Tuesday 30 May 2017

#2635
स्पेशल जीसी में भी नहीं मिली अजमेर के अवैध समारोह स्थलों को राहत। लेकिन खुल जाएंगे समारोह स्थल।
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अजमेर शहर में सीज हुए 23 अवैध समारोह स्थलों को खुलवाने के लिए 30 मई को नगर निगम की विशेष साधारण सभा बुलाई गई। भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों को उम्मीद थी कि सभा के माध्यम से अवैध समारोह स्थलों के मालिकों को कोई राहत प्रदान करवा दी जाएगी। सभा में पुरजोर तरीके से पार्षदगणों ने समारोह स्थलों के मालिकों की पैरवी भी की। भाजपा पार्षद भागीरथ जोशी ने आरोप लगाया कि अवैध समारोह स्थलों के लिए निगम के अधिकारी भी दोषी है। यदि प्रशासन समारोह स्थल पर कार्यवाही करता है तो निगम के अधिकारियों पर भी कार्यवाही हो। भाजपा और कांग्रेस पार्षदों की बहस सुनने के बाद मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने साफ-साफ कहा कि समारोह स्थलों के संचालन के लिए जो नियम कायदे हैं, उन्हीं के अनुरूप नगर निगम कार्यवाही करेगा। पूर्व में निगम की सभा में नियमों को लेकर जो संशोधन किए गए थे, उन पर विचार-विमर्श कर प्रस्ताव सरकार को भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो समारोह स्थल मापदण्डों के अनुरूप नहीं है, वह किसी भी स्थिति में संचालित नहीं हो सकते हैं। शहर में जिन 23 समारोह स्थलों को अवैध मानकर सीज किया गया है, उनके मालिक यदि भविष्य में शादी-ब्याह का कोई समारोह नहीं करने का शपथ पत्र देते हैं तो ऐसे स्थलों को सीज से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थलों का उपयोग किसी भी सूरत में समारोह के लिए नहीं होने दिया जाएगा। यदि शपथ पत्र के बाद भी समारोह स्थल मालिक समारोह करता है तो परिसर स्थायी रूप से सीज कर दिया जाएगा। इस विशेष साधारण सभा में उप महापौर संपत सांखला, भाजपा पार्षद भागीरथ जोशी, नीरज जैन, सुरेन्द्र सिंह शेखावत, चन्द्रेश सांखला सहित अनेक भाजपा पार्षद मौजूद रहे तो वहीं प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे श्रवण टोनी, समीर शर्मा, चन्दन सिंह, द्रोपदी देवी सहित कई कांग्रेस पार्षद मौजूद रहे, जिनमें सदन के चलते कई बार आपस में तीखी नोंक-झोंक भी हुई। 
(एस.पी.मित्तल) (30-05-17)
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#2634
स्वर्ण मंदिर के प्रतिनिधि मंडल के सामने नसीराबाद पुलिस की पोल खुली। सिक्ख सेवादारों की पिटाई के मामले ने तूल पकड़ा।
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अजमेर जिले के नसीराबाद क्षेत्र के चाट चैनपुरा गांव में गत 24 अप्रेल को 4 सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। 30 मई को अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर की शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी के एक प्रतिनिधि मंडल ने अजमेर और नसीराबाद का दौरा किया। इस प्रतिनिधि मंडल ने गंगानगर स्थित सिक्ख एडवाइजरी कमेटी के कन्वीनर तेजेन्द्र पाल सिंह टम्टा, अमृतसर के विजयपाल सिंह, प्रो. हरप्रीत सिंह, गजेन्द्र सिंह, अजमेर के जसबीर सिंह कोचर आदि शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने रेन्ज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल से मुलाकात कर सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई पर नाराजगी जताई। सिक्ख प्रतिनिधियों ने नसीराबाद थाने के सीआई लक्ष्मण राम चौधरी की लापरवाही का मामला भी उठाया है। चौधरी ने स्वयं माना है कि 24 अप्रेल के दिन घटना की जानकारी मिलते ही वे स्वयं भी चाट चैनपुरा गांव पहुंचे थे। लेकिन इसके बावजूद भी सीआई ने लहूलुहान सिक्ख सेवादारों को ही शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। प्रतिनिधि मंडल ने मांग की कि इस मामले में जो भी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी दोषी है, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। प्रतिनिधि मंडल ने इस बात पर संतोष जताया कि पुलिस ने घटना के एक माह बाद 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन साथ ही इस बात पर अफसोस जताया कि पुलिस को घटना की जानकारी होने में एक माह का समय लग गया। आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल ने भरोसा दिलाया कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी। 
सीआई और डीएसपी नहीं दे सके जवाब :
शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी के प्रतिनिधि मंडल ने 30 मई को नसीराबाद पहुंचकर डीएसपी जगदीश राव और सीआई लक्ष्मणराम चौधरी से भी मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने सवाल किया कि जब सिक्ख सेवादारों को लहूलुहान अवस्था में थाने पर लाया गया तो फिर पुलिस ने उन्हीं को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार क्यों किया? इस सवाल का पुलिस के अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। दोनों अधिकारियों ने अब तक हुई कार्यवाही के बारे में प्रतिनिधि मंडल को जानकारी दी। 
एसपी का सकारात्मक रूख :
29 मई की रात्रि को प्रतिनिधि मंडल ने अजमेर के सिविल लाईन पुलिस स्टेशन पर एसपी राजेन्द्र सिंह चौधरी से मुलाकात की। चौधरी का कहना रहा कि 24 अप्रेल को जब यह घटना हुई तब वे अजमेर के एसपी नहीं थे। लेकिन विगत दिनों जब पिटाई का वीडियो सामने आया तो उन्होंने तत्काल कार्यवाही की। चौधरी ने बताया कि पुलिस की लापरवाही की जांच अलग से करवाई जा रही है। पुलिस परामर्श केन्द्र के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी जांच का काम कर रहे हैं। चौधरी ने भाटी को योग्य और काबिल अफसर बताते हुए कहा कि जांच में जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी। चौधरी ने सिक्ख सेवादारों की पिटाई के मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि इस सम्बन्ध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी जानकारी ली है। साथ ही 2 जून को घटनाक्रम पर एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसबीर सिंह के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। 
देश भर के सिक्खों में है नाराजगी :
प्रतिनिधि मंडल में शामिल गंगानगर के सिक्ख एडवाइजरी कमेटी के कन्वीनर तजेन्द्रपाल सिंह टम्टा ने बताया कि सिक्ख सेवादारों की पिटाई के मामले से देशभर के सिक्ख समाज में नाराजगी है। राजस्थान की सरकार को इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अजमेर दौरे की रिपोर्ट स्वर्ण मंदिर स्थित शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी में प्रस्तुत की जाएगी। आवश्यकता हुई तो इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की जाएगी। हालांकि इस मामले से राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को भी अवगत करा दिया गया है। 
(एस.पी.मित्तल) (30-05-17)
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#2633
किरोड़ी के फिर से बेनीवाल के साथ आने से सीएम वसुंधरा को झटका। जयपुर में दिया साथ-साथ धरना।
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राजस्थान में मीणा समुदाय के दिग्गज नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक डॉ किरोड़ीलाल मीणा एक बार फिर जाट समुदाय के प्रभावशाली नेता और नागौर के खींवसर से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के साथ आ गए हंै। 30 मई को किरोड़ी ने जयपुर में खासा कोठी के बाहर बेनीवाल के साथ बैठ कर राज्य की भाजपा सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ धरना दिया। असल में यह धरना बेनीवाल के विधानसभा से निलंबन के विरोध में जाट समुदाय ने आयोजित किया था। हालांकि पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सिविल लाईन स्थित सरकारी आवास को घेरने की घोषणा की गई थी। लेकिन जाटों की संख्या को देखते हुए पुलिस ने सिविल लाईन क्षेत्र के घेराव की अनुमति नहीं दी। फलस्वरूप बेनीवाल अपने समर्थकों के साथ खासाकोठी के बाहर ही धरने पर बैठ गए। इस धरने को तब मजबूती मिली जब डॉ किरोड़ी भी साथ आ गए। डॉ किरोड़ी के फिर से बेनीवाल के साथ आने को सीएम वसुंधरा राजे के लिए राजनीतिक झटका माना जा रहा है। असल में पिछले दिनों किरोड़ी ने राजे के साथ अकेले में वार्ता की थी। तभी से यह कयास लगाए जाने लगे कि किरोड़ी भाजपा में शामिल हो रहे हंै। किरोड़ी पूर्व में भाजपा में ही थे, लेकिन 30 मई को बेनीवाल के साथ धरने पर बैठते हुए डॉ किरोड़ी ने साफ कहा कि वे भाजपा में शामिल नहीं हो रहे। किरोड़ी और बेनीवाल ने मिलकर पूर्व में अनेक बड़ी रैलियां कर भाजपा सरकार को सीधे तौर पर चुनौती दी है। उल्लेखनीय है कि हंगामा करने के कारण बेनीवाल को विधानसभा से निलंबित कर रखा है।
एस.पी.मित्तल) (30-05-17)
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#2632
वेदांत के विद्वान स्वामी अद्वैतानंद महाराज का देवलोक
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अजमेर के पुष्कर रोड स्थित अद्वैतानंद वेदांत आश्रम के महंत स्वामी अद्वैतानंद महाराज का लम्बी बीमारी के बाद 30 मई को जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल में देवलोक हो गया। गमगीन माहौल में स्वामी  जी की पार्थिव देह जयपुर से अजमेर लाई गई और साधु परम्परा के अनुरुप पार्थिव देह को समाधि दी गई। आश्रम के प्रवक्ता स्वामी पृथ्वीपुरी ने बताया कि स्वामी अद्वैतानंद ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही संन्यास लिया था और वे वेदांत केसरी मनोहरदास महाराज के शिष्य बन गए। स्वामी मनोहरदास के सान्निध्य में ही स्वामी अद्वैतानंद वेदांत के विद्वान बने। साधु परम्परा के अनुरूप ही स्वामी अद्वैतानंद का सोडषी का समारोह बनाया जाएगा। तभी उनके उत्तराधिकारी को चादर औढ़ाई जाएगी। स्वामी अद्वैतानंद ने अपने महंत के कार्यकाल में वेदांत आश्रम की संपत्तियों की सार-संभाल भी अच्छी तरह से की। उनके देवलोक गमन पर संत समाज में शोक का माहौल है।
(एस.पी.मित्तल) (30-05-17)
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Monday 29 May 2017

#2631
तो क्या अजमेर पुलिस राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग को बेवकूफ बना रही है? चार सिक्खों की बेरहमी से पिटाई का मामला। 
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अजमेर के नसीराबाद क्षेत्र के चाङ्क चैनपुरा गांव में 4 सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई के प्रकरण में पुलिस ने एक माह बाद जिन 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्हें अदालत ने 28 मई को जेल भेज दिया। राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए इस मामले में 2 जून को राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसवीर सिंह के समक्ष सुनवाई होनी है। अब तक की अजमेर पुलिस की कार्यवाही से प्रतीत होता है कि यह अल्पसंख्यक आयोग को बेवकूफ बनाने के लिए है। नसीराबाद सदर थाने के सी.आई. लक्ष्मण राम चौधरी ने 27 मई को पीडि़त सिक्ख सेवादारों से एक रिपोर्ट ली और मात्र पांच घंटे में 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। अल्पसंख्यक आयोग ने जो प्रसंज्ञान लिया है, उसमें पुलिस की लापरवाही का सवाल भी है। लापरवाही के नाम पर पुलिस ने सिर्फ एक सिपाही बुद्धाराम को थाने से हटाया है। सवाल उठता है कि पुलिस के आला अधिकारी सदर थाने के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे? अल्पसंख्यक आयोग को दिखाने के लिए पुलिस लापरवाही की जांच का काम अजमेर के पुलिस परामर्श केन्द्र के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी को सौंपी गई है। यानि जो पुलिस पांच घंटे में जांचकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लेती हैं, वहीं पुलिस अपनी जांच के लिए सिर्फ एक एएसपी को नियुक्त करती है। 24 अप्रैल की घटना वाले दिन भी सिक्ख सेवादार ने सीआई लक्ष्मणाराम को रोते-बिलखते बताया था कि आरोपियों ने उनकी पगड़ी खोल दी और बाल पकड़ कर बुरी तरह पिटाई की। लेकिन तब सीआई लक्ष्मणा राम ने सिक्ख सेवादारों की एक नहीं सुनी और उल्टे शांति भंग के आरोप में सिक्खों को ही गिरफ्तार कर लिया। यदि पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होता तो सिक्ख सेवादारों का मामला यूं ही दफन हो जाता। नसीराबाद पुलिस की लापरवाही की जांच तब तक निष्पक्ष नहीं हो सकती, जब तक सदर थाने के मौजूदा अधिकारियों को हटाया अथवा सस्पेंड नहीं किया जाता। जो पुलिस खुद आरोपी है, वह निष्पक्ष जांच होने ही नहीं देगी। असल में अभी भी इस पूरे मामले को अजमेर पुलिस बहुत हल्के में ले रही है। जबकि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसवीर सिंह का कहना है कि सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई का वीडियो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भेजा है। यानि अजमेर पुलिस को केन्द्र सरकार का भी डर नहीं है। जबकि आयोग अध्यक्ष जसबीर सिंह जो भी कार्यवाही करेंगे, उससे केन्द्र सरकार को भी अवगत कराया जाएगा। इस पूरे मामले में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को प्रसंज्ञान लेना चाहिए क्योंकि यह मामला देशभर के सिक्ख समुदाय से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि नसीराबाद सदर थाने की पुलिस को भाजपा के एक प्रभावशाली नेता का संरक्षण प्राप्त है इसलिए अजमेर पुलिस  के बड़े अधिकारी कोई कार्यवाही करने में हिचक रहे हैं। जबकि सदर थाने की घोर लापरवाही साफ-साफ उजागर है। यदि घटना के एक माह बाद गांव के सरपंच सहित 6 लोग गिरफ्तार हो सकते हैं तो फिर थाने की पुलिस के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? चूंकि यह मामला केन्द्र सरकार तक पहुंच चुका है इसलिये मुख्यमंत्री को भी गंभीरता से लेना चाहिए। 
बाज नहीं आ रही नसीराबाद पुलिस : 
नसीराबाद सदर थाने की पुलिस अब उस व्यक्ति की तलाश कर रही है, जिसने सिक्ख सेवादारों की पिटाई का वीडियो पहली बार सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। पुलिस इसी व्यक्ति को दोषी मान रही है। पुलिस का कहना है कि पिटाई के वीडियो से ही मामला उजागर हुआ है। यानि नसीराबाद पुलिस तो इस गंभीर मामलों को प्रकाश में जाना ही नहीं चाहती थी। सवाल उठता है कि जिस वीडियो के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, वो वीडियो पुलिस की नजर में गलत कैसे हो सकता है? क्या पुलिस की पोल खोलने वाला वीडियो कानून के खिलाफ होता है। 
पीडि़त सिक्ख सेवादार :
अलवर जिले के खैरतल कस्बे के हरपाल सिंह, कुलदीप सिंह, निर्भय सिंह व मगलित सिंह पीडि़त सेवादार है जबकि चाट चैनपुरा गांव के सरपंच राम सिंह रावत, श्रवण सिंह रावत, राजू सिंह रावत, मन्ना सिंह, भंवर सिंह ओर विजय सिंह इस समय अजमेर की सेन्ट्रल जेल में बंद हैं। 
एस.पी.मित्तल) (29-05-17)
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#2630
गौ माता के मांस की पार्टियों पर अवार्ड लौटाने वाले चुप क्यों है? क्या अब नहीं हो रही असहिष्णुता?
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केरल के कन्नुर में युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा सरेआम एक गाय को काट कर गौ माता के मांस की पार्टी करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि केरल में ही तिरूवंतपुरम में एस.एफ.आई. तथा तमिलनाडु के चेन्नई स्थित आई.आई.टी. के परिसर में ऐसी ही पार्टियों के फोटो व वीडियो सामने आ गए हैं। यानि केन्द्र सरकार ने पशुओं की खरीद-फरोख्त को लेकर जो नया कानून बनाया है, उसके विरोध में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में खुले आम गौ माता के मांस की पार्टियां करवाई जा रही हंै। हो सकता है कि आने वाले दिनों में और स्थान पर भी ऐसी पार्टियां हों। सब जानते हैं कि सनातन संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि करोड़ों हिन्दुओं की धार्मिक भावना गाय से जुड़ी हुई है। यह माना की भारत में गाय का मांस न केवल खाया जाता है बल्कि निर्यात भी होता है। लेकिन यदि गौ माता की सरे आम हत्या कर मांस पार्टी की जाएगी तो क्या यह देश के करोड़ों लोगों की चिढ़ाने वाली बात नहीं है? दो वर्ष पहले देश में असहिष्णुता होने के विरोध में जो लोग अपने अवार्ड लौटा रहे थे, वे अब गौ माता के मांस की पार्टी पर चुप क्यों है? क्या सरेआम मांस पार्टी करना असहिष्णुता नहीं है? जब हम भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र मानते हैं तो फिर हिन्दुआं की धार्मिक भावना का ख्याल क्यों नहीं किया जाता? अनेक मामलों में धर्म की परम्पराओं को देश के संविधान और कानून से भी ऊपर माना जाता है, लेकिन जब एक निर्वाचित सरकार गौ हत्या कानून बनाती है तो उस कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जाती है। समझ में नहीं आता कि इस देश के बुद्विजीवियों के दोहरे मापदण्ड क्यों है? ऐसा प्रतीत होता है कि एक सुनियोजित षडय़न्त्र के तहत देश का माहौल बिगाडऩे की कोशिश की जा रही है। 
(एस.पी.मित्तल) (29-05-17)
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#2629
क्या फर्क है चैम्पियन ट्रॉफी के मैच और द्विपक्षीय सीरिज में? भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट। 
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29 मई को केन्द्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज का विरोध करते हुए कहा कि आतंकवाद और खेल साथ-साथ नहीं हो सकते। यानि गोयल का कहना रहा कि जब पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवाद फैला रहा है तो हम ऐसे आतंकी देश के साथ कैसे क्रिकेट खेल सकते हैं। गोयल का यह बयान तब आया है जब 4 जून को ही भारत इंग्लैंड में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलेगा। यह बात अलग है कि यह मैच चैम्पियन ट्रॉफी के अन्तर्गत हो रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि चैम्पियन ट्रॉफी के मैच और द्विपक्षीय सीरीज के मैच में क्या फर्क है? यदि पाकिस्तान द्विपक्षीय सीरीज में आतंकवादी देश है तो फिर चैम्पियन ट्रॉफी में भी आतंकवादी देश ही रहेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि इंग्लैंड में खेले जाने वाले मैच के समय पाकिस्तान हमारा मित्र देश बन जाए और भारत में आतंकी देश। यदि वाकई केन्द्र सरकार पाकिस्तान को आतंकी देश मानती है तो फिर हमारी क्रिकेट टीम को चैम्पियन ट्रॉफी में भी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलनी चाहिए। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि जो देश हमारे कश्मीर में आतंकियों को घुसेड़ कर सुरक्षा बलों के जवानों की हत्याएं करवा रहा हो, उस देश के साथ हमारी टीम क्रिकेट मैच खेले। यदि विजय गोयल आतंक की वजह से द्विपक्षीय सीरीज रोक सकते हैं तो उन्हें 4 जून को होने वाला मैच भी रोक देना चाहिए। भले ही हमारी टीम को चैम्पियन ट्रॉफी से वापस बुलाना पड़े। यदि हम चैम्पियन ट्रॉफी में पाकिस्तान के साथ खेलते हैं तो इसे केन्द्र सरकार का दोहरा मापदण्ड ही माना जाएगा। 
एस.पी.मित्तल) (29-05-17)
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#2628
अजमेर के सावन पब्लिक स्कूल के निदेशक, सचिव और कैशियर के खिलाफ जमानती वारंट। चैक डिसऑनर होने का मामला। 
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29 मई को चैक अनादरण विशेष न्यायालय के लिंक कोर्ट के मजिस्ट्रेट मानवेन्द्र शर्मा ने अजमेर के कोटड़ा स्थित सावन पब्लिक स्कूल के निदेशक हरीश शर्मा, सचिव अनिता शर्मा और कैशियर धर्मेन्द्र गौड़ के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए हैं। यह वारंट स्कूल की पूर्व शिक्षिका हनी अग्रवाल के प्रार्थना पत्र पर जारी हुए हैं। एडवोकेट वैभव जैन ने बताया कि हनी अग्रवाल को गत फरवरी और मार्च माह के वेतन के भुगतान में जो 16 हजार रूपये का जो चैक दिया गया था, वह डिसऑनर हो गया। हनी ने अपने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि सावन पब्लिक में शिक्षिकाओं को निर्धारित समय के बाद भी रोका जाता है, जब कोई विरोध करता है तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है। शिक्षिकाओं को परेशान करने के लिए ही चैक को बैंक सें डिसऑनर करवा दिया जाता है। पहले भी कई शिक्षिकाओं के चैक डिसऑनर हो चुके हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए ही अदालत ने जमानती वारंट से आरोपियों को तलब किया है। अब इस मामले में आगामी 1 अगस्त को सुनवाई होगी। 
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#2627
तो सफल रहा अजमेर में महाराणा प्रताप जयंती का तीन दिवसीय समारोह। एडीए अध्यक्ष हेड़ा ने भी दिखाया राजनीतिक कौशल। 
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देश की आन, बान और शान के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती पर इस बार अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने तीन दिवसीय समारोह का सफल आयोजन किया। 26, 27 और 28 मई को पुष्कर घाटी की पहाडिय़ों पर बने महाराणा प्रताप के स्मारक पर यह आयोजन किया गया। इसमें शहरवासियों ने भी अपनी भागीदारी निभाई। केन्द्रीय मंत्री सी.आर. चौधरी और अन्य नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर समारोह की सफलता को और बढ़ा दिया। 28 मई को चेतक रैली का भी सफल आयोजन किया गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि तीन दिवसीय समारोह करवाकर एडीए अध्यक्ष हेड़ा ने अपनी राजनीतिक कुशलता भी प्रदर्शित की। अजमेर में उत्तर और दक्षिण क्षेत्र की खींचतान जग-जाहिर है। लेकिन हेड़ा ने दोनों क्षेत्रों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी समारोह के माध्यम से एकजुट किया। जिस प्रकार चेतक वाहन रैली का शहर भर में स्वागत-सत्कार हुआ, उससे भी जाहिर होता है कि आज भी महाराणा प्रताप के प्रति लोगों में मान-सम्मान है। संभवत: अजमेर के इतिहास में यह पहला अवसर है जब एडीए की ओर से महाराणा प्रताप की जयंती पर इतना बड़ा आयोजन किया गया। 26 मई को जहां विचार गोष्ठी में इतिहासकारों ने महाराणा प्रताप के संघर्षपूर्ण जीवन की सच्चाई बताई, तो वहीं 27मई को सांस्कृतिक संध्या के माध्यम से पुष्कर घाटी प्रताप की वीतरा से गंूज गई। 28 मई को वाहन रैली के साथ-साथ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित हुआ, इसमें देश के ख्यातिप्राप्त कवि हरिओम पंवार जैसों ने महाराणा प्रताप की वीर गाथाओं का वर्णन किया। इतिहास गवाह है कि जब राजस्थान के अधिकांश राजाओं ने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी तब अकेले महाराणा प्रताप ही थे, जिन्होंने अकबर को अपना बादशाह नहीं माना। आज जब ऐसे महान योद्वा की जयंती पर समारोह हुआ तो शहरवासियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। 
एस.पी.मित्तल) (29-05-17)
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हनुमान बेनीवाल के निलम्बन के विरोध में अजमेर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन
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29 मई को नागौर जिले के खींवसर के निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के विधानसभा से निलम्बन के विरोध में आदर्श जाट महासभा की ओर से अजमेर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया। कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के बाद राज्यपाल के नाम संबोधित कलेक्टर को दिए ज्ञापन में आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने द्वेषतापूर्वक कार्यवाही कर बेनीवाल का निलम्बन किया है। ज्ञापन में बताया गया कि 30 मई को महासभा से जुड़े कार्यकर्ता जयपुर में सिविल लाइन्स का घेराव करेंगे। ज्ञापन देने वालों में प्रदेश अध्यक्ष सुबेसिंह चौधरी, विजयपाल चौधरी, रामस्वरूप डूडी, ब्रजेश चौधरी, चन्द्रपाल सिंह चौधरी, गिरधर , मुकेश आदि शामिल थे।

(एस.पी.मित्तल) (29-05-17)

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Sunday 28 May 2017

#2624
आखिर भाजपाई कैसे करेंगे विस्तारक का काम? आग उगलते जून माह में 15 दिन गुजारने होंगे वोट के बूथ पर। 
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28 मई को अजमेर के जवाहर रंगमंच के वातानुकूलित सभागार में शहर भाजपा के विस्तारकों का एक प्रशिक्षण शिविर हुआ। इस शिविर में जो भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित हुए, उन्हें ही विस्तारक माना गया। प्रशिक्षण के प्रभारी बीरमदेव सिंह, संगठन के प्रभारी महेश शर्मा, मंत्री वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, एडीए के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, शहर अध्यक्ष अरविन्द यादव आदि ने अलग-अलग सत्रों में बताया कि वोट के बूथ पर जाकर क्या-क्या काम करने हैं। सवाल प्रशिक्षाण लेने का नहीं है। सवाल विस्तारक के तौर पर बूथ पर काम करने का है। वातानुकूलित सभागार में जिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने विस्तारक बनकर प्रशिक्षण लिया, उनमें से अधिकांश ए.सी. कारों की सुविधा भोगने वाले हैं। कोई मण्डल स्तर पर पदाधिकारी है तो कोई वार्ड पार्षद। कोई कार्यकर्ता सरकारी कमेटी में है तो कोई सरकारी विभागों में अनुबंध के आधार पर सप्लाई आदि का काम करता हैं। पार्टी ने जो रणनीति बनाई है, उसके मुताबिक जून माह में इन विस्तारकों को निर्धारित बूथ पर 15 दिन गुजारने होंगे। बूथ के प्रत्येक मतदाता की स्थिति का आंकलन करना होगा। ऐसा नहीं कि इन विस्तारकों को अपने घर के निकट के बूथ पर ही लगाया काम करना होगा। पार्टी अजमेर शहर के विस्तारकों को दूसरी विधानसभा क्षेत्र में नियुक्त करेगी। यानि इन विस्तारकों को 7-7 दिन की अवधि में अपने घरों से बाहर रहना पड़ेगा। सवाल उठता है कि भाजपा के जो कार्यकर्ता पिछले तीन साल से सत्ता का सुख भोग रहे हैं, क्या वह आग उगलते जून माह में 15 दिनों तक दूरदराज के बूथ पर काम कर सकते हैं? भले ही कार्यकर्ताओं ने विस्तारक का प्रशिक्षण ले लिया हो, लेकिन विस्तारक की भूमिका निभाना कठिन काम है। असल में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अगले वर्ष नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में 200 में से 180 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। इसलिए कार्यकर्ताओं को विस्तारक की भूमिका दी गई है। देखना है कि इस भूमिका को कार्यकर्ता किस प्रकार निभाते हैं। अजमेर शहर में 400 कार्यकर्ताओं ने विस्तारक के लिए अपना पंजीयन कराया है। 
एस.पी.मित्तल) (28-05-17)
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#2624
महाराणा प्रताप की जयंती मना कर अजमेर के कांग्रेसियों ने की एक अच्छी पहल। 
