Thursday 30 September 2021

राजस्थान में चार मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी वर्चुअल तकनीक से जुड़े।बसपा वाले कांग्रेसी विधायकों ने दिल्ली में राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई। गहलोत सरकार को हमने ही मजबूती दी-राजेंद्र गुढा।सचिन पायलट ने जयपुर आवास पर जनसुनवाई की।भरोसा जताने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया।

एक ओर कांग्रेस शासित राज्यों में खींचतान चल रही है तो दूसरी ओर 30 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तकनीक से राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया। इसके साथ ही बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के भवनों का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। वर्चुअल तकनीक से हुए इस समारोह की खास बात यह रही कि भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खासतौर से जुड़ी। राजे के पास ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी समारोह में शामिल हुए। पीएम ने पहले भी वर्चुअल तकनीक से राजस्थान से जुड़े उद्घाटनों और शिलान्यास के समारोह किए हैं। लेकिन अधिकांश में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई। लेकिन 30 सितंबर को राजे के शामिल होने को राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजे, ओम बिरला और गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति से यह दर्शाने की कोशिश की गई कि राजस्थान में भाजपा एकजुट है। असल में राजे के समर्थक विधायक समय समय पर पार्टी विरोधी बयान देते रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी की पहल से माना जा रहा है कि पार्टी में वसुंधरा राजे के महत्व को भी बनाए रखा जा रहा है। भाजपा ने यह एकजुटता दिखाने का तब प्रयास किया है, जब कांग्रेस शासित राज्यों में खींचतान चल रही है। पंजाब में अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है। मंत्रियों के विभागों को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। अब पंजाब में कांग्रेस की सरकार पर संकट खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ के 18 विधायक भी स्वास्थ्य मंत्री  टीएस सिंह देव के नेतृत्व में दिल्ली आ गए हैं। इसी प्रकार राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान चल रही है। 30 सितंबर को पायलट ने जयपुर आवास पर जनसुनवाई की। 29 सितंबर को बसपा वाले चार कांग्रेसी विधायकों ने दिल्ली पहुंचकर राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। बसपा से कांग्रेस में शामिल होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इससे इन सभी 6 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक रही है। जो चार विधायक दिल्ली गए हैं वे हैं लाखन सिंह राजेंद्र गुढा, संदीप कुमार और वाजिद अली। इन चोरों विधायकों का कहना है कि कानूनी राय लेने के लिए वे दिल्ली में भाजपा के नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। राजेंद्र गुढा ने कहा कि हमने गहलोत सरकार को मजबूती दी है। इसलिए अब कांग्रेस को हमारी मदद करनी चाहिए। जिस तरह से चार विधायक दिल्ली गए उससे भी राजस्थान में राजनीतिक संकट के कयास लगाए जा रहे हैं। असल में बसपा के सभी 6 विधायक गत वर्ष ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन अभी तक भी इन विधायकों को सरकार में शामिल होने का अवसर नहीं मिला है। जो बेचेनी बसपा वाले विधायकों में है वो ही बेचैनी 13 निर्दलीय विधायकों में भी बताई जा रही है। गत वर्ष जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब बसपा वाले और निर्दलीय विधायकों ने ही गहलोत सरकार को बचाने का काम किया। लेकिन निर्दलीय विधायकों को भी सरकार में भागीदारी नहीं मिली है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जो खींचतान चल रही है उसमें मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही है। पायलट और उनके समर्थक विधायक भी संतुष्ट नहीं हुए हैं।
मोदी ने गहलोत का आभार जताया:
मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास के समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान से जुड़ी समस्याओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखा। गहलोत ने उम्मीद जताई कि मोदी सभी मांगों को पूरा करेंगे। गहलोत की मांगों पर पीएम मोदी ने कहा कि सीएम गहलोत ने समस्याओं के समाधान के लिए मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसके लिए मैं आभार प्रकट करता हंू। मैं और अशोक जी अलग अलग राजनीतिक विचारधारा के हैं, लेकिन यह भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है कि विरोधी होते हुए भी हमें आम जनता की चिंता है। अशोक जी ने जो मांगें रखी हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। 
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काश! राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेट्रोल पर भी राज्य सरकार की टैक्स वसूली की जानकारी देते।महंगाई और तेल मूल्य वृद्धि के विरोध में कांग्रेस का प्रदर्शन।

महंगाई और तेल मूल्यवृद्धि के विरोध में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने 30 सितंबर को जयपुर में प्रदर्शन किया। जयपुर के प्रदर्शन में कांग्रेस के दिग्गज नेता शामिल हुए। प्रदर्शन से एक दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर बताया कि एक लीटर डीजल पर केंद्र सरकार 31 रुपए 80 पैसे का टैक्स वसूल रही है, जबकि राज्य सरकार मात्र 21 रुपए 78 पैसे का शुल्क ले रही है। डीजल पर इतना शुल्क राज्य सरकार द्वारा वसूलना वाजिब है, क्योंकि कोरोना काल में राज्य सरकार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एक्साइज ड्यूटी और एग्रीकल्चर सेस समाप्त कर डीजल का मूल्य घटना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि तेल मूल्य में वृद्धि से आम आदमी परेशान है, लेकिन अच्छा होता कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल पर वसूले जाने वाले टैक्स की भी जानकारी आम लोगों को देते। पेट्रोल पर राज्य सरकार 36 प्रतिशत टैक्स वसूलती है। यानी एक लीटर पेट्रोल पर मौजूदा समय में राज्य सरकार को करीब 38 रुपए शुल्क के रूप में प्राप्त हो रहे हैं। यह राशि केंद्र सरकार के टैक्स से ज्यादा है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री के सलाहकार इस सिर्फ एकतरफा जानकारी ही देते हैं। यह सही है कि आने वाले दिनों में डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चा तेल 80 डॉलर में उपलब्ध होने जा रहा है। स्वाभाविक है कि ऐसे में सरकार को ऊंची कीमत पर कच्चा तेल आयात करना होगा। चूंकि केंद्र सरकार भी कोरोना की मार बताकर अपने टैक्स को जायजा बता रही है, इसलिए उपभोक्ताओं को महंगा तेल मिलेगा। पिछले दिनों जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम हुए तब केंद्र सरकार ने एडिशनल एक्साइज और स्पेशल एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी, इससे आम उपभोक्ता को कोई राहत नहीं मिली। राजस्थान में राज्य सरकार डीजल पर 26 प्रतिशत और पेट्रोल पर 36 प्रतिशत टैक्स वसूलती है। 
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राजस्थान के प्रमुख मीडिया कर्मियों के बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का ग्रेट शो।

यदि कोई राजनेता बगैर किसी कारण के मीडिया कर्मियों से मेल मिलाप करता है तो उसके शिष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। 29 सितंबर की शाम को जयपुर के होटल शकुन में राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने जयपुर स्थित देश के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों से शिष्टाचार के नाते संवाद किया। यह न तो प्रेस कॉन्फ्रेंस थी और न ही डॉ. पूनिया को राजनीतिक जानकारी देनी थी। पत्रकारों ने पूनिया से पूछा भी कि शिष्टाचार मुलाकात का क्या उद्देश्य है? तो पूनिया ने कहा कि कोरोना काल के बाद आप सब की कुशलक्षेम पूछनी है। पूनिया की मीडिया कर्मियों से इस शिष्टाचार मुलाकात में मुझे भी आमंत्रित किया गया। मेरे अजमेर से जयपुर पहुंचने पर डॉ. पूनिया ने आभार भी जताया। होटल शकुन  के आलीशान हॉल में मैंने देखा कि न्यूज चैनलों और अखबारों के स्टेट हैड इस बात से खुश थे कि कोरोना काल के बाद यह पहला अवसर है, जब मीडिया कर्मी इतनी बड़ी संख्या में एक साथ जुटे हैं। हम सब मीडिया कर्मी भले ही अभी भी कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर आम लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने की अपील कर रहे हों, लेकिन 29 सितंबर को अधिकांश मीडिया कर्मियों ने होटल शकुन के हाल में इन दोनों ही नियमों का पालन नहीं किया। सभी मीडिया कर्मी इस पूरे माहौल का आनंद लेने में व्यस्त रहे। आमतौर पर ऐसे आयोजनों में शराब और मांसाहार भी परोसा जाता है, लेकिन डॉ. पूनिया की सख्त हिदायत और विनम्र आग्रह के चलते सभी मीडिया कर्मियों ने शुद्ध शाकाहारी स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। कोरोना काल के गुजरे बुरे दौर के किस्से भी मीडिया कर्मियों ने एक दूसरे से शेयर किए। चूंकि किसी भी मीडिया कर्मी को इस आयोजन की खबर ब्रेक नहीं करनी थी, इसलिए सभी माहौल का मजा ले रहे थे। कांग्रेस में पंजाब की राजनीति के मद्देनजर राजस्थान में चल रही चर्चाओं को लेकर भी प्रदेश स्तरीय मीडिया कर्मियों ने मुझे अनेक जानकारियां दी। मेरे लिए यह संतोष की बात रही कि अधिकांश मीडिया कर्मियों ने कहा कि वे नियमित तौर पर मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं। मैंने यह भी देखा कि राजस्थान के मीडिया कर्मी अपने दायित्व के प्रति न केवल जागरूक है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी योग्यता भी प्रदर्शित कर रहे हैं। मुझे होटल सकुन फस्र्ट इंडिया, जी न्यूज, न्यूज 18 आदि चैनलों के उन एंकरों से मिलने का अवसर भी मिला जिनके साथ मैं ज्वलंत मुद्दों पर लाइव डिबेट में शामिल होता हंू। संचार क्रांति के इस दौर में अब अजमेर से बैठे बैठे ही न्यूज चैनलों पर लाइव प्रोग्राम बहुत सरलता से हो जाते हैं। सुनने वालों को यह पता ही नहीं चलता कि कौन कहां से जुड़ा हुआ है। चूंकि यह आयोजन मीडिया कर्मियों से जुड़ा था, इसलिए भाजपा की तेजतर्रार प्रवक्ता और विधायक श्रीमती अनिता भदेल, रामलाल शर्मा, मुकेश पारीक, मुकेश मीणा, गौरव आदि भी उपस्थित रहे। मैंने देखा कि महिला मीडियाकर्मी भाजपा प्रवक्ता भदेल से पूरे उत्साह के साथ मिल रहीं थी। महिला मीडिया कर्मियों ने माना कि भदेल पूरी दक्षता के साथ भाजपा का पक्ष रखती हैं। मुझे ऐसे पत्रकारों से भी मिलने का अवसर मिला जो पूर्व में अजमेर में पत्रकारिता कर चुके हैं और आज न्यूज चैनलों और अखबारों में अच्छे पदों पर कार्य कर रहे हैं। सभी मीडिया कर्मियों के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के आत्मीय संबंध भी देखे गए। पत्रकारों की समस्याओं के बारे में भी डॉ. पूनिया ने जानकारी ली। कहा जा सकता है कि कोरोना काल के बाद खुशनुमा माहौल के लिए डॉ. पूनिया ने एक अच्छी पहल की है। 
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राजनीति में गुजरात जैसा ऑपरेशन करने के लिए कांग्रेस के पास आरएसएस जैसी शक्ति चाहिए।राहुल और प्रियंका का पहला प्रयोग ही सफल नहीं रहा। पंजाब की घटना से कांग्रेस में और बिखराव। जी-23 समूह फिर सक्रिय हुआ।


