Saturday 23 January 2016

गृहमंत्री कटारिया ने पीरदान का ईलाज शुरू करवाकर आर.के.मार्बल के मालिकों को बचाया।



---------------------------------------
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने अजमेर के एसपी डॉ. नितिन दीप ब्लग्गन को अनशनकारी पीरदान सिंह राठौड़ के पास भेजकर कोई सहानुभूति नहीं दिखाई, बल्कि आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी, विमल पाटनी और सुरेश पाटनी को बचाने का काम किया है। पीरदान और उनकी पत्नी कैलाश कंवर गत 10 दिसम्बर से आमरण अनशन पर थे। 20 जनवरी को स्वर्गीय गुरुशरण छाबड़ा के पुत्र अंकुर छाबड़ा और पूर्व विधायक गोपीचंद गुर्जर ने अजमेर के जेएलएन अस्पताल में राठौड़ दम्पत्ति से मुलाकात की। लगातार 42 दिनों से भूखे रहने की वजह  से पीरदान की हालत देखते हुए 21 जनवरी को पूर्व विधायक गुर्जर ने जयपुर में गृहमंत्री कटारिया से मुलाकात की। पीरदान मांग कर रहे हैं कि उनके व परिवार के सदस्यों के खिलाफ जो झूठे मुकदमे दर्ज किए हैं उसकी जांच सीबीआई से करवाई जाए। पीरदान का आरोप है कि इन झूठे मुकदमों के पीछे आर.के.मार्बल के मालिकों की ताकत है। पीरदान ने पहले ही कह दिया है कि यदि अनशन की वजह से उनकी मौत होती है तो इसकी जिम्मेदारी आर.के.मार्बल के मालिकों की होगी। 21 जनवरी को कटारिया को जब पीरदान की धमकी का पता चला तो कटारिया ने अजमेर के एसपी डॉ. ब्लग्गन को पीरदान से मिलने के लिए भेजा, तब ऐसा लगा कि कटारिया पीरदान के प्रति सहानुभूति जता रहे है। लेकिन इस मुलाकात के बाद जिस तरह पुलिस ने पीरदान का अस्पताल में जबरन इलाज शुरू करवाया, उससे साफ हो गया कि कटारिया आर.के.मार्बल के मालिकों को बचा रहे हैं। कटारिया को यह पता था कि यदि पीरदान की मौत हो गई तो लिखित दस्तावेज के आधार पर अशोक पाटनी, विमल पाटनी और सुरेश पाटनी को गिरफ्तार करना पड़ेगा। सब जानते हैं कि कटारिया और आर.के.मार्बल के मालिक स्वजाति बंधु हैं। उदयपुर के बहुचर्चित तुलसी प्रजापति एनकाउंटर के मामले में भी आर.के.मार्बल के मालिक विमल पाटनी के साथ साथ गुलाबचंद कटारिया का नाम भी सीबीआई की रिपोर्ट में आया है। बहुचर्चित सोराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़े हुए इस मामले में कटारिया और विमल पाटनी की जमानत गुजरात की कोर्ट में हो रखी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कटारिया और आर.के.मार्बल परिवार के बीच कितने गहरे संबंध हैं। असल में कटारिया की रुचि पीरदान को न्याय दिलवाने में नहीं बल्कि इलाज शुरू करवाने में थी। ताकि आर.के.मार्बल के मालिकों को बचाया जा सके। अब चूंकि अस्पताल में पीरदान का इलाज जबरन शुरू हो गया है, इसलिए पीरदान की मौत का संकट टल गया। रात के अंधेरे में सशस्त्र जवानों के दम पर जिस तरह पीरदान का इलाज शुरू किया गया, उससे जाहिर है कि गृहमंत्री कटारिया पीरदान को न्याय नहीं दिलवाना चाहते है। अच्छा होता कि कटारिया पीरदान के दस्तावेज देखकर उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते, जिन्होंने उनकी दो बेटियों और बेटों तक के खिलाफ डकैती जैसे संगीन अपराध के मुकदमे दर्ज किए। पीरदान की पत्नी कैलाश कंवर तो सीबीआई जांच की मांग को लेकर अनशन भी नहीं कर रही है। उसकी मांग को अपनी दोनों बेटियों के मुकदमे को लेकर है। कटारिया कम से कम कैलाश कंवर की मांग तो पूरा कर ही सकते हैं। कटारिया की छवि एक ईमानदार राजनेता की मानी जाती है। अन्य नेताओं की तरह कटारिया आर.के.मार्बल के मालिकों से कोई फायदा भी नहीं लेते होंगे। ऐसे में अभी भी यह गुंजाइश है कि इस मामले में कटारिया पीरदान को न्याय दिलवाएंगे। 

(एस.पी. मित्तल)  (23-01-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment