Monday 15 July 2019

लोकसभा में अमित शाह ने ओबैसी से कहा-आपके मन में डर है तो हम क्या करें।

लोकसभा में अमित शाह ने ओबैसी से कहा-आपके मन में डर है तो हम क्या करें।
सरकार आम नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

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15 जुलाई को लोकसभा में केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार आम नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। असल में एनआईए के नियमों में संशोधन के लिए लोकसभा में बिल प्रस्तुत किया गया है। बिल पर जब भाजपा के सांसद सत्यपाल मलिक सरकार का पक्ष रख रहे थे तब एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओबैसी बीच में बीच में टोका टाकी कर रहे थे, ओबैसी के इस रवैये पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह खड़े हुए और ओबैसी से कहा कि आपके मन में डर है तो हम क्या कर सकते हैं। आपको बिल के बारे में धैर्य से सुनना चाहिए। सरकार  का प्रयास है कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए को मजबूत किया जाए ताकि अपराध होने पर आपराधियों को पकड़ा जा सके। शाह ने नाराजगी भरे लहजे से कहा कि विपक्ष को बिल के प्रावधानों के बारे में अच्छी तरह समझना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से देशभर में आतंक की जो वारदातें हो रही हैं उसमें विदेशी तत्वों का भी हाथ सामने आया है। कई बार अपराधी विभिन्न राज्यों में रह कर अपराध की योजनाएं बनाते हैं। ऐसे में एनआईए को मजबूत किए जाने की जरूरत है। सरकार इसीलिए एनआईए के कानून में संशोधन का प्रस्ताव लाई है। विभिन्न घटनाओं में एनआईए की जांच लगातार महत्वपूर्ण हो रही है। लेकिन कई अवसरों पर देखा गया है कि कुछ राज्य सरकारें जांच में सहयोग नहीं करती हैं। ऐसे में एनआईए को विशेष अधिकार मिलने ही चाहिए। 15 जुलाई को लोकसभा में अमितशाह ने जो तल्खी दिखाई उससे एक बार तो पूरा विपक्ष भी सक्ते में आ गया, लेकिन वहीं भाजपा के सांसदों ने अमितशाह के रुख का समर्थन किया। 
एस.पी.मित्तल) (15-07-19)
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पुलिस थाने में सीआई सहित छह पुलिस कर्मियों ने दलित महिला के साथ बलात्कार किया।

पुलिस थाने में सीआई सहित छह पुलिस कर्मियों ने दलित महिला के साथ बलात्कार किया। प्लास से पैर के नाखून तक उखाड़े। यह तो राजस्थान पुलिस का घिनौना चेहरा है। मुख्यमंत्री गहलोत के पास ही है गृह विभाग। 
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एक दलित महिला का आरोप है कि तीन जुलाई को चार-पांच पुलिस वाले घर आए और जबरन उठा कर चूरू जिले के सरदार शहर पुलिस स्टेशन पर ले गए। पहले पुलिस वालों ने पट्टों से बुरी तरह पीटा और फिर एक महिला सिपाही के जरिए शरीर के सारे कपड़े उतरवा दिए। बाद में सीआई रणवीर सिंह सहित छह पुलिस कर्मियों ने बारी बारी से बलात्कार किया। पिटाई के दौरान ही प्लास से पैर के नाखून तक उखाड़े गए। दो दिन पहले देवर को भी चोरी के आरोप में पकड़ा गया था। पीडि़ता का आरोप है कि थाने पर ही देवर को फांसी पर लटका कर मार डाला गया। थाने पर देवर की मौत के बाद पुलिस में हड़कंप मचा है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर हर बार राजस्थान पुलिस का घिनौना चेहरा सामने क्यों आता है? थाने में गैंगरेप की शिकार पीडि़ता का दर्द बताता है कि महिला पुलिस कर्मी भी पुरुष पुलिस कर्मी से पीछे नहीं है। महिला पुलिस कर्मियों को थाने पर इसलिए तैनात किया गया, ताकि महिलाओं के साथ सद्व्यवहार हो, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि महिला पुलिस कर्मी ज्यादा अत्याचारी हो रही हैं। जब कोई महिला पुलिसकर्मी थाने में बंद बेबस महिला के कपड़े उतरवाने का काम करेगी तो फिर थाने के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान में सरदार शहर जैसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। यह माना कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का ज्यादा समय इन दिनों दिल्ली में व्यतीत हो रहा है। उन्हें अपने प्रदेश की जनता से ज्यादा कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के भविष्य की चिंता है। गहलोत कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय हैं और अब ऐसा अध्यक्ष चाहते हैं तो गांधी परिवार के इशारे पर ही काम करें। गहलोत की पार्टी के प्रति वफादारी पर किसी को ऐतराज नहीं है, लेकिन गहलोत को थोड़ी चिंता प्रदेश की जनता की भी करनी चाहिए। गहलोत ने गृह विभाग अपने ही पास रखा है, ऐसे में सरदार शहर पुलिस थाने पर हत्या और गैंगरेप की जो वारदात हुई है उसकी सीधी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की ही है। भाजपा के राज में जब ऐसी घटनाएं होती थीं तो गहलोत सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जिम्मेदार ठहराते थे, लेकिन अब जब स्वयं के शासन में ऐसी घटनाएं हो रही हैं तो गहलोत चुप हैं। पिछले दिनों जब भूपेन्द्र यादव को प्रदेश का डीजीपी बनाया गया था, तब मीडिया के तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन अब यादव की भी कोई प्रभावी भूमिका नजर नहीं आ रही है। असल में सरकार की मजबूती का असर प्रशासन पर पड़ता है। इन दिनों प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस की सरकार चल रही है उसमें मजबूती नजर नहीं आती है। सरदार शहर प्रकरण में सरकार को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। 
एस.पी.मित्तल) (15-07-19)
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अजमेर में दसवीं पास महिलाएं बन सकती हैं ड्रेस डिजाइनर।

अजमेर में दसवीं पास महिलाएं बन सकती हैं ड्रेस डिजाइनर।
दयालबाग एज्युकेशनल इंस्टीट्यूट की पहल।

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अजमेर में अब दसवीं पास महिलाएं भी ड्रेस डिजाइनर बन सकती है। इसके लिए दयाल बाग एज्युकेशनल इंस्टीट्यूट की ओर से माकड़वाली रोड स्थित डीईआई स्टडी सेंटर पर ड्रेस डिजाइनिंग कोर्स शुरू किया जा रहा है। स्टडी सेंटर के दिनेश माथुर ने बताया कि प्रात: 9 से 11 और सायं 6 से 8 बजे के बीच प्रवेश फार्म स्टडी सेंटर पर उपलब्ध रहेंगे। इच्छुक महिलाएं 20 जुलाई तक आवेदन कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि संस्था के डीईआई के अंतर्गत मूल्यआधारित शिक्षा प्रणाली अपनाई जा रही है जिसमें शारीरिक परिश्रम, सेवा एवं ईमनदारी की कमाई पर आश्रित रहना सिखाया जाता है। धर्म और शिक्षा का धेय एक ही है और बिना आध्यात्मिक उन्नति के शिक्षा अधूरी है। यह आवश्यक है कि शिक्षा प्राप्त कर व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रूप से विकसित हो। मानवता की व्यवहारिकता एवं प्रजातंत्र के गुणों के समावेश से ही व्यक्ति समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरता है। दयाल बाग एज्युकेशनल इंस्टीट्यूट के कोर्सेज में महिलाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाया जाता है बल्कि समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने की प्रेरणा भी दी जाती है। ड्रेस डिजाइनिंग के कोर्स के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9828052749 पर दिनेश माथुर से ली जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (15-07-19)
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74 वर्षीय जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने मुनि सुधासागर और मुनि नियमसागर को निर्यापक श्रमण का दायित्व सौंपा।



