Thursday 29 November 2018

विद्यार्थियों के जीवन में खेल कूद जरूरी।

विद्यार्थियों के जीवन में खेल कूद जरूरी।
अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल में प्रतिभावान विद्यार्थियों को दिए मैडल।
प्राचार्य मणिक्कम अस्पताल से छुट्टी लेकर बच्चों के साथ।
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29 नवम्बर को अजमेर के प्रसिद्ध सेंट एंसलम सीनियर हायर सैकंडरी स्कूल के जयपुर रोड स्थित खेल मैदान पर स्पोट्र्स का एक समारोह हुआ। समारोह में स्कूल के उन प्रतिभावान विद्यार्थियों को मैडल प्रदान किए, जिन्होंने विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की। मैडल मैंने और फादर जोजफ ने प्रदान किए। फादर जोजफ फादर बनने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि सेंट एंसलम जैसे प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए खेलकूद जरूरी है। इन स्कूलों के बच्चों पर पढ़ाई का वैसे ही अधिक बोझ होता है। सभी विद्यार्थियों पर 95 प्रतिशत अंक लाने का दबाव होता है। लेकिन यह सकारात्मक बात है कि तीन हजार स्टूडेंट वाले इस स्कूल के प्राचार्य फादर सुसई मणिक्कम विद्यार्थियों के खेलकूद पर विशेष ध्यान देते हैं। हर विद्यार्थियों के स्पोट्र्स अनिवार्य कर रखा है, ताकि पढ़ाई के दबाव के बीच दिमाग को कुछ राहत मिल सके। खेलकूद के प्रति सकारात्मक सोच के चलते ही फादर मणिक्कम ने जयपुर रोड स्थित सोफिया गल्र्स स्कूल के निकट उबड़ खाबड़ पड़ी भूमि को खेल मैदान में तब्दील किया। आज यह मैदान शानदार तरीके से तैयार हो गया है। इसे फादर मणिक्कम का स्कूल और बच्चों के प्रति समर्पण ही कहा जाएगा कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी खेल मैदान पर आ रहे हैं। फादर मणिक्कम इन दिनों बुखार से पीड़ित हैं और संत फ्रांसिस अस्पताल में भर्ती है। 29 नवम्बर के समारोह के लिए अस्पताल से दो तीन घंटे की जबरन छुट्टी लेकर आए। फादर के हाथ में ड्रिप लगाने के काम आने वाला केंडूला चिपका हुआ था। मुझे बताया गया कि सुबह सुबह दो तीन इंजेक्शन लगवाएं ताकि कुछ समय खेल मैदान पर बिताया जा सके। समारोह से फ्री होकर फादर मणिक्कम पुनः अस्पताल में भर्ती हो गए। फादर को 30 नवम्बर को होने वाले स्पोटर्स डे के कार्यक्रम की भी चिंता है।
एस.पी.मित्तल) (29-11-18)
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अजमेर में सांसद शर्मा के सामने है सबसे बड़ी चुनावी चुनौती।

अजमेर में सांसद शर्मा के सामने है सबसे बड़ी चुनावी चुनौती। केकड़ी से हैं उम्मीदवार।
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अजमेर जिले में केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार सांसद रघु शर्मा के समर्थक उत्साह से भरे हैं। समर्थकों को विधानसभा का चुनाव बहुत आसान नजर आ रहा है। भाजपा उम्मीदवार राजेन्द्र विनायका की घोषणा के बाद तो समर्थक कुछ ज्यादा ही उत्साहित हैं। विनायका केकड़ी नगर पालिका के पार्षद हैं, जबकि रघु शर्मा अजमेर के सांसद। ऐसी स्थिति होने के बाद भी अजमेर जिले में रघु शर्मा के सामने ही सबसे बड़ी चुनावी चुनौती है। असल में दस माह पहले हुए लोकसभा के चुनाव में रघु शर्मा ने सबसे ज्यादा 34 हजार मतों की बढ़त केकड़ी से ही ली थी, यही बढ़त अब रघु के सामने चुनौती है। सवाल उठता है कि क्या विधानसभा के चुनाव में रघु शर्मा लोकसभा उपचुनाव की बढ़त को कायम रख पाएंगे? चुनाव में किसकी जीत होगी इसका पता तो 11 दिसम्बर को मतगणना वाले दिन ही चलेगा, लेकिन राजनीतिक समीक्षक केकड़ी के चुनाव परिणाम को लोकसभा के परिणाम से तुलना कर रहे हैं। 10 माह पहले 34 हजार की बढ़त को देखते हुए कांग्रेस के बड़े नेता केकड़ी से जीत को पक्का मान कर चल रहे हैं, लेकिन यह भी सही है कि रघु शर्मा ने 2013 का विधानसभा चुनाव केकड़ी से ही 8 हजार मतों से हारा था, तब रघु शर्मा विधानसभा में सरकार के मुख्य सचेतक थे। रघु ने विधायक रहते जो विकास कार्य करवाए, उन्हें देखते हुए सभी को इस नामुमकिन लग रही थी, लेकिन रघु को हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद केकड़ी में जो हालात उपजे, उससे एक बार फिर मतदाताओं को रघु की याद आने लगी और मतदाताओं का रुख लोकसभा के चुनाव में सामने आ गया। जो समर्थक उत्साहित हैं उन्हें केकड़ी के मतदाताओं की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। 2013 और जनवरी 2018 के चुनाव परिणाम रघु शर्मा के सामने हैं। रघु उपचुनाव में 8 विधानसभा क्षेत्रों में मात्र 85 हजार वोटों से जीता था, इन 85 हजार वोटों की जीत में अकेले केकड़ी के 34 हजार वोट थे। इसलिए रघु शर्मा और समर्थकों को मतदाताओं का तो ख्याल करना ही पड़ेगा। रघु के समर्थक इस बात से ही उत्साहित हो सकते हैं कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सीएम पद के लिए जिन 6 नेताओं के नाम गिनाए, उनमें रघु शर्मा का नाम भी शामिल हैं। यानि केकड़ी से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सीएम पद का दावेदार भी चुनाव लड़ रहा है। रघु को चुनावों का खासा अनुभव है और रणनीति बनाने में उन्हें माहिर माना जाता है। जबकि भाजपा उम्मीदवार पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि मौजूदा भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम की प्रचार में सक्रिय भूमि नहीं है। 19 नवम्बर को नामांकन के समय तो गौतम को देखा गया था, लेकिन अब गौतम कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। इसे राजनीति का चरित्र ही कहा जाएगा कि 15 दिन पहले तक जिस गौतम की केकड़ी में तूती बोलती थी, वे अब चुनाव के महत्वपूर्ण मौके पर कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-11-18)
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40 सीटें मिल गईं तो राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की सरकार नहीं बनने दूंगा-हनुमान बेनीवाल।

40 सीटें मिल गईं तो राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की सरकार नहीं बनने दूंगा-हनुमान बेनीवाल। अजमेर की सभाओं में नहीं जुटी अपेक्षित भीड़। 200 में से अब 199 सीट पर ही चुनाव होगा।
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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने 29 नवम्बर को अजमेर के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के रूपनगढ़ और मसूदा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। बेनीवाल ने कहा कि यदि उनकी पार्टी को चालीस सीटें भी मिल गई तो राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा की सरकार नहीं बनने दें। उनकी पार्टी किसी भी स्थिति में भाजपा-कांग्रेस को समर्थन नहीं देगी। चालीस सीटें मिलने पर उनका प्रयास होगा कि किसान का बेटा मुख्यमंत्री बने। भाजपा और कांगे्रस की पांच पांच वर्ष की सरकारों ने किसानों का शोषण किया है। मैंने अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह बोतल लिया है। जिस प्रकार बोतल में शुद्ध जल होता है, उसी प्रकार राजनीतिक शुद्धता से में प्रदेश की जनता की सेवा करुंगा। बेनीवाल ने पुष्कर में उनकी पार्टी के उम्मीदवार शाहबुद्दीन कुरैशी और मसूदा में हाजी कय्यूम खान को जितवाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ये दोनों सेवक बन कर जनता की सेवा करेंगे।
अपेक्षित भीड़ नहीं:
बेनीवाल इन दिनों कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेताओं की तरह हेलीकाॅप्टर से चुनावी दौरे कर रहे हैं। 29 नवम्बर को रूपनगढ़ और मसूदा की चुनावी सभा में अपेक्षित भीड़ नहीं जुट सकी। बेनीवाल का जाट समुदाय में खास प्रभाव माना जाता है, लेकिन जाट बहुल्य रूपनगढ़ में भी ज्यादा भीड़ नहीं थी और न ही कोई प्रमुख जाट नेता सभा में उपस्थित रहा। पुष्कर से श्रीमती नसीम अख्तर कांग्रेस तथा वर्तमान विधायक सुरेश सिंह रावत भाजपा के उम्मीदवार हैं। इसी प्रकार मसूदा में हुई सभा में भी अपेक्षित भीड़ नहीं जुट पाई, लेकिन युवा कार्यकर्ताओं में जोरदार जोश देखा गया। अस्थाई हेलीपैड से सभा स्थल तक वाहन रैली के रूप में बेनीवाल को लाया गया। मसूदा में जाट मतदाताओं की संख्या अच्छी मानी जाती है। ऐसे में बेनीवाल की पार्टी के उम्मीदवार हाजी कय्यूम खान के लिए बेनीवाल की सभा चुनावी दृष्टि से लाभदायक मानी जा रही है। यहां कांग्रेस ने सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पारीक को तथा भाजपा ने मौजूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को उम्मीदवार बनाया है। मसूदा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को देखते हुए बेनीवाल ने मुस्लिम उम्मीदवार बनाया है। रूपनगढ़ के मुकाबले मसूदा की सभा में भीड़ ज्यादा देखी गई। 
बसपा प्रत्याशी की मृत्यु:
29 नवम्बर को अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह की हृदय गति रुक जाने से मृत्यु हो गई। उम्मीदवार की मृत्यु होने से चुनाव भी स्थगित हो गया है। राजस्थान में 200 सीटों पर चुनाव हो रहा था, लेकिन अब 199 सीटों पर ही चुनाव होगा। वर्ष 2013 में भी चूरू के एक उम्मीदवार का निधन हो जाने की वजह से 199 सीटों पर चुनाव हुआ था। रामगढ़ से साफिया खान कांग्रेस तथा खुशवंत सिंह भाजपा के उम्मीदवार हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-11-18)
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इमरान खान पाकिस्तान में अपनी सियासत के लिए हमारे काॅमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इमरान खान पाकिस्तान में अपनी सियासत के लिए हमारे काॅमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तेमाल कर रहे हैं। हिन्दुओं को फिर से कश्मीर घाटी में बसाने पर इमरान अपना रुख स्पष्ट करें।
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करतारपुर साहिब काॅरिडोर के निर्माण का शिलान्यास समारोह पूरी तरह धार्मिक था, लेकिन पाकिस्तान के पीएम इमरान ने कश्मीर का मुद्दा उठा कर राजनीतिक रंग दे दिया। पाकिस्तान में हुए इस समारोह में पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी उपस्थित थे। साफ जाहिर था कि इमरान के साथ पाकिस्तान की फौज भी खड़ी है। इमरान का कहना रहा कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बीच कश्मीर मुद्दा ही अड़चन है, लेकिन जब फ्रांस और जर्मनी आपस के विवाद को मिटा कर एक हो सकते हैं, तो भारत-पाक क्यों नहीं? इमरान का सवाल जायज है, लेकिन फ्रांस और जर्मनी के बीच वो विवाद नहीं है जो भारत-पाक के बीच है। इमरान खान पाकिस्तान की फौज के दबाव में तब बोल रहे हैं, जब कश्मीर घाटी हिन्दू विहिन हो गई है। पाकिस्तान की मदद से कश्मीर उन आतंकियों के कब्जे में जो कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं। यदि हमारे सुरक्षा बल अपना बलिदान देकर ड्यूटी नहीं निभाएं तो पाकिस्तान की फौज कभी भी कश्मीर पर कब्जा कर सकती है। इमरान खान ने दोस्ती की बात तो कर दी, लेकिन यह नहीं बताया कि कश्मीर की समस्या का हल क्या है? पाक की फौज तो कश्मीर की आजादी चाहती है, क्या इमरान में इतनी हिम्मत है कि वह कश्मीर की आजादी का विरोध कर सके। सब जानते हैं कि आतंकवादियों ने घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया। क्या इमरान खान ऐसे हिन्दुओं को वापस कश्मीर घाटी में बसा सकते हैं? यदि इमरान खान हिन्दुओं की वापसी की बात कहेंगे तो एक दिन भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकेंगे। परमाणु शक्ति देश बता कर भारत को डराने की कोशिश नहीं करें, क्योंकि जंग के अलावा भी विकल्प हैं जो पाकिस्तान को घूटने टेकने पर मजबूर कर देंगे। भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने दो दिन पहले ही कहा है कि जो पाकिस्तान बम की धमकी देता था, आज उसके हाथ में कटोरा है। यह सही है कि आज पाकिस्तान के चीन और अमरीका के सामने भीख मांग रहा है। इमरान को भारत को धमकाने के बजाए अपने देश के आतंरिक हालात सुधारने चाहिए। कट्टरपंथियों की वजह से पाकिस्तान में आतंकवाद चरम पर है। यदि इमरान को पाक फौज का संरक्षण नहीं हो तो वे एक दिन भी जिंदा नहीं रह सकते हैं। पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के ऐसे गुट हैं जो पाकिस्तान की फौज से भी लड़ सकते हैं।
काॅमेडियन सिद्धू:
जहां तक भारत के प्रसिद्ध काॅमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू का सवाल है तो इमरान खान अपनी सियासत के लिए सिद्धू को इस्तेमाल कर रहे हैं। सिद्धू की इतनी ही गंभीरता है कि वे कांग्रेस की पंजाब सरकार में मंत्री हैं। भारत में सिद्धू की पहचान एक काॅमेडियन की है जो अपने चुटकलों से लोगों का मनोरंजन करते हैं। सिद्धू से पाकिस्तान और इमरान खान की शान में कुछ भी कहलवाया जा सकता है। यह तो लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष भारत है जो सिद्धू जैसे काॅमेडियन पाकिस्तान में जाकर कुछ भी बोल देते हैं। यदि चीन होता तो अब तक सिद्धू की काॅमेडी बंद हो चुकी होती। सिद्धू काॅमेडियन से पाकिस्तान परस्त राजनेता बनने की कोशिश नहीं करें। इस मामले में कांग्रेस को भी गंभीरता दिखानी चाहिए। सिद्धू की हरकतें भारत में कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान पहुंचाएंगी। राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। भाजपा के नेता सिद्धू के बयानों को मुद्दा बनाएंगे, जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। पाकिस्तान का तो कोई काॅमेडियन भी भारत की प्रशंसा नहीं कर सकता है। असल में पाकिस्तान में सिद्धू जैसे काॅमेडियन भी नहीं है। भारत की आलोचना करने की वजह से ही सिद्धू पाकिस्तान में मशहूर हो गए हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-11-18)
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Tuesday 27 November 2018

