सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड। इस सरकारी संस्था का गठन इसलिए किया गया, ताकि कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों की रक्षा हो सके। कोई कंपनी निवेशकों की जमा राशि को हड़पने नहीं। निवेशकों के हितों की रक्षा के साथ साथ सेबी का कार्य प्रतिभूति यानी सिक्यूरिटीज बाजार का विकास भी करना है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सेबी के कुछ अधिकारियों की वजह से सहारा इंडिया के 6 करोड़ 27 लाख निवेशकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सेबी की अड़ंगेबाजी से सहारा इंडिया का देशभर में कारोबार चौपट हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी सहारा इंडिया अपने निवेशकों के बीच खड़ा है। आठ वर्ष पहले तक छोटी छोटी बचत योजनाओं में देशभर सहारा इंडिया का एक छात्र राज था। ड्यूटेड पर अधिकांश निवेशक भुगतान लेने के बजाए राशि को पुन: सहारा की निवेश योजनाओं में जमा कराते रहे। यह निवेशकों का सहारा पर भरोसा ही था कि देश में 6 करोड़ 27 लाख निवेशक जुड़ गए। सहारो ने देशभर में सामाजिक सरोकारों को भी निभाया। इसका फायदा सहारा समूह से जुड़ी कंपनियों के कर्मचारियों को भी मिला। लेकिन रियल एस्टेट और हाउसिंग से जुड़ी दो कंपनियों को लेकर सेबी के साथ जो विवाद हुआ, वह आज तक थमा नहीं है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक में पहुंच गया है। सहारा के प्रमुख सुब्रत राय दिल्ली की तिहाड़ जेल में रह आए। सेबी ने सहारा से जमा राशि भी छीन ली। अब सेबी के पास सहारा की ब्याज सहित 24 हजार करोड़ रुपए की राशि जमा है। सेबी ने अखबारों में विज्ञापन देकर निवेशकों से जमा राशि लेने की अपील की। सेबी ने अब तक सिर्फ 125 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया है। इससे प्रतीत होता है कि अब जमा राशि वापस लेने का कोई दावा सेबी के पास नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि सेबी के पास 24 हजार करोड़ रुपए की जो राशि है, उसे सहारा इंडिया को वापस क्यों नहीं किया जाता? यदि यह राशि वापस मिल जाए तो सहारा इंडिया अपने निवेशकों को ब्याज सहित भुगतान कर सकती है। सेबी को सहारा के निवेशकों के हितों की इतनी चिंता है तो उसे सहारा के साथ मिलकर निवेशकों को भुगतान करवाना चाहिए। सहारा का 24 हजार करोड़ रुपया अपने पास रख कर सेबी के अधिकारी निवेशकों की मदद करने के बजाए निवेशकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सेबी को यह भी समझना चाहिए कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय, विजय माल्या, नीरव मोदी आदि की तरह बैंकों का पैसा लेकर देश से भाग नहीं है और न ही आदर्श को-ऑपरेटिव की तरह जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी की है। सहारा का प्रबंधन अभी भी निवेशकों की पाई पाई का भुगतान करने को तैयार है। 8 वर्ष पहले सहारा के देशभर में 13 लाख कर्मचारी थे, लेकिन अब पांच लाख कर्मचारी अधिकारी ही रह गए हैं। ऐसे कर्मचारियों की बदौलत ही सहारा के निवेशक सेबी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के निवेशक तो स्वयं को लुटा हुआ मान रहे हैं, जबकि सहारा के निवेशकों को जमा राशि मिलने की पूरी उम्मीद है। देशभर के 6 करोड़ 27 लाख निवेशकों का मानना है कि सहारा के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए। जब पीएम मोदी यश बैंक के जमाकर्ताओं की मदद कर सकते हैं, तब सहारा के निवेशकों की क्यों नहीं? यदि सेबी की अड़ंगेबाजी हट जाए तो सहारा के निवेशकों को जमा राशि का भुगतान मिल सकता है। सहारा इंडिया के निवेशकों के बारे में और अधिक जानकारी अजमेर के रीजनल मैनेजर दिनेश पारीक मोबाइल नंबर 9214064410, जोधपुर के जोनल एडवाइजर हीरा सिंह रावत मोबाइल नंबर 9414003810, फील्ड मैनेजर अरविंद गर्ग मोबाइल नंबर 9414212827 व विजय सिंह गहलोत मोबाइल नंबर 9414003779 से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-02-2022)
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