Sunday 31 January 2021

केकड़ी में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने अपनी प्रतिष्ठा बचाई। केकड़ी में 40 में से 21 और सरवाड़ में 25 में से 15 वार्डों में कांग्रेस की जीत।किशनगढ़ में भाजपा का बोर्ड बनेगा। विधायक सुरेश टाक के प्रगति मंच के मात्र 6 उम्मीदवार जीते। बिजयनगर में भी भाजपा का बोर्ड।

अजमेर जिले के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने अपनी प्रतिष्ठा को बचा लिया है। केकड़ी नगर पालिका के 40 वार्डों में से 21 वार्डों में कांग्रेस की जीत हुई। भाजपा को 17 वार्डों में जीत मिली है, जबकि 2 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए हैं। इसी प्रकार केकड़ी में आने वाली सरवाड़ नगर पालिका के 25 वार्डों में से 15 वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए हैं, जबकि 8 वार्डों में भाजपा को सफलता मिली है, यहां भी दो वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। इस प्रकार केकड़ी और सरवाड़ नगर पालिका में अब कांग्रेस का बोर्ड बनेगा। निकाय चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलवाने में मंत्री रघु शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अपने निर्वाचन क्षेत्र की दोनों पालिकाओं में कांग्रेस को जीत दिलवाने के लिए रघु शर्मा ने लगातार चार दिनों तक प्रचार किया था। हालांकि भाजपा ने जीत के लिए व्यापक तैयारी की थी, लेकिन रघु शर्मा ने व्यक्तिगत प्रयास कर अपने क्षेत्र में पकड़ को बनाए रखा है। अजमेर जिले की किशनगढ़ नगर परिषद के 60 वार्डों में से 34 वार्डों में भाजपा को सफलता मिली है। जबकि कांग्रेस को 17 वार्डों में जीत पर ही संतोष करना पड़ा है। किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ने प्रगति मंच बना कर 42 वार्डों में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। लेकिन टाक को मात्र 6 वार्डों में ही सफलता मिली है। दो वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवार जीत हैं, जबकि एक वार्ड में आरएलपी का उम्मीदवर विजय हुआ है। भाजपा अब अपने दम पर किशनगढ़ में बोर्ड बनाने की स्थिति में है। किशनगढ़ में भाजपा को जीत दिलवाने में सांसद भागीरथ चौधरी की भी सक्रिय भूमिका रही है। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे विकास चौधरी ने भी चुनावों में सक्रियता दिखाई थी। अजमेर की तरह किशनगढ में भी कांग्रेस के नेताओं में आपसी गुटबाजी का नुकसान हुआ है। विधायक सुरेश टाक के अलग मोर्चा बनाने से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ है। यहां उल्लेखनीय है कि टाक प्रदेश स्तर पर कांग्रेस की सरकार को समर्थन कर रहे हैं, यदि कांग्रेस और सुरेश टाक मिलकर चुनाव लड़ते तो किशनगढ़ में कांग्रेस की स्थिति बहतर हो सकती है। किशनगढ़ में अब सभा पति के लिए सुरेश दगड़ा का नाम सबसे ऊपर है, हालांकि दिनेश सिंह राठौड़ और मनोज भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इसी प्रकार बिजयनगर नगर पालिका के 35 वार्डों में से 19 वार्डों में भाजपा को सफलता मिली है। कांग्रेस को 14 तथा 2 वार्डों में निर्दलीयों को सफलता मिली है। यदि भाजपा के पार्षदों में तोडफ़ोड़ नहीं हुई तो बिजयनगर में भाजपा का बोर्ड बनेगा। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-01-2021)
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अजमेर नगर निगम के 80 वार्डों में से 49 पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत। विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल ने अपने अपने क्षेत्रों में दम दिखाया। उत्तर क्षेत्र के 36 में से 26 वार्डों में भाजपा की जीत।कांग्रेस सिर्फ 17 वार्डों में सिमटी, 13 वार्डों में निर्दलीय और एक वार्ड में आरएलपी की जीत। नेताओं की गुटबाज़ी से कांग्रेस का बंटाधार। लेकिन गजेन्द्र सिंह रलावता जीत। बृजलता हाड़ा का अब अजमेर का मेयर बनना तय। प्रतिद्वंदी दोनों दावेदार चुनाव हारी। भाजपा के नीरज जैन मात्र एक वोट से जीते। अब डिप्टी मेयर को लेकर घमासान। नवनिर्वाचित भाजपा के पार्षद जयपुर पहुंचे।

