Wednesday 28 December 2016

#2091
बहस पर नौटंकी कर रही है कांग्रेस और भाजपा।
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जी टीवी के राजस्थान न्यूज चैनल पर 27 दिसंबर की रात 8 बजे न्यूूज-व्यूज का एक कार्यक्रम प्रसारित हुआ। इस कार्यक्रम में मैंने भी भाग लिया। इस लाइव कार्यक्रम का मुद्दा राजस्थान में भाजपा की सरकार के तीन वर्ष की उपलब्धियों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में बहस कराना था। असल में प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कांग्रेस को चुनौती दी थी कि सरकार ने तीन वर्ष में काम किया है या नहीं, इस पर मैं बहस के लिए तैयार हूं। सब जानते हैं कि भाजपा की राजनीति में कटारिया मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी पुराने हैं। यही वजह है कि सीएम राजे भी कटारिया का बहुत सम्मान करती हैं। मैं यह बात अपने अनुभव से कह सकता हंू कि बहस के लिए कांग्रेस को आमंत्रित करने से पहले कटारिया ने सीएम राजे से भी नहीं पूछा होगा। इससे ही कटारिया की वरिष्ठता का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन कटारिया के बहस के प्रस्ताव को कांग्रेस ने गंभीरता से नहीं लिया। एक बार पार्षद चुनी गई कांग्रेस की प्रवक्ता श्रीमती अर्चना शर्मा 27 दिसंबर को जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब पर टेबल कुर्सी लगाकर बैठ गई। कहा गया कि मैं बहस के लिए कटारिया का इंतजार कर रही हूं। सवाल उठता है कि क्या कटारिया जैसे स्तर का नेता अर्चना शर्मा से बहस करेगा? और जब कटारिया नहीं आए तो कांग्रेस ने नौटंकी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अच्छा होता कि कटारिया की चुनौती को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट स्वीकार करते। उम्र में कटारिया पायलट के पिता समान हैं। कटारिया तो कई वर्ष पहले ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके। असल में कांग्रेस ने बहस का एक अवसर खो दिया। सामान्यतया सत्तारूढ़ पार्टी कभी भी विपक्ष के साथ खुले मंच पर बहस के लिए तैयार नहीं होती। कांग्रेस के नेताओं में सूझ-बूझ होती तो कटारिया को उन्हीं की शर्तों के अनुरूप बहस के लिए तैयार करवाती। कांग्रेस यह तो आरोप लगा रही है कि वसुंधरा सरकार ने तीन वर्ष में कोई काम नहीं किया, लेकिन जब सरकार ने बहस के लिए आमंत्रित किया तो कांग्रेस ने गंभीरता नहीं दिखाई। जहां तक बहस के मुद्दे पर भाजपा का सवाल है तो प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को ठोस तरीके से आगे आना चाहिए। यदि भाजपा ईमानदारी के साथ बहस करना चाहती है तो उसे सचिन पायलट के समक्ष प्रस्ताव रखना चाहिए। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों ही राजनीतिक दल इस मुद्दे पर नौटंकी कर रहे हैं। राजस्थान की जनता नेताओं की नौटंकी को देख और समझ रही है। 
(एस.पी.मित्तल) (28-12-16)
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