Wednesday, 3 December 2025

3 लाख रूपये से ज्यादा का दान कर अजमेर के समाजसेवी कालीचरण खण्डेलवाल अपना 85 वां जन्मदिन मनायेगें।

अजमेर के प्रमुख समाजसेवी और शिवचरण दास खंडेलवाल 4 दिसम्बर को सेवाभाव से अपना 85 वां जन्मदिन मनायेंगे। खंडेलवाल मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल का जन्मदिन मनाने के लिए खंडेलवाल के प्रशंसकों ने कोटड़ा के दाहर सेन स्मारक के निकट जय अम्बे सेवा समिति द्वारा संचालित वृद्धाश्रम और नागफणी स्थित आनन्द गोपाल गौशाला में विशेष प्रबन्ध किए है। अपनी सेवा भाव की भावना के अनुरूप खंडेलवाल ने जन्मदिन पर 2 लाख 11 हजार रुपये वृद्ध आश्रम और एक लाख रुपए गोशाला को दान देने की घोषणा की है। खंडलेवाल का कहना रहा कि उनका पूरा जीवन सेवा को समर्पित है। इसलिए वह अपना जन्मदिन वृद्धाश्रम में बेसहारा लोगों के बीच मना रहे है। 4 दिसम्बर को सुबह साढ़े दस बजे कोटडा के वृद्धाश्रम में सादगी पूर्ण तरीके से जन्मदिन मनाया जाएगा। इस अवसर पर भजन गायक अशोक तोषनीवाल राधा-कृष्ण के भजनों की प्रस्तुति भी देगें। खंडेलवाल का कहना रहा कि आश्रम में रह रहे 89 बेसहारा लोगों के चेहरे पर जो खुशी देखने को मिलेगी वही उनके जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार होगा। इसी प्रकार गौशाला में गायों को जब वे हरा चारा और गुड़ खिलायेगें तो उन्हें जीवन का परम सुख प्राप्त होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि गौशालाओं के प्रति खंडेलवाल शुरू से ही संवेदनशील रहे है। मकर संक्राति के दिन गांधी भवन चौराहे पर बैठकर गौ माता के लिए धन संग्रह करते है हालांकि खंडेलवाल का दवाओं का बड़ा कारोबार है लेकिन गौ माता के संरक्षण के लिए वे चौराहे पर बैठने को भी तत्पर रहते है। वृद्धाश्रम और गौशालाओं का सहयोग करने में खंडेलवाल, पीछे नहीं रहते । यही वजह है कि कोटडा के वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गो के लिए लिफ्ट तक की सुविधा है। यहां एक सामान्य घर से भी ज्यादा सुविधाएं बुजुर्गो को उपलब्ध करवायी जा रही है। खंडेलवाल के सहयोगी उमेश गर्ग ने बताया कि खंडेलवाल दो बार अखिल भारतीय खंडेलवाल वैश्य महासभा के अध्यक्ष रह चुके है। महासभा का अध्यक्ष रहते हुए उन्होनें देश भर में खंडेलवाल परिवारों को एकजुट करने को काम किया। महासभा के कामकाज को न केवल पारदर्शी बनवाया बल्कि जरूरतमंद परिवारों की मदद भी की। आज भी अजमेर में अनेक जरूरतमंद परिवारों को प्रतिमाह खाद्य साम्रगी का पैकेट उपलब्ध करवा रहे है। मोबाइल नम्बर 9414003357 पर कालीचरण खंडेलवाल को जन्मदिन की बधाई दी जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जगदीप धनखड़ और सी.पी. राधाकृष्णन के राज्यसभा का सभापति होने में बहुत अन्तर है। चेहरा भावशून्य लेकिन असरदार । काशी में पूजा-अर्चना के बाद मासांहार छोड़ा। यह पीएम मोदी के लिए बड़ी बात है।

यूं तो सीपी राधाकृष्णन ने 12 सितम्बर 2025 को देश के , उपराष्ट्रपति का पद संभाल लिया था, लेकिन 1 दिसम्बर को यह पहला अवसर रहा, जब राज्यसभा के सभापति के तौर पर राधाकृष्णन को अपनी भूमिका प्रकट करनी पड़ी। राधाकृष्णन से पहले जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति के नाते राज्यसभा के सभापति थे। धनखड ने कोई तीन वर्ष तक सभापति की कुर्सी पर बैठकर राज्यसभा का संचालन किया। अब जगदीप धनखड़ और राधाकृष्णन की भूमिका की तुलना की जा सकती है। भले ही विपक्ष संसद के शीत कालीन सत्र में हंगामा कर रहा हो, लेकिन राधाकृष्णन अपनी प्रभावी भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड रहे है। धनखड़ को जहां पक्ष-विपक्ष के मुद्दे पर हर बार टिप्पणी करते देखा गया वही राधाकृष्णन किसी भी मुद्दे पर अपनी ओर से कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। एक दिसम्बर को संसद के पहले दिन ही विपक्ष के सांसदों ने जब राधाकृष्णन पर सीधे तौर से टिप्पणी की, तब भी उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा से राधाकृष्ण न तो गदगद हुए और न ही विपक्ष की आलोचना पर कोई नाराजगी दिखायी। पहले दिन राधाकृष्ण ने सभी राजनैतिक दलों के नेताओं की बात को ध्यान से सुना। शून्यहीन चेहरा बता रहा था कि राधाकृष्णन की राज्यसभा में उपस्थिति बहुत असरदार है। हालांकि राधाकृष्णन पूर्व में दो बार तमिलनाडू के कोयंबबर से सांसद रह चुके है और उन्हें लोकसभा में बैठने का अनुभव है। लेकिन यह पहला मौका है जब वे सीधे संसद में राज्यसभा के सभापति की कुर्सी पर आसीन हुए है। पिछले दो दिनों की राज्य सभा की कार्यवाही में राधाकृष्णन ने हंगामे पर सांसदों को कोई उपदेश भी नहीं दिया। यदि सांसद खासकर विपक्ष के सांसद सदन नहीं चलाना चाहते है, तो राधाकृष्णन को सद‌न चलाने में कोई रुचि नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि सांसद चाहेगें तो ही संसद चलेगी। बिना कोई टिप्पणी किये बिना राज्य सभा को स्थगित करने से जाहिर है कि राधाकृष्णन कम बोलकर भी अपनी प्रभावी भूमिका प्रकट कर रहे है। जिन पाठकों को जगदीप धनखड़ की राज्यसभा में भूमिका याद है, उन्हें साफ लगेगा कि धनखड और राधाकृष्णन में बहुत अंतर है। राधाकृष्णन को यह पता है कि राज्यसभा में हर सदस्य का एजेंडा उसके राजनैतिक दल के अनुरूप है इसलिए यदि वे सांसदों को शांत रहने की सलाह भी देगें तो उसका असर नहीं होगा। मासांहार छोड़ा - 1 दिसम्बर को प्रथम दिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यसभा में में राधाकृष्णन के राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक और धार्मिक, पृष्ठभूमि की जानकारी दे रहे थे तभी पीएम मोदी ने बताया कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद राधाकृष्णन ने मेरे संसदीय क्षेत्र वाराणासी में काशी विश्वनाथ के मंदिर में पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना के साथ ही राधाकृष्णन ने मासांहार छोड़ने का संकल्प लिया। मेरे लिए बड़ी बात है कि राधाकृष्णन जी ने मेरे संसदीय क्षेत्र में मासांहार छोड़ने का संकल्प किया है। पीएम ने कहा कि मैं मासांहार वालों का आलोचक नहीं हूं, लेकिन जीवन में सात्विकता का बहुत असर होता है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

इस्लाम के जिहाद को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाए -महमूद मदनी जिहाद यदि इतनी ही अच्छी शिक्षा देता है तो फिर इस्लाम के नाम पर हिन्दुओं की हत्याएं क्यों की जाती है?

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना मेहमुद् मदनी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि इस्लाम के जिहाद को भारत में स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होनें कहा में जिहाद एक धार्मिक और पवित्र शब्द है जो परस्पर सद्‌भाव की शिक्षा देता है। जिहाद की आलोचना करने वाले इस्लाम के दुश्मन ही नहीं गद्दार है। उन्होंने कहा कि जिहाद की सही तरीके से व्याख्या नहीं हो रही ही। महमूद मदनी का यह बयान कितना सही है यह तो पडोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रही अंतकवादी घटनाओं से समझा जा सकता है। ये दोनों देश इस्लामिक है, लेकिन यहां मुसलमान, मुसलमान को ही मार रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी धर्म मे यदि कोई अच्छी बात है तो, उसे हर धर्म के अनुयायी ग्रहण करते है। अब यदि महमूद मदनी की नजर में इस्लाम का जिहाद सद्‌भावना वाला है तो सवाल उठता है कि भारत में कट्टरपंथी सोच के मुसलमान निर्दोष हिन्दुओं की हत्याएं क्यों कर रहे है? विगत दिनों कश्मीर के पहलगाम में आंतकवादियों ने धर्म पूछकर 26 हिन्दुओं पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना में इस्लाम को मानने वाले आंतकियों ने स्पष्ट कहा कि हम सिर्फ हिन्दुओं को ही मारने आए है। ऐसे आंतकियों ने इस्लामिक जिहाद की भी दुहाई दी। इन दिनों पूरे देश में हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी की चर्चा हो रही है। इस यूनिवर्सिटी से जुड़े ऐसे डाक्टरों का भंडा फोड हुआ है जो जिहाद के नाम पर देश भर में आतंकी वारदातों की योजना बने रहे थे। गिरफ्तार हुए सभी आरोपी इस्लाम धर्म को मानने वाले है और वे भी इस्लाम के खातिर जिहाद कर रहे थे। जिहाद की दुहाई देकर ही कश्मीर घाटी से 4 लाख हिन्दुओं को प्रताडित कर भगा दिया। आज ऐसे कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बन‌कर रह रहे है। जिस जिहाद के नाम पर हिन्दुओं को कश्मीर से भगाया गया अब मदनी को चाहिए कि उनके जिहाद से हिन्दुओं को वापस कश्मीर घाटी में बसाया जाए । महमूद मदनी यह मानते है कि जिहाद परस्पर सद‌भाव की शिक्षा देता है तो फिर कश्मीरी हिदुओं को वापस बसाया जाना चाहिए। महमूद मदनी की जिहाद की अपनी व्याख्या अपनी जगह है लेकिन दुनिया में एक मात्र सनातन धर्म है जिसमें सभी धर्म के सम्मान की शिक्षा दी जाती है। देश-दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब किसी हिन्दू शासक हिंदू धर्म नहीं अपनाने पर हत्या की हो । जबकि मदनी को भारत में मुगलों के 600 वर्षों के शासन के इतिहास को देख लेना चाहिए। हाल ही में दुनिया भर में गुरु तेग बहादुर जी महाराज की 350 वीं जयन्ती मनायी गई। इतिहास गवाह है कि क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने 24 नवम्बर 1665 को दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेग बहादर जी की गर्दन इसलिए कटवा दी कि उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया था। महमूद मदनी को चाहिए कि वह अपने जेहाद के माध्यम से देश में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने का काम करे। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Tuesday, 2 December 2025

सिद्धारमैया ने अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है, इसलिए डीके शिवकुमार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। राजस्थान में भी सचिन पायलट नहीं बन सके मुख्यमंत्री। गांधी परिवार ने दबाव डाला तो अशोक गहलोत की तरह बगावत करेंगे सिद्धारमैया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी के निर्देशों के बाद 29 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नाश्ते पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को आमंत्रित कर लिया। इस नाश्ता बैठक में दोनों के बीच क्या बातें हुई यह तो वह ही जाने, लेकिन हकीकत यह है कि डीके चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन सिद्धारमैया के रहते हुए वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत का जूठा पानी पी रखा है। कर्नाटक में भी राजस्थान जैसे हालात है। राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थे और तब हर कांग्रेसी मानता था कि बहुमत मिलने पर पायलट की मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए। सरकार बनने पर पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। यानी उस समय डीके शिवकुमार की तरह सचिन पायलट भी प्रदेशाध्यक्ष होने के साथ साथ डिप्टी सीएम बने थे, लेकिन अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट को न तो प्रदेश अध्यक्ष और न डिप्टी सीएम का काम करने दिया। करीब दो साल बाद ही पायलट ने 18 विधायकों को साथ लेकर दिल्ली में विस्फोट कर दिया। चूंकि डीके शिव कुमार के सामने सचिन पायलट का हश्र है, इसलिए वे दिल्ली में अपने समर्थक विधायकों का कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं करवा रहे। लेकिन वे चाहते हैं कि ढाई ढाई वर्ष के फार्मूले के आधार पर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री का पद उन्हें सौंप दें। अशोक गहलोत की तरह सिद्धारमैया पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें वे तौर तरीके आते हैं, जिनसे सत्ता पर काबिज रहा जाता है। राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं जो ढाई वर्ष बाद चुपचाप सीएम का पद छोड़ दे और फिर सिद्धारमैया ने तो अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है। ऐसे में वे कभी भी मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ेंगे। यदि गांधी परिवार ने ज्यादा दबाव डाला तो सिद्धारमैया भी गहलोत की तरह खुली बगावत करेंगे। सब जानते हैं कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत के स्थान पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियागांधी ने 25 सितंबर 2022 को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बेठक बुलाई थी। इस बेठक के लिए तब मल्लिकार्जुन खडग़े और अजय माकन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। तब ये दोनों पर्यवेक्षक जयपुर में सीएम हाऊस पर विधायकों का इंतजार करते रहे और अधिकांश विधायक गहलोत के समर्थन में मंत्री शांति धारीवाल के घर पर एकत्रित हो गए। इतना ही नहीं कोई 70 विधायकों ने गहलोत के समर्थन में अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। राजस्थान में गहलोत की बगावत को देखते हुए गांधी परिवार कर्नाटक में ऐसा कोई जोखिम लेना नहीं चाहता। गांधी परिवार सिद्धारमैया की ताकत को जानता है। इसलिए राहुल गांधी का प्रयास है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार का मामला बेंगलुरु में ही निपट जाए। जानकारों की मानें तो 29 नवंबर को नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार को उन कांग्रेसी विधायकों के नाम बताएं जो सरकार के साथ खड़े हैं। सिद्धारमैया ने बता दिया कि अधिकांश विधायक उनके साथ हैं। ऐसे में यदि विधायक दल की बैठक होती है तो डीके शिवकुमार को मतदान में हार का सामना करना पड़ेगा। नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने जो जमीनी हकीकत दिखाई उसी का परिणाम रहा कि डीके शिव कुमार ने मीडिया से कहा कि हम दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है और कांग्रेस हाईकमान जो फैसला करेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। यानी सिद्धारमैया ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (30-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

कांग्रेस को अब राधे राधे बोलने से भी चिढ़। हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बच्चों के राधे राधे बोलने पर सवाल उठाया।

कांग्रेस और उसके नेताओं को अब सनातन धर्म से जुड़े राधे राधे बोलने पर भी चिढ़ हो गई है। यह बात 28 नवंबर को हिमाचल प्रदेश की अस्थायी राजधानी धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मॉर्निंग वॉक के समय प्रदर्शित हुई। चूंकि शीतकाल में हिमाचल की राजधानी शिमला से धर्मशाला हो जाती है, इसलिए कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुक्खू धर्मशाला में ही निवास कर रहे है। 28 नवंबर को मॉर्निंग वॉक के समय सीएम सुक्खू जब एक मंदिर के सामने से गुजरे तो मंदिर के बाहर खड़े बच्चों ने सुक्खू से राधे राधे किया। बच्चों के राधे राधे बोलने पर सीएम ने पूछा कि तुम राधे राधे क्यों बोलते हों? सुक्खू ने जिस अंदाज में राधे राधे बोलने पर सवाल उठाया उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि मुख्यमंत्री को अपने प्रदेश के बच्चों को राधे राधे बोलने पर आपत्ति है। सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस और उसके नेताओं से सनातन धर्म से जुड़े राधे राधे बोलने से इतनी चिढ़ क्यों हैं? जबकि हिमाचल प्रदेश को तो देवभूमि माना जाता है। सनातन धर्म के पौराणिक स्थल हिमाचल में ही है। भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत का बड़ा हिस्सा हिमाचल में ही है। जानकारों की माने तो गत चुनावों में कांग्रेस की जीत पर सुक्खू ने कहा था कि हिमाचल में सनातन के अनुयायियों को हराकर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। तब भी सुक्खू की सनातन विरोधी मानसिकता सामने आई थी। यह सही है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन सनातन विरोधी विचारों के चलते कांग्रेस को देश भर में हार का सामना करना पड़ रहा है। जिस कांग्रेस पार्टी ने देश पर पचास वर्षों से भी ज्यादा समय तक राज किया, वह गत तीन लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हो रही है। देश में हिमाचल सहित सिर्फ तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह गई है। इतनी बुदी दशा के बाद भी कांग्रेस के नेता सनातन धर्म से चिढऩे वाली बातें प्रदर्शित करते हैं। मीडिया में अब सीएम सुक्खू के इस व्यवहार की आलोचना हो रही है, लेकिन सुक्खू ने अभी तक भी अपने कृत्य के लिए खेद प्रकट नहीं किया है। https://youtube.com/shorts/QSPv1ys7TuE?si=lMAGE8V53QNX-i6v S.P.MITTAL BLOGGER (01-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