राहुल गांधी ने अपने पिता का नहीं, जवाहर लाल नेहरू का गौत्र बताया है।

राहुल गांधी ने अपने पिता का नहीं, जवाहर लाल नेहरू का गौत्र बताया है।  
सांवरलाल का परिवार, मेरा परिवार है-सीएम राजे।
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने 27 नवम्बर को अजमेर के नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप लाम्बा के समर्थन में पीसांगन कस्बे में   एक चुनावी सभा को संबोधित किया। 26 नवम्बर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की पुष्कर यात्रा के दौरान जिस तरह से उनके गौत्र का विवाद सामने आया उसके संदर्भ में सीएम राजे ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने पिता का गौत्र नहीं बताया, बल्कि अपनी दादी के पिता जवाहर लाल नेहरू का गौत्र बताया है। राहुल गांधी उस पार्टी के नेता हैं, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाप और मां के बारे में अपशब्द कह रहे हैं। कांग्रेस के गिरने के स्तर का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेरे झुकने और न झुकने के बारे में भी सवाल कर रहे हैं। नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और अमितशाह हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। मैं इन दोनों नेताओं के सामने झुकती हंू तो इस पर किसी को ऐतराज क्यों हैं? यह हमारी भारतीय संस्कृति हैं कि हम झुक कर अपने बड़ों का अभिवादन करते हंैं। मैं कोई महारानी नहीं बल्कि प्रदेश की जनता के दिल में बसने वाली रानी हूं। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय सांवरलाल जाट का परिवार मेरा परिवार है। मैं इस परिवार के साथ हमेशा रहूंगी, मुझे पता है कि स्वर्गीय सांवरलाल जाट ने अजमेर में कितने विकास कार्य करवाएं हैं। बीसलपुर पेयजल परियोजना के विस्तार में जाट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि नसीराबाद के भाजपा उम्मीदवार और स्वर्गीय जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा को बोलना नहीं आता है। उन्होंने कहा कि राजनीति की शुरुआत में ऐसा ही होता है। आप एक बार सेवा का मौका दे रामस्वरूप भी बोलने लग जाएगा। रामस्वरूप युवा है और उसके मन में सेवा करने की लालसा है। रामस्वरूप साफ-सुथरी छवि का युवक है। नसीराबाद में भाजपा विधायक नहीं होने के बावजूद भी मैंने विकास करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 600 करोड़ रुपए की सड़कें बनवाई तो 27 विद्यालयों को क्रमोन्नत किया। राजश्री योजना में नसीराबाद की छह हजार बेटियों को लाभांवित किया। सीएम की सभा में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। 
सीएम का शानदार स्वागतः
पीसांगन पहुंचने पर विधायक भागीरथ च ौधरी, देहात भाजपा के अध्यक्ष बीपी सारस्वत, पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाड़िया, सुभाष काबरा, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, नसीराबाद नगर पालिका के अध्यक्ष योगेश सोनी, प्रधान अशोक सिंह रावत, सुनीता रावत, पूर्व सरपंच सुनीता यादव, राजेन्द्र रावत, ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना, सीमा माहेश्वरी, महेन्द्र च ौधरी आदि भाजपा नेताओं ने शानदार स्वागत किया। 
एस.पी.मित्तल) (27-11-18)
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चुनावी मौसम में अजमेर जिले में पियक्कड़ों की पौ बारह।

चुनावी मौसम में अजमेर जिले में पियक्कड़ों की पौ बारह। रात 8 बजे बाद भी खुली रहती है शराब की दुकानें।
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अजमेर जिले में भी सात दिसम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। चुनावी मौसम में वैसे ही शराब की बिक्री बढ़ जाती है। हाल ही में आबकारी विभाग ने अनेक बस्तियों में जाकर उन भट्टियों को तोड़ डाला, जहां कच्ची शराब तैयार हो रही थी। असल में पुलिस और आबकारी विभाग भी नहीं चाहते कि चुनावी मौसम में अवैध रूप से तैयार शराब की बिक्री हो। क्योंकि इससे सरकार की अधिकृत दुकानों पर शराब की बिक्री पर असर पड़ता है। सरकार के सामाजिक सरोकारों के तहत शराब की दुकानें रात 8 बजे बंद करने का निर्णय ले रखा है। लेकिन सरकार के इस आदेश की धज्जियां अजमेर जिले में धड़ल्ले से उड़ रही है। शराब की दुकानें प्रमुख बाजारों और प्रमुख मार्गों पर है, लेकिन अबकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों को रात 8 बजे बाद खुली दुकानें नजर नहीं आती हैं। शहरी क्षेत्र में रात 9-10 बजे तक और ग्रामीण क्षेत्रों में तो रात भर अधिकृत दुकानों पर अवैध तरीके से बिक्री होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानों का निर्माण इस तरह किया गया है कि जिसमें दरवाजा नहीं होता, चूंकि सुरक्षा की दृष्टि से सेल्समैन रात भर दुकान के अंदर रहते हैं, इसलिए पीयक्कड़ देर रात तक शराब खरीदते रहते हैं। चूंकि इन दिनों चुनाव का माहौल है इसलिए शराब की अवैध बिक्री पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रशासन के बड़े अधिकारी भी चुनाव कार्यो में व्यस्त है। इसलिए पीयक्कड़ों के साथ-साथ आबकारी और पुलिस विभाग की भी पौ बारह हो रही है। किशनगढ़ शहर हो या हमारा स्मार्ट सिटी वाला अजमेर शहर, ब्यावर हो या छावनी बोर्ड का नसीराबाद सभी जगहों पर रात आठ बजे बाद शराब की बिक्री होना बताया जा रहा है। सब जानते है कि अधिकृत लाइसेंस धारी किन परिस्थितियों में रात आठ बजे दुकानें खुली रखते हैं। कई बार आबकारी विभाग दुकानों को 8 बजे बाद बंद करवाने की छापामार कार्यवाही करता है। लेकिन यह कार्यवाही मात्र दिखावा होती है। पुलिस यह कह कर अपनी जिम्म्ेदारी से बच जाती है कि उसके पास अधिकार नहीं है। जबकि सब जानते हैं कि संबंधित चैकी और थाने की मेहरबानी नहीं हो तो कोई भी दुकान रात 8 बजे बाद नहीं खुल सकती। सरकार माने या नहीं, लेकिन शराब की वजह से सामाजिक ताना बाना बिगड़ रहा है। सरकार को जितनी आया शराब की बिक्री से होती है उससे ज्यादा की राशि शराबियों की बीमारियों पर खर्च करनी पड़ती है। शराब परिवार का एक सदस्य पीता है, लेकिन खामियाजा पूरे परिवार को उठाना पड़ता है। सबसे ज्यादा महिला सदस्यों को परेशानी होती है।
एस.पी.मित्तल) (27-11-18)
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तो कांगे्रस का प्रायोजित प्रोग्राम था ब्रह्म मंदिर में राहुल गांधी के केसरिया साफा बंधवाना।

