Saturday, 6 December 2025
मोदी सरकार ने मुझे रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने का अवसर नहीं दिया-राहुल गांधी। इसे कहते है गले पडऩा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलना चाहते थे, लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें पुतिन से नहीं मिलने दिया। राहुल ने कहा कि मैं लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता हूं और भारत आने पर विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से विपक्ष के नेताओं के मुलाकात की परंपरा रही है। राहुल गांधी का कहना रहा कि मोदी सरकार विपक्ष से डरती है, इसलिए मुझे पुतिन से नहीं मिलने दिया गया। मालूम हो कि पुतिन 4 दिसंबर को भारत आए है और 5 दिसंबर को दिन भी उनका व्यस्त कार्यक्रम है। 5 दिसंबर को ही रात को राष्ट्रपति भवन में डिनर लेने के बाद पुतिन दिल्ली से रवाना हो जाएंगे। पुतिन से न मिलने को लेकर राहुल गांधी भले ही मोदी सरकार पर आरोप लगाए, लेकिन यह प्रोटोकॉल है कि किसी राष्ट्राध्यक्ष की इच्छा पर ही संबंधित देश के नेता मिल सकते हैं। जब पुतिन ने राहुल गांधी से मिलने की इच्छा ही नहीं जताई तो फिर मोदी सरकार राहुल गांधी को पुतिन से कैसे मिलवा सकती है। सवाल यह भी है कि क्या पुतिन के आने से पहले राहुल गांधी ने रूसी दूतावास में कोई प्रस्ताव दिया? जब राहुल गांधी की ओर से पुतिन से मिलने के कोई प्रयास नहीं किए गए, तब मोदी सरकार राहुल गांधी को कैसे मिलवा सकती है। यदि पुतिन अपनी भारत यात्रा में राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताते तो मोदी सरकार को राहुल गांधी को पुतिन से मिलवाना ही पड़ता। राहुल गांधी भले ही लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता हो, लेकिन उन्हें किसी राष्ट्राध्यक्ष से मुलाकात के प्रावधानों का ही पता नहीं है, क्या राहुल गांधी यह चाहते है कि मोदी सरकार उन्हें जबरन पुतिन से मिलवाए? लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष नेता विदेशी राष्ट्राध्यक्ष से मिल सकते हैं, लेकिन राहुल गांधी को यह पता होना चाहिए कि पुतिन रूस में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है। पुतिन ने तो अपनी ताकत के बल पर यह भी तय करवा लिया है कि वे चाहेंगे, तब तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे। यानी राष्ट्रपति का पद पुतिन अपनी मर्जी से ही छोड़ेंगे।
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अजमेर के सवा सौ मंदिरों में मंगलवार-शनिवार को नियमित हो रहा है सुंदरकांड पाठ। अब ऐसे मंदिरों के पुजारियों को उपासकों का 7 दिसंबर को सम्मान। श्री हनुमत शक्ति जागरण समिति की पहल।
श्री हनुमत शक्ति जागरण समिति की पहल पर अजमेर के सवा सौ मंदिरों में मंगलवार और शनिवार को नियमित रूप से सुंदरकांड पाठ हो रहा है। समिति के अध्यक्ष आनंद प्रकाश गोयल और महामंत्री अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि वीर हनुमान की शक्ति घर घर तक पहुंचाने के लिए ही मंदिरों में सुंदर कांड पाठ की शुरुआत की गई। आज शहर के 125 से भी ज्यादा मंदिरों में नियमित तौर पर सुंदर कांड के पाठ हो रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इन सुंदरकांड के पाठ में मंदिर के पुजारियों और उपासकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पुजारियों और उपासकों के प्रयासों को देखते हुए ही 7 दिसंबर को अजमेर के जेएलएन अस्पताल के सामने रेडक्रॉस के सभागार में सुबह 11 बजे एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में संबंधित मंदिरों के पुजारियों और उपासकों का सम्मान किया जाएगा। इसके साथ ही एक नेत्र चिकित्सा शिविर भी लगाया जाएगा, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी आंखों की जांच नि:शुल्क करवा सकता है। इस शिविर में सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक राजेंद्र हेड़ा और श्रीमती मधु विजयवर्गीय अपनी सेवाएं देंगी। इस अवसर पर समिति की साधारण सभा भी आयोजित की गई है। इस कार्यक्रम की ओर अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829383000 पर आनंद प्रकाश गोयल से ली जा सकती है।
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इंडिगो ने मोदी सरकार के साथ साथ यात्रियों को भी ब्लैकमेल किया। क्या इंडिगो जैसी लुटेरी कंपनियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है? एयरपोर्ट पर अराजकता के ऐसे माहौल में अडानी का सेवाभावी विज्ञापन क्या मायने रखता है?