74 वर्षीय जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने मुनि सुधासागर और मुनि नियमसागर को निर्यापक श्रमण का दायित्व सौंपा। विद्यासागर जी ने 52 वर्ष पहले अजमेर में ली थी दीक्षा।
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देश के दिगम्बर जैन समाज में अति सम्माननीय और पूजनीय विद्यासागर महाराज मध्यप्रदेश के देवास जिले के नेमावर स्थित सिद्धक्षेत्र सिद्धोदय में चातुर्मास कर रहे हैं। 14 जुलाई को चातुर्मास स्थापना महोत्सव में आचार्य विद्यासागर जी ने मुनि सुधासागर और मुनि नियमसागर को निर्यापक श्रमण का दायित्व सौंपने की घोषणा की। इस दायित्व के मिलने के साथ ही अब ये दोनों मुनि किसी जैन साधु-संत अथवा श्रावक की समाधि करवा सकते हैं। इतना ही नहीं संघ के साधुओं को प्रायश्चित आदि देने का अधिकार भी मिल गया है।  जैन धर्म में निर्यापक श्रमण का विशेष महत्व है। आचार्य विद्यासगर अब तक 300 से भी ज्यादा मुनि और आर्यिका को दीक्षा दे चुके हैं, लेकिन निर्यापक का दायित्व पात्र चार मुनियों को ही सौंपा गया है। कई बार श्रावक भी लम्बी बीमारी या अन्य कारणों से संथारा ग्रहण करते हैं। इसे मृत्यु का उत्सव भी कहा जाता है। श्रावक की मृत्यु बगैर कष्ट के हो जाए इसमें निर्यापक श्रमण का दायित्व निभाने वाली जैन मुनि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान में विद्यासागर महाराज जैन धर्म में अकेले ऐसे मुनिराज हैं जिनकी दीक्षा के 52 वर्ष पूरे हो गए हैं। उन्हें 1967 में अजमेर के महावीर सर्किल के निकट ही दीक्षा ग्रहण की थी। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि विद्यासागर महाराज के शिष्य सुधासागर महाराज ने अजमेर में ही नारेली में अतिशय तीर्थ स्थल विकसित किया। आज नारेली तीर्थ देश में चुनिंदा जैन तीर्थ स्थलों में से एक है। इस स्थल को भव्य बनाने में आरके मार्बल ग्रुप के चेयरमैन अशोक पाटनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पाटनी परिवार का हर बार प्रयास होता है कि आचार्य विद्यासागर महाराज नारेली तीर्थ में आकर चातुर्मास करें। हालांकि अजमेर और नारेली में चातुर्मास को लेकर आचार्य ने कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि उचित समय पर ही आचार्य विद्यासागर अजमेर आएंगे। मुनि सुधासागर महाराज इन दिनों भीलवाड़ा के बिजौलिया में चातुर्मास कर रहे हैं। निर्यापक श्रमण का दायित्व मिलने पर मुनि सुधासागर के अनुयाइयों में उत्साह का महौल है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9929004811 पर जैन धर्म के जानकार पदम जैन से ली जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (15-07-19)
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Sunday 14 July 2019

आईएफडब्ल्यूजे का अजमेर संभाग का सम्मेलन 28 जुलाई को किशनगढ़ में।



आईएफडब्ल्यूजे का अजमेर संभाग का सम्मेलन 28 जुलाई को किशनगढ़ में।
पत्रकारों की समस्याओं को उठाया जाएगा।
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इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) का संभाग स्तरीय सम्मेलन आगामी 28 जुलाई को अजमेर के किशनगढ़ में होगा। जिला अध्यक्ष मनवीर सिंह चूंडावत ने बताया कि सम्मेलन में करीब चार सौ पत्रकार भाग लेंगे। सम्मेलन किशनगढ़ के आरके कम्यूनिटी सेंटर के सभागार में होगा। 14 जुलाई को संस्था के अध्यक्ष उपेन्द्र ङ्क्षसह राठौड़ ने अजमेर और किशनगढ़ के पत्रकारों से संवाद कर सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया। सम्मेलन में पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं पर विचार विमर्श किया जाएगा। राजस्थान में पत्रकारों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल रही है, जिन से पत्रकारों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई संस्थान अपने कर्मचारियों को निर्धारित वेतनमान भी नहीं दे रहे हैं। स्थाई कर्मचारियों के बजाए अनुबंध पर पत्रकारों को रखा जा रहा है। जिससे पत्रकारों के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। राठौड़ ने कहा कि इन सभी मुद्दों पर सम्मेलन में विचार विमर्श होगा। संस्थान की ओर से 13 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया है। सम्मेलन मेंसरकार के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। सम्मेलन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 7412029005 पर मनवीर सिंह से ली जा सकती है। 
पत्रकारों की क्रिकेट प्रतियोगिता:
14 जुलाई से अजमेर के मेयो कॉलेज पर इंटर मीडिया क्रिकेट चैम्पियनशीप भी शुरू हुई। इस चैम्पियनशीप में दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, पत्रकार 11 और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की टीमें भाग ले रही हैं। आज पत्रकार 11 और भास्कर की टीम के बीच मैच हुआ, जिसमें भास्कर की टीम विजेता रही। इसी प्रकार दूसरे मैच में नवज्योति की टीम ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की टीम को हराया। 21 और 28 जुलाई को भी चैम्पियनशीप के मैच आयोजित होंगे। 
एस.पी.मित्तल) (14-07-19)
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मौजूद रहेंगे चन्द्रयान-2 की लॉचिंग के समय।



