Sunday 15 April 2018

मोहम्मद साहब का परिवार तो खुद आतंकवाद का शिकार हुआ था।

मोहम्मद साहब का परिवार तो खुद आतंकवाद का शिकार हुआ था। 
अजमेर में शिया समुदाय मना रहा है शोक। 
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आज दुनिया भर में मुस्लिम आतंकवाद की चर्चा जोरों पर है। इस आतंकवाद की आड़ में ही 14 अप्रैल को अमरीका ने मुस्लिम बहुल्य देश सीरिया पर हमला कर दिया। लेकिन भारत में 15 अप्रैल को शिया समुदाय के लोगों ने मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन साहब की शाहदत पर शोक व्यक्त किया। इसी सिलसिले में आॅल इंडिया शिया फाउंडेशन की ओर से अजमेर के निकट दौराई गांव की मस्जिद में करबला के मंजर को प्रस्तुत किया जा रहा है। इस अवसर पर मौलाना सैयद काजिम अली जैदी और मौलाना सैयद जुहेर अब्बास रिजवी ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब का परिवार तो खुद आतंकवाद का शिकार हुआ है। मोहम्मद साहब के बाद जब  हाकीम यजीद इब्ने माविया ने मोहम्मद साहब के बताए इस्लाम धर्म के नियमों में परिवर्तन किया तो नवासे इमाम हुसैन सहाब ने विरोध किया। उन्होंने यजीद से बैयत करने से भी इंकार कर दिया। इमाम हुसैन साहब का कहना रहा कि मैं ऐसे किसी भी हाकीम से बैयत नहीं कर सकता जो इस्लाम के नियमों में परिवर्तन कर रहा है। इस्लाम को बचाने के लिए ही इमाम हुसैन साहब अपने परिवार के सदस्यों और 18 जवानों के साथ करबला के लिए 28 रजब सन् 60 हिजरी में मदीना से रवाना हुए। छह माह के परेशानी भरे सफर के बाद 72 सदस्यों का यह काफिला 2 मोहर्रम को करबला पहुंचा। यजीद ने इन सभी को भूखा प्यास रखा। तीन दिनों तक भूखा प्यास रखने के बाद यजीद की फौज ने इमाम हुसैन और उनके साथियों को शहीद करवा दिया। एक तरह से यह आतंकवादी हमला ही था। शहीद होने वालों में इमाम हुसैन साहब का मासूम पुत्र अली अजगर भी शामिल रहा। मदीने को छोड़ने के दिन को ही शिया समुदाय शोक के तौर पर मनाता है। कार्यक्रम से जुड़े आसिफ अली ने बताया कि धार्मिक समारोह में बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोगों ने भाग लिया। दौराई की मस्जिद पर काले झंडे भी लगाए गए। कार्यक्रम में मौलाना जिशान हैदर जैदी, मौलाना सैयद शमीमुल हसन, मौलाना सायम रजा, मौलाना जरीफ हैदर आदि ने भी अपने विचार रखे।

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