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28 मई को अजमेर के कांग्रेसियों ने भी महाराणा प्रताप की जयंती मनाई। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कांग्रेसी ने पुष्कर घाटी स्थित स्मारक पर लगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर एकत्रित हुए। कांग्रेसियों ने प्रतिमा पर माला पहनाने के बाद महाराणा प्रताप के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। कांग्रेसियों ने माना कि प्रताप ने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं कर राजस्थान के गौरव को बढ़ाया। आम तौर पर महाराणा प्रताप की जयंती को भाजपा के कार्यकर्ता ही मनाते रहे। इस बार भी अजमेर विकास प्राधिकरण ने तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया है। कांग्रेसियों ने जिस स्मारक पर प्रताप जयंती मनाई, उसकी नींव भाजपा के पिछले शासन में नगर सुधार न्यास के तब के अध्यक्ष धर्मेश जैन ने रखी थी। लेकिन कांग्रेस के पांच वर्ष के शासन में स्मारक के अधूरे कार्य को पूरा करने और प्रतिमा को लगाने में कोई रूचि नहीं दिखाई गई। अब जब वसुंधरा राजे के नेतृत्व में दोबारा से भाजपा की सरकार बनी और शिवशंकर हेड़ा को अजमेर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया तो स्मारक का अधूरा कार्य पूरा हो गया। भले ही कांग्रेस ने स्मारक को बनाने में कोई रूचि नहीं दिखाई हो, लेकिन अजमेर के कांग्रेसियों ने इस बार यह जता दिया कि महाराणा प्रताप को कांग्रेस भी मानती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर के कांग्रेसियों ने जयंती बना कर एक अच्छी पहल की है। 
(एस.पी.मित्तल) (28-05-17)
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#2623
तो क्या हमारे जवान मरते रहें? आतंकी सबजार अहमद की मौत पर बबेला क्यों। 
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कश्मीर घाटी में हमारे सुरक्षा बलों पर आए दिन हमला कर रहे हिजबुल के कमांडर सबजार अहमद और 10 आतंकियों को सेना ने 27 मई को मार गिराया। अब आतंकी सबजार की मौत पर बबेला हो रहा है। घाटी के 4 जिले फिर से अशान्त हो गए हैं। पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में रखा है। जो कश्मीर के आतंकी सुरक्षा बलों के जवानों की हत्याएं कर रहे हैं, उन्हें पाकिस्तान असहाय कश्मीर युवक बता रहा है। पाकिस्तान के इशारे पर जब भी घाटी में आतंकी हमले में जवान मारे जाते हैं तो सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाता है। हालांकि सुरक्षा बल अपनी रणनीति के तहत काम करते हैं। 27 मई को सेना ने अपनी रणनीति के तहत हिजबुल कमांडर और 10 आतंकियों को मार गिराया। यानि इस बार सेना ने पुख्ता कार्यवाही की है। सेना ने पाकिस्तान और आतंकवादियों को साफ-साफ संदेश दे दिया है कि हमारे सैनिक शहीद होने के लिए नहीं है। स्वभाविक है कि कमांडर की मौत के बाद कश्मीर घाटी में आतंकी और अलगाववादी विरोध तो करेंगे ही। ऐसे विरोध का सुरक्षा बलों को सख्ती के साथ जवाब देना चाहिए। जो लोग सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकते हैं और आतंकियों को मदद करते हैं, वे कभी भी असहाय नहीं हो सकते। बल्कि कई मौके पर तो सुरक्षा बल ही असहाय नजर आते हैं। यदि कोई आतंकी सेना पर गोली चलाएगा तो उसे परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। सेना ने आतंकियों के खिलाफ जो कड़ी कार्यवाही शुरू की है, उसका समर्थन देश के विपक्षी दलों को भी करना चाहिए। आखिर हमारे सुरक्षा बल देश की सुरक्षा ही तो कर रहे हैं। जहां तक घाटी में अशांति का सवाल है तो यह लंबे समय से चली आ रही है। ताजा घटनाक्रम में भले ही स्कूल, कॉलेज लंबे समय तक बंद रहे, लेकिन सुरक्षा बलों और सरकार  को नरमी नहीं बरतनी चाहिए। वैसे भी वे तत्व देश के नागरिक नहीं हो सकते हैं, जो अपनी सेना पर पत्थर फैंकते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (28-05-17)
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Saturday 27 May 2017

#2620
तो क्या अब शाहनी और गिदवानी की गिरफ्तारी होगी? अजमेर की अदालत से नहीं मिली जमानत।
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27 मई को अजमेर की एसीबी कोर्ट ने नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत और दलाल मनोज गिदवानी की अग्रिम जमानत के प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए। न्यायाधीश अशोक सरोलिया ने अपने आदेश में दोनों को प्रथम दृष्ट्या आरोपी माना और कहा कि यह स्टेज अग्रिम जमानत लेने की नहीं है। जमानत का प्रार्थना पत्र खारिज हो जाने के बाद सवाल उठता है कि क्या अब शाहनी और गिदवानी की गिरफ्तारी होगी। इसी अदालत ने एसीबी की चार्जशीट पर इन दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दे रखे हैं। हालांकि 27 मई तक अदालत से गिरफ्तारी वारंट पुलिस को ंनहीं मिले हैं। वारंट मिलने के बाद ही पुलिस दोनों आरोपियों को तलाशने का काम करेगी। हालांकि अब दोनों ही हाईकोर्ट में जमानत का प्रार्थना पत्र दाखिल करेंगे। मालूम हो कि अजमत खा नाम के एक युवक ने शाहनी पर लैंड फोर लैंड के मामले में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। इस शिकायत पर ही एसीबी ने शाहनी और गिदवानी को मुल्जिम माना है। जानकारों के अनुसार जमानत का प्रार्थना पत्र खारिज हो जाने के बाद शाहनी और गिदवानी अजमेर में उपलब्ध नहीं है। 
(एस.पी.मित्तल) (27-05-17)
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#2621
सिक्ख युवकों की पिटाई के प्रकरण में नसीराबाद पुलिस ने पलटी खाई। 
सरपंच सहित तीन गिरफ्तार। सिपाही लाइन हाजिर। सफेद झूठ सीआई का प्रेस नोट।
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27 मई को अजमेर के एसपी राजेन्द्र सिंह चौधरी ने नसीराबाद सदर थाने के सिपाही बुद्धाराम को लाइन हाजिर किया तो नसीराबाद पुलिस ने चार सिक्ख युवकों की बेरहमी के साथ पिटाई के प्रकरण में चैनपुरा गांव के सरपचं रामदेव सिंह के साथ आरोपी सरण सिंह और राजू सिंह को गिरफ्तार कर लिया। यह वही नसीराबाद पुलिस है जिसने 24 अप्रैल को पीडि़त चारों सिक्ख युवकों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। 24 अप्रैल को जिन सिक्ख युवकों को पुलिस अपराधी मान रही थी। आज उन्हीें युवकों की सदर थाने में मिजाजपुर्सी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। हालांकि इन सिक्ख युवकों ने 24 अप्रैल को भी कहा था कि वह बेकसूर है। चैनपुरा गांव के लोगों ने बेवहज बेरहमी के साथ पीटा है। लेकिन तब इन सिक्खों की पुलिस ने एक नहीं सुनी। पिटाई का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो राजस्थान के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह ने प्रसंज्ञान लिया। इस मामले में आयोग ने 2 मई को अजमेर पुलिस को तलब किया है। आयोग के डंडे से घबराई पुलिस ने 27 मई को चारों सिक्खों युवकों  को अलवर जिले के खैरथल कस्बे से बुलाया और दिनभर वो सब कार्यवाही की जिससे स्वयं को बचाया जा सके। अब नसीराबाद की पुलिस इस मामले में लीपापोती कर रही है। असल में 24 अप्रैल को नसीराबाद सदर थाने की पुलिस ने समझदारी के साथ काम नहीं किया। जिन लोगों ने सिक्ख युवकों की पिटाई की उनके विरुद्ध पुलिस को उसी दिन कार्यवाही करनी चाहिएथी। सवाल उठता है कि इस पूरे प्रकरण में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? क्या सिक्ख युवकों की पिटाई के इस गंभीर प्रकरण में एक सिपाही ही जिम्मेदार है? अल्पसंख्यक आयोग को चाहिए कि वे इस मामले में गंभीरता बरते। पुलिस की 27 मई की कार्यवाही अपनी गड़बड़ी को छुपाने के लिए है। सिक्ख युवकों की पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद देशभर के सिक्ख समाज के लोगों में रोष व्याप्त है। 
यह है मामला:
24 अप्रैल को जब पीडि़त चारों सिक्ख युवक चैनपुरा गांव में कथित गुरुद्वारे के लिए घर-धर जाकर चंदा एकत्रित कर रहे थे, तभी गांव वालों ने संदिग्ध मानते हुए बेरहमी के साथ युवकों की पिटाई की। बाद में जब इन युवकों को पुलिस को सौंपा गया तो नसीराबाद सदर थाने की पुलिस ने पीडि़तों के खिलाफ ही शांतिभंग का मामला दर्ज कर किया। बाद में एसडीएम से जमानत के बाद छोड़ा गया। यह चारों युवक अलवर जिले खैरथल कस्बे के रहने वाले हैं। इनके नाम हरपाल सिंह, कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह व मलजीत सिंह है।  हालांकि पिटाई और गिरफ्तारी में समय भी इन युवकों ने कहा कि वे अपराधी नहीं है और न ही उनके खिलाफ किसी थाने में मुकदमा दर्ज है। लेकिन न तो पीटने वालों ने और न पुलिस ने इन युवको की सुनी। कअब जब इस मामले ने तूल पकड़ लियाहै तो पुलिस बचाव की मुद्रा में है। 
सफेद झूठ है सीआई लक्ष्मणा राम का पे्रस नोट:
27 मई को नसीराबाद सदर थाने के सीआई लक्ष्मणाराम ने पुलिस की ओर से जो प्रेस नोट जारी किया है, वह सफेद झूठ है। इस प्रेस नोट में चारों पीडि़त सिक्ख युवकों की ओर से कहा गया है हमने 25 अप्रैल को घटना वाले दिन रिपोर्ट इसलिए नहीं लिखवाई कि भविष्य में हमें धार्मिक कार्यों के लिए चंदा नहीं मिलेगा। लेकिन जब वीडियो वायरल हुआ तो देशभर के सिक्खों ने हमें कार्यवाही करने के लिए कहा। इसलिएआज हम थाने पर उपस्थित होकर अपनी शिकायत दे रहे हैं। सीआई लक्ष्मणाराम का यह प्रेस नोट न केवल अजूबा है बल्कि थाने की गलतियों को छुपाने वाला है। इस प्रेस नोट की एक खास बात यह भी है कि सीआई ही बता रहे है कि अब इस मामले की जांच अजमेर स्थित पुलिस परामर्श केन्द्र के  अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी करेंगे, जबकि सच्चाई यह है कि खैरथल की पुलिस इन पीडि़तों को लेकर आज प्रात: ही नसीराबाद पहुंची। देखना है कि एक झूठ को छिपाने के लिए नसीराबाद पुलिस और कितने झूठ बोलतीे हैं।
एस.पी.मित्तल) (27-05-17)
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#2622
आरसीए का चुनाव तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही लड़ रही हैं। 
रुचिर और हर्षवद्र्धन तो प्यादें हैं। 
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29 मई को होने वाला राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव तो असल में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही लड़ रही हैं। राज्यसभा के सांसद व डूंगरपुर राज्य घराने के सदस्य हर्षवद्र्धन सिंह और भारत से भाग कर इंग्लैंड में बैठे ललित मोदी के बेटे रुचिर तो प्यादें हैं। राजे का मकसद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सी.पी.जोशी को मात देना है। चुनाव के तय कार्यक्रम के अनुसार 27 मई को नामांकन पत्रों की जांच के बाद 28 मई की शाम पांच बजे तक नाम वापस लिया जा सकेगा। यदि सी.पी.जोशी अध्यक्ष का चुनाव लड़ते हैं तो वसुंधरा राजे की ओर से हर्षवद्र्धन उम्मीदवार होंगे। लेकिन यदि जोशी नाम वापस ले लेते हैं तो भीलवाड़ा क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रामपाल शर्मा को रुचिर मोदी से ही हरवा दिया जाएगा। राजे की रणनीति में सी.पी.जोशी के सामने रुचिर मोदी को कमजोर माना जा रहा है। यह बात अलग है कि राजे की रणनीति जोशी को रुचिर से भी हरवा सकती हैं। लेकिन रुचिर के साथ उनके पिता ललित मोदी का विवादित नाम जुड़ा हुआ है। इसलिए राजे राजनीति का कोई बखेड़ा नहीं करना चाहती। सी.पी.जोशी के समर्थक अपने साथ बहुमत होने का कितना भी दावा कर लेवे, लेकिन राजे की रणनीति को पार पाना मुश्किल है। 26 मई को जब सी.पी.जोशी ने अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल किया तो इस मौके पर हर्षवद्र्धन ने भी दावेदारी जताई। 
सवाल उठता है कि क्या हर्षवद्र्धन, अमीन पठान अथवा महमूद आब्दी के कहने से नामांकन दे देंगे? स्वाभाविक है कि सीएम राजे के कहने पर ही हर्षवद्र्धन मैदान में कूदे हैं। राजे को यह पता है कि हर्षवद्र्धन को राजसिंह डूंगरपुर की ख्याति का लाभ भी मिलेगा। चुनाव चाहे राजनीतिक का हो या क्रिकेट का सभी में साम-दाम-दंड भेद का इस्तेमाल होता है। राजस्थान की राजनीति में रुचि रखने वालों को पता है कि डूंगरपुर राजघराने से जुड़े हर्षवद्र्धन सिंह को किन कारणों से राज्यसभा सदस्य बनाया गया है। जो अमीन पठान कभी ललित मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, आज वो ही अमीन पठान रुचिर मोदी को कंधे पर बैठा कर नाच रहे हैं। अमीन पठान वो ही करते हैं जो सीएम राजे कहती हैं। यही वजह है कि आज अमीन पठान राजस्थान हज कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर राज्यमंत्री की सुविधाएं भोग रहे हैं। ललित मोदी ने भले ही राजस्थान की क्रिकेट पर कभी एक छत्र राज किया हो, लेकिन आज ललित मोदी और उनके पुत्र रुचिर मोदी पूरे तरह सीएम राजे के रहमो करम पर है। राजे नहीं चाहेगी तो रुचिर मोदी अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। 28 मई की सुबह तक जिला क्रिकेट संघों के मतदाताओं को बाड़े में बंद करवा दिया जाएगा। बाड़े में गिनती होने के बाद ही रुचिर मोदी और हर्षवद्र्धन सिंह में से एक मैदान में रहेगा। सी.पी.जोशी की नजर भी राजे के बाड़े पर टिकी हुई है। अंकगणित राजे के साथ होगी तो सी.पी.जोशी चुनाव नहीं लड़ेंगे। जोशी भी जानते हैं कि उनका मुकाबला हर्षवद्र्धन और रुचिर मोदी जैसे प्यादों से नहीं है, उनका मुकाबला राजस्थान की मजबूत सीएम वसुंधरा राजे से हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (27-05-17)
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Friday 26 May 2017

#2619
राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री देवनानी के खिलाफ परिवादी के बयान दर्ज करने के आदेश। ब्राह्मणों पर अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला।
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ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में अजमेर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धुक्कल राम कसवा ने प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ परिवादी सुदामा शर्मा के बयान दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं। 
26 मई को न्यायाधीश कसवा के समक्ष देवनानी के प्रकरण में सुनवाई हुई। परिवादी सुदामा शर्मा के वकील विवेक पाराशर और अजय त्रिपाठी ने कहा कि देवनानी ने मंत्री के पद पर रहते हुए ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ जो अपमानजनक टिप्पणी की है, उससे सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज आहत है इसलिए आईपीसी की धारा 499, 500, 501 व 502 के अंतर्गत वाद दायर किया है। अदालत में देवनानी की वो वीडियो सीडी प्रस्तुत की गई, जिसमें देवनानी ने ब्राह्मणों द्वारा नाम के पहले पंडित लगाने का मजाक उड़ाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश कसवा ने परिवादी सुदामा शर्मा के बयान दर्ज करने के आदेश दे दिए। इस मामले में अब 16 जून को सुनवाई होगी। 
ब्राह्मण समाज में हैं रोष :
परिवादी और राजस्थान ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष पंडित सुदामा शर्मा ने कहा है कि देवनानी की टिप्पणी से सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज में रोष है। अब वे प्रदेश भर के ब्राह्मणों को एकजुट करने का काम कर रहे हैं। राजस्थान ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने इस बात पर अफसोस जताया कि देवनानी ने अपनी टिप्पणी पर खेद प्रकट नहीं किया। उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आग्रह किया कि देवनानी को मंत्रीमंडल से बर्खास्त करें।
निम्बार्क पीठ ने भी की थी मध्यस्थता :
देवनानी और ब्राह्मण समुदाय के विवाद को निपटाने के लिए सलेमाबाद स्थित निम्बार्क  पीठ के आचार्य जगतगुरू श्यामशरण महाराज ने भी मध्यस्थता की थी। दोनों पक्षों को बुलाकर समझाया गया था। ब्राह्मण समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि देवनानी ने आचार्यश्री के निर्देंशों को भी नहीं माना। आचार्यश्री ने कहा था कि देवनानी लिखित में खेद प्रकट कर दें तो ब्राह्मण समुदाय कोई कार्यवाही नहीं करेगा। ब्राह्मण समुदाय आचार्यश्री के निर्देंशों को आज भी मानने को तैयार है। 
एस.पी.मित्तल) (26-05-17)
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#2618
शाहनी और गिदवानी की जमानत पर बहस पूरी। निर्णय 27 मई को।
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अजमेर की एसीबी कोर्ट में 26 मई को नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी और दलाल मनोज गिदवानी की अग्रिम जमानत के प्रार्थना पत्र पर जोरदार बहस हुई। शाहनी की ओर से एडवोकेट उमरदान लखावत और गिदवानी की ओर से एडवोकेट पी.एस.सोनी ने पैरवी की। वकीलों का कहना रहा कि एसीबी की चार्जशीट ही विरोधाभाषी है। भ्रष्टाचार के इस कथित मामले में न तो कोई राशि बरामद हुई है और न ही ऐसा कोई सबूत है, जिसमें शाहनी के द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप साबित होता हो। इस मामले में जांच अधिकार रहे एएसपी निर्मल शर्मा  ने अपनी रिपोर्ट में भीम सिंह भीका की एफआईआर को पूरी तरह गलत साबित किया है। चार्जशीट में भी न्यास की तात्कालीन सचिव पुष्पा सत्यानी, सहायक अभियन्ता साहिबराम जोशी, भू-कारोबारी महेश अग्रवाल आदि को दोषमुक्त किया गया है। ऐसे में शाहनी और गिदवानी को ही आरोपी बनना एसीबी की बदनीयती है। 
जिस दिन की वार्ता बताई जा रही है, उस दिन एसीबी का टेप रिकॉर्डर अलमारी से बाहर ही नहीं निकला और न ही रोजनामचे में कोई इन्द्राज है। एसीबी ने सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए चार्जशीट पेश की है। लखावत का कहना रहा कि एसीबी शाहनी से विस्तृत पूछताछ कर चुकी है। अब किसी भी मुद्दे पर शाहनी की मांग नहीं है। ऐसे में अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। दोनों वकीलों का कहना रहा कि जब कोई आरोप साबित ही नहीं होता है तो फिर गिरफ्तारी क्यों की जावे। उल्लेखनीय है कि एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश अशोक सरोलिया ने तीन दिन पहले ही शाहनी और गिदवानी के गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। अदालत अग्रिम जमानत पर अब 27 मई को निर्णय देगी। सरकारी वकील अलका गहलोत ने आरोपियों की जमानत का विरोध किया। 
एस.पी.मित्तल) (26-05-17)
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शाहनी और गिदवानी की जमानत पर बहस पूरी। निर्णय 27 मई को।
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अजमेर की एसीबी कोर्ट में 26 मई को नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी और दलाल मनोज गिदवानी की अग्रिम जमानत के प्रार्थना पत्र पर जोरदार बहस हुई। शाहनी की ओर से एडवोकेट उमरदान लखावत और गिदवानी की ओर से एडवोकेट पी.एस.सोनी ने पैरवी की। वकीलों का कहना रहा कि एसीबी की चार्जशीट ही विरोधाभाषी है। भ्रष्टाचार के इस कथित मामले में न तो कोई राशि बरामद हुई है और न ही ऐसा कोई सबूत है, जिसमें शाहनी के द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप साबित होता हो। इस मामले में जांच अधिकार रहे एएसपी निर्मल शर्मा  ने अपनी रिपोर्ट में भीम सिंह भीका की एफआईआर को पूरी तरह गलत साबित किया है। चार्जशीट में भी न्यास की तात्कालीन सचिव पुष्पा सत्यानी, सहायक अभियन्ता साहिबराम जोशी, भू-कारोबारी महेश अग्रवाल आदि को दोषमुक्त किया गया है। ऐसे में शाहनी और गिदवानी को ही आरोपी बनना एसीबी की बदनीयती है। 
जिस दिन की वार्ता बताई जा रही है, उस दिन एसीबी का टेप रिकॉर्डर अलमारी से बाहर ही नहीं निकला और न ही रोजनामचे में कोई इन्द्राज है। एसीबी ने सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए चार्जशीट पेश की है। लखावत का कहना रहा कि एसीबी शाहनी से विस्तृत पूछताछ कर चुकी है। अब किसी भी मुद्दे पर शाहनी की मांग नहीं है। ऐसे में अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। दोनों वकीलों का कहना रहा कि जब कोई आरोप साबित ही नहीं होता है तो फिर गिरफ्तारी क्यों की जावे। उल्लेखनीय है कि एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश अशोक सरोलिया ने तीन दिन पहले ही शाहनी और गिदवानी के गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। अदालत अग्रिम जमानत पर अब 27 मई को निर्णय देगी। सरकारी वकील अलका गहलोत ने आरोपियों की जमानत का विरोध किया। 
एस.पी.मित्तल) (26-05-17)
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#2617
नेशनल हेराल्ड का प्रोग्राम राष्ट्रपति भवन में होना कितना उचित। 
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माना तो यही जाता है कि राष्ट्रपति का पद संवैधानिक होता है और राष्ट्रपति किसी भी विवाद से दूर रहते हैं। ऐसी परंपराओं और मान्यताओं के बीच ही 30 मई को राष्ट्रपति भवन में विवादित संस्था नेशनल हेराल्ड का एक प्रोग्राम होने जा रहा है। तय कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हेराल्ड अखबार के विशेष संस्करण का विमोचन करेंगे। अब चूंकि यह कार्यक्रम तय हो चुका है इसलिए राष्ट्रपति समारोह में उपस्थित रहेंगे ही। सब जानते हैं कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी के मालिकाना वाले नेशनल हेराल्ड का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। नेशनल हेराल्ड की सम्पत्ति को लेकर जो गड़बड़ी हुई, उसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों को आरोपी माना गया है। दोनों ही न्यायालय से जमानत पर हैं। यह माना कि राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। सोनिया गांधी के भरोसेमंद होने की वजह से ही यूपीए का उम्मीदवार मुखर्जी को बनाया गया। इसमें कोई दोराय नहीं कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद का निवर्हन बहुत जिम्मेदारी के साथ किया है। अब मुखर्जी जुलाई में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। राष्ट्रपति भवन छोडऩे से पहले ही मुखर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे दुबारा से उम्मीदवार नहीं होंगे। ऐसे में यह माना जा सकता है कि मुखर्जी कांग्रेस के किसी दबाव में नहीं है। साथ ही यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रणब मुखर्जी जाते-जाते ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे राष्ट्रपति भवन में गलत परंपरा शुरू होती हो। 
एस.पी.मित्तल) (26-05-17)
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#2616
महाराणा प्रताप जयंती पर तीन दिवसीय समारोह कर एडीए अध्यक्ष हेड़ा ने की एक अच्छी पहल। 
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26 मई से अजमेर में महाराणा प्रताप जयंती का तीन दिवसीय समारोह शुरू हो गया। अजमेर के इतिहास में यह पहला अवसर है जब राजस्थान की आन बान और शान माने जाने वाले महाराणा प्रताप की जयंती पर इतना बड़ा आयोजन हो रहा है। इस आयोजन का बीड़ा अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने उठाया है। हेडा़ ने गत वर्ष ही पुष्कर घाटी पर अधूरे पड़े प्रताप स्मारक के काम को पूरा करवाया। अब इस भव्य स्मारक पर ही तीन दिवसीय समारोह आयोजित किया जा रहा है। सब जानते हैं कि चित्तौड़ के महाराणा प्रताप ही ऐसे राजा थे जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की, भले ही उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को घास की रोटी खानी पड़ी। ऐसे महाराणा की जयंती पर आयोजन होना वाकई सराहनीय है। उम्मीद है कि हेड़ा ने अपने कार्यकाल में जो तीन दिवसीय समारोह की शुरुआत की है वह भविष्य में भी जारी रहनी चाहिए। 
आज महाराणा प्रताप की वीरता से शिक्षा लेने की सख्त जरुरत है। प्रताप ने जिस तरह अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए अनेक युद्ध लड़े, उसी तरह आज भी हमें अपनी संस्कृति को बचाने की जरुरत है। जिस प्रकार प्रताप को दुश्मनों के साथ-साथ अपने घर के लोगों से भी संघर्ष करना पड़ा, उसी प्रकार आज देश के हालात हैं। यदि इन हालातों का मुकाबला मजबूती के साथ नहीं किया गया तो फिर देश की एकता और अखंडता को भी खतरा है। तीन दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम में 27 मई को स्मारक पर सांस्कृतिक संध्या तथा 28 मई को कवि सम्मेलन होगा। 28 मई को ही शहर भर में चेतक वाहन रैली निकाली जाएगी। 
भाजपाई को किया एकजुट:
प्रताप जयंती के समारोह के साथ ही एडीए अध्यक्ष हेड़ा ने अजमेर के भाजपा नेताओं को भी एकजुट करने का प्रयास किया है। जिले के सभी भाजपा विधायकों, सांसद और पार्टी के प्रमुख नेताओं को विभिन्न कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया है। सब जानते हैं कि अजमेर में भाजपा नेताओं में आपसी खींचतान रहती है। लेकिन हेड़ा ने इस खींचतान को मिटाने की कोशिश की। 
मुख्यमंत्री की सहमति:
जानकार सूत्रों के अनुसार प्रताप जयंती के समारोह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भी सहमति है। समारोह करने से पूर्व हेड़ा ने इस संबंध में सीएम राजे से विचार विमर्श किया। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष राजे ने ही पुष्कर घाटी में स्मारक का उद्घाटन करने के साथ-साथ प्रताप की प्रतिमा का लोकार्पण भी किया था। 
(एस.पी.मित्तल) (26-05-17)
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#2615
जन्म दिन का जश्न मनाने वाले भाजपा नेता मोदी सरकार के तीन वर्ष को भूले। 
अजमेर में सिर्फ एक नेता ने लगाए बैनर। 
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26 मई को केन्द्र की भाजपा सरकार ने अपने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया। इसको लेकर मोदी सरकार देशभर में जश्न मना रही है। दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फे्रंस कर सरकार की उपलब्धियां गिनाई। अजमेर में यूं तो भाजपा नेताओं के जन्म दिन पर बड़े-बड़े होर्डिंग और बेनर लगाए जाते हैं। नेता के समर्थकों में बेनर लगाने की होड़ मच जाती है। यहां तक की अजमेर से जुड़े मंत्री की घोषणा पर भी बेनर लगा दिए जाते हैं। लेकिन मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर नेताओं की ओर से कोई बेनर आदि नहीं लगाया गया। यहां तक कि किसी नेता ने प्रेस विज्ञप्ति तक जारी नहीं की। शायद ऐसे नेता मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरा होने को भूल गए। भाजपा की ओर से सिर्फ एक नेता सुभाष काबरा ने ही कुछ स्थानों पर मोदी सरकार को लेकर बेनर लगाए। हालांकि काबरा वर्तमान में किसी बड़े पद पर नहीं हैं। लेकिन वे 1986 से भाजपा में सक्रिय हंै। संघ परिवार के एकल विद्यालय का अजमेर जिला का प्रभार भी काबरा के पास है।  काबरा का कहना रहा कि मोदी सरकार का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर उन्हेांने स्वविवेक से बेनर लगाए हंै। केन्द्र की मोदी सरकार ने तीन वर्ष कार्यकाल में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। केन्द्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आप लोगों को मिलना शुरू हो गया है। 
(एस.पी.मित्तल) (26-05-17)
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Thursday 25 May 2017

#2614
तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बताए अस्पताल में बाथरूम के उपयोग के तरीके। 
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25 मई को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालावाड़ के सरकारी अस्पताल में आईसीयू सेन्टर का उदघाटन किया। झालावाड़ राजे के पुत्र दुष्यन्त सिंह का संसदीय क्षेत्र है। राजे ने कहा कि अब इस सरकारी अस्पताल में अमरीका जैसी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी, लेकिन साथ ही सरकारी अस्पतालों के शौचालयों और बाथरूम की दुर्दशा पर चिन्ता जताई। उन्होंने कहा कि अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों ने मेहनत कर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखा है, लेकिन मैंने यह देखा है कि सरकारी अस्पतालों के बाथरूमों में लोग गन्दगी कर देते हैं। यहां तक कि नाली में तम्बाकू के पाऊच आदि फंसा देते हैं। बाथरूम के अंदर ही थूकते हैं। अब यह झालावाड़ के लोगों की जिम्मेदारी है कि बाथरूम को साफ रखें। इसके लिए स्वयं लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। समारोह में उपस्थित लोगों को इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि मुख्यमंत्री स्वयं बाथरूम के उपयोग की जानकारी दे रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सार्वजनिक स्थानों पर बने शौचालय और बाथरूम अक्सर गंदे रहते हैं। मुख्यमंत्री ने सही कहा कि लोग बाथरूम की नालियों में प्लास्टिक की थैलियां और तम्बाकू के पाऊच घुसेड़ देते हैं, जिसमें गन्दगी उफन कर पूरे बाथरूम में भर जाती है। क्या उन लोगों को शर्म नहीं आनी चाहिए जो प्लास्टिक की थैलियां, तम्बाकू के पाउच, देशी शराब की छोटी बोतल बाथरूम में डाल देते हैं। यदि राज्य की महिला मुख्यमंत्री को बाथरूम के उपयोग के बारे में बताना पड़े तो इससे लोगों की जागरूकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार अपने स्तर पर साफ-सफाई का काम करती है। लेकिन यदि लोग अपना दायित्व भी निभाएं तो अनेक समस्याओं को आसानी के साथ दूर किया जा सकता है। 
(एस.पी.मित्तल) (25-05-17)
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#2613
अजमेर में एक करोड़ की लागत से बनेगा वेलफेयर होम। सुधार सभा और जय शिव शक्ति  फाउंडेशन  की सकारात्मक पहल।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नगरी अजमेर में एक करोड़ रुपए की लागत से वेलफेयर होम का निर्माण किया जाएगा। इस निर्माण की खासियत यह है कि 27 मई को शिलान्यास के बाद अगले एक वर्ष में जरूरतमंद लोगों को सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी। इस होम का निर्माण सुधार सभा अजमेर और जय शिव शक्ति हेल्थ एंड एज्युकेशनल फाउंडेशन बैगलुरू की ओर से किया जा रहा है। सुधार सभा की अध्यक्ष महेश्वरी गोस्वामी, संरक्षक ईश्वर थारानी, महासचिव नारायणदास मीरचंदानी तथा सचिव वासदेव कृपलानी ने 25 मई को पत्रकारों को बताया कि वेलफेयर होम में 50 वृद्ध, महिलाएं एवं बच्चे नि:शुल्क रह सकेंगे। ऐसे जरूरतमंद लोगों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। जरूरतमंद आराम से रह सके इसके लिए 6 हॉल और 6 कमरों का निर्माण किया जाएगा। मंदिर, रसोईघर, डायनिंग रूम, गार्डन आदि की सुविधा भी उपलब्ध होगी। संस्था की नवाब का बेड़ा स्थित जमीन पर बनने वाले इस होम में लिफ्ट, फर्नीचर आदि की भी सुविधा होगी। 27 मई को प्रात: 8:30 बजे संतों की उपस्थिति में स्कूली शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी और अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत नींव रखेंगे। उन्होंने बताया कि सिंधी समाज के विकास के लिए सुधार सभा देश के विभाजन के समय से ही अजमेर में सक्रिय है। सभा के प्रयासों से ही आज अजमेर में सिंधी समुदाय समृद्ध स्थिति खड़ा हुआ है।
(एस.पी.मित्तल) (25-05-17)
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#2612
हवा में उडऩे वाले नेता अब देवेन्द्र फडऩवीस के क्रेश हुए हेलीकाप्टर से सबक लें।
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25 मई को महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडऩवीस जब लातूर में हेलीकाप्टर से उड़ान भर रहे थे कि तभी उनका हेलीकाप्टर बिजली के तारों में उलझ गया और कुछ ही क्षणों में जमीन पर आ गिरा। इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि सीएम फडऩवीस और उनकी टीम के सभी सदस्य सकुशल बच गए। यदि ईश्वर की कृपा फडऩवीस पर नहीं होती तो क्रेश हुए हेलीकाप्टर से बचना मुश्किल था। यह माना कि मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय मंत्रियों को कामकाज के लिए हेलीकाप्टर या हवाई जहाज की जरूरत होती है, लेकिन हमने यह भी देखा है कि कुछ नेता हवा में ज्यादा ही उड़ते हैं। कई बार तो सरकारी छोटे-छोटे कार्य अथवा अपने निजी कार्य के लिए बेवजह सरकारी हेलीकाप्टर का उपयोग करते हैं। कई बार तो यह भी देखा गया है कि सड़क का सफर ज्यादा आसान होने पर भी हवा में उड़ा जाता है। नेताओं ने हेलीकाप्टर के इस्तेमाल को अपने स्टेटस सिंबल से जोड़ लिया है। उन्हें कार अथवा ट्रेन से सफर करने में शर्म महसूस होती है। ऐसे नेताओं को 25 मई की घटना से सबक लेना चाहिए। सफर के जानकारों का मानना है कि सड़क और रेल के सफर के मुकाबले में हवाई यात्रा ज्यादा जोखिमपूर्ण होती है। जब कभी हवाई यात्रा में दुर्घटना होती है तो नेताओं का बचना मुश्किल होता है। देवेन्द्र फडऩवीस जैसे नेता बहुत कम होंगे जो हेलीकाप्टर के क्रेश होने के बाद भी बच गए। 
(एस.पी.मित्तल) (25-05-17)
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#2611
उज्मा की दर्दभरी कहानी से सबक लें कश्मीर की मुस्लिम औरतें। पाकिस्तान तो मौत का कुआं है। 
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25 मई को भारतीय मुस्लिम महिला उज्मा पाकिस्तान से लौट आई। उज्मा ने जो अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई, उससे कश्मीर की उन मुस्लिम औरतों को सबक लेना चाहिए, जो हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकती हैं। अलगाववादियों के इशारों पर कश्मीर की मुस्लिम औरतें भी आजादी के नारे लगाती हैं। लेकिन 25 मई को पाकिस्तान से लौटी उज्मा ने पाकिस्तान के हालातों की पोल खोलकर रख दी। भारत से गईं मुस्लिम लड़कियों को किस तरह से पाकिस्तान में तंग किया जाता है, इसकी आप बीती उज्मा ने सुनाई। उज्मा का कहना रहा कि पहले तो ताहिर नाम के एक युवक ने जबरन निकाह कर लिया और फिर उस पर ज्यादती की। उज्मा ने पाकिस्तान को मौत का कुआं बताते हुए कहा कि वहां हर घर में एक मर्द के पास तीन-चार बीवियां हैं। भारत से पाकिस्तान जाना तो आसान है, लेकिन वापस आना मुश्किल हैं। यदि इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास उसकी मदद नहीं करता तो वह भी मौत के कुएं से वापस नहीं आ सकती थी। उज्मा ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभार जताया, जिन्होंने उसकी वापसी के लिए विशेष प्रयास किए। अब उज्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिलने की ईच्छा प्रकट की है। मालूम हो कि न्यायालय के आदेश के बाद ही उज्मा भारत लौट सकी हैं। उज्मा ने माना है कि भारत में महिलाओं को जितनी आजादी है, उतनी दुनिया में कहीं नहीं है। उम्मीद है कि पाकिस्तान से लौटकर उज्मा ने जो दर्दभरी कहानी सुनाई है, उससे कश्मीर के अलगाववादी और वहां की मुस्लिम महिलाएं सबक लेंगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत में महिलाएं खासकर मुस्लिम महिलाएं बहुत ही सम्मान और अदब के साथ रह रही हैं। अनुच्छेद 370 की वजह से तो कश्मीर की महिलाओं को विशेष अधिकार मिले हुए हैं। अलगाववादी आजादी की बात कर पाकिस्तान में शामिल होने के लिए कहते हैं, लेकिन उज्मा ने बता दिया है कि पाकिस्तान के हालात कैसे हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (25-05-17)
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Wednesday 24 May 2017

#2610
क्या वर्तमान हालातों में भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना चाहिए? 4 जून को इंग्लैंड में होना है मैच।
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पाकिस्तान के एयर चीफ सोहेल अमान ने कहा कि भारत को ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसे पीढिय़ां याद रखेंगी। अमान का यह बयान 24 मई को तब आया है जब दोनों देशों के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। इधर चैम्पियन ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड रवाना हो गई है। तय कार्यक्रम में मुताबिक 4 जून को हमारी टीम को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना है। सवाल उठता है कि क्या इन हालातों में हमें दुश्मन देश के साथ मैच खेलना चाहिए? यह माना कि खेल कई बार दो देशों के बीच तनाव को दूर करते हैं। लेकिन हमने देखा है कि तनाव दूर करने के लिए भारत ने कई बार सकारात्मक पहल की, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। हाल ही में हमारे दो जवानों के सिर काट लिए गए और कुलभूषण जाधव को जासूस मान कर फांसी दी जा रही है। यदि हम पाकिस्तान को कोई सबक सिखाना चाहते हैं तो भारतीय टीम को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच भी नहीं खेलना चाहिए। हमारे लिए क्रिकेट नहीं, देश का सम्मान पहले है। हम उसे देश के साथ कैसे क्रिकेट खेल सकते हें, जो रोजाना हमारे सुरक्षा बलों को मौत के घाट उतार रहा है।
(एस.पी.मित्तल) (24-05-17)
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#2609
अजमेर के बिजयनगर में क्यों नहीं हो रहे अवैध समारोह स्थल सीज?