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मौजूद रहेंगे चन्द्रयान-2 की लॉचिंग के समय। 
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15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर जब श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 की लॉचिंग होगी तब वैज्ञानिकों के साथ देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उपस्थित रहेंगे। राष्ट्रपति उन वैज्ञानिकों की हौंसला अफजाई करेंगे जो चन्द्रयान को चन्द्रमा पर उतार रहे हैं। संभवत: यह पहला अवसर होगा जब मध्य रात्रि के बाद कोई यान की लॉचिंग की जा रही है और उस समय देश के राष्ट्रपति मौजूद हैं। चन्द्रमा की सतह पर पहुंचने वाला भारत चौथा देश होगा। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चन्द्रयान-2 की लॉचिंग बहुत महत्व रखती है। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर ही राष्ट्रपति समारोह में मौजूद रहेंगे। ऐतिहासिक क्षणों में उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए राष्ट्रपति कोविंद 13 जुलाई को ही मद्रास पहुंच गए हैं। 14 जुलाई को राष्ट्रपति ने तिरुपति के मंदिर में पूजा अर्चना भी की। इसमें कोई दो राय नहीं कि गत पांच वर्षों में अंतरक्षि के क्षेत्र में भारत ने अनेक उपलब्धियां हासिल की है। अब जब चन्द्रमा की सतह पर पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है तो यह उपलब्धि अपने आप में बहुत मायने रखती है। हालांकि इसका श्रेय भारतीय वैज्ञानिकों को है, लेकिन इसके पीछे सरकार की इच्छा शक्ति भी है। वैज्ञानिक तभी अपना काम प्रभावी ढंग से कर सकते है, जब सरकार का सहयोग मिले। सरकार के सहयोग की बदौलत ही वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एंटी मिसाइल का सफल परीक्षण भी कर लिया है। यानि अंतरिक्ष में हमारे जो उपग्रह हैं उन्हें अब कोई देश नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। चन्द्रयान-2 का महत्व इसलिए भी है कि इसे चन्द्रमा के साउथ पोल पर उतारा जाएगा। अब तक अमरीका, चीन और रूस ने चन्द्रमा पर जो यान उतारे हैं वे साउथ पोल से दूर हैं। माना जा रहा है कि साउथ पोल पर ही पानी मिलने की संभावना है। यदि चन्द्रमा पर पानी मिलता है तो फिर रिहायशी की संभावना भी तलाशी जाएगी। चन्द्रयान-2 को लेकर पूरे देश में उत्साह बना हुआ है। चैनलों पर रात के समय लाइव प्रसारण किया जाएगा। टीवी चैनलों ने लाइव प्रसारण के विशेष इंतजाम किए हैं। 
एस.पी.मित्तल) (14-07-19)
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राजस्थान पुलिस के हैड कांस्टेबल अब्दुल गनी की हत्या का जिम्मेदार कौन?

राजस्थान पुलिस के हैड कांस्टेबल अब्दुल गनी की हत्या का जिम्मेदार कौन?
शव के दफन को लेकर विवाद की स्थिति।
सरकार का दावा, भीड़ ने नहीं मारा। 

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राजस्थान के राजसमंद जिले के भीम थाना क्षेत्र के एक भूमि विवाद के प्रकरण की जांच करने मौके पर गए हैडकांस्टेबल अब्दुल गनी को कुछ लोगों ने पीट पीट कर मौत के घाट उतार दिया। गनी की हत्या तब की गई, जब वे मौके पर रिपोर्ट बना कर लौट रहे थे। हालांकि गनी को सरिए आदि से मारने वालों में कोई आधा दर्जन लोग शामिल थे, लेकिन अब पुलिस के आला अधिकारियों और सरकार में बैठे लोगों का कहना है कि अब्दुल गनी को भीड़ ने नहीं मारा है। सरकार इसे सामान्य अपराध की घटना मान रही है।  अब्दुल गनी की जिस तरह हत्या हुई उस पर जहाजपुर की मुस्लिम पंचायत के अध्यक्ष नजीर मोहम्मद ने नाराजगी जताई। नजीर ने सरकार से मांग की है कि मृतक के परिजन को पचास लाख रुपए का मुआवजा, परिवार के दो सदस्यों को नौकरी, भीलवाड़ा में आवास तथा बालिग होने तक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की घोषणा की जाए। साथी ही अब्दुल गनी को शहीद होने का दर्जा भी दिया जाए। नजीर और परिजन ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक शव का दफन नहीं होगा। परिजन की इस घोषणा के बाद भीलवाड़ा का पुलिस और जिला प्रशासन समझाइश में जुट गया है।
14 जुलाई को पुलिस के आला अधिकारी भीलवाड़ा पुलिस लाइन तक तो सम्मान के साथ शव को लाए लेकिन शव को अब्दुल गनी के घर पहुंचाने के बाद किसी ने भी हालात की सुध नहीं ली। सवाल उठता है कि जब इतनी नाजुक स्थिति बनी हुई थी तो फिर सरकार और प्रशासन के प्रतिनिधि कहां चले गए। जाहिर है कि सरकार इस पूरे मामले को गंभीरता के साथ नहीं ले रही है। परिजन की मांग न्यूज चैनलों पर भी प्रसारित होती रही, लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री ने गंभीरता नहीं दिखाई। डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने ट्वीटर पर खेद प्रकट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी।  सवाल उठता है कि क्या अपराधियों में पुलिस का भय खत्म हो गया है? जो अब्दुल गनी ड्यूटी पर था उसे यदि इस तरह मार डाला जाएगा तो फिर राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पिछले दिनों झारखंड में रहमत नाम के एक युवक को भी पीट पीट कर मार डाला गया। इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन और मौन जुलूस निकाले गए। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और गहलोत भी भीड़तंत्र की निंदा कर चुके हैं। गहलोत ने भी झारखंड की घटना की निंदा की थी, लेकिन जब राजस्थान में 13 जुलाई को हैडकांस्टेबल अब्दुल गनी की हत्या की गई तो सरकार का कहना है कि यह भीड़तंत्र वाला मामला नहीं है। यानि झारखंड और राजस्थान में हुई घटनाओं के मायने अलग अलग हैं। बताया जा रहा है कि अब्दुल गनी की हत्या के सात आरोपियों को चिन्हित कर लिया गया है और जल्द ही गिरफ्तारी होगी। पुलिस के अनुसर कमला देवी ने भीम पुलिस स्टेशन पर नैनादेवी सहित दस लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इस रिपोर्ट में नैनादेवी के पक्ष वालों पर जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया। पुलिस का कहना है कि जमीन के इसी मामले में अब्दुल गनी की हत्या की गई। 
एस.पी.मित्तल) (14-07-19)
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Saturday 13 July 2019

टीवी के लाइव प्रसारण के दौरान साक्षी मिश्रा के पति अजितेश ने अपने पूर्व ससुर को धमकाया।