देश भर के प्रमुख एयरपोर्ट पर जो अराजकता हुई उसे देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने इंडिगो को फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) के नियमों को लागू करने के लिए आगामी तीन माह की छूट दे दी है। यानी इंडिगो अब इस नियम का उल्लंघन कर अपने विमानों का संचालन कर सकती है। सरकार ने ऐसे नियम सुरक्षित विमान यात्रा और पायलटों पर काम के बोझ को कम करने के लिए बनाए हैं। इंडिगो सहित देशभर की विमानन कंपनियों को इस नियम को दिसंबर 2024 में ही लागू करना था, लेकिन इंडिगो ने सरकार के एफडीटीएल नियम को चार दिन पहले ही लागू किया। इस नियम के लागू होते ही इंडिगो की विमान सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई। पिछले तीन दिनों में इंडिगो की दो हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द हुई और 6 दिसंबर को भी इंडिगो ने एक हजार उड़ानें रद्द करने की घोषणा कर दी। चूंकि देश की घरेलू उड़ानों में इंडिगो की 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, इसलिए पिछले चार दिनों से देश के प्रमुख एयरपोर्ट पर अराजकता का माहौल हे। 5 दिसंबर को जब यात्रियों के हाहाकार की गूंज मोदी सरकार के कानों तक पहुंची तो विमानन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा कि सरकार ने एफडीटीएल के नियमों को लागू करने के लिए इंडिगो को तीन माह की छूट दे दी है। यानी अब इंडिगो सरकार के नियमों को फरवरी 2026 तक लागू कर सकती है। जाहिर है कि मोदी सरकार को इंडिगो की ब्लैकमेलिंग का शिकार होना पड़ा है। सवाल उठता है कि जो नियम दिसंबर 2024 में लागू होने चाहिए थे, उसके लिए इंडिगो ने पिछले एक वर्ष में अतिरिक्त पायलटों की भर्ती क्यों नहीं की? साथ ही अपने विमानों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई? मोदी सरकार ने भी इस बात का ख्याल क्यों नहीं रखा कि समुचित तैयारी के बगैर ही इंडिगो एफडीटीएल के नियम लागू कर रही है? क्या इंडिगो जैसी ब्लैकमेलर कंपनियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है? क्या इंडिगो ने सरकार के अधिकारियों से विमर्श किए बगैर ही सुरक्षा के नियम लागू कर दिए? असल में इंडिगो के प्रबंधन को भी पता था कि जब सुरक्षा के नए नियम लागू किए जाएंगे तो हजारों उड़ानों को रद्द करना ही पड़ेगा। तब अराजकता होने पर मोदी सरकार को ब्लैकमेल किया जा सकेगा। इंडिगो ने ऐसा ही किया। अब मोदी सरकार की मजबूरी है कि वह इंडिगो के सामने सरेंडर करे। इंडिगो के मालिकों ने मोदी सरकार को ही ब्लैकमेल नहीं किया बल्कि घरेलू यात्रियों को भी लूटा है। एफडीटीएल की आड़ में जब इंडिगो ने अपनी उड़ाने रद्द कर दी, तब रद्द हुई उड़ानों के यात्रियों को ही पांच गुना अधिक में टिकट बेचे। यहां यह उल्लेखनीय है कि एफडीटीएल के नियमों की वजह से इंडिगो की कुछ उड़ानें रद्द हुई, लेकिन आधी उड़ाने जारी रही। इसे इंडिगो की लूट ही कहा जाएगा कि स्वयं की ओर से उत्पन्न समस्या का समाधान यात्रियों को लूट कर किया। इंडिगो से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि वह सामान्य दर से पांच गुना अधिक दर क्यों वसूल रही है? इंडिगो ने यह भी प्रदर्शित कर दिया है कि भारत में यदि किसी कंपनी का एकाधिकार है तो वह सरकार और यात्रियों को ब्लैकमेल कर सकती है। चूंकि घरेलू उड़ान सेवाओं पर इंडिगो का 65 प्रतिशत तक कब्जा है, इसलिए सरकार को एक लुटेरी कंपनी के सामने झुकना पड़ा है। एयरपोर्ट पर अराजकता को देखते हुए मोदी सरकार के विमानन मंत्री नायडू ने जांच कमेटी की घोषणा की है। सवाल उठता है कि जिस सरकार ने ही इंडिगो को इतनी छूट दी है, वह सरकार अब किस बात की जांच कराएगी? देश की जनता ने इंडिगो के सामने मोदी सरकार की लाचारी देख ली है। इंडिगो के खिलाफ सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर सकती।
विज्ञापन का क्या मतलब है:
इंडिगो की लूट के कारण जब देश के प्रमुख एयरपोर्ट पर हजारों यात्रियों की भीड़ लगी हुई है, तब न्यूज चैनलों पर अडाणी समूह का एक विज्ञापन प्रसारित हो रहा है। इस विज्ञापन में अडाणी समूह का यात्रियों के प्रति सेवा भाव प्रदर्शित किया गया है। एक बुजुर्ग दंपत्ति को अडाणी की कंपनी किस प्रकार से एयरपोर्ट पर सेवा देती है, यह इस विज्ञापन में दिखाया गया है। यानी अडाणी के सेवाभाव के कारण बुजुर्ग दंपत्ति अकेले ही विमान में यात्रा कर सकते है। मालूम हो कि देश के प्रमुख एयरपोर्ट के रखरखाव की जिम्मेदारी अडाणी समूह ने ठेके पर ले रखी है। अडाणी समूह यह दिखाना चाहता है कि उनके पास जो एयरपोर्ट है, उन पर यात्रियों का कितना ख्याल रखा जाता है, लेकिन अब एयरपोर्ट पर पैर रखने तक की जगह नहीं है, तब अडाणी समूह का यह विज्ञान क्या मायने रखता है।
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गहलोत, डोटासरा और जूली अपने अपने राजनीतिक स्वार्थों की खातिर मेरी सरकार की आलोचना कर रही है-भजनलाल शर्मा। मुख्यमंत्री ने पहली बार कांग्रेस को करारा जवाब दिया। तो अब कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया जेल जाएंगे।
आमतौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शांत और सरलता के साथ अपनी बात को रखते हैं। पिछले दो वर्षों में सीएम शर्मा को सार्वजनिक तौर पर गुस्से में नहीं देखा गया। अपने विरोधियों पर भी सीएम शर्मा भाषा की शालीनता बनाए रखते हैं। भजनलाल शर्मा की यह तुलना इसलिए भी की जा रही है कि राजस्थान की जनता ने कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भाषा और गुस्से को भी देखा है। गहलोत ने जहां अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नकारा, मक्कर, नालायक और धेखोबाज तक कहा वही सार्वजनिक सभा में गुस्से में माइक तक फेंक दिया। लेकिन पांच दिसंबर को श्रीगंगानगर में गंग नहर के शताब्दी समारोह में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी थोड़ा गुस्से में देखा गया। संभवत: पिछले दो वर्षों में यह पहला अवसर रहा, जब सीएम शर्मा ने कांग्रेस के नेताओं को करारा जवाब दिया। सीएम शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आए दिन उनकी सरकार की आलोचना इसलिए करते हैं ताकि कांग्रेस की राजनीति में उनका वजूद बना रहे। अपनी पार्टी के नेताओं से आगे निकलने की होड़ में अशोक गहलोत गलत तथ्यों पर मेरी सरकार की आलोचना कर देते है। टीकाराम जूली इसलिए आलोचना करते हैं ताकि प्रतिपक्ष के नेता का पद उनके पास बना रहे। गोविंद सिंह डोटासरा, जूली को हटाकर प्रतिपक्ष का नेता बनना चाहते है, इसलिए सरकार की आलोचना करते है। सीएम शर्मा ने कहा कि पिछले दो वर्षों में राजस्थान में तेजी से विकास किया है और बड़े फैसले किए है। जिन मामलों को कांग्रेस के शासन में लटकाए रखा, उन्हें भी हमने सुलझाया है। ईआरसीपी परियोजना की क्रियान्विति भी भाजपा के शासन में हो रही है।
तो भाया जाएंगे जेल:
5 दिसंबर को सीएम शर्मा, पूर्व सीएम गहलोत पर कुछ ज्यादा ही गुस्से में दिखे। शर्मा ने कहा कि गहलोत पूर्व में अपने एक साथी पूर्व मंत्री महेश जोशी को जेल भिजवा चुके है। अब भले ही जोशी जेल से बाहर आ गए हो, लेकिन वहीं दूसरे पूर्व मंत्रियों के जेल जाने की तैयारी हो गई है। पूर्व मंत्रियों के जेल जाने की बात से प्रतीत होता है कि अब पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के गिरफ्तार होकर जेल जाने का समय आ गया है। भाया ने हाल ही में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता है। भाजपा पर पूर्व में भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए है। ये मामले तबके हैं, जब भाया गहलोत मंत्रिमंडल में खनन विभाग के मंत्री थे। उपचुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा ने जैन के खिलाफ खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को भी उछाला था, लेकिन इसके बाद भी भाया की अंता में जीत हुई।
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संसद की तर्ज पर राजस्थान विधानसभा में बनेगा सेंट्रल हॉल। अध्यक्ष देवनानी का एक और नवाचार।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पिछले दो वर्ष के कार्यकाल में विधानसभा में अनेक नवाचार किए हैं। इनमें विधानसभा में प्रत्येक विधायक की टेबल पर आईपैड लगाने से लेकर विधायकों के सवालों तक के नवाचार शामिल है। देवनानी के प्रयासों से ही विधानसभा परिसर में संग्रहालय आम लोगों के लिए खोला गया है। इन्हीं नवाचारों के अंतर्गत अब विधानसभा की पांचवीं मंजिल पर सेंट्रल हॉल बनाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में देवनानी ने पांच दिसंबर को अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं।अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि सेन्ट्रल हॉल को महापुरुषों के थ्री-डी चित्रों से सुसज्जित किया जाएगा। सेन्ट्रल हॉल में राजस्थान की कला, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व की पेन्टिंग्स भी लगाई जायेगी। हॉल का उपयोग विधान सभा सत्र काल के दौरान विधायकगण, विभागीय अधिकारी और आगन्तुक अतिथिगण की चर्चा और जलपान के लिए होगा। देवनानी ने राजस्थान विधान सभा सचिवालय और सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में सेन्ट्रल हॉल के लिए रूपरेखा और परिकल्पना पर चर्चा की। विधान सभा भवन के पंचम तल पर बनेगा ऑडिटोरियम, विधान सभा अध्यक्ष देवनानी ने बैठक में विधानसभा भवन के पंचम तल पर ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य आरम्भ करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। देवनानी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत ड्रॉईंग का अवलोकन किया और इस कार्य की अनुमानित लागत व निर्माण समयावधि पर चर्चा की। देवनानी ने इस कार्य को अधिकतम एक वर्ष में पूर्ण करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। देवनानी ने कहा कि इस ऑडिटोरियम का उपयोग युवा संसद, राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ द्वारा आयोजित कार्यशाला, सेमिनार, बैठक और संगोष्ठियों के साथ पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के लिए किया जायेगा। श्री देवनानी ने बताया कि भविष्य में यदि विधान परिषद का निर्माण होता है तो यह ऑडिटोरियम उसके लिए उपयोग में लिया जा सकेगा। विधान सभा के ऐतिहासिक भवन की सुन्दरता बनाये रखने के होंगे निरन्तर प्रयास स्पीकर देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधान सभा का भवन भारत के सबसे आधुनिक विधानमंडल परिसरों में से एक है। भवन के बाहरी हिस्से में राजस्थान की प्रसिद्ध पारंपरिक विशेषताओं वाले जोधपुर और बंसी पहाड़पुर पत्थर में झरोखे, छतरियां, कमानी, बारादरी, मेहराब, तोडिय़ां आदि लगी हुई हैं। आंतरिक प्रवेश कक्षों की दीवारों और छतों को भी जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़ और मेवाड़ की पारंपरिक कलाओं से सजाया गया है। देवनानी ने कहा कि इस ऐतिहासिक धरोहर की सुन्दरता को बनाये रखने के लिए साफ-सफाई और सुरक्षा के निरन्तर प्रयास किये जाए। देवनानी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसके लिए निम्नतम व्यय पर पर्याप्त व्यवस्था की जावे। बैठक में विधान सभा और सार्वजनिक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे।
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Wednesday, 3 December 2025
3 लाख रूपये से ज्यादा का दान कर अजमेर के समाजसेवी कालीचरण खण्डेलवाल अपना 85 वां जन्मदिन मनायेगें।
अजमेर के प्रमुख समाजसेवी और शिवचरण दास खंडेलवाल 4 दिसम्बर को सेवाभाव से अपना 85 वां जन्मदिन मनायेंगे। खंडेलवाल मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल का जन्मदिन मनाने के लिए खंडेलवाल के प्रशंसकों ने कोटड़ा के दाहर सेन स्मारक के निकट जय अम्बे सेवा समिति द्वारा संचालित वृद्धाश्रम और नागफणी स्थित आनन्द गोपाल गौशाला में विशेष प्रबन्ध किए है। अपनी सेवा भाव की भावना के अनुरूप खंडेलवाल ने जन्मदिन पर 2 लाख 11 हजार रुपये वृद्ध आश्रम और एक लाख रुपए गोशाला को दान देने की घोषणा की है। खंडलेवाल का कहना रहा कि उनका पूरा जीवन सेवा को समर्पित है। इसलिए वह अपना जन्मदिन वृद्धाश्रम में बेसहारा लोगों के बीच मना रहे है। 4 दिसम्बर को सुबह साढ़े दस बजे कोटडा के वृद्धाश्रम में सादगी पूर्ण तरीके से जन्मदिन मनाया जाएगा। इस अवसर पर भजन गायक अशोक तोषनीवाल राधा-कृष्ण के भजनों की प्रस्तुति भी देगें। खंडेलवाल का कहना रहा कि आश्रम में रह रहे 89 बेसहारा लोगों के चेहरे पर जो खुशी देखने को मिलेगी वही उनके जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार होगा। इसी प्रकार गौशाला में गायों को जब वे हरा चारा और गुड़ खिलायेगें तो उन्हें जीवन का परम सुख प्राप्त होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि गौशालाओं के प्रति खंडेलवाल शुरू से ही संवेदनशील रहे है। मकर