विगत दिनों भाजपा ने गुजरात राज्य में जो राजनीतिक बदलाव किया उससे प्रेरित अथवा उत्साहित होकर कांग्रेस ने पंजाब में अमरिंदर सिंह को हटा कर अनजान चेहरे वाले विधायक चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। सोनिया गांधी को पीछे रखकर कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करने वाले भाई-बहन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को उम्मीद थी कि जिस प्रकार गुजरात में भाजपा का राजनीतिक बदलाव सफल हो गया, उसी प्रकार कांग्रेस में भी पंजाब का प्रयोग सफल हो जाएगा। राहुल गांधी तो इतने उत्साहित थे कि चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह में भी पहुंच गए। लेकिन राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि भाजपा के बदलाव के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शक्ति है। भाजपा आरएसएस की राजनीतिक शाखा है और भाजपा में संघ का दखल बना रहता है। जो स्वयं सेवक संघ की सहमति से भाजपा में राजनीति करने गया है, उसे संघ कभी भी वापस बुला सकता है। ऐसा स्वयं सेवक बिना किसी विरोध के बड़े से बड़ा पद छोड़कर आ जाएगा। हालांकि अब भाजपा में कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने भी घुसपैठ कर ली है, लेकिन भाजपा में दबदबा स्वयं सेवकों का ही है। राहुल गांधी भले ही आरएसएस की निंदा करें, लेकिन आज कांग्रेस को भी आरएसएस जैसी शक्ति की जरूरत है। राहुल ने स्वयं देखा कि पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर अनुभवहीन कहा और नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर चुनौती खड़ी कर दी। यह वही सिद्धू है जिनके खातिर राहुल गांधी ने अमरिंदर सिंह जैसे पुराने कांग्रेसी को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया। सवाल उठता है कि अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद भी राहुल गांधी अपने साथ सिद्धू को क्यों नहीं रख सके? असल में सिद्धू स्वयं मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें नहीं बनाया गया तो बगावत कर दी। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि सिद्धू ने तो पहले ही कहा था कि यदि उनकी नहीं चली तो वे कांग्रेस की ईंट से ईंट बजा देंगे। अब नवजोत सिंह सिद्धू वही कर रहे हैं जो कहा। कांग्रेस के पास यदि आरएसएस जैसी शक्ति होती तो अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू ऐसी बयानबाजी नहीं करते। राहुल गांधी भले ही आरएसएस की आलोचना करें, लेकिन आज कांग्रेस को आरएसएस जैसी शक्ति की सख्त जरुरत है। पंजाब की ताजा घटना के बाद कांग्रेस फिर बिखराव की ओर बढ़ रही है। जी 23 समूह के नेता गुलाम नबी आजाद ने सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की मांग कर दी है। कांग्रेस के अंदर ही बने जी 23 समूह में वे 23 वरिष्ठ कांग्रेसी शामिल हैं। जिनकी राहुल गांधी से पटरी नहीं बैठती है। राहुल गांधी को लगता है कि पुराने कांग्रेसियों को हटाकर नए चेहरों को आगे लाया जाए। लेकिन राहुल-प्रियंका अपने पहले प्रयास में ही विफल हो गए हैं। यह तब हुआ है, जब पंजाब में पांच माह बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाती है, लेकिन कांग्रेस सरकार में साढ़े चार वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे अमरिंदर सिंह अब भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रहे हैं। आखिर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किस चेहरे को लेकर जाएगी? राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन पंजाब की घटनाओं का असर कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर भी पड़ेगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के कमजोर होने से महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर असर पड़ेगा। राहुल गांधी, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन, हरीश चौधरी जैसे नौसिखियों का खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। यह राहुल गांधी की ढुलमुल नीति का नतीजा भी है। राहुल गांधी अध्यक्ष पद के अधिकार तो अख्तियार कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ग्रहण नहीं कर रहे। राहुल गांधी सोचते हैं कि माताजी सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बनाए रखकर वे स्वयं असली अध्यक्ष की भूमिका निभाते रहे। 
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Tuesday 28 September 2021

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शिकायत चुनाव आयोग से की। भवानीपुर के उपचुनाव में हिंसा का आरोप लगाया।पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह और अमित शाह की मुलाकात पंजाब की राजनीति बदलेगी।

28 सितंबर को केंद्रीय पर्यावरण और श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली में चुनाव आयोग के पदाधिकारियों से मुलाकात की और एक ज्ञापन दिया। यादव के साथ केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और अनुराग ठाकुर भी थे। यादव ने चुनाव आयोग को बताया कि पश्चिम बंगाल में भवानीपुर विधानसभा के चुनाव में सत्तारूढ़ टीएमसी के कार्यकर्ता खुलेआम हिंसा कर रहे हैं। 27 सितंबर को ही भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष पर जानलेवा हमला किया। भवानीपुर से सीएम ममता बनर्जी टीएमसी की उम्मीदवार है, इसलिए सरकारी अमला खामोश है। ममता को जिताने के लिए सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। भाजपा के लिए भवानीपुर में प्रचार करना मुश्किल हो रहा है। आयोग को बताया गया कि पिछले दिनों टीएमसी की जीत के बाद से ही पश्चिम बंगाल में हिंसा का दौर चल रहा है। राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि बंगाल में सरकारी संरक्षण में हिंसा हो रही है। यादव और अन्य मंत्रियों ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि भवानीपुर विधानसभा चुनाव में तत्काल पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाए और हिंसा पर रोक लगाई जाए। आयोग से भवानीपुर में निष्पक्ष चुनाव करवाने का आग्रह भी किया गया। आयोग से कहा गया कि उपचुनाव वाले क्षेत्रों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनात की जाए।
पंजाब की राजनीति में बदलाव:
28 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह के बीच मुलाकात हो रही है। पंजाब में भी पांच माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने हाल ही में अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया है। जिस तरह से अमरिंदर सिंह को हटाया गया उस पर अमरिंदर सिंह पहले ही नाराजगी जता चुके हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार 27 सितंबर को चन्नी मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद कांग्रेस विधायकों में नाराजगी बढ़ी है। माना जा रहा है कि अपनी पार्टी से खफा अमरिंदर सिंह आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। अमरिंदर सिंह को केंद्र में मंत्री भी बनाया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो अमरिंदर सिंह को कृषि मंत्री का दायित्व दिया जा सकता है ताकि पंजाब, हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन को नियंत्रित किया जा सके। यहां यह उल्लेखनीय है कि 117 सदस्यों वाली पंजाब विधानसभा में भाजपा के मात्र 2 विधायक हैं। भाजपा अब अमरिंदर सिंह की मदद से पंजाब में अपना जनाधार बढ़ाने के प्रयास में है। 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह के चेहरे पर ही लड़ा था और तब कांग्रेस को 90 सीटें मिली थी। सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों अमरिंदर सिंह ने खामोशी के साथ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि 90 में से करीब 30 विधायक अमरिंदर सिंह के साथ थे। लेकिन भाजपा में शामिल होने की रणनीति के तहत अमरिंदर सिंह ने खामोशी के साथ इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोला और उन्हें पाकिस्तान परस्त बता दिया। 
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यूपी के आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के धर्म परिवर्तन वाले वीडियो की जांच के लिए एसआईटी गठित।सरकारी आवास पर ही मौलानाओं की बैठक बुलाई।


उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के अध्यक्ष और 1985 बैच के वरिष्ठ आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन से जुड़े धर्म परिवर्तन के एक वीडियो की जांच अब एसआईटी करेगी। फिलहाल अपने दफ्तर और घर पर उपलब्ध नहीं है। इफ्तिखारुद्दीन के लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर मौलानाओं की एक बैठक होने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन  मौलानाओं से धर्म परिवर्तन पर चर्चा कर रहे हैं। एक मौलाना बता रहा है कि मौजूदा समय में धर्म परिवर्तन करना क्यों जरूरी है? यह वीडियो कब का है यह अभी पता नहीं, लेकिन यह वीडियो तब प्रकाश में आया है, जब यूपी में धर्म परिवर्तन को लेकर कानून बनाए जा रहे हैं तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ धर्म परिवर्तन को लेकर बहुत सख्त हैं। वीडियो के प्रकाश में आते ही सरकार ने एसआईटी के गठन की घोषणा की है। आईएएस से जुड़ा यह मामला अब पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है, क्योंकि धर्म परिवर्तन के काम में एक आईएएस की भूमिका भी सामने आई है। वीडियो को देखने और सुनने से प्रतीत होता है कि इफ्तिखारुद्दीन लोक सेवक होने के बजाए धर्मगुरु हैं। इस वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन एक कुर्सी पर बैठे हैं तो मौलाना एवं अन्य विद्वान जमीन पर हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में पांच माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में यह वीडियो और चर्चा का विषय बना हुआ है। सब जानते हैं कि यूपी के चुनाव में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री भी हो गई है। ओवैसी ने भी 100 उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा की है। ओवैसी के पार्टी के उम्मीदवार मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में ही अपना भाग्य आजमाएंगे। 
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राजस्थान में धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा के उपचुनाव 30 अक्टूबर को होंगे।राजनीति में तकदीर हो तो अशोक गहलोत जैसी हो। मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों का मामला फिर टला।निर्दलीय और बसपा के विधायकों के ख्वाब भी पूरे नहीं हो रहे।बसपा के 6 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने का अंतिम अवसर।


केंद्रीय चुनाव आयोग ने 28 सितंबर को देश की 30 विधानसभाओं के उपचुनावों की घोषणा की है। इनमें राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र की धरियावद और वल्लभनगर की विधानसभा भी शामिल हैं। इन में 8 अक्टूबर तक नामांकन और फिर 30 अक्टूबर को मतदान होगा। परिणाम 2 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। वल्लभनगर की सीट पर कांग्रेस के विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत थे जबकि धरियावद सीट पर भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा थे। शक्तावत का निधन 20 जनवरी 2021 तथा मीणा का निधन 19 मई 2021 को कोरोना संक्रमण से हुआ। उपचुनाव की घोषणा होने से राजस्थान की राजनीति खासकर कांग्रेस के संदर्भ में यह डायलॉग फिट बैठता है कि तकदीर हो तो अशोक गहलोत जैसी हो। अशोक गहलोत को जादू आता है या नहीं यह तो पता नहीं, लेकिन राजनीति में गहलोत तकदीर के धनी हैं। गहलोत दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री बने थे और तभी से सचिन पायलट से उनकी प्रतिद्वंदिता चल रही है। इस प्रतिद्वंदिता का इंटरवल जुलाई 2020 में तब हुआ, जब सचिन पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों को लेकर दिल्ली चले गए। दिल्ली से लौटे तो कहा गया कि दोनों में समझौता हो गया है। हालांकि तब तक पायलट के पास से कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीन चुका था। पिछले एक वर्ष से गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल का दबाव रहा। लेकिन किसी न किसी कारण से फेरबदल टलता रहा। पिछले एक पखवाड़े में दो बार पायलट की मुलाकात राहुल गांधी से हुई है। तभी से यह माना जा रहा है कि अब मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां हो जाएंगी। लेकिन 28 सितंबर को केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजस्थान के दो उपचुनावों की घोषणा कर दी। स्वाभाविक है कि फेरबदल और नियुक्तियों का मामला एक बार फिर टल जाएगा। 30 अक्टूबर को मतदान होने से जाहिर है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मंत्रिमंडल का फेरबदल और नियुक्तियां संभव नहीं है। कहा जा सकता है कि गहलोत से दबाव अपने आप हट गया है। गहलोत जवाब दें या नहीं, लेकिन कई मौकों पर गहलोत के प्रतिद्वंदी अपने आप हार जाते हैं। प्रतिद्वंदियों की लाख कोशिश के बाद भी फेरबदल नहीं करवाया जा सका है, अब गहलोत सरकार के तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं।
विधायकों के ख्वाब पूरे नहीं:
प्रदेश के सभी 13 निर्दलीय विधायक गहलोत सरकार के समर्थन दे रहे हैं। इसी प्रकार बसपा के 6 विधायकों ने अपनी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली है। यह सभी 19 विधायक मंत्री पद अथवा सरकार में अन्य कोई पद प्राप्त करने के इच्छुक हैं, लेकिन सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट में चल रही खींचतान की वजह से इन विधायकों के ख्वाब भी पूरे नहीं हो रहे हैं। इसे सीएम गहलोत का मैनेजमेंट ही कहा जाएगा कि कोई भी विधायक सार्वजनिक तौर पर बयान नहीं दे रहा है। लेकिन सीएम गहलोत भी ऐसे विधायकों की इच्छा को जानते हैं। जो निर्दलीय और बसपा वाले विधायक सरकार को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में पूरी छूट मिली हुई है। एसडीएम और डीएसपी स्तर तक के अधिकारी इन्हीं विधायकों की सिफारिश से नियुक्त हो रहे हैं। विकास के कार्यों में भी इन 19 विधायकों को प्राथमिकता मिली हुई है।
अंतिम अवसर:
बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का विवाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए बसपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। इन विधायकों ने अभी तक भी अपना पक्ष नहीं रखा है। 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान इन सभी 6 विधायकों को पक्ष रखने के लिए अब अंतिम अवसर दिया गया है। यदि अगले चार सप्ताह में विधायकों की ओर से पक्ष नहीं रखा गया तो एक तरफा निर्णय भी हो सकता है। बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक हैं, लखन सिंह, राजेंद्र सिंह गुढा, दीपचंद खेडिय़ा, जोगेंद्र सिंह अबाना, संदीप कुमार यादव और वाजिद अली। 
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Monday 27 September 2021

रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने की जानकारी एसओजी ने शिक्षा बोर्ड को नहीं दी।3 हजार 997 केंद्रों के परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट बोर्ड के अजमेर मुख्यालय पर पहुंची। परिणाम तैयार करने में जुटा बोर्ड प्रशासन।

राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के एडीजी अशोक राठौड़ का एक बयान 27 सितंबर को दैनिक समाचार पत्रों में छपा है। इस बयान में राठौड़ ने कहा कि 26 सितंबर को लेबल दो की रीट परीक्षा प्रात: 10 बजे शुरू होनी थी, लेकिन पुलिस के कांस्टेबल देवेंद्र के मोबाइल फोन पर परीक्षा का प्रश्न पत्र प्रात: साढ़े आठ बजे ही आ गया। यानी प्रश्न पत्र डेढ़ घंटे पहले लीक हो गया। एसओजी ने देवेंद्र और हेड कांस्टेबल यदुवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन वहीं रीट परीक्षा आयोजित करने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव अरविंद सेंगवा का कहना है कि पुलिस की किसी भी जांच एजेंसी एवं सरकार की ओर से प्रश्न पत्र लीक होने की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी ने परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्न पत्र आउट होने के बारे में कोई रिपोर्ट बोर्ड को नहीं दी है। सेंगवा ने कहा कि वे अखबारों में छपी खबर पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन बोर्ड प्रशासन यह नहीं मानता है कि प्रश्न पत्र लीक हुआ है। डमी परीक्षार्थियों के मामले में नियमानुसार कार्यवाही होगी। बोर्ड का मानना है कि रीट के दोनों लेब की परीक्षा पूरी गोपनीयता और निष्पक्षता के साथ हुई है। किसी भी योग्य परीक्षार्थी को घबराने की जरुरत नहीं है। परीक्षार्थी की योग्यता के आधार पर ही परिणाम घोषित होगा। बोर्ड अपनी ओर से भी प्रश्न पत्र लीक के किसी भी प्रकरण की जांच नहीं करवा रहा है। सेंगवा ने बताया कि बोर्ड की योजना के मुताबिक अब परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया हो रही है। देर रात तक सभी 3 हजार 997 केंद्रों से परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट अजमेर मुख्यालय पहुंच गई है। बोर्ड अध्यक्ष डॉ. डीपी जारोली ने रीट परीक्षा में सहयोग करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है। डॉ. जारोली ने कहा कि सीएम गहलोत ने स्वयं दिशा निर्देश देकर परीक्षा को सफल करवाया।
लीक की आशंकाएं खत्म:
27 सितंबर को प्रदेश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने की जिस तरह खबरें प्रकाशित हुई उससे परीक्षा को लेकर अनेक आशंकाएं उत्पन्न हो गई थी, लेकिन बोर्ड के सचिव अरविंद सेंगवा के बयान के बाद ऐसी आशंकाएं समाप्त हो गई। सवाल उठता है कि जब एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने मीडिया कर्मियों को प्रश्न पत्र लीक होने की खबरें दी तो फिर अपनी रिपोर्ट से सरकार या शिक्षा बोर्ड को अवगत क्यों नहीं करवाया? अखबारों में छपी खबरों के अनुसार कांस्टेबल देवेंद्र और हेड कांस्टेबल यदुवीर सिंह के मोबाइल फोन पर प्रश्न पत्र किसी गिरोह के माध्यम से प्राप्त हुए। यानी गिरोह ने जिस प्रकार दोनों पुलिसकर्मियों को परीक्षा से डेढ़ घंटे पहले उपलब्ध करवाए, उसी प्रकार अन्य लोगों को भी करवाएं होंगे। दोनों पुलिसकर्मियों की पत्नियों ने रीट की परीक्षा दी है। जहां तक मोबाइल फोन पर इंटरनेट नहीं चलने का सवाल है तो भले ही घरों, दफ्तरों या अन्य स्थानों पर लगे बीएसएनएल, एयरटेल आदि कंपनियों के ब्रॉडबैंड कनेक्शन के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध हो रही थी। ब्रॉडबैंड पर नेटबंदी नहीं थी। यही वजह रही कि प्राइवेट संस्थानों और दुकानों पर ब्रॉडबैंड की सुविधा थी, वहां ऑनलाइन पेमेंट आदि भी हुए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-09-2021)
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किसानों के भारत बंद के अंतर्गत आखिर राजस्थान बंद क्यों नहीं हुआ? बंद का समर्थन कांग्रेस ने भी किया था।


27 सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद का आव्हान किया था। किसानों के इस बंद को कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया है। इसलिए हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, यूपी आदि राज्यों में किसानों के साथ साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी सड़कों पर नजर आए। लेकिन राजस्थान में बंद का कोई असर नहीं देखा गया। पंजाब से जुड़े गंगानगर में कुछ स्थानों पर बंद रहा, तो जयपुर सहित कुछ शहरों में कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से जुलूस निकाले गए। लेकिन आमतौर पर शहरों में बंद नहीं देखा गया। सब जानते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। ऐसे में उम्मीद थी कि किसानों के साथ साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी बंद को सफल बनाएंगे। लेकिन 27 सितंबर को प्रदेशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में नहीं आए। न ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जिला कमेटियों को कोई निर्देश जारी किए गए। असल में तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू से ही राजस्थान में किसान आंदोलन जोर नहीं पकड़ रहा है। शायद यही वजह रही कि राजस्थान में भारत बंद सफल नहीं रहा। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किए, वहीं राजस्थान में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की कोई भूमिका नहीं देखी गई। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समय समय पर तीन कृषि कानूनों का विरोध किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। लेकिन 27 सितंबर को इन दोनों ही नेताओं ने बंद को सफल बनाने में कोई रुचि नहीं दिखाई।  
लोगों को परेशानी:
भारत बंद का सबसे ज्यादा असर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कुछ जिलों में देखा गया। किसानों द्वारा नेशनल हाईवे जाम कर देने से लाखों लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि एम्बुलेंस को परिवहन की छूट दी गई थी, लेकिन लंबे जाम के कारण दिल्ली की सीमाओं पर अनेक एंबुलेंस भी फंसी रहीं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-09-2021)
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डेंगू के जिन मरीजों को ब्लड में एसडीपी की जरूरत है, उन्हें भारी परेशानी हो रही है। तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे रोगी।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। रोग और मरीज की गंभीरता को समझने के लिए अजमेर का उदाहरण प्रस्तुत है।

बदले मौसम के कारण राजस्थान भर में डेंगू बुखार के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डेंगू का ज्यादा असर छोटी उम्र के बच्चों पर है। डेंगू के जिन मरीजों के ब्लड में एसडीपी यानी सिंग डोनर प्लेटलेट की कमी होती है, उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिस मशीन पर एसडीपी तैयार किए जाते हैं वह अजमेर में सिर्फ दो अस्पतालों में उपलब्ध है। पहली सरकार के जेएलएन अस्पताल तथा दूसरी पुष्कर रोड स्थित प्राइवेट विद्यापति ब्लड बैंक में। जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन ने बताया कि अस्पताल में एसडीपी और आरडीपी की चौबीस घंटे सुविधा उपलब्ध है। एसडीपी के 9 हजार 500 रुपए का शुल्क लिया जाता है। वहीं प्राइवेट विद्यापति ब्लड बैंक के प्रभारी रामस्वरूप चौधरी ने चौंकाने वाले आंकड़े बताए। एक सितंबर से पहले पिछले 6 माह में कुल 25 एसडीपी हुई, जबकि सितंबर माह में अब तक करीब 10 एसडीपी अकेले उनकी ब्लड बैंक में हो चुकी है। इससे डेंगू रोग की गंभीरता और मरीजों की बढ़ती संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। सामान्य और आर्थिक दृष्टि से कमजोर मरीज के लिए एसडीपी करवाना आसान नहीं है। जहां सरकारी अस्पताल में एक एसडीपी के लिए 9 हजार 500 रुपए शुल्क लिया जाता है, वहीं प्राइवेट अस्पतालों और ब्लड बैंकों में 15 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। एसडीपी यानी सिंगल डोनर प्लेटलेट के लिए स्वास्थ्य व्यक्ति के ब्लड की जरुरत होती है। सबसे पहले ब्लड ग्रुप मिलाया जाता है। मरीज के ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को ढूंढना भी आसान काम नहीं है। जिस मरीज को ओ नेगेटिव ब्लड वाले एसडीपी चाहिए, उसकी परेशानी सबसे ज्यादा है, क्योंकि ओ नेगेटिव ग्रुप वाला व्यक्ति बहुत मुश्किल से मिलता है। एसडीपी देने वाले व्यक्ति को कम से कम दो घंटे मशीन पर रहना पड़ता है। क्योंकि एक यूनिट ब्लड निगाल कर मशीन में डाला जाता है और मशीन प्लेटलेट निकाल कर ब्लड को संबंधित व्यक्ति को हाथों हाथ चढ़ा देती है। यही प्रक्रिया चार बार करनी होती है, तब एक यूनिट प्लेटलेट तैयार होते हैं। फिर यही प्लेटलेट डेंगू मरीज के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड में चार लाख प्लेटलेट होते हैं, जबकि न्यूनतम एक लाख पचास हजार प्लेटलेट की जरुतर होती है। ऐसे में स्वस्थ व्यक्ति अपने ब्लड से ढाई लाख प्लेटलेट निकलवा सकता है। चिकित्सक के अनुसार प्लेटलेट पहले से रखे ब्लड से नहीं निकाले जा सकते है। एसडीपी के लिए स्वस्थ व्यक्ति का होना जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि मरीज एक बार के प्लेटलेट से ही ठीक हो जाए। कई डेंगू के मरीजों  को तीन चार बार एसडीपी की जरुरत होती है। एक सामान्य मरीज के लिए हर बार स्वस्थ व्यक्ति की उपलब्धता और हार बार 15 हजार रुपए की राशि खर्च करना मुश्किल होता है। जो मरीज एसडीपी का इंतजाम नहीं कर पाता है, उसकी मृत्यु हो जाती है, क्योंकि डेंगू मरीज के प्लेटलेट में गिरावट तेजी से होती है। हम सबने देखा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोग मर गए। कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है, ऐसे में डेंगू मरीजों के एसडीपी की समस्या बहुत बड़ी है। ऐसा न हो कि मरीज के लिए स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड का इंतजाम नहीं हो और उसकी मौत हो जाए। जहां तक डेंगू मरीज के लिए आरडीपी की जरूरत है तो इसमें ब्लड से ही काम चल जाता है। लेकिन एसडीपी के लिए राज्य सरकार को गंभीरता दिखनी चाहिए। लोगों के स्वास्थ्य के प्रति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवेदनशील हैं। सीएम गहलोत को चाहिए कि डेंगू के जिन मरीजों को एसडीपी की जरूरत है। उनके लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए जाएं। इसमें स्वयं सेवी संगठनों से भी तालमेल किया जाए ताकि संबंधित ब्लड ग्रुप के व्यक्तियों का इंतजाम भी हो सके। उम्मीद है कि सीएम गहलोत डेंगू मरीजों की परेशानियों को समझेंगे। अजमेर जैसी स्थित प्रदेशभर में है।
रात को भी सेवा की भावना:
25 सितंबर को पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में भर्ती एक 15 वर्षीय बालिका को एसडीपी के लिए ओ नेगेटिव ब्लड वाले व्यक्ति की जरूरत पड़ी। चिकित्सकों का कहना रहा कि रात को ही प्लेटलेट की जरूरत है। ओ नेगेटिव ब्लड वाला दानदाता बहुत मुश्किल से मिलता है, लेकिन फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े इंद्रजीत ने कम से कम चार पांच युवाओं की उपलब्धता रात को ही करवाई। इसी प्रकार लायंस क्लब के अतुल पाठनी भी ओ नेगेटिव वाले दिनेश जैन को लेकर विद्यापति ब्लड बैंक पर आए। कहा जा सकता है कि मुसीबत के समय समाजसेवियों की कमी नहीं रहती है। यदि कोई व्यक्ति अपने साधन से आधी रात को ब्लड देने के लिए उपलब्ध है तो यह सबसे बड़ी मानव सेवा है। जरूरतमंद व्यक्ति मोबाइल नम्बर 9664389685 पर इंद्रजीत और 7728049760 पर अतुल पाटनी से संपर्क कर सकते हैं। 
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Saturday 25 September 2021