टीवी के लाइव प्रसारण के दौरान साक्षी मिश्रा के पति अजितेश ने अपने पूर्व ससुर को धमकाया। साक्षी ने कहा-पापा के मेंढक बाज नहीं आएंगे।
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पिछले दो दिनों से देश के अधिकांश न्यूज चैनलों पर बरेली के भाजपा विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी मिश्रा और उसके प्रेमी अजितेश की लव स्टोरी छाई हुई है। चैनलों के लाइव प्रसारण से साक्षी और अजितेश को फुर्सत ही नहीं मिल रही है। दोनों एक स्टूडियों से दूसरे चैनल के स्टूडियों में पहुंच रहे हैं। 13 जुलाई को न्यूज-18 चैनल पर साक्षी और अजितेश के साथ अजितेश के पूर्व सुसर हेमंत नायक को भी लाइव दिखाया गया। हेमंत ने साफ कहा कि भोपाल में 10 जुलाई 2016 को मेरी छोटी बेटी से अजितेश की सगाई हुई थी और 9 दिसम्बर 2016 को शादी भी तय हो गई थी।  लेकिन 9 दिसम्बर से पहले ही अजितेश ने शादी से इंकार कर दिया। अजितेश का कहना था कि शादी नहीं करने के लिए घर वालों का दबाव है। अपने पूर्व ससुर हेमंत नायक की बात से लाइव प्रसारण में अजितेश भड़क गया। अजितेश ने हेमंत नायक से कहा, आप झूठ बोल रहे हैं और आपको अच्छी तरह पता है कि मैंने शादी के लिए क्यों मना किया। मैंने अभी सबूत दिए तो आपकी बदनामी होगी। मेरे पास कॉल डिटेल हैं, लेकिन मैं विवाद बढ़ाना नहीं चाहता हंू। अजितेश ने हेमंत नायक को चेताया कि वे किसी के बहकावे में न आए, नहीं तो बात बिगड़ जाएगी। अजितेश का इशारा हेमंत नायक की बेटी की ओर था। हेमंत ने अजितेश के रवैये पर अफसोस जताते हुए कहा कि मेरे पांच बेटियां हैं, लेकिन अजितेश ने सबसे छोटी बेटी से विवाह करने की जिद की थी। जब अजितेश और हेमंत का विवाद बढ़ा तो चैनल की एकंर नेहा पंत भी मुसीबत में फंस गई। 
पिता के मेंढक बाज नहीं आएंगे-साक्षी:
13 जुलाई को ही दलित युवक अजितेश से विवाह करने वाली साक्षी मिश्रा ने अपने विधायक पिता राजेश मिश्रा पर हमले जारी रखे। साक्षी ने चैनलों पर कहा कि मेरे पिता भले ही बरेली में बैठ कर राजनीति करते रहे, लेकिन उनके मेंढक (समर्थक) बाज नहीं आएंगे। मेंढकों  से ही जान का खतरा है। जहां तक अजितेश के बेरोजगार होने का सवाल है तो मेरा भाई विक्की भी तो बेरोजगार है। विक्की के लिए भी तो विधायक पिता की हैसितय की वजह से रिश्ते आ रहे हैं। जब मुझे अजितेश से कोई ऐतराज नहीं है तो फिर दूसरों को आपत्ति करने का क्या अधिकार है? मैं बालिग हंू और अपना बुरा भला सब समझती हंू। मैंने अपनी मर्जी से अजितेश से विवाह किया है। क्या कोई दलित युवक इंसान नहीं होता? मैं और अजितेश अपनी जिन्दगी जीने में समर्थ हैं। हम शांति से रहना चाहते हैं। जो लोग सोशल मीडिया पर हमें गालियां दे रहे हैं उनमें हिम्मत हो तो हमारे सामने आएं। 
एस.पी.मित्तल) (13-07-19)
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चुनाव में तो पगड़ी तक रख दी थी, लेकिन मंत्री बनने के बाद समाज के लोगों से मिलने में भी गुरेज।



चुनाव में तो पगड़ी तक रख दी थी, लेकिन मंत्री बनने के बाद समाज के लोगों से मिलने में भी गुरेज। अजमेर के ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि दो दिन तक इंतजार के बाद भी चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से नहीं मिल सके। 
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चुनाव के दौरान और चुनाव जीतने के बाद मंत्री बन जाने पर राजनेताओं का चरित्र कैसा होता है इसका आभास अजमेर के सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रतिनिधियों को 11 व 12 जुलाई को जयपुर में हुआ। महासभा के जिला अध्यक्ष पंडित बलराम शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से मिलने के लिए 11 जुलाई को जयपुर गया। इस प्रतिनिधि मंडल में संजय तिवारी, कपिल व्यास, नरेश मुदगल, पवन आदि पदाधिकारी शामिल थे। चूंकि गत परशुराम जयंती के मौके पर रघु शर्मा ने समाज का कार्य बताने के लिए कहा था इसलिए प्रतिनिधि मंडल जयपुर गया। 11 जुुलाई को दोपहर को जयपुर पहुंचते ही पंडित बलराम शर्मा ने मंत्री के पीए को मोबाइल पर सूचना दे दी। मंत्री के पीएम ने कहा कि फुर्सत मिलते ही आपको बुलवा लिया जाएगा। चूंकि मसूदा के विधायक राकेश पारीक भी समाज के ही हैं इसलिए प्रतिनिधि मंडल जयपुर स्थित उनके सरकारी आवास पर पहुंच गया। परीक ने समाज के लोगों का पूरा मान सम्मान किया और मंत्री के बुलाने तक उनके घर पर ही इंतजार करने के लिए कहा। रात आठ बजे तक समाज के प्रतिनिधि मंत्री को फोन करते रहे, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। 12 जुलाई को सुबह समाज के लोग मंत्री रघु शर्मा के सिविल लाइन स्थित सरकारी आवास पर पहुंच गए। समाज के लोगों को उम्मीद थी कि अब तो मंत्रीजी से मुलाकात हो ही जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंत्री प्रभावशाली लोगों से लगातार मिलते रहे लेकिन समाज के लोगों को मिलने के लिए नहीं बुलाया। जब बेबस समाज के बेबस प्रतिनिधि इंतजार कर रहे थे कि तभी रघु शर्मा सरकारी कार में बैठ कर बंगले से चले गए। मंत्री के इस रवैये पर महासभा के जिला अध्यक्ष बलराम शर्मा ने अफसोस जताया है। शर्मा ने बताया कि लोकसभा के उपचुनाव में रघु शर्मा को जिताने के लिए ब्राह्मण समुदाय ने पूरी ताकत लगाई थी। तब एक समारोह में शर्मा ने अपनी पगड़ी समाज के सामने रखी और वायदा किया कि जीतने पर समाज का गुलाम बनकर सेवा करूंगा। उपचुनाव में शर्मा की जीत हुई और फिर केकड़ी में भी विधानसभा चुनाव के दौरान जीत हासिल हुई। लेकिन अब जब रघु शर्मा मंत्री बन गए हैं तो समाज के लोगों को ही सम्मान नहीं दे रहे हैं। बलराम शर्मा ने कहा कि रघु शर्मा उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। वे शहर कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी हैं। यह बात भी रघु शर्मा को पता है। अपनी पीड़ा को लेकर बलराम शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट डाली है। अब इस पोस्ट पर ब्राह्मण समुदाय के लोग नाराजगी जता रहे हैं। लोगों का गुस्सा मंत्री के व्यवहार को लेकर है। जानकारों की माने तो रघु शर्मा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसा ही व्यवहार कर रहे हैं। बलराम शर्मा का कहना है कि जब रघु शर्म को समाज और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से मलने की फुर्सत नहीं है तो फिर उनके मंत्री होने का क्या फायदा है। 
एस.पी.मित्तल) (13-07-19)
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अशोक गहलोत फिर पहुंचे दिल्ली।



