Wednesday 28 March 2018

मूल्क में अमचैन के लिए शिया समुदाय ने पेश की ख्वाजा की मजार पर चादर।
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28 मार्च को अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में शिया समुदाय के सैकड़ों लोगों ने पवित्र मजार पर चादर पेश की। शिया समुदाय के धर्मगुरु मौलाना काजिम अली जैदी ने बताया कि ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में छोटे-छोटे दलों के तौर पर शिया समुदाय के लोग चादर पेश करते रहे हैं, लेकिन इस बार यह निर्णय लिया गया कि अजमेर का सम्पूर्ण शिया समुदाय एक साथ चादर पेश करे। उन्होंने बताया कि चादर की रस्म के दौरान देश में अमन चैन के लिए दुआ की गई। आज देश के जो हालात हैं उसमें साम्प्रदायिक सद्भाव का होना बेहद जरूरी है। जैदी ने कहा कि कट्टरवाद किसी भी धर्म को वह देश हित में नहीं है। इस अवसर पर शिया समुदाय के प्रतिनिधि मोहम्मद आमिर, मौलाना जिशान हैदर जैदी, सैयद आसिफ अली, मौलाना अब्बास आदि भी उपस्थित रहे। शिया समुदाय के लोगों को दरगाह के खादिम शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती ने जियारत करवाई।
यूपीए की सरकार में जो भाजपा ने किया, वो ही अब कांग्रेस कर रही है। 
नरेन्द्र मोदी को दिया गुलाम नबी ने जवाब।
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28 मार्च को भी लोकसभा नहीं चली, लेकिन राज्यसभा में कुछ सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने पर नेताओं के भाषण जरूर हुए। भाषण की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज जो सदस्य अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं उन्हें इस बात का मलाल होगा कि अंतिम सत्र में वे अपनी बात नहीं रख पाए। मुझे खुशी होती की ऐसे सदस्य अपने विचार रखते। पीएम का इशारा राज्यसभा में लगातार चल रहे हंगामे की ओर था। कभी तीन तलाक तो कभी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर राज्यसभा का सुचारू संचालन नहीं हो रहा है। इसके लिए पीएम ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया। पीएम की इस बात का जवाब प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने ही अंदाज में दिया। आजाद ने कहा कि लोकतंत्र में सांसदों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब यूपीए की सरकार थी, तब आज के सत्तारूढ़ सदस्य विपक्ष में थे। तब भी सांसदों ने जनहित के मुद्दे उठाए। तब हमें भी संसद नहीं चलने का अफसोस होता था, लेकिन लोकतंत्र की खातिर सब बर्दाश्त किया। आज भी विपक्षी दल अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इस सदन में कब कौन किस लाॅबी में बैठ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। आज विपक्ष बैंकों में लूट आंध्र को स्पेशल दर्जा, कावेरी जल आदि पर अपनी बात कहना चाहता है।
अजमेर में अब भास्कर ने उठाया एलीवेटेड रोड की उपयोगिता का मुद्दा। 
एडीए अध्यक्ष भी फिलहाल नहीं है पक्ष में।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर शहर के गांधी भवन चैराहे से मार्टिंडल ब्रिज तक बनने वाले ऐलीवेटेड रोड की उपयोगिता का मुद्दा एक बार फिर दैनिक भास्कर ने उठाया है। 28 मार्च को प्रकाशित स्टोरी में बताया गया है कि किन-किन कारणों से ऐलीवेटेड रोड की योजना विफल हो सकती है। असल में कचहरी रोड और स्टेशन रोड के सकड़े मार्ग को लेकर पहले भी ऐलीवेटेड रोड को अनुपयोगी बताया गया था। शिव शंकर हेड़ा ने अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष का पद संभालते ही कहा था कि ऐलीवेटेड रोड से पहले उनकी दूसरी प्राथमिकताएं हैं जो शहर के लिए जरूरी है। आज दो वर्ष बाद भी हेड़ा अपने इस कथन पर कायम है। सवाल उठता है कि जब उपयोगिता और तकनीकी दृष्टि से ऐलीवेटेड रोड को स्वीकृत नहीं किया था तो अब 250 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट पर अमल क्यों किया जा रहा है? जानकारों की माने तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में जो राशि आई उसे ठिकाने लगाने के लिए ऐलीवेटेड रोड को जरूरी बता दिया गया। अब ऐसी संस्थाओं से रिपोर्ट तैयार करवाई गई जो इस रोड को जरूरी मानती है। सवाल 250 करोड़ रुपए के साथ-साथ सैकड़ों दुकानदारों के भविष्य का भी है। जिस मार्ग पर ऐलीवेटेड रोड बनना है उस पर कोई 500 दुकानें होगी। अब देखना है कि भास्कर ने रोड की उपयोगिता का जो मुद्दा उठाया है उस पर सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े नेताओं की क्या प्रतिक्रिया होती है। इस मुद्दे पर शहरवासियों को भी अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
तो अब सीएम के जनसंवाद में योजनाओं को लाभार्थी भी दिखेंगे। 
श्रीगंगानगर में हुआ प्रयोग।
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28 मार्च को प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे ने श्रीगंगानगर में जनसंवाद का काम किया। राजे 27 मार्च से तीन दिवसीय गंगानगर के दौरे पर हैं। पिछले दिनों सीएम राजे ने जो जनसंवाद किया उसमें जाति के हिसाब से लोगों को आमंत्रित किया गया था। इसकी चैतरफ आलोचना भी हुई थी, लेकिन अब सीएम ने जाति के हिसाब से जनसंवाद करने के बजाए वर्ग वार जनसंवाद शुरू किया है। श्रीगंगानगर में सीएम ने जनसंवाद के दौरान ही सरकार की विभिन्न योजनाओं में लाभ प्राप्त करने वाले लोगों से भी मुलाकात की। इसमें मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थी भी शामिल थे। श्रीगंगानगर में जिले में जिन लोगों ने भामाशाह कार्ड के जरिए हार्ट का आॅपरेशन प्राइवेट अस्पतालों में निःशुल्क करवाया, उन्होंने सीएम राजे को धन्यवाद दिया। लाभार्थियों को देखकर सीएम राजे भी खुश हुई। असल में कांग्रेस की ओर से लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ आम लोगों को नहीं मिला है। इन आरोपों का जवाब देते हुए ही सीएम अब लाभार्थियों से सीधा संवाद कर रही हैं। ताकि कांग्रेस को यह बताया जा सके कि सरकारी योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंच रहा है। 
आखिर पाकिस्तान के पीएम ने चोरी-छिपे अमरीका की यात्रा क्यों की? 
एयरपोर्ट पर जांच के नाम पर कपड़े भी उतारे।
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सवाल यह नहीं है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी की अमरीका के जाॅन केनेडी एयरपोर्ट पर कपड़े उतरवाकर जांच की गई। अहम सवाल यह है कि अब्बासी ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए अमरीका की चोरी छिपे यात्रा क्यों की? यदि कपड़े पहनते और ठीक करते हुए वाला वीडियो वायरल नहीं होता तो किसी को भी अब्बासी की अमरीका यात्रा का पता ही नहीं चलता। अब्बासी का सफाई में कहना है कि वे अपनी बहन से मिलने के लिए निजी यात्रा पर अमरीका गए थे। अब्बासी कोई छोटे-मोटे राजनायिक नहीं है। अब्बासी एक ऐसे मूल्क के पीएम हैं जिसमें परमाणु बम तक है। क्या ऐसे मूल्क के पीएम को कोई कार्य चोरी छिपे करना चाहिए? चोरी का कृत्य भी ऐसा जिसमें शरीर के कपड़े तक उतराने को तैयार हो गए। वीडियो को देखने से जाहिर होता है कि जांच के बाद अब्बासी अपनी टी शर्ट और पेंट को ठीक कर रहे हैं। यानि कमरे के अंदर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पेंट भी उतर वाई गई। बात अमरीका की जांच की नहीं है। अमरीका ने अब्बासी को नहीं बुलाया। अब्बासी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की ताकत को इस्लामाबाद में छोड़ कर एक आम पाकिस्तानी नागरिक की तरह अमरीका गए थे। यदि अब्बासी को अपनी बहन से मिलने जाना ही था तो एक राजनायिक के तौर पर जाते। जानकार का मानना है कि यदि अब्बासी की यात्रा की और गहनता से जांच पड़ताल की जाए तो कई गुल खिल सकते हैं। अब्बासी को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि अमरीका की गुप्तचर एजेंसी सीआईए की यात्रा पर पूरी नजर रही है। एयरपोर्ट का वीडियो भी सीआईए द्वारा लीक किया गया है। हो सकता है कि सीआईए के जाल में फंस कर अब्बासी ने अमरीका को चोरी छिपे यात्रा की हो। सीआईए के जाल में फंसे अब्बासी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहने का कितना हक है यह पाकिस्तान की जानता को तय करना है। अभी यह मामला दूर तलक  जाएगा। फिलहाल अब्बासी को लेकर पाकिस्तान में भारी गुस्सा है। 
बांगड़ सीमेंट में श्रमिकों को नहीं मिल रही सुविधाएं। सीएम को लिखा पत्र।
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भारतीय मजदूर संघ से जुड़े श्रमिकों ने आरोप लगाया है कि राजस्थान के पाली जिले के रास गांव में लगे बांगड़ सीमेंट के कारखाने में श्रमिकों को श्रम कानून के तहत सुविधाएं नहीं मिल रही है। संघ की बांगड़ शाखा के अध्यक्ष अजय सिंह सिसोदिया ने बताया कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी ज्ञापन दिया गया था, तब बांगड़ प्रबंधन ने वार्ता कर मांगों को पूरा करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। इससे श्रमिकों में रोष व्याप्त है। श्रमिकों से रात दिन काम करवाया जाता है, लेकिन श्रम कानून के तहत वेतन, भत्तों एवं अन्य सुविधाएं नहीं दी जाती। यदि बांगड़ प्रबंधन ने श्रमिकों की मांगों को पूरा नहीं किया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। सिसोदिया ने सीएम वसुंधरा राजे से भी आग्रह किया है वे बांगड़ प्रबंधन पर दबाव डाल कर मांगों को पूरा करवाए ताकि रास में श्रमिकों में शांति बनी रहे।