रीट की परीक्षा देने से पहले ही 6 अभ्यर्थियों की सड़क दुर्घटना में मौत। कोई भी परीक्षा जीवन से बड़ी नहीं हो सकती है। दूसरे जिले में परीक्षा केंद्र बनाने की नीति पर सरकार विचार करे।32 हजार शिक्षक पद के लिए 16 लाख रीट के परीक्षार्थी। इससे बेरोजगारी की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2018 की परीक्षा में 9 लाख अभ्यर्थी थे।अजमेर संभाग में नेटबंदी के आदेश। 26 सितंबर को किशनगढ़ बंद रहेगा।

26 सितंबर को राजस्थान के जो 16 लाख युवा शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) देने जा रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए जीवन से बड़ी कोई परीक्षा नहीं हो सकती है। यदि आपका जीवन रहेगा तो एक नहीं बल्कि अनेक परीक्षा दी जा सकती है। यह बात इसलिए लिखी जा रही है कि 25 सितंबर को जयपुर के निकट चाकसू ने एक सड़क दुर्घटना में रीट के 6 परीक्षार्थियों की मौत हो गई। यह दुर्घटना वाहन चालक की लापरवाही से हुई। यानी 6 अभ्यर्थी परीक्षा देने से पहले ही दुनिया से चले गए। रीट की परीक्षा 26 सितंबर को होनी है, बड़ी संख्या में परीक्षार्थी एक से दूसरे जिले में परिवहन करेंगे। 25 सितंबर को सुबह तो परिवहन का काम शुरू ही हुआ था। यह सिलसिला 26 सितंबर की सुबह तक जारी रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी परीक्षार्थी परीक्षा देने के बाद सकुशल अपने घर पहुंच जाए। जो अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए परिवहन कर रहे हैं, उन्हें चाकसू की दुर्घटना से सबक लेना चाहिए। जब किसी वाहन में क्षमता से अधिक यात्री बैठेंगे तो सड़क दुर्घटनाएं होंगी ही। सरकार में बैठे अधिकारियों ने नकल रोकने का तर्क देकर अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों में बनाए हैं। यदि अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्र गृह शहर में ही बनाए जाते तो लाखों युवाओं को परिवहन की जरुरत नहीं होती। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि जब कैमरों से हर परीक्षार्थी पर नजर रखी जा सकती है तब नकल का डर दिखाया जा रहा है। सीएम अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन अधिकारियों के अविवेक पूर्ण निर्णयों से प्रदेश के युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 26 सितंबर को जब 16 लाख परीक्षार्थियों की एक ही दिन में वापसी होगी, तो हालात बिगड़ सकते हैं। रीट परीक्षा कराने वाली एजेंसी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की समझ पर भी तरस आता है। एक ही दिन में इतनी बड़ी परीक्षा कराने के बजाए परीक्षा को अलग अलग दिनों में कराया जाना चाहिए था। लेकिन लगता है कि सरकार में बैठे अधिकारी अनुभवहीन ही नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी को भी नहीं समझते हैं। सवाल उठता है कि 16 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा एक ही दिन में करवाने की क्या जरूरत थी? दूसरे जिले में परीक्षा केंद्र बनवाकर सरकार ने खुद प्रदेश के युवाओं की जान जोखिम में डाली है। ऐसा नहीं रीट परीक्षा पहली बार हो रही है। वर्ष 2011 से रीट की परीक्षा हो रही है। 2016 में 8 लाख तथा 2018 में 9 लाख अभ्यर्थियों ने रीट की परीक्षा दी। तब शिक्षा बोर्ड के सचिव श्रीमती मेघना चौधरी थीं। लेकिन तब परीक्षा को लेकर इतना हाय तौबा नहीं हुई। अब तो पूरी सरकार ही परीक्षा करवाने में जुट गई है। क्योंकि इस बार यह परीक्षा तीन वर्ष बाद हो रही है, इसलिए परीक्षार्थियों की संख्या 16 लाख तक पहुंच गई। सरकार को यह बात पहले समझनी चाहिए थी कि नकल रोकने के लिए दूसरे जिले में परीक्षा केंद्र बना दिए जाने के बाद भी सरकार को भरोसा नहीं है कि परीक्षा निष्पक्ष हो जाएगी। इसलिए अब प्रदेश में जिला कलेक्टरों के माध्यम से 26 सितंबर को इंटरनेट बंद करवाया जा रहा है। अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा और टोंक के जिला कलेक्टरों के प्रस्तावों पर संभागीय आयुक्त श्रीमती वीणा प्रधान ने संभाग के चारों जिलों में नेटबंदी के आदेश जारी कर दिए है। यानी 26 सितंबर को सुबह 6 बजे से सायं 6 बजे तक मोबाइल फोनों पर फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि नहीं चलेंगे। दुकानों पर ऑनलाइन लेनदेन भी नहीं होगा। सवाल उठता है कि जब परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल ले जाने की पाबंदी है, तब नेट बंद क्यों किया गया है? असल में अब नसमझ अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं। शुरुआत दौर में किसी ने भी रीट परीक्षा को गंभीरता से नहीं लिया और अब जब आफत सिर पर आ गई है, तब आम लोगों को परेशान करने वाले निर्णय लिए जा रहे हैं। यहां तक कि बाजारों को बंद करवाया जा रहा है। प्रदेश के जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि उपखंड स्तर पर भी परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। ऐसे में प्रदेश भर में 26 सितंबर को परीक्षार्थियों की भीड़ रहेगी। सरकार ने परीक्षार्थी के साथ एक सहायक को भी रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा की छूट दे दी है। इससे यात्रियों का दबाव और बढ़ जाएगा।
32 हजार शिक्षकों के पद:
रीट परीक्षा के बाद राज्य सरकार 32 हजार पदों पर शिक्षकों की भर्ती करेगी। यानी 32 हजार पदों के लिए 16 लाख अभ्यर्थी परीक्षा दे रहे हैं। इससे सिर्फ शिक्षक वर्ग में ही बेरोजगारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकारी स्कूल में शिक्षक बनने के लिए रीट की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। इसलिए बीएसटीसी और बीएड की डिग्री लेने के बाद अभ्यर्थी रीट की परीक्षा दे रहे हैं। परीक्षा आयोजित करने वाले शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली ने दावा किया है कि परीक्षा के बाद 15 दिन में रीट का परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।
किशनगढ़ बंद:
अजमेर जिले का किशनगढ़ उपखंड 26 सितंबर को बंद रहेगा। किशनगढ़ के विधायक सुरेश टाक ने बताया कि किशनगढ़ शहर में भी पांच हजार परीक्षार्थी बाहर से आएंगे। सभी परीक्षार्थियों के आवास और भोजन की निशुल्क व्यवस्था की गई है। होटल और धर्मशालाएं परीक्षार्थियों के लिए सुरक्षित रखवाए गए हैं। परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र पर ही भोजन के पैकेट नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे। किशनगढ़ आने वाला कोई भी परीक्षार्थी मोबाइल नम्बर 9414010882 पर विधायक सुरेश टाक से संपर्क कर सकता है। 
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क्या रघु शर्मा सीएम अशोक गहलोत के दूत बनकर राहुल गांधी से मिले?सचिन पायलट से ज्यादा रघु शर्मा की मुलाकात का महत्व है। राजस्थान में कांग्रेस और सरकार में बदलाव की अटकलें तेज।

भले ही पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल के विस्तार का मामला अभी सुलझ नहीं पाया हो, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस और सरकार में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। 24 सितंबर को सीएम अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी नेता पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और राहुल गांधी की दिल्ली में मुलाकात हुई। पायलट से मुलाकात करने से पहले राहुल गांधी ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से भी अकेले से बात की। सवाल उठता है कि आखिर रघु शर्मा ने किस उद्देश्य से राहुल गांधी से मुलाकात की। राहुल गांधी से कोई नेता यूं ही नहीं मिल सकता। राहुल की सहमति होने पर ही मिला जा सकता है। रघु शर्मा इतने बड़े नेता भी नहीं है कि जब चाहे, तब राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंच जाएं। जानकार सूत्रों के अनुसार रघु की राहुल गांधी से मुलाकात तय करवाने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका रही है। गहलोत स्वास्थ्य कारणों से अभी दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए रघु शर्मा को राहुल गांधी से मिलने भेजा। पिछले एक सप्ताह में राहुल गांधी ने सचिन पायलट से दो बार मुलाकात की और 23 सितंबर को ही पायलट ने जयपुर में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात की। इन मुलाकातों ने ही सीएम गहलोत की चिंता बढ़ाई है। ऐसे में रघु की मुलाकात को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा हे। जहां तक पायलट की मुलाकात का सवाल है तो अब यह माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में संगठन और सरकार में बदलाव करेगा। भले ही गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखा जाए, लेकिन मंत्रियों का चयन आला कमान ही करेगा। यानी मंत्रियों और उनके विभागों में मुख्यमंत्री की एकतरफा नहीं चलेगी। पंजाब के बाद कांग्रेस आला कमान राजस्थान को भी बहुत गंभीरता से ले रहा है। सीएम गहलोत के पास 32 विभागों का काम होने को भी आलाकमान ने गंभीर माना है। एक तरफ कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत अस्वस्थ हैं। , लेकिन वहीं उनके पास गृह, वित्त, जैसे मंत्रालय होने के साथ साथ 32 विभागों का भी दायित्व है। सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा वाले विभाग भी पिछले एक वर्ष से गहलोत के पास ही हैं। आला कमान चाहता है कि गहलोत के पास सिर्फ मुख्यमंत्री का ही दायित्व हो। संगठन और सरकार का चलाने में सचिन पायलट की भूमिका को बढ़ाने पर आला कमान रणनीति बना रहा है। पिछले डेढ़ वर्ष से गहलोत की कांग्रेस आला कमान यानी श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से रूबरू मुलाकात नहीं हुई है। अशोक गहलोत की एंजियोप्लास्टी होने के बाद भी गांधी परिवार का कोई भी सदस्य कुशलक्षेम पूछने जयपुर नहीं आया। जबकि गहलोत को गांधी परिवार का सदस्य ही माना जाता है। अब जब दिल्ली में राहुल गांधी और सचिन पायलट की लगातार मुलाकातें हो रही हैं, तब यह देखने की बात है कि गहलोत की क्या प्रतिक्रिया आती है। सूत्रों की मानें तो पायलट और सीपी जोशी की मुलाकात से भी गहलोत खुश नहीं है। गहलोत को इस बात की भी नाराजगी बताई जाती है कि मुलाकात से पहले सीपी जोशी ने उनकी सहमति नहीं ली। यह बात अलग है कि सीपी जोशी अपने मिजाज के हैं और पहले भी सीपी जोशी और गहलोत में विवाद रह चुका है। 
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अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के सभी केंद्रों पर रीट परीक्षार्थियों को विधायक वासुदेव देवनानी निशुल्क भोजन उपलब्ध करवाएंगे।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में 60 हजार परीक्षार्थियों को उत्कर्ष क्लासेज के संस्थापक निर्मल गहलोत मिठाई युक्त भोजन उपलब्ध करवाएंगे।अजमेर से निकला आईडिया अब पूरे प्रदेश में फैला।