अशोक गहलोत फिर पहुंचे दिल्ली। राहुल गांधी की जगह कांग्रेस का अध्यक्ष किसे बनाया जाए, पर रणनीति बनाई। राजस्थान में खुद की कुर्सी तो पक्की।
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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत एक फिर 12 जुलाई को दिल्ली पहुंच गए हैं। 13 जुलाई को गहलोत ने दिल्ली में कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर रणनीति बनाई। गहलोत ने अहमद पटेल जैसे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। राहुल गांधी पहले ही अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं। गहलोत की अगुवाई में ऐसा अध्यक्ष तलाशा जा रहा है जो गांधी परिवार के निर्देशों के अनुरूप ही कार्य करे। हो सकता है कि गहलोत श्रीमती सोनिया गांधी से भी मिले। लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब से राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ा है तब से देश में कांग्रेस की स्थिति खराब हैं। अशोक गहलोत सरीखे नेता कांग्रेस को संभालने में लगे हुए हैं। जहां तक राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सवाल है तो फेवीकॉल के जोड़ की तरह गहलोत सीएम की कुर्सी पर चिपक गए हैं। सीएम पद के दावेदार माने जा रहे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की जयपुर और दिल्ली में सक्रियता नजर नहीं आ रही है। गहलोत ने विधानसभा में बजट भी पेश कर दिया है। प्रदेश की राजनीति पर गहलोत का पूरा नियंत्रण है, इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ दिल्ली में विराजमान हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार गत दिसम्बर में सीएम की कुर्सी संभालने के बाद गहलोत करीब 70 बार दिल्ली दौरे पर रहे हैं। यानि गहलोत का अधिकांश समय दिल्ली में बैठा हैं। लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद गहलोत भले ही कुछ घबराए हों, लेकिन अब गहलोत में पूरा आत्मविश्वास है। गहलोत को अब पायलट की गतिविधियों से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि पायलट के समर्थकों ने लोकसभा चुनाव की हार की जिम्मेदारी पूरी तरह गहलोत पर डाल दी थी, लेकिन बड़ी चतुराई से गहलोत बच निकले। अब गहलोत के साथ खड़े रहने में भी पायलट की भलाई नजर आ रही है। गहलोत जहां दिल्ली में राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं, वहीं जयपुर में सीएम पद पर कोई खतरा नहीं है। इसे अशोक गहलोत की राजनीति कुशलता ही कहा जाएगा कि बिगड़े हुए हालात नियंत्रित कर लिए हैं। प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां भी शुरू हो गई हैं। 
एस.पी.मित्तल) (13-07-19)
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर संसद परिसर में सफाई अभियान।



लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर संसद परिसर में सफाई अभियान।
काश! भाजपा के सांसद अपने संसदीय क्षेत्रों में ऐसा करते।
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13 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में संसद भवन परिसर में सफाई और ड्रीमगर्ल के नाम से विख्यत फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी से लेकर केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाथ से झाडू लेकर संसद परिसर में सफाई की। यह अभियान 14 जुलाई रविवार को भी जारी रहेगा। ओम बिरला की इस पहल की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो पर मन की बात के अगले संस्करण में या फिर किसी सार्वजनिक समारोह में कर देंगे। वैसे बिरला की इस पहल में कोई बुराई भी नहीं है, लेकिन अच्छा होता कि भाजपा के सभी सांसद अपने अपने संसदीय क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाते। भाजपा के सांसद अपने क्षेत्र के हालात देखेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि कितनी गंदगी फैली हुई है। वर्षों से नालों की सफाई नहीं हुई है तो बीच सड़क पर कचरा डिपो बना रखे हैं। संसद भवन तो दिल्ली के गिने चुने सरकारी भवनों में से एक है और वैसे भी इन दिनों संसद चल रही है, इसलिए गंदगी होने का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में सांसदों को अपने अपने क्षेत्रों में जाकर हालात देखने चाहिए। सांसदों को स्वच्छता अभियान के प्रति जागरुक करने में ओम बिरला महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लोकसभा में भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या 250 है और इसी प्रकार राज्यसभा में 100 सांसद हैं। यानि देश के 450 लोकसभा क्षेत्रों में सांसदों के भरोसे स्वच्छता अभियान चलाया जा सकता है। संसद परिसर में स्वच्छता अभियान तभी सफल होगा, जब ओम बिरला 450 सांसदों को सक्रिय कर देशभर में स्वच्छता अभियान चलवाएं। ओम बिरला इस काम को सही अंजाम दे सकते हैं। इस अभियान की शुरुआत ओम बिरला अपने कोटा संसदीय क्षेत्र से कर सकते हैं। यदि भाजपा और सहयोगी दलों के सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में झाडू लेकर सफाई करते हैं तो देशभर में सकारात्मक संदेश जाएगा। इससे लोगों में सफई के प्रति जागरुकता भी होगी। 
एस.पी.मित्तल) (13-07-19)
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Wednesday 3 July 2019

अजमेर के फरार पूर्व डिप्टी मेयर आर्य की तलाश जारी।

अजमेर के फरार पूर्व डिप्टी मेयर आर्य की तलाश जारी। अग्रिम जमानत पर 4 जुलाई को सुनवाई संभव।  समझौते के प्रयास भी।
छात्रा ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप।