सेवन वंडर का टूटना आनासागर के अतिक्रमणकारियों के लिए मुसीबत बना। अब वेटलैंड पर कृषि फार्म भी नहीं चल सकेंगे। सीज संपत्तियों के मालिकों को भी राहत नहीं।

अजमेर के आनासागर झील के वेटलैंड पर बने सेवन वंडर की इमारतों का टूटना अब आनासागर के अतिक्रमणकारियों के लिए मुसीबत बन गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही वेटलैंड पर बने सेवन वंडर की इमारतों को ध्वत कर दिया गया है। इसलिए अब आनासागर के जल संग्रहण क्षेत्र और वेटलैंड पर कृषि फार्म की अनुमति भी नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण के इस तर्क पर सहमति जताई है,इसको लेकर प्राधिकरण से शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई हुई उसके बाद आनासागर के भराव क्षेत्र में अतिक्रमण कारियों और 60 से भी अधिक सीज हुई संपत्तियों के मालिकों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। यानी अब कोई अतिक्रमणकारी अदालत के स्टे के आधार पर अपने अतिक्रमण को बचा नहीं सकता। यह सही भी है कि जब देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश से आनासागर के वेटलैंड पर बने सरकार के सेवन वंडर को तोड़ा जा सकता है, तब किसी अधीनस्थ अदालत का स्टे ऑर्डर आनासागर में हुए अतिक्रमण को बचा नहीं सकता। जिन लोगों ने निचली अदालतों से अपने निर्माणों पर स्टे ले रखे हैं, उन पर भी अब तलवार लटक गई है। प्राधिकरण ने आनासागर की जिस भूमि को जल संग्रहण और वेटलैंड के दायरे में ले रखा है, उस पर अब कोई भी निर्माण नहीं रह सकता। सेवन वंडर की इमारतों की तरह ऐसे निर्माणों को भी तोड़ा जाएगा। इसमें गोविंदम् जैसा समारोह स्थल भी शामिल हैं। गोविंदम समारोह स्थल की होटल को सेवन वंडर से भी आगे आनासागर के अंदर बनी हुई है। जिन 60 से भी अधिक दुकानों, होटलों, शोरूम आदि को पूर्व में सीज किया गया वे भी सेवन वंडर की तरह आनासागर के वेटलैंड या जल संग्रहण भूमि पर बने हुए हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (01-12-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Sunday, 23 November 2025

डोटासरा की तरह सचिन पायलट ने भी राजस्थान में कांग्रेस को मजबूत किया था। लेकिन सत्ता मिलने पर अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री बने। पायलट के समय तो कांग्रेस के मात्र 21 विधायक ही थे। आज 9 सांसदों के साथ 66 विधायक हैं।

राजस्थान के 50 में से 45 जिलों में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो गई है। मीडिया में कहा जा रहा है कि 45 में से 18 प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के समर्थक हे। 8 सचिन पायलट के और 9 पूर्व सीएम अशोक गहलोत के समर्थक बनाए जा रहे हैं। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की कड़ी मेहनत रही है। डोटासरा संगठन को मजबूत करने का काम लगातार कर रहे है, इसलिए प्रदेश के 52 हजार पोलिंग बूथों पर अध्यक्षों की नियुक्ति भी की गई है। 42 हजार बूथ अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी डोटासरा की प्रशंसा की है। आज डोटासरा जिस मेहनत के साथ संगठन को मजबूत कर रहे है, वैसी ही मेहनत वर्ष 2013 के बाद सचिन पायलट ने भी की थी। पायलट को जब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तब कांग्रेस के मात्र 21 विधायक थे और 25 में से एक सांसद भी कांग्रेस का नहीं था। लेकिन मात्र 21 विधायकों के साथ पायलट ने विपक्ष की भूमिका निभाते हुए प्रदेश भर में कांग्रेस को मजबूती प्रदान की। जन आंदोलनों में पायलट को पुलिस के डंडे भी खाने पड़े। पायलट ने संगठन को जो मजबूती दी, उसी का परिणाम रहा कि वर्ष 2018 में कांग्रेस को बहुमत मिला गया। तब सभी कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि पायलट ही मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय नेतृत्व ने पायलट की बजाए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। वर्ष 2014 से 2018 के बीच सचिन पायलट ने जिस प्रकार मेहनत की, उसी प्रकार मौजूदा समय में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा भी कर रहे हैं। पायलट के मुकाबले डोटासरा के लिए अनुकूल बात यह है कि अभी कांग्रेस के 9 सांसदों के साथ-साथ 66 विधायक भी हैं। यानी पायलट के समय के मुकाबले में आज कांग्रेस की स्थिति बेहतर है। राजस्थान में 2028 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस को बहुमत मिलेगा या नहीं यह तो परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस की राजनीति में सवाल उठ रहा है कि क्या बहुमत मिलने पर डोटासरा को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? डोटासरा के समर्थकों को पूरी उम्मीद है कि डोटासरा ही मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन वही अशोक गहलोत के समर्थक तो अभी से ही नारे लगा रहे है कि चौथी बार गहलोत सरकार। मालूम हो कि गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत जबरदस्त तरीके से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं। सोशल मीडिया की सक्रियता के साथ साथ गहलोत अब अखबारों में लेख भी लिखने लगे हैं। गहलोत लगातार प्रदेश भर का दौरा कर रहे हैं और राज्य की भाजपा सरकार की कमियों को उजागर कर रहे हैं। गहलोत के पास भले ही संगठन में कोई पद न हो, लेकिन उनकी सक्रियता प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा और प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली से भी ज्यादा है। अखबारों में डोटासरा और जूली दोनों की मिलाकर जितनी खबरें नहीं छपती, उससे ज्यादा गहलो की प्रकाशित होती है। जहां तक सचिन पायलट का सवाल है तो उनके पास कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व भी है और वे छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी हैं। इसलिए पायलट को ज्यादातर समय राजस्थान से बाहर रहना होता है, लेकिन महत्वपूर्ण अवसरों पर पायलट राजस्थान आ जाते हैं। पायलट के समर्थक भी चाहते हैं कि वर्ष 2028 में बहुमत मिलने पर पायलट को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। क्योंकि 2018 में पायलट का हक छीना गया था। अशोक गहलोत बहुमत मिलने पर हर बार मुख्यमंत्री बनने में सफल हो जाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है। गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस को बहुमत नहीं दिला सके। तीनों बार गहलोत के नेतृत्व में ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

देश का 24 प्रतिशत इनकम टैक्स सिंधियों द्वारा दिया जाता है। पीएम मोदी के 2047 तक विकसित भारत के संकल्प में सिंधी समाज का विशेष योगदान। घर के अंदर सिंधी परिवार अपनी मातृभाषा में संवाद करें। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विश्व सिंधी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन में विचार रखे।

23 नवंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व सिंधी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में भारत सहित अनेक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में दुनिया भर में बसे सिंधी समुदाय की उपलब्धियों पर चर्चा हुई। सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी स्वीकारा की वे दुनिया के किसी भी देश में जाए, वहां सिंधी कारोबारी मिल ही जाते हैं। सम्मेलन को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष एसोसिएशन के संरक्षक वासुदेव देवनानी ने भी अपने विचार रखे। देवनानी ने कहा कि देा के आर्थिक विकास में सिंधी समुदाय का कितना योगदान है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश का 24 प्रतिशत इनकम टैक्स सिंधी समाज के द्वारा ही दिया जाता है। सिंधी समाज क यह उपलब्धि तब है, जब देश के विभाजन के समय सिंधी परिवार अपना सब कुछ पाकिस्तान में छोड़कर आए थे। जो समाज शरणार्थी बनकर आया उसने अपने पुरुषार्थ के बल पर सब कुछ हासिल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का जो संकल्प किया है, उसमें सिंधी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि सिंधु संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है और सिन्धी भाषा भी विश्व की सबसे समृद्धशाली ऐसी भाषा है जिसकी लिपि में 52 अक्षर है। हमें सिंध और सिंधी समाज और भाषा पर गर्व होना चाहिए क्योंकि आज भारत ही नहीं विश्व के हर कोने में सिन्धी समाज बसा हुआ है। यहां तक कि बारबाडोस जैसे सुदूर क्षेत्र में भी सिन्धी समाज के लोग बसे हुए है। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया जिन्होंने विभाजन के दर्द को महसूस करते हुए हर वर्ष 14 अगस्त को विभीषिका दिवस मनाने की घोषणा की है। देवनानी ने सिन्धी समाज के लोगों से अपील की कि वे अपने आपको सिंधु सभ्यता से जुड़े होने और सिन्धी समाज के होने पर गर्व करें तथा अपने धरों में सिन्धी भाषा में ही बातचीत करें क्योंकि किसी समाज के लिए उसकी अपनी भाषा ही उसकी अपनी पहचान होती है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि वे नई पीढ़ी को भी सिन्धी भाषा और संस्कृति से सुसंस्कृत करें। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि अपने शिक्षा मंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने राजस्थान के अजमेर और कोटा में सिंधु शोध पीठ की स्थापना कराने के साथ ही महाराजा श्री दाहिर सेन, महान क्रांतिकारी श्री हेमू कालानी के साथ ही सिन्धी संतों संत तेऊ राम, संत चंद्र भगवान, संत कंवर राम आदि की जीवनियों को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल कराया था। अपने भाषण के अंत में देवनानी ने जिए सिंध, जिए हिन्द का नारा दिया। सम्मेलन में इंदौर मध्य प्रदेश के सांसद शंकर लालवानी ने नई दिल्ली में सिंधु भवन बनाने की मांग रखी। इस अवसर पर सिंधी समाज के कई वक्ताओं ने भी अपने विचार प्रकट किए । विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ गुरूमुख जगवानी ने सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया। S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

शहर कांग्रेस अब अजमेर क्लब से चलेगी। जयपाल की नियुक्ति में राठौड़ का हाथ। देहात में डोटासरा की पसंद हैं विधायक विकास चौधरी। विरोधियों ने संघ की गणवेश वाला फोटो वायरल किया।

लंबे इंतजार के बाद आखिर अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल और देहात के जिलाध्यक्ष के पद पर किशनगढ़ के मौजूदा विधायक डॉ. विकास चौधरी की नियुक्ति हो गई है। कहा जा सकता है कि अब शहर कांग्रेस अजमेर क्लब से संचालित होगी। डॉ. जयपाल इसी क्लब के पिछले 20 वर्षो से अध्यक्ष हैं। इसी क्लब में बार का संचालन भी होता है। अजमेर में कांग्रेस का कोई अधिकृत कार्यालय नहीं है, इसलिए निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन भी अपने केसरगंज स्थित कार्यालय से ही कांग्रेस का संचालन करते रहे। जैन ने अपने निजी कार्यालय में ही शहर जिला कांग्रेस कमेटी का कार्यालय खोल रखा था। स्वाभाविक है कि अब डॉ. जयपाल भी अपने अजमेर क्लब से ही कांग्रेस का संचालन करेंगे। वैसे भी पिछले दो वर्षों से अजमेर क्लब शहर कांग्रेस की गतिविधियों का केंद्र रहा है। आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ अजमेर क्लब में ही अपने गुट के कार्यकर्ता की बैठक करते रहे। राठौड़ ने कई बार अजमेर क्लब में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की। डॉ. जयपाल की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति में धर्मेन्द्र राठौड़ की सिफारिश रही है। राठौड़ अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं, इसलिए उत्तर क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं अब जब राठौड़, डॉ. जयपाल को शहर अध्यक्ष बनवाने में सफल रहे, तब क्षेत्र में उनकी सक्रियता और बढ़ जाएगी। मालूम हो कि निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन और गत चुनाव में उत्तर क्षेत्र के प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता ने धर्मेन्द्र राठौड़ पर अजमेर में कांग्रेस को कमजोर करने के आरोप लगाए थे। लेकिन अब राठौड़ ने सचिन पायलट गुट के विजय जैन और रलावता को मात दे दी है। अब शहर कांग्रेस पर धर्मेन्द्र राठौड़ का कब्जा हो गया है। कांग्रेस में राठौड़ को पूर्व सीएम अशोक गहलोत के गुट का माना जाता है। चूंकि जयपाल अनुसूचित जाति के हैं, इसलिए उनकी नजर एससी वर्ग के लिए सुरक्षित अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र पर रहेगी। यानी टिकट को लेकर राठौड़ और जयपाल में प्रतिस्पर्धा नहीं होगी। डोटासरा की पसंद: अजमेर देहात जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष किशनगढ़ के विधायक डॉ. विकास चौधरी को बनाया गया है। विधायक चौधरी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की पसंद हैं। गत विधानसभा के चुनाव में जब डॉ. चौधरी को भाजपा का उम्मीदवार नहीं बनाया गया, तब डोटासरा ने रातों रात डॉ. चौधरी को भाजपा से निकाल कर कांग्रेस की सदस्यता दिलवा दी और फिर किशनगढ़ से उम्मीदवार भी घोषित करवा दिया। चुनाव में डॉ. चौधरी ने कांग्रेस का उम्मीदवार बनकर भाजपा के भागीरथ चौधरी (अब केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री) को हरा दिया। अब देहात का जिलाध्यक्ष बनवाने में भी डोटासरा की ही भूमिका है। वैसे भी अजमेर देहात में कांग्रेस मरणासन्न स्थिति में है। 8 में से सिर्फ एक कांग्रेसी विधायक विकास चौधरी ही है। डोटासरा को उम्मीद है कि डॉ. चौधरी के नेतृत्व में अजमेर जिले में कांग्रेस मजबूत होगी। लेकिन डॉ. चौधरी की नियुक्ति के साथ ही विरोधियों ने संघ की गणवेश वाले फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए हैं। विरोधियों का कहना है कि एक ओर राहुल गांधी संघ की आलोचना करते हैं तो वहीं संघ के स्वयं सेवक डॉ. विकास चौधरी को ही देहात का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। संघ की गणवेश वाला फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर ही जवाब देते हुए डॉ. चौधरी ने समर्थकों ने कहा कि इसमें छिपाने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि डॉ. चौधरी ने अपनी राजनीति संघ और भाजपा से ही की है। दो वर्ष पहले तक वे संघ और भाजपा में ही सक्रिय थे। चौधरी ने 2018 का विधानसभा चुनाव भाजपा उम्मीदवार के तौर पर ही लड़ा था। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

हिंदुओं के तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए ही गुरु तेग बहादुर जी ने अपना बलिदान दिया-गोपाल सिंह लबाना। शहीदी दिवस पर अजमेर में 25 नवंबर को सजेगा दीवान। अजमेर के विश्वनाथ मंदिर के उपासक पंडित गिरिराज शर्मा को मिलेगा माता अंजना सम्मान।

