Thursday 31 January 2019

कैंसर से जूझ रहे पर्रिकर पर राहुल की राजनीति उचित नहीं।

कैंसर से जूझ रहे पर्रिकर पर राहुल की राजनीति उचित नहीं। 
आखिर राजनीति में कुछ तो नैतिकता और पवित्रता होनी चाहिए।
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हालांकि देश की वर्तमान राजनीति में राजनेताओं ने नैतिकता और पवित्रता की उम्मीद करना बेमानी है, लेकिन जो राजनेता देश चलाने और संभालने की बात करते हैं उन्हें तो अपना आचरण नैतिक और पवित्र ही रखना चाहिए। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी यदि शब्दों का घालमेल कर राजनीति करेंगे तो फिर दूसरे नेताओं से क्या उम्मीद की जा सकती है। राहुल गांधी 29 जनवरी को अपनी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी के साथ गोवा के दौरे पर थे, तभी राहुल गांधी गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए। चूंकि पर्रिकर इन दिनों जानलेवा रोग कैंसर से संघर्ष कर रहे हैं, इसलिए राहुल की इस मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात माना गया। स्वाभाविक है कि दोनों के बीच कोई राजनीतिक संवाद  नहीं हुआ होगा। लेकिन 30 जनवरी को राहुल गांधी ने बीमार पर्रिकर से हुई मुलाकात को राजनीति से जोड़ दिया। राहुल ने एक सार्वजनिक समारोह में कहा कि 29 जनवरी को उन्होंने पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात की। पर्रिकर ने भी कहा था कि राफेल सौदे पर प्रधानमंत्री ने रक्षामंत्री से कोई बात नहीं की। राहुल ने शब्दों का ऐसा घालमेल किया, जिससे लगा कि 29 जनवरी की मुलाकात में पर्रिकर ने राफेल पर राहुल से बात की है। यह माना कि राफेल विमान सौदे पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन राहुल को कम से कम बीमार पर्रिकर के कंधे पर बंदूक रख कर नहीं चलानी चाहिए। राहुल के बयान के बाद पर्रिकर को अपनी सफाई में पत्र भी लिखना पड़ा। स्वाभाविक है कि इससे पर्रिकर के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा होगा। ऐसे में यदि पर्रिकर के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा? क्या राजनीति करने का मतलब किसी की जान लेना है? राहुल गांधी भी जानते हैं कि मनोहर पर्रिकर देश के चुनिंदा ईमानदार नेताओं में से एक है। पर्रिकर की ईमानदारी की वजह से ही उन्हें गोवा के सीएम के पद से हटा कर देश का रक्षामंत्री बनाया गया था। राहुल गांधी को कम से कम पर्रिकर जैसे राजनेता को तो बख्शना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी राफेल विमान सौदे पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करें, यह उनकी राजनीति हो सकती है, लेकिन किसी बीमार व्यक्ति को टारगेट करना उचित नहीं माना जा सकता। यह माना कि तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने से राहुल गांधी बेहद उत्साहित हैं और उन्हें लगता है कि अब लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी और भाजपा को हटा  देंगे। लेकिन ऐसे अति उत्साह में राजनीति की नैतिकता और पवित्रता का तो ख्याल रखना ही चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (31-01-19)
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तो राजस्थान में 99 के फेर से बाहर आ गई कांग्रेस।

तो राजस्थान में 99 के फेर से बाहर आ गई कांग्रेस।
अलवर के रामगढ़ में जीत से विधायकों की संख्या 100 हुई।
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राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को अब पूर्ण बहुमत मिल गया है। दो सौ सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पूरे सौ सदस्य हो गए हैं। 31 जनवरी को अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा चुनाव का नतीजा भी सामने आ गया। यहां कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती साफिया खान ने 12 हजार मतों से भी ज्यादा की जीत दर्ज की है। मेव समुदाय बहुल्य रामगढ़ में भाजपा के प्रत्याशी खुशवंत सिंह दूसरे और बसपा के जगत सिंह तीसरे स्थान पर रहे हैं। रामगढ़ की जीत के साथ ही राजस्थान में पूर्ण बहुमत वाली कांग्रेस की सरकार हो गई है। मालूम हो कि दिसम्बर के परिणाम में कांगे्रस के विधायकों की संख्या 99 पर ही अटक गई थी। हालांकि राष्ट्रीय लोकदल एक और बसपा के 6 विधायकों ने बिना शर्त समर्थन देकर कांग्रेस की सरकार बनवा दी थी। रामगढ़ की हार से प्रदेश में भाजपा को झटका लगा है। यहां हिन्दूवादी छवि वाले विधायक ज्ञानदेव आहूजा का टिकिट काट कर खुशवंत सिंह को भाजपा उम्मीदवार बनाया गया था। रामगढ़ में गत भाजपा के शासन में गाय को लेकर कई बार तनावपूर्ण हालात हुए। आहूजा ने विधायक रहते हुए गोतस्करी के भी आरोप लगाए। कांग्रेस ने इस बार जातीय कार्ड खेलते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान की पत्नी साफिया खान को उम्मीदवार बनाया। हालांकि पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह ने बसपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा की उपस्थिति भी भाजपा को फायदा नहीं पहुंचा सकी।
मंत्री पद पर दावाः
श्रीमती साफिया खान का अब मंत्री पद पर दावा हो गया है। श्रीमती खान के पति कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं और सीएम अशोक गहलोत से भी अच्छे संबंध हैं। वैसे भी साफिया पढ़ी लिखी मुस्लिम विधायक हैं इसलिए मंत्री पद  पर दावा सशक्त होता है। साफिया खान पहले भी प्रधान रह चुकी हैं और राजनीति का अनुभव है।
एस.पी.मित्तल) (31-01-19)
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Sunday 27 January 2019

106 भूखंड, 25 दुकानें, पेट्रोल पम्प, चार ट्रक, एक टेंकर आदि का मालिक निकला नारकोटिक्स विभाग का एडिशनल कमिश्नर सहीराम मीणा।