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3 जुलाई को वरिष्ठ वकील राकेश जैन ने अजमेर के पूर्व डिप्टी मेयर सोमरत्न आर्य को अग्रिम जमानत देने के लिए विशिष्ट न्यायालय पोक्सो में प्रार्थना पत्र पेश कर दिया है। उम्मीद है कि न्यायाधीश रतनलाल मूड 4 जुलाई को सुनवाई करेंगे। आर्य के विरुद्ध कोटड़ा क्षेत्र के बड़े अर्पाटमेंट में रहने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया और दो जुलाई को पीडि़त छात्रा के कलमबंद बयान धारा 164 में मजिस्ट्रेट के समक्ष हो गए। छात्रा ने अपने बयानों में पिता द्वारा लिखवाई रिपोर्ट की पुष्टि की। आर्य पर घर बुलाकर अश्लील हरकतें करने का आरोप लगाया है, वहीं अग्रिम जमानत के प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि आर्य एक सम्मानित व्यक्ति हैं। राजनीतिक गतिविधियों के साथ साथ मानव सेवा का कार्य भी करते हैं। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए आरोप लगाए गए हैं।
तलाश जारी:
पोक्सो एक्ट में गिरफतारी से बचने के लिए आर्य ने जहां न्यायालय की शरण ली है वहीं पुलिस भी आर्य की तलाश कर रही है। पुलिस को भरोसा है कि पोक्सो एक्ट में दर्ज मुकदमे में अग्रिम जमानत  नहीं होगी। पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप सिंह ने मीडिया से कहा है कि इस मामले में पुलिस गंभीर है। धरना और एफआईआर दर्ज करवाने में बड़ा गेप रहा, इसलिए आरोपी को फरार होने का अवसर मिला। लेकिन पुलिस कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उल्लेखनीय है कि 12 जून की घटना की रिपोर्ट 30 जून की रात को क्रिश्चियनगंज थाने में दर्ज करवाई गई है।
समझौते के प्रयास भी:
कानूनी प्रक्रिया के बीच ही आरोपी के परिजन पीडि़ता के परिजन से समझौते के प्रयास भी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि एफआईआर दर्ज करवाने से पहले आर्य से लिखित में माफी मांगने की बात कही गई थी, लेकिन तब आर्य ने इंकार कर दिया। आर्य का तब भी कहना रहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है, लेकिन अब परिजन ने लिखित माफीनामे का प्रस्ताव भी कर दिया बताया। हालांकि पीडि़त के परिजन अब न्यायिक प्रक्रिया पर ही निर्भर है, क्योंकि नाबालिग छात्रा के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष हो चुके हैं। विधि के जानकारों के अनुसार न्यायालय से बाहर कोई समझौता अब मायने नहीं रखता है।
राजनीतिक हलकों में खलबली:
आर्य भाजपा के बड़े नेता भी हैं इसलिए अजमेर के राजनीतिक हलकों में खलबली मची हुई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही आर्य को लेकर चर्चा है। आर्य सामाजिक कार्यों की वजह से अजमेर में काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन छात्रा का आरोप लगने के बाद अब आर्य के बचाव में कोई भी संस्था अथवा प्रतिनिधि खुलकर सामने नहीं आ रहा है। 
एस.पी.मित्तल) (03-07-19)
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राहुल निष्क्रिय, लेकिन सोनिया और प्रियंका गांधी कांग्रेस में जान फूंकने में लगी हैं।

राहुल निष्क्रिय, लेकिन सोनिया और प्रियंका गांधी कांग्रेस में जान फूंकने में लगी हैं।
अध्यक्ष का चुनाव जल्द हो-राहुल गांधी। 

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3 जुलाई को भी दिल्ली में कांगे्रस के दिग्गज नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में राहुल गांधी के बगैर कांग्रेस को चलाने पर विचार हुआ। लेकिन कोई सहमति नहीं बन रही है। लोकसभा चुनाव में हार की जिममेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और लाख मनुहार के बाद भी इस्तीफा वापस नहीं ले रहे हैं। कोई सवा महीने से कांग्रेस बगैर अध्यक्ष के ही चल रही है। राहुल गांधी भले ही निष्क्रिय हो, लेकिन माताजी श्रीमती सोनिया गांधी और बहन श्रीमती प्रियंका वाड्रा संगठन में जान फूंकने में लगी हुई हैं। दोनों ही महिला नेत्री कार्यकर्ताओं को भरोसा दिला रही हैं कि मुसीबत के इस दौर में वे संगठन के साथ खड़ी हैं। 2 जुलाई को श्रीमती सोनिया गांधी ने रायबरेली की सांसद की हैसियत से लोकसभा में शून्यकाल में सवाल उठाया। रायबरेली में बनने वाली कोच फैक्ट्री और रेलवे में निजीकरण के मुद्दे पर सोनिया ने केन्द्र पर जमकर हमला बोला, वहीं यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर प्रियंका गांधी ट्वीटर पर योगी सरकार की आलोचना की। प्रियंका ने ट्वीट पर यूपी की भाजपा सरकार को सफाई भी देनी पड़ी है। प्रियंका गांधी यूपी के दौरे भी कर रही हैं। कांग्रेस की राजनीति में राहुल गांधी की क्या भूमिका होगी, यह अभी किसी को भी पता नहीं है, लेकिन सोनिया गांधी और प्रियंका ने अपना इरादा व्यक्त कर दिया है। सोनिया और प्रियंका को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर राहुल गांधी ने वीटो लगा रखा है, इसलिए कोई भी नेता इन दोनों के नाम का प्रस्ताव नहीं कर रहे हैं। गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस की स्थिति वैसी ही जैसा बिना पानी के मछली। कांग्रेस के नेता भी जानते हैं कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस चल नहीं पाएगी, इसलिए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और एमपी के सीएम कमलनाथ अपने अपने प्रदेशों से लोगों को भेज कर दिल्ली में राहुल गांधी के आवास पर धरना दिलवा रहे हैं, लेकिन ऐसे नेता पचास वर्ष की उम्र वाले राहुल गांधी को अभी भी बच्चा समझ रहे हैं। गहलोत और कमलनाथ जैसे नेताओं को लगता है कि जिस प्रकार छोटा बच्चा छोटी-छोटी बात पर रूठ जाता है, लेकिन जब बच्चे को परिवार के सभी सदस्य मिलकर मनाते हैं तो बच्चा फिर से खेलने कूदने लग जाता है। लेकिन इस बार राहुल ने भी ठान ली है कि वे किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद दोबारा से नहीं संभालेंगे, भले ही कितना भी नुकसान हो जाए। राहुल गांधी को जब कांग्रेस की सरकारों के गिरने की भी चिंता नहीं है। यह बात अलग है कि राहुल का वीटो हटा कर सोनिया या प्रियंका राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएं।
चुनाव जल्द हो-राहुल गांधी: 
3 जुलाई को संसद भवन परिसर में मीडिया कर्मियों से संवाद करते हुए राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा कि अब वे कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं है। सीडब्ल्यूसी को जल्द से जल्द नए अध्यक्ष का चयन करना चाहिए। नए अध्यक्ष के नाम का फाइनल होना मेरी जानकारी में नहीं है। मैं इस्तीफे के अपने फैसले पर कायम हूं। 
एस.पी.मित्तल) (03-07-19)
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वसुंधरा राजे सीएम होतीं और जयपुर में सात वर्षीय मासूम के साथ रेप के घटना के बाद दिल्ली में रहतीं तो अशोक गहलोत की क्या प्रतिक्रिया होती?

