Thursday 31 December 2020

राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में अब अशोक गहलोत का एक छत्र राज।कांग्रेस की सरकार बनवाने में सचिन पायलट की भूमिका है, इस आवाज को 2020 में कुचल दिया गया।भूल जाओ, माफ करो, की बात नहीं समझने वाला अनाड़ी है। मुख्यमंत्री गहलोत का यह कथन बहुत मायने रखता है।

वर्ष 2020 का अंतिम दिन 31 दिसम्बर भी गुजर गया। यह वर्ष कोविड-19 के कारण तो जाना ही जाएगा, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हो गया है। दिसम्बर 2018 में जब कांग्रेस हाई कमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई, तब यह माना गया कि प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के हक को दरकिनार किया गया है। डेढ़ वर्ष तक सरकार और संगठन में यह आवाज उठती रही कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनवाने में सचिन पायलट की भूमिका है। लेकिन पिछले पांच माह से इस आवाज को पूरी तरह कुचल दिया गया है। अब कांग्रेस का कोई नेता यह कहने की स्थिति में नहीं है कि सरकार बनवाने में पायलट की भूमिका है। हालात ऐसे हो गए हैं संगठन और सरकार में पायलट का नाम लेने से भी डर लगता है। मीडिया में पायलट के प्रभाव के बारे में कितना भी छपे लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल पर जो कहा वह बहुत मायने रखता है। गहलोत से जब सचिन पायलट की भूमिका के बारे में सवाल पूछा गया तो गहलोत ने कहा कि अगस्त माह में जब हमारे विधायक जैसलमेर की होटल से रवाना हुए थे, तब मैंने कहा कि भूल जाओ और माफ करो। मेरा यह कथन जो अभी भी नहीं समझे, वह अनाड़ी है। गहलोत का यह इशारा सचिन पायलट की ओर ही था। सब जानते हैं कि एक माह तक कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ दिल्ली में रहने के बाद पायलट जब 13 अगस्त को जयपुर लौटे तब कहा था कि हम डॉक्टर (राहुल गांधी को अपना) मर्ज बता आए है और अब डॉक्टर ही इलाज करेगा। इस कथन के बाद उम्मीद जताई गई कि गहलोत और पायलट में तालमेल हो जाएगा। लेकिन पिछले पांच माह की गतिविधियाँ बताती हैं कि सरकार और संगठन में पायलट का कोई महत्व नहीं रहा है। पायलट को हटाकर प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए गोविंद सिंह डोटासरा पिछले पांच माह से अकेले ही कांग्रेस संगठन को चला रहे है। प्रदेश से लेकर ब्लॉक तक कार्यकारिणी भंग पड़ी है। लाख खबरों के बाद भी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो रहा है। पायलट सहित जिन तीन मंत्रियों को हटाया गया, उनके विभाग भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। मुख्यमंत्री के पास कोई 15 विभाग बताए जा रहे हैं जिसमें गृह, वित्त, जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी हैं। कांग्रेस और कांग्रेस को समर्थन देने वाले किसी भी विधायक में इतनी हिम्मत नहीं कि वह मंत्री बनने के लिए गहलोत को कह सके। सचिन पायलट के समर्थक चाहे कितना भी दावा करें लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में गहलोत के बगैर पत्ता भी नहीं हिलेगा। इसे अशोक गहलोत की राजनीतिक कुशलता ही कहा जाएगा कि सचिन पायलट को हिट विकेट करवा दिया। जो सचिन पायलट कांग्रेस की सरकार बनवाने का दावा करते थे, वे आज सिर्फ विधायक बन कर रह गए हैं। अब सरकार और संगठन में वो ही हो रहा है जो गहलोत चाहते हैं। गंभीर बात तो यह है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी पायलट की सक्रियता नजर नहीं आ रही है। किसान आंदोलन पर भी दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर गोविंद सिंह डोटासरा की ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाई गई। पायलट फिलहाल ट्वीटर तक ही सीमित रह गए हैं। पायलट की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात भी गहलोत की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। इसमें कोई दो राय नही कि मौजूदा समय में राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में गहलोत का एक छात्र राज है। राजस्थान लोक सेवा आयोग में पांच सदस्यों की नियुक्ति का मामला हो या फिर सूचना आयोग में सदस्यों की भर्ती। गहलोत ने अपने नजरिए से की है। मुख्य सचिव पुलिस महानिदेशक स्तर के आईएएस और आईपीएस की सेवानिवृत्त के बाद जिस तरह महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जा रहा है उससे अफसरवादी गहलोत के इशारे पर नाच कर रहे हैं। यानि विरोध की कहीं भी कोई गुंजाइश नहीं है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत ने मानी है आध्यात्म की ताकत। यही तो है हमारी सनातन संस्कृति।बीमारी के दौरान समझा ईश्वर का इशारा। देश के बुजुर्ग और बीमार राजनेता ले सकते हैं सीख।

एमजी रामचन्द्रन, जयललिता आदि फिल्म स्टारों की तरह दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत भी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन सकते थे। दक्षिण के राज्यों खास कर तमिलनाडु में रजनीकांत की लोकप्रियता आज एमजी और जयललिता से कम नहीं है। अपनी लोकप्रियता को देखते हुए ही अगले विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने की घोषणा रजनीकांत ने भी की। इसके लिए पार्टी बनाने की घोषणा भी कर दी गई, लेकिन विगत दिनों रजनीकांत की तीबयत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवना पडा। तमिलनाडु के लाखों लोग चाहते थे कि रजनीकांत जल्द ठीक हो जाएंगे। अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करें। लेकिन राजनीकांत जब अस्पताल से बाहर आए तो उन्होंने पार्टी बनाने से इंकार कर दिया। रजनीकांत ने कहा कि ईश्वर ने मुझे बीमार कर चेतावनी दी है। मेरे लिए राजनीति से पहले मेरा स्वास्थ्य है। सब जानते हैं कि दक्षिण के करोड़ों लोगों की तरह रजनीकांत भी ईश्वर में जबर्दस्त आस्था रखते हैं। संभवत: अस्पताल में बीमारी के दौरान उनका ईश्वर से सामना हुआ होगा। ईश्वर की सलाह पर ही अब रजनीकांत सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे। असल में यही हमारी सनातन संस्कृति है और इस सनातन संस्कृति में अध्यात्म का समावेश है। करोड़ों लोग अध्यात्म के बारे में जानना चाहते हैं। कई बार कहा जाता है कि भला व्यक्ति में अध्यात्म की शक्ति है। अनेक संत महात्माओं को अध्यात्म की शक्ति वाला माना जाता है। लेकिन राजनीकांत ने यह बता दिया कि गृहस्थ जीवन जीने वाला साधारण व्यक्ति भी ईश्वर का अहसास महसूस कर सकता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ईश्वर के वजूद में रजनीकांत की कितनी आस्था होगी। जो व्यक्ति अपनी बीमारी को ईश्वर की चेतावनी से जोड़ कर देखे तो उसकी आस्था का बयान शब्दों में करना मुश्किल है। लेकिन यह कहा जा सकता है कि ईश्वर का अहसास सिर्फ भारत की सनातन संस्कृति में ही किया जा सकता है। अध्यात्म से ओत प्रोत हमारी सनातन संस्कृति मनुष्य को हर कदम पर सीख देती है। मनुष्य को इशारा समझने की जरूरत है। ऐसा नहीं कि ईश्वर ने रजनीकांत को कर्म करने से रोक दिया है? रजनीकांत यदि फिल्म लाइन में सक्रिय होंगे तो ईश्वर की कृपा बनी रहेगी। ईश्वर ने रजनीकांत को सिर्फ राजनीति में सक्रिय होने से रोका है। भारत की राजनीति में जो राजनेता बीमार और बुजुर्ग हैं उन्हें रजनीकांत के प्रकरण से सीख लेनी चाहिए। रजनीकांत कितने समय तक जिंदा रहेंगे यह तो ईश्वर ही जानता है, लेकिन फिलहाल रजनीकांत ने लम्बे समय तक ईश्वर की पूजा अर्चना करने का अधिकार प्राप्त कर लिया है। रजनीकांत अब भले ही राजनीति न करें, लेकिन आज उन्होंने तमिलनाडु में अपना कद बहुत ऊंचा कर लिया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

नरेश सालेचा ने रेलवे बोर्ड के सदस्य (राजस्व) का पद संभाला। सालेचा अब भारत सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी होंगे।दरगाह नाज़िम अशफाक हुसैन की बेटी फराह आयकर विभाग में डिप्टी कमिशनर बनी।

अजमेर के लोकप्रिय डीआरएम रहे नरेश सालेचा ने 30 दिसम्बर को रेलवे बोर्ड में सदस्य (राजस्व) का पद संभाल लिया है। सालेचा अब तक अतिरिक्त सदस्य के तौर पर काम कर रहे थे। ताजा पदोन्नति के बाद सालेचा भारत सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी हो गए हैं। रेलवे बोर्ड में सदस्य राजस्व का पद महत्वपूर्ण माना जाता है। लेखा के क्षेत्र में सालेचा की अनेक उपलब्धियों को देखते हुए ही यह जिम्मेदारी दी गई है। रेलवे बोर्ड के सदस्य की नियुक्ति की फाइल प्रधानमंत्री सचिवालय तक जाती है। देश भर में रेलवे की संपत्तियों के आंकलन और मूल्य के आधार पर लीज पर देने के कार्य में सालेचा की सराहनीय और पारदर्शी भूमिका रही। अब रेलवे की आय बढ़ाने में सालेचा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सालेचा को रेल मंत्री पीयूष गोयल का भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है। रेल मंत्री की अनुशंषा पर ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने सालेचा को सदस्य राजस्व बनाने का निर्णय लिया है। मालूम हो कि सालेचा जब अजमेर में डीआरएम के पद पर कार्यरत थे, तब रेलवे स्टेशन के विस्तार की बड़ी योजना बनाई गई थी। इसके अंतर्गत ही गांधी भवन चौराहे के सामने रेलवे का नया एंट्री गेट का निर्माण करवाया गया। इस स्थान पर आरक्षण कक्ष, पार्किंग आदि की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई। इसी प्रकार रेलवे स्टेशन से क्लॉक टावर चौराहे तक आने के लिए रेलवे परिसर में ही फुट ओवर ब्रिज का निर्माण करवाया गया।
फराह बनी डिप्टी कमिशनर:
अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह की प्रबंध कमेटी के नाजिम और सेवानिवृत्त आईएएस अशफाक हुसैन की पुत्री फराह की पदोन्नति आयकर विभाग में डिप्टी कमिशनर के पद पर हुई है। भारतीय राजस्व सेवा  की अधिकारी फराह अब तक उदयपुर में सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत थीं। मोबाइल नम्बर 9414232809 पर अशफाक हुसैन को मुबारक बाद दी जा सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

Tuesday 29 December 2020

कांग्रेस में युवाओं और वफादारों को आगे बढ़ाने का काम शुरू। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर करवाई राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डोटासरा की प्रेस कॉन्फ्रेंस।संभाग स्तर पर रायशुमारी के बाद घोषित होगी राजस्थान कांग्रेस की कार्यकारिणी।नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की एंजीयोप्लास्टि।चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को पूर्ण विश्राम की सलाह।कांग्रेस नेत्री अर्चना शर्मा ने संगठन के कार्यो से अवकाश मांगा।