106 भूखंड, 25 दुकानें, पेट्रोल पम्प, चार ट्रक, एक टेंकर आदि का मालिक निकला नारकोटिक्स विभाग का  एडिशनल   कमिश्नर सहीराम मीणा। एक लाख रुपए की रिश्वत लेते कोटा में पकड़ा था। घर की तलाशी में तो दो करोड़ 35 लाख रुपए नकद मिले। बेटी उत्तराखंड में आईएएस। बहु का भाई लालसोट से रहा भाजपा उम्मीदवार।
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जहां आम आदमी को जिन्दगी भर संघर्ष करने के बाद एक भूखंड बड़ी मुश्किल से उपलब्ध होता है, वहीं राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कोटा में तैनात नारकोटिक्स विभाग के एडिशनल कमिश्नर सहीराम मीणा को पकड़ा है जिसके पास 106 भूखंड, 25 दुकानें दो औद्योगिक प्लाट, एक पेट्रोल पम्प, चार ट्रक, एक टेंकर, चार कारें आदि सहित करोड़ रुपए की सम्पत्ति मिली है। तीन-चार लाॅकरों में रखा सोना-चांदी आदि बाहर आना शेष है। इतना ही नहीं जयपुर स्थित आवास की तलाशी लेने पर ब्यूरो को दो करोड़ 35 लाख रुपए की नकद राशि भी मिली है। ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक शरद च ौधरी ने बताया कि भ्रष्टाचार और आय से अधिक सम्पत्ति का यह अनोखा मामला है। हो सकता है कि देश में यह पहला मामला हो। राजस्थान के कोटा चित्तौड़ आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है। यही वजह है कि नेशनल नारकोटिक्स ब्यूरो ने अपने अधिकारी तैनात कर रखे हैं। इसी प्रशासनिक ढांचे में सहीराम मीणा को कोटा में विभाग का एडीशनल कमिश्नर नियुक्त कर रखा है। मीणा के बारे में एसीबी को लगातार शिकायतें मिल रही थी। यही वजह रही कि मोबाइल सर्विलेंस पर रखा गया। तभी एसीबी को पता चला कि नारकोटिक्स विभाग का मुखिया (निगरानीकर्ता) बनाने के लिए सहीराम मीणा रिश्वत की मांग कर रहा है। यह रिश्वत कमलेश धाकड़ नाम के व्यक्ति से मांगी जा रही है। एसीबी ने पहले 26 जनवरी को कोटा में बड़ा आॅपरेशन कर मीणा को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। चूंकि कमलेश धाकड़ ने पहले कोई शिकायत नहीं की। इसलिए भ्रष्टाचार के आरोप में कमलेश को भी गिरफ्तार किया गया। च ौधरी ने बताया कि जिन क्षेत्रों में अफीम की खेती होती है उन क्षेत्रों में नारकोटिक्स विभाग एक निगरानीकर्ता की नियुक्ति करता है जिसे मुखिया भी कहा जाता है। यह मुखिया गैर सरकारी होती है। मुखिया ही नाकोटिक्स विभाग और अफीम का उत्पादन करने वालों किसानों के बीच समन्वय का काम करता है। आरोप यह है कि संबंधित किसान को अफीम की खेती के लिए जितनी भूमि निर्धारित की जाती है उससे ज्यादा पर अफीम की खेती होती है। निर्धारित भूमि पर तैयार हुई अफीम तो नारकोटिक्स विभाग को समर्थन मूल्य पर बेच दी जाती है, लेकिन अवैध रूप तैयार की गई अफीम को काला बाजार में बेच कर लाखों रुपए का मुनाफा कमाया जाता है। यही वजह है कि विभाग का मुखिया बनने के लिए रिश्वत दी जाती है। 
जांच का दायर बढ़ेगा:
पुलिस अधीक्षक च ौधरी ने बताया कि आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में अब सहीराम मीणा के खिलाफ जांच के दायरे को बढ़ाया जाएगा। जांच में प्रवर्तन निदेशायल और आयकर विभाग को भी सूचित किया जा रहा है।  सम्पत्तियों के जो कागजात मिले हैं, उनकी लागत का आंकलन करवाया जा रहा है। मीणा मकान से 25 दुकानों के जो कागजात मिले हैं उनमें कई दुकानंे जयपुर के प्रमुख काम्प्लेक्सों में हैं। दिल्ली और मुम्बई में फ्लेट के कागजात बरामद किए गए है। च ौधरी ने बताया कि दो करोड़ रुपए की नकद राशि गिनने के लिए एसीबी को नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी। यह सारी कार्यवाही एसीबी के डीजी कपिल गर्ग के दिशा निर्देश में हुई। इसमें आईजी दिनेश एनएम की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 
बेटी आईएएस:
सहीराम मीणा की एक बेटी उत्तराखंड में आईएएस है। जबकि बेटे की पत्नी के भाई रामविलास ने लालसोट से हाल ही में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। जानकारों की माने तो मीणा स्वयं भी लालसोट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन सेवानिवृत्ति की मंजूरी नहीं मिलने की वजह से चुनाव नहीं लड़ पाए। मीणा का छह माह बाद रिटायरमेेंट है। सूत्रों के अनुसार मीणा का भाजपा की राजनीति में दखल है। भाजपा में गत वर्ष शामिल हुए मीणा समुदाय के एक दिग्गज भाजपा नेता से भी सहीराम मीणा के मजबूत संबंध रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (27-01-19)
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प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने पर आखिर कांग्रेस का दर्द छलका।

प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने पर आखिर कांग्रेस का दर्द छलका।
बाबा रामदेव ने भी संन्यासी को भारत रत्न देने का मुद्दा उठाया।
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कांग्रेस के नेेता रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा भारत रत्न देने पर आखिर कांग्रेस का दर्द छलक ही गया। हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विट पर मुखर्जी को भारत देने पर शुभकामनाएं दी, लेकिन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता और कांग्रेस के भरोसेमंद नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी ने एक गायक भूपेन हजारिका तथा संघ विचारधारा के नानाजी देशमुख को भारत रत्न दे दिया, जबकि कर्नाटक मशहुर समाजसेवी स्वामी डाॅ. शिवकुमार की अनदेखी की। हालांकि खड़गे ने मुखर्जी का विरोध नहीं किया, लेकिन जिस तरह से भारत रत्न बांटने की बात कही, उससे प्रतीत हो रहा है कि मुखर्जी को भारत रत्न देने से कांगे्रस खुश नहीं है। सब जानते हैं कि मुखर्जी कांग्रेस में लम्बे अर्से से सक्रिय रहे, लेकिन गांधी परिवार के भरोसे नहीं रहे। यही वजह रही कि वरिष्ठता होने के बाद भी मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनने का अवसर नहीं मिला। हालांकि बाद में यूपीए के शासन में ही मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाया गया। इस निर्णय में कांग्रेस के बजाए सहयोग दलों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण थी। राहुल गांधी लगातार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आलोचना करते रहे हैं। संघ की हिन्दुत्व की विचारधारा को राहुल गांधी देश विरोधी मानते हैं। लेकिन उसी संघ के वार्षिक सम्मेलन में प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। मुखर्जी के इस फैसले से भी कांगे्रस नाराज रही। स्वाभाविक है जिन मुखर्जी ने संघ के समारोह में शामिल होकर संघ की विचारधारा का समर्थन किया, उन मुखर्जी को भारत रत्न मिलने पर कांग्रेस कैसे खुश हो सकती है? मुखर्जी राष्ट्रपति बनने के बाद भले ही दलगत राजनीति से ऊपर उठ गए हों, लेकिन आज भी उनकी पहचान कांग्रेस नेता के तौर पर होती है। जब कांग्रेस लगातार संघ की आलोचना करती है तब मुखर्जी संघ का सम्मान बढ़ाने के लिए संघ के वार्षिक समारोह में भाग लेते हैं। हो सकता है कि संघ का सम्मान बढ़ाने की खातिर ही मुखर्जी को मोदी सरकार ने भारत रत्न से नवाजा हो। राजनीति में सब जायज है।
बाबा का मुद्दा:
योग गुरु और अरबों रुपए के कारोबारी बाबा रामदेव ने भी भारत रत्न को बांटने पर आपत्ति दर्ज करवाई है। बाबा ने सवाल किया है कि आखिर किसी संन्यासी को भारत रत्न कब मिलेगा? बाबा ने स्वयं का नाम तो नहीं गिनाया, लेकिन स्वामी दयानंद और विवेकानंद का नाम लेकर कहा कि किसी संन्यासी को भी भारत रत्न दिया जाना चाहिए। सब जानते हैं कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनवाने में बाबा रामदेव की भी भूमिका रही है। बाबा की भी इच्छा होगी कि उन्हें भी भारत रत्न मिले। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में घर-घर में योग के प्रति जागरुकता जगाने में बाबा रामदेव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन बाबा जिस तरह से कारोबारी हुए हैं उससे उनके समाजसेवा के कार्यों पर पानी फिर गया है। आज बाबा रामदेव का हर काम व्यावसायिक नजरिए से होता है। यही वजह है कि बड़े बड़े न्यूज चैनल और अखबार वाले बाबा के इशारे पर उछल कूद करते हैं। बाबा की पंतजलि फर्म आज सबसे ज्यादा विज्ञापन मीडिया को देती है। बाबा रामदेव भारत रत्न के तब हकदार होते जब योग और आयुर्वेद का व्यावसायिक करण नहीं होता।
एस.पी.मित्तल) (27-01-19)
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लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान के बेरोजगारों की मांगे पूरी कर कांग्रेस सरकार।



लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान के बेरोजगारों की मांगे पूरी कर कांग्रेस सरकार। विधानसभा चुनाव में किया था वायदा।
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राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट को एक ज्ञापन भेज कर कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले पहले राजस्थान के बेरोजगारों की मांगों को पूरा किया जाए। यादव ने इस ज्ञापन में गहलोत और पायलट को याद दिलाया है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बेरोजगारों के लिए अनेक वायदे किए थे। आज प्रदेश का बेरोजगार चाहता है कि लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे सभी वायदों को सरकार पूरा करें। वायदे के मुताबिक मांगे पूरी नहीं होने पर प्रदेश भर के बेरोजगार युवाओं में मायूसी और निराशा का माहौल है। यादव ने उम्मीद जताई कि गहलोत और पायलट युवाओं की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करेंगे। ज्ञापन में वायदे के मुताबिक प्रदेश के बेरोजगारों को 3 हजार 500 रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता, बेरोजगार बोर्ड का गठन, कम्प्यूटर शिक्षकों की भर्ती, प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले युवाओं का किराया माफ करने, भर्तियों का कलेंडर जारी करने प्रत्येक विभाग में रिक्त पदों पर प्रतिवर्ष भर्ती निकालने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में रीट की मेरिट के आधार पर चयनित करने राजस्थान की भर्तियों में बाहरी राज्यों का कोटा कम करने आदि की मांगों को शीघ्र पूरा किया जाए। 
एस.पी.मित्तल) (27-01-19)
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प्रियंका गांधी पर चाॅकलेटी चेहरे जैसी टिप्पणी उचित नहीं।



प्रियंका गांधी पर चाॅकलेटी चेहरे जैसी टिप्पणी उचित नहीं।
कांग्रेसियों की ऐसी ही टिप्पणियों को नरेन्द्र मोदी बनाते रहे हैं चुनावी मुद्दा।
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भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने प्रियंका गांधी के कांगे्रस का राष्ट्रीय महासचिव बनने पर अमर्यादित टिप्पणी की है। विजयवर्गीय का कहना था कि अब कांग्रेस को चाॅकलेटी चेहरे की भी जरूरत हो गई है। हालांकि बाद में विजयवर्गीय ने सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब सलमान खान जैसे चेहरों से था। विजयवर्गीय कई बार ऐसी टिप्पणियां कर चुके हैं, लेकिन भाजपा के नेताओं को महिलाओं खास कर प्रियंका गांधी के बारे में अमर्यादित टिप्पणियों से बचना चाहिए। कांग्रेस किस नेता को आगे बढ़ाती है यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है फिर प्रियंका गांधी राहुल गांधी की बहन है। क्या कोई बहन राजनीति में अपने भाई को सहयोग करने के लिए नहीं आ सकती? भाजपा के अधिकांश नेता अपने पुत्रों को राजनीति में ला रहे हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी के राजनीति में आने पर किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। भाजपा के नेताओं को यह समझना चाहिए कि कांग्रेस की ऐसी ही टिप्पणियांे को नरेन्द्र मोदी चुनावी मुद्दा बनाते रहे हैं। गुजरात चुनाव में जब मणिशंकर अय्यर ने मोदी को नीच किस्म का व्यक्ति कहा, तब मोदी पूरे चुनाव में इस टिप्पणी की चर्चा करते रहे। मोदी का कहना था कि नीच व्यक्ति मुझे नहीं बल्कि गुजरात की जनता को कहा गया। गुजरात के चुनाव परिणाम के बाद खुद कांग्रेस ने माना कि अय्यर की टिप्पणी से नुकसान हुआ। अय्यर ही नहीं शशिथरूर आदि की टिप्पणियों को मोदी ने चुनावी मुद्दा बनाया है। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस नेताओं की अमर्यादित टिप्पणियों को मोदी चुनाव में भुनाते है तो फिर राहुल गांधी अपनी बहन पर की गई टिप्पणी को लोकसभा चुनाव मुद्दा क्यों न बनाए? यह चाॅकलेटी चेहरे को कांग्रेस मुद्दा बनाती है तो भाजपा को नुकसान होगा। कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेताओं को यह भी समझना चाहिए कि हाल ही में तीन राज्यों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। एक राज्य मध्यप्रदेश तो विजयवर्गीय का अपना प्रदेश है। तीनों राज्यों के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को एक परिवार की पार्टी करार दिया, लेकिन फिर भी तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। जहां तक प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में आने का सवाल है तो इससे किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। प्रियंका हमेशा से ही पर्दे के पीछे से पहले मां सोनिया और बाद में भाई राहुल की राजनीति को आगे बढ़ाती रही हैं। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब कांग्रेस लगातार चुनाव हारती रही तो प्रियंका शांत बैठी रही, लेकिन तीन राज्यों में जीत के बाद प्रियंका को भी लगा कि अब कांग्रेस फिर से सत्ता में आ सकती है तो प्रिंयका ने सक्रिय राजनीति में आने में देर नहीं लगाई। प्रियंका को भी पता है कि 2019 के चुनाव में यदि कांग्रेस को मजबूत नहीं हुई तो फिर भविष्य में कांग्रेस का मजबूत होना मुश्किल है।
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बहुत मायने रखता है महजबीन का अशोक चक्र पुरस्कार लेना। आतंकवादियों की गोलियों से शहीद हुए थे लांस नायक नजीर अहमद।

बहुत मायने रखता है महजबीन का अशोक चक्र पुरस्कार लेना। आतंकवादियों की गोलियों से शहीद हुए थे लांस नायक नजीर अहमद। 
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26 जनवरी को  भारत के 70 वें गणतंत्र दिवस समारोह की शुरूआत शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी की पत्नी महजबीन को अशोक चक्र पुरस्कार देकर हुई। अशोक चक्र भारतीय सेना का सर्वोच्च पुरस्कार है। दिल्ली के राजपथ पर जब देश के प्रमुख लोग उपस्थित थे तब श्रीमती महजबीन का नाम पुकारा गया। अपने पति के शहीद होने का गम तो चेहरे पर साफ था, लेकिन देश का सर्वोच्च पुरस्कार मिलने का गर्व भी था। अफ्रीका के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री आदि की उपस्थिति में राजपथ के ऐतिहासिक गणतंत्र दिवस के समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महजबीन को अशोक चक्र से सम्मानित किया। यह लम्हा अपने आपमें वाकई गौरवान्वित करने वाला था। हालांकि किसी भी सैनिक का शहीद होना दर्द भरा होता है, लेकिन जब उसकी शाहदत को इतना सम्मान मिलता है तो फिर देशभक्ति का जज्बा बढ़ता ही है। महजबीन के पुरस्कार ग्रहण करने के बाद ही समारोह की शुरूआत हुई। राजपथ पर अकेले मेहजबीन को ही अशोक चक्र सम्मान से नवाजा गया। महजबीन का यह पुरस्कार ग्रहण करना कई मायने में महत्वपूर्ण है। महजबीन के पति नजीर अहमद वानी सेना में भर्ती होने से पहले कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में लिप्त थे। लेकिन कश्मीर की आजादी के नाम पर आतंकियों की करतूतों को देखने के बाद नजीर वानी ने आतंक का रास्ता छोड़ दिया और अपने देश की हिफाजत के लिए सेना में भर्ती हो गए। शाहदत के समय नजीर वानी सेना की जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैट्री में लांस नायक के पद पर तैनात थे। आतंकियों ने जब सेना पर हमला किया तो सबक सिखाने के लिए नजीर ही सबसे आगे आए। नजीर ने एक आतंकी को मौत के घाट उतार दिया। नजीर दूसरे आतंकी को भी मार देते, लेकिन तब तक उनके शरीर में कई गोलियां धंस चुकी थी। हालांकि ईलाज के लिए नजीर को अस्पताल लाया गया, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। सैन्य अधिकारियों का मानना रहा कि नजीर ने जिस बहादुरी से आतंकियों का मुकाबला किया, वह देश के लिए गर्व की बात है। नजीर की बहादुरी को देखते हुए ही सरकार ने मरणोपरांत नजीर को सेना का सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र देने का फैसला किया। नजीर की शाहदत ने यह संदेश भी दिया है कि कश्मीर के युवा जो गुमराह होकर आतंकी गतिविधियों में लिप्त है, उन्हें अब अपने देश की हिफाजत करनी चाहिए। नजीर ने सही मायने में देशभक्ति का परिचय दिया है। नजीर ने जिस बहादुरी से आतंकियों का मुकाबला किया, उतने ही बड़े फैसले से सरकार ने अशोक चक्र से नवाजा है। महजबीन के गम को तो दूर नहीं किया जा सकता, लेकिन उनके पति नजीर ने देश के युवाओं में खासकर कश्मीरियों के सामने देशभक्ति का एक सबक प्रस्तुत किया है। 


