23 अक्टूबर को मुस्लिम चरमपंथी संगठन तालिबान का नया फरमान सामने आया है। यह फरमान अफगानिस्तान में रह रहे हिन्दू, सिक्ख और गैर मुसलमानों के लिए है। इस फरमान में कहा गया है कि इन समुदायों के लोग या तो सुन्नी मुसलमान बन जाए या फिर अफगानिस्तान छोड़ दें। तालिबान के इस फरमान से हिन्दू और सिक्ख समुदाय के लोग डरे हुए हैं कि क्योंकि यदि वे सुन्नी मुसलमान नहीं बनेंगे तो तालिबान लड़ाके उनकी हत्या भी कर सकते हैं। अफगानिस्तान में गैर मुस्लिम में सबसे ज्यादा आबादी सिक्ख और हिंदुओं की है। जाहिर है कि अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताडऩा हो रही है, तालिबान अब अफगानिस्तान में गैर मुसलमानों को नहीं रहने देगा। भारत में जो लोग संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं वे बताएं कि अफगानिस्तान के सिक्ख और हिन्दू कहां जाएं। मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आने वाले हिन्दू सिक्ख, जैन, ईसाई और पारसी समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए ही नागरिकता कानून में संशोधन किया गया था, लेकिन दिल्ली के शाहीन बाग में बैठ कर कुछ लोगों ने विरोध किया। महीनों तक जाम रखा गया है, अनेक राजनीतिक दलों ने भी शाहीन बाग के आंदोलन का समर्थन किया। दिल्ली के कुछ गुरुद्वारों से शाहीन बाग में लंगर सेवा भी शुरू की गई। आंदोलनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह को भी नहीं माना। सवाल उठता है कि क्या अफगानिस्तान के हिन्दुओं और सिक्खों को भारत की नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए? अफगानिस्तान से भगाए जाने पर क्या पाकिस्तान जैसा मुस्लिम राष्ट्र सिक्खों और हिंदुओं को नागरिकता प्रदान कर देगा? पड़ोसी देशों में जिस तरह कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है, उसे देखते हुए ही भारत में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया था, लेकिन अफसोस वोटों की राजनीति के चलते ऐसे कानून का विरोध किया गया। तब यह कहा गया कि नए कानून में मुसलमानों को भी शामिल किया जाए। सवाल उठता है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में क्या किसी मुसलमान को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जा सकता है? तालिबान के कब्जे के बाद भी अफगानिस्तान से किसी भी मुसलमानों को नहीं भगाया जा रहा है। यदि नए नागरिकता कानून में मुसलमानों को शामिल किया जाता है तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुसलमान किस नीयत से भारत आएंगे, यह सब को पता है। इस हकीकत को भारत में रहने वाले मुसलमान भी जानते हैं। भारत के मुसलमान भी देख रहे है कि अफगानिस्तान में किस तरह शिया समुदाय की मस्जिदों में नमाज के वक्त बम विस्फोट हो रहे हैं। आतंक की विचारधारा मस्जिद में नमाज पढ़ते लोगों पर भी रहम नहीं कर रही है। आखिर कुछ लोग भारत को अफगानिस्तान क्यों बनाना चाहते हैं? तालिबान के ताजा फरमान से भारत में सीएए कानून का विरोध करने वालों को सबक लेना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-10-2021)
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