वसुंधरा राजे सीएम होतीं और जयपुर में सात वर्षीय मासूम के साथ रेप के घटना के बाद दिल्ली में रहतीं तो अशोक गहलोत की क्या प्रतिक्रिया होती? इधर जयपुर में उबाल, मुख्यमंत्री का दिल्ली में डेरा। गहलोत अब गुजरात में उलझे।
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1 जुलाई की रात को 7 वर्षीय मासूम के साथ रेप की शर्मनाक घटना के बाद जयपुर में उबाल आया हुआ है। जयपुर की इंटरनेट सेवाएं 4 जुलाई तक के लिए बंद कर दी गई हैं। आधे से ज्यादा शहर में कफ्र्यू जैसे हालात हैं। शास्त्री नगर इलाके की भट्टा बस्ती की फैजान मस्जिद में एकत्रित लोग विरोध की रणनीति बना रहे हैं। लोगों का गुस्सा जायज है,क्योंकि सात वर्षीय मासूम के साथ दरिंदगी हुई है। अब तक 150 से भी ज्यादा वाहन क्षतिग्रस्त किए जा चुके हैं। लाख कोशिश के बाद गुलाबी नगर में अमन-चैन नहीं हो रहा है। जो तनाव एक जुलाई की रात से शुरू हुआ वो तीन जुलाई को भी दिनभर बना रहा। हालांकि पुलिस अपनी स्तर पर मशक्कत कर रही है, लेकिन सवाल उठता है कि सूबे के मुखिया यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहां हैं? सब जानते हैं कि गहलोत 30 जून से ही दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। राहुल गांधी को मानने और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर गहलोत दिल्ली में व्यस्त हैं। गहलोत जयपुर में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालें या दिल्ली में गांधी परिवार, यह उनका व्यक्तिगत मामला है, लेकिन यदि ऐसे संवेदनशील अवसर पर वसुंधरा राजे सीएम होती और वो जयपुर के बजाए दिल्ली में होती तो गहलोत की क्या प्रतिक्रिया होती? क्या वसुंधरा को महारानी की उपाधि से नवाज कर बेटी विरोधी नहीं बताया जाता? भाजपा के पिछले शासन में ऐसे मौकों पर गहलोत ने वसुंधरा राजे की तीखी आलोचना की है। वसुंधरा राजे ने तो गुलाबचंद कटारिया को कम से कम गृहमंत्री तो बना रखा था, लेकिन गहलोत ने तो गृह विभाग भी अपने पास ही रखा हुआ है। ऐसे में रेप के प्रकरण में मुख्यमंत्री की गैर मौजूदगी तो खलेगी ही। लोकतंत्र में तो यही माना जाता है कि जनता को जरूरत पडऩे पर जनसेवक उपस्थित रहे। यूं गहलोत को एक संवेदनशील इंसान माना जाता है। शायद वर्तमान हालातों में जयपुर के बजाए दिल्ली में  रहने पर उनका मन भी उन्हें कचोट रहा होगा, लेकिन इसे राजनीतिक मजबूरी ही कहा जाएगा कि जब से प्रदेश की राजधानी में उबाल है तो गहलोत जैसा मुख्यमंत्री दिल्ली में है। ऐसा नहीं कि दिल्ली में वे प्रदेश के हितों के लिए केन्द्रीय मंत्रियों से मिल रहे हों। गहलोत का सारा समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी के घरों के चक्कर काटने में लग रहा है। पहले कहा जा रहा था कि गहलोत तीन जुलाई की सुबह जयपुर लौट आएंगे, लेकिन एयरपोर्ट रवाना होने से पहले सोनिया गांधी ने अपने निवास पर तलब कर लिया। सोनिया से मुलाकात के बाद गहलोत का जयपुर आना फिलहाल टल गया है।
गहलोत अब गुजरात में उलझे:
5 जुलाई को गुजरात में होने वाले राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव की राजनीति में अब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत उलझ गए हैं। तीन जुलाई को जब गहलोत दिल्ली से जयपुर के लिए रवाना होने वाले थे कि तभी सोनिया गांधी ने तलब कर लिया। सूत्रों के अनुसार दोनों के बीच गुजरात के राज्यसभा चुनाव को लेकर विचार विमर्श हुआ। इसी के बाद गहलोत का फिलहाल जयपुर आना टल गया। मीडिया की खबरों के अनुसार राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के 70 विधायकों में बगावत हो सकती है, इसलिए अब कांग्रेस के विधायकों को राजस्थान के माउंट आबू के रिसोर्ट में लाया जा रहा है। तीन जुलाई की रात तक सभी विधायक रिसोर्ट पहुंच जाएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार पांच जुलाई को जब मतदान की प्रक्रिया होगी, तब इन विधायकों को माउंट आबू से गांधीनगर के लिए रवाना किया जाएगा। कांग्रेस के बागी विधायक कल्पेश ठाकुर पहले ही कह चुके हैं कि 18 कांग्रेस विधायक पाला बदल सकते हैं। कल्पेश का मानना है कि कांग्रेस के सभी विधायक माउंट आबू नहीं जाएंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि हर बार कांग्रेस को ही अपने विधायकों को सुरक्षित रखने की जरूरत क्यों होती है?असल में गुजरात में चुनाव आयोग ने दोनों सीटों के लिए अलग अलग मतदान करवाने का निर्णय लिया है। गुजरात में भाजपा के 99 विधायक हैं ऐसे में अलग अलग चुनाव होने पर दोनों सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों की जीत हो जाएगी। कांगे्रस नहीं चाहती कि राज्यसभा चुनाव के मौके पर गुजरात के विधायकों में बिखराव हो जाए। चुनाव की रणनीति कांग्रेस की ओर से गहलोत और अहमद पटेल बना रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (03-07-19)
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Thursday 27 June 2019

अमित शाह का कश्मीर दौरा शांतिपूर्ण सम्पन्न।



अमित शाह का कश्मीर दौरा शांतिपूर्ण सम्पन्न। 
स्वीटजरलैंड में भगौड़े नीरव मोदी के छह लाख मिलियन डॉलर सीज। 
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27 जून को केन्द्रीय गृह मंत्री अमितशाह का दो दिवसीय जम्मू कश्मीर दौरान शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया। यह पहला अवसर रहा जब केन्द्र के किसी बड़े मंत्री के पहुंचने पर कश्मीर घाटी में शांति रही है। इससे पहले जब भी कोई केन्द्रीय मंत्री, प्रतिनिधि मंडल कश्मीर गया तो अलगाववादियों ने न केवल बंद कराया, बल्कि पत्थरबाजी भी की। गृहमंत्री का पदभार संभालने के बाद अमितशाह पहली बार कश्मीर दौरे पर रहे। ऐसा नहीं की अमितशाह ने जम्मू या श्रीनगर के सराकारी दफ्तरों में बैठकें कर दौरा पूरा कर लिया। अमितशाह आतंकवाद से प्रभावित अनंतनाग क्षेत्र में भी गए। जहां उन्होंने कश्मीर पुलिस के शहीद हुए जवान अरशद खान के परिजन से मुलाकात की। अमितशाह ने भरोसा दिलाया कि जो लोग कश्मीर का अमन चैन बिगाड़ रहे हैं उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। जानकार सूत्रों की माने तो घाटी के अनेक अलगाववादी नेता इन दिनों या तो जेलों में बंद हैं या फिर दिल्ली में एनआईए के चक्कर लगा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से अलगाववादी नेताओं के विरुद्ध भी फडिंग को लेकर कार्यवाही हो रही है। अमितशाह ने अपने दौरे में यह भी स्पष्ट कर दिया कि अलगाववादियों से वार्ता करने का कोई इरादा सरकार का नहीं है। कहा जा रहा था कि शाह अपने दौरे में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं से संवाद कर सकते हैं। इसके विपरीत शाह ने सुरक्षाबलों के अधिकारियों को हिदायत दी कि 1 जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर कोईं कौताही नहीं बरती जाए। शाह ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर जो भी इंतजाम किए जा सकते हैं वो सब किए जाने चाहिए। कश्मीर की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि राजनीति और कूटनीति की दृष्टि से अमितशाह का कश्मीर दौरान सफल रहा है। 
नीरव मोदी के बैंक खाते सीज:
27 जून को केन्द्र सरकार के लिए जहां केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह का कश्मीर दौरा सफल रहा वहीं एक उपलब्धि भगौड़े नीरव मोदी को लेकर भी हुई। नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक के 9 हजार करोड़ रुपए लेकर भाग जाने का आरोप है, हालांकि नीरव  मोदी इन दिनों लंदन की जेल में बंद हैं और उसे कभी भी भारत लाया जा सकता है, लेकिन 27 जून को प्रवर्तन निदेशालय के प्रयासों से नीरव मोदी और उसकी बहन अपूर्वा मोदी के स्विटजरलैंड के चार बैंक खातों को सीज कर दिया गया। इन खातों में कोई छह मिलियन डॉलर जमा है। इसमें पहले भारत में भी नीरव मोदी की सम्पत्तियों को जब्त कर लिया गया है जो लोग नीरव मोदी की आड़ में नरेन्द्र मोदी पर हमला कर रहे थे, उन्हें अब समझ में आ जाना चाहिए कि नरेन्द्र मोदी और नीरव मोदी में फर्क है। भगौड़े विजय माल्या पहले ही कह चुके हैं कि बैंकों का जितना पैसा बकाया है उससे ज्यादा की सम्पत्तियां भारत सरकार ने जब्त कर ली है। विजय माल्या कई बार कह चुका हैं कि मैं बैंकों का एक एक रुपया चुकाना चाहता है। 
एस.पी.मित्तल) (27-06-19)
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आप को कुत्ते ने काटा तो आप कुत्ते को काट लेते।