अजमेर स्थित राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के उपनिदेश राजेंद्र गुप्ता चाहते थे कि रीट परीक्षा के कुछ अभ्यर्थियों को 26 सितंबर को इंदिरा रसोई के माध्यम से नि:शुल्क भोजन उपलब्ध जो जाए। इसके लिए गुप्ता 11 हजार रुपए की राशि भी दे रहे थे। गुप्ता का मानना रहा कि 26 सितंबर को प्रदेशभर में 10 लाख विद्यार्थी अपने परीक्षा केंद्र पर दिनभर रहेंगे। 16 लाख में से 10 लाख परीक्षार्थी रीट के दोनों लेवल की परीक्षा दे रहे हैं। गुप्ता के इस आईडिए को लेकर 21 सितंबर को मैंने एक ब्लॉग भी लिखा था। गुप्ता के आईडीयो पर ही अजमेर में पार्षद ज्ञान सारस्वत और रमेश सोनी ने कोई दो हजार परीक्षार्थियों को नि:शुल्क भोजन करवाने का बीड़ा भी उठाया। लेकिन यह आईडिया प्रदेशभर में तेजी से फैल गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी समाजसेवियों से अपील की कि वे रीट परीक्षार्थियों के लिए आवास, भोजन आदि की निशुल्क व्यवस्था कराए। इसमें कोई दो राय नहीं कि अब प्रदेश भर में अनेक संगठन सामने आए हैं, जो 26 सितंबर को परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करवाएंगे। इसी क्रम में अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भी अपने विधानसभा क्षेत्र के सभी 62 परीक्षा केंद्रों के 21 हजार परीक्षार्थियों के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की है। देवनानी ने बताया कि प्रत्येक परीक्षा केंद्र के बाहर उनके कार्यकर्ता उपलब्ध रहेंगे जो दोपहर को परीक्षार्थियों को भोजन के पैकेट देंगे। इस पैकेट में आठ पूड़ी, आलू की सब्जी, मसाले वाली मिर्ची तथा अचार होगा। इस संबंध में उत्तर क्षेत्र के भाजपा पार्षदों और मंडल अध्यक्षों की एक बैठक भी की गई है। देवनानी ने बताया कि भाजपा के कार्यकर्ता इन दिनों पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष में सेवा-समर्पण अभियान चला रहे हैं। रीट परीक्षार्थियों को भोजन उपलब्ध करवाने का काम भी सेवा का ही है। इसलिए इसे सेवा समर्पण अभियान से भी जोड़ दिया गया है। 21 हजार अभ्यर्थियों को भोजन उपलब्ध करवाने पर करीब पांच लाख रुपए की राशि खर्च होगी।
जोधपुर में बंटे 60 हजार पैकेट:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में उत्कर्ष क्लासेज के संस्थापक निर्मल गहलोत की ओर से 60 हजार रीट परीक्षार्थियों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस पैकेट में पूड़ी, सब्जी, अचार और पानी की बोतल के साथ साथ मिठाई भी होगी। गहलोत ने बताया कि भोजन के पैकेट उनके द्वारा उपलब्ध करवाए जाएंगे, लेकिन परीक्षार्थियों तक पहुंचाने का काम जोधपुर के दोनों नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी करेंगे। भोजन के पैकेट अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र के बाहर ही उपलब्ध होंगे। 
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अमरीका के तीन राष्ट्रपतियों से एक समान तालमेल। क्या यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी उपलब्धि नहीं है?

24 सितंबर को वाशिंगटन में अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गर्मजोशी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। दोनों नेता जिस अंदाज में मिले उससे प्रतीत हो रहा था कि पुराने मित्र हैं। बातचीत का अंदाजा भी यार-दोस्तों जैसा था। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति बाइडेन ने मोदी से कहा, मैं भारतीय मूल की लड़की से विवाह करना चाहता था, लेकिन अफसोस कि नहीं कर सका। बाइडेन का यह संवाद बताता है कि वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कितना सम्मान करते हैं। ऐसा संवाद एक दोस्त से ही किया जा सकता है। मोदी 2014 में जब भारत के प्रधानमंत्री बने तब डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा अमरीका के राष्ट्रपति थे। हमने देखा कि ओबामा से भी मोदी के कितने अच्छे रिश्ते थे। ओबामा भले ही शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति थे, लेकिन उम्र में मोदी से छोटे थे, इसलिए मोदी उन्हें बराक ही कहते थे। हमने बराक और मोदी के बाग बगीचे में टहलते हुए वीडियो भी देखे। बराक ओबामा के स्थान पर जब रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप अमरीका के राष्ट्रपति बने तब यह आशंका जताई गई कि भारत के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहेेंगे। ओबामा और ट्रंप अलग राजनीतिक दल के थे। लेकिन सबने देखा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भी नरेंद्र मोदी से दोस्ती निभाई। पिछले दिनों जब अमरीका में चुनाव हुए तो मोदी ने अप्रत्यक्ष तौर पर ट्रंप का समर्थन भी किया। मोदी ने ट्रंप को भारत बुलाकर प्रचार भी करवाया, ताकि अमरीका में रह रहे भारतीय मूल के लोग ट्रंप को वोट दें। लेकिन ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा। ट्रंप अपनी घरेलू परेशानियों की वजह से हारे, लेकिन तब भी कहा गया कि जो बाइडेन से मित्रता करने में मोदी को परेशानी होगी। जो बाइडेन को भी पता था कि चुनाव में नरेंद्र मोदी का झुकाव रिपब्लिकन पार्टी के ट्रंप के प्रति रहा, लेकिन 24 सितंबर को जो बाइडेन ने ही मोदी का जबरदस्त स्वागत किया। मोदी पिछले सात वर्ष से भारत के प्रधानमंत्री हैं और इन सात वर्षों में जो बाइडेन अमरीका के तीसरे राष्ट्रपति बने हैं। मोदी ने तीनों राष्ट्रपतियों से बेहतर तालमेल रखा है। तीनों राष्ट्रपतियों ने भारत के महत्व को माना है। क्या यह नरेंद्र मोदी की बड़ी उपलब्धि नहीं है? अंतरराष्ट्रीय मंच पर जब इतनी खींचतान चल रही हो, तब अमरीका के तीन तीन राष्ट्रपतियों से एक समान तालमेल होना भारत की सफल कूटनीति भी है। इसे मोदी की कूटनीति ही कहा जाएगा कि आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को दुनिया में एक्सपोज किया है। भारत ने ही अमरीका को वो सबूत दिए, जिससे यह उजागर हुआ कि अमरीका की सहायता को पाकिस्तान आतंकियों खासकर अफगानिस्तान में तालिबानियों को पहुंचा रहा है। आज अमरीका के सामने पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी तरह एक्सपोज हो चुके हैं। अब पाकिस्तान को अमरीका से कोई मदद नहीं मिलने वाली है। अमरीका का राष्ट्रपति कोई भी हो उसे यह पता है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों को शरण मिलती है, जबकि भारत में आतंकवादियों को गोली मार दी जाती है। भारत आतंक और आतंकवादियों से हर संभव मुकाबला कर रहा है। यह भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है कि यहां 23 करोड़ से भी ज्यादा मुसलमान रह रहे हैं। यहां की सरकार मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं करती है। अफगानिस्तान के संकट के समय भी अफगानी नागरिक खास कर महिलाएं भारत ही आना चाहती थी। बड़ी संख्या में अफगानी भारत आए भी। अफगानिस्तान से मुसलमानों से पूछा जा सकता है कि भारत में कितना सुकून है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-09-2021)
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साहित्य और सांस्कृतिक अकादमियों की दुर्दशा पर आधारित है साहित्यकार भगवान अटलानी का उपन्यास- कामनाओं का कुहासा।उपन्यास को http://pustakbazaar.com/books/view/44 पर क्लिक कर ऑनलाइन पढ़ा जा सकता है।

अव्वल तो सरकारें साहित्य सांस्कृतिक आदि से जुड़ी अकादमियों पर अध्यक्षों की नियुक्तियां नहीं करती हैं, लेकिन जब कभी अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाती है तो सरकार की राजनीतिक विचारधारा और अध्यक्ष की साहित्यिक विचारों में टकराव हो जाता है। राजनीतिक दल का प्रयास होता है ऐसी अकादमियों में भी उन्हीं की विचारधारा के अनुरूप काम हो। ऐसे में जिस उद्देश्य से अकादमी बनी वह पूरा नहीं हो पाता है। साहित्य और सांस्कृतिक विचारधारा पर राजनीतिक विचारधारा हावी हो जाती है। ऐसी कुंठाओं को राजस्थान के प्रमुख साहित्यकार भगवान अटलानी ने अपने उपन्यास, 'कामनाओं का कुहासा में विस्तार से लिखा है। इस उपन्यास को http://pustakbazaar.com/books/view/44 पर क्लिक कर ऑनलाइन ही पढ़ा जा सकता है। करीब 600 पृष्ठ का यह उपन्यास ईबुक तकनीक से उपलब्ध है। उपन्यास के लेखक भगवान अटलानी राजस्थान सिंधी अकादमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके साथ ही केंद्रीय साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ पुरस्कार कमेटी की स्थापित राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद एवं अन्य शैक्षणिक, साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं। अटलानी को कई अकादेमियों के सर्वोच्च पुरस्कार भी मिले हैं। कामनाओं का कुहासा अटलानी की प्रकाशित 35वीं पुस्तक है। इस उपन्यास का धारावाहिक प्रकाशन साप्ताहिक राष्ट्रदूत में भी प्रकाशित हो रहा है। उपन्यास अकादमियों में सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक पाखंड की पोल खोलता है। नैतिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले लेखक को राजनीति अपने ढंग से चलाना चाहती है। इसलिए समुदाय में मकबूलियत के बावजूद सत्ताधारियों से टकराहट होती है। सृजन को संगठन पर तरजीह देते हुए लेखकों के प्रचंड दबाव को दरकिनार करके कार्यकाल के अंतिम में दौर में वे वापस पद स्वीकार न करने का फैसला करते हैं। भगवान अटलानी ने बताया कि कामनाओं का कुहासा ईबुक का प्रकाशित कनाडा की संस्था pustakbazaar.com ने किया है। उपन्यास के लेखन पर मोबाइल नंबर 9828400325 पर भगवान अटलानी की हौसला अफजाई की जा सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2021)
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100 करोड़ रुपए की उगाही करने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की आखिर रीट परीक्षा में क्या भूमिका है?परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र, ओएमआर शीट आदि पहुंचाने तक का कार्य ठेके पर है। गड़बडिय़ों की आशंका के मद्देनजर खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने परीक्षा की कमान संभाली।इंटरनेट बंद होने से लोगों को परेशानी होगी।