एस.पी.मित्तल) (26-01-19)
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पहले कार्यकाल के अंतिम गणतंत्र दिवस समारोह को यादगार बनाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

पहले कार्यकाल के अंतिम गणतंत्र दिवस समारोह को यादगार बनाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल गांधी भी दिखे वीआईपी दीर्घा में। 
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नरेन्द्र मोदी के पहले प्रधानमंत्री कार्यकाल का 26 जनवरी को अंतिम गणतंत्र दिवस समारोह रहा। इस समारोह को भी यादगार बनाए रखने में मोदी ने 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर कोई कसर नहीं छोड़ी। चूंकि गणतंत्र दिवस पर स्वतंत्रता दिवस की तरह भाषण नहीं होता, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ही अंदाज में उपस्थिति दर्ज करवाई। समारोह का मुख्य अतिथि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को बनाया गया। समारोह में राज्यों की झांकियां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हुई थीं। यानि अपने जीवनकाल में महात्मा गांधी जिस-जिस राज्य में गए, उसी के अनुरूप झांकी तैयार की गई। यह पहला अवसर रहा जब गणतंत्र दिवस के समारोह में महात्मा गांधी को इतना महत्व दिया गया। समारोह के समाप्त होने पर मोदी राजपथ पर पैदल चले। मोदी हमेशा ही ऐसा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इस बार पहले कार्यकाल का अंतिम समारोह था इसलिए पैदल चलने पर मीडिया का खासकर टीवी चैनल वालों का संशय था, लेकिन मोदी न केवल पूरे आत्मविश्वास से पैदल चले बल्कि गत वर्षों के मुकाबले में ज्यादा दूर तक चले। जिस राजपथ पर थोड़ी देर पहले झांकियां गुजर रही थी या सेना के जवान करतब दिखा रहे थे उसी राजपथ पर मोदी पैदल  चलकर लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। हालांकि सुरक्षाकर्मी परेशान थे, लेकिन मोदी ने लोगों के सामने अपनी झांकी प्रदर्शित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राजपथ पर दोनों ओर बैठे लोग चाहते थे कि मोदी उनके पास आएं, इसलिए मोदी कभी दाएं तो कभी बाएं चल रहे थे। मोदी ने साफ संकेत लिए कि भले ही इस गणतंत्र दिवस समारोह को उनके लिए अंतिम माना जा रहा हो, लेकिन राजपथ पर पैदल चलने का उनका सिलसिला इसी तरह आगे भी जारी रहेगा। राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड देखने आए हजारों लोगों में मोदी के प्रति भारी उत्साह देखा गया। 2019 के स्वतंत्रता दिवस समारोह पर मोदी का लाल किले से भाषण और 2012 के गणतंत्र दिवस में मोदी राजपथ पर पैदल चलते हैं या नहीं, यह मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के परिणाम बता देंगे। अलबत्ता प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के समारोह में वीआईपी दर्शक दीर्घा में बैठे नजर आएं राहुल ने कई बार खड़े होकर जाबांज जवानों की हौंसला अफजाई भी की। तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बनने से राहुल गांधी कुछ ज्यादा ही उत्साहित नजर आ रहे थे। 
एस.पी.मित्तल) (26-01-19)
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व्यक्तिगत द्वेषता से झूठे आरोप लगा रही है पूर्व मंत्री नसीम अख्तर।

व्यक्तिगत द्वेषता से झूठे आरोप लगा रही है  पूर्व मंत्री नसीम अख्तर। अब कुन्दन सिंह रावत का पलटवार।
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कांग्रेस सेवादल के प्रदेश संगठक कुन्दन सिंह रावत ने 26 जनवरी  को एक बयान जारी किया है। इस बयान में रावत ने पूर्व मंत्री और हाल ही के विधानसभा चुनाव में पुष्कर से कांग्रेस की उम्मीदवार रही श्रीमती नसीम अख्तर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि श्रीमती अख्तर ने सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी भाई देसाई को लिखित में शिकायत की है। इस शिकायत में कुन्दन सिंह रावत पर पार्टी विरोधी काम करने का आरोप लगाया गया है। देसाई को कुन्दन सिंह का एक आॅडियो टेप दिया है, जिसमें नसीम अख्तर के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इस सम्बन्ध में रावत का कहना है कि उन्होंने चुनाव के दौरान श्रीमती अख्तर के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया और न ही कांग्रेस के खिलाफ भीतरघात की। उन्होंने कहा कि श्रीमती अख्तर उनसे व्यक्तिगत द्वेषता रखती है इसलिए झूठे आरोप लगा रही है। श्रीमती अख्तर जब स्वयं चुनाव लड़ती है तो उन्हें कार्यकर्ताओं की याद आती है और जब चुनाव हार जाती है तो फिर कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोप लगाती है। वर्ष 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में उत्तर क्षेत्र से श्रीमती अख्तर ने पार्टी विरोधी कार्य किया। उन्होंने कहा कि श्रीमती अख्तर मेरी छवि खराब कर रही है। मैंने विधानसभा के चुनाव में सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पारीक के चुनाव क्षेत्र मसूदा में तथा नसीराबाद और अजमेर उत्तर में सक्रियता के साथ काम किया। चूंकि श्रीमती अख्तर ने मुझे पुष्कर में कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी इसलिए मैंने अन्य विधानसभा क्षेत्रों में कार्य किया। जहां तक आॅडियो टेप का सवाल है तो उसमें मेरी आवाज नहीं है। मैं किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हूं। श्रीमती अख्तर ने मेरे विरूद्व जो शिकायत की है उस सन्दर्भ में मैं पार्टी के समक्ष अपना जवाब प्रस्तुत कर रहा हूं। मैंने हमेशा सेवादल और कांग्रेस संगठन को मजबूत करने का काम किया है। मैं पिछले 20 वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय हूं। जहां तक पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत का भाई होने का सवाल है तो इसमें कोई गुनाह नहीं है। ऐसे बहुत से परिवार है, जिनके सदस्य अलग-अलग दलों में सक्रिय है। श्रीमती अख्तर यदि मुझे चुनाव के दौरान पुष्कर में कोई दायित्व सौंपती तो मैं पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूरा करता। मैंने इस सम्बन्ध में प्रदेश अध्यक्ष और विधायक राकेश पारीक को भी जानकारी दे दी है। 
हाईकोर्ट से नोटिस:
श्रीमती अख्तर ने पुष्कर विधानसभा चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में जो याचिका प्रस्तुत की, उसमें विजयी उम्मीदवार सुरेश सिंह रावत और निर्वाचन अधिकारी को नोटिस जारी हो चुके हैं। याचिका में रावत पर भ्रष्ट आचरण अपनाकर चुनाव जीतने का आरोप लगाया गया है। याचिका में कुन्दन सिंह रावत के आॅडियो का भी उल्लेख किया गया है। 
एस.पी.मित्तल) (26-01-19)
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Thursday 24 January 2019

