Sunday 9 December 2018

जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया और नरेन्द्र सिंह की शादी के समय ही जता दी थी तलाक की आशंका।

जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया और नरेन्द्र सिंह की शादी के समय ही जता दी थी तलाक की आशंका। एक वंश होने की वजह से राजपूत समाज ने विरोध भी किया था।
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9 दिसम्बर को जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया और उनके पति नरेन्द्र सिंह ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने आपसी सहमति से जयपुर के पारिवारिक न्यायालय में तलाक के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है। दोनों ने कहा कि तलाक को लेकर कोई विवाद नहीं है। यह हमारा व्यक्तिगत मामला है। सब कुछ आपसी सहमति से हो रहा है। दोनों का विवाह वर्ष 1997 में विपरीत परिस्थितियों में हुआ था। राजकुमारी दीया और नरेन्द्र सिंह ने भले अब 21 वर्ष बाद तलाक की अर्जी लगाई हो, लेकिन राजपूत समाज के अनेक प्रतिनिधियों ने विवाह के समय ही तलाक की आशंका जता दी थी। इस विवाह को रुकवाने के लिए तब जयपुर घराने के बाहर राजपूत समाज के अनेक लोगों ने धरना प्रदर्शन भी किया। समाज के प्रतिनिधियों का कहना था कि राजकुमारी दीया और नरेन्द्र सिंह कच्छावा वंश के ही हैं और राजपूत समाज की सामाजिक मान्यताओं के अनुसार एक ही वंश के लड़के-लड़की का विवाह नहीं हो सकता। एक तर्क यह भी दिया गया कि दीया और नरेन्द्र सिंह के परिवार में काफी अंतर है। दीया जयपुर घराने की राजकुमारी और नरेन्द्र सिंह घराने के कर्मचारी हैं। लेकिन इन सब बातों को परे ढकेलते हुए दीया के पिता और जयपुर घराने के मुखिया भवानी सिंह ने दोनों का विवाह करवाया। उन्होंने समाज के प्रतिनिधियों से कहा कि उनकी बेटी की इच्छा सर्वोपरि है। वे अपनी बेटी को खुश देखना चाहते हैं, तब सर्वसमाज में भवानी सिंह के इस रुख की प्रशंसा भी हुई। दीया का विवाह राजघराने की परंपरा के अनुरूप धूमधाम से हुआ। विवाह के बाद दो पुत्र और एक पुत्री का जन्म भी हुआ। अपने निधन से पहले भवानी सिंह अपना उत्तराधिकारी दीया कुमारी के बड़े पुत्र पदनाभ सिंह को घोषित कर गए। हालांकि दीया कुमारी और नरेन्द्र सिंह ने किसी भी विवाद से इंकार किया है, लेकिन जानकारों की माने तो राजघराने की सम्पत्तियों के रख रखाव और उपयोग को लेकर दोनों में विवाद रहा। दीया कुमारी अपनी पारिवारिक विरासत सीटी पैलेस व जयगढ़ फोर्ट सहित अन्य इमारतों के हेरीटेज संरक्षण में लगी हुई थी। एक वर्ष पूर्व जब घराने की सम्पत्ति को लेकर सरकार से विवाद हुआ तो भी नरेन्द्र सिंह का कड़ा रुख सामने आया। तब घराने के बड़े लोगों को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चैखट तक जाना पड़ा। यहां से उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे की पहल पर ही दीया कुमारी को वर्ष 2013 में सवाई माधोपुर से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया था। दीया विधायक भी बनी और बाद में सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया।  जानकारों की माने तो पारिवारिक विवाद के चलते ही दीया कुमारी ने इस बार चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। हालांकि अपने निर्वाचन क्षेत्र में दीया कुमारी लोकप्रिय रहीं। 
एस.पी.मित्तल) (09-12-18)
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