Saturday 30 June 2018

वसुंधरा राजे और केन्द्रीय नेतृत्व के टकराव में भी विवादों से दूर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव।

वसुंधरा राजे और केन्द्रीय नेतृत्व के टकराव में भी विवादों से दूर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव। यही है जन्म दिन का तोहफा।
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अजमेर से जुडे़ भाजपा के राष्ट्रीय महासाचिव और राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव ने 30 जून को उनके जन्म दिन पर शुभ कामनाएं देने वाले सभी लोगों का आभार प्रकट किया है। यादव ने उम्मीद जताई है कि लोगों का स्नेह भविष्य में भी इसी प्रकार मिलता रहेगा। यादव को जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा यही है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के बीच प्रदेशाध्यक्ष को लेकर जो टकराव हुआ उससे यादव बचे रहे। सब जानते है कि राजस्थान की राजनीति में यादव सक्रिय हैं। गत विधानसभा चुनाव में भी यादव सक्रिय रहे हैं। दो बार से यादव राजस्थान से ही राज्यसभा के लिए चुने जा रहे हैं। राजस्थान में सत्ता और संगठन की जो हाई पावर कमेटी बनी हुई है यादव उसके भी सदस्य हैं। इतनी सक्रियता के बाद भी विवादों में न जाना यादव की राजनीतिक सूझबूझ हो दर्शाता है। सब जानते हैं कि अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद पिछले ढाई माह राजस्थान की राजनीतिक में उथल पुथल रही है। सीएम राजे के इशारे पर प्रदेश के मंत्री और वरिष्ठ नेता दिल्ली में डेरा डाले रहे। स्वयं राजे ने दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह से मुलाकात की। सीएम राजे और केन्द्रीय नेतृत्व के बीच जो टकराव हुआ उससे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर भी चपेट में आए गए। इस बीच प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भूपेन्द्र यादव के नाम की चर्चा हुई तो ऐसी चर्चाओं को यादव ने सख्ती के साथ कुचल दिया। राजनीतिक में ये बात बहुत महत्व रखती है कि सक्रियता और बड़े पद पर होने के बाद भी आप विवाद में न आए। यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के भरोसे के हैं। लेकिन राजस्थान के विवाद में यादव ने कोई भूमिका नहीं निभाई यानि राष्ट्रीय नेतृत्व को भी यादव यह समझाने में सफल रहे कि फिलहाल राजस्थान की राजनीति से दूर रखा जाए जब टकराव चरम पर था, तब भूपेन्द्र यादव ने अपनी ड्यूटी कर्नाटक के चुनाव में लगवा ली। आज सीएम राजे भी ये मानती है कि यादव विवादों से दूर रहते हैं। यादव बेवजह की बयान बाजी भी नहीं करते। यादव में सांसद के तौर पर अजमेर जिले के दो गांव को गोद ले रखा है। इसके अतिरिक्त सांसद कोष की राशि भी अजमेर के जनप्रतिनिधियों के कहने से आवंटित करते हैं। अजमेर के भाजपा कार्यकताओं से यादव का खास लगाव है। लेकिन यादव अजमेर में भी कोई दखलांदाजी नहीं करते। इसमें कोई दो राय नहीं कि यादव ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से स्वयं को संगठन के शीर्ष स्तर पर तक पहुंचाया है। ऐसा नहीं कि यादव का कोई विरोधी नहीं है। यादव अपने विरोधी को पहचानते भी है, लेकिन विरोधी के विरोध को सार्वजनिक नहीं होने देते। ये बात प्रदेश अध्यक्ष के विवाद में यादव ने साबित की है। 30 जून को भी जब जयपुर में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी ने भाजपा मुख्यालय में पद संभाला तो सीएम राजे और ओम माथुर मौजूद थे। लेकिन यादव ने अपनी भूमिका को सीमित रखा। 

नए प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल राजस्थान भाजपा को सीएम वसुंधरा राजे के प्रभाव से अलग रख पाएंगे?

नए प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल राजस्थान भाजपा को सीएम वसुंधरा राजे के प्रभाव से अलग रख पाएंगे? राष्ट्रीय नेतृत्व की मंशा पर खरा उतरना भी चुनौती। ओम माथुर का बढ़ेगा दखल। व्यक्ति और संगठन के लिए काम नहीं करता-सैनी।
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30 जून को राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी ने जयपुर में राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का पद संभाल लिया है। इसके साथ केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को अध्यक्ष बनाने की कहानी भी खत्म हो गई। इसका क्या असर होगा इसका पता नवम्बर में होने वाले विधानसभ चुनाव के परिणाम से चलेगा। अब अहम सवाल यह है कि क्या मदनलाल सैनी भाजपा संगठन को सीएम वसुंधरा राजे के प्रभाव से अलग रख पाएंगे? यह सवाल इसलिए उठा है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने लोकसभा के उपचुनाव के परिणाम के बाद अशोक परनामी को प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटा दिया था। परनामी के कार्यकाल में भाजपा संगठन पूरी तरह सीएम के प्रभाव में रहा। परनामी की सबसे बड़ी उपलब्धि ही यही है कि उन्होंने वसुंधरा राजे के इशारे पर ही कार्य किया। कहा जा सकता है कि परनामी तो नाम मात्र के अध्यक्ष रहे। असली अध्यक्ष तो सीएम राजे स्वयं थीं। नवम्बर में होने वाले विधानसभा और अगले वर्ष लोकसभा के चुनाव से पहले भाजपा संगठन को सीएम के असर से दूर करने के लिए परनामी को प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाया, लेकिन सीएम ने भी हाईकान के चेहते गजेन्द्र सिंह शेखावत को अध्यक्ष नहीं बनने दिया। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर के फार्मूले पर सैनी को अध्यक्ष बनाया गया। सैनी प्रदेश की भाजपा की राजनीति में कोई सफल नेता नहीं रहे हैं। इसे सैनी की तकदीर ही कहा जाएगा कि चार माह पहले राजनीति के कबाड़ में पडे़ सैनी राज्यसभा के सदस्य बने और अब 74 वर्ष की उम्र में प्रदेशाध्यक्ष जैसे पद पर विराजमान हो गए हैं। जहां तक खेमे बाजी का सवाल है तो राजस्थान भाजपा में वसुंधरा राजे के अलावा कोई खेमा है ही नहीं। ओम माथुर जैसे नेता प्रदेश छोड़ कर चले गए तो घनश्याम तिवाड़ी जैसे तो पार्टी से बाहर ही हो गए। पीएम नरेन्द्र मोदी और अमितशाह के चेहते माने जाने वाले राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव किसी तरह स्वयं को विवादों से बचाएं हुए हैं। वसुंधरा राजे के समर्थक यह तो दावा कर सकते हैं कि शेखावत को अध्यक्ष नहीं बनने दिया, लेकिन यह दावा नहीं कर सकते कि सैनी भी परनामी की तरह काम करेंगे। सैनी भी समझते हैं कि सीएम राजे ने प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनवाया है। वे तो अपनी तकदीर से अध्यक्ष बने हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों का फैसला अकेले वसुंधरा राजे नहीं करंेगी। जहां तक चुनाव में नेतृत्व का सवाल है तो फिलहाल तो वसुंधरा राजे का ही रहेगा। सैनी के अध्यक्ष बनने से भाजपा में अब ओम माथुर का दखल बढ़ जाएगा। प्रदेशाध्यक्ष के मामले में सीएम राजे को भी दो कदम पीछे हटना पड़ा है। अब देखना है कि चार वर्ष तक इशारे पर काम करने वाले अशोक परनामी को किस तरह उपकृत किया जाता है। उम्मीद है कि कुछ दिनों में परनामी को लाभ का प्रभावी पद मिलने वाला है।
व्यक्ति और संगठन के लिए नहींः
30 जून को पदभार संभालने पर भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नवनियुक्त अध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कहा कि मैं किसी व्यक्ति अथवा संगठन के लिए काम नहीं करता हंू। मैं उस विचार के लिए काम करता हंू जो देश के हित में है। एक विचार को लेकर ही भाजपा इस मुकाम तक पहुंची है। सैनी ने कहा कि कार्यकर्ता की बदौलत ही वे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा जीत दिलवाएंगे।

