राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 10 जून को होने वाले राज्यसभा के चुनाव को लेकर कितने गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मतदान स्थल पर खुद मुख्यमंत्री कांग्रेस के एजेंट बनने पर विचार कर रहे हैं। यदि गहलोत स्वयं कांग्रेस का एजेंट बन कर उपस्थित रहते हैं तो एक एक वोट पर नजर रखी जा सकेगी। राज्य सभा चुनाव की प्रक्रिया के अनुसार राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मतदान स्थल पर मौजूद रह सकते हैं। दलों के विधायकों को व्हिप के अनुरूप अपना मतपत्र एजेंट को दिखाकर अनिवार्य होता है। यानी 10 जून को विधानसभा मतदान कक्ष में कांग्रेस के विधायकों को वोट डालने से पहले मत पत्र को सीएम गहलोत को दिखाना होगा। जानकारों मानते तो 13 निर्दलीय विधायकों को भी ऐसे संकेत दिए गए हैं ताकि कांग्रेस की एजेंट बने अशोक गहलोत मतपत्र को देख सके। हालांकि निर्दलीय विधायकों को मत पत्र दिखाना अनिवार्य नहीं है। रणनीतिकारों का मानना है कि सीएम गहलोत एजेंट के रूप में मतदान कक्ष में बैठते हैं तो कांग्रेस के साथ साथ निर्दलीय सहित अन्य समर्थक विधायकों पर भी दबाव बना रहेगा। पूरे चुनाव की रणनीति स्वयं गहलोत ने ही संभाली है। सभी विधायकों को उदयपुर के ताज अरावली में सुरक्षित रखा गया, तो नाराज विधायकों की नाराजगी दूर करने में कोई कसर नहीं छोडी। होटल में गहलोत ने सभी निर्दलीय विधायकों से संवाद किया और कहा कि आने वाले दिनों में उनके शेष काम भी करवा दिए जाएंगे। गहलोत ने होटल के अंदर निर्दलीय विधायकों के साथ फोटो भी खिंचवाया। सभी विधायकों के मनोरंजन का पूरा ख्याल भी रखा गया। यदि गहलोत एजेंट नहीं बनते हैं तो फिर गहलोत के सबसे भरोसेमंद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को एजेंट बनाया जा सकता है। असल में सीएम गहलोत कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोदी तिवारी की जीत सुनिश्चित करने में कोई कसर छोडऩा नहीं चाहते हैं। इन तीनों उम्मीदवारों की जीत के लिए कांग्रेस को 123 वोट चाहिए, सीएम ने 126 वोटों की रणनीति बनाई है। हालांकि भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने भी अपनी जीत का दाा किया है। भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार घनश्याम तिवाड़ी है जिसकी जीत तय है। भाजपा के 71 विधायक हैं 41 विधायक तिवाड़ी को वोट देकर जीत तय देंगे।भाजपा के शेष तीस विधायक चंद्रा को अपना वोट देंगे। ऐसी स्थिति में चंद्र को 11 वोटों का जुगाड़ करना है।
186 सीटर वाली एयरबस:
कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को जयपुर लाने के लिए उदयपुर एयरपोर्ट पर 186 सीटर वाली एयरबस (विमान) पहुंच गई है। सभी विधायकों को हवाई मार्ग से ही उदयपुर से जयपुर लाया जा रहा है। असल में बाड़ा बंदी के लिए जब विधायकों को उदयपुर लाया गया तो अधिकांश विधायक सड़क मार्ग से बस , जबकि कुछ विधायकों को चार्टर प्लेन से जयपुर से उदयपुर लाया गया। इस भेदभाव की शिकायत विधायकों ने मुख्यमंत्री गहलोत से की। जो विधायक बसों में उदयपुर भर कर आए उनका कहना था कि हमें भी विमान से लाया जाना चाहिए। सीएम गहलोत ने विधायकों की इस शिकायत को वाजिब माना। इसलिए अब सभी विधायकों को एयरबस से जयपुर लाया जा रहा है।
186 सीटर वाली एयरबस:
कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को जयपुर लाने के लिए उदयपुर एयरपोर्ट पर 186 सीटर वाली एयरबस (विमान) पहुंच गई है। सभी विधायकों को हवाई मार्ग से ही उदयपुर से जयपुर लाया जा रहा है। असल में बाड़ा बंदी के लिए जब विधायकों को उदयपुर लाया गया तो अधिकांश विधायक सड़क मार्ग से बस , जबकि कुछ विधायकों को चार्टर प्लेन से जयपुर से उदयपुर लाया गया। इस भेदभाव की शिकायत विधायकों ने मुख्यमंत्री गहलोत से की। जो विधायक बसों में उदयपुर भर कर आए उनका कहना था कि हमें भी विमान से लाया जाना चाहिए। सीएम गहलोत ने विधायकों की इस शिकायत को वाजिब माना। इसलिए अब सभी विधायकों को एयरबस से जयपुर लाया जा रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-06-2022)
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