डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चैधरी का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। चैधरी भी उपचुनाव में भाजपा के टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। सीएम के सामने 20 हजार से भी ज्यादा ग्रामीणों की उपस्थिति दर्ज करवा कर चैधरी अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहते हैं। यही वजह है कि पूरा आयोजन चैधरी पर ही निर्भर है। डेयरी के इस आयोजन मे भाजपा संगठन की भी कोई भूमिका नहीं है। जिलेभर से ग्रामीणों को लाने और फिर वापस गांव तक पहुंचाने के सारे प्रबंध चैधरी के समर्थक ही कर रहे हैं। सम्मेलन स्थल पटेल मैदान पर लगने वाले टेंट, मंच आदि का खर्च भी चैधरी के माध्यम से हो रहा है। असल में चैधरी सीएम के सामने यह दिखाना चाहते हैं कि अजमेर जिले में उनकी कितनी पकड़ है। वह अकेले दम पर हजारों की भीड़ एकत्रित कर सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (21-10-17)
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Friday 20 October 2017

#3167
आखिर भाजपा में रासासिंह रावत की उपेक्षा क्यों की जा रही है ?
18 साल संसद में बैठने की वजह से कान तक खराब हो गए।
नरेन्द्र मोदी और अमित शाह तथा राजस्थान में वसुन्धरा राजे के नियंत्रण वाली भाजपा में ऐसे अनेक नेता हैं जो एक या दो बार सांसद रहे, लेकिन आज वे किसी प्रांत के राज्यपाल हैं अथवा अन्य किसी सरकारी पद पर बैठे हुए सत्ता का सुख प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन अजमेर से पांच बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले 77 वर्षीय रासासिंह रावत आज किसी मंत्री अथवा मुख्यमंत्री के आने पर लाइन में माला लेकर खड़े नजर आते हंै। रावत ने 6 बार अजमेर और एक बार भाजपा के टिकट पर राजसमंद से चुनाव लड़ा और पांच बार विजयी हुए। पांच बार चुने जाने की वजह से ही रावत ने करीब 18 साल अजमेर का लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। यह रावत का दुर्भाग्य रहा कि जब वे अजमेर से चुनाव जीते तो केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनी, इसलिए कोई बड़ा प्रोजेक्ट तो रावत अजमेर में नहीं ला सके। लेकिन रेल्वे कारखाने का आधुनीकीकरण, ब्राडगेज की लाइन, बीसलपुर का पानी आदि उपलब्धियां रावत के खाते में गनाई जा सकती हैं। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट जब केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री थे तब अजमेर के सीआरपीएफ के एक ग्रुप सेंटर को दौसा जिले में ले जाना चाहते थे, लेकिन तब रावत ने संसद में पायलट के प्रयासों का पुरजोर विरोध किया। आज दोनों ग्रुप सेंटर अजमेर में चल रहे हैं। अजमेर संभवत देश में एक मात्र शहर होगा, जहां सीआरपीएफ के दो सेंटर संचालित हैं। चूंकि एक सेंटर में हजारों जवान मौजूद रहते हंै, इसलिए इसका असर अजमेर शहर की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। चूंकि रावत शिक्षाविद हैं इसलिए संसद में हर विषय पर बोलने की क्षमता रखते हंै। भाजपा की राजनीति में जब अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आड़वाणी, मुरली मनोहर जोशी का दखल था तब प्रखर वक्ता के तौर पर रावत ही संसद में सत्तापक्ष को जवाब देते थे। रावत की संसद में कितनी प्रभावी भूमिका रही इस बात को आडवाणी और जोशी जैसे नेता अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन भाजपा में अब दोनों ही नेताओं का कोई वजूद नहीं है, इसलिए पांच बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले रासासिंह रावत मंत्रियों के स्वागत के लिए माला लेकर खड़े हुए हैं।
कान भी हो गए खराब:
संसद में रावत की सौ प्रतिशत उपस्थिति रही है। चूंकि पूरे समय रावत संसद में सक्रिय रहते थे इसलिए अपने कान पर ईयर फोन लगा कर रखते थे। ईयरफोन के लगातार लगे रहने से रावत की सुनने की क्षमता भी आज कम हो गई है। यही वजह है कि उन्हें दोनों कानों में सुनने की मशीन लगाकर रखनी पड़ती है, लेकिन उनकी कार्यक्षमता पर कोई असर नहीं है। स्वास्थ्य खराब होने के बाद भी कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल बने हुए है तो रासासिंह तो अभी फर्राटा दौड़ में भाग ले सकते हैं। जो लोग इस समय भाजपा के कर्णधार बने हुए है वे माने या नहीं, लेकिन रासासिंह रावत ने राजस्थान में विपरीत परिस्थितियों में अजमेर से भाजपा का झंडा बुलंद रखा था। बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि 1977 में जब पहली बार रावत ने चुनाव लड़ा तब जन्म लेने वाले भाजपा के आज के नेता भी रावत की राजनीतिक यात्रा को नहीं देख रहे हंै। राजस्थान भाजपा में रावत अकेले ऐसे नेता हैं जो पांच बार सांसद रह चुके हैं।
उपचुनाव में दावेदार:
अजमेर संसदीय क्षेत्र में इसी वर्ष लोकसभा के उपचुनाव होने हैं। रावत ने एक बार फिर पुरजोर तरीके से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। सीएम वसुंधरा राजे ने अजमेर जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में जनसंवाद किया। सातों जगह रावत ने सीएम को गुलदस्ता भेंट किया। नसीराबाद के अंतिम जनसंवाद में तो सीएम को भी कहना पड़ा कि रासासिंह जी आप तो अभी भी जवान हो। यह टिप्पणी सीएम ने रावत की राजनीतिक सक्रियता पर की। रावत अब इस बात से बेहद उत्साहित हैं कि सीएम ने अपनी आफिशियल फेसबुक पर रावत के स्वागत वाला फोटो पोस्ट किया है। रावत का भी मानना है कि यदि सीएम राजे चाहे तो उपचुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनवा सकती हैं। रावत ने अपनी उम्मदवारी के लिए सीएम राजे को 6 पेज का बायोडेटा भी दे दिया है। यदि इस बायोडेटा को कोई नेता पढ़े तो वाकई प्रभावित होगा। उम्र के लिहाज से भले ही रावत को उपचुनाव में उम्मीदवार न बनाया जाए, लेकिन कम से कम गोवा जैसे छोटे प्रांत का राज्यपाल तो बनाया ही जा सकता है। लेकिन रावत का मानना है कि यदि उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो वे बड़ी आसानी से उपचुनाव में भाजपा की जीत करवा सकते हैं। ब्यावर विधानसभा क्षेत्र भले ही अजमेर ससंदीय क्षेत्र में न आता हो, लेकिन उनकी जाति के डेढ़ लाख रावत मतदाता आज भी हंै। चूंकि पचास साल के राजनीतिक सफर में आज तक भी उन पर भष्ट्चार का कोई दाग नहीं लगा है, इसलिए सर्व समाज में उनकी इमेज साफ सुथरी है। किसी समय जब टेलिफोन और रसोई गैस कनेंशन संासद कोटे में मिलते थे तब उन्होंने पार्टी के कार्यकत्र्ताओं और आमजनों को यह सुविधा उपलब्ध करवाई। उपचुनाव में अपनी उम्मीदवारी को लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके हंै और अब उनका प्रयास राष्ट््ीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का है। विदेशमंत्री श्रीमति सुषमा स्वराज ने भी रावत को अमित शाह से मिलने की सलाह दी। 
एस.पी.मित्तल) (20-10-17)
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#3168
वाकई बेहद कठिन है ब्लाग लिखना।
भाई सुरेन्द्र चतुर्वेदी का आभार।
