25 अक्टूबर को झुंझुनूं में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक करोड़ पांच लाख परिवारों को सालाना दस हजार रुपए नकद और इतने ही परिवारों को पांच सौ रुपए में रसोई गैस का सिलेंडर देने की गारंटी दी। गहलोत ने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस की जीत होने पर इन सुविधाओं को दिया जाएगा। इन घोषणाओं के साथ ही गहलोत ने बताया कि उन्होंने प्रियंका गांधी से आग्रह किया था कि इन दोनों सुविधाओं की घोषणा करें, लेकिन प्रियंका गांधी ने स्वयं घोषणा करने के बजाए मुझे ही अधिकार दिया। सवाल उठता है कि आखिर प्रियंका ने इन महत्वपूर्ण घोषणाओं को क्यों नहीं किया? क्या प्रियंका का इन घोषणाओं की क्रियान्विति पर संशय है? वर्ष 2018 के चुनाव में राहुल गांधी ने किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की थी। चूंकि पांच वर्ष के कांग्रेस के शासन में किसानों की संपूर्ण माफी नहीं हो सकी, इसलिए आज भाजपा के नेता चुनाव में राहुल गांधी के कथन को झूठा बताते हैं। जानकारों की मानें तो विवाद से बचने के लिए ही प्रियंका गांधी ने घोषणाएं नहीं की।
गहलोत की गलती का दंड:
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में अब तक कांग्रेस के 74 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की उम्मीदवारी को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान इन तीनों नेताओं को गत वर्ष 25 सितंबर को हुई कांग्रेस विधायकों की बगावत का दोषी मानता है। हाईकमान सिर्फ इन तीनों नेताओं को ही दोषी क्यों मानता है। यह तो हाईकमान में बैठे नेता ही बता सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि विधायकों की बगावत सीएम अशोक गहलोत के इशारे पर ही हुई थी। यदि गहलोत की सहमति न होती तो धारीवाल के घर पर 80 विधायक एकत्रित नहीं होते और न ही मुख्य सचेतक की हैसियत से महेश जोशी विधायकों को बुलाते। धर्मेन्द्र राठौड़ में विधायकों को सुविधाजनक तरीके से लाने के इंतजाम करवाए। चूंकि इन तीनों नेताओं के पीछे अशोक गहलोत खड़े थे, इसलिए तीनों ने अपना अपना टास्क पूरा किया। यदि गहलोत का इशारा नहीं होता तो धारीवाल के सरकारी बंगले पर चार विधायक भी एकत्रित नहीं होते। भले ही महेश जोशी दस जोन कर देते। कांग्रेस विधायकों की बगावत पर कार्यवाही करनी है तो सबसे पहले गहलोत पर की जानी चाहिए। चूंकि गहलोत पर कार्यवाही करने की हिम्मत हाईकमान में नहीं है, इसलिए धारीवाल, ोशी और राठौड़ के टिकट काटे जाने की चर्चा है। यानी गहलोत की गलती का दंड इन तीनों नेताओं को भुगतना पड़ेगा। वही इन तीनों नेताओं का अभी भी भरोसा है कि गहलोत की वजह से उन्हें कोई नुकसान नहीं हागा। गहलोत अपनी जिद के पक्के नेता है। इन तीनों नेताओं को टिकट दिलवाने में गहलोत पूरी ताकत लगा देंगे।
पुष्कर में बदलाव:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाने वाले पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने अब बगावत को झंडा उठा लिया है। कांग्रेस ने पुष्कर से श्रीमती नसीम अख्तर को लगातार चौथी बार उम्मीदवार घोषित किया। चूंकि नसीम अख्तर गत दो चुनावों में हार चुकी हैं, इसलिए डॉ. बाहेती बदलाव की मांग कर रहे है। डॉ. बाहेती का कहना है कि यदि बदलाव नहीं होता है तो वे पुष्कर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। सवाल उठता है कि क्या डॉ. बाहेती की बगावत के बाद पुष्कर से कांग्रेस का उम्मीदवार बदल जाएगा? जानकारों के अनुसार कांग्रेस के विरोध के चलते मध्यप्रदेश में चार स्थानों पर उम्मीदवारों में बदलाव किया है। ऐसे में पुष्कर में बदलाव संभव है। यदि पुष्कर से नसीम को हटाया जाता है तो फिर नसीम अख्तर मसूदा से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं। मौजूदा समय में मसूदा से राकेश पारीक ही कांग्रेस के विधायक हैं। नसीम अख्तर और राकेश पारीक दोनों ही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक हैं। यदि नसीम अख्तर को मसूदा शिफ्ट किया जाता तो राकेश पारीक को चुप रहना पड़ेगा। मसूदा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है। यहां पहले भी कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं। यह बात अलग है कि नसीम अख्तर मसूदा में रुचि न दिखाए। नसीम का फोकस पुष्कर पर ही है। नसीम भले ही दो बार पुष्कर से चुनाव हार गई हो, लेकिन एक बार जीती भी हैं। कांग्रेस को अजमेर क्षेत्र में एक टिकट मुस्लिम उम्मीदवार को देना है, इसलिए पुष्कर में बदलाव से भी इंकार किया जा रहा है7 नसीम अख्तर मुस्लिम होने के साथ साथ महिला कोटे को भी पूरा करती हैं।
गहलोत और पायलट की सहमति:
किशनगढ़ में भाजपा नेता विकास चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की सहमति रही है। चौधरी को कांग्रेस में शामिल करवाने में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की सक्रियता रही है। डोटासरा ने इस मामले में गहलोत और पायलट की सहमति भी ली ताकि बाद में कोई विवाद न हो। 25 अक्टूबर को झुंझुनूं में प्रियंका गांधी के मंच पर विकास चौधरी को शामिल किया गया तब गहलोत और पायलट भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि अब विकास चौधरी विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे।
गहलोत की गलती का दंड:
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में अब तक कांग्रेस के 74 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की उम्मीदवारी को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान इन तीनों नेताओं को गत वर्ष 25 सितंबर को हुई कांग्रेस विधायकों की बगावत का दोषी मानता है। हाईकमान सिर्फ इन तीनों नेताओं को ही दोषी क्यों मानता है। यह तो हाईकमान में बैठे नेता ही बता सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि विधायकों की बगावत सीएम अशोक गहलोत के इशारे पर ही हुई थी। यदि गहलोत की सहमति न होती तो धारीवाल के घर पर 80 विधायक एकत्रित नहीं होते और न ही मुख्य सचेतक की हैसियत से महेश जोशी विधायकों को बुलाते। धर्मेन्द्र राठौड़ में विधायकों को सुविधाजनक तरीके से लाने के इंतजाम करवाए। चूंकि इन तीनों नेताओं के पीछे अशोक गहलोत खड़े थे, इसलिए तीनों ने अपना अपना टास्क पूरा किया। यदि गहलोत का इशारा नहीं होता तो धारीवाल के सरकारी बंगले पर चार विधायक भी एकत्रित नहीं होते। भले ही महेश जोशी दस जोन कर देते। कांग्रेस विधायकों की बगावत पर कार्यवाही करनी है तो सबसे पहले गहलोत पर की जानी चाहिए। चूंकि गहलोत पर कार्यवाही करने की हिम्मत हाईकमान में नहीं है, इसलिए धारीवाल, ोशी और राठौड़ के टिकट काटे जाने की चर्चा है। यानी गहलोत की गलती का दंड इन तीनों नेताओं को भुगतना पड़ेगा। वही इन तीनों नेताओं का अभी भी भरोसा है कि गहलोत की वजह से उन्हें कोई नुकसान नहीं हागा। गहलोत अपनी जिद के पक्के नेता है। इन तीनों नेताओं को टिकट दिलवाने में गहलोत पूरी ताकत लगा देंगे।
पुष्कर में बदलाव:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाने वाले पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने अब बगावत को झंडा उठा लिया है। कांग्रेस ने पुष्कर से श्रीमती नसीम अख्तर को लगातार चौथी बार उम्मीदवार घोषित किया। चूंकि नसीम अख्तर गत दो चुनावों में हार चुकी हैं, इसलिए डॉ. बाहेती बदलाव की मांग कर रहे है। डॉ. बाहेती का कहना है कि यदि बदलाव नहीं होता है तो वे पुष्कर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। सवाल उठता है कि क्या डॉ. बाहेती की बगावत के बाद पुष्कर से कांग्रेस का उम्मीदवार बदल जाएगा? जानकारों के अनुसार कांग्रेस के विरोध के चलते मध्यप्रदेश में चार स्थानों पर उम्मीदवारों में बदलाव किया है। ऐसे में पुष्कर में बदलाव संभव है। यदि पुष्कर से नसीम को हटाया जाता है तो फिर नसीम अख्तर मसूदा से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं। मौजूदा समय में मसूदा से राकेश पारीक ही कांग्रेस के विधायक हैं। नसीम अख्तर और राकेश पारीक दोनों ही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक हैं। यदि नसीम अख्तर को मसूदा शिफ्ट किया जाता तो राकेश पारीक को चुप रहना पड़ेगा। मसूदा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है। यहां पहले भी कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं। यह बात अलग है कि नसीम अख्तर मसूदा में रुचि न दिखाए। नसीम का फोकस पुष्कर पर ही है। नसीम भले ही दो बार पुष्कर से चुनाव हार गई हो, लेकिन एक बार जीती भी हैं। कांग्रेस को अजमेर क्षेत्र में एक टिकट मुस्लिम उम्मीदवार को देना है, इसलिए पुष्कर में बदलाव से भी इंकार किया जा रहा है7 नसीम अख्तर मुस्लिम होने के साथ साथ महिला कोटे को भी पूरा करती हैं।
गहलोत और पायलट की सहमति:
किशनगढ़ में भाजपा नेता विकास चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की सहमति रही है। चौधरी को कांग्रेस में शामिल करवाने में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की सक्रियता रही है। डोटासरा ने इस मामले में गहलोत और पायलट की सहमति भी ली ताकि बाद में कोई विवाद न हो। 25 अक्टूबर को झुंझुनूं में प्रियंका गांधी के मंच पर विकास चौधरी को शामिल किया गया तब गहलोत और पायलट भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि अब विकास चौधरी विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2023)
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