अजमेर नगर निगम पर एक बार फिर भाजपा का कब्जा हो गया है। 31 जनवरी को घोषित 80 वार्डों के चुनाव परिणाम में 49 वार्डों में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत हुई है। कांग्रेस मात्र 17 वार्डों में वार्डों में सिमट कर रह गई है। 13 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, जबकि एक वार्ड में कांग्रेस के समर्थन से आरएलपी की उम्मीदवार जीती हैं।
बृजलता हाड़ा का मेयर बनना तय:
नगर निगम में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद अब माना जा रहा है कि बृजलता हाड़ा अजमेर की मेयर होंगी। श्रीमती हाड़ा शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष डॉ. प्रियशील हाड़ा की पत्नी हैं। श्रीमती हाड़ा के मुकाबले में मेयर पद पर दावेदारी जता रहीं श्रीमती वंदना नरवाल, डॉ. नेहा भाटी दोनों ही पार्षद का चुनाव हार गई हैं। अब भाजपा में श्रीमती हाड़ा को चुनौती देने वाला कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी श्रीमती हाड़ा के पक्ष में ही है। श्रीमती हाड़ा के पति प्रियशील हाड़ा ने दस वर्ष पहले मेयर पद के लिए चुनाव लाड़ा था, लेकिन तब सीधी चयन प्रणाली में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। डॉ. हाड़ा की छवि भाजपा में साफ-सुथरी रही है। कुछ लोग डॉ. हाड़ा को दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल का प्रतिद्वंदी मानते हैं, हालांकि डॉ. हाड़ा ने कभी भी विधायक भदेल से राजनीतिक मुकाबला करने का प्रयास नहीं किया। दक्षिण विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। श्रीमती भदेल लगातार चौथी बार इस क्षेत्र से विधायक हैं। अब जब डॉ. हाड़ा की पत्नी मेयर बनने जा रही है, तब 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में भी श्रीमती भदेल को कोई चुनौती नहीं होगी।
दोनों विधायकों ने दिखाया दम:
नगरनिगम के 80 वार्डों के परिणाम बताते हैं कि भाजपा के दोनों विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल ने अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में दम दिखाया है। देवनानी के उत्तर विधानसभा क्षेत्र में निगम के 36 वार्ड आते हैं,इनमें से 26 वार्डों में भाजपा ने जीत दर्ज की है। भाजपा के जिन कार्यकर्ताओं ने निगम चुनाव में देवनानी के नेतृत्व को चुनौती देने की कोशिश की, उन सभी को हार का सामना करना पड़ा। देवनानी की शिकायत पर उत्तर क्षेत्र के 10 बागी उम्मीदवारों को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। 31 जनवरी को घोषित चुनाव परिणाम में उन 10 बागी उम्मीदवारों में से 9 चुनाव हार गए। सिर्फ वार्ड 6 से भाजपा के बागी उम्मीदवार कुंदन वैष्णव ही जीत पाए हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर विधानसभा क्षेत्र में तीन मुस्लिम बहुल्य वार्ड हैं। इन वार्डों में भाजपा की हार पहले से ही तय मानी जा रही थी। जिस प्रकार उत्तर क्षेत्र में देवनानी ने अपना राजनीतिक कौशल साबित किया है उसी प्रकार दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा की विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने अपनी राजनीतिक कुशलता दिखाई है। हालांकि दक्षिण क्षेत्र के अधिकांश वार्डों में भाजपा के बागी उम्मीदवारों ने समीकरण बिगाड़े लेकिन इसके बाद भी भाजपा का उल्लेखनीय प्रदर्शन सामने आया है।
गुटबाजी से कांग्रेस का बंटाधार:
नगर निगम के चुनाव में अजमेर में कांग्रेस कई गुटों में विभाजित देखी गई। गुटबाजी के कारण ही कांग्रेस को 80 वार्डों में से मात्र 17 वार्डों में जीत हासिल हुई है। कांग्रेस में टिकिटों को लेकर खींचतान रही। कांग्रेस के नेता महेन्द्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी, विजय जैन, डॉ. राजकुमार जयपाल, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती आदि अपने अपने समर्थकों को टिकिट दिलवाने में सफल तो रहे, लेकिन चुनाव नहीं जितवा सके। कांग्रेस ने एकजुट हो कर चुनाव लड़ा ही नहीं। कांग्रेस के इन प्रमुख नेताओं में सिर्फ विजय जैन के वार्ड संख्या 42 में ही कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई है। डॉ. श्री गोपाल बाहेती, हेमंत भाटी, राजकुमार जयपाल, महेन्द्र सिंह रलावता और नसीम अख्तर जिन वार्डों में रहते हैं, उन वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं। यानि ये नेता अपने वार्ड से भी कांग्रेस को जितवाने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस के लिए एक सुखद बात यह है कि वरिष्ठ नेता महेन्द्र सिंह रलावता के छोटे भाई गजेन्द्र सिंह रलावता पार्षद बन गए हैं। गजेन्द्र सिंह रलावता दो माह पहले तक निगम के उपायुक्त थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने पार्षद का चुनाव लड़ा और अब पार्षद बन कर निगम में अपने सेवाएं देंगे।
डिप्टी मेयर को लेकर घमासान:
प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के नवनिर्वाचित पार्षदों को जयपुर ले जाया गया है। चूंकि मेयर का पद एससी वर्ग की महिला के आरक्षित है, इसलिए अब पार्षदों के बीच डिप्टी मेयर के पद को लेकर घमासान मचा हो रहा है। डिप्टी मेयर के दावेदार अधिकांश उम्मीदवार पार्षद बन गए हैं। इनमें रमेश सोनी, नीरज जैन, अजय वर्मा, ज्ञान सारस्वत, सुरेन्द्र वालिया आदि शामिल हैं। कई पार्षद तो प्रदेश नेतृत्व में भी अपना दखल रखते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जिस दावेदार के पक्ष में सबसे ज्यादा पार्षद होंगे उसे डिप्टी मेयर बना दिया जाएगा। ऐसे में शहर के दोनों विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
वार्ड वार चुनाव परिणाम:
वार्ड नम्बर 1 में कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा ने भाजपा के सतीश बंसल को हराया है,शर्मा को 1825 व बंसल को 1416 वोट मिले हैं। वार्ड नम्बर 2 में भाजपा के मनोज कुमार मानवानी ने निर्दलीय उम्मीदवार मनोज बैरवा को हराया है, मानवानी को 1724 और बैरवा को 924 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार शैलेश गुप्ता को 743 वोट मिले। बैरवा मौजूदा पार्षद हैं और कांग्रेस का टिकिट नहीं मिलने के कारण बगावत की। वार्ड नम्बर 3 में भाजपा की उम्मीदवार प्रतिभा पाराशर ने निर्दलीय उम्मीदवार संध्या काबरा को हराया है, प्रतिभा को 1784 व संध्या को 1334 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार मंजू सोनी को मात्र 535 वोट मिले हैं। वार्ड नंबर 4 में भाजपा के ज्ञानचंद सारस्वत (3276 वोट) ने कांग्रेस के राजीव कच्छावा (434 वोट) को हराया है।  वार्ड नम्बर 5 में भाजपा के अजय वर्मा (2066) ने कांग्रेस की प्रेम कंवर को (1310) हराया है। वार्ड नम्बर 6 में निर्दलीय उम्मीदवार कुंदरन वैष्णव (621) ने भाजपा के सुरेश नवाल (300) को हराया है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार रवि प्रकाश को (279 वोट) मिले। वार्ड नम्बर 7 में आरएलपी की श्रीमती गीता (1880) ने भाजपा की वंदना नरवाल (1464) को हराया है। इस वार्ड में कांग्रेस अपना नामांकन दाखिल नहीं कर सकी। इसलिए  आरएलपी को समर्थन दिया था। आरएलपी की जीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वार्ड नम्बर 8 में भाजपा के सुभाष जाटव (1648) ने कांग्रेस के हेमंत जसोरिया (948) को हराया है।  वार्ड नम्बर 9 में भाजपा की अंजली (1298) ने निर्दलीय अशद रजा कुरैशी (1168) को हराया है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार आरिफ हुसैन को (1046) वोट मिले हैं। वार्ड नम्बर 10 में भाजपा के राजू साहू (858) ने निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश कुमार (600) को हराया है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश गोड़ीवाल को (493) वोट मिले हैं। वार्ड संख्या 11 में निर्दलीय उम्मीदवार अजहर खान (836) ने अपने प्रतिद्वंदी निर्दलीय उम्मीदवार  फुरखान हुसैन (819) को हराया है। यहां कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया, जबकि भाजपा के उम्मीदवार शहजाद खान को (138) वोट मिले हैं। वार्ड संख्या 12 में शाहजहां बीबी (1119) ने निर्दलीय उम्मीदवार सुहालिया खान (823) को हराया है, इस वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवार इफत फातिमा को (689) वोट मिले, जबकि भाजपा की उम्मीदवार जेबा नाज को मात्र 36 वोट प्राप्त हुए। यहां भी कांग्रेस ने उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। वार्ड नम्बर 13 में निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद शाकिर (790) ने निर्दलीय उम्मीदवार मेहमूद खान (787) को हराया। यहां भाजपा के उम्मीदवार मोहम्मद तोफिक को 140 वोट मिले। वार्ड नम्बर 14 में भाजपा की हेमलता बंसल (890) ने कांग्रेस की भावना चौहान (488) को हराया, यहां राखी चौरसिया को 416 वोट मिले। वार्ड संख्या 15 से कांग्रेस के नकुल खंडेलवाल (602) ने निर्दलीय उम्मीदवार मयंक गुप्ता (589) कको हराया। यहां भाजपा के उम्मीदवार किशन बालानी को 539 वोट मिले।  वार्ड नम्बर 16 से भाजपा की भारती श्रीवास्तव (1683) ने कांग्रेस के हिमांशु गर्ग (1544) को हराया। वार्ड नम्बर 17 मे भाजपा के विक्रम तंबोली (1743) ने निर्दलीय उम्मीदवार विनय (1230) को हराया। यहां कांग्रेस की उम्मीदवार सुमित्रा खेतावत को 617 वोट मिले। वार्ड नम्बर 18 में कांग्रेस की उम्मीदवार पिंकी बालोटिया (1616) ने भाजपा के मुकेश मेघवंशी (726) को हराया। वार्ड नम्बर 19 में भाजपा की सीता टांक (930) ने निर्दलीय रेखा देवी (895) को कराया, यहां कांग्रेस की पिंकी को 379 वोट मिले। वार्ड नम्बर 20 में कांग्रेस की हितेशवरी (1527) ने भाजपा की ममता शर्मा (1166) को हराया। वार्ड नम्बर 21 में भाजपा की किरण (1996) ने निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश चंद बोहरा (1015) को हराया। यहां कांग्रेस के कमलेश कुमार को 506 वोट मिले।  वार्ड नम्बर 22 में भाजपा के हेमंत सुनारीवाल (1580) ने कांग्रेस की नीता केन (1434) को हराया। वार्ड नम्बर 23 में निर्दलीय उम्मीदवार नरेश सारवान (1310) ने अपने प्रतिद्वंदी निर्दलीय अमृतलाल नहारिया (1033) को हराया। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश बोयत को 317 व भाजपा के अमर सिंह लावणा को 223 वोट मिले। वार्ड नम्बर 24 में भाजपा के लोकेश वर्मा (1183) ने कांग्रेस की पुष्पा शर्मा (1101) को हराया। वार्ड नम्बर 25 में भाजपा के बलराम कृष्ण (1255) ने निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश कुमार (1233) को हराया। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार विजय नागौरा को मात्र 242 वोट मिले। वार्ड नम्बर 26 में कांग्रेस की रश्मि हिंगोरानी (1644) ने भाजपा के जितेन्द्र रंगवानी (1287) को हराया। वार्ड नम्बर 27 में निर्दलीय उम्मीदवार विनोद कुमार (1405) ने कांग्रेस की राखी टोनी (977) को हराया। यहां भाजपा के उम्मीदवार रोशन को 886 वोट मिले। वार्ड 28 में भाजपा की भारती जांगिड (1648) में निर्दलीय उम्मीदवार गायत्री सोनी (1110) को हराया, यहां कांग्रेस की उम्मीदवार शुभा चौधरी को 890 वोट मिले। वार्ड नम्बर 29 में भाजपा की हेमलता का पहले ही निर्विरोध चयन हो गया था। वार्ड संख्या 30 में निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद वसीम (1482) ने कांग्रेस के राजेश यादव (594) को हराया। यहां भाजपा के उम्मीदवार गोवर्धन गुर्जर को 557 वोट मिले। वार्ड संख्या 31 में भाजपा की सुनीता चौहान (2099) ने कांग्रेस की माधवी (1568) को हराया। वार्ड संख्या 32 में कांग्रेस के आरिफ खान (1644) ने भाजपा के परविंद सिंह हाड़ा (521) को हराया, यहां सत्यनारायण माली को 466 वोट मिले। वार्ड नम्बर 33 में निर्दलीय जावेद खान (1391) ने भाजपा के गणेश रावत (1176) को हराया, यहां कांग्रेस के अबरार अहमद को 677 वोट मिले।  वार्ड संख्या 34 में भाजपा महेन्द्र राव (1663) ने निर्दलीय उम्मीदवार सरला (1262) को हराया, यहां कांग्रेस की उम्मीदवार जयश्री शर्मा को 454 वोट मिले। वार्ड संख्या 35 में भाजपा की भावना चौहान (1253) ने कांग्रेस की सुंदर देवी (562) को हराया। वार्ड संख्या 36 भाजपा के पृथ्वी सिंह (2039) ने कांग्रेस की जनता रावत (1135) को हराया। वार्ड संख्या 37 भाजपा के सोहन सिंह रावत (1586) ने कांग्रेस के वीर सिंह (1029) को हराया। वार्ड संख्या 38 में भाजपा के देवेन्द्र सिंह (1404) ने कांग्रेस के ईश्वर टहिल्यानी (865) को हराया। वार्ड संख्या 39 में भाजपा के राधिका गुर्जर (1586) ने कांग्रेस की पायल गुर्जर (891) को हराया।  वार्ड संख्या 40 में भाजपा की निर्मला शर्मा (1722) ने कांग्रेस की रजनी कच्छावा (916) को हराया। वार्ड संख्या 41 में भाजपा की नीतू मिश्रा (1687) ने कांग्रेस की वनीता भडाणा (1240) को हराया। वार्ड संख्या 42 में कांग्रेस के श्यामसुदंर (868) ने भाजपा के संदीप माखीजानी (739) को हराया। वार्ड संख्या 43 में निर्दलीय उम्मीदवार काजल यादव (1961) ने भाजपा की बीनू (1125) को हराया। यहां कांग्रेस की उम्मीदवार रेखा पिंगोलिया को मात्र 412 वोट मिले। वार्ड संख्या 44 में कांग्रेस की द्रोपदी कोली (1164) ने भाजपा की विस्मिता चित्तौडिय़ा (878) को हराया। वार्ड संख्या 45 में निर्दलीय उम्मीदवार बीना टांक (1007) ने भाजपा की मनीषा गौड (934) को हराया, यहां कांग्रेस की उम्मीदवार सोनल मौर्य को 543 वोट मिले। वार्ड 46 में भाजपा के हेमंत सांखला (2060) ने कांग्रेस के धर्मेन्द्र नागवाल (848) को हराया। वार्ड संख्या 47 में भाजपा की कुसुम लता (1493) ने कांग्रेस की कीर्ति हाड़ा (1131) को हराया। वार्ड संख्या 48 में कांग्रेस की चचंल देवी (2038) ने भाजपा के अशोक कुमार (1179) को हराया। वार्ड संख्या 49 में कांग्रेस की लक्ष्मी (760) ने निर्दलीय निलीमा चित्तौडिय़ा (536) को हराया, यहां भाजपा की कृष्णा सुचेता को 423 वोट मिले। वार्ड संख्या 50 में कांग्रेस के नरेश सत्यावना (1196) ने भाजपा की डॉ. नेहा भाटी (696) को हराया। वार्ड संख्या 51 में भाजपा की बृजलता हाड़ा (2754) ने कांग्रेस की किरण (1595) को हराया। वार्ड 52 में भाजपा सीलम (1270) ने कांग्रेस की मधूबाला (953) को हराया। वार्ड संख्या 53 कांग्रेस के कुशल कोमल (949) ने भाजपा के सत्यनाराण (695) को हराया। वार्ड संख्या 54 में कांग्रेस के सुनील धानका (1683) ने निर्दलीय मदन कुमार (979) को हराया, यहां भाजपा के दीपक धानका को 651 वोट मिले। वार्ड संख्या 55 में भाजपा के रजनीश चौहान (1054) ने कांग्रेस के विनोद आसनानी (775) को हराया। वार्ड संख्या 56 में भाजपा की अंजना शेखावत (1371) ने कांग्रेस की शिवांगी शर्मा (902) को हराया। वार्ड संख्या 57 में निर्दलीय रणजीत सिंह (1291) ने कांग्रेस के दीपक यादव (1254) को हराया, यहां भाजपा के हेमांश सेठी को 801 वोट मिले। वार्ड संख्या 58 में कांग्रेस के मनीष सेठी (684) ने भाजपा के चन्द्रशेखर शर्मा (598) को हराया। वार्ड 59 में निर्दलीय श्रवण कुमार (1010) ने भाजपा के बलराज कच्छावा (700) को हराया, यहां कांग्रेस के सुनील दग्दी को 449 वोट मिले। वार्ड 60 में भाजपा की डिपंल शर्मा (1553) ने निर्दलीय उम्मीदवार आभा भारद्वाज (1317) को हराया, यहां कांग्रेस की सोनिया गुर्जर को 821 वोट मिले। वार्ड 61 में भाजपा की गीता देवी (1001) ने कांग्रेस की मीनाक्षी (997) को हराया। वार्ड 62 में निर्दलीय नरेन्द्र तुनवाल (1366) ने भाजपा के आदित्य ढलवाल (660) को हराया, यहां कांग्रेस की मंजू को 613 वोट मिले। वार्ड 63 में भाजपा के राजेन्द्र सिंह राठौड़ (2397) ने निर्दलीय शौकत अली (1739) को हराया, यहां कांग्रेस के बृजेन्द्र राठौड़ को 474 वोट मिले। वार्ड 64 में भाजपा के रिंकू जादम (1979) ने कांग्रेस की मोनिका सतरावला (972) को हराया। वार्ड 65 में कांग्रेस के नौरत गुर्जर (2264) ने भाजपा के सत्यनारायण शर्मा (974) को हराया। वार्ड 66 में भाजपा के नीरज जैन (1581) ने कांग्रेस के गणेश चौहान को (1580) हराया। वार्ड 67 में भाजपा नलिनी शर्मा (1315) ने निर्दलीय इंदू राठी (622) को हराया, यहां कांग्रेस की अरुणा कच्छावा को 432 वोट मिले। वार्ड 68 में कांग्रेस की अनिता चौरसिया (1160) ने भाजपा की इंदिरा यादव (1124) को हराया, यहां निर्दलीय संतोष यादव को 929 वोट मिले।  वार्ड 69 में भाजपा के अशोक मुदगल (1140) ने कांग्रेस के दीनदयाल शर्मा (1019) को हराया। वार्ड 70 में भाजपा के किशन कुमार त्रिपाठी (1114) ने कांग्रेस के राजेश शर्मा (782) को हराया। वार्ड 71 में भाजपा के रमेश सोनी (1863) ने कांग्रेस की मोनिका जैन (1347) को हराया। वार्ड 72 में कांग्रेस के गजेन्द्र रलावता (1575) ने भाजपा के गोपाल शर्मा (1119) को हराया। वार्ड 73 में भाजपा की प्रियंका सांखला (1436) ने कांग्रेस की चन्द्रकांता (641) को हराया। वार्ड 74 में भाजपा की रुबी जैन (1739) ने कांग्रेस की कन्या देवी (1149) को हराया। वार्ड 75 में भाजपा के रमेश चेलानी (808) ने निर्दलीय सतीश कुमार वर्मा (510) को हराया, यहां कांग्रेस के उम्मीदवार एडवोकेट योगेन्द्र ओझा को मात्र 146 वोट मिले। वार्ड 76 में भाजपा के अतिश माथुर (1447) ने कांग्रेस के समीर भटनागर (587) को हराया। वार्ड 77  में भाजपा के जितेन्द्र लालवानी (1991) ने निर्दलीय हरिराम कोठवानी (306) को हराया। वार्ड 78 में कांग्रेस के हमिद खान (2328) ने भाजपा के कृष्ण कुमार टांक (886) को हराया। वार्ड 79 में भाजपा के वीरेन्द्र वालिया (1673) ने निर्दलीय बबीता विश्नोई (586) को हराया, यहां कांग्रेस के राजकुमार मात्र 229 वोट मिले। वार्ड 80 में भाजपा के धर्मेंद्र सिंह चौहान (2593) ने कांग्रेस के मुबारक अली (2247) को हराया। 
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Saturday 30 January 2021

कोरोना की वजह से न सीकर में खाटूश्याम का फाल्गुनी मेला भरेगा न अजमेर में ख्वाजा साहब उर्स का मेला।मेला अवधि में 14 से 26 मार्च तक बंद रहेगा खटूश्याम का मंदिर। जबकि अजमेर में उर्स के दौरान भीड़ को एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा।अजमेर और सीकर का प्रशासन दोनों धार्मिक स्थल पर कोविड-19 की गाइड लाइन का पालना करवाएगा।

कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होने पर सरकार ने भले ही सबकुछ खोल दिया हो, लेकिन राजस्थान में अभी भी धार्मिक स्थलों पर मेले भरने पर रोक लगी हुई है, यही वजह है कि फरवरी में अजमेर में भरने वाले उर्स मेले और मार्च में सीकर के खाटू में भरने वाले श्याम बाबा के फाल्गुनी मेले पर असर पड़ा है। अजमेर और सीकर के प्रशासन ने मेला अवधि में कोविड-19 की गाइड लाइन को लागू किया है। सीकर के खाटू में श्याम बाबा के मंदिर में प्रति वर्ष हिन्दू माह फाल्गुन में फाल्गुनी लक्खी मेला भरता है, इसमें 20 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए प्रशासन ने अब निर्णय लिया है कि मेला अवधि में 14 से 26 मार्च तक मंदिर बंद रहेगा, यहां तक कि ऑनलाइन दर्शन भी नहीं होंगे। मंदिर के 350 साल के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब फाल्गुनी मेले के अवसर पर मंदिर को बंद रखा जा रहा है। प्रशासन ने श्याम बाबा के भक्तों से अपील की है कि वे इस बार फाल्गुनी मेले में नहीं आएं। मंदिर बंद करने का निर्णय लेकर प्रशासन ने अपना सख्त रवैया पहले ही दर्शा दिया है। हालांकि अभी सामान्य दिनों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के आधार पर मंदिर में दर्शन करवाए जा रहे हैं। लेकिन उस में भी प्रतिमाह एकादशी और बारस के दिन मंदिर को बंद रखा जा रहा है। एकादशी और बारस पर खाटूश्याम के दर्शन का धार्मिक महत्व है, प्रतिमाह एकादशी और बारस पर भी एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु खाटू में एकत्रित होते हैं, इसलिए कोरोना काल में इन दोनों दिन मंदिर को बंद रखा गया है। फाल्गुनी मेले की अवधि में मंदिर बंद होने से श्रद्धालुओं को निराशा हुई है।
अजमेर में भी नहीं भरेगा उर्स का मेला:
मुस्लिम माह रज़ब की पहली तारीख से लेकर छह तारीख तक अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का सालाना उर्स मनाया जाता है। चाँद दिखने पर अंग्रेजी तारीख के हिसाब से ख्वाजा उर्स 12 फरवरी से शुरू होगा। उर्स में शरीक होने के लिए लाखों जायरीन देशभर से अजमेर आते हैं। लेकिन इस बार उर्स के अवसर पर मेला भराने की प्रशासन ने इंकार कर दिया है। हालांकि छह दिवसीय उर्स की अवधि में ख्वाजा साहब की दरगाह में सभी धार्मिक रस्में होंगी और जायरीन जियारत भी कर सकेगा। लेकिन भीड़ को एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने दरगाह के खादिमों से भी गुज़ारिश की है कि उर्स में आने वाले जायरीन को रोका जाए। उर्स के मौके पर प्रशासन की ओर से प्रति वर्ष जयपुर रोड स्थित कायड़ विश्राम स्थली पर इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन इस बार प्रशासन विश्राम स्थली पर कोई इंतजाम नहीं करेगा। खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने भी उर्स के मौके पर आने वाले जायरीन से कोविड-19 के नियमों का पालन करने का आग्रह किया है। उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों से उर्स में नहीं आने की अपील की है। अंगाराशाह ने माना कि कोरोना संक्रमण की वजह से दरगाह में जायरीन की आवक कम है,इसलिए खादिम समुदाय को लेकर अजमेर के व्यापारियों को भी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उर्स मेले को लेकर प्रशासन ने जो दिशा निर्देश दिए हैं उनका पूरी तरह पालन किया जाएगा। 
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किसान आंदोलन के कमजोर पड़ते ही विपक्षी दलों के नेता नकाब उतार कर सामने आ गए।काश! ऐसी हमदर्दी 400 जख्मी जवानों के प्रति दिखाई जाती। लालकिले की घटना पर चुप रहे।

26 जनवरी को दिल्ली हिंसा के बाद जब दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन कमजोर पडऩे लगा तो विपक्षी दलों के नेता अपने चेहरे पर से नकाब उतार कर सामने आ गए। जो किसान नेता कल तक कह रहे थे कि हमारा किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है, उन नेताओं को विपक्षी दलों के नेता अचानक अच्छे लगने लगे। राकेश टिकैत के आसंू पौछने के लिए दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आरएलडी के जयंत चौधरी धरना स्थल पर ही पहुंच गए। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने टिकैत से फोन पर बात की तो कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि किसानों को एक इंच भी पीछे नहीं हटना चाहिए। पूरी कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी साथ देने का भरोसा जताया। विपक्षी दलों के नेताओं ने ऐसे प्रदर्शित किया जैसे यदि किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा तो उनकी राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी। विपक्षी दलों के नेता आंदोलन को जारी रखने के लिए कुछ भी करने को उतावले दिखे। सब जानते हैं कि पंजाब में अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव दस-बीस हजार लोगों को राकेश टिकैत के समर्थन में भेज ही सकते हैं। विपक्षी दलों के खुले समर्थन के बाद दिल्ली की सीमाओं पर फिर से भीड़ जमा हो गई। लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के द्वारा किसी आंदोलन को समर्थन देना गलत नहीं हैं, लेकिन ऐसी हमदर्दी यदि दिल्ली पुलिस के 400 जख्मी जवानों के प्रति भी दिखाई जाती तो अच्छा होता। सवाल उठता है कि क्या पुलिस के जवान देश के नागरिक नहीं है? 26 जनवरी को किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्वों ने जो हिंसा की उसमें पुलिस के 400 जवान जख्मी हो गए। अब जख्मी जवान अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो अपना फर्ज निभाते हुए अस्पतालों में जख्मी जवानों से मुलाकात की लेकिन राहुल गांधी जैसे किसी भी नेता ने जख्मी जवानों की कुशलक्षेम नहीं पूछी। क्या विपक्षी दलों के नेता उन्हीं लोगों के साथ हमदर्दी दिखाते हैं जो लाल किले पर लहरते तिरंगे का अपमान करते हैं? राहुल गांधी और विपक्षी दलों के नेतो बताएं कि तिरंगे के पास ही दूसरे झंडे फहराना कितना उचित है? यदि विपक्षी नेताओं को किसान आंदोलन के कमजोर होने की चिंता है तो उन्हें दिल्ली हिंसा की भी उसी तरह निंदा करनी चाहिए, जिस तरह आंदोलन के प्रति हमदर्दी दिखाई जा रही है। हालांकि अब क्षेत्रीय ग्रामीण जिसमें किसान वर्ग भी शामिल है का कहना है कि लम्बे धरने से उनका कारोबार चौपट हो गया है। यदि धरना समाप्त नहीं हुआ तो वे स्वयं सिधी कार्यवाही करेंगे। हालांकि 28 जनवरी को पुलिस ने ग्रामीणों और धरनार्थियों का टकराव टाल दिया, लेकिन धरनार्थियों को भी ग्रामीणों की समस्या समझनी चाहिए।
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मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग के लिए एक फरवरी से घर घर संपर्क अभियान चलेगा।डॉ. दम्पत्ति ने अपने पुत्र के जन्मदिन पर 83 हजार रुपए की राशि मंदिर निर्माण के लिए दी।रिटायर प्रोफेसर बीपी सारस्वत और पूर्व प्रधान अशोक सिंह रावत ने भी एक-एक लाख रुपए समर्पित किए।

अयोध्या में बनने वाले भगवान राम के मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग के लिए एक फरवरी से घर-घर संपर्क अभियान चलाया जाएगा। अजमेर स्थित श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र निधि समर्पण अभियान के विभाग प्रमुख एडवोकेट शशि प्रकाश इंदौरिया ने बताया कि 15 फरवरी तक चलने वाले संपर्क अभियान में अजमेर विभाग के सभी 1 हजार 200 गांव के राम भक्तों से घर घर जाकर संपर्क किया जाएगा। इसके लिए पांच सौ दल बनाए गए हैं। घर घर संपर्क अभियान में परिवार के मुखिया से उसकी स्वैच्छा से धनराशि ली जाएगी। इंदौरिया ने बताया कि आर्थिक दृष्टि से संपन्न परिवारों ने मंदिर निर्माण के लिए बड़ी धनराशि समर्पित की है। अजमेर के आदर्श नगर स्थित नव जीवन अस्पताल के मालिक डॉ. शंभुशरण व डॉ. कुमकुम सिंह ने अपने पुत्र अनिरुद्ध सिंह के जन्म दिन पर 83 हजार रुपए की राशि मंदिर निर्माण के लिए दी है। इसी प्रकार एमडीएस यूनिवर्सिटी से सेवानिवृत्त प्रो. बीपी सारस्वत और पूर्व प्रधान अशोक सिंह रावत ने एक-एक लाख रुपए समर्पित किए हैं। इसी प्रकार एडवोकेट मदन सिंह रावत ने 51 हजार, श्रवण सिंह रावत ने 11 हजार, राजेन्द्र सिंह रावत ने 11 हजार, उदयसिंह बाकोलाइ ने 51 सौ, एडवोकेट मनोज आहूजा ने 21 हजार रुपए समर्पित किए हैं। अजमेर के होलीदड़ा स्थित नृसिंह मंदिर के महंत श्याम सुंदर शरण देवाचार्य ने 11 हजार रुपए का योगदान दिया है। इसी प्रकार साध्वी अनादि सरस्वती, सीताराम मंदिर के महंत सत्य नारायण व्यास, लाड़ी घर के संत स्वामी कृष्णानंद आदि ने भी अपने शिष्यों से सहयोग करना का भरोसा दिया है। इंदौरिया ने बताया कि मंदिर निर्माण में सहयोग देेने के लिए रामभक्तों में जबर्दस्त उत्साह है। हर राम भक्त चाहता है कि उसके सहयोग से भी मंदिर का निर्माण हो। घर घर संपर्क अभियान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414666374 पर इंदौरिया से ली जा सकती है। 
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किसान आंदोलन के हंगामे के बीच दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहार आतंकी विस्फोट होना बहुत खतरनाक है।भारत तो पहले ही पाकिस्तानी आतंकवाद से परेशान है। इज़राइल की जवाबी कार्यवाही भारत के लिए नुक़सानदेह होगी।

30 जनवरी को पता चला कि 29 जनवरी को दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर जो विस्फोट हुआ, उसमें ईरान के चरमपंथियों का हाथ है जो इज़राइल को सबक सिखाना चाहते हैं। चरमपंथियों की ओर से कहा गया कि यह तो ट्रेलर है। यानि भारत में इज़राइल के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही भी हो सकती है। दिल्ली में अपने दूतावास के बाहर हुए विस्फोट को  इज़राइल  ने बहुत गंभीरता से लिया है और अब  इज़राइल  की विश्व विख्यात खुफिया एजेंसी मोसाद के अधिकारी दिल्ली आकर जांच पड़ताल करेंगे। दुनिया जानती है कि इज़राइल अपने दुश्मनों को कभी नहीं बख्शता है। मौका देखते ही दुश्मन को धराशायी करता है। ईरान में इजरायल के प्रति इसलिए भी गुस्सा है कि ईरान के एक जनरल और एक वैज्ञानिक को मारा गया।  इज़राइल  और ईरान लड़ सकते हैं, लेकिन इसके लिए भारत अखाड़ा नहीं बन सकता। भारत तो पहले ही पाकिस्तानी आतंकवाद से परेशान है। अब यदि ईरान के चरमपंथी सक्रिय होते हैं तो भारत के लिए सहन करना मुश्किल होगा। असल में भारत की आतंरिक परिस्थितियां ऐसी नहीं है जिसमें  इज़राइल  अपने दुश्मनों से बदला ले सके। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास इस बात के इनपुट हैं कि स्लीपर सेल की वजह से ही पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में आतंकी गतिविधियाँ करवाती है। पाकिस्तान में बैठे चरमपंथी नेता खुलेआम भारत के विरुद्ध जहर उगलते हैं। भारत के लोकतंत्र में इसे वोटों का समीकरण ही कहा जाएगा कि अनेक राजनेता पाकिस्तान के समर्थन में खड़े हो जाते हैं। ईरान के चरमपंथियों ने 28 जनवरी को दिल्ली में तब विस्फोट किया है, जब किसान आंदोलन हंगाम हो रहा है। 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस पर दिल्ली को हिंसा की आग में झोंक दिया। अराजक तत्वों ने किसान आंदोलन की आड़ में 400 पुलिस वालों को जख्मी कर ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर पर तिरंगे के पास दूसरा झंडा भी लगा दिया। इसके लिए अराजकतत्व पुलिस को रौंदते हुए लाल किले तक पहुंचे। दिल्ली पुलिस जब किसान आंदोलन से निपटने में लगी हुई है, तब ईरान के चरमपंथियों ने इजरायली दूतावास के बाहर विस्फोट किया है। अब यदि इज़राइल की ओर से जवाबी कार्यवाही होती है तो फिर इसका ख़ामियाज़ा भारत को ही भुगतना पड़ेगा। इज़राइल को चाहिए कि इस मामले में संयम दिखाए और भारत की आतंरिक परिस्थितियों को समझे। यह माना कि भारत और इज़राइल   के संबंध बहुत अच्छे हैं, लेकिन भारत, इज़राइल   और ईरान के बीच लड़ाई का अखाड़ा नहीं बन सकता है। भारत के संबंध ईरान से भी अच्छे हैं, इसलिए ईरान को भी भारत की परिस्थितियों का ख्याल रखना चाहिए। भारत इज़राइल  की तरह सख्त रवैया अपनाने की स्थिति में नहीं है। 
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Friday 29 January 2021