जन्म दिन का जश्न या चुनाव की राजनीति। दीपक हासानी के स्नेह भोज पर अजमेर उत्तर क्षेत्र की राजनीति गर्म।
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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और आगामी चुनाव में अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार दीपक हासानी 2 जुलाई को अपना जन्म दिन धूमधाम से मना रहे हैं। हासानी 2 जुलाई को सायं 7ः30 बजे क्षेत्र के कांग्रेस के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं को भी निमंत्रण दिया है। इस निमंत्रण पत्र से भी राजनीति का माहौल गर्म है। जो कार्यकर्ता जिस जाति का है उसे वैसा ही निमंत्रण पत्र दिया गया है। जैसे हिन्दू कार्यकर्ता के निमंत्रण पत्र के पीछे देवी-देवताओं के चित्र हैं तो मुस्लिम कार्यकर्ताओं के निमंत्रण पत्र के पीछे ख्वाजा साहब की दरगाह आदि के फोटो है। इसी प्रकार ईसाई को चर्च, जैनियों को महावीर स्वामी आदि के निमत्रंण दिए गए हैं। विजीटिंग कार्ड जैसे निमंत्रण पत्र पर हासानी ने अपना फोटो और मोबाइल नम्बर 8003972222 भी अंकित किया है। हासानी की राजनीतिक सक्रियता का असर सबसे ज्यादा इस क्षेत्र के सिंधी समुदाय पर पड़ा है। असल में गत बार से कांग्रेस की ओर गैर सिंधी को उम्मरीदवार बनाया गया तो भाजपा के विजय उम्मीदवार वासुदेव देवनानी ने अपनी जीत का आधार इसे ही बताया, लेकिन गत लोकसभा के उपचुनाव में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने सिंधी समुदाय को भरोसा दिलाया कि विधानसभा चुनाव में उनकी भावाओं का ख्याल रखा जाएगा। उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद पायलट ने दीपक हासानी को प्रदेश कार्य समिति का सदस्य बना कर राजनीतिक संकेत दे दिए हैं। हालांकि हासानी किशनगढ़ में रहते हैं, लेकिन अब उन्होंने कोटड़ा क्षेत्र में ही बंगला बनवा लिया है। उपचुनाव में इसी बंगले को सचिन पायलट ने अपना अस्थाई निवास बनाया था और अब जरुरत पड़ने पर कांग्रेस के सांसद रघु शर्मा बंगले का उपयोग करते हैं। माना जाता है कि उत्तर क्षेत्र सिंधी बहुल्य है, इसलिए सिंधी मतदाता ही हार जीत का फैसला करते हैं। हासानी की सक्रियता से भाजपा में भी खलबली है, क्योंकि सिंधी वोट एक मुश्त नहीं मिलेंगे। जाहं तक भाजपा उम्मीदवार का सवाल है तो वासुदेव देवानी ने चैथी बार भी अपनी दावेदारी जता दी है। देवनानी गत तीन बार से लगातार जीतते आ रहे हैं। यदि कांग्रेस भी किसी सिंधी को ही उम्मीदवार बनाती है तो मुकाबला कड़ा होगा। देवनानी ने गत बार 20 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 35 मतों की बढ़त मिली थी, लेकिन वहीं भाजपा लोकसभा उपचुाव में 7 हजार मतों से पिछड़ गई। देखना है कि दीपक हासानी अपानी सक्रियता को कैसे आगे बढ़ा कर कांग्रेस का टिकिट हासिल करते हैं। वैसे हासानी की दावेदारी का विरोध भी शुरू हो गया है। कांग्रेस के ही कुछ नेताओं का कहना है कि हासानी अपने धन बल पर टिकिट हासिल करना चाहते हैं।
समाज में आरके मार्बल जैसे परिवार की जरुरत-जैन मुनि सुधासागर। नारेली तीर्थ का मुख्य द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम से बनेगा-हेड़ा। स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा जीवन चरित्र-देवनानी।
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30 जून को अजमेर के महावीर सर्किल के निकट पंचायत बड़ धड़ा की नसिया के परिसर में आचार्य विद्यासागर महाराज के 71 फिट ऊंचे कीर्ति स्तंभ का लोेकार्पण जैन मुनि सुधासागर महाराज ने किया। इसी स्थान पर 50 वर्ष पूर्व आज के दिन ही बालक विद्यासागर ने आचार्य ज्ञान सागर महाराज से दीक्षा ग्रहण की थी। इस स्तंभ पर कोई 2 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। कीर्ति स्तंभ का सम्पूर्ण निर्माण कार्य आरके मार्बल और वंडर सीमेंट के मालिक अशोक पाटनी की ओर से करवाया गया है। इसलिए लोकार्पण समारोह में पाटनी परिवार के सदस्यों का अभिनंदन भी किया गया। सुधासागर महाराज ने कहा कि पैसा तो बहुत लोगों के पास होता है। लेकिन ऐसे लोग कम होते हैं जो धर्म के कार्यों पर खर्च करते है। आचार्य विद्या सागर महाराज के कीर्ति स्तंभ का निर्माण कर अशोक पाटनी ने अजमेर के धार्मिक महत्व को और बढ़ाया है। आज समाज में पाटनी परिवार जैसों की जरुरत है। अशोक पाटनी ने बिना कहे कीर्ति स्तंभ का निर्माण कर समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। अब अजमेर आने वाले लोग इस कीर्ति स्तंभ का अवलोकन भी करेंगे। इस अवसर पर पाटनी का कहना रहा कि मैं आज जो कुछ भी हंू उसके पीछे आचार्य विद्यासागर महाराज और जैन मुनि सुधासागर महाराज का आशीर्वाद है।
नारेली तीर्थ का द्वारः
समारोह में अजमेर प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने घोषणा की कि नारेली तीर्थ स्थल का मुख्य द्वार आचार्य विद्या सागर महाराज के नाम पर बनाया जाएगा। द्वार के निर्माण का कार्य प्राधिकरण करेगा। वहीं स्कूली शिक्षा मंत्री देवनानी ने कहा कि अगले शिक्षा सत्र में आचार्य विद्यासागर महाराज की जीवनी को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में खोले गए ट्रेनिंग सेंटर अब राजस्थान में बंद होने के कगार पर।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में खोले गए ट्रेनिंग सेंटर अब राजस्थान में बंद होने के कगार पर। तो क्या सिर्फ दिखावा हो रहा है?
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7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान की एक दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं, इस दिन जयपुर में कोई तीन लाख लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। कलेक्टरों को पाबंद किया गया है कि वे केन्द्र और राज्य की योजनाओं में लाभार्थियों को पीएम की सभा में लाए। लेकिन वहीं राजस्थान में प्रधानमंत्री से जुड़ी योजनाओं की हकीकत देखी जाए तो उल्ट है। कोई 18 माह पहले प्रधानमंत्री स्कील डवलपमेंट योजना में राजस्थान में निजी क्षेत्र में 600 सेंटर खोले गए। सेंटर संचालकों से कहा गया कि उन्हें प्रति युवक राशि दी जाएगी। योजना के निर्धारित मापदंडों के अनुरूप संचालकों ने अपने अपने सेंटरों पर हेल्थ केयर, आईटी, ब्यूटीपार्लर, सिलाई कृषि आॅटोमोबाइल आदि व्यवसाय से जुड़े उपकरण भी लगा लिए ताकि युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिया जा सके। इन सेंटरों पर दस लाख रुपए तक की राशि खर्च की गई, जिला स्तर पर इन्हीं सेंटर संचालकों से स्कील डवलपमेंट मेले भी लगवाए गए। प्रदेश की जनता को याद होगा कि इन मेलों में नरेन्द्र मोदी की तस्वीर भी लगाई गई। जिसके जरिए मोबाइल से सेल्फी लेना का प्रचार भी किया, लेकिन आज ऐसे सेंटर वाले स्वयं दिवालिया हो गए हैं। सेंटरों के संचालकों के दस रुपए तक के कोर्स डिजाइन किए थे। केन्द्र सरकार की ओर से सिर्फ एक बार 60 युवाओं की ट्रेनिंग के लिए राशि दी गई, इसके बाद आज तक भी इन सेंटरों को स्कील डवलपमेंट के लिए कोई सहयोग नहीं किया गया है। यानि जिला स्कील डवलपमेंट योजना का ंिढंढोरा पीटा गया, वह अब राजस्थान में बंद होने के कागार पर है। सेंटरों के संचालकों ने कई बार दिल्ली जाकर इस विभाग के मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मुलाकात की, लेकिन आज तक भी कोई राहत नहीं मिल पाई है। संचालकों के अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि 7 जुलाई को प्रधानमंत्री के सामने कौन से लाभार्थियों को प्रस्तुत किया जाएगा। अच्छा हो कि सरकार में बैठे लोग राजस्थान में प्रधानमंत्री स्कील डवलपमेंट योजना की हकीकत देख लें। यदि स्कील डवलपमेंट में सरकार की रुचि नहीं थी तो फिर राजस्थान में 600 सेंटरों को मान्यता क्यों दी गई? जाहिर है कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है।
वेतन तक नहीं मिला हैः
प्रधानमंत्री स्कील डवलपमेंट येाजना में ही राजस्थान की सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षक नियुक्ति किए गए थे। इन प्रशिक्षकों को भी दो माह से लेकर 8 माह तक का वेतन नहीं मिला है। प्रशिक्षकों की परेशानी को लेकर मैंने 29 जून को ब्लाॅक लिखा है।
एस.पी.मित्तल) (30-06-18)
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Friday 29 June 2018