सोशल मीडिया पर डाले जा रहे ब्लाग और पोस्टों की जब चौतरफा आलोचना हो रही है, तब देश के सुविख्यात साहित्यकार और कवि सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने मेरे ब्लाग लेखन पर अपने सटीक विचार प्रकट किए हैं। दीपावली के अवसर पर भाई सुरेन्द्र ने जो लिखा है, उसे मैं ज्यों का त्यों यहां पोस्ट कर रहा हूं। मैं एक बार फिर यह बताना चाहरता हूं कि मेरे ब्लाग रोजाना करीब तीन हजार व्हाटसएप ग्रुप में पोस्ट किए जाते हैं। अकेले अजमेर जिले के करीब एक हजार व्हाटसएप ग्रुप मुझसे जुड़े हुए हंै। राजस्थान के प्रमुख शहरों के एडमिनों ने भी अपने अपने व्हाटसएप  गु्रप से मुझे जोड़ रखा है। यही स्थिति देश के हिंदी भाषी शहरों की भी है। आज मेरा फेसबुक पेज बीस-बीस हजार लोगों तक पहुच रहा है। इतना ही नहींं ब्लाग स्पाट पर एक लाख पाठक हैंं इसके अतिरिथ्त वेबसाइट, फोन ऐपिलेकेशन आदि के जरिए भी मेरा ब्लाग कई लाख लोगों तक पहुंच रहा है। जितना कठिन कार्य ब्लाग लेखन का है उतना ही कठिन काम सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से लोगों तक ब्लाग पहुंचाना है। चूंकि भाई सुरेन्द्र मुझसे बड़े हैं और सहित्य जगत में उनकी धाक है इसलिए उनके लेखन पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा , ेलेकिन मेरे पाठकों को यह बताना चाहता हूं कि भाई सुरेन्द्र ने देश के बड़े बड़े कवि सम्मेलेनों में भाग ले रहे हंै और शायद ही कोई कवि होगा जिसके साथ मंच साझा न किया हो। भाई सुरेन्द्र ने जो गीत और गजल लिखी हैं उन्हें फिल्म जगत में भी काम में लिया गया है। भाई सुरेन्द्र को साहित्य के अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है। भाई सुरेन्द्र से मोबाइल नं 9829271388 व 9251425388 पर सम्पर्क किया जा सकता है।  

ब्लॉग लेखक मित्तल 

           💥सुरेंद्र चतुर्वेदी

वैसे तो अजमेर में ब्लॉग लिखने का एक फैशन ही चल निकला है। जिसे देखो ब्लॉग लिख रहा है ।दूध पीते बच्चे भी,,,,, दारु पीते लुच्चे भी ।जिसके हाथ में गलती से भी कलम आ जाती है वह सबसे पहले ब्लॉग लिखता है। ब्लॉग लिखना छुआ छूत की बीमारी है ।जो शुरू होने के बाद जलकुंभी की तरह फैल जाती है। अजमेर में भी ये दिन दूनी रात चौगुनी फ़ैल रही है। ब्लॉग लिखने के लिए जरूरी नहीं कि कोई ठोस विषय हो। बस विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा की तर्ज पर लिखने वाला लिखना शुरु कर देता है।
 शहर की सेहत के लिए मैं इसे अच्छी बात मानता हूं ।कम से कम लोगों की भड़ांस तो निकल रही है ।भड़ांस निकालने वाले ब्लॉग लेखकों के अलावा शहर में कुछ सीरियस ब्लॉगर भी हैं। जो बड़ी जिम्मेदारी से सोच समझ कर बात लिखते हैं। वह जानते हैं कि कब किसकी गाय मारनी है और किसका बछड़ा बचाना है। इन में से सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर हैं  SP मित्तल साहब।मेरी नज़र में वे  दुनिया के सबसे  लोकप्रिय ब्लॉग रचियता हैं। अजमेर के जितने भी Whatsapp ग्रुप है इनमें आप मित्तल जी को सर्वव्यापी रूप से देख सकते हैं ।Google से लेकर गली कूचे तक उनकी कला गुलाचे मारती है। राजनीति या रागनीति या  कूटनीती या अनीती ।मित्तल साहब  देखते ही लिखने को  चाह कर भी रोक नहीं पाते ।यही वजह है कि शहर में कोई नई दुकान खोले ।किसी का ट्रांसफर हो जाए। कोई अच्छा या बुरा मामूली सा काम भी कर दे तो मित्तल साहब ब्लॉग लिख देते हैं ।मैं उनको नमन करता हूं ।उनकी कलम  शासन प्रशासन है हर रोज के राशन पर चल उठती है।वह राजा को रंक बना देती हैबिच्छु का डंक बना देती है।
मां सरस्वती ने सच में उन्हे ब्लॉग लेखन  के लिए ही पैदा किया है। लेकिन यह बात मेरे सिवा कोई नहीं समझ पाया ।पंजाब केसरी भी नहीं।अजमेर केसरी मित्तल ने पंजाब केसरी छोड़ दी। लेकिन ब्लॉग लिखना नहीं छोड़ा ।मेरे जैसा मामूली लेखक होता तो प्राण त्यागने तक पंजाब केसरी नहीं छोड़ता मगर मित्तल साहब मेरे जैसे नहीं ।वे कमाल के व्यक्तित्व हैं।
अमेरिका का ट्रम्प हो या अजमेर का कोई पार्षद वे किसी को भी ब्लॉग में लपेट सकते हैं।