जिला प्रमुख के चुनाव के समय हुई बगावत से भाजपा ने सबक लिया। अजमेर नगर निगम के चुनाव में मत गणना से पहले ही उम्मीदवारों की बाड़ाबंदी।उम्मीदवारों की बाड़ाबंदी को लेकर कांग्रेस के नेताओं में खींचतान। मुस्लिम बहुल्य वार्डों में उम्मीदवार न बनाए जाने पर नाराज़गी बरकरार।14 मौजूदा पार्षद भी मैदान में।

अजमेर के जिला प्रमुख के चुनाव में जिस तरह बगावत हुई उससे सबक लेते हुए नगर निगम के चुनाव में भाजपा कुछ ज्यादा ही सतर्कता बरत रही है। यही वजह है कि मत गणना से पूर्व ही निगम के सभी 80 वार्डों के भाजपा उम्मीदवारों को 29 जनवरी को ही एकत्रित कर लिया गया है। फिलहाल भाजपा उम्मीदवारों को शहर के बीच स्थित विजय लक्ष्मी पार्क समारोह स्थल पर कैद किया गया है। रणनीति के मुताबिक 30 जनवरी को सभी उम्मीदवारों को जयपुर रोड स्थित पैराडीजो रिसोर्ट में ले जाया जाएगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि 31 जनवरी को मत गणना के बाद 7 फरवरी को मेयर का चुनाव होना है। माना जा रहा है कि जो उम्मीदवार विजयी होंगे उन्हें 7 फरवरी तक बाड़ाबंदी में रहना होगा। सभी उम्मीदवार एकत्रित हो जाए, इसके लिए भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी, श्रीमती अनिता भदेल, शहर भाजपा के जिला अध्यक्ष डॉ. प्रियशील हाड़ा, पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत तथा पूर्व डिप्टी मेयर संपत सांखला की टीम बनाई गई है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने अजमेर के नेताओं को स्पष्ट कह दिया है कि मेयर चुनाव में कोई गुटबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव के प्रभारी और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी और सह प्रभारी अशोक लाहोटी भी अजमेर पहुंच गए हैं। महिला उम्मीदवारों के साथ एक रिश्तेदार को रखने की छूट दी गई है। कई निवर्तमान पार्षदों ने अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनवाया है, इसलिए कई महिला उम्मीदवार अपने पति के साथ बाड़ाबंदी में मौजूद हैं।
एससी महिला के लिए आरक्षित है मेयर का पद:
अजमेर नगर निगम के मेयर का पद इस बार एससी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। भाजपा में मेयर पद के लिए शहर भाजपा के अध्यक्ष डॉ. प्रियशील हाड़ा की पत्नी बृजलता हाड़ा को सशक्त दावेदार माना जा रहा है। किन्हीं कारणों से यदि श्रीमती हाड़ा के नाम पर सहमति नहीं होगी तो फिर दक्षिण क्षेत्र की विधायक श्रीमती अनिता भदेल की उम्मीदवार डॉ. नेहा भाटी तथा उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी की उम्मीदावर श्रीमती वंदना नरवाल होंगी। इसी प्रकार कांग्रेस में पार्षद बनने पर मंजू बलाइ, द्रोपदी कोली, रेखा पिंगोलिया, राखी टोनी आदि को दावेदार माना जा रहा है।
कांग्रेस में एकजुटता नहीं:
उम्मीदवारों को एकत्रित करने को लेकर कांग्रेस में एकजुटता नजर नहीं आ रही है। गुटों में विभाजित कांग्रेस में नेता अपने अपने नजरिए से उम्मीदवारों को एकत्रित करने की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गत विधानसभा चुनाव में उत्तर क्षेत्र के प्रत्याशी रहे महेन्द्र सिंह रलावता ने बताया कि उत्तर क्षेत्र में 36 वार्ड आते हैं, जिन वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, उन सभी से संपर्क किया जा रहा है। उत्तर क्षेत्र के कांगे्रस उम्मीदवार एकजुट हैं। रलावता ने कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस को मुस्लिम बहुल्य वार्डों में उम्मीदवार खड़े नहीं करने पर नुकसान हुआ है। उन्होंने अपने पैनल में तीनों मुस्लिम बहुल्य वार्ड 11, 12 व 13 में उम्मीदवारों के नाम दिए थे, लेकिन कांग्रेस के ही एक पूर्व विधायक के दखल की वजह से पार्टी ने इन वार्डों में उम्मीदवार घोषित नहीं किए। इस संबंध में उन्होंने पर्यवेक्षक को लिखित में शिकायत की है। रलावता ने दावा किया कि उत्तर क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहेगा। कांग्रेस में दक्षिण के 42 वार्डों में से अधिकांश वार्डों की कमान वरिष्ठ नेता हेमंत भाटी के पास है। चुनाव प्रचार में भी हेमंत भाटी ने सक्रिय भूमिका निभाई है, लेकिन कुछ वार्डों में प्रचार की कमान शहर अध्यक्ष विजय जैन के पास रही। ऐसे में हेमंत भाटी और विजय जैन भी अपने अपने समर्थक उम्मीदवारों से संपर्क बनाए हुए हैं।
14 मौजूदा पार्षद भी मैदान में:
कांग्रेस और भाजपा के सात-सात मौजूदा पार्षद चुनावी मैदान में है। इनमें भाजपा के मौजूदा पार्षद ज्ञान सारस्वत, श्रीमती वंदना नरवाल, राजू साहू, नीरज जैन, कृष्ण कुमार त्रिपाठी तथा वीरेन्द्र वालिया हैं। इसी क्रम में वार्ड संख्या 16 से भारती श्रीवास्तव और 60 से श्रीमती डिंपल शर्मा का नाम उल्लेखनीय है। भारती श्रीवास्तव की बेटी पार्षद हैं, तो वहीं डिंपल शर्मा के पति जेके शर्मा मौजूदा समय में पार्षद हैं। इसी प्रकार वार्ड 56 से कांग्रेस की उम्मीदवार शिवांगी शर्मा के पति समीर शर्मा मौजूदा समय में पार्षद हैं। 
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दिल्ली हिंसा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया।दिल्ली की सीमाओं पर अब किसानों के धरने का क्या औचित्य है?हिंसा फैलाने वाले नेताओं को जेल में होना चाहिए।

29 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति ने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के बीच कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र के पवित्र दिन दिल्ली में जो हिंसा हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस तरह तिरंगे का अपमान किया गया, वह भी दुर्भाग्यपूर्ण है। यह तब हुआ जब केन्द्र सरकार किसानों के लिए बहुत कुछ कर रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के लागू होने से किसानों को नया बाजार उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर रोक लगा दी है, तब हिंसा की कोई जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अपनी वाजिब मांगों के लिए किसानों को आंदोलन का अधिकार है, लेकिन ऐसे आंदोलन में हिंसा की कोई गुंजाईश नहीं है। एक ओर संसद में राष्ट्रपति ने अपने विचार व्यक्त किए तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली की सीमाओं पर 29 जनवरी को भी धरना प्रदर्शन का जोर रहा। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने ऐसे धरनों को अवैध घोषित कर दिया है और धरनों को हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। सवाल उठता है कि 26 जनवरी को दिल्ली में जिस प्रकार हिंसा हुई और लालकिले पर तिरंगे का अपमान हुआ, उसे देखते हुए क्या अब किसान आंदोलन का कोई औचित्य है? हालांकि दिल्ली हिंसा के बाद कई किसान संगठनों ने आंदोलन से अलग होने की घोषणा की है, लेकिन अभी भी हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने 28 जनवरी को जिस तरह आंसू बहाए उससे लगता है कि किसानों का धरना प्रदर्शन लम्बा चलेगा। टिकैत ने रोते हुए कहा कि वे अपने समर्थकों के साथ दिल्ली की सीमाओं पर जमे रहेंगे। सवाल यह भी है कि जिन किसान नेताओं पर दिल्ली में हिंसा फैलाने का आरोप है, उन्हें क्या अब धरना देने का अधिकार है। कानून के हिसाब से तो ऐसे नेताओं को जेल में होना चाहिए। सब जानते हैं कि दिल्ली की हिंसा में पुलिस के 400 जवान जख्मी हुए जो अब अपना इलाज अस्पतालों में करवा रहे हैं। क्या पुलिस जवानों पर हमला करने वाले लोग आंदोलन चलाने के हक़दार हैं। जहां तक कृषि कानूनों का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है और कानूनों की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी भी बना दी है। यह कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देगी, एक तरह से तीनों कानून न्यायिक समीक्षा की परिधि में आ गए हैं, इसलिए संवैधानिक तौर पर भी इन कानूनों को लेकर आंदोलन की कोई जरूरत नहीं है। 
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7500वां ब्लॉग पाठकों एवं शुभचिंतकों को समर्पित है।कृपया ब्लॉग की चोरी न करें। आपने जो लिखा ही नहीं, उस पर अपना अधिकार कैसे जता सकते हैं।

यह 7500वां ब्लॉग मेरे पाठकों और शुभचिंतकों को समर्पित है। पाठकों और शुभचिंतकों से मुझे जो ऊर्जा मिलती है, उसी का परिणाम है कि मैं प्रतिदिन तीन-चार ब्लॉग लिख पाता हंू। जो लोग लेखन का कार्य करते हैं, उन्हें पता है कि रोजाना लिखना कितना कठिन कार्य होता है। देश और प्रदेश के हालातों पर जो आम पाठक सोचता है वो ही ब्लॉग में लिखा जाता है, इसलिए मेरे ब्लॉग अब आम पाठक के ब्लॉग हो गए हैं। हो सकता है कि कुछ लोग मेरे विचारों से सहमत नहीं हो, लेकिन मैं ऐसे लोगों के विचारों का भी स्वागत करता हंू। लेकिन मैं अपने लाखों पाठकों को यह भरोसा दिलाता हंू कि मेरे ब्लॉग हमेशा देश हित में होंगे। सरकार किसी भी दल की हो, लेकिन मैं हमेशा अपने देश के साथ खड़ा हंू। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि पाठकों का स्नेह किसी तरह बना रहे ताकि मैं प्रतिदिन लिखता रहूं। 7500वां ब्लॉग के अवसर पर मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हंू कि ब्लॉग की चोरी नहीं की जाए। मेरे ब्लॉग सोशल मीडिया  के विभिन्न प्लेट फार्मों के साथ करीब तीन हजार वाट्सप ग्रुप में पोस्ट होते हैं। मुझे उस समय दु:ख होता है, जब मेरे लिखे ब्लॉग चोरी कर किसी अखबार या वेब पोर्टल पर प्रकाशित होते हैं। जो पत्रकार स्वच्छ पत्रकारिता करता है वो मुझे फोन कर बताता है कि ब्लॉग का उपयोग उसके अखबार या पोर्टल के लिए किया जा रहा है, लेकिन जो साथी गलत तरीके से पत्रकारिता करते हैं वे ब्लॉग से मेरा नाम और पहचान हटा कर ब्लॉग का उपयोग अपने अखबार और पोर्टल के लिए कर लेते हैं। सवाल उठता है कि जो आपने लिखा ही नहीं, उस पर अपना अधिकार कैसे जमा सकते हैं? मेरा एक बार फिर आग्रह है कि जब कभी ब्लॉग का उपयोग करें तो मेरे नाम के साथ साथ फेसबुक पेज का एड्रेस जरूर दें। इससे दोनों का ही सम्मान होगा। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश आदि राज्यों के पत्रकारों से मेरा आग्रह है कि ब्लॉग के इस्तेमाल के समय मेरी भावनाओं का भी ख्याल रखें। चूंकि सोशल मीडिया पर पोस्ट सामग्री पर सबका का अधिकार होता है,इसलिए एक-दूसरे का सम्मान करना ही चाहिए। 
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Thursday 28 January 2021

राजस्थान में 90 निकायों में मतदान के बाद ही शुरू हो जाएगी बाड़बंदी। 31 जनवरी को मत गणना के बाद निकाय प्रमुख का चुनाव 7 फरवरी को होना है।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डोटासरा सहित 7 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर।केकड़ी में मंत्री रघु शर्मा पर पद के दुरुपयोग का आरोप।अजमेर नगर निगम के वार्डों में निर्दलीयों ने दिखाया दम।