Tuesday 27 March 2018

कुल की रस्म में दीवान और खादिमों के विवाद को सरकार ने गंभीर माना।

कुल की रस्म में दीवान और खादिमों के विवाद को सरकार ने गंभीर माना। केन्द्र सरकार ने भी ली जानकारी।
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अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में 24 मार्च की रात को जब सालना उर्स में कुल की रस्म के लिए हजारों जायरीन मौजूद थे। तब दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन और खादिमों के बीच जो विवाद हुआ उसे राज्य सरकार ने गंभीरता के साथ लिया है। केन्द्र सरकार ने भी अल्पसंख्यक मंत्रालय के माध्यम से रिपोर्ट तलब की है। मालूम हो कि खादिमों ने दीवान आबेदीन को उनके बेटे नसीरुद्दीन चिश्ती के साथ आस्ताना शरीफ में प्रवेश नहीं दिया था, इसके विरोध में दीवान आबेदीन अपने बेटे के साथ दरगाह परिसर में ही धरने पर बैठे गए थे। चूंकि दीवान आबेदीन के द्वारा गुस्ल की रस्म करने पर ही जायरीन कुल की रस्म शुरू करते हैं इसलिए 24 मार्च की रात को कोई एक घंटे तक दरगाह परिसर में हालात बेहद ही नाजुक हो गए। जिला प्रशासन को ये चिंता थी कि यदि भीड़ में भगदड़ मच गई तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। इन हालातों से निपटने के लिए कलेक्टर गौरव गोयल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दरगाह के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब दीवान के बगैर ही आस्ताना शरीफ में गुस्ल हो गया। खादिमों के द्वारा रोक लगा देने से दीवान आबेदीन भी बेहद खफा हैं। दीवान ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी ध्यान आकर्षित किया है। जहां राज्य सरकार ने जिला प्रशासन के माध्यम से रिपोर्ट तलब की है, वहीं केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के माध्यम से जानकारी मांगी है। दोनों सरकारों के अधिकारियों ने दरगाह कमेटी के नाजिम आईबी पीरजादा से भी रिपोर्ट तलब की है। वहीं दीवान आबेदीन और उनके पुत्र नसीरुद्दीन के कृत को लेकर खादिम समुदाय में भारी रोष व्याप्त है। खादिमों ने आबेदीन के द्वारा अपने पुत्र को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने का विरोध जताया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि उर्स के दौरान अकसर दीवान और खादिमों के बीच विवाद हो जाता है। एक बार तो दीवान आबेदीन ने खादिमों पर गोली चलाने का आरोप भी लगाया था।

वसुंधरा राजे के प्रभार वाले जनसम्पर्क विभाग का ही बुरा हाल।

वसुंधरा राजे के प्रभार वाले जनसम्पर्क विभाग का ही बुरा हाल।
प्रसार के अधिकारियों ने दी आंदोलन की धमकी।
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किसी भी राज्य में जनसम्पर्क विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि यह विभाग ही सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री की छवि को चमकाने का काम भी करता है। इस समय राजस्थान में जनसम्पर्क विभाग का प्रभार मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पास ही है। लेकिन इसके बावजूद भी इस विभाग के अधिकारियों को अपनी मांगों को लेकर बार-बार आंदोलन करना पड़ रहा है। पब्लिक रिलेशन एंड एलाईड सर्विसेज एसोसिएश आॅफ राजस्थान (प्रसार) की अध्यक्ष सीताराम मीणा और मोतीलाल वर्मा ने बताया कि विधानसभा के बजट सत्र में जब आंदोलन की घोषणा की गई तो मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी मांगों का समाधान करने का वायदा किया। इस वायदे के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया। प्रदेश के सभी विभागों में पदोन्नति के लिए कमेटी बनी हुई है इसी प्रकार रिक्त स्थानों पर भर्तियां भी हो रही हैं। लेकिन जनसम्पर्क विभाग में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा। मीणा और वर्मा ने आशंका जताई कि विभाग के बड़े अधिकारी समस्याओं के समाधान में रोड़ा बने हुए हैं। सरकार के इस रवैये से एक बार फिर अधिकारियों मंे नाराजगी है। यदि जल्द ही समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा। विभाग के जयपुर स्थित मुख्यालय का तो बुरा हाल है ही साथ ही जिला स्तर पर कार्यरत जनसम्पर्क कार्यालयों की स्थिति भी बेहद ही खराब है। कई जिला मुख्यालयों पर तो जनसम्पर्क अधिकारी नहीं है। मीणा और वर्मा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पूरे मामले में दखल देने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएमओ में बैठे अधिकारी मुख्यमंत्री को सही स्थिति से अवगत नहीं करा रहे हैं

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष को लेकर सीएम राजे और हाईकमान में रार।

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष को लेकर सीएम राजे और हाईकमान में रार। परनामी का हटना तय। जनसुनवाई का तरीका बदला।
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हाल ही में लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार को देखते हुए राजस्थान में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद से अशोक परनामी को हटाने का अंतिम निर्णय हो गया है। चूंकि परनामी सीएम वसुंधरा राजे की वजह से ही अध्यक्ष बने थे, इसलिए अब भी सीएम अपना समर्थक ही अध्यक्ष पद पर चाहती हैं। सीएम को भी पता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में प्रदेशाध्यक्ष की भी भूमिका होगी। यदि परनामी ही अध्यक्ष रहे तो सीएम के लिए चिंता की कोई बात नहीं, क्योंकि परनामी तो अपनी नाक की मक्खी भी सीएम से पूछ कर हटाते हैं। जानकारों की माने तो सीएम राजे परनामी को राज्यसभा में भेजना चाहती थीं, लेकिन भाजपा हाईकमान ने यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। उपचुनाव के परिणामों को देखते हुए ही हाईकमान ने किसी एससी वर्ग का नाम आगे किया है, लेकिन मेघवाल के नाम पर सीएम सहमत नहीं हैं, लेकिन मेघवाल की घोषणा रूकी हुई है। अब कहा जा रहा है कि कोटा के सांसद ओम बिड़ला भी अध्यक्ष हो सकते हैं। बिड़ला का नाम सीएम कैम्प की ओर से चलाया गया है। सूत्रों के अनुसार नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भले ही वसुंधरा राजे को सीएम के पद से नहीं हटाया जाए, लेकिन हाईकमान छूट भी देने के पक्ष में नहीं है। इस समय भाजपा के 162 विधायक हैं, लेकिन माना जा रहा है कि आधे से ज्यादा विधायकों के टिकिट कट जाएंगे। भाजपा ने जो विधायक मंत्री और संसदीय सचिन बने हैं, उनकी स्थिति भी खराब हैं। अजमेर संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव में दोनों मंत्रियों वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल तथा दोनों संसदीय सचिवों सुरेश रावत और शत्रुघ्न गौतम के निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। गौतम के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार सर्वाधिक 34 हजार मतों से पिछड़े है। अजमेर शहर में दोनों विधानसभा क्षेत्रों में हार भाजपा के लिए निराशाजनक है। कमोबेश यही हाल पूरे प्रदेश में हैं।
जसुनवाई का तरीका बदलाः
सीएम वसुंधरा राजे 27 मार्च से तीन दिवसीय गंगानगर जिले के दौरे पर हैं। सीएम ने इस बार जनसंवाद कर तरीका बदल दिया है। पूर्व में उपचुनाव के दौरान सीएम ने जाति के आधार पर जनसंवाद किया था, लेकिन अब समाज के विभिन्न वर्गों के अनुरूप लोगों को आमंत्रित किया गया है। इसमें श्रमिक, पेंशनर्स, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक संस्थान जैसे वर्ग शामिल हैं।