डाॅ दीपक भाकर की सक्रियता ने अजमेर के भाजपा नेताओं को चैंकाया।

डाॅ दीपक भाकर की सक्रियता ने अजमेर के भाजपा नेताओं को चैंकाया। लोकसभा चुनाव में दावेदारी ।
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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ दीपक भाकर की अजमेर में राजनीति सक्रियता ने भाजपा के नेताओं को चैंका दिया है। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए देहात जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत, पूर्व जिला पुखराज पहाड़िया, पूर्व विधायक भागीरथ च ौधरी आदि तो लाइन में लगे हुए है, लेकिन दीपक भाकर एक मात्र ऐसे दावेदार हैं जिन्होंने चुनाव प्रभार भी शुरू कर दिया है। आॅटो रिक्शा से लेकर प्रमुख चैराहों पर बड़े हार्डिंग लगाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा आगे रखकर डाॅ भाकर भाजपा का धुआंधार प्रचार कर रहे हैं। अजमेर से अपनी उम्मीदवारी के लिए डाॅ भाकर भाजपा संसदीय बोर्ड के अधिकांश नेताओं से मिल चुके हैं। संघ पृष्ठ भूमि के माने जाने वाले डाॅ भाकर अजमेर के जेएलएन मेडिकल काॅलेज में ही पढ़े हैं और इन दिनों प्रवक्ता की हैसियत से टीवी चैनलों पर भाजपा का पक्ष मजबूती के साथ रखते है। जाट समुदाय का होने के कारण डाॅ भाकर को लगता है कि अजमेर से आसानी से जीत हो जाएगी। वैसे भी भाजपा के लिए अजमेर को सुरक्षित माना जा रहा है। हाल ही के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर भाजपा की जीत हुई है। डाॅ भाकर भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से लगातार सम्पर्क में हैं। डाॅ भाकर को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का संरक्षण भी माना जाता है। बड़े नेताओं के इशारे पर ही डाॅ भाकर अजमेर में सार्वजनिक तौर पर सक्रिय हुए हैं। 
लम्बी लाईन:
इस बार अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा में दावेदारों की लम्बी लाइन हैं। विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी रहे विकास च ौधरी और पूर्व विधायक भागीरथ च ौधरी भी मजबूती के  साथ दावेदारी जता रहे है। पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिया को उम्मीद है कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर की मदद से टिकिट मिल ही जाएगा। भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत को स्वयं को पार्टी का कर्मठ कार्यकर्ता मानते हैं। सारस्वत पिछले पांच वर्ष से जिलाध्यक्ष के पद पर हैं और उन्हें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है। वैश्य समुदाय की दुहाई देकर अजमेर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. शिवशंकर हेड़ा भी दावेदारी जता रहे हैं। ओबीसी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना भी पीछे नहीं है। गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले भडाना का कहना है कि अजमेर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के प्रभाव को वे ही तोड़ सकते हैं। पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना, युवा नेता सुभाष काबरा, केकड़ी के पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम आदि भी दावेदारी जता रहे है।
पलाड़ा राजसमंद की ओर:
हालांकि वरिष्ठ नेता भंवर सिंह पलाड़ा पूर्व में अजमेर से ही दावेदारी जता रहे थे, लेकिन जातीय समीकरणों को देखते हुए पलाड़ा अब राजसमंद संसदीय क्षेत्र पर नजर लगाए हुए हैं। पलाड़ा का मानना है कि अजमेर के मुकाबले में राजसमंद में जीत आसान होगी। राजसमंद को राजपूत बहुल्य माना जाता है। राजसमंद संसदीय क्षेत्र में ही अजमेर जिले का ब्यावर आता है। इसी प्रकार नागौर जिले के भी दो बड़े विधानसभा क्षेत्र आते हैं। चूंकि पलाडा पूर्व में नागौर में सक्रिय रहे, इसलिए पलाड़ा के समर्थकों का मानना है कि पलाड़ा की जीत आसान है। राजसमंद में पलाड़ा का कारोबार भी है। 
एस.पी.मित्तल) (24-01-19)
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अनंता रिसोर्ट की ओर से जरुरतमंदों को वस्त्रों का वितरण

अनंता रिसोर्ट की ओर से जरुरतमंदों को वस्त्रों का वितरण
चिड़िया एवम गिलहरी के चुग्गा पॉट का निःशुल्क वितरण कर रहे जैन दंपति
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सामाजिक सरोकारों में अपनी भूमिका निभाते हुए पुष्कर स्थित अनंता रिसोर्ट ने सामाजिक संस्था अपना अजमेर तथा सेवा भारती समिति के संयुक्त तत्वावधान में 23 जनवरी को जयपुर रोड स्थित भुणाबाय क्षेत्र में जरूरतमंद परिवारों को हजारों की संख्या में वस्त्र निरूशुल्क वितरित किए। इसमें पेन्ट, शर्ट, साड़ी, ब्लाउज, गर्म कपड़ों के अंतर्गत कोट, जर्सी, ओवरकोट अन्य सामग्री शामिल रही। भुणाबाय में आयोजित एक समारोह में होटल अनंता रिसोर्ट में कार्यरत कमचारियों के नियमित ड्रेस एवं गर्म कपड़ों से भरे ट्रक की सामग्री को स्थानीय जरूरतमंद परिवारों को वितरित किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के हनुमान प्रसाद राठौड संस्था के महाप्रबंधक विवेक चुघ, जनसंपर्क अधिकारी पीएस राठौड़, सीएसओ नरेन्द्र सिंह, रघुवीर यादव, नदीम, धर्मेन्द्र राणा उपस्थित रहे। अपना अजमेर संस्था के कंवल प्रकाश किशनानी, वनिता जैमन तथा सेवा भारती समिति की ओर से मोहन खंडेलवाल, मोहन यादव, भुवनेश मिश्रा, हरदेव रावत एवं विकास पाराशर ने अपनी सेवाएं प्रदान की।  महाप्रबंधक विवेक चुघ ने इस अवसर पर कहा कि होटल अनंता रिसोर्ट अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सदैव समर्पित रहा है। इसी कड़ी में संस्थान की ओर से अलग-अलग कार्यक्रमों के अंतर्गत समाज के साथ जुडऩे के साथ सेवा के प्रयास किए जाते है। सामाजिक सरोकारों में प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी जरूरतमंद परिवारों को भारी संख्या में वस्त्र वितरित किए गए है। अपना अजमेर के कंवलप्रकाश किशनानी, विनीत लोहिया ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अन्य संस्थाओं से अपील की है कि इस तरह के सरोकारों में अपनी भूमिका निभाए।
चिड़िया एवम गिलहरी के चुग्गा पॉट का निःशुल्क वितरण कर रहे जैन दंपतिः
पक्षियों के चुग्गे देने का इंतज़ाम घर पर ही कर सकते है। साथ ही पक्षियों के जानवरों द्वारा शिकार किए जाने की आशंका भी नहीं रहेगी। बैंक ऑफ बड़ौदा से सेवानिवृत्त अशोक जैन ने इस चुग्गा पात्र को घरेलू अनुपयोगी सामग्री से मामूली लागत से घर पर ही बनाने की विधि भी बताई। साथ ही लगाने एवं उपयोग लेने के बारे में जानकारी दी । इनमें एक बार अनाज भरने के बाद जरूरत के हिसाब से निकलता जाएगा । रोज रोज अनाज डालने एवम फैलने का झंझट नही रहेगा । जिससे अनाज खराब नही होगा । इस पात्र में चिड़ियों के बैठने के लिए भी व्यवस्था की गई है । ये चुग्गा पात्र घर पर ही तैयार करते है । इस कार्य मे उनकी पत्नी श्रीमती प्रेमलता जैन भरपूर सहयोग करती है । बोतले एकत्रित करना, गंदी हो तो धोकर साफ करना, नीचे प्लेट लगाना, स्क्रू लगाकर जोड़ना फिर ढक्कन के ऊपर बांधने के लिए लगाना । जैन दंपति का कहना है कि जीवो के प्रति सभी मे दया भाव रहता है । इसलिए हर व्यक्ति इसे अपने घर, पेड़, कार्यालय , कार्यक्षेत्र में लगा सकते है । अब तक 3000 से ज्यादा चुग्गा पात्र वितरित कर चुके है । अभी भी लायंस क्लब के पदाधिकारी लायन राजेन्द्र गांधी व लायन आभा गांधी के साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रो, कॉलोनियों, गार्डन आदि में शिविर लगाकर सभी व्यक्तियों एवम क्षेत्रवासियों को ये पात्र वितरित किये जा रहे है । उनको इसे बनाने की विधि भी शेयर करते है ताकि घर पर ही तैयार कर सके । जिसे भी जरुरत हो वे अशोक जैन ( 9414355830) लायन राजेन्द्र गांधी ( 9352005517) पर सम्पर्क कर सकते है ।
एस.पी.मित्तल) (24-01-19)
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प्रसारण बंद होने से केबल उपभोक्ता परेशान।