तो कांगे्रस का प्रायोजित प्रोग्राम था ब्रह्म मंदिर में राहुल गांधी के केसरिया साफा बंधवाना।
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26 नवम्बर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना करने के बाद संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर में दर्शन भी किए। ब्रह्मा मंदिर पर इस समय अजमेर की जिला कलेक्टर आरती डोगरा प्रशासक के तौर पर कार्यरत हैं। चूंकि चुनाव आचार संहिता लागू है, इसलिए कलेक्टर के प्रशासक वाले मंदिर में कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं हो सकती। लेकिन फिर भी मंदिर परिसर में राहुल गांधी के सिर पर लम्बा केसरिया साफा बंधवाया गया, ताकि राहुल गांधी की हिन्दुत्व की छवि को और निखारा जा सके। 27 नवम्बर को अखबारों में राहुल के साफे वाले फोटो ही छपे हैं और साफा बंधवाने की खबर भी प्रमुखता से छपी है,ं जबकि ब्रह्मा मंदिर के पुजारी कमलेश वशिष्ठ, लक्ष्मीनारायण वशिष्ठ, कृष्णगोपाल वशिष्ठ का कहना है कि राहुल गांधी को साफा बंधवाना मंदिर की धार्मिक रस्म में शामिल नहीं है और न ही साफा बंधाने वाले प्रज्ञानपुरी का मंदिर के पुजारी परिवार से कोई सरोकार है। मंदिर की परंपरा के अनुरूप पुजारी परिवार की ओर से राहुल गांधी को मंदिर की तस्वीर और प्रसाद भेंट किया गया। मंदिर में दर्शन के बाद प्रज्ञानपुरी ने राहुल गांधी के सिर पर केसरिया साफा बांधा और विजय भव का आशीर्वाद दिया। साफा बंधवाने की प्रक्रिया में पुष्कर से कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर की भूमिका रही। श्रीमती अख्तर की सिफारिश पर ही प्रज्ञानपुरी को मंदिर परिसर का पास जारी हुआ। असल में प्रज्ञानपुरी का महाराष्ट्र में अपना आश्रम है, लेकिन दिवंगत महंत लहरपुरी महाराज से मित्रता की वजह से मंदिर परिसर में एक कमरा ले लिया था। प्रज्ञानपुरी जब महाराष्ट्र से पुष्कर आते है तो अपने कमरे में ही निवास करते हैं। जब कोई वीआईपी ब्रह्मा मंदिर में आता है तो प्रज्ञानपुरी महाराष्ट्र से पुष्कर आ जाते हैं। प्रज्ञानपुरी का झुकाव कांग्रेस की ओर माना जाता है। इसलिए पिछले दिनों कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती अख्तर के नामांकन के समय भी प्रज्ञानपुरी उपस्थित रहे। राहुल गांधी के सिर पर केसरिया साफा बांधकर प्रज्ञानपुरी हाथों हाथ चर्चा में आ गए। राहुल के चले जाने के बाद प्रज्ञानपुरी ने गर्व से कहा कि मैंने राहुल को विजय भव का आशीर्वाद दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सवाल पर प्रज्ञानपुरी ने कहा कि वे अभी तक अयोध्या ही नहीं गए हैं। तो पुष्कर क्या आएंगे? पिछले दिनों जब राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ब्रह्मा मंदिर में आए थे, तब पुलिस ने प्रज्ञानपुरी को मंदिर परिसर में घुसने नहीं दिया था। राष्ट्रपति के पुष्कर में रहने तक प्रज्ञानपुरी पुलिस की हिरासत में रहे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस हद तक प्रायोजित प्रोग्राम में राहुल के सिर पर केसरिया साफा बंधवाया गया। इस सब में श्रीमती नसीम अख्तर को राजनीतिक फायदा हुआ है, क्योंकि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट भी साफा बंधवाने के कार्य की प्रशंसा कर रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (27-11-18)
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आखिर वसुंधरा राजे पत्रकारों के सवालों से चिढ़ती क्यों हैं?

आखिर वसुंधरा राजे पत्रकारों के सवालों से चिढ़ती क्यों हैं? घोषणा पत्र के मौके पर सामने आई नाराजगी।
युवाओं को मिलेगा बेरोजगारी भत्ता।
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यंू तो राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे प्रेस काॅन्फ्रेंस नहीं करती है, लेकिन 27 नवम्बर को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जब केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ घोषणा पत्र जारी किया तो वसुंधरा राजे को भी पत्रकारों के सवालों का जवाब देना पड़ा। हालांकि टेढ़े सवालों का जवाब जेटली ने सकारात्मक अंदाज में दिया, लेकिन वसुंधरा राजे के जवाब से साफ प्रतीत हो रहा था कि उन्हें पत्रकारों के सवाल अच्छे नहीं लग रहे हैं। सीएम ने 26 नवम्बर को ही अपनी चुनावी सभाओं में कहा कि विपक्ष मुझ पर महारानी होने का आरोप लगाता है, जबकि लोकतंत्र में कोई राजा-महारानी नहीं होती। मैंने दोनों बार मुख्यमंत्री के तौर पर जनता का सेवक बनकर काम किया। लेकिन 27 नवम्बर को सीएम ने जिस तरह जवाब दिए, उससे विपक्ष के आरोपों में दम लगता है। एक पत्रकार के सवाल किया कि आपने गत चुनावों में उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने का वायदा किया था? इस पर सीएम ने अपने अंदाज में कहा कि मैंने ऐसा कोई वायदा नहीं किया। मैंने सिंगल फेज की बिजली चैबीस घंटे देने का वायदा किया था। किसानों को 24 घंटे बिजली देने की बात नहीं कही। आज घरेलू उपभोक्ताओं को 22 घंटे बिजली मिल ही रही है। एक पत्रकार ने पूछा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने कहा कि वसुंधरा राजे अपने विकास कार्यों का प्रचार नहीं कर सकी तथा कांग्रेस के एक नेता का कहना रहा कि वसुंधरा राजे कमर तक झुक कर अमितशाह को प्रणाम करती है। इन दोनों सवालों को पर्सनल बताते हुए सीएम ने जवाब देने से इंकार कर दिया। इन दोनों सवालों पर सीएम ने जो रुख प्रकट किया उससे साफ जाहिर है कि वह नाराज हैं। एक पत्रकार ने जानना चाहा कि घोषणा पत्र में कितने नए जिले बनाने का वायदा किया गया है। इस पर सीएम ने कहा कि जिला बनाने का चुनावी वायदा नहीं होता यह तो प्रशासनिक निर्णय होता है। यानि घोषणा पत्र में नए जिले बनाने का कोई वायदा नहीं किया गया है। वहीं एक ओर सीएम ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में नाराजगी भरे लहजे में दिए तो वहीं जेटली ने राजनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए तरीके से सवालों के जवाब भी हंसते हुए दिए। जेटली ने राहुल गांधी के कर्ज माफी वाले बयान पर कहा कि कांग्रेस को सत्ता में नहीं आना है, इसलिए दस दिन में कर्ज माफी का वायदा लिया जा रहा है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत के द्वारा कांग्रेस में सीएम पद के लिए छह उम्मीदवारों के नाम गिनाने पर जेटली ने कहा कि यह जातिवाद को बढ़ावा देना है। जिन नेताओं के नाम गिनाए उन नेताओं की जातियों में भ्रम फैलाया जा रहा है। जेटली ने कहा कि राहुल गांधी ने पंजाब चुनाव के दौरान भी किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की थी, लेकिन अब  अरमेन्द्र सिंह को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर जेटली ने कहा कि कई राज्य सहमत नहीं है। इसलिए केन्द्र अपना निर्णय थोप नहीं सकता। हालांकि केन्द्र सरकार सहमत है, जीएसटी कौंसिल में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने का प्रयास हो रहा है।
बेरोजगार भत्ताः
सीएम ने चुनावी घोषणा पत्र में अनेक वायदे किए जिनमें 21 वर्ष से अधिक उम्र वाले शिक्षित बेरोजगार युवाओं को निर्धारित नियमों के अंतर्गत पांच हजार रुपए भत्ता मिलेगा।
एस.पी.मित्तल) (27-11-18)
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Monday 26 November 2018