अजमेर में मारुति का शोरूम सीज।

अजमेर में मारुति का शोरूम सीज। 
डीलर सहगल ने कार्यवाही को द्वेषतापूर्ण बताया।
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अजमेर में जयपुर रोड पर संचालित मारुति कार के शोरूम को नगर निगम ने 29 जून को सीज कर दिया है। निगम के उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता और राजस्व अधिकारी पवन मीणा ने कहा कि आवासीय नक्शे पर काॅमर्शियल निर्माण किया गया है। इसलिए निगम ने अवैध मानते हुए सीज किया है। ऐसी कार्यवाही शहर भर में निरंतर चल रही है। शोरूम के अचानक सीज हो जाने से मारुति के काम काज पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वहीं अजमेर के डीलर एसपी सहगल ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने द्वेषतापूर्ण कार्यवाही की है। सहगल ने बताया कि गत वर्ष निगम ने नोटिस दिया था। इसके जावब में निगम को कहा गया कि वर्ष 1990 में शोरूम का निर्माण हो गया था। वैसे भी जिस भूमि पर भवन बना हुआ है वह मास्टर प्लान में काॅमर्शियल दर्ज है। फिर भी एक लाख रुपए की राशि पूर्व में भूरूपांतरण के लिए जमा कराई जा चुकी है। सहगल ने कहा कि तीस साल बाद शोरूम को सीज करना उचित नहीं है। निगम ने हमें सामान निकालने का अवसर भी नहीं दिया। सहगल का कहना है कि उन्होंने जब भूमि खरीदी थी तब आवासीय नक्शा स्वीकृत था। उनके शोरूम के आसपास सभी काॅमर्शियल निर्माण है, जिनमें होटल, शोरूम आदि चल रहे हैं। लेकिन निगम ने भेदभाव पूर्ण तरीके से सिर्फ मेरे शोरूम को ही सीज किया है। उन्होंने कहा कि अब वे स्वायत्त शासन विभाग में अपील कर शोरूम को खुलवाने की कार्यवाही करेंगे।

ठेकेदार की निर्माण सामग्री को हटवाने के लिए अदालत की शरण।

ठेकेदार की निर्माण सामग्री को हटवाने के लिए अदालत की शरण।
अजमेर नगर निगम के आयुक्त को नोटिस।
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अजमेर में सरकारी अमला किस तरह काम कर रहा है और आम व्यक्ति कितना दुःखी और परेशान है इसका ताजा उदाहरण अजमेर के धोलाभाटा की यूआईटी काॅलोनी में रहने वाले नवनीत सिंह सबरवाल है। सबरवाल ने नगर निगम से लेकर प्रशासन तक के अधिकारियों से कहा कि उनके मकान के सामने ठेकेदार एचएस मेहता ने बजरी छर्रा आदि डाल दिया है जिसकी वजह से आवागमन ही बंद हो गया है। लेकिन सबरवाल की किसी ने भी नहीं सुनी। यहां तक कि क्षेत्रीय पार्षद ने भी अनदेखी की। असल में ठेकेदार के सामन को हटाने की हिम्मत किसी में भी नहीं थी, इन हालातों को देखते हुए सबरवाल ने अपने वकील जिनेश सोनी के माध्यम से लोक अदालत में वाद दयार किया। 29 जून को अदालत ने नगर निगम की आयुक्त, ठेकेदार एचएस मेहता, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर आदि को नोटिस जारी किए हैं। सबरवाल को उम्मीद है कि जल्द ही उनके मकान के सामने से निर्माण सामग्री हट जाएगी। 

राजस्थान में तो प्रधानमंत्री स्कील डवलमेंट योजना में प्रशिक्षकों को वेतन तक नहीं मिल रहा है।