28 जनवरी को राजस्थान के 90 शहरी निकायों में मतदान हुआ। शाम 5 बजे मतदान पूरा होने के साथ ही संभावित विजय उम्मीदवारों की बाड़ाबंदी शुरू हो रही है। कई स्थानों पर कांग्रेस और भाजपा के सभी उम्मीदवारों को एकत्रित होने के निर्देश दे दिए गए हैं। 31 जनवरी को परिणाम आने पर विजय उम्मीदवारों को ही होटल रिसोर्ट आदि स्थानों पर रखा जाएगा। असल में कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता है, इसलिए मतदान के बाद से ही बाड़ाबंदी शुरू की जा रही है। चूंकि मत गणना और निकाय प्रमुख के चुनाव में सात दिन का अंतर है, इसलिए बाड़ाबंदी पर जोर दिया जा रहा है। भाजपा जहां अपने पुराने रिकॉर्ड को बनाए रखना चाहती है, वहीं कांग्रेस के नेताओं पर सत्तारुढ़ होने का दबाव है। आमतौर पर यह माना जाता है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार है उसी पार्टी का कब्जा निकायों पर होता है। 90 निकायों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ सात मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। ये सातों मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में आने वाले नगर पालिकाओं के चुनाव में हर स्थिति में कांग्रेस का बोर्ड बनवा चाहते हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार इस बार निकाय चुनावों में निर्दलीय पार्षदों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसलिए दोनों ही दलों के नेताओं की नजर निर्दलीय पार्षदों पर भी लगी हुई है। शिक्षा मंत्री डोटासरा के विधानसभा क्षेत्र की लक्ष्मण गढ़ नगर पालिका के चुनाव हो रहे है। इसी प्रकार चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के विधानसभा क्षेत्र में केकड़ी और सरवाड़ नगर पालिका के चुनाव हो रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री देवी सिंह भाटी के विधानसभा क्षेत्र की देशनोंक, सालेमोहम्मद की पोखरण, अशोक चांदना की नैनवा, सुख राम विश्नोई की सांचोर तथा मंत्री महेन्द्र चौधरी के विधानसभा क्षेत्र में आने वाली कुचामन और नवां नगर पालिका के चुनाव हो रहे हैं। इन मंत्रियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। यदि मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में आने वाली नगर पालिकाओं में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है तो इन मंत्रियों की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
मंत्री पद के दुरुपयोग का आरोप:
अजमेर देहात भाजपा के जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा ने केकड़ी में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा पर मंत्री पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। भूतड़ा ने कहा कि 28 जनवरी को मतदान के दौरान भी मतदान केन्द्रों पर मंत्री का दबाव और प्रभाव देखने को मिला। मतदान केंद्रों पर भाजपा के उम्मीदवारों को जाने से रोका गया, जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं अवैध रूप से मतदान केन्द्रों पर प्रवेश करते रहे। भाजपा के कार्यकर्ताओं की शिकायत को निर्वाचन अधिकारियों और पुलिस के अधिकारियों ने अनदेखा किया। भूतड़ा ने कहा कि प्रचार के दौरान भी मंत्री रघु शर्मा के दबाव से ही 16 भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमें दर्ज किए गए। भूतड़ा ने कहा कि रघु शर्मा अपने प्रभाव का कितना भी दुरुपयोग कर ले, लेकिन उन्हें चुनाव में हार कार सामना करना पड़ेगा। केकड़ी की जनता मंत्री के व्यवहार से बेहद गुस्से में है।
निगम के वार्डों में निर्दलीय का दम:
90 निकायों में एक मात्र नगर निगम अजमेर का है। इसलिए अजमेर नगर निगम के चुनाव पर प्रदेश भर की नजर लगी हुई है। हालांकि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अजमेर जिले की एक मात्र मंत्री हैं, लेकिन नगर निगम के चुनाव में उन्होंने कोई सक्रियता नहीं दिखाई है। 80 वार्डों में से एक वार्ड में पहले ही भाजपा की उम्मीदवार का निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। कांग्रेस के उम्मीदवार तीन वार्डों में नामांकन दाखिल नहीं कर सके, जबकि तीन मुस्लिम बहुल्य वार्डों में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार खड़े ही नहीं किए। यानि अब कांग्रेस 74 वार्डों में ही चुनाव लड़ रही है। चूंकि पार्षद पद का आकर्षण बहुत बढ़ गया है, इसलिए निगम के वार्डों में निर्दलीय पार्षदों ने भी अपना दम दिखाया है। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को बगावत का ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस की जिला और ब्लॉक कमेटियां भंग है, इसलिए एकजुटता के साथ प्रचार नहीं हो सका, यही स्थिति 28 जनवरी को मतदान के दिन भी देखने को मिली है। कांग्रेस के अधिकांश उम्मीदवार अपने दम पर ही मतदान केन्द्रों के बाहर खड़े नजर आए। 
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26 जनवरी को हिंसा के लिए कांग्रेस अब केन्द्र सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही है। कांग्रेस की ऐसी रणनीति की वजह से ही चुनावों में लगातार हार हो रही है।आखिर कांग्रेस आत्मघाती कदम क्यों उठाती है?

26 जनवरी को दिल्ली में किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्वों की हिंसा के दौरान पुलिस ने जो संयम और धैर्य दिखाया, उसकी अब सब जगह प्रशंसा हो रही है। 400 जवानों ने जख्मी हो जाने के बाद भी पुलिस ने जवाबी कार्यवाही नहीं की, लेकिन अब कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली हिंसा के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार हैं, इसलिए गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। एक राजनीतिक दल होने के नाते कांग्रेस को गृह मंत्री का इस्तीफ़ा मांगने का अधिकार है, लेकिन दिल्ली हिंसा के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना, कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े करता है। सब जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों पर चल रहे किसान आंदोलन को कांग्रेस ने शुरू से ही समर्थन दिया है। 26 जनवरी से पहले ट्रेक्टर मार्च को लेकर केन्द्र सरकार ने कई बार कहा कि मार्च के दौरान अराजकतत्व हिंसा कर सकते हैं, इसलिए दिल्ली की सड़कोंं पर ट्रेक्टरों को नहीं दौड़ाया जाए। तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी मार्च के समर्थन में खड़े हो गए। कहा गया कि मार्च की अनुमति नहीं देकर सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। कांग्रेस को यह भी पता है कि ट्रेक्टार मार्च के लिए जिन मार्गों की अनुमति दी गई, उनका उल्लंघन कर मार्च को प्रतिबंधित मार्गों से निकाला गया, पुलिस को खदेड़ते हुए हजारों ट्रेक्टर और उन पर खास लोग लाल किले तक पहुंच गए। इतना ही नहीं लालकिले पर अपना झंडा भी लगा दिया। हिंसा की निंदा करने के बजाए कांग्रेस अब केन्द्र सरकार पर ही आरोप लगा रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कल्पना करें, कि जब तलवार, फर्से भाले जानलेवा ट्रेक्टर और लाठियों से हमले किए जा रहे तो, तब यदि लाठी या गोली चलाने की छूट दी जाती तो हालात कैसे होते? कांग्रेस कल तक जिन आंदोलनकारियों को अन्नदाता कह रही थी, उन अन्नदाता को कोई नुकसान होता तो कांग्रेस की प्रतिष्ठिता होती? पूरा देश दिल्ली की हिंसा की निंदा कर रहा है और कांग्रेस केन्द्र सरकार की। असल में कांग्रेस की ऐसी रणनीति की वजह से ही चुनावों में लगातार हार हो रही है। लोकसभा के 545 सदस्यों में से कांग्रेस के मात्र 52 सदस्य हैं। खुद राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं। जो रणदीप सुरजेवाला केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं वे खुद दो बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। यानि जो सुरजेवाला विधायक का चुनाव नहीं जीत सकते वो केन्द्रीय गृह मंत्री का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं। एक समय था जब राष्ट्रीय मुददें पर अनांद शर्मा, पी चिंदबरम, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता कांग्रेस का पक्ष रखते थे, लेकिन अब सुरजेवाला जैसे नेता रख रहे हैं। सुरजेवाला गांधी परिवार के वफादार है, इसलिए वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर सुरजेवाला को कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना रखा है। सुरजेवाला गांधी परिवार को खुश करने के लिए भले ही अमितशाह से इस्तीफा मांग ले, लेकिन सुरजेवाला को यह भी पता होना चाहिए कि 26 जनवरी को हिंसा के दौरान ही कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि पुलिस की बर्बरता के चलते एक किसान की मौत हो गई है। कांग्रेस का यह ट्वीट किसानों को भड़काने वाला था, क्योंकि एक किसान की मौत तब हुई जब स्टंट कर रहा एक ट्रेक्टर पलट गया और ट्रेक्टर के नीचे दबने से किसान की मौत हुई। राहुल गांधी और सुरजेवाला माने या नहीं, लेकिन किसानों को भड़काने और अराजकतत्वों को संरक्षण देने में कांग्रेस का भी योगदान है। गांधी परिवार का अमित शाह के प्रति गुस्सा वाजिब है, क्योंकि केन्द्रीय गृह मंत्री होने के नाते अमित शाह ने ही गांधी परिवार से एसपीजी की सुरक्षा वापस ली है। सब जानते हैं कि एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए है, लेकिन सत्ता का दुरुपयोग कर कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने एसपीजी की सुरक्षा गांधी परिवार के तीनो सदस्य श्रीमती सोनिया गांधी, श्रीमती प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी को भी दिलवा दी थी। एसपीजी की सुरक्षा वापस होने के कारण श्रीमती प्रियंका वाड्रा को दिल्ली का सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा था। चाहे नेशनल हेराल्ड को सरकारी जमीन का फायदा हो या फिर वाड्रा परिवार की आय से अधिक संपत्ति का मामला। सभी में गांधी परिवार के सदस्य अदालत से जमानत पर है। सवाल उठता है कि क्या किसी आरोपी पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।
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400 जवानों को किसान भाइयों ने ही ट्रेक्टर चला कर जख्मी किया। 26 जनवरी से पहले जवानों को भाई कहा था।इतनी हिंसा के बाद अब किसान नेता 30 जनवरी को उपवास करेंगे।मैंने मुंह खोला तो किसान नेताओं की पोल खुल जाएगी-अभिनेता और हिंसा का आरोपी दीप सिद्धू।

26 जनवरी से पहले आंदोलनकारी किसानों के नेता लगातार कह रहे थे कि दिल्ली में तैनात पुलिस के जवान हम पर लाठी-गोली नहीं चलाएँगे, क्योंकि किसानों के परिवार के सदस्य ही पुलिस और सुरक्षा बलों में नियुक्त हैं। लेकिन जिन जवानों को भाई कहा गया उन्हीं पर 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर चला कर जख्मी किया गया। किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्वों ने जो हिंसा की उससे पुलिस के 400 जवान जख्मी हो गए। कोई जवान ट्रेक्टर की टक्कर तो कोई किसानों की लाठियों से जख्मी हुआ। अनेक जवान खाई में कूदने से जख्मी हुए। ऐसे जवानों को अपने ही भाईयों से जान बचो के लिए 20 फीट गहरी खाई में कूदना पड़ा। पुलिस के कोई 400 जवान अब दिल्ली अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं। जवानों ने तो इस बात का ख्याल रखा कि आंदोलनकारी किसान उन्हीं के परिवार के हैं, लेकिन अराजकतत्वों ने अपने ही भाइयों को जख्मी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सवाल उठता है कि किसान नेताओं का वह वायदा कहां गया जिसमें जवानों को भाई कहा था? किसान नेता अश्वस्त थे कि सरकार के आदेश के बाद भी पुलिस वाले उन पर लाठी गोलियां नहीं चलाएंगे। किसान नेताओं की उम्मीद पर पुलिस के जवान तो खरे उतरे, लेकिन अराजकतत्वों ने जवानों को पिटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन किसान नेताओं की वजह से हमारे 400 जवान जख्मी हुए, अब वे ही किसान नेता 30 जनवरी को उपवास कर रहे हैं। सब जानते हैं कि 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि मनाई जाती है। आखिर इस दिन उपवास रख कर किसान नेता क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या देश की राजधानी दिल्ली में अराजकता फैलाने में अब भी कोई कसर रह गई है? और फिर किस बात का उपवास? किसान नेताओं के भड़काऊ वीडियो अब सामने आ गए हैं, इसलिए पुलिस ने किसान संयुक्त मोर्चे से जुड़े नेता राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव, दर्शन पाल सिंह, बलदेव सिंह, सतनाम सिंह पन्नू, हरनाम सिंह चढूनी आदि के विरुद्ध हिंसा फैलाने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। किसान नेता माने या नहीं, लेकिन पिछले दो माह से किसानों के नाम पर चल रहा आंदोलन अब अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। दिल्ली का जो लाल किला देश के सम्मान का प्रतीक है उस लाल किले पर जिस तरह हुड़दंग और हिंसा की गई, उसे कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।  जिस लाल किले पर देश का राष्ट्रीय ध्वज लहरता है, उस स्थान पर अपना झंडा लहरा कर कुछ अपनी पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन इस घटना को कभी देशहित में नहीं माना जा सकता। आखिर ऐसा कौन सा झंडा है जो देश के राष्ट्रीय ध्वज से ज्यादा महत्वपूर्ण है? किसान नेताओं को करना था वो उन्होंने कर दिया, लेकिन अब इस मामले में पंजाबी फिल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। दीप सिद्धू पर 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा फैलने का आरोप है, लेकिन सिद्धू का कहना है कि यदि उन्होंने अपना मुंह खोला तो किसान नेताओं की पोल खुल जाएगी। सवाल उठता है कि दीप सिद्धू के पास ऐसे कौन से राज हैं, जिनसे किसान नेताओं की पोल खुलेगी? 26 जनवरी से पहले दीप सिद्धू किसान नेताओं के चाहते थे। 26 जनवरी को ट्रेक्टर मार्च की योजना बनाने में सिद्धू भी शामिल थे। इसलिए सिद्धू को सब पता है कि किस नेता ने कौनसा षडय़ंत्र किया है। अच्छा हो कि दीप सिद्धू पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर किसान नेताओं की साजिश के बारे में बताएं। 
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Wednesday 27 January 2021

सीमा पर चीन और पाकिस्तान को मात देने वाले हमारे जवान 26 जनवरी को दिल्ली में बेबस और लाचार नजर आए।यदि सीमा की तरह छूट होती तो क्या कोई लालकिले पर तिरंगे को उतारने की हिमाकत कर सकता था?किसानों के नेता अब न्यूज चैनलों पर बैठ कर माफी मांगने का ढोंग कर रहे हैं।

सब जानते हैं कि भारतीय जवानों ने सीमा पर दुश्मन देश चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाया है, दुनिया का सबसे ताक़तवर देश माने जाने वाले चीन को भी लद्दाख सीमा पर हमारे जवानों ने नियंत्रित कर रखा है। कश्मीर में हार जाने के बाद पाकिस्तान तो अब चीन के कंधों पर सवार हो गया है, लेकिन ये दोनों देश मिलकर भी हमाारे जवानों का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। सीमा पर जवानों को जो छूट मिली हुई है, उसी का परिणाम है कि चीन और पाकिस्तान हरकतों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाता है। लेकिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन सबने देखा कि दिल्ली के ऐतिहासिक लालकिले से हमारे तिरंगे को उतार दिया गया। सवाल उठता है कि यदि दिल्ली में तैनात हमारे जवानों को छूट मिली होती तो क्या कोई व्यक्ति लाल किले से तिरंगे को उतार सकता था? हम सबने देखा कि किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को जिस तरह देश की राजधानी दिल्ली में उपद्रव किया गया। न्यूज़ चैनलों पर हमारे जवानो को पिटता हुआ दिखाया जा रहा है। हमारे जवान लाचार और बेबस नजर आए। पिटने के बाद भी हमारे जवान हाथ जोड़कर खड़े रहे। अराजकतत्वों को जितना हुड़दंग करना था उतना किया। तलवार, फर्से, भाले, लाठियां आदि हथियारों से अराजकतत्व पुलिस और आम लोगों को देश की राजधानी में डराते और धमकाते रहे। जो टे्रक्टर खेत में काम आता है उस ट्रेक्टर से पुलिस के वाहन और डीटीसी की बसों को तोड़ा गया। पुलिस के बेरीकेड ट्रेक्टरों से हटा दिया गया। यहां तक कि डिवाइडर पर लगी लोहे की रैलिंग भी तोड़ दी गई। ऐसा लगा कि दिल्ली में अराजकतत्वों ने कब्जा कर लिया है। हमारे जवान अराजकतत्वों के सामने भी इसलिए बेबस बने रहे कि देश में लोकतंत्र हैं। इतनी छूट और आजादी के बाद कई मौकों पर कुछ लोगों को लगता है कि भारत में विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। ऐसे लोग अब दिल्ली में अराजकता करने वालों की निंदा क्यों नहीं करते हैं? तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब के किसान दिल्ली की सीमाओं पर दो माह से धरना दिए बैठे हैं और अपने आंदोजन के अंतर्गत ही 26 जनवरी को दिल्ली में टे्रक्टर मार्च की जिद्द की थी। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने किसान यूनियन के नेताओं को चेताया था कि टे्रक्टर मार्च की आड़ में अराजकतत्व दिल्ली का माहौल खराब कर सकते हैं, लेकिन तब नेताओं ने शांति बनाए रखने का भरोसा दिलाया, लेकिन किसान नेता अपने वायदे पर कायम नहीं रह सके और अब टीवी चैनलों पर बैठक कर माफी मांगने का ढोंग कर रहे हैं। ऐसे नेता अब स्वीकार कर रहे हैं कि जिन लोगों ने दिल्ली में अराजकता फैलाई उनका संयुक्त किसान मोर्चे से कोई संबंध नहीं है। सवाल उठता है कि जब दिल्ली पुलिस आगाह कर रही थी, तब इन किसान नेताओं ने सच्चाई को स्वीकार क्यों नहीं किया?  किसान नेता अब भले ही कुछ भी कहें, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं, जितना दोष अराजकतत्वों का है, उतना ही दोष किसान नेताओं का भी है। सवाल यह भी है कि जिन लोगों ने अराजकता फैलाई क्या वे किसान है? देश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले भी किसान नहीं हो सकते। किसान तो अन्नदाता है, वह तो देश के हर नागरिक को भोजन उपलब्ध करवाना है। किसान तो दयालु प्रवृत्ति का प्रतीक है। 26 जनवरी के उपद्रव के बाद दिल्ली की सीमाओं पर बैठे असली किसानों को अब अपने आंदोलन पर विचार करना चाहिए। जब यह साफ हो गया है कि किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्व सक्रिय हैं, तब किसान आंदोलन क्या मायने रखता है? दिल्ली के उपद्रव से कई राजनीतिक नेताओं के चेहरे पर से भी नकाब उतर गई है। क्या अब भी ऐसे राजनेता कथित किसान आंदोलन को अपना समर्थन देंगे? यह माना कि कई राजनीतिक दल अपने स्वार्थों के कारण आंदोलन को समर्थन दे रहे थे, लेकिन अब तो सच्चाई सामने आ गई है। राजनीतिक दलों के नेता अब दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशहित में सोचे। राजनीतिक दलों के नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि अराजकतत्व हमेशा अराजक ही बने रहते हैं, ऐसे तत्व किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 
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अजमेर के उद्योगपति और श्री भगवती इंजीनियरिंग के सीएमडी यशवंत शर्मा ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 51 लाख रुपए दिए। 11 लाख रुपए नरेश चप्पल वाले, ढाई लाख रुपए जुगल किशोर शर्मा तथा डेढ़ लाख रुपए सुभाष काबरा ने भी दिए।अजमेर में अब तक 3 करोड़ रुपए एकत्रित। एक फरवरी से घर-घर जाकर होगा धनसंग्रह।

अजमेर स्थित देश की सुप्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित औद्योगिक ईकाई श्री भगवती इंजीनियरिंग के सीएमडी यशवंत शर्मा ने अयोध्या में बनने वाले भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए 51 लाख रुपए का सहयोग दिया है। यशवंत शर्मा का कहना है कि भगवान की कृपा से ही उन्हें यश और समृद्धि मिली है। मालूम हो कि यशवंत शर्मा ने इंजीनियरिंग की कोई डिग्री हासिल नहीं की है, लेकिन आज वे ग्रेनाइट पत्थर को काटने वाली ऑटोमेटिक डायमंड मशीन का निर्माण करते हैं। यशवंत ने अपनी इंजीनियरिंग से चीन की डायमंड मशीनों को पीछे छोड़ दिया है। यशवंत की फैक्ट्री में तैयार होने वाली मशीनों की मांग देशभर में है। इसलिए एक वर्ष की वेटिंग चल रही है। यशवंत सामाजिक क्षेत्र में भी अग्रणिय रहते हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा बनाए गए सेवानिधि अभियान से जुड़े और सेवा भारती के प्रांत सहमंत्री मोहन खंडेलवाल ने बताया कि अजमेर महानगर में अब तक 3 करोड़ रुपए मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित कर लिए गए हैं। रामभक्तों में मंदिर निर्माण को लेकर बेहद उत्साह है। यही वजह है कि आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न लोग स्वैच्छा से मंदिर निर्माण में सहयोग कर रहे हैं। अभियान के अंतर्गत ही 26 जनवरी को एक कार्यक्रम साध्वी अनादि सरस्वती की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसी कार्यक्रम में रामगंज स्थित नरेश चप्पल वालों ने 11 लाख रुपए की राशि दी। इसी प्रकार ढाई लाख रुपए जुगल किशोर शर्मा, डेढ़ लाख रुपए सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष काबरा ने भी दिए। इस अवसर पर साध्वी अनादि सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में बनने वाला मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है। छोटे से छोटा राम भक्त भी सहयोग को आतुर है, चूंकि यह मंदिर आधुनिक तकनीक से बड़े स्तर पर बन रहा है,इसलिए धन की ज्यादा आवश्यकता है। रामभक्तों के उत्साह को देखते हुए उम्मीद है कि मंदिर निर्माण में धन की कोई कमी नहीं रहेगी। अजमेर के सुप्रसिद्ध चार्टेटेड एकाउंटेंट अजीत अग्रवाल ने बताया कि व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र में भी मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह बना हुआ है, यही वजह है कि अजमेर की अधिकांश औद्योगिक ईसाईयों के मालिक मंदिर निर्माण में अपना सहयोग कर रहे हैं। खंडेलवाल ने बताया कि 1 फरवरी से 15 फरवरी तक धन संग्रह के लिए प्रत्येक घर से सम्पर्क किया जाएगा। अजमेर में एक लाख परिवारों से संपर्क करने की योजना है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9352008347 पर मोहन खंडेलवाल से ली जा सकती है। 
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विधायक वासुदेव देवनानी की शिकायत पर अजमेर नगर निगम के चुनाव में 10 बागी उम्मीदवारों को भाजपा से निष्कासित किया। दक्षिण क्षेत्र के बागियों के निष्कासन का इंतजार।केकड़ी के पालिका चुनाव में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने निवर्तमान पालिका अध्यक्ष अनिल मित्तल को निकम्मा बताया।किशनगढ़ में निर्दलीय विधायक सुरेश टाक के उम्मीदवारों ने भाजपा और कांग्रेस को उलझाया।

अजमेर उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी की शिकायत पर शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष डॉ. प्रियशील हाड़ा ने नगर निगम चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों के विरुद्ध चुनाव लडऩे वाले 10 भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। ये सभी बागी उम्मीदवार उत्तर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले वार्डों के हैं। 80 में से 36 वार्ड उत्तर क्षेत्र में आते है, जबकि शेष दक्षिण शेष के हैं। हालांकि दक्षिण क्षेत्र में आने वाले अनेक वार्डों में भाजपा के बागी उम्मीदवार हैं, लेकिन अभी दक्षिण क्षेत्र के बागी उम्मीदवारों के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर क्षेत्र के विधायक देवनानी ने बागी उम्मीदवारों के बारे में सख्त रुख अपनाया है। असल में नाम वापसी की तिथि से पहले विधायक देवनानी ने सभी बागी उम्मीदवारों से नाम वापस लेने का आग्रह किया था। विधायक के आग्रह के बाद भी 10 कार्यकर्ताओं ने नाम वापस नहीं लिया। जो भाजपा कार्यकर्ता अधिकृत उम्मीदवारों के समक्ष चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी शिकायत विधायक देवनानी ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से की थी। शहर अध्यक्ष डॉ. हाड़ा ने पूनिया और चुनाव प्रभारी अरुण चतुर्वेदी के निर्देश पर ही बागी उम्मीदवारों को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासन करने का आदेश जारी किया है। इनमें वार्ड संख्या 5 के नीतराज कच्छावा, वार्ड 6 के कुंदन वैष्णव, वार्ड 15 के मनोज मूरजानी, वार्ड 14 के गोपाल चौहान,  वार्ड 14 की ही डिंपल चौहान, प्रदीप, वार्ड 67 की श्रीमती इंदू राठी, वार्ड 76 के सुरेश माथुर, वार्ड 70 के पुष्पेन्द्र गौड व वार्ड 80 की श्रीमती प्रेमलता बुगलिया है।
निवर्तमान अध्यक्ष को निकम्मा बताया:
केकड़ी के विधायक और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघुा शर्मा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी और भाजपा के नेता अनिल मित्तल पर लगातार हमले कर रहे हैं। रघु शर्मा के प्रभाव से मित्तल के विरुद्ध जो मुकदमें दर्ज हुए उन सभी में मित्तल को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। चूंकि केकड़ी नगर पालिका के चुनाव भी 28 जनवरी को होने हैं, इसलिए जुबानी जंग भी जारी है। चुनावी सभाओं में रघु शर्मा अनिल मित्तल को नगर पालिका का निकम्मा अध्यक्ष भी बता रहे हैं। शर्मा का कहना है कि विकास की दुहाई देकर मित्तल अब अपनी पत्नी के लिए वोट मांग रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मित्तल ने अपने कार्यकाल में केकड़ी का विकास नहीं करवाया। वहीं अनिल मित्तल का कहना है कि रघु शर्मा पालिका चुनाव में अपनी हार से घबरा गए हैं,इसलिए औछे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। रघु शर्मा मेरे लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे वैश्य समाज में तो आक्रोश है ही साथ ही सर्वसमाज में नाराजगी है। केकड़ी की जनता को पता है कि मैंने पिछले पांच वर्ष में केकड़ी की कितना विकास करवाया है। रघु शर्मा ने केकड़ी में भय और आतंक का माहौल बना दिया है, जिसका जवाब केकड़ी की जनता 28 जनवरी को देगी।
कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार उलझे:
अजमेर जिले की किशनगढ़ नगर परिषद के 60 वार्डों में भी 28 जनवरी को चुनाव होने हैं। किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ने प्रगति मंच बना कर 42 वार्डों में उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। इससे कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। कई वार्डों में भाजपा के उम्मीदवारों का मुकाबला विधायक के प्रगति मंच के उम्मीदवारों से है। इस चुनाव में विधायक टाक की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि टाक प्रदेश स्तर पर कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन वहीं अपने निर्वाचन क्षेत्र किशनगढ़ में नगर परिषद के चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। जानकार सूत्रों के अनुसार अनेक वार्डों में कांग्रेस प्रत्याशियों की हार का कारण विधायक टाक के उम्मीदवार ही बनेंगे। 
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कलेक्टर ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत मौके पर ही पुलिया निर्माण के आदेश दिए।अजमेर में स्मार्ट सिटी योजना के कार्यों का प्रत्येक बुधवार को अवलोकन करते हैं कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित।