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भरतपुर दुखान्तिका के बाद प्रदेश भर में स्थानीय निकायों द्वारा बड़ी संख्या में अवैध समारोह स्थलों को सीज किया गया है। लेकिन अजमेर जिले के बिजयनगर में 22 में से मात्र 2 समारोह स्थल सीज किए गए हैं। इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि नगरपालिका प्रशासन अवैध समारोह स्थलों को सीज क्यों नहीं कर रहा है? बिजयनगर को अजमेर जिले में सबसे समृद्ध माना जाता है। यहां जमीनों के भाव मुंबई के बराबर बताए जा रहे हैं। ऐसे में प्रभावशाली लोगों ने समारोह स्थल बना रखे हैं। ऐसे समारोह स्थल मालिकों ने पालिका से कोई अनुमति नहीं ली है और न ही निर्धारित शुल्क जमा करवाते हैं। अधिकांश समारोह स्थल कृषि भूमि पर बने हुए हैं और निर्माण भी अवैध है। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि जो समारोह स्थल मापदण्डों के अनुरूप नहीं है, उन्हें सीज कर दिया जाए। लेकिन इसके बावजूद भी पालिका प्रशासन ने अवैध समारोह स्थलों के मालिकों से आवेदन ग्रहण कर लिए हैं। अब इन आवेदनों की आड़ में सीज की कार्यवाही को रोका जा रहा है। पालिका प्रशासन को भी पता है कि वर्तमान परिस्थितियों में न तो कृषि भूमि का रूपान्तरण हो सकता है और न ही जुर्माना कर कोई अवैध निर्माण नियमित किया जा सकता है। कुछ प्रभावशाली लोगों ने बिजयनगर की शहरी सीमा से लगे ग्राम पंचायतों के क्षेत्रों में समारोह स्थल अवैध रूप से बना रखे हैं। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे स्थलों पर होटल भी धड़ल्ले से चलाई जा रही है। 
एस.पी.मित्तल) (24-05-17)
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#2608
तो क्या पाकिस्तान युद्ध की तैयारी कर रहा है? तबाही का एक और वीडियो। हमें अंदर के दुश्मनों से खतरा है।
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24 मई को पाकिस्तान के वायुसेना के अध्यक्ष सोहेल अमान का एक बयान आया है। इस बयान में अमान ने कहा कि भारत को ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसे पीढिय़ां याद रखेंगी। इतना ही नहीं अमान ने जब ग्लेशियर सियाचीन का दौरा किया तो आसमान में लड़ाकू विमान देखे गए। 24 मई को ग्लेशियर सियाचीन में जो कुछ भी हुआ, उससे लगता है कि पाकिस्तान भारत के साथ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा है। इस बीच हमारी सेना की ओर से एक और वीडियो जारी किया गया, जिसमें पाकिस्तान की तबाही के दृश्य हैं। असल में पिछले कुछ दिनों से भारत की ओर से सीमा और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जो कुछ भी किया जा रहा है, उससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाक को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुंह की खानी पड़ी है। इस प्रकार सीमा पर हमारी सेना की ओर से बंकरों को मिट्टी के ढ़ेर में मिलाने की जो कार्यवाही की गई, उससे भी नवाज शरीफ की सरकार परेशान है। ऐसे में सरकार पर कट्टरपंथी और सेना का दबाव बढ़ गया है। एयर चीफ अमान के बयान को सिर्फ धमकी नहीं माना जाना चाहिए। कट्टरपंथी पाकिस्तान में कुछ भी करा सकते हैं। ऐसे कट्टरपंथियों की वजह से ही हमारे कश्मीर के हालात बिगड़े हुए हैं। हमें यह भी देखना चाहिए कि कश्मीर के पत्थरबाजों के समर्थन में राजनेता किस तरह से खड़े हैं। यदि पाकिस्तान से युद्ध होता है तो सेना को अन्दर के दुश्मनों से भी लडऩा पड़ेगा। हमारी सेना सीमा पर और पाकिस्तान में घुसकर कार्यवाही करने में तो सक्षम है, लेकिन देश के अन्दर रह रहे दुश्मनों से मुकाबला करना मुश्किल है। 9 अप्रेल को जिस मेजर गोगोई ने एक पत्थरबाज को सेना की जीप के बोनट पर बैठा कर अनेक लोगों की जान बचाई, उसी मेजर को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। आलोचना करने वाले नेता सीधे तौर पर पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। पूरी दुनिया में भारत ऐसा मुल्क होगा, जहां के नेता अपनी सेना की कार्यवाही में दोष निकालते हैं। ऐसे नेता यह नहीं समझते कि आतंकवादी एक दिन उन्हें भी गोली मार देंगे। यदि हमारे जवान आतंकवादियों से मुकाबला न करे तो आलोचक नेता एक शब्द भी नहीं बोल पाएंगे। 
एस.पी.मित्तल) (24-05-17)
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#2607
दुर्दशा की शिकार है अजमेर की कृषि उपज मंडी। व्यापारियों की सुनने वाला कोई नहीं। 
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अजमेर के ब्यावर रोड स्थित कृषि उपज मंडी इन दिनों दुर्दशा की शिकार है। पिछले 3-4 माह से मंडी में सफाई का कोई इंतजाम नहीं है और मंडी समिति के कर्मचारियों से मिलीभगत कर दबंग लोग फुटकर दुकानें धड़ल्ले से लगा रहे हैं। आए दिन मंडी में जाम के हालात रहते हैं। व्यापारियों का कहना है कि वे प्रतिमाह किराया देने के साथ-साथ माल पर निर्धारित शुल्क भी देते हैं। एक व्यापारी 5 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक का शुल्क चुकाता है। कायदे से इस शुल्क की एवज में ही मंडी समिति के अधिकारियों को साफ-सफाई का काम करना चाहिए। आरोप है कि मंडी समिति के सचिव मदनलाल सैनी प्रदेश के कृषि मंत्री प्रभुदयाल सैनी के रिश्तेदार हैं। इसलिए कोई सुनवाई नहीं होती। जिला प्रशासन के अधिकारी भी सैनी को कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। सबको यह पता है कि मंडी के सुरक्षा गार्डों के संरक्षण में अवैध रूप से अस्थाई दुकानें मंडी परिसर में लगाई जाती है। लेकिन ऐसे तत्वों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। समिति के सचिव मदनलाल सैनी यह मानते हैं कि पिछले कुछ माह से समुचित सफाई नहीं हो रही है। पुराने सफाई ठेकेदार ने काम बंद कर रखा है। 30 मई को टेंडर के जरिए नए ठेकेदार को काम दे दिया जाएगा। जहां तक मंडी परिसर में अवैध अस्थाई दुकानों का सवाल है तो इसके लिए व्यापारी भी जिम्मेदार है। कई थोक व्यापारी अपनी दुकान के आगे लोगों को फुटकर माल बेचने की अनुमति दे देते हैं। सैनी ने कहा कि अवैध रूप से दुकान लगाने वालों के खिलाफ अब सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोई भी दुकानदार सीधे उनके पास आकर अपनी समस्या बता सकता है। मंडी के हालात सुधारने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (24-05-17)
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#2606
अवैध खनन में लगे ट्रेक्टर वालों ने कहा कि अजमेर की ट्रेफिक पुलिस रिश्वतखोर है।
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24 मई को ट्रेक्टर ट्रॉली वालों ने शहर के प्रमुख मार्गों से रैली निकाल कर अजमेर के कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। करीब 300 ट्रेक्टर ट्रॉली की वजह से शहर भर की यातायात व्यवस्था बिगड़ गई। यहां तक की मरीज को ले जा रही एम्बुलैंस भी जाम में फंस गई। ट्रेक्टर ट्रॉली वालों ने आरोप लगाया कि ट्रेफिक पुलिस वाले 500-500 रुपए की वसूली रोजाना करते हैं। खुद को गरीब बताते हुए ट्रेक्टर मालिकों ने ट्रेफिक पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की। ये वो ही ट्रेक्टर वाले हैं, जिन पर अवैध खनन के आरोप लगते हैं। आरोप है कि खनन विभाग और संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस की मिलीभगत से ट्रेक्टर वाले अवैध खनन करते हैं। जो पहाड़ी खनन के लिए नहीं दी गई, उसे भी काम में लिया जा रहा है। खनन विभाग स्वीकार करता है कि अवैध खनन लगातार हो रहा है। यहां तक कि संरक्षित वन क्षेत्र में भी खनन धड़ल्ले से हो रहा है। बीसलपुर बांध क्षेत्र तक से बजरी की चोरी की जा रही है। वैसे भी ट्रेक्टर ट्रॉली का उपयोग सिर्फ कृषि कार्य के लिए होना चाहिए। लेकिन सब जानते हैं कि इनका उपयोग बजरी, पत्थर आदि में धड़ल्ले से हो रहा है। संबंधित विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ट्रेक्टर ट्रॉली का दुरुपयोग हो नहीं सकता। ऐसे में अजमेर की ट्रेफिक पुलिस भी पीछे क्यों रहेगी? जब ट्रेक्टर वाले खनन और संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस को नजराना दे सकते हैं तो ट्रेफिक पुलिस वाले प्रसाद के तो हकदार हैं ही। जब ट्रेफिक पुलिस सीटी बस, ट्रेम्पो, मालवाहक वाहन आदि से प्रतिमाह हिसाब-किताब करती है तो ट्रेक्टर ट्रॉली वालों को कैसे छोड़ सकती है? कहा तो यह भी जा रहा है कि टे्रक्टर ट्रॉली वालों का प्रदर्शन करवाने में थाना पुलिस का इशारा है।  थाना पुलिस को लगता है कि जब उन्होंने नजराना ले लिया है तो ट्रेफिक पुलिस को प्रसाद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। 
(एस.पी.मित्तल) (24-05-17)
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Tuesday 23 May 2017

#2605
तो क्या भारत ने युद्ध की शुरुआत कर दी है? रॉकेट लांचरों से पाकिस्तान की चौकियां तबाह। 
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23 मई को भारतीय सेना की ओर से कोई 30 सैकंड का एक वीडियो जारी किया गया। इस वीडियो में नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की चौकियों को राकेट लांचरों से तबाह होता दिखाया गया है। सेना ने यह कार्यवाही 20 और 21 मई को की। सवाल उठता है कि क्या भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की शुरूआत हो गई है? संभवत: यह पहला अवसर है जब सेना की ओर से ऐसा वीडियो जारी किया गया है। पिछले दिनों जब पीओके में सर्जिकल ऑपरेशन की बात कही गई तो विपक्षी दल वाले आज तक भी सबूत मांग रहे हैं। लेकिन इस बार 23 मई को सेना ने पहले सबूत का वीडियो न्यूज चैनलों को उपलब्ध करवाया और फिर मेजर जनरल अशोक नरूला ने कहा कि नौशेरा सेक्टर से ही पाकिस्तान आतंकवादियों को भारतीय सीमा में भेज रहा था। इसलिए हमने पाकिस्तान की चौकियों को नष्ट कर दिया। यानि भारत ने जो कार्यवाही की, वह पाकिस्तान की धरती पर थी। यानि हमारी सेना ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब ही नहीं दिया बल्कि युद्ध की भी शुरूआत कर दी है। अब देखना है कि पाकिस्तान की ओर से क्या कार्यवाही की जाती है। 
आतंकियों की घुसपैठ : 
माना जाता है कि मई माह में जब पहाड़ों पर जमी बर्फ पिघलती है तो नोशेरा सेक्टर से पाकिस्तान में प्रशिक्षित हुए आतंकी भारत में घूसपैठ करते हैं। इन दिनों कश्मीर घाटी में सोशल मीडिया और केबल के जरिए चलने वाले न्यूज चैनलों पर ऐसे वीडियो प्रसारित हुए, जिनमें आतंकियों की गतिविधियों को दिखाया गया। ऐसे प्रचार के बाद ही सेना ने पाकिस्तान की चौकियों को तबाह कर दिए। 
(एस.पी.मित्तल) (23-05-17)
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#2604
अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे नरेन शाहनी और दलाल मनोज गिदवानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट।
पर बहुत कमजोर है एसीबी की चार्जशीट।