राजस्थान में तो प्रधानमंत्री स्कील डवलमेंट योजना में प्रशिक्षकों को वेतन तक नहीं मिल रहा है। 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने कौन सी उपलब्धियां दिखाई जाएगी।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 7 जुलाई को जयपुर आ रहे हैं। मोदी के सामने राजस्थान की उजली तस्वीर रखने के लिए वसुंधरा राजे के नेतृत्व  वाली भाजपा सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रदेश के जिला कलेक्टरों से लेकर विधायकों तक मोदी की सभा में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है। कहा गया कि केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को सभा में लाया जाए। चूंकि सरकार का जश्न है तो इसलिए सफल हो ही जाएगा। लेकिन राजस्थान में स्थिति उलटी है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री सकील डवलमेंट योजना की स्थिति यहां लिखी जा रही है। इस योजना में राज्य के शिक्षा विभाग ने प्राइवेट कंपनियों और संस्थाओं से अनुबंध कर प्रशिक्षकों को लगाया। कोई 22 कंपनियों ने एक हजार से भी ज्यादा प्रशिक्षकों को उपलब्ध करवाया। अब ये प्रशिक्षक सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को हेल्थकेयर, आईटी, ब्यूटी पार्लर सिलाई, नर्सिंग, सुरक्षा, कृषि, आॅटो मोबाइल आदि कार्यों की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस ट्रेनिंग के पीछे पीएम मोदी का उद्देश्य है कि स्कूली शिक्षा के बाद ही युवा वर्ग आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हो जाए। सरकारी नौकरी के पीछे भागने के बजाए स्वरोजगार करें। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि स्कूलों में ट्रेनिंग देने वालों को पिछले कई माह से वेतन नहीं मिला है। एक प्रशिक्षक को 15 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। यह सही है कि मानदेया के भुगतान की जिम्मेदारी संबंधित कंपनियों और संस्थाओं की है, लेकिन अनुबंध की शर्तों के मुताबिक कंपनी की ओर से एक माह का भुगतान किया जाएगा, इसके बाद सरकार कंपनी के खाते में राशि स्थानांतरित करेगी। लेकिन सरकार ने कंपनियों को 3 से 8 माह तक की अवधि का भुगतान ही नहीं किया है। ऐसे में हजारों प्रशिक्षक विद्यार्थियों को कैसे प्रशिक्षण दे रहे होंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है। कंपनियों की ओर से लगातार पत्र व्यवहार हो रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जब प्रधानमंत्री की इतनी महत्वकांक्षी योजना का यह हाल है तो राजस्थान में अन्य योजनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है।
राजस्थान का बुरा हालः
नोएडा स्थित एक संस्था की आॅपरेशन हैड ने बताया कि उनकी संस्था की ओर से देश के 14 राज्यों में इसी योजना में प्रशिक्षक उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, लेकिन संस्था को राजस्थान में ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने मानदेया का जो फार्मेट दिया है उसी के अनुरूप बिल प्रस्तुत किए जाते हैं, लेकिन राजस्थान में भुगतान नहीं हो रहा है। भुगतान नहीं होने का कारण सरकार में बैठे अधिकारी ही बता सकते हैं। हम तो अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर रहे हैं। जब दूसरे राज्यों में भुगतान हो रहा है तो फिर राजस्थान में क्यों नहीं।
अनुभव प्रमाण पत्र भी नहींः
प्रशिक्षकों को अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जा रहा है। जबकि ऐसे प्रशिक्षक वर्ष 2016 से ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग पद की भर्ती के लिए 3 जुलाई तक आवेदन करना है, लेसकिन ऐसे प्रशिक्षकों को भी अनुभव प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा। ऐसे में अभ्यर्थी अनुभव वाले अभ्यर्थियों से पिछड़ जाएंगे, लेकिन सरकार को ऐसे अभ्यर्थियों की कोई चिंता नहीं है।
एस.पी.मित्तल) (29-06-18)
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स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देेवनानी को कथित तौर पर थप्पड़ मारने का मामला सीएम तक पहुंचा।

स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देेवनानी को कथित तौर पर थप्पड़ मारने का मामला सीएम तक पहुंचा। स्वास्थ्य राज्यमंत्री बाजिया पर है आरोप।
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राजस्थान के स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी को कथित तौर पर थप्पड़ मारने का मामला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के संगठन महासचिव चन्द्रशेखर व प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना तक पहुंच गया है। मीडिया में चली खबरों के अनुसार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री बंशीधर बाजिया 29 जून की सुबह अपने विधानसभा क्षेत्र के शिक्षकों के तबादलों को लेकर देवनानी से मिलने उनके जयपुर स्थित सरकारी आवास पर गए थे। बाजिया का कहना रहा कि उनके क्षेत्र में उनकी बिना सहमति के शिक्षकों के तबादले कर दिए गए। इस पर देवनानी का कहना रहा कि तबादले विधायकों की सिफारिश से ही हुए हैं। दोनों के बीच इतना विवाद हो गया कि बाजिया ने देवनानी के थप्पड़ मार दिया। इस घटना की जानकारी देवनानी ने तत्काल ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और संगठन के महासचिव चंद्रशेखर को दी। बाद में देवनानी ने भाजपा कार्यालय में प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना और चन्द्रशेखर से मुलकात भी की। देवनानी का कहना रहा कि वे मेहनत कर शिक्षा विभाग को पटरी पर लाए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी के विधायक ही दुव्र्यवहार कर रहे हैं। टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर थप्पड़ की खबर प्रमुखता से चल रही है, लेकिन बंशीवर बाजिया ने थप्पड़ मारने की पुष्टि नहीं की है। वहीं इस विवाद पर मंत्री देवनानी से भी सम्पर्क नहीं हो सका है। मंत्री के फोन पर बार बार यही कहा जा रहा है कि मंत्री जी किसी जरूरी मीटिंग में व्यस्त है। यहां यह उल्लेखनीय है कि तबादलों को लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों में नाराजगी है। दो दिन पहले भी एक शिक्षक ने देवनानी के अजमेर स्थित आवास पर हंगामा किया था। तब पुलिस तक को बुलाना पड़ा। देवनानी और बाजिया में हुए विवाद से भी सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई है। इस मामले में गंभीर बात यह है कि दोनों ही मंत्रियों की ओर से शाम तक भी कोई सफाई नहीं दी गई। राजस्थान में यह हालात तब हो रहे हैं जब सात जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जयपुर आ रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-06-18)
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वसुंधरा जी यह अकेले मंत्री पुत्र की राय नहीं बल्कि राजस्थान के सम्पूर्ण राजपूत समाज की सोच हो सकती है।

वसुंधरा जी यह अकेले मंत्री पुत्र की राय नहीं बल्कि राजस्थान के सम्पूर्ण राजपूत समाज की सोच हो सकती है। गजेन्द्र सिंह खींवसर तो तब तक ही साथ हैं जब तक मंत्री हैं।
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राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के पुत्र धनंजय सिंह खींवसर ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट डाली है उसने राजस्थान की भाजपा की राजनीति में हंगामा कर दिया है। गजेन्द्र सिंह उन मंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने दिल्ली में जाकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पक्ष में पैरवी की। लेकिन वहीं उनके पुत्र धनंजय खींवसर की सोच हैं कि केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री और जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को ही भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहिए। मंत्री खींवसर का कहना है कि यह पोस्ट उनके पुत्र की नहीं है लेकिन वहीं उनके पुत्र ने साफ कहा है कि पोस्ट उन्हीं ने डाली है। सवाल यह नहीं है कि धनंजय सिंह अपने पिता के खिलाफ विचार रखते हैं। सवाल ये है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शेखावत का जिस तरह विरोध किया उससे राजस्थान का आम राजपूत खफा है। चाहे आनंदपाल का मामला हो या फिर फिल्म पद्मावती का। सीएम ने राजपूत समाज की भावाओं को समझने की कोशिश ही नहीं की। हालांकि लोकसभा के दोनों उपचुनावों में राजपूत समाज ने भाजपा और वसुंधरा राजे का खुला विरोध किया। इसकी वजह से भाजपा को सभी विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद भी वसुंधरा राजे खुले तौर पर शेखावत का विरोध कर रही हैं। सीएम का यह कृत्य जले पर नमक छिड़कने जैसा रहा। अब तो मंत्री पुत्र ने भी अपनी राय जगजाहिर कर दी है। सीएम राजे माने या नहीं लेकिन आम राजपूत धनंजय सिंह जैसी सोच ही रख सकता है। जहां तक गजेन्द्र सिंह खींवसर का सवाल है तो वे वसुंधरा राजे के साथ तब तक ही हैं, जब तक मंत्री पद पर हैं। यदि आज उन्हें मंत्री पद से जटा दिया जाए तो खींवसर भी शेखावत के साथ नजर आएंगे। इस तथ्य को भाजपा हाईकमान को भी समझना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में जितना विलम्ब हो रहा है उतना राजस्थान में भाजपा को नुकसान हो रहा है।
एस.पी.मित्तल) (29-06-18)
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Tuesday 26 June 2018