संक्राति के दिन गांधी भवन चौराहे पर बैठकर गौ माता के लिए धन संग्रह करते है हालांकि खंडेलवाल का दवाओं का बड़ा कारोबार है लेकिन गौ माता के संरक्षण के लिए वे चौराहे पर बैठने को भी तत्पर रहते है। वृद्धाश्रम और गौशालाओं का सहयोग करने में खंडेलवाल, पीछे नहीं रहते । यही वजह है कि कोटडा के वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गो के लिए लिफ्ट तक की सुविधा है। यहां एक सामान्य घर से भी ज्यादा सुविधाएं बुजुर्गो को उपलब्ध करवायी जा रही है। खंडेलवाल के सहयोगी उमेश गर्ग ने बताया कि खंडेलवाल दो बार अखिल भारतीय खंडेलवाल वैश्य महासभा के अध्यक्ष रह चुके है। महासभा का अध्यक्ष रहते हुए उन्होनें देश भर में खंडेलवाल परिवारों को एकजुट करने को काम किया। महासभा के कामकाज को न केवल पारदर्शी बनवाया बल्कि जरूरतमंद परिवारों की मदद भी की। आज भी अजमेर में अनेक जरूरतमंद परिवारों को प्रतिमाह खाद्य साम्रगी का पैकेट उपलब्ध करवा रहे है। मोबाइल नम्बर 9414003357 पर कालीचरण खंडेलवाल को जन्मदिन की बधाई दी जा सकती है।
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जगदीप धनखड़ और सी.पी. राधाकृष्णन के राज्यसभा का सभापति होने में बहुत अन्तर है। चेहरा भावशून्य लेकिन असरदार । काशी में पूजा-अर्चना के बाद मासांहार छोड़ा। यह पीएम मोदी के लिए बड़ी बात है।
यूं तो सीपी राधाकृष्णन ने 12 सितम्बर 2025 को देश के , उपराष्ट्रपति का पद संभाल लिया था, लेकिन 1 दिसम्बर को यह पहला अवसर रहा, जब राज्यसभा के सभापति के तौर पर राधाकृष्णन को अपनी भूमिका प्रकट करनी पड़ी। राधाकृष्णन से पहले जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति के नाते राज्यसभा के सभापति थे। धनखड ने कोई तीन वर्ष तक सभापति की कुर्सी पर बैठकर राज्यसभा का संचालन किया। अब जगदीप धनखड़ और राधाकृष्णन की भूमिका की तुलना की जा सकती है। भले ही विपक्ष संसद के शीत कालीन सत्र में हंगामा कर रहा हो, लेकिन राधाकृष्णन अपनी प्रभावी भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड रहे है। धनखड़ को जहां पक्ष-विपक्ष के मुद्दे पर हर बार टिप्पणी करते देखा गया वही राधाकृष्णन किसी भी मुद्दे पर अपनी ओर से कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। एक दिसम्बर को संसद के पहले दिन ही विपक्ष के सांसदों ने जब राधाकृष्णन पर सीधे तौर से टिप्पणी की, तब भी उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा से राधाकृष्ण न तो गदगद हुए और न ही विपक्ष की आलोचना पर कोई नाराजगी दिखायी। पहले दिन राधाकृष्ण ने सभी राजनैतिक दलों के नेताओं की बात को ध्यान से सुना। शून्यहीन चेहरा बता रहा था कि राधाकृष्णन की राज्यसभा में उपस्थिति बहुत असरदार है। हालांकि राधाकृष्णन पूर्व में दो बार तमिलनाडू के कोयंबबर से सांसद रह चुके है और उन्हें लोकसभा में बैठने का अनुभव है। लेकिन यह पहला मौका है जब वे सीधे संसद में राज्यसभा के सभापति की कुर्सी पर आसीन हुए है। पिछले दो दिनों की राज्य सभा की कार्यवाही में राधाकृष्णन ने हंगामे पर सांसदों को कोई उपदेश भी नहीं दिया। यदि सांसद खासकर विपक्ष के सांसद सदन नहीं चलाना चाहते है, तो राधाकृष्णन को सदन चलाने में कोई रुचि नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि सांसद चाहेगें तो ही संसद चलेगी। बिना कोई टिप्पणी किये बिना राज्य सभा को स्थगित करने से जाहिर है कि राधाकृष्णन कम बोलकर भी अपनी प्रभावी भूमिका प्रकट कर रहे है। जिन पाठकों को जगदीप धनखड़ की राज्यसभा में भूमिका याद है, उन्हें साफ लगेगा कि धनखड और राधाकृष्णन में बहुत अंतर है। राधाकृष्णन को यह पता है कि राज्यसभा में हर सदस्य का एजेंडा उसके राजनैतिक दल के अनुरूप है इसलिए यदि वे सांसदों को शांत रहने की सलाह भी देगें तो उसका असर नहीं होगा।
मासांहार छोड़ा -
1 दिसम्बर को प्रथम दिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यसभा में में राधाकृष्णन के राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक और धार्मिक, पृष्ठभूमि की जानकारी दे रहे थे तभी पीएम मोदी ने बताया कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद राधाकृष्णन ने मेरे संसदीय क्षेत्र वाराणासी में काशी विश्वनाथ के मंदिर में पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना के साथ ही राधाकृष्णन ने मासांहार छोड़ने का संकल्प लिया। मेरे लिए बड़ी बात है कि राधाकृष्णन जी ने मेरे संसदीय क्षेत्र में मासांहार छोड़ने का संकल्प किया है। पीएम ने कहा कि मैं मासांहार वालों का आलोचक नहीं हूं, लेकिन जीवन में सात्विकता का बहुत असर होता है।
