सवाल सेना में युवाओं की भर्ती का नहीं है। अहम सवाल सेना में देश भक्तों की भर्ती का है। देश के जो मौजूदा हालात हैं, उसमें सेना को देश विरोधियों से बचाए रखने की सख्त जरूरत हे। शॉर्ट टर्म सैनिक योजना यानी अग्निपथ के माध्यम से देशभक्त युवाओं की अच्छी तरह पहचान हो जाएगी। अग्निपथ के लिए प्रतिवर्ष 45 हजार युवाओं की भर्ती होगी। चार साल बाद इन्हीं युवाओं में से करीब 10 हजार सैनिकों को भारतीय सेना में शामिल कर लिया जाएगा। यानी जो 45 हजार युवा चार साल तक सैन्य अधिकारियों की निगरानी में रहेंगे, उन्हीं में से सबसे ज्यादा देशभक्ति वाले युवाओं को सेना में स्थायी कमीशन के लिए चयनित कर लिया जाएगा। सैनिकों के इस चयन पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए। भारत की सेना देश के अंदर और बाहर दुश्मनों से मुकाबला कर सके, इसके लिए सैनिकों में देशभक्ति का जज्बा होना चाहिए। सैनिक देशभक्त होगा, तभी देश को बचा सकेगा। वोटों के खातिर राजनेता किस तरह के बयान दे रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। दुश्मन देशों से प्रेम करने वाले राजनेता यदि केंद्र की सत्ता में आए तो सेना का क्या हाल करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सेना में देशभक्ति का जज्बा बना रहे, इसके लिए अग्निपथ योजना मील का पत्थर साबित होगी। सेना में नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि देशभक्त चाहिए। कुछ लोग नौकरी का बहाना कर अग्निपथ का विरोध कर रहे हैं। कुछ लोग युवाओं को भड़का भी रहे हैं। सरकार की घोषणा के मुताबिक इन्हीं 45 हजार शॉर्ट टर्म सैनिकों में से 10 हजार को प्रतिवर्ष सेना में स्थायी तौर पर शामिल कर लिया जाएगा। शेष 35 हजार युवाओं को केंद्रीय सुरक्षा बलों की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद भी यदि अग्निपथ वाले सैनिक बच जाते हैं तो उन्हें राज्यों की पुलिस सेवा की भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी। यानी 45 हजार अग्निपथ वाले युवा किसी न किसी तरह नौकरी प्राप्त कर लेंगे। आजकल निजी क्षेत्र में भी सुरक्षा गार्डों की बहुत मांग है। जो युवा चार वर्ष तक अग्निपथ पर चलेगा, उसे निजी क्षेत्र में आसानी से नौकरी मिल जाएगी। साफ जाहिर है कि चार वर्ष सेना में काम करने के बाद युवाओं के सामने नौकरी हासिल करने के अनेक विकल्प होंगे। शॉर्ट टर्म सैनिक योजना वैसी ही जैसी तीनों सेनाओं के प्रमुख पर चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति की गई है। धर्मनिरपेक्षता वाले लोकतंत्र के जो हालात हैं, उसमें आने वाले दिनों में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और तब सैनिकों में देशभक्त वाला जज्बा बहुत काम आएगा। पूरा देश देख रहा है कि न्यूज चैनलों के स्टूडियो में बैठ कर किस तरह अपने ही देश के खिलाफ जहर उगला जा रहा है। क्या ऐसी सोच वाले नेताओं से देशभक्ति की उम्मीद की जा सकती है? देश के युवाओं को भी चाहिए कि अग्निपथ योजना को सफल बनाने में सहयोग करें।
सेना में भर्ती होने के लायक नहीं:
शॉर्ट टर्म सैनिक योजना के विरोध में 16 जून को देश के कई हिस्सों में युवाओं ने प्रदर्शन किया। युवाओं की मांग रही कि सेना में स्थाई तौर पर भर्ती की जानी चाहिए। अपनी मांग के समर्थन में युवाओं ने आगजनी तोडफ़ोड़ की। बिहार में तो टे्रन के इंजन में आग भी लगा दी गई। सवाल उठता है कि जो युवा सेना में भर्ती होना चाहते हैं क्या उनकी प्रवृत्ति इस तरह की है। जबकि सेना में तो अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। जो लोग आगजनी और तोडफ़ोड़ कर रहे हैं वे सेना में भर्ती होने के लायक ही नहीं है। सरकार की ओर से जब भर्ती की पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक कर दी गई है तब इस तरह के प्रदर्शन कोई मायने नहीं रखते हैं। संबंधित राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसे प्रदर्शनों पर सख्त कार्यवाही करे।
सेना में भर्ती होने के लायक नहीं:
शॉर्ट टर्म सैनिक योजना के विरोध में 16 जून को देश के कई हिस्सों में युवाओं ने प्रदर्शन किया। युवाओं की मांग रही कि सेना में स्थाई तौर पर भर्ती की जानी चाहिए। अपनी मांग के समर्थन में युवाओं ने आगजनी तोडफ़ोड़ की। बिहार में तो टे्रन के इंजन में आग भी लगा दी गई। सवाल उठता है कि जो युवा सेना में भर्ती होना चाहते हैं क्या उनकी प्रवृत्ति इस तरह की है। जबकि सेना में तो अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। जो लोग आगजनी और तोडफ़ोड़ कर रहे हैं वे सेना में भर्ती होने के लायक ही नहीं है। सरकार की ओर से जब भर्ती की पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक कर दी गई है तब इस तरह के प्रदर्शन कोई मायने नहीं रखते हैं। संबंधित राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसे प्रदर्शनों पर सख्त कार्यवाही करे।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-06-2022)
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