अजमेर में स्वामी दयानंद सारस्वती की निर्वाण स्थली पर योगा और प्रणायाम से सिखाया जाएगा स्वस्थ और खुश रहना।

अजमेर में स्वामी दयानंद सारस्वती की निर्वाण स्थली पर योगा और प्रणायाम से सिखाया जाएगा स्वस्थ और खुश रहना।
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अजमेर शहर में आगरा गेट चैराहे के निकट भिनाय कोठी परिसर में आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती की निर्वाण स्थली है। इसी स्थान पर स्वामी ने अपने प्राण त्यागे थे। सब जानते है कि स्वामी का योग और प्रणायाम से गहरा नाता था। स्वामी योग के माध्यम से ही स्वयं को स्वास्थ्य रखते थे। जब उन्हें जहर दिया तो अपनी यौगिक क्रिया से ही जहर को शरीर से बाहर निकाला। स्वामी जी के सिद्धांतों पर आधारित योग और प्रणायाम को सिखाने के लिए 27 जून से भिनाय कोठी स्थित स्वामी दयानंद की निर्वाण स्थली पर वेलनेस सेंटर की शुरुआत की जा रही है। इस सेंटर पर योग शिक्षक हेमंत आर्य अपनी सेवाएं देंगे। दयानंद निर्वाण न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती और मंत्री सोमरत्न आर्य ने बताया कि स्वामी दयानंद की जीवनशैली अपनाने से व्यक्ति न केवल स्वस्थ, बल्कि खुश भी रह सकता है। योग और प्रणायाम के माध्यम से हर रोग का इलाज संभव है। न्यास परिसर में प्रतिदिन प्रातः 7 से 8 बजे तक नियमित योग और प्रणायाम सिखाया जाएगा। साथ ही स्वामी दयानंद जी की शिक्षाओं से भी अवगत करवाया जाएगा। बाहर के लोग भी शिविर में भाग ले सकते है। निर्वाण स्थली पर स्वामी दयानंद के जीवन से जुड़ी वस्तुएं आज भी संरक्षित है। यहां आवास की सुविधा है। शिविर निःशुल्क है। स्वास्थ्य और खुश रखने वाले शिविर तथा निर्वाण स्थली के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829070186 पर डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती तथा 9828039700 पर सोमरत्न आर्य से ली जा सकती है।

आखिर कौन छीन रहा है आरक्षण?

आखिर कौन छीन रहा है आरक्षण?
राज्यपाल कल्याण सिंह का थप्पड मारने वाला कथन कितना उचित?
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राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने 25 जून को लखनऊ में पिछड़ा वर्ग के एक सम्मेलन में भाग लिया। यह सम्मेलन पूर्व सीएम बीपी सिंह की जयंती पर उनके समर्थकों ने आयोजित किया था। सब जानते हैं कि कल्याण सिंह पिछडे वर्ग से ही हैं और इस समय राजस्थान के राज्यपाल के संवैधानिक पद पर हैं। वे पूर्व में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इस समय राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केन्द्र में उसी भाजपा की सरकार है जिसने कल्याण सिंह को राज्यपाल बना रखा है। लखनऊ के सम्मेलन में कल्याण सिंह ने कहा कि आरक्षण आपका हक है। कोई छीनने का प्रयास करें तो थप्पड़ मार अधिकार छीन लो। किसी भी कीमत पर अधिकार मत खोना। यह अधिकार लम्बे संघर्ष के बाद मिला है। कल्याण सिंह ने यह भी कहा कि वे संवैधानिक पद पर हैं इसलिए राजनीति की बात नहीं कर रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर आरक्षण कौन छीन रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कह चुके हैं कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा। यानि यूपी जैसे राज्य का सीएम रहने और वर्तमान में राजस्थान का राज्यपाल होने के बाद भी कल्याण सिंह के परिवार के सदस्यों को आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा। भले ही सामान्य वर्ग के अति गरीब परिवार को कितना भी नुकसान हो जाए। मैं यहां सामान्य वर्ग की तरफदारी नहीं कर रहा, लेकिन जब आरक्षण हटाने अथवा कम करने की कोई बात ही नहीं है तो फिर थप्पड़ क्यों मारे जा रहे हैं? सामान्य वर्ग के जो नेता सत्ता में बैठे हैं उनमें इतनी हिम्मत ही नहीं कि वे अपने वर्ग के पीड़ित युवाओं का दर्द भी समझ सके। यदि कोई नेता कहेगा तो तत्काल उसका विधायक मंत्री आदि का पद छीन लिया जाएगा। वैसे भी देश की वर्तमान व्यवस्था में अब आरक्षण कोई मुद्दा है ही नहीं। जो व्यवस्था है वह चलती रहेगी। अच्छा हो कि कल्याण सिंह जैसे राजनेता सामान्य वर्ग के लोगों की समस्याओं पर भी विचार करें। सामान्य वर्ग में ऐेसे अनेक परिवार हैं जिनके पास दो वक्त की रोटी का भी समुचित इंतजाम नहीं है, लेकिन सिर्फ जाति की वजह से ऐसे परिवारों के युवाओं को उच्च शिक्षा में प्रवेश अथवा नौकरी के लिए टैस्ट में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक लाने होते हैं। कल्याण सिंह के परिवार के सदस्यों को कितने प्रतिशत अंक लाने होते हैं,यह उन्हें अच्छी तरह पता है।

मदरसों की जांच पर एतराज क्यों?

मदरसों की जांच पर एतराज क्यों?
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उठाया सवाल।
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आपालकाल की 43वीं बरसी पर 26 जून को जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने सवाल उठाया कि मदरसों की जांच पर एतराज क्यों किया जा रहा है? सरकार उन्हीं मदरसों की जांच कर रही है जिन्हें अनुदान मिलता है। ऐसी जांच सभी शिक्षण संस्थाओं की होती है। सरकार को यह जानने का अधिकार है कि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसे में कितने विद्यार्थी तामिल हासिल कर रहे हैं। सरकार प्रति विद्यार्थी के हिसाब से ही अनुदान देती है। सभी मदरसा संचालकों का यह दायित्व है कि वे अपने यहां तालिम दे रहे मुस्लिम बच्चों की जानकारी दे। जावेड़कर ने कहा जांच के पीछे सरकार की कोई गलत मंशा नहीं है बल्कि सरकार चाहती है कि मदरसों का मार्डनाईजेशन किया जाए। सरकार ने कुछ मदरसों में कम्प्यूटर भी उपलब्ध करवाए। मदरसों में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चे धर्म के अनुरूप शिक्षा तो ले साथ ही उन्हें कम्प्यूटर व अन्य तकनीकी शिक्षा का ज्ञान भी होना जरूरी है।
परनामी साथ बैठे:
भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जावेड़कर के साथ प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से अशोक परनामी ही बैठे। हालांकि परनामी गत 16 अप्रैल को ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दखल से आज भी परनामी को ही प्रदेश अध्यक्ष माना जाता है। संवाददाता सम्मेलन में उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी, स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी भी उपस्थित थे।
एस.पी.मित्तल) (26-06-18)
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अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लोकप्रियता दिखी।

अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लोकप्रियता दिखी।
तिवाड़ी के इस्तीफे में मेरी भूमिका नहीं। प्रदेश में पोपाबाई का राज-गहलोत। ढाई माह से खाली पड़ा है भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का पद-पायलट।
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कांग्रेस के दिग्गज विधायक अशोक चांदना की पहल पर 26 जून को राजस्थान के बूंदी जिले के हिंडौली कस्बे में मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत अजमेर से और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट जयपुर से सड़क से रवाना हुए। गहलोत अजमेर से नसीराबाद, सरवाड़, केकड़ी, देवली आदि शहरों से होते हुए हिंडौली पहुंचे तो वहीं पायलट जयपुर से शिवदासपुर, चाकसू, निवाई, टोंक होते हुए हिंडौली पहुंचे।दोनों ही नेताओं का जगह-जगह शानदार स्वागत किया। भीड़ को देखते हुए दोनों की लोकप्रियता नजर आईं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दोनों नेताओं का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
महादेव की कृपा-चांदनाः
हिंडौली के कार्यक्रम में गहलोत और पायलट की एक साथ उपस्थिति पर विधायक चांदना का कहना रहा कि उन पर महादेव की कृपा है। कार्यक्रम में सीपी जोशी को भी आना था, लेकिन वे व्यस्त होने की वजह से नहीं आ सके। चांदना ने कहा कि नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस के नेता एकजुट हैं।
तिवाड़ी प्रकरण में भूमिका नहींः
गहलोत ने कहा कि पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी के भाजपा छोड़ने में मेरी कोई भूमिका नहीं है। पिछले साढ़े चार साल में तिवाड़ी से दिल्ली के सर्किट हाउस में मात्र एक बार मिला हंू। भाजपा को इस्तीफे में मेरी भूमिका ढूंढने के बजाए तिवाड़ी के आरोपों का जवाब देना चाहिए। तिवाड़ी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिख राजस्थान में भाजपा सरकार को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया है। जब भाजपा के नेता ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर इतने संगीन आरोप लगा रहे हैं तो स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। जब भी चुनाव आते हैं तब ही भाजपा को राममंदिर, गौमाता अनुच्छेद 370 आदि मुद्दों की याद आती है।
प्रदेशाध्यक्ष ही नहीं है:
वहीं सचिन पायलट ने कहा कि भाजपा के पास तो प्रदेशाध्यक्ष ही नहीं है। पिछले ढाई माह से प्रदेशाध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है। भाजपा में अंर्तकलह इतना है कि अध्यक्ष की नियुक्ति ही नहीं हो पा रही है। वैसे भी प्रदेश की जनता ने भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है। जिस प्रकार लोकसभा के उपचुनावों में कांग्रेस को सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल हुई, उसी प्रकार विधानसभा के चुनाव में भी सभी 200 सीटों पर सफलता मिलेगी। प्रदेश में बहुमत से सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है।
पोपाबाई का राजः
गहलोत ने हिंडौली के सममेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में इस समय पोपाबाई का राज है। ऐसे राज में आम लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आम लोग बिजली पानी को लेकर त्रस्त हैं। साढ़े चार वर्ष पहले जो वायदे किए गए थे उन्हें पूरा नहीं किया गया है। प्रदेश की जनता के साथ यह सरासर धोखाधड़ी है। नवम्बर में होने वाले चुनाव में जनता भाजपा की सरकार को सबक सिखाएंगी।
एस.पी.मित्तल) (26-06-18)
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दुर्गामाता पर कथित अश्लील टिप्पणी करने वाले कांगे्रस के नेता राजकुमार जैन की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट से मंजूर।

दुर्गामाता पर कथित अश्लील टिप्पणी करने वाले कांगे्रस के नेता राजकुमार जैन की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट से मंजूर।
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केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी के एक बयान को लेकर फेसबुक पर दुर्गा माता पर अश्लील टिप्पणी करने वाले कांग्रेस के नेता राजकुमार जैन ही हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मंजूर हो गई है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश  शर्मा की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान जैन के वकील सुनील समदरिया ने कहा कि स्मृति ईरानी ने ट्विटर पर जो लिखा उसे ही शेयर किया गया था। मेरे मुव्वकिल की मंशा दुर्गा माता के अपमान की नहीं थी। वहीं अतिरिक्त महा अधिवक्ता एसके गुप्ता ने कहा कि स्मृति ईरानी ने दुर्गा माता को लेकर कोई ट्विट किया ही नहीं। जैन ने असल में टिप्पणी कर लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। दोनों ही पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश शर्मा ने आरोपी जैन की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली, अब यदि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करती हैं तो उसे जमानत भी देनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि भाजपा के कई कार्यकर्ताओं ने जैन के खिलाफ अजमेर के गंज पुलिस स्टेशन पर एफआईआर दर्ज करवाई थी। जैन की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेड पर प्रदर्शन भी किए थे। एफआईआर के बाद से ही जैन लापता थे। हाईकोर्ट का आदेश मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है।
एस.पी.मित्तल) (26-06-18)
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Monday 25 June 2018

घनश्याम तिवाड़ी अब राजस्थान में जयप्रकाश नारायण की भूमिका निभाएंगे

घनश्याम तिवाड़ी अब राजस्थान में जयप्रकाश नारायण की भूमिका निभाएंगे। सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़े करेंगे। बना रहेगा अनुशासन-परनामी।
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आपातकाल की 43वीं बरसी पर 25 जून को घनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। तिवाड़ी ने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा है। 25 जून को जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में तिवाड़ी ने कहा कि अब वे राजस्थान में सर्वोदयी नेता जयप्रकाश नारायण की भूमिका निभाएंगे। छोटे बड़े राजनीतिक दलों को एकजुट कर राजस्थान से वसुंधरा राजे का शासन हटाएंगें। जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस के घोषित आपातकाल की वजह से आंदोलन खड़ा किया और मैं भाजपा के अघोषित आपातकाल की वजह से आंदोलन खड़ा कर रहा हंू। उनकी भारत वाहिनी पार्टी राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, तिवाड़ी स्वयं जयपुर के सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि तिवाड़ी के इस्तीफे से भाजपा को नुकसान होगा। हालांकि तिवाड़ी पिछले 3 वर्षों से असंतुष्ट थे और उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। तिवाड़ी भाजपा के पहले शासन में वरिष्ठ मंत्री भी रहे, लेकिन वसुंधरा राजे के दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर तिवाड़ी की पटरी राजे के साथ नहीं बैठी।
बना रहेाग अनुशासन-परनामीः
तिवाड़ी के पार्टी छोड़ने पर भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि अब संगठन में अनुशासन बना रहेगा। तिवाड़ी ने भाजपा का विधायक रहते हुए अपनी ही सरकार की आलोचना की, लेकिन फिर भी पार्टी ने धैर्य बनाए रखा। अब तिवाड़ी खुद ही पार्टी छोड़ कर चले गए हैं। जो कार्यकर्ता वफादार और निष्ठावान होतो है उसी का संगठन में सम्मान है।
कोई फर्क नहीं पड़ेगा भाजपाः
तिवाड़ी के इस्तीफे पर भाजपा के प्रवक्ता पकंज जोशी का कहना राह कि इससे भाजपा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भाजपा ने तिवाड़ी के मुकाबले में अनेक नेता हैं जो स्वयं को कार्यकर्ता ही मानते हैं। भाजपा एक विशाल संगठन है। किसी एक नेता के चले जाने से संगठन पर कोई फर्क नहीं होता। वहीं कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती अर्चना रामी ने कहा कि तिवाड़ी को भाजपा में अपमानित किया गया। तिवाड़ी ने भाजपा में रहते हुए मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है। इससे भाजपा सरकार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बेनीवाल से तालमेल-निर्दलीयः
विधायक हनुमान बेनीवाल और घनश्याम तिवाड़ी के बीच राजनीतिक गठबंधन हो सकता है। बेनीवाल ने भी जगह-जगह रैलियां कर भाजपा सरकार को चुनौती दी है। माना जा रहा है कि बेनीवाल और तिवाड़ी का गठबंधन अन्य छोटे दलों से तालमेल कर राजस्थान में भाजपा को बड़ी चुनौती देगा। असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी ज्यादातर सीएम राजे की कार्यशैली को लेकर है।

