Friday 30 April 2021

ऑक्सीजन नहीं है, इसलिए अजमेर में 250 बेड खाली पड़े हैं। कलेक्टर राजपुरोहित ने शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन से कहा।ब्यावर के सरकारी अस्पताल में 21 वेंटीलेटर कबाड़ में पड़े हैं-देवीशंकर भूतड़ा।


राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पार्टी के जिला कार्यालयों को कोरोना कंट्रोल रूम में तब्दील कर दिया है। अजमेर में भी शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन केसरगंज स्थित कार्यालय में बैठकर लोगों के दुख दर्द सुन रहे हैं। लोगों की शिकायत लेकर ही 29 अप्रैल को जैन ने जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित से मुलाकात की। जैन ने कलेक्टर को बताया कि संक्रमित मरीजों के परिजन ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन आदि को लेकर बहुत परेशान है। संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में बेड होने के बाद भी मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है। जैन की शिकायतों के जवाब में कलेक्टर राजपुरोहित ने माना कि जेएलएन अस्पताल में 250 बेड खाली पड़े हैं। चूंकि ऑक्सीजन का अभाव है, इसलिए मरीजों की भर्ती नहीं की जा रही है। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलते ही खाली बेड पर भी मरीजों की भर्ती शुरू कर दी जाएगी। कलेक्टर ने कहा कि भर्ती मरीजों की हर संभव मदद की जा रही है। जैन ने माना कि अजमेर के सरकारी अस्पतालों के हालात बहुत बुरे हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता हर संभव मदद कर रहे हैं। केसरगंज स्थित बाबू मोहल्ले में शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में आकर कोई भी व्यक्ति सहायता प्राप्त कर सकता है।
ब्यावर में वेंटिलेटर कबाड़ में:
पूर्व विधायक और देहात जिला भाजपा अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा ने आरोप लगाया कि ब्यावर के अमृतकौर अस्पताल में 21 वेंटीलेटर कबाड़ में पड़े हुए हैं। यह वेंटीलेटर क्षेत्रीय सांसद दीया कुमारी ने केन्द्र सरकार से उपलब्ध करवाए थे। आज जब कोरोना काल में वेंटीलेटर के अभाव में संक्रमित मरीज दम तोड़ रहे हैं, तब वेंटिलेटर का उपयोग नहीं होना बहुत शर्मनाक बात है। भूतड़ा ने कहा कि इन वेंटीलेटरों को संचालित करने वाले चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। ब्यावर के सरकारी अस्पताल में आसपास के क्षेत्रों के लोग बडी संख्या में आते हैं। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि सरकार की ओर से सिमित मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई हो रही है। 100 सिलेंडरों की आवश्यकता है, लेकिन 35 सिलेंडर ही उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। भूतड़ा ने कहा कि श्री सीमेंट के ब्यावर मसूदा प्लांट पर ऑक्सीजन तैयार किया जा रहा है। लेकिन इस ऑक्सीजन को ब्यावर के अस्पताल में देने के बजाए दूसरे जिलों में भेजा जा रहा है। उन्होंने मांग की कि जो ऑक्सीजन श्री सीमेंट पर तैयार हो रहा है, इसे ब्यावर में ही सप्लाई की जाए। भूतड़ा ने कहा कि प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अजमेर जिले के हैं।  लेकिन कोरोना काल में रघु शर्मा ने अजमेर की अनदेखी कर रखी है। आज जिले भर में कोरोना संक्रमित मरीज बेहद परेशान हो रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा तो भर्ती मरीजों के ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है। जिले की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। 
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अजमेर में दैनिक भास्कर अखबार की शुरुआत करने वाले पत्रकार अरविंद गर्ग का कोरोना से निधन। लाख कोशिश के बाद भी नहीं बचाया जा सका।

दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद गर्ग का भी 30 अप्रैल को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित श्मशान स्थल पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। अरविंद का निधन भी कोरोना संक्रमण से हुआ। संक्रमित होने के बाद अरविंद का प्राथमिक इलाज अजमेर के एक निजी अस्पताल में करवाया गया, लेकिन बेहतर इलाज के लिए अरविंद को जयपुर स्थित आरयूएचएस अस्पताल ले जाया गया। इसी अस्पताल में विधायकों, सांसदों मंत्रियों और प्रभावशाली व्यक्तियों का इलाज होता है। पिछले दिनों जब प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा संक्रमित हुए थे, तब इसी अस्पताल में इजाज हुआ था। यानी अरविंद को बचाने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन कोरोना से नहीं बचाया जा सका। 30 अप्रैल को तड़के 4 बजे अरविंद का निधन हो गया। अरविंद का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। 1997 में जब हमने दैनिक भास्कर की शुरुआत की थी, तब उस टीम में अरविंद गर्ग भी शामिल थे। 1997 से लेकर 29 अप्रैल 2021 तक अरविंद दैनिक भास्कर से जुड़े रहे। यानी अरविंद ने 25 वर्ष तक भास्कर में काम किया। मुझे याद है, जब भास्कर प्रबंधन संघर्ष के दौर में था, तब मददगारों में अरविंद गर्ग भी शामिल रहे। भास्कर समूह के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय रमेश अग्रवाल ने मुझे सूचित किया कि तीन ट्रकों में वेब ऑफसेट मशीन अजमेर पहुंच रही है। ट्रक चुंगीनाकों से सुरक्षित निकल जाएं, इसकी जिम्मेदारी भी दी गई। हमने योजना बनाई और ट्रकों को सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी अरविंद को दी। अरविंद अपने मिशन में कामयाब रहे। जयपुर के बाद भास्कर ने जब अजमेर में पैरा जमाया तो फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज भास्कर जिस मुकाम पर खड़ा है उसमें अरविंद गर्ग का भी योगदान है। हमारी टीम में अरविंद गर्ग जैसे पत्रकार रहे, इसलिए हम भास्कर को अजमेर में जमा पाए। आज भले ही मैं भास्कर में काम नहीं कर रहा, लेकिन भास्कर में रहते मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। अजमेर में भास्कर को किन परिस्थितियों में निकाला और फिर सबसे बड़ा अखबार बनाया, इसके बारे में ओंकार सिंह लखावत और एडवोकेट राजेश टंडन से भी पूछा जा सकता है। अरविंद की उम्र मुश्किल से 55 वर्ष होगी। अरविंद जब भी मिलते, तब पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। यह ब्लॉग लिखते वक्त मेरी आंखों में आंसू हैं। आखिर यह कैसी महामारी है जिसमें प्रियजन मारे जा रहे हैं। हम अपनी आंखों के सामने प्रियजनों को तड़प तड़प कर मरता देख रहे हैं और कुछ नहीं कर पा रहे। अरविंद ने अपनी पुत्री का विवाह तीन वर्ष पहले ही धूमधाम से किया था। अरविंद को अभी अपने पुत्र का विवाह भी करना था, लेकिन कोरोना ने अरविंद को अपने पुत्र का विवाह नहीं देखने दिया। अरविंद के निधन से भास्कर सहित अजमेर के पत्रकार जगत में शोक है। ईश्वर अरविंद गर्ग की आत्मा को शांति प्रदान करें। 
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कोरोना काल में आरसीडीएफ ने पशु आहार तीन रुपए प्रति किलो महंगा किया। राजस्थान के गरीब पशुपालकों को प्रतिदिन 60 लाख रुपए अधिक चुकाने होंगे।अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री से मूल्य वृद्धि को स्थगित करने की मांग की ।

सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने 30 अप्रैल से प्रदेश भर में पशु आहार के मूल्य में 3 रुपए प्रति किलो की वृद्धि कर दी है। प्रदेश के सात पशु आहार संयंत्रों में प्रतिदिन 20 लाख किलो पशु आहार तैयार होता है। इस हिसाब से प्रदेश के गरीब पशुपालकों को प्रतिदिन 60 लाख रुपए अधिक चुकाने होंगे। कोरोना संक्रमण में पशुपालक पहले ही परेशान हैं और पशु आहार पर मूल्य वृद्धि से उसकी परेशानी और बढ़ जाएगी। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने इस मूल्य वृद्धि का कड़ा विरोध किया है। चौधरी ने आरोप लगाया कि फेडरेशन के अधिकारियों ने समय रहते कच्चे माल की खरीद नहीं की, इससे पहले पशु आहार का उत्पादन ठप हो गया, लेकिन बाद में जब महंगी दर पर कच्चा माल खरीदा तो 3 रुपए प्रति किलो की वृद्धि कर दी। कच्चा माल समय पर नहीं खरीदने की जिम्मेदारी फैउरेशन की है, इसलिए मूल्य वृद्धि भी फेडरेशन को ही वहन करनी चाहिए। फेडरेशन के अधिकारी अपनी गलती का दंड गरीब पशुपालकों को नहीं दे सकते हैं। एक और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पशुपालकों को एक लीटर दूध पर दो रुपए का अनुदान दे रहे हैं तो दूसरी ओर फेडरेशन के अधिकारियों ने पशु आहार प्रति किलो तीन रुपए महंगा कर दिया है। चौधरी ने मुख्यमंत्री गहलोत को एक पत्र लिख कर आग्रह किया है। चौधरी ने कहा कि कोरोना काल में पशुपालक महंगा आहार नहीं खरीद सकता है। पत्र में यह भी मांग की गई कि कच्चा माल खरीदने और फिर पशु आहार के दाम बढ़ाने की एक कमेटी बनाकर जांच करवाई जाए। इस कमेटी में जिला दूध संघ के दो अध्यक्षों के सदस्य के तौर पर शामिल किया जाए। चौधरी ने मुख्यमंत्री को बताया कि आज राजस्थान दूध उत्पादन में देश में दूसरे नम्बर पर हैं। पशु नस्ल सुधार में ही राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के समकक्ष खड़ा है। ऐसे में यदि पशु आहार की कीमत बढ़ाई जाती है तो डेयरी उद्योग को नुकसान होगा। पशु आहार की मूल्य वृद्धि पर और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414004111 पर रामचंद्र चौधरी से ली जा सकती है।
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केन्द्र और राज्य के संयुक्त प्रयास नहीं हुए तो जयपुर के महात्मा गांधी, संतोकबा दुर्लभजी, भगवान महावीर कैंसर व नारायण तथा अजमेर के मित्तल अस्पताल में ऑक्सीजन का संकट हो जाएगा।29 अप्रैल को थोड़ी राहत दिलवाने में अजमेर से जुड़े आईएएस, मुख्य सचेतक महेश जोशी और पत्रकार इंदू शेखर पंचोली की सकारात्मक भूमिका रही।