कांग्रेस संगठन को सक्रिय बनाने के लिए भले ही कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को पत्र लिखा हो, लेकिन अब कांग्रेस में युवाओं और वफादारों को आगे लाने का काम शुरू हो गया है। इसी मकसद से 29 दिसम्बर को दिल्ली स्थित कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की प्रेस कॉन्फ़्रेंस करवाई गई। इस कॉन्फ़्रेंस में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और गांधी परिवार के वफादार राजीव शुक्ला भी उपस्थित रहे। कहा जा रहा है कि डोटासरा की तरह ही वफादार और युवा नेताओं को दिल्ली बुलाकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करवाई जाएगी। जानकारों की माने तो बुजुर्ग और गांधी परिवार की कार्यशैली पर आपत्ति करने वाले नेताओं परे धकेलते हुए नए चेहरों को सामने लाया जा रहा है। सब जानते हैं कि डोटासरा 6 माह पहले राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं। डोटासरा ने गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखाते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोला। डोटासरा ने दिल्ली के बाहर चल रहे किसान आंदोलन के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया। डोटासरा ने एनडीए सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए आरएलपी के एक मात्र सांसद हनुमान बेनीवाल की भी प्रशंसा की। बेनीवाल राजस्थान के नागौर से ही सांसद हैं।
प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा अभी नहीं:
कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद प्रादेशिक न्यूज चैनलों से संवाद करते हुए डोटासरा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों की घोषणा अभी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि 31 दिसम्बर तक पदाधिकारियों के नाम प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को सौंप दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इन दिनों अजय माकन संभाग स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर रहे हैं। अजमेर और जयपुर संभाग का संवाद पहले हो चुका था और अब दो दिन पहले कोटा संभाग का संवाद हुआ है। शेष संभागों के कार्यकर्ताओं से संवाद के बाद ही प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा की जाएगी। डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ता एक जुट हैं। कांग्रेस के स्थापना दिवस के प्रदेश भर में तिरंगा यात्रा निकाली गई, तो अब जिला स्तर पर किसान संवाद कार्यक्रम हो रहे हैं।
धारीवाल की एंजीयोप्लास्टिक:
अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की जयपुर के इटर्नल अस्पताल में एंजीयोप्लास्टि की गई है। धारीवाल अस्पताल में रूटीन चैकअप करवाने गए थे कि तभी पता चला कि ब्लॉकेज हैं। हार्ट की गति को देखते हुए तत्काल एंजीयोप्लास्टि की गई। मुख्यमंत्री गहलोत ने फोन पर धारीवाल के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है।
रघु को पूर्ण विश्राम की सलाह:
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को चिकित्सकों ने पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। 28 दिसम्बर को अचानक तबीयत खराब होने के बाद रघु को जयपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। चिकित्सकों ने देर रात को रघु को छुट्टी तो दे दी, लेकिन घर पर पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। रघु को सलाह दी गई है कि फिलहाल कुछ दिनों के लिए किसी से भी मुलाकात नहीं की जाए। यहां उल्लेखनीय है कि रघु शर्मा गत माह कोरोना वायरस से संक्रमित भी हो गए थे।
अवकाश मांगा:
राजस्थान कांग्रेस की प्रमुख प्रवक्ता श्रीमती अर्चना शर्मा ने संगठन के कार्यों से अवकाश मांगा है। श्रीमती शर्मा का कहना है कि वे पिछले 21 वर्षों से संगठन के कार्यों में सक्रिय हैं। लेकिन अब अपने विधानसभा क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करना चाहती हैं। श्रीमती शर्मा ने गत विधानसभा का चुनाव जयपुर के शहरी क्षेत्र से लड़ा था। सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अर्चना शर्मा की संगठन में सक्रिय भूमिका देखी गई। 
S.P.MITTAL BLOGGER (29-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511  

कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के 6 व्यक्ति भारत में चिन्हित। सभी संक्रमित ब्रिटेन से आए।पहले वाले वायरस की वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं, नए स्ट्रेन वाले वायरस ने परेशानी बढ़ाई।अजमेर में भी ब्रिटेन से आई एक युवती की स्टे्रन वाली रिपोर्ट का इंतजार। युवती पर जेएलएन अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में।

29 दिसम्बर को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि नए स्ट्रेन वाला कोरोना वायरस अब देश में आ चुका है। देश की सबसे उन्नत टेस्टिंग लेब हैदराबाद, पूणे और बैंगलूरू से अब तक व्यक्तियों की रिपोर्ट जारी कर दी है। इन सभी 6 व्यक्तियों में नया स्ट्रेन वायरस पाया गया है। ये सभी व्यक्ति हाल ही में ब्रिटेन से लौटे हैं। मालूम हो कि नए घातक कोरोना वायरस की वजह से पूरे ब्रिटेन में दोबारा से लॉकडाउन जैसी स्थिति करनी पड़ी है। जिन जिन देशों में भी ब्रिटेन से लोग आए अब उन सभी को खतरा बढ़ गया है। ब्रिटेन से आए लोगों की रिपोर्ट का भारत में भी इंतजार किया जा रहा है। अब 29 दिसम्बर को नए स्ट्रेन की पुष्टि हो गई है। आने वाले दिनों में नए वायरस वाले संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि ब्रिटेन से आए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में परिवार और आस पड़ौस के लोग आए हैं। हालांकि चिकित्सा विभाग ऐसे लोगों की भ जांच करवा रहा है, लेकिन भारत में स्वास्थ्य सेवाएं काफी लचर हैं, इसलिए लोगों का सही तरीके से पता लगाना कठिन हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार ब्रिटेन से आया नया स्ट्रेन ज्यादा असरकारक हैं। यदि पहले एक संक्रमित व्यक्ति 5 व्यक्तियों को संक्रमित कर रहा था तो नया वायरस 20 व्यक्तियों तक को संक्रमित कर सकता है। यानि नया वायरस तेजी से फैलेगा। हालांकि नए वायरस के असर को लेकर विशेषज्ञों की अलग अलग राय है। भारत में कोरोना का नया स्ट्रेन तब आया है, जब पुराने वाले वायरस की दवा अभी तक भी उपलब्ध नहीं हुई है। यानि अभी पुराने वायरस से निपटने की तैयारियाँ हो रही हैं कि नया वायरस प्रवेश कर गया है। सरकारी स्तर पर कोरोना वैक्सीन का ढोल तो पीटा जा रहा है, लेकिन हकीक़त में अभी कुछ नजर नहीं आ रहा है। अभी यह भी नहीं कहा जा सकता है कि तैयार होने वाली वैक्सीन नए वायरस पर कितना असर करेगी। यदि नए वायरस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो भारत में लोगों की समस्याएं फिर बढ़ेंगी।
अजमेर में भी रिपोर्ट का इंतजार:
ब्रिटेन से बड़ी संख्या में लोग राजस्थान में भी आए हैं। ऐसे लोग प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में पहुंचे हैं। इनमें अजमेर में भी शामिल हैं। अजमेर आए कुछ लोगों की रिपोर्ट नेगीटिव आई है, लेकिन एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अब इस महिला की रिपोर्ट पूणे स्थित लैब में भेजी है, ताकि नए स्टे्रन के बारे में पता लगाया जा सके। फिलहाल इस महिला को जेएलएन अस्पताल के आईसोलेशन कक्ष में रखा गया है। महिला की रिपोर्ट आने में जिस तरह विलम्ब हो रहा है। उससे आशंकाएं बढ़ रही है। महिला का परिवार अस्थायी तौर पर अजमेर के आनासागर लिंक रोड पर रह रहा है। परिवार के सदस्यों ने स्वयं को भी घर में क्वारंटीन कर रखा है। यह परिवार समाज सेवा के क्षेत्र में भी अग्रणीय है। लॉकडाउन में इस परिवार ने हजारों फूड पैकेट वितरित किए हैं। यहां तक की हजारों किलो आटा जिला प्रशासन को भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511
  

राजनीति में नंगे हुए शिवसेना के सांसद संजय राउत को अब 121 भाजपा नेताओं की लिस्ट जारी करनी चाहिए।संजय राउत का परिवार यदि ईमानदार है तो मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित क्यों नहीं होता?

29 दिसम्बर को भी शिवसेना के सांसद संजय राउत की पत्नी मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित नहीं हुई। यह तीसरा अवसर है जब श्रीमती राउत उपस्थित नहीं हुई है। संजय राउत ने कहा कि ईडी के अधिकारियों से एक सप्ताह का समय मांगा है। श्रीमती राउत पर मुंबई के पीएमसी बैंक घोटाले में फंसे एक व्यक्ति से 55 लाख रुपए लेने का आरोप है। इस सिलसिले में ईडी के अधिकारी श्रीमती राउत से पूछताछ करना चाहते हैं। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन संजय राउत का आरोप है कि केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाला प्रवर्तन निदेशालय राजनीतिक कारणों से जांच कर रहा है। स्वयं को राजनीति का नंगा आदमी बताते हुए संजय राउत ने कहा कि यदि उनसे पंगा (झगड़ा) मोल लिया गया तो वे भाजपा के 121 नेताओं की सूची ईडी को सौंप देंगे। जांच होने पर भाजपा के ऐसे नेताओं को देश छोड़कर भागना पड़ेगा। संजय राउत राजनीतिक के नंगे आदमी है या नहीं, यह संजय राउत का परिवार और शिवसेना वाले जाने, लेकिन ईडी ने तो संजय राउत से पंगा ले ही लिया है। उनकी पत्नी को तीन बार नोटिस जारी कर दिए हैं। यह बात अलग है कि श्रीमती राउत ईडी कार्यालय में उपस्थित नहीं हो रही है। जब उपस्थित होंगी तो जांच भी आगे बढ़ेगी। संजय राउत अब और कितना इंतजार करेंगे। यदि 121 बेईमान भाजपा नेताओं की सूची संजय राउत जरी करेंगे तो इससे राजनीति में स्वच्छता ही आएगी। यदि भाजपा नेताओं ने वित्तीय अनियमितता की है तो उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए। यदि अब संजय राउत भाजपा नेताओं की सूची जारी नहीं करते हैं तो फिर उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं। एक तरफ कहा जा रहा है कि भाजपा नेता महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली उद्धव सरकार को गिराने की साजिश कर रहे हैं और दूसरी ओर संजय राउत तथाकथित तौर पर बेईमान भाजपा नेताओं की सूची छिपाएं बैठे हैं। आखिर सूची जारी करने के लिए संजय राउत किसका इंतजार कर रहे हैं? या फिर 121 भाजपा नेताओं की बात कह कर डराने की कोशिश की गई है। संजय राउत यह भी दावा करते हैं कि महाराष्ट्र की गठबंधन की सरकार उन्हीं के भरोसे चल रही है। सरकार गिराने के लिए भाजपा का दबाव था, लेकिन मैंने भाजपा की बात नहीं मानी, इसलिए ईडी से नोटिस दिलवाया गया है। सवाल उठता है कि जब संजय राउत ही सरकार बचाए हुए हैं तो शरद पवार जैसे दिग्गज नेता क्या कर रहे हैं? 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511 

Monday 28 December 2020

रीट लेवल प्रथम की परीक्षा में बीएड के विद्यार्थियों को शामिल करने पर बीएसएटीसी के विद्यार्थियों को ऐतराज। हजारों युवाओं ने जयपुर में निकाला मौन जुलूस।बीएसटीसी और बीएड के विद्यार्थियों की योग्यता में बहुत अंतर है। 31 हजार शिक्षकों की भर्ती में बीएसटीसी के विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन होगा।

28 दिसम्बर को जयपुर में बीएसटीसी उत्तीर्ण हजारों विद्यार्थियों ने मौन जुलूस निकाला। विद्यार्थियों के मांग है की शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के लेवल प्रथम में बीएड के विद्यार्थियों को शामिल नहीं किया जाए। बीएसटीसी के विद्यार्थियों का कहना है कि अब तक रीट परीक्षा के प्रथम लेवल में बीएसटीसी उत्तीर्ण युवाओं को ही भाग लेने का अवसर मिलता था। लेकिन इस बार राज्य सरकार ने प्रथम लेवल का परीक्षा में बीएड के विद्यार्थियों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। यदि बीएड के विद्यार्थी शामिल होते हैं तो शिक्षक भर्ती परीक्षा में बीएसटीसी के विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन होगा। बीएसटीसी के विद्यार्थियों का कहना है कि योग्यता में बीएड के विद्यार्थी आगे हैं। बीएसटीसी तो 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कर ली जाती है, जबकि बीएड की योग्यता के लिए स्नातक की अनिवार्यता है। ऐसे में 12वीं कक्षा और स्नातक उत्तीर्ण युवक की योग्यता में अंतर होता है। जब बीएड के विद्यार्थी 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बीएसटीसी के विद्यार्थियों के साथ रीट की परीक्षा देंगे तो बीएसटीसी के विद्यार्थियों को मेरिट में आने का अवसर ही नहीं मिलेगा। सरकार ने रीट परीक्षा के लिए यह जो निर्णय लिया है, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। सरकार को अपना निर्णय बदलना चाहिए। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लाखों विद्यार्थी शिक्षक बनने से वंचित हो जाएंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकार ने रीट परीक्षा के लिए 25 अप्रैल की तारीख घोषित कर दी है। रीट के परिणाम के आधार पर ही राज्य में 31 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