पुष्कर में राहुल गांधी की ओर से लिखा गया संदेश फिर मजाक बनेगा। आखिर राहुल के दरबारी ध्यान क्यों नहीं देते?
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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर अपने विरोधियों को मजाक उड़ाने का मौका दे दिया है। राहुल ने 26 नवम्बर को पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना की। इस मौके पर राहुल गांधी के पारिवारिक पुरोहित रामनाथ और दीनानाथ ने रजिस्टर में अपने अनुभव लिखने का आग्रह किया। राहुल ने रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर दिए और पूर्व सीएम अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को हस्ताक्षर के उपर संदेश लिखवाने का इशारा कर दिया। लेकिन पूजा समाप्ति के बाद किसी भी नेता ने राहुल के संदेश को पुरोहित के रजिस्टर में नहीं लिखा। ऐसे में पुरोहित के पुत्र विश्वनाथ ने अपने विवेक से संदेश लिख लिया। हालांकि यह संदेश विश्वनाथ ने अपने विवेक से लिखा, लेकिन यह संदेश राहुल गांधी का ही माना जाएगा। संदेश में जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है उसे कभी भी किसी राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भाषा नहीं कहा जा सकता  चूंकि इस संदेश के नीचे राहुल गांधी के हस्ताक्षर है, इसलिए विरोधियों को मजाक उड़ाने का पूरा अवसर मिलेगा। राहुल के संदेश की भाषा इस प्रकार है
जय हिन्द
वंदे मातरम्
भारत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष।
मैं राहुल गांधी s/o श्री स्वर्गीय राजीव गांधी।
आज दिनांक 26.11.2018 सोमवार को राजीखुशी पुष्कर दर्शन व पूजा अर्चना करने आया। 
मेरे कुल पुरोहित दीनानाथ कौल व राजनाथ कौल द्वारा पूजन करके मन प्रसन्न हो गया। मैं भारत व विश्व में अमन चैन व शांति की कामना करता हंू। 
सवंत 2075 मगसर वदी चैथ सोमवार
राहुल गांधी।
कई बार कांगे्रस के विरोधी राहुल गांधी के गौत्र के बारे में जानना चाहते हैं, यदि इस संदेश को राहुल गांधी का माना जाए तो राहुल ने अपना गौत्र भी सार्वजनिक कर दिया है। यानि राहुल गांधी कौल जाति के हैं। देखना होगा कि पुष्कर के इस संदेश पर विरोधियों की क्या क्या प्रतिक्रिया आती हैं। राहुल गांधी के हस्ताक्षर वाला यह संदेश मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है।
एस.पी.मित्तल) (26-11-18)
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दरगाह में राहुल गांधी का इस्तकबाल करने की होड़ लगी।

दरगाह में राहुल गांधी का इस्तकबाल करने की होड़ लगी।
खादिम गनी गुर्देजी ने की प्रधानमंत्री बनने की दुआ।
पुष्कर में भगवा साफा बंधवाया।
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26 नवम्बर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत की तो वहीं पुष्कर ती र्थ में पवित्र सरोवर की पूजा अर्चना भी की। दरगाह में राहुल गांधी का इस्तकबाल करने की जहां होड़ मच गई, पुष्कर की यात्रा सामान्य रही। दरगाह के अंदर राहुल गांधी को पवित्र मजार पर सूफी परंपरा के अनुरूप जियारत करवाई गई। पारिवारिक खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी और उनके पुत्र यासिर व जकरिया ने जियारत की रस्म को पूरा करवाया। राहुल के सिर पर मखमली और फूलों की चादर रख कर मजार शरीफ तक ले जाया गया। यहां खादिम गनी गुर्देजी ने राहुल के प्रधानमंत्री बनने की दुआ की और उनके गले में हरे रंग का कपड़ा डालते हुए कहा कि आप ख्वाजा साहब के करम से देश के वजीरेआजम बनेंगे। राहुल ने बिना कुछ बोले सिर्फ मुस्कुराए। इस मौके पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट सांसद रघु शर्मा, उत्तर क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार महेन्द्र सिंह रलावता आदि भी थे। इस अवसर पर खादिम गुर्देजी ने राहुल गांधी को उनकी माताजी, पिताजी और दादी आदि के दरगाह आने के फोटो भी भेंट किए। दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के अध्यक्ष मोइन सरकार और अंजुमन शेखजादगान के अध्यक्ष अब्दुल जर्रार चिश्ती ने भी राहुल गांधी की दस्तारबंदी की। इसी प्रकार दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद, सहायक नाजिम मोहम्मद आदिल ने भी राहुल का इस्तकबाल किया। दरगाह के मुख्य दरवाजे पर दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदी के पुत्र सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने राहुल गांधी की दस्तारबंदी की। राहुल गांधी के आगमन पर सम्पूर्ण दरगाह परिसर को तो खाली नहीं करवाया गया, लेकिन राहुल गांधी को भीड़ से बचाने के लिए सुरक्षित कोरिडोर बनाया गया। दरगाह में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। मीडिया वाले आवाज लगाते रहे, लेकिन राहुल ने एक शब्द भी नहीं कहा।
78 में कराई थी इंदिरा जी को जियारतः
गांधी परिवार के पारिवारिक खादिम गनी गुर्देजी ने कहा कि 1978 में जब कांग्रेस की बुरी तरह हार हो गई थी और केन्द्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार थी, तब पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी दरगाह में जियारत के लिए आई। तब किसी ने भी इंदिराजी को जियारत करवाने की हिम्मत नहीं दिखाई, तब मैंने इंदिरा जी को दरगाह की परंपराओं के अनुरूप जियारत करवाई। तब से आज तक मैं ही गांधी परिवार के सदस्यों को जियारत करवाता आ रहा हंू। गांधी परिवार की जियारत से जुड़ी और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 982971897 पर गुर्देजी से ली जा सकती है। 
पुष्कर में पूजा अर्चनाः
राहुल गांधी ने हिन्दुओं के तीर्थ स्थल पुष्कर में पवित्र सरोवर के ब्रह्म घाट पर पूजा अर्चना की। गांधी परिवार के पुरोहित दीनानाथ  कौल और राजनाथ कौल ने पूजा की रस्म करवाई। राहुल ने सरोवर पर दुग्धाभिषेक किया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने राहुल गांधी को एक एल्बम भेंट किया इसमें राहुल के परिवार के सदस्यों के पुष्कर आने के फोटो थे। पाराशर ने राहुल को पुष्कर के महत्व के बारे में भी जानकारी दी। राहुल ने ब्रह्मा मंदिर के दर्शन भी किए। यहां मंदिर के पुजारी प्रज्ञानपुरी ने भगवा रंग का साफा बांधा।
कांग्रेसियों ने किया स्वागतः
राहुल गांधी दिल्ली से विशेष विमान से किशनगढ़ एयरपोर्ट पहुंचे और हेलीकाॅप्टर से अजमेर के मेयो काॅलेज मैदान पर बने अस्थाई हेलीपैड पर उतरे। हेलीपैड पर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, उत्तर क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह रलावता, दक्षिण क्षेत्र के हेमंत भाटी, पूर्व विधायक डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती, डाॅ. राजकुमार जयपाल, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया आदि ने स्वागत किया। इसी प्रकार किशनगढ़ एयरपोर्ट पर सांसद रघु शर्मा, देहात अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड आदि ने राहुल का स्वागत किया। 
एस.पी.मित्तल) (26-11-18)
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राहुल गांधी के दरगाह में जियारत करने के बाद पुष्कर में पूजा अर्चना करने से क्या कांग्रेस को हिन्दुओं के वोट मिल पाएंगे?

