Sunday 22 January 2017

#2177
आतंकी हमले से कम नहीं हैं रेल दुर्घटनाएं। फिर उतरे पटरी से डिब्बे, 40 की मौत।
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22 जनवरी को आन्ध्र प्रदेश के कुनेरू स्टेशन के पास जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखण्ड एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन सहित 7 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस दुर्घटना में अब तक 40 यात्रियों की मौत हो चुकी है और 100 से भी ज्यादा यात्री अस्पताल में भर्ती हैं। पिछले एक माह में यह चौथ अवसर है जब ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतरे हैं। कानपुर रेल दुर्घटना की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि पटरियों से छेड़छाड़ करने के पीछे आतंकवादियों का हाथ है और इसमें पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका है। यानि जो पाकिस्तान आतंकवादियों के माध्यम से भारत में आतंकी हमले करवाता था, उसने अब रेल दुर्घटनाएं करवाना शुरू कर दिया है। इन दुर्घटनाओं में निर्दोंष यात्रियों की तो मौत होती ही है, साथ ही रेलवे को भारी आर्थिक नुकसान होता है। एक साथ जब दस-दस डिब्बे चकनाचूर हो रहे हैं तो नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। रेल दुर्घटना में सबसे गंभीर बात यह है कि हमारे ही देश के लोगों के सहयोग से वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। रेल पटरियों से छेड़छाड़ करना आसान भी होता है। भारत में रेल पटरियों का विशाल जाल है। ऐसे में आतंकी हमले के मुकाबले रेल पटरियों की प्लेटें निकालने का काम बहुत सरल है। अब देखना है कि पाकिस्तान की इस नई चुनौती से सरकार कैसे निपटती है। 21 जनवरी को ही जब राजस्थान में रानीखेत एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरे तो रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि अब आम नागरिक पटरियों की निगरानी का काम करे और गड़बड़ी की सूचना तुरंत रेल प्रशासन को दे। सुरेश प्रभु को देश की इस सच्चाई को समझना होगा कि देश के अंदर ऐसे तत्व सक्रिय हंै, जो रेल दुर्घटनाएं करवाने में सहयोग कर रहे हैं। होना तो यह चाहिए कि ऐसे देशद्रोहियों की पहचान कर सख्त कार्यवाही की जाए। 
(एस.पी.मित्तल) (22-01-17)
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