सिख धर्म के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार गोपाल सिंह लबाना ने कहा है कि गुरु तेग बहादुर जी महाराज ने हिंदुओं के तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए ही अपना बलिदान दिया। इसलिए शहादत के वर्णन में लिखा है कि 'तिलक, जनेऊ राखा प्रभ ताका। उन्होंने कहा कि आज जब पूरा देश गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीद दिवस मना रहा है, तब युवा पीढ़ी को यह पता होना चाहिए कि आखिर हमारे गुरु ने अपना बलिदान क्यों दिया। इतिहास गवाह है कि क्रूर मुगल शासक औरंगजेब जब तलवार की नोक पर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवा रहा था, तब गुरु तेग बहादुर जी ने विरोध किया और इस्लाम धर्म कबूल करने से इंकार कर दिया। यही वजह रही कि 25 नवंबर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेगबहादुर जी को फांसी पर लटका दिया। आज इसी स्थान पर दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साबित बना हुआ है। सिख धर्म के लिए यह गर्व की बात है कि आज हम 350 वां शहीदी दिवस मना रहे है। लबाना ने कहा कि हिंदुओं की रक्षा के लिए सिखों के गुरुओं और उनके अनुयायियों ने बड़े से बड़ा बलिदान दिया है। देश में शहीदी दिवस पर हो रहे बड़े कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414007822 पर गोपाल लबाना से ली जा सकती है। अजमेर में सजेगा दीवान: गुरु तेग बहादुर सत्संग सभा के प्रतिनिधि तेजपाल सिंह साहनी ने बताया कि अजमेर में भी 25 नवंबर को कचहरी रोड स्थित रेलवे बिसिट के सभागार में शहीदी दिवस पर विशेष दीवान सजाया जाएगा। इस अवसर पर प्रात: 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक और शाम को सायं 7:30 बजे से रात्रि 11 बजे तक कीर्तन समागम होगा। दिल्ली के भाई हर तीरथ सिंह सोढ़ी, जालंधर के भाई जसविंदर सिंह दर्जी, भाई जगजीत सिंह नूरी कीर्तन ज्ञान से संगत को निहाल करेंगे। इसके साथ ही गुरु का लंगर भी होगा। उन्होंने शहरवासियों से इस धार्मिक आयोजन में भाग लेने की अपील की है। उन्होंने बताया कि गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर 22 नवंबर को धोलाभाटा स्थित गुरुद्वारा की ओर से नगर कीर्तन भी निकाला गया। जिसमें भटिंडा के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस नगर कीर्तन में सिख अनुयायियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। 25 नवंबर को होने वाले समागम के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 7737234534 पर तेजपाल सिंह शाहानी से ली जा सकती है। माता अंजना सम्मान: 25 नवंबर को अजमेर के केशव नगर के विश्वनाथ मंदिर के उपासक पंडित गिरिराज प्रसाद शर्मा को माता अंजना सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। सम्मान स्वरूप 51 हजार रुपए नगद स्मृति चिह्न और श्रीफल प्रदान किया जाएगा। इससे पहले शाम को मंदिर परिसर में ही संगीतमय सुंदरकांड होगा। सांस्कृतिक संस्था सप्तक के प्रमुख ललित शर्मा ने बताया कि संस्था ने प्रतिवर्ष अजमेर के एक मंदिर के उपासक को माता अंजना सम्मान देने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में प्रथम माता अंजना सम्मान पंडित गिरिराज प्रसाद शर्मा जी को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह सम्मान सप्ताक के प्रणेता पंडित महावीर प्रसाद शर्मा और उनकी पत्नी श्रीमती कुंती देवी की प्रेरणा से दिया जा रहा है। इसमें संस्था की संस्थापक संरक्षक प्रभा शर्मा का भी विशेष योगदान है। इस धार्मिक आयोजन से सप्तक के मार्गदर्शक और संगीता स्मृति सेवा संस्थान के संस्थापक सुनील दत्त जैन, सप्तक की संस्थापक संरक्षक प्रभा शर्मा, संरक्षक नटवर गोपाल गोयल, ललित कुमार शर्मा, मनीष अरोड़ा, अध्यक्ष ललित चतुर्वेदी, वर्तिका शर्मा, मनोज डबराल, शशि प्रकाश इंदौरिया, गोप मीरानी, नरेंद्र जैन, रविंद्र जैन, हनुमत शक्ति जागरण समिति के अध्यक्ष आनंद गोयल, अजमेर जिला गौड़ ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष अनिल भारद्वाज, डॉ. आनंद विजय, हरीश चावला, भारत पांडे जुड़े हुए हैं। इस कार्यक्रम के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414416461 पर ललित शर्मा से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

उपाचार्य से प्राचार्य के पद पर पदोन्नत हुए शिक्षकों की नियुक्ति और गड़बड़झाले वाली प्राचार्य की तबादला सूची पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर कुछ भी नहीं बोले। जबकि स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या यही है।

22 नवंबर को अजमेर के पृथ्वीराज नगर स्थित सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल के वार्षिक समारोह में भाग लेने के लिए राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अजमरे आए। दिलावर ने शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी से लेकर विद्यार्थियों की गणवेश तक के सवालों का जवाब दिया, लेकिन सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या उपाचार्य से लेकर प्राचार्य के पद पर पदोन्नति और गड़बड़झाले वाली प्राचार्यों की तबादला सूची पर कोई प्रतिक्रया नहीं दी। सरकार ने कोई 6 माह पहले मई 2025 में चार हजार से भी ज्यादा उपाचार्य को प्राचार्य के पद पर पदोन्नत कर दिया। तभी से पदोन्नत हुए उपाचार्य, प्राचार्य का वेतन ले रहे हैं, लेकिन सरकार ने पदोन्नत हुए प्राचार्यों को आज तक भी नियुक्ति नहीं दी है। फलस्वरूप पदोन्नत हुए प्राचार्य पुरानी स्कूलों में उपाचार्य के पद पर ही काम कर रहे हैं। शिक्षा जगत में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब सरकार वेतन तो प्राचार्य का दे रही है, लेकिन काम उपाचार्य के पद का ही लिया जारहा है। सरकार किस नियम के तहत उपाचार्य को प्राचार्य का वेतन दे रही है, इस सवाल का जवाब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पास भी नहीं है। इधर मई माह से चार हजार से ज्यादा उपाचार्य को पदोन्नति दे दी गई और उधर सितंबर माह में करीब साढ़े चार हजार प्राचार्यों के तबादले कर दिए गए। प्राचार्यों के तबादले से प्रदेश भर में एक हजार से ज्यादा विद्यालय प्राचार्य का तो तबादला कर दिया, लेकिन रिक्त हुए पद पर दूसरे प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की। इसी प्रकार इस तबादला सूची में उन प्राचार्यों के तबादले कर दिए जिनकी सेवानिवृत्ति में तीन-चार माह ही शेष हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित प्राचार्यों के भी तबादले कर दिए। प्राचार्यों की इस तबादला सूची से क्षेत्र के विधायक और मंत्री भी खफा है। बड़ी अजीब बात है कि एक ओर विद्यालय में पदोन्नत हुए प्राचार्य, उपाचार्य के पद पर काम कर रहा है, तो वहीं इसी विद्यालय में प्राचार्य का पद रिक्त पड़ा है। चूंकि प्राचार्यों की तबादला सूची गड़बड़झाला रही, इसलिए सौ से भी ज्यादा शिक्षकों ने अदालतों से स्टे ले लिया। तभी से प्राचार्यों की संशोधित सूची का इंतजार किया जा रहा है। संशोधित सूची के इंतजार में सैकड़ों प्राचार्यों ने नए पद पर ज्वाइन नहीं किया है। यानी सरकारी विद्यालयों में इन दिनों बेहद ही खराब माहौल है। कहा जा सकता है कि शिक्षण कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा है। लेकिन शिक्षा मंत्री मदन दिलावर इन सब समस्याओं से बेफ्रिक हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Saturday, 22 November 2025

उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ नाराज होते तो न संघ के कार्यक्रम में आते और न भोपाल के राजभवन में ठहरते।

जगदीप धनखड़ ने गत जुलाई माह में उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया था। तभी से देश में यह चर्चा रही कि धनखड़ ने नाराजगी की वजह से इस्तीफा दिया है। हालांकि धनखड़ ने अभी तक भी कोई नाराजगी प्रकट नहीं की है। इस्तीफे के बाद 21 नवंबर को पहला अवसर है, जब धनखड़ किसी सार्वजनिक समारोह में नजर आए और भाषण भी दिया। 21 नवंबर को धनखड़ ने भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य की पुस्तक हम और यह विश्व का विमोचन किया। अपने संबोधन में धनखड़ ने सिर्फ इतना ही कहा कि देश ऐसे दौरे में है जहां धारणा और नेरेटिव सच तय करते हैं, भगवान करे कोई नेरेटिव न फंसे। मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा, पर मुझे नैरेटिव का शिकार बनाना चाहते हैं। धनखड़ का यह कथन बताता है कि उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे को लेकर बहुत कुछ घटित हुआ है। जिसका धनखड़ को दुख है, लेकिन वे कोई नाराजगी नहीं दिखाना चाहते। उनका प्रयास है कि जो भ्रांति हुई उसे दूर किया जाए। यदि धनखड़ के मन में मोदी सरकार के प्रति कोई नाराजगी होती है तो उन्हें संघ के कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता। 21 नवंबर को धनखड़ भोपाल प्रवास के दौरान राजभवन में ही ठहरें। राजभवन में ठहरना भी यह दर्शाता है कि धनखड़ और सरकार के बीच कोई विवाद नहीं है। भले ही भोपाल प्रवास में धनखड़ की मुलाकात मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल से न हुई हो, लेकिन राजभवन में चार घंटे तक धनखड़ का ठहराव राज्यपाल की सहमति से ही हुआ है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद विपक्ष भी धनखड़ से विरोध की उम्मीद लगाए बैठा है, लेकिन अभी तक भी धनखड़ ने विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं दिया है। 21 नवंबर को भी भोपाल यात्रा के बाद तो यह उम्मीद लगाई जा रही है कि धनखड़ एक बार फिर देश की राजनीति की मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (22-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

राजस्थान में भजनलाल शर्मा का कुछ भी दांव पर नहीं। सीएस के पद पर पंत रहे या श्रीनिवास, या फिर सीएमओ में शिखर रहें या अखिल, कोई फर्क नहीं पड़ता। वसुंधरा की तरह रुतबे और अशोक गहलोत की तरह सरकार बचाने की चिंता नहीं।

पहले 17 नवंबर को जब वी श्रीनिवास ने राजस्थान के मुख्य सचिव का पद संभाला और अब 21 नवंबर को जब 48 आईएएस की तबादला सूची जारी हुई तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लेकर अनेक चर्चाएं हो रही है। कहा जा रहा है कि न तो मुख्य सचिव (सीएस) के चयन में और न ही 48 आईएएस की तबादला सूची में सीएम शर्मा की चली। प्रशासनिक तंत्र में जो कुछ भी हो रहा है, वह सब डबल इंजन की सरकार के दिल्ली वाले इंजन के इशारे पर हो रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में कुछ भी चर्चा हो, लेकिन यह हकीकत है कि भजनलाल शर्मा का कुछ भी दांव पर नहीं है। मुख्य सचिव के पद पर सुधांश पंत रहे या फिर वी. श्रीनिवास। इसी प्रकार सीएमओ में शिखर अग्रवाल रहे या अखिल अरोड़ा। इसमें मुख्यमंत्री शर्मा पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। कोई कुछ भी कहें, लेकिन भजन लाल शर्मा पूरे पांच वर्ष राजस्थान के मुख्यमंत्री रहेंगे। जब उन्हें मुख्यमंत्री के पद से कोई नहीं हटा सकता तो वे मुख्य सचिव या फिर अपने प्रधान सचिव की नियुक्ति के मामले में उलझेंगे। पूर्व में वसुंधरा राजे जब भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री रही, तब उन्हीं की सहमति से मुख्य सचिव नियुक्त होते थे। राजस्थान के किसी भी आईएएस में इतनी हिम्मत नहीं कि वह दिल्ली जाकर कोई एप्रोच कर ले। सीएमओ में भी वो ही आईएएस नियुक्त रहे जो वसुंधरा राजे की पसंद के थे। वसुंधरा ने कभी भी अपने रुतबे पर कोई आंच नहीं आने दी। अनेक आईएएस तो वसुंधरा के सामने आने से भी डरते थे। इसी प्रकार अशोक गहलोत ने उन्हीं आईएएस को मुख्य सचिव या फिर सीएमओ में नियुक्त किया जो उनकी सरकार को बचा सके। राजस्थान की अफसरशाही ने पिछले 25 वर्षों में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत का शासन देखा है। दिसंबर 2023 के बाद अफसरशाही को बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है। दिसंबर 2023 में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब सुधांश पंत को मुख्य सचिव बनाया गया, तब यही कहा गया कि प्रशासनिक तंत्र में सुधांश पंत की ही चलेगी, लेकिन इसी माह जब सुधांश पंत की जगह वी. श्रीनिवास को मुख्य सचिव बनाया गया तो कहा गया कि सीएमओ के साथ टकराव के चलते यह बदलाव हुआ है। अब जब 21 नवंबर को शिखर अग्रवाल को भी सीएमओ से बाहर कर दिया गया, जब एक बार फिर अनेक चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन इन चर्चाओं से भजनलाल शर्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता। शर्मा को न तो वसुंधरा राजे की तरह अपना रुतबा प्रदर्शित करने की जरूरत है और न ही अशोक गहलोत की तरह सरकार बचाने की चिंता। यही वजह है कि जब शिखर अग्रवाल को हटा कर अखिल अरोड़ा को सीएमओ में तैनात किया गया तो सीएम शर्मा ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं उठाया। राजस्थान में जो आईएएस स्वयं को बड़ा निशानेबाज समझते हैं, उन्हें 21 नवंबर को 48 आईएएस की तबादला सूची से सबक ले लेना चाहिए। जहां तक नए मुख्य सचिव वी.श्रीनिवास का सवाल है तो उनका भी कोई स्वार्थ नहीं है। श्रीनिवास मात्र 10 माह बाद ही सेवानिवृत्त हो रहे है। श्रीनिवास को भी पता है कि छह माह का सेवा विस्तार या फिर अन्य कोई लाभ का पद दिल्ली वाले इंजन के इशारे पर ही मिलेगा। मुख्यमंत्री शर्मा भी बेफ्रिक है, क्योंकि 2028 तक उन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की क्रियान्विति करने की जिम्मेदारी मुख्य सचिव की है। मुख्यमंत्री शर्मा को अपने मंत्रिमंडल विस्तार का भी कोई टेंशन नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं पिछले दो वर्ष से हो रही है, लेकिन अभी तक भी विस्तार नहीं हो पाया है। नियमों के मुताबिक 6 और मंत्री बनाए जा सकते हैं। मालूम हो कि 21 नवंबर को जो 48 आईएएस की तबादला सूची जारी हुई है, उसमें पीएचडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा को सीएमओ में नियुक्त किया गया है। जबकि शिखर अग्रवाल को सीएमओ से हटाकर उद्योग विभाग में नियुक्त किया गया है। S.P.MITTAL BLOGGER (22-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Friday, 21 November 2025

उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद, पत्नी स्नेहलता विधायक और बेटा दीपक प्रकाश भी मंत्री बन गया। अकेले लालू का कुनबा ही परिवारवादी नहीं है, अब बिहार की जनता ही सब सिखाएगी।

बिहार के कुशवाहा जाति के दम पर उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा पार्टी बना रखी है। अपनी जाति के वोटों के दम पर ही उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू से गठबंधन कर रखा है। इस गठबंधन के कारण ही उपेंद्र कुशवाहा बिहार से राज्यसभा सांसद हैं। हाल ही के विधानसभा चुनाव में समझौते के तहत कुशवाहा की पार्टी को चार सीटें मिली। कुशवाह ने एक सीट पर अपनी पत्नी श्रीमती स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया जो विधायक भी बन गई। समझौते के तहत ही कुशवाहा को एक मंत्री पद भी मिला। कुशवाह ने यह मंत्री पद अपने बेटे दीपक प्रकाश को दे दिया। 20 नवंबर को हुए शपथ ग्रहण समारोह में दीपक प्रकाश ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। दीपक ने बताया कि 20 नवंबर को सुबह ही उन्हें मंत्री बनाए जाने की जानकारी मिली थी। उपेंद्र कुशवाहा के परिवार में तीन सदस्य ही है और अब तीनों सदस्य किसी न किसी महत्वपूर्ण पद पर है। सवाल उठता है कि जो नेता अपनी जाति की राजनीति करता है, क्या उसे पार्टी में सिर्फ अपने परिवार के सदस्य ही योग्य नजर आते हैं? पत्नी और पुत्र का राजनीति से कोई सरोकार नहीं, लेकिन फिर भी मंत्री और विधायक का पद कुशवाहा ने अपने घर में ही दिलवाया। गंभीर बात तो यह है कि बेटा दीपक प्रकाश विधायक भी नहीं है। अब दीपक प्रकाश को पहले विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया जाएगा, ताकि पांच वर्ष तक मंत्री पद कायम रहे। यह सही है कि जेडीयू और कुशवाहा की पार्टी का भाजपा से गठबंधन है, लेकिन इसे भाजपा की भी राजनीतिक मजबूरी कहा जाएगा कि उपेंद्र कुशवाहा जैसे परिवार पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। भाजपा के नेता परिवारवाद के लिए लालू प्रसाद यादव की तो आलोचना करते हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के परिवारवाद पर चुप रहते हैं। अब उपेंद्र कुशवाहा जैसे परिवारवादियों को बिहार की जनता ही सबक सिखाएगा। S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

प्रियंका गांधी के प्रति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश। भारत में अपराध से कमाया पैसा लंदन में लगाया। ऐसे में तो राहुल गांधी मोदी सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाएंगे ही।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कांग्रेस की सांसद श्रीमती प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ दिल्ली की पीएमएलए कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट में आरोप लगाया है कि भारत में अपराध से कमाया पैसा रॉबर्ट वाड्रा ने लंदन में अपने मित्र और हथियार डीलर संजय भंडारी के बंगले में लगाया है। ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा के निवेश के सारे सबूत अदालत में पेश किए हैं। ईडी ने हरियाणा में जमीन घोटाले में पहले ही इसी कोर्ट में चार्जशीट पेश कर रखी है। यानी लंदन वाले मामले में ईडी ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की है। इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर अदालत में 6 दिसंबर को सुनवाई होगी। यानी रॉबर्ट वाड्रा पर और शिकंजा कसा है। सब जानते हैं कि रॉबर्ट वाड्रा लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के बहनोई है। रॉबर्ट वाड्रा पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि गांधी परिवार का दामाद होने के कारण उन पर राजनीतिक द्वेषता से कार्यवाही की जा रही है, जबकि जांच एजेंसियों का कहना है कि रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ देश के कानून के तहत कार्यवाही हो रही है। आमतौर पर देखा गया है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर व्यक्तिगत टिप्पणियां करते है। तू-तड़ाक ही नहीं बल्कि गाली गलौज तक की भाषा का इस्तेमाल मोदी के खिलाफ किया जाता है। असल में राहुल गांधी की व्यक्तिगत नाराजगी का कारण उनके बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कार्यवाही होना है। अब जब मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की है तो राहुल गांधी मोदी सरकार पर वोट चोरी के आरोप लगाएंगे ही। यह बात अलग है कि बिहार के मतदाताओं ने वोट चोरी के आरोपों पर भरोसा नहीं किया। राहुल गांधी ने बिहार में मतदान से पहले हरियाणा की वोटर लिस्टर की कथित गड़बडिय़ों को उजागर किया था, लेकिन बिहार के मतदाताओं ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। 243 में से कांग्रेस ने 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन कांग्रेस के मात्र 6 उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके। ऐसी ही स्थिति कांग्रेस के सहयोगी आरजेडी की रही। आरजेडी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे मात्र 25 सीटें ही मिल पाई। अब देखना होगा कि कोर्ट में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जो सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश हुई है, उस पर गांधी परिवार क्या प्रतिक्रिया देता है। S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Thursday, 20 November 2025

राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सरकारी आवासों वाले जयपुर के सिविल लाइन में पैंथर घुसा। दो साल के पैंथर ने पूरी सरकार को दहशत में डाला। मंत्री सुरेश रावत के बंगले से भागने में सफल हुआ पैंथर। सौ पैंथर वाले जयपुर में वन विभाग के पास मात्र पांच ट्रेंकुलाइज गन। अनुभव का अभाव भी।

राजस्थान की राजधानी जयपुर में 20 नवंबर को सुबह दस बजे उस समय दहशत का माहौल हो गया, जब राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सरकारी आवासों वाले सिविल लाइन क्षेत्रों में एक पैंथर घुस गया। इस पैंथर को सबसे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सरकारी बंगले में देखा गया। सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर आ गए। लेकिन यह पैंथर पायलट के बंगले से निकल कर जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत के बंगले में घुस गया। यहां वन विभाग के शूटरों ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की, लेकिन बंदूक से निकली आवाज से पैंथर घबरा गया और मंत्री रावत के बंगले से निकल कर सिविल लाइन क्षेत्र की एक निजी स्कूल में घुस गया। लेकिन यहां भी शेर गुल के कारण पैंथर मंत्रियों के बंगले में ही घूमता देखा गया। वन विभाग के अधिकारियों का प्रयास है कि पैंथर को बेहोश कर जाल में पकड़ लिया जाए। इसके लिए वन विभाग और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। आगे आगे पैंथर दौड़ रहा है और पीछे पीछे पूरी सरकार। क्योंकि सरकार के पूरी सरकार के मंत्रियों के सरकारी आवास सिविल लाइन क्षेत्र में ही है, इसलिए सरकार में भी दहशत का माहौल है। भले ही मंत्री अपने बंगलों में न हो, लेकिन उनके परिवार जन बंगलों में मौजूद हैं। वन अधिकारियों का प्रयास है कि पैंथर को जल्द नियंत्रित कर लिया जाए ताकि किसी की जान को खतरा न हो। 20 नवंबर को जिस तरह जयपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में अफरा-तफरी मच उससे वन विभाग के इंतजामों की भी पोल खुल गई है। वन विभाग के पास एक भी ऐसा निशानेबाज नहीं है, जो फुर्ती के साथ पैंथर को ट्रेंकुलाइज (बेहोश) कर सकता। विभाग के शूटर अपनी गन को पैंथर के पीछे इधर-उधर भागते रहे, यदि कोई अनुभवी शूटर होता तो मंत्री सुरेश रावत के बंगले पर ही पैंथर को नियंत्रित कर लिया जाता। जयपुर के वन क्षेत्र के बारे में जानकारी रखने वालों के अनुसार जयपुर के आसपास करीब सौ पैंथर हैं जो आए दिन आबादी क्षेत्रों में घुस आते हैं, लेकिन वन विभाग के आसपास मात्र पांच ट्रेंकुलाइज गने ही है। कई बार पैंथर जयपुर के आबादी क्षेत्रों में लोगों की जान भी ले लेते हैं। 20 नवंबर की घटना बताती है कि वन अधिकारियों के पास पैंथर को पकड़ने का अनुभव भी नहीं है। S.P.MITTAL BLOGGER (20-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

12वीं के छात्र को निर्वस्त्र कर अश्लील हरकतें और पिटाई करने के मामले में आखिर मयूर स्कूल के प्राचार्य संजय खाती ने अपनी गलती को स्वीकारा। अजमेर के मेयो शिक्षण संस्थान की हो रही है बदनामी। जोधपुर घराने के प्रमुख गज सिंह प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष।

देश के सुप्रसिद्ध मेयो शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित मयूर स्कूल की 12वीं कक्षा के छात्र को निर्वस्त्र कर अश्लील हरकतें और पिटाई करने के मामले में आखिर स्कूल के प्राचार्य संजय खाती ने अपनी गलती को स्वीकार कर लिया है। प्राचार्य ने 19 नवंबर को मीडिया के समक्ष कहा कि 12वीं कक्षा के जिन चार छात्रों पर अपने सहपाठी के साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप था, उन्हें पहले ही निलंबित किया गया, लेकिन फिर प्री-बोर्ड परीक्षा के कारण स्कूल ओ की अनुमति दे दी। आरोप छात्रों को स्कूल में देखने के बाद ही पीड़ित छात्र के परिजन ने नाराजगी जताई और दो मुकदमें पुलिस में दर्ज करवाए। यदि प्राचार्य संजय खाती आरोपी छात्रों के विरुद्ध पहले ही प्रभावी कार्यवाही कर देते तो अजमेर के मेयो शिक्षण संस्थान और मयूर स्कूल की बदनामी नहीं होती। अब जब छात्र को प्रताडि़त किए जाने का मामला मीडिया में सुर्खियां बन रहा है, तब प्राचार्य खाती ने आरोपी छात्रों के स्कूल आने पर रोक लगाई है। जानकार सूत्रों के अनुसार आरोपी छात्र प्रभावशाली परिवारों के हैं, इसलिए प्राचार्य ने पहले पूरे प्रकरण को गंभीरता से नहीं लिया। आरोपी छज्ञत्र में समुदाय विशेष के छात्र भी शामिल हैं। पीड़ित के परिजन का कहना है कि आरोपी छात्रों ने एक बार नहीं बल्कि दो बार बुरा बर्ताव किया। दोनों घर के वीडियो बनाकर स्कूल के वाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किए। 19 नवंबर को ही एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने अजमेर के क अलवर गेट स्थित मयूर स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने स्कूल के प्राचार्य का पुतला भी जलाया। गज सिंह हैं प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष: मेयो शिक्षण संस्थान की मौजूदा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष जोधपुर घराने के प्रमुख गज सिंह है। यह कमेटी ही मेयो कॉलेज के साथ साथ अजमेर में मयूर स्कूल और मेयो गर्ल्स स्कूल का संचालन करती है। प्रबंध कमेटी में प्रदेश के पूर्व राज परिवारों के प्रमुख सदस्य बने हुए हैं। शासन प्रशासन में प्रबंध कमेटी के सदस्यों का दबदबा है। लेकिन अब मयूर स्कूल के ताजा प्रकरण से मेयो शिक्षण संस्थान की बदनामी हो रही है। छात्र को निर्वस्त कर अश्लील हरकते करने के प्रकरण से जाहिर है कि मेयो शिक्षण संस्थानों में अनुशासन नहीं है। गंभीर बात तो यह है कि बदमाश प्रवृत्ति के छात्रों ने कई बार सहपाठी के साथ बुरा बर्ताव किया। इस गंभीर मामले में अभी तक भी मेयो प्रबंध कमेटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। S.P.MITTAL BLOGGER (20-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

2002 की वोटर लिस्ट में माता-पिता के नाम तलाशने के लिए मतदाता ही परेशान हो रहे है। परिवार की बहुएं ज्यादा परेशान। आखिर भाजपा और कांग्रेस के बूथ लेवल के कार्यकर्ता कहां हैं। सिर्फ अखबारों में ही दावे हो रहे हैं।

इन दिनों राजस्थान में भी मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) हो रहा है। मतदाता सूची शुद्ध बने यह अच्छी बात है, लेकिन गहन पुनरीक्षण की वजह से युवा मतदाताओं खासकर विवाहित लड़कियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव आयोग ने जो नियम लागू किए हैं उनके अनुसार मतदाता का नाम वर्ष 2002 की मतदाता सूची में ाहेना अनिवार्य है। जिन युवा मतदाताओं के नाम 2002 वाली सूची में नहीं है, उनके आवेदन में माता-पिता का मतदाता क्रमांक अंकित किया जाना है। युवा मतदाताओं के माता-पिता का नाम वर्ष 2002 वाली मतदाता सूची में तलाशना आसान नहीं है। जो लड़कियां विवाह के बाद ससुराल आ गई है उन्हें तो और भी ज्यादा परेशानी हो रही है। माता-पिता वाले शहर से मतदाता क्रमांक मंगवाया जा रहा है। एसआईआर के दौरान मतदाताओं को परेशानी न हो इसके लिए भाजपा और कांग्रेस ने बूथ लेवल पर अपने कार्यकर्ताओं को नियुक्ति किया है। दोनों दलों की ओर से दावा किया गया कि हमारे कार्यकर्ता निर्वाचन विभाग के बीएलओ के साथ घर घर जाएंगे और संबंधित आवेदन को भरवाने में मदद करेंगे। चूंकि निर्वाचन विभाग की मतदाता सूची पर वेबसाइट पर उपलब्ध है, इसलिए राजस्थान के किसी भी शहर अथवा गांव की मतदाता सूची से संबंधित मतदाता का क्रमांक नंबर निकाल कर दे दिया जाएगा। लेकिन चार नवंबर से शुरू हुई एसआईआर अभियान में अभी तक भी भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता देखने को नहीं मिले हैं। अखबारों मे ंएसआईआर को लेकर दोनों दलों की बैठकों की खबरें तो आ रही है, लेकिन मौके पर किसी भी दल का कार्यकर्ता उपलब्ध नहीं है। बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को लेकर दोनों दलों के प्रदेशाध्यक्ष अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत जीरो है। निर्वाचन विभाग के बीएलओ ही घर घर जाकर एसआईआर का काम कर रहे हैं। दोनों प्रमुख दलों के कार्यकर्ता कही भी देखने को नहीं मिल रहे। S.P.MITTAL BLOGGER (20-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Wednesday, 19 November 2025

पुष्कर के देशी गुलाब के फूलों को मिलेगी भौगोलिक पहचान। केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने फामर्स वेलफेयर सोसायटी को भरोसा दिलाया।

अजमेर के सांसद और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने भरोसा दिलाया कि पुष्कर के देसी गुलाब के फूलों को जल्द ही भौगोलिक पहचान दिलवाई जाएगी। जिस प्रकार दार्जिलिंग की चाय और पन्ना के हीरे विश्व विख्यात है, उसी प्रकार आने वाले दिनों में पुष्कर का देसी गुलाब भी दुनिया भर में प्रसिद्ध होगा। पुष्कर के गुलाब को भौगोलिक पहचान दिलाने के लिए श्री पुष्कर राज फामर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष और लघु उद्योग भारती अजमेर के सह-सचिव गिरिराज अग्रवाल ने 18 नवंबर को केंद्रीय मंत्री चौधरी से मुलाकात की थी। अग्रवाल ने चौधरी को बताया कि भौगोलिक पहचान यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) का टैग केंद्रीय वाणिज्यिक एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा दिया जाता है। इस टेग के मिलने के बाद पुष्कर के गुलाब के फूलों की पहचान दुनिया भर में हो जाएगी। जिससे इन फूलों को कानूनी सुरक्षा भी प्रदान होगी। अग्रवाल ने चौधरी को बताया कि दुनिया में आज बुल्गारिया के गुलाब के फूलों की विशिष्ट पहचान है, लेकिन पुष्कर के गुलाब के फूल ज्यादा समृद्ध और प्रभावशाली है। पुष्कर के गुलाब के फूलों का अर्क और गुलकंद बनाया जाता है, साथ ही आयुर्वेद की दवाओं में भी फूलों का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन भौगोलिक पहचान नहीं होने के कारण पुष्कर के फूल विश्व स्तर पर अभी तक अपनी पहचान नहीं बनाए पाए हैं। यदि हमारे फूलों को जीआई टैग मिल जाता है तो पुष्कर के गुलाब दुनिया में पहले स्थान पर होंगे। दुनिया भर के लोग भरोसे के साथ गुलाब के फूल और उससे बने उत्पाद खरीद सकेंगे। अग्रवाल ने यह भी आग्रह किया कि पुष्कर के गुलाब को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के अंतर्गत भी शामिल किया जाए ताकि क्षेत्रीय किसानों और लघु उद्यमों को लाभ मिल सके। पुष्कर के गुलाब के फूलों की गुणवत्ता और बनाने वाले उत्पादों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9413345456 पर गिरिराज अग्रवाल से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (19-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

तहसीलदार राजकुमार और ब्रजेश कुमार के विरुद्ध मुकदमा चलाने की स्वीकृति देने के मामले में जरूरी कार्यवाही हो रही है। राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार महावीर सिंह ने स्थिति स्पष्ट की। न्याय 18 चैनल के लाइव प्रोग्राम में दौसा की पीडि़ता सरोज देवी ने आरोप लगाए थे।

सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार को लेकर 15 नवंबर को सायं पांच बजे न्यूज 18 चैनल (राजस्थान) पर एक लाइव प्रोग्राम प्रसारित हुआ। इस प्रोग्राम में दौसा की पीडि़ता सरोज देवी ने आरोप लगाया कि अजमेर स्थित राजस्व मंडल के मुख्यालय में दो आरोपी तहसीलदारों के मामले फाइल में दबे पड़े हैं। सरोज देवी का कहना रहा कि बार बार राजस्व मंडल के अधिकारियों से मिलने के बाद भी दोषी तहसीलदारों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं हो रही है। चूंकि चैनल के लाइव प्रोग्राम में भी उपस्थित था, इसलिए 16 नवंबर को इस प्रकरण को लेकर ब्लॉग संख्या 11775 लिखा। चैनल के प्रोग्राम और ब्लॉग पर राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार महावीर सिंह (आईएएस) ने इस प्रकरण की स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि सरोज देवी ने दौसा के महुआ पुलिस स्टेशन पर तहसीलदार रामकुमार और ब्रजेश कुमार मंगल के खिलाफ जो एफआईआर दर्ज करवाई थी, उसी जांच रिपोर्ट राजस्व मंडल को प्राप्त हो गई है।चूंकि इन दोनों तहसीलदारों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की स्वीकृति दी जानी है, इसलिए विभागीय कार्यवाही जारी है। अभी तक जांच अधिकारी के बयान लिए गए है। इस मामले में राजस्व मंडल में एक वैधानिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई हो रही है। तहसीलदारों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति मंडल के अध्यक्ष के स्तर पर दी जाती है। इसलिए पूरा प्रकरण अध्यक्ष कार्यालय में विचाराधीन है। वैधानिक प्रक्रिया पूरी होते ही दोनों तहसीलदारों के विरुद्ध अंतिम निर्णय लिया जाएगा। मालूम हो कि पीड़िता सरोज देवी का आरोप रहा कि आरोपी तहसीलदारों ने मिली भगत कर उसकी खातेदारी की जमीन को कुर्क कर दिया। पुलिस की जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाए गए है, लेकिन राजस्व मंडल की ओर से अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी जा रही है। S.P.MITTAL BLOGGER (19-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

मेयो शिक्षण संस्थान जब अपने 150 वर्ष का जश्न मना रहा है, तब संस्थान से जुड़े मयूर स्कूल के कुछ छात्रों की गुंडई सामने आई। साथी छात्र को निर्वस्त्र कर अश्लील हरकतें की और वीडियो को वायरल कर दिया।

अजमेर का मेयो शिक्षण संस्थान इन दिनों अपना 150 वर्ष का जश्न मना रहा है, लेकिन इस जश्न में उस समय खलल पड़ गया, जब संस्थान से जुड़े मयूर स्कूल के 12वीं कक्षा के कुछ छात्रों की गुंडई सामने आई। अजमेर के वैशाली नगर के निवासी ने अलवर गेट पुलिस स्टेशन पर एक रिपोर्ट लिखवाई है और आरोप लगाया कि गत 8 अक्टूबर को उसका भतीजा जब स्कूल से घर आ रहा था, तब इंडिया मोटर सर्किल् पर कक्षा के चार छात्रों ने उस पर दबाव डाला और उसे डीआरएम ऑफिस के पीछे सुनसान स्थल पर ले गए। यहां बदमाश छात्रों ने भतीजे को निर्वस्त्र कर दिया और अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो बनाया। भतीजे के साथ बुरी तरह मारपीट भी की गई। अश्लील हरकतों वाला वीडियो मयूर स्कूल के छात्रों के वाट्सएप ग्रुप पर भी वायरल कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि अब पीड़ित भतीजा अवसाद में है। यह भी आरोप लगाया गया कि स्कूल के प्राचार्य को शिकायत की गई थी तो बदमाश छात्रों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। बदमाश छात्र आज भी स्कूल आ रहे है। इससे मयूर स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं दहशत में है। अलवर गेट के थाना अधिकारी शंभू सिंह का कहना है कि प्राप्त शिकायत पर जांच की जा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मेयो शिक्षण संस्थान से जुड़े होने के कारण मयूर स्कूल का अजमेर जिले में खास महत्व है। यहां बड़ी मुश्किल से एडमिशन मिलता है। अन्य स्कूलों के मुकाबले मासिक फीस भी बहुत ज्यादा है। अभिभावकों का भरोसा है कि स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी अनुशासित होंगे, लेकिन 8 अक्टूबर की घटना बताती है कि यहां पढ़ने वाले अनेक विद्यार्थी अपराधी प्रवृत्ति के है। एक छात्र के साथ हुई गुंडई घटना से स्कूल के अभिभावक भी दहशत में है। मालूम हो कि मयूर स्कूल में बड़ी संख्या बालिकाएं भी अध्ययन करती हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (19-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Monday, 17 November 2025

