Sunday 22 April 2018

तो क्या वसुंधरा राजे के सामने सरेंडर करेगा भाजपा आला कमान?

तो क्या वसुंधरा राजे के सामने सरेंडर करेगा भाजपा आला कमान? 
राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष का मामला नहीं सुलझ रहा।
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22 अप्रैल को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने राजनीतिक उथल पुथल के बीच करौली में योग गुरु बाबा रामदेव के साथ योग किया। बाबा रामदेव के पंतजलि संस्थान को सरकार ने रियायती दर पर भूमि का आवंटन किया है। 22 अप्रैल की शाम तक भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का मामला नहीं सुलझा है। अशोक परनामी ने गत 16 अप्रैल को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन 7 दिन गुजर जाने के बाद भी अध्यक्ष पद का विवाद सुलझा नहीं है। 21 अप्रैल को तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दिल्ली आ गए। संभवतः यह पहला अवसर रहा है जब किसी प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति में इतना विलम्ब हो रहा है। इस विवाद से एक बात तो साफ हो गई है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे की सहमति के बिना भाजपा संगठन में कोई बदलाव नहीं हो सकता। वसुंधरा राजे जब तक सीएम के पद पर कायम रहेंगी तब तक सत्ता और संगठन में वो ही होगा जो राजे चाहंेगी। भाजपा आला कमान ने अशोक परनामी को अध्यक्ष पद से हटा तो दिया, लेकिन नए अध्यक्ष की एक तरफा घोषणा करने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या वसुंधरा राजे को हटा कर सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव किया जाएगा? भाजपा की राजानीति को समझने वाले भी कह रहे हैं कि पिछले सात दिनों में भाजपा में जो राजनीतिक हालात उपजे हैं उसमें हो सकता है कि आला कमान को वसुंधरा राजे के सामने सरेंडर करना पड़े। भाजपा का आला कमान राजे के अनुशासन को भी अच्छी तरह समझता है। कांग्रेस के शासन में प्रतिपक्ष के नेता बनने और बाद में प्रदेशाध्यक्ष बनने में राजे ने जो करतब दिखाए उसे आला कमान भूला नहीं है। कहा यह जाता है कि नरेन्द्र मोदी और अमितशाह की वजह से भाजपा का आला कमान मजबूत हुआ है। लेकिन राजस्थान के हालातों में भाजपा के आला कमान की मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो ये हैं कि यह उथल पुथल तब हो रही है, जब मात्र छह माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। कहा जा रहा था कि मंडल स्तर पर बूथवार कार्यक्रम होंगे। लेकिन अभी तो प्रदेशाध्यक्ष का मामला ही उलझ गया है। सीएम राजे ने परनामी से इस्तीफा लेने के बाद अभी तक भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यदि राजस्थान में सब कुछ ठीक होता तो अब तक नए प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा हो चुकी होती। 
एक सप्ताह बाद ही प्रदेश के मुख्य सचिव एनसी गोयल की सेवानिवृत्ति होनी वाली है। सूत्रों के अनुसार सीएम राजे गोयल का कार्यकाल बढ़ाना चाहती हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। अब जब संगठन के अध्यक्ष का मामला ही दिल्ली और जयपुर के बीच फंसा हुआ है, तब यह सवाल उठता है कि मुख्य सचिव के कार्यकाल में वृद्धि कैसे होगी? स्वयं मुख्य सचिव गोयल को भी यह पता है कि इन दिनों जयपुर और दिल्ली के तार टूटे हैं या कमजोर हो गए हैं। ऐसे में कार्यकाल की वृद्धि संभव नजर नहीं आ रही है। गोयल ने सेवानिवृत्ति का मन बना लिया है।

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