Friday, 4 April 2025
जिस लालसोट-गंगानगर नेशनल हाईवे पर डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने इंजीनियरों को फटकार लगाई, वह हाईवे पीडब्ल्यूडी के अधीन ही आता है। मंत्री सुरेश रावत का हाइब्रिड एन्युटी मोड वाला प्रस्ताव फाइलों में दब गया।
3 अप्रैल को राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने लालसोट-गंगानगर नेशनल हाईवे-23 का आकस्मिक निरीक्षण किया। डिप्टी सीएम ने देखा कि मौके पर घटिया सामग्री का उपयोग हो रहा है। इस पर दीया कुमारी ने इंजीनियरों को फटकार लगाई टौर संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी करने के आदेश दिए। भले ही डिप्टी सीएम ने इंजीनियरों को फटकार लगाई हो, लेकिन हकीकत यह है कि इस नेशनल हाईवे की देखभाल दीया कुमारी के अधीन आने वाला पीडब्ल्यूडी विभाग ही करता है। राजस्थान में सड़कों की देखभाल चार प्रकार से होती है। एक नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधीन सड़कें आती हैं। करीब साढ़े सात हजार किलोमीटर की ऐसी सड़कें पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन है। दो -करीब साढ़े 3 हजार किलोमीटर की सड़क नेशनल हाईवे तो होती है, लेकिन सड़कों के रखरखाव का काम राज्य का पीडब्ल्यूडी विभाग करता है। पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर ही ठेकेदारों का निर्धारण करते है। अच्छा होता कि 3 अप्रैल को दीया कुमारी अपने विभाग के इंजीनियरों के खिलाफ कार्यवाही करती। ठेकेदार को नोटिस दिलवाकर तो दीया कुमारी ने अपना बचाव किया है। यदि घटिया निर्माण हो रहा है तो इसकी जिम्मेदारी खुद दीया कुमारी की है। राजस्थान में करीब 35 हजार किलोमीटर सड़क स्टेट हाइवे कहलाती है। इन सड़कों का रखरखाव राजस्थान स्टेट हाइवे अथॉरिटी के माध्यम से होता है। यह संस्था वर्ल्ड बैंक से लोन लेकर और बीओटी पद्धति से सड़कों का काम करती है। चौथे प्रकार की वह सड़क है जो ग्रामीण सीमा को शहरी सीमा से जोड़ती है। इन सड़कों की दुर्दशा ज्यादा खराब है। जबकि आवागमन के लिए इन्हीं सड़कों का उपयोग ज्यादा होता है। इन सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रदेश के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए है। इन सड़कों का निर्माण हाइब्रिड एन्युटी मोड से कराए जाने का प्रस्ताव दिया गया है। यदि इस मोड़ से सड़कें बनती है तो उच्चस्तरीय नेटवर्क ग्रामीणों को प्राप्त हो सकेगा। जिसका फायदा ग्रामीण विकास को भी मिलेगा। इस मोड़ में पांच वर्षों में किए गए खर्च के अनुरूप ही राशि खर्च करनी होगी, इससे सड़कों का निर्माण सुदृढ़ीकरण उन्नयन संभव हो सकेगा। चूंकि संबंधित ठेकेदार के पास ही मेंटेनेंस का काम होगा, इसलिए ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें पेचवर्क से मुक्त हो सकेगी। मंत्री रावत ने यह महत्वपूर्ण सुझाव गत वर्ष अगस्त में भेजा था, लेकिन सात माह गुजर जाने के बाद भी इस प्रस्ताव पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। हाल ही के बजट में सरकार ने इन सड़कों के लिए प्रति विधानसभा 10 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-04-2025)
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