कांग्रेस का राज आने पर अजमेर से टाटा पावर को हटाया जाएगा।

कांग्रेस का राज आने पर अजमेर से टाटा पावर को हटाया जाएगा। कांग्रेस के आरोप झूठे-टाटा पावर।
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राजस्थान में कांग्रेस का राज आने पर अजमेर शहर से टाटा पावर कंपनी को हटाया जाएगा। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा है कि टाटा पावर बिजली वितरण व्यवस्था संभालने के बाद न तो बिजली वितरण में सुधार हुआ है और न ही उपभोक्ताओं को कोई राहत मिली है। उल्टे नियम विरुद्ध वसूली हो रही है। भाजपा की सरकार ने भ्रष्टाचार कर टाटा पावर कंपनी को वितरण व्यवस्था ठेके पर दे दी। कांग्रेस के शासन में टाटा पावर को हटा कर फिर से विद्युत निगम को ही व्यवस्था दी जाएगी। वहीं टाटा पावर के कारर्पोरेट हैड आलोक श्रीवास्तव ने कांग्रेस के आरोपों को झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर में जो आॅयल डलता है उसकी वसूली डिस्काॅम भी उपभोक्ताओं से ही करता है। उपभोक्ताओं से वसूल कर यही राशि उत्पादन निगम में जमा करवाई जाती है। हमारी कंपनी भी डिस्काॅम के निर्देशों के तहत ही कार्य कर रही है। उपभोक्ताओं को बिल भले ही दो माह में दिए जा रहे हो, लेकिन मासिक स्लैब के अनुरूप ही यूनिट का शुल्क वसूला जाता है। दो माह के यूनिटों की गणना प्रतिमाह के हिसाब से ही होती है। इसलिए उपभोक्ताओं से कोई अवैध वसूली नहीं होती। बिजली चोरों को पकड़ कर हर्जना वसूलने का अधिकार टाटा पावर के पास है। ऐसे अधिकार अनुबंध की शर्तों में हैं। किसी भी कार्य के लिए विद्युत निगम जो शुल्क लेता है वो ही टाटा पावर ले रहा है। हमारा प्रयास है कि शहर के उपभोक्ताओं को 24 घंटे सुचारू तौर पर बिजली दें। हमने भीषण गर्मी में भी कोई कटौती नहीं की। तकनीकी अथवा रख रखाव की वजह से किसी क्षेत्र में सप्लाई बंद रखी तो पहले उपभोक्ताओं को सूचना दी गई। अब तो हम मोबाइल पर एसएमएस के जरिए भी उपभोक्ताओं को जानकारी दे रहे हैं। उपभोक्ताआंे की शिकायतों को दूर करने के लिए शहर में 5-6 सुविधा केन्द्र खोल रखे हैं। समय समय पर डिस्काॅम के अधिकारियों के साथ उपभोक्ताओं  के साथ उपभोक्ताओं की समस्याएं सुनी जाती हैं।
एस.पी.मित्तल) (25-06-18)
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मुसलमानों को एससीएसटी वाली सुविधा भी दी।

अजमेर के तेलंगाना हाउस को अपनी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में गिना रहे हैं सीएम चन्द्रशेखर राव। मुसलमानों को एससीएसटी वाली सुविधा भी दी।
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अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित तेलंगाना हाउस का भले ही स्थानीय नागरिक विरोध कर रहे हों, लेकिन तेलंगाना के सीएम चन्द्रशेखर राव इसे अपनी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में गिना रहे हैं। ईद से पहले रोजा इफ्तार के एक कार्यक्रम में एमआईएम के सांसद असुद्दीन औवेसी की मौजूदगी में चन्द्रशेखर राव ने कहा कि जिस मक्का में अकीदतमंदों के लिए जगह बनी है, उसी प्रकार तेलंगाना सरकार भी अजमेर शरीफ में 5 करोड़ की लागत से तेलंगाना हाउस बनाने जा रही है। राजस्थान की सरकार ने हमें एक एकड़ भूमि भी दे दी है। तेलंगाना से लाखों मुसलमान अजमेर शरीफ  में जियारत के लिए जाते हैं। ऐसे जायरीन अब अजमेर शरीफ में अपने हाउस में ठहर सकेंगे। जल्द ही मैं स्वयं अजमेर जाकर इमारत के निर्माण की शुरुआत करुंगा। मेरे साथ तेलंगाना के 31 जिलों के प्रतिनिधि भी होंगे। राव ने कहा कि जब वे तेलंगाना राज्य की जंग लड़ रहे थे, तब अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में भी आए थे। ख्वाजा साहब ने उनकी मुराद पूरी की, इसलिए अजमेर में ही तेलंगाना हाउस का निर्माण किया जा रहा है। 
मुसलमानों के लिए बहुत कुछ कर रही है सरकारः
सीएम चन्द्रशेखर राव ने कहा कि तेलंगाना के मुसलमानों के लिए सरकार बहुत कुछ कर रही है। अब प्रदेश के मुसलमानों को भी एससीएसटी वर्ग के लोगों की तरह सुविधाएं मिलेंगी। केन्द्र सरकार ने देशभर के मुसलमानों को तरक्की के लिए 4 हजार करोड़ का प्रावधान किया है, जबकि मेरी सरकार ने सिर्फ तेलंगाना के मुसलमानों  की तरक्की के लिए 2 हजार करोड़ रुपए बजट में रखे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा  सकता है कि मुझे मुसलमानों की वाहवाही की कितनी चिंता है। तेलंगाना को बने चार वर्ष ही हुए हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में हमारे प्रदेश की गिनती देश के अव्वल राज्यों में होती है। हमारे प्रदेश के युवाओं को अमरीका के अंतरिक्ष केन्द्र नासा तक में बुलाया जाता है। अल्ला ताला के करम की वजह से ही हमारी सरकार बनी है। चन्द्रशेखर राव के इस वीडियो को मेरे फेसबुक पर देखा जा सकता है।
एस.पी.मित्तल) (25-06-18)
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का ब्लड प्रेशर लो।

राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का ब्लड प्रेशर लो।
डाॅक्टरों की सलाह पर उदयपुर के उदय विलास पैलेस में आराम।
कार्यक्रम रद्द।
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25 जून को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का ब्लड प्रेशर इतना लो हो गया कि उनके लिए गर्मी में चलना फिरना भी मुश्किल था। ऐसे में उदयपुर के डाॅक्टर डीपी सिंह ने उदय विलास पैलेस में जाकर राजे के स्वास्थ्य की जांच की तो उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी। डाॅ. सिंह का कहना रहा कि एक दो दिन वसुंधरा राजे को दौरों से बचना चाहिए। सीएम राजे 24 जून की रात से ही उदयपुर के उदय विलास पैलेस में हैं। सीएम को 25 जून को चित्तौड़ के सांवलिया मंदिर में आयोजित स्वर्ण कलश और ध्वजा रोहण समारोह में भाग लेना था। लेकिन तबीयत खराब होने के बाद सीएम का डूंगरपुर दौरा भी रद्द हो गया है। कहा जा रहा है कि अब 7 जुलाई के बाद सीएम का डूंगरपुर दौरा होगा। मालूम हो कि सीएम राजे पिछले दो माह से लगातार जिला स्तर पर दौरे कर रही है। भीषण गर्मी में हजारों लोगों से जनसंवाद और योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास कर रही हैं। सीएम के स्वास्थ के संबंध में जयपुर के डाॅक्टरों से भी सलाह ली गई है। 
वसुंधरा को बुरी तरह हराएगा मारवाडः
पूर्व सीएम और कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत 25 जून को एक दिवसीय दौरे पर जोधपुर में रहे। जोधपुर को मारवाड़ क्षेत्र कहा जाता है। गहलोत ने कहा कि वसुंधरा राजे ने मारवाड़ के लोगों से जो वायदे किए उन्हें पूरा नहीं किया। इसलिए नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में मारवाड़ के मतदाता भाजपा को बुरी तरह हराएंगे। गहलोत ने कहा कि चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार को ही कांग्रेस का टिकट दिया जाएगा।
रात्रि विश्रज्ञम अजमेर मेंः
25 जून की रात को गहलोत अजमेर के सर्किट हाउस पर पहुंचेंगे। गहलोत का 26 जून की सुबह अजमेर से हिंडोली जाने का कार्यक्रम है। हिंडोली में मेरा बूथ मेरा गौरव सम्मेलन में गहलोत के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट भी रहेंगें।
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सीएम वसुंधरा राजे के विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं अजमेर का पिचैलिया गांव।

सीएम वसुंधरा राजे के विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं अजमेर का पिचैलिया गांव। सात दिन में एक बार पानी, टूटी सड़क, पर शराब की बिक्री 24 घंटे।
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अजमेर के पुष्कर से सटे पिचैलिया गांव के युवक रामनिवास की इच्छा  थी कि मैं उसके विवाह समारोह में भाग लूं। मैं रामनिवास को जानता नहीं था, लेकिन रामनिवास रोजाना ब्लाॅग पढ़ कर मुझसे प्रभावित था। रामनिवास का कहना रहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में वाट्सएप ग्रुप के जरिए हजारों युवा मेरे ब्लाॅग पढ़ते हैं। रामनिवास की प्रबल इच्छा और आग्रह को देखते हुए में 24 जून की रात को पुष्कर होते हुए पिचैलिया गांव पहुंच गया। गांव पहुंचने पर मुझे लगा कि सीएम वसुंधरा राजे विकास के जो दावे करती है उनमें और हकीकत में बहुत अंतर है। सीएम को अपनी सरकार की हकीकत देखनी है तो पुष्कर के बाद मोतीसर से पिचैलिया तक की सड़क की हालत देख लें। कोई सात किलोमीटर लम्बी सड़क पूरी तरह खुदी पड़ी है। इसे पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों का निक्कमापन ही कहा जाएगा कि सड़क दो माह पहले उधेड़ी, उसे आज तक दोबारा से नहीं बनाया गया। सड़क नहीं बनाने के अब सौ बहाने इन निक्कमे इंजीनियरों के पास होंगे। बरसात में ग्रामीणों का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। रात के समय उधड़ी हुई सड़क पर कार से चल कर जब मैं पिचैलिया पहुंचा तो ग्रामीणों के दर्द को सुनकर आश्चर्यचकित हुआ। 24 जून को पिछले दस दिनों से गांव में पानी नहीं आया। वैसे भी 7 दिनों में एक बार पिचैलिया में पेयजल की सप्लाई होती है। असल में जलदाय विभाग ने जो पाइप लाइन डाल रखी है, उससे प्रभावशाली लोगों ने अवैध कनेक्श ले रखे हैं, इसलिए पानी पिचैलिया तक पहुंचता ही नहीं है। 7 दिन में एक बार पानी देने के जलदाय विभाग के इंजीनियरों के पास भी सौ तर्क हैं।
शराब की बिक्री 24 घंटेः
पिचैलिया गांव में शराब की दुकान पर 24 घंटे बिक्री होती है। हालांकि रात 8 बजे दुकान बंद होने का नियम है, लेकिन पिचैलिया में रात 12 बजे तक दुकान खुली रहती है। 12 बजे बाद दुकान का शटर बंद कर दिया जाता है, लेकिन शटर जो जालियां लगी है उसके माध्यम से सेल्समैन से कभी भी शराब ली जा सकती है। गंभीर बात यह है कि शराब की दुकान मोहन लाल मेघवंशी ने अपनी पुत्री सुनीता मेघवंशी के नाम आवंटित करवा रखी है। अब इस दुकान को दबंग लोगों को ठेके पर दे दिया गया है जो कानून की परवाह नहीं करते।
भाजपा के प्रति जता चुके हैं गुस्साः
हाल ही के लोकसभा के उपचुनाव में पिचैलिया के मतदाता भाजपा के प्रति गुस्सा जता चुके हैं। पिचैलिया और गढ़ी के मतदान केन्द्र पर 4 हजार 700 ग्रामीणों ने वोट डाला। इसमें से 3 हजार 700 वोट कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा को मिले। लेकिन अब पिचैलिया के मतदाताओं को इस बात का भी अफसोस है कि रघु शर्मा सांसद बनने के बाद हमारी सुध लेने नहीं आए हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि पुष्कर से भगवानपुरा तक का क्षेत्र पुष्कर विधानसभा में आता है, जबकि आगे पिचैलिया तक नसीराबाद क्षेत्र में आता है। पुष्कर से सुरेश रावत भाजपा के विधायक है तो नसीराबाद से कांग्रेस के रामनारायण गुर्जर। कांगे्रस के विधायक विपक्ष में यह कह कर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
सम्मान के लिए आभारः
विवाह समारोह में मुझ जैसे कलम घसीट को पिचैलिया के ग्रामीणों ने जो सम्मान दिया, उसके लिए मैं सभी का आभारी हंू। ड्रोन कैमरे से फोटो लेने से प्रतीत हो रहा था कि अब गांव भी शहरों से पीछे नहीं है। वार्ड पंच वीर सिंह और गांव के युवा चाहते थे कि मैं गांव के ही एक ओर विवाह समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाऊं। रात 10 बजे के बाद भी मुझे दूसरे विवाह समारोह में जाना ही पड़ा। मुझे बताया गया कि गांव के युवक पूरणमल झाला ने अपनी तीन भानजियों का विवाह एक साथ किया है।
एस.पी.मित्तल) (25-06-18)
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