राहुल गांधी के दरगाह में जियारत करने के बाद पुष्कर में पूजा अर्चना करने से क्या कांग्रेस को हिन्दुओं के वोट मिल पाएंगे?
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राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधानसभा के चुनाव होने हैं। माहौल गर्म होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 26 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश में तीन-तीन सभाएं की हैं। राहुल गांधी ने सुबह 9 बजे अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत की और एक घंटे बाद 10 बजे हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थल पुष्कर में पूजा अर्चना की। राहुल गांधी ने जितनी अकीदत के साथ दरगाह में जियारत की, उतनी ही श्रद्धा के साथ पुष्कर सरोवर के किनारे पूजा-अर्चना। चूंकि राहुल गांधी फुलटाइम राजनेता  हैं और उन्होंने चुनावी माहौल में धार्मिक रस्में की है, इसलिए उनकी जियारत और पूजा अर्चना राजनीति से जोड़ी ही जाएगी। राहुल गांधी ने भले ही अजमेर में कोई चुनावी सभा संबोधित नहीं की और न कोई बयान दिया, लेकिन यह सवाल तो उठता ही है कि जियारत के बाद पूजा अर्चना करने से क्या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हिन्दुओं के वोट मिल पाएंगे? हालांकि पिछले एक दो वर्षों से राहुल गांधी भी हिन्दुओं के मंदिरों तीर्थ स्थलों पर जा रहे हैं, लेकिन 26 नवम्बर को तो एक घंटे की अवधि में राहुल गांधी ने एक मुस्लिम और हिन्दू धार्मिक स्थल की यात्रा की। दोनों धार्मिक स्थलों का विशेष महत्व हैं। भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के मुसलमानों में ख्वाजा साहब की दरगाह का खास महत्व है। जो मुसलमान किन्हीं कारणों से मक्का मदीना नहीं जा सकते, वे ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में शरीक होने आते हैं। राहुल गांधी ने सूफी परंपरा के अनुसार दरगाह में जियारत कर एक खास संदेश दिया है। इसी प्रकार राहुल गांधी ने पुष्कर में जिस पवित्र सरोवर की पूजा अर्चना की उसकी स्थापना जगत पिता ब्रह्माजी ने की थी। धार्मिक मान्यता है कि पुष्कर सरोवर में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। हालांकि राहुल गांधी ने सरोवर में स्नान तो नहीं किया, लेकिन श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना जरूर की। आमतौर पर पूजा अर्चना करवाने वाले तीर्थ पुरोहित श्रद्धालु को पुष्कर जल का आचमन करने के लिए भी कहते हैं, लेकिन राहुल गांधी से सिर्फ सरोवर में दुग्धाभिषेक करने के लिए कहा गया। राहुल गांधी ने 26 नवम्बर को एक साथ जियारत और पूजा अर्चना की रस्म कर धर्म निरपेक्ष होने का उदाहरण पेश किया, लेकिन अब देखना है कि पूजा अर्चना का लाभ कांगे्रस को चुनाव में कितना मिलता है। राहुल ने सरोवर की पूजा अर्चना के बाद ब्रह्मा मंदिर के दर्शन भी किए। यहां मंदिर के पूजारी प्रज्ञानपुरी ने भगवा रंग का साफा पहनाया। 
राहुल नकली जनेऊधारीः
26 नवम्बर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के मुस्लिम बहुल्य विधानसभा क्षेत्र मकराना (नागौर) में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। योगी ने कहा कि हिन्दुओं के वोट लेने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों के चक्कर लगा रहे हैं और स्वयं को जनेऊधारी पंडित बता रहे हैं। जबकि राहुल के परनाना ने कहा था कि मैं एक्सीडेंटली हिन्दू हंू। योगी ने कहा कि राहुल गांधी हिन्दू होने का दिखावा कर रहे हैं, जबकि सब जानते हैं कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए कहा था कि देश संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। योगी ने कहा कि पहला अधिकार मुसलमानों का है तो फिर हिन्दू कहां जाएगा? हिन्दू के सरल स्वभाव का अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है कि नागपंचमी के दिन सांप को भी दूध पिलाता है। कांग्रेस के शासन में आतंकियों को बिरयानी खिलाई जाती थी, आज नरेन्द्र मोदी के शासन में आतंकियों को गोली खिलाई जा रही है। देश में प्राकृतिक आपदा आने पर राहुल गांधी को नानी याद आ जाती है और वे इटली चले जाते हैं, जबकि पीड़ित लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता मौजूद रहते हैं। राजस्थान के लोगों को मध्यप्रदेश और छत्तसीगढ़ के मतदाताओं का अनुसारण करना चाहिए। इन दोनों राज्यों के मतदाता हरबार भाजपा की सरकार बनाते हैं, ताकि विकास की गति बनी रहे। उल्लेखनीय है कि मकराना से कांगे्रस के जाकिर हुसैन जैसावत उम्मीदवार है, जबकि भाजपा ने रूपाराम पुरावलिया को उम्मीदवार बनाया है।
एस.पी.मित्तल) (26-11-18)
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Saturday 24 November 2018

राहुल गांधी अजमेर यात्रा में ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत भी करेंगे, तो पुष्कर तीर्थ में पूजा अर्चना भी।

राहुल गांधी अजमेर यात्रा में ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत भी करेंगे, तो पुष्कर तीर्थ में पूजा अर्चना भी। पर अमितशाह सिर्फ चुनावी रोड शो करेंगे।
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7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने आ रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 26 नवम्बर को अजमेर की यात्रा पर रहेंगे। निकटवर्ती किशनगढ़ एयरपोर्ट पर प्रातः 8 बजे उतरने के बाद राहुल गांधी सीधे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह आएंगे और सूफी परंपरा के अनुरूप जियारत करेंगे। पवित्र मजार पर फूलों और मखमली चादर पेश करेंगे। इस मौके पर उनके परिवारिक खादिम सैय्द अब्दुल गनी गुर्देजी दस्तारबंदी कर तबर्रुक भेंट करेंगे। जियारत करने के बाद राहुल गांधी हिन्दुओं के तीर्थ स्थल पुष्कर जाएंगे। यहां विश्व प्रसिद्ध ब्रह्ममंदिर के दर्शन करेंगे और पवित्र सरोवर पर पूजा अर्चना का कार्यक्रम है। भले ही राहुल गांधी विधानसभा चुनाव के दौरान आ रहे हैं, लेकिन उनका अजमेर में आम सभा अथवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक आदि का फिलहाल कोई कार्यक्रम नहीं है। 24 नवम्बर को भी एसपीजी के अधिकारियों ने स्थानीय जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ दरगाह से लेकर पुष्कर तक के कई चक्कर लगाए, ताकि राहुल गांधी के सुरक्षा इंतजाम किए जा सके। माना जा रहा है कि किशनगढ़ एयरपोर्ट पर ही अजमेर जिले के आठों उम्मीदवारों से राहुल गांधी की मुलाकात होगी। राहुल के साथ अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी होंगे।
अमितशाह का रोड शोः
एक ओर राहुल गांधी चुनाव के मौके पर अजमेर में जहां कोई सभा नहीं कर रहे हैं, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह तो सिर्फ चुनाव रोड शो के लिए ही अजमेर आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार अमितशाह प्रचार के अंतिम दिन 5 दिसम्बर को अजमेर आएंगे। चूंकि राजस्थान में 7 दिसम्बर को मतदान होना है, इसलिए 5 दिसम्बर को सायं 5 बजे चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। अमितशाह अपना भव्य रोड शो सम्राट पृथ्वीराज चैहान महाविद्यालय से शुरू करेंगे और शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए नया बाजार च ौपड़ पर पहुंचेंगे। अमितशाह का दरगाह जियारत अथवा पुष्कर में पूजा अर्चना का फिलहाल कोई कार्यक्रम नहीं है। राहुल गांधी जहां चुनावी मौसम में सिर्फ धार्मिक यात्रा पर आ रहे हैं, वहीं अमितशाह राजस्थान में अपाने चुनाव प्रचार का समापन अजमेर में करेंगे। दोनों बड़े नेताओं का अपना अपना उद्देश्य है। भाजपा के सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अजमेर आने का अब तक कोई कार्यक्रम नहीं बना है।
एस.पी.मित्तल) (24-11-18)
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अयोध्या जैसी साधु संतों की सभा 25 नवम्बर को नागपुर, बैंगलूरू आदि में भी हो रही है।