वे  भारत-पाक की सीमा पर कहीं होने वाली हलचल  पर भी ब्लॉग लिख  सकते हैं तो उतार घसेटी की हल चल पर भी। वह कई बार तो शहर की राजनीति ही तय कर देते हैं ।कौन कहां से चुनाव लड़ेगा? कौन जीतेगा ?कौन हारेगा ?कौन कौन कहां कौन सी टीम से खेल रहा है वे सब जानते हैं ।सच में मैं उन्हें सर्व व्यापी ,सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग रचियता मंटा हूँ। मेरी अंतिम इच्छा है की वो दिर्गायु हो और ब्लॉग लिखते रहें। अजमेर की वे धड़कन हैं।अन्य ब्लॉग लिखने वालों की वे प्रेरणा हैं। ये बात अलग है कि आज जितने जलकुम्भी ब्लॉगर हैं सब उनकी ही दें हैं।ईश्वर सभी को सद्बुद्धि दे।ॐ नमः शिवाय।
एस.पी.मित्तल) (20-10-17)
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#3169
तो सीएम वसुंधरा राजे चाहेंगी, तब होंगे अलवर और मांडलगढ़ में उपचुनाव।
राजस्थान कैडर के रिटायर आईएएस सुनील अरोड़ा हंै चुनाव आयुक्त।
सब जानते हैं कि राजस्थान के अलवर में लोकसभा उपचुनाव के मद्देनजर सीएम वसुंधरा राजे ने 15 और 16 अक्टूबर को अलवर के दो विधानसभा क्षेत्रों में जनसंवाद की घोषणा कर दी थी। अलवर के भाजपा विधायकों ने तैयारियां भी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं भीलवाड़ा के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तो सीएम ने जनसंवाद का कार्यक्रम भी कर लिया। सीएम की इस राजनीतिक कवायद से यह लगा कि अजमेर के लोकसभा के उपचुनाव के साथ साथ अलवर और मांडलगढ़ में उपचुनाव होंगे। आमतौर पर ऐसा ही होता है कि एक प्रांत के सभी उपचुनाव एक साथ हो जाए। लेकिन सबने देखा कि ऐन मौके पर सीएम ने अलवर का दौरा रद्द कर दिया और अजमेर जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में जनसंवाद का कार्यक्रम पूरा किया। यहां तक कि धनतेरस के दिन भी सीएम ने नसीराबाद में जनसंवाद किया। लेकिन अब कहा जा रहा है कि अलवर और मांडलगढ़ के उपचुनाव अजमेर के साथ नहीं होंगे। इस पर सीएम राजे भी सहमत हैं। भले ही उपचुनाव के बारे में सीएम राजे खुद कोई फैसला न करें, लेकिन सब जानते हैं, कि राजस्थान कैडर के रिटायर आईएएस सुनिल अरोडा को पिछले माह ही देश का चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। जानकारों की माने तो सीएम राजे को यही समझाया गया कि अलवर और मांडलगढ़ के लिए कोई जल्दबाजी न कि जाए। संविधान में किसी सांसद या विधायक के निधन के बाद अगले 6 माह में उपचुनाव कराने का प्रावधान है। चूंकि अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट के निधन को तीन माह का समय हो गया है इसलिए अजमेर में उपचुनाव करवाएं जा सकते हैं, लेकिन अलवर के सांसद और मांडलगढ़ की विधायक का निधन तो हाल ही में हुआ है। अलवर और मांडलगढ़ में अगले वर्ष फरवरी-मार्च तक उपचुनाव करवाएं जा सकते हैं। सीएम के सामने जब यह प्रस्ताव रखा गया तो उन्होंने भी सहमति जताई क्योंकि अब एक साथ तीन चुनावों में ताकत नहीं लगानी पड़ेगी। इस वर्ष अजमेर और अगले वर्ष अलवर व मांडलगढ़ के चुनाव करवाए जा सकते हैं। चूंकि राजनीति में कुछ संभव है इसलिए सीएम का यह फैसला भी बदल सकता है। पहले इस बात का आकलन किया जाएगा कि राजस्थान में भाजपा को एक साथ चुनाव करवाने में फायदा है या नहीं। यदि राजनीतिक फायदा नजर आया तोएक साथ उपचुनाव करवाये जा सकते है । चूंकि चुनाव आयोग से कोई निर्णय करवाने में परेशानी नहीं है इसलिए यह माना जा रहा है कि सीएम राजे जब चाहेंगी तब राजस्थान में उपचुनाव होंगे।  ऐसा भी कोई जरूरी नहीं कि अजमेर के उपचुनाव गुजरात के चुनाव के साथ करवाएं जाए।
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Sunday 1 October 2017

यह तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा और व्यवस्थाओं में चूक है। दिल्ली में रावण दहन के अवसर पर कमान का टूटना। =======

#3094
यह तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा और व्यवस्थाओं में चूक है। दिल्ली में रावण दहन के अवसर पर कमान का टूटना।