इसे मानव का कर्म और ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि 29 अप्रैल की रात को राजस्थान में पांच प्रमुख निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज सुरक्षित रह गए। यदि समय रहते ऑक्सीजन का विवाद नहीं सुलझा तो 30 अप्रैल को बड़ा हादसा हो सकता था। हादसा भी ऐसा जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल हैं। जयपुर के महात्मा गांधी, संतोकबा दुर्लभजी भगवान महावीर कैंसर व नारायण अस्पताल तथा अजमेर के मित्तल अस्पताल में कोरोना काल में करीब दो हजार मरीज भर्ती है। इन पांचों निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई लिक्विड नॉर्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा की जाती है। कंपनी से अस्पतालों का वार्षिक अनुबंध हो रखा है। इन पांचों अस्पतालों को प्रतिदिन 351 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई हो रही थी, लेकिन केन्द्र सरकार ने 29 अप्रैल को दिन में ऑक्सीजन सप्लाई पर रोक लगा दी। केन्द्र सरकार के अधिकारियों का कहना रहा कि उनकी अनुमति के बगैर ऑक्सीजन नहीं दी जा सकती। ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाने से पांचों अस्पतालों पर संकट आ गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए पूरे प्रकरण में प्रदेश के मुख्य सचेतक महेश जोशी से लेकर दिल्ली में बैठे आईएएस पीयूष मोरडिया, डॉ. धीरज भटनागर के साथ वरिष्ठ पत्रकार इंदु शेखर पंचोली तक को सक्रिय किया गया। इधर राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने भी रात को ही पत्र लिखकर ऑक्सीजन सप्लाई को जारी रखने का आग्रह किया। देर रात तक को प्रयास हुए उससे  अब इन पांचों अस्पतालों के लिए 15 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की अनुमति दे दी गई है। इससे इन अस्पतालों को थोड़ी राहत मिल गई है और भर्ती मरीजों पर से भी संकट टल गया है। लेकिन अभी भी केन्द्र और राज्य सरकार को संयुक्त प्रयास करने होंगे। सरकार अस्पताल में पहले ही ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, जब यदि निजी अस्पतालों के सामने भी संकट हो जाएगा तो हालात और बिगड़ेंगे। दो हजार मरीजों की भर्ती से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में ये निजी अस्पताल इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सरकार के ताजा निर्देशों के अनुसार अब तो वो ही मरीज भर्ती होंगे, जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम है। जिन मरीजों को ऑक्सीजन लेवल 90 से कम होता है उन्हें ऑक्सीजन की जरुरत होती है। यानि अब उन्हीं मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन की मांग और बढ़ गई है। राज्य सरकार को चाहिए कि निजी अस्पतालों की मांग को देखते हुए केन्द्र से ऑक्सीजन का कोटा बढ़वाए। जो अस्पताल अपने स्तर पर ऑक्सीजन प्राप्त कर रहे हैं उनकी सप्लाई भी नहीं रुकनी चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब एक मई से चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कर लाखों लोगों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में करवाना चाहते हैं, तब राज्य सरकार का यह दायित्व है कि निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की सप्लाई बनी रहे। 
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Thursday 29 April 2021

होम्योपैथी की दवाओं से भी कोरोना का मुकाबला किया जा सकता है। घर बैठे बढ़ा सकते हैं ऑक्सीजन लेवल।होम्योपैथी की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राधा माहेश्वर मोबाइल नम्बर 9799298500 पर परामर्श भी दे रही हैं।

प्रदेश की प्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. राधा माहेश्वरी कोरोना काल में जन सेवा का काम कर रही है। जन सेवा के इस कार्य में उनके पति सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक ललित महेश्वरी भी सहयोग कर रहे हैं। अब जब अधिकांश चिकित्सक फोन अटेंड नहीं करते हैं, तब माहेश्वरी प्रतिदिन दोपहर तीन से सायं 5 बजे तक अपने मोबाइल नम्बर 9799298500 पर सभी मरीजों को जवाब देती हैं या फिर वाट्सएप पर मर्ज के अनुसार होम्योपैथी की दवा लिखती हैं। अच्छा हो कि लोग वाट्सएप पर डॉ. राधा माहेश्वरी को अपना मर्ज बताएं। डॉ. माहेश्वरी का मानना है कि जब परेशान लोग ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन के लिए इधर उधर भटक रहे हैं तब होम्योपैथी की दवाइयों का उपयोग करना चाहिए। इससे न केवल कोरोना संक्रमण से मुकाबला किया जा सकता है, बल्कि संक्रमित व्यक्ति को ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ाया जा सकता है। यदि ऑक्सीजन लेवल 90 से कम हो रहा है तो एपसिपोडरमा की 10 बूंदे चौथाई कप पानी में घोल कर पीएं। यह हर दो घंटे में लेने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ जाएगा। इसी प्रकार कार्बोबेज-200 की 4 गोलियां सीधे जीभ पर रख लें। इसे होम्योपैथी में जीवन रक्षक माना जाता है। गले में संक्रमण होने पर ऑरम ड्राइफेलियम-30 की चार गोलियां दिन दो बार तथा फैरमफोस-6एक्स की दो गोली दिन में दो बार ली जा सकती है। शारीरिक संक्रमण होने पर एचीनेसिया आगस्टोफोलिया मदर टिंचर की पांच बूंदे चौथाई कप पानी में दिन में दो बार। डॉ. राधा माहेश्वरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आर्सेनिक एलबा-30 की 5-6 गोलियां खाली पेट दिन में एक बार ली जा सकती है। जो व्यक्ति प्रतिदिन घर से बाहर निकलते हैं उन्हें लगातार 3 दिन यह दवा लेनी चाहिए। इस कोर्स को 15 दिन में दोहराना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हिम्मत रखने की जरूरत है। हालांकि यह समय मुसीबत का है, लेकिन इसमें धैर्य की जरूरत है। होम्योपैथी की दवाएं अपेक्षाकृत सस्ती आती है। लोगों को सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकला जाए।
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क्या बंगाल में चुनाव करवाने के लिए आयोग ही दोषी है?चुनाव टालने की स्थिति में क्या ममता बनर्जी राष्ट्रपति शासन का कानून स्वीकार कर लेतीं?कम चरणों में मतदान पर जोर क्यों?चुनाव आयोग की आलोचना करने वाले अपने गिरेबान में झाके।

29 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में आठवें और अंतिम चरण का मतदान संपन्न हो गया। पश्चिम बंगाल के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब मतदान में इतनी कम हिंसा हुई। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो वामपंथी आरोप लगाते थे कि मतदान वाले दिन गुंडा तत्व लोगों को वोट डालने नहीं देते हैं। जब वामपंथी सत्ता में आए तो ऐसा ही आरोप टीएमसी और ममता बनर्जी का रहा। अब जब पिछले 10 वर्षों से ममता का राज है तो भाजपा यही आरोप लगा रही है। संभवत: यह पहला अवसर रहा, जब पश्चिम बंगाल के चुनाव में इतनी बड़ी संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। इस तैनाती का ही परिणाम रहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों ने भयमुक्त होकर मतदान किया। मतदान में सभी वर्ग के लोगों ने भाग लिया है, इस बात का पता मतदान के प्रतिशत से चलता है। जिस चुनाव आयोग ने भयमुक्त और शांतिपूर्ण चुनाव करवाए, उस आयोग पर कोरोना को लेकर दोषारोपण किया जा रहा है। सवाल उठता है  कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव टालने का निर्णय क्या सिर्फ चुनाव आयोग अपने स्तर पर कर सकता था? क्या चुनाव टालने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया? हकीकत सब जानते हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से अकेले आयोग को निशाना बनाया जा रहा है। यदि कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव आयोग अपने स्तर पर चुनाव टालता तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ता, क्योंकि मई में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद ममता बनर्जी की सरकार कायम नहीं रह सकती थी। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी कभी भी राष्ट्रपति शासन स्वीकार नहीं करतीं। जिन ममता ने अभी तक भी जगदीप धनखड़ को राज्यपाल स्वीकार नहीं किया वो ममता बनर्जी धनखड़ को अपने बंगाल का प्रशासनिक मुखिया कैसे मान लेती? भाजपा हो या टीएमसी दोनों का रुख चुनाव टालने का नहीं था। तो फिर अकेले चुनाव आयोग को दोषी क्यों ठहराया जा रहा है। मतदान के बाद यदि बंगाल में कोरोना का विस्फोट होता है तो इसकी जिम्मेदारी सभी राजनीतिक दलों की होगी। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उस ने संविधान के मुताबिक बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव करवाए हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो टीएमसी और भाजपा की टक्कर में कांग्रेस कहीं भी नजर नहीं आई। अपनी इज्जत बचाने के लिए कांग्रेस ने वामपंथियों से गठबंधन किया है। इस गठबंधन की स्थिति का पता दो मई को परिणाम वाले दिन चल जाएगा। यदि राहुल गांधी छठे चरण के बाद प्रचार कर भी लेते तो कांग्रेस की स्थिति पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो वह एक राजनीतिक दल के नाते बंगाल में सत्ता पर काबिज होने के लिए उतावली है। यदि बंगाल की जनता चाह रही होगी तो अगला मुख्यमंत्री भाजपा का ही बनेगा। 
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता गहलोत के कोरोना संक्रमित होने के मामले को केस स्टडी के तौर पर लिया जाना चाहिए।चिकित्सक और वैज्ञानिक बताएं कि इतनी सुविधा और सुरक्षा में होने के बाद भी सुनीता गहलोत कैसे संक्रमित हो गई? अशोक गहलोत ने तो वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए थे। कोरोना की पहली रिपोर्ट भी नेगेटिव आई थी।16 अप्रैल को असम के कांग्रेस उम्मीदवारों से मुलाकात कर समूह फोटो भी खिंचवाया था।

