राजस्थान में 23 अक्टूबर को पटवारी पद की परीक्षा हुई, इसलिए प्रदेशभर में सुबह 9 बजे से सायं 6 बजे तक इंटरनेट बंद रहा। यह परीक्षा 24 अक्टूबर को भी होनी है, इसलिए लगातार दूसरे दिन भी राजस्थान में नेटबंदी रहेगी। पटवारी परीक्षा में 15 लाख 62 हजार 995 अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। परीक्षा में नकल और पेपर लीक की घटनाओं को रोकने की जिम्मेदार सरकार की है। सरकार के पास खुफिया एजेंसियों से लेकर सुरक्षा बलों तक का बड़ा जाल है। लेकिन फिर भी परीक्षा वाले दिन प्रदेशभर में इंटरनेट बंद करवा दिया जाता है। सवाल उठता है कि क्या सरकार की एजेंसियां नकारा हैं जो इंटरनेट बंद किया जाता है? साम्प्रदायिक तनाव और दंगा फसाद होने के समय झूठी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए नेटबंदी समझ में आती है, लेकिन परीक्षा के दिन नेटबंदी होती है तो यह सरकार की विफलता है। सरकार अपने ऐसे इंतजाम करे जिसमें नकल और पेपर लीक को रोका जा सके। अब जब इंटरनेट आम व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गया है, तब नेटबंदी होने से लोगों को भारी परेशानी होती है। छोटी दुकान से लेकर बड़े शोरूम तक का काम नेट पर ही होता है। इंटरनेट तकनीक कितनी उपयोगी है इसका अंदाजा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी है। पिछले एक वर्ष से सीएम गहलोत अपने सरकारी आवास से ही इसी इंटरनेट तकनीक से सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आम जनता से भी संवाद कर रहे हैं। जब सीएम गहलोत के लिए इंटरनेट तकनीक इतनी उपयोगी है तो फिर परीक्षा की आड़ लेकर बार बार प्रदेश में नेटबंदी क्यों की जाती है? आने वाले दिनों में और भी प्रतियोगी परीक्षा होनी है, मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे परीक्षा के इंतजाम फुलप्रूफ करें ताकि नेटबंदी नहीं हो। सरकार स्वयं अधिकांश काम ऑनलाइन तकनीक से कर रही है। अब यदि सरकार नेटबंदी करती है तो सरकार के कामकाज पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। राजस्थान में दो दिन की नेटबंदी से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-10-2021)
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