अजमेर के जिला कलेक्टर और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अध्यक्ष प्रकाश राजपुरोहित ने 27 जनवरी को शहर में चल रहे कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। हालांकि 28 जनवरी को अजमेर नगर निगम सहित जिले में पांच निकायों में मतदान होना है, लेकिन चुनाव की व्यस्तता के बावजूद कलेक्टर ने स्मार्ट सिट के कार्यों का अवलोकन किया। चूंकि शहर में स्मार्ट सिटी के करोड़ों रुपए के कार्य निर्माणाधीन हैं, इसलिए कलेक्टर प्रत्येक बुधवार को इंजीनियरों के साथ मौके पर जाकर जायजा लेते हैं। 27 जनवरी को भी सप्ताह के बुधवार की नियमितता को बनाए रखने के लिए कलेक्टर ने जायजा लिया। कलेक्टर जब बांडी नदी के किनारे बनने वाले रिवरफ्रंट का अवलोकन कर रहे थे, तभी बांडी नदी से सटी अजमेर विकास प्राधिकरण की हरिभाऊ उपाध्याय नगर मुख्य बी ब्लॉक कॉलोनी के जागरुक नागरिक भी मौके पर पहुंच गए। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष काबरा और विकास समिति के अध्यक्ष संजय लढ्ढा, पूर्व अध्यक्ष संतोष कासवा, अरविंद गर्ग आदि ने कलेक्टर को बताया कि सीने वल्र्ड की ओर से आ रहे नाले पर बनी पुलिया का विस्तार किया जाना जरूरी है। लेकिन योजना के इंजीनियरों ने पुलिया का विस्तार किए बिना ही रिवरफ्रंट की दीवार बना दी है, इससे रिवरफ्रंट में समानता नजर नहीं आ रही है। आने वाले पर्यटकों को इससे परेशानी होगी। क्षेत्रीय नागरिकों की मांग पर कलेक्टर पुरोहित ने मौके पर ही इंजीनियरों को पुलिया विस्तार के आदेश दिए। इससे पहले कलेक्टर ने करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले ऐलीवेटेड रोड के कार्यों का भी जायजा लिया। कलेक्टर ने इंजीनियरों को निर्देश दिए कि रोड का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए। चूंकि ऐलीवेटेड रोड शहर के व्यस्तम मार्ग पर बन रहा है, इसलिए निर्माण कार्यों की वजह से यातायात में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। कलेक्टर ने पुरानी विश्राम स्थली पर बन रहे न्यू लेक फं्रट बर्ड पार्क पाथवे आदि कार्यों का भी जायजा लिया। आना सागर के किनारे एमपीएस स्कूल के सामने बनने वाले सेवन वंडर पार्क का भी जायजा लिया। इस पार्क में दुनिया के सात अजूबों के मॉडल बनाए जाएंगे। मालूम हो कि केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना के तहत अजमेर शहर में एक हजार करोड़ रुपए के कार्य हो रहे हैं। अधिकांश कार्य शहर के बीचों बीच बने आना सागर के किनारे किए जा रहे हैं। आना सागर के चारों तरफ पाथ-वे का निर्माण हो रहा है। इससे अजमेर आने वाले पर्यटकों को प्राकृतिक माहौल का अहसास होगा। हालांकि अभी भी आनासागर में नालों का गंदा पानी गिर रहा है, लेकिन स्मार्ट सिटी के तहत नालों का गंदा पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाने का काम चल रहा है। 
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Tuesday 26 January 2021

बेटी हर्षिता का अंग्रेजी के फ़र्स्ट इंडिया अखबार में युवाओं की ताकत पर आॢटकल प्रकाशित हुआ।

अंग्रेजी माध्यम के फ़र्स्ट इंडिया दैनिक समाचार पत्र के 26 जनवरी के अंक में मेरी बिटिया डॉ. हर्षिता मित्तल डाणी का एक आॢटकल प्रकाशित हुआ है। गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रकाशित इस आॢटकल में देश के युवाओं की ताकत का उल्लेख किया है। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि बिटिया के आॢटकल अब अखबारों में छपने लगे हैं। हर्षिता जब आईएएस की परीक्षा की तैयारी कर रही थी, तब भी उसके आर्टिकल प्रतियोगिता दर्पण जैसे सुप्रसिद्ध मैगज़ीन में छपते थे। भले ही हर्षिता को आईएएस बनने में सफलता नहीं मिली हो, लेकिन उसने पढऩे लिखने का काम जारी रखा। विवाह के बाद हर्षिता से डॉ. हर्षिता मित्तल डाणी बन गई और डबल एमए किया। सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर डॉ. हर्षिता आगे बढ़ती रही। हर्षिता की हौंसला अफजाई में पति अंकित डाणी (कैप्टन मर्चेंटनेवी) का भी हमेशा योगदान रहा। आज जब देश के प्रमुख अंग्रेजी के फ़र्स्ट इंडिया दैनिक अखबार में आॢटकल प्रकाशित हुआ है, तो उत्साह का माहौल है। फ़र्स्ट इंडिया का प्रकाशन जयपुर, लखनऊ और अहमदाबाद से एक साथ हो रहा है। हर्षिता का आर्टिकल सभी संस्करणों में प्रकाशित हुआ है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जगदीश चन्द्रा के कुशल निर्देशन में एडिटर अनिता हाड़ा अच्छा अखबार प्रकाशित कर रही हैं। पिछले एक वर्ष में ही राजस्थान प्रशासनिक राजनीतिक और व्यापारिक वर्ग में फ़र्स्ट इंडिया ने अपनी अच्छी पहचान बनाई है। हालांकि हिन्दी अखबारों के मुकाबले में अंग्रेजी के अखबारों की लोकप्रियता कम होती है, लेकिन अंग्रेजी के अखबारों का प्रभाव ज्यादा होता है। असल में सरकार चलाने वाले आईएएस और आईपीएस अधिकारी अंग्रेजी के ही अखबार पढ़ते हैं। फ़र्स्ट इंडिया ने राजस्थान में बहुत जल्द अपनी पहचान बनाई है और अब हजारों पाठक प्रतिदिन अखबार का इंतजार करते हैं। हालांकि फ़र्स्ट इंडिया अंग्रेजी अखबार टीवी न्यूज चैनल फ़र्स्ट इंडिया से जुड़ा है, लेकिन अखबार में टीवी की खबरों से अलग न्यूज और आर्टिकल भी प्रकाशित होते हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि फ़र्स्ट इंडिया चैनल पर प्रसारित खबरें ही फ़र्स्ट इंडिया अखबार में प्रकाशित होती हैं। एडिटर अनिता हाड़ा का खबरों का चयन भी प्रभावी है। यही वजह है कि अंग्रेजी माध्यम के लोगों के बीच अखबार तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले युवाओं के लिए भी फ़र्स्ट इंडिया अखबार उपयोगी है। इस अखबार को WWW.FIRSTINDIA.CO.IN पर भी पढ़ा जा सकता है। 
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दिल्ली की सड़कों पर तलवार, भाले, फरसे लहराते हुए लोगों ने उप द्रव किया। पुलिस के बेरीकेड तोड़ डाले।संयुक्त किसान मोर्चे के पदाधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झड़ा।आखिर इस हुड़दंग का जिम्मेदार कौन। पुलिस ने तो पहले ही आशंका जताई थी।

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन देश की राजधानी दिल्ली का बुरा हाल रहा। दिल्ली पुलिस की आशंका के अनुरूप किसान आंदोलन में अराजकतत्व घुस आए। दिल्ली की सड़कों पर जब तलवारें फरसे, भाले लहराए जा रहे थे, तब संयुक्त किसान मोर्चे के पदाधिकारियों ने कहा कि उपद्रव करने वाले हमारे मोर्चे से जुड़े हुए नहीं हैं। यानि पदाधिकारियों ने भी मान लिया कि आंदोलन में अराजकतत्व घुस आए हैं। यही वजह रही कि 26 जनवरी को दिल्ली के उन मार्गों पर भी उपद्रव हुआ, जिन पर ट्रेक्टर मार्च की अनुमति नहीं थी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन उपद्रवियों ने गोलों को जमीन से उठा कर वापस पुलिस पर फेंक दिए। इससे उपद्रवियों की हिम्मत का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिन मार्गों पर पुलिस ने ट्रेक्टर मार्च की अनुमति दी, उन पर शांति बनी रही, लेकिन हजारों लोगों ने उन मार्गों पर जबरन प्रवेश किया, जहां अनुमति नहीं थी। पुलिस ने दोपहर 12 बजे से ट्रेक्टर मार्च की अनुमति दी थी, लेकिन दिल्ली के बाहर सीमाओं पर पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच प्रात: 10 बजे से ही संघर्ष शुरू हो गया। कई अराजक तत्वों ने अपना मार्च 10 बजे से ही शुरू कर दिया। जबकि उस समय राजपथ पर गणतंत्र दिवस का समारोह चल रहा था। एक ओर राजपथ पर देश की उपलब्धियों की झांकियां दिखाई जा रही थी, तो दूसरी ओर दिल्ली की सीमाओं पर उपद्रव हो रहा था। राजपथ पर जब राफेल विमान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे थे, तब अराजकतत्व दिल्ली में पुलिस के बेरीकेड तोड़ रहे थे। पुलिस को उस समय पीछे हटना पड़ा जब घोड़ों पर सवार लोग तलवारें लहराते हुए सड़कों पर आ गए। इतना ही नहीं पुलिस को डराने के लिए भाले और फरसे का भी इस्तेमाल किया गया। दिल्ली की सड़कों पर जब उपद्रव हो रहा था, तब न्यूज चैनलों पर संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना रहा कि आंदोलन में अराजकतत्व घुस आए हैं। पुलिस ने किसान मोर्चें के पदाधिकारियों को पहले ही आगह किया था कि ट्रेक्टर मार्च पर अराजकतत्वों की नजर लगी हुई है। किसानों की आड़ में टे्रक्टरों पर सवार होकर अराजकतत्व दिल्ली में उपद्रव करेंगे। लेकिन तब पदाधिकारियों ने कहा कि ट्रेक्टर मार्च शांतिपूर्ण होगा। लेकिन अब उपद्रव बताता है कि आंदोलन नियंत्रण में नहीं है। 26 जनवरी को उपद्रवियों ने पुलिस के वाहनों को तो क्षति पहुंचाई ही, साथ ही डिवाईडर पर लगे लोहे की जालियों को भी उखाड़ दिया। पूरी दिल्ली में अफरा तफरी और दहशत का माहौल देखने को मिला। सवाल उठता है कि देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस के दिन इस अराजकता का कौन जिम्मेदार है? केन्द्र सरकार से लेकर दिल्ली पुलिस तक किसान आंदोलन  को लेकर अनेक शंकाए जता रही थी। लेकिन तब यह कहा गया कि सरकार का यह प्रयास किसानों के आंदोलन को विफल करने के लिए है। जबकि किसान पिछले दो माह से दिल्ली को घेर कर बैठे हैं। सरकार की ओर से किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। जबकि सीमाओं के जाम होने से करोड़ों दिल्ली वासियों को भारी परेशानी हो रही है। सवाल यह भी है कि अब यदि दिल्ली में कोई अनहोनी होती है तो उसकी जिम्मेदारी किसी की होगी? पूरा देश जब 72वां गणतंत्र दिवस उत्साह के साथ मना रहा है, तब अराजकतत्व देश को बदनाम करने वाले कृत्य कर रहे हैं। 
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Monday 25 January 2021

प्रभारी मंत्री लाल चंद कटारिया और जिले के एक मात्र मंत्री रघु शर्मा भी दूर हैं अजमेर नगर निगम के चुनाव से।अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं कांग्रेस के उम्मीदवार कई वार्डों में रोचक मुकाबला।

राजस्थान में 90 नगर निकायों में 28 जनवरी को चुनाव होना है। इसमें एक मात्र नगर निगम अजमेर का है। लेकिन निगम चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों की मदद करने के लिए कोई भी बड़ा नेता अजमेर नहीं आ रहा है। कांग्रेस की जिला और ब्लॉक कमेटियां भंग पड़ी हुई है। टिकिट वितरण को लेकर निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन पहले ही नाराज़गी जता चुके हैं। निगम के 80 वार्ड हैं, लेकिन कांग्रेस 74 वार्डों में ही चुनाव लड़ रही है। मुस्लिम बहुल्य तीन वार्डों में कांग्रेस ने उम्मीदवार ही खड़े नहीं किए, जबकि तीन वार्डों को कांग्रेस की ओर से नामांकन ही नहीं हो सका। राजनीतिक दृष्टि से अजमेर नगर निगम के चुनाव महत्वपूर्ण हैं। लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता अजमेर आने से परहेज कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के गुस्से को देखते हुए पर्यवेक्षक शारदाकांत शर्मा तो अजमेर आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। अजमेर के प्रभारी मंत्री के तौर पर कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया को नियुक्त कर रखा है, लेकिन टिकिट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक कटारिया अजमेर नहीं आए हैं। इसी प्रकार जिले के एक मात्र मंत्री रघु शर्मा ने भी नगर निगम के चुनाव से दूरी बना रखी है। रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी के नगर पालिका के चुनाव में तो सक्रिय हैं, लेकिन नगर निगम के चुनाव में कोई रुचि नहीं दिखा रहे। रघु शर्मा गत 21 जनवरी से ही केकड़ी में डेरा जमाएं बैठे हैं। केकड़ी में शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर है। सरकारी कर्मचारियों से लेकर जाति समुदाय की बैठकें लगातार की जा रही है। हाल ही के पंचायत चुनाव के परिणामों को देखते हुए भी रघु शर्मा पालिका चुनाव को लेकर चिंतित हैं। पंचायतीराज के चुनाव में केकड़ी में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि अब केकड़ी के चालीस वार्डों के लिए रघु शर्मा ने पूरी ताकत लगा रखी है। हालांकि शर्मा का अजमेर शहर में भी प्रभाव है और अजमेर के कई उम्मीदवार चाहते हैं कि शर्मा अजमेर आए, लेकिन अभी तक भी शर्मा का अजमेर आने का कोई प्रोग्राम घोषित नहीं हुआ है। 28 जनवरी को सुबह 8 बजे से मतदान होना है, इसलिए 26 जनवरी को शाम पांच बजे से ही चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। यही वजह है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों को अपने दम पर चुनाव लडऩा पड़ रहा है। गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेन्द्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी उन्हीं वार्डों में सक्रिय हैं, जहां उनकी सिफारिश से टिकिट मिला है। अलबत्ता निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन अपने समर्थकों के साथ सभी वार्डों का दौरा कर उम्मीदवारों की हौंसला अफजाई कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी का खामियाजा भी उम्मीदवारों को उठाना पड़ रहा है। हालांकि गुटबाजी भाजपा में भी है, लेकिन भाजपा के प्रदेश स्तर के कई नेता निगम चुनाव में सक्रिय हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा सरकार में मंत्री रहे अरुण चतुर्वेदी एक एक वार्ड की निगरानी कर रहे हैं। शहर के दोनों भाजपा विधायक भी अपने अपने क्षेत्रों के वार्डों में सक्रिय हैं। लेकिन वहीं भाजपा में कई वार्डों में अधिकृत उम्मीदवारों को कांग्रेस के बजाए अपने बागी उम्मीदवारों से ही मुकाबला करना पड़ रहा है। ऐसे में वार्डों में हार जीत का फैसला भी भाजपा और बागी उम्मीदवार के बीच ही होगा।  इसमें कोटड़ा क्षेत्र का वार्ड संख्या 3 प्रमुख है। यहां बागी उम्मीदवार श्रीमती संध्या काबरा अपनी ही पार्टी की उम्मीदावर श्रीमती प्रतिभा पाराशर को कड़ी टक्कर दे रही हैं। इसी प्रकार वार्ड 57 में भाजपा के उम्मीदवार हिमांश  सेठी को भी अपनी ही पार्टी के रणजीत सिंह से चुनौती मिल रही है। यह वार्ड दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में आता है। इसीलिए क्षेत्रीय विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने जातिगत समीकरण बैठाते हुए हिमांश सेठी को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उत्तर क्षेत्र के भाजपा के एक कद्दावर नेता के संरक्षण की वजह से रणजीत सिंह ने भी अपना दावा ठोक दिया। हिमांश सेठी की छवि साफ सुथरी और मेहनती युवा की है। लेकिन सेठी को जहां अपनी ही पार्टी में बगावत का सामना करना पड़ रहा है वहीं भाजपा के निवर्तमान पार्षद सुरेन्द्र सिंह शेखावत की गैर मौजूदगी का भी नुकसान हो रहा है। शेखावत ने पांच वर्ष पहले पाल बीसला-तोपदड़ा वाले इस वार्ड से चुनाव जीता, लेकिन फिर वार्ड के मतदाताओं से कोई संपर्क नहीं रखा। क्षेत्रीय नागरिक अपने पार्षद को ढूंढते ही रहे। भाजपा की आपसी लड़ाई का फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार दीपक यादव उठाना चाहते हैं। भाजपा के निवर्तमान पार्षद शेखावत की गैर मौजूदगी को मुद्दा बना कर यादव कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं। इसी प्रकार वार्ड संख्या 68 में भाजपा उम्मीदवार श्रीमती इंद्रा यादव का मुकाबला कांग्रेस की श्रीमती अनिता चौरसिया से है। इंद्रा यादव पूर्व पार्षद और हाथी भाटा क्षेत्र के लोकप्रिय नेता स्वर्गीय सूरजभान यादव की पत्नी है। इंद्रा यादव को सूरजभान यादव की लोकप्रियता और सहानुभूति का लाभ मिल रहा है। 
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आखिर कुछ किसान नेता देश की आजादी से जुड़े गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम को क्यों बिगाडऩा चाहते हैं?अब रूट और दोहपर 12 बजे बाद के समय को लेकर ऐतराज।

दिल्ली की सड़कों पर किसान ट्रेक्टर मार्च को लेकर 24 जनवरी को दिल्ली पुलिस और किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के बीच सहमति हो गई थी। योगेन्द्र यादव जैसे किसान प्रतिनिधियों ने संतोष भी व्यक्त कर दिया था। नेताओं का कहना रहा कि देश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन ही किसानों के ट्रेक्टर भी सड़कों पर मार्च करेंगे। लेकिन 25 जनवरी को कई किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस के साथ हुए समझौते को नकार दिया। ऐसे नेताओं का कहना है जो दोपहर 12 बजे बाद ट्रेक्टर मार्च निकालने का कोई मतलब नहीं है तथा मार्च का जो रूट तय किया गया है, उसका अधिकांश भाग हरियाणा में आता है। कुछ किसान नेताओं के ऐसे बयानों से सवाल उठता है कि आखिर देश की आजादी से जुड़े पर्व के समारोह को क्यों बिगाड़ा जा रहा है? देश के हर नागरिक के लिए देश की आजादी का पर्व बहुत महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण होता है। देश की आजादी को बनाए रखने के लिए सीमा पर खड़े जवान अपना बलिदान देने के लिए तैयार रहता है, लेकिन देश के अंदर ही कुछ लोग आजादी से जुड़े गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम को बिगाडऩे पर उतारू हों तो फिर कई सवाल खड़े होते हैं? सब जानते हैं कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर अनेक कार्यक्रम होते हैं। इसमे हमारी सेनाएं अपनी वीरता का प्रदर्शन भी करती हैं तथा राजपाथ पर विकास की झांकियां भी प्रदर्शित होती हैं। राजपथ के कार्यक्रम को पूरा देश टीवी पर उत्साह के साथ देखता है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि जिस वक्त राजपथ पर समारोह हो, तभी किसानों को भी दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर मार्च निकालने की अनुमति दी जाए। किसानों की भावनाओं का ख्याल करते हुए ही दिल्ली पुलिस ने ट्रेक्टर मार्च की अनुमति दे दी थीं। रूट और समय पर किसानों के प्रतिनिधियों ने अपनी सहमति दी थी, लेकिन अब बेवजह का विवाद खड़ा किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जिन नेताओं ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से बात की क्या वे किसानों के प्रतिनिधि नहीं है? यहां यह उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर भी सरकार से 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने बात की है। इतने अधिक प्रतिनिधियों की वजह से ही कई बार वार्ताएं विफल हुई। पिछले दो माह से दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसानों ने डेरा जमा रखा है। इससे दिल्ली के नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है। दिल्ली की सीमा से लगे गांवों के किसान भी फल सब्जियां दिल्ली मंडियों में नहीं बेच पा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ भी किसन आंदोलन को लेकर अनेक आशंकाएं जता चुकी है। पाकिस्तान में बैठे शरारती तत्व सोशल मीडिया के माध्यम से गलत संदेश प्रसारित कर रहे हैं। केन्द्र सरकार ने ऐसे 300 ट्वीटर हैंडल पर रोक लगाई है। 
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Saturday 23 January 2021

केकड़ी में हार के माहौल से घबरा गए हैं चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा। भाजपा के देहात अध्यक्ष भूतड़ा ने लगाए आरोप।मंत्री का विवादित वीडियो भी चुनावी चर्चा का विषय बना।कांग्रेस का बोर्ड ही करवा सकता है केकड़ी का विकास।

केकड़ी नगर पालिका के 40 वार्डों के चुनाव 28 जनवरी को होने हैं। 23 जनवरी को लगातार दूसरे दिन क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने केकड़ी में डेरा जमाए रखा। रघु का 28 जनवरी को मतदान के दिन तक केकड़ी और सरवाड़ में रहने का कार्यक्रम बताया जा रहा है। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले सरवाड़ में  भी पालिका के चुनाव होने हैं। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष देव शंकर भूतड़ा ने आरोप लगाया है कि निकाय चुनाव में हार के माहौल से घबरा कर रघु शर्मा अपने मंत्री पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं के खिलाफ  पुलिस में झूठे मुकदमें दर्ज करवाए जा रहे हैं। 23 जनवरी को भी भाजपा के कार्यकर्ता महेन्द्र राव को बेवजह शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले भी भाजपा के 16 कार्यकर्ताओं पर राज काज में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज करवाया गया। यह मुकदमा रघु शर्मा के अधीन आने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने करवाया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं की छोटी छोटी दुकानों पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से छापामार कार्यवाही करवाई जा रही है। रघु शर्मा चाहते हैं कि भाजपा के कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के लिए बाहर नहीं आए। आम लोगों को भी डराया धमकाया जा रहा है। भूतड़ा ने आरोप लगाया कि रघु शर्मा अपने मंत्री पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। केकड़ी में इस समय दहशत का माहौल है। आम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है। मंत्री की ऐसी कार्यवाहियों से लोगों के मन में जबर्दस्त गुस्सा है। भूतड़ा ने कहा कि जिस प्रकार पंचायतीराज के चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने रघु शर्मा को सबक सिखाया उसी प्रकार किया के चुनाव में भी शहरी मतदाता सबक सिखाएंगे। भूतड़ा ने जिला निर्वाचन अधिकारी से आग्रह किया है कि केकड़ी में निष्पक्ष और भय मुक्त वातावरण में चुनाव करवाना सुनिश्चित किया जाए।
विवादित वीडियो भी:
सोशल मीडिया पर मंत्री रघु शर्मा का एक विवादित वीडियो भी चुनाव चर्चा का विषय बना हुआ है। यह वीडियो 22 जनवरी की रात का सरवाड़ के वार्ड संख्या 13 का बताया जा रहा है। इस वीडियो में मंत्री रघु शर्मा कह रहे हैं कि मदरसों के विकास में मैंने पहले भी कोई कमी नहीं रखी है और आगे भी नहीं रखूंगा। मैंने मदरसों के लिए पहले भी पैसे दिए हैं और आगे भी देता रहूंगा। इसी दौरान एक युवक ने जब दारुल उलम मदरसे के लिए 10 लाख देने का प्रस्ताव रखा तो रघु शर्मा ने 15 लाख देने की घोषणा की। मंत्री का यही वीडियो अब चुनावी चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारों ने इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन भी माना है।
केकड़ी का विकास:
वहीं चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र के दोनों निकायों में विकास का भरोसा दिलवा रहे हैं। रघु शर्मा का कहना है कि कांग्रेस का बोर्ड ही विकास करवा सकता है। उन्होंने कहा कि केकड़ी में दस वर्षों से भाजपा का बोर्ड है, लेकिन विकास का कोई काम नहीं हुआ। केकड़ी में भाजपा का बोर्ड और राज्य में भाजपा की सरकार होने के बाद भी विकास नहीं हुआ है। जबकि उन्होंने अपने दो वर्ष के कार्यकाल में केकड़ी में अनेक कार्य करवाएं हैं। केकड़ी के अस्पताल को जिला अस्पताल की सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि केकड़ी कांग्रेस का बोर्ड बनता है, तो विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। 
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