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30 सितम्बर को दिल्ली में रामलीला मैदान पर जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रावण दहन के लिए तीर चलाने की परंपरा को निभा रहे थे कि तभी कमान टूट गई। हालांकि बाद में मोदी ने अपने हाथ से भाले की तरह तीर को फेंक कर परंपरा को निभाया। कमान टूटने को लेकर अब अनेक प्रतिक्रिया मीडिया में आ रही है। चूंकि मोदी एक राजनीतिक दल के नेता हैं इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश के प्रधानमंत्री पर कोई भी टिप्पणी की जा सकती है। भारत जैसे देश में तो कुछ भी कहा जा सकता है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण बात प्रधानमंत्री की सुरक्षा और व्यवस्थाओं की चूक उजागर होना है। सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री के हाथ में कोई भी वस्तु बिना जांच पड़ताल के सौंप दी जाती है? प्रधानमंत्री की सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर मापदंड निर्धारित हैं। ऐसे में तीर कमान की जांच पड़ताल पहले से ही होनी चाहिए थी। ऐसा प्रतीत होता है कि समारोह के आयोजकों और प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे अधिकारियों ने इस मुद्दे पर लापरवाही बरती है। यदि तीर-कमान की जांच पहले होती तो प्रधानमंत्री के हाथों में कमान टूटती नहीं। कमान के टूटने की घटना का प्रसारण मैंने भी टीवी पर लाइव देखा है। मैंने देखा कि जब पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने कमान की रस्सी को खींच कर तीर चलाया तो चला ही नहीं। ऐसे में पीएम ने स्वयं रस्सी को कमान पर कसा। ऐसा इसलिए किया गया कि कमान में रस्सी ढीली थी। लकड़ी का बना कमान इतना कमजोर निकला की रस्सी पर तीर को लगाते ही कमान टूट गई। असल में इस समारोह के आयोजकों का सारा ध्यान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मिजाजपुर्सी में लगा रहा। समारोह के आयोजकों ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि यह समारोह प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। समझ में नहीं आता कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए बनी एसपीजी के अधिकारी भी क्या कर रहे थे? अच्छा हो कि भविष्य में सुरक्षा अधिकारी सतर्कता बरते।
एस.पी.मित्तल) (01-10-17)
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भारत की एकता अखंडता में संघ के स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका। रोहिंग्या मुसलमानों को मुस्लिम देश क्यों नहीं देते शरण? इन्द्रेश कुमार ने उठाया सवाल। ======

#3095
भारत की एकता अखंडता में संघ के स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका। रोहिंग्या मुसलमानों को मुस्लिम देश क्यों नहीं देते शरण? इन्द्रेश कुमार ने उठाया सवाल।
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1 अक्टूबर को राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक इन्द्रेश कुमार ने राजस्थान के नागौर जिले के कुचामन शहर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नवनिर्मित स्वातिक भवन का लोकार्पण किया। इन्द्रेश कुमार संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं। इस मौके पर कोई 10 हजार स्वयं सेवकों की एक सभा को संबोधित करते हुए इन्द्रेश कुमार ने कहा कि देश की एकता अखंडता को बनाए रखने में संघ के स्वयं सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। देश में सक्रिय आतंकी और विघटनकारी ताकतों का मुकाबला संघ का कार्यकर्ता ही करता है। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल, केरल आदि राज्यों में स्वयं सेवकों की हत्याएं हो रही है। ऐसा ही दौर पूर्व में उत्तर प्रदेश में भी चला था। स्वयं सेवक जहां देश की खातिर बलिदान देने के लिए तैयार रहता है। वहीं समाज में समरसता को भी बढ़ावा देता है। समाज का कोई भी व्यक्ति संघ के स्वयं सेवक पर भरोसा कर सकता है। यही वजह है कि संघ आज समाज के सभी वर्गों में काम कर रहा है। संघ का कार्यकर्ता आदिवासी इलाकों से लेकर पहाड़ी और रेगिस्तान तक में सक्रिय है। कुचामान जैसे छोटे शहर में भी स्वयं सेवकों की इतनी संख्या बताती है कि संघ के सिद्धांत  और शिक्षा लोकप्रिय हैं। समारोह में केन्द्रीय मंत्री सीआर चौधरी और नागौर के भाजपा के नेता भी उपस्थित रहे।
रोहिंग्याओं को मुस्लिम राष्ट्र क्यों नहीं देते शरणः
मीडिया से संवाद करते हुए इन्द्रेश कुमार ने कहा कि म्यांमार से भगाए गए रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक से गुहार की गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि मुस्लिम देश रोहिंग्या मुसलमानों को शरण क्यों नहीं देते हैं? उन्होंने कहा कि हकीकत ये है कि कोई भी देश अपनी शांति में विघ्न नहीं चाहता है। ऐसे में रोहिंग्याओं को मुस्लिम राष्ट्र भी शरण नहीं दे रहे हैं। उन्हांेने इस मुद्दे पर भारत सरकार की प्रशंसा की और कहा कि भारत सरकार ने जन भावना के अनुरूप ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर रोहिंग्याओं को शरण देने से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि देश के कई मोर्चों पर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सराहनीय कार्य कर रही है।
एस.पी.मित्तल) (01-10-17)
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मुख्यमंत्री के पुष्कर आने से पहले ही सीवरेज का गंदा पानी पवित्र सरोवर में पहुंचा। तीर्थ पुरोहितों ने पालिका के खिलाफ जताया गुस्सा।

#3096
मुख्यमंत्री के पुष्कर आने से पहले ही सीवरेज का गंदा पानी पवित्र सरोवर में पहुंचा। तीर्थ पुरोहितों ने पालिका के खिलाफ जताया गुस्सा।
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1 अक्टूबर का दिन तीर्थ नगर पुष्कर के लिए बेहद ही खराब रहा। जिस पवित्र सरोवर के जल को श्रद्धालु अपने माथे पर लगाकर आचमन करते हैं उसी सरोवर में सीवरेज का गंदा पानी चला गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को कितनी ठेस पहुंची होगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार परिक्रमा मार्ग पर बने ब्रह्म घाट पर सुबह ही सीवरेज लाइन ओवर फ्लो हो गई और गंदा पानी घाट की सीढ़ियों से उतर कर पवित्र सरोवर में जा मिला। हालांकि कुछ तीर्थ पुरोहितों ने  वाइपर के जरिए गंदे पानी को सरोवर में जाने से रोकने का प्रयास किया। सीवरेज का पानी सरोवर में जाने पर कुछ तीर्थ पुरोहितों ने पुष्कर नगर पालिका के प्रति भी गुस्सा जताया। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का भी कहना रहा कि पुष्कर का प्रशासन पूरी तरह विफल है। जिस पवित्र समारोह में स्नान करने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं उसी सरोवर में यदि गंदा पानी गिरता है तो यह बेहद ही शर्मनाक बात है। पुष्कर की सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी बहना तो आम बात है, लेकिन अब तो यह पानी पवित्र सरोवर में भी जाने लगा है। गंदा पानी सड़कों पर बहने से परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को भी भारी परेशानी होती है। महत्वपूर्ण बात तो ये है कि इस समय अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर भाजपा के शिव शंकर हेड़ा और पालिका के अध्यक्ष पद पर भाजपा के ही कमल पाठक विराजमान हैं। पुष्कर में सीवरेज लाइन का कार्य प्राधिकरण ने किया था और अब रख रखाव की जिम्मेदारी