Saturday 12 November 2022

85 वर्ष की उम्र में पत्नी की सेवा के साथ साथ लेखन का कार्य भी।गजब का आत्मविश्वास है साहित्यकार विनोद सोमानी हंस में।स्वर्गीय कृष्ण गोपाल गट्टानी को समर्पित की 34वीं पुस्तक, हां कहने का सुख।

अजमेर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार विनोद सोमानी हंस में 85 वर्ष की उम्र में भी गजब का आत्मविश्वास है। इस उम्र में जब अधिकांश लोग दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं, तब विनोद सोमानी जिंदगी को मस्ती से जी रहे हैं। 12 नवंबर को सोमानी ने अपनी नवीनतम पुस्तक हाँ कहने का सुख, मुझे भेजी तो बात करने का अवसर भी मिला। मैंने जानना चाहा कि 85 वर्ष की उम्र में लेखन का कार्य कैसे कर लेते हो, तो सोमानी ने तपाक से कहा-लिखने से ही ताकत मिलती है। मैं सिर्फ लिखता ही नहीं बल्कि अपनी बीमार पत्नी की सेवा भी पूरी शिद्दत के साथ करता हंू। पत्नी की सेवा का ही फल है कि मैं 85 वर्ष की उम्र में भी अपनी 34वीं पुस्तक लिख पाया। हां कहने का सुख शीर्षक से ही प्रतीत होता है कि जीवन में सकारात्मक जरूरी है। सकारात्मकता होगी तो जीवन मस्ती से भरा होगा। यह पुस्तक  मैंने इसलिए भी लिखी है कि ताकि मनुष्य के जीवन में तनाव कम हो। इस पुस्तक के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9351090005 पर विनोद सोमानी से हंस से ली जा सकती है।
 
प्रभावी व्यंग्य:
सोमानी की पुस्तक की समीक्षा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी और सुप्रसिद्ध साहित्यकार फारुख अफरीदी ने लिखी है। फारुख अफरीदी ने लिखा है, हां कहने का सुख हिंदी में सोमानी की पहली व्यंग्य कृति है। इसमें 38 व्यंग्य आलेख हैं। इससे पहले सोमानी पांच छंद तीस राजस्थानी भाषा में व्यंग्य लिख चुके हैं। सोमानी ने मानव जीवन की व्यथा कथा, आडंबरों पर प्रहार, मनुष्य के दोगलेपन, कथनी और करनी में अंतर, साहित्य क्षेत्र की विडंबनाओं, मनुष्य की इच्छाएं, जोड़ तोड़ और जुगाड़, मानवीय गुणों-अवगुणों के हास्य व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से चुटीले अंदाज में प्रस्तुत किया है।

स्वर्गीय गट्टानी को समर्पित:
विनोद सोमानी हंस के पुत्र चार्टेट अकाउंटेंट डॉ. श्याम सोमानी ने बताया कि उनके पिता द्वारा लिखित यह पुस्तक उद्योगपति और समाजसेवी स्वर्गीय कृष्ण गोपाल गट्टानी को समर्पित की जा रही है।  गट्टानी  सांभरलेक के 1971 में उदयपुर आ कर बसे। उदयपुर में बजाज ग्रुप से जुड़ने के बाद रिलायंस ग्रुप में बड़े पदों पर काम किया।  गट्टानी को राष्ट्रीय स्तर पर उद्योग रत्न अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।  गट्टानी  ट्रस्ट के माध्यम से अनेक गरीब विद्यार्थियों को आज आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। कोई युवा धन के अभाव में शिक्षा से वंचित न रहे इसका हमेशा ध्यान रखा जाता है। विकेंद्रीकरण के पक्षधर कृष्ण गोपाल  गट्टानी  ने अपने जीवन काल में ही व्यवसाय की जिम्मेदारी अपने पुत्र नीरज और निखिल को सौंप दी। आज उनकी पुत्रवधू  श्रीमती श्रद्धा एवं श्रीमती संगीता भी अपने अपने क्षेत्र के व्यवसाय को संभाल रही हैं। स्वर्गीय  गट्टानी  को यह पुस्तक समर्पित करते हुए सोमानी परिवार को गर्व की अनुभूति हो रही है। श्याम सोमानी ने बताया कि इस पुस्तक का प्रकाशन जयपुर स्थित साहित्यगार के द्वारा किया गया है। पुस्तक को मोबाइल नंबर 9314202010 पर फोन कर भी मंगाया जा सकता है। यह पुस्तक अमेजन और फ्लिपकार्ट के माध्यम से भी मंगाई जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-11-2022)
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