अयोध्या जैसी साधु संतों की सभा 25 नवम्बर को नागपुर, बैंगलूरू आदि में भी हो रही है। विहिप के केन्द्रीय मंत्री उमाशंकर ने कहा कार सेवा जैसा कोई प्रोग्राम नहीं।
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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 25 नवम्बर को हो रहे साधु संतों और श्रद्धालुओं के सम्मेलन को लेकर मीडिया में बहुत कुछ प्रसारित किया जा रहा है। तथ्यों से परे मीडिया की खबरों की वजह से अनेक मुस्लिम संगठन और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अयोध्या में दहशत होने की बात कर रहे हैं। टीवी चैनलों पर बैठे कुछ मुस्लिम प्रतिनिधि तो कानून व्यवस्था पर सरकार को सीधे चुनौती दे रहे हैं। प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया की ऐसी ही खबरों के बीच 24 नवम्बर को मेरा संवाद विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री उमाशंकर से हुआ। 25 नवम्बर को अयोध्या में होने वाली धर्मसभा की तैयारियों का जिम्मा भी उमाशंकर के पास ही है। उमाशंकर पिछले कई दिनों से अयोध्या में ही हैं। उमाशंकर ने सबसे पहले यह स्पष्ट किया कि 25 नवम्बर को मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा जैसा कोई प्रोग्राम नहीं है। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश से बाहर के किसी भी व्यक्ति को नहीं बुलाया गया है। साधु संत भी उत्तर प्रदेश के ही हैं। अयोध्या जैसी सभाएं 25 नवम्बर को ही महाराष्ट्र के नागपुर में और कर्नाटक के बैंगलूरू शहर में भी हो रही हैं। यह सही है कि इन सभी स्थानों पर दो-दो लाख से भी ज्यादा लोग जुटेंगे। इन सभाओं का मुख्य उद्देश्य अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण में आने वाली बाधाओं को हटाना है। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उनमें ऐसी सभाएं नहीं हो रही है। राज्यों की सभाओं के बाद दिल्ली में दिसम्बर माह में ही एक बड़ी सभा होगी। इस सभा में 5 लाख से भी ज्यादा लोगों को एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत के ज्यादातर लोग चाहते हैं कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बने और विहिप उसी दिशा में कार्य कर रही है। यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट में मंदिर निर्माण का मुद्दा विचाराधीन है। कोर्ट में तो सिर्फ जमीन के मालिकाना हक का विवाद है। दीपक मिश्रा के चीफ जस्टिस रहते समय इस मुकदमे में सुनवाई को जो गति मिली थी, वो अब धीमी पड़ गई है। उमाशंकर ने कहा कि इस संदर्भ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील कपिल सिब्बल का बयान बहुम मायने रखता है। सिब्बल ने पूर्व में ही कहा था कि अयोध्या मुद्दे पर मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई हो। उमाशंकर ने इस बात पर अफसोस जताया कि जनभावनाओं से जुड़े इस मामले में भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जबकि आतंकवादियों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में रात के समय भी सुनवाई हो जाती है। विहिप का प्रयास देश भर में मंदिर के पक्ष में जनगणना करना है। यदि  न्यायालय में विलम्ब हो रहा है तो फिर सरकार को कानून बनाकर अयोध्या में मंदिर का निर्माण करना चाहिए। विहिप का किसी सरकार के विरुद्ध आंदोलन नहीं है। विहिप का जनभावनाओं के साथ है। उन्होंने कहा कि 25 नवम्बर को अयोध्या में कोई गड़बड़ी नहीं होगी, चूंकि विहिप की पहल पर ही साधू संतों का सम्मेलन हो रहा है। इसलिए मंदिर निर्माण पर ठोस निर्णय लिया जाएगा। हमारा केन्द्र ओर उत्तर प्रदेश की सरकार से भी आग्रह है कि उन तमाम बाधाओं को हटाया जाए जो मंदिर निर्माण में आ रही हैं। यह अच्छी बात है कि उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी अयोध्या में मंदिर निर्माण पर अपनी सहमति दी है। सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों ने अपनी बात रखी है। अब कोर्ट को भी चाहिए कि जल्द से जल्द फैसला करे।
एस.पी.मित्तल) (24-11-18)
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क्या रलावता और हेमंत भाटी अजमेर शहर में देवनानी और भदेल को रिकाॅर्ड बनाने से रोक पाएंगे?