प्रसारण बंद होने से केबल उपभोक्ता परेशान।
आॅपरेटरों ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप।
लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा खामियाजा।
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24 जनवरी को अजमेर राजस्थान सहित देश के 11 राज्यों में केबल नेटवर्क पर टीवी चैनलों का प्रसारण नहीं हो सका। केन्द्र की भाजपा सरकार की नीतियों के विरोध में केबल आॅपरेटरों ने हड़ताल रखी। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी हुई जिससे घरों और प्रतिष्ठानों में केबल तकनीक से टीवी पर प्रसारण होता है। अलबत्ता टाटा स्काई, जीओ, आदि के डीटीएच कनेक्शन वालों का प्रसारण जारी रहा। अजमेर में केबल आॅपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष सोहनलाल शर्मा और सचिव अजय कपूर ने बताया कि ट्राई ने एक फरवरी से जो टेरिफ लागू किया है उससे उपभोक्ताओं को केबल शुल्क ज्यादा देना पड़ेगा। वर्तमान में हम उपभोक्ताओं को मात्र दो सौ रुपए प्रतिमाह में प्रसारण उपलब्ध करवा रहे हैं, जबकि नई नीतियों में फ्री चैनल्स को देखने के लिए भी 154 रुपए की राशि देनी होगी। इसके बाद सोनी, जी, स्टार जैसे चैनल्स का शुल्क भ्ज्ञी देना होगा। सरकार ने बडी डीटीएच कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नीति बनाई है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं का ख्याल नहीं रखा गया है। देश में केबल कारोबार से लाखों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। यदि बड़ी कंपनियांें की वजह से केबल कारोबार ठप होता है तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार ने सिनेमा के मुकाबले केबल पर जीएसटी भी ज्यादा निर्धारित किया है। सिनेमा पर मात्र पांच प्रतिशत, जबकि केबल पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। एक ओर देश में टीवी का महत्व बढ़ा है, तब सरकार ने टीवी देखने पर शुल्क बढ़ा दिया है। उन्होंने माना कि 24 जनवरी को प्रसारण बंद होने से उपभोक्ताओं को परेशानी हुई, लेकिन यह लडाई उपभोक्ताओं के लिए ही लड़ी जा रही है। उपभोक्ताओं के मन में भी सरकार की इस नीति के प्रति नाराजगी है। जिसका खामियाजा सरकार को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। जिन उपभोक्ताओं के घरों में टाटा स्काई, जीओ जैसी बड़ी कंपनियों के कनेक्शन है उन्हें पता है कि ये कंपनियां कैसे चल रही है। उपभोक्ताओं को बेवजह चैनलों का शुल्क देना पड़ता है। एचडी चैनलों पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। कंपनियां अपनी मर्जी से शुल्क में वृद्धि कर  देती है। एक माह के बजाए तीन माह का शुल्क जबरन वसूला जाता है। जबकि केबल आॅपरेटर अपने उपभोक्ता की हर परेशानी का ख्याल रखता है। कंपनियां एडवांस शुल्क वसूलती है, जबकि आॅपरेटर एक दो माह तक प्रसारण दिखाने के बाद शुल्क लेता है। कई बार तो कई माह का शुल्क डूब जाती है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे उ पभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9251031003 पर सोहन लाल शर्मा तथा 8114425101 पर अजय कपूर से ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (24-01-19)
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अजमेर डेयरी के अध्यक्ष च ौधरी के प्रयासों से मिला राजस्थान के दुग्ध उत्पादकों को दो रुपए प्रति लीटर का अनुदान।

अजमेर डेयरी के अध्यक्ष च ौधरी के प्रयासों से मिला राजस्थान के दुग्ध उत्पादकों को दो रुपए प्रति लीटर का अनुदान। नेशनल मिल्क ग्रीड की मांग भी।
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सीएम अशोक गहलोत ने 23 जनवरी को विधानसभा में राजस्थान दुग्ध उत्पादकों को प्रति लीटर दो रुपए अनुदान देने की घोषणा की है। यानि जो पशु पालक राजस्थान को-आॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन से जुड़ी दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में दूध देगा, उसे सरकार की ओर से प्रति लीटर दो रुपए का अनुदान मिलेगा। सीएम गहलोत की यह घोषणा प्रदेश के पशु पालकों को राहत देने वाली है क्योंकि पशु पालकों को रोजाना 60 लाख रुपए का अनुदान मिल सकेगा। प्रदेश के पशु पालकों को इतनी बड़ी राहत दिलवाने में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी के सतत प्रयास रहे हैं। च ौधरी के प्रयासों से ही कांग्रेस के गत शासन में पशुपालकों को अनुदान मिला था, लेकिन वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अनुदान को बंद कर दिया। हालांकि च ौधरी ने भाजपा के शासन में भी अनुदान की मांग लगातार की, लेकिन च ौधरी को सफलता नहीं मिली। च ौधरी का मानना है कि गुजरात की एक डेयरी को फायदा पहुंचाने के लिए भाजजा सरकार ने राजस्थान के पशु पालकों के साथ अन्याय किया। लेकिन अशोक गहलोत के फिर से सीएम बनते ही च ौधरी ने अनुदान की मांग की। च ौधरी ने इस बात पर खुशी जताई कि सीएम गहलोत ने प्रदेश के पशुपालकों की परेशानियों को देखते हुए राहत प्रदान की है। अब अधिकांश पशुपालक निजी डेयरियों के चंगुल से बाहर निकलेंगे। उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में पशुपालकों को पशु पालना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत और चारा महंगा होने की वजह से दुग्ध की लागत लगातार बढ़ रही है। लेकिन अब सरकारी मदद से पशुपाल को संभल मिलेगा। अकेले अजमेर जिले में  डेयरी के माध्यम से पशुपालकों को प्रतिवर्ष 26 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। जिले में प्रति वर्ष 13 करोड़ लीटर दुग्ध का संग्रहण होता है। च ौधरी की इस सफलता के लिए मोबाइल नम्बकर 9414004111 पर बधाई दी जा सकती है। 
नेशनल मिल्क ग्रीड की मांग:
च ौधरी ने भारत सरकार से मांग की है कि देशभर के पशुपालकों के लिए नेशनल मिल्क ग्रीड की स्थापना की जाए, ताकि पशुपालकों को दुग्ध का समर्थन मूल्य मिल सके। जिस प्रकार सरकार किसानों को कृषि जींसों पर समर्थन मूल्य देती है, उसी प्रकार पशुपालकों का दुग्ध भी समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए। दुग्ध व्यवसाय पूरी तरह कृषि पर आधारित है, लेकिन सरकार ने पशुपालकों के साथ भेदभाव कर रखा है। जबकि कृषि के क्षेत्र में पशुपालक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश में नेशनल मिल्क ग्रीड  की स्थापना हो इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी एक ज्ञापन भेजा जा रहा है।
सांसद के दावेदार:
डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी अजमेर संसदीय क्षेत्र से कांगे्रस उम्मीदवार के दावेदार भी हैं। च ौधरी पिछले 25 वर्षों से डेयरी के अध्यक्ष है। डेयरी के नेटवर्क की वजह से जिलेभर में च ौधरी की मजबूत पकड़ है। संसदीय क्षेत्र में तीन लाख से भी ज्यादा जाट मतदाता माने जाते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सांवरलाल जाट ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस में भी इस जाट समुदाय से उम्मीदवार बनाए जाने की मांग हो रही है।
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Wednesday 23 January 2019