ब्लड प्रेशर, हार्ट, डायबिटीज़ की रोगी और लकवा से ग्रस्त अजमेर की 91 वर्षीय उगम कंवर ने कोरोना को हरा दिया।चार्टेड एकाउंटेंट एचएम जैन की माता जी में जीने का जबर्दस्त जज्बा।

कोरोना वायरस ने अनेक स्वस्थ एवं युवाओं की जान ले ली। लाख इलाज के बाद भी लाखों कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को बचाया नहीं जा सका, लेकिन अजमेर के मशहूर फिजीशियन डॉ. एसके अरोड़ा का मानना है कि यदि मरीज में जीने का ज़ज़्बा हो और दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो बड़ी से बड़ी बीमारी और घातक संक्रमण को भी हराया जा सकता है। इलाज के दौरान दवाओं का अपना असर होता है, लेकिन मरीज का आत्मबल सबसे महत्वपूर्ण होता है। कोरोना संक्रमण में उन लोगों की ज्यादा मृत्यु हुई जिन्हें पहले से ब्लड प्रेशर, हार्ट, डायबिटीज़ जैसी बीमारियां थी। ऐसी बीमारियाँ ने कोरोना वायरस के हमले को और ताकतवर बना दिया। लेकिन अजमेर की 91 वर्षीय श्रीमती उगम कंवर ने कोरोना को तब हराया, जब ब्लड प्रेशर, हार्ट, डायबिटीज़ जैसी बीमारियां शरीर में थीं। इतना ही नहीं लकवे के हमले ने भी शरीर को नुकसान पहुंचा रखा है। ऐसे में जब उगम कंवर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो परिवार वालों ने उम्मीद छोड़ दी। प्राथमिक इलाज के लिए पहले अजमेर के क्षेत्र पाल अस्पताल और जयपुर के अस्पतालों में इलाज करवाया। परिजन ने भले ही इलाज करवाया हो, लेकिन यह 91 वर्षीय उगम कंवर का जीने का जज्बा ही था कि विपरीत परिस्थितियों में भी कोरोना को मात दे दी। उगम कंवर के पुत्र और अजमेर के प्रसिद्ध चार्टेड एकाउंटेंट एचएम जैन भी मानते हैं कि माता जी में जबर्दस्त जज्बा है। आज उनकी माताजी पूरी तरह स्वस्थ होकर आना सागर लिंक रोड वाले आवास पर रह रही हैं। माताजी के स्वस्थ होने को जैन ईश्वर का चमत्कार ही मानते हैं। माता जी को जब कोरोना संक्रमण और इलाज के बारे में जानकारी दी जाती है तो उन्हें स्वयं आश्चर्य होता है। जैन मानते हैं कि उनकी माताजी को नई जिंदगी मिली है। वे चाहते हैं कि उनकी माता स्वस्थ रह कर जिंदगी के 100 वर्ष पूरे करें। घर परिवार में बुजुर्गों का आशीर्वाद होना जरूरी है। जिन घरों में बुजुर्गों का सम्मान होता है, वे परिवार स्वर्ग के समान हैं। यदि घर परिवार में बुजुर्ग माता-पिता या अन्य कोई रिश्तेदार हैं तो घर ही सबसे बड़ा मंदिर है। यह बात चार्टेड एकाउंटेंट एचएम जैन के परिवार पर खरी उतरती है। मोबाइल नम्बर 9414258640 पर सीए जैन को शुभकामनाएं दी जा सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाने वालों और शिवसेना में अब क्या फर्क है?महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को लगता है कि सोवियत संघ की तरह भारत भी विभाजित हो जाएगा।

शिवसेना के मुख्य पत्र सामना में 27 दिसम्बर को संपादकीय प्रकाशित हुआ है। इस संपादकीय में आशंका जताई गई है कि सोवियत संघ की तरह भारत भी विभाजित हो जाएगा। शिवसेना का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जो नीतियां अपनाई है, उनसे देश को खतरा हो गया है। शिवसेना के कथन से सवाल उठता है कि जो लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाते है उनमें और शिवसेना में क्या फर्क है? क्या दोनों की सोच एक जैसी नहीं है? सब जानते हैं कि सामना अखबार का प्रकाश महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के परिवार द्वारा किया जाता है। सामना में जो छपता है उसे ही शिवसेना और ठाकरे परिवार के विचार माने जाते हैं। इसलिए अखबार का संपादक भी ठाकरे परिवार के भरोसेमंद व्यक्ति को बनाया जाता है। इस समय अखबार का संपादक की भूमिका संजय राउत के पास है। ठाकरे परिवार के प्रति वफादारी के कारण ही संजय राउत को राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया है। संजय राउत ही शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता हैं। सामना में प्रकाशित संपादकीय का महत्व इसलिए भी है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी हैं। यदि मुख्यमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति भी भारत के विभाजित होने की सोच रखता है तो फिर देश के लोकतंत्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात यह है कि दो दिन गुजर जाने के बाद भी सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने अखबार के संपादकीय पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे प्रतीत होता है कि वे अखबार में छपे संपादकीय से सहमत हैं। यह माना कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के सहयोग से शिवसेना की सरकार चला रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने की जिद को पूरा करने के लिए ही उद्धव ठाकरे ने भाजपा का साथ छोड़ा था। कांग्रेस और एनसीपी की मदद से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन ऐसी सोच की उम्मीद किसी ने भी नहीं की थी। शिवसेना की बदली सोच पर भी महाराष्ट्र के लोगों खासकर शिवाजी को मानने वाले मराठियों को भी आश्चर्य हो रहा है। शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के विचार किसी से भी छिपे नहीं है। मुंबई में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच का विरोध बाला साहब अपने जीवन में करते रहे। कई बार वानखेड़े स्टेडियम का पिच बर्बाद कर दिया। जब अयोध्या में विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई, तब बाला साहब ने ही सीना तान कर कहा था कि ढांचे को शिव सैनिकों ने गिराया है। देश की एकता और अखंडता के लिए बाला साहब सदैव देश की जनता के साथ खड़े रहते थे। यह बात अलग है कि अब उसी शिवसेना का नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

इधर स्थापना दिवस पर कांग्रेस के कार्यकर्ता तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं तो उधर राहुल गांधी इटली में वर्ष के अंतिम दिनों का आनंद उठा रहे हैं।कांग्रेस ने अधिकृत तौर पर माना कि राहुल गांधी छुट्टियों पर गए हैं। बहन प्रियंका गांधी ने संभाली पार्टी की कमान।

28 दिसम्बर को कांग्रेस ने अपना 136वां स्थापना दिवस उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने तिरंगा यात्राएं भी निकाली। लेकिन कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी इन दिनों इटली में वर्ष के अंतिम दिनों का आनंद ले रहे हैं। आमतौर पर राहुल गांधी की इटली और अन्य विदेश यात्राओं के बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दी जाती है, लेकिन इस बार पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महामंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बयान जारी कर कहा है कि राहुल गांधी इटली के दौरे पर हैं। सब जानते हैं कि इटली राहुल गांधी का ननिहाल है। भाई के ननिहाल चले जाने के कारण ही 28 दिसम्बर को कांग्रेस के स्थापना दिवस के कार्यक्रम की कमान बहन प्रियंका गांधी ने संभाली है। कांग्रेस के स्थापना दिवस के कार्यक्रम को छोड़कर राहुल गांधी के ननिहाल चले जाने के सवाल पर प्रियंका गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन पत्रकारों के समक्ष किसान आंदोलन का जिक्र किया। प्रियंका ने कहा कि किसान समुदाय अपनी मांगों को लेकर एक माह से दिल्ली की सीमाओं पर बैठा हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कोई सुध नहीं ले रही है। राहुल गांधी वर्ष के अंतिम दिनों में अपने देश में रहे या इटली में यह गांधी परिवार का आंतरिक मामला है, लेकिन यह सही है कि बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के बाहर बैठा है। किसान आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन भी है। इसी प्रकार राजस्थान में सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी 28 दिसम्बर से ही प्रदेश भर में किसान संवाद अभियान चला रही है। चार माह बाद ही पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कोरोना संक्रमण को लेकर देश के आम लोगों को अनेक परेशानी हो रही है। सवाल उठता है कि ऐसे माहौल में राहुल गांधी को अपने देश के लोगों के साथ खड़ा नहीं होना चाहिए? राहुल गांधी की कार्यशैली को लेकर कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने गांधी परिवार की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी को एक पत्र भी लिखा था। वरिष्ठ नेताओं का सबसे बड़ा आरोप यही था कि राहुल गांधी मिलते ही नहीं है। इस मुद्दे पर विगत दिनों हुई कांग्रेस की बैठक में चर्चा भी हुई, लेकिन राहुल के ताजा इटली दौरे से प्रतीत होता है कि वे अपने नज़रिए से ही पार्टी में भूमिका निभाएंगे। बड़े नेता कुछ भी सोचे लेकिन राहुल की अपनी कार्यशैली रहेगी। पार्टी के स्थापना दिवस से पहले राहुल के लिए इटली जाना महत्वपूर्ण है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

दैनिक भास्कर के संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी बन गए और विरोधियों की इच्छा भी पूरी हो गई।

27 दिसम्बर को अजमेर जिले के पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था अजयमेरु प्रेस क्लब के वार्षिक चुनाव सम्पन्न हुए। इन चुनावों में दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण के संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल का निर्वाचन हुआ। आमतौर पर प्रेस क्लब में आपसी सहमति से अध्यक्ष और पदाधिकारियों का चयन होता रहा। लेकिन इस बार क्लब के कुछ सदस्य चाहते थे कि अध्यक्ष और पदाधिकारियों का चयन मतदान की प्रक्रिया से हो। मतदान की प्रक्रिया भी पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। ऐसा न हो कि साधारण सभा में हाथ उठाकर अध्यक्ष के बारे में राय जान ली जाए। चुनाव बकायदा मतपत्र से होना चाहिए। मतपत्र पर नंबरों का अंकन भी नहीं हो। मतदान के बाद यह भी पता न चले कि किस सदस्य ने किसे वोट दिया है। हालांकि अधिकांश सदस्य मतदान की प्रक्रिया को टालना चाहते थे। लेकिन जब क्लब में दो गुट बन ही गए तो फिर मतदान की प्रक्रिया को संपन्न करवाया गया। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के उप निदेशक (जनसंपर्क) राजेन्द्र गुप्ता  और अनुभाग अधिकारी अनिल राका व शिक्षा अधिकारी लक्ष्मण सिंह राठौड़ की देखरेख में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हुई। मतदान प्रक्रिया में 92 मतदाताओं में से 91 ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। अध्यक्ष पद के लिए डॉ. अग्रवाल को 66 वोट मिले वहीं अनके प्रतिद्वंदी नरेश राघानी को 25 मत प्राप्त हुए। चुनाव परिणाम के अनुसार राजेन्द्र गुंजल महामंत्री, प्रताप सनकत, विक्रम सिंह बेदी उपाध्यक्ष, राजकुमार पारीक सचिव, सत्यनारायण जाला कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसी प्रकार सूर्य प्रकाश गांधी, धर्मेन्द्र प्रजापति, पंकज यादव, बलदेव चौधरी, सुमन शर्मा, जीएस बिरदी, अकलेश जैन, सुधीर मित्तल, कमल वरियानी और दिनेश पाराशर कार्यकारिणी के सदस्य निर्वाचित हुए। इन चुनावों में भले ही विरोधी गुट को सफलता न मिली हो, लेकिन उनकी चुनाव करवाने की इच्छा पूरी हो गई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब सभी सदस्य मिलकर क्लब के विकास में अपना योगदान देंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजयमेरु प्रेस क्लब देश के उन चुनिंदा पत्रकारों में से एक है,जहां शराब के सेवन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। मोबाइल नम्बर 9672913168 पर डॉ. रमेश अग्रवाल को बधाई दी जा सकती है। इस नम्बर पर वाट्सएप और एसएमएस के जरिए भी शुभकामनाएं दी जा सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

