राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में 26 अक्टूबर को नगरीय विकास के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को जयपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के समक्ष उपस्थित होना है। यह माना जा रहा है कि प्राथमिक पूछताछ के बाद धारीवाल को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस मामले में नगरीय विकास के उपसचिव रहे निष्काम दिवाकर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि पूर्व प्रमुख शासन सचिव जी एस संधु फरार चल रहे हंै। धारीवाल पहले ही कह चुके है कि कांग्रेस के शासन में उनके पास पांच प्रमुख विभाग थे और सैकड़ों फाइले रोजाना हस्ताक्षर के लिए आती थीं। ऐसे में फाइलों को पूरी तरह पढ़ नहीं पाते थे। यानि एकल पट्टा प्रकरण में धारीवाल अपनी गलती को स्वीकार कर रहे हंै। ऐसी स्थिति में यह माना जा रहा है कि धारीवाल 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किए जा सकते हैं। यदि धारीवाल गिरफ्तार होते हंै तो राजस्थान में कमजोर पड़ी कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को 26 अक्टूबर को जयपुर में रहने के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस की रणनीति के मुताबिक यदि धारीवाल गिरफ्तार हुए तो बड़े नेताओं को आगे कर गिरफ्तारी के बाद जयपुर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद जिला मुख्यालयों पर भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू हो जाएंगे। यानि कांग्रेस को भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का एक मुद्दा मिल जाएगा। इससे कांग्रेस के बिखरे पड़े नेता एकजुट होंगे।
सरकार में असमंजस :
एसीबी के डीजी नवदीप सिंह चाहे कितना भी दावा करें कि उनकी जांच सरकार के इशारे और दबाव में नहीं हो रही, लेकिन सब जानते हैं कि यदि सीएम वसुंधरा राजे के निर्देश होंगे तो ही धारीवाल को गिरफ्तार किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक धारीवाल की गिरफ्तारी को लेकर सरकार में असमंजस की स्थिति है। एक वर्ग का यह मानना है कि यदि एकल पट्टा प्रकरण में भ्रष्टाचार बताकर धारीवाल को गिरफ्तार किया जाता है तो फिर बहुचर्चित खान आवंटन के भ्रष्टाचार के मामले में भी सरकार पर दबाव पड़ेगा। खान विभाग के भ्रष्टाचार के मामले में प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी सहित आठ अधिकारी और दलाल जेल में पड़े हुए हैं। खान विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर अंगुली उठाई जा रही है। राजे ने खान विभाग में राज्यमंत्री की नियुक्ति कर रखी है इसलिए केबिनेट मंत्री के अधिकार खुद वसुंधरा राजे के पास हैं। खान विभाग के भ्रष्टाचार की जांच भी एसीबी ही कर रही है। यहां यह लिखना जरूरी है कि धारीवाल ने अपने कार्यकाल में ही एकल पट्टा निरस्त कर दिया था जबकि खान विभाग में तो छापामार कार्यवाही कर ढाई करोड़ नकद बरामद किए हैं। ऐसे में एसीबी को दोनों प्रकरणों में भेदभाव करना भारी पड़ सकता है।
नवदीप सिंह और कांग्रेस :
एसीबी के कामकाज के जानकारों का मानना है कि डीजी नवदीप सिंह जरूरत से ज्यादा एकल पट्टा प्रकरण में रूचि दिखा रहे हैं। नवदीप सिंह की पत्नी कांग्रेस के गत शासन में कांग्रेस की विधायक रही थी। हालाकि नवदीप सिंह पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पत्नी का कांग्रेसी विधायक होने की वजह से उनके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता है। एसीबी की जांच कानून के दायरे में ही होती है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
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