29 अप्रैल को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं इत्तला दी कि वे भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। इससे पहले 28 अप्रैल को सीएम ने बताया था कि उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता गहलोत संक्रमित है। हालांकि उन्होंने स्वयं भी जांच करवाई थी, लेकिन उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। लेकिन 12 घंटे बाद ही दूसरी रिपोर्ट में सीएम भी संक्रमित हो गए। कोरोना के दूसरे चरण में सीएम गहलोत रोजाना चिल्ला रहे हैं कि लोग लापरवाही बरत रहे हैं, इसलिए प्रदेश में कोरोना फैल रहा है। अखबारों और चैनलों पर हिदायत भी दी जा रही है। स्वभाविक है कि ऐसे माहौल में जयपुर स्थित सीएम आवास पर परिवार के सदस्य कोई कोताही या लापरवाही नहीं बरत रहे होंगे। आम दम्पत्ति को तो कोरोना काल में अनेक मुसीबतों के दौर से गुजरना पड़ रहा है, लेकिन सीएम आवास पर सुनीता गहलोत को ऐसी किसी भी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ रहा है। सीएम आवास पर तमाम तरह की सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध है। सुनीता गहलोत को साफ सफाई का काम भी नहीं करना पड़ता है और न ही आम ग्रहणी की तरह कामवाली बाईयों से माथापच्ची करनी होती है। सीएम आवास पर मिलने भी वही व्यक्ति आ सकता है जिसे स्वीकृति दी जाए। लेकिन इसके बाद भी सुनीता गहलोत संक्रमित हो गईं। इसी प्रकार सीएम गहलोत का संक्रमित होना भी कई सवाल खड़े करता है। यह माना कि सीएम चौबीस घंटे में से 18 घंटे काम कर रहे हैं। प्रतिदिन वर्चुअल बैठकें कर रहे हैं। लेकिन सीएम के इन सभी कार्यों में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन होता है। आमतौर पर वर्चुअल बैठक में सीएम अकेले ही होते हैं। जब कभी कोई मंत्री उपस्थित रहता है तो दो नहीं चार गज की दूरी रहती है। कई बार तो सीएम के सामने कांच का घेरा रहता है। ऐसा नहीं कि नरेंद्र मोदी द्वारा भेजी गई वैक्सीन से गहलोत ने परहेज किया। समय रहते वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए। सीएम गहलोत के साथ भी वही हुआ जो आम परिवार के साथ हो रहा है। कोविड की पहली रिपोर्ट नेगेटिव आई, जबकि दूसरी पॉजिटिव। जब आम व्यक्ति के साथ ऐसा होता है तो पूरा परिवार परेशान हो जाता है। आज प्रदेश भर के अस्पतालों में हजारों लोग मौत से संघर्ष कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत ने कोरोना में रात दिन काम किया है, लेकिन अब चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को यह बताना चाहिए कि इतनी सुविधा और सुरक्षा में रहने के बाद सुनीता गहलोत और वैक्सीन के दोनों डोज समय पर लगवाने के बाद भी अशोक गहलोत संक्रमित कैसे हो गए? चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को गहलोत दम्पत्ति के संक्रमित होने के मामले को केस स्टडी के तौर पर लेना चाहिए।
असम के उम्मीदवारों से मुलाकात:
इसे राजनीतिक मजबूरी ही कहा जाएगा कि सीएम अशोक गहलोत ने गत 16 अप्रैल को असम के कांग्रेस उम्मीदवारों से सीएम आवास पर मुलाकात की थी। कांग्रेस के नेताओं ने सीएम को शॉल आदि भी ओढाए। इतना ही नहीं कोई 20 कांग्रेसियों के साथ समूह फोटो भी खिंचवाया। हालांकि फोटो के समय कांग्रेसियों ने मुंह पर मास्क लगा रखा था, लेकिन किसी ने भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया था। सीएम गहलोत ने असम के उम्मीदवारों से शिष्टार मुलाकात करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सब जानते हैं कि असम में 6 अप्रैल को तीसरे और अंतिम चरण का मतदान हो जाने के बाद कांग्रेस के उम्मीदवार इधर उधर भाग रहे थे, तब उम्मीदवारों को सुरक्षित रखने के लिए सीएम गहलोत ने उम्मीदवारों को जयपुर बुला लिया। कोई 12-13 दिन जयपुर की होटल फेयर माउंट में रहने के बाद सभी उम्मीदवार असम लौट गए थे। लौटते समय 16 अप्रैल को उम्मीदवारों ने गहलोत से सीएम आवास पर मुलाकात की थी। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि 16 अप्रैल की घटना का असर अब हुआ है। 
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Wednesday 28 April 2021

अजमेर में 5 हजार से भी ज्यादा कोरोना संक्रमित व्यक्ति घरों पर आइसोलेट। करीब 600 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं।संक्रमित व्यक्ति के लिए घरों पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध करवा रहा है अजमेर प्रशासन।28 अप्रैल को सायं 4 बजे से वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे 18 वर्ष वाले।अजमेर में दो और कोविड अस्पताल शुरू।

अजमेर में कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 5 हजार से भी ज्यादा संक्रमित व्यक्तियों को घरों पर आइसोलेट हैं। कई घर तो ऐसे हैं, जिनके सभी सदस्य संक्रमित हैं। जो संक्रमित व्यक्ति गंभीर स्थिति में है उसे अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी ने बताया कि करीब 400 संक्रमित मरीज सरकारी और करीब 200 संक्रमित मरीज विभिन्न निजी अस्पताल में भर्ती हैं। जिन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हैं, उन्हें ऑक्सीजन बाइपेप अथवा वेंटीलेटर पर रखा हुआ है। डॉ. सोनी ने कहा कि इस महामारी से बचने के लिए लोगों को स्वयं जागरूक रहने की जरूरत है। प्रशासन अपने स्तर पर इंतजाम कर रहा है, लेकिन संक्रमण की स्थिति को देखते हुए इंतजाम कम पड़ रहे हैं। लोगों को अपने घरों पर रह कर ही संक्रमण की चैन को तोड़ना है। डॉ. सोनी ने लोगों से आग्रह किया कि जरूरत महसूस होने पर कोरोना टेस्ट जरूर करवाया जाए। जेएलएन अस्पताल सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध है।
घरों पर भी सिलेंडर की सुविधा:
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जो मरीज घरों पर आइसोलेट हैं, उन्हें जरूरत महसूस होने पर ऑक्सीजन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। ऑक्सीजन के सिलेंडर चिकित्सक की पर्ची पर दिए जाते हैं। इसके लिए दो निजी संस्थाओं को प्रतिदिन ऑक्सीजन सिलेंडर दिए जा रहे हैं। जिन मरीजों को घर पर सिलेंडर की जरूरत है वे फेयर डील ट्रेडर्स और चर्चित मेडिकेयर वालों से संपर्क कर सकते हैं, लेकिन सिलेंडर प्राप्ति के लिए आवश्यक कार्यवाही पूरी करनी होगी। प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या के अनुपात में ऑक्सीजन सिलेंडर दिए जा रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों को एंबुलेंस आदि के लिए भी सिलेंडर दिए जा रहे हैं।
वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाएं:
18 वर्ष वाले युवक कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए 28 अप्रैल को सायं 4 बजे से कोविनएप और आरोग्य सेतु एप पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। सरकार ने 28 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन की घोषणा की थी, लेकिन 28 अप्रैल को सुबह से ही लोग परेशान होते रहे। बाद में सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण दिया गया कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सायं 4 बजे से शुरू होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि 18 वर्ष वाले युवाओं को भी अब 1 मई से वैक्सीन लगना शुरू हो जाएगा। राजस्थान सहित कई राज्यों में अपने प्रदेश के युवाओं को नि:शुल्क वैक्सीन लगाने की घोषणा की है।
दो कोविड अस्पताल और शुरू:
अजमेर में संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने आदर्श नगर स्थित सैटेलाइट अस्पताल और पंचशील स्थित समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है। पंचशील स्थित अस्पताल में 28 अप्रैल से मरीजों की भर्ती भी शुरू हो गई है। 29 अप्रैल से सैटेलाइट अस्पताल में भी संक्रमित मरीजों की भर्ती का काम शुरू हो जाएगा। इन अस्पतालों में ओपीडी भी शुरू की गई है। इन दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन, बाइपेप मशीन और वेंटीलेटर की सुविधा भी उपलब्ध है।
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अजमेर के अस्पतालों में नहीं मिली जगह और ऑक्सीजन। आखिर 71 वर्षीय संक्रमित प्रेमचंद जांगिड़ ने दम तोड़ दिया।जेएलएन अस्पताल में बाइपेप मशीन उपलब्ध करवा कर कलेक्टर ने मरीज जगदीश की जान बचाई।पूर्व डिप्टी मेयर संपत सांखला के भाई राजेन्द्र सांखला का निधन। छोटा भाई महेश भी अस्पताल में भर्ती है।

अजमेर के किशनगढ़ उपखंड के जागरूक पत्रकार प्रकाश जांगिड़ का दर्द है कि वे अपने 71 वर्षीय भाई प्रेमचंद जांगिड़ को लेकर जिले के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन इलाज नहीं मिला। 27 अप्रैल को प्रेमचंद का निधन हो गया। प्रकाश जांगिड़ का अनुभव है कि कोरोना काल में चिकित्सा सुविधाओं के दावे ढकोसले हैं। हालात इतने खराब है कि किशनगढ़ के विधायक सुरेश टाक की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। संक्रमित होने के लिए 24 अप्रैल को प्रेमचंद को गेगल स्थित जीडी बड़ाया अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन ऑक्सीजन नहीं होने की बात कर अस्पताल प्रशासन ने 25 अप्रैल को ही भगा दिया। प्रेमचंद को अजमेर जिले के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करवाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। कहीं जगह नहीं थी तो कहीं ऑक्सीजन। दिन भर भटकने के बाद किशनगढ़ के यज्ञनारायण अस्पताल में बड़ी मुश्किल से भर्ती करवाया गया, लेकिन वेंटीलेटर की सुविधा नहीं होने के कारण चिकित्सकों ने अजमेर के जेएलएन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जेएलएन में वेंटिलेटर आदि की सुविधा मिले, इसके लिए किशनगढ़ के विधायक सुरेश टाक ने भी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन को फोन भी किया, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी जेएलएन में प्रेमचंद को भर्ती नहीं करवाया जा सका। सारी सिफारिशें धरी रह गई। बाद में पैसे के दम पर ब्यावर रोड स्थित संत फ्रांसिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन इस अस्पताल में भी वेंटीलेटर की सुविधा नहीं मिली। 27 अप्रैल को प्रेमचंद का निधन हो गया। प्रकाश जांगिड़ का मानना है कि भाई की मौत की जिम्मेदारी मौजूदा चिकित्सा व्यवस्था की है। इस घटनाक्रम के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829071306 पर प्रकाश जांगिड़ से ली जा सकती है।
कलेक्टर के प्रयासों से बची जान:
अजमेर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित के प्रयासों से 27 अप्रैल को पुष्कर रोड स्थित राधा बिहार कालोनी निवासी जगदीश कट्टा की जान भी बची है। संक्रमित होने के बाद जगदीश को कोटड़ा स्थित आरएस अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद जगदीश को जेएलएन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। 27 अप्रैल को दोपहर को जगदीश को जेएलएन अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन जगदीश की जान बचाने के लिए वेंटीलेटर की सख्त आवश्यकता थी। ऐसे में जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित का ध्यान आकर्षित किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने जेएलएन अस्पताल प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए। तब जगदीश को बाइपेप मशीन की सुविधा मिली। नया बाजार के सर्राफा कारोबारी जगदीश की स्थिति अब बेहतर है। यदि कलेक्टर के द्वारा त्वरित कार्यवाही नहीं की जाती तो जगदीश की जान जा सकती थी। जानकारों के अनुसार सूचना मिलने पर कलेक्टर राजपुरोहित सभी मामलों में त्वरित कार्यवाही करते हैं।
राजेन्द्र सांखला का निधन:
अजमेर के डिप्टी मेयर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता संपत सांखला के बड़े भाई राजेन्द्र सांखला का 27 अप्रैल को निधन तड़के पंचशील स्थित क्षेत्रपाल अस्पताल में निधन हो गया। सांखला पेट की बीमारी के कारण पिछले एक सप्ताह से भर्ती थे। सांखला एवीवीएनएल में कार्यरत थे। सांखला का अंतिम संस्कार पुष्कर रोड स्थित श्मशान स्थल पर कर दिया गया। संपत सांखला के छोटे भाई महेश पिछले तीन दिनों से पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में भर्ती है। महेश कोरोना संक्रमित हैं। 
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केन्द्र सरकार से इस तालमेल को बनाए रखने की जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है।विलम्ब से सही लेकिन स्वयं के द्वारा पीएम से संवाद और तीन मंत्रियों को दिल्ली भेजने की पहल सराहनीय है।फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल पर चार विधायकों के साथ हुई सहयोगात्मक चर्चा।