मदार गेट पर 70 साल पुराना बाटा का शोरूम बंद होने से अजमेर के व्यापार जगत को झटका।

अजमेर के मदार गेट बाजार को शहर का प्रमुख और सबसे पुराना बाजार माना जाता है। चूंकि यह रेलवे स्टेशन के ठीक सामने है, इसलिए इस बातार में हमेशा भीड़ जैसा माहौल बना रहता है। ख्वाजा साहब की दरगाह जाने वाले अधिकांश जायरीन रेलवे स्टेशन से उतरकर इसी मदार गेट बाजार से गुजरते हैं। यही वजह है कि मदार गेट पर दुकान होना हर व्यापारी के लिए प्रतिष्ठा की बात है, लेकिन अजमेर के व्यापार जगत को तब झटका लगा जब मदार गेट पर 70 साल पुराना बाटा शोरूम बंद हो गया। जानकार सूत्रों के अनुसार शोरूम पर कार्यरत कार्मिकों के वेतन के लाले भी पड़ गए थे। यहां तक की मस्जिद कमेटी को दिया जाना वाला मासिक किराया भी नहीं निकल रहा था। कारोबार कम होने के कारण ही बाटा कंपनी ने मदार गेट वाला शो रूम बंद कर दिया। बाटा का शोरूम बंद होने से मदार गेट के दुकानदार भी मायूस और निराश है, क्योंकि यह शोरूम मदार गेट की पहचान बना हुआ था। अनेक दुकानदार अपनी दुकान का पता बाटा शोरूम के नजरिए से ही बताते थे। 65 वर्षीय इत्र कारोबारी देवेश गुप्ता बताते हैं कि उनकी उम्र 64 वर्ष है और वे बचपन से ही बाटा शोरूम को देख रहे थे। उनके पिता रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इसी शोरूम से जूते चप्पल दिलवाते थे। बाटा शोरूम के पास ही रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाने वाले जिंदल का कहना रहा कि बाटा का शोरूम बंद हो जाने से मदार गेट के व्यापारियों का नुकसान हुआ है। अब बाटा जैसा ब्रांड अपना शोरूम आर्थिक संकट के कारण बंद कर रहा है, तब मदार गेट पर अन्य व्यवसाय के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। अजमेर में बड़े उद्योग नहीं होने के कारण पहले ही कारोबार कमजोर है। शहरी क्षेत्र से बाहर खुलने वाले बड़े ब्रांडों के शोरूम का चलना भी मुश्किल हो रहा है। बड़ी कंपनियों ने दो तीन लाख रुपए के मासिक किराये पर दुकान लेकर शोरूम खोल दिए हैं, लेकिन अजमेर में किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है। अनेक कंपनियों के शोरूम पूर्व में बंद हो चुके हैं। बाटा का मदार गेट वाला शोरूम बंद होने से बड़ी कंपनियों को भी झटका लगा है। S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपलों और अस्पताल अधीक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के मामले में राजस्थान के सरकारी डॉक्टरों में दो फाड़। सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स सरकार के समर्थन में आए।

17 नवंबर को जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े 12 अस्पतालों के अधीक्षकों ने कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह इस्तीफा राज्य सरकार के उस फैसले के विरोध में दिया गया, जिसमें प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों और अस्पताल अधीक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाई गई थी। यानी जो डॉक्टर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल और अस्पताल का अधीक्षक बन जाएगा वह अपने घर पर मरीजों को नहीं देख सकेगा। इस आदेश के पीछे सरकार का तर्क रहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल और अधीक्षक को अनेक प्रशासनिक काम करने होते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा समय कॉलेज और अस्पताल में देना होता है। यदि घर पर मरीजों को देखेंगे तो फिर कॉलेज और अस्पताल का प्रबंधन नहीं कर पाएंगे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ ही जयपुर में अधीक्षकों ने इस्तीफे दिए हैं। ऐसे इस्तीफे प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के प्रिंसिपल व अधीक्षक भी दे सकते हैं। इस्तीफा देने वाले चाहते हैं कि वे प्रिंसिपल और अधीक्षक के पद भी कार्य करते रहे और घर पर मरीजों को भी देखते रहे। फिलहाल सरकार ने इस्तीफों की धमकी के सामने झुकने से इंकार कर दिया है। सरकार में बैठे बड़े अधिकारियों का कहना है कि जो अधीक्षक इस्तीफा दे रहे हैं, उनकी जगह नए अधीक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वो ही प्रिंसिपल और अधीक्षक रहेंगे जो घर पर प्रैक्टिस नहीं करेंगे। सरकार के इस फैसले के समर्थन में सेवारत डॉक्टर्स भी आ गए हैं। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश महामंत्री दुर्गाशंकर सैनी ने कहा कि प्रदेश के 15 हजार सरकारी डॉक्टर्स सरकार के साथ है। यदि कोई अधीक्षक काम नहीं करना चाहता है तो सेवारत डॉक्टर्स अपनी सेवाएं देने को तैयार है। डॉक्टर सैनी ने कहा कि सरकार को कुछ अधीक्षकों की ब्लैकमेलिंग के सामने नहीं झुकना चाहिए। सेवारत चिकित्सकों के समर्थन से प्रदेश के सरकारी चिकित्सकों में दो फाड़ हो गई है। यह सही है कि सरकारी डॉक्टरों के घरों पर इसलिए भीड़ लगती है कि वे सरकारी अस्पतालों में काम करते हैं। ऐसे अनेक चिकित्सक मिल जाएंगे जो घर पर मोटी फीस लेकर अस्पताल में मरीज का इलाज फ्री करते हैं। सरकार ने प्रिंसिपल और अधीक्षक की निजी प्रैक्टिस पर जो रोक लगाई है उसका समर्थन प्राइवेट हॉस्पिटल्स एसोसिएशन ने भी किया है। यानी सरकार को सरकारी डॉक्टरों के साथ साथ प्राइवेट डॉक्टरों का भी समर्थन मिल गया है। S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जिन मुजीर्बुरहमान ने बांग्लादेश बनाया, अब उनकी बेटी शेख हसीना को मौत की सजा। भारत में आतंक की यूनिवर्सिटी चलाने वाले डॉक्टर्स बांग्लादेश के कट्टरपंथी हालातों को समझें। कांग्रेस को भी शेख हसीना के समर्थन में खड़ा होना चाहिए।

इस्लामिक बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से काम चलाऊ सरकार चला रहे मोहम्मद यूनुस द्वारा गठित इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगाए गए हैं। शेख हसीना उन मुजीर्बुरहमान की बेटी है, जिन्होंने 1973 में भारत की मदद से बांग्लादेश बनाया था। इसलिए शेख मुजीर्बुरहमान को बांग्ला देश का महात्मा गांधी कहा जाता है। यह अलग बात है कि पूर्व में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मुजीर्बुरहमान की भी हत्या कर दी। तब शेख हसीना इसलिए बच गई कि उस समय वे भारत में पढ़ाई कर रही थी। यदि शेख हसीना तब बांग्लादेश में होती तो उसी समय मारी जाती। मोहम्मद यूनुस के सत्ता में काबिज होने से पहले शेख हसीना ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थी, लेकिन पाकिस्तान और अमेरिका के इशारे पर हुई अराजकता में शेख हसीना को रातों रात बांग्लादेश छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी। हाल ही में भारत में हरियाणा के गाजियाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी का पता चला जो पिछले कई वर्षों से आतंक की यूनिवर्सिटी बनी हुई थी। इस यूनिवर्सिटी में ऐसे मुस्लिम डॉक्टर्स तैयार हो रहे थे, जो भारत में आतंकी वारदातें कराने की योजना बना रहे थे। इस यूनिवर्सिटी के तार जम्मू कश्मीर के डॉक्टरों से भी जुड़े हुए थे। इसी यूनिवर्सिटी के एक डॉक्टर ने दिल्ली के लाल किले के बाहर विस्फोट भी किया, जिसमें 9 निर्दोष लोग मारे गए। भारत में रहकर आतंक की यूनिवर्सिटी चलाने वाले डॉक्टरों को पड़ोसी बांग्लादेश के कट्टरपंथी हालातों को समझना चाहिए। शेख हसीना को मौत की सजा की घोषणा से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बांग्लादेश में किस मानसिकता से सरकार चलाई जा रही है। आतंक की यूनिवर्सिटी से जुड़े मुस्लिम डॉक्टर्स माने या नहीं लेकिन आज पूरी दुनिया में मुसलमान आबादी भारत में सुरक्षित है। बांग्लादेश में तो मुस्लिम आबादी 18 करोड़ है, जबकि भारत में 25 करोड़ मुसलमान रहते हैं। भारत की मुस्लिम आबादी दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश से ज्यादा है। भारत में 25 करोड़ मुसलमान इसलिए सुरक्षित है कि वे सौ करोड़ से ज्यादा हिंदुओं के साथ रह रहे हैं। यदि भारत के मुसलमानों को भी मुसलमानों के साथ ही रहना पड़े तो फिर पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे हालात भारत में भी हो जाएंगे। अभी भी समय है कि जब भारत के आम मुसलमानों को आतंक की यूनिवर्सिटी चलाने वालों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। यदि अब भी भारत का आम मुसलमान मूकदर्शक बना रहा तो बांग्लादेश और पाकिस्तान की तरह भारत में भी कट्टरपंथी हावी हो जाएंगे, तब आम मुसलमान भी सुरक्षित नहीं रहेगा। कांग्रेस करे समर्थन: ट्रिब्यूनल द्वारा शेख हसीना को मौत की सजा सुनाये जाने के बाद बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने भारत से कहा है कि वह शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंप दे। हालांकि अभी भारत सरकार ने इससे इंकार कर दिया है। सब जानते हैं कि 1972 में जब श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थी, तब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के मुसलमानों को पाकिस्तान की मौत से बचाने के लिए भारतीय सेना को भेजा गया था। भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश एक नया देश बन गया। चूंकि श्रीमती इंदिरा गांधी के फैसले से ही बांग्लादेश बना इसलिए अब कांग्रेस को शेख हसीना के समर्थन में खड़ा होना चाहिए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने तो शेख हसीना को राजनीतिक शरण देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अभी तक शेख हसीना का खुलासा समर्थन नहीं किया है। S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

9 बच्चों वाले लालू राबड़ी के घर में जूतम पैजार। राम का अपमान करने वालों को इसी जीवन में सजा भुगतनी होगी।

कोई माने या नहीं, लेकिन सनातन संस्कृत में मान्यता है कि भगवान राम का अपमान करने वालों को इसी जीवन में सजा भुगतनी होगी। सनातन की यह मान्यता बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी पर खरी उतर रही है। सब जानते हैं कि इन दोनों ने मुख्यमंत्री रहते हुए भगवान राम का अपमान किया। लालू ने तो लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में निकलने वाली राम रथ यात्रा को भी रोका। इन दोनों ने कभी भी राम के प्रति अपनी श्रद्धा नहीं दिखाई। उल्टे जब अवसर मिला, तब राम का अपमान किया। आज उसी लालू राबड़ी परिवार में जूतम पैजार हो रही है। लालू-राबड़ी के 7 लड़कियां और 2 लड़के हैं। एक लड़ी रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू की जान बचाने के लिए अपनी किडनी भी दी है, लालू आज पुत्री रोहिणी की किडनी के कारण ही सांस ले रहे हैं, लेकिन रोहिणी ने अब आरोप लगाया है कि 15 नवंबर को पटना के सरकारी आवास पर उनके भाई तेजस्वी यादव ने बदसलूकी की। तेजस्वी ने अपनी बहन को गालियां दी और चप्पल से मारने का प्रयास किया। तेजस्वी ने रोहिणी से कहा कि तुमने करोड़ों रुपया और लोकसभा चुनाव में राजद का टिकट लेकर पिता को किडनी दी है। यानी रोहिणी ने अपनी किडनी को बेचा है। रोहिणी और भाई तेजस्वी के बीच यह जूतम पैजार लालू और राबड़ी की उपस्थिति में हुई। रोहिणी का कहना है कि जब वे पटना वाले घर से बाहर निकल रही थी, तब लालू और राबड़ी की आंखों में आंसू थे, लेकिन दोनों तेजस्वी की दबंगता के आगे बेबस रहे। रोहिणी ने कहा कि मुझे ही नहीं बल्कि छोटी बहनें राजलक्ष्मी, रागिनी और चंदा को भी घर से बाहर निकाल दिया गया है। बड़ी बहन मीसा भारती तो पहले ही पटना वाला घर छोड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं भाई तेज प्रताप को भी पहले घर से निकाला जा चुका है। यानी 9 बच्चों वाला लालू-राबड़ी का परिवार पूरी तरह बिखर गया है। यह सब उन्हीं लालू-राबड़ी के सामने हो रहा है, जिन्होंने राम का अपमान किया। मालूम हो कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में लालू की आरजेडी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। S.P.MITTAL BLOGGER (17-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

इक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा। के.एल. सहगल का 88 साल पुराना यह गीत आज भी राजस्थान के मुख्य सचिवों पर चरितार्थ हो रहा है। नव नियुक्त मुख्य सचिव वी.श्रीनिवास के पास दिल्ली में भी सरकारी बंगला बना रहेगा। नरेंद्र मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री के नाते गांधी नगर में सरकारी बंगला नहीं लिया है।

1937 में बनी फिल्म प्रेसीडेंट में गायक के.एल. सहगल ने बंगले के महत्व को लेकर एक गीत गाया इस गीत के बोल है, इक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा, सोने का हो बंगला, चंदन का हो जंगला। आज 88 साल बाद भी सहगल का यह गीत राजस्थान में नियुक्त होने वाले मुख्य सचिवों पर चरितार्थ हो रहा है। राजस्थान के मुख्य सचिव को जयपुर में आलीशान बंगला मिलता है, लेकिन अधिकांश मुख्य सचिव देश की राजधानी दिल्ली में भी सरकारी बंगला लेने के लिए दिल्ली स्थित मुख्य आवासीय आयुक्त का अतिरिक्त चार्ज भी अपने पास रखते हैं। 17 नवंबर को वी. श्रीनिवास ने जयपुर आकर राजस्थान के मुख्य सचिव का पदभार संभाल लिया है। इससे पहले श्रीनिवास केंद्र सरकार में केंद्रीय प्रशासनिक सुधार, लोक शिकायत और पेंशन विभाग के सचिव थे। इस नाते श्रीनिवास के पास दिल्ली में भी सरकारी बंगला रहा। दिल्ली का सरकारी बंगला खाली न करना पड़े, इसलिए श्रीनिवास ने मुख्य सचिव के पद के साथ-साथ राजस्थान राज्य माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य आवासीय आयुक्त का पद भी अपने पास रखा है। दो अतिरिक्त पद इसलिए रखे गए है ताकि दिल्ली वाले बंगले पर कब्जा बना रहे। प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार केंद्र सरकार में हर राज्य के कोटे से बंगले होते हैं। यह बंगले प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले आईएएस के उपयोग में आते हैं। आमतौर पर दिल्ली में प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद जब संबंधित आईएएस वापस अपने प्रदेश के कैडर में आता है तो उसे दिल्ली वाला बंगला दो माह में खाली करना होता है। वी. श्रीनिवास राजस्थान कैडर के आईएएस है और प्रतिनियुक्ति पर ही दिल्ली गए थे। अब मुख्य सचिव बनकर वापस अपने राजस्थान कैडर में आ गए हैं,लेकिन श्रीनिवास को दिल्ली वाला बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि मुख्य आवासीय आयुक्त अथवा आरएसएमएल के अध्यक्ष पद के कारण दिल्ली वाला बंगला अलॉट करवा लिया जाएगा। यानी श्रीनिवास के पास दिल्ली और जयपुर दोनों में बंगला रहेगा। दिल्ली में बंगला बनाए रखने वाले श्रीनिवास पहले मुख्य सचिव नहीं है। निवर्तमान मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी दिल्ली का बंगला अपने पास बनाए रखा। जनवरी 2024 में सुधांश पंत जब राजस्थान के मुख्य सचिव बने तब वे केंद्र में स्वास्थ्य सचिव थे। स्वास्थ्य सचिव की हैसियत से दिल्ली में मिले बंगले को खाली न करना पड़े, इसलिए सुधांश पंत ने भी दिल्ली स्थित मुख्य आवासीय आयुक्त का पद अपने पास रखा। पंत 22 माह तक राजस्थान के मुख्य सचिव रहे, लेकिन उनके पास केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की हैसियत वाला दिल्ली का बंगला भी रहा। अब जब सुधांश पंत की दिल्ली में कैबिनेट सचिवालय में विशेषाधिकारी के पद पर नियुक्ति हो गई है, तब उन्हें नए बंगले की तलाश नहीं करनी पड़ेगी। देश का कोई भी आईएएस हो वह अपने हिसाब से सरकारी बंगले और सुविधाओं का जुगाड़ कर ही लेता है। भले ही ऐसे अधिकारी की कितनी भी स्वच्छ छवि हो। हालांकि मुख्य सचिव स्तर के आईएएस के लिए एक बंगला कोई मायने नहीं रखता है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के न्यू मोती बाग क्षेत्र में सरकारी बंगला मायने रखता है। इससे आईएएस का रौब प्रदर्शित होता है। नायक के.एल.सहगल ने तो अंग्रेजी हुकूमत के समय इक बंगला बने न्यारा वाला गीत गाया था। तब सरकारी बंगले का अलग ही महत्व रहा होगा, क्योंकि तब सरकारी बंगलों में अंग्रेज अफसर ही रहते होंगे। मोदी को नहीं मोह: संभवत: नरेंद्र मोदी देश के एक मात्र पूर्व मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने गुजरात के गांधी नगर में सरकारी बंगला नहीं लिया होगा। आमतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश की राजधानी में सरकारी बंगला हासिल कर ही लेते हैं। यह सही है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी वृद्ध माता जी के लिए विधायकों वाला एक फ्लैट जरूर लिया था। नरेंद्र मोदी देश के ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनके पास अपना कोई निजी आवास नहीं है। S.P.MITTAL BLOGGER (17-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

कैमरे में चेहरे नजर आने के बाद भी पुष्करा रिसोर्ट के चोर पकड़े नहीं जा रहे।

गत 10 नवंबर को पुष्कर के पुष्करा रिसोर्ट में जयपुर के जनता कॉलोनी के तुलसीदास की बगीची निवासी गोपाल अग्रवाल के भतीजे गिरीश अग्रवाल की शादी हुई। लेकिन रात को पुष्करा रिसोर्ट के कमरा नंबर 123 से करीब पचास लाख रुपए के जेवरात और नकदी चोरी हो गए। पुष्करा रिसोर्ट के प्रबंधकों ने जांच में पूरा सहयोग करते हुए रिसोर्ट के सभी सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग दे दी। इस रिकॉर्डिंग में जेवरात चोरी करने वालों के चेहरे साफ नजर आ रहा है। चोरों को कमरे की ओर जाते और फिर हाथ में बैग लेकर आते स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। पुष्कर पुलिस के पास सीसीटीवी कैमरों का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध है। पुष्करा रिसोर्ट के प्रबंधक भी चाहते हैं कि चोर पकड़े जाए। क्योंकि चोरी की घटनाओं से रिसोर्ट की छवि भी खराब होती है। रिसोर्ट के प्रबंधकों का कहना है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कैमरों की रिकॉर्डिंग पुलिस को दी है। अब चोर पकड़ने का काम पुलिस का है। इस संबंध में पुष्कर के थानाधिकारी विक्रम सिंह का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों में जो संदिग्ध नजर आ रहे है, उनकी पहचान की जा रही है। पुलिस का प्रयास है कि चोरों को जल्द पकड़ा जाएगा, लेकिन चोरों के चेहरे साफ नजर आने के बाद भी चोरों का एक सप्ताह बाद भी न पकड़ा जाना पुलिस की नीयत पर सवाल उठता है। पुष्कर में शादी समारोह में चोरी का मामला अकेले पुष्करा रिसोर्ट का नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से पुष्कर में बड़ी संख्या में शादी समारोह हो रहे हैं। इसके साथ ही जेवरात चोरी की घटनाएं भी लगातार हो रही है। अधिकांश घटनाओं में सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं होती है, इसलिए चोर पकड़े नहीं जाते। लेकिन पुष्करा रिसोर्ट की चोरी के मामले में तो कैमरों की रिकॉर्डिंग भी पुलिस के पास है। S.P.MITTAL BLOGGER (17-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Sunday, 16 November 2025

राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार महावीर सिंह आरोपी तहसीलदारों के मामले दबाएं बैठे हैं। दौसा की पीडि़ता सरोज देवी ने न्यूज चैनल के लाइव प्रोग्राम में अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई।

15 नवंबर को न्यूज 18 चैनल (राजस्थान) पर सायं पांच बजे राजस्थान में सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार को लेकर एक विशेष कार्यक्रम का प्रसारण हुआ। इस लाइव प्रोग्राम में पत्रकार के नाते मैं भी जुड़ा हुआ था। प्रोग्राम के एंकर हेमंत कुमार ने प्रदेश की जनता से भी आग्रह किया कि वे अपने विचार मोबाइल के जरिए भेज सकते हैं। चैनल के इस आह्वान पर कई लोगों ने मोबाइल से जुड़कर अपनी बात को रखा। इन्हीं में दौसा की सरोज देवी भी शामिल रही। सरोज देवी ने बताया कि उनकी खातेदारी की भूमि पर तहसीलदार ने पट्टे दे दिए। मैंने दो तहसीलदारों के विरुद्ध महुआ पुलिस थाने में शिकायत की और पुलिस ने अपनी जांच में दोनों तहसीलदारों को दोषी माना। तहसीलदारों के खिलाफ कार्यवाही की फाइल अजमेर स्थित राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार महावीर सिंह के पास लंबित है। लेकिन महावीर सिंह आरोपी तहसीलदारों की फाइल को दबाए बैठे हैं। मैं स्वयं महावीर सिंह से कई बार मिल चुकी है। चूंकि भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती इसलिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। सरोज देवी ने जब अपनी दर्दभरी कहानी बताई तब पूरा प्रदेश उन्हें सुन रहा था। सरोज देवी की दर्द भारी कहानी सुनकर मेरा कहना रहा कि सरोज देवी को राजस्व मंडल के अध्यक्ष हेमंत गैरा से मिलना चाहिए। हेमंत गैरा एक ईमानदार आईएएस हैं और न्याय करने के लिए तत्पर रहते हैं। गैरा ने मंडल का अध्यक्ष बनने के बाद पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है। गैरा ने ऐसे अनेक कदम उठाए है जिनकी वजह से राजस्व मंडल में मुकदमों की सुनवाई में तेजी आई है तथा पक्षकारों को राहत मिली है। S.P.MITTAL BLOGGER (16-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

जब कवि श्रीकांत शर्मा ने पन्नाधाय के बलिदान की कविता सुनाई तो श्रोताओं की आंखों से आंसू आ गए। पांच परिवर्तन से ही राष्ट्र का हित- खाजूलाल चौहान। अपने स्वयं को पहचानने की जरूरत-सुनील दत्त जैन। संस्था का रजत जयंती समारोह।

15 नवंबर को अजमेर की सांस्कृतिक संस्था सप्तक का रजत जयंती समारोह डीआरएम ऑफिस के निकट गौड़ ब्राह्मण महासभा के सभागार में संपन्न हुआ। सम्मेलन में देश के ख्याति प्राप्त युवा कवि श्रीकांत शर्मा (देहरादून) ने अपनी जोशीली और देशभक्ति को समर्पित कविताएं सुनाई। कवि श्रीकांत ने जब राजस्थान के मेवाड़ राजघराने की दासी पन्नाधाय के बलिदान की कहानी को कविता के रूप में सुनाया तो उपस्थित श्रोताओं की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि राजस्थान तो वह धरती है जहां अपने राजा को बचाने के लिए दासी पन्नाधाय ने अपने पुत्र का बलिदान कर दिया। उसे क्षण की कल्पना की जा सकती है, जब पन्नाधाय ने राजघराने के राजकुमार उदय सिंह को तो मौके से भगा दिया और अपने पुत्र चंदन को क्रूर शासक बालवीर के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। बनवीर ने अपने हाथों से पन्नाधाय के पुत्र चंदन के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। श्रीकांत ने कहा कि उसे समय पन्नाधाय की मन स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन यदि उसे समय पन्नाधाय राजकुमार उदय सिंह को नहीं बचाती तो देश को महाराणा प्रताप की वीरता भी देखने को नहीं मिलती। श्रीकांत ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मैं आज अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की नगरी में कविता पाठ कर रहा हूं। श्रीकांत ने देश के शहीदों को लेकर भी अनेक कविताएं सुनाई और इस बात पर गुस्सा जताया कि हमारे देश के कुछ नेता सर्जिकल स्ट्राइक, ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाइयों के सबूत मांगते हैं। श्रीकांत ने कहा यदि हमारा सैनिक सीमा की रक्षा न करें तो ऐसे नेता जिंदा नहीं रह सकते। देश के खातिर अपनी जान न्योछावर करने वाले जवानों की हौसला अफजाई करने के बजाय कुछ नेता भारतीय सेना का मनोबल गिराने का काम करते हैं। समारोह में सप्तक संस्था की ओर से कवि श्रीकांत शर्मा को महाकवि चंदबरदाई सम्मान से सम्मानित किया गया। संस्था की ओर से 21 हजार की नगद राशि श्रीफल और प्रशस्ति पत्र भेंट किया। संस्था के प्रमुख ललित शर्मा ने कहा कि श्रीकांत शर्मा जैसे देशभक्त कवि के आने से संस्था के रजत जयंती समारोह को चार चांद लग गए हैं। पांच परिवर्तन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजमेर महानगर के संग चालक खाजूलाल चौहान मुख्य अतिथि रहे। इस अवसर पर चौहान ने कहा कि संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है और इसमें स्वदेशी, कुटुंब प्रबोधन,पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और नागरिक कर्तव्य के पांच परिवर्तन पर जोर दिया गया है। इन पांच कार्यों से देश को समृद्ध बनाया जा सकता है। देश का हर नागरिक पांच परिवर्तन में सहयोग कर सकता है। यदि हम प्लास्टिक की थैली में सामान लेना बंद कर दे तो भी पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई जा सकती है, संघ कुटुम्ब प्रबोधन पर इसलिए जोर दे रहा है ताकि भारत में संयुक्त परिवार की परंपरा फिर से शुरू की जा सके। चौहान ने सभी लोगों से राष्ट्रहित में पंच परिवर्तन से जुड़ने की आग्रह किया। स्व को पहचाने: समारोह में समाजसेवी और संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक सुनील दत्त जैन ने कहा कि आज हर सनातनी को अपने स्व को पहचानने की जरूरत है। हमारा सनातन धर्म इतना समृद्ध है कि हमें किसी दूसरे धर्म से कुछ लेने की जरूरत नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोगों में अपने स्व को जगाने का ही काम कर रहा है। अपने स्व के माध्यम से हम राष्ट्र को भी मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज हिंदुओं के जनजागरण में संघ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। संघ के प्रयासों से ही जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाया गया और अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना। जैन ने कहा कि श्रीकांत शर्मा जैसे देशभक्त कवि को बुलाकर सप्तक संस्था ने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। इन्होंने भी किया कविता पाठ: इससे पहले समारोह में डॉ.रमेश अग्रवाल, पुष्पा शर्मा, मास्टर अर्णव शर्मा, कुलदीप सिंह रत्नू, सुमन शर्मा, डॉ.मधु खंडेलवाल, उमेश चौरासिया, पुष्पा शर्मा, डॉ.अंजू शर्मा सहित अन्य ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास द्वारा प्रकाशित आत्मबोध से विश्वबोध पुस्तक का विमोचन भी किया गया। समारोह का संचालन डॉ. कृष्णकांत शर्मा और वर्तिका शर्मा ने किया। इस समारोह के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414416461 पर ललित कुमार शर्मा से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (16-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Saturday, 15 November 2025

आखिर फरीदाबाद में किसके संरक्षण में चल रही थी आतंक की अल-फलाह यूनिवर्सिटी।

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए आतंकी विस्फोट में सुरक्षा एजेंसियों को अब तक जो जानकारियां मिली है, उनमें हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी की प्रमुख भूमिका रही है। यानी इसी यूनिवर्सिटी में देश में आतंकी वारदातें करने की साजिश रची गई। यूनिवर्सिटी के पास से ही 29 क्विंटल विस्फोटक बरामद किया गया। यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉक्टर ही आतंक फैलाने का काम कर रहे थे। इस यूनिवर्सिटी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि फरीदाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आता है। सवाल उठता है कि आखिर यह यूनिवर्सिटी किसके सरंक्षण में चल रही थी? कोई भी शिक्षण संस्थान बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं चल सकता। एक अच्छा स्कूल खोलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कम से कम 10 करोड़ रुपए चाहिए। कॉलेज खोलने के लिए 50 करोड़ और यूनिवर्सिटी चलाने के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपए। इसके अलावा राज्य और केंद्र सरकार से मान्यता देने के लिए ऊंची एप्रोच चाहिए। यूनिवर्सिटी की मान्यता तो बहुत मुश्किल से मिलती है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में अलफला यूनिवर्सिटी को मान्यता मिली, यह जांच का विषय है कि यूनिवर्सिटी को मन्यता दिलवाने में किन लोगों का राजनीतिक संरक्षण रहा। आरोप है कि यूनिवर्सिटी के मालिकों पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप भी लगे हैं। एनसीआर में आतंक की यह यूनिवर्सिटी पिछले दस वर्षों से चल रही थी और हरियाणा पुलिस को खबर तक नहीं लगी। सवाल उठता है कि जब यूनिवर्सिटी के डॉक्टर ही जैश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क में थे, तब पुलिस को जानकारी क्यों नहीं लगी? हालांकि अब सुरक्षा एजेंसियों ने संभावित आतंकी साजिशों का भंडाफोड़ कर दिया है, लेकिन अभी तक भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के बारे में अधिक जानकारी उजागर नहीं की गई है। मीडिया भी इस यूनिवर्सिटी के बारे में खामोश है। सुरक्षा एजेंसियों को यह पता लगाना चाहिए कि आतंक की इस यूनिवर्सिटी को कम समय में किस प्रकार सभी प्रकार की मान्यताएं मिल गई। साथ ही यूनिवर्सिटी के मालिकों की आय के स्त्रोतों का भी पता लगना चाहिए। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि जिस संस्था का काम शिक्षा को बढ़ावा देना है, वह संस्था आतंक की फैक्ट्री के रूप में काम कर रही है। हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकारों को भी चाहिए कि वह अलफला यूनिवर्सिटी की मान्यता को रद्द करे। S.P.MITTAL BLOGGER (13-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

हंगामे की आशंका को देखते हुए माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर की साधारण सभा रद्द। अध्यक्ष राम कुमार भूतड़ा ने अप्रैल में चुनाव करवाने की घोषणा की। 15 दिसंबर के बाद भूतड़ा को अध्यक्ष पद पर रहने का संवैधानिक अधिकार नहीं। एडहॉक कमेटी की मांग।

देश के 32 हजार सदस्यों वाली संस्था अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर की 16 नवंबर को होने वाली साधारण सभा अचानक रद्द कर दी गई है। माना जा रहा है कि साधारण सभा में हंगामे की आशंका को देखते हुए रद्द करने का निर्णय लिया गया। 16 नवंबर को साधारण सभा के लिए जो एजेंडा जारी किया गया था, उस में कहा गया कि संस्था के आय-व्यय, विकास कार्यों और चुनाव को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा। इस एजेंडे के बाद से ही संस्था के पदाधिकारियों और सदस्यों में माहौल गर्म हो गया। आरोप लगाया गया कि संस्था के अध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा अपने पद से चिपके रहना चाहते हैं, इसलिए साधारण सभा बुलाकर कार्यकाल बढ़ाना चाहते हैं। 16 नवंबर की सभा से पहले ही मंत्री सोहनलाल मूंदड़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश सोनी, प्रहलाद शाह, मंत्री मुरलीधर झंवर, किशन गोपाल बंग, संजय जैथलिया, भगवान बंग, भागीरथ भूतड़ा आदि ने संस्था के मार्गदर्शक मंडल से आग्रह किया कि साधारण सभा बुलाने के बजाए अध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा को चुनाव की घोषणा करनी चाहिए। मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल 15 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। संस्था के संविधान के मुताबिक कार्यकाल समाप्त होने से दो माह पहले चुनाव की घोषणा और निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति हो जानी चाहिए। यानी 15 अक्टूबर 2025 को चुनाव की घोषणा होनी चाहिए थी। 16 नवंबर की साधारण सभा को लेकर संस्था के पदाधिकारियों और सदस्यों में जो गुस्सा देखने को मिला उसी वजह से अध्यक्ष भूतड़ा ने सभा को रद्द कर दिया। इसकी एवज में 12 नवंबर को वर्चुअल बैठक करने का दावा किया गया। भूतड़ा ने दावा किया कि वर्चुअल बैठक में 74 सदस्य वीसी के जरिए जुड़े। इसी बेठक में निर्णय लिया गया कि चुनाव अप्रैल माह में करवाए जाएंगे। भूतड़ा ने कहा कि मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल एक वर्ष के लिए गत 31 अगस्त की साधारण सभा में ही बढ़ गया था। इसलिए 16 नवंबर वाली सभा में कार्यकाल बढ़ाने का कोई मुद्दा नहीं था। भूतड़ा ने दावा किया कि 12 नवंबर की वर्चुअल बैठक में संस्था के महामंत्री रमेशचंद्र छापरवाल भी उपस्थित रहे। एडहॉक कमेटी की मांग: वहीं समय पर चुनाव करवाने के लिए बनी संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा है कि 15 दिसंबर के बाद राम कुमार भूतड़ा को अध्यक्ष पद पर रहने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। जब तक चुनाव न हो तब तक एडहॉक कमेटी बनाई जाए। सदस्यों ने सवाल उठाया है कि कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद भूतड़ा अध्यक्ष पद पर क्यों बने रहना चाहते हैं? संस्था के चुनाव चार वर्ष में एक बार होते हैं और भूतड़ा पूर्व में भी दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं। भूतड़ा में थोड़ी सी भी नैतिकता है तो उन्हें 15 दिसंबर को पद त्याग कर एडहॉक कमेटी बना देनी चाहिए। एडकॉक कमेटी के सदस्यों का निर्णय संस्था का मार्गदर्शक मंडल लेगा। नाराज सदस्यों ने कहा कि अब भूतड़ा मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों की भावनाओं का भी ख्याल नहीं कर रहे हैं। जबकि 15 दिसंबर के बाद संस्था में मार्गदर्शक मंडल की भूमिका प्रभावी हो जाएगी। जहां तक कि 31 अगस्त की साधारण सभा में कार्यकाल बढ़ाने का मामला है तो भूतड़ा में गुड़ फोडऩे वाली कहावत चरितार्थ की है। अधिकांश सदस्य और पदाधिकारी नहीं चाहते कि मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़े। S.P.MITTAL BLOGGER (13-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

बिहार की बंपर जीत से मोदी सरकार को और मजबूती मिलेगी। - एनडीए को 180 से ज्यादा सीटें और महागठबंधन 40 पर सिमटा। - वोट चोरी का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी तो विदेश में बैठे है।

14 नवम्बर को बिहार विधानसभा के जो चुनाव नतीजे सामने आए है उनमें भाजपा और जेडीयू गठबंधन वाले एमडीए को 180 से ज्यादा सीटें मिली है, जबकि कांग्रेस और आरजेडी का महागठबंधन 40 सीटों पर सिमट गया है। बिहार के कुल 243 सीटों के परिणाम सामने आए है। बिहार की बम्पर जीत से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार को और मजबूती मिलेगी। बिहार की जेडीयू के समर्थन से ही केन्द्र में मोदी सरकार चल रही है। विधानसभा का चुनाव भी नीतिश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने मिलकर लड़ा था। प्रचार के दौरान विपक्षी नेताओं की और से कहा गया कि बिहार में महागठबंधन की जीत के बाद केन्द्र की मोदी सरकार पर भी असर पड़ेगा। यहां तक कहा गया कि नीतिश कुमार अपनी पार्टी का समर्थन वापस ले लेगें, लेकिन ऐसी उम्मीदों पर चुनाव नतीजों ने पानी फेर दिया है। भाजपा और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 101 में से 90 सीटों पर जीत हासिल की जबकि जेडीयू ने 80 सीटों पर। यह जीत दर्शाती है कि भाजपा और जेडीयू ने मिलकर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा। एनडीए में शामिल चिराग पासवान (रामविलास पासवान के पुत्र) के नेतृत्व वाली लोक जन शक्ति पार्टी ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया। एलजेपी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और 22 सीटें जीती। इससे चिराग पासवान को भी जबरदस्त मजबूती मिली है। एलजेपी ने लोकसभा चुनाव में भी 5 सीटों पर चुनाव लड़ा और पांचों पर जीत हासिल की। कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में बिहार से महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया है। जिन तेजस्वी यादव ने स्वयं को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था उनकी आरजेडी को मात्र 28 सीटें मिली है। बिहार में सबसे ज्यादा दुर्गति कांग्रेस की हुई है। कांग्रेस ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस को मात्र 4 सीटें ही मिल पायी है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटें मिली थी। यानि कांग्रेस को पिछली बार से भी कम सीटें मिली है। इसी प्रकार आरजेडी के पास पहले 75 सीटें थी, लेकिन इस बार आरजेडी को मात्र 28 सीटों पर ही जीत मिली है। चुनाव के दौरान जिन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार किया। उन सभी सीटों पर भाजपा, जेडीयू और एलजेपी के उम्मीदवारों की जीत हुई। वही जिन सीटों पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने प्रचार किया वहां हार का सामना करना पड़ा। भले ही चुनाव नतीजों में भाजपा को सीटें ज्यादा मिली हो। लेकिन जेडीयू के नीतिश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय है। असल में भाजपा को कई सीटों पर नीतिश कुमार के कारण ही जीत मिली है। इसी प्रकार जेडीए के उम्मीदवारों को नरेंद्र मोदी के कारण जीत मिली। यह 10वीं बार होगा जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की शाखा लेंगें। गत 20 वर्षों में एक वर्ष को छोड़कर नीतिश कुमार ही बिहार के मुख्य मंत्री रहे। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नीतिश कुमार ने एक बार तो आरजेडी से भी गठबंधन कर लिया था। राहुल गांधी विदेश में :- 14 नवम्बर जब बिहार के चुनाव नतीजे सामने आए तब कांग्रेस के नेता और वोट चोरी का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी विदेश दौरे पर रहे। राहुल गांधी के विदेश जाने को लेकर कांग्रेस में भी चर्चाये हो रही है। देश में जब एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम होते है तब अधिकांश अक्सरों पर राहुल गांधी विदेश चले जाते है। बिहार चुनाव की हार पर विपक्ष के नेता चुनाव आयोग और ईवीएम पर ठीकरा फोड़ रहे है।

अंता में निर्दलीय नरेश मीणा को भाजपा से मात्र 128 वोट कम मिले। - अंता की हार का भजन सरकार पर कोई असर नहीं। यह हार तो वसुंधरा राजे के खाते में जाएगी। - कांग्रेस के बजाए अंता में प्रमोद जैन भाया की जीत है।

राजस्थान के अंता विधानसभा के उपचुनाव का परिणाम 14 नवम्बर को आ गया। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ने 15 हजार 594 मतों से जीत हासिल की है। भाया को 69 हजार 462 वोट मिले, जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के मोरपात सुमन को 53 हजार 868 वोट मिले, वही निर्दलीय नरेश मीना ने 53 हजार 740 वोट प्राप्त किए। यानि मीणा ने भाजपा कि सुमन से मात्र 128 वोट कम प्राप्त किए। चुनाव नतीजे घोषित होने के साथ ही कहा जा रहा है कि इसका असर राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर पड़ेगा। वही जानकारों का कहना है कि इस हार का असर भजन सरकार पर नहीं पड़ेगा क्योंकि गत 2 वर्षाे में जो 8 उपचुनाव हुए, उनमें से भाजपा ने 5 पर जीत हासिल की है। अंता में कांग्रेस की दूसरी जीत है। वैसे भी अंता की जीत का श्रेय कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को जाता है। हालांकि चुनाव में भाया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए लेकिन अंता की जनता ने ऐसे सभी आरोपों को नकार दिया। असल में अंता में भाया की छवि एक समाजसेवी की है। गौ शालाओं का संचालन हो या फिर धार्मिक आयोजन। सभी में भाया की भागीदारी रहती है। सामूहिक विवाह के आयोजन करवा कर भाया ने अपनी लोकप्रियता को और बढ़ाया है। नतीजों के बाद कांग्रेस के बड़े नेता भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे हो। लेकिन अंता की जीत भाया की लोकप्रियता की जीत है। जहां तक भाजपा की हार का सवाल है तो इसकी जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की होगी। राजे की पसन्द के कारण ही मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया गया। राजे के पुत्र और क्षेत्र के सांसद दुष्यंत सिंह ही चुनाव प्रभारी रहे। खुद राजे ने डेरा डालकर चुनाव रणनीति बनायी। राजे की रणनीति का ही परिणाम रहा कि किरोड़ीलाल मीना, मदन दिलावर, हीरालाल नागर जैसे मंत्री प्रचार के लिए अंता नहीं है। इतना ही नहीं कि अंता के विधायक रह चुके पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी ने भी भाजपा के पक्ष में प्रचार नहीं किया। कहा जा रहा है कि इन नेताओं को प्रचार से दूर रखा गया। भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल का भी प्रचार के लिए नहीं आना चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्य मंत्री भजनलाल शर्मा ने राजे के साथ दो बार रोड़ शो तो किया लेकिन चुनाव की पूरी रणनीति वसुन्धरा राजे के पास ही रही। अंता चुनाव में नरेश मीणा की उम्मीदवारी भी खास रही। मतगणना के 20 चक्र में से 15 में नरेश मीणा दूसरे नम्बर पर रहे। यानि अंता का उपचुनाव निर्दलीय नरेश मीणा और कांग्रेस के बीच रहा। 53 हजार से भी ज्यादा वोट लेना यह दर्शाता है कि नरेश मीणा ने पूरी मेहनत के साथ चुनाव लड़ा।

देवनानी के अजमेर आवास पर शोक की नियमित बैठक पूरी। 17 नवंबर को विधानसभा जाएंगे।

अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पत्नी श्रीमती इंदिरा देवनानी (74) का गत 3 नवंबर को निधन हुआ था, तभी से देवनानी के अजमेर स्थित आवास पर प्रतिदिन श्रद्धांजलि सभा हो रही थी। 15 नवंबर को निवास पर ही 12वें की रस्म हुई। सभी धार्मिक रस्में उनके पुत्र महेश देवनानी द्वारा संपन्न करवाई गई। इससे पहले 14 नवंबर को श्रीमती देवनानी की अस्थियों को हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया गया। 15 नवंबर को 12वें की धार्मिक रस्मों के साथ ही अजमेर स्थित आवास पर प्रतिदिन होने वाली श्रद्धांजलि सभा पूरी हो गई। 15 नवंबर को धार्मिक अनुष्ठान पूरे होने के बाद देवनानी ने राजकीय कार्य भी शुरू कर दिए हैं। देवनानी ने विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों से भी संवाद किया है। तय कार्यक्रम के अनुसार देवनानी 17 नवंबर को जयपुर स्थित विधानसभा सचिवालय भी जाएंगे। देवनानी का कुछ दिन जयपुर में ही रहने का कार्यक्रम है। उल्लेखनीय है कि गत 12 दिनों में प्रदेशभर के लोगों ने अजमेर स्थित आवास पर पहुंचकर श्रीमती इंदिरा देवनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस श्रद्धांजलि सभा में स्वयं देवनानी भी लगातार उपस्थित रहे। 4 नवंबर को अंतिम संस्कार वाले दिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी आए। 14 नवंबर को राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने भी अजमेर आकर श्रीमती देवनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। गत 12 दिनों में प्रदेश के अधिकांश सांसद विधायक, मंत्रियों और राजनीतिक दलों से जुड़े पदाधिकारियों ने अजमेर पहुंचकर श्रीमती देवनानी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए, इनमें बड़ी संख्या में आम लोग भी शामिल रहे। देवनानी के अजमेर स्थित वरुण सागर रोड की संत कंवर राम कॉलोनी के आवास पर लगातार लोगों के आने का सिलसिला बना रहा। सभी आने वालों का देवनानी ने आभार जताया है। आने वालों में केंद्रीय मंत्री, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी शामिल रहे। S.P.MITTAL BLOGGER (15-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अजमेर डेयरी की वार्षिक आम सभा में राज्यपाल बागड़े को बुलाकर अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक कुशलता प्रदर्शित की। 35 वर्षों से अध्यक्ष बने रहने पर राज्यपाल ने भी प्रशंसा की। देखते रह गए सत्तारूढ़ भाजपा के नेता।

14 नवंबर को पुष्कर स्थित जाट विश्राम स्थली पर अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड (अजमेर डेयरी) की वार्षिक साधारण सभा हुई। इस सभा में जिले भर के दुग्ध उत्पादक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस सभा में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि बागड़े साहब राज्यपाल बनने से पहले महाराष्ट्र दुग्ध उत्पादकों से ही जुड़े रहे, इसलिए आज उन्होंने अजमेर के दुग्ध उत्पादकों के बीच आना स्वीकार किया। राज्यपाल बागड़े की उपस्थिति से जिले भर के दुग्ध उत्पादक बेहद उत्साहित है। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरे निमंत्रण को बागड़े ने स्वीकार किया। मेरे और जिले के दुग्ध उत्पादकों के लिए यह गर्व की बात है। अपने संबोधन में राज्यपाल बागड़े ने डेयरी अध्यक्ष चौधरी की भी जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि चौधरी अजमेर जिले के पशुपालकों के हितों के लिए काम करते हैं, इसलिए गत 35 वर्षों से डेयरी के अध्यक्ष हैं। राज्यपाल ने चौधरी को सलाह दी कि जो पशुपालक डेयरी में दूध जमा करवाता है उसकी राशि परिवार की महिला सदस्य के बैंक खाते में जमा करवाई जाए। यदि किसी पशुपालक परिवार की महिला सदस्य का बैंक में अकाउंट नहीं है तो उसे खुलवाया जाए। परिवार को चलाने में महिला की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राज्यपाल बागड़े को अजमेर डेयरी की वार्षिक सभा में बुलाकर अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक कुशलता प्रदर्शित की है। चौधरी ने राज्यपाल को तब बुलाया जब प्रदेश में भाजपा की सरकार है। चूंकि चौधरी की सक्रियता कांग्रेस में है, इसलिए राज्यपाल की उपस्थिति में हुई दुग्ध उत्पादकों की वार्षिक सभा से भाजपा नेताओं ने दूरी बनाए रखी। पुष्कर से भाजपा विधायक सुरेश रावत प्रदेश के जल संसाधन मंत्री है, लेकिन इस समारोह में सुरेश रावत भी शामिल नहीं हुए। अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी केंद्र सरकार में कृषि राज्यमंत्री है, लेकिन भागीरथ चौधरी भी समारोह से दूर रहे। यहां तक कि प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोगाराम कुमावत भी नहीं आए। अजमेर जिले का एक भी भाजपा विधायक भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। हालांकि चौधरी ने कांग्रेस के नेताओं को भी आमंत्रित नहीं किया। अलबत्ता सहकारी संस्थाओं से जुड़े भाजपा और कांग्रेस के नेता इस वार्षिक सभा में उपस्थित रहे। सभी ने डेयरी अध्यक्ष चौधरी की प्रशंसा की। इसमें कोई दो राय नहीं कि डेयरी का अध्यक्ष रहते हुए चौधरी पशुपालकों के लिए संघर्ष करते रहे है। पशुपालकों की समस्याओं को लेकर चौधरी ने राज्यपाल को भी एक ज्ञापन दिया। चौधरी ने आग्रह किया कि राज्यपाल बागड़े अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए समस्या का समाधान करवावें। इस वार्षिक सभा के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414004111 पर रामचंद्र चौधरी से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (15-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

भाजपा नेताओं में अंता जैसी खींचतान रही तो राजस्थान में तीन वर्ष बाद कांग्रेस की सरकार बन जाएगी। राजस्थान के भाजपाई बिहार की जीत का श्रेय ले रहे हैं, ऐसे नेताओं को अंता की हार पर शर्म आनी चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को दखल देने की जरुरत। नरेश मीणा ने खुद की तुलना झारखंड के नेता शिबू सोरेन से की।

वर्ष 1998 के बाद से ही राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनी है। यानी 1998 के बाद किसी भी दल की सरकार रिपीट नहीं हुई है। वर्ष 2023 में अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस की सरकार को रिपीट करवाने के सारे तौर तरीके अपनाए, लेकिन फिर भी सरकार बदलने की परंपरा बनी रही। वर्ष 2023 में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में वसुंधरा राजे जैसे पुराने और दिग्गज नेताओं को पीछे धकेलते हुए पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। तब राष्ट्रीय नेतृत्व की मंशा वर्ष 2028 में भाजपा सरकार को रिपीट करवाने की रही। भजन लाल शर्मा के मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा के सात उपचुनाव भी हुए, इनमें से पांच में भाजपा को जीत मिली। लेकिन 8वें अंता के उपचुनाव में भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा। अंता में भाजपा की हार तब हुई जब दो वर्ष पहले आम चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कंवरलाल मीणा की जीत हुई थी। मीणा पांच हजार से ज्यादा वोटों से जीते, लेकिन 14 नवंबर को घोषित उपचुनाव के नतीजे में भाजपा उम्मीदवार मोरपाल सुमन को 15 हजार से भी अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा। 5 हजार की जीत और 15 हजार की हार से अंता में भाजपा की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। भाजपा जैसी मजबूत और सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह भी अफसोस की बात है कि निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने 53 हजार 800 मत प्राप्त कर भाजपा की बराबरी कर ली। भाजपा को 53 हजार 959 वोट मिले। यानी निर्दलीय से मात्र 159 वोट ज्यादा। अंता में भाजपा की इस बुरी हार के पीछे दिग्गज नेताओं की खींचतान सामने आई है। यह सही है कि यहां भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का दबदबा है। उनके पुत्र दुष्यंत सिंह लगातार तीसरी बार इस क्षेत्र से सांसद है। खुद वसुंधरा राजे भी झालावाड़ से विधायक है। राजे के प्रभाव को देखते हुए ही उन्हीं की पसंद के मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया गया। भाजपा के नेतृत्व ने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी राजे को ही दी। यही वजह रही कि राजे के पुत्र और सांसद दुष्यंत सिंह ही चुनाव प्रभारी बने। चूंकि चुनाव की रणनीति राजे ने बनाई इसलिए किरोड़ी लाल मीणा, मदन दिलावर, हीरालाल नागर जैसे मंत्री प्रचार के लिए आए ही नहीं। जबकि इन तीनों मंत्रियों का खासा प्रभाव है। नहीं आने वाले नेताओं में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी भी शामिल है। वर्ष 2013 में इसी विधानसभा क्षेत्र से सैनी ने जीत हासिल की थी। तब सैनी कृषि मंत्री भी बने। अंता में माली जाति के चालीस हजार वोट है, लेकिन फिर भी प्रभुलाल सैनी का अंता नहीं जाना खींचतान को साफ दर्शाता है। पूरे चुनाव प्रचार में प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल का राजस्थान न आना भी बड़े नेताओं में खींचतान होना दिखाता है। हाड़ौती के इस क्षेत्र में कोटा के सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का भी प्रभाव है, लेकिन परदे के पीछे से भी ओम बिरला की कोई भूमिका देखने को नहीं मिली। जबकि बिरला के खिलाफ गत लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल अंता में सक्रिय रहे। एक ओर जहां अंता में भाजपा की बुरी हार हुई है, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़, सीपी जोशी, अविनाश गहलोत, कुलदीप धनखड़, दामोदर अग्रवाल, अतुल भंसाली, निहालचंद मेघवाल, ओम प्रकाश भडाना, वासुदेव चावला, श्रीमती सुमन शर्मा, हरलाल सारण आदि बिहार में हुई जीत का श्रेय ले रहे हैँ। इन नेताओं का कहना है कि वह भी भाजपा को जिताने के लिए बिहार गए थे। बड़ी अजीत बात है कि राजस्थान के भाजपाई बिहार में तो अपनी पार्टी को जितवा सकते हैं, लेकिन खुद के गृहप्रदेश में हुए उपचुनाव में जीत नहीं दिलवा सकते। अच्छा होता कि ये नेता बिहार जाने के बजाए अंता में अपनी पार्टी के पक्ष में प्रचार करते हैं। जहां तक पूर्व सीएम राजे का सवाल है तो उन्होंने पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ काम किया, लेकिन उपचुनाव में रणनीति को लेकर राजे ने जो अडिय़ल रवैया अपनाया, उसकी वजह से भाजपा के वरिष्ठ नेता अंता में नजर नहीं आए। नहीं आने वाले नेताओं की राजे ने भी परवाह नहीं की। चूंकि भाजपा उम्मीदवार का चयन राजे की पंसद से ही हुआ था, इसलिए इस हार की जिम्मेदारी भी राजे की ही है। जहां तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का सवाल है तो ये दोनों नेता अपने पदों पर तभी तक कायम है, जब तक राष्ट्रीय नेतृत्व का संरक्षण है। अंता उपचुनाव के परिणाम की वजह से फिलहाल इन दोनों नेताओं का कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस उपचुनाव के परिणाम को देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को राजस्थान में दखल देने की जरूरत है। यदि अब भी दखल नहीं दिया तो गत 25 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुरूप तीन वर्ष बाद 2028 में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी। खुद की तुलना सोरेन से: अंता में 53 हजार वोट प्राप्त करने वाले निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने अपनी तुलना झारखंड के आदिवासी नेता और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए शिबू सोरेन से की है। 14 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आने के बाद मीणा ने कहा कि शिबू सोरेन भी शुरू के तीन चुनाव हारे, लेकिन बाद में पांच बार सांसद और दो बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। अभी भी शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। मेरा भी अंता का तीसरा चुनाव रहा, जहां हार का सामना करना पड़ा, लेकिन मैं हार के बाद भी हाड़ौती क्षेत्र में सक्रिय रहंूंगा। S.P.MITTAL BLOGGER (15-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Tuesday, 14 October 2025

अजमेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। भाग - 16 ================ स्वयंसेवकों के प्रेरणा स्रोत रहे धर्मनारायण जी। अजमेर में पहली बार 600 स्वयंसेवकों का पथ संचालन।

अजमेर में वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय रहे धर्मनारायण जी सही मायने में चलती फिरती ज्ञान और अनुशासन की पाठशाला थे। जो भी व्यक्ति एक बार संपर्क में आया वह फिर धर्मनारायण जी द्वारा दी गई शिक्षा के अनुरूप ही आचरण करता था। विगत दिनों ही 82 वर्ष की उम्र में धर्मनारायण जी निधन हुआ। जीवन के अंतिम समय में भी वे विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे। हजारों स्वयंसेवक आज भी उन्हें प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं। 70 के दशक में धर्मनारायण जी संघ के प्रचारक की भूमिका में रहे। पहले वे भीलवाड़ा के जिला प्रचारक। उस समय भंवर सिंह जी शेखावत विभाग प्रचारक थे। शिक्षा वर्ग में मुख्य शिक्षक की भूमिका के बाद धर्मनारायण जी को अजमेर में विभाग प्रचारक बनाया गया। उस समय अजमेर, भीलवाड़ा और चित्तौड़ को मिलाकर प्रांत हुआ करता था। धर्मनारायण जी ने होली के पर्व पर अजमेर में एक नई परंपरा शुरू की। सभी स्वयंसेवकों को लेकर टोली के रूप में परकोटे में भ्रमण करते थे। साथ में एक थैला जिस पर माइक लगा होता था। स्वयंसेवकों की टोली घोष की आवाज के साथ गीत गाते हुए निकलती थी। स्वयं धर्मनारायण जी भी गीत गाते थे। वरिष्ठ स्वयंसेवक भाऊ प्रभुदास जी का तब जगाया तुमको कितनी बार गीत बहुत लोकप्रिय हुआ। पुष्कर में हुई एक वैचारिक गोष्ठी में स्वयंसेवकों ने निर्णय लिया कि बड़ा पथ संचलन निकाला जाए। तब अजमेर में पहली बार 600 स्वयंसेवकों का पथ संचलन निकाला। उन्हीं दिनों पटेल मैदान पर गुरुजी माधव सदाशिव गोलवरकर जी का कार्यक्रम भी हुआ। उन दिनों अजमेर में स्वयंसेवकों का खास प्रभाव था। उन्हीं दिनों भंवर सिंह जी ने तीन बुलेट गाड़ी खरीदी। चित्तौड़ और भीलवाड़ा के साथ साथ एक बुलेट अजमेर को भी दी गई। तब बुलेट से ही प्रवास होता था। तब चित्तौड़ में गुणवंत सिंह जी कोठारी तथा भीलवाड़ा में जयंती जी प्रचारक की भूमिका में थे। आपातकाल के दौरान यह बुलेट गाड़ी प्रचारकों के बहुत काम आई। आपातकाल लगने से पहले पुलिस ने संघ के हाथी भाटा कार्यालय में छापामार कार्यवाही की। चूंकि धर्मनारायण जी को पहले ही खबर लग गई थी, इसलिए वे साइकिल पर ही निकल गए। बाद में रेडियो पर सुना कि देश में आपातकाल लागू हो गया है। तब संघ पर भी प्रतिबंध लगाया गया। गिरफ्तारी से बचने के लिए धोती कुर्ता की जगह पेंट शर्ट पहनी और बांदनवाड़ा पहुंचकर ठाकुर रघुवीर सिंह जी के यहां प्रवास किया। आपातकाल के दौरान संघ योजना के अनुरूप धर्म नारायण जी 32 घरों में रहे। किसी एक स्वयंसेवक के घर ज्यादा दिन नहीं ठहरते थे। आपातकाल के दौरान जो अत्याचार हुए उसी का परिणाम रहा कि 1977 में कांग्रेस और तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इंदिरा गांधी की हार पर तब गंज में मे वालों के स्थान पर भी पटाखे छोड़े गए। सरकार की ज्यादतियों के विरोध में स्वयंसेवकों ने सत्याग्रह भी किया। तब अनेक स्वयंसेवकों को जेल जाना पड़ा। जो स्वयंसेवक जेल जाते थे, उनके कसे अदालतों में ओंकार सिंह जी लखावत और नानकराम जी इसराणी निशुल्क लड़ते थे। एक बार जब एक स्वयंसेवक को दो वर्ष की जेल की सजा हुई तो लखावत जी ने संबंधित न्यायाधीश के साथ असहयोग किया। न्यायाधीश के व्यवस्ािर की शिकायत राज्यपाल तक से की गई। इसका असर न्यायाधीश पर पड़ा और फिर स्वयंसेवकों के मुकदमों में न्याय पूर्ण कार्यवाही होने लगी। राम जन्मभूमि आंदोलन में धर्म नारायण जी मध्य प्रदेश महाकौशल प्रांत के सह प्रचारक के रूप में रहे, लेकिन उनका अजमेर से लगाव कभी समाप्त नहीं हुआ। उन्हें जब भी समय मिलता तब वे अजमेर आते और संघ कार्यालय में प्रवास करते। अब जब संघ के सौ वर्ष पूरे हुए हैं, तब धर्मनारायण जी जैसे स्वयंसेवकों को हर स्वयंसेवक याद कर रहा है। धर्मनारायण जी ने अपना पूरा जीवन संघ कार्यों को दिया। उनका हमेशा प्रयास रहा कि शाखा में अधिक से अधिक स्वयंसेवक आए और समाज में सकारात्मक माहौल बने। वे हमेशा नकारात्मकता के खिलाफ रहे। उनका मानना रहा कि सकारात्मकता से ही संघ के विचारों को आगे बढ़ाया जा सकता है। धर्मनारायण जी जैसे प्रचारकों की सोच के कारण ही आज संघ समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (14-10-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अजमेर के कांग्रेसी शोले फिल्म के किरदार असरानी की तरह व्यवहार न करें। पांच हजार कार्यकर्ताओं से मिलकर कांग्रेस के हालात समझ लिए है। अध्यक्ष के लिए नाम प्रस्तावित करने से पहले सचिन पायलट से भी विमर्श करूंगा-अशोक तंवर। पर्यवेक्षक का किसी नेता के प्रभाव में आना गलत है, यह हाईकमान की भावनाओं के खिलाफ-अशोक गहलोत।

अजमेर में नियुक्त कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अशोक तंवर ने कांग्रेसियों को सलाह दी है कि वे शोले फिल्म के मजाकिया किरदार असरानी की तरह व्यवहार न करे। आधे इधर जाए आधे उधर जाए और बाकी मेरे पीछे आए ऐसे हालात नेताओं को नहीं बनाने चाहिए। तंवर ने कहा कि मैं पिछले सप्ताह भर से अजमेर जिले के करीब पांच हजार कार्यकर्ताओं से मिला हंू। मैंने अच्छी तरह कांग्रेस की स्थिति को समझ लिया है। मैं कह सकता हूं कि यदि सभी नेता एकजुट रहे तो अजमेर में कांग्रेस की मजबूत स्थिति है। यदि तालमेल और बेहतर होता तो हम चुनाव भी जीत सकते थे। तंवर ने गत विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता से कहा कि गत नगर निगम के चुनाव में किसने टिकट बांटे और क्या परिणाम रहे, अब गड़े मुर्दे उखाड़ने की जरूरत नहीं है। हमें आगे देखकर कांग्रेस को मजबूत करना है। तंवर ने रामचंदर चौधरी के संबंध में कहा कि उन्होंने अजमेर में डेयरी के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। तंवर ने कहा कि मुझे अध्यक्ष पद के लिए देहात और शहर में छह -छह नाम देने हैं। मेरा प्रयास है कि कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप अजमेर जिले की रिपोर्ट केंद्र के समक्ष प्रस्तुत की जाए। मैंने अजमेर में जो देखा और महसूस किया उसे ही अपने दस्तावेजों में शामिल करूंगा। तंवर ने कहा कि सर्किट हाउस में मेरी मुलाकात पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से भी हुई। पायलट साहब ने मुझे कहा कि आप अजमेर में सभी से बात कर ले और फिर मुझसे बात करे। मैं अपनी रिपोर्ट देने से पहले सचिन पायलट से भी बात करूंगा। तंवर ने कहा कि मेरे संबंध सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट से भी रहे हैं। मैं सचिन को बचपन से ही जनता हंू। तंवर ने इस बात को स्वीकार किया कि अध्यक्ष के चयन के समय जातिगत समीकरण भी देखे जाते हैं। राजनीति में सभी जातियों का ख्याल रखा जाता है। किसी जिले में एक जाति का अध्यक्ष बना दिया जाए तो दूसरे जिले में उसी जाति का अध्यक्ष बनाना मुश्किल होता है। राजनीति में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देना पड़ता है। अशोक तंवर ने जिस बैठक में यह बात कही उसमें कांग्रेस के सभी गुटों के नेता मौजूद रहे। पायलट गुट के शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, गत विधानसभा चुनाव में अजमेर शहर से प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी के साथ साथ अशोक गहलोत गुट के देहात जिलाध्यक्ष भूपेंद्र राठौड़, डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी आदि थे। दोनों गुटों के नेताओं की एक साथ उपस्थिति को भी अशोक तंवर ने अपनी उपलब्धि बताया। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें अध्यक्ष के चयन का अधिकार सचिन पायलट को दिया गया। यानी पायलट जिस नेता को चाहे उसे शहर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना सकते हैं। गहलोत का ऐतराज: इन दिनों राजस्थान भर में केंद्रीय पर्यवेक्षक जिला स्तर पर संगठन की नब्ज टटोल रहे हैं। पर्यवेक्षकों को जिलाध्यक्ष के लिए 6 नाम प्रस्तावित करने हैं, लेकिन केंद्रीय पर्यवेक्षक संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत जिला स्तर पर जो गतिविधियां कर रहे हैं, उससे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाराज हैं। गहलोत ने कहा कि कई स्थानों पर जिलाध्यक्ष बनाने के लिए किसी वरिष्ठ नेता को अधिकृत करने के प्रस्ताव पास हो रहे है। यह तरीका पूरी तरह गलत है। पर्यवेक्षकों को किसी नेता के प्रभाव में आने की जरूरत नहीं है। गहलोत ने अजमेर सहित कई जिलों में शक्ति प्रदर्शन पर भी ऐतराज जताया। S.P.MITTAL BLOGGER (14-10-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

गहलोत की चुनौती के बाद भजन सरकार को 7 लाख करोड़ के निवेश की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। तभी मुंह तोड़ जवाब मिल सकेगा। यह अमित शाह के कथन की बात भी है।

13 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जयपुर में तीन नए आपराधिक कानूनों पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राजस्थान के विकास की भी चर्चा करते हुए शाह ने कहा कि निवेश के लिए जो 35 लाख करोड़ के अनुबंध हुए थे, उनमें से 7 लाख करोड़ के निवेश को ग्राउंड ब्रेकिंग कर दिया है। यानी 7 लाख करोड़ के निवेश के कार्यों की क्रियान्विति शुरू हो गई है। यानी संबंधित कंपनियों से अंतिम अनुबंध कर जमीन का आवंटन तथा कंपनियों ने जिन पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए अमित शाह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रशंसा भी की। शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत का नाम लेकर कहा कि वे भी हमारे निवेश को देख सकते हैं। अमित शाह के कथन के बाद 13 अक्टूबर को ही पूर्व सीएम गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह किया कि वे 7 लाख करोड़ रुपए के निवेश की सूची सार्वजनिक करें। गहलोत ने कहा कि गत विधानसभा सत्र में जब इस मुद्दे पर सवाल लगाया गया तो सरकार की ओर से जवाब आया और न ही सरकार ने आरटीआई में कोई जवाब दिया है। चूंकि अब केंद्रीय गृह मंत्री ने 7 लाख करोड़ रुपए निवेश का दावा किया है तो सरकार को संबंधित निवेशकों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि भजनलाल शर्मा ने अपनी सरकार के पहले ही वर्ष में राइजिंग राजस्थान समिट कर निवेश के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। इसी समिट में 35 लाख करोड़ के अनुबंध (एमओयू) होने का दावा किया गया था। अब यदि 35 में से 7 लाख करोड़ के निवेश जमीन पर उतर आए हैं तो सरकार को निवेशकों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। इसे अन्य निवेशकों को भी प्रेरणा मिलेगी। चूंकि इस बार यह दावा अमित शाह की ओर से किया गया है, इसलिए भी सरकार को पारदर्शिता दिखानी चाहिए। यदि सरकार सूची सार्वजनिक नहीं करती है तो फिर अमित शाह के दावे पर भी सवाल उठेगा। S.P.MITTAL BLOGGER (14-10-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511