Friday 27 October 2023

कांग्रेस में नेता के प्रति वफादारी दिखाने वालों को ही टिकट मिलता है।भाजपा ने ऐसे फार्मूले को नकारा तो जगह-जगह विरोध हो रहा है।

26 अक्टूबर को राजस्थान में कांग्रेस की 19 उम्मीदवारों की तीसरी सूची भी आ गई। कांग्रेस ने अब तक 200 में से 95 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं । इन 95 उम्मीदवारों का अध्ययन किया जाए तो अधिकांश उम्मीदवार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक हैं। पिछले पांच वर्षों में जिन कार्यकर्ताओं और विधायकों ने अपने-अपने नेता के प्रति वफादारी दिखाई उन्हें उम्मीदवार बना दिया गया है। जो कार्यकर्ता संगठन के प्रति वफादार रहा उस की टिकट बंटवारे में कोई महत्व नहीं मिला है। पिछले 5 वर्षों में राजस्थान में कांग्रेस गहलोत और पायलट के गुटों में बटी रही। सरकार बचाने में जिन विधायकों ने वफादारी दिखाई उन सभी को गहलोत अब उम्मीदवार बनवा रहे हैं। इनमें बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ-साथ वह निर्दलीय विधायक भी हैं जिन्होंने गहलोत सरकार को समर्थन दिया। हालांकि ऐसे विधायकों ने समर्थन देने की कीमत पहले ही वसूली थी, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनवाकर अशोक गहलोत ने ब्याज सहित भुगतान कर दिया है। सचिन पायलट के साथ-साथ विधायकों के दिल्ली जाने के समय जो विधायक गहलोत के साथ होटल में बंद रहे उन्हें भी टिकट मिल रहे हैं। गहलोत ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि जिन विधायकों ने उनके प्रति वफादारी दिखाई है, उन सभी को टिकट दिलवा रहे हैं। इसी प्रकार जिन विधायकों ने पायलट के प्रति वफादारी दिखाई उन्हें भी कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया है। सीएम गहलोत भले ही पायलट और उनके समर्थक विधायकों पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाए, लेकिन पायलट ने ऐसे सभी विधायकों को फिर से उम्मीदवार बनाया है। अगस्त 2020 में पायलट के साथ जो विधायक दिल्ली गए थे उनमें से अधिकांश को उम्मीदवार घोषित किया जा चुका है। शेष विधायकों के नामों की जल्द घोषणा होगी। कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन का मापदंड नेता के प्रति वफादारी ही है। यदि किसी कार्यकर्ता ने सिर्फ संगठन के प्रति वफादारी दिखाई है उसे उम्मीदवार नहीं बनाया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी माने या नहीं राजस्थान में कांग्रेस के नाम पर गहलोत सरकार और पायलट की ही पहचान है। उम्मीदवारों के चयन के लिए संसद गौरव गोगोई की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई थी। वह भी धरी रह गई। उम्मीदवारों की घोषणा में इस कमेटी की अब कोई भूमिका नहीं है जिन तीन मंत्रियों को अनुशासनहीनता का नोटिस दिया गया, उन्हें भी सीएम गहलोत टिकट दिलवाएंगे। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का कोटा से और जलदाय मंत्री महेश जोशी का जयपुर से टिकट तय है, जहां तक राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर का सवाल है तो यदि उन्हें अजमेर उत्तर से उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो भी कांग्रेस में उनका रुतबा बना रहेगा। धर्मेंद्र राठौड़ विधानसभा चुनाव में गहलोत की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, क्योंकि राठौड़ जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर है। इसलिए गहलोत के रहते उनका महत्व कभी काम नहीं होगा गहलोत का पूरा प्रयास रहेगा कि राठौर को अजमेर उत्तर से ही कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जाए

भाजपा में विरोध:
नेता के प्रति वफादारी के फार्मूले को दरकिनार कर 43 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, इनमें लोकसभा के 6 सांसद भी शामिल थे। इन सांसदों को उन विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार बनाया गया, जहां भाजपा की हार होती रही या फिर अभी कमजोर स्थिति है। राष्ट्रीय नेतृत्व का मानना रहा कि संगठन के प्रति वफादारी कार्यकर्ताओं को आगे लाया जाए। संगठन को प्राथमिकता देने के लिए ही इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित नहीं किया गया, लेकिन पहली सूची के अधिकांश उम्मीदवारों का विरोध नजर आ रहा है। असल में भाजपा के कई नेताओं का यह नागौर लगा कि उन्हें तवज्जो नहीं मिली। विरोध को देखते हुए दूसरी सूची में नेताओं का ख्याल रखते हुए उम्मीदवार घोषित किए गए। हालांकि अभी भी घोषित उम्मीदवारों का भाजपा में लगातार विरोध हो रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2023)
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