कोरोना संकट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर संवाद करने और तीन मंत्रियों का दिल्ली जाकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात करने को लेकर 27 अप्रैल को रात आठ बजे राजस्थान के लोकप्रिय न्यूज़ चैनल फर्स्ट इंडिया पर एक चर्चा हुई। इस चर्चा में मैंने राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर भाग लिया। जबकि चर्चा में मेरे साथ कांग्रेस के विधायक रफीक खान, प्रशांत बैरवा, रामकेश मीणा तथा भाजपा के विधायक रामलाल उपस्थित थे। इस चर्चा का निष्कर्ष यह रहा कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार के साथ जो तालमेल हुआ है उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है। कांग्रेस के विधायकों ने भले ही भाजपा सांसदों की अनदेखी पर नाराजगी जताई लेकिन यह स्वीकार किया कि 27 अप्रैल को दिल्ली में मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला और रघु शर्मा से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की मुलाकात सकारात्मक रही है। सब जानते हैं कि कोरोना के दूसरे दौर में राजस्थान सरकार और केन्द्र के बीच टकराव ज्यादा ही बढ़ गया था। सीएम गहलोत ने भी केन्द्र सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया, जबकि केन्द्र का कहना रहा कि जो संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं उनका उपयोग गहलोत सरकार नहीं कर रही है। केन्द्र और राज्य की खींचतान का खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है। जब अस्पतालों में ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन के अभाव में मरीज दम तोडऩे लगे, तब मुख्यमंत्री ने तीन मंत्रियों को दिल्ली भेज कर तालमेल की कोशिश की। सीएम गहलोत को पता था कि नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल कोटा से ही विधायक हैं और ओम बिरला कोटा के सांसद हैं, इसलिए तीन सदस्यीय कमेटी में धारीवाल को भी शामिल किया। ओम बिरला ने मंत्रियों की कमेटी को जो महत्व दिया, उसके पीछे धारीवाल का व्यवहार ही रहा। बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष के पद का प्रभाव काम में लेते हुए तीनों मंत्रियों की वर्चुअल मीटिंग केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल आदि से भी करवाई। इसमें कोई दो राय नहीं है कि 27 अप्रैल से राज्य और केन्द्र सरकार में बेहतर तालमेल हुआ है। अब राज्य के मंत्रियों को आरोप लगाने के बजाए केन्द्र से अधिक से अधिक मदद लेनी चाहिए। ताकि राजस्थान में दम तोड़ते मरीजों को मदद मिल सके। यह सही है कि राजस्थान में 25 में से 24 सांसद भाजपा के हैं, कोरोना काल में यदि भाजपा सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से दूर रहे तो अगले चुनाव में जनता सबक सिखाएगी, लेकिन सीएम गहलोत को अपने मंत्रियों पर भी नियंत्रण रखना होगा। पहली बार मंत्री बन कर चिकित्सा महकमे के मंत्री बने रघु शर्मा के बयानों की वजह से कई बार गहलोत सरकार को मुसीबत का सामना करना पड़ा है। मौजूदा समय में भी यही हो रहा है। ऐसे में केन्द्र से बेहतर तालमेल बना रहे, इसकी जिम्मेदारी स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है। 
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Tuesday 27 April 2021

कोरोना में मदद के लिए सीएम गहलोत ने पीएम मोदी से गुहार लगाई। राजस्थान के तीन मंत्री लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के घर पहुंचे।राधा स्वामी सत्संग द्वारा तैयार 500 बैड का कोविड अस्पताल शुरू नहीं हो पा रहा है।

राजस्थान में कोरोना संक्रमण से बिगड़ते हालात के मद्देनजर 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बात की। सीएम ने मोदी से आग्रह किया कि ऑक्सीजन के टैंकरों को एयर लिफ्ट करवाया जाए, ताकि अस्पतालों में भर्ती मरीजों को समय पर सांस दी जा सके। सीएम गहलोत ने आग्रह किया कि प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या के अनुरूप सहायता दिलाई जाए। पीएम मोदी ने मदद का पूरा भरोसा दिलाया। 27 अप्रैल को ही प्रदेश के मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला और रघु शर्मा दिल्ली प्रवास पर रहे। तीनों मंत्रियों ने सबसे पहले कोटा के सांसद और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। तीनों मंत्रियों ने प्रदेश की स्थिति से बिरला को अवगत करवाया। तीनों मंत्रियों ने बिरला से आग्रह किया कि वे प्रभाव का इस्तेमाल कर राजस्थान की मदद करावें। सूत्रों के अनुसार तीनों मंत्रियों की उपस्थिति में बिरला ने कई केंद्रीय मंत्रियों से फोन पर बात की। तीनों मंत्रियों की इस मुलाकात को केन्द्र और राज्य के बीच चल रही खींचतान को कम करने वाला भी बताया जा रहा है। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अक्सर केन्द्र पर हमला करते हैं। बिरला ने कहा कि राजस्थान के साथ राजनीतिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। केन्द्र सरकार पूरी मदद करवाई जाएगी। राज्य के तीनों मंत्रियों का केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल आदि से भी मिलने का प्रोग्राम है।
अस्पताल शुरू नहीं हुआ:
27 अप्रैल को भी जयपुर के निकट बीलवा में राधा स्वामी सत्संग परिसर में बनाया गया 500 बैड का कोविड सेंटर अस्पताल शुरू नहीं हो सका है। सरकार ने राधा स्वामी सत्संग वालों से अस्थाई तौर पर कोविड अस्पताल बनाने का आग्रह किया था। राजस्थान स्वामी संस्थान से जुड़े लोगों ने कड़ी मेहनत कर सत्संग हॉल में 500 बैड का अस्थाई अस्पताल का निर्माण कर दिया। लेकिन अब राज्य सरकार इस अस्पताल का उपयोग नहीं कर पा रही है। अस्पताल बने चार दिन गुजर गए लेकिन अभी तक भी मरीजों की भर्ती का काम शुरू नहीं हुआ है। असल में राज्य सरकार को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवानी है। लेकिन सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से अस्पताल में मरीजों की भर्ती का काम शुरू नहीं हुआ है। ताजा संकट ऑक्सीजन की कमी का बताया जा रहा है। जानकार सूत्रों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में भर्ती संक्रमित मरीजों को ही ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, ऐसे में नए अस्पताल को खोलकर मरीजों को ऑक्सीजन कैसे उपलब्ध करवाया जाएगा? इन दिनों जो भी संक्रमित मरीज आ रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन की जरुरत है। राधा स्वामी सत्संग से जुड़े लोग पिछले चार दिनों से मरीजों का इंतजार कर रहे हैं। भर्ती मरीजों के भोजन आदि की व्यवस्था भी राधा स्वामी सत्संग वालों की ओर से की जाएगी। मालूम हो कि बीलवा में 3 लाख लोगों के एक साथ बैठने की व्यवस्था है। इसलिए वाटर प्रूफ शेड में कोविड अस्पताल का निर्माण किया गया है। इस अस्पताल में पांच हजार बैड तक लगाए जा सकते हैं। वार्ड निर्माण और पलंग बनाने का काम भी संस्थान से जुड़े भामाशाह ही कर रहे हैं। 

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अजमेर प्रशासन राजस्थान पत्रिका अखबार को बताए कि जब अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है तो 26 अप्रैल को जेएलएन अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में एक महिला सफाई कर्मी की मौत क्यों हो गई?क्या ऑक्सीजन की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में संक्रमित मरीज भर्ती भी नहीं हो रहे हैं?

27 अप्रैल को राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण में पेज दो पर दो महत्वपूर्ण खबरें छपी है। एक खबर में बताया गया कि ऑक्सीजन के अभाव में 26 अप्रैल को जेएलएन अस्पताल में भर्ती एक महिला सफाई कर्मचारी की मृत्यु हो गई। यह महिला अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती थी। परिजन का कहना है कि यदि समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जाता तो महिला की जान बच सकती थी। इसी पेज पर यह भी छपा है कि संक्रमित मरीजों को भर्ती से पहले घंटों अस्पताल के फर्श पर ही पड़ा रहना पड़ता है। संक्रमित मरीज के शरीर में इतनी भी ताकत नहीं होती की वह कुछ देर के लिए खड़ा रहे। अखबार में महिला की मौत के बाद परिजन के हंगामे और अस्पताल के फर्श पर लेटे मरीजों के फोटो भी हैं। इसलिए दोनों खबरों को झुठलाया नहीं जा सकता। लेकिन वहीं पेज तीन पर अजमेर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि जिले में किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। जिले में 2 हजार 770 सिलेंडरों की प्रतिदिन आवश्यकता है, जबकि प्रशासन 3 हजार से भी ज्यादा सिलेंडर उपलब्ध करवा रहा है। प्रशासन का यह भी दावा है कि संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में प्रतिदिन 2 हजार 250 सिलेंडर की आवश्यकता है, जबकि अस्पताल प्रशासन 2 हजार 500 सिलेंडर प्रतिदिन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। सवाल उठता है कि जब पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है तो 26 अप्रैल को ऑक्सीजन के अभाव में एक महिला की मौत कैसे हो गई? क्यों मरीजों को भर्ती होने के लिए घंटों फर्श लेटे रहना पड़ता है? प्रशासन ने ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर जो दावा किया है, उसकी पोल राजस्थान पत्रिका की खबरें ही खोल रही है। प्रशासन चाहे कुछ भी दावा करें, लेकिन अस्पतालों खासकर सरकारी अस्पतालों में भर्ती संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है। जिले भर में ऑक्सीजन को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। सरकारी और निजी स्तर पर जो हेल्प लाइन नम्बर जारी किए गए हैं, उनमें से अधिकांश बेकार साबित हो रहे हैं। कोई हेल्प लाइन वला बताए कि उसने कितने मरीजों को अस्पतालों भर्ती करवाया? कितने भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध करवाएं हैं? प्रशासन माने या नहीं, लेकिन कोरोना मरीज भगवान भरोसे हैं। 27 अप्रैल को ही राजस्थान पत्रिका के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित खबर में बताया गया है कि सरकार ने डॉक्टरों को मौखिक आदेश दिए हैं कि ऑक्सीजन की कमी है, इसलिए मरीजों की ज्यादा भर्ती नहीं की जाए। यदि ऐसा आदेश सही है तो संक्रमित मरीज ऑक्सीजन के अभाव में अस्पताल के बाहर ही मर जाएगा। चूंकि मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हो सका, इसलिए उसकी मौत सरकार के रिकॉर्ड में भी दर्ज नहीं होगी। ऐसे खामियों के चलते ही यह आरोप लगता है कि सरकार मौत के आंकड़े छिपा रही है। 