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23 मई को अजमेर स्थित एसीबी कोर्ट के न्यायाधीश आलोक सरोलिया ने नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे नरेन शाहनी और दलाल मनोज गिदवानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दियाहै। इससे पहले एसीबी ने जमीन के बदले जमीन के एक भ्रष्टाचार के मामले में शाहनी और गिदवानी को आरोपी मानते हुए अदालत में चार्जशीट पेश की। एसीबी की ओर से कहा गया कि दोनों आरोपियों को नोटिस देकर 23 मई को अदालत में उपस्थित रहने के लिए पाबंद कर दिया गया था, लेकिन दोनों उपस्थित नहीं हुए। न्याय प्रक्रिया के अंतर्गत अदालत ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब करने के आदेश दिए। अब इस मामले में आगामी 5 जून को सुनवाई होगी। एसीबी का आरोप है कि शिकायत कर्ता अजमत खां से शाहनी ने चार भूखंड और 12 लाख रुपए नकद देने की मांग की थी। चार्जशीट में मोबाइल फोन से हुई वार्तालाप भी दी गई है। 
कमजोर है चार्जशीट:
भले ही शाहनी और गिदवानी के गिरफ्तारी वारंट जारी हो गए हो,लेकिन माना जा रहा है कि एसीबी की चार्जशीट बहुत कमजोर है। चार्जशीट पेश होते ही दलाल मनोज गिदवानी की ओर से एडवोकेट पी.एस.सोनी ने एसीबी कोर्ट में ही अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिया। इस पर 24 मई को सुनवाई होगी। प्रार्थना पत्र में कहा गया कि शिकायतकर्ता अजमत खां ने अपने बयानों में यह माना है कि गिदवानी ने शाहनी के लिए रिश्वत की कोई मांग नहीं की। 8 जून 2013 को भी घटना वाले दिन मैंने ही गिदवानी के घर जाकर जबरजस्ती नोट रखे थे। अदालत को यह भी बताया गया कि अजमत के नाम के पट्टे 7 मार्च 2012 को ही जारी हो गए। ऐसे में भ्रष्टाचार का मामला बनता ही नहीं है। इस मामले में न्यास की पूर्व सचिव पुष्पा सत्यानी, सहायक अभियन्ता साहेबराम जोशी और भू कारोबारी महेश अग्रवाल को पहले ही दोषमुक्त  कर दिया गया है। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि एसीबी कोर्ट को ही इस मामले में जमानत लेने का पूरा अधिकार है। 
पूर्व जांच अधिकारी ने दी थी क्लीन चिट:
अजमेर नगर सुधार न्यास के बहुचर्चित प्रकरण में पूर्व जांच अधिकारी निर्मल शर्मा ने अपनी जांच रिपार्ट में नरेन शाहनी और मनोज गिदवानी को भी आरोप मुक्त माना था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट को रद्द करते हुए दुबारा से जांच के आदेश दिए। हाईकोर्ट के आदेश पर ही जोधपुर एसीबी के पुलिस अधीक्षक अजयपाल लांबा ने जांच की और शाहनी व गिदवानी को दोषी माना। इस बीच यह प्रकरण सुप्र्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया। हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी निर्मल शर्मा को लेकर जो टिप्पणी की उसे शर्मा ने सु्रप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्टमें विचाराधीन है। गंभीर बात यह है कि वर्तमान में अजमेर में एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी ने सुप्रीमकोर्ट एक शपथ पत्र देकर निर्मल शर्मा की जांच को तथ्यों पर आधारित माना है। 
खन्ना की रिपोर्ट में शिकायतकर्ता को ही दोषी माना था:
भ्रष्टाचार के इस मामले का एक दिलचस्प पहलू यह है कि वर्ष 2012 में जब यह मामला सुर्खियों में आया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व आईएएस इंदरजीत खन्ना से विशेष जांच करवाई। अपनी जांच में खन्ना ने शिकायतकर्ता अजमत खां को ही दोषी माना। इस रिपोर्ट में कहा गया कि खां ने जो 5585 वर्गगज भूमि न्यास को सम्पत्ति सौंपी थी उसकी एवज में पहले ही भूखंड प्राप्त कर लिए। यानि गलत तथ्य पेश कर अजमत दुबारा से भूखंड प्राप्त करने का प्रयास कर रहा था। एसीबी की सारी कार्यवाही दूसरी बार के भूखंडों को लेकर है। शाहनी भी अपने बचाव में खन्ना की रिपोर्ट को ही प्रस्तुत करेंगे। 
इस्तीफा देना पड़ा था:
भ्रष्टाचार के इस मामले के उजागर होने के बाद शाहनी को अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तब राजनीति के गलीयारों में यह चर्चा रही कि अजमेर के सांसद और केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट की सिफारिश से ही शाहनी की नियुक्ति हुई थी। यही वजह रही कि मामला उजागर होते ही सबसे पहले पायलट ने शाहनी को हटाने का दबाव गहलोत सरकार पर बनाया। हालांकि तब भी शाहनी ने कहा था कि मुझे राजनीतिक द्वेषता की वजह से फंसाया गया है। चूंकि अध्यक्ष पद से हटवाने में पायलट का दबाव रहा, इसलिए शाहनी ने वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पायलट को हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनाव के दौरान ही कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए शाहनी ने पायलट पर गंभीर आरोप लगाए थे। शाहनी को अब भी भरोसा है कि वे अदालत से बाइज्जत बरी होंगे।
एस.पी.मित्तल) (23-05-17)
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#2603
तो क्या हमारे जवानों की हत्या करने वाले आतंकियों का सम्मान किया जाए? मेजर गोगोई के सम्मान पर विवाद शर्मनाक। 
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इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि सेना के मेजर लीतुत गोगाई के सम्मान पर भी विवाद हो रहा है। गत 9 अप्रेल को कश्मीर घाटी में उप चुनाव के दौरान हिंसा में यदि सेना की जीप के आगे एक अलगाववादी को नहीं बैठाया जाता तो हमारे जवानों के साथ-साथ निर्दोंष नागरिक भी मारे जाते। हिंसाग्रस्त क्षेत्र से शांतिपूर्ण तरीके सेना के जवानों को बाहर निकालने के लिए ही मेजर गोगोई ने एक अलगाववादी को सेना की जीप के बोनट पर बैठाया तो किसी भी पत्थरबाज ने पत्थर नहीं फैंका। इससे एक बड़ा हादसा टल गया। मेजर गोगोई ने मौके पर जो सूझ-बूझ वाला निर्णय लिया, उसकी वजह से ही सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मेजर गोगोई को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। यह सेना की एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग मेजर गोगोई के सम्मान पर विवाद कर रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर मेजर गोगोई ने क्या गलत किया? क्या अपने जवानों को पत्थरबाजों से बचाना गुनाह है? यदि पत्थरों के जवाब में सेना गोली चला देती तो फिर हालात और बिगड़ जाते। क्या हमारे जवान सिर्फ पत्थर खाने के लिए ही है? मेजर गोगोई ने 9 अप्रेल को जो निर्णय किया, उसकी प्रशंसा तो अलगाववादियों को भी करनी चाहिए। किसी भी अधिकारी की सफलता हालातों को नियंत्रित करने में मानी जाती है। मेजर गोगोई ने एक अलगाववादी का उपयोग सिर्फ पत्थरों से बचने के लिए किया। मेजर गोगोई के मन में कोई द्वेषता होती तो वे जीप पर बैठे युवक को गिरफ्तार भी कर सकते थे। इस युवक ने स्वयं माना है कि सेना ने जीप पर बैठाने के सिवाय और कोई कृत्य नहीं किया। यानि हिंसाग्रस्त क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद इस युवक को छोड़ दिया गया। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि एक ओर आतंकवादी कश्मीर घाटी में आए दिन हमारे सुरक्षा बलों के जवानों की हत्या कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वहीं आतंकियों की हिमायत में कुछ लोग खड़े हैं। सोशल एक्टिविस्ट अरूंधति रॉय तो देशद्रोही भाषा बोलने के बाद भी इस देश में सम्मान प्राप्त कर रही हैं। हमारे जवान देश की अखण्डता को बचाए रखने के लिए बलिदान दे रहे हैं तो वहीं अरूंधति राय जैसे लोग आतंकवादियों के समर्थन में खड़े हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (23-05-17)
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Monday 22 May 2017

#2601
विमंदित बच्चे हो सकते हैं स्वस्थ। डॉ. प्रकाश गोलेच्छा ने किया गहन शोध।
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जयपुर निवासी और विमंदित बच्चों पर पिछले कई वर्षों से शोध और ईलाज कर रहे डॉ. प्रकाश गोलेच्छा का मानना है कि विमंदित बच्चे स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। एयूटिज्म ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास बहुत मंद गति से होता है। लेकिन यदि स्पीच और भौतिक परिचर्चा का उपयोग किया जाए तो इन रोग पर नियंत्रण और निदान भी किया जा सकता है। डॉ. गोलेच्छा का कहना है कि वे लंबे अरसे से विमंदित बच्चों और उनमें नजर आने वाली परेशानियों पर शोध कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनके शोध और परिश्रम का लाभ अब विमंदित बच्चों को मिले। उनका उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है, वे सिर्फ सेवा की भावना से विमंदित बच्चों को कष्टों से राहत दिलवाना चाहते हैं। उन्होंने अब तक जो प्रयास किए हैं, उनसे अनेक विमंदित बच्चे स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कई शिविर भी लगाए हैं। उन्होंने माना कि जिस परिवार में विमंदित बच्चा होता है, उस परिवार को सामाजिक जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर विमंदित लड़की को अनेक परेशानियों से गुजरना होता है। डॉ. गोलेच्छा ने कहा कि उनके मोबाइल नंबर 09414303922, 01412562971 पर सम्पर्क कर विमंदित बच्चों के अभिभावक सलाह ले सकते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (22-05-17)
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#2600
कश्मीर मुद्दे पर विपक्ष की सर्वदलीय सभा में जवानों की शाहदत पर भी विचार हो। समस्या का हल भी बताएं। 
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22 मई को भी कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में हमारे तीन जवान शहीद हो गए। इसमें कोई दो राय नहीं कि इन दिनों घाटी के कुछ जिलों में हालात बेहद खराब हैं। आए दिन आतंकवादियों और सुरक्षा बलों में मुठभेड़ होती हैं और उस पर पाकिस्तान की ओर से रोजाना गोलाबारी भी की जा रही है। एक ओर नरेन्द्र मोदी की सरकार तीन साल की उपलब्धियों को गिनाने में लगी हुई है तो वहीं विपक्ष ने कश्मीर मुद्दे पर सर्वदलीय सभा बुलाने की घोषणा की है। विपक्ष यह समझता है कि केन्द्र सरकार की सबसे कमजोर नस कश्मीर समस्या ही है। मोदी गत लोकसभा चुनाव में प्रचार कर रहे थे तब उन्होंने बार-बार कहा कि समस्या कश्मीर की सीमा पर नहीं, दिल्ली में है। यानि तब भी मोदी ने यूपीए सरकार पर निशाना साधा। लोकतंत्र में विपक्ष को भी किसी मुद्दे पर सर्वदलीय सभा बुलाने का अधिकार है। लेकिन ऐसी सभा का कुछ निष्कर्ष भी निकलना चाहिए। लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस और उसके सहयोगी दल यदि सरकार की आलोचना के लिए कश्मीर मुद्दे पर सर्वदलीय सभा बुला रहे हैं तो यह न तो कश्मीर और न देशहित में होगा। असल में कश्मीर की समस्या कोई राजनीतिक समस्या नहीं है। विपक्ष भी जानता है कि कश्मीर के अलगाववादी हमारे कश्मीर को अलग करना चाहते हैं। चूंकि यूपीए के शासन में अलगाववादियों के प्रतिनिधियों को बार-बार दिल्ली बुलाकर बिरयानी खिलाई जाती रही, इसलिए घाटी में अपेक्षाकृत शान्ति रही। लेकिन एनडीए की सरकार में उन अलगाववादियों से कोई वार्ता नहीं की जा रही, जो कश्मीर की आजादी की मांग कर रहे हैं। इसलिए अलगाववादियों के नेता बौखलाए हुए हैं। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आजादी की मांग करने वालों से कोई वार्ता नहीं की जाएगी। अब जब विपक्ष सर्वदलीय सभा बुला रहा है, तो उसे कश्मीर पर अपनी मंशा को भी स्पष्ट करना चाहिए। विपक्ष में नेशनल कान्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला भी शामिल हैं। ये वो ही फारूख अब्दुल्ला हैं, जो अलगाववादियों के समर्थक हैं। कांग्रेस, वामपंथी, टीएमसी, बसपा, सपा आदि यह स्पष्ट करें कि क्या वे फारूख अब्दुल्ला के विचारों से सहमत हैं? विपक्षी दलों को अपनी सभा के बाद यह दो टुक शब्दों में बताना चाहिए कि क्या आजादी मांगने वाले अलगाववादियों से वार्ता की जाए? सच्चाई है कि आतंकवादियों द्वारा रोजाना हमारे जवानों की हत्या करने के बाद भी केन्द्र सरकार कश्मीर में सख्ती नहीं कर रही है। यह बात विपक्षी दल भी समझते हैं। विपक्ष यह भी जानता है कि संविधान के अनुच्छेद 370 की वजह से कश्मीर के नागरिकों को पहले ही बहुत रियायतें मिली हुई हैं। इन रियायतों की वजह से ही अलगाववादियों ने चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर कश्मीर से भगा दिया। विपक्ष को अपनी सभा में इन हिन्दुओं को वापस कश्मीर में बसाने पर भी निर्णय लेना चाहिए। विपक्ष के इस आरोप में दम है कि केन्द्र की भाजपा सरकार तीन साल गुजर जाने के बाद भी एक भी हिन्दू को कश्मीर में वापस नहीं बसा सकी है। आज भी कश्मीरी हिन्दू शरणार्थी केम्पों में रह रहे हैं। अच्छा हो कि विपक्ष ऐसी कार्ययोजना बताएं, जिससे कश्मीर हमारे देश से ही जुड़ा रहे। विपक्ष को इस सभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को भी आमंत्रित करना चाहिए। 
(एस.पी.मित्तल) (22-05-17)
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#2599
शादी समारोह वाले परिवारों को राहत देने पर विचार। सीज होने से बचे अवैध समारोह स्थल अब लूटने में लगे। अजमेर में धड़ल्लें से हो रही हैं होटल मेरवाड़ा एस्टेट में शादियां।
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अजमेर सहित राजस्थान भर में उन सैंकड़ों परिवारों को भारी परेशानी हो रही है, जिन्होंने शादी-समारोह के लिए अवैध समारोह स्थल बुक करवाए थे। भरतपुर दुखान्तिका के बाद राज्य सरकार के दिशा-निर्देंश पर प्रदेश के बड़े शहरों में अवैध समारोह स्थलों को सीज कर दिया गया है। समारोह स्थल सीज हो जाने से शादी वाले परिवार परेशान हो रहे हैं। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी ध्यान आकर्षित किया गया है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार परेशान परिवारों को थोड़ी राहत दे सकती हैं। इसके अन्तर्गत समारोह स्थल संचालकों से एक शपथ पत्र लिया जा सकता है, जिसमें भविष्य में कोई बुकिंग नहीं करने का लिखित वायदा लिया जाए। सरकार की भी मंशा है कि जिन परिवारों ने बुकिंग करवा रखी है, उनके समारोह होने दिए जाएं। लेकिन ऐसी रियायत आगामी 15 अथवा 30 दिन की बुकिंग पर ही दी जाएगी। 
लूट भी शुरू :
स्थानीय निकायों ने अपने-अपने शहरों में मुश्किल से 25 प्रतिशत अवैध समारोह स्थलों को सीज किया है। यानि अभी भी 75 प्रतिशत अवैध समारोह स्थल चल रहे हैं। ऐसे अवैध समारोह स्थल वाले अब परेशान परिवारों से ऊंची कीमत वसूल रहे हैं। किसी भी अवैध समारोह स्थल के मालिक को यह डर नहीं है कि उनका भी समारोह स्थल सीज हो सकता है। असल में अधिकांश समारोह स्थल गली, कूचों अथवा कृषि भूमि पर बने हुए हैं। सरकार ने जो मापदण्ड निर्धारित किए हैं, उन्हें अधिकांश समारोह स्थल पूरा नहीं करते हैं। ऐसे में भरतपुर जैसी दुखान्तिका ऐसे समारोह स्थलों में हो सकती है। अजमेर शहर में ही ऐसे कई समारोह स्थल है जो गैरकानूनी तरीके से संचालित हो रहे हैं। 
होटल मेरवाड़ा एस्टेट में नहीं हो सकते शादी समारोह :
अजमेर के सुभाष बाग की पहाड़ी पर बने होटल मेरवाड़ा एस्टेट में शादी के बड़े समारोह नियमों के अन्तर्गत नहीं हो सकते हैं। होटल मालिक के पास समारोह स्थल का उचित लाइसेंस नहीं है और न ही यह होटल समारोह स्थल के मापदण्ड पर खरा उतरता हैं। जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस विभाग आदि सभी जानते हैं कि इस होटल के परिसर में होने वाले शादी समारोह के वाहन नीचे आम रास्ते में खड़े होते हैं। गंभीर बात तो यह है कि होटल मालिक शादी वाले परिवार से कार पार्किंग शुल्क के नाम पर 31 हजार रुपए तक वसूलता है और वाहनों की पार्किंग सरकारी सड़क पर धड़ल्ले से ली जाती है। स्वभाविक है कि  31 हजार रुपए में से सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों तक नजराना पहुंचता है। यह सही है कि यदि कोई आम नागरिक इस होटल के नीचे अपना वाहन खड़ा कर देता है तो ट्रेफिक पुलिस की के्रन ऐसे वाहन को उठाकर ले जाती है। लेकिन यही ट्रेफिक पुलिस वाले शाम को होटल मालिक के अहसानों के तले दब जाते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (22-05-17)
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Sunday 21 May 2017

#2598
पत्रकारिता में देवर्षि नारदजी का चरित्र आज भी प्रासंगिक है। 
अजमेर में हुआ सात पत्रकारों का सम्मान।
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख पत्र पांचजन्य के प्रधान सम्पादक डॉ. हितेश शंकर ने कहा है देवर्षि नारदजी का चरित्र पत्रकारिता में आज भी प्रासंगिक है। जिस प्रकार सतयुग में नारदजी तीनों लोकों की जानकारी रखते थे, उसी प्रकार आज प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया खबरों पर नजर रखे हुए हैं। 
21 मई को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में विश्व संवाद केन्द्र अजयमेरू द्वारा नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी और पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए डॉ. हितेश शंकर ने कहा कि खबरों का आदान-प्रदान करने के लिए जिस प्रकार नारदजी तुरन्त एक लोक से दूसरे लोक में पहुंच जाते थे, उसी प्रकार आज टीवी पर न्यूज चैनलों के माध्यम से दर्शक दुनिया भर में घटित हाने वाली घटनाओं को लाइव देखते हैं। अभी हाल ही में हमने देखा है कि पाक जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में जब नीदरलैण्ड की अदालत में सुनवाई हुई तो हमने भारत में बैठे-बैठे लाइव कार्यवाही देखी। शाम को अपने देश में हो रहे आईपीएल मैंचों का आनन्द लिया। इसलिए सनातन संस्कृति में नारदजी को पहला पत्रकार माना जाता है। अपनी वीणा के माध्यम से नारदजी संगीत का भी अहसास कराते थे, जिस प्रकार आज न्यूज के साथ-साथ मंनोरजन के चैनल भी चलते हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोगों ने नारदजी के चरित्र को गलत तरीके से पेश किया है। जबकि नारदजी की सूचनाओं पर जितना भरोसा देवताओं को था, उतना ही राक्षसों को। यह नारदजी की विश्सनीयता थी कि वे कभी भी सूचनाओ का गलत आदान-प्रदान नहीं करते थे और न ही कभी अपने स्वार्थ के खातिर सूचना देते थे। उन्होंने कहा कि आवाज नहीं बल्कि बात ऊंची होनी चाहिए। महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डॉ. भीमराव अम्बेडकर आदि राष्ट्र नायकों ने अपने विचारों को आमजन तक पहुंचाने के लिए पत्रकारिता का ही सहारा लिया। कई बार नासमझ लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रवाद पर सवाल खड़ा करते हैं। इंटरनेशनल कोर्ट में जब विख्यात वकील हरीश सालवे मात्र 1 रुपए की फीस पर भारतीय नागरिक जाधव की पैरवी करते हें तो यह संघ का राष्ट्रवाद ही है। देश के बदलते माहौल में गौमाता के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता को तो बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है, लेकिन जब दिल्ली में संतों पर गोलियां चलाई जाती है तो मरने वालों की संख्या तक नहीं बताई जाती है। कश्मीर में आए दिन आतंकवादी हमारे सैनिकों पर गोलियां चलाई गईं हैं तो मानवाधिकार की आड़ में सेना को पैलेट गन का उपयोग नहीं करने दिया जाता है। लेकिन वहीं गुजरात दंगों की रिपोर्टिंग पिछले 12 सालों से लगातार हो रही है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ मीडिया घराने अपना एजेण्डा लेकर देश में पत्राकरिता करने का दंभ भर रहे हैं। सच्ची और ईमानदार पत्रकारिता करने के लिए पत्रकारों को जड़ों से जुडऩा होगा। पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता था, लेकिन आज यह चौथ स्तंभ अपने तीन स्तंभों को ही गिराने में लगा हुआ है।
देश हित में हो पत्रकारिता :
समारोह के मुख्य अतिथि और राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कहा कि पत्रकारिता देशहित में होनी चाहिए। हम यदि कश्मीर में मानवाधिकारों की बात करते हैं तो हमें यह भी बताना चाहिए कि पंडितों को कश्मीर से पीट-पीट कर क्यों भगा दिया। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान में हिन्दू आबादी 11 प्रतिशत थी, लेकिन आज मात्र 2 प्रतिशत है। अक्सर प्रेस की आजादी की बात की जाती है, लेकिन सवाल यह है कि आजादी किस की? अखबार मालिक की या पत्रकार की। लोकतंत्र स्तंभों की समीक्षा प्रेस द्वारा की जाती है, लेकिन इस चौथे स्तंभ की समीक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि बदलते हुए माहौल में पत्रकारिता देश और समाज के हित में होनी चाहिए। 
सकारात्मक सोच - चौधरी 
समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बी.एल. चौधरी ने कहा कि जब पत्रकार स्वयं को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानता है तो उसे सकारात्मक सोच रखकर पत्रकारिता करनी चाहिए। चौधरी ने नारदजी के जीवन के बारे में भी जानकारी दी। समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चित्तौड़ प्रांत के प्रचार प्रमुख नारायणलाल गुप्ता ने विश्व संवाद केन्द्र की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। गुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता की सकारात्मक सोच को और बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष केन्द्र की ओर से पत्रकारों को सम्मान दिया जाता है। समारोह में अजयमेरू केन्द्र के सचिव निरंजन शर्मा ने अतिथियों और सम्मानित होने वाले पत्रकारों के जीवन पर प्रकाश डाला। समारोह में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया। 
प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के सामने सोशल मीडिया की चुनौती : 
समारोह में आभार प्रकट करते हुए मैंने कहा कि आज पिं्रट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के सामने सोशल मीउिया की जबरदस्त चुनौती है। जिस तेजी के साथ सोशल मीडिया मोबाइल के जरिए आमजन तक पहुंच रहा है, उससे प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया को जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए। आज श्रृंखलाबद्व  निकलने वाले अखबारों में खबरों की बजाय विज्ञापनों का महत्व बढ़ गया है। लेकिन अखबार मालिकों को यह समझना चाहिए कि पाठक खबरों के लिए ही अखबार खरीदता है। भले ही पूरे पृष्ठ पर चार खबर हों। पाठक इन खबरों के साथ ही विज्ञापन देखता है। 
पत्रकारों का सम्मान :
समारोह में दैनिक भास्कर के गिरीश दाधीच, राजस्थान पत्रिका के सुनील जैन, दैनिक नवज्योति के विक्रम चौधरी, ईटीवी के अभिजीत दवे, मरू प्रहार के सम्पादक गोपाल लबाना, वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी तथा स्वामी न्यूज के रूपेन्द्र शर्मा का सम्मान किया गया। सम्मानित होने वाले पत्रकारों को प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ स्मृति चिन्ह, श्रीफल और शाल औंढ़ाया गया। कार्यक्रम का संचालन अनिल दाधीच ने किया। 
(एस.पी.मित्तल) (21-05-17)
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