पालिका अध्यक्ष की है। पिछले दिनों पुष्कर में स्वच्छता को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन सीवरेज का गंदा पानी यह बताता है कि सारे दावे खोखले हैं। पुष्कर के वकील भीकम शर्मा ने आरोप लगाया है कि स्वच्छता अभियान के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि आगे चल कर डस्टबिन घोटाला उजागर होगा। पुष्कर के तीर्थ पुरोहित श्याम सुंदर पाराशर, बाबूलाल पाराशर, गिरीराज पाराशर आदि ने भी पालिका की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है एक ओर जहां पुष्कर के आम श्रद्धालु परेशान हैं, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के पदाधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। माना जा रहा है कि पुष्कर में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने में पूरी तरह असमर्थ है। जहां तक पालिका अध्यक्ष कमल पाठक का सवाल है तो वे बयान बाजी तो बहुत करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। यह सब तो तब हो रहा है जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को शीघ्र ही पुष्कर आना है। जानकार सूत्रों के अनुसार पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के आधुनिकीकरण के कार्य के शिलान्यास के लिए मुख्यमंत्री का 4 अक्टूबर को अजमेर दौरा प्रस्तावित है। देखना है कि पुष्कर नगर पालिका मुख्यमंत्री के आने से पहले उत्पन्न चुनौतियों से कैसे निपटती है। 
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चीन की वामपंथी सरकार ने शिनजियांग प्रांत में मुसलमानों पर फिर लगाई पाबंदियां। पाकिस्तान के मुसलमान चीन के इस दोहरे चरित्र को समझें।

#3097
चीन की वामपंथी सरकार ने शिनजियांग प्रांत में मुसलमानों पर फिर लगाई पाबंदियां। पाकिस्तान के मुसलमान चीन के इस दोहरे चरित्र को समझें।
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सब जानते हैं कि चीन का शिनजियांग प्रांत मुस्लिम आबादी वाला है। चीन की वामपंथी सरकार आए दिन इस प्रांत के निवासियों के लिए फरमान जारी करती रहती है। अभी ताजा फरमान में मुसलमानों से कहा गया कि वे अपने घरों में रखी धार्मिक पुस्तकों को सरकार में जमा करा दें। इसमें पवित्र कुरान भी शामिल हैं। इतना ही नहीं मस्जिदों में नमाज के समय काम आने वाली चटाई आदि के उपयोग के बारे में भी निर्देश दिए गए हैं। असल में चीन सरकार अपने कायदे कानून से ही रहने की इजाजत देती है। यदि कोई नागरिक सरकार के आदेश नहीं मानता है तो उसे सजा-ए-मौत दी जाती है। कोई किसी भी धर्म का हो, लेकिन उसे सिर्फ एक संतान पैदा करनी होगी। यह नियम भी सख्ती से लागू होता है। चीन के इस दोहरे चरित्र को पाकिस्तान के मुसलमानों को समझना चाहिए। पाकिस्तान के मुसलमानों को इस बात से खुश नहीं होना चाहिए कि हाफिज सईद जैसे व्यक्तियों को आतंकी घोषित नहीं करने में चीन पाकिस्तान की मदद करता है। भारत ने जब भी संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान में बैठेे आतंकियों का मुद्दा उठाया तो चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर भारत के प्रयासों पर पानी फेर दिया। असल में चीन ऐसा इसलिए करता है क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी सिर्फ भारत में ही गतिविधियां करते हैं। हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे पाकिस्तानी हमारे कश्मीर का मुद्दा तो उठाते हैं, लेकिन चीन के शिनजियांग प्रांत का नहीं। इन पाकिस्तानियों को भी पता है कि शिनजियांग प्रांत के मुसलमानों के प्रति जरा सी भी हमदर्दी दिखाई गई तो जो हाल ओसामा बिन लादेन का हुा, उससे भी बुरा हाल इन पाकिस्तानियों का होगा। जबकि सब जानते हैं कि अनुच्छेद 370 की वजह से