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दिल्ली हाईकोर्ट के जजों और उनके परिजनों के कोविड का इलाज फाइव स्टार होटल अशोका में हो सकेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 100 कमरे बुक करवाए।राजस्थान की सरकार ऑक्सीजन के चार टैंकर प्रतिदिन दिल्ली सरकार को दे-दिल्ली हाईकोर्ट।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब अरविंद केजरीवाल से सीख ले सकते हैं।

अस्पतालों में भर्ती कोविड मरीजों और प्रतिदिन संक्रमित होने वाले व्यक्तियों की संख्या को देखते हुए राजस्थान को प्रतिदिन ऑक्सीजन के तीस टैंकर चाहिए, लेकिन अभी राजस्ािान को 15 टैंकर ही मिल रहे हैं, ऐसे में प्रदेशभर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश  पहले ही ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है, इस पर 27 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि दिल्ली सरकार पड़ौसी राज्य राजस्थान से ऑक्सीजन के चार टैंकर प्रतिदिन ले सकती है। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद यदि चार टैंकर दिल्ली चले जाते हैं तो राजस्थान की स्थिति और बिगड़ेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह निर्णय राजस्थान का पक्ष सुने बगैर ही जारी किए हैं। कोर्ट ने यह निर्णय एक जनहित याचिका पर दिया है। स्वाभाविक है कि इस निर्णय का स्वागत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तहेदिल से करेंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ी राहत दी है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट के इस निर्णय का संबंध मुख्यमंत्री केजरीवाल के उस आदेश से नहीं है, जिसमें हाईकोर्ट के जजों और उनके परिजन के कोविड इलाज के लिए दिल्ली की फाइव स्टार होटल अशोका में 100 कमरे बुक करवाए गए हैं। सीएम केजरीवाल ने हाईकोर्ट के जजों का विशेष ख्याल रखते हुए होटल अशोका को कोविड हेल्थ केयर सेंटर में तब्दील किया है। यहां भर्ती होने वाले न्यायिक अधिकारियों और परिजनों की चिकित्सा सुविधा आदि की सभी व्यवस्था दिल्ली सरकार करेगी। दिल्ली में जब आम आदमी ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा है, तब आम आदमी पार्टी के संयोजक मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जजों और उनके परिजन पर खास मेहरबानी की है। राजनीति में केजरीवाल भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से छोटे हों, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में गहलोत, केजरीवाल से सीख ले सकते हैं। सब जानते हैं कि गहलोत आए दिन ज्यूडिशियरी और मीडिया पर हमला करते हैं। गहलोत हाईकोर्ट ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी दबाव में बताते है, जबकि केजरीवाल हाईकोर्ट के जजों के इलाज के लिए फाइव स्टार होटल में इंतजाम कर रहे हैं। अब यदि चार टेंकर ऑक्सीजन दिल्ली को देने पर गहलोत नाराजगी प्रकट करेंगे तो केजरीवाल क्या कर सकते हैं? यह तो अपनी अपनी राजनीतिक समझ है। केजरीवाल न्यूज चैनलों पर जो एक एक मिनट के लम्बे लम्बे विज्ञापन दे रहे है उसी का नतीजा है कि रिपब्लिक टीवी भी केजरीवाल सरकार की प्रशंसा करने लगा है। चाहे कोई मीडिया कितना भी विरोधी हो, लेकिन केजरीवाल ने सभी को करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए हैं। केजरीवाल के लिए यही बड़ी उपलब्धि है कि दिल्ली के अस्पतालों की दुर्दशा की खबरों के बीच केजरीवाल अपनी उपलब्धियां बता रहे हैं। किसी भी मीडिया के लिए विज्ञापन बहुत बड़ी सिफारिश होती है। अब केजरीवाल हर बात पर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी नहीं कोसते हैं। केजरीवाल के बदले रुख से अशोक गहलोत सीख ले सकते हैं। केजरीवाल के पास तो अधिकार भी सीमित है, जबकि गहलोत के पास तो असीमित अधिकार है। 

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Monday 26 April 2021

जयपुर में 500 पलंग वाला कोविड अस्पताल मरीजों का इंतजार कर रहा है।दिल्ली और इंदौर में शुरू हो चुके हैं राधा स्वामी सत्संग व्यास के कोविड अस्पताल। जयपुर में बीलवा के सत्संग स्थल पर 5 हजार पलंग लगाने की व्यवस्था है।

देश के कोविड मरीजों को राहत देने के लिए राधा स्वामी सत्संग व्यास ने दिल्ली, इंदौर और जयपुर में अपने सत्संग स्थलों पर कोविड अस्पताल तैयार किए हैं। ऐसे अस्थायी अस्पताल राज्य सरकार के सहयोग से दिल्ली और इंदौर में शुरू हो चुके हैं। राजस्थान के जयपुर में भी बीलवा स्थित सत्संग स्थल पर 500 पलंग वाला कोविड अस्पताल बन कर तैयार है। इस अस्पताल में 5 हजार पलंग तक लगाए जा सकते हैं। यानी जब पांच सौ मरीज भर्ती हो जाएंगे तो 500 पलंग और लगा दिए जाएंगे। जिस वाटरप्रूफ शैड में 3 लाख सत्संगी एक साथ बैठ सकते हैं, वहां 5 हजार पलंग तक लगाए जा सकते हैं। राधा स्वामी सत्संग वालों ने राज्य सरकार के साथ जो वादा किया था उसके अनुसार पहले भाग में पांच सौ पलंग वाला अस्पताल तैयार कर दिया है। अस्पताल में भर्ती मरीजों को दोनों समय का भोजन भी सत्संग की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा। संस्था से जुड़े प्रतिनिधि संदीप खुराना ने बताया कि हमारी तरफ से कोविड अस्पताल बन कर तैयार है। अब सरकार के चिकित्सकों को मरीजों को भर्ती करना है। भर्ती से पहले जरूरी चिकित्सा उपकरण और ऑक्सीजन आदि सरकार को उपलब्ध करवाने हैं। संस्था की ओर मरीजो की भर्ती जब चाहे, तब की जा सकती है। मरीजों की सुविधा के लिए राधा स्वामी संस्था ने मोबाइल नम्बर 7023557768 (हेल्प लाइन) तथा 7568652770 (कंट्रोल रूम) भी सार्वजनिक किए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार चिकित्सा विभाग अभी जरूरी चिकित्सा उपकरण और ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने में असमर्थ है, इसलिए 500 पलंग वाले तैयार अस्पताल का उपयोग नहीं हो रहा है। यह स्थिति तब है, जब राजस्थान में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। सभी अस्पतालों में पहले ही क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। संक्रमित व्यक्तियों के भर्ती नहीं होने से परिजनों को भारी परेशानी हो रही है। जिन संक्रमित मरीजों को एचआरसिटी रिपोर्ट में स्कोर 10 से ज्यादा है और ऑक्सीजन लेबल 90 से नीचे हैं उन्हें भी भर्ती नहीं किया जा रहा है। अजमेर में मोटर वाहनों के प्रमुख कारोबारी और समाजसेवी एसपी सहगल ने बताया कि 25 अप्रैल को 65 वर्षीय श्यामसुंदर गुप्ता को अजमेर के अस्पतालों में भर्ती के लिए जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित से लेकर निजी अस्पतालों के मालिकों तक से गुहार लगाई, लेकिन गुप्ता को भर्ती नहीं करवाया जा सका। जबकि कोरोना संक्रमित गुप्ता का ऑक्सीजन लेवल 86 प्रतिशत था। एक ओर अस्पतालों में कोविड मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है तो दूसरी ओर जयपुर में 5 हजार मरीजों की क्षमता वाला अस्पताल मरीजों का इंतजार कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि संवेदनशील माने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्द से जल्द राधा स्वामी वालों के अस्पताल का उपयोग करवाएंगे। 
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अजमेर के चिकित्सा मंत्री से लेकर जिला प्रशासन तक की हेल्पलाइन, लेकिन फिर भी मरीज और परिजन परेशान।सांसद भागीरथ चौधरी ने भी जारी किए मोबाइल नम्बर। विधायक वासुदेव देवनानी ने तो टेलीफोन सेवा के 6 डॉक्टरों के नाम और मोबाइल नंबर भी दिए।

अजमेर जिले में यदि कोई व्यक्ति कोरोना काल में परेशान है तो उसकी मदद के लिए प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और जिला प्रशासन तैयार बैठा है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को भी कोई परेशानी नहीं होगी। चाहे ऑक्सीजन की जरुरत हो या फिर रेमडेसिवीर इंजेक्शन की। हर परेशानी का समाधान हेल्पलाइन कंट्रोल रूम आदि के नम्बरों पर किया जाएगा। सेवाभावियों ने कोरोना काल में ऐसे फोन नम्बर हाल ही में जारी किए हैं। परेशान लोगों की मदद के लिए ऐसे सेवाभावियों के फोन नम्बर एक साथ ब्लॉग में दिए जा रहे हैं।  पाठक स्वयं देखेंगे कि कितने लोग कोरोना पीड़ित व्यक्तियों की मदद के लिए तत्पर हैं। जिन लोगों के परिजन अजमेर जिले के अस्पतालों में भर्ती हैं या घरों पर क्वारंटाइन हैं, वे इन नंबरों पर फोन कर मदद प्राप्त कर सकते हैं। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कोरोना में चौबीस घंटे के लिए हेल्प डेस्क चालू की है। फोन नम्बर 0145-2940560 और 0145-2631111 पर फोन कर मदद प्राप्त की जा सकती है। जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने भी 0145-2422517 (प्रात: 6 से रात्रि 9 बजे तक) और 0145-2621111 (24 घंटे) नम्बर सार्वजनिक किए हैं। इसी प्रकार अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने भी सांसद हेल्पलाइन के नंबर जारी किए हैं। मोबाइल नम्बर 9414011998 और 9414011798 पर संवाद कर सांसद से मदद ली जा सकती है। अजमेर उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने तो कोरोना पीड़ितों का विशेष ख्याल रखा है। 26 अप्रैल को देवनानी ने विधायक सेवा केन्द्र का शुभारंभ किया। इसके लिए हेल्प लाइन नम्बर 9414155744, 9414002423, 9829642462, 8058791141, 900121620 व 9214396516 जारी किए हैं। जो लोग घरों पर क्वारंटीन हैं वे 9414002423 व 9828543799 फोन पर नि:शुल्क भोजन मंगवा सकते हैं। इसके अतिरिक्त डॉक्टर कुलदीप चौधरी मोबाइल नम्बर 9950081824 (सुबह 9 से 11 बजे तक), डॉक्टर प्रकाश नारवानी 9828253790 (प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक), डॉक्टर राजेश गोयल 9414237887 (दोपहर 1 बजे से 3:30 बजे तक), डॉक्टर प्रियशील हाड़ा 9352001082 (दोपहर 3:30 से सायं 6 बजे तक), डॉक्टर सुधीर खन्ना 9414008722 (प्रात: 6 से 7:30 बजे तक), राजेश खत्री 8949906261 (सायं 5:30 से 7:30 बजे तक) से संवाद किया जा सकता है। ये सभी डॉक्टर निर्धारित समय पर नि:शुल्क सेवाएं देंगे। देवनानी ने अपने उत्तर विधानसभा क्षेत्र के 13 मेडिकल स्टोर के नाम और मोबाइल नम्बर भी जारी किए हैं। जरूरतमंद व्यक्ति फोन कर इन स्टोरों से दवाएं अपने घरों पर मंगवा सकते हैं।
1. राजमेडिकल स्टोर फॉयसागर रोड -9799137933,
2. ममता मेडिकल स्टोर देहली गेट 7597392568
3. प्रकाश मेडिकल स्टोर चौरसियावास रोड 9214629226
4. आनंद मेडिकल स्टोर डिग्गी बाजार 9351251346
5. गुलाब मेडिकल स्टोर केसरगंज 9828733124
6.कुंदन मेडिकल स्टोर कुंदन नगर 7737992783
7. हार्दिक मेडिकल कलेक्ट्रेट के पास 9828513045
8. चन्द्रा मेडिकल वैशाली नगर 9829071320
9. उमंग मेडिकल स्टोर बीके कौल नगर 9828668117
10. हरिओम मेडिकल पुलिस लाइन 9214998148
11. श्री शुभम मेडिकल स्टोर कृष्ण गंज 7014265221
12. श्री सांई मेडिकल पंचशील 9414265377  तथा
13. कृष्णा मेडिकल स्टोर नया बाजार 9414212817 पर संपर्क कर दवाई मंगवा सकते हैं। देवनानी ने कहा कि जरूरतमंद व्यक्ति उनके मोबाइल नम्बर 9414155744 पर भी संपर्क कर सकते हैं।  
S.P.MITTAL BLOGGER (26-04-2021)
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अब दैनिक भास्कर अखबार भी राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को ढूंढ रहा है।जब सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीज ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन और अन्य सुविधाओं के अभाव में तड़प रहे हैं, तब केकड़ी से लेकर जयपुर तक लापता बताए जा रहे हैं मंत्री जी।लेकिन अभिनेता सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा के साथ फोटो खिंचवाने से परहेज नहीं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दैनिक भास्कर में छपी खबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पढ़कर सुनाते हैं, इसलिए भास्कर में छपी खबर को झूठा या गलत नहीं माना जा सकता है। 25 अप्रैल को भास्कर में पूरे आठ कॉलम में एक खबर छपी है। इस खबर में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को लापता बताया है। भास्कर ने मंत्री जी का हुलिया बताते हुए प्रदेश की जनता से तलाशने की अपील की है। जो लोग रघु शर्मा को शक्ल सूरत से नहीं जानते हैं उन्हें भास्कर ने बताया है कि मंत्री की उम्र 62 वर्ष कद 5 फिट 8 इंच, रंग गेहुआ, चेहरा गोल बड़ा दरम्याना है। मंत्री जी हमेशा सफेद कुर्ता पायजामा और काले रंग की सफारी (जाकैट) में अक्सर दिखते हैं। वे काले रंगे के स्पोर्ट्स शूज पहनते हैं। भास्कर ने लिखा है कि मंत्री को अंतिम बार भीलवाड़ा के सहाड़ा उपचुनाव में देखा गया था। गुमशुदगी की खबर के साथ भास्कर ने रघु शर्मा का एक फोटो अभिनेता सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा के साथ प्रकाशित किया है। यानी जरुरत होने पर रघु शर्मा को किसी सुरक्षाकर्मी के साथ मुलाकात करने और फोटो खिंचवाने पर भी एतराज नहीं है। चिकित्सा मंत्री की तब तलाश हो रही है, जब कोरोना संक्रमण में सरकारी अस्पतालों में मरीज ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन और अन्य सुविधाओं के अभाव में तड़प रहे हैं। हालात इतने खराब है कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। ऐसे में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री को तलाशा जाए तो इससे शर्मनाक बात और कोई नहीं हो सकती। और जब भास्कर जैसा अखबार तलाश करें तो अन्य मीडिया कर्मियों की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जब कोरोना के कारण लोग परेशान हो तब चिकित्सा मंत्री को अपने प्रदेश की जनता के साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि ऐसे नाजुक मौके पर भी चिकित्सा मंत्री साथ नहीं है। गत वर्ष कोरोना काल में रघु शर्मा तब विवाद में आए थे, जब कोरोना संक्रमित होते हुए भी जयपुर स्थित आरयूएचएस अस्पताल का निरीक्षण किया। तब सीएम गहलोत ने रघु शर्मा का बचाव किया था, लेकिन भास्कर की 25 अप्रैल वाली खबर पर अभी तक भी सीएम गहलोत की प्रतिक्रिया नहीं आई है। चिकित्सा मंत्री के लापता होने से प्रदेश सरकार की छवि भी प्रतिकूल असर पड़ता है। रघु शर्मा अजमेर जिले के केकड़ी उपखंड से कांग्रेस के विधायक हैं। केकड़ी और अजमेर जिले के सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों की दुर्दशा है। सवाल उठता है कि जब गत वर्ष संक्रमित होने के बाद भी सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया जा सकता है, तब इस बार स्वास्थ्य होने के बाद भी अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण क्यों नहीं किया जा रहा है?
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Sunday 25 April 2021

कलेक्टर के निर्देश पर अजमेर में एक हजार संक्रमित मरीजों के घरों पर दस्तक। सरकारी कार्मिकों ने हालचाल पूछे।निजी और सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिवीर इंजेक्शन का उपयोग पारदर्शी हो। लाभार्थी मरीज की प्रतिदिन डिटेल जारी हो।वैक्सीन और स्वास्थ्य बीमा के लिए अग्रवाल समाज ने शिविर लगाया।

अजमेर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित के निर्देश पर 25 अप्रैल को सरकारी कार्मिकों ने कोरोना संक्रमित मरीजों के घर पर दस्तक दी है। कलेक्टर राजपुरोहित ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी संक्रमित मरीज को कोई परेशानी न हो, इसके लिए घर घर दस्तक दी है। जो मरीज अपने घरों पर आइसोलेट हैं उन्हें दवाई खाद्य सामग्री आदि की उपलब्धता में कोई परेशानी तो नहीं हो रही है इसकी जानकारी सरकारी कार्मिकों ने ली है। सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन की क्रियान्विति के लिए आरएएस अधिकारियों को क्षेत्रवार इंसिडेंट कमांडर नियुक्त किए गए हैं। इन इंसिडेंट कमांडरों के अधीन सरकारी कार्मिकों की कई टीमें बनाई गई है। 25 अप्रैल को संक्रमित मरीजों ने जो समस्याएं बताई उनका समाधान भी किया गया है। जिन मरीजों ने दवाई की जरूरत बताई उन्हें दवा भी उपलब्ध करवाई गई है। कलेक्टर ने बताया कि गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। जबकि सामान्य संक्रमित मरीज को घर पर ही आइसोलेट किया गया है। जो मरीज घर पर आइसोलेट हैं उनकी चिंता भी प्रशासन को है।
रेमडेसिवीर इंजेक्शन पर पारदर्शिता हो:
संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग भी बढ़ गई है। जानकारों की माने तो दो-तीन हजार रुपए वाला इंजेक्शन ब्लैक में 20 हजार रुपए तक मिल रहा है। हालांकि सरकार ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई को नियंत्रित कर रखा है। लेकिन फिर भी यह इंजेक्शन कालाबाजार में उपलब्ध है। सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार रेमडेसिवीर इंजेक्शन मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलेगा। इंजेक्शन की सप्लाई निर्माता कंपनियों से सीधे सरकार को होगी। सरकार सबसे पहले सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को आवश्यकता अनुसार इंजेक्शन लगवाएगी। इसके साथ ही इंजेक्शन के थोक विक्रेता प्राइवेट अस्पतालों को इंजेक्शन उपलब्ध करवाएगी। सरकार के निर्देशों पर यह काम हो भी रहा है। सरकारी प्राइवेट अस्पतालों में इंजेक्शन किस मरीज को लग रहा है उसमें पारदर्शिता होना जरूरी है। यह सही है कि चिकित्सक की सलाह पर ही इंजेक्शन लगना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों के प्रतिदिन उन भर्ती मरीजों की सूची जारी करने चाहिए, जिन्हें रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाया गया है।यदि प्रतिदिन लाभार्थी मरीज की सूची जारी होगी तो फिर यह इंजेक्शन काला बाजर में उपलब्ध नहीं होगा। जरूरतमंद सभी मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएगा। प्राइवेट अस्पतालों में एमआरपी पर रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाने के सख्त निर्देश हैं। लेकिन कई बार प्राइवेट अस्पतालों में एमआरपी से अधिक राशि वसूली जाती है। जबकि एमआरपी पर 40 प्रतिशत तक का डिस्काउंट भी होता है।
वैक्सीन और स्वास्थ्य बीमा का शिविर:
अग्रवाल समाज अजमेर के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल और महासचिव प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि 25 अप्रैल को अजमेर में गंज स्थित जनकपुरी समारोह स्थल पर एक शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में समाज से जुड़े व्यक्तियों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन लगाई गई तथा मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का रजिस्ट्रेशन किया गया। समाजसेवी दीपचंद श्रीया ने समाज की इस पहल की प्रशंसा की। शिविर में 240 महिला व पुरुषों को वैक्सीन लगाई गई। जबकि आए हुए अधिकांश व्यक्तियों का स्वास्थ्य बीमा का रजिस्ट्रेशन किया गया। शिविर की उपयोगिता और समाज के लोगों के उत्साह को देखते हुए जल्द ही दूसरा शिविर आयोजित किया जाएगा। अगले शिविर की जानकारी मोबाइल नम्बर 9414280962 व 7891884488 पर ली जा सकती है। 
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सीरम इंस्टीट्यूट ने 15 मई से पहले राजस्थान को वैक्सीन उपलब्ध करवाने में असमर्थता जताई। केन्द्र उपलब्ध करवाएगा तो 1 मई से 18 वर्ष वालों को वैक्सीन लगा दी जाएगी।कोरोना काल में भाजपा शासित गुजरात और मध्यप्रदेश के मुकाबले में राजस्थान के साथ भेदभाव हो रहा है-चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा।दिल्ली में अब राजस्थान की तरह तीन मई तक लॉकडाउन।

