राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान के 71 भाजपा विधायक जयपुर के निकट एक होटल में रह रहे हैं, लेकिन राज्य कांग्रेस सरकार की पुलिस चाहती है कि केशवराय पाटन की भाजपा विधायक श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल को भाजपा की बाड़ा बंदी से घसीट कर गिरफ्तार कर लिया जाए ताकि 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के मतदान में श्रीमती मेघवाल भाग न ले सकें। पुलिस ने मेघवाल की गिरफ्तारी का आधार एक पांच वर्ष पुराने मामले को बनाया है। यह मामला भी जन आंदोलन से जुड़ा है। यह मुकदमा कोटा के महावीर नगर थाने पर तब दर्ज हुआ था, जब राज्य में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। कांग्रेस सरकार के साढ़े तीन साल तक तो पुलिस चुप बैठी रही, लेकिन अब राज्यसभा चुनाव के मौके पर तीन दिन में दो नोटिस जारी कर पुलिस ने गिरफ्तारी का आधार तैयार कर लिया है। यदि विधायक मेघवाल गिरफ्तार होती हैं तो न्यायालय से जमानत आदि कराने में तीन चार दिन का समय लग जाएगा और तब तक दस जून को राज्यसभा के लिए मतदान हो चुका होगा। भाजपा विधायक की ऐसे समय में गिरफ्तारी का प्रयास जब राजस्थान में एक एक वोट के लिए संघर्ष हो रहा है। कांग्रेस पहले ही आरोप लगा रही है कि निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा के माध्यम से भाजपा विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है। भाजपा को अपने समर्थित उम्मीदवार चंद्रा को जिताने के लिए 11 अतिरिक्त वोट चाहिए। ऐसे में यदि भाजपा के एक विधायक वोटिंग से वंचित होता है तो यह भाजपा की स्थिति को कमजोर करेगा। भाजपा विधायक की गिरफ्तारी का प्रयास राजनीतिक नजरिए से ही देखा जा रहा है। कांग्रेस की राजनीति में यह चर्चा है कि जब केंद्र की भाजपा सरकार के अधीन आने वाली जांच एजेंसी ईडी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को समन देकर तलब कर सकती है, तब राजस्थान में कांग्रेस सरकार की पुलिस एक भाजपा विधायक को पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुला सकती है? आखिर राजनीति इसी को तो कहते हैें। यह बात अलग है कि सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड के बहुचर्चित घोटाले में ईडी ने तलब किया है, जबकि चंद्रकांता मेघवाल का मामला जन आंदोलन से जुड़ा है। देखना है कि कांग्रेस सरकार की पुलिस भाजपा विधायक मेघवाल को उस होटल से किस प्रकार लाती है। जिसमें भाजपा के सभी विधायक बंद हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि राजस्थान में गृह विभाग भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है और गहलोत राज्यसभा चुनाव की रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस के विधायक उदयपुर की होटल ताज अरावली में कैद है।
अकील अहमद का इस्तीफा:
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अकील अहमद खान ने राजकीय सेवा से इस्तीफा दे दिया है। जानकार सूत्रों के अनुसार अकील अहमद पिछले दिनों वे अपने तबादले से खफा थे। सरकार ने उनका तबादला जयपुर स्थित राजस्थान वक्फ बोर्ड के सीईओ के पद से बांसवाड़ा स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक के पद पर कर दिया था। अकील अहमद ने नए पद पर ज्वाइन करने के बजाए नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया। तबादले से दो दिन पहले ही असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी एआईएमआईएम की छह सदस्य कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष अकील अहमद के भाई जमील अहमद को बनाया था। जमील अहमद की राजनीति नियुक्ति से ही अकील अहमद के तबादले को जोड़ा जा रहा है। ओवैसी और अकील अहमद के बीच अच्छी मित्रता है। ओवैसी चाहते थे कि अकील अहमद ही उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसके लिए अकील अहमद ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन भी कर दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने यह आवेदन स्वीकार नहीं किया। अब जब अकील अहमद ने नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया है तब यह माना जा रहा है कि अकील अहमद ही ओवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे। ओवैसी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव में जिन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या प्रभावी होगी वहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे।
अकील अहमद का इस्तीफा:
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अकील अहमद खान ने राजकीय सेवा से इस्तीफा दे दिया है। जानकार सूत्रों के अनुसार अकील अहमद पिछले दिनों वे अपने तबादले से खफा थे। सरकार ने उनका तबादला जयपुर स्थित राजस्थान वक्फ बोर्ड के सीईओ के पद से बांसवाड़ा स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक के पद पर कर दिया था। अकील अहमद ने नए पद पर ज्वाइन करने के बजाए नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया। तबादले से दो दिन पहले ही असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी एआईएमआईएम की छह सदस्य कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष अकील अहमद के भाई जमील अहमद को बनाया था। जमील अहमद की राजनीति नियुक्ति से ही अकील अहमद के तबादले को जोड़ा जा रहा है। ओवैसी और अकील अहमद के बीच अच्छी मित्रता है। ओवैसी चाहते थे कि अकील अहमद ही उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसके लिए अकील अहमद ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन भी कर दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने यह आवेदन स्वीकार नहीं किया। अब जब अकील अहमद ने नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया है तब यह माना जा रहा है कि अकील अहमद ही ओवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे। ओवैसी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव में जिन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या प्रभावी होगी वहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (09-06-2022)
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