24 सितंबर को दैनिक समाचार पत्रों में छपा कि 23 सितंबर को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली ने बोर्ड के अजमेर मुख्यालय से रीट परीक्षा की सामग्री रवाना की। सवाल उठता है कि आखिर बोर्ड ने परीक्षा की कौन सी सामग्री रवाना की? रीट परीक्षा की जिम्मेदारी बोर्ड के पास ही है। बोर्ड को अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क के नाम पर 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई हुई है। बोर्ड रीट परीक्षा को लेकर भले ही वाहवाही लूटे, लेकिन परीक्षा का अधिकांश काम ठेके पर दे रखा है। परीक्षा आवेदन से लेकर प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट छपवाने तथा फिर प्रदेश के चार हजार परीक्षा केंद्रों पर भेजने तक का कार्य ठेके पर है। संबंधित ठेकेदार ने प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट छापकर जिला मुख्यालयों पर भिजवा भी दिए हैं। ऐसे में बोर्ड अध्यक्ष जारोली ने कौन सी परीक्षा सामग्री रवाना की? बोर्ड ने परीक्षा सामग्री रवाना करने का सिर्फ दिखावा किया। जानकारों की माने तो बोर्ड ने सिर्फ उपस्थिति प्रपत्र रवाना किए हैं। लेकिन वाहवाही ऐसी लूटी जा रही है जैसे लगे कि बोर्ड बहुत काम कर रहा है। बोर्ड अध्यक्ष ने हाल ही में दावा किया कि वे परीक्षा के 15वें दिन रीट का परिणाम घोषित कर देंगे। इसमें बोर्ड अध्यक्ष की कोई काबिलियत नहीं है, क्योंकि परीक्षा की ओएमआर शीट सुपर कम्प्यूटर पर जांची जाएगी। 26 लाख ओएमआर शीट मुश्किल से एक सप्ताह में कंप्यूटर पर जांची जाएगी। यह सुपर कम्प्यूटर भी ठेकेदार ने बोर्ड में लगाए हैं। परीक्षा आवेदन से लेकर ओएमआर शीट जांचने तक का कार्य ठेकेदार पर है। रीट परीक्षा का सरा काम ठेके पर देने के बाद भी परीक्षा में गड़बउिय़ां होने की आशंका है, इसलिए परीक्षा की कमान खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल ली है। 26 सितंबर को होने वाली रीट परीक्षा के लिए गहलोत पिछले दो दिनों से प्रतिदिन आला अधिकारियों की बैठक कर रहे हैं। गहलोत ने साफ कहा कि रीट परीक्षा में कोई गड़बड़ी होने पर संबंधित जिले के कलेक्टर और एसपी को जिम्मेदार माना जाएगा। हालांकि परीक्षा का आयोजन शिक्षा बोर्ड कर रहा है, लेकिन इसे गहलोत ने अपनी सरकार की प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। चूंकि 16 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा एक ही दिन हो रही है, इसलिए प्रदेशभर में अफरा तफरी मची हुई है। सवाल  यह भी है कि रीट परीक्षा को एक ही दिन में क्यों करवाया जा रहा है? जब अभ्यर्थी परीक्षा के लिए दूसरे जिले में भेजा जा रहा है तो यह परीक्षा तीन चार दिन में भी करवाई जा सकती थी। एक तरफ संचार क्रांति और कम्प्यूटर की नई तकनीक का दावा किया जाता है तो दूसरी तरफ 16 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा पुराने ढर्रे पर ही करवाई जाती है।
नेट बंद होने से परेशानी:
हालांकि सरकार ने अभी प्रदेशभर में 26 सितंबर को इंटरनेट बंद करने की घोषणा नहीं की है, लेकिन जिला स्तर पर प्रशासन ने नेटबंदी के आदेश जारी किए हैं। यदि प्रदेशभर में नेटबंदी होती है तो इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इंटरनेट बंद होने से सरकारी विभागों कामकाज ठप हो जाता है। हालांकि 26 सितंबर को रविवार के अवकाश की वजह से कार्यालय बंद रहेंगे, लेकिन दुकानों पर भी ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए नेट की जरूरत होती है। लोग मोबाइल के माध्यम से भी अपना काम करते हैं। इंटरनेट अब सामान्य व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गया है। सरकार जब नकल रोकने के व्यापक प्रबंध कर रही है तब प्रदेशभर में नेटबंद नहीं किया जाना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2021)
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अशोक गहलोत से पहले सीपी जोशी कर सकते हैं राहुल गांधी से मुलाकात।सीपी जोशी से मुलाकात वाला फोटो सचिन पायलट द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट करना भी बहुत मायने रखता है।

पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले मंत्रियों के नामों पर 23 सितंबर की रात को राहुल गांधी ने स्वयं मंथन किया। रात 10 बजे से दो बजे तक चली, इस बैठक में राहुल के साथ चन्नी, प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी थे। राहुल गांधी अभी भले ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन रहे हों, लेकिन संगठन में वे सबसे ताकतवर नेता है। कांग्रेस शासित राज्य के मंत्रियों के चयन में भूमिका से राहुल गांधी की सक्रियता और व्यस्तता का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान में भी अशोक गहलोत  के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी चाहते हैं कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थकों को संगठन एवं सरकार में समायोजित किया जाए। राहुल गांधी को पता है कि अशोक गहलोत अपने बूते पर सरकार चलाने में समर्थ है, लेकिन राहुल गांधी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की जीत चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन के माध्यम से गहलोत के सामने सुझाव रखे हैं, लेकिन सुझावों पर लगातार विलंब हो रहा है। ऐसे माहौल में ही 23 सितंबर को पायलट ने जयपुर में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात की है। सब जानते हैं कि जोशी सीएम अशोक गहलोत के साथ ही है और जोशी ने ही गहलोत के पुत्र को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया है। जोशी की छवि बोल्ड राजनेताओं की रही है। सीपी जोशी चाहते तो पायलट से मुलाकात की खबर को गुप्त भी रख सकते थे, लेकिन मुलाकात को सार्वजनिक करने को सीएम अशोक गहलोत किस नजरिए से देखते हैं। हालांकि 26 अगस्त को एंजियोप्लास्टी के बाद सीएम गहलोत अब पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गए हैं। भले ही सीएमआर से बाहर नहीं निकले हों, लेकिन सीएमआर मंत्री परिषद और अन्य सरकारी बैठकें कर रहे हैं। लोगों से मिलना जुलना भी शुरू कर दिया है। अब सीएम गहलोत भी दिल्ली जाने की स्थिति में है।
मंत्रियों से खफा हुए थे जोशी:
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान गहलोत सरकार के तीन मंत्रियों से सीपी जोशी बेहद खफा हुए। जोशी ने नाराज होकर विधानसभा को भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। लेकिन बाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आग्रह पर जोशी ने दोबारा से सत्र की शुरुआत की। जोशी ने जिन मंत्रियों पर नाराजगी जताई उनमें शांति धारीवाल, गोविंद सिंह डोटासरा और प्रताप सिंह खाचरियावास शामिल थे। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2021)
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Thursday 23 September 2021

ईश्वर से प्रार्थना है कि राजस्थान के लोगों का प्यार और आशीर्वाद इसी तरह बना रहे सचिन पायलट।जगदीश चंद्रा : चेहरे से ही है मीडिया संस्थान की पहचान।

ब्लॉग लिखने की ऐसी जिद है कि मेरा अजमेर से बाहर निकलना कठिन होता है। जब कभी बाहर जाना पड़ता है तो उस दिन लाखों पाठकों तक ब्लॉग नहीं पहुंच पाते हैं। 22 सितंबर को मुझे जयपुर जाना पड़ा। दिन भर के प्रवास में मेरी मुलाकात राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट और मीडिया संस्थान की पहचान माने जाने वाले फर्स्ट इंडिया मीडिया समूह के सीईओ जगदीश चंद्रा से हुई। पहले बात सचिन पायलट की। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि जनवरी 2018 में जब में सचिन पायलट से अजमेर के लोकसभा के उपचुनाव के समय अजमेर में हरिभाऊ उपाध्याय नगर स्थित दीपक हासानी के निवास पर मिलने गया था, तब अजमेर देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह घर के बाहर मुख्य कार्यकर्ता की भूमिका में थे और 22 सितंबर को भी सचिन पायलट के जयपुर स्थित सिविल लाइन वाले सरकारी आवास पर मेरी मुलाकात भूपेंद्र सिंह से हुई। उस समय भूपेंद्र सिंह उपचुनाव के कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा के साथ मौजूद थे और पायलट के बाहर निकलने का इंतजार कर रहे थे। उस समय पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और कांग्रेस में पायलट का एक छत्र राज था। पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक मुझे इंटरव्यू के लिए तत्काल बुलाया गया। तब जनवरी 2018 में मैंने पायलट के इंटरव्यू पर लगातार दो ब्लॉग लिखे। 22 सितंबर को पायलट के जयपुर स्थित आवास पर मिलने वालों की जबरदस्त भीड़ थी। प्रदेशभर से आए कांग्रेस के कार्यकर्ता गुलदस्ते और मालाएं लेकर लॉन में इंतजार कर रहे थे। आमतौर पर पायलट सभी से लोन में ही मिलते हैं, लेकिन कुछ लोगों से अपने कक्ष में भी मुलाकात करते हैं। अजमेर देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वे पिछले दिनों कैंसर से पीड़ित थे, तब पायलट ने किस प्रकार मदद की। पायलट की वजह से ही वे देहात कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बने और आज भी सचिन पायलट का आशीर्वाद उन पर बना हुआ है। विशेष कक्ष में मैं और भूपेंद्र सिंह बातचीत कर ही रहे थे कि सचिन पायलट के सब कुछ निरंजन सिंह का बुलावा आ गया। पायलट से मुलाकात का जिक्र करूं, इससे पहले पाठकों को निरंजन सिंह के बारे में बताना जरूरी है। पायलट के राजनीतिक जीवन में भले ही कितने भी उतार चढ़ाव आए, लेकिन निरंजन सिंह की वफादारी हमेशा पायलट के साथ बनी रही। पायलट जब केंद्र में मंत्री थे, तब भी और जब राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और प्रदेश के डिप्टी सीएम बने तब भी निरंजन सिंह साये की तरह पायलट के साथ रहे। निरंजन सिंह, पायलट के सुरक्षा कवच से लेकर फीडबैक देने तक की भूमिका निभाते हैं। निरंजन सिंह की वफादारी पायलट के किसी पद से नहीं है, बल्कि सिर्फ सचिन पायलट के प्रति है। पायलट भी निरंजन सिंह को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। मैंने देखा कि लोगों से मुलाकात के साथ साथ पायलट ढेरो पत्रों पर हस्ताक्षर कर रहे थे। पायलट ने बताया कि उन्हें जो परिवेदनाएं प्राप्त होती है उनके समाधान के लिए संबंधित विभागों को पत्र लिखा जाता है। जरुरत होने पर वे संबंधित अधिकारियों को फोन भी करते हैं। चूंकि वे एक जनसेवक है, इसलिए अपनी जिम्मेदारी को निभाते हैं। पायलट ने कहा कि राजस्थान की जनता ने मुझे असीम प्यार और आशीर्वाद दिया है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसा प्यार और आशीर्वाद हमेशा बना रहे। वे जब भी जयपुर होते हैं तो जनसुनवाई करते हैं। कोई 15 मिनट की बातचीत में पायलट ने मुझे भी शुभकामनाएं दी और कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में आपने सोशल मीडिया का अच्छा और प्रभावी उपयोग किया है। यही वजह है कि आज आपके ब्लॉग राजस्थान में ही नहीं बल्कि हिन्दी भाषी सभी राज्यों में पढ़े जाते हैं। पायलट ने इस अंदाज में बातचीत की उससे साफ प्रतीत होता था कि उनके हौंसले बुलंद हैं और वे किसी भी चुनौती से मुकाबला करने को तैयार हैं।
मीडिया की पहचान ही चेहरा है:
आमतौर पर किसी मीडिया कर्मी की पहचान उसके संस्थान से होती है। लेकिन जगदीश चंद्रा एक ऐसा चेहरा है जिसकी वजह से मीडिया संस्थान की पहचान होती है। 22 सितंबर को जयपुर प्रवास में मुझे जगदीश चंद्रा से भी मुलाकात करने का अवसर मिला। व्यस्तता के बावजूद भी चंद्रा ने मुझ से पूरी आत्मीयता के साथ बातचीत की। आज मीडिया के क्षेत्र में जगदीश चंद्रा किसी पहचान के मोहताज नहीं है। फर्स्ट इंडिया न्यूज चैनल संपूर्ण राजस्थान में सर्वाधिक लोकप्रिय चैनल बनता जा रहा है। कई विषयों में तो फर्स्ट इंडिया राष्ट्रीय चैनलों से भी आगे नजर आता है। फर्स्ट इंडिया चैनल की ऐसी लोकप्रियता तभी हुई, जब जगदीश चंद्रा ने बागडोर संभाली। इससे पहले ईटीवी, न्यूज 18 तािा जी न्यूज में भी चंद्रा की सकारात्मक भूमिका रही। मौजूदा समय में चैनल के साथ साथ अंग्रेजी भाषा का फर्स्ट इंडिया दैनिक समाचार पत्र भी दिल्ली, अहमदाबाद, लखनऊ और जयपुर से एक साथ प्रकाशित हो रहा है। कोरोना काल में जब बड़े बड़े मीडिया घरानों ने कर्मचारियों की छंटनी और खर्च कम किए है, तब जगदीश चंद्रा ने चैनलों और अखबार का विस्तार किया है। जिस प्रकार राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी देश के ज्वलंत मुद्दों पर अग्रलेख लिखते हैं, उसी प्रकाश जगदीश चंद्रा भी फर्स्ट इंडिया चैनल पर जेसी शो का प्रसारण करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में यह शो लगातार लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन जगदीश चंद्रा ज्वलंत मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी करते हैं। जेसी शो का स्टाइल ही निराला है। पांच छह एंकर अलग अलग मुद्दों पर सवाल पूछते हैं और जगदीश चंद्रा बड़ी बेबाकी से जवाब देते हैं। मुलाकात  में देश और प्रदेश की राजनीति यह पर भी विचारों का आदान प्रदान हुआ। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-09-2021)
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सस्ते एलईडी बल्ब से निकलने वाली रोशनी आंखों को खराब करती है। आम उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त एलईडी बल्ब उपलब्ध करवाने के लिए फिलिप्स कंपनी का विशेष अभियान।

इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में अव्वल माने जाने वाली फिलिप्स कंपनी के राजस्थान विक्रय अधिकारी अमित शर्मा ने कहा कि बाजार में सस्ती दर पर एलईडी बल्ब उपलब्ध होते हैं जो आंखों के लिए हानिकारक होते हैं। ऐसे बल्बों से निकलने वाली रोशनी भी सेहत बिगाडऩे वाली होती है। सस्ती दर के एलईडी बल्बों से विद्युत खर्च भी ज्यादा होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे बल्बों की कोई गारंटी नहीं होती है। सब जानते हैं कि एलईडी बल्ब को लगाने से घरों का विद्युत खर्च भी कम हो रहा है। 21 सितंबर को जोधपुर की होटल श्री राम एक्सीलेंस में फिलिप्स कंपनी के क्षेत्रीय स्टॉकिस्टों की एक मीट को संबोधित करते हुए अमित शर्मा ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ माल बेचना नहीं है, बल्कि उपभोक्ताओं खास कर ग्रामीण लोगों को एलईडी बल्ब के प्रति जागरूक करना भी है। महंगी बिजली को देखते हुए सरकार भी चाहती है कि उपभोक्ता अपने घरों में एलईडी बल्ब ही लगाएं। एलईडी बल्ब कम वाट में ज्यादा रोशनी देते हैं। सरकार भी अब स्ट्रीट लाइटों में एलईडी तकनीक का ही उपयोग कर रही है। उपभोक्ताओं को इस बात के लिए जागरूक किया जाना चाहिए कि सस्ते एलईडी बल्ब नहीं खरीदें जाए। फिलिप्स कंपनी ने एलईडी बल्ब के प्रति जागरुकता को बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाया है। इसमें स्टाकिटों को स्कीम देकर अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक एलईडी बल्ब उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। फिलिप्स के एलईडी बल्ब न केवल गुणवत्ता के मापदंड पर खरे हैं बल्कि बल्ब के डिब्बे पर सुरक्षा के जो मानक लिखे हैं, वहीं बल्ब में भी है। सबसे अच्छी बात यह है कि फिलिप्स के बल्ब पुराने होल्डर में सुगमता के साथ लग जाते हैं। छत की दीवार भी आसानी से चिपक जाते हैं। फिलिप्स इंडिया के संदीप चक्रवर्ती, संजय कालरा, नीरज अग्रवाल आदि अधिकारियों ने भी उपभोक्ताओं को जागरूक करने पर जोर दिया। फिलिप्स कंपनी की सुपर स्टॉकिस्ट मैसर्स मनोज एजेंसी के निदेशक राहुल अग्रवाल और जीतेंद्र सोनी ने कंपनी के अधिकारियां का आभार प्रकट करते हुए स्टॉकिस्टों को भरोसा दिलाया कि उनकी हर समस्या का समाधान किया जाएगा। इस अवसर पर कंपनी की ग्रामीण क्षेत्र की उपयोगी स्कीम के बारे में भी बताया गया। उपभोक्ता जागरूकता के संबंधित और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9468902887 पर राहुल अग्रवाल और 9829821221 पर जितेंद्र सोनी से ली जा सकती है। 
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अशोक गहलोत अपना राजस्थान संभाले। वेणुगोपाल, हरीश रावत, अजय माकन, सुरजेवाला जैसे सलाहकार कांग्रेस नेतृत्व को गुमराह कर रहे हैं।इस्तीफा देने की बात कहने से पहले सोनिया गांधी ने कहा-अमरिंदर, आई एम वेरी सोरी।पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को जोकर बताया।

पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना प्रदेश संभालना चाहिए। गहलोत आज पंजाब की राजनीति पर कुछ भी टिप्पणी करें, लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव के समय टिकट कमेटी के अध्यक्ष गहलोत ही थे। गहलोत ने जो उम्मीदवार तय किए उसी की वजह से कांग्रेस को अस्सी सीटें मिली। गहलोत अच्छे इंसान है, लेकिन उन्हें अपना प्रदेश संभालना चाहिए। कैप्टन ने गहलोत पर यह टिप्पणी एक न्यूज चैनल की संवाददाता के सवाल पर की। संवाददाता ने गहलोत द्वारा दी गई सलाह पर कैप्टन से जवाब मांगा था। उल्लेखनीय है कि गहलोत ने कहा था कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो। कैप्टन ने कहा कि मैं उन मुख्यमंत्रियों में से नहीं हूं जो अपने समर्थक विधायकों को बसों में भरकर इधर उधर छिपाते हैं। मुझे इस बात का दुख है कि मुझे अपमानित कर मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया। मैंने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष इस्तीफे की पेशकश कर दी थी, लेकिन तब सोनिया गांधी ने मना कर दिया। यही वजह रही कि 17 सितंबर को इस्तीफे की बात कहने से पहले सोनिया गांधी ने कहा, अमरिंदर आई एम वेरी सोरी। कैप्टन ने कहा कि मैं सोनिया गांधी की मजबूरी को समझता हंू। केसी वेणुगोपाल, हरीश रावत, अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे सलाहकार कांग्रेस नेतृत्व को गुमराह कर रहे हैं। मैं संपूर्ण भारत में किसी राज्य का पहला मुख्यमंत्री हूं, जिसने चुनाव के 80 फीसदी वादे पूरे किए हैं। लेकिन इसके बाद भी उन पर अविश्वास किया गया। जो नवजोत सिंह सिद्धू चार वर्ष पहले तक भाजपा का सांसद था, आज उसी सिद्धू की बात को कांग्रेस में महत्व दिया जा रहा है। सिद्धू की पंजाब में कोई लोकप्रियता और गंभीरता नहीं है। क्योंकि वह जोकर की तरह मजाक करता है, इसलिए सभाओं में भीड़ एकत्रित हो जाती है। सिद्धू तो पंजाब की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बाजवा के साथ सिद्धू के जैसे मित्रतापूर्ण संबंध है, उनमें सिद्धू को कैसे मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है? पंजाब सीमावर्ती राज्य है, यदि सिद्धू मुख्यमंत्री बनते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो जाएगा। सिद्धू को रोकने के लिए वे किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार है। कैप्टन ने कहा कि पाकिस्तान से लगातार हथियार आ रहे हैं, इनमें टिफिन बम भी शामिल हैं। यानी पाकिस्तान में बैठे आतंकी पंजाब की स्कूलों में भी विस्फोट करने की योजना बना रहे हैं। कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार से सहयोग लेने को लेकर भी मुझ पर आरोप लगाए गए। मैं जानना चाहता हूं कि क्या किसी राज्य का मुख्यमंत्री केंद्र के सहयोग के बगैर सरकार चला सकता है? पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी सरकार चलाने के लिए केंद्र की मदद लेनी पड़ेगी। चन्नी को भी दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री आदि से मिलना पड़ेगा। कैप्टन ने माना कि जिस तरह उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया, उससे जाहिर है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने अभी राजनीतिक अनुभव की कमी है। कैप्टन ने कहा कि अभी उन्होंने अपनी रणनीति नहीं बनाई है, वे अपने साथियों से विचार विमर्श करने के बाद निर्णय लेंगे कि कांग्रेस में रहना है या फिर अलग पार्टी बनानी है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-09-2021)
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Tuesday 21 September 2021

अजमेर में रीट परीक्षार्थियों को भोजन के पैकेट नि:शुल्क मिलेंगे।पार्षद ज्ञान सारस्वत, रमेश सोनी, समाजसेवी विकास लालवानी तथा राजेन्द्र गुप्ता की इस पहल का अनुसरण राजस्थान भर में किया जा सकता है।इदारा-ए-दावतुल हक संस्था भी रीट परीक्षार्थियों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करवाएगी।