ख्वाजा साहब की शिक्षाओं पर अमल भी करे पाकिस्तान।

ख्वाजा साहब की शिक्षाओं पर अमल भी करे पाकिस्तान। 
अजमेर में उच्चायुक्त ने पेश की मजार पर चादर।
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भारत स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त सुहेल मोहम्मद ने 27 मार्च को अजेमर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह मंे मजार पर चादर पेश की। सब जानते हैं कि पाकिस्तान कश्मीर सीमा पर लगातार गोलाबारी कर रहा है तथा हमारे कश्मीर में प्रशिक्षित आतंकियों को भेज कर माहौल को बिगाड़ रहा है। ऐसे में उच्चायुक्त ने पाकिस्तान की हुकुमत की ओर से ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश की है। पाकिस्तान सूफी परंपरा को तो स्वीकार करता है, लेकिन ख्वाजा साहब की शिक्षाओं पर अमल नहीं करता। ख्वाजा साहब ने अपने जीवन काल में इंसानीयत और मोहब्बत का संदेश दिया। पाकिस्तान तो आतंक में भरोसा करता है। यदि पाकिस्तान ख्वाजा साहब की शिक्षाओं पर अमल करे तो फिर सीमा पार से गोलाबारी भी नहीं होगी। जाहिर है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में अंतर है। ख्वाजा साहब की मजार पर सूफी परंपरा के अनुरूप चादर पेश कर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है। आज पूरी दुनिया में पाकिस्तान की छवि आतंकवादी के रूप में हो रही है। संभवतः यह पहला अवसर है कि ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में पाकिस्तान की हुकूमत की ओर से चादर पेश की गई है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तो दरगाह आते रहे हैं, लेकिन हुकूमत की ओर से चादर पहली बार भेजी गई है। दरगाह में खादिम नातिक चिश्ती की ओर से उच्चायुक्त को जियारत करवाई। इस अवसर पर अंजुमन सैयद जादगान के सचिव हाजी सैयाद वाहिद हुसैन और अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

तो अमितशाह भी मानते हैं राजस्थान में किसानों की आत्महत्या के मामले अधिक हैं।

तो अमितशाह भी मानते हैं राजस्थान में किसानों की आत्महत्या के मामले अधिक हैं। कर्नाटक की प्रेस काॅन्फ्रेंस में बताए आंकड़े।
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27 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने कर्नाटक में एक प्रेस काॅन्फ्रेंस को संबोधित किया। कर्नाटक में 12 मई को विधनसभा के चुनाव होने हैं। शाह ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर्नाटक में की है। अब हमारे विरोधी बचाव में कह रहे हैं कि देश के अन्य राज्यों में भी किसानों के द्वारा आत्महत्या की गई है। अमित शाह ने माना कि कर्नाटक के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी आत्म हत्याएं हुई है, लेकिन भाजपा शासित गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपेक्षाकृत आत्महत्याओं के मामले कम हैं। शाह ने जिन तीन भाजपा शासित राज्यों के नाम लिए उनमें राजस्थान शामिल है। यानि राजस्थान में भी कर्नाटक और अन्य राज्यों की तरह किसानों की आत्महत्याओं के मामले अधिक हैं। यदि राजस्थान में भी मामले कम होते तो अमितशाह राजस्थान के नाम का भी उल्लेख करते। मालूम हो कि राजस्थान में भी परेशान किसान लगातार आत्महत्या कर रहा है। किसानों ने इसके लिए आंदोलन भी किया है। वायदे के अनुसार किसानों की सम्पूर्ण कर्ज माफी भी नहीं हुई है। राजस्थान में पर्याप्त वर्षा नहीं होने तथा भूमिगत जलस्तर में गिरावट होने के कारण किसानों को सिंचाई में भारी परेशानी हो रही है। सरकार समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न की खरीद भी नहीं कर रही है। इससे राजस्थान के किसान भी आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।

Monday 26 March 2018

अब पुष्कर में 27 मार्च से होगा भाजपा के 100 विस्तारकों का प्रशिक्षण शिविर। संगठन महासचिव चन्द्रशेखर के प्रयास।
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राजस्थान भाजपा के संगठन महासचिव चन्द्रशेखर की पहल पर अब 27 मर्च से पुष्कर तीर्थ की वैष्णव धर्मशाला में भाजपा के 100 विस्तारकों का प्रशिक्षण शिविर लगेगा, यह शिविर 29 मार्च तक चलेगा। हालांकि राजस्थान में 200 विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन पहले चरण में तैयार विस्तारकों को उन 100 विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा, जहां भाजपा की स्थिति कमजोर है। फिलहाल एक विधानसभा क्षेत्र में एक विस्तारक भेजने की योजना है, लेकिन आगे चल कर विस्तारकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। भाजपा में उच्चपद्स्त सूत्रों के अनुसार संगठन महासचिव चन्द्रशेखर अपने उत्तर प्रदेश के सफल अनुभवों का प्रयोग राजस्थान में करना चाहते हैं। इसलिए नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए युवा विस्तारकों को तरजीह दी गई। असल में हाल के लोकसभा के उपचुनावों में भी विधानसभा वार विस्तारक नियुक्त किए गए थे, लेकिन अधिक उम्र, विधानसभा क्षेत्र में सम्पर्क का अभाव आदि कारणों से उपचुनाव में विस्तारकों का प्रयोग फेल हो गया। लेकिन अब चुनव की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले चन्द्रशेखर ने अपने स्तर पर 100 विस्तारकों का चयन किया है। अब चन्द्रशेखर ही ऐसे विस्तारकों को तीन दिन तक पुष्कर में प्रशिक्षण देंगे। जानकारों के अनुसार प्रशिक्षित विस्तारकों को अभी से ही संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में भेज दिया जाएगा। ऐसे विस्तारक भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ बूथ स्तर पर कार्य करेंगें। प्रत्येक मतदाता का बायोडेटा तैयार किया जाएगा। शिविर में विस्तारकों को बूथ मैनेजमेंट की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। ऐसे विस्तारक चुनाव में टिकट नहीं मांग सकेंगे।
तो बंद हो जाएगा जयपुर का यूनिवर्सिटी फाइव ईयर लाॅ काॅलेज। आखिर वसुंधरा सरकार क्या कर रही है?
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राजस्थान के जो युवा 12वीं कक्षा के बाद फाइव ईयर लाॅ का कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी के परिसर में अलग से संचालित यूनिवर्सिटी फाइव ईयर लाॅ काॅलेज महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 10 वर्ष पूर्व इस काॅलेज के शुभारंभ पर बार कौंसिल आॅफ इंडिया (बीसीआई) ने अस्थायी अनुमति देते हुए निर्देश दिए थे कि काॅलेज में जल्द से जल्द स्थाई फैकल्टी वाईफाई, मूक कोर्ट, हाॅस्टल, ई-लाइब्रेरी आदि संसाधन जुटाएं जाएं। राजस्थान यूनिवर्सिटी और सरकार की जिम्मेदारी थी कि ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसा नहीं कि यह काॅलेज सरकार पर बोझ है। काॅलेज का संचालन सेल्फ फाइनेंस स्कीम में हो रहा है। विद्यार्थियों से एक लाख रुपए तक सालाना फीस वसूली जा रही है। प्रदेश भर के खास कर जयपुर, अजमेर, अलवर, सवाई माधोपुर, भरतपुर, नागौर आदि जिलों के युवा इस काॅलेज में प्रवेश के लिए इसलिए रुचि रखते हैं, ताकि जयपुर स्थित हाईकोर्ट में प्रशिक्षण भी लिया जा सके। लेकिन वायदे के मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन और सरकार ने इस काॅलेज में स्थायी सुविधाएं आज तक भी उपलब्ध नहीं करवाई। यही वजह है कि बीसीआई ने वर्ष 2018-19 के लिए प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश देने की अनुमति नहीं दी है। इस समय देशभर में फाइव ईयर लाॅ कोर्स में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है, जबकि जयपुर के लाॅ-काॅलेज में प्रवेश की प्रक्रिया बंद पड़ी है। यदि एक वर्ष प्रवेश नहीं हुआ तो यह महत्वपूर्ण काॅलेज अपने आप बंद हो जाएगा। विद्यार्थियों के प्रतिनिधि जगप्रवेश मान ने बताया कि काॅलेज में प्रति कालांश  के हिसाब से अध्यापकों को पारिश्रमिक दिया जाता है, जबकि नियमों के मुताबिक स्थायी फैकल्टी होनी चाहिए। अब तो कंपनी लाॅ और जीएसटी को भी फाइव ईयर कोर्स में शामिल कर लिया गया है। छात्र-छात्राएं अपनी मांगों को लेकर आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। सरकार आए दिन यह दावा करती है कि उच्च शिक्षा के लिए नए काॅलेज खोले जा रहे हैं, जबकि पहले से चल रहे काॅलेजों की कोई सुध नहीं ली जा रही। राजस्थान यूनिवर्सिटी के तृतीय वर्ष वाले लाॅ काॅलेज के शिक्षकों का ही उपयोग कर फाइव ईयर लाॅ काॅलेज का संचालन किया जा रहा है। पहले भी कई बार बीसीआई प्रवेश पर रोक लगा चुकी है, लेकिन हर बार हाथा जोड़ी कर ऐन कौके पर अनुमति प्राप्त कर ली जाती है, लेकिन इस बार अंतिम अवसर भी निकल गया है। यदि यह लाॅ काॅलेज बंद होता है तो आगामी विधानसभा के चुनाव में सरकार को नुकसान होगा। मान ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मांग की है कि इस लाॅ काॅलेज में संसाधन उपलब्ध करवा कर नियमिमता को बनाए रखा जाए। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 7426808026 पर जगप्रवेश मान से ली जा सकती है।
आखिर अन्ना हजारे के अनशन की कब सुध लेगी केन्द्र सरकार।  चार दिनों में ही हो गया चार किलो वजन कम।
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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे 26 मार्च को भी लगातार चैथे दिन दिल्ली के रामलीला मैदान पर अनशन पर बैठे रहे। देश भर के गांधी वादी और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना के समर्थन में दिल्ली में डटे हुए हैं। इन में राजस्थान के नागौर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह टापड़वाड़ा भी है। टापड़वाड़ा को इस बात का अफसोस है कि काॅर्पोरेट घरानों की वजह से अन्ना के अनशन को मीडिया प्राप्त कवरेज नहीं मिल रहा है। यह सही भी है कि यूपीए की सरकार मंें जब अन्ना ने आंदोलन किया था तो मीडिया की वजह से ही सरकार हिल गई थी। अन्ना के समर्थक माने या नहीं तब सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए भाजपा के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हो गए थे। अब कांग्रेस के पास ऐसी कोई रणनीति नहीं है, हालांकि अन्ना अपने आंदोलन को हमेशा राजनीति में दूर रखते हैं। लेकिन राजनीति में ही रणनीति होती है। इधर केन्द्र सरकार अन्ना के आंदोलन के वजन को आंक रही है। यदि जनसमर्थन नहीं मिला तो फिर स्वस्थ्य बिगड़ने पर अन्ना को जबरन अस्पताल में भर्ती करवा कर आंदोलन की कमर तोड दी जाएगी। हालांकि अन्ना ने कहा है कि वे इतनी जल्दी नहीं मरेंगे। जब तक सक्षम किसान सशक्त लोेकपाल और चुनाव सुधार नहीं होंगे, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। टापड़वाड़ा का कहना है कि धीरे धीरे देश भर से लोग अन्ना के समर्थन में रामलीला मैदान में एकत्रित हो रहे हैं। सरकार अन्ना के अनशन को हल्के में नहीं ले। अब तक 64 से भी ज्यादा किसान संगठनों का समर्थन अन्ना को मिल चुका है। हालांकि चैथे दिन अन्ना का वजन चार किलो कम हो गया है। लेकिन अन्ना में आत्म बल पहले दिन जैसा ही है। सरकार ने स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक भी लागू नहीं किया है इससे देशभर के किसान बदहाल स्थिति में है। गंभीर बात तो ये है कि लगातार आत्म हत्याओं के बाद भी सरकार का ध्यान किसानों की ओर नहीं गया है।
समाज में सिंधी भाषा और संस्कृति को बनाए रखा जाए-स्वामी आदि सरस्वती। अजमेर में चेटीचंड पर्व महोत्सव के पखवाड़े का समापन।
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25 मार्चकी शाम को मुझे अजमेर के आदर्श नगर स्थित सिंधी मंदिर में समाज के एक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला। सिंधी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप मुझे भी तोलिया और शर्ट का पीस भेंट किया गया। यह समारोह चेटीचंड पर्व महोत्सव के समापन पर हुआ। एक पखवाडे़ तक चले महोत्सव में जुलूस निकालने से लेकर अनेक आयोजन हुए। इस समारोह की खास बात यह थी कि समारोह में पूरी तरह सिंधी भाषा का इस्तेमाल किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सिंधी संस्कृति की झलक दिखाई गई। समारोह में चिति योग संस्था की प्रमुख स्वामी अनादि सरस्वमी ने कहा कि समाज में जिस तेजी से बदलाव हो रहा है, उसमें सिंधी भाषा और संस्कृति को बचाए रखना है। सिंधी परिवारों में भी धीरे-धीरे सिंधी का उपयोग कम हो रहा है। काॅन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे तो सिंधी भाषा बोल ही नहीं पाते। मैं बच्चों की अच्छी पढ़ाई के खिलाफ नहीं है, लेकिन काॅन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी अपनी मातृभाषा तो आनी ही चाहिए। सिंधी कोई भाषा नहीं बल्कि हमारी संस्कृति भी है। उन्होंने झूलेलाल महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाने के लिए समाज के लोगों को बधाई भी दी। समारोह को क्षेत्रीय भाजपा विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने भी संबोधित किया। समारोह में 80 वर्षीय शंभु भम्भानी, प्रेस फोटोग्राफर महेश नटराज आदि का सम्मान किया गया। इस अवसर पर आदर्श सिंधी पंचायत के अध्यक्ष गुरुबख्श मीरानी, कार्यवाहक अध्यक्ष जगदीश अभिचंदानी, सचिव लाल नाथानी, प्रेम प्रकाश आश्रम के ट्रस्टी दादा नारायणदास, महेश ईसरानी, कंवल प्रकाश किशनानी, गिरीश बाशानी, दीपक हासानी, धौलूभाई, उपमहापौर सम्पत सांखला, हेमंत भाटी आदि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन हरि चंदनानी ने किया।

तो देवनारायण भगवान के मंदिर में सीएम राजे के साथ हुआ चमत्कार।

तो देवनारायण भगवान के मंदिर में सीएम राजे के साथ हुआ चमत्कार। गुर्जर तो मेरे रिश्तेदार। मृगनयनी की कहानी भी सुनाई।
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26 मार्च को भीलवाड़ा के मालासेरी गावं में आयोजित 108 कुंडीय लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के समापन समारोह में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने अपने ही अंदाज में उपस्थिति दर्ज करवाई। मालासेरी का धार्मिक महत्व इसलिए भी है कि यहां गुर्जर समुदाय के अराध्य देवनारायण का जन्म हुआ था। सीएम ने यहां 4 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले भगवान देवनारायण के पैनोरमा का शिलान्यास भी किया। इस मौके पर गुर्जर समुदाय को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि उन्हें अभी अभी भगवान देव नारायण के चमत्कार का अहसास हुआ है। 125 सीढ़ियां चढ़कर जब वे भगवान की प्रतिमा के सामने पहुंची तो उनका सांस फूल हुआ नहीं था। यह चमत्कार ही तो है। सीएम राजे ने कहा कि उनके बेटे की पत्नी गुर्जर जाति की है इसलिए गुजरों से रिश्ता है। उन्होंने राजा मानसिंह की कहानी सुनाई। सीएम ने बताया कि राजा मानसिंह जंगल में शिकार पर थे, तब गुर्जर समुदाय की युवती मृगनयनी पर नजर पड़ी। राजा ने जब मृगनयनी के सामने रानी बनने का प्रस्ताव रखा तो युवती ने कहा कि पहले मेरे गांव में पानी का इंतजाम किया जाए। सब जानते हैं कि राजा मानसिंह ने नहर का इंतजाम कर पानी पहुंचाया और मृगनयनी को अपनी रानी बनाया। यह मृगनयनी की सज्जनता थी कि दूसरी रानी बनाने की जिद नहीं की। सीएम ने कहा कि भगवान देव नारायण के जन्म स्थल मालासेरी में जल्द ही चम्बल का पानी आ जाएगा। मैंने हमेशा गुर्जर समुदाय को अपने परिवार का सदस्य माना है। मैं मानती हंू कि गुर्जर समुदाय में शिक्षा बेहद जरूरी है। इसलिए देवनारायण योजना में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम किया गया है। हमारे बच्चे पढ़ेंगे तो समाज खुशहाल होगा। समारोह में सीएम ने राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत से कहा कि मालासेरी में आगामी छह माह में भगवान देवनारायण का पैनोरमा बन जाना चाहिए। सीएम ने जिस अंदाज में गुर्जर समुदाय से अपना रिश्ता जुड़ा उनकी सभी ने प्रशंसा की। यह बात अलग है कि गुर्जर समुदाय के पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण पर सीएम राजे ने एक शब्द भी नहीं कहा। इस मौके पर सीएम राजे को  जो ज्ञापन दिया गया उसमें बताया गया कि इतने बड़े धार्मिक स्थल पर एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है, जबकि यहां गुर्जर समुदाय के हजारों लोग दर्शन के आते हैं।

Sunday 25 March 2018

ख्वाजा साहब की दरगाह के इतिहास में पहली बार हुआ दीवान के बगैर उर्स में गुसल।

ख्वाजा साहब की दरगाह के इतिहास में पहली बार हुआ दीवान के बगैर उर्स में गुसल। बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर विवाद।
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दुनिया भर में अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को सद्भावना की मिसाल माना जाता है, इसलिए ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में देश के प्रधानमंत्री तक की ओर से सूफी परंपरा के अनुरूप चादर पेश की जाती है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि 24 मार्च की रात को दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन के बगैर ही उर्स का गुसल हो गया। दरगाह के 806 साल के इतिहास में पहला अवसर है कि सालाना उर्स की कोई धार्मिक परंपरा टूटी है। ख्वाजा साहब का छह दिवसीय उर्स 19 मार्च से शुरू हुआ था। उर्स की परंपरा है कि अंतिम दिन महफिल के बाद दरगाह दीवान गुसल की रस्म के लिए मजार शरीफ में जाते हैं। दीवान की रस्म के बाद ही दरगाह के खादिम मजार शरीफ को धोने का कार्य करते हैं। ख्वाजा साहब को मानने वाले अकीदतमंदों के लिए यह धार्मिक परंपरा बहुत महत्व रखती है। लेकिन 24 मार्च को महफिल के दौरान तब विवाद खड़ा हो गया, जब दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने अपने बड़े बेटे सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती उर्फ शेरू को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर नायब दीवान बना दिया। विवाद उस समय और बढ़ गया, जब आवेदीन गुसल के लिए अपने बेटे शेरू को भी साथ ले जाने लगे। उत्तराधिकारी की घोष्णा से खफा खादिमों ने आबेदीन और उसके बेटे शेरू को मजार शरीफ के दरवाजे पर ही रोक दिया। खादिमों का कहना था कि गुसल के लिए दीवान ही अधिकृत हैं, इसलिए दीवान के साथ उनके बेटे को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। खादिमों के विरोध के चलते दीवान आबेदीन  और उनके पुत्र जमीन पर ही धरने पर बैठ गए। जायरीन से खचाखच भरी दरगाह में खादिमों और दीवान के विवाद से जिला प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए। कलेक्टर गौरव गोयल और पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह च ौधरी ने काफी देर तक समझाइश की, लेकिन दीवान आबेदीन अकेले जाने को तैयार नहीं हुए। खादिमों ने कुछ समय तक तो इंतजार किया, लेकिन फिर दीवान के बगैर ही गुसल की रस्म सम्पन्न कर ली। बाद में बड़ी मुश्किल से आबेदीन  और उनके पुत्र को धरने से उठाया गया। यानि दरगाह के इतिहास में पहली बार  है कि दीवान को गुसल के बगैर लौटना पड़ा।
आबेदीन तो खुद मुलाजिम हैं-खादिम समुदायः
दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोइन सरकार, सचिव हाजी सैयद वाहिद हुसैन तथा अंजुमन शेखजादगान के अध्यक्ष अब्दुल जर्रार चिश्ती, सचिव डाॅ. अब्दुल माजिद चिश्ती ने एक बयान जारी कर कहा है कि जैनुल आबेदीन तो दरगाह कमेटी के मुलाजिम हैं। दीवान की नियुक्ति भी दरगाह ख्वाजा साहब एक्ट 1955 के अंतर्गत होती है। दरगाह कमेटी केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। कोई मुलाजिम अपने बेटे को अपनी मर्जी से दरगाह कमेटी का मुलाजिम कैसे नियुक्त कर सकता है। आबेदीन इससे पहले भी कई बार ऐसे विवाद खड़े कर चुके हैं। पिछले दिनों तो अपने पौत्र को भी महफिल दीवान की गद्दी पर बैठा दिया। खादिमों ने कमेटी के नाजिम को पत्र लिख कर आबेदीन के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। खादिमों का कहना रहा कि उर्स में गुसल की रस्म में आबेदीन के शरीक नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि दरगाह के अंदर सभी धार्मिक रस्मे खादिम समुदाय ही पूरा करता है।
उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार है-आबेदीनः
वहीं दीवान आबेदीन ने कहा है कि सूफी और चिश्तिया परपंरा में उन्हें अपने बड़े पुत्र को उत्तराधिकारी नियुक्त करने का अधिकार है। 24 मार्च की रात को जिस तरह खादिमों ने उन्हें गुसल की परंपरा से रोका है, उसमें सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट को स्वतः ही प्रसंज्ञान लेना चाहिए। उनकी दीवान के पद पर नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हुई है। आबेदीन ने आरोप लगाया कि प्रशासन भी खादिमों के दबाव में हैं।
चढ़ावे पर दोनों एक मतः
दरगाह की धार्मिक परंपराओं को लेकर भले ही खादिम और दीवान आमने-सामने हो, लेकिन दरगाह में जाने वाले चढ़ावे को लेकर दोनों एकजुट है। चढ़ावे के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जब गाइड लाइन बनाई तो दोनों पक्षों ने अदालत के बाहर समझौता कर लिया। इस समझौते के अंतर्गत ही खादिम सप्रदाय आबेदीन को दीवान की हैसियत से 2 करोड़ रुपए सालाना देता है। अब चढ़ावे पर दीवान आबेदीन भी चुप है।

कड़वा और सच सुनने की हिम्मत दिखाएं सीएम राजे। इर्द-गिर्द जमा चापलूसों को हटाएं।

कड़वा और सच सुनने की हिम्मत दिखाएं सीएम राजे। इर्द-गिर्द जमा चापलूसों को हटाएं। आभार जतवाने से कुछ नहीं होगा।
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25 मार्च को जयपुर में सत्य सांई संस्थान की ओर से आयोजित निःशुल्क हृदय रोग आॅपरेशन के समारोह में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि सेवा की भावना से ही लोगों का विश्वास जीता जा सकता है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वयं को प्रधान सेवक कहते हैं। यानि वसुंधरा राजे ने स्वयं को राजस्थान की प्रधान सेविका के तौर पर बताया। लोकसभा के हाल ही के उपचुनावों में सभी 17 विधानसभा सीटों पर भाजपा की करारी हार ने यह प्रदर्शित कर दिया है कि जनता की सेवा किस प्रकार हो रही है। सवाल सीएम राजे के सेवा कार्यों का नहीं है। सवाल सीएम के कड़वा और सच सुनने का है। भाजपा के अंदर ही ऐसे बहुत से नेता है। जो सीएम को हकीकत से रूबरू करवाना चाहते हैं। लेकिन सीएम राजे के इर्द-गिर्द जमा चापलूस लोग मौका ही नहीं देते।  सीएम जब तक अपने आलोचकांे को सुनने की हिम्मत नहीं दिखाएगी तब तक सरकार और भाजपा संगठन मजबूत नहीं होगा, अभी भी सीएम राजे को वो ही लोग अच्छे लगते हैं जो प्रशंसा करते हैं। यही वजह है कि उपचुनाव में हार के बाद भी सीएम राजे में आभार जताने के प्रायोजित कार्यक्रम हो रहे हैं। चापलूस लोग सीएम के मिजाज के अनुरूप ही लोगों को एकत्रित करते हैं। यह चापलूस वहीं हैं जिन्होंने उपचुनाव के दौरान सीएम को धोखे में रखा। समझ में नहीं आता कि ऐसे चापलूसों को हटाया क्यों नहीं गया है। ये चापलूस सीएम के विरोधियों की संख्या को बढ़ाते जा रहे हैं। सीएम राजे ये पता लगाए कि इर्द-गिर्द जमा चापलूस उनके नाम पर कितनी कबाड़ेबाजी कर रहे हैं। सीएम का नाम लेकर अपने ही लोगों को डराया धमकाया जा रहा है। चापलूसों की वजह से सीएम और उनके समर्थकों के बीच दूरी बढ़ा दी है। अब चापलूसों को अपनी पोल खुलने का डर यदि सीएम सच सुनने की हिम्मत कर ले तो अनेक चापलूसों को सीएम राजे के पास से भागना पड़ेगा। यदि सीएम ने 15 अप्रैल से शुरू होने वाली सुराज गौरव यात्रा में भी इन्हीं चापलूसों को लगाए रखा तो परिणाम उपचुनाव वैसे ही सामने आएंगे।

भास्कर की पहल पर बेटी बचाने और पढ़ाने के लिए उमड़े अजमेरवासी।

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to harshit
भास्कर की पहल पर बेटी बचाने और पढ़ाने के लिए उमड़े अजमेरवासी।
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आमतौर पर सरकारी आयोजनों में जब भागीदार का अभाव रहता है। लेकिन 25 मार्च को अजमेर में दैनिक भास्कर की ओर से आयोजित मैराथन वाॅक में शहरवासियों की जबरदस्त भागीदारी रही। यह वाॅक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए की गई थी। हालांकि वाॅक की शुरुआत प्रातः 6ः30 बजे हुई, लेकिन समाज के सभी वर्गो के लोग प्रातः 5 बजे से ही पटेल मैदान पर आने लगे। साढे़ छह बजे तक तो मैदान पूरा भर गया। मैराथन वाॅक का शहर भर में जगह-जगह स्वागत किया गया। मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने बेटी बचाने और पढ़ाने की शपथ दिलवाई तो महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल ने वाॅक को झंडी दिखाई। कांग्रेस के सांसद रघु शर्मा भी कुछ देर के लिए समारोह में शामिल हुए। भास्कर के अजमेर संस्करण के सम्पादक डाॅ. रामेश अग्रवाल ने आयोजन को सफल बनाने के लिए शहरवासियों का आभार प्रकट किया। वाॅक में शामिल हुए हजारों लोगों को नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से टी शर्ट व कैप वितरित की गई। वहीं अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी की पहल पर मैराथन वाॅक के बाद सभी को छाछ का वितरण किया गया।

वसुंधरा राजे की सुराज गौरव यात्रा ढकोसला साबित होगी-सचिन पायलट।

वसुंधरा राजे की सुराज गौरव यात्रा ढकोसला साबित होगी-सचिन पायलट।
पाकिस्तान और कश्मीर पर भाजपा की रणनीति विफल-विवेक बंसल
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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जो सुराज गौरव यात्रा निकालने जा रही हैं वह ढकोसला साबित होगी। 25 मार्च को अजमेर में मीडिया से संवाद करते हुए पायलट ने कहा कि साढ़े चार साल तो वसुंधरा राजे सत्ता के नशे में डूबी रही और अब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यात्रा निकाल रही हैं। समझ में नहीं आता कि किसका गौरव और किसका विकास हुआ है? पिछले चार वर्षों में वसुंधरा के शासन में समाज का हर वर्ग दुःखी और परेशान हुआ है। सरकार ने खुद भ्रष्टाचार करवाया है। आखिर यह सरकार किस मुंह से जनता के बीच जाएगी। पिछले चार वर्षों में जितने भी उपचुनाव हुए उन सबमें कांग्रेस की जीत हुई है। हाल के लोकसभा उपचुनाव में सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की करारी हार से जनता ने यह प्रदर्शित कर दिया है कि वर्तमान भाजपा सरकार नकारा ही नहीं, बल्कि जनविरोधी भी है। पायलट ने कहा कि प्रदेश की जनता वसुंधरा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार है। आगामी चुनाव कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता मिलकर लड़ेंगे।
भाजपा की रणनीति विफलः
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल ने मीडिया से कहा कि पाकिस्तान और कश्मीर पर भाजपा की रणनीति विफल रही है। भाजपा के शासन में पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर हमले तेज कर दिए हैं तो कश्मीर में आतंकी मजबूत हुए हैं। अलगाववादियों की पैरोकार पीडीपी और महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बनाने के बाद तो आतंकियों के हौंसले और बुलंद हुए हैं। आज हमारे सैनिक रोजाना शहीद हो रहे हैं यह तब हो रहा है जब केन्द्र सरकार पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा करती है। यह पहला अवसर है जब सैन्य कार्यवाही का भी राजनीतिकरण किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बताएं कि जब सर्जिकल स्ट्राइक कर दी गई तो फिर पाकिस्तान की ओर से रोजाना गोलाबारी क्यों हो रही है? अब तो पाकिस्तान हमारे आबादी क्षेत्रों में मिसाइल से हमले कर रहा है। भाजपा की नीति ने देश के अंदर सद्भावना का माहौल बिगाडा हैं तो पाकिस्तान और चीन से संबंध बिगाड़ लिए हैं। यूपीए सरकार के पीएम डाॅ. मनमोहन सिंह कभी भी बिना बुलाए पाकिस्तान नहीं गए और न ही बड़ी से बड़ी सैन्य कार्यवाही का ढिढोंरा पीटा। बंसल ने कहा कि इसी वर्ष 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को बड़ी जीत मिलेगी।

नरेन्द्र मोदी के बाद राहुल गांधी ने भी पेश की ख्वाजा उर्स में चादर।

नरेन्द्र मोदी के बाद राहुल गांधी ने भी पेश की ख्वाजा उर्स में चादर। कांगे्रसियों का जमघट।
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25 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अजमेर में चल रहे सूफी संत ख्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स में पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। सूफी परंपरा को निभाते हुए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भी 19 मार्च को चादर पेश की गई थी, 25 मर्च को प्रातः 7 बजे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल के नेतृत्व में चादर को पेश किया। गांधी परिवार के खादिम सैयद अब्दुल गनी गुर्देजी उनके पु़त्र जकरिया गुर्देजी  और यासिर गुर्देजी ने कांग्रेस के नेताओं को जियारत करवाई तथा सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कामयाबी के लिए दुआ की। हालांकि छह दिवसीय उर्स के समापन के दिन कुल की रस्म के समय दरगाह में जबरदस्त भीड़ थी, लेकिन जैसे-तैसे राहुल की चादर को मजार श्राीफ पर पेश किया गया। इस अवसर पर राहुल गांधी ने अपने संदेश में कहा कि ख्वाजा साहब की शिक्षाओं से ही भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने उर्स में आने वाले जायरीन को शुभ कामनाएं भी दी। खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव हाजी वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने भी कांग्रेस के नेताओं का इस्तकबाल किया। इस अवसर अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुर्शीद अहमद, पूर्व मंत्री अशकअली टांक, श्रीमती नसीम अख्तर, सेवा दल के प्रदेश संगठन राकेश पारीक, पूर्व विधायक नाथुराम सिनोदिया, डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती, ब्रह्मदेव कुमावत, कांग्रेस के देहात जिला अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़, शहर अध्यक्ष विजय जैन, सांसद रघु शर्मा, शैलेन्द्र अग्रवाल आदि भी उपस्थित रहे।

Friday 23 March 2018

एक्ट में संशोधन कर लोकायुक्त जस्टिस कोठारी का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए बढ़ाया।

एक्ट में संशोधन कर लोकायुक्त जस्टिस कोठारी का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए बढ़ाया। राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ।
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राजस्थान के लोकायुक्त कार्यालय की भूमिका से सरकारी दफ्तरों में कितना भ्रष्टाचार कम हुआ या कितने भ्रष्ट कार्मिकों पर कार्यवाही हुई, यह छानबीन का विषय हो सकता है, लेकिन 23 मार्च को वसुंधरा राजे ने लोकायुक्त एक्ट में संशोधन कर जस्टिस एसएस कोठारी का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए बढ़ा दिया है। पांच वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर जस्टिस कोठारी 25 मार्च को लोकायुक्त के पद से सेवानिवृत्त हो रहे थे, लेकिन दो दिन पहले ही सरकार ने कार्यकाल में वृद्धि कर दी। राजस्थान में यह पहला अवसर है जब किसी लोकायुक्त ने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया और फिर उसे तीन वर्ष का अवसर फिर मिल गया। वसुंधरा सरकार का मानना रहा कि जस्टिस कोठारी ने लोकायुक्त के पद पर रहते हुए प्रदेश में भ्रष्टाचार मिटाने में प्रभावी भूमिका निभाई है और लोकायुक्त कार्यालय की वजह से पीड़ित लोगों को राहत मिली है। सरकार ने जस्टिस कोठारी की कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए ही कार्यकाल बढ़ा दिया।
झूठी शिकायतों से डरे नहीं अफसरः
तीन वर्ष का कार्यकाल बढ़ाए जाने पर जस्टिस कोठारी ने कहा कि उन्होंने लोकायुक्त का काम बेहद ईमानदारी और प्रभावी तरीके से किया है। उन्हें जो भी शिकायत मिली उस पर कार्यवाही हुई है। जस्टिस कोठारी ने माना कि कई बार निहित स्वार्थों की खातिर अधिकारियों की झूठी शिकायतें की जाती हैं, ऐसी शिकायतों से अधिकारियों को घबराने की जरुरत नहीं है। मैं झूठी शिकायतों का निस्तारण बहुत जल्द करता हंू। शिकायतों के लिए स्वयं सेवी संगठनों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान का कोई भी नागरिक बिना डरे लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करवा सकता है। सरकार के सचिवालय परिसर स्थित लोकायुक्त कार्यालय में प्राथमिकता के साथ प्रवेश दिलवाया जाता है। इसके लिए सचिवालय के स्वागत कक्ष में भी दिशा-निर्देश अंकित कर रखे हैं। वे स्वयं भी जिला स्तर पर जन सुनवाई करते हैं।

तो राजस्थान में भाजपा वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ेगी विधानसभा का चुनाव।

तो राजस्थान में भाजपा वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ेगी विधानसभा का चुनाव। सीएम की सुराज गौरव यात्रा 15 अप्रैल से।
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राजस्थान में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव भी मौजूदा सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ेगी। विगत दिनों लोकसभा उपचुनाव में सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में करारी हार के बाद भी ये फैसला लिया गया है कि वसुंधरा राजे को आगे रख कर ही चुनाव लड़ा जाएगा। यही वजह है कि अब सीएम राजे ने भी अपने नेतृत्व को धार देने के लिए सुराज गौरव यात्रा की तैयारियों को शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि सीएम की यह गौरव यात्रा आगामी 15 अप्रैल को चारभुजा तीर्थस्थल से शुरू होगी। राजे की यह यात्रा सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचेगी। भले ही उपचुनाव में मतदाताओं ने भाजपा को सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में हरा दिया हो, लेकिन सीएम राजे गौरव यात्रा में यह बताएंगी की उनकी सरकार ने कितने अच्छे कार्य किए हैं। मतदाताओं को निराश और हताश होने के बजाए गौरवांवित  होना चाहिए। इस यात्रा में सरकार विरोधी माहौल को भी कम करने के प्रयास होंगे। दो दिन पहले ही मंत्रियों और भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों को जिला स्तर पर भेजा हैं। यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को बीकानेर और संगठन महासचिव चन्द्रशेखर को उदयपुर का प्रभारी बनाया गया है। सभी प्रभारी अपने अपने जिलों में जाकर सीएम की गौरव यात्रा की तैयारियां भी कर रहे हैं। इसे सीएम राजे का राजनीतिक कौशल ही कहा जाएगा कि सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में हार के बाद भी राजस्थान में अपनी पकड़ को कमजोर नहीं होने दिया है। सीएम ने इससे पहले भी दो यात्राएं निकाली उनका शुभारंभ भी चारभुजा मंदिर से ही किया था। सीएम धर्म कर्म में बहुत भरोसा रखती हैं। वसुंधरा राजे को लेकर राजनीति में चाहे जितनी अटकले लगाई जा रही हो, लेकिन राजे ने एक बार फिर यह प्रदर्शित किया है कि राजस्थान में भाजपा की राजनीति में उनका कोई विकल्प नहीं।

पुष्कर पालिका के ईओ कुमावत के साथ रात को हुआ विवाद चर्चा का विषय बना।

पुष्कर पालिका के ईओ कुमावत के साथ रात को हुआ विवाद चर्चा का विषय बना। अध्यक्ष पाठक भी मौके पर पहुंचे।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीर्थ स्थल पुष्कर की नगर पालिका के ईओ  विकास कुमार कुमावत के साथ 22 मार्च की रात को अम्बेडकर मार्ग के चुंगी नाके के निकट जो विवाद हुआ वह अब चर्चा का विषय बन गया है। इस विवाद के संबंध में कुमावत का कहना है कि पालिका के कर्मचारियों ने प्लास्टिक की थैलियांे को जब्त करने की सूचना दी थी, इस सूचना के बाद ही वे मौके पर पहुंचे थे, तभी कुछ लोगों के साथ विवाद हो गया, वे स्वयं पालिका का वाहन लेकर मौके पर आए थे। लेकिन बाद में पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक की समझाइश के बाद मामला खत्म हो गया। मौके पर पहुंचे भाजपा के मंडल अध्यक्ष पुष्कर नारायण भाटी का कहना रहा कि बांसेली के माली समाज के कुछ लोगों के साथ ईओ कुमावत का विवाद हुआ था। यह विवाद पालिका के वाहन के टकराने को लेकर शुरू हुआ था, लेकिन बाद में पालिका अध्यक्ष पाठक ने समझदारी दिखाते हुए विवाद का शांतिपूर्ण निपटारा करवा दिया। हालांकि इस विवाद में पुलिस का कोई दखल नहीं हुआ, लेकिन यह जांच का विषय हैं कि किन परिस्थितियों में पालिका का वाहन टकराया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यदि पालिका अध्यक्ष मौके पर आकर समझाइश नहीं करते तो विवाद बढ़ सकता था।

तीन लाख से भी ज्यादा जायरीन ने ख्वाजा की चैखट पर नमाज अदा की। 24 मार्च की रात से होगी कुल की रस्म।

तीन लाख से भी ज्यादा जायरीन ने ख्वाजा की चैखट पर नमाज अदा की। 24 मार्च की रात से होगी कुल की रस्म।
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23 मार्च को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह और दरगाह से जुड़े मार्गों में तीन लाख से भी ज्यादा जायरीन ने जुमे की नमाज अदा की। इन दिनों अजमेर में ख्वाजा साहब का 806वां सालना उर्स चल रहा है। इस छह दिवसीय उर्स में जुमे की नमाज का खास धार्मिक महत्व होता है। इसलिए 23 मार्च को देशभर के जायरीन ने अजमेर में नमाज अदा की। दरगाह परिसर में नमाज अदा करने के लिए सुबह से ही जायरीन बैठ गए थे। दरगाह परिसर भर जाने के बाद जायरीन दरगाह के मुख्य दरवाजे के सामने गंज क्षेत्र तक बैठे, इसी प्रकार नला बाजार से मदार गेट और पीछे डिग्गी चैक तक नमाजियों को बैठना पड़ा। शांतिपूर्ण तरीके से नमाज सम्पन्न हो जाने पर जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है।
कुल की रस्म 24 की रात से:
दरगाह के अंदर धार्मिक रस्मों को अंजाम देने वाले खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन हुसैन, सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह  तथा अंजुमन यादगार चिश्तियां शेखजादगान के अध्यक्ष अब्दुल जर्रार चिश्ती तथा सचिव डाॅ. अब्दुल माजीद चिश्ती ने बताया कि 24 मार्च की रात से कुल की रस्म शुरू हो जाएगी। कुल की रस्म में जायरीन गुलाब और केवडे़ के जल से दरगाह की दीवारों और सम्पूर्ण परिसर को धोते हैं। इसके साथ छह दिवसीय उर्स भी धार्मिक दृष्टि से सम्पन्न हो जाता है।
कायड़ विश्राम स्थली पर भी नमाजः
दरगाह से कोई आठ किलोमीटर दूर बनाई गई कायड़ विश्राम स्थली पर भी हजारों जायरीन ने जुमे की नमाज अदा की। नमाज के लिए इस विश्राम स्थली पर विशेष इंतजाम किए गए थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि विश्राम स्थली पर बड़ी संख्या में जायरीन ठहरे हुए हैं।

श्री मसाणिया भैरवधाम पर हजारों श्रद्धालुओं ने लिया बेटी बचाओ और पढ़ाने का संकल्प।

श्री मसाणिया भैरवधाम पर हजारों श्रद्धालुओं ने लिया बेटी बचाओ और पढ़ाने का संकल्प। छठ मेले में उमड़ी भीड़।
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23 मार्च को अजमेर के निकट राजगढ़ गांव स्थित मसाणिया भैरवधाम पर छठ का मेला भरा। इसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। श्रद्धालुओं को धाम के मुख्य उपासक चम्पालाल महाराज ने बेटी बचाने और पढ़ाने का संकल्प करवाया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक राजेन्द्र सिंह खासतौर से उपस्थित थे। अपने संबोधन में उपासक चम्पालाल महाराज ने कहा कि राजेन्द्र सिंह जी उनके पिता तुल्य हैं और धाम के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। धाम के निकट श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए बरामदे का निर्माण और निकट ही भैरव मंदिर के निर्माण की अनुमति राजेन्द्रसिंह जी के प्रयासों से मिली है। महाराज ने इसके लिए श्रद्धालुओं और भैरवधाम की ओर से राजेन्द्र सिंह का आभार जताया। महाराज ने कहा कि सरकार के विभिन्न सामाजिक कार्यो का प्रचार प्रसार भैरवधाम से किया जाता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जल स्वावलम्बन अभियान को भी घर घर तक पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि बेटियां जन्म नहीं लेंगी तो फिर समाज कैसे चलेगा। बेटियां न केवल जन्म ले बल्कि पढ़ाई भी करें। समाज में महिलाओं को सम्मान मिलना चाहिए, ताकि बेटियों के जन्म में वृद्धि हो। इस अवसर पर अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, भाजपा विधायक कैलाश वर्मा, स्वामी समूह के चेयरमैन कंवल प्रकाश किशनानी, पूर्व मंत्री नसीम अख्तर, कांग्रेस प्रदेश सचिव महेन्द्र सिंह रलावता, पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत आदि भी उपस्थित थे।
देवनानी और बाहेती ने चढ़ाया झंडाः
23 मार्च को छठ मेले पर मसाणिया भैरवधाम के मुख्य भवन पर स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और कांग्रेस के पूर्व विधायक डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती ने मिल कर झंडा चढ़ाया। असल में उपासक चम्पालाल महाराज ने झंडा चढ़ाने की रस्म के लिए इन दोनों को ही इशारा किया था। भैरवधाम पर राजनेताओं का भी जमघट लगा रहता है। नेताओं का मनना है कि भैरवधाम के आशीर्वाद से ही राजनीति में सफलता मिली है। भाजपा विधायक कैलाश वर्मा, मेयर गहलोत, एडीए अध्यक्ष हेड़ा आदि नेता अपनी सफलता का श्रेय भैरवधाम को ही देते हैं। चूंकि अब विधानसभा चुनाव निकट है, इसलिए कांग्रेस और भाजपा नेता अभी से ही ढोक लगाने लगे हैं। उपासक चम्पालाल महाराज का कहना है कि यहां सभी की मनोकमनाएं पूरी होती है। भैरवधाम के बारे में और अधिकारी जानकारी राहुल सेन 9950001400 व अविनाश सेन 9829223268 से ली जा सकती है।

Thursday 22 March 2018

फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने माफी मांगी।

फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने माफी मांगी। आखिर सोशल मीडिया से भाजपा इतना क्यों घबरा रही है?
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केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद की धमकी के बाद 22 मार्च को फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भारत सरकार से माफी मांगी ली है। जुकरबर्ग हिन्दुस्तान से अरबों रुपए कमा रहे हैै। इसलिए माफी का मामला अलग है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर 21 राज्यों और केन्द्र में सरकार चलाने वाली भाजपा सोशल मीडिया से इतनी घबराई हुई क्यों हैं? फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग पर आरोप है कि पहले बिहार और फिर पंजाब और गुजरात के विधानसभा चुनावों में एक ब्रिटिश कंपनी को फेसबुक यूजर्स का डाटा चोरी से दे दिया। इस कंपनी ने फेसबुक के यूजर्स का डाटा कांग्रेस को दिया। चुनावों में पंजाब और बिहार में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और गुजरात में 180 सीटों से कांग्रेस को 80 से ज्यादा सीटें मिल गई। खबर है कि अब 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस फेसबुक के माध्यम से जीत हासिल करना चाहती है। इसलिए केन्द्रीय मंत्री ने फेसबुक को धमकी दे दी। हालांकि फेसबुक के द्वारा यूजर्स का डाटा देना अनैतिक है, लेकिन भाजपा की घबराहट बता रही है कि अब सूचनाओं के प्रसारण में प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया से ज्यादा ताकतवर सोशल मीडिया हो गया है। कोई भी सरकार विज्ञापनों का डर दिखा कर प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया को काबू कर सकती है। लेकिन सोशल मीडिया को नहीं। 2014 में लोकसभा के चुनाव के समय जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी तो प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के हालातों को देखते हुए भाजपा ने अपना कैम्पीयन सोशल मीडिया पर ही केन्द्रित रखा। तब भाजपा को सोशल मीडिया बहुत पसंद आया। सोशल मीडिया की वजह से ही भाजपा को केन्द्र में पूर्ण बहुमत मिला गया। यानि जो भाजपा सोशल मीडिया के दम पर सत्ता में आई, अब वो ही सोशल मीडिया से घबरा रही है। भाजपा को फेसबुक को धमकाने के बजाए उन कारणों का पता लगाना चाहिए जिसमें फेसबुक के यूजर्स नाराज हैं। भाजपा देश की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। स्वाभाविक है कि भारत में सबसे ज्यादा यूजर्स भाजपा के कार्यकर्ता ही होंगे। सोशल मीडिया से जुड़े लोग बेहद समझदार और बुद्धिमान हैं। ऐसे में कोई राजनीतिक दल डाटा चुरा कर दुरुपयोग नहीं कर सकता। यदि सरकार अच्छे कार्य कर रही है तो सोशल मीडिया पर अपने आप प्रचार होगा। कोई गुमराह करना चाहेगा तो भी नहीं होगा। अच्छा हो कि भाजपा अपनी राज्य सरकारों की खामियों को दूर करें। यदि सत्ता के नशे में सोशल मीडिया पर घमंड परोसा जाएगा तो फिर भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे। सरकार माने या नहीं, लेकिन आज भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय हैं। ये बात अलग है कि अब भाजपा विचार धारा वाले यूजर्स ही सरकार की खिंचाई कर रहे हैं।

अजमेर नगर निगम के अधिकारी अपनी निदेशक के आदेश भी नहीं मानते।

अजमेर नगर निगम के अधिकारी अपनी निदेशक के आदेश भी नहीं मानते। 
आवासीय नक्शे पर व्यावसायिक निर्माण, वह भी अवैध।
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अजमेर नगर निगम के अधिकारी यूं तो गली कूचों तक में हो रहे अवैध निर्माणों पर आंख बंद करे बैठे हैं। लेकिन एक मामले में तो निगम के अधिकारी अपने ही विभाग के निदेशक पवन अरोड़ा का आदेश भी नहीं मान रहे हैं। निदेशक अरोड़ा ने श्रीमती राजश्री मंगल की अपील पर गत 6 जून 2017 को निगम के अधिकारियों को आदेश दिए कि श्रीनगर रोड पर रमाकांत शर्मा का जो अवैध निर्माण है उसे विधिवत हटाने की कार्यवाही की जावे। निदेशक ने अपने आदेश में यह भी माना कि निगम ने 168.96 वर्गगज के भूखंड पर रमाकांत को आवासीय निर्माण की इजाजत दी है। इसलिए स्वीकृति के बगैर जो भी निर्माण हो रहा है उसे हटाया जाना चाहिए। श्रीमती राजश्री मंगल को उम्मीद थी कि उसके पड़ौस में बनने वाला व्यावसायिक काॅम्प्लेक्स का अवैध निर्माण अब हट जाएगा। लेकिन पौने दो वर्ष गुजर जाने के बाद भी अवैध निर्माण पहले जैसा ही बना हुआ है। निगम के अधिकारियों ने आज तक भी अपने निदेशक के आदेश की पालना नहीं की। श्रीमती मंगल ने अपनी अपील में बताया कि निगम ने रमाकांत शर्मा को आवासीय निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन मौके पर शर्मा ने व्यावसायिक निर्माण कर लिया और उनके मकान के निकट हवा पानी के लिए जो रिक्त स्थान था, उस पर भी निर्माण कर लिया। श्रीनगर रोड पर आज भी यह निर्माण ज्यों का त्यों बना हुआ है। श्रीमती मंगल ने अवैध निर्माण को हटवाने के लिए भरपूर कोशिश कर ली, लेकिन अब तक भी सफलता नहीं मिली है। पूर्व में निगम के सीईओ गुएटे दल बल के साथ मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन यह दल अवैध निर्माण को हटाए बगैर ही लौट आया। इस संबंध में रमाकांत शर्मा का कहना है कि उन्होंने नगर निगम के स्वीकृत नक्शे के अनुरूप ही निर्माण किया है। यदि नक्शे के विपरीत निर्माण होता तो नगर निगम अभी तक हटा देता। उन्होंने कहा कि उनके निर्माण के बारे में निगम के अधिकारियों को पूरी जानकारी है। 

मां को लहूलुहान करने वाले बेटे की हमदर्द बनी हुई है अजमेर के दरगाह थाने की पुलिस।

मां को लहूलुहान करने वाले बेटे की हमदर्द बनी हुई है अजमेर के दरगाह थाने की पुलिस। बेहरम बेटा आजाद और मां अस्पताल में करा रही है अपना इलाज।
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इसे सभ्य समाज के लिए बुरा ही कहा जाएगा कि सम्पत्ति के लिए एक बेरहम बेटे ने जन्म देने वाली मां का सिर फोड़ दिया और लोहे के हथियार से नाक और मुंह भी तोड़ दिया। यह मामला अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह के एक खादिम परिवार से जुड़ा हुआ है। 20 मार्च को दरगाह के निकट ही खादिम मोहल्ले में कमाल मंजिल में रहने वाले खादिम अफराजुद्दीन चिश्ती ने सम्पत्ति को लेकर अपनी मां इरफाना बीबी से झगड़ा किया। मां ने जब बेटे की हरकतों का विरोध किया तो अफराजुद्दीन ने लोहे के हथियार से पहले मां का सिर फोड़ दिया और दूसरे वार से नाक और मुंह भी जख्मी कर दिया। जब छोटा भाई बचाने आया तो अफराजुद्दीन ने उसे भी बुरी तरह मारा। लहूलुहान हालत में इरफाना बीबी दरगाह पुलिस थाने पर पहुंची और अपने कलयुगी बेरहम बेटे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई। कायदे से पुलिस को आरोपी बेटे को तत्काल गिरफ्तार कर लेना चाहिए था। लेकिन पुलिस ने आज 22 मार्च तक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि मां पर जानलेवा हमला करने वाला बेटा अफराजुद्दीन चिश्ती खुलेआम आजाद घूम रहा है। और मां इरफाना बीबी अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में भर्ती होकर अपने सिर का इलाज करवा रही है। समझ में नहीं आता कि दरगाह थाने की पुलिस एक बेरहम बेटे की हमदर्द क्यों बनी हुई है? क्या पुलिस के इस कृत्य से उन बेटों की हौंसला अफजाई नहीं होगी, जो जायदाद को लेकर मां बाप से झगड़ रहे हैं। सरकार ने माता-पिता खासकर महिलाओं को संरक्षण देने के लिए कानून बना रखे हैं, लेकिन पुलिस ने इन कानूनों को भी ठेंगा दिखा रखा है। पीड़िता इरफाना बीबी का छोटा बेटा और बेटी अपनी मां को न्याय दिलवाने के लिए पुलिस अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।