Wednesday 3 July 2024

ऐसी संसद और लोकतंत्र का क्या फायदा? अध्यक्ष के डांटने पर भी नहीं समझे प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी।मोदी जी! इस बालक बुद्धि के पीछे कई शातिर दिमाग है जो सेना से लेकर सनातन तक को खत्म करना चाहते हैं।देश गंभीर संकट की ओर जा रहा है-पीएम मोदी।

संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर पर भरोसा तब और मजबूत हो जाता है, जब विपक्ष भी संविधान को बचाने का संकल्प लेता है, लेकिन 2 जुलाई को संविधान की रक्षा का संकल्प लेने वाले विपक्ष ने ही लोकसभा में लोकतंत्र को तार तार कर दिया। संसदीय इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब सदन के नेता और देश के प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान लगातार नारेबाजी की गई। लोकतंत्र के लिए सबसे चिंताजनक बात तो यह रही कि प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी अपने साथी सांसदों को नारेबाजी और हंगामे के लिए उकसा रहे थे। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि प्रतिपक्ष के नेता भी गैर जिम्मेदाराना हरकत कर रहे है। जिन प्रतिपक्ष के नेता के पास विपक्षी सांसदों को शांत करने की जिम्मेदारी है, वही राहुल गांधी सांसदों को उकसा रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि लोकसभा अध्यक्ष के डांटने के बाद भी राहुल गांधी अपने कृत्यों से बाज नहीं आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 35 मिनट बोले, लेकिन इस पूरी अवधि में राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष का हंगामा होता रहा। ऐसा तब हुआ जब राहुल गांधी एक दिन पहले अपना संबोधन शांतिपूर्ण तरीके से कर चुके थे। राहुल गांधी ने जो सवाल उठाए उन्हीं का जवाब पीएम मोदी दे रहे थे। लेकिन अपनी पार्टी के सांसदों से नारेबाजी करवाकर राहुल गांधी ने यह दर्शा दिया है कि उनका संसदीय परंपराओं में कोई भरोसा नहीं है। संसद में जब सदन के नेता और देश के प्रधानमंत्री को ही नहीं बोलने दिया जाएगा तो फिर ऐसी संसद और लोकतंत्र का क्या फायदा है? देश के लोगों को इस मुद्दे पर गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए। नरेंद्र मोदी जिस दल का नेतृत्व करते हैं उस दल के लोकसभा में 240 सांसद है, जबकि राहुल गांधी के नेतृत्व वाले दल के पास 99 सांसद हैं।
 
बालक बुद्धि के पीदे शातिर दिमाग:
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में राहुल गांधी की हरकतों की तुलना बालक बुद्धि से की। भले ही मोदी ने राजनीतिक नजरिए से राहुल गांधी को बालक बुद्धि वाला नेता कहा हो, लेकिन इस बालक बुद्धि के पीछे कई शातिर दिमाग है। यदि बालक बुद्धि वाली बात होती तो लोकसभा में संसदीय परंपराओं की इस तरह धज्जियां नहीं उड़ाई जाती। मोदी जी! जिन राहुल गांधी को आप बालक बुद्धि वाला बता रहे हैं, उन्हीं राहुल गांधी ने 1 जुलाई को पहले अपने संबोधन में आधारहीन आरोप लगाए और फिर 2 जुलाई को देश के प्रधानमंत्री को बोलने नहीं दिया। यह कृत्य किसी शातिर दिगाम का ही हो सकता है। संसद में जिस तरह भारतीय सेना की अग्निवीर योजना को लेकर राहुल गांधी ने हमला किया, वह सेना को कमजोर करने जैसा है। आज जब दुनिया में अनेक देशों में अग्निवीर योजना की तर्ज पर ही जवानों की भर्ती हो रही है, तब हमारी इस योजना को बिना आधार के विरोध किया जा रहा है। भारत के पड़ोसी देश खासकर चीन के साथ जो तनावपूर्ण हालात हैं, उसमें भारतीय सेना का तकनीकी दृष्टि से कुशल होना तो जरूरी है ही साथ ही हमारे जवानों का युवा जज्बा भी होना चाहिए। युवा सेना ही चीन जेसे षडय़ंत्रकारी दुश्मन का मुकाबला कर सकती है। कोई शातिर दिमाग ही राहुल गांधी को अग्निवीर योजना का विरोध करा रहा है ताकि हमारी सेना कमजोर हो। सवाल उठता है कि अग्निवीर का विरोध कर राहुल गांधी किस देश को लाभ पहुंचाना चाहते हैं? सब जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी के चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से दोस्ताना संबंध है। आरोप तो यहां तक है कि कांग्रेस पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से करोड़ों रुपए का चंदा भी लिया है। राहुल गांधी जिस इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रहे है, उस गठबंधन में ऐसे दल शामिल हैं जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि भारत के सनातन धर्म को समाप्त कर देना चाहिए। राहुल गांधी ने आज तक भी सनातन धर्म को खत्म करने वाले बयान की निंदा नहीं की है। पीएम मोदी माने या नहीं, लेकिन हिंदुओं को हिंसक बताने वाला राहुल गांधी का बयान सनातन धर्म का खत्म करने वालों से जुड़ा हुआ है। 2 जुलाई को भले ही संसद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई हो, लेकिन संसद में जब बजट प्रस्तुत किया जाएगा, तब शातिर दिमागों के और गंभीर कृत्य देखने को मिलेंगे।
 
देश गंभीर संकट की ओर:
गत 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने और उसके बाद उत्पन्न हुए हालातों के मद्देनजर मैंने अपने ब्लॉग में कई बार लिखा है कि देश अब नाजुक दौर से गुजर रहा है। संसद में ऐसे लोग पहुंच गए हैं जो देश का विभाजन चाहते हैं। ऐसे लोग भी पहुंचे हैं जो विदेशों से पैसा लेकर भारत में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है। यानी संसद में भी गंभीर हालात उत्पन्न हो रहे है। 2 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वीकार किया है कि देश संकट की ओर जा रहा है। 18वीं लोकसभा के शुभारंभ सत्र में जो हालात देखने को मिले उसी के संदर्भ में पीएम मोदी को यह स्वीकारना पड़ा कि देश गंभीर संकट की ओर जा रहा है। यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि कांग्रेस पार्टी लगातार तीन बार से लोकसभा चुनाव हार रही है। जब हार को भी जीत माना जा रहा है तो फिर इरादों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2024)
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