Saturday 26 December 2020

अजयमेरु प्रेस क्लब में रमेश अग्रवाल की भूमिका महत्वपूर्ण है। आम सदस्यों की भावनाओं का भी ख्याल रखा जाए। 27 दिसम्बर को होने हैं क्लब के चुनाव।

अजमेर जिले में पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था अजयमेरु प्रेस क्लब के वार्षिक चुनाव 27 दिसम्बर को होंगे। पिछले कई वर्षों से क्लब के चुनाव आम सहमति से हो रहे थे, लेकिन इस बार खींचतान कुछ ज्यादा ही हो गई है। मौजूदा समय में दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण के संपादक रमेश अग्रवाल अध्यक्ष हैं। अग्रवाल अगले वर्ष के लिए भी अध्यक्ष बनने के लिए उम्मीदवारी जताई है। क्लब के कुछ सदस्य जो अग्रवाल के भी समर्थक माने जाते हैं, उन्होंने आम सहमति को खारिज करते हुए अलग गुट बना लिया है, इसलिए नरेश राघानी ने अध्यक्ष और नवाब हिदायतउल्ला महामंत्री पद के दावेदार हो गए हैं। जहां रमेश अग्रवाल के समर्थकों ने सभी 15 पदों पर नामांकन दाखिल किया है, वहीं राघानी के समर्थकों ने भी सभी पदों पर दावेदारी जताई है। राघानी समर्थकों का कहना है कि आम सदस्यों की आवाज उठाने के लिए चुनाव लड़ा जा रहा है। राघानी भी मानते हैं कि रमेश अग्रवाल से कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन क्लब में ऐसे लोगों का दखल बढ़ गया है जो आम सदस्य की भावनाओं का सम्मान नहीं करते हैं। अच्छा होता कि क्लब के चुनाव आम सहमति से होते क्योंकि चुनाव से बेवजह की गुटबाजी हो जाती है।  इसमें कोई दो राय नहीं कि अजयमेरु प्रेस क्लब के लिए नगर निगम से जमीन आवंटन करवाने और फिर सरकारी खर्च से भवन बनवाने में रमेश अग्रवाल की भूमिका महत्वपूर्ण है। अग्रवाल के प्रयासों से ही सांसदों, विधायकों ने अपने कोष से लाखों रुपए की राशि दी है। इस कार्य में क्लब के अन्य सदस्यों का भी सहयोग रहा है, लेकिन सहयोग के पीछे अग्रवाल की ताकत रही। यदि आज अग्रवाल को हटा दिया जाए तो अजयमेरु प्रेस क्लब में कुछ भी नहीं बचेगा। दैनिक भास्कर के संपादक के काम काज में व्यस्त होने के बाद भी अग्रवाल ने अपना समय प्रेस क्लब की गतिविधियों के लिए देते हैं। क्लब में कई कार्यक्रम नियमित हो रहे हैं, जिनकी खबरें भी भास्कर में प्रमुखता के साथ प्रकाशित होती है। क्लब के सदस्यों को इस सच्चाई को भी समझना चाहिए कि राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति जैसे प्रमुख अखबारों के पत्रकार क्लब की गतिविधियों में शामिल नहीं होते। ऐसे में पूरा दारोमदार रमेश अग्रवाल पर ही निर्भर है। अग्रवाल के चेहरे की वजह से प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता क्लब की गतिविधियों में भाग लेते हैं। यदि क्लब की गतिविधियों की खबर भास्कर में नहीं छपेगी तो नेता और अधिकार भी नहीं आएंगे। क्लब के संचालन में अग्रवाल की भूमिका को सभी सदस्यों को समझना चाहिए। यह अच्छी बात है कि राघानी और नवाब हिदायतउल्ला ने दुश्मनी दिखाने के बजाए स्वास्थ्य प्रतिस्पर्धा दिखाई है। किसी भी संस्था को चलाना आसान नहीं होता और संस्था का प्रभाव बना कर सभी को संतुष्ट रखना और मुश्किल होता है। क्लब के सभी सदस्यों के लिए गर्व की बात है कि अजमेर के वैशाली नगर जैसे पॉशा इलाके में क्लब की दो मंजिला इमरात है और सदस्यों के लिए पत्रकार कल्याण कोष भी बना हुआ है। अजयमेरु प्रेस क्लब की सबसे खास बात यह है कि शराब पीने की सख्त मनाही है। आमतौर पर प्रेस क्लब शराब पीने के अड्डे बन जाते हैं। कई प्रेस क्लबों ने बार के लाइसेंस तक ले लिए हैं। प्रेस क्लब की वजह से पुलिस भी आंखें बंद रखती है। लेकिन अजयमेरु प्रेस क्लब इन सब बुराइयों से बचा हुआ है, इसका श्रेय भी रमेश अग्रवाल को ही जाता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि 27 दिसम्बर को चुनाव के बाद प्रेस क्लब में सदस्यों के बीच सदभावना बनी रहेगी। यदि नई निर्वाचित कार्यकारिणी को अपनी कार्यशैली में सुधार की जरुरत हो तो करनी चाहिए। राघानी और नवाब के लिए यह बड़ी उपलब्धि है कि 16 उम्मीदवार और 16 ही नामांकन के प्रस्तावक सदस्यों का समर्थन प्राप्त किया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने, अयोध्या में भगवान राम मंदिर बनवाने, तीन तलाक जैसी कुप्रथा को रोकने जैसे निर्णय क्या देश का बैंड बजाने वाले हैं?12 जुलाई से 13 अगस्त 2020 तक दिल्ली में सचिन पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ किसका बैंड बजा रहे थे?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने, अयोध्या में भगवान राम मंदिर बनवाने, तीन तलाक जैसी कुप्रथा को रोकने जैसे निर्णय क्या देश का बैंड बजाने वाले हैं?

12 जुलाई से 13 अगस्त 2020 तक दिल्ली में सचिन पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ किसका बैंड बजा रहे थे?
राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर 25 दिसम्बर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक प्रेस कांफ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने कोरोना काल में लोगों से थालियां और तालियां बजवाई। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का बैंड बजवा देंगे। देश का बैंड किस अर्थ में बजेगा यह सीएम पद पर बैठे अशोक गहलोत ही जानते हैं, लेकिन उनके ताजा बयान पर सवाल उठता है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने, अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनवाने तीन तलाक जैसी कुप्रथा को रोकने जैसे केन्द्र सरकार के निर्णय देश का बैंड बजवाने जैसे हैं? अनुच्छेद 370 के प्रभावी रहने से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पनमा। कश्मीर के हालात पूरे देश के सामने थे। अब 370 हटने के बाद पाकिस्तान को भी आतंक फैलाने का अवसर नहीं मिल रहा है। सभी 20 जिलों में जिला विकास परिषद के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हो गए। करोड़ों देशवासी चाहते थे कि अयोध्या में जन्मस्थल पर भगवान राम का भव्य मंदिर बने। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं को हटवाया और अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है। तीन तलाक की कुप्रथा से मुस्लिम समाज की महिलाएं कितनी परेशान थी, इसका अंदाजा अब अदालतों में दायर याचिकाओं से लगाया जा सकता है। कुप्रथा के विरोध में कानून बनाने से ही मुस्लिम महिलाओं को राहत मिली। करोड़ों महिलाओं को रसोई गैस के कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालाय निर्माण, फसल बीमा जैसे अनेक कार्य हैं जो देश में क्रांतिकारी तरीके से हुए हैं। आज सरकार की विभिन्न योजनाओं की राशि सीधे पात्र व्यक्ति के बैंक अकाउंट में पहुंच रही है, जबकि कांग्रेस के शासन में तो एक रुपए में से 15 पैसे ही पहुंचते थे। यह माना कि सीएम गहलोत और नरेन्द्र मोदी के बीच राजनीतिक प्रतिद्वदीता है, लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री  के पद पर बैठे व्यक्ति को शब्दों का चयन सोच समझ कर करना चाहिए। भारत के विभिन्न प्रांतों में बैंड बजाने के अलग अलग अर्थ हैं। अब जब बैंड बजाने के शब्द का इस्तेमाल कर ही दिया है तो सीएम गहलोत को बताना चाहिए कि 12 जुलाई से 13 अगस्त 2020 तक सचिन पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ किसका बैंड बजा रहे थे? भले ही पायलट ने दिल्ली में बैंड बजाया हो, लेकिन उसकी आवाज ढाई सौ किलोमीटर दूर जयपुर में सुनाई दे रही थी। तभी तो अशोक गहलोत ने पायलट को धोखेबाज मक्कर, नकारा तक कहा। अशोक गहलोत कोई पहली बार मुख्यमंत्री नहीं बने हैं। 2018 से पहले भी गहलोत दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कई बार केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं। ऐसे में उनसे संजीदा रहने की उम्मीद की जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री के तीसरे कार्यकाल में अशोक गहलोत के शब्दों का स्तर बहुत नीचे हैं। गहलोत माने या नहीं लेकिन ऐसे शब्दों से उनकी गांधीवादी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

अब ईसाई के कैथोलिक धर्म गुरुओं ने कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठाए। वेटिकन सिटी से पोप फ्रांसिस को देनी पड़ी सफाई।आखिर जीवन रक्षक वैक्सीन को धार्मिक मान्यताओं से क्यों जोड़ा जा रहा है?

कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं के बाद अब ईसाईयों के कैथोलिक समुदाय के कुछ धर्म गुरुओं ने कोरोना वैक्सीन की शुद्धता पर सवाल उठाए हैं। जहां मुस्लिम धर्म गुरुओं को वैक्सीन में नापाक जानवर के अंश होने पर ऐतराज है वहीं ईसाई धर्म गुरुओं को वैक्सीन में भ्रूण के अंश होने पर ऐतराज है। ईसाई धर्म गुरुओं का कहना है कि भ्रूण के अंश से बनी वस्तु अपवित्र मानी जाती है। यदि कोरोना वैक्सीन में भ्रूण के अंश का इस्तेमाल हो रहा है तो ईसाई समुदाय के लोगों को इससे बचना चाहिए। एक ओर कुछ ईसाई धर्मगुरु वैक्सीन को लेकर धार्मिक मान्यताओं को आगे रख रहे हैं, वहीं यूरोप के 8 देशों में कोरोना का वैरियंट सामने आया है। इस पर ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने चिंता जताई है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि नया वैरियंट बहुत खतरनाक है। मौजूदा कोरोना वायरस से तीन चार गुणा ज्यादा असरकारक नया वैरियंट माना जा रहा है। ऐसे में ईसाई बहुल्य यूरोप के देशों को ही सबसे ज्यादा वैक्सीन की जरुरत है। यदि कुछ धार्मिक मान्यताओं में बह कर वैक्सीन लगवाने से परहेज करेंगे तो फिर वायरस खत्म नहीं होगा। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए ही वेटिकन सिटी से पोप फ्रांसिस को सफाई देनी पड़ी है। ईसाईयों में पोप का सर्वोच्च धार्मिक पद हैं। पोप फ्रांसिस ने कहा है कि वैक्सीन को लेकर किसी को भी गुमराह होने की जरुरत नहीं है। जीवन बचने के लिए वैक्सीन की जरुरत है और लोगों को लगवानी चाहिए। सवाल उठता है कि जीवन बचाने के लिए जब दवाइयां की आवश्यकता है तब धार्मिक मान्यताओं को सामने क्यों रखा जा रहा है? इंसान बचेगा तो धर्म भी बचेगा? यदि इंसान ही नहीं रहेगा तो फिर धर्म की दुहाई कौन देगा? कोरोना वायरस लगातार लोगों की जान ले रहा है और नया वैरियंट तो और भी खतरनाक है। अभी पुरानी वायरस को मात देने के लिए भी वैक्सीन नहीं आई है और नया वैरियंट आ गया है। ऐसे में वैक्सीन से परहेज करना मानव जाति के लिए हानिकारक होगा। यदि कुछ लोग धार्मिक भावनाओं में बह कर वैक्सीन नहीं लगवाते हैं तो पूरा अभियान बेकार हो जाएगा। ब्रिटेन से नया वैरियंट लेकर हजारों लोग हाल ही में भारत आए हैं। ऐसे लोग राजस्थान के अजमेर सहित विभिन्न शहरों में आ गए हैं। लोगों को कोरोना संक्रमण की गंभीरता को समझना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

यूपी के बाद मध्यप्रदेश में भी लव जिहाद के विरुद्ध कानून को कैबिनेट की मंजूरी। 28 दिसम्बर को विधानसभा में मोहर लगेगी।

27 दिसम्बर को मध्यप्रदेश सरकार ने भी लव जिहाद के विरुद्ध बनने वाले कानून को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूर किया। इस प्रस्ताव को कानून बनाने के लिए 28 दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। मध्यप्रदेश देश में दूसरा राज्य होगा, जो लव जिहाद के विरुद्ध कानून बना रहा है। उत्तर प्रदेश में पहले ही कानून बन चुका है। अब इस कानून के बनने के बाद मध्यप्रदेश में भी धर्म छिपाकर विवाह करने की घटनाओं पर रोक लगेगी। नए कानून के अनुसार कोई भी युवक धर्म बदल कर विवाह करता है तो उसे दो माह पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होगी। यदि बगैर सूचना के कोई युवक दूसरे धर्म की लड़की से विवाह करता है तो उसे पांच वर्ष तक की सजा संभव है। बगैर सूचना के अनुसूचित जाति और नाबालिक युवती से विवाह करने पर दस वर्ष तक कि सजा का प्रावधान रखा गया है। यदि किसी कारण से विवाह विच्छेद होता है तो युवती का धर्म परिवर्तन अपने आप समाप्त हो जाएगा। विवाह के बाद घरेलू हिंसा होने पर युवती को शिकायत करने का कानूनी अधिकार होगा। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री का कहना रहा है कि नए कानून के प्रभावी होने पर युवतियों का शोषणा रुकेगा। बहुत से युवक अपना धर्म छिपा कर हिन्दू युवतियों से विवाह कर लेते हैं और फिर बाद में ऐसी युवतियों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। ऐसी शिकायतों को देखते हुए ही कानून बनाया गया है। सूचना देने के दो माह बाद ही विवाह करना मान्य होगा। यदि कोई युवक धर्म छिपाकर  बिना सूचना के विवाह करता है तो ऐसा विवाह अब मान्य नहीं होगा।
राजस्थान में सीएम गहलोत पहले ही ऐसे कानून को खारिज कर चुके हैं:
धर्म छिपाकर विवाह करने पर कानून बनाने की मांग राजस्थान में भी हुई थी। लेकिन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसी मांग को खारिज कर चुके हैं। गहलोत का कहना रहा कि लव जिहाद जैसा कोई शब्द ही नहीं है। यह शब्द भाजपा के नेताओं ने बनाया है। यदि कोई युवक-युवती स्वैच्छा से विवाह करना चाहते हैं तो उस पर किसी को भी ऐतराज नहीं होना चाहिए। हालांकि सीएम गहलोत ने धर्म छिपाकर विवाह करने वाले युवकों के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

Friday 25 December 2020

जीवन बचाने के लिए मुसलमानों को भी जरूरी है कोरोना की वैक्सीन लगवाना।भारत में अनेक मुस्लिम धर्म गुरु समर्थन में आए। वैक्सीन को लेकर भ्रम नहीं फैलाने का अनुरोध।

मुम्बई की रजा एकेडमी के साथ साथ मौलाना मुफ्ती नदीमुद्दीन जैसे लोग भले ही कोरोना की वैक्सीन नापाक (नाजायज) बता रहे हों, लेकिन भारत में ऐसे अनेक मुस्लिम धर्मगुरु सामने आए हैं जो इंसान की जान बचाने के लिए कोरोना वैक्सीन को जरूरी बता रहे हैं। ऐसे धर्म गुरुओं का कहना है कि इस्लाम में इंसान की जिंदगी को अहमियत दी गई है। यह माना कि नापाक जानवर का माँस खाने की इस्लाम में मनाही है, लेकिन इंसान की जिंदगी बचाने के लिए कई मौकों पर छूट भी दी गई है। वैक्सीन लगाने का मतलब माँस खाना नहीं है। अभी यह भी पता नहीं है कि कोरोना वैक्सीन में नापाक जानवर के अंशों का कितना उपयोग किया है। वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए जानवर की चर्बी से बनी जिलेटिन का कितना उपयोग होगा? वैक्सीन को लेकर जो बहस मुस्लिम देशों में शुरू हुई थी, वह अब भारत में भी पहुंच गई है। लेकिन भारत के लिए यह अच्छी बात है कि अधिकांश मुस्लिम धर्मगुरु वैक्सीन लगवाने के पक्ष में हैं। ऐसे धर्मगुुरुओं का कहना है कि वैक्सीन लगवाने को धार्मिक मान्यताओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मौलाना बरकती का कहना है कि इस मुद्दे पर बेवजह का भ्रम फैलाया  जा रहा है। इस्लाम में ऐसे कई उदाहरण है, जब इंसान की जिंदगी बचाने में अहमियत दी गई है। कोरोना संक्रमण ने भारत में भी तबाही मचाई है। मुसलमान भी बड़ी संख्या में मरे हैं। लाख कोशिश के बाद भी लोगों को नहीं बचाया जा सका है। कोरेना ने न हिन्दू देखा न मुसलमान सभी को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में धार्मिक मान्यताओं को आगे रखकर किसी को भी वैक्सीन लगवाने से नहीं रोका जा सकता है। जो चंद लोग आज वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं उन्हें इंसान की जिंदगी की अहमियत पता नहीं है। जब इस्लाम में इंसान की जिंदगी को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई है तो किस आधार पर वैक्सीन नहीं लगाने की सलाह दी जा रही है। वहीं चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में भी अनेक दवाइयाँ ऐसी हैं, जिनमें जानवरों के अंशों का उपयोग होता है। ऐसी दवाइयों का सेवन भी किया जाता है। बीमार व्यक्ति के इलाज को कभी भी धार्मिक मान्यताओं से नहीं जोड़ा जा सकता है। हर धर्म में इंसान की जिंदगी का महत्व बताया गया है। कोरोना काल में वैक्सीन नहीं लगवाने की सलाह देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। कोरोना जब जनलेवा साबित हो रहा है, तब वैक्सीन का महत्व और बढ़ जाता है। भारत के मुसलमानों को तो दुनियाभर में प्रगतिशील माना जाता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता को हटाए जाने के बाद अब अजमेर नगर निगम का काम कैसे चलेगा?निगम ही चला रहा है राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण व जनजागरण अभियान। फरवरी में 80 वार्डों के चुनाव होने हैं। उपायुक्त के दोनों पद रिक्त हैं।

गत 30 नवम्बर को अजमेर नगर निगम के उपायुक्त के पद से रिटायर होने के बाद दो दिसम्बर को गजेन्द्र सिंह रलावता ने अनुबंध के आधार पर पुन: उपायुक्त का पद संभाला था, लेकिन रलावता ने कोई एक पखवाड़े ही इस पद पर काम किया और अब स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक ने पुनर्नियुक्ति वाला 2 दिसम्बर का आदेश निरस्त कर दिया। आदेश की सूचना मिलते ही रलावता ने अब निगम कार्यालय आना बंद कर दिया है। कहा जा रहा है कि रलावता को कांग्रेस की आंतरिक राजनीति का शिकार होना पड़ा है। निगम में अधिकारियों की कमी और रलावता की मेहनत को देखते हुए आयुक्त खुशाल यादव ने रलावता की अनुबंध पर नियुक्ति करवाई थी, ताकि नगर निगम का कामकाज चलता रहे। यादव की सिफारिश में कोई राजनीति नहीं थी, लेकिन सत्तारुढ़ पार्टी के अनेक नेताओं को रलावता की पुनर्नियुक्ति रास नहीं आई। इसके पीछे रलावता के बड़े भाई और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेन्द्र सिंह रलावता से राजनीति खींचतान होना रहा। कई कांग्रेसी नेता नहीं चाहते थे कि महेन्द्र सिंह रलावता के भाई गजेन्द्र सिंह रलावता रिटायरमेट के बाद निगम में जमे रहे। महेन्द्र सिंह रलावता को सचिन पायलट का समर्थक माना जाता है। यही वजह रही कि कांग्रेसियों को गजेन्द्र सिंह रलावता को हटवाने में सफलता मिल गई। लेकिन सवाल उठता है कि अब नगर निगम का काम कैसे चलेगा? उपायुक्त के दोनों पद रिक्त पड़े हैं। आयुक्त खुशाल यादव ने आरएएस देविका तोमर को अस्थायी तौर पर उपायुक्त का चार्ज दिलवा रखा है। तोमर के पास पहले ही दो महत्वपूर्ण पदों का चार्ज है। तीसरे पद के चार्ज में उन्हें पहले ही कठिनाई आ रही है। निगम में स्वास्थ्य अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पर भी खाली पड़े हैं। यही हाल राजस्व अधिकारियों का का है। आयुक्त यादव जैसे तैसे रलावता से काम चला रहे थे, लेकिन अब रलावता भी राजनीति की भेंट चढ़ गए हैं। निगम के माध्यम से ही इन दिनों राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान भी चल रहा है। जनगणना 2020 भी चल रही है। इतना ही नहीं फरवरी में निगम के 80 वार्डों के चुनाव होने हैं। वार्ड चुनाव के प्रशिक्षण का काम भी शुरू हो रहा है। स्मार्ट सिटी के कामों की नोडल एजेंसी भी नगर निगम ही है। इतनी जिम्मेदारियां होने के बाद भी उपायुक्त के दोनों पद रिक्त पड़े हैं। अच्छा हो कि कांग्रेस के नेता रिक्त पदों को भरवाने में ताकत लगाएं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

केरल में मंडियां समाप्त करने और पश्चिम बंगाल में 70 लाख किसानों को पीएम किसान निधि की राशि का लाभ नहीं दिलवाने वाले दिल्ली में किसानों को गुमराह कर रहे हैं।अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर दोगली राजनीति करने का आरोप लगाया। ऐसे राजनीतिक दल राजस्थान से लेकर कश्मीर तक में पंचायत चुनाव हार चुके हैं।

25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला है। पीएम ने कहा कि जो विपक्षी दल लोकतांत्रिक प्रक्रिय से चुनाव हार कर गए हैं, वे अब किसानों के आंदोलन में अपना वजूद तलाश रहे हैं। नए कृषि कानून को लेकर बेवजह भ्रम की स्थिति की जा रही है। पीएम ने केरल की कम्युनिस्ट सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक ओर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को समर्थन देकर एमएसपी और मंडियों की बात की जा रही है, तो दूसरी ओर केरल की सरकार ने कृषि मंडियों की व्यवस्था ही समाप्त कर दी है। पूरे देश में पश्चिम बंगाल एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां की राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लागू नहीं किया है। यदि बंगाल की सरकार इस योजना को मंजूर कर दे तो 70 लाख किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की राशि मिलने लगेगी।  पीएम मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि जो राजनीतिक दल अपने राज्यों में किसानों का गला घोंट रहे हैं, वही दल दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के किसानों को सम्मान निधि योजना का लाभ मिले इसके लिए दबाव क्यों नहीं बनाया जाता। ऐसे दलों के नेता दिल्ली में तो किसान हितैषी बनते हैं, लेकिन बंगाल और केरल में चुप रहते हैं। देश की जनता विपक्षी दलों के दोगले चरित्र को देख और समझ रही है। यदि वजह है कि दिल्ली में कुछ किसानों को छोड़ कर देशभर के किसान कृषि कानूनों के समर्थन में खड़े हैं। पीएम ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा में देश के किसानों को 87 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा मिला। जो विपक्षी दल आज आंदोलन कर रहे हैं, जब वे शासन में थे तब नाम मात्र की एमएसपी पर खरीद होती थे। लेकिन आज एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद हो रही है। एनडीए की सरकार ने लागत का डेढ़ गुना एमएसपी निर्धारित किया। पीएम ने कहा कि विपक्षी दल नए कानून को लेकर बेवजह का भ्रम फैला रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि किसान के साथ कंपनी का जो अनुबंध होगा, वह किसान का पक्षधर है। यदि किसी कारण से फसल खराब हो जाती है, तो संबंधित कंपनी को अनुबंध के मुताबिक किसान को भुगतना करना होगा। यानि कंपनी किसी भी स्थिति में अनुबंध को तोड़ नहीं सकती। लेकिन किसान चाहे तो इस अनुबंध को तोड़ सकता है। स्वभाविक है कि जब कोई कंपनी अनुबंध करेगी तो वह किसान को उन्नत बीज, तकनीक आदि की सुविधा भी उपलब्ध करवाएगी। पीएम ने कहा कि पिछले 70 सालों से कहा जा रहा है कि भारतीय कृषि में विदेशी तकनीक आनी चाहिए। अब जब तकनीक लाने गी व्यवस्था की गई है तो विपक्षी दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

नए कृषि कानूनों का फायदा देशभर के किसान उठाने लगे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे कुछ लोग किसानों की हकीक़त को समझे।किसानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया कि किस प्रकार नए कानूनों का लाभ मिल रहा है।

25 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के कोई 8 करोड़ किसानों से वीडियो कॉन्फ़्रेंस के जरिए संवाद किया। कई राज्यों के किसानों ने प्रधानमंत्री को नए कृषि कानूनों से हो रहे लाभों के बारे में बताया। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक माह से बैठे कुछ किसानों एवं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को अब नए कानूनों से मिल रहे लाभों को भी समझना चाहिए। किसानों की इस सच्चाई से उन सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे जो  दिल्ली की सीमाओं पर बैठे कुछ लोगों द्वारा बार बार उठाए जा रहे हैं। आम लोगों को भी नए कृषि कानून की हकीक़त को समझना चाहिए। 25 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के महाराज गंज के प्रगतिशील किसान राम गुलाब ने पीएम मोदी को बताया कि नए कानूनों के अंतर्गत 300 किसानों का एक समूह बनाया गया है। हमारे समूह ने अहमदाबाद की एक कंपनी से शकरकंद की बिक्री का अनुबंध किया है। जिस शकरकंद को हम पहले 10 रुपए किलो में बेचते थे, अब उसी को 25 रुपए किलो में बेचने का एग्रीमेंट किया है। सबसे खास बात यह है कि कंपनी हमारे खेत से ही शकरकंद की डिलीवरी ले लेगी। इसी प्रकार मध्यप्रदेश के किसान मनोज पाटीदार ने पीएम मोदी को बताया कि सोयाबीन को बेचने के लिए आईटीसी से अनुबंध किया है, अब उसे फसल की लागत का कई गुना मूल्य मिल रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए की राशि भी सीधे बैंक खाते में आ रही है। अरुणाचल के किसान ने बताया कि 400 किसानों का समूह बनाया गया है। अब संयुक्त रूप से जिंजर की ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। हमारे समूह ने बड़ी कंपनियों से जिंजर की फसल का एग्रीमेंट किया है। यह कार्य हम पिछले कई माह से कर रहे हैं। लेकिन कभी भी जमीन हड़पने की बात सामने नहीं आई है। हरियाणा के किसान हरि सिंह विश्नोई ने बताया कि चार भाइयों के संयुक्त परिवार की 40 एकड़ भूमि है। पहले संपूर्ण भूमि पर अनाज की खेती की जाती थी, लेकिन नए कृषि कानून के अंतर्गत 10 एकड़ भूमि पर नींबू और अमरुद की खेती की जा रही है। इससे संयुक्त परिवार का मुनाफ़ा बड़ गया है। उड़ीसा के किसान नवीन ने बताया कि उसके पास एक एकड़ 40 बिस्वा जमीन है। उसने किसान क्रेडिट कार्ड पर बैंक से 4 प्रतिशत की दर पर 27 हजार रुपए का लोन लिया और आज वह सफलता पूर्वक खेती का काम कर रहा है। महाराष्ट्र के किसान गणेश ने बताया कि खेती पशु पालन का कार्य करता है। उसने अपनी फसल का बीमा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना करवाया। पिछले दिनों जब अतिवृष्टि में फसल खराब हो गई तो बीमा कंपनी ने मुआवज़े के रूप में 54 हजार रुपए की राशि दी। जबकि उसने मात्र ढाई हजार रुपए का प्रीमियम दिया था। तमिलनाडु के किसान सुब्रमणि ने बताया कि 3 एकड़ जमीन के लिए जो पानी मिलता था, उससे एक एकड़ भूमि ही सींचित होती थी, लेकिन अब उसने ड्रिप एरीगेशन तकनीक को अपनाया है और अब उसी पानी में 3 एकड़ भूमि पर खेती हो रही है। सभी किसानों की बात सुनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी दल जो भ्रम फैला रहे हैं, वह अब दूर हो जाना चाहिए। 2014 के बाद केन्द्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही किसानों की उन्नति के काम किए जा रहे हैं। आज भी 9 करोड़ 4 लाख किसानों के खाते में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त के 18 हजार करोड़ रुपए सीधे किसानों के खाते में जमा करवाए गए हैं। देश भर के इन किसानों की हकीक़त सुनने के बाद अब पंजाब के किसानों के मन में कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

Thursday 24 December 2020

दिल्ली में पहले चरण में कोरोना का टीका लगवाने वाली की सूची तैयार। केन्द्र सरकार से डोज मिलते ही पात्र व्यक्तियों को मोबाइल पर सूचना मिलेगी।क्या राजस्थान में पहले चरण वाले पात्र व्यक्तियों की सूची बन गई है? दो बार लगेंगे इंजेक्शन। स्टोरेज भी इसी हिसाब से करना होगा।

संभवत: दिल्ली देश में पहला राज्य होगा, जिसमें कोरोना का टीका लगवाने के लिए पहले चरण के पात्र व्यक्तियों की सूची बना ली है। 24 दिसम्बर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि पहले चरण में चिकित्सा कर्मियों के साथ साथ 50 वर्ष से अधिक उम्र तथा डायबिटीज़, हृदय रोग, ब्लडप्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को टीका लगाया जाएगा। दिल्ली में ऐसे 51 लाख व्यक्तियों की सूची तैयार कर ली गई है। केन्द्र सरकार से दवा के डोज मिलते ही पात्र व्यक्तियों की मोबाइल पर सूचना दे दी जाएगी। यह बताया जाएगा कि किस स्थान पर टीका लगेगा। एक व्यक्ति को दो बार टीका लगवाने के लिए निर्धारित स्थान पर आना होगा। केजरीवाल के आत्म विश्वास से लग रहा था कि दिल्ली सरकार ने पूरी तैयार कर ली है। लेकिन सवाल उठता है दिल्ली से सटे राजस्थान में टीका लगाने की कितनी तैयारी है? कोरोना के मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत घोषणाएँ करने में सबसे आगे रहे हैं। चाहे लॉकडाउन हो, शिक्षण संस्थाएं बंद करनी हो, रात्रि कालीन कर्फ्यू लगाना हो, ऐसी सभी घोषणा सीएम गहलोत ने सबसे पहले की। दीपावली के पर्व पर पटाखों पर रोक भी लगाई। केन्द्र सरकार को सलाह देने में भी सीएम गहलोत पीछे नहीं रहते हैं। हालांकि राजस्थान में भी जिला स्तर पर टीके लगवाने के लिए प्रशासनिक बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या पात्र व्यक्तियों की सूची बन गई है? क्या ऐसे पात्र व्यक्तियों के मोबाइल नम्बर सरकार के पास हैं? जब 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को भी पहले चरण में टीका लगेगा तो फिर सरकार के पास ऐसे व्यक्तियों की सूची भी होनी चाहिए। क्या सरकार के पास डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर जैसे रोगियों की सूची भी तैयार है? राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ सचिव सिद्धार्थ महाजन का कहना है कि पहले चरण में 1 करोड़ 65 लाख व्यक्तियों को टीका लगाया जाएगा। यानि 3 करोड़ 30 लाख इंजेक्शन सुरक्षित रखने की व्यवस्था सरकार के पास होनी चाहिए। कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार से इंजेक्शन की पहली खेप अब कभी भी राज्य सरकारों को मिल सकती है। ऐसे में राजस्थान में पात्र व्यक्तियों की सूची और स्टोरेज की व्यवस्था को देखने की जरुरत है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि टीका लगाने के बाद कुछ व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे व्यक्तियों को तत्काल इलाज चाहिए। क्या राजस्थान में तत्काल इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है? सरकार को यह भी बताना होगा कि टीका लगवाने से पहले और बाद में क्या क्या सावधानियां बरतनी है। अभी यह भी पता नहीं की सरकार किन व्यक्तियों को नि:शुल्क टीका लगाएगी? इंजेक्शन के शुल्क को लेकर देशभर में अभी तक भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511
  

जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव तक हो गए, लेकिन राहुल गांधी को देश में लोकतंत्र खतरे में नजर आता है।

24 दिसम्बर को कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के कारण लोकतंत्र को खतरा हो गया है। देखा जाए तो देश में लोकतंत्र समाप्त हो गया है। जो लोग केन्द्र सरकार के खिलाफ बोलते हैं, उनकी आवाज को दबा दिया जाता है। राहुल ने कहा कि मुझे पता है मीडिया भी कितने दबाव में काम कर रहा है। राहुल गांधी को मौजूदा माहौल में देश में लोकतंत्र खतरे में नजर आता हो, लेकिन सच्चाई यह है कि हाल ही में जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुए हंै। जिस कश्मीर घाटी को आतंकवाद का गढ़ माना जाता था उस कश्मीर में भी लोगों ने जिला विकास परिषद के चुनाव में बढ़ चढ़ कर भाग लिया है। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने का परिणाम ही रहा कि जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद जैसी छोटी संस्थाओं के चुनाव भी हुए। सब जानते हैं कि पहले फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ़्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने इन चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की थी। लेकिन बाद में इन चुनावों का महत्व समझते हुए अपने उम्मीदवार खड़े किए। इसे भारत का मजबूत लोकतंत्र ही कहा जाएगा कि आजादी के बाद से आतंक से ग्रस्त जम्मू कश्मीर में भी शांतिपूर्ण तरीके से वार्ड स्तर के चुनाव सम्पन्न हुए हैं। यह बात अलग है कि इन चुनावों में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली। कांग्रेस को तो अधिकांश प्रदेशों में भी चुनाव में सफलता नहीं मिल रही है। हाल ही में बिहार में हुए चुनाव में 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन मात्र 19 उम्मीदवार ही जीत पाए। इसी प्रकार हैदराबाद महानगर पालिका के 150 वार्डों में से कांग्रेस को सिर्फ 2 वार्डों में जीत मिली है। चार माह बाद पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस अकेले दम पर बंगाल में चुनाव लड़ेगी। हालांकि बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया था। लेकिन जितनी सफलता आरजेडी को मिली उसकी चौथाई भी कांग्रेस को नहीं मिल सकी। राहुल गांधी को भले ही लोकतंत्र खतरे में नजर आता हो, लेकिन यह भारत देश ही है जहां देश ही राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 29 दिनों से किसान रास्ता रोककर बैठा हुआ। जेएनयू यूनिवर्सिटी के परिसर में किस तरह देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं, इसकी जानकारी भी राहुल गांधी को है। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि 545 सांसदों में से कांग्रेस के सिर्फ 51 सांसद हैं। देश में चुनाव लोकसभा के हो या विधान सभाओं के सभी चुनाव समय पर हो रहे हैं। जबकि 1975 में कांग्रेस के शासन में आपात काल लगाकर चुनावों को ही टाल दिया गया था। लोकतंत्र में चुनाव ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह बात अलग है कि देश की जनता अब कांग्रेस को सत्ता से बाहर रख रही है। शायद इसलिए राहुल गांधी को देश में लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511
  

कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत ने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया।राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत पर विवादित टिप्पणी की।

कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 24 दिसम्बर को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। राष्ट्रपति को बताया गया कि मांग के समर्थन में देश के दो करोड़ किसानों ने हस्ताक्षर किए हैं। राहुल के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी भी थे। इधर दिल्ली में राहुल गांधी राष्ट्रपति को किसानों के समर्थन में ज्ञापन दे रहे थे उधर दिल्ली के बाहर सीमाओं पर बैठे किसानों के नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब राजनीति कर रही है। राहुल गांधी खाली हैं, इसलिए किसानों के नाम पर राष्ट्रपति से मिल रहे हैं। किसान आंदोलन के महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है। कांग्रेस ने देश में 60 वर्षों तक राज किया, लेकिन किसानों की भलाई का कोई काम नहीं किया।
राहुल के विवादित बोल:
राष्ट्रपति से मिलने के बाद राहुल गांधी ने मीडिया से संवाद किया। राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने दो-तीन मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानून लाए हैं। मोदी अब किसी भी स्थिति में सत्ता नहीं छोड़ना चाहते हैं। यदि संघ प्रमुख मोहन भागवत भी सत्ता मांगेंगे तो नरेन्द्र मोदी उन्हें भी आतंकवादी बता देंगे। किसानों के साथ भी आज यही हो रहा है। किसान जब अपने हक की मांग कर रहा है, तब उसे आतंकवादी कहा जा रहा है। राहुल ने अपने अंदाज़ में कहा कि भैया कोरोना संक्रमण शुरू होने से पहले मैंने हकीक़त बताई थी, लेकिन तब मेरी किसी ने भी नहीं सुनी। आज फिर मैं एडवांस में बता रहा है कि यदि कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया तो देश का बहुत बड़ा नुकसान होगा। करोड़ों लोगों का रोज़गार छीन जाएगा। देश के अंदर किसान आंदोलन कर रहे हैं तो सीमा पर चीन ने भारत की हजारों किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा कर लिया है। राहुल गांधी ने दावे से कहा कि जब तक कानून रद्द नहीं होगा, तब तक दिल्ली की सीमा पर बैठा किसान अपने घर नहीं जाएगा। किसानों के आंदोलन को कांग्रेस पार्टी का पूरा समर्थन है।
प्रियंका और सांसदों को हिरासत में लिया:
तय रणनीति के अनुसार 24 दिसम्बर को कांग्रेस के नेता दिल्ली में विजय चौक से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पैदल मार्च निकालना चाहते थे। लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने पैदल मार्च की इजाजत नहीं दी। लेकिन जब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में मार्च निकालने की कोशिश की गई तो पुलिस ने प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के सांसदों और बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया। सभी नेताओं को बस में भरकर मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन पर ले जाया गया, हालांकि बाद में इन सभी नेताओं को रिहा कर दिया गया।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511  

आखिर आईएएस समित शर्मा की ईमानदार सक्रियता से क्यों नाराज़ हो जाते हैं सरकार के कार्मिक?क्या सरकारी अस्पतालों में गरीब को नि:शुल्क इलाज दिलवाना गुनाह है?जब सरकार की ओर से मुफ्त दवा की सुविधा है तो मरीज को बाजार से दवा लेने के लिए क्यों बाध्य किया जाता है?

राजस्थान के वरिष्ठ आईएएस समित शर्मा इन दिनों जयपुर के संभागीय आयुक्त हैं। शर्मा ने विगत दिनों संभाग के दौसा जिले के जिला अस्पताल का आकस्मिक निरीक्षण किया। पड़ताल में पता चला कि सरकारी अस्पताल के चिकित्सक मरीजों को बाजार से दवा लाने के लिए पर्चियां लिख रहे हैं। शर्मा ने जब संबंधित चिकित्सकों से जवाब तलब किया तो उसके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। शर्मा ने जानना चाहा कि जब सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा का प्रावधान है तो फिर मरीजों से बाहर से दवाएं क्यों मंगवाई जा रही है? शर्मा ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि अस्पताल की ओपीडी में एक भी डॉक्टर उपस्थित नहीं है और मरीज इधर उधर भटक रहे हैं। शर्मा का कहना रहा कि जब डॉक्टरों को डेढ़ से दो लाख रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा है तब भी अनेक डॉक्टर अपना दायित्व नहीं निभा रहे हैं। संभागीय आयुक्त शर्मा ने माना कि कोरोना काल में विषम परिस्थितियों में अनेक चिकित्सा कर्मियों ने मेहनत के साथ कार्य किया है, लेकिन अनेक चिकित्सा कर्मी ऐसे हैं, जिनकी वजह से सरकार की योजनाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। शर्मा ने दौसा के जिला अस्पताल में मिली अनियमितताओं की जांच के लिए कलेक्टर को आवश्यक निर्देश दिए। लेकिन अब अनेक चिकित्सक समित शर्मा के आकस्मिक निरीक्षण का विरोध कर रहे हैं। जिन चिकित्सकों को शर्मा ने बाहर से दवाएं मंगवाने के सबूतों के साथ पकड़ा, उन्हें अब अपमानित किए जाने की बात कही जा रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि शर्मा ने निरीक्षण के दौरान डॉक्टरों को अपमानित किया, जबकि निरीक्षण के वीडियो को देखने से पता चलता है कि संभागीय आयुक्त ने अपनी सीमाओं में रह कर अस्पताल के चिकित्सकों से बात की है। शर्मा का मकसद सिर्फ सरकार की योजनाओं का मरीजों को लाभ दिलवाना था। क्या सरकार की योजनाओं का लाभ गरीब मरीज को दिलवाना गुनाह है? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी चाहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में गरीब को नि:शुल्क इलाज मिले। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा योजना को सीएम गहलोत अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। यानि समित शर्मा तो सरकार की मंशा के अनुरूप काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी कहा जा रहा है कि शर्मा की कार्यशैली सरकार के विरुद्ध है। क्या ऐसा आरोप उन लोगों को बचाने के लिए नहीं है जो मरीजों से बाहर से दवाएं मंगवा रहे हैं? सरकारी अस्पतालों को लेकर आम शिकायतें रहती है। जो मरीज भर्ती होते हैं, उनके परिजन से हालातों के बारे में पूछा जा सकता है। आए दिन समाचार पत्रों में अस्पतालों के बारे में छपता है। ऐसे माहौल में यदि एक आईएएस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास कर रहा है तो उसकी सराहना ही होनी चाहिए। आईएएस समित शर्मा जिस भी पद पर रहे, वहां उन्होंने सक्रियता के साथ काम किया। अशोक गहलोत ने जब 2008 से 2013 तक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री थे, तभी नि:शुल्क दवा योजना की शुरुआत हुई थी, तब कोई यह कल्पना नहीं कर सकता था कि सरकारी अस्पतालों में दवाएं मुफ्त में मिलेंगी। ऐसी बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना को सफल बनाने में तब भी समित शर्मा की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी। एनएचआरएम के एमडी के पद पर रहते हुए शर्मा ने जो ईमानदार सक्रियता दिखाई, उसकी प्रशंसा खुद मुख्यमंत्री गहलोत कई बार सार्वजनिक तौर पर कर चुके हैं। सवाल यह भी कि समित शर्मा की ईमानदार सक्रियता पर कुछ कार्मिक नाराज़ क्यों हो जाते हैं? इससे पहले शर्मा जब जोधपुर के संभागीय आयुक्त के पद पर कार्यरत थे, तब उन्होंने पाली जिले के एक स्कूल का आकस्मिक निरीक्षण कर अनेक अव्यवस्थाओं को उजागर किया। तब भी अनेक शिक्षक शर्मा से खफा हो गए। दौसा के सरकारी अस्पताल के निरीक्षण का वीडियो मेरे फेसबुक   www.facebook.com/SPMittalblog   पर देखा जा सकता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511
  

Wednesday 23 December 2020

जनता के दु:ख दर्द बांटने आए गहलोत सरकार के मंत्री सर्किट हाऊस के बजाए आलीशान रिसोर्ट में ठहरे।अजमेर में झूठ भी बोल गए चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा। विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में जिला प्रमुख सहित भाजपा के किसी भी विधायक ने भाग नहीं लिया।कांग्रेस के कार्यकर्ता भी नहीं कर सके मंत्रियों से संवाद।केन्द्र सरकार के पैसे से हो रहा है अजमेर का विकास-भाजपा विधायक देवनानी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर प्रभारी मंत्रियों को निर्देश दिए कि वे अपने अपने प्रभार वाले जिलों में जाएं और विकास कार्यों की समीक्षा करें। साथ ही जनता के दु:ख दर्द बांटने के निर्देश भी दिए। सीएम के निर्देश पर प्रभारी मंत्री लाल चंद कटारिया 22 दिसम्बर को अजमेर आए। कटारिया के साथ चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी थे। शर्मा अजमेर जिले के एक मात्र मंत्री हैं। यही वजह है रही कि प्रभारी मंत्री कटारिया के दौरे की कमान रघु शर्मा के पास ही रही। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी प्रभारी मंत्री के सवालों के जवाब रघु शर्मा ने ही दिए। रघु शर्मा इसी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में झूठ भी बोल गए। रघु ने चिकित्सा मंत्री होने के नाते दावा किया कि अजमेर में संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन व दो ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट शुरू कर दिए हैं, इसलिए अब मरीजों खास कर कोरोना संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की परेशानी नहीं होगी। लेकिन सच्चाई यह है कि अस्पताल में अभी प्लांट का काम शुरू भी नहीं हुआ है। अस्पताल प्रबंधन ने सिर्फ काम शुरू करने के आदेश जारी किए हंै। ऐसे में सवाल उठता है कि मंत्री जी ने गलत बयानी क्यों की? आम लोगों को उम्मीद थी कि चिकित्सा मंत्री अपने गृह जिले के दौरे पर आएंगे तो जेएलएन अस्पताल का निरीक्षण भी करेंगे, ताकि मरीजों की परेशानियों को समझा जा सके। लेकिन रघु शर्मा ने सरकारी अस्पताल का निरीक्षण नहीं किया। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत माह कोरोना संक्रमित होने के बाद भी रघु शर्मा ने जबरन जयपुर के सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया था, लेकिन अब स्वास्थ होने के बाद भी अपने गृह जिले के अस्पताल का निरीक्षण नहीं कर रहे हैं। यूं तो सीएम अशोक गहलोत ने प्रभारी मंत्रियों को जनता के दु:ख दर्द बांटने के लिए भेजा था, लेकिन प्रभारी मंत्री कटारिया अपने सहयोग मंत्री रघु शर्मा के साथ पुष्कर स्थित एक आलीशान निजी फार्म हाउस में ठहरे। आमतौर पर मंत्रीगण सरकार के सर्किट हाउस में ही ठहरते हैं, लेकिन कटारिया और रघु शर्मा 21 दिसम्बर की रात को निजी फार्म हाउस पर रुके। 22 दिसम्बर को सुबह फार्म हाउस से सीधे बैठक स्थल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में पहुंचे और फिर वहीं से रवाना हो गए। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी चाहते थे कि मंत्रियों से मन की बात करें, लेकिन अवसर ही नहीं मिला। जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा सहित भाजपा के किसी भ्ी विधायक ने भाग नहीं लिया। बैठक में मसूदा के कांग्रेसी विधायक राकेश पारीक और किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ही उपस्थित रहे। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कांग्रेस के प्रति पूरी वफादारी दिखाते हुए समीक्षा बैठक में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई लेकिन जिले के पांचों भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी, श्रीमती अनिता भदेल, सुरेश रावत, राम स्वरूप लाम्बा तथा शंकर सिंह रावत अनुपस्थित रहे।
केन्द्र के सहयोग से हो रहा है विकास-देवनानी:
दोनों मंत्रियों के दौरे और विकास के दावों के संदर्भ में पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि अजमेर का विकास स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में करवाया जा रहा है। स्मार्ट सिटी का पैसा केन्द्र सरकार द्वारा दिया जा रहा है। जो कार्य राज्य सरकार के बजट से होने चाहिए उन्हें भी स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया गया है। प्रभारी मंत्री कटारिया और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा बताएं कि पिछले दो वर्ष में अजमेर की किस समस्या का समाधान किया? कोरोना काल में चिकित्सा मंत्री अपने गृह जिले के लोगों को संभालने के लिए एक बार भी अजमेर नहीं आए। जो काम केन्द्र सरकार के सहयोग से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हो रहे हैं, उनकी वाहवाही लूटी जा रही है। दोनों मंत्रियों को बताना चाहिए कि पिछले दो वर्ष में राज्य सरकार ने अजमेर के विकास पर कितनी धनराशि खर्च की है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511

राजस्थान के संविदा कर्मियों को अभी भी स्थायी होने का इंतजार।विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में वायदा किया था।पंचायत सहायको को तो नरेगा श्रमिकों से भी कम मेहनताना मिल रहा है।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार को दो वर्ष पूरे हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि इन दो वर्षों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में जो वायदे किए थे, उनमें से 50 प्रतिशत वायदे पूरे कर दिए हैं। सरकार की दो वर्ष की उपलब्धियों को गिनाने के लिए प्रभारी मंत्री जिला स्तर पर समारोह कर रहे हैं, लेकिन वहीं प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा पर काम कर रहे करीब डेढ़ लाख कार्मिकों को अभी भी स्थायी होने का इंतजार है। कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में वायदा किया था कि संविदा कर्मियों को स्थायी किया जाएगा। अब प्रदेश भर के संविदा कर्मी सरकार को अपना वायदा याद दिला रहे हैं। अकेले पंचायतीराज विभाग में 27 हजार संविदा कर्मी हैं। पहले इन्हें विद्यार्थी मित्र का नाम दिया गया और अब पंचायत सहायक के नाम से काम कर रहे हैं। पंचायत सहायकों को 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जाता है, जबकि नरेगा श्रमिक को 220 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मिलती है। पंचायत सहायक पंचायतीराज का काम करने साथ शिक्षा विभाग का भी काम करते हैं। इसके अलावा जहां भी मजदूरी की जरुरत होती है, वहां पंचायत सहायक को घुसेड़ दिया जाता है। ऐसे संविदा कर्मियों की पिछले 13 वर्ष से ऐसी दुर्दशा हो रही है। इस दुर्दशा पर चुनाव के समय तो भाजपा और कांग्रेस नेता आसूं बहाते हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद दोनों दलों के नेता समुद्र के घडिय़ाल साबित होते हैं। राजस्थान में कांग्रेस के संकल्प पत्र के वायदे को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत ने वरिष्ठ मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बना रखी है। पंचायत सहायक संघ के प्रतिनिधि कमल टेलर ने बताया कि दीपावली से पूर्व कल्ला ने घोषणा की थी कि इस बार पंचायत सहायकों को दीपावली का तोहफ़ा मिल जाएगा। लेकिन पंचायत सहायकों को हर वर्ष की तरह इस बार भी काली दीपावली मनानी पड़ी। टेलर ने कहा कि संविदा कर्मी के तोर पर काम करते हुए 13 वर्ष हो गए हैं और कई कर्मियों की उम्र 45 साल तक हो गई है। ऐसे में दूसरी  नौकरी नहीं मिल सकती है। सरकार कानूनी बाधाएं बता कर स्थायी नहीं करती है, जबकि चिकित्सा विभाग में संविदा पर रखे नर्सिंग स्टाफ को नियमित किया गया है। यानि सरकार चाहे तो सब कुछ कर सकती है। कई मामलों में अदालतों में प्रभावी पैरवी कर समाधान निकाला गया है, लेकिन पंचायत सहायकों के मामले में सरकार का रुख नकारात्मक है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9413844235 पर कमल टेलर से ही ला सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511
  

कोरोना वैक्सीन आने से पहले ही मुस्लिम देशों में विवाद।पाकिस्तान के मौलानाओं ने तो इसे अमरीका की साजिश बताया।भारत में देव बंद और बरेलवी के धर्म गुरुओं ने अपने अपने नज़रिए से दलील दी।

कोरोना वायरस को नियंत्रित या खत्म करने के लिए जब पूरी दुनिया वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है,तब अनेक मुस्लिम देशों में वैक्सीन के उपयोग को लेकर विवाद हो गया है। दुनिया में करीब 50 मुस्लिम देश हैं, लेकिन विवाद की शुरुआत इंडोनेशिया से हुई है। इंडोनेशिया की सरकार ने वैक्सीन के लिए चीन के साथ सहमति जताई है। इंडोनेशिया के वैज्ञानिकों के एक दल ने हाल ही में चीन की दवा कंपनियों का जायजा भी लिया है। लेकिन चीन अभी यह नहीं बता रहा है कि वैक्सीन में किस सामग्री का उपयोग किया गया है। माना जा रहा है कि वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए जिस जिलेटिन को काम में लिया जाएगा, उसमें सुअर की चर्बी का उपयोग होता है। इस्लाम में सुअर की चर्बी को नाजायज माना जाता है। ऐसे में इंडोनेशिया के अनेक मुस्लिम धर्म गुरुओं ने सरकार से कहा है कि पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि वैक्सीन में कोई नाजायज सामग्री नहीं हो। अनेक मुस्लिम देशों में वैक्सीन के जायज और नाजायज को लेकर बहस छिड़ गई है। पाकिस्तान के मौलानाओं ने तो इसे अमरीका की साजिश बता दिया है। ऐसे मौलानाओं का कहना है कि यह सब मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इंजेक्शन के बहाने शरीर में चिप लगा दी जाएगी। पाकिस्तान में अमरीका और चीन से वैक्सीन मंगाने की बात हो रही है। इधर भारत में देव बंद के कारी इसहाक गौरा का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन का लगवाना जरूरी है। कोरोना संक्रमण ने मुस्लिम आबादी को भी नुकसान पहुंचाया है। लोगों को वैज्ञानिकों की सलाह को मानना चाहिए। लेकिन वहीं बरेली के शाह रिज़वी बरेलवी ने कहा है कि इस्लाम के अनुसार कोई भी मुसलमान नाजायज सामग्री का उपयोग नहीं कर सकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना की वैक्सीन में काम में आई सभी वस्तुएँ जायज हैं। वहीं देश के अनेक वैज्ञानिकों और चिकित्सकों की राय है कि मौजूदा समय में लोगों की जान बचाना जरूरी है। कोरोना के वायरस के कारण दुनियाभर में न केवल लाखों लोगों की मौत हुई है, बल्कि आर्थिक स्थिति भी खराब हुई है। कोरोना की वैक्सीन को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। यह वैक्सीन दुनियाभर के लिए जरूरी है। वैज्ञानिकों ने बड़ी मुश्किल और विपरीत परिस्थितियों में वैक्सीन को तैयार किया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511  

Tuesday 22 December 2020

जम्मू कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनाव में गुपकार को भाजपा की टक्कर। 280 सीटों में से गुपकार को 95, भाजपा को 50, कांग्रेस को 25 तथा निर्दलीयों को 50 सीटों पर बढ़त।अनुच्छेद 370 की वजह से जिला विकास परिषद के चुनाव नहीं होते थे।पाकिस्तान से आए शरणर्थियों को भी पहली बार मिला वोट डालने का अधिकार।

जम्मू कश्मीर के 20 जिलों में हुए जिला विकास परिषद के चुनावों में भाजपा ने गुपकार समूह को जोरदार टक्कर दी है। 22 दिसम्बर को घोषित किए जा रहे परिणाम के अनुसार 280 सीटों में से गुपकार को 95, भाजपा को 50, कांग्रेस को 25 तथा निर्दलीयों की 50 सीटों पर बढ़त मिल रही है। भाजपा को जम्मू के अलावा कश्मीर घाटी में भी सफलता मिली है। भाजपा को हराने के लिए फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ़्रेंस, मेहबूबा मुफ्ती की पीडीपी तथा कांग्रेस सहित 6 राजनीतिक दलों ने गुपकार समूह बनाया था। संयुक्त उम्मीदवार खड़े किए जाने के बाद भी गुपकार समूह उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं कर सका। जम्मू कश्मीर में जब अनुच्छेद 370 प्रभावी था, तब जिला विकास परिषद के चुनाव नहीं हो सकते थे। ऐसे में कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीडीपी के विधायक और सांसद ही सरकारी धनराशि खर्च कर रहे थे। लेकिन गत वर्ष अगस्त माह में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया तब जिला स्तर पर चुनाव संभव हुए। पहले तो गुपकार समूह ने चुनावों का बहिष्कार करने की घोषणा की, लेकिन बाद में चुनावों का महत्व समझते हुए चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने का ऐलान कर दिया। भारतीय लोकतंत्र के लिए यह अच्छी बात है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जिला विकास परिषद के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने भागीदारी की है। जम्मू कश्मीर के जो नेता कहते थे कि अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ की गई तो तिरंगे को कंधा देने वाला कोई नहीं मिलेगा। ऐसे नेताओं को इन चुनावों में मुंह तोड़ जवाब दिया है। जिला विकास परिषद के चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अभी विधानसभा के चुनाव नहीं होंगे। जम्मू कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन नए सिरे से होगा। परिसीमन का काम पूरा होने के बाद ही विधानसभा के चुनाव संभव है। जिला विकास परिषद के चुनाव परिणाम बताते हैं कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने केन्द्र सरकार की नए प्रशासनिक व्यवस्था को स्वीकार किया है। अब सरकारी योजनाओं की क्रियान्विति जिला विकास परिषद के सदस्यों के माध्यम से होगी। जम्मू कश्मीर में निचले स्तर तक लोकतंत्र मजबूत हुआ है। अब जम्मू कश्मीर का मतदाता अपने वार्ड पार्षद से सवाल जवाब कर सकेगा। यह पहला अवसर रहा जब पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को भी वोट डालने का अधिकार मिला है। अनुच्छेद 370 की वजह से वाल्मीकि और गौरखा समुदाय के लोगों को वोट डालने का अधिकार नहीं था। जम्मू कश्मीर के ये चुनाव पाकिस्तान को भी करारा जवाब है। पाकिस्तान अपने निहित स्वार्थों के खातिर जम्मू कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठता रहा है। पाकिस्तान का अकसर यह आरोप रहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना ज्यादती करती है। लेकिन जम्मू कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान को यह बता दिया है कि उनका विश्वास भारतीय लोकतंत्र में है। वोट के जरिए वे अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (22-12-2020)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9509707595
To Contact- 9829071511