ख्वाजा साहब की दरगाह में हो रहे सकारात्मक कार्यों पर खादिमों ने मुहर लगाई।

ख्वाजा साहब की दरगाह में हो रहे सकारात्मक कार्यों पर खादिमों ने मुहर लगाई।
अंजुमन के चुनाव में वाहिद हुसैन की टीम जीत की ओर।
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विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थिति दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के चुनावों की मतगणना अब अंतिम दौर में हैं। पिछले तीन दिन से मतगणना का दौर चल रहा है। 23 जनवरी की रात तक मतगणना का काम पूरा हो जाएगा। अंतिम दौर की मतगणना से जाहिर है कि हाजी वाहिद हुसैन अंगारा शाह की टीम जीत जाएगी। वर्तमान समय में भी वाहिद की टीम ही अंजुमन पर काबिज है। यह लगातार तीसरा अवसर होगा, जब वाहिद की टीम अंजुमन पर काबिज होने जा रही है। हालांकि इस बार अंजुमन के पूर्व सचिव सरवर चिश्ती की टीम ने वाहिद को कड़ी टक्कर दी थी। चुनाव के शुरुआत में ही कई गंभीर मुद्दे उठाए। सरवर चिश्ती को उम्मीद थी कि इन मुद्दों को उठाने से खादिम समुदाय आकर्षित होगा, लेकिन प्रतीत होता है कि वाहिद की टीम ने जो निर्णय लिए उन्हें खादिम समुदाय ने सकारात्मक माना। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन को दो करोड़ रुपए सालाना नजराना देना तथा मजार शरीफ पर पेश होने वाले गुलाब के फूलों से खाद बनाना था। सब जानते हंै कि केन्द्र सरकार के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी और वेदांता समूह के बीच फूलों से खाद बनाने का समझौता हुआ था। इस समझौते पर अंजुमन के सचिव की हैसियत से वाहिद हुसैन ने सहमति दी थी। तब वाहिद का कहना रहा कि ख्वाजा साहब की मजार से उतरे फूलों का सदुपयोग हो रहा है। यह कहा गया कि फूलों की खाद के पैकेट जायरीन को ही दिए जाएंगे, ताकि घरों में रखे गमलों में इस्तेमाल हो सके। वाहिद की पहल पर कई दिनों तक मजार शरीफ के फूल दरगाह कमेटी को दिए गए, लेकिन बाद में कुछ खादिमों के विरोध के चलते फूल उपलब्ध नहीं करवाए गए। मालूम हो कि मजार पर हजारों किलो फूल प्रतिदिन पेश होता है। इसी प्रकार जब सुप्रीम कोर्ट ने दरगाह में आने वाले नजराने में से आधा दीवान आबेदीन को देने के आदेश दिए तो वाहिद हुसैन की टीम ने अदालत के बाहर समझौता कर लिया। नजराने का बंटवारा करने के बजाए दीवान को प्रतिवर्ष दो करोड़ देने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही वाहिद ने अपने कार्यकाल में खादिमों के परिवारों की भलाई के भी अनेक निर्णय लिया। वाहिद ने अपने दो बार के कार्यकाल  में खादिमों के हितों और दरगाह के विकास के लिए जो सकारात्मक पहल की उसी पर खादिमों ने मुहर लगाई है। लगातार तीसरी अंजुमन पर काबिज होना मायने रखता है। आमतौर पर वाहिद हुसैन को सकारात्मक सोच का नेता माना जाता है। वाहिद की टीम पूर्व में भी अंजुमन पर काबिज रह चुकी है। लगातार तीसरी बार जीत पर वाहिद का कहना है कि वे सभी को साथ लेकर चलते हैं। उनका प्रयास रहता है कि ख्वाजा साहब के प्यार मोहब्बत का जो पैगाम दिया, वह देश-दुनिया में पहुंचे। उन्होंने कहा कि दरगाह में आने वाले जायरीन की सहूलियतों के लिए उनके प्रयास जारी रहेंगे। वाहिद की इस उपलब्धि पर मोबाइल नम्बर 9828053741 पर मुबारकबाद दी जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (23-01-19)
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भारत की बदनामी कर नरेन्द्र मोदी को हटाने का प्रयास।

भारत की बदनामी कर नरेन्द्र मोदी को हटाने का प्रयास।
हैकर सैय्यद शुजा के साथ अमरीका में कपिल सिब्बल ने प्रेस काॅन्फ्रेंस की।
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भारत में लोकतंत्र है और भारत में रह कर देश विरोधी भावना रखने वाले भी वोट दे सकते हैं। ऐसे में चुनाव में किसी नेता और राजनीतिक दल को हराना आसान होता है। लोकतंत्र के इतने बिगड़े स्वरूप के बाद भी चुनाव जीतने के लिए यदि देश की बदनामी की जाए तो कई सवाल उठते हैं। मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। चूंकि लोकतंत्र है इसलिए सारे तौर तरीके जायज माने जा रहे हैं। इसी कड़ी में तथा कथित भारतीय साइबर एक्सपर्ट सैय्यद शुजा का बयान सामने आया है। शुजा का दावा है कि 2014 के चुनाव में भाजपा के एक नेता ने ईवीएम मशीन हैक करवाई थी। यानि भाजपा हैकिंग कर चुनाव जीत थी। शुजा ने अमरीका में जब प्रेस काॅन्फ्रेंस की तब कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल भी मौजूद थे। समझ में नहीं आता कि विदेशी जमीन पर भारत की बदनामी करने में नेताओं को क्या मजा आता है। जहां तक शुजा के दावों का सवाल है तो एबीपी न्यूज की पड़ताल में सभी दावे झूठे पाए गए हैं। ईवीएम बनाने वाली कंपनी ईसीआईएल ने साफ कहा है कि सैय्यद शुजा नाम का कोई व्यक्ति कंपनी का कर्मचारी नहीं रहा और न ही हैदराबाद के किसी गेस्ट हाउस में शुजा की टीम के 11 लोगों की हत्या हुई। शुजा का कहना था कि हत्या के डर की वजह से अमरीका में आकर बस गया था। हालांकि अब भारतीय चुनाव आयोग ने शुजा के खिलाफ दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज करवा दी है, लेकिन सवाल उठता है कि शुजा को आगे रखकर भारत की बदनामी कौन कर रहा है? प्रेस काॅन्फ्रेंस में कपिल सिब्बल की मौजूदगी साफ संकेत दे रही है। यह वे ही सिब्बल है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर कहा कि राम मंदिर के मुकदमंे की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद की जाए। सिब्बल ने जो कहा आज वो ही हो रहा है। सिब्बल ने अब ईवीएम हैकिंग का मामला उठाल दिया है। जबकि वर्तमान परिस्थितियों में यह कोई मुद्दा नहीं है। यह बात तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देश में कांग्रेस की सरकार थी दूसरा मई 2019 में होने वाले चुनाव में ईवीएम के साथ वीवीपेट की सुविधा होगी। यानि मतदाता देख सकेगा कि वोट सही दर्ज हुआ है या नहीं। ऐसे में ईवीएम पर सवाल उठाना बेमानी है। इसी ईवीएम से कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की है। क्या लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के चेहरे से विपक्ष को डर लग रहा है इसलिए शुजा को आगे किया जा रहा है? अब सैयद शुजा की गतिविधियों की भी जांच होनी चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (23-01-19)
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तो कांग्रेस ने तरकश का आखिरी तीर भी चला दिया।



