सब जानते हैं कि राजेंद्र गुढा उन विधायकों में शामिल है जो बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब गुढा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस की राजनीति में पावर फुल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गुढ़ा को उम्मीद थी कि गहलोत ने प्रदेश का गृहमंत्री बना देंगे, लेकिन गहलोत ने गुढा को सिर्फ सैनिक कल्याण विभाग का राज्यमंत्री ही बनाया। अब जब गहलोत सरकार का मात्र एक वर्ष का कार्यकाल रह गया है, तब गुढा को लगता है कि अशोक गहलोत ने सारी पावर केंद्रीत कर रखी है और सरकार के मंत्री रो रहे हैं। खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की मांग का समर्थन करते हुए गुढा ने आईएएस की एसीआर मंत्रियों से भरवाने पर सहमति जताई। लेकिन अब गुढा को लगता है कि अशोक गहलोत सही नीयत से काम नहीं कर रहे हैं। सीएम गहलोत के पास पूरी पावर है, इसीलिए तो अनुशासनहीनता के आरोपी आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा की तैयारियों का मुखिया बना रखा है। 8 नवंबर को भी राठौड़ ने अलवर जिले में यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया। राहुल की यात्रा अलवर से ही राजस्थान से विदा लेगी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही राठौड़ ने झालावाड़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर जाकर यात्रा का जायजा लिया। यात्रा 3 दिसंबर को झालावाड़ से ही राजस्थान में प्रवेश करेगी। यदि गहलोत पावर फुल नहीं होते तो धर्मेन्द्र राठौड़ को यात्रा की तैयारियों का प्रमुख नहीं बनाते। राठौड़ को राहुल गांधी की यात्रा का मुखिया तब बनाया गया है, जब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने धर्मेन्द्र राठौड़ सहित तीन मंत्रियों पर अनुशासनहीनता की कार्यवाही करने की मांग की है। मालूम हो कि 25 सितंबर को समानांतर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने के आरोप में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने धर्मेन्द्र राठौड़ के साथ साथ मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी को भी पार्टी का अनुशासन तोड़ने का नोटिस दिया। उम्मीद की जा रही है कि इन तीनों से मंत्री पद छीन लिया जाएगा, लेकिन उल्टे सीएम गहलोत ने धर्मेन्द्र राठौड़ को यात्रा की तैयारियों की जिम्मेदारी सौंप दी। सीएम गहलोत ने यह दिखाने की भी कोशिश की है कि राहुल गांधी की यात्रा की तैयारियों की जिम्मेदारी उन्हीं की है। इसमें सचिन पायलट के समर्थकों का कोई सहयोग नहीं लिया जाएगा। ये वो ही धर्मेन्द्र राठौड़ हैं जिन्होंने हाल ही में पायलट समर्थक विधायकों पर भाजपा से पैसा लेने का आरोप लगाया है। यानी जो नेता और मंत्री पायलट की सबसे ज्यादा आलोचना करेगा, वह मंत्री नेता अशोक गहलोत का सबसे ज्यादा पसंदीदा होगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण धर्मेन्द्र राठौड़ है। राठौड़ विधानसभा का अगला चुनाव अजमेर जिले के पुष्कर से लड़ना चाहते हैं। इसके लिए राठौड़ ने पुष्कर में पूरी ताकत भी लगा रखी है, लेकिन सवाल उठता है कि सचिन पायलट की आलोचना करते रहने के बाद क्या धर्मेन्द्र राठौड़ कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत सकते हैं, जबकि पायलट गुट की पूर्व विधायक नसीम अख्तर और उनके पति इंसाफ अली ने राठौड़ के विरोध का झंडा बुलंद कर रखा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-11-2022)
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