क्या रलावता और हेमंत भाटी अजमेर शहर में देवनानी और भदेल को रिकाॅर्ड बनाने से रोक पाएंगे? मसूदा में पलाड़ा की जीत कय्यूम के वोटों पर निर्भर।
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7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव में अजमेर शहर के उत्तर क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार वासुदेव देवनानी और दक्षिण से श्रीमती अनिता भदेल चुनाव जीतते हैं तो यह अजमेर शहर के इतिहास में एक रिकाॅर्ड बन जाएगा। क्योंकि यह चैथा अवसर होगा, जब यह दोनों विधायक बनेंगे। पुराना रिकाॅर्ड को देखा जाए तो किशन मोटवानी ही एक मात्र ऐसे राजनेता रहे हैंे जो अजमेर से तीन बार विधायक बने। कांगेस ने देवनानी के सामने महेन्द्र सिंह रलावता और भदेल के सामने हेमंत भाटी को उम्मीदवार बनाया है। रलावता पहली बार विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि  भाटी 2013 में भी भदेल के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उत्तर क्षेत्र को सिंधी बहुल्य माना जाता है, इसलिए भाजपा ने सिंधी को ही उम्मीदवार बनाती आ रही है। लेकिन कांग्रेस के वर्ष 2008 और 2013 में गैर सिंधी उम्मीदवार के तौर पर डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती को उतारा। इसे कांग्रेस की हिम्मत ही कहा जाएगा कि लगाता दो बार हारने के बाद भी गैर सिंधी रलावता को उम्मीदवार बनाया है। अजमेर शहर का दक्षिण क्षेत्र एससी के लिए आरक्षित है तो यह माना जाता है कि उत्तर क्षेत्र सिंधी समुदाय के लिए। हालांकि वर्ष 2008 में डाॅ. बाहेती मात्र 600 मतों से पराजित हुए, अब कांग्रेस के उम्मीदवार रलावता के पास ऐसे तर्क है कि उत्तर क्षेत्र से गैर सिंधी उम्मीदवार आसानी से जीत सकता है। रलावता अपनी जीत का मुख्य आधार मुस्लिम, राजपूत, रावणा राजपूत, गुर्जर और वैश्य समुदाय के मतों को मानते हैं,तो देवनानी सर्वसमाज की बात करते हैं। फिलहाल इस क्षेत्र से सिंधी और गैर सिंधी का मुद्दा उछला नहीं है। लेकिन सात दिसम्बर के आते आते यह मुद्दा गरम होगा। देखना होगा कि रलावता कांग्रेस उम्मीद के तौर पर देवनानी को रिकाॅर्ड बनाने से रोक पाते है या नहीं? रलावता को तीस वर्षों तक शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। अध्यक्ष बनने पर ही रलावता की नजर उत्तर क्षेत्र पर लगी थी। रलावता के पास बूथ स्तर तक की तैयारी पूर्व में ही रही, जबकि देवनानी इस क्षेत्र से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं,  ऐसे में उन्हें चुनाव को लेकर अनुभव है। देवनानी ने तीन बार चुनाव लड़ा, वहीं तीन बार लोकसभा के चुनाव में भी अपने क्षेत्र से भाजपा की जाजम बिछाई।
अजमेर दक्षिणः
दक्षिण क्षेत्र की भाजपा उम्मीदवार श्रीमती अनिता भदेल ने विधानसभा का पहला चुनाव 2005 में इसी क्षेत्र से लड़ा था। तब बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी उनके साथ थे, तब भदेल की जीत से हेमंत भाटी इसलिए खुश थे कि उनके बड़े भाई ललित भाटी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव हार गए। राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता। 2013 में हेमंत भाटी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भदेल के सामने हो गए। इस बार भदेल ने हेमंत को भी हरा दिया। अब 2018 में भदेल और हेमंत का एक बार फिर आमने सामने हंै। हालांकि गत नगर निगम के चुनावों में भाजपा को इस क्षेत्र के अधिकांश वार्डों में हार का सामना करना पड़ा। जनवरी में हुए लोकसभा के उपचुनाव में भी दक्षिण क्षेत्र की कमान हेमंत भाटी के पास थी, उपचुनाव में भी कांग्रेस को बढ़त मिली। निगम और उपचुनाव की जीत से हेमंत भाटी उत्साहित हैं। भाटी के समर्थकों का दावा है कि इस बार 2013 की हार का बदला ले लिया जाएगा। भदेल और भाटी दोनों ही कोली समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इस समुदाय की अधिकांश महिलाएं बीड़ी बनाने का काम करती है। जबकि हेमंत भाटी बीड़ी उद्योगपति हैं। इस नाते महिला श्रमिकों के सामाजिक सरोकारों से भी भाटी जुड़े हुए हैं। पारिवारिक ट्रस्ट के माध्यम से महिला श्रमिकों की मदद बड़े पैमाने पर की जाती है। हालांकि इस क्षेत्र में रैगर समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं। इसके अलावा सिंाध्ी समुदाय की संख्या भी अधिक है भदेल के समर्थकों का मानना है कि उत्तर में देवनानी की उम्मीदवारी की वजह से सिंधी मतदाताओं का लाभ मिलेगा। श्रीमती भदेल ने भी पिछले 15 वर्षों में अपने निवास पर जनसुनवाई कर लोकप्रियता को बनाए रखा है।
पलाड़ा की जीत कय्यूम पर निर्भरः
अजमेर जिले के मसूदा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार राकेश पारीक से हो रहा है। यहां से हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस के पूर्व विधायक कय्यूम खान भी मैदान में हैं। कय्यूम खान भाजपा और कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवारों के बीच अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता अहमद पटेल और गुलामनबी आजाद तक को दरकिनार कर दिया। नाम वापसी के लिए अशोक गहलोत, सचिन पायलट के साथ-साथ पटेल और आजाद ने भी कय्यूम से कहा था, लेकिन मतदाताओं की दुहाई देकर कय्यूम ने चुनावी मैदान में बने रहने की बात कही। कय्यूम जीतेंगे या नहीं यह तो 11 दिसम्बर को मतगणना वाले दिन पता चलेगा, लेकिन चुनावी आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस और भाजपा की हार जीत में कय्यूम की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। चूंकि इस विधानसभा क्षेत्र में कोई 40 हजार मुसलमान मतदाता माने जाते हैं, इसलिए भाजपा को लगता है कि कय्यूम खान जितने ज्यादा वोट लेंगे, उतना ही फायदा भाजपा को होगा। कय्यूम की उम्मीदवार कांगे्रस को नुकसान पहुंचाएगी, इसलिए बड़े बड़े नेताओं ने कय्यूम पर दबाव डाला था। कय्यूम इसी क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। इसलिए गैर मुस्लिमों से भी कय्यूम के संबंध हैं। पिछले दो वर्षों से कय्यूम विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे, जहां तक भाजपा उम्मीदवार श्रीमती पलाड़ा का सवाल है तो उन्होंने भी अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में मसूदा के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। ग्राम पंचायत स्तर पर समस्या समाधान शिविर लगा कर ग्रामीणों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करवाया। सरकारी योजनाओं के अलावा स्वयं के खर्च से हजारों जरुरतमंद ग्रामीणों को कम्बल और आटे के कट्टे वितरित किए। हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार राकेश पारीक के लिए मसूदा विधानसभा क्षेत्र नया है। लेकिन समर्थकों का दावा है कि जातीय समीकरण पक्ष में हैं। सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए पारीक राजनीति में सक्रिय हैं। चूंकि पारीक इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं, इसलिए उन्होंने केकड़ी से दावेदारी जताई थी। लेकिन पार्टी ने केकडी से सांसद रघु शर्मा को ही उम्मीदवार बना दिया। इसलिए पारीक को मसूदा से उम्मीदवार बनाया गया। मसूदा में गुर्जर मतदाताओं की संख्या भी अधिक हैं। पारीक के चुनाव प्रचार में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी भी सक्रिय हैं। 
एस.पी.मित्तल) (24-11-18)
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Tuesday 20 November 2018

अजमेर में छठे दिन भी रेजीडेंट डाॅक्टरों की हड़ताल, मरीज परेशान।



अजमेर में छठे दिन भी रेजीडेंट डाॅक्टरों की हड़ताल, मरीज परेशान। चुनावी मौसम में कोई सुनने वाला नहीं है। आखिर कहां चली गई सरकार?
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20 नवम्बर को अजमेर के सरकारी जेएलएन अस्पताल में छठे दिन भी रेजीडेंट डाॅक्टर हड़ताल पर रहे। इससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अजमेर का सरकारी अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। पिछले दिनों रेजीडेंट डाॅक्टरों और मरीज के परिजन के बीच जो विवाद हुआ था, उसी को लेकर रेजीडेंट डाॅक्टर हड़ताल पर हैं। अब कहा जा रहा है कि अजमेर के मुद्दे को लेकर जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर आदि में भी रेजीडेंट डाॅक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। पिछले दिनों ही जनाना अस्पताल में भर्ती एक महिला ने डाॅक्टरों पर छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया था। अब इन दोनों ही मामलों को लेकर रेजीडंेट डाॅक्टर गुस्से में हैं। डाॅक्टरों को भी पता है कि मरीजों को कितनी परेशानी हो रही है। दिखाने के लिए अस्पताल के बाहर ओपीडी लगाई गई है, लेकिन अस्पताल के अंदर हड़ताल होने की वजह से मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। सरकारी अस्पताल में हड़ताल होने से निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। गंभीर बात तो यह है कि छह दिनों से चल रही डाॅक्टरों की हड़ताल पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। यह माना कि इन दिनों अजमेर और प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के पद पर अभी भी वसुंधरा राजे विराजमान हैं और वैधानिक दृष्टि से राजस्थान में भाजपा की सरकार कायम है। लेकिन हड़ताल को खत्म करवाने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास शुरू नहीं किए गए हैं। अजमेर शहर के दोनों भाजपा उम्मीदवार वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल अभी भी मंत्री हैं। लेकिन इन दोनों मंत्रियों ने भी हड़ताल को तुड़वाने की कोई पहल नहीं की है। चुनाव आचार संहिता में राजनेता कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले सकते, लेकिन जनता की समस्याओं के समाधान के लिए आचार संहिता ने किसी को भी नहीं रोका है। जहा ंतक अजमेर के प्रशासन का सवाल है तो उसने रेजीडेंट डाॅक्टरों की हड़ताल को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। 
रेजीडेंट डाॅक्टरों की एकता की वजह से प्रशासन कोई जोखिम भरा निर्णय नहीं ले रहा है। जिला कलेक्टर आरती डोगरा रोजाना अस्पताल के प्रिंसिपल अनिल जैन से रिपोर्ट तो लेती हैं, लेकिन हड़ताल को तुड़वाने की कोई का र्यवाही नहीं की जाती। जहां तक अस्पताल प्रबंधन का सवाल है तो वह रेजीडेंट डाॅक्टरों के मामले में  कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। जिस तरह से प्रशासन और सरकार पंगु बने हुए हैं उससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालत इतने खराब है कि बीमार मरीज अस्पताल के बाहर तड़पता रहता है, लेकिन उसका समुचित इलाज नहीं हो पाता है। 
एस.पी.मित्तल) (20-11-18)
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