18 वर्ष की उम्र वाले युवाओं को कोरोना की वैक्सीन लगाने के लिए 28 अप्रैल से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो रहा है, लेकिन एक मई से राजस्थान के युवाओं को वैक्सीन लगेगी, इस पर संशय हो गया है। 25 अप्रैल को प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार की घोषणा के बाद हमने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट से बात की थी, लेकिन इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने बताया कि 15 मई से पहले राजस्थान को वैक्सीन सप्लाई नहीं की जा सकती है। सीरम के अधिकारियों का कहना था कि केन्द्र सरकार ने जितना ऑर्डर दिया है उसकी भरपाई 15 मई तक ही होगी। रघु ने कहा कि जब सीरम वाले 15 मई तक केन्द्र को वैक्सीन सप्लाई करेंगे तो हमें कैसे मिलेगी? जब वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से ही माल नहीं मिलेगा, तो हम राजस्थान में 18 वर्ष वालों को कैसे वैक्सीन लगा सकते हैं? रघु ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार ने वैक्सीन उपलब्ध करवा दी तो हम एक मई से वैक्सीन लगा सकते हैं। वैक्सीन लगाने की पूरी तैयारी है। रघु ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में भाजपा शासित गुजरात और मध्यप्रदेश के मुकाबले में राजस्थान के साथ भेदभाव किया जा रहा है। हमारे यहां जितने एक्टिव केस हैं उसके अनुपात में न तो ऑक्सीजन के सिलेंडर दिए जा रहे हैं और न ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन। हमें 350 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है लेकिन आधी मात्रा में भी ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही है। इसी प्रकार हमने एक लाख 71 हजार रेमडेसिवीर इंजेक्शन की बुकिंग करवाई थी, लेकिन कंपनियों ने मात्र 26 हजार इंजेक्शन ही दिए। रघु ने माना कि अब 24 अप्रैल को 67 हजार रेमडेसिवीर के इंजेक्शन प्राप्त हुए हैं। हम प्रदेश में बैड की संख्या लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन जब हमारे पास ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं होंगे तो इलाज कैसे करेंगे। रघु शर्मा ने मांग की कि प्रदेश के एक्टिव मरीजों की संख्या को देखते हुए केन्द्र सरकार ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध करवाए।
दिल्ली में 3 मई तक लॉकडाउन:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान की तरह दिल्ली प्रदेश में भी 3 मई तक के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया है। केजरीवाल ने पूर्व में जो लॉकडाउन घोषित किया था, उसकी अवधि 26 अप्रैल को समाप्त हो रही थी। केजरीवाल ने फिलहाल लॉकडाउन को एक सप्ताह के लिए बढ़ाया है, लेकिन दिल्ली के हालात राजस्थान से भी बदतर हैं। ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में ही दम तोड़ रहे हैं। केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली को 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत है। लेकिन अभी 333 टन ही मिल रहा है। 
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राजस्थान में अभी तक नहीं हुआ है लॉकडाउन का असर। 15 से 24 अप्रैल तक 519 मौतें। संक्रमित मरीज 5 लाख के पार।प्रतिदिन 15 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। यानि ज्यों ज्यों दवा की त्यों त्यों मर्ज बढ़ता ही गया। क्या सभी मौतें ऑक्सीजन के अभाव में हो रही है?

23 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वाधिक संक्रमित वाले 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना की स्थिति पर विचार विमर्श किया तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी ओर से कोई आरोप लगाने के बजाए दैनिक भास्कर अखबार की एक खबर पढ़ कर सुनाई। इस खबर में कहा गया कि कोरोना के एक्टिव कैसेज में राजस्थान देश में छठे स्थान पर है, लेकिन केन्द्र सरकार ने ऑक्सीजन देने के लिए राजस्थान को 17वें स्थान पर रखा है। यानी कोरोना की सबसे बड़ी दवा ऑक्सीजन ही है, यदि ऑक्सीजन नहीं मिला तो लोग मर जाएंगे। प्रधानमंत्री की वीसी में भास्कर की खबर पढ़ने से जाहिर है कि सीएम गहलोत भास्कर पर कितना भरोसा करते हैं। यह बात अलग है कि सीएम गहलोत अक्सर मीडिया को बिका हुआ या दबाव में होने का आरोप लगाते हैं। अब जब सीएम गहलोत भास्कर की खबर को प्राथमिक मान रहे हैं तो फिर पाठकों को भास्कर में प्रकाशित कोरोना के आंकड़े भी देखने चाहिए। सब जानते हैं कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए ही सीएम गहलोत ने 16 अप्रैल को सायं 5 बजे से प्रदेशभर में सम्पूर्ण लॉकडाउन घोषित किया गया है, लेकिन प्रदेश के जैसे हालात हैं उसे देखते हुए लॉकडाउन तीन मई के आगे भी बढ़ाया जा सकता है। भास्कर में प्रकाशित संक्रमित मरीजों और मरने वालों की संख्या देखी जाए तो ज्यों ज्यों दवा की त्यों त्यों मर्ज बढ़ता ही गया, वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। सीएम गहलोत ने 15 अप्रैल को आधी रात को जब सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी, तब 15 अप्रैल को दिन में नए संक्रमित मरीज 6 हजार 658 दर्ज किए थे, जबकि 33 संक्रमित व्यक्तियों की मौत हुई थी। 15 अप्रैल से 24 अप्रैल तक संक्रमित व्यक्तियों और मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। भास्कर में प्रकाशित प्रतिदिन के आंकड़ों का जोड़ लगाया जाए तो पिछले 10 दिनों में 519 संक्रमित व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। हालांकि इन सरकारी आंकड़ों पर खुद भास्कर ने आपत्ति दर्ज करवा चुका है। यदि सरकारी आंकड़े सही भी माने जाए तो 10 दिनों में 519 संक्रमित व्यक्तियों की मौत होना भयावह स्थिति को दर्शाता है। 20 अप्रैल के अंक में भास्कर ने अनुमान लगाया था कि 30 अप्रैल तक एक्टिव केस एक लाख 29 हजार हो जाएंगे, जबकि 24 अप्रैल को ही एक्टिव केस एक लाख तक पहुंच गए हैं। इसी प्रकार प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या 5 लाख पार हो गई है। जहां 15 अप्रैल को 6 हजार 658 नए संक्रमित दर्ज हुए थे, वहीं 24 अप्रैल को 15 हजार 355 संक्रमित दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग और भास्कर के आंकड़े बताते हैं कि 100 में 17 से भी ज्यादा व्यक्ति संक्रमित हो रहे हैं। सवाल उठता है कि अभी तक लॉकडाउन का असर क्यों नहीं हुआ है? 10 दिन गुजरने के बाद भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं। क्या लॉकडाउन की क्रियान्विति में कमी है? सीएम गहलोत स्वयं भी लम्बे लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि लॉकडाउन आखिरी विकल्प होना चाहिए। अभी कोई भी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि लॉकडाउन का असर कब से शुरू होगा। 15 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल तक राजस्थान में दर्ज हुए संक्रमित व्यक्तियों और मरने वालों के आंकड़े मेरे फेसबुक पेज  Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog पर देखे जा सकते हैं। इससे राजस्थान में प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना संक्रमण का पता चलेगा। गंभीर बात यह है कि अब संक्रमण बढ़ने और लोगों के मरने की जिम्मेदारी ऑक्सीजन पर डाली जा रही है। राज्य सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि एक्टिव मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रतिदिन ऑक्सीजन के 45 टैंकर चाहिए, जबकि प्रदेश को 23 टैंकर ही मिल रहे हैं। सवाल उठता है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज क्या सिर्फ ऑक्सीजन से ही होगा? यह माना कि एक्टिव मरीजों के कारण ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है, लेकिन हर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत हो, ऐसा जरूरी नहीं है। सरकारी अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने और भर्ती मरीजों की देखभाल करने की जरूरत है। कोरोना संक्रमण की सारी जिम्मेदारी ऑक्सीजन पर नहीं डाली जा सकती है। 
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Saturday 24 April 2021

लॉकडाउन में दूध डेयरियां सुबह शाम खोलने की छूट देने पर अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया।पशुपालकों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना का वैक्सीन लगे। प्रदेश के पशु आहार संयंत्रों में उत्पादन शुरू।

राजस्थान में सख्त लॉकडाउन के बाद भी दुग्ध डेयरियों को सुबह और शाम को खोलने की छूट दी गई है। जहां किराना, फल सब्जी आदि की दुकानों को प्रात: 6 से 11 बजे तक ही खोलने की अनुमति दी गई है। वहीं दूध डेयरियों को प्रतिदिन सायं 5 से 7 बजे तक खुलने की छूट रहेगी। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है। चौधरी ने कहा कि दोनों समय डेयरियों को छूट देकर सरकार ने पशुपालकों की भी मदद की है। सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली डेयरी में दूध का संकलन पशुपालकों से ही होता है। जब लॉकडाउन में दूध की बिक्री दोनों समय होगी, तब पशुपालक भी अपने पशुओं का दूध संग्रहण केन्द्रों पर दे सकेंगे। चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह निर्णय पशुपालकों के हित में है। उपभोक्ताओं को भी दोनों समय दूध उपलब्ध होगा। चौधरी ने कहा कि जीडीपी में पशुपालकों की अहम भूमिका है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि पशुपालकों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना वैक्सीन लगाई जाए, यदि प्रदेश के एक करोड़ पशुपालक स्वस्थ्य रहेंगे तो डेयरी उद्योग सुदृढ बना रहेगा। उन्होंने कहा कि पशुपालक जानवरों के बीच में रहकर अपना जीवन व्यतीत करता है। कई बार जानवरों की वजह से भी पशुपालक संक्रमित हो जाता है। ऐसे में पशुपालक और उसके परिवार के सदस्यों की कोरोना वैक्सीन लगाना जरूरी है। चौधरी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि विशेष अभियान चलाकर पशुपालकों को वैक्सीन लगवाई जाए। चौधरी ने बताया कि 23 अप्रैल से प्रदेश भर के पशु आहार संयंत्रों में उत्पादन शुरू हो गया है, अगले दो-तीन दिन में पशुपालकों को रियायती दर वाला पशु आहार मिलना शुरू हो जाएगा। चौधरी ने बताया कि आरसीडीएफ के अधिकारियों द्वारा समय पर कच्चे माल  के टेंडर नहीं करने के कारण प्रदेश के सातों संयंत्रों में गत 17 अप्रैल से उत्पादन बंद हो गया था, जिसकी वजह से पशुपालकों को परेशानी हो रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री के दखल के बाद कच्चे माल की खरीद हो सकी और अब सातों संयंत्रों में उत्पादन शुरू हो गया है।
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इधर अशोक गहलोत की सरकार ने आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले पुलिस कर्मियों को पदोन्नत और नकद ईनाम दिया तो उधर कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत ने हिस्ट्रीशीटर कमलेश प्रजापत के एनकाउंटर को फर्जी बताया।आनंदपाल का एनकाउंटर चार वर्ष पहले भाजपा के शासन में हुआ था, तब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजपूत और रावणा राजपूत समाज का कड़ा विरोध सहना पड़ा था। अब कांग्रेस विधायक ने स्वयं को प्रजापत समाज के साथ बताया।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने उन 100 पुलिस कर्मियों को पदोन्नत और नकद राशि का ईनाम देने की घोषणा की है, जिन्होंने चार वर्ष पहले भाजपा के शासन में गैंगस्टर आनंदपाल को एक एनकाउंटर में मार डाला था। लेकिन वहीं 23 अप्रैल को बाड़मेर पुलिस ने जिस मादक पदार्थ तस्कर कमलेश प्रजापत को एनकाउंटर में ढेर किया, उस तस्कर के समर्थन में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक मदन प्रजापत आ गए हैं। विधायक प्रजापत ने कहा है कि पुलिस का एनकाउंटर पूरी तरह फर्जी है। जब कमलेश प्रजापत ने कोई गोली ही नहीं चलाई तो फिर पुलिस ने फायरिंग कर कैसे मार दिया? उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से एनकाउंटर की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। मदन प्रजापत का कहना है कि कमलेश के फर्जी एनकाउंटर से प्रदेशभर के प्रजापत समाज में रोष है। मैं हमेशा समाज के साथ रहा हंू और कमलेश के फर्जी एनकाउंटर के प्रकरण में भी समाज के साथ हंू। समाज के सामने विधायक का पद कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने कहा कि कमलेश ने यदि कोई गैर कानूनी काम किया था तो उसे कानून के अनुरूप सजा दिलवानी चाहिए थी। पुलिस को सीधे गोली मारने का कोई अधिकार नहीं है। प्रजापत का यह बयान सरकार के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि वे सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक हैं। वहीं बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा का कहना है कि हिस्ट्रीशीटर कमलेश प्रजापत ने अपने वाहन से पुलिस कर्मियों पर हमला किया, तब कमांडो दिनेश ने आत्म रक्षा में फायरिंग की जिसमें कमलेश मारा गया। एनकाउंटर के बाद कमलेश के घर की तलाशी ली गई तो 2 किलो 360 ग्राम अफीम दूध, एक किलो 715 ग्राम डोडा पोस्ट, 5 पिस्टल, 9 मैगजीन, 121 कारतूस और करीब 60 लाख रुपए नकद मिले हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के तहत कार्यवाही की जाएगी। पुलिस सूत्रों के अनुसार 24 अप्रैल को कमलेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, लेकिन विधायक प्रजापत अपने आरोपों पर कायम है।
पुलिस कर्मियों को ईनाम:
राजस्थान की राजनीति में रुचि रखने वाले जानते हैं कि चार वर्ष पहले जून 2017 में जब गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर चूरू के सालासर क्षेत्र में हुआ था, तब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ राजपूत और रावणा राजपूत समाज का बड़ा आंदोलन हुआ था, तब भी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया गया। राजे के विरोध में रावणा राजपूत और राजपूत समाज ने बड़ी सभाएं भी की। तब कांग्रेस के नेताओं ने भी एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की थी, लेकिन अब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आनंदपाल के एनकाउंटर में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को ईनाम देने की घोषणा की है। आनंदपाल को गोली मारने वाले कमांडो सोहन सिंह, को विशेष पदोन्नति दी गई है। इसी प्रकार एनकाउंटर में फ्रंट लाइन में मुस्तैद सब इंस्पेक्टर हेमराज, एएसआई हरिराम, हेड कांस्टेबल कैलाश, संदीप, हनुमान धर्मपाल, धर्मवीर, प्रदीप आदि को भी पदोन्नत किया गया है। जबकि 90 पुलिस कर्मियों को 31 लाख रुपए के नकद ईनाम दिए गए हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-04-2021)
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पुष्कर तीर्थ में न तो अस्थि विसर्जन पर रोक है और न ही मंदिरों में पूजा पाठ करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुरूप तीर्थ नगरी में इंतजाम किए गए हैं। कोरोना संक्रमण में पुष्कर के लोगों को सुरक्षित रखना प्रशासन की पहली प्राथमिकता-एसडीएम राठौड़।

पवित्र पुष्कर सरोवर में अस्थियों के विसर्जन को लेकर विवाद में पुष्कर के उपखंड अधिकारी दिलीप सिंह राठौड़ ने स्पष्ट कहा है कि अस्थि विसर्जन पर कोई रोक नहीं लगाई गई हे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने धारा 144 लागू कर रखी है। इस धारा के प्रावधानों को देखते हुए तीर्थ पुरोहितों से आग्रह किया गया है कि सरोवर के घाटों पर 5 व्यक्तियों से अधिक एकत्रित नहीं हो। तीर्थ पुरोहित संघ से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी भरोसा दिलाया है कि अस्थि विसर्जन के समय चार व्यक्ति ही उपस्थित रहेंगे। इसी प्रकार पुष्कर के प्रमुख मंदिरों में भी पुजारियों को पूजा पाठ करने से नहीं रोका है। ब्रह्मा मंदिर में प्रतिदिन धार्मिक रस्में हो रही है। कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं की आवक कम है। राठौड़ ने बताया कि पिछले दिनों हरिद्वार के कुंभ से लौटी बसें आईं थीं, तब यात्रियों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट की जांच पड़ताल करवाई थी, लेकिन अब हरिद्वार से भी यात्री नहीं आ रहे हैं। प्रशासन की पहली प्राथमिकता पुष्कर के लोगों को कोरोना काल में सुरक्षित रखने की है। इसके लिए सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कार्यवाही की जा रही है। राठौड़ ने कहा कि पुष्कर उपखंड के किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी है तो वह सीधे उनसे आ कर मिल सकता है। लोगों को अफवाहों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। तीर्थ पुरोहित संघ के प्रतिनिधि भी समय समय पर उनसे मिलते रहते हैं। राठौड़ ने कहा कि पुष्कर धार्मिक स्थल के साथ साथ पर्यटन स्थल भी है। यहां बाहर से लोग बड़ी संख्या में आते हैं, जिससे कोरोना वायरस फैलने का डर रहता है। अब तो राज्य सरकार ने 26 अप्रैल से बाहर से आने वाले निजी वाहनों पर भी रोक लगा दी है। कोरोना काल की पाबंदियों के बाद भी धार्मिक आस्था का ख्याल रखा गया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-04-2021)
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संक्रमित मरीज इसी रफ्तार से भर्ती होते रहे तो अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। अभी वेंटिलेटर मिलना मुश्किल हो रहा है।एक सदस्य के संक्रमित होने पर पूरे परिवार को होम क्वारंटीन होना चाहिए-डॉ. केके सोनी।राजस्थान में अब प्रातः 6 से 11 बजे तक शराब की दुकानें खुलेंगी। शनिवार और रविवार को बंद रहेंगी।

अजमेर का जेएलएन अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। इसीलिए अजमेर के साथ साथ नागौर और आसपास के जिलों के मरीज भी इसी अस्पताल में आते हैं। प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को जब सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है तो अस्पताल के चिकित्सक जेएलएन के लिए रेफर कर देते हैं। यही वजह है कि कोरोना काल में इस सरकारी अस्पताल पर जबर्दस्त दबाव है, लेकिन संक्रमित मरीजों के आने की रफ्तार ऐसी ही रही तो जेएलएन अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी हो ाजएगी। अस्पताल में ऑक्सीजन और अन्य व्यवस्थाओं की देखरेख आरएएस अधिकारी भगवंत सिंह ने बताया कि अब प्रतिदिन एक हजार से भी ज्यादा सिलेंडरों की मांग को गई है। 23 अप्रैल को ही निम्बाहेड़ा से अतिरिक्त सिलेंडर मंगवाए गए हैं। अजमेर में स्थापित दोनों प्लांटों में तैयार ऑक्सीजन भी कम पड़ रहा है। ब्यावर स्थित श्री सीमेंट से भी ऑक्सीजन मंगाया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी ऑक्सीजन की मांग लगातार बढ़ रही है। प्रशासन अभी तक मांग को पूरा करने में लगा हुआ है। जिले के बाहर से ऑक्सीजन मंगाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं प्रात: जानकारी के अनुसार अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या को देखते हुए वेंटिलेटर पलंग का उपलब्ध होना भी मुश्किल हो रहा है। जिले के कई प्राइवेट अस्पतालों में संक्रमित मरीजों को भर्ती किया जा रहा है, लेकिन जब मरीज को अधिक और प्रेशर से ऑक्सीजन देने की जरुरत होती है तो गंभीर मरीजों भगा दिया जाता है। यही वजह है कि कई मरीज गंभीर स्थिति में सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। ऐसे अधिकांश मरीजों के लिए वेंटिलेटर की जरुरत पड़ रही है। कई संक्रमित मरीज घर से आने में भी विलंब करते हैं। अब सभी गंभीर मरीजों को वेंटीलेटर उपलब्ध करवाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित भी अस्पताल की व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए हैं। लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अनेक परेशानी सामने आ रही है।
होम क्वारंटाइन जरूरी:
अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी ने कहा कि यदि परिवार का एक सदस्य संक्रमित हुआ है तो परिवार के सभी सदस्यों को होम क्वारंटाइन होना चाहिए। इन दिनों देखा गया है कि एक सदस्य के संक्रमित होने के बाद जब शेष सदस्य काम करते रहते हैं तो बाद में इन सभी सदस्यों को परेशानी होती है। अच्छा हो कि समय रहते पूरा परिवार क्वारंटाइन हो जाए। इससे अस्पतालों पर मरीजों का दबाव भी कम रहेगा। डॉ. सोनी ने कहा कि ऐसे भी लोग हैं जो अपनी कोरोना जांच एक दिन में दो या तीन स्थानों पर करवा रहे हैं। हर स्थान पर मोबाइल नम्बर बदल दिया जाता है। ऐसी प्रवृत्ति गलत है, इससे विभाग पर काम का बोझ पड़ता है।
सुबह खुलेंगी शराब की दुकानें:
लॉकडाउन में अब शराब की दुकानें प्रातः: 6 बजे से 11 बजे तक ही खुलेंगी। यानी अब प्रतिदिन पांच घंटे ही शराब की दुकानें खुलेंगी। वित्त विभाग के शासन सचिव टी रविकांत ने 24 अप्रैल को जारी आदेश में कहा कि वीकेंड कर्फ्यू में शनिवार और रविवार को शराब की दुकानें पूरी तरह बंद रहेंगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकार ने 23 अप्रैल को लॉकडाउन की जो नई गाइडलाइन जारी की थी उसमें दुग्ध डेयरियां सुबह का समय प्रातः: 6 से 11 बजे तक का ही रखा है। अभी शराब की दुकानें प्रातः: 9 बजे खुलती रही हैं, लेकिन लॉकडाउन में अब प्रातः: 6 बजे खुलेंगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-04-2021)
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