तो कांग्रेस ने तरकश का आखिरी तीर भी चला दिया।
प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया।
अखिलेश और मायावती को भी चुनौती।
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हाल ही में तीन राज्यों में जीत से उत्साहित कांग्रेस ने 23 जनवरी को अपने तरकश में रखा आखिरी तीर भी चला दिया है। अब प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव होंगी और लोकसभा चुनाव में पूर्वी यूपी के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर, अमेठी, बनारस, कुशीनगर, रायबरेली, देवरिया, बलिया, आदि में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। असल में गांधी परिवार में प्रियंका गांधी ही सक्रिय राजनीति से बची हुई थी। प्रियंका को राजनीति में लाने की मांग लम्बे अर्से से हो रही थी, लेकिन प्रियंका ने हर बार इंकार कर दिया। चूंकि कांगे्रस ने हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज की है, इसलिए गांधी परिवार की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी को लगता है कि मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा और नरेन्द्र मोदी को हराया जा सकता है। इसके लिए सोनिया गांधी कोई कसर नहीं  छोड़ना चाहतीं हैं। यही वजह रही कि 23 जनवरी को अपनी बेटी प्रियंका गांधी को भी सक्रिय राजनीति में उतार दिया। सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी पहले ही कांगे्रस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सोनिया गांधी का मानना है कि प्रियंका की सक्रियता से बेटे राहुल गांधी को तो मदद मिलेगी ही साथ ही पूरे देश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा। चूंकि केन्द्र में सरकार बनाने के लिए यूपी में जीत जरूरी है, इसलिए प्रियंका को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी दी गई है। प्रियंका को यूपी का प्रभार देकर कांग्रेस ने सपा के अखिलेश यादव और बसपा की सुप्रीमो मायावती को भी चमकाया है। मालूम हो कि दोनों ने आपसी समझौता कर यूपी में कांग्रेस को मात्र  दो सीटें दी हैं। लेकिन अब प्रियंका के नेतृत्व में कांगे्रस यूपी में अधिकांश सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। प्रियंका को मैदान में उतार कर सोनिया गांधी ने अखिलेश माया का काम बिगाड़ने का भी कार्य किया है। प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने से देशभर के कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साहित हैं क्योंकि प्रियंका में श्रीमती इंदिरा गांधी की छवि देखी जाती है। लोकसभा के परिणाम बताएंगे कि प्रियंका गांधी की वजह से कांग्रेस को कितना फायदा हुआ। अलबत्ता भाजपा का कहना है कि बेटे राहुल गांधी के फेल हो जाने के बाद सोनिया गांधी ने बेटी प्रियंका को राजनीति में घसीटा है। वहीं राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के इस फैसले से भाजपा घबरा गई है। मुझे अपनी बहन की कर्मठता और मेहनत पर गर्व है। इसके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी महासचिव बना कर पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया गया है, जबकि केसी वेणुगोपाल को अशोक गहलोत की जगह संगठन महासचिव नियुक्त किया है। गहलोत अब राजस्थान के सीएम बन चुके हैं।
एस.पी.मित्तल) (23-01-19)
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कांग्रेस सरकार राजनीतिक द्वेषता से काम कर रही है। पुष्कर पालिका अध्यक्ष पाठक का आरोप। जेसवानी ने संभाला ईओ का पद।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने आरोप लगाया है कि राज्य की कांग्रेस सरकार राजनीति द्वेषता से काम कर रही है। यही वजह है कि पुष्कर नगर पालिका का काम काज ठप होने की स्थिति में है। पाठक ने कहा कि पालिका में कर्मचारियों के 62 पद स्वीकृत है, लेकिन नियुक्ति 17 कर्मचारियों की है। एक दिन पहले ही छह संविदा कर्मियों को भी हटा दिया गया। अब पालिका का सामान्य कामकाज भी मुश्किल हो रहा है। पुष्कर का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व है और यहां श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेश पर्यटक भी आते हैं। पर्यटकों और श्रद्धालुओं को सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकार ने यदि कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की तो आने वाले दिनों में सभी को परेशानी होगी। पाठक ने पालिका के ईओ विकास कुमावत को एपीओ किए जाने पर भी अफसोस जताया। पाठक ने कहा कि कुमावत पूरी निष्ठता के साथ अपना कार्य कर रहे थे। मालूम हो कि पालिका के पार्षदों पर पाठक का पूरा नियंत्रण है।
जेसवानी ने संभाला पद:
23 जनवरी को श्रीमती रेखा जेसवानी ने पुष्कर नगर पालिका के ईओ का पद संभाल लिया है। श्रीमती जेसवानी ब्यावर नगर परिषद से राजस्व अधिकारी के पद से स्थानांतरित होकर आई है। इससे पहले जेसवानी अजमेर नगर निगम में नियुक्त थी। ईओ का पद संभालने के बाद जेसवानी ने कहा कि वे सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता देंगी। पुष्कर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है इसलिए सफाई पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुष्कर आने वाले श्रद्धालुओं को भी सरोवर के घाटों पर सुविधाए उपलब्धि करवाई जााएगी। घाट पर गंदगी न हो इसके लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। 
एस.पी.मित्तल) (23-01-19)
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केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के चुनाव क्षेत्र में भी हार गई भाजपा। जिला परिषद में भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव खारिज। जयपुर शहर में भाजपा ने मेयर की कुर्सी भी गवाई।
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राजस्थान में नेतृत्व विहीन भाजपा को 23 जनवरी को लगातार दूसरे दिन तब एक और झटका लगा जब जिला परिषद में भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। यानि अब कांग्रेस के मूलचंद मीणा ही जयपुर के जिला प्रमुख बने रहेंगे। जिला परिषद के वार्ड जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में आते हैं और यहां से केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भाजपा के सांसद हैं। हाल ही के विधानसभा चुनाव में भी जयपुर ग्रामीण की दस सीटों में से भाजपा को मात्र दो सीटों पर सफलता मिली थी। यानि आठ सीटों पर राठौड़ के संसदीय क्षेत्र में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। मालूम हो कि राठौड़ दिल्ली में मोदी मंत्रीमंडल में सफलतम मंत्रियों में गिने जाते हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि राठौड़ अपने निर्वाचन क्षेत्र में लगातार हार का सामना कर रहे हैं।  ऐसे में सवाल उठता है कि मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में राठौड़ स्वयं अपने क्षेत्र से कैसे जीत पाएंगे। देखा जाए तो जि ला परिषद में जिला प्रमुख के चुनाव में भी भाजपा संगठन पूरी तरह बिखरा हुआ दिखा। विधानसभा चुनाव से पहले जिला प्रमुख मूलचंद मीणा पाला बदल कर कांग्रेस में शामिल हो गए। चूंकि जिला परिषद मेें भाजपा के 27 सदस्य है इसलिए यह माना जा रहा था कि भाजपा की ओर से जिला प्रमुख मीणा के खिलाफ रखा गया अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो जाएगा। जिला परिषद में कांग्रेस के 22 सदस्य ही है। लेकिन 23 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में भाजपा के 27 सदस्य भी नहीं आए। ऐसे में जिला प्रमुख के खिलाफ रखा गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। जानकारों की माने तो अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा की ओर से कोई तैयारी नहीं थी। क्षेत्रीय सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी कोई योजना नहीं बनाई। यही वजह रही कि भाजपा के सदस्यों में बिखराव हो गया। भाजपा के लिए लगातार दूसरा दिन रहा जब राजनीतिक झटका मिला है। 22 जनवरी को जयपुर नगर निगम में मेयर के पद पर भाजपा का उम्मीदवार पराजित हो गया। बागी उम्मीदवार विष्णु लाटा ने 23 जनवरी को मेयर का पदभार संभाल लिया। लाटा को मेयर बनाने में कांगे्रस के पार्षदों की भूमिका रही। जयपुर नगर निगम में भाजपा के 63 पार्षद है लेकिन मेयर के चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार को 44 वोट ही मिले। जाहिर है कि बड़ी संख्या में भाजपा पार्षदों ने बगावत की। यानि अब जयपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस का कब्जा हो गया है। कहा जा रहा है कि इस समय भाजपा का प्रदेश नेतृत्व बेहद ही कमजोर है। राष्ट्रीय नेतृत्व ने जब से वसुंधरा राजे को राष्ट्रीउपाध्यक्ष नियुक्त किया है तब से राजे निष्क्रिय हैं। संगठन पर राजे के पदाधिकारी ही विराजमान हैं। इसलिए भाजपा के पक्ष में कोई रणनीति नहीं बनाई जा रही है। अशोक परनामी को हटा कर जब मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब भी संगठन में कोई बदलाव नहीं किया गया। यही वजह है कि सैनी अब नाममात्र के अध्यक्ष बने हुए हैं। 
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