Sunday, 31 August 2025
भजन सरकार सिलेक्ट थानेदारों के साथ ही खड़ा दिखना चाहती है, इसलिए विधि मंत्री पटेल ने कहा-एसआई भर्ती परीक्षा रद्द नहीं हुई है। अंग्रेजी में लिखा हाईकोर्ट का आदेश सरकार को समझ नहीं आ रहा-एके जैन। सबसे पहले आरपीएससी की सदस्य संगीता और मंजू से इस्तीफा लेना चाहिए।
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश समीर जैन ने 28 अगस्त को अपने एक आदेश से विवादित एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द करने को कहा। कोर्ट के इस आदेश पर न्यूज चैनलों और अखबारों में परीक्षा रद्द होने की खबरें भी प्रकाशित हुई। ऐसी खबरों के बाद हाईकोर्ट ने यह नहीं कहा कि मीडिया में गलत खबरें आ रही है, लेकिन 30 अगस्त को जोधपुर में प्रदेश के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि हाईकोर्ट ने एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने का आदेश ही नहीं दिया है। कोर्ट ने तो सरकार को पूरे प्रकरण में ऑब्जर्वेशन करने के लिए कहा है। सरकार अब कोर्ट के आदेश के अंतर्गत ही अध्ययन का काम करवा रही है। असल में भजन सरकार सलेक्टर थानेदारों के साथ खड़ा देखना चाहती है, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी विधि मंत्री कह रहे है कि भर्ती परीक्षा रद्द नहीं हुई है। कोर्ट में भी सुनवाई के दौरान सरकार का रुख सिलेक्ट थानेदारों के पक्ष में रहा। सरकार ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि परीक्षा को रद्द नहीं किया जाए, क्योंकि एजेंसियों की जांच में सभी सलेक्ट थानेदारों को नकलची या परीक्षा से पूर्व प्रश्न हासिल करने वाला नहीं माना। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने 859 पुलिस सब इंस्पेक्टर का चयन किया था। इसी आधार पर पुलिस महकमे ने चयनित युवाओं को ट्रेनिंग भी दी। यहां तक कि ट्रेनिंग के बाद इन थानेदारों को संबंधित जिलों में नियुक्ति भी दे दी गई, लेकिन इस बीच जांच में पाया गया कि कुछ थानेदारों ने परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र हासिल कर लिया था। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने 55 थानेदारों के साथ ही पचास से भी ज्यादा अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया। सरकार का कहना रहा कि सलेक्ट 859 में से 55 थानेदारों ही बेईमान पाय गए है, इसलिए परीक्षा को रद्द कर शेष 8 सौ सलेक्ट थानेदारों को सजा नहीं दी जा सकती। हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार के इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया और पूरी परीक्षा को ही रद्द कर दिया।
आदेश समझ नहीं आ रहा:
प्रदेश के जाने माने कानूनविद और हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील एके जैन ने विधि मंत्री पटेल के बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हाईकोर्ट का आदेश सरकार को समझ नहीं आ रहा है। जैन ने कहा कि यह आदेश अंग्रेजी में है, इसलिए विधि मंत्री को समझ नहीं आ रहा है। जैन ने कहा कि विधि मंत्री को ऐसा बेतुका बयान देने से पहले अपने विभाग के अधिकारियों और हाईकोर्ट में नियुक्त महाधिवक्ता से आदेश को समझना चाहिए था। यदि प्रदेश के विधि मंत्री इस तरह के बयान देंगे तो फिर प्रदेश में कानून की सुरक्षा कैसे हो पाएगी? जैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने परीक्षा को रद्द करने के स्पष्ट आदेश दिए है। अब यदि सरकार इस परीक्षा को रद्द नहीं करती है तो यह न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी। सरकार चाहे तो हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील कर सकती है।
इस्तीफा ले:
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में परीक्षा लेने वाले राज्य लोक सेवा आयोग पर भी गंभीर टिप्पणी की है। परीक्षा का पेपर लीक करने और फिर इंटरव्यू में गड़बड़ी करने के मामले में कोर्ट ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष संजय क्षोत्रिय सदस्य बाबूलाल कटारा, रामूराम रायका के साथ सााि मौजूदा सदस्य श्रीमती संगीता आर्य और श्रीमती मंजू शर्मा को भी जिम्मेदार माना है। सरकार को सबसे पहले मौजूदा सदस्य संगीता और मंजू से इस्तीफा लेना चाहिए। सरकार के पास इस्तीफा लेने के लिए हाईकोर्ट के आदेश का आधार है। वैसे तो हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी के बाद इन दोनों महिला सदस्यों के नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन जब दोनों सदस्य इस्तीफा नहीं दे रहे, तब सरकार को इस्तीफे के लिए दबाव बनाना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (31-08-2025)
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