आप को कुत्ते ने काटा तो आप कुत्ते को काट लेते। 
इस प्रकरण में अब वीडियो बनाने वाले चिकित्सा कर्मी की शामत।
आरोपी चिकित्सक भी अनुबंध पर है। 
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अजमेर के मदार क्षेत्र स्थित जेपी नगर में सरकार डिस्पेंसरी में 25 जून को एक महिला मरीज के साथ जो शर्मनाक घटनाक्रम हुआ उसमें अब वीडियो बनाने वाले चिकित्सा कर्मी बसंत राजोरिया की शामत आ गई है। वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने को लेकर सरकार और चिकित्सा महकमे की छवि  खराब करने का आरोप राजोरिया पर लग गया है। राजोरिया को नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है। 25 जून को जब एक महिला कुत्ते के काटने का इलाज करवाने डिस्पेंसरी पहुंची तो मौजूद चिकित्सक प्रवीण कुमार बालोटिया ने कहा कि यदि आपको कुत्ते ने काटा है तो आप कुत्ते को काट लेते। महिला ने जब चिकित्सक की इस अभद्र टिप्पणी का विरोध किया तो चिकित्सक ने धमकी दी कि महिला के विरुद्ध एससी एसटी का मुकदमा दर्ज करवा दिया जाएगा। इस पर महिला ने कहा कि डॉक्टर साहब मैं तो आपकी जाति के बारे में भी नहीं जानती हंू तो आपको जाति सूचक शब्द कैसे बोल सकती हंू। मैं तो अपना इलाज करवाने आई हूं। चिकित्सक और महिला मरीज के बीच जो संवाद और हंगामा हुआ उसे डिस्पेंसरी के ही पीएमएच बसंत राजोरिया ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया। बाद में राजोरिया ने ही वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट होते ही चिकित्सक बालोटिया के विरुद्ध लोगों का गुस्सा भड़क उठा। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके सोनी ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है। गंभीर बात ये है कि चिकित्सक और पीएमएच कर्मी दोनों ही एनएचएम के अंतर्गत अनुबंध पर कार्यरत हैं। सवाल उठता है कि अनुबंध वाले चिकित्सक भी ऐसा व्यवहार करेंगे तो पूरी चिकित्सा सेवा पर सवालिया निशान लगेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रकरण में अभी तक भी पीडि़त महिला ने कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। चिकित्सा विभाग सिर्फ वीडियो के आधार पर ही जांच कर रहा है। डॉक्टर सोनी का कहना है कि जांच रिपोर्ट के बाद ही दोषी कर्मियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही की जाएगी। 
एस.पी.मित्तल) (27-06-19)
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राजस्थान विधानसभा में पत्रकारों के लिए इमरजेंसी जैसे हालात।



राजस्थान विधानसभा में पत्रकारों के लिए इमरजेंसी जैसे हालात।
सदन की कार्यवाही का बहिष्कार। 
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27 जून को राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत हुई, लेकिन दिवंगत सदस्यों, पुलवामा के शहीद जवानों, बाड़मेर के जसोल में रामकथा की दुखान्तिका आदि को लेकर शोकाभिव्यक्ति के बाद सदन की कार्यवाही को 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी, लेकिन प्रात: 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही हुई तो मीडिया कर्मियों को अनेक पाबंदियों का सामना करना पड़ा। मीडिया कर्मियों को हिदायत दी गई कि वे विधानसभा में प्रेस गैलरी तक ही सीमित रहे। कोई पत्रकार किसी मंत्री अथवा विधायक से न मिले। इसके साथ ही विधानसभा की केंटिन तक में जाने पर रोक लगा दी। पिछले चालीस वर्षों में विधानसभा की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों का कहना रहा कि यह पहला अवसर है जब ऐसी पाबंदिया लगाई गई है। भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि पत्रकारों के लिए यह इमरजेंसी जैसे हालात हैं। वरिष्ठ पत्रकार और पिंकसिटी पे्रस क्लब के पूर्व अध्यक्ष एलएल शर्मा ने कहा कि ऐसी पाबंदियां संसद में भी नहीं है। संसद को कवर करने वाले मीडियाकर्मी राज्यसभा और लोकसभा में आ जा सकते हैं। जब संसद में इस तरह की पाबंदियां नहीं है तो फिर राजस्थान विधानसभा में क्यों लगाई गई है। पाबंदियों को लेकर ही मीडिया कर्मी 27 जून को प्रेस गैलरी में नहीं गए। जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान आकर्षित किया तो गहलोत का कहना रहा कि वे इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से संवाद करें। जब पत्रकारों के प्रतिनिधि अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने गए तो कक्ष के बाहार ऐसे हालात उत्पन्न हुए कि पत्रकारों को धरने पर बैठना पड़ा। सीएम गहलोत के निर्देश पर विधायक महेश जोशी भी विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के जनसम्पर्क विभाग का जिम्मा चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के पास है। रघु शर्मा और पत्रकारों के बीच इन दिनों 36 का आंकड़ा बना हुआ है। एनएचएम भर्ती घोटाले और चिकित्सा विभाग में हो रही लापरवाहियों की खबरें प्रदेश के समाचार पत्रों में और न्यूज चैनलों में प्रमुखता के साथ प्रकाशित एवं प्रसारित हो रही है। 
एस.पी.मित्तल) (27-06-19)
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