राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन और चार नवंबर को हाड़ौती के बारां जिले के दौरे पर रहे। सीएम के दौरे की सभी तैयारियां जिले के विधायक और प्रदेश के खान व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया के जिम्मे रही। भाया ने ही सीएम के कार्यक्रम तय किए। इन्हीं दो दिनों में हाड़ौती के सांगोद के कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने सीएम गहलोत को पत्र लिखा। भरत सिंह ने पहले भी खान मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुके हैं। इस बार भी पत्र में भरत सिंह ने लिखा मुख्यमंत्री जी, भाया की माया के सामने अपने मुझे चित कर दिया। किसी ने सही कहा है कि जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन। भरत सिंह का यह कथन सीएम गहलोत पर बड़ा राजनीतिक हमला है। अब तक भरत सिंह मंत्री प्रमोद भाया पर ही हमला करते थे, लेकिन इस बार सीधे मुख्यमंत्री को भी निशाने पर ले लिया है। यदि भरत सिंह के माया और अन्न वाले कथनों का अर्थ निकाला जाए तो खान के भ्रष्टाचार की डोर मुख्यमंत्री तक बंधी है। देखना होगा कि भरत सिंह के पत्र पर गहलोत की क्या प्रतिक्रिया होती है। पत्र में भरत सिंह ने झोपडिय़ा गांव को बारां से हटा कर कोटा जिले में शामिल करने की मांग भी दोहराई है। भरत सिंह का कहना है कि सीएम गहलोत विधायकों के बताए काम करने का दावा करते हैं, लेकिन वही उनकी छोटी सी मांग स्वीकार नहीं की जा रही है। झोपडिय़ां गांव कोटा की सीमा से सटा हुआ है और अधिकांश गांव वाले भी कोटा में शामिल होना चाहते हैं। असल में झोपडिय़ां में पत्थर की खाने हैं, जिन पर प्रमोद जैन भया का वर्चस्व है। भाया के वर्चस्व को खत्म करने के लिए ही झोपडिय़ां को कोटा में शामिल करने की मांग हो रही है। चूंकि झोपडिय़ां को कोटा में शामिल नहीं किया जा रहा है, इसीलिए भरत सिंह सीएम को लिखे पत्र में कह रहे है जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने हाड़ौती का दौरा किया था, तब भरत सिंह से बंद कमरे में वार्ता की। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत की कार्यशैली को लेकर मंत्री और कांग्रेस के विधायक प्रतिकूल बयान देते रहते हैं। हाल ही में प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने आईएएस की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को देने की मांग की है। अभी एसीआर भरने का काम मुख्यमंत्री कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिष्ठा फिर दांव पर:
चुनाव आयोग ने 5 नवंबर को राजस्थान के सरदारशहर के विधानसभा उपचुनाव की घोषणा भी कर दी है। आयोग के अनुसार आगामी 5 दिसंबर को मतदान होगा और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही चूरू जिले में आचार संहिता लागू हो गई है। उप चुनाव की घोषणा के साथ ही एक बार फिर प्रदेश में गहलोत सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। यह सीट कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण रिक्त हुई है। इस सीट पर दिवंगत शर्मा के परिवार के सदस्यों को ही कांग्रेस अपना उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन कांग्रेस में जो आंतरिक विरोध चल रहा है उसे देखते हुए चुनाव सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण है।
सरकार की प्रतिष्ठा फिर दांव पर:
चुनाव आयोग ने 5 नवंबर को राजस्थान के सरदारशहर के विधानसभा उपचुनाव की घोषणा भी कर दी है। आयोग के अनुसार आगामी 5 दिसंबर को मतदान होगा और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही चूरू जिले में आचार संहिता लागू हो गई है। उप चुनाव की घोषणा के साथ ही एक बार फिर प्रदेश में गहलोत सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। यह सीट कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण रिक्त हुई है। इस सीट पर दिवंगत शर्मा के परिवार के सदस्यों को ही कांग्रेस अपना उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन कांग्रेस में जो आंतरिक विरोध चल रहा है उसे देखते हुए चुनाव सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-11-2022)
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