राजस्थान में 26 सितंबर को होने वाली राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) में 16 लाख अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। इनमें से दस लाख अभ्यर्थी ऐसे हैं जो संबंधित परीक्षा केंद्र पर प्रथम और द्वितीय लेवल दोनों की परीक्षा देंगे। ऐसे में प्रदेशभर में दस लाख से भी ज्यादा अभ्यर्थी प्रात: 9 बजे से सायं 6 बजे तक अपने परीक्षा केंद्र पर रहेंगे। स्वाभाविक है कि दस लाख अभ्यर्थियों को 26 सितंबर को परीक्षा केंद्र के आसपास ही भोजन की व्यवस्था करनी होगी, ऐसी स्थिति अजमेर में भी उत्पन्न होगी। परीक्षार्थियों की परेशानी को देखते हुए अजमेर नगर निगम के पार्षद ज्ञान सारस्वत, रमेश सोनी, समाजसेवी विकास लालवानी व राजेन्द्र गुप्ता ने एक सकारात्मक पहल की है। अजमेर शहर के पुष्कर रोड, फॉयसागर रोड, वैशाली नगर क्षेत्र स्थित सभी परीक्षा केंद्रों पर 26 सितंबर को रीट परीक्षार्थियों को भोजन के पैकेट नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे। पार्षद सारस्वत और सोनी ने बताया कि 26 सितंबर को सुबह ही हलवाई बैठाकर पूडी, सब्जी-मिची के पैकेट तैयार करवाए जाएंगे और दोपहर को संबंधित क्षेत्रों के परीक्षा केंद्रों पर भिजवाएं जाएंगे। भोजन के पैकेट का परीक्षार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। भोजन का खर्च कुछ मित्र वहन करेंगे। इस सकारात्मक पहल को और सफल बनाने के लिए मोबाइल नंबर 8058796562 पर ज्ञान सारस्वत, 9660368449 पर रमेश सोनी तथा 9829007144 पर विकास लालवानी से संपर्क किया जा सकता है।
राजेंद्र गुप्ता का आइडिया:
कुछ रीट परीक्षार्थियों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करवाने का आइडिया राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के उपनिदेशक राजेंद्र गुप्ता का है। गुप्ता चाहते थे कि राज्य सरकार द्वारा संचालित इंदिरा रसोई के माध्यम से परीक्षार्थियों को दोपहर का भोजन उपलब्ध करवाया जाए। मैंने यह आइडिया पार्षद ज्ञान सारस्वत को दिया, क्योंकि सारस्वत ही समाजसेवा के ऐसे कार्यों में हमेशा सक्रिय रहते हैं। लेकिन इंदिरा रसोई के भोजन में पात्र व्यक्ति की फोटो आदि के झंझट को देखते हुए यह व्यवस्था संभव नहीं लगी। लेकिन ज्ञान सारस्वत और पार्षद रमेश सोनी ने स्वीकार किया और अब दस हजार परीक्षार्थियों को भोजन के पैकेट नि:शुल्क उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जा रही है। अजमेर की इस पहल का प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी अनुसरण किया जा सकता है। 26 सितंबर को दस लाख परीक्षार्थियों के साथ उनके परिजन भी होंगे। अभ्यर्थियों को अपने गृह जिले से निकल कर दूसरे जिले में परीक्षा देने जाना है। परीक्षार्थियों की मदद के लिए ही राज्य सरकार ने 20 से 30 सितंबर तक रोडवेज की बस में परीक्षार्थियों को नि:शुल्क यात्रा की सुविधा उपलब्ध करवाई है। यह माना कि रीट के अनेक परीक्षार्थी आर्थिक दृष्टि से संपन्न होंगे, लेकिन ऐसे बहुत से अभ्यर्थी होंगे जिन्हें दूसरे जिले में जाकर परीक्षा देने और फिर भोजन आदि की व्यवस्था करने में परेशानी है। ऐसे परीक्षार्थियों के लिए दोपहर का भोजन परीक्षा केंद्र पर ही उपलब्ध करवाना समाजसेवा का काम है।
इदारा-ए-दावतुल हक भी भोजन नि:शुल्क करवाएगी:
इदारा-ए-दावतुल  हक के प्रमुख मौलाना मोहम्मद अयूब कासमी और संस्था से जुड़े एडवोकेट फैय्याज उल्ला ने बताया कि 26 सितंबर को गेगल थाना अंतर्गत ऊंटड़ा गांव स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय तथा आदर्श नगर थाना अंतर्गत बडग़ांव स्थित संस्था के मदरसे के परिसर में रीट परीक्षार्थियों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। इन दोनों स्थानों पर कोई भी परीक्षार्थी और उनके रिश्तेदार भोजन कर सकते हैं। भोजन की व्यवस्था 25 सितंबर की शाम से ही शुरू हो जाएगी। इस संबंध में फैयाज उल्ला (9462327786), महबूब खान 9950872777, मौलाना अजहर 8426929424, दिलबाग 9166343242 से संपर्क किया जा सकता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (21-09-2021)
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अब अजमेर के कांस्टेबल ने बिगाड़ी राजस्थान पुलिस की छवि। कॉलेज के छात्रों को अश्लील संदेश और वीडियो भेजे।आरोपी कांस्टेबल विक्रम सिंह शेखावत के विरुद्ध आईटी और पोस्को एक्ट में मुकदमा दर्ज कर सस्पेंड किया। गिरफ्तारी भी होगी। त्रिस्तरीय जांच शुरू।अजमेर के पुलिस अधीक्षक जगदीश चंद शर्मा ने फिर सार्वजनिक किए अपने वाट्सएप नंबर 9414007742


अजमेर के ब्यावर उपखंड के डीएसपी हीरालाल सैनी और जयपुर कमिश्नरेट की महिला कांस्टेबल के अश्लील वीडियो का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि 20 सितंबर को अजमेर जिले के ही पीसांगन पुलिस स्टेशन पर तैनात एक कांस्टेबल द्वारा कॉलेज की नाबालिग छात्रों को वाट्सएप पर अश्लील संदेश और वीडियो भेजने का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि कांस्टेबल ने छात्रों पर मानसिक दबाव बनाया और वाट्सएप पर स्वयं के अश्लील फोटो एवं संदेश भेजे। छात्रों को अपने मकान पर बुलाने के लिए भी दबाव डाला गया। छात्रों का आरोप है कि 22 दिसंबर 2020 को भी पुलिस स्टेशन पर लिखित में शिकायत दी थी, लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। कार्यवाही नहीं होने के कारण ही आरोपी सिपाही छात्रों को ज्यादा तंग करने लगा। 20 सितंबर को पंचायत समिति सदस्य प्रदीप कुमावत ने छात्रों की ओर से एक शिकायत अजमेर ग्रामीण क्षेत्र के डीएसपी अमित मेहरड़ा को दी। इस शिकायत में वो वाट्सएप चेट और अश्लील वीडियो भी दिया जो कांस्टेबल ने छात्रों को भेजे थे। जिला पुलिस अधीक्षक जगदीश शर्मा ने पुलिस की छवि से जुड़े इस मामले को गंभीरता से लिया और रात को ही कांस्टेबल के विरुद्ध आईटी और पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया। आरोपी कांस्टेबल विक्रम सिंह शेखावत को सस्पेंड करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। एसपी ने बताया कि दर्ज मुकदमे की जांच नसीराबाद के थानाधिकारी से करवाई जाएगी। पूर्व में दी गई शिकायत पर कार्यवाही नहीं होने के मामले की जांच आईपीएस अमित मेहरड़ा (डीएसपी ग्रामीण) को दी गई है। इस संबंध में पीसांगन की थानाधिकारी प्रीति रत्नु का कहना है कि उनके पास छात्रों की शिकायत नहीं आई। यदि शिकायत आती तो वे तत्काल कार्यवाही करतीं। एसपी जगदीश शर्मा ने माना कि अपराध एक व्यक्ति करता है, लेकिन छवि पूरे महकमे की खराब होती है। उन्होंने कहा कि आरोपी कांस्टेबल की गिरफ्तारी की जाएगी। इस मामले में दोषी किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपना वाट्सएप नंबर 9414007742 कई बार सार्वजनिक किया है। इस नंबर पर जो भी शिकायत या सूचना प्राप्त होती है, उस पर तत्काल कार्यवाही की जाती है। यदि पीसांगन के छात्रों की पुलिस स्टेशन पर सुनवाई नहीं हुई थी तो उन्हें मुझ से संपर्क करना चाहिए था। कार्यालय समय में सरलता के साथ सभी से मिलता हंू। एसपी शर्मा ने एक बार फिर जिलेभर के लोगों खास कर महिलाओं से आग्रह किया है कि पुलिस स्टेशन पर सुनवाई नहीं होने पर सीधे मुझ से संपर्क किया जाए। मुझे मेरे वाट्सएप नंबर पर भी सूचना दी जा सकती है।
पुलिस की छवि खरा  :
पीसांगन के एक कांस्टेबल द्वारा नाबालिग छात्रों को अश्लील संदेश और वीडियो भेजने से एक बार फिर राजस्थान पुलिस की छवि खराब हो रही है। पिछले दिनों ही ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी और एक महिला कांस्टेबल का अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद राजस्थान पुलिस की छवि देशभर में खराब हुई। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि एक कांस्टेबल का मामला उजागर हो गया। भले ही गलती एक कांस्टेबल ने की हो, लेकिन पूरे पुलिस महकमे को परिणाम भुगतने होते है। हालांकि ऐसे मामलों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेहद गंभीर है, लेकिन पुलिस में ऐसी घटनाएं रुक नहीं रही है। मालूम हो कि गहलोत के पास ही गृह विभाग है। ब्यावर वाले प्रकरण में डीएसपी हीरालाल सैनी और महिला कांस्टेबल की बर्खास्तगी की कार्यवाही अंतिम चरण में है। जयपुर की विशेष अदालत ने 20 सितंबर को ही दोनों आरोपियों को जेल भेजा है। 
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Monday 20 September 2021

राहुल गांधी की मौजूदगी के बाद भी कैप्टन अमरिंदर सिंह नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आए।तो क्या पांच माह के लिए पंजाब में दलित वर्ग का मुख्यमंत्री बना है?

20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी उपस्थित रहे। लेकिन निवर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह नहीं आए। नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान मुख्यमंत्री के उपस्थित रहने की परंपरा है। भले ही विपक्षी दल का कोई विधायक मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा हो। 20 सितंबर को तो चंडीगढ़ के राजभवन में कांग्रेस के विधायक चन्नी ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने परपंरा कोई ही नहीं निभाया, बल्कि राहुल गांधी की उपस्थिति को भी नजरअंदाज किया। इससे प्रतीत होता है कि कैप्टन की नाराजगी बनी हुई है। अमरिंदर सिंह ने 18 सितंबर को जब मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था, तब भी यह कहा था कि उन्हें राजीव गांधी ही कांग्रेस में लाए थे। उस समय राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तो बच्चे थे। लेकिन आज उन्हें अपमानित कर मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया है। कैप्टन ने कहा था कि उनकी राजनीति के विकल्प खुले हुए हैं।
पांच माह के लिए दलित मुख्यमंत्री?:
19 सितंबर को जब चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री घोषित किया गया तो कांग्रेस की ओर से यह कहा गया कि उन्होंने पहली बार पंजाब में दलित वर्ग के विधायक को मुख्यमंत्री बनाया है। पंजाब में 32 प्रतिशत आबादी दलित वर्ग की है, लेकिन इस श्रेय पर कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने पानी फेर दिया। रावत ने कहा कि पांच माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस का चेहरा नवजोत सिंह सिद्धू होंगे। यानी सिद्धू के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। स्वाभाविक है कि जिस नेता के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है, उसे ही मुख्यमंत्री बनाया जाता है। जब सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़कर कांग्रेस को बहुमत मिलेगा तो सिद्धू ही मुख्यमंत्री बनेंगे। यानी  चन्नी को सिर्फ पांच माह के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया है। हालांकि हरीश रावत के इस बयान पर पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने एतराज कर दिया है। जाखड़ ने कहा कि हरीश रावत का यह बयान चन्नी को अपमानित करने वाला है। उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि अगला चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। 
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