कश्मीरियों को विशेष अधिकार मिले हुए हैं। ऐसे विशेषाधिकार तो मुसलमानों को पाकिस्तान में भी नहीं है। यह बात कश्मीरियों को भी समझनी चाहिए। इससे ज्यादा और क्या हो सकता है कि कांग्रेस के शासन में भगाए गए 4 लाख हिन्दुओं को भाजपा के शासन में भी बसाया नहीं जा सका। जबकि जम्मू-कश्मीर में भी महबूबा मुफ्ती की सरकार भाजपा के समर्थन से ही चल रही है। सवाल उठता है कि पाकिस्तान में बैठकर भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वाले मुस्लिम नेता चीन के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते? क्या किसी नागरिक की धार्मिक मान्यताओं पर पाबंदियां लगाई जा सकती हैं? हाफिज सईद, अजहर मसूद जैसे नेताओं को चीन के शिनजियांग प्रांत के मुसलमानों की सुध लेनी चाहिए। 
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आखिर एक अक्टूबर से किशनगढ़ एयरपोर्ट से शुरू नहीं हो सकी उड़ानें। अजमेर में नहीं है राजनीतिक ताकत। =======

#3098
आखिर एक अक्टूबर से किशनगढ़ एयरपोर्ट से शुरू नहीं हो सकी उड़ानें। अजमेर में नहीं है राजनीतिक ताकत।
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1 अक्टूबर 2017 भी गुजर गया और अजमेर के किशनगढ़ एयरपोर्ट से उड़ानें शुरू नहीं हुई। एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारियों और अजमेर के भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि एक अक्टूबर से कॉमर्शियल उड़ानें शुरू हो जाएगी। भाजपा के मंत्री, विधायक आदि फोटो खींचवाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचते रहे। यहां तक दावा किया गया कि एक विमान कंपनी ने तो बुकिंग भी शुरू कर दी है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि डायरेक्ट्रेट जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने किशनगढ़ के एयरपोर्ट को लाइसेंस नहीं दिया है। सवाल उठता है कि जब एयरपोर्ट को लाइसेंस ही नहीं दिया गया तो फिर उड़ानों की बुकिंग जैसी बकवास क्यों की गई? यह सही है कि किशनगढ़ का एयरपोर्ट बन कर तैयार है, लेकिन अजमेर के भाजपा नेताओं में इतनी राजनीतिक ताकत नहीं है कि वे उड़ानें शुरू करवा सकें। उड़ानों का पूरा मामला राज्य सरकार और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बीच का है। संभावना है कि जब उड़ानें शुरू होंगी तो भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए कोई समारोह भी करेगी। हालांकि एयरपोर्ट का उद्घाटन चार वर्ष पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कर चुके हैं, लेकिन जब एयरपोर्ट अधूरा था। तब अधूरे एयरपोर्ट का उद्घाटन कर कांग्रेस ने वाह-वाह लूटी तो अब पूरा होने भाजपा पीछे कैसे रहेगी। अजमेर के किसी भी भाजपा विधायक में इतनी हिम्मत नहीं कि वह इस मुद्े पर सीएम वसुंधरा राजे से बात कर सके। जबकि अजमेर में भाजपा के 8 में से 7 विधायक हैं और इनमें से चार मंत्री सत्ता की सुविधा भोग रहे हैं। यह सही है कि अजमेर के भाजपा सांसद सांवरलाल जाट का निधन हो चुका है, लेकिन प्रभारी मंत्री हेमसिंह भडाना, राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ऐसे नेता हैं जो सीएम के सामने एयरपोर्ट के मामले को प्रभावी तरीके से रख सकते हैं, लेकिन अजमेर के भाजपा  विधायकों की आपसी खींचतान की वजह से ऐसे नेता चुप रहना ही उचित समझते हैं। राजनीतिक कमजोरी की वजह से उड़ानों का मामला अटका हुआ है। अब तो अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव भी होंगे। माना जा रहा है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले कोई रास्ता निकल जाए। डीजीसीए का लाइसेंस तो सिर्फ बहाना है। 
एस.पी.मित्तल) (01-10-17)
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