कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी राजनीति में कितने सफल रहे, इसको लेकर राजनीतिक विमर्श हो सकता है, लेकिन तकदीर की बात की जाए तो राहुल गांधी का कोई मुकाबला नहीं है। राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी के एक छत्र नेता हैं। 16 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। आशंका थी कि कांग्रेस के स्थायी अध्यक्ष को लेकर बैठक में विवाद होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उल्टे सर्वसम्मति से राहुल गांधी से ही आग्रह किया गया कि वे ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालें। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि वे विचार करेंगे। राजनीतिक दलों में एक कार्यकर्ता ब्लॉक और मंडल अध्यक्ष बनने के लिए वर्षों संघर्ष करता है, लेकिन राहुल गांधी ऐसे नेता है, जिन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ग्रहण करने के लिए बार बार आग्रह किया जा रहा है। वर्किंग कमेटी की बैठक में असंतुष्ट नेताओं के जी 23 समूह सदस्य भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का विरोध नहीं किया, जबकि कल तक ऐसे नेता सवाल उठा रहे थे कि आखिर कांग्रेस को कौन चला रहा है? इसे राहुल गांधी की तकदीर ही कहा जाएगा कि कांग्रेस पार्टी में उनका कोई विकल्प नहीं है और न ही उन्हें कोई चुनौती देने वाला। राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर रहे या नहीं, लेकिन कांग्रेस पार्टी में उन्हीं की चलेगी। सब जानते हैं कि वर्ष 2017 में अपनी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी के स्थान पर ही राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, तभी सभी कांग्रेसी राहुल गांधी से दोबारा से अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह कर रहे हैं। राहुल के इस्तीफे के बाद से अध्यक्ष पद पर उनकी माताजी के पास ही है। भले ही कांग्रेस का अध्यक्ष पद गांधी परिवार में से ही हो, लेकिन कांग्रेस के सभी नेता मानते हैं कि राहुल गांधी ही कांग्रेस का भला कर सकते हैं। यह राहुल गांधी की तकदीर ही है कि कांग्रेस में उनके नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। कांग्रेस पार्टी अपने इतिहास में कई बार टूटी। नेतृत्व को लेकर समय समय पर कई नेता पार्टी छोड़ कर चले गए, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। इस्तीफे के बाद भी पूरी कांग्रेस राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बनाने के लिए आतुर है। असल में राहुल गांधी भी अपनी पार्टी के नेताओं को सबक सिखाना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तब राहुल चाहते थे कि कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष भी इस्तीफा दें, लेकिन किसी ने भी इस्तीफा नहीं दिया। राजस्थान में अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश में कमलनाथ, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद पर बने रहे। हालांकि उस समय तो राहुल गांधी चुप रहे, लेकिन बाद में उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी पीड़ा इजहार किया। भले ही अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफे की पेश नहीं की हो, लेकिन गहलोत मानते हैं कि राहुल गांधी ही भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सकते हैं। 16 अक्टूबर को भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में अशोक गहलोत की योजना के अनुसार राहुल गांधी के नाम पर सर्वसम्मति बनाई गई।
S.P.MITTAL BLOGGER (17-10-2021)
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