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इस्लाम के जिहाद को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाए -महमूद मदनी जिहाद यदि इतनी ही अच्छी शिक्षा देता है तो फिर इस्लाम के नाम पर हिन्दुओं की हत्याएं क्यों की जाती है?
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना मेहमुद् मदनी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि इस्लाम के जिहाद को भारत में स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होनें कहा में जिहाद एक धार्मिक और पवित्र शब्द है जो परस्पर सद्भाव की शिक्षा देता है। जिहाद की आलोचना करने वाले इस्लाम के दुश्मन ही नहीं गद्दार है। उन्होंने कहा कि जिहाद की सही तरीके से व्याख्या नहीं हो रही ही। महमूद मदनी का यह बयान कितना सही है यह तो पडोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रही अंतकवादी घटनाओं से समझा जा सकता है। ये दोनों देश इस्लामिक है, लेकिन यहां मुसलमान, मुसलमान को ही मार रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी धर्म मे यदि कोई अच्छी बात है तो, उसे हर धर्म के अनुयायी ग्रहण करते है। अब यदि महमूद मदनी की नजर में इस्लाम का जिहाद सद्भावना वाला है तो सवाल उठता है कि भारत में कट्टरपंथी सोच के मुसलमान निर्दोष हिन्दुओं की हत्याएं क्यों कर रहे है? विगत दिनों कश्मीर के पहलगाम में आंतकवादियों ने धर्म पूछकर 26 हिन्दुओं पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना में इस्लाम को मानने वाले आंतकियों ने स्पष्ट कहा कि हम सिर्फ हिन्दुओं को ही मारने आए है। ऐसे आंतकियों ने इस्लामिक जिहाद की भी दुहाई दी। इन दिनों पूरे देश में हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी की चर्चा हो रही है। इस यूनिवर्सिटी से जुड़े ऐसे डाक्टरों का भंडा फोड हुआ है जो जिहाद के नाम पर देश भर में आतंकी वारदातों की योजना बने रहे थे। गिरफ्तार हुए सभी आरोपी इस्लाम धर्म को मानने वाले है और वे भी इस्लाम के खातिर जिहाद कर रहे थे। जिहाद की दुहाई देकर ही कश्मीर घाटी से 4 लाख हिन्दुओं को प्रताडित कर भगा दिया। आज ऐसे कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह रहे है। जिस जिहाद के नाम पर हिन्दुओं को कश्मीर से भगाया गया अब मदनी को चाहिए कि उनके जिहाद से हिन्दुओं को वापस कश्मीर घाटी में बसाया जाए । महमूद मदनी यह मानते है कि जिहाद परस्पर सदभाव की शिक्षा देता है तो फिर कश्मीरी हिदुओं को वापस बसाया जाना चाहिए। महमूद मदनी की जिहाद की अपनी व्याख्या अपनी जगह है लेकिन दुनिया में एक मात्र सनातन धर्म है जिसमें सभी धर्म के सम्मान की शिक्षा दी जाती है। देश-दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब किसी हिन्दू शासक हिंदू धर्म नहीं अपनाने पर हत्या की हो । जबकि मदनी को भारत में मुगलों के 600 वर्षों के शासन के इतिहास को देख लेना चाहिए। हाल ही में दुनिया भर में गुरु तेग बहादुर जी महाराज की 350 वीं जयन्ती मनायी गई। इतिहास गवाह है कि क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने 24 नवम्बर 1665 को दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेग बहादर जी की गर्दन इसलिए कटवा दी कि उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया था। महमूद मदनी को चाहिए कि वह अपने जेहाद के माध्यम से देश में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने का काम करे।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2025)
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Tuesday, 2 December 2025
सिद्धारमैया ने अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है, इसलिए डीके शिवकुमार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। राजस्थान में भी सचिन पायलट नहीं बन सके मुख्यमंत्री। गांधी परिवार ने दबाव डाला तो अशोक गहलोत की तरह बगावत करेंगे सिद्धारमैया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी के निर्देशों के बाद 29 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नाश्ते पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को आमंत्रित कर लिया। इस नाश्ता बैठक में दोनों के बीच क्या बातें हुई यह तो वह ही जाने, लेकिन हकीकत यह है कि डीके चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन सिद्धारमैया के रहते हुए वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। क्योंकि सिद्धारमैया ने राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत का जूठा पानी पी रखा है। कर्नाटक में भी राजस्थान जैसे हालात है। राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थे और तब हर कांग्रेसी मानता था कि बहुमत मिलने पर पायलट की मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए। सरकार बनने पर पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। यानी उस समय डीके शिवकुमार की तरह सचिन पायलट भी प्रदेशाध्यक्ष होने के साथ साथ डिप्टी सीएम बने थे, लेकिन अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट को न तो प्रदेश अध्यक्ष और न डिप्टी सीएम का काम करने दिया। करीब दो साल बाद ही पायलट ने 18 विधायकों को साथ लेकर दिल्ली में विस्फोट कर दिया। चूंकि डीके शिव कुमार के सामने सचिन पायलट का हश्र है, इसलिए वे दिल्ली में अपने समर्थक विधायकों का कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं करवा रहे। लेकिन वे चाहते हैं कि ढाई ढाई वर्ष के फार्मूले के आधार पर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री का पद उन्हें सौंप दें। अशोक गहलोत की तरह सिद्धारमैया पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें वे तौर तरीके आते हैं, जिनसे सत्ता पर काबिज रहा जाता है। राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं जो ढाई वर्ष बाद चुपचाप सीएम का पद छोड़ दे और फिर सिद्धारमैया ने तो अशोक गहलोत का जूठा पानी पिया है। ऐसे में वे कभी भी मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ेंगे। यदि गांधी परिवार ने ज्यादा दबाव डाला तो सिद्धारमैया भी गहलोत की तरह खुली बगावत करेंगे। सब जानते हैं कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत के स्थान पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनियागांधी ने 25 सितंबर 2022 को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बेठक बुलाई थी। इस बेठक के लिए तब मल्लिकार्जुन खडग़े और अजय माकन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। तब ये दोनों पर्यवेक्षक जयपुर में सीएम हाऊस पर विधायकों का इंतजार करते रहे और अधिकांश विधायक गहलोत के समर्थन में मंत्री शांति धारीवाल के घर पर एकत्रित हो गए। इतना ही नहीं कोई 70 विधायकों ने गहलोत के समर्थन में अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। राजस्थान में गहलोत की बगावत को देखते हुए गांधी परिवार कर्नाटक में ऐसा कोई जोखिम लेना नहीं चाहता। गांधी परिवार सिद्धारमैया की ताकत को जानता है। इसलिए राहुल गांधी का प्रयास है कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार का मामला बेंगलुरु में ही निपट जाए। जानकारों की मानें तो 29 नवंबर को नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार को उन कांग्रेसी विधायकों के नाम बताएं जो सरकार के साथ खड़े हैं। सिद्धारमैया ने बता दिया कि अधिकांश विधायक उनके साथ हैं। ऐसे में यदि विधायक दल की बैठक होती है तो डीके शिवकुमार को मतदान में हार का सामना करना पड़ेगा। नाश्ते की बैठक में सिद्धारमैया ने जो जमीनी हकीकत दिखाई उसी का परिणाम रहा कि डीके शिव कुमार ने मीडिया से कहा कि हम दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है और कांग्रेस हाईकमान जो फैसला करेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। यानी सिद्धारमैया ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
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कांग्रेस को अब राधे राधे बोलने से भी चिढ़। हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बच्चों के राधे राधे बोलने पर सवाल उठाया।
कांग्रेस और उसके नेताओं को अब सनातन धर्म से जुड़े राधे राधे बोलने पर भी चिढ़ हो गई है। यह बात 28 नवंबर को हिमाचल प्रदेश की अस्थायी राजधानी धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मॉर्निंग वॉक के समय प्रदर्शित हुई। चूंकि शीतकाल में हिमाचल की राजधानी शिमला से धर्मशाला हो जाती है, इसलिए कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुक्खू धर्मशाला में ही निवास कर रहे है। 28 नवंबर को मॉर्निंग वॉक के समय सीएम सुक्खू जब एक मंदिर के सामने से गुजरे तो मंदिर के बाहर खड़े बच्चों ने सुक्खू से राधे राधे किया। बच्चों के राधे राधे बोलने पर सीएम ने पूछा कि तुम राधे राधे क्यों बोलते हों? सुक्खू ने जिस अंदाज में राधे राधे बोलने पर सवाल उठाया उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि मुख्यमंत्री को अपने प्रदेश के बच्चों को राधे राधे बोलने पर आपत्ति है। सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस और उसके नेताओं से सनातन धर्म से जुड़े राधे राधे बोलने से इतनी चिढ़ क्यों हैं? जबकि हिमाचल प्रदेश को तो देवभूमि माना जाता है। सनातन धर्म के पौराणिक स्थल हिमाचल में ही है। भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत का बड़ा हिस्सा हिमाचल में ही है। जानकारों की माने तो गत चुनावों में कांग्रेस की जीत पर सुक्खू ने कहा था कि हिमाचल में सनातन के अनुयायियों को हराकर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। तब भी सुक्खू की सनातन विरोधी मानसिकता सामने आई थी। यह सही है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन सनातन विरोधी विचारों के चलते कांग्रेस को देश भर में हार का सामना करना पड़ रहा है। जिस कांग्रेस पार्टी ने देश पर पचास वर्षों से भी ज्यादा समय तक राज किया, वह गत तीन लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हो रही है। देश में हिमाचल सहित सिर्फ तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह गई है। इतनी बुदी दशा के बाद भी कांग्रेस के नेता सनातन धर्म से चिढऩे वाली बातें प्रदर्शित करते हैं। मीडिया में अब सीएम सुक्खू के इस व्यवहार की आलोचना हो रही है, लेकिन सुक्खू ने अभी तक भी अपने कृत्य के लिए खेद प्रकट नहीं किया है।
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सेवन वंडर का टूटना आनासागर के अतिक्रमणकारियों के लिए मुसीबत बना। अब वेटलैंड पर कृषि फार्म भी नहीं चल सकेंगे। सीज संपत्तियों के मालिकों को भी राहत नहीं।
अजमेर के आनासागर झील के वेटलैंड पर बने सेवन वंडर की इमारतों का टूटना अब आनासागर के अतिक्रमणकारियों के लिए मुसीबत बन गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही वेटलैंड पर बने सेवन वंडर की इमारतों को ध्वत कर दिया गया है। इसलिए अब आनासागर के जल संग्रहण क्षेत्र और वेटलैंड पर कृषि फार्म की अनुमति भी नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण के इस तर्क पर सहमति जताई है,इसको लेकर प्राधिकरण से शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई हुई उसके बाद आनासागर के भराव क्षेत्र में अतिक्रमण कारियों और 60 से भी अधिक सीज हुई संपत्तियों के मालिकों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। यानी अब कोई अतिक्रमणकारी अदालत के स्टे के आधार पर अपने अतिक्रमण को बचा नहीं सकता। यह सही भी है कि जब देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश से आनासागर के वेटलैंड पर बने सरकार के सेवन वंडर को तोड़ा जा सकता है, तब किसी अधीनस्थ अदालत का स्टे ऑर्डर आनासागर में हुए अतिक्रमण को बचा नहीं सकता। जिन लोगों ने निचली अदालतों से अपने निर्माणों पर स्टे ले रखे हैं, उन पर भी अब तलवार लटक गई है। प्राधिकरण ने आनासागर की जिस भूमि को जल संग्रहण और वेटलैंड के दायरे में ले रखा है, उस पर अब कोई भी निर्माण नहीं रह सकता। सेवन वंडर की इमारतों की तरह ऐसे निर्माणों को भी तोड़ा जाएगा। इसमें गोविंदम् जैसा समारोह स्थल भी शामिल हैं। गोविंदम समारोह स्थल की होटल को सेवन वंडर से भी आगे आनासागर के अंदर बनी हुई है। जिन 60 से भी अधिक दुकानों, होटलों, शोरूम आदि को पूर्व में सीज किया गया वे भी सेवन वंडर की तरह आनासागर के वेटलैंड या